विक्षनरी:पुरातत्त्व परिभाषा कोश

विक्षनरी से
  • 'A' Group culture -- 'क' वर्ग संस्कृति
ऊपरी मिस्र एवं नूबिया की ई.पू. चतुर्थ सहस्राब्दि की विकसित खाद्योत्पादक व्यवस्था सम्पन्न एक संस्कृति। इस संस्कृति की प्रमुख विशिष्टता पाषाण निर्मित घृष्ठ कुठार, चर्ट फलक, ताम्र तथा अस्थि उपकरण, चित्रित और सादे लाल मृद्भांड तथा पत्थर के अनगढ़ भवन है। गेहूं एवं जौं की खेती के अतिरिक्त, इस संस्कृति के लोग भेड़-बकरी व अन्य मवेशी पालते थे। इस संस्कृति के अवशेष अधिकांशतः शव-निखातों में प्राप्त हुए हैं।
  • 'C' Group culture -- सी ग्रुप' संस्कृति
ऊपरी मिस्र और नूबिया की एक विशिष्ट संस्कृति के लिए प्रयुक्त नाम। इस संस्कृति की प्रमुख विशेषता उसके कृष्णलोहित मृद्भांड हैं जिनपर श्वेत खचित अलंकरण उत्कीर्ण हैं। अनगढ़ पत्थरों से निर्मित वृत्ताकार रचनाएँ इसकी अन्य विशेषताएँ हैं।
  • Abbevillian -- अबेवीली
पुरापाषाणकालीन संस्कृति जिसका नाम उत्तरी फ्रांस के अबेवील नामक स्थान पर पड़ा। इस संस्कृति का प्रमुख उपकरण, द्विपृष्ठीय परस्पर हस्तकुठार था, जिसका सिरा नुकीला तथा निचला हिस्सा भारी होता था। इस संस्कृति का उद्भव अफ्रीका से माना जाता है। सर्वप्रथम अबेवीली उपकरण फ्रांस में मिले।
  • Abkhasian people -- अबरवासी जन
कृष्ण सागर के पूर्वी तटवर्ती जार्जिया के निवासी।
  • abrader (=abraser) -- अपघर्षक
एक प्रकार का प्रागैतिहासिक उपकरण, जो किसी दूसरी वस्तु या उपकरण को घिसने के काम में लाया जाता था। इससे रगड़ कर उपकरणों या वस्तुओं में धार बनाई जाती थी या उन्हे चिकना बनाया जाता था।
  • absolute chronology -- निरपेक्ष कालानुक्रम
काल-निर्धारण का एक प्रकार, जिसमें किसी स्थल या उसमें प्राप्त वस्तुओं का, ऐसी प्रविधियों से अध्ययन किया जाता है, जो उसकी निश्चित तिथि बताती है। यह निर्धारित तिथि ठोस वैज्ञानिक निष्कर्षो पर आधारित होती है। निरपेक्ष कालानुक्रम में मुख्यतः निम्नलिखित प्रविधियों का आश्रय लिया जाता हैः-कार्बन 14 तिथिनिर्धारण, वृक्ष कालानुक्रमिकी तापसंदीप्ति काल-निर्धारण (thermoluminiscent chronology), पोटेशियम आर्गन काल-निर्धारण एवं पुराचुंबकत्व प्रविधि। प्रागितिहास में किसी घटना की निश्चित तिथि निर्धारित नही की जा सकती। निरपेक्ष तिथि को भी सौ-सौ वर्षों के कोष्ठकों में दिया जाता है।
  • Abu Simbel -- अबू सिम्बल
नूबिया में मिस्र के अठारहवें शासक फराहो रेमज़े द्वितीय (लगभग ई. पू. 1250) द्वारा बनाए गए दो मंदिरों का स्थान। अबू सिम्बल के प्रवेश द्वार के दोनों ओर 18 मीटर से भी अधिक ऊँची चार महाकाय तक्षित मूर्तिया हैं।
आस्वान बांध के बनाते समय, इन दोनों मदिरों को जलमग्न होने से बचाने के लिए पार्श्ववर्ती पर्वत को उभार कर उठाया गया। इन मंदिरों तथा इनकी मूर्तियों की महत्वपूर्ण पुरातात्विक निधियों में की जाती है।
  • aceramic neolithic -- मृदूभांड रहित नवपाषाणकाल
वह नवपाषाणकाल जिसमें खेती अथवा पशुपालता तो था, परन्तु मृद्भांडों का प्रयोग न था। ऐसी प्रारंभिक अवस्था भारतीय महाद्वीप में मेहरगढ़ (बलूचिस्तान) व गुफक्राल (कश्मीर) तथा पश्चिम एशिया के कुछ स्थानों (यथा जेरोको व जरमो) और यूनान (यथा सेस्कलो) में मिलती है।
  • acerra -- 1. धूपदान
धूप या लोबान रखने का पात्र।
2. वहनीय बेदी
चिता के सामने रखी जानेवाली लघु वेदी, जिसे लाया-ले जाया जा सके।
  • achech -- ईहामृग, सिंहपक्षी
मिस्री मिथक का एक काल्पनिक जीव, जिसके शरीर का आधा भाग सिंह तथा आधा भाग पक्षी का होता था।
  • Acheulean -- ऐश्यूली
फ्रांस की सोम घाटी में स्थित सेंट ऐश्यूल की निम्न पुरापाषाण कालीन संस्कृति से बाद की है। इस काल में पाषाण उपकरणों की निर्माण प्रक्रिया में कुछ तकनीकी खोजों का विकास हुआ।
लीके के मतानुसार, ऐश्यूली उद्योग का विकास यूरोप के बाहर मिंडेल हिमावर्तन-काल तथा यूरोप में मिडेल-रिस हिम-प्रत्यार्तन काल में हुआ था। इन उपकरणों के बनाने में नियंत्रित शल्कीकरण प्रविधि का प्रयोग होता था। इनके शल्क-चिह्न छिछले, क्रमिक तथा छोटे होते थे। उपकरणों का शल्कीकरण काफी व्यवस्थित था। भारतीय प्रागितिहास में ऐश्यूली शब्द का प्रयोग केवल सांस्कृतिक अर्थ में होता है। इनकी प्रमुख विशेषता सब तरफ की धारवाले द्विपृष्ठीय उपकरण हैं। हस्तकुठारों में अंडाकार और हृदयाकार कुठार उल्लेखनीय हैं। कहीं-कहीं विदारणी का भी प्रयोग मिलता है।
  • acoustic vessels -- ध्वनिवर्धक पात्र
बड़े आकार के पात्र विशेष, जो गिरजाघरों की घंटा-मीनारों की घंटा-मीनारों के घंटे की ध्वनि को बढ़ाने के लिए प्रयुक्त होते थे। ऐसे पात्र, ईसवी नवीं से ईसवी ग्यारहवीं शताब्दी के गिरजाघरों में मिले हैं। संरचित पात्रों का मृद्भांडों से मिलान कर अनेक गिरजाघरों के काल-निर्धारण में सहायता मिलती है।
  • acrolith -- काष्ठ-अश्म मूर्ति, ऐकोलिथ
प्रस्तर निर्मित मस्तक और हाथ पैर वाली प्रतिमा।
यूनानी कला का एक मूर्ति प्रकार, जिसके ऊपरी तथा किनारे के भाग पाषाण के बने होते हैं और कबंध सामान्यतः काष्ठ-निर्मित होता हैं। ऐसी मूर्ति का धड़ चारों ओर से वस्रों सं ढका होता है।
  • acropolis -- एकोपोलिस
प्राचीन यूनानी नगर का ऊपरी आरक्षित भाग। एथेंस का प्रसिद्ध एकोपोलिस प्राचीरों से घिरा और नौद्धारों से युक्त था। संकट-काल में इसका प्रयोग शरण-स्थल के रूप में किया जाता था। प्राचीन रोम (केपि-टाल) तथा जेरूसलम (एंटोनिया) में भी इस प्रकार की संरचनाओं के अवशेष मिले हैं।
  • AD -- (1) ईसवी सन्, ईसवी, ई.
ईसाई धर्म-प्रवर्तक ईसा मसीह के जन्म से चला आ रहा संवत्।
(2) ad, ई.
अंग्रेजी के छोटे अक्षरों में लिखा 'ad' किसी वस्तु या पदार्थ के अनंशशोधित कार्बन वर्षों का द्योतक है।
(3) AD,ई.
अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में लिखा 'AD' वस्तु की रेडियोकार्बन तिथि प्रदर्शित करता है। यह उन इतिहास-सम्मत तिथियों का भी द्योतक है जिनकी रेडियो-कार्बन तिथि निर्धारित करने की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण-स्वरूप :-
रेडियोकर्बन तिथि
660 AD-660 ई. (अंशशोधित) ; 600 AD- 600-ई. (अनंशोधित)
  • adaptation -- अनूकूलन
संस्कृति या जीव द्वारा परिवर्तित परिस्थिति अथवा पर्यावरण के अनुकूल ढालने की स्थिति या प्रक्रिया।
  • adobe -- भूसा या पुआल मिश्रित मिट्टी की धूप में सुखाकर बनाई गई ईंट। ये ईंटे, भट्टी की ईंटों कम मज़बूत होती हैं, इसलिए इन्हे कच्ची ईंट कहा जाता है। 'adobe' शब्द का प्रयोग मुख्यतः मेक्सिको तथा दक्षिण-पश्चिम अमरीका में प्रयुक्त कच्ची ईंट के संदर्भ में किया जाता है।
  • adytum -- गुप्त गर्भगृह, गर्भगृह
प्राचीन मंदिरों का गुप्त या आभ्यंतरिक भाग। यहाँ केवल मंदिर के पुरोहित ही प्रवेश कर सकते हैं।
  • adze -- बसूला
प्रस्तर या धातु का बना चपटा तथा भारी उपकरण। इसके एक ओर मूँठ को लिए कहीं-कहीं छिद्र भी बना होता है। इसका प्रयोग कुल्हाड़ी के प्रयोग से भिन्न होता है। कुल्हाड़ी की धारा मूँठ के समानांतर होती है और बसूले की धारा समकोणाकार होती है। प्रागेतिहासिक पाषाण काल के बसूले में यह आवश्यक नहीं को फंसाने के लिए उसमें छिद्र बना हो। इसे कांट-छांट या कर्तन (trimming) करने के लिए काम में लाया जाता है।
  • Aegean culture -- ईजियन संस्कृति
ईजियन सागर क्षेत्र में विकसित प्राचीनतम कांस्यकालीन संस्कृति। इनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण मिनोअन और माईसीनी संस्कृतियाँ हैं। इसका उद्भव कीट द्वीप में लगभग ई. पू. 3000 में हुआ था। लगभग ई. पू. 2000 में यह संस्कृति अपने चरम उत्कर्ष पर थी। इस संस्कृति से संबंधित प्रमुख नगर एशिया-माइनर में ट्राय, यूनान में और टिरिंस तथा कीट में नोसस व फेस्टस हैं।
  • Aegean vase -- ईजियन कलश
ईसा पूर्व तीसरी सहस्राब्दी से दूसरी सहस्राब्दी तक विद्यमान ईजियन सभ्यता के कलात्मक कलश जिनका उस काल में नियति हुआ करता था। कभी-कभी ये कलश बहुत ही पतले होते थे। पत्थर के ये नक्काशीदार कलश निम्न उद्भूत कला के अति सुंदर नमूने माने जाति हैं। इस काल का 'हारवेस्टर कलश' जिसमें खेती की कटाई करनेवालों का दृश्य बना है, कला का एक भव्य नमूना हे।
  • Aegis -- ईजिस
मिथकों में वर्णित जियस (Zeus) और अथिना द्वारा धारण की गई रक्षात्मक ढाल।
  • aeneolithic period -- ताम्र प्रस्तर युग
उत्तर पाषाण युग का वह अंतिम चरण, जिसमें पत्थर के अतिरिक्त तांबे के औज़ारों का प्रयोग भी आरंभ हो गया था।
  • aerial reconnaissance -- विमान आवीक्षण
वह प्रविधि जिसमें आकाश से वायुयान आदि के द्वारा धरातल के छाया-चित्र (फोटो) लेकर प्राचीन पुरातात्विक स्थलों की खोज की जाती है।
  • aerial supervision -- आकाशी पर्यवेक्षण
आकाश में उड़ते हुए वायुयानों आदि के द्वारा पुरातात्विक स्थलों का अन्वेषण या नीरीक्षण।
  • aerugo -- हरि-कांस्य, हरि-ताम्र
पुराने तांबे तथा कांसे आदि से बनी वस्तुओं, बर्तनों, मूर्तियों पर लगा हुआ हरे रंग का जंग या मोरचा।
  • aetiaioi -- त्रिकोण शीर्ष-पट्ट
प्राचीन यूनानी वास्तुकला में-द्वार या मेहराव के त्रिकोणाकार शीर्ष के आकार वाले शिला पट्ट।
  • Afalou man -- एफलू मानव
उत्तरी अफ्रीका के उत्तर पुरापाषाणकालीन मानवों में से एक मानव प्रजाति, जिनका कोमाग्नों मानव से काफी साम्य है. इनकी नाक चौड़ी, मस्तक ढलवां तथा भ्रू-प्रदेश काफ़ी उठा हुआ था। एफलू मानव के अवशेष अल्जीरिया के 'अफलू वो रूमेल' में थे, जिसके आधार पर प्राप्त मानव अवशेषों का नामकरण 'एफलू' मानव हुआ।
  • after cast -- ढली मूर्ति
साँचे में ढालकर बनाई गई धातु की वह मूर्ति जिसे मूल प्रतिमा से बनाकर ढाला गया हो।
  • agalma -- देवाकृति, अगल्मा
प्राचीन यूनानी दैव मूर्तियों के लिए प्रयुक्त संज्ञा (अगल्मा)। कभी-कभी यह शब्द चित्रों, विशेषकर व्यक्ति-चित्रों(portrait) के लिए भी प्रयुक्त होता था।
  • agate -- गोमेद, अकीक, एगेट
एक प्रकार का शबलित (variegated), सूक्ष्मकणिक कैल्सेडोनी जो अनेक प्रकार के रंग, पट्टियों, मेधों या द्रुम सदृश में विन्यस्त रहते है।
  • age cracks -- कालिक विदर
काल के प्रभाव से पड़ी दरारें।
  • Age of Pyramids -- पिरामिड-युग
प्रारंभिक मिस्री राजवंशीय इतिहास का वह काल, जिसमें पिरामिडों का निर्माण किया गया था। प्राचीनतम ज्ञात पिरामिड निर्माण सक्करा (Saqqra) में तृतीय राजवंश के प्रथम राजा जोसर ने लगभग ई.पूo2800 में किया था। लगभग ई.पूo1700 में मिस्र के 'मध्य राज' (middle kingdom) के अवसान के साथ ही पिरामिड युग भी वस्तुतः समाप्त हो गया। किओप्स का पिरामिड उस युग की सर्वश्रेष्ठ कृति है।
  • ageing of skeletal material -- मृतक का आयु-आकलन
अस्थि पंजरों का परीक्षण कर मानव या पशु की मृत्यु के समय की आयु का निर्धारण। इपिपिलिस संगलन (fusion), दंत उदुबैदन (dental eruption), दंत संघर्षण या घिसाव (attrition), जघन संधानक (pubic symphysis), दंत-सूक्ष्म संरचना तथा अस्थि सूक्ष्म संरचना का अध्ययन कंकालों के क्षय और तिथि-निर्धारण के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देता है।
  • agger -- वप्र
1. प्राचीन रोमन वास्तुकला के अंतर्गत मिट्टी का परकोटा, घेरा, परिखा या बांध, जिसका भीतरी भाग प्रस्तर-निर्मित हो।
2. वह सैनिक-मार्ग या जन-पथ, जो धरातल से पर्याप्त ऊपर उठा हो और जिसके किनारों पर जल-निकास के लिए ढलवां पुश्ते बने हों।
  • agiasterium -- देवालय
प्राचीन रोम के महामंदिर के अन्दर बना हुआ वह पूजा-स्थल, जिसे देवायतन कहा जाता है।
  • agora -- जनसभास्थल, अगोरा
प्राचीन यूनान के वे नगर स्थल जहाँ जनसभा का आयोजन होता था। इस शब्द का प्रयोग मुख्यतः मंडी या बाजार क्षेत्र के लिए भी होता है।
  • agricultural stage -- कृषि-अवस्था
मानव सभ्यता के विकास-क्रम की वह अवस्था, जिसमें मनुष्य ने खेती करना सीख लिया था और उसे जीविका का आधार बनाया। कृषि-अवस्था वस्तुतः मानव सभ्यता की विकास ऋंखला की प्रथम महत्वपूर्ण कड़ी है। इस अवस्था का आरंभ उत्तर पाषाण युग के प्रथम चरण में माना जाता है।
  • Ahar culture -- अहाड़ संस्कृति
उदयपुर में बनास नदी के किनारे अहाड़ नामक स्थल पर प्राप्त एक प्राचीन संस्कृति जो लगभग ई.पूo 1800 से ई.पूo 1200 तक विद्यमान रही। यह संस्कृति बनास संस्कृति के नाम से भी विख्यात है। इस संस्कृति की प्रमुख विशेषता इनके चित्रित काले भांड हैं जो उलटकर पकाए जाते थे। इस संस्कृति के लोग खेतीबारी करते थे और व्यावहारिक जीवन में ताम्र का प्रयोग पत्थर की अपेक्ष अधिक करते थे। भवन-निर्माण में पत्थर और गारा काम में लाया जाता था।
देखिए 'Painted Black and Red Ware'
  • Ahrensburg Culture -- अहरेंसबर्ग संस्कृति
उत्तरी जर्मनी के हिमनदीय काल की एक परवर्ती संस्कृति। उत्तरी जर्मंनी में हेम्बर्ग स्थित अहरेंसबर्ग में पुरातत्ववेत्ता, अल्फ्रेड रस्ट को एक संपन्न संस्कृति के अवशेष बताया। इनके पाषाण उपकरणों में, अनेक छोटे, चूलदार बाणाग्र, खुरचनी, ब्यूरिन, द्विशंक्वाकार हारपून तथा अनेक बड़े अस्त्र मिले हैं। स्टेलमूर में प्राप्त अवशेषों के आधार पर कहा जाता है किये लोग रेनडियर का शिकार करते थे।
  • ahu -- आहू
प्रागैतिहासिक पूर्वी पोलीनेशी मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रयुक्त आयताकार पाषाण मंच। बड़े आकार के मंच सोपानाकार होते थे। इस प्रकार की विकसित संरचनाएँ सोसपटी तथा पूर्वी द्वीप समूहों में मिलती हैं, जहाँ इनका प्रयोग प्रतिमा स्थान के लिए होता था।
  • Ainu people -- आइनू जन
जापान की वह मूल प्रजाति, जो प्राचीन काल में संपूर्ण द्वीपसमूह में फैली हुई थी। अब इस प्रजाति के लोग होकेडो और कराफुतो क्षेत्रों तक सीमित रह गए हैं। इनका कद छोटा और शरीर गठीला है। इनकी हल्की-पीली त्वचा पर बाल बहुतायत में होते हैं। इनका रहनसहन आज भी आदिवासियों की तरह है। ये जीववाद में विश्वास रखते हैं।
  • air photography -- वायवी फोटोग्राफी
प्रथम महायुद्ध-काल से, पुरातत्व के क्षेत्र में प्रयुक्त विशिष्ट प्रविधि, जिसके माध्यम से हवाई चित्रों द्वारा ज्ञात और अज्ञात पुरातात्विक स्थलों के छाया-चिह्नों के रूप में महत्वपूर्ण सूचना मिलती है। उसके आधार पर पुरातत्ववेत्ता उत्खनन करते हैं। इस प्रविधि के अंतर्गत छाया-चित्रांकन, खड़ा और वक्र दोनों का हो सकता है।
खड़े चित्रांकन सं वनस्पति का पता चलता है। टीलों पर घास या वनस्पति कम जमने से यह ज्ञात होता है कि भूगर्भ में कोई इमारत दबी है। इस प्रविधि के जनक प्रोoडीoएसoकोफोर्ड तथा मेजर ऐलेन थे।
  • akimbo -- कटिहस्त मुद्रा
कटि-प्रदेश पर हाथ को इस प्रकार रखना कि कोहनी कोण बनाती हुई बाहर की ओर निकली हो। इसे कट्यवलंबित मुद्रा भी कहते हैं।
  • Akka tribe -- अक्का जन
बेल्जियन कांगो की उइले ( Uele ) घाटी में निवास करनेवाली अफ्रीकी पिग्मी प्रजाति।
  • Akkadian -- अक्कादी
(1) अक्काद का ; अक्काद-संबंधी; बेबिलोनिया के उत्तर में सिप्पर के निकटवर्ती अगोदा को प्रायः विद्वानों ने अक्काद माना है।
