वासक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वासक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. अड़ूसा ।
२. गान का एक अंग । विशेष—शंकर के मत से मनोहर, कंदर्प, चारु और नंदन नामक इसके चार भेद हैं । कोई कोई विनोद, वरद, नंद और कुमुद को इसका भेद मानते हैं ।
३. वासर । दिन ।
४. शालक राग का एक भेद ।
५. वस्त्र ।
६. गध । सुगंधद्रव्य (को॰) ।
७. शयनागार शयनकक्ष (को॰) ।
वासक पु ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वासुकि] दे॰ 'वासुकि' । उ॰—एक दंत पाताल चलावा । तहाँ जाय वासक को खावा ।—कबीर सा॰ पृ॰ ८०२ ।
वासक ^३ वि॰ [सं॰] [वि॰ स्त्री॰ वासका, वासिका]
१. सुवासित करनेवाला । सुगंधित करनेवाला ।
२. बसानेवाला बसने के लिये प्रेरित करनेवाला [को॰] ।