लोय
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लोय † ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ लोक] लोग । उ॰—जहाँ प्रगट भूषण भनत हेतु काज ते होय । सो बिभावना औरऊ कहत सयाने लोय ।— भूषण (शब्द॰) ।
लोय ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ लोचन, हिं॰ लोयन] आँख ।नेत्र । नयन ।
लोय ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ लव या लाव] लौ । लपट । ज्वाला । उ॰— /?/ निर्मल रत्न प्रवीन धरे बड़ी लोय सो आँखन ओरी जरे । —लक्ष्मण (शब्द॰) ।
लोय ^४ अव्य॰ [हिं॰ लौं] तक । पर्यत ।