विकृत
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विकृत ^१ वि॰ [सं॰]
१. जिसमें किसी प्रकार का विकार आ गया हो । बिगड़ा हुआ ।
२. जो भद्दा या कुरूप हो गया हो । उ॰—पुरुष के शुक्र और स्त्री के आर्तव में कैसा दोष हो जाने से संतान नहीं होती अथवा विकृत संतान होती है ।—जगन्नाथ शर्मा (शब्द॰) ।
३. असाधारण । अस्वाभाविक । अप्राकृतिक ।
४. असंस्कृत (को॰) ।
५. अपूर्ण । अधूरा । अंगहीन । छित्र भिन्न ।
६. विद्रोही । अराजक ।
७. रोगी । बीमार ।
८. आवेश- ग्रस्त । भावाविष्ट (को॰) ।
९. बीभत्स । घृणास्पद (को॰) ।
१०. पराङ् मुख । विरक्त (को॰) ।
११. विच्छिन्न (को॰) । यौ॰—विकृतदर्शन=जिसका रूप बदल गया हो या विकारयुक्त हो । विकृतद्दष्टि । विकृतरक्त=लाल रँगा हुआ या लाल धब्बोंवाला । विकृतवदन=भद्दी आकृतिवाला । बदशकल । विकृतवेषी=वस्त्रादि को असंस्कृत रूप से पहननेवाला । विकृतस्वर ।
विकृत स्वर संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह स्वर जो अपने नियत स्थान से हटकर दूसरी श्रुतियों पर जाकर ठहरता है । विशेष—संगीत शास्त्र में १२ विकृत स्वर माने गए हैं—(१) च्युत षड़ज, (२) अच्युत षडज, (३) विकृत षड़ज, (४) साधारण गांधार, (५) अंतर गांधार, (६) च्युत मध्यम, (७) अच्युत मध्यम, (८) त्रिश्रुति मध्यम, (९) कैशिक पंचम, (१०) विकृत धैवत, (११) कैशिक निषाद और (१२) काकली निषाद ।