वाँ अव्य॰ [हिं॰ वहाँ का संक्षिप्त रूप] उस जगह । उस स्थान पर । उ॰—घर बैठत वाँ जल सों रजए ।—हम्मीर रा॰, पृ॰ ४५ ।