(2) (i)सुमेरी (वीo) (ii) ईसा पूर्व 2000 तक विद्यमान, मेसोपोतामिया के सामी (सेमेटिक) निवासियों का या उनसे संबंधित।
(3) अक्कादी भाषा ; कीलाक्षरों मे साहित्य की विभिन्न विधाओं में प्रयुक्त मेसोपोतामिया की प्राचीन सामी भाषा।
(4) प्राचीन अक्कादी भाषा ; अक्कादी लोगों द्वारा प्रयुक्त भाषा का प्राचीनतम स्वरूप।
  • Akkadian people -- अक्कादी जन
ई. पू.दो हजार तक, मध्य मेसोपोतामिया के सामी निवासी।
  • Akkadian sculpture -- अक्कादी मूर्तिकला
बेबीलोन का निकटवर्ती स्थान, जिसकी पहचान पश्चिम एशिया में अगोदा (सिप्पर के निकट) से की गई है। कहा जाता है कि राजधानी के रूप में अक्काद नगर की स्थापना लगभग ई. पू. 2370 में सरगन ने की थी। अक्काद का शिल्प प्राचीन विश्व की भव्य कलात्मक निधि माना जाता है।
  • Al Ubaid folk -- अल-उवेद जन
अल-उवेद के लोग; अल-उबेद-बसरा से लगभग 160 किo मीo दूर, उर नामक स्थान से 6 किo मीo दूर स्थित एक छोटा टीला, जिसकी खुदाई हाल ने ई. 1919 में तथा वूली ने ई.1923-ई. 1924 में कराई थी। यह माना जाता है कि इस प्रागैतिहासिक संस्कृति के जनक ई. पू. 4600 से पहले हुए थे और दक्षिण मेसोपोतामिया में फैल गए। इनकी संस्कृति की विशिष्टता पके हुए पीले मृद्बांड थे, जो काले और मटमैले रंग में चित्रित थे।
  • alabaster -- सेलखड़ी, ऐलाबास्टर
प्राचीन काल में इत्रदानी तथा अन्य लघु कलाकृतियों के निर्माण में प्रयुक्त चिकना पत्थर, इसे खरिया मिट्टी भी कहा जाता है।
  • alabastrum -- इत्रदानी, सुगंधिकूपी
(1) छोटी सुराहीनुमा इत्रदानी।
(2) प्राचीन यूनान में प्रचलित चपटे मुँहवाली छोटी अंडाकार इत्रदानी।
  • Albany industry -- अल्बानी उद्योग
दक्षिण अफ्रीका के सुदूर दक्षिणी भाग का प्रस्तर उपकरण उद्योग जिसका काल ई. पू. ग्यारहवीं और छठी सहस्राब्दि के बीच निर्धारित किया गया है। बोमप्लास और रोबर्ग इस उद्योग के प्रमुख स्थल हैं। स्थानीय पृष्ठित लघु पाषाण उपकरणों से युक्त विल्टन उद्योग का यह पूर्ववर्ती है तथा अमानकित शल्क-खुरचनिया (flake scraper) इसकी विशेषताएं हैं।
  • albarello -- अलबरेलो
उत्तर-मध्यकालीन स्पेन का औषधि रखने का मर्तबान। यह आकार में लगभग भेलनाकार होता था और इसके पार्श्व अवतलाकार होते थे। प्राचीन ब्रिटेन और नीदरलैंड में भी इस प्रकार के पात्र मिले हैं। पात्र पर अरबी लिपी सदृश नीले अलंकरण के ऊपर टीनयुक्त काचन प्राप्त होता है।
  • alignment -- पंक्तिबंधन
खड़े पत्थरों की या वास्तु अवशेषों की पंक्ति या पंक्तियों का क्रम।
  • alipterion -- अभ्यंग कक्ष, तैलाभ्यंग कक्ष
प्राचीन रोमन स्थापत्य के अंतर्गत स्नानार्थियों के निमित्त तैलादिद्रव्यों की मालिश के लिए बना कक्ष।
  • allee couverte(= Galley grave) -- सुरंग शवाधान
(क) ऐसा महाश्म जहाँ पहुंचने के लिए भूगर्भित शवाधान मार्ग बनाया जाता था। इस प्रकार के शवाधान योरोप में प्रारंभिक नवपाषाणकाल से लेकर ताम्रकाल तक निर्मित होते थे।
(ख) नवपाषाणकालीन शवाधानों की विशेषताओं से युक्त भूगर्भित शवाधान।
  • Allerod oscillation -- अलेरोड दोलन
उत्तरी योरोपीय अंतिम हिमावर्तन कल्प में थोड़े समय के लिए उष्णता में वृद्धि का काल जिसमें हिम-विहीन क्षेत्रों में वन-वृक्षों की वृद्धि हुई। रेडियो कार्बन तिथि क्रम के आधार पर इसका समय लगभग ई. पू. 9850-ई. पू. 8850 माना जाता है।
  • alloy -- मिश्र धातु
दो या अधिक धातुओं के मिश्रण से बनी हुई धातु।
  • almeria -- अलमेरिया
दक्षिण-पूर्वी स्पेन का तटवर्ती प्रांत अलमेरिया जो नवपाषाणकालीन संस्कृति के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। अलमेरी लोगों ने पहाड़ियों पर अपनी बस्तियाँ बसाई थी ; जैसे-अलगार्सलक्षेत, जहॉ खाद्योत्पादन का विकास हुआ। अलमेरी कृषक खुले गाँवों में झोपड़ियों में रहते थे। वे शवों को गोलाकार चबूतरों के नीच ताबूतों में रखकर दफनाते थे। वे मृदूभांडों तथा समलंबी चकमक बाणाग्रों का प्रयोग करते थे। इनका काल ई. पू. पाँचवीं और ई. पू. चतुर्थ सहस्राब्दि माना गया है।
देखिए : 'El Garcel'
  • alphabet -- वर्णमाला
किसी लिपी के समस्त अक्षर रूपों की यथाक्रम सूची। किसी वर्णमाला में कुल मिलाकर कितने अक्षर होते हैं, यह उसका प्रयोग-व्यवहार करनेवालों की आवश्यकताओं और उनके विकास पर निर्भर करता है। यह उल्लेख्य है कि चित्र-लिपि या कीलाक्षर लिपी में कई चिह्न होते हैं। चीनी लिपी में तो कई हजार चित्राक्षर मिलते हैं।
  • Alpine man -- ऐल्पीय मानव
यूरोप में प्राप्त साक्ष्य के आधार पर काकेशियायी प्रजातिके लोग जिनकी प्रमुख शारीरिक विशेषताएं, लघुशिरस्कता (brachycephaly), घने बालयुक्त शरीर हैं।
  • Alpine race -- एल्पाइन नस्ल, एल्पाइन प्रजाति
यूरोपीय महाद्वीप के केन्द्रीय पार्वत्य प्रदेश की तीन मूल प्रजातियों (नार्दिक, एल्पाइन तथा भूमध्यसागरीय) के लिए प्रयुक्त नाम।डब्ल्यूo जैडo रिपले ने इस जाति के मानवों की विशेषताओं में, उनकी लघुशिरस्कता (brachycephalic), मझोला कद तथा बादामी रंग का उल्लेख किया हैं।
  • Altamira -- अल्तामिरा
उत्तर-पूर्व स्पेन में सेन्टेंडर के दक्षिण में प्राप्त प्रतिद्ध पुरापाषाणकालीन गुफा, जिसका अन्वेषण ई.1879 में हुआ था। इस गुफा में हरिण, गौर (बाइसन) और जंगली भालू के चित्र बने हुए हैं। इन रेगों में लाल, काले और मटमेले अनेक रंगों का प्रयोग किया गया है।इस गुफा की गणना सर्वोत्तम रंगीन चित्रयुक्त गुफाओं में की जाती है। यह गुफा मग्दाली सम्यता के विकास की चरम अभिव्यक्ति थी।
  • altar -- 1. वेदी, स्थण्डिल, पीठ
भारत में यज्ञ-स्थल (पूजा स्थान) पर बना वह ऊँचा चबूतरा या स्थण्डिल, जिसमें हवन के लिए ऊँची सपाट पीठ बनी होती है।
2. यज्ञ कुंड, हवन-कुंड
यज्ञ-स्थल पर बना ज्यामितिक आकार का गर्त या हवन-कुंड, जिसकी हुताग्नि में हविष्य (घी, जौं, तिल, शर्करा, काष्ठ-खंड आदि हव्य द्रव्यों) की आहुति दी जाती है। यह क्रिया प्राथः घृताहुति निमित्त लकड़ी की बनी करछी द्वारा संपन्न की जाती है।
  • alternate flaking -- एकांतर शल्कन
(क) एक-एक खंड बारी-बारी से विलग करने की क्रिया।
(ख) वृक्ष की छाल, वल्कन या ऊपरी परत को बारी-बारी से एक के बाद एक उतारने की क्रिया।
  • alternate flaking technique (S Twist) -- एकांतर शल्कन-प्रविधि
इस प्रविधि के अंतर्गत उपकरण के किनारे अवग्रहाकार बनते हैं। इस कारण इसे कारण इसे अंग्रेजी में 'S'ट्विस्ट कहते हैं। इस प्रविधि का प्रयोग उपकरण के बाहरी किनारे एवं कार्यांगों के निर्माण में किया जाता है। केंद्रोन्मुख भाग के दोनों ओर से शल्क क्रमशः निकाले जाते हैं। उपकरण-निर्माण की यह अधिक विकसित तकनीक थी, जिसका प्रयोग ऐश्यूली उपकरणों में मिलता है।
  • altitude index -- कपाल की ऊँचाई का सूचकांक
मानव-कपाल की ऊँचाई तथा झुकाब का सूचकांक। इसके आधार पर मानव जनसंख्या को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है :-
(1) हिप्लीसिफेलिक (hyplicephalic) 63 से अधिक सूचकांक वाले
(2) ऑरथोसिफेलिक (orthocephalic) 58 से 63 सूचकांक वाले तथा
(3) प्लेटीसिफेलिक (platycephalic) 59 से कम सूचकांक वाले।
  • alure -- गलियारा, वीथी
भवन में आने-जाने के लिए बना लंबा और ऊपर से ढका या छायादार छोटा रास्ता।
लता-गुल्मादि से आवृत लघु मार्ग।
  • amber -- ऐंबर, तृणमणि
पीले या बादामी रंग का पारभासी जीवाश्म रेज़िन, जो जलोढ मृत्तिका और समुद्र में मिलता है। पुराकाल से यह अपनी सुगंध के कारण लोकप्रिया रहा है। इसके संबंध में यह विश्लास था कि इसमें कुछ जादुई तत्व समाहित थे। यूरोप में, बाल्टिक सागर के दक्षिण-पूर्व में, यह बहुतायत से पाया जाता है। प्राचीन यूरोप के पुरातात्विक उत्खननों से ज्ञात हुआ है कि एबर का व्यापार किया जाता था। यह व्यापार किया जाता था। यह व्यापार प्रारंभिक कांस्य-युग में प्रारंभ हुआ और माइसिनिया के लोगों नेइसका बहुत विस्तार किया। गवेषणओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि इटली में, लौह युग में भी इसका प्रचलन था।
  • amber bead -- तृणमणि मनका, कहरूवा मनका
तृणमणि की माला का दाना।
  • American Indian (=Amerindian) -- अमरीकी इंडियन, अमेरिंडियन
अमरीका के आदम निवासी, जो जातीय दृष्टि से मंगोलसम वर्ग के हैं। इनकी विशेषताओं में, बादामी त्वचा, चौड़ा चेहरा, ऊर्ध्व केश, अल्प रोम और कुछ आगेकी ओर निकला हुआ जबड़ा आदि प्रमुख हैं।
  • Amersfoot interstadial -- अमेरफुट उपअंतराहिमानी
वाइशैलियन शीत चरण का उप-अन्तराहिमानी काल। रेडियो कार्बन प्रविधि द्वारा काल आज से लगभग 68,000 से 65,000 वर्ष पूर्व आँका गया है।
  • amino acid racemization -- ऐमीनो अम्ल रेसिमीकरण
पुरातत्व में प्राचीन कंकालों के तिथि निर्धारण हेतु प्रयुक्त प्रविधि। मृत्यु उपरांत शरीर के साथ अस्थि का भी अपघटन होता है। अस्थि के प्रोटीन घटक विशेषकर सोलैजन में विघटन एवं परिवर्तन होता है। अन्य प्रोटीनों की तरह कोलैजन में विघटन एवं परिवर्तन होता है। अन्य प्रोटीनों की तरह कोलैजन, ऐमिनो अम्ल इकाई से मिलकर बनता है। यही ऐमीनो अम्ल अलग होकर विखंडित से समय निर्धारण में सहायता मिलती है। जीवन में प्रत्येक ऐमीनो अम्लों में उनकी आणविक संरचना में एक विशिष्ट अभिविन्यास रहता है। (इसे 'L'-आइसोमर कहते हैं)। मृत्यु के बाद समस्त ऐमीनो अम्ल का आणविक संरचना मे पुनः पंक्तिबंधन होता है (इसं 'D'-आइसोमर कहते है)। इस प्रक्रिया को रेसिमीकरण कहते हैं जो बहुत धीमे-धीमे एक समान होता है। 'L'आइसोमर और 'D' आइसोमर के मापन से कंकालों का तिथि निर्धारण किया जाता है।
  • Amorites -- एमोरित जन
प्रचीन फिलस्तीन एवं सीरिया के लोग, जो मुख्यतः उत्तरी एवं पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों में रहते थे। कीलाक्षरी साहित्य में अमूरू (Amurru) शब्द का उल्लेख ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि के मध्य मिलता है। मिल्री स्मारकों में इन लोगों का रंग हल्का श्वेत, नेत्र नीलवर्णी तथा केश काले दिखाए गए हैं।
इन लोगों ने, लगभग ई. पू. 2000 में सुमेरी सभ्यता का उन्मूलन किया और मेसोपोतामिया प्रदेश में, इन्होंने सीरिया एवं फिलस्तीन के आरंभिक कांस्य युगीन नगरों को जीता था।
  • amphitheatre -- रंगवाट रंगभूमि, अखाड़ा
गोलाकार, वृत्तीय या अर्द्धवृत्तीय रंगशाला या अखाड़ा, जिसमें दर्शकों के बैठने के लिए चारों ओर सोपानाकार आसन बने होते हैं, रंगशाला का मध्य भाग खुला होता है तथा जहाँ दर्शकों को प्रतियोगी अपने करतब दिखाते हैं। प्राचीन रोम में इन रंगशालाओं में अनेक प्रकार की प्रतियोगिताएं होती थी। भारत की प्राचीन रंगशालाओं मे अंबिकापुर जिले में स्थित रामगढ़ गुफा की रंगशाला तथा नागार्जुनकोंडा मे अनावृत रंगवाट उल्लेखनीय हैं।
  • amphora -- दुहत्थी सुराही, एंफोरा
सुरा, तैल, अनाज इत्यादि को रखने का दो हत्थेवाला यूनानी मृदेभांड। प्राचीन यूनान के प्रारंभिक ज्ञात मृद्भांडों में यह दुहत्थे मर्तबान के रूप में मिलता है। इसका प्रचलन संपूर्ण यूनान और रोम में था। भारत के अनेक पुरातात्विक स्थलों मे इस प्रकार के आयातित मृद्भांड मिले हैं। इस प्रकार के बर्तनों मे एथेस के डिफिलोन भांड अपने ज्यामितिक अलंकरण के लिए विश्वप्रसिद्ध हैं। ये आकार में विशाल अंडे की तरह होते थे। इनकी गरदन संकरी होती थी। गरदन तथा मुख भाग के ठीक नीचे, दाहिने और बाएं भाग में कान की तरह दो हत्थे होते थे। भांड को खड़ा करने के लिए आधार बना होता था।
हत्येदार सुराही दो प्रकार के होते थे :(1) अनलंकृत;सामान्यतः सुरा, तैल, धान्य इत्यादि रखने के लिए। (2) अलंकृत, इन पर अनेक सुन्दर अभिकल्प और चित्र बने होते थे। इनको पेनेएथिनी उत्सव में पुरस्कार रूप मे भी प्रदान किया जाता था।
  • ampulla -- 1. तुंबिका
लघभग गोलाकार (फंलास्कनुमा) काँच या मिट्टी का बना वह पात्र, जिसे पकड़ने के लिए उसकी ग्रीवा में दो हत्ये बने होते हैं। ऐसे पात्रों के प्रयोग प्राचीन रोम में मदिरा, इत्र या उबटनादि द्रव्यों को रखने के लिए प्रायः किया जाता था।
2. कलशिका
(क) ईसाई धर्म में पवित्र तेल को रखने के लिए बनी वह कलशिका, जिसका आकार छोटे कलश या घड़े सदृश होता है।
(ख) अनुष्ठानों मे प्रयुक्त वह कूपिका, जिसमें मदिरा या जल रखा जाता है।
  • Amratian figurine -- अमरानी लघुमूर्ति
ऊपरी मिस्र की नवाश्मोत्तरकालीन वह संस्कृति अमराती कही जाती थी, जिसके आवास-स्थल अर्ध भूगर्भित हुआ करते थे। तत्कालीन लघु मूर्तिया, मूर्तिकला का सुंदर नमूना है। इस संस्कृति का काल लगभग ई. पू. 3800-ई. पू. 3600 माना जाता है।
  • Amratian people -- अमराती जन
मिस्र के राजवंशीय काल की संस्कृति, जिसका काल लगभग ई. पू. 3800-ई. पू. 3600 माना जाता है। अमराती नामकरण 'अल-अमरा' नामक स्थल के आधार पर पड़ा, जहाँ इस संस्कृति के अवशेष बहुत बड़ी मात्रा में मिले हैं। इन अवशेषों में तत्कालीन लोगों द्वारा प्रयुक्त पाषाण उपकरण भी हैं। प्राप्त साक्ष्य के आधार पर कहा जा सकता है कि तांबे के प्रयोग से भी ये लोग परिचित थे और इनकाप्रमुख व्यवसाय कृषि और पशुपालन रहा होगा। इन लोगों द्वारा निर्मित विभिन्न आकार-प्रकार के मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं। अनावृत कब्रों स प्राप्त अवशेषों से सिद्ध हुआ है कि ये लोग शवों के साथ दैनादिन प्रयोग में आनेवाली वस्तुओं को भी दफनाया करते थे।
  • Amri Nal Culture -- आमरी-नाल संस्कृति
पाकिस्तान के सिंध प्रांत का आमरी नगर तथा बलूचिस्तान का नाल नगर अपने मृद्भांडों के लिए प्रसिद्ध है। धूसर वर्ण के प्राप्त, इन मृद्भांडों मे ज्यामितिक चित्र बने हैं। नाल शैली के मृद्भांडों मे पशुओं एवं वनस्पतियों के आलंकारिक चित्र मिले हैं। इन संस्कृतियों का सिंधु सभ्यता से सम्पर्क था, इस तथ्य की पुष्टि प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों से हुई है।
इस संस्कृति का काल ई. पू. 3000 आँका गया है। उत्खनन कार्य ई. 1929 में ननीगोपाल मजुमदार तथा ई. 1959-ई. 1962 तक कड़ाल ने करवाया था। प्राचीन नाल के निवासी, उपकरणों के लिए तांबे का प्रयोग करते थे। गृह-निर्माण के लिए ये लोग कच्ची ईटों का इस्तेमाल करते थे। ये लोग अपने मृतकों का आंशिक करते थे।
  • Amudian -- अमूदी
पश्चिम एशिया की ऐश्यूली संस्कृति के बाद की संवर्धित प्रावस्था। विद्वानों का अनुमान है। कि इस संस्कृति के लोग उत्तर-पुराश्मयुगीन पश्चिम एशियायी लोगों के पूर्वज थे। इनके प्रमुख उपकरण फलक तथा उत्कीर्णक हैं। इस काल के उद्योगों और सामग्री एतत्बून (माउन्ट कारमेल), जब्रूद (सीरिया) एडलम तथा लेवां (Levant) में अब्री जूमोफेन के स्थलों से भी मिली है।
  • amulet -- ताबीज़
एक प्रकार का जंतर ; प्रागैतिहासिक काल से शरीर के विभिन्न अंगों, जैसे बांहों, गर्दन और कमर आदि में धारण की जाने वाली वस्तु, जिसके विषय में, प्राचीन काल से यह धारणा चली आ रही है कि वह वर्तमान और भावी अनिष्टों, जादू-टोनों, दुष्ट ग्रहों के दुष्प्रभावों इत्यादि से रक्षा करता है।
