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वान

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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वान ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कट । गोनटी । चटाई ।

२. पानी में लगनेवाला वायु का झोंका ।

३. गति ।

४. सुरंग ।

५. सौरभ । सुगंध ।

६. सूखा फल ।

७. बाना ।

८. बनों का समूह या घना जंगल (को॰) ।

९. बुनाई । बुनने की क्रिया (को॰) ।

१०. घर की दीवार का छेद (को॰) ।

११. चतुर व्यक्ति (को॰) ।

१२. यमराज (को॰) ।

१३. एक प्रकार का बंसलोचन (को॰) ।

वान ^२ वि॰ खिला हुआ । प्रफुल्लित ।

३. हवा से सूखा हुआ । शुष्क ।

३. वन का । वन संबंधी । जंगली [को॰] ।

वान पु ^३ संज्ञा, स्त्री॰ [सं॰ वाणी] वाणी । वचन । प्रतिज्ञा । उ॰— निज्ज वान सुप्रमान । वान नीसान बधै सुर ।—पृ॰ रा॰ ।

वान पु ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वाण] दे॰ 'वाण' । उ॰—करे कुंभ चूरं । भरे वान भूरे ।—पृ॰ रा॰, २ । २८ ।