वारुणी
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
वारुणी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. मदिरा । शराब । विशेष—कई प्रकार की मदिरा का नाम वारुणी है । जैसे,— पुनर्नवा (गदहपूरना) की पीसकर बनाई हुई, ताड़ या खजूर के रस से बनी हुई, साठी धान के चावल और हड़ पीसकर बनाई हुई ।
२. वरुण की स्त्री । वरुणानी ।
३. उपनिषद् विद्या, जिसका उपदेश वरुण ने किया था ।
४. पश्चिम दिशा ।
५. शतभिषा नक्षत्र ।
६. एक नदी का नाम ।
७. भुईआँवला ।
८. गाँडर दूब ।
९. घोड़े की एक चाल ।
१०. इंद्रवारुणी लता । इंदारुन की बेल ।
११. हथिनी ।
१२. एक पर्व जो उस समय माना जाता है जब चैत महीने की कुष्ण त्रयोदशी को शतभिषा नक्षत्र पड़ता है । इस दिन लोग गंगास्नान, दान आदि करते हैं ।
१३. दूर्वा । दूब (को॰) ।
१४. घोड़े की गति का एक भेद (को॰) ।
१५. एक नदी का नाम (को॰) ।
१६. वृंदावन के एक कदंब का रस, दो वरुण की कृपा से बलराम जी के लिये निकला था ।
१७. कदंब के पके हुए फलों से बनाया हुआ मद्य ।