  • amulet seal -- ताबीजी मुहर, ताबीजी मुद्रा
एक ऐसी मुद्रा या मुहर जिसको रक्षा-सूत्र में पिरोकर ताबीज़ के रूप में पहना जाता हो। ऐसा विश्वास था कि मंत्रांकित होने के कारण मुद्राधारक का अनिष्ट नहीं होता था।
  • An -- कांस्य मंजूषा
मूल्यवान लघु वस्तुओं को सुरक्षित रखने का कांसे का छोटा डिब्बा।
  • anachronism -- काल-दोष
काल-क्रम विपर्यय ; किसी ऐतिहासिक घटना के काल-निर्णय में प्रमाद, भूल या गलती हो जाना, विशेषकर किन्ही व्यक्तियों, घटनाओं, वस्तुओं या रीतिरिवाज़ो का काल-निर्धारित करते समय त्रुटि हो जाना।
  • anachronistic -- फाल-दोषयुक्त, काल-भ्रम संबंधी
1. वह ऐतिहासिक वर्णन, व्याख्या या विश्लेषण, जिसमें काल-व्यतिक्रम हो या काल-निर्णय गलत किया गया हो।
2. असंगतियुक्त, अमेलयुक्त, वह परंपरा, प्रथा, रीति, स्थिति या वस्तु, जो वर्तमान परिप्रेक्ष्य से परे हो और जिसकी वर्तमान स्थितियों के साथ संगति न हो।
  • anaglyph -- निम्नोद्भृत अलंकरण
(1) निम्नोद्भृत शैली में उत्कीर्ण ; समुद्भृत अलंकरण।
(2) अलंकरण के लिए उद्भृत धातु-पात्र।
  • Anasazi (Culture) -- अनासाली (संस्कृति)
लगभग ई. प्रथम शताब्दी में विद्यमान मरूस्थलीय संस्कृति, जिसके लोगों ने, एरिजोना उटाह सीमा में, यायावर जीवन को त्याग स्थायी जीवन अपनाया। इस संस्कृति के लोग प्रारेभिक चरणों में मृदूभांड कला से अवगत नहीं थे, किंतु टोकरी बनाने की कला में प्रवीण थे। इन्होंने गहन खेती करना और मिट्टी के बर्तनों का बनाना ई. 400- ई. 700 के मध्य में सीखा। अनासाजी संस्कृति अपने चरमोत्कर्ष पर ई. 1100 से ई. 1300 तक थी।
  • androgynous image -- अर्धनारीश्वर मूर्ति
ऐसी मूर्ति, जिसमें स्री तथा पुरुष दोनों की शारीरिक विशेषताओं को संयुक्त रूप में दिखाया गया हो। भगवानू शिव की अर्धृनारीश्वर मूर्ति इसी कोटि में आती है। भारत मे ई. दूसरी शती से शिव-पार्वती की अर्धनारीशवर प्रतिमाएम मिलती हैं।
  • androsphinx -- नर-व्याल
1. तक्षित सिंह जिसका शीर्ष भाग मानव आकृतियपक्त तथा धड़ सिंह जैसा बना हो। पिरामिड काल में, इस प्रकार के अनेक उदाहरण मिलते है। 'गीज़ा का स्फिक्स' इसी प्रकार की एक कलाकृति है, जो अपने विशाल आकार-प्रकार के लिए जगत्प्रसिद्ध है। भारतीय कला में भी नरव्याल अभिप्राय रहा है।
2. उत्कीर्णित एक काल्पनिक पशु, जिसका मुख स्री का तथा शरीर सिंह का होता है।
  • anepigraphic -- अनंकित; अलिखित
अनुत्कीर्ण; जो किसी शिला पर उत्कीर्ण न हो।
  • Angkor -- अंगकोर
(1) मूल अर्थ में इसका तात्पर्य नगर या राज्य से होता था। आज यह मंदिर के अर्थ में प्रयुक्त होता है। ये मंदिर अधिक टिकाऊ सामग्री, तथा पत्थर, चूने आदि से बने तथा उनके निकटवर्ती भवन, लकड़ी या बांस के बने होते थे।
(2) अंगकोर कंपुचिया (प्राचीन कंबुज) के ख़मेर साम्राज्य की राजधानी थी, जिसकी स्थापना ई. 9 वीं शदी में हुई। इस नगर के अवशेष 19 वीं शदी में प्राप्त हुए।अंगकोरथोम का प्राचीन नगर वर्गाकार परिखा से युक्त था, जिनके मध्य में सुंदर मूर्तियों से युक्त बयोन का मंदिर था। इसके निकटवर्ती भाग में कुछ अन्य मंदिर थे।
  • angle burin -- कोण-तक्षणी
एक-दूसरी से मिलने-मिलाने या एक दूसरी को विभाजित करने वाली दो रेखाओं के मध्य केण L+H के आकार बनानेके लिए लकड़ी, पत्थर आदि तराशने का औजार। सामान्य बोलचाल की भाषा मं इसे 'बसूला' कहा जाता है।
  • animal style -- पशु शैली
ई. पू. प्रथम सहस्राब्दि में यूरेशिया स्टेपीज़ के यायावरों द्वारा अश्वों को पकड़ने तथा उसके निजी चिह्नों के लिए रोस्तोवजेक द्वारा प्रयुक्त शब्द।
  • ankh -- एंक
एक प्रकार की क्रूसाकार आकृति, जो क्रूस के ऊपरी भाग मे फंदाकार बनी होती थी। इसका प्रयोग दीर्घ जीवन और गतिवर्धक पवित्र प्रतीक के रूप में होता था। मिस्र की चित्र लिपी में, इसे 'जीवन' का प्रतीक माना गया है। इस आकृति को मिस्रि देवताओं और फराहों द्वारा धारण किए हुए अनेक स्थानों में अंकित किया गया है। इसे चाभी की शक्ल का घुंटीनुमा क्रासकहा जा सकता है।
  • ansa Iunata -- अर्धचंद्राकार हत्था
प्याले या कटोरे के ऊपरी भाग पर अर्धगोलाकार निर्मित हत्था। इस प्रकार के मिट्टी के बरतन, इटली की टेरामारा एवं एपीनाई संस्कृतियों में मध्य एवं परवर्ती कांस्य कालों मे होते थे। उस काल के ऐसे पात्र मध्य यूरोप के विस्तृत क्षेत्र में प्राप्त हुए हैं।
  • ante date -- पूर्व दिनांक, पूर्व दिनांकित करना
पूर्वदिनांक (संज्ञा), पहले की तिथि ; पूर्व दिनांकित करना (क्रिया)।
विशेषकर किसी घटना या दस्तावेज को उसकी वास्तविक तिथि से पूर्व की तिथि से जोड़ना।
(1) कार्यान्वयन से पहले की तिथी देना।
(2) घटना की वास्तविक तिथि से पहले की तिथि अंकित करना।
(3) पूर्व घटित होना ; समय से पूर्व घटना।
(4) तिथि से पहले आना या पहले रखना।
  • antediluvian -- जल-प्रलय पूर्व
(क) जलप्लावन से पूर्ववर्तीया तत्युगीन अवस्था से संबंधित।
(ख) वह जो जल प्रलय से पहले रगा हो।
  • antennal sword -- दूसरी तलवार
एक प्रकार की तलवार, जिसका एक सींगों की तरह दो भागों में विभक्त हो। भारत में इस प्रकार की तलनारें उत्तर-कांस्ययुग में प्रचलित थी।
  • anthropolite (= anthropolith) -- नराश्म
प्रस्तरीभूत नरकंकाल; मानव शरीर या उसकी अस्थि विशेष का अश्मीभूत रूप।
  • anthropometry -- मानवमिति, नृमिति
मानव शरीर, उसके अंग एवं कार्यक्षमता का मापन-विज्ञान। इसके द्वारा मानव-विकास तथा जातीय विविधता का अध्ययन किया जाता है।
  • anthropomoraph -- मानवाकृति
आलंकारिक रूढ़िगत नराकृति। भारत मे इस प्रकार के उपकरण विशेषकर ताम्रयुगीन निधियों में मिले हैं।
  • anthropomorphism -- नरत्वारोपण
किसी देवी-देवता, अवतार या महापुरुष को मानवाकृति या मानवीय व्यक्तित्व देना।
  • antiquarian -- पुरातनिक, पौरातनिक
(1) (क) पुरातन वस्तुओं या प्राचीन काल का अध्ययन; पुरा-काल या पुरावस्तुओंसे संबंधित।
(ख) प्रचीन अथवा पूर्ववर्ती वस्तुओंके प्रति कलानुराग से संबंधित।
(2) प्राचीन और दुर्लभ सामग्री या ग्रंथों का क्रय निक्रय करने वाला।
  • antiquarium -- पुरासंग्रहालय
(1) वह भवन या कक्ष, जहा प्राचीन वस्तुएँ प्रदर्शित हों।
(2) शीशे की वह दराजयुक्त दर्शनीय आलमारी, जिसमें प्राचीन वस्तुएँ रखी हों।
  • antique -- 1. पुरावस्तु
प्राचीन कला-सामग्री, अलंकृत रचना या अन्य कोई प्राचीन वस्तु, जो काफी पहले निर्मित हुई हो।
2. पुरातन, प्राचीन
(क) भारत सरकार के पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम (1972) के अनुसार कम से 75 वर्षों से विद्यमान ऐतिहासिक अथवा कलात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण पांडुलिपी, अभिलेख या दस्तावेज भी इसी कोटि में रखे गए हैं।
(ख) पुराने समय का या उससे संबंधित पूर्वकाल का या पूर्वकालीन; परंपरा, फैशन या शैला में पुरातन, प्राचीन या पुराने ढंग का।
  • Antiquities Export Control Act, 1947 -- पुरावशेष निर्यात नियंत्रण अधिनियम, 1947
भारत सरकार का वह अधिनियम जिसके अन्तर्गत प्राचीन सांस्कृतिक महत्व की वस्तुओं को विदेश भेजने के विरबद्ध कानूनी रोक लगा दी गई। कलाकृति अधिनियम, 1972 द्वारा सन् 1947 के इस अधिनियम को निरसित किया गया। यह उल्लेख है कि पुरावशेषों को राष्ट्र-निधि माना जाता है।
  • antiquity -- 1. पुरातनता, प्राचीनत्व
पुरातनत्व, प्राचीन होने के गुण; होने का भाव; प्राचीनता।
2. पुराकाल, प्राचीन काल
यूरोपीय दृष्टि से विशेषकर मध्य युग के पूर्व का समय। पुराकाल के अवशेषों सं प्राचीन इतिहास का जीर्णोद्धार करने में बड़ी सहायता मिलती है।
3. पुरावशेष, पुरावस्तु
पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 के अनुसार "पुरावशेष" के अन्तर्गत निम्न वस्तुएँ परगणित हैं :-
1. कम से कम सौ वर्षों से विद्यमान कोई सिक्का, मूर्ति, रंगचित्र, पुरालेख अथवा कला या शिल्पकारी की कोई अन्य कृति ;
2. कोई वस्तु, पदार्थ या चीज, जो गत युगों के विज्ञान, कला, शिल्प, साहित्य, धर्म, रूढ़ी, नैतिक आचार या राजनीति की दृष्टांतस्वरूप है।
3. किसी भवन या गुफा से निकाली गई वस्तु या चीज़।
4. ऐतिहासिक महत्व की कोई वस्तु, पदार्थ या चीज़।
5. कोई ऐसी वस्तु, पदार्थ जिसे केन्द्रीय सरकार ने, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ पुरावशेष घोषित किया है और
6. ऐसी कोई पांडुलिपी, अभिलेख अथवा अन्य दस्तावेज़, जो वैज्ञानिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक अथवा सौंदर्य की दृष्टि से महत्व की है और जो कम से कम 75 वर्षों से विद्यमान है।
  • antiquity law -- पुरावशेष-विधि
पुरातन वस्तुओं, पुराने खंडहरों, ऐतिहासिक महत्व के अवशंषों आदि को भावी संततियों के लिए सुरक्षित रखने की व्यवस्था करने वाला कानून जिसका उल्लंघन दंढनीय अपराध होता है।
  • antler -- मृगशृंग
हरिण परिवार के नर-पशुओं के सिर पर दोनों ओर बाहर निकले हुए, लंबे, कठोर और नुकीले सींग। अपवाद स्वरूप रेनडियर के नर और मादा दोनों के ही सींग होते हैं। अधिकतर हरिणों के श्रृंग शीतकाल में झड़ जाते हैं और फिर पुनः उगतेहैं। इनके सींग से इन पशुओं की आयु का भी पता चलता है, पर यह विधि अधिक विश्वसनीय नहीं है। मृग श्रृंगों का प्रयोग प्रागैतिहासिक काल से ही उपकरण निर्माण के लिए होता था। यदाकदा इनका प्रयोग हल फाल के रूप में भी मिलता है।
  • anubis -- एन्युबिस
प्राचीन मिस्र का एक देवता जिसके बारे में यह धारणा थी कि वह कब्र में दफनाये गए मानव शरीर और आत्मा की रक्षा करता है। उसका शरीर मानव का तथा मस्तक श्रृगाल का होता था। यह बाएं हाथ में दंड धारण करता था। इस देवता की आकृति प्रायः ममी-ताबूत पर उत्कीर्णित होती थी।
  • anvil technique -- निहाई तकनीक
प्रागैतिहासिक मानव की उपकरण-निर्माण विषयक एक विशिष्ट प्रविधि जिसकी विषेषता यह है कि उपकरण बनाते समय, हथौड़ा या निहाई एक स्थानमें स्थिर रहता है और विखंडित किया जाने वाला प्रस्तर चलायमान स्थिति मे रहता है। उपकरण-निर्मण की इस प्रविधि की भी दो विधियों हैं। पहली विधि में, विखंडन के लिए प्रयुक्त प्रस्तर यदि बहुत बड़ा हो तो उसे सीधे निहाई पर पटककर तोड़ा जाता है। दूसरी विधि, उन प्रस्तरों के लिए है, जिनका आकार बहुत न हो।इसके अन्तर्गत प्रस्तर खंड को, दोनो हाथों से पकड़ और घुमा-फिरा कर, स्थिर निहाई से बार-बार रगड़ या टकरा कर मनोवांछित आकार-प्रकार दिया जाता है। इसे स्थिर घन प्रणाली (block-on-block technique) भी कहा जाता है।
देखिए : 'block-on-block technique'
  • Apennine Culture -- एपिनायी संस्कृति
इटली में एपिनियस पर्वत श्रृंखला में स्थित, लगभग ई. पू. 1600 की कांस्ययुगीन संस्कृति, जिस पर बाल्कन देता है। क्षेत्रीय अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि क्षेत्रांतरण तथा, पशुपालन, इन लोगों की विशिष्टता थी। इस संस्कृति में व्यापार का भी महत्व था। इनमें शवाधान-प्रथा प्रचलित थी। इनके मृद्भांड हस्तनिर्मित, ओपदर, पट्टीयुक्त, ओपदार, पट्टीयुक्त तथा अलंकृत होते थे, जिनमें श्वेत रंग की पच्चीकारी होती थी। प्राचीन अवशेषों में प्राप्त एपिनायी पात्रों में अधिकांश कठोरों में केवल एक ही हत्था मिलता है। लगभग ई. पू. 1000 के पियानिलो के शवभांड क्षेत्रों तथा लौहयुगीन संस्कृति के विकास में, इस संस्कृति का योगदान विवादास्पद है।
  • Aphrodite -- अफ्रोदिती
प्राचीन यूनान और रोम की प्रेम और सौन्दर्य की देवी। प्राचीन यूनानी मूर्तिकारों तथा चित्रकारों ने इसकी अनेक मूर्तिया और चित्र निर्मित किए जो प्राचीन कला के उत्कृट उदाहरण हैं।
  • Apis -- एपिस
प्रचीन मिस्र का एक देवता। इसे मिस्र-निवासी ओसाइरिस का प्रतीक मानते थे और वे उसकी पूजा श्याम वर्ण के रूप में करते थे। वृषभ के मस्तक पर, श्वेत त्रिकोण अंकित रहता था। इसकी पूजा का मख्य केन्द्र मैम्फिस में स्थित था। परवर्ती काल में, यूनान की देव कथाओं में एपिस का विकास, सिरेपिस नामक देवता के रूप में हुआ।
यह दृष्टव्य है कि हिन्दू पुराणों में वर्णित शिव के वाहन नंदी या नंदिकेश्वर की कल्पना कुछ-कुछ एपिस से मिलती-जुलती है।
  • apothecary jar -- तैल-द्रोणी
काष्ठ या चीनी मिट्टी का बना, चौड़े मुँह का, विशाल-आकार का पात्र, जिसमें प्राचीन काल में तैल द्रव्यादि भर कर सुरक्षित रखे जाते थे।
यूनानी चिकित्सा-पद्धति के अन्तर्गत, रोगी व्यक्ति इस प्रकार के पात्र में लिटाए भी जाते थे।
सड़ने से बचाने के लिए भी, इस प्रकार के पात्रों में, शव को रखे जाने की प्रथा प्राचीनकाल में प्रचलित थी।
  • apothesis (=apodyterium) -- परिधान कक्ष
प्राचीन यूनान तथा रोम के सार्वजनिक स्नानागारों अथवा मल्लभूमि (अखाड़ा ) के निकट बना वह कक्ष, जिसमें स्नानार्थी अथवा मल्ल अपने वस्रादि रखते या बदलते थे। यह कक्ष यदा-कदा प्रसाधन-कक्ष या श्रृंगार कक्ष के रूप में भी काभ में लाया जाता था।
इस प्रकार का कक्ष मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार में भी पाया गया है।
  • apotropaic -- अपशकुन-निवारक
प्राचीन यूनानी कला में प्रयुक्त मानव-मुखौटा, जिसमें नेत्र, पलक तथा मुँह उत्यादि बने होते थे। पात्रों तथा नौकाओं के अग्र-भाग में, यह अपशकुन-निवारण के लिए बनाया जाता था। किसी पात्र, भवन या वस्तु को भूत, पिशाच तथा कुदृष्टि से बचाने के लिए, इस प्रकार के मुखौटे बनाए, रखे या आरोपित किए जाते थे। ऐसी प्रथा, भारत तथा अन्य अनेक सभ्य देशों मे प्रचलित है।
निर्माणाधीन या नवनिर्मित मकानों के अग्र भाग मे आज भी इस प्रकार के अपरूप मुखौटे प्रायः देखे जा सकते हैं, जिनका प्रयोजन वस्तुतः कुदृष्टि से बचाव या उसका प्रतिकार करना होता है।
  • apotropaic imagery -- नजरौटा प्रतिमावली, कुदृष्टि निवारक विम्बावली
दृष्ट-आत्माओं अथवा भूत-प्र्त इत्यादि के अनिष्टकारी प्रभाव से रक्षा करने के उद्धेशय से बनीअमूर्त या चित्रित आकृति। इनमें भयावह मानव-आकृति या जन्तु-मुख अथवा डरावने नेत्रों का चित्रण प्रतिमा में किया जाता रहा हैं। प्राचीन लोगों की यह मान्यता थी कि ऐसी प्रतिमाओं में, दृष्ट-आत्माओं तथा उनके बुरे प्रभाव को दूर करने की शक्ति होती है। आदिम कला में नज़रौटा प्रतिमा-निर्माण की प्रथा सर्वत्र प्रचलित रही है।
  • applique decoration (=applied decoration) -- जड़ाऊ अलंकरण
किसी घरेलू वस्तु अथवा फर्नीचर उत्यादि को अलंकृत करने के लिए, नक्काशी, अभीकल्प तथा चित्रांतरण (decalcomania) द्वारा उसे सुंदर बनाना।
  • applique figure -- जड़ाऊ आकृति
किसी वस्तु या आकृति का वह अंकित या चित्रित रूप, जिसे मिट्टी, नग, मोती, रत्न, धातु आदि से जड़कर बनाया गया हो ; एक वस्र से काटकर दूसरे से सिलकर या चिपकाकर बनाई गई आकृति, जड़ाऊ आकृति कही जाती है।
  • applique work -- जड़ाऊ काम, सजावट का काम
किसी एक पदार्थ, धातु या वस्तु से, उसका कुछ अंश काट अथवा लेकर दूसरे की सतह पर, अलंकरण के लिए की गई नक्काशी या जड़ाऊ काम।
