वरत

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

वरत पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ व्रत] उपवास । दे॰ 'व्रत'-२ । उ॰—विकट करो तीरथ वरत, धरा भेष के धार । विनै नाम रघुबीर रै, परत न उतरै पार ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ ३४ ।