लोर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लोर † ^१ वि॰ [सं॰ लोल]
१. लोल । चंचल । उ॰—यह वाणी कहत ही लजानी समुझि भई जिय और । सुरश्याम मुख निरखि चली घर आनंद लोचन लोर ।—सूर (शब्द॰) ।
२. उत्सुक । इच्छुक ।
लोर ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ लोल]
१. कान का कुंडल ।
२. लटकन ।
३. कान के नीचे का लटका हुआ भाग । लोलक ।
लोर ^३ संज्ञा पुं॰ [देशी या सं॰ लोल (=अश्रु या हिं॰ लोण)] आँसू । उ॰—बोलि ढिग बैठारि ताकी पोछि लोचन लोर । सुर प्रभु के बिरह ब्याकुल सखि लखि मुख ओर ।—सुर (शब्द॰) ।