वातरक्त संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक रोग जिसमें कुपथ्य और अयुक्ताहार विहार से रक्त वायु से दूषित हो जाता है । विशेष—इसमें पैर के तलवे से घुटने तक छोटी छोटी फुंसियाँ हो जाती हैं, जठराग्नि मंद पड़ जाती है और शरीर दुर्बल होता जाता है ।