  • Aquatic Civilization -- जलीय सभ्यता
अफ्रीका के दक्षिण सहारा और सहेल के मध्यवर्ती क्षेत्र मे ई. पू. आठवीं एवं तीसरी सहस्राब्दि के बीच विशाल तालों और नदी-तटों पर विकसित सभ्यता। इस सभ्यता की प्रमुख वस्तुएँ अस्थि निर्मित कांटेदार भाले, स्थानीय परंपरा-उपकरण तथा लहरियादार समानांतर रेखाओं से अलंकृत मृद्भांड हैं। इस सभ्यता को 'मध्य अफ्रीका की जलीय सभ्यता' भी कहा जाता है, जिसकी प्रमुख विशेषता स्थायी जनजीवन और कृषि पर आधारित प्रर्थव्यवस्था थी।
  • arabesque -- बेलबूटाकारी
शाब्दिक अर्थ-अरबी चित्रालंकरण; बेलबूटे तथा पत्तियों के चित्रण द्वारा किया सजावट का काम।
यूरोपीय भाषाओं में, बेलबूटाकारी से तात्पर्य, निम्नोद्भूत प्रणाली के अन्तर्गत भित्ति या धरातल के अलंकरण की उस रीति से होता है, जिसमें सजावट के लिए वृक्ष की डालों, फल-पत्तियों, लता-पत्रादि तथा ज्यामितिक रेखाओं अदि को अंतग्रंर्थित कर सुंदरता से बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त इस प्रकार के चित्रण मेंयदा-कदा मानवाकृतियों तथा अन्य जीव-जन्तुओं की आकृतियों को भी चित्रित किया जाता है।
  • arbitrary level system -- यथेच्छ स्तर-पद्धति
उत्खनन की वह प्रणाली, जिसके अंतर्गत निश्चित गहराई तक, पूर्व निर्धारित स्तरों का व्यवस्थित उत्खनन किया जाता है। उत्खनन के उपरांत अनपक्रम के अनुसार इनका तिथ्याँ कन किया जाता है। विशेष परिस्थितियों को अपवाद मानते हुए, इस पद्धति का प्रयोग अब वांछनीय नही रह गाया है, क्योंकि यह वैज्ञानिक दृष्टि से अनुपयुक्त है।
  • archaelogist -- पुरातत्वज्ञ, पुरातत्वविद्(1) पुराविद्या का व्यवस्थित अध्ययनकर्ता, पुरातत्व शास्त्रवेत्ता।
(2) प्राचीन वस्तुओं-विशेषतया प्रागैतिहासिक अवशेषों, उपकरणों, जीवाश्मों, स्मारकों आदि का अनुसंधाता, तद्विषयक अध्ययन, अनुमान और अनुसंधान विषयक प्रविधि का विशेषज्ञ।
  • archaeological salvage -- पुरातात्विक उद्धार, पुरा जीर्णोद्धार
किसी ऐतिहासिक मह्व के प्राचीन स्थल, स्मारक या कलाकृति इत्यादि को विनाश होने या पूर्ण विध्वंस से बचाने के लिए किया गया कार्य। इस प्रकार का कार्य आंध्र प्रदेश के नागर्जुन-कोंडा नामक स्थान में किया गया है।
  • archaeology -- पुरातत्व
वह विद्या, जिसके अन्तर्गत प्राचीन अवशेषों के अध्ययन के आधार पर पूर्वकाल की स्थिति या व्यवस्था का अनुमान, अध्ययन और अनुसंधान किया जाता है। पुरातत्व की प्रायोगिक प्रविधि द्वारा विलुप्त, विच्छिन्न एवं उलझी हुई ऐतिहासिक कड़ियों को खोजा, संयुक्त किया और सुलझाया जाता है। पृथ्वी की विभिन्न परतों या तहों में प्रापत ध्वंसावशेषों, कंकालों, जीवाश्मों, उपकरणों, स्मारकों, पुरालेखों, सिक्कों आदि का वैज्ञानिक रीति से अध्ययन और अनुसंधान कर, पुरातत्वशास्त्र लुप्त इतिहास का विनिर्माण करता है। जब से मानव ने, पृथ्वी पर अपने क्रिया-कलापों के जो अवशेष छोड़े हैं, उनके आधार पर, पुरातत्वशास्त्र द्वारा विलुप्त और विच्छिन्न इतिहास की खोज और रचना की जाती है।
  • archaeomagnetism -- पुराचुंबकत्व
प्राचीन वस्तुओं को तपाकर उनकी चुंबकीय क्षमता से तिथि निर्धारण करने की प्रक्रिया में, विकसित पुराचुंबकत्व का महत्वपूर्ण स्थान है। इस पद्धति का आधार पकी मिट्टी की सामग्री में विद्यमान लौह आक्साइड का चुंबकत्व होता है, जो उस सामग्री को तपाए जाने पर ज्ञात किया जाता है। प्रोटोन चुंबकत्वमापी के आविष्कार से अब पुरातात्विक निक्षेपों और स्थलों का अन्वेषण, स्थान और तिथि-निर्धारण संभव हो सका है।
  • archaic maiolica -- पुरातन मैओलिका
ई. तेरहवीं से ई. सोलहवीं शताब्दी के मध्य टस्कन और उत्तरी इटली में निर्मित विशेष प्रकार के मृद्भांड जिन पर हरी अथवा भूरी पृष्ठभूमि पर भूरे रंग के पर्णाकार तथा अन्य प्रकार के अलंकरण प्राप्त होते हैं। इन मृद्भांडों में जग और कटोरे विशेष उल्लेखनीय हैं। इन भांडों का निर्यात स्पेन, उत्तरी अफ्रीका और उत्तरी यूरोपीय देशों को होता था। इनकी उत्पत्ति के विषय में विद्वानों में मतभेद है।
  • Archaic period -- आदिकाल, पुरातन काल
सभ्यता की प्रारंभिक प्रावस्था के विकास का युग। विशिष्टतः मिस्र के संदर्भ में, प्रथम दो राजवंशों का वह काल (लगभग ई. पू. 3200-ई. पू. 2800) जिसमें देश का एकीकरण ही नहीं हुआ, वरन् सांस्कृतिक उत्थान भी हुआ। यूनान में, इस युग को सभ्यता का अभ्युदय काल कहा गया, जो लगभग ई. पू. आठवीं से ई. पू. छठी तक रहा। अमरीकी लोग इस काल को विकास की प्रावस्था मानते हैं। इस शब्द का प्रयोग पूर्वी-उत्तरी अमरीकी जंगली (वुडलैंड) संस्कृति (लगभग ई. पू. 8000-ई. पू. 1000) के लिए भी किया गया और उत्खनन में प्राप्त, प्राचीन सभ्यता और प्रागैतिहासिक युग के संदर्भ में भी यह शब्द प्रयुक्त होता है।
  • architectural sculpture -- भवन-निर्माण विषयक मूर्तिकला
किसी निर्मित भवन अथवा वास्तु संरचना के अलंकरण या शोभावृद्धि के लिए सहयोजित मूर्तिकला, जिसके अन्तर्गत काष्ठ, पत्थर, मिट्टी या धातु आदि के मेल, उनकी काट-छाँट, तक्षण आदि के माध्यम से भित्ति, छत, स्तंभ, वातायन, गवाक्ष, प्रवेश-द्वार, परिसीमा आदि में आकृति-निरूपण किया जाता है।
उन सभी महान् युगों में, जब वास्तुकला और मूर्तिकला का चरमोत्कर्ष हुआ, ये दोनों ललित कलाएँ एक दूसरे के संयोग, सन्निकर्ष और सम्मिलन के फलस्वरूप विकसित और उन्नत हुई। जहाँ मूर्तिकला ने, किसी स्थापत्य रचना, स्तंभ या भवनादि के सामाजिक और ऐतिहासिक उद्देश्य या स्वरूप को रूपायित और प्रकार्यात्मक संबंधों को स्पष्ट किया, वहाँ वास्तुकला ने, मूर्तिकला के सहयोग से अपनी भव्यता में श्रीवृद्धि की।
यह उल्लेख्य है कि प्रभावशाली और अपने उद्देश्य में सफल वास्तु संरचना की दृष्टि संरचना की दृष्टि से, उसके निर्माता वास्तुकार और मूर्तिकार के मध्य घनिष्ठ सहयोग, समन्वय और सौहार्द्र का होना परमावश्यक है।
  • Arctic Small Tool Tradition -- आर्कटिक लघु उपकरण परंपरा
बेरिंग समुद्र से उत्तरी कनाड़ा के तटीय क्षेत्र तथा पूर्व में ग्रीनलैंड तक विस्तृत एक सामान्य आखेटक परंपरा। इस परंपरा के उपकरण सर्वप्रथम केप डेनबिग, अलास्का में मिले हैं, जिनका काल लगभग ई. पू. 4000 से ई. पू. 1000 माना जाता है। इस परंपरा के प्रमुख पाषाण उपकरणों में ब्लेड, लघु ब्लेड, तक्षणी (ब्यूरिन) खुरचनी तथा कुछ बड़े द्विमुखी नुकीले प्रक्षेपास्र थे।
  • ard -- आर्द, आदिम हल
हल का एक आदिम रूप जिसे मनुष्य या पशु खींचते थे, तथा जिसके अग्र भाग में नोकदार फाल होता था। यह खेतों की मिट्टी को केवल कुरेदता था।
  • area exposure -- क्षेत्र-अनावरण
व्यवस्थित उत्खनन के लिए किसी क्षेत्र या स्थल का अनावृत किया जाना। यह कार्य बाहरी या ऊपरी मलवे को हटा, खननीय स्थल को खुला रख या खुलाव की स्थिति बना कर किया जाता है। इस कार्य को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है-परीक्षणार्थ खोदी गई खाइयाँ, क्षेत्रोत्खनन तथा मौलिक खाइयाँ। क्षेत्र की खुदाई के उपरांत ही स्थल का वैज्ञानिक अध्ययन किया जा सकता है।
  • area method -- क्षेत्र-प्रणाली
इस प्रणाली के अन्तर्गत किसी स्थल विशेष पर स्थित बस्ती की पूर्ण जानकारी प्राप्त होने पर परीक्षणार्थ खाई नहीं खोदी जाती, बल्कि क्षेत्रीय उत्खनन कार्य किया जाता है। क्षेत्रीय उत्खनन कार्य में निम्न बातों का होना आवश्यक है : --
(क) अंकन और नियंत्रण के लिए सुगमता से क्षेत्रीय विभाजन।
(ख) मूल आधार-रेखा को क्षति पहुँचाए बिना उत्खनन कार्य का विस्तार।
(ग) गहरे उत्खनन में भी पर्याप्त प्रकाश की सुविधा।
(घ) उत्खनन-काल में बाहर निकाली गई मिट्टी का निकटस्थ क्षेत्र में इस प्रकार जमाव कि यातायात में कठिनाई उत्पन्न न हो।
(ड़) समस्त उत्खनित क्षेत्र का सुगमता से समाकलन।
(च) उत्खनन के अंत तक, ऊर्ध्व काट से अधिकतम बिंदुओं की, सतत संदर्भ के लिए सुरक्षा।
  • Argive school -- आरगीव शैली
प्राचीन यूनानी नगर-राज्य आर्गोस में विकसित एक विशिष्ट मूर्तिकला की शैली। इन मूर्तियों की विशिष्टता पुरुष शरीर-सौष्ठव और अंग-अनुपात है। इसके प्राचीनतम उदाहरण ई. पू. छठी शताब्दी की कुमारिका-युग्म (कोरी) हैं। डेल्फी की आरगीव शैली के विख्यात मूर्तिकार पोलिक्लितोस (ई. पू. 450 -- ई. पू. 420) था जिसकी खेलकूद प्रतियोगिताओं की कांस्य मूर्तियाँ विश्वप्रसिद्ध हैं।
  • Argon Potassium Dating -- ऑर्गान पोटैशियम काल-निर्धारण
पोटैशियम वह मूल तत्व है, जो सभी खनिजों में सामान्यतः पाया जाता है। इस प्रकार का पोटैशियम अणु, पोटैशियम 4 वस्तुतः रेडियोधर्मी होता है और बहुत शीघ्र आर्गान के रूप में विघटित हो जाता है। आर्गान एक गैस है, जो खनिज के कणों में पाई जाती है। पोटैशियम युक्त खनिज की आयु का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि कितनी मात्रा में मूल पोटैशियम आर्गान के रूप में परिवर्तित हो गया। यह तरीका भू-विज्ञानीय काल मापक्रम के लिए उपयोगी होता है। इसके अनुसार चट्टानों की आयु निर्धारित होती है।
  • ark -- मंजूषा, संदूकची, पेटी
(1)धन, द्रव्य, या मूल्यवान् वस्तुओं को सुरक्षित रीति से रखने के लिए बनी तिजोरी, ढक्कनदार टोकरी अथवा संदूकची इत्यादि।
(2) बबूल (आकेशा) की लकड़ी की बनी स्वर्णजटित आयताकार संदूकची। इस संदूकची में हज़रत मूसा ने दो पाषाणपट्ट सुरक्षित रखे थे, जिनमें धर्मादेश अंकित थे।
(3) वह ढकी हुई नौका, जिसमें नूह तथा उनके परिवार के सदस्य महाप्रलय के समय सुरक्षित रहे। अब यह शब्द शरण-स्थल के लिए प्रयुक्त होता है।
  • Arretine ware -- एरिताइन मृद्भांड
एक प्रकार का विशिष्ट मृद्भांड। ऐसे बर्तनों का निर्माण तस्कनी के एरितियन प्रदेश में हुआ था। आगे चलकर सम्पूर्ण रोमन साम्राज्य में ऐसे मृद्भांड बनाए जाने लगे। इस प्रकार के मृद्भांड पूर्व रोमन कालीन ब्रिटेन एवं दक्षिण भारत के अरिकमेडु नामक स्थान में भी मिले हैं।
ये मिट्टी के पके बर्तन लाल रंग के होते थे, जिन पर आकृतियाँ निम्नोद्भृत रूप में ठप्पे द्वारा बनाई जाती थी। ठप्पों में डिजाइनें काट कर उन्हें मृद्भांडों पर लगाया जाता था। एरिताइन कटोरों के आकार और उन पर बनी आकृतियाँ कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
  • arrow straightener -- बाण ऋजुक, शर ऋजुक
तीर के दंड को सीधा करने की नवपाषाणकालीन युक्ति। इसके अनुसार बाण के टेढे दंड को अस्थि, काष्ठ या शृंग में बने छिद्र के अंदर डाल तथा आँच से तपाकर सीधा किया जाता था।
  • arrowhead, (=arrow point) -- बाणाग्र
तीर के ऊपरी भाग में लगा पत्थर, ह्ड्डी या धातु से बना नुकीला भाग। प्रागैतिहासिक काल से ही पत्थर के बने बाणग्रों का प्रयोग मिलता हैं।
  • art mobilier -- सुवाह्य कला
पुरापाषाणकालीन खुले स्थलों, गुफाओं तथा शैलाश्रयों मे प्राप्त वे लघु मूर्तियाँ, अलंकरण सामग्री, पट्ट, अलंकृत बल्लम और अस्थि उपकरण आदि, जिन्हे एक स्थान से दूसरे स्थान तक सरलता से स्थानांतरित किया जा सकता हो। प्रायः पुरातात्विक स्तरों से प्राप्त इन कला-अवशेषों को लगभग ई. पू. 35,000 तथा ई. पू. 10,000 के बीच आँका गया है।
  • art-treasure -- कलात्मक निधि, बहुमूल्य कलाकृति
कला या सौंदर्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण कलाकृति।
भारत सरकार के 'पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972' के अनुसार कम-से-कम 75 वर्षों से विद्यमान ऐतिहासिक अथवा कलात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण पांडुलिपी, अभिलेख या दस्तावेज आदि इसी कोटि में रखे गए हैं।
  • artifact (=artefact) -- हस्तकृति, मानवकृति
प्राचीन मानव द्वारा गढ़े हुए अथवा अपरिष्कृत पत्थर आदि के बने औजार, हथियार या मिट्टी के पात्र आदि।
  • Aryan Civilisation -- आर्य सभ्यता
ऋग्वेद में उल्लिखित आर्य-सभ्यता। आर्य ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि में ईरान तथा पश्चिमी भारत में विद्यमान थे। इनकी भाषा प्राचीन संस्कृत थी, जो वेदों में मिलती है। इनकी सभ्यता को जानने का मुख्य स्रोत वैदिक साहित्य है। आर्यों का राजनीतिक संगठन, विकास की प्रारंभिक अवस्था में रहा। सभा और समिति नाम की इनकी दो प्रमुख संस्थाएं थी। इनका सैनिक संगठन और न्याय-प्रबंध व्यवस्थित था। परिवार व्यवस्था पितृ-सत्तात्मक थी और समाज वर्ण-व्यवस्था पर आधारित था। इनमें सामाजिक नियमों का विकास भी हो चुका था। इनकी सभ्यता ग्रामीण थी। इनका प्रमुख उद्योग कृषि तथा पशुपालन था। साहित्यिक क्षेत्र में, इन्होंने अभूतपूर्व दक्षता प्राप्त की। साहित्यिक क्षेत्रों, विशेषतया अभिव्यक्ति की सार्थकता और भावाभिव्यंजन में इन्होंने अभूतपूर्व दक्षता प्राप्त की थी।
  • aryballus -- सुराही अरिबेलस
प्राचीन यूनानी लोगों द्वारा तेल, मरहम इत्यादि रखने का अलंकृत पात्र। इस पात्र की ग्रीवा छोटी और उसके नीचे का भाग गोल है। पात्र को पकड़ने के लिए एक हत्था भी बना होता है।
इंका लोगों ने भी इस प्रकार के मृद्भांड बनाए, जो विशाल मर्तबान के रूप में हैं। इसका आधार शंक्वाकार तथा ग्रीवा लंबी एवं संकरी होती थी। इंका लोग इसे पीठ पर रस्सी की सहायता से बांधते थे।
  • ash mound -- भस्म टीला, राख टीला
दक्षिण भारतीय नवपाषाणकालीन संस्कृति के प्रारंभिक चरण (ई. पू. 3000 - ई. पू. 2000) से सम्बद्ध राख के टीले, जो गाय-बैल, बकरी तथा भेड़ के बड़ी संख्या में पाले जाने के द्योतक हैं। समझा जाता है कि गोबर के ढेर को समय-समय पर जलाने के परिणामस्वरूप निर्मित राख के टीलों के स्थल वास्तव में, मवेशियों के बांधने के प्राचीन स्थान हैं। इनके प्रमाण मुख्य रूप से कर्नाटक राज्य के उतनूर, कुपगल तथा कोडेकल स्थलों से प्राप्त हुए हैं।
  • askos -- एस्कोस
बतख की आकृति से मिलता-जुलता एक हत्थेवाला टेढ़े-मेढ़े आकार का पात्र, जिसका मुख, केन्द्र स्थल से हट कर अलग बना होता था। इस प्रकार के पात्र इजियन क्षेत्र में, प्रारंभिक हेलाडिक काल से श्रेण्यकाल (क्लासिकी युग) तक प्रयोग में लाए जाते थे। समय-समय पर हुए उत्खनन कार्यों से अन्य स्थानों में इस प्रकार के पात्रों का प्रयोग और प्रचलन मिलता हैं।
  • assemblage -- समुच्चय
एक ही स्थान से एक साथ प्राप्त विविध पुरातात्विक वस्तुओं (यथा उपकरण, मृद्भांड, शस्त्र, आभूषण आदि) का समूह जिसे सामान्यतः एक ही सांस्कृतिक वर्ग के लोगों की कृति माना जाता है। यह समुच्चय एक ही प्रकार की वस्तुओं का भी हो सकता है। यदि एक ही प्रकार की विशिष्ट वस्तुएँ अनेक स्थलों में मिलती हैं तो वे प्रायः एक ही संस्कृति की विशिष्टताएँ मानी जाती हैं।
  • association -- साहचर्य
एक ही पुरातात्विक संदर्भ में वस्तुओं या उपकरणों का साथ-साथ पाया जाना। इसके महत्वपूर्ण नमूने भारतीय महाश्म-शवाधानों, भवन की नीवों, निधियों तथा सभ्यता के ध्वंसावशेषों में प्राप्त होते हैं।
  • assymetric -- असममित
(क) जिसके भाग या अंग उचित अनुपात में न हों।
(ख) क्रिस्टल-संरचना के उस समुदाय से संबंधित जिसका सममित तल नहीं होता।
  • Assyrian art -- असीरियाई कला
