वप्र
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प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
वप्र संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. मिट्टी का ऊँचा धुस्स, जो गढ़ या नगर की खाई से निकली हुई मिट्टी के ढेर से चारों और उठाया जाता है और जिसके ऊपर प्राकार या दीवार होती है । चय । मृत्तिकास्तूप ।
२. क्षेत्र । खेत ।
३. रेणु । धूल ।
४. ऊँचा किनारा । कगार । (नदी आदि का) ।
५. पहाड़ की चोटी ।
६. टीला । भीटा ।
७. सीसा नाम की धातु ।
८. प्रजापति ।
९. द्वापर युग के एक व्यास ।
१०. चौदहवें मनु के एक पुत्र का नाम ।
११. साँड़ अथवा हाथी का अपनी सींग या दाँत से मिट्टी का ढूह गिराना (को॰) ।
१२. पिता । जनक (को॰) ।
१३. सोना (को॰) ।
१४. नींव (को॰) ।
१५. परिखा । खाईं (को॰) ।
१६. घेरा (को॰) ।
१७. मैदान (को॰) ।