वसु
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वसु संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. देवताओं का एक गण जिसके अंतगँत आठ देवता हैं । विशेष—वेदों में वसु शब्द का प्रयोग अग्नि, मरुद् गण, इंद्र, उषा, अश्वी, रुद्र और वायु के लिये मिलता है । वसु को आदित्य भी कहा है । बृहदारणयक में इस गण में पृथिवी, वायु, अंतरिक्ष, आदित्य, द्यौ, अग्नि, चंद्रमा और नक्षत्र माने गए हैं । महाभारत के अनुसार आठ वसु ये हैं—घर, ध्रुव, सोम, विष्णु, अनिल, अनल, प्रत्यूष और प्रभास । श्रीमद् भागवत में ये नाम हैं—द्रोण, प्राण, ध्रुव, अर्क, अग्नि, दोष वास्तु और विभावसु । अग्नि- पुराण में आप, घ्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्यूष और प्रभास वसु कहे गए हैं । भागवत के असुसार दक्ष प्रजापति की कन्या 'वसु' ने, जो धर्म को ब्याही थी, वसुओं को उत्पन्न किया । देवीभागवत में कथा है कि एक बार वसुओं ने वसिष्ठ की नंदिनी गाय चुरा ली थी; जिससे वसिष्ठ जी ने शाप दिया था कि तुम लोग मनुष्य योनि में जन्म लोगे । उसी शाप के अनुसार वसुओं का जन्म शांतनु की पत्नी गंगा के गर्भ से हुआ, जिनमें सात को तो गंगा जनमते ही गंगा में फेंक आई, पर अंतिम भीष्म बचा लिए गए । इसी से भीष्म वसु के अवतार माने जाते हैं ।
२. शब्दों द्वारा संख्या सूचित करने की रीति के अनुसार आठ की संख्या ।
३. रत्न ।
४. धन ।
५. वक वृक्ष । अगस्त का पेड़ ।
६. अग्नि ।
७. रश्मि । किरण ।
८. जल ।
९. सुवर्ण । सोना ।
१०. योक्तू । जोत ।
११. कुबेर ।
१२. पीली मूँग ।
१३. वृक्ष । पेड़ ।
१४. शिव ।
१५. सुर्य ।
१६. विष्णु ।
१७. मौलसिरी । वकुल ।
१८. साधु पुरुष । सज्जन ।
१९. सरोवर । तालाब ।
२०. राजा नृग के एक पुत्र का नाम ।
२१. छप्पय के हो सकनेवाले भेदों में से ६९ वाँ भेद ।
२२. घृत । घी (को॰) ।
२३. वस्तु । पदार्थ (को॰) ।
२४. एक प्रकार का नामक (को॰) ।
२५. रास । लगाम । बागडोर (को॰) ।
२६. रज्जु । रस्सी (को॰) ।
२७. हाथ की कुहनी से लेकर बँधी हुई मुट्ठी तक की लबाई या दूरी (को॰) ।
वसु ^२ संज्ञा स्त्री॰
१. दीप्ति । आभा ।
२. वृद्धौषध । वृद्धि ।
३. दक्ष । प्रजापति की एक कन्या जो धर्म को ब्याही थी और जिससे द्रोण आदि आठ वसुओं का जन्म हुआ था ।
४. अमरावती । इंद्रपुरी (को॰) ।
५. अलका । कुबेर की नगरी (को॰) ।
वसु ^३ वि॰
१. जो सबमें वास करता हो ।
२. जिसमें सबका वास हो ।
३. मीठा । मधुर (को॰) ।
४. सूखा । शुष्क (को॰) ।
५. धनी । संपन्न ।
६. अच्छा । उत्तम ।