पश्चिम एशिया के असीरियाई साम्राज्य की कला जिसका काल प्रायः ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दी से सातवीं शताब्दी के प्रारंभिक चरण तक माना जाता है। प्रारंभ में यह कला मेसोपोतामी कला की एक शाखा के रूप में विकसित हुई, तथा इसके मूर्तिकला की अपेक्षा वास्तुकला के ही अधिक प्रमाण हैं। नवी शताब्दी से असीरियाई कला में अभूतपूर्व विकास हुआ, जब विभिन्न कलाकृतियों से अधिक संतुलन व परिष्करण दृष्टिगोचर होने लगता है।
  • astronomical dating -- खगोलीय काल-निर्धारण
खगोलीय तिथियाँ सौर-विकिरण के घटाव-बढ़ाव की गणना पर निर्भर करती हैं। विद्वानों का यह मत है कि अत्यंत नूतन (Pleistocene) काल में, जलवायु संबंधी अस्थिरता का प्रमुख कारण सौर विकिरण की अस्थिरता ही थी। मिलेंकोविक ने अत्यंत नूतन काल के प्रत्येक वक्र की तिथि, सौर वर्षों मे निर्धारित की है। परंतु आधुनिक विद्वान मिलेंकोविक की विधि को इसलिए अधिक महत्व नहीं देते क्योंकि यह परिकल्पना पर अधिक आधारित है। याकोबी, तिलक (श्री बालगंगाधर) आदि विद्वानों ने आद्य ऐतिहासिक काल-निर्धारण में खगोलीय काल-निर्धारण विधि का सहारा लिया।
  • Asturian Culture -- अस्तुरियायी संस्कृति
उत्तर-मध्यपाषाणयुगीन स्पेन की अपरिष्कृत संस्कृति। यह अजीली संस्कृति का एक विशिष्ट रूप है, जिसमें नदी से प्राप्त बटियों का प्रयोग औजारों के निर्माण के लिए किया जाता था। ये बटियों से निर्मित कुल्हाड़ी का भी प्रयोग करते थे। इस संस्कृति के लोगों का मुख्य आहार कवच प्राणी (Shellfish) था।
  • Aterian -- अतेरी
मध्य-पुरापाषाण कालीन विशिष्ट उद्योग और तत्संबंधी संस्कृति, जो उत्तरी अफ्रीका में, मोरक्को से मिस्र तक के क्षेत्र में पाई गई है। अतेरी लोग मोस्तारी (Mousterian) परंपरा में पत्थरों के उपकरण बनाते थे। इनके विशिष्ट उपकरणों में चूलदार वेधनी एवं दोनों ओर से तक्षित पर्णाका वेधनी हैं। वेधनी का प्रयोग बाणग्र के रूप में किया जाता था।
  • atlantes (pl. of atlas) -- कीचक, भारपुत्रक
(क) तक्षित पुरुषाकृति स्तंभ।
(ख) स्तंभ विशेष जिसमें तक्षित कर पुरुष की आकृति बनाई जाती थी। इस प्रकार की आकृति स्तंभोपरिरचना (entablature) के भार को वहन करने के लिए बनाई जाती थी। इस मूर्ति परंपरा को एक यूनानी पुराकथा से जोड़ा जा सकता है जिसके अनुसार इआकितोस के एक पुत्र 'टाइटन' को आकाश के भारवाहक के लिए अभिशप्त किया गया था।
  • Atlanthropus -- अतलांतीय मानव, एटलांथ्रोपस
अल्जीरिया में प्राप्त अश्मीभूत मानव की खोपड़ी जो अफ्रीका के पिथिकैंथ्रोपस मानव की खोपड़ी, जैसी मानी जाती है।
  • Atlantic Bronze Age -- अतलांतिक कांस्य युग
पश्चिम फ्रांस के तटवर्ती क्षेत्र में प्राप्त कांसे की वस्तुओं के निर्माण की परंपरा का युग (लगभग ई. पू. 1000-ई. पू. 500)। इस परंपरा का विस्तार दक्षिण इंग्लैड और आइबीरिया तक था।
  • Atlitan -- एटलिटी
इज़राइल के माउन्ट कार्मेल के एटलिट स्थल से प्राप्त एक उत्तरपुरापाषाणकालीन उपकरण समुच्चय। गैरोड ने इस समुच्चय को यह नाम दिया था, जो अब प्रायः अप्रचलित है।
  • Audi (= Knife blade) -- औदी (चाकू फलक)
प्रागैतिहासिक लघु शल्क उपकरण। इसकी निचली सतह, मुख्य शल्क-सतह होती है। उपकरण की ऊपरी सतह पर कई प्राथमिक शल्क चिह्न बने होते हैं। इनमें से एक (किनोरेवाला) शल्क चिह्न के निचली (मुख्य शल्क) सतह से मिलने पर तीक्ष्ण किनारे का कार्यांग बनता है। इस उपकरण के पार्श्व भुथरे तथा कुंदे का सिरा, कार्यांग के समानांतर नहीं, वरन् टेढ़ा होता है।
  • aureole (= gloriole = mandorla = nimbus =halo) -- 1. प्रभामंडल, प्रभावली
देवी-देवताओं. संत-महात्माओं अथवा महापुरुषों के मस्तक के चारों ओर रश्मि-मंडल या मंडल, जिन्हें चित्रों तथा मूर्तियों में ज्योति-वृत्त के रूप में दिखाया जाता है।
2. दिव्य किरीट
स्वर्गीय मुकुट या वह ज्योतिर्मय देवी मुकुट, जिसके धारण करने पर सांसारिक, शारीरिक एवं भावनात्मक विजयोपलब्धि होती है।
  • Aurignacian Culture -- औरिगनेशी संस्कृति
फ्रांस की पेरिनिज आरिगनाक गुफा में प्राप्त अवशेषों से ज्ञात संस्कृति, जिसके उपकरण कटावदार आधारवाली अस्थियों के हैं। यह संस्कृति यूरोप में सर्वाधिक प्राचीन गुहाकला का प्रतिनिधित्व करती है।
  • Aurignacian man -- ऑरिगनेशी मानव
(1) मध्य फ्रांस की उत्तर पुरापाषाणकालीन अति विकसित संस्कृति के जनक, वे मानव, जो शैतल-पिरोनी संस्कृति के पश्चवर्ती थे। फ्रांस में 1909 ई. में, उस काल के मानव का कंकाल प्राप्त हुआ, जो क्रोमाग्नों मानव के कंकाल के समान है। यह मानव प्रजाति अब लुप्त हो चुकी है।
(2) आरिगनेशी काल के मानव।
(3)आरिनेशी प्रजाति का मानव।
  • awl -- सुआ, टेकुआ
अस्थि, पाषाण या धातु का एक नुकीला उपकरण जिसे छेद करने के काम में लाया जाता है।
  • axe -- कुठार
धारदार सिरेवाला एक प्राचीन उपकरण, जिसे एक हत्थे में फंसाकर पकड़ा जाता था। इसकी धार हत्थे के समानांतर होती थी। प्रागैतिहासिक काल में कुठार अनेक आकार के बनाए जाते थे। भारत में आद्यैतिहासिक युग में पत्थर के आलावा धातु के कुठार भी बनते थे। सामान्य बोलचाल की भाषा में इस प्रकार के उपकरण को कुल्हाड़ी कहा जाता है।
  • axe factory -- कुठार कार्यशाला
इस शब्द का प्रयोग योरोप के विशेष संदर्भ में नवपाषाणकालीन कुठारों के निर्माण स्थल के लिए मिलता है। भारतीय प्रागितिहास में इस शब्द का प्रयोग इस अर्थ में अनुपलब्ध है।
  • axe head -- कुठाराग्र
कुठार या कुल्हाड़ी के आगे का भाग।
  • axe sheath -- कुठारावरण
कुठार को सुरक्षित रखने का खोल।
  • axe-grinder -- कुठार सान
कुठार की धार को तीक्ष्ण करनेवाला उपकरण।
  • axe-hammer -- कुठार हथौड़ा
काष्ठ, धातु, पत्थर, लोहा आदि को पीटने, ठोकने, काटने आदि के काम में आनेवाला औज़ार।
  • Azetec -- अजटेक
मेक्सिको घाटी में बसने वाला अंतिम बर्बर कबीला। यह कबीला बारहवीं शदी ई. में टौलटेक सभ्यता के विलुप्त होने के बाद इस क्षेत्र में बसा। ये लोग अपने को 'मेक्सिका' अथवा 'तेनोचका' (Tenochca) कहते थे। अन्होंने अपनी राजधानी एक निर्जन टापू में बसायी जिसे उन्होंने तेनोचतितलान (Tenochititlan) नाम दिया। ई. 1519 तक उन्होंने अपने मित्र राज्यों के साथ मिलकर पूरे वर्तमान मेक्सिको राज्य पर आधिपत्य स्थापित कर लिया। उनके राज्य की सीमा उत्तर में मरूस्थल से लेकर दक्षिण में ओसाका (Oaxaca) तक फैली थी। अज़टेक स्वभावतः युद्धप्रेमी थे। उनके प्रमुख देवता (हूत्ज़ीलो पोचितली) (Huitzilopochtli) युद्धदेव थे, जिन्हे बलि के रक्त से पूजा जाता था। उनके इतिहास को जानने के प्रमुख साधन कोडेक्स हैं। (देखें Codex)
साँचे में बनी मृणमूर्तियाँ तथा नारंगी रंग के मृद्पात्रों पर सलेटी रंग से चित्रित ज्यामितिक आकृतियाँ उनकी संस्कृति की मुख्य विशेषताएँ हैं। अपने धार्मिक कृत्यों के लिए उन्होंने एक पंचांग बनाया था। ई. 1521 में स्पेनवासियों ने 90 दिन में उनपर अधिकार कर उनकी सत्ता समाप्त कर दी।
  • Azilian Culture -- अज़ीली संस्कृति
मध्य-पाषाणकालीन संस्कृति। इसका नामकरण फ्रांस के मास द अज़िल (Mas d' Azil) गुफा के नाम से पड़ा। इस स्थान की संस्कृति का विस्तृत अध्ययन किया गया। इस संस्कृति के जनक अनुमानतः ई.पूo 8000 के उपरांत रहे होंगे। इस संस्कृति की प्रमुख विशेषता पाषाण-उपकरण तथा अस्थि-उपकरण हैं। अज़ीली लोग बटिकाश्मों को रेखाओं, ज्यामितिक चित्रों तथा बिंदुओं से अलंकृत करते थे।
इस संस्कृति का काल मग्दालीनी के बाद तथा तार्देनोज़ी संस्कृति से पूर्व है। इसके प्रमुख पाषाण-उपकरणों में लघु गोलाकार स्क्रेपर, वेधनी, पार्श्व-परिष्कृत फलक एवं अपरिष्कृत तक्षणी (ब्यूरीन) है। अस संस्कृति में रंगे हुए उन बटिकाश्मों का भी प्रयोग हुआ है, जिनका 'जादुई' महत्व, एड्रियन कोट्स ने बताया है। इस संस्कृति के लोग गुफा मुखों मे निवास करते थे। इस संस्कृति के अवशेष फ्रांसीसी पिरेनी, पूर्वी फ्रांस, उत्तरी स्पेन, स्विटजरलैंड, बेल्जियम आदि क्षेत्रों में मिले हैं।
  • b acini -- बेसिनी, अलंकरण पात्र
मिट्टी के वे पात्र जिन्हे गिरजाघरों की दीवारों, मिनारों और दरवाज़ों के ऊपर अलंकरण हेतु स्थापित किया जाता था। मध्यकालीन गिरजाघरों, विशेषकर पूर्वी इटली के गिरजाघरों में इस प्रकार के मृद्पात्र स्थापित किए जाते थे जिनका निर्माण ग्यारहवीं से पंद्रहवीं शताब्दी तक हुआ।
  • bacchanalia -- बैकेनेलिया
यूनान और रोम के सुरादेवता बैक्स के सम्मान में आयोजित मद्योत्सव।
  • Bacchus -- बैकस
प्राचीन यूनान और रोम का सुरा-देवता।
  • backed blade -- पृष्ठित ब्लेड
ऐसे पाषाण ब्लेड जिनके एक पार्श्व को उच्च कोण में पुनर्गठन द्वारा लुंठित कर दिया गया हो। इस प्रकार के उपकरण उच्च पुरा-पाषाणकाल में मुख्य रूप से बनाये जाते थे।
  • backfill (=back filling) -- भराव
भवनों की नींव की भीतरी और बाहरी दीवारों के उत्खनित भाग के मिट्टी और ईंट-पत्थरों से भरने का काम।
  • Badarian culture -- बाडेरी संस्कृति
प्राक्-राजवंशीय मिश्र की ई. पू. चौथी सहस्राब्दी की मूलतः नव पाषाणकालीन संस्कृति। इसका नामकरण मध्य मिश्र में स्थित अलबाडेरी नामक स्थान पर पड़ा था। ये गेहूँ और जौं की खेती करते थे तथा भेड़, बकरी एवं मवेशी पालते थे। इनके विशिष्ट लाल-रंगवाले मृद्भांड अन्दर की ओर काले तथा बाहर की ओर लाल रंग के होते थे। ये कच्चे तांबे से भी परिचित हो चुके थे।
  • Baden culture -- बाडेन संस्कृति
मध्य यूरेप की लगभग ई. पू. तृतीय सहस्राब्दी की एक ताम्र युगीन संस्कृति। इस संस्कृति का प्रसार उत्तरी यूगोस्लाविया, हंगरी, चेकोस्लोवाकिया तथा दक्षिणी पोलैंड के विस्तृत भूभाग में मिलता है। बाडेन लोग आदिम गेहूँ की खेती करते थे और भेड़ तथा सुअर आदि पशु पालते थे। वे चकमक पत्थर के बाणाग्र तथा फरसे बनाते थे।
  • badigeon ( = patching material) -- भराई
(1) पाषाण तथा काष्ठकर्म में, गौण दोषों को दूर करने के लिए मिट्टी आदि का लेप लगाकर भरना।
(2) भराई के काम आनेवाली सामग्री।
  • Badorf ware -- बाडॉर्फ मृद्भांड
पश्चिम जर्मनी में कोलोन नगर के पश्चिम में स्थिन फोरगेबिर्ग नामक पर्वतश्रेणी पर आठवीं शताब्दी ई. के निर्मित विशिष्ट प्रकार के मृद्भांड। ये भांड नीदरलैंड, पूर्वी इंग्लैंड तथा उत्तरी डेन्मार्क तक मिलते हैं।
  • baetulus (= baetylic stone) -- पवित्र पाषाण
उल्का पिंड से टूटकर गिरा हुआ अनगढ़ पाषाण, जिसकी आराधना यह मानकर की जाती थी कि वह दैवी प्रसाद का फल है।
  • balk (=baulk) -- विभाजक पट्टी
क्षेत्र-पुरातत्व में, किसी उत्खनित स्थल का वह अनुत्खनित भाग, जिसे खाइयों के बीच स्तर-विन्यास के लिए छोड़ दिया जाता है। खुदाई के अंतिम क्षणों तक इसी को अध्ययन की कड़ी के रूप में आधार बनाया जाता है।
  • ball game -- कंदुक क्रीडा
मध्य अमरीका और अमरीका के विस्तृत क्षेत्र में प्रचलित एक प्राचीन खेल जिसका मनोविनोद और आनुष्ठानिक क्रिया-कलापों में विशेष महत्व था। सेन लोरेन्जो तेनेचितलान (मेक्सिको) के अवशेषों के आधार पर अनुमान है कि यहाँ पर कंदुक क्रीड़ा-स्थल रहा होगा जो मेक्सिको पूर्व-क्लासिकी कालीन था।
  • ballista -- बैलिस्ता, प्रक्षेपक यंत्र
प्राचीन रोम की सेना द्वारा विशाल पत्थरों को दूर फैंकने के लिए प्रयुक्त एक यंत्र।
  • balnea -- सार्वजनिक स्नानागार
प्राचीन रोम की जनता का स्नान-स्थल।
  • balustrade -- 1. वेदिका
लघु-स्तंभों की सूची तथा उष्णीषयुक्त मुंडेर या प्राकार। यह स्तूप, मंदिर व भवनों आदि में बनाई जाती है। यह प्राचीन वास्तुशास्त्रीय शब्द है।
2. जंगला
वातायन, बरामदे आदि में लगी पाषाण अथवा सीमेंट आदि के लघु या धातु की छड़ों की पंक्ति। इसे कटहरा भी कहा जाता है।
  • banderolle (= banderole) -- 1. उद्भूत पट्टिका, उभारदार पट्टिका
पट्टिकाकार (scroll) कुंडल, कुंडली या घुंडी पट, जिसमें अभिलेख उत्कीर्णित हो और जिसे वास्तु-अलंकरण के लिए प्रयुक्त किया गया हो। पुनर्जागरणकालीन यूरोप में, इस प्रकार की उद्भूत पट्टीका का प्रयोग वास्तुकला में बहुत अधिक हुआ है।
2. नक्काशीदार जंगला
किसी वातायान, द्वार, कटहरे या बरामदे में लगी लोहे की छड़ोवाला वह जंगला, जिसमें तक्षण-कला का प्रयोग व्यवहार किया गया हो।
  • Bandkeramik -- बैंकरमिक
डेन्यूबी प्रथम संस्कृति के विशिष्ट मृद्भांड। इस सांस्कृतिक प्रावस्था का आरंभ लगभग ई. पू. 4500 में माना जाता है। इस काल में बने मृद्भांडों में, अर्ध गोलाकार कटोरे तथा गोलाकार मर्तबान मुख्य हैं, जो तुंबी के आकार से काफी मिलते-जुलते हैं। बैंकरमिक शब्द का प्रयोग, विशेषतः उस मानक अलंकरण के लिए किया जाता है जिसके अंतर्गत समानांतर रेखाओं की सहायता से अंशांकित पट्टियाँ बनी होती हैं। सर्पिल रचना तथा लहरियादार सज्जा भी इस अलंकरण के अंतर्गत परिगणित की जाती है।
  • banner stone -- ध्वजा कुठार
वे छिद्रित पाषाण, जो मध्य पश्चिमी तथा पूर्वी अमरीका के परातन स्थलों में विशेष रूप से प्राप्त हुए हैं। इनके दोनों पार्श्व कुठार की तरह बने हैं और बीच मे लकड़ी इत्यादि फँसाने के लिए छिद्र भी बना है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस उपकरण का धार्मिक महत्व था क्योंकि मृतकों के साथ ध्वजा-कुठार को भी कब्र में दफना दिया जाता था।
  • bannerol (= banderole) -- 1. समाधि ध्वज
वह शोक-ध्वज, जो महान् व्यक्तियों की अंत्येष्टि से पूर्व उनके शव के साथ प्रदर्शित किया जाता है और बाद में समाधि के ऊपर स्थापित किया जाता है।
2. उद्भृत पट्टिका
फीते के आकार की पट्टिका, जिसमें अभिलेख-प्रतीक या चिह्न अंकित हो, विशेषकर एक ऐसी अलंकरण पट्टी, जिसमें यत्र-तत्र अभिलेख अंकित हो। इसका प्रयोग वास्तु-अलंकरण के लिए पुनर्जागरण काल में विशेष रूप से किया जाता था।
  • barbarian -- बर्बर
(1) प्राचीन यूनानियों द्वारा विदेशियों के लिए प्रयुक्त संज्ञा। भारतीयों द्वारा भी अर्धसभ्य एवं असभ्य जातियों को 'बर्बर' कहा गया है। यह यूनानी शब्द बारबारोस (barbaros) से बना है, जो संभवतः यूनानियों की दृष्टि में विदेशी भाषाओं की अस्फुट तथा अस्पष्ट प्रतीत होनेवाली ध्वनि का द्योतक है। कालांतर में इस शब्द का प्रयोग असभ्य अथवा जंगली जातियों के लोगों के लिए होने लगा। अनेक प्राचीन भारतीय ग्रंथों मे भी बर्बर शब्द का 'अनार्य' और 'असभ्य' के अर्थ में प्रयोग हुआ है।
(2) सभ्य जगत के बाहर रहनेवाला व्यक्ति, जो असभ्य और क्रूर रीति-रिवाजवाले किसी समाज का सदस्य हो।
  • barbaric culture -- बर्बर संस्कृति
मानव समाज के विकास में, प्राकृतावस्था के बाद और सभ्यता के पूर्व की मध्यवर्ती संस्कृति।
  • barbarization -- बर्बरीकरण, बर्बर बनाना
अपेक्षाकृत अधिक सशक्त जाति द्वारा, किसी अधिक उन्नत और सभ्य जाति अथवा समुदाय के सदस्यों को, बर्बर अथवा असंस्कृत बनाना। किसी सभ्य समुदाय का स्वतः असभ्य बनना या अवनत होना। यह उल्लेख्य है कि असभ्य जातियों के आक्रमण के पश्चात् रोम साम्राज्य धीरे-धीरे बर्बर बनता चला गया।
  • barbed bone -- कँटीली अस्थि
