वलि
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वलि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. रेखा । लकीर ।
२. चंदन आदि से बनाई हुई रेखा ।
३. सिकुड़न के कारण पड़ी हुई लकीर । झुर्री ।
४. पेट के दोनों ओर पेटी के सिकुड़ने से पड़ी हुई रेखा । बल । जैसे,—त्रिवली ।
५. देवता को चढ़ाने की वस्तु ।
६. राजकर ।
७. एक दैत्य जो प्रह्लाद का पौत्र था और जिसे विष्णु ने वामन अवतार लेकर छला था । विशेष—दे॰ 'बलि' ।
८. कौटिल्य कथित एक प्रकार का धार्मिक कर । धर्मकार्य के लिये लगाया हुआ कर ।
९. श्रेणी । पंक्ति ।
१०. बवासीर का भस्सा ।
११. छाजन की ओलती ।
१२. गंधक ।
१३. एक प्रकार का बाजा ।