वर्ग
संज्ञा
उदाहरण
- ९ का वर्ग ८१ होता है।
अनुवाद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
वर्ग संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एक ही प्रकार की अनेक वस्तुओं का समूह । जाति । कोटि । गण । श्रेणी ।
२. आकार प्रकार में कुछ भिन्न, पर कोई एक सामान्य धर्म रखनेवाले पदार्थों का समूह । जैसे, अंतरिक्ष वर्ग शूद्र वर्ग, ब्राह्मण वर्ग ।
३. शब्दशास्त्र में एक स्थान से उच्चरित होनेवाला स्पर्श ब्यंजन वर्णों का समूह । जैसे,—कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, इत्यादि । विशेष—ज्योतिष में स्वर अंतस्थ और ऊष्म वर्ण भी (जैसे,—अ, य, श,) क्रमशः अवर्ग, यवर्ग और शवर्ग के अंतर्गत रखे गए हैं । इस प्रकार ज्योतिष के व्यवहार के लिये सब वर्णो के विभाग 'वर्ग' के अंतर्गत किए गए हैं और अवर्ग, कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग, यवर्ग, तथा शवर्ग के स्वामी क्रमशः सूर्य, मंगल, शुक्र, बुध, बृहस्पति, शनि और चंद्रमा कहे गए हैं ।
४. ग्रंथ का विभाग । परिच्छेद । प्रकरण । अध्याय ।
५. दो समान अंकों या राशियों का घात या गुणनफल । जैसे,—३ का ९,५ का २५ (३x३ = ९ । ५x५ = २५) ।
६. वह चौखूँटा क्षेत्र जिसकी लंबाई चौड़ाई बराबर और चारों कोण समकोण हों । (रेखागणित) ।
७. शक्ति । सामर्थ्य (को॰) ।
८. अर्थ, धर्म तथा काम का त्रिवर्ग (को॰) ।