ऐसी हड्डी, जिसमें काँटे बने हों या जो काँटेदार प्रतीत हो।
  • barbotine -- मृद्भांड अलंकरण लेप, बारबोटिन
मिट्टी के बरतनों पर अलंकरण करने की एक प्राचीन तकनीक जिसमें बहुत चिकनी मिट्टी के घोल को रंगीन मृद्भांड की सतह पर भट्टे में रखने के पूर्व नलिका द्वारा फूँककर लगाया जाता था। इसका प्रचलन मुख्यतः रोमनकालीन गॉल और ब्रिटेन में था।
  • bark canoe -- छाल डोंगी
पेड़ो की छाल से बनी हुई छोटी नौका।
  • barrel-shaped bead -- ढोलाकार मनका
मनका या माला का वह दाना, जिसका आकार-प्रकार ढोल जैसा हो।
  • barrow -- 1. स्मारक, समाधि
गोलाकार या लम्बा टीला, जिसके नीचे एक या अधिक शवाधान होते हैं। ये प्रायः ताबूतों या शवपेटिकाओं से दफनाए गए लोगों की समाधि या उनके स्मारक के रूप में बने होते हैं।
2. शव-टीला
कब्र के ऊपर का पत्थर या मिट्टी से बना उन्नत भू-भाग; मृतकों के अवशेषों पर बना हुआ पाषाण या मिट्टी का टीला। बहुधा इसके नीचे समाधि-कोष्ठ, शवाधान, शवपेटिका, ताबूत आदि ढके रहते हैं।
  • bas-relief (basso-relievo) -- निम्नउद्भृत
तराश कर बनाई गई कम उभारवाली आकृतियाँ और नक्काशी। ऐसी नक्काशी किसी भी माध्यम जैसे, काष्ठ, पाषाण, धातु आदि में की जा सकती है।
  • basalt -- बेसाल्ट
सूक्ष्मकणिक से लेकर काचीय गठन का एक असितवर्णी (dark coloured) आग्नेय शैल जो कैल्सिकप्लेजियोक्लेज तथा पाइराक्सीन से अनिवार्यतः संघटित होता है। इसमें यदाकदा आलिबीन भी हो सकता है और एपाटाइट तथा मैगनेटाइट खनिज प्रायः गौण खनिज के रूप में मिलते है। इस प्रकार का प्रयोग कतिपय प्रागितिहासिक उपकरण निर्माण में होता था। ऐतिहासिक काल में इसका उपयोग पश्चिम भारत गुहा-वास्तु तथा मूर्तिनिर्माण में मिलता है।
  • Basarabi culture -- बसारबी संस्कृति
रूमानिया के विस्तृत क्षेत्र में फैली वह प्रसिद्ध लौहयुगीन संस्कृति जिसके अवशेष, तत्कालीन कब्रिस्तानों और आवास-स्थलों में मिले हैं। इस संस्कृति के प्ररूप-स्थल (type site) डेन्यूब में विद्यमान हैं, जिनका काल ई. पू. 800-650 माना गया है। यह संस्कृति हाल्स्टाट संस्कृति का स्थानीय रूप है।
  • base -- आधार, पीठ
किसी वास्तु या मूर्ति संरचना का निचला भाग, जो उसका अवलंब हो। इसे आलंबक भी कहा जाता है।
  • basilica -- बैसिलिका, सभागार
मूलतः रोमनकालीन विशालद्वयस्र या वृत्ताकार सभागार जिसके दोनों या चारों और स्तंभ-युक्त पार्श्व-विथियाँ बनी हों। ऐसी संरचना प्रशासनिक कार्यों के प्रयोग में लाई जाती थीं।
  • basin -- 1. द्रोणी
जल रखने का पात्र।
2. पात्र
खूला वलयाकार पात्र या ऐसी रकाबी, जिसके किनारे ढलवाँ या वक्राकार हों और जिसकी गहराई की अपेक्षा चौड़ाई अधिक हो। हाथ मुँह धोने के लिए प्रायः इस प्रकार के पात्र प्रयोग मे लाए जाते थे।
  • Basketmaker -- करंडसाज़
दक्षिण पश्चिम अमरीका की टोकरी बनाने वालों की एक संस्कृति। ई. 1927 के पिकास सम्मेलन में इस संस्कृति की तीन प्रावस्थाएँ मानी हैं। प्रथम प्रावस्था अस्पष्ट है। दूसरी प्रावस्था का काल लगभग ई. 1 से ई. 450 निर्धारित किया गया और तीसरी का ई. 450 से ई. 700 अथवा ई. 750 निर्धारित किया गया। दूसरी प्रावस्था में मक्के की खेती तथा अपरिष्कृत मृद्भांडों का निर्माण और तीसरी में स्थायी रूप से गर्त-निवास इस संस्कृति की प्रमुख विशेषता थी।
  • baton de commandement -- शृंगवेत्र, शृंगदंड
पश्चिमी यूरोप में उत्तर-पुरापाषाणकालीन संस्कृतियों के अवशेषों में प्राप्त रेंडियर-शृंग का बना आदिम उपकरण। इसका प्रयोग अभी तक अज्ञात है। इसका आकार-प्रकार दंड की तरह होता था। इसके शीर्ष के स्थूल भाग में एक छिद्र बना होता था। इस प्रकार के शृंगदंड के सुन्दरतम नमूने मग्दाली संस्कृतिकालीन उपकरणों में मिले हैं। इसके प्राचीनतम नमूने आज से 30,000 वर्ष पूर्व अरिग्नेसी संस्कृति के हैं।
  • battered backed blade -- निप्रवण फलक
नीचे से चौड़ी और ऊपर से पतले विशिष्ट फलक।
  • battle-axe -- 1. युद्ध-कुठार
युद्ध में प्रयुक्त एक विशिष्ट आयुध जिसकी धार का पृष्ठ भाग हथौड़ेनुमा होता था, जिसमें काष्ठ या धातु-दंड फँसाने के लिए छिद्र होता था। यूरोप में उत्तर-पाषाण काल तथा ताम्र-युग में यह अधिक प्रचलित था। इस प्रकार के परशु बाद में, धातुओं के, विशेषकर ताम्र तथा लोहे के बनाए जाने लगे। भारत में, प्राचीन काल के अंत तक इसका प्रचलन रहा।
2. फरसा, परशु
कुल्हाड़ी के आकार का, परन्तु उससे कुछ बड़ा और चपटा अस्त्र जिसे प्राचीन काल में योद्धा धारण करते थे। परशु धारण करने वाले योद्धा को 'परशुधर' कहा जाता था।
  • BC -- (1) ईसा पूर्व, ई. पू.
ईसा के जन्म से पहले की घटनाओं की गणना करने के लिए ई. पू. का प्रयोग किया जाता है।
(2) अंशशोधित तिथि, BC
अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षरों में लिखा गया (BC) किसी वस्तु या संस्कृति की अंशशोधित रेडियो कार्बन तिथि अथवा इतिहास सम्मत तिथि का द्योतक।
  • bc -- अनंशशोधित तिथि, bc
अंग्रेजी वर्णमाला के छोटे अक्षरों में लिखा गया (bc) अनंशशोधित रेडियो कार्बन तिथि को बतलाता है। उदाहरणार्थ :-
रेडियोकार्बन तिथि
1773±87 bc 1773±87ई. पू. (अनंशशोधित)
2160-2050 BC 2160-2050 ई. पू. (अनंशशोधित)
  • beaker -- बीकर
तरल पदार्थ पीने का गिलासनुमा फैले मुँहवाला बिना हत्थेवाला पात्र। मिट्टी या धातु से बने ऐसे पात्र अनेक पुरातात्विक संस्कृतियों में मिले हैं।
  • Beaker culture -- बीकर संस्कृति
यूरोपीय उत्तर कांस्ययुगीन प्रागैतिहासिक संस्कृति, जो घंटाकार चंचुक भांडों को, मृतकों के साथ दफनाने की प्रथा से संबद्ध थी। इस संस्कृति के मृद्भांड यूरोप में, स्पेन से पोलैंड और सिसली से स्काटलैंड तक बहुत बड़ी मात्रा में मिले हैं। इनकी तिथि लगभग ई. पू. 2000 मानी गई है। उत्तरी और पश्चिमी अनेक क्षेत्रों में, इस संस्कृति के जनकों ने सर्वप्रथम तांबे का प्रयोग प्रारंभ किया। इस संस्कृति के लोग प्रायः अपने मृतकों को वृत्ताकार समाधियों मे दफनाते थे।
इस संस्कृति की उत्पत्ति के संबंध में, अभी निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सका है। परंतु कुछ प्रागितिहासज्ञ स्पेन या हेगरी (बोहेमिया) को इसका उद्भव-स्थल मानते हैं। ब्रिटेन और निचले देशों (low countries) में, यह एक स्वतंत्र संस्कृति के रूप में उभरी।
  • Beaker people -- बीकर जन
प्रागैतिहासिक उत्तर-कांस्ययुगीन संस्कृति के यूरोपीय लोग। इनका रचनाकाल अनुमानतः ई. पू. 2000 के लगभग रहा होगा। इनके भौतिक अवशेषों में नोकदार कटार, काँटेदार एवं नोकदार धनुष तथा कुठार आदि हैं। इस संस्कृति के अंतर्गत शवाधान-गर्त स्तूपाकार होते थे।
देखिए: 'Beaker Culture.'
  • bec-de-flute burin -- बेक-द-फ्लूत ब्यूरिन
जब उत्कीर्णकमुख (graver face) के दूसरी ओर एक शल्क-चिह्न निर्मित होता है तो उसे बेक-द-फ्लूत कहते हैं। यह सबसे साधारण किस्म की तक्षणी (ब्यूरिन) होती है।
  • beehive shaped house -- छत्ताकार गृह
(1) ई. सातवीं से बारहवीं शताब्दी के आयरलैंड तथा स्काटलैंड के शंक्वाकार गृह, जिनके अवशेष उत्खनन में मिले हैं।
(2) मधुमक्खी के छत्ते के आकार-प्रकार का बना हुआ घर। इस प्रकार के आवास प्राचीन भारत में भी विद्यमान रहे हैं।
  • beehive shrine -- छत्ताकार मंदिर
मधुमक्खी के छत्ते जैसा बना मंदिर।
  • beehive tomb -- छत्ताकार मकबरा
मधुमक्खी के छत्ते के आकार से मिलता-जुलता मकबरा। इस प्रकार का भूगर्भित मकबरा यूनानी प्रागैतिहासिक स्थलों में मिला है, जिसकी छत कदलिका-बंध प्रणाली से बनी है। इसका आकार गुंबदी छत की तरह है। सबसे प्रसिद्ध छत्ताकार मकबरा माइसीन में मिला था, जिसे 'एंटियस का खजाना' कहा जाता है।
  • bell barrow -- घंटाकार बरो
वह उन्नत भू-भाग, जो घंटे के आकार जैसा हो; घंटाकार समाधि।
  • bell beaker -- घंटाकार बीकर
यूरोप में, कांस्य युग के प्रागैतिहासिक जन द्वारा प्रयुक्त घंटाकार विशेष प्रकार का मृद्भांड।
देखिये : 'beaker'
  • bell capital -- घंटाशीर्ष
स्तंभ का वह ऊपरी भाग, जिसका आकार घंटा जैसा बना हो।
  • bench mark -- 1. तलचिह्न, संदर्भ चिह्न
सर्वेक्षण एवं उत्खनन में प्रयुक्त, स्थायी ऊर्ध्वतामापी चिह्न। इस चिह्न को सर्वेक्षण के दौरान, ऐसे स्थल पर लगाया जाता है, जहाँ से मापन कार्य किया जा सके।
2. निर्देश-चिह्न
ज्वार-भाटे के पर्यवेक्षण के लिए बना वह चिह्न, जो किसी स्थायी वस्तु पर आधार तल से युक्त हो। यह एक ऐसा संदर्भ स्थल भी हो सकता है, जहाँ से किसी भी प्रकार की पैमाइश की जा सके।
  • bench method -- बेंच प्रणाली, तल चिह्न प्रणाली
पुरातात्विक उत्खनन की पूर्व प्रचलित प्रविधि। इसमें उत्खनन में प्राप्त प्रत्येक वस्तु और भवन का अभिलेखन किसी मानकित तल (बेंच लेवल) के आधार पर किया जाता है। ई. 1927- 31 में मोहनजोदारो की खुदाई के अभिलेखन, इसी प्रणाली के आधार पर तैयार किए गए थे। इस प्रणाली के अनुसार यह माना जाता है कि आधार-रेखा के नीचे (या ऊपर) स्तर विशेष की सब वस्तुएँ या संरचनाएँ, उसी स्तर-विशेष से संबद्ध अर्थात समकालीन होती हैं।
  • bench nook -- (भीतर की ओर) दबा हुआ भाग, आला
दक्षिण-पश्चिमी अमरीकी पुरातत्व में प्रयुक्त, बेंच के भीतर की ओर का दबा हुआ भाग या आला। इस प्रकार की संरचना कीवा (kiva) में मिलती है, जो 'प्यूबलो इंडियन' वास्तुकला की देन है।
  • bent-bar coin -- वक्र शलाका-मुद्रा
प्राचीन काल में प्रयुक्त, चाँदी या तांबे के चिह्नांकित लंबे सिक्के, जिन्हें छड़ों को काटकर बनाया जाता था। इन सिक्कों पर आहत विधि से नाना प्रकार के चिह्न अंकित किए जाते थे। साधारण आहत मुद्राओं की अपेक्षा इनका भार अधिक होता था। ये अधिकतर ईसा पूo चौथी-तीसरी शती पूर्व के मिले हैं।
  • berm -- बर्म, उपतट
वह समतल स्थान, जो किसी समाधि के मध्यवर्ती उभारदार टीले को, उसके चारों ओर बनी खाई से अलग करता है; किसी प्राचीन और खाई के बीच का समतल धरातल।
  • Bes -- बेस
प्राचीन मिस्र का अर्ध-देवता। कुरूप आकृतिवाला यह अर्ध देवता जादू एवं कदाचार के विरूद्ध मनुष्य का रक्षक माना जाता था। इसे आनंद का देवता भी माना जाता था। अति पुरातन काल में इसकी आराधना होती थी। फीनिशियायी लोगों में यह देवता बहुत लोकप्रिय था। समस्त यूनानी-रोमन साम्राज्य से लेकर, मध्यकाल तक इसकी आकृति प्रायः ताबीजों में अंकित की जाती थी।
  • bi -- पी
जेड की बनी चक्री जिसके मध्य भाग में छिद्र बना होता था। ऐसी चक्री चीन के बेयिनयांग-यिंग तथा अन्य नवपाषाणकालीन स्थलों से प्राप्त हुई है, जहाँ वे ई. पू. चौथी-तीसरी सहसा्रब्दी में प्रचलित थी।
  • bickern -- शृंगी निघात
1. एक प्रकार की निघाती।
2. वह छोटी निघाती, जिसमें सींग के आकार की नोक बनी होती थी।
  • bicone -- द्विकोण
दो भिन्न दिशाओं से आकर एक स्थान पर मिलनेवाला धरातल द्विशंकु; वह ठोस वस्तु, जिसके दोनों छोर नुकीले हों।
  • bicone beads -- द्विकोण मनके
मिस्री तथा सुमेरी आरंभिक सभ्यताओं तथा प्राचीन भारत में व्यवहृत माला के वृत्ताकार मनके, जिनके दोनों छोर प्रायः नुकीले होते थे।
  • biface tool -- द्विमुख उपकरण
पत्थर का बना, विशेषकर चकमक पत्थरवाला उपकरण, जिसे दोनों ओर से चपटा बनाया गया हो। प्रागैतिहासिक काल में, इस प्रकार के उपकरणों का प्रचलन अधिक था।
  • bifacial -- 1. द्विपृष्ठी (य)
एक ही प्रकार के विपरीत धरातल-वाला।
2. द्विमुखी (य)
दो मुखवाला, विशेषकर विपरीत दिशाओं में बने दो मानव मुखवाला। प्राचीन इटली के द्वार-रक्षक देवता जेनस के संबंध में यह कहा जाता है कि उसके सिर के आगे और पीछे दोनों ओर दो मुँह बने थे।
प्राचीन भारतीय कला में दो मुखी आकृतियाँ मिली हैं, जिनमें एरण (जिला सागर) की गुप्तकालीन गरूड़ प्रतिमा उल्लेखनीय है। यह प्रतिमा 14.4 मीटर ऊँचे गरूड़ध्वज स्तंभ-शीर्ष पर दोनों ओर बनी है, जिसका निर्माण गुप्त सम्राट बुद्धगुप्त के राज्य-काल में ई. 484 में हुआ।
  • Big Game Hunting tradition -- बड़े पशुओं के आखेट की परंपरा
उत्तरी अमरीका के अत्यन्तनूतन (Pleistocene) युग के अंतिम चरण तथा नूतनतम (Holocene) युग के प्रारंभ की बड़े पशुओं के आखेट की परंपरा, जो तत्कालीन चरागाही पर्यावरण के अनुकूल थी। 'क्लोविस' एवं 'फॉलसम' प्रकार के पत्थर के बने 'नुकीले' प्रक्षेपास्त्र इसकी विशेषता थे।
  • bilateral flat base tool -- द्विपक्षीय समतल उपकरण
प्रागैतिहासिक समतलीय पाषाण उपकरणों का एक प्रकार, जिसके दोनों पार्श्वों में से शल्कों को इस प्रकार निकाला जाता था कि छोरवाले भाग में नोक (point) बन जाती है। इसके सभी किनारों से शल्क निकाले जाते थे। आकार में यह उपकरण नौका के समान होता था। यह अनुमान किया जाता है कि इस उपकरण के कुंठित किनारों को नुकीला बनाने में सोपान-शल्कन प्रविधि का प्रयोग होता रहा होगा।
  • bilingual inscription -- द्विभाषिक शिलालेख
दो भाषाओं मे तक्षित या उत्कीर्ण अभिलेख। इस प्रकार के लेखों मे कंधार से प्राप्त, मौर्य सम्राट अशोक का, यूनानी और खरोष्ठी लिपी में उत्कीर्ण लेख प्रसिद्ध है। हिंद-यूनानी तथा शक-पह्लव बहुसंख्यक सिक्कों पर यूनानी तथा खरोष्ठी लिपियों में द्विभाषिक लेख मिले हैं।
  • billet moulding -- बेलन खंड सज्जापट्टी
नार्मन वास्तुकला में प्रचलित सज्जापट्टी, जो लकड़ी के कुंदे जैसी बेलनाकार होती है।
  • bimorphic art -- जीवाकृति कला
वह चित्रकला जिसमें अमूर्त जैव आकृतियाँ बनाई गई हों। पुरातत्व जगत में इस शब्द का उद्भव परवर्ती पुरापाषाणकालीन कतिपय लघु पाषाणों पर चित्रित अभिप्रायों की अभिव्यक्ति के संदर्भ में हुआ था।
  • binder -- योजक द्रव
चित्र निर्माण में प्रयुक्त वह तरल पदार्थ जिसे रंग में मिलाकर चित्रित किया जाता था, जिससे चित्र धरातल पर मज़बूती से जमा रहे। तैल चित्र निर्माण में अलसी का तेल, पोस्त का तेल तथा गोंद योजक द्रव्य रूप में प्रयुक्त होते थे।
  • bipolar technique -- द्विध्रुवीय प्रविधि
प्रागैतिहासिक काल में, पत्थर के औजार बनाने का दो धुरीवाला या दो सिरोंवाला तरीका, जिसमें निकाले हुए शल्कों का अर्ध शंकु, शल्क तल पर एक ओर न होकर दोनों ओर बना होता है। अनुमान है कि इस प्रकार के शल्कों का निर्माण दोलाघात प्रविधि (swinging blow technique) से किया जाता था। इस प्रविधि में, विखंडनीय पत्थर को, किसी ठोस धरातल पर कसकर टिकाया जाता था और फिर चलायमान हथौड़े से तीव्र प्रहार कर तोड़ा जाता था। हथौड़े के प्रहार से क्रोड के ऊपर और नीचे अर्ध शंकु बन जाता था। ऊपर की ओर प्रत्यक्ष आघात से अर्ध शंकु तथा नीचे की ओर अप्रत्यक्ष आघात से अर्ध शंकु बनता था।
इस प्रविधि का प्रयोग प्राथमिक शल्कीकरण के लिए किया जाता था। ऐसा अनुमान है कि पीकिंग मानव ने पाषाण-उपकरण के निर्माण में, इस प्रविधि का प्रयोग किया था।
  • birch bark manuscript -- भोजपत्र पांडुलिपि
भोजवृक्ष के पत्तों पर हस्तलिखित पोथी। प्राचीन भारत में कागज़ के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों को भोजपत्रों पर लिखा जाता था। उन्हें भोजपत्री पोथी भी कहा जाता है।
