विंदु
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विंदु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ बिन्दु]
१. जलकण । बुँद ।
२. बुंदकी । बिंदी ।
३. रंग की बिंदी जो हाथी के मस्तक पर शोभा के लिये वनाई जाती है ।
४. अनुस्वार ।
५. शून्य ।
६. दांत का लगाया हुआ क्षत । दंतक्षत ।
७. गो भौहों के बीच की बिंदी ।
८. एक बूँद परिमाण ।
९. रेखागणित के अनुसार वह जिसका स्थान नियत हो, पर विभाग न हो सके ।
१०. छोटा टुकड़ा । कण । कनी । उ॰—कनक बिंदु दुह चारि के देखे । राखे सीस सीय सम लेखे ।—तुलसी (शब्द॰) ।
११. रत्नों का एक दोष या धब्बा जो चार प्रकार का कहा गया है—आवर्त्त (गोल), वर्ति (लंबा), आरक्त (लाल) और यव (जौ के आकार का)
१२. मूँज या सरकँडे का धूआँ ।
विंदु ^२ वि॰
१. ज्ञानी । वेत्ता । जानकर ।
२. उदार । दाता ।
३. जानने योग्य ।