वक्री
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वक्री ^१ वि॰ [सं॰ वक्रिन्]
१. अपने मार्ग को छोड़कर पीछे लौटनेवाला । विशेष—फलित ज्योतिष में जो ग्रह अपनी राशि से एकबारगी दूसरी राशि में चला जाता है, उसे अतिवक्री या महावक्री कहते हैं । यह वक्रता मंगल आदि पाँच ग्रहों में भी होती है । विशेष दे॰ 'वक्रगति' ।
२. कुटिल । टेढ़ा (को॰) ।
३. धूर्त । मक्कार । फरेबी (को॰) ।
वक्री ^२ संज्ञा पुं॰ वक्र ग्रह ।
२. वह प्राणी जिसके अंग जन्म से टेढ़े हों ।
२. बुद्धदेव या जैन जिन्होंने टेढ़ी युक्तियों से वैदिक मत का विरोध किया था ।