वरतमान पु वि॰ [सं॰ वर्तमान] दृश्य जगत् जो वर्तमान है । उ॰—वरतमान मँह सतगुरु सारा । सतगुरु भव तारन कडिहारा ।—कबीर सा॰, पृ॰ ४३० ।