विकास
किसी वस्तु या जगह आदि का पहले से अधिक अच्छा करना विकास कहलाता है।
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
विकास ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. प्रसार । फैलाव ।
२. खिलना । प्रस्फुटित होना ।
३. किसी पदार्थ का उत्पन्न होकर अंत या आरंभ से भिन्न रूप धारण करते हुए उत्तरोत्तर बढ़ना । क्रमश: उन्नत होना । जैसे,—सृष्टि का विकास, मानव सम्यता का विकास , बीज से पेड़ों का विकास, गर्भादि से शरीर का विकास ।
४. एक प्रसिद्ध पाश्चात्य सिद्धांत जिसके आचार्य डार्विन नामक प्राणिविज्ञानवेत्ता हैं । विशेष—इस सिद्धांत में यह माना जाता है कि आधुनिक समस्त सृष्टि और उसमें पाए जानेवाले जीवजंतु तथा वृक्ष आदि एक ही मूल तत्व से उत्तरोत्तर निकलते गए हैं । यह सिद्धांत इस बात का विरोधी है कि सारी सृष्टि जैसी है, वैसी ही एक बारगी उत्पन्न हो गई थी । इसे विकासवाद भी कहते हैं ।
विकास ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ वि+काश] एक प्रकार की घास जो नीची भूमि में होती है । इसकी पत्तियाँ दूब की भाँति पर कुछ बड़ी होती हैं । चौपाए इसे बड़े चाव से खाते हैं ।