लोरना
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
लोरना पु क्रि॰ अ॰ [सं॰ लोल]
१. चंचल होना ।
२. लपकना । ललकना । उ॰—पुनि उठि जागि देखै मुकुर नारि ललचान अरक भरि लैन लोरै । सूर प्रभु भावती के सदा रस भरे नैन भरि भरि प्रिया रुप चोरै ।—सूर (शब्द॰) ।
३. लिपटना । उ॰—लोरहिं आइ भूमि तरु शआखाफल फूलन क भारा । नाना रंग कुरंग सग एक चरैं सुढग अपारा—रघुराज (शब्द॰) ।
४. झुकना । उ॰—देव कर जोरि जोरि बदति सुरात लघु लोगान के लोरि लोरि पायान परति है ।—देव (शब्द॰) ।
५. लोटना । उ॰— कलप लता से लता बृगदन बिलासे, झुके अजब किता से भूमि लोरन के आते हैं ।—रघुराज (शब्द॰) ।