  • bird, boat and sun disc motif -- पक्षी, नौका तथा सूर्य मंडल प्रतीक
हालस्टाट युगीन कला में प्रयुक्त एक अलंकरण, जिसमें बिंदु और गोल रेखाकृति बनाकर पक्षी, नाव और सूर्य की आकृति बनाई जाती थी। अनुमानतः इस अलंकरण का कोई धार्मिक महत्व रहा होगा।
हाल्स्टाट मध्य यूरोप की प्रसिद्ध प्रागैतिहासिक संस्कृति है। इस सभ्यता का काल ई. पू. 1500 माना जाता हैं। प्राचीन भारतीय सिक्कों तथा मुद्राओं पर भी इस प्रकार के प्रतीक अंकित मिले हैं।
  • bitumen -- बिटुमेन, डामर
(क)तुर्की के एक एस्फाल्ट का एक प्रकार जिसका प्रयोग प्राचीन काल में सीमेंट और गारे के रूप में किया जाता था। इस प्रकार के प्रयोग के उदाहरण अन्य अनेक पुरातात्विक संस्कृतियों में भी उपलब्ध हैं।
(ख) मुख्यतः हाइड्रोकार्बन से संघटित गहरे भूरे से लेकर कालेरंग का एक प्राकृतिक पदार्थ जो अपेक्षतया कठोर और अवाष्पशील होता है।
  • Black and Red Ware -- काले और लाल मृद्भांड
ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि से पहली सहस्राब्दि तक विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों से प्राप्त मृद्भांड, जिसका बाहरी भाग लाल और आंतरिक भाग काले रंग का था। समझा जाता है कि इन भांडों को आँवों में उल्टे रखकर पकाया जाता था।
  • black figure ware -- काली आकृतियुक्त मृद्भांड
यूनानी मृद्भांड अलंकरण की लगभग ई. पू. 720 से प्रचलित शैली विशेष जो मुख्यतः कोरिन्थ और एथेन्स में प्रयुक्त होती थी। इन शैली के मिट्टी के बरतनों के लाल धरातल पर काले रंग से मानवों और पशु-आकृतियाँ बनाई जाती थी। यह परंपरा ई. पू. 530 तक प्रचलित थी।
  • Black Pottery Culture -- काले मृद्भांड
चीन के सेन्डोंग लोंकसांन की नवपाषाणकालीन संस्कृति जिसमें चाक निर्मित काले रंग के पतले मृद्भांड मिले हैं।
  • blade -- फलक
प्रायः समानांतरभुजी लंबा शल्क, जिसे विशेष रूप से बनाए गए क्रोड (core) से निकाला गया हो। फलक की लंबाई सामान्यतः चौड़ाई से अधिक होती है और इससे दूसरा उपकरण भी बनाया जा सकता है। उत्तर-पुरापाषाण काल के आरंभ में, फलक से बनाए गए उपकरण बहुतायत में मिले हैं। इन फलकों का वर्गीकरण अपरिष्कृत, अर्धपरिष्कृत तथा परिष्कृत तीन रूपों में किया जाता है। आकार की दृष्टि से इनके अनेक उपवर्ग किए जा सकते हैं।
भारत में, प्रस्तर फलकों का सर्वोत्तम विकास ताम्रपाषाणयुगीन संस्कृतियों में हुआ। सिंधु सभ्यता में भी चर्ट पत्थर के लंबे फलक बहुत प्रचलित रहे।
  • bleeper -- ब्लीपर
चुंबकत्वमापी (मैगनेटोमीटर) के सिद्धांत पर आधारित सर्वेक्षण कार्य के लिए प्रयुक्त एक उपकरण, जिसमें दो संसूचक (elector) बोतलों का प्रयोग किया जाता है। एक बोतल धरातल के निकट और दूसरी धरातल से 1 3/4 मीटर ऊपर रखी जाती है। भूमि के अंदर की चुंबकीय संगतियों का प्रभाव ऊपर की अपेक्षा नीचे की बोतल पर अधिक होता है। सर्वेक्षण के लिए यह प्रणाली अधिक सरल और कम खर्चीली है।
  • block figure -- रूढ़ाकृति, धनाकृति
मूर्तिकला का एक प्रकार, जिसमें प्राकृतिक रूप का निरूपण, ज्यामितिक घनाकृति के गठन के रूप में किया जाता है।
  • block-on-block technique -- स्थिर घन प्रविधि
निहाई तकनीक (anvil technique) के नाम से प्रसिद्ध तकनीक जिसे स्थिर घन प्रणाली या स्थिर हथौड़ा प्रविधि भी कहा जाता है। इसमें निहाई घन अथवा हथौड़ा एक स्थान में स्थिर रखा जाता हैऔर उपकरण बनाया जानेवाला प्रस्तर, चलायमान और गतिशील रहता है और उसे स्थिर निहाई से बार-बार टकरा कर मनोवांछित आकार-प्रकार दिया जाता है।
इस प्रविधि की दो रीतियाँ हैं। पहली में विखंडन के लिए प्रयुक्त प्रस्तर, यदि बहुत बड़ा हो तो उसे निहाई पर पटककर तोड़ा जाता है। दूसरी रीति में, उपकरण बनाने के लिए काम में लाए जानेवाले प्रस्तर खंड को दोनों हाथों से पकड़, घुमा-फिरा कर स्थिर निहाई से टकराकर मनोवांछित आकार-प्रकार बना दिया जाता था।
देखिए : 'anvil technique'
  • blotesque -- 1. अमार्जित कलाकृति, विकृष्ट कला
ऐसी कलात्मक रचना जो बहुत ही साधारण बनी हो तथा जिसमें कलात्मक मार्जक न हो।
2. धब्बेदार चित्रकारी
ऐसी चित्रकारी जिसमें बड़े-बड़े धब्बे बने हुए हों।
  • Boat axe culture -- नौ-कुठार संस्कृति
स्वीडन, फिन्लैंड, बोर्नहोन एवं पूर्वी डेन्मार्की द्वीपसमूह की संस्कृति का एक उप-प्रकार, जिसके अंतर्गत एक शवाधान में, एक ही व्यक्ति को दफनाया जाता था। प्रागैतिहासिक, नार्डिक संस्कृतियों से, इस संस्कृति के लोगों ने यह प्रथा ग्रहण की थी। नौ-कुठार संस्कृति का प्रमुख उपकरण पत्थर का बना एक पतला कुठार था, जो आकार में उलटी-नाव से मिलता-जुलता था।
  • boat burial -- नौका-शवाधान
मृत व्यक्ति को तटीय क्षेत्रों में नौका सहित उत्सर्ग की उत्तरी यूरोपीय क्षेत्रों में प्रचलिट प्रथा। स्केन्डेनेविया में रहनेवाले वाइकिंग ई. 700 से ई. 1100 के लोग नौका-निर्माण तथा नौचालन में अत्यधिक प्रवीण थे और वे मृत व्यक्तियों का शवाधान नौका सहित करते थे।
नौ-अधिपतियों की मृत्यु के उपरांत प्रायः नौकाओं सहित ही उन्हें दफन कर दिया जाता था। आज भी उनके अवशेष ओस्लो जोर्द के तटों पर मिलते हैं। आंग्ल-सैक्सन ब्रिटेन में, इस प्रकार के तीन महत्वपूर्ण शवाधान मिले हैं, जिनमें सुत्तन-हो (सफ्फोक) का नौका शवाधान विशेष उल्लेखनीय है। इसमें पुरातात्विक महत्व की अनगिनत वस्तुएँ मिली हैं जिनसे तत्कालीन रीति-रिवाजों एवं समुद्रगामी इतिहास का ज्ञान होता है।
  • bodkin -- 1. सुआ
लोहा, अस्थि, हाथी-दाँत आदि का बना, आगे की ओर से नुकीला उपकरण, जो वस्त्र या चर्म आदि में छेद करने के काम में लाया जाता है।
2. केश-चिमटी
कटार या खंजर के आकार की अलंकृत बाल-पिन।
  • Boelling interstadial -- ब्योलिंग उप अंतराहिमानी प्रावस्था
मध्य-यूरोप व्यूर्म हिमानी युग के अंतिम चरण की एक उपअंतरा हिमानी अवस्था। भूविज्ञान में वीससेलियन चतुर्थक हिमतटीय निक्षेपों का समूह है जो उत्तर पश्चिम योरोप में रहा। इसकी प्रमुख विशेषता अग्रांतस्थ मोरेन (end morains) थी। कार्बन 14 तिथियों के आधार पर व्योलिंग उपअंतराहिमानी प्रावस्था का काल ई. पू. 11000 और ई. पू. 10000 के बीच निश्चित किया गया है।
  • bog -- दलदल
वह जमीन जो गहराई तक गीली हो और जिसमें पैर नीच को धंसता हो। ऐसे स्थलों में पौधों की वे किस्में मिलती हैं, जो अम्लीय जलयुक्त पर्यावरण में होती है। योरोप में इस प्रकार की भूमि में अनेक पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए हैं। दलदली भूमि में पराग कण भी बहुधा सुरक्षित रहते हैं।
  • bog burial -- दलदल-शवाधान
मानव अस्थि पंजरों के शवाधान जो दलदल वाले क्षेत्र में मिलते हैं। उत्तरी योरोप और स्केन्डेनेविया के उत्खननों में ऐसे शवाधान समूह प्राप्त हुए हैं। पीट-दलदल में विद्यमान रसायनों के फलस्वरूप शव बहुत अच्छी स्थिति में सुरक्षित हैं। इन शवाधानों का समय प्रागैतिहासिक से ऐतिहासिक काल तक है।
  • Boian -- बोयन
पूर्वी रूमानिया और बल्गारिया की (लगभग ई. पू. 3500-ई. पू. 2700) नवपाषाणकालीन संस्कृति। इस काल में छोटे-छोटे टीलों पर बस्तियाँ बसी होती थी। इस काल के मृद्भांडों पर ऐसी ज्यामितिक आकृतियाँ मिली है, जिन्हें सफेद लेप से भरा गया है। प्राप्त अवशेषों से यह भी ज्ञात होता है कि इस युग में तांबे का प्रयोग आरंभ हो गया था।
  • bolas -- बोला, गोफन
छींके के आकार का एक प्रकार का प्रक्षेपास्त्र, जिसमें डोरी के छोर पर बनी जाली में पत्थर के ढेले आदि रखकर पशु-पक्षी आदि भगाने के लिए उसे चलाया जाता है। इसे फन्नी और ढलवांस भी कहा जाता है।
  • Bondi point -- बोन्डी वेधनी
लघु आकार की असममित पृष्ठित पाषाण वेधनी जिसका नामकरण आस्ट्रेलिया के बोन्डी (सिडनी) से हुआ है। यह आकार में 5 सेंटीमीटर से कम लंबी होती है तथा इसमें एक ही तरफ धार बनी होती है। इसके प्राचीनतम नमूने दक्षिणपूर्वी आस्ट्रेलिया में प्राप्त हुए हैं जिनका काल ई. पू. 3000 रेडियो कार्बन विधि से निर्धारित किया गया है। पृष्ठित भाग में विद्यमान गोंद के अवशेष सूचित करते हैं, इसे लकड़ी या हड्डी के हत्थों में फँसाया जाता था।
  • boomerang -- बूमरेंग
आस्ट्रेलिया की आदिम जनजातियों का काष्ठ निर्मित प्रक्षेपी अस्त्र जिसका ऊपरी भाग मुड़ा हुआ और नीचे का चपटा होता है। बूमरेंग घुमा कर इस प्रकार फेंका जाता है कि फेंकने वाले स्थान पर वापस आ जाता है। इसके दोनों सिरे भिन्न-भिन्न तलों पर होते हैं। कतिपय उपकरणों के संदर्भ में बूमरेंग के रूप में उपयोग की सम्भावना व्यक्त की गई है।
  • borer -- वेधक, रंध्रक
उत्तर पुरापाषाण काल तथा परवर्ती कालों मे चकमक या अन्य पत्थर तथा धातुओं के वेधक प्राप्त होते हैं जिनका प्रयोग सूराख करने के लिये किया जाता था।
  • boshanlu -- बोशान्लू, धूपदान
मिट्टी का कांसे का बना धूपदान जिसका छिद्रित ढक्कन पर्वत शिखर का प्रतीक था। इसका निचला भाग डंडीदार तथा ढक्कन कोणकार होता था, जिस पर अनेक प्रकार की आकृतियाँ रहती थीं। अधिकांश नमूने पश्चिमी हान काल के हैं।
  • bosing -- बुसिंग
भूगर्भित खाइयों एवं गर्तों आदि के पता लगाने की विधि। भूमि के धरातल पर लकड़ी के डंडे या सामान्य गैंती के हल्के से प्रहार कर उससे उत्पन्न ध्वनि के आधार पर भूगर्भित क्षेत्र की आंतरिक स्थिति का पुर्वानुमान किया जाता है। जब भूगर्भ के नीचे कुछ अवरोध उत्पन्न होता है, तब प्रहार की ध्वनि बहुत क्षीण होकर जाती है।
  • boss -- 1. उठान, उभराफुल्ला
(क) छाल, आभूषण, पात्र आदि मे किसी चिह्न, फूल या प्रतीक का आधार।
(ख) उभरा ठप्पा, फुल्ला।
2. कीलमुख
कील का वह भाग जो आलंकारिक रूप में बाहर रह जाता है।
3. अंडस्कंध
गुंबद का उठा हुआ ऊपरी भाग।
  • bossed bone plaque -- उभरी आकृतियुक्त अस्थि फलक
किसी पशु की लंबी हड्डी के ऊपर वृत्ताकार या अंडाकार उभरी पंक्तिबद्ध आकृतियों से युक्त फलक। इसs सुंदर रूप देने के लिए अस्थि के धरातल को उत्कीर्ण कर, अनेक प्रकार के रूपांकन किए गए हैं। इस प्रकार के चपटे आधार से युक्त नमूने, ई. पू., तीसरी सहस्राब्दि में लेरना और ट्राय तथा कुछ अन्य भूमध्य सागरीय स्थानों से मिले हैं। इनके बनाने का क्या उद्देश्य रहा होगा, यह अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया हैं।
  • bossed ornamentation -- ककुद अलंकरण
धरातल के ऊपर किया गया उभरा सजावटी काम। इसे उत्थ अलंकरण भी कहा जाता है।
राजचिह्न अंकित ककुद अलंकरण से युक्त अनेक उपकरण आदि प्राप्त हुए हैं।
  • boucher -- मुष्टि-कुठार, बुशे
फ्रांसीसी पुरातत्ववेत्ता, बुशे दे पर्थस (ई. 1788-ई. 1868) द्वारा खोजा गया और उसके नाम पर नामित एक पुरापाषाणकालीन हस्तकुठार। इसे 'कुदप्वाँ' भी कहते हैं।
देखिए 'handaxe'
  • boulder clay -- गोलाश्म मृत्तिका
मृत्तिकामय अथवा सिल्टमय पदार्थों से निर्मित एक अवर्गीकृत हिमनदीय निक्षेप जिसमें रेणु (बालू) से लेकर गोलाश्म आकार तक के शैल खंड अन्तः स्थापित रहते हैं। इस प्रकार के जमावों में यदा-कदा प्रागैतिहासिक अवशेष भी प्राप्त हुए हैं, यथा पहलगाँव, कश्मीर।
  • bouleuterion -- सीनेट सदन
प्राचीन यूनान का सीनेट सदन जिसे सोलोन ने, एथेन्स में स्थापित किया था। इस सदन में प्रति कबीला 100 सदस्यों की दर से चारों आयोनी कबीलों से 400 प्रतिनिधि लिए जाते थे।
  • bow -- धनुष, कमान
नुकीले तीर फेंकने के लिए बना अर्ध गोलाकार एक प्रकार का अस्त्र, जिसे बाँस, बेंत या धातु के लचकदार डंडे को झुकाकर उसके दोनों सिरों के मध्य डोरी या ताँत बाँधकर बनाया जाता है। धनुष की डोरी पर, तीर को तानकर फेंका जाता है। धनुष को मानव द्वारा निर्मित प्रथम यंत्र माना जाता है। प्रागैतिहासिक काल से इसका प्रचलन रहा है। आदिम जनजातियों में आज भी इसका प्रयोग होता है।
  • bowl -- 1. कटोरा
विशेषकर तरल पदार्थों को रखने के लिए, विभिन्न आकार प्रकारों में मिट्टी, पत्थर, धातु, काठ आदि का बना एक पात्र, जिसके किनारे ऊपर की ओर अपेक्षाकृत कम उठे होते हैं और बीच का भाग पर्याप्त चौड़ा होता है।
2. चषक
ऊपर की ओर उठे किनारोंवाला वह प्याला या चमस, जिसमें शराब ढाल कर पी जाती है। सुरापान के लिए बने इस पात्र को पानपात्र कहा जाता है। वैदिक काल में सोमरस पीने के लिए प्रयुक्त प्यालों को चमस कहा जाता था।
  • bowl barrow -- कटोरा समाधि
कटोरानुमा अर्धगोलाकार स्तूप।
  • box flue -- उष्ण वात प्रवाहिका
रोमन भवनों विशेषकर स्नानागारों की दीवारों और छतों के अंदर लगी बक्साकार पकी मिट्टी की खोखली टाइलें जिनके अंदर से गर्म हवा प्रवाहित की जाती थी।
  • box grave (=cist grave) -- पेटिकाकार शवाधान
बक्से के आकार की बनी कब्र, जिसके किनारों पर पाषाण खंड और ऊपर पत्थर की पट्टियाँ लगी होती हैं। ये ताबूती कब्रें भूमिगत या भूमि के ऊपर बनी होती हैं। इनके ऊपर कभी-कभी संरक्षी संरचना बनी होती है।
  • BP -- वo पूo (वर्तमान से पूर्व)
अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षरों 'BP' वर्तमान से पहले के वर्षों का संकेत देते हैं। वर्तमान से तात्पर्य ई. 1950 है जिसे वैज्ञानिकों ने मानक-वर्ष के रूप में स्वीकार किया है, जब वायुमंडल अपेक्षाकृत कम प्रदूषित था। अंशशोधित रेडियोकार्बन तिथियाँ अंग्रेजी के बड़े अक्षरों 'BP' में निर्दिष्ट होती हैं। देवनागरी में इस प्रकार की तिथियाँ अरेखांकित 'वo पूo' द्वारा निर्दिष्ट की जा सकती है।
  • bp -- वo पूo, bp
अंग्रेजी वर्णमाला के छोटे अक्षरों में दर्शाए गए 'bp' अक्षर अनंशशोधित रेडियो कार्बन वर्षों को द्योतित करते हैं। देवनागरी में रेखांकित वo पूo द्वारा इन्हें दर्शाया जा सकता है।
  • bracket ornament -- टोडा अलंकरण
पुराने ढंग के भवनों में, दीवार से बाहर की ओर निकले, विशेष बनावट के पत्थर या काष्ट खंड, जो आगे बड़े छज्जे को साधने के लिए दीवार में गाड़े जाते हैं। टोडों पर तक्षण-क्रिया द्वारा की गई सजावट को 'पोतिका अलंकरण' कहा जाता है।
  • Brahmagiri culture -- ब्रह्मगिरि संस्कृति
कर्नाटक प्रदेश के चित्रदुर्ग जिले में, ब्रह्मगिरि नामक स्थान में खोजी गई प्राचीन संस्कृति। यहाँ पर 300 कोष्ठ निखात प्राप्त हुए हैं जिनमें मृद्भांडों के अन्दर, मानव-अस्थियाँ रखी मिली हैं। कालक्रमानुसार इस संस्कृति का विभाजन इस प्रकार किया गया है :-
(1) घृष्ट प्रस्तर कुल्हाड़ी संस्कति।
(2) महापाषाण संस्कृति, जिसमें लोहे का प्रयोग होने लगा था।
(3) आन्ध्र संस्कृति, जिसमें लोहे के प्रयोग के साथ चाकों की सहायता से मृद्भांड भी बनने लगे थे।
ई. 1947 में सर मार्टीमर व्हीलर ने इस संस्कृति की कालावधि ई. पू. प्रथम सहस्राब्दि से ई. तीसरी शताब्दी के मध्य आँकी है।
  • broach -- 1. शिखर
भवन, मंदिर, गिरजाघर का अष्टास्र (आठ कोणों वाला) शिखर। भारतीय मंदिर वास्तुकला की द्रविड शैली; अष्टकोणात्मक 'स्तूपी'।
2. पत्थर गढ़ना (क्रिo)
मोटे या स्थूल पत्थर की गढ़ाई जो भारी हथौड़े और छैनी से की जाती है।
3. नुकीली छैनी
विशेषकर पत्थर तराशी के लिए प्रयुक्त धारलावी नुकीली छैनी।
