वाट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वाट ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ बाट( = मार्ग)] मार्ग । रास्ता । पथ । मुहा॰—बाट करना = रास्ता खोलना । मागं बनाना । उ॰— जीत्यो जरासंध वँदि छोरी । जुगल कपाट बिदारि बाट करि लतनि जुही सँधि चोरी ।—सूर (शब्द॰) । बाट जोहना या देखना = प्रतिक्षा करना । आसरा देखना । उ॰—तुम पथिक दूर के श्रांत और मैं बाट जोहती आशा ।—अपरा, पृ॰ ७१ । बाट पड़ना = (१) रास्ते में आ आकर बाधा देना । तंग करना । पीछे पड़ना । (२) डाका पड़ना । हरण होना । उ॰—तरनिउँ मुनि धरनी होइ जाई । बाट परइ मोरि नाव उड़ाई ।—तुलसी (शब्द॰) । बाट पारना = डाका मारना । मार्ग में लूट लेना । उ॰—राम लों न जान दीनी बाट ही में खरी कीनी घाट पारिबे का बली अंगद प्रवीन है ।—हनुमान (शब्द॰) । सिर के केश या बालों से) बाट बुहारना = अत्यंत ही प्रिय और इच्छित व्यक्ति के आने पर स्वागत सत्कार करना । (स्त्रियाँ) । उ॰—एकसाँरा घरि आवज्यो, बाट बूहारूँ सीर का केस ।—बी॰ रासो, पृ॰ ७५ । बाट लगाना = (१) रास्ता दिखलाना । मार्ग बतलाना । (२) किसी काम के करना का ढंग बतलाना । (३) मूर्ख बनाना ।
वाट संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. मार्ग । रास्ता । उ॰—जिण बाटइ सज्जण गया सा वाटड़ी सुरंग ।—ढोला॰, दू॰ ३४६ ।
२. वास्तु । इमारत ।
३. मंडप ।
४. आवृत स्थान । घेरेदार जगह (को॰) ।
५. उद्यान । उपवन (को॰) ।
६. एक अन्न (को॰) ।
७. तट पर लगाया हुआ लकड़ी का बाँध (को॰) ।
८. उरुसंधि । वंक्षण (को॰) ।
९. प्रांत । प्रदेश (को॰) ।