वायु
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अनुवाद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
वायु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] हवा । वात । विशेष—वैशेषिक दर्शन वायु को द्रव्यों में मानता है और उसे रूपरहित, स्पर्शवान् तथा नित्य कहता है । न्याय दर्शन में वायु पंचभूतों में है और इसका गुण स्पर्श कहा गया है । वायु से ही स्पर्शेंद्रिय की उत्पत्ति मानी गई है । वैशेषिक दर्शन स्पर्श के अतिरिक्त संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग, विभाग, परत्व, अपरत्व और वेग भी वायु के गुण मानता है । सांख्य में वायु की उत्पत्ति स्पर्श तन्मात्रा से मानी गई है । उपनिषदों के अनुसार वेदांती भी वायु की उत्पत्ति आकाश मे मानते हैं ।
२. वायु देवता । पवन देवता (को॰) ।
३. प्राणवायु । जीवनवायु भो पाँच प्रकार कहा का है—प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान ।
४. साँस । श्वास (को॰) ।
५. 'य' अक्षर (को॰) ।
६. एक वसु (को॰) ।
८. एक दैत्य का नाम, (को॰) ।
९. गंधर्वों के एक राजा का नाम (को॰) ।