वक्रोक्तिजीवित

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

वक्रोक्तिजीवित संज्ञा पुं॰ [सं॰] साहित्य शास्त्र का एक ग्रंथ जिसमें वक्रोक्ति को ही काव्य की आत्मा माना गया है । इसके रचयिता आचार्य 'कुंतक' थे ।