विक्रम
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विक्रम ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. विष्णु का एक नाम । उ॰—कटि तट प्रगट प्रताप महान त्रिविक्रम रक्षै । पृष्ठ देस महँ परम रा स वर विक्रम रक्षै ।—गोपाल (शब्द॰) ।
२. बल, शौर्य या शक्ति की अधिकता । ताकत का ज्यादा होना । बहादुरी । पराक्रम । उ॰—(क) कासी भूपति चलेउ प्रकासी विक्रम रासी ।—गोपाल (शब्द॰) । (ख) वर भोगी भूषन को धरे पंचानन विक्रम अधिक ।—गोपाल (शब्द॰) । (ग) विपुल बल मूल सर्दूल विक्रम जलदनाद मर्दन महाबीर भारी ।— तुलसी (शब्द॰) ।
३. ताकत । बल ।
४. गति ।
५. प्रकार । ढंग । मार्ग ।
६. साठ संवत्सरों में से चौदहवाँ संवत्सर ।
७. वेदपाठ की वह प्रणाली जिसमें क्रम का अभाव हो ।
८. दे॰ 'विक्रमादित्य' ।
९. पादविक्षेप । कदम । डग (को॰) ।
१०. चंडता । तीव्रता उत्कर्ष (को॰) ।
११. स्थिति (को॰) ।
१२. चरण (को॰) ।
१३. विसर्ग का उष्म में न बदलना (को॰) ।
१४. कुंडली के लग्न चक्र का तीसरा स्थान (को॰) ।
१५. संस्कृत भाषा के एक जैन कवि जिन्होंने मेघदूत के पदों को लेकर नेमिदूत नामक काव्य की रचना की थी ।
विक्रम पु ^२ वि॰ श्रेष्ठ । उत्तम । उ॰—सुवा सुफल लै आएउँ तेहि गुन ते मुख रात । क्या पीत सो तासों सवरौं विक्रम बात ।— जायसी (शब्द॰) ।