वगर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वगर ^१ अव्य॰ [फ़ा॰] दे॰ 'अगर' । उ॰—मेरे बर में बोलो के क्या रंग है । वगर नहीं तो तुम सूँ मेरा जंग है ।—दक्खिनी॰, पृ॰ ३४८ ।
वगर पु ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ प्रघण, प्रा॰ पघण] महल । निवास । दे॰ 'बगर' । उ॰—जड़ित नीलमणि जासु वगर सुंदर चामीकर । नगर परम रमनीय सुथर सुरलोकहु ते वर ।—दीन॰ ग्रं॰, १४६ ।