4. बरमा
वह सुतारी, जिससे छेद किया जाता है।
  • brocade style -- कमख्वाब शैली
रेशम या सिल्क से बने कपड़े पर, सोने-चाँदी के तारों या कलाबत्तू से बेलबूटाकारी का काम, जो प्रायः उभरा हुआ होता है। इसे जरी का काम भी कहा जाता है।
  • broch -- ब्रोक, वृत्ताकार पाषाण मीनार
लगभग ईसा सन् के प्रारम्भ की एक प्रकार की गोल आकार की पाषाण मीनारें जो आर्कनी और शेटलैंड द्वीपों तथा स्काटलैंड में प्राप्त हुई। इनकी दीवारें प्रायः दोहरी होती थीं और चिनाई सूखी होती थी। दीवारों की अधिकतम मोटाई 4 मीटर तथा व्यास 12 मीटर होता था। इनमें अनेक कक्ष, सीढ़ियाँ और वीथिकाएँ बनी होती थीं।
  • bronteum -- गर्जन कक्ष
प्राचीन रंगशालाओं में प्रयुक्त युक्ति, जिसमें कांसे के बर्तनों की सहायता से मंच को प्रकंपित किया जाता था।
  • bronze culture -- कांस्य संस्कृति
मानव-संस्कृति के विकास का द्वितीय काल, जिसमें उपकरण, पात्र और शस्त्रादि कांस्य के बने होते थे। पश्चिम एशियाई एवं यूरोपीय प्रागैतिहास में इस पद का व्यापक प्रयोग मिलता है। हड़प्पा संस्कृति के लोग, ताम्र और कांस्य उपकरणों का प्रयोग करते थे। एशिया की कांस्ययुगीन संस्कृति में लेखन कला का भी प्रचलन हो गया था। भूमध्य सागरीय क्षेत्र में इजियन (मिनोअन तथा माईसिनियाई-प्रथम यूरोपीय सभ्यता), मध्य यूरोप (यूनेटिस), स्पेन (अल-अरगर), ब्रिटेन (आयरलैंड तथा वेसेक्स संस्कृति) विद्यमान थी। कांस्य संस्कृतियों का काल भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग मिलता है। सामान्यतः पश्चिमी एशिया में इसका काल ई. पू. तृतीय एवं द्वितीय तथा प्रथम सहस्त्राब्दि माना जाता है।
  • bronze figure -- कांस्य मूर्ति, कांस्यकृति
तांबे और टिन के मिश्रण से बनी धातु मूर्ति या कृति। प्राचीन काल से, मूर्ति-निर्माण-कार्य में, यह मिश्रण प्रयुक्त होता रहा है। इसे एक टिकाऊ धातुमिश्रण माना जाता है।
प्राचीन भारत में, हड़प्पा तथा अन्य परवर्ती संस्कृतियों में कांस्यमूर्तियाँ उपलब्ध हैं।
  • bronzes -- कांस्य मूर्तियाँ
ढालकर बनाई गई कांसे की प्रतिमाएँ।
  • bubble level -- पनसाल; बुदबुद तलनिर्धारक
सर्वेक्षण में धरातल के निर्धारण में प्रयुक्त यंत्र विशेष।
  • bucchero -- बुकेरो
एक प्रकार के मृद्भांड जो विशिष्ट विधि से पकाये जाने के कारण धूसर तथा चमकीले हो जाते थे। ये मुख्यतः यूनानी भाषा के एवं एट्रस्कन क्षेत्रों में पाये गए हैं। इनका काल ई. पू. आठवीं से ई. पू. पाँचवीं शताब्दी तक माना जाता है।
  • bucentaur -- बृषभ-मानव
एक काल्पनिक दानव, जिसका आधा शरीर बैल और आधा शरीर मानव का माना जाता है।
  • bucket wheel -- रहट, अरघट्ट
गाँवों में खेतों की सिचाई के लिए प्राचीन काल से प्रयुक्त रहट में लगी हुई घिर्री, जिसके माध्यम से कुएँ या तालाब से जल निकाला जाता हैं। यह घंटी यंत्र एक गोलाकार पहिए के रूप में होता है, जिसमें रस्सी में पिरोई हुई डोलचियों की माला लगी होती है। सामान्यतया बैल या आदमियों द्वारा रस्सी खींचे जाने पर डोलचियों की माला ऊपर नीचे आती-जाती रहती है, जिससे पानी ऊपर लाया और अन्यत्र ले जाया जाता है।
  • buff slip -- पांडु लेप
मिट्टी के बने पात्रों को रंगने में प्रयुक्त मटमैला या गंदुमी रंग का लेप।
  • buff ware culture -- पांडुभांड संस्कृति
वह प्राचीन संस्कृति, जिसके मृद्भांड सामान्यतः पांडु रंगवाले होते थे।
  • built in storage bin -- अंतनिर्मित धान्य कोष्ठ
दीवार आदि से गोलाकार घेरा बनाकर अन्न सुरक्षित रखने के लिए बना कोठार या बखार।
  • Bukk culture -- बुक्क संस्कृति
उत्तरी हंगरी के बुक्क पर्वत-क्षेत्र की आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व की मध्य नवपाषाणकालीन संस्कृति। इनके उपकरणों में कुठार तथा अर्ध निर्मित, अप्रयुक्त चकमक फलक हैं। चित्रित एवं उत्कीर्णित मृद्भांड तथा आब्सीडी पत्थरों के दूर दूर तक प्राप्ति के आधार ऋतुप्रवास व विनिमय का आभास होता है।
  • bukranium -- गोमुख
गौ के मुख जैसा अलंकरण विशेष, जिसमें गौ या वृषभ का मुखोटा, पट्टियों या मालाओं के साथ बना और सजा होता है।
  • bulb bowl -- गमला
मिट्टी, धातु या लकड़ी का बना, चौड़े मुँह और बड़े आकार का पात्र, जिसमें फूल-पत्तियों वाले पौधों आदि को रखा जाता है।
  • bulb of percussion -- आघात कंद
हथौड़े द्वारा जब किसी क्रोड से शल्क निकाला जाता है तब आघात बिन्दु के निकट शल्क पर एक उभरी या फूली हुई गुल्लाकार आघात ग्रंथि बन जाती है जिसे आघात कंद कहते हैं। इस तरह के आघात कन्द सामान्यतया उपकरणों के मानव निर्मित होने के सूचक होते हैं।
  • bulbous -- 1. कंदाकार
किसी बेलनाकार वस्तु का गोलाकार विस्तार; बिजली के लट्टू या बल्ब के आकार का।
2. गंठीला, गाँठदार
बहुत-सी गाँठों या ग्रंथियोंवाला।
3. बुदबुदाकार
किसी छोटे आधार के ऊपर नाशपाती की तरह का फैलाव।
  • bulla -- लटकन ताबीज़
मिट्टी, धातु या चमड़े का बना ठोस या खोखला तावीज़, जिसका प्रयोग रोम और भारत में प्रचलित रहा है।
  • bung -- भांड-चिति
कुंभकारों द्वारा भट्टे में पकाने के समय नाजुक मृदभांडों की रक्षा के लिए बनाए गए पेटीनुमा आवरण।
  • burh -- बर, दुर्ग, किला
परवर्ती आंगल-सेक्सन कालीन इंग्लैंड के प्राचीरयुक्त छोटे नगर के लिए प्रयुक्त शब्द, जिनका उपयोग शत्रु के आक्रमण के समय शरण-स्थल के रूप में किया जाता था। वाइकिंग-आक्रमणकारियों से अपने देश की रक्षा के लिए नवीं शताब्दी में वेसेक्स के एल्फेड ने अनेक 'बरो' का निर्माण किया। दसवीं शताब्दी में इन्होंने विकसित नगरों का रूप धारण कर लिया।
  • burial -- 1. दफन
किसी मृत व्यक्ति या उसके शरीर के किसी अंग को भूमि में, कक्ष या कलश में स्थापित कर गाड़ना।
2. कब्र
वह स्थान, जहाँ पर किसी मृत शरीर को भूमि की सतह के नीचे बनाए गए गढ़े में रखकर मिट्टी से ढक दिया जाता है।
3. दफनाना
दफन करने का कार्य या संस्कार।
4. शवाधान
भूगर्भित मानव-शरीर या उसके अवशेष।
5. भू-निवेश
जमीन में गाड़ना या सुरक्षित रखना।
  • burial chamber -- शवाधान कक्ष
कब्र का वह भीतरी स्थान, जिसमें शव को रख और ऊपर से पाट कर मिट्टी से ढक दिया गया हो।
  • burial custom -- शवाधान प्रथा
किसी जाति, समाज, धर्म अथवा संप्रदाय में, मृत शरीर या उसके किसी अंग को भूमि, तुंब, तहखाने या जल के नीचे गाड़ने की रीति, जो प्रत्येक धर्म और संप्रदाय में सुनिश्चित और निर्धारित नियमानुसार होती है। अनादि काल से मानव शरीर के इस अंतिम संस्कार को अति पवित्र एवं नैसर्गिक संस्कार माना जाता रहा है। प्रागैतिहासिक मानवों की कब्रों से प्राप्त अवशेषों और वस्तुओं से उनकी सभ्यता एवं संस्कृति का बोध होता है।
  • burial deposit -- शवाधान निक्षेप
1. शव के साथ दफनाई गई वस्तुएँ।
2. उत्खनन में प्राप्त शव के अवशेष।
  • burial ground (= burial place) -- शवाधान-भूमि, कब्रिस्तान
मुर्दों को गाड़ने या दफनाने का स्थान।
  • burial jar -- शवाधान-कलश
चौड़े मुँहवाला और घड़े की तरह गहरा मृदपात्र, जिसमें शव को रखा जाता था। यह प्रथा भूमध्यसागरीय क्षेत्र व अनातोलिया में, पूर्व कांस्य युग में प्रचलित थी। भारत में भी इस प्रकार के शवाधान मिले हैं।
  • burial memorial -- शवाधान-स्मारक
किसी मृत व्यक्ति की स्मृति में, उसके देहावशेष के ऊपर बनाई गई संरचना, उदाहरणार्थ, ताजमहल, जिसे शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज महल की यादगार में बनवाया था।
  • burial mound -- शव-टीला
मृत व्यक्ति की स्मृति बनाए रखने के लिए उसकी समाधि के ऊपर निर्मित ऊँचा ढूह या टीला। पूर्वी उत्तरी अमरीकी 'इंडियन' लोगों में इस प्रकार के टीलों के निर्माण की परंम्परा ई. पू. 1000 से लेकर ई. 700 तक रही।
  • Burial Mound Period -- शवाधान टीला काल
पूर्वोत्तर अमरीकी प्रागितिहास का तृतीय काल जिसके दो उपकाल माने गए हैं (ई. पू. 1000-ई. पू.-300 तथा ई. पू. 330-ई. 700)।
  • burial pit -- शवाधान गर्त
उत्खनन में प्राप्त मानवों द्वारा निर्मित ऐसा गड्ढा, जिसमें शव को रखा जाता था। उस प्रकार के गर्तों में शव के साथ मृत व्यक्ति की प्रिय वस्तुएँ भी मिली हैं, जो तत्कालीन सभ्यता और संस्कृति के ज्ञान के साथ, तत्कालीन लोकाभिरूचि का भी बोध कराती हैं।
  • burial pottery -- शवाधान मृद्भांड
किसी मृत व्यक्ति के शव के साथ रखे गए मिट्टी के अलंकृत बर्तन। विश्व के अनेक भागों में, प्राचीन कब्रों में, मिट्टी के बर्तन तथा दिन प्रतिदिन के काम में आनेवाली अनेक वस्तुएँ रखी मिली हैं।
  • burial practice -- शवाधान-रीति
गड्ढ़ा खोदकर मृत शरीर को दफनाने की परिपाटी।
प्रागैतिहासिक शवाधानों के प्राप्त अवशेषों से, तत्कालीन मानवों की शवाधान रस्मों का पता चलता है।
  • burial rites -- शवाधान-संस्कार
शव को गाड़ने या उसका अंतिम संस्कार करते समय परंपरा से चले आ रहे धार्मिक या सामाजिक कृत्य।
  • burial tumulous -- शवाधान-स्मारक
किसी महान व्यक्ति की अस्थियों या उसके देहावशेषों के ऊपर बनी मिट्टी, ईंट, चूना-पत्थर आदि की ऊँची इमारत।
  • burial urn -- शवाधान-पात्र, शवाधान-कलश
वह चौड़े और खुले मुँह का, जिसमें किसी मृत व्यक्ति को रख कर गाड़ा जाता है। प्राचीन संस्कृतियों में प्रचलित अन्त्येष्टि प्रथाओं के अनुसार, मृत व्यक्ति के देहावशेषों को मिट्टी के बड़े कलश में रखकर, दफनाया जाता था। यह प्रथा भूमध्यसागर के निकटवर्ती बहुत बड़े क्षेत्र तथा भारत में प्रचलित रही है।
  • burial vault -- शवाधान-कोष्ठ
कब्रगाह का वह स्थान विशेष, जहाँ पर शव को रखा जाता है।
  • burial yard -- शवाधान-प्रांगण, कब्रिस्तान
शव गाड़ने या दफनाने के लिए नियत स्थान, जिसे कब्रगाह भी कहा जाता है।
  • buried wall -- भूमिगत भित्ति
वह दीवार, जो भूमि के नीचे दबी हो। पुरातात्विक उत्खननों में अनेक प्राचीन नगर और भवन जमीन के नीचे दबे मिले हैं, जिनका आरंभिक प्रमाण भूमिगत भित्तियों से ही मिलता है।
  • burin -- ब्यूरिन, तक्षणी, उत्कीर्णक
विशिष्ट पाषाण उपकरण जिसका अग्र भाग छेनी, पेचकश-कार्यांग की तरह होता है जो शल्क और क्रोड दोनों पर प्राप्त होते हैं। यह उपकरण किसी फलक अथवा क्रोड के पुष्ट अंत अथवा क्रोड पर बनाया जाता है। ब्यूरिन कार्यांग के निर्माण की सबसे सामान्य विधि में फलक अथवा क्रोड को लंबवत् दिशा में रखकर उसके शीर्ष भाग में लम्बवत् दिशा में आघात किया जाता है जिसके फलस्वरूप एक तिरछा छोटा फलक शीर्ष-भाग को आधे में विभाजित करता हुआ निकलता है। इससे उस फलक अथवा क्रोड में आघात-कंद के गड्ढ़े का चिह्न बन जाता है। उच्च-पाषाणकालीन काल का यह विशिष्ट उपकरण है। इसके लगभग 20 प्रकार उपलब्ध हैं।
देखिए : 'bec-de flute burin'.
  • burnish -- प्रमार्जन
किसी उपकरण की सतह को ओपदार बनाना। मृद्भांडों मे यह प्रक्रिया पात्रों के सूखने के बाद व उन्हें पकाने से पूर्व की जाती है। इस कार्य के लिए सामान्यतः हड्डी अथवा लकड़ी के उपकरणों का प्रयोग किया जाता था। इस प्रक्रिया द्वारा मृद्भांडों पर अनेक प्रकार के अलंकरण-अभिप्राय संयोजित मिलते हैं।
  • burnished black ware -- पालिशदार (ओपदार) काला भांड
प्रागैतिहासिक काल के मानवों द्वारा निर्मित काले रंगवाले, मिट्टी के बर्तन, जो चिकने और चमकदार होते थे। ये भांड उत्तरी काले चमकदार भांडों (northern black polished ware) से अलग हैं, जिन पर तीन प्रकार की सुनहरी, रूपहली तथा एकदम गहरी काली पालिश पाई जाती है।
  • Burzahom -- बर्जहोम
श्रीनगर (कश्मीर) के निकट बुर्जहोम नामक स्थान से ज्ञात नव पाषाणयुगीन संस्कृति। इस संस्कृति के लोग भूगर्भित गर्तों में रहते थे। इनके निवासगर्त्त वृत्ताकार तथा उनके संकरे मुँह का व्यास 2 से 4 ½ मीटर तक होता था। तृतीय प्रावस्था में, उनके आवासगृह आदि पत्थरों से बनने लगे थे। प्राप्त अवशेषों में, पालिशदार काले मिट्टी के बर्तनों के साथ ऐसे बर्तनों के टुकड़े भी मिले हैं, जिनमें ज्यामितिक (डिजाइन) अभिकल्प अंकित हैं। ठप्पांकित पालिशदार भूरे मृद्भांड इनके विशिष्ट मृद्भांड माने जाते हैं। इनके प्रमुख उपकरणों में अस्थि तथा शृंग के बने उपकरण और छिद्रित आयताकार चाकू हैं। इसकी तृतीय प्रावस्था में तांबे का प्रयोग मिलता है। मानवावशेषों के साथ कुत्तों के भी अवशेष मिले हैं जिसके आधार पर इस संस्कृति का सम्बन्ध चीनी नवपाषाणकालीन संस्कृति के साथ माना गया है। इस संस्कृति की रेडियो कार्बन तिथि लगभग ई. पू. 1375 से ई. पू. 1400 गई है।
  • Bushman -- बुशमैन
दक्षिण अफ्रीका की यायावर-शिकारी प्रजाती के लोग, जो अब केवल कालाहारी मरूस्थल के क्षेत्र तक सीमित रह गए हैं। इनकी त्वचा का वर्ण पीत, मुख चपटा और तिकोना तथा उदर कुछ उभरा होता हैं। इनका प्रमुख अस्त्र धनुष है, जिसके बाण प्रायः विषाक्त होते हैं। इनके भांड और उपकरण भौंड़े तथा शस्त्राग्र कुंद होते हैं।
  • button seal -- बटन-मुद्रा
बटन के आकार की एक छोटी महर।
  • byssus -- ममी-कफन, बाइसस
अति सुंदर बाइसस नाम के वस्त्र- तंतुओं से बना एक प्रकार का मूल्यवान और उत्कृष्ट वस्त्र। बाइसस शब्द कभी-कभी लिनन, रेशम, सूती वस्त्रों के लिए भी प्रयुक्त होता है। कुछ पुरातत्ववेत्ताओं का अनुमान है कि पीले सन और उससे बने लिनन के लिए भी यह शब्द प्रयुक्त होता था। मिस्र में इसका प्रयोग ममियों के कफन के लिए भी किया जाता था।
  • Byzantine art -- बाइजेन्तीनी कला
पूर्वी रोमन साम्राज्य के कान्सटेन्टिनोपुल की स्थापना (ई. 324 से लेकर ई. 1453 के काल) तक विकसित कला-शैली।
पश्चवर्ती रोमन और यूनानी कला की सर्वोत्तम कृतियाँ इस काल में मिलती हैं, जो क्लासिकी कला से पर्याप्त भिन्न हैं। बाइजेन्तीनी कला में, ईसाई प्रतीकों के स्थान पर पैगन प्रतीकों का प्रयोग किया गया। इसके अतिरिक्त प्रभूत मात्रा में, अलंकरण और गहरे रंगों का विनियोग भी किया गया।
  • Cabiri -- काबीरी
यूनान के विशेष देवताओं का समूह, जो प्रकृति की परोपकारी शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते थे और जिनकी आराधान इम्ब्रोस, लेम्नोस तथा सेमोथ्रेस द्वीपों में की जाती थी। सेमोथ्रेस के काबीरी को, मेसिदोनी तथा रोमन काल में विशेष महत्ता प्राप्त थी। इस देवसमूह के विस्मयकारी चमत्कार प्रायः चर्चा के विषय होते थे। यह धारणा थी कि ये समुद्री आपदा और दुर्घटना से लोगों की रक्षा करते थे।
  • caduceus -- सर्पदंड
जर्मन तथा रोमन पुरातत्व के अंतर्गत विशेषकर हरमिज या मरकरी का दंड। यह दंड मूलतः जैतून की लकड़ी पर मालांकित लांछन से युक्त होता था। बाद में, माला के स्थान पर दो कुंडलित सर्पों को उस पर अंकित किया जाने लगा। हिंद-यूनानी तथा अन्य प्राचीन भारतीय सिक्कों और मुहरों में यह चिह्न मिलता है।
  • cainozoic (=cenozoic) -- नूतन जीवयुग
भूवैज्ञानिक इतिहास की विशेष कालावधि या तत्संबंधित युग, जिसके अंतर्गत तृतीयक काल से लेकर वर्तमान काल तक का समय अन्तर्निहित है। नूतन जीवयुग में, स्तनपायी प्राणियों, पक्षियों तथा वनस्पतियों का द्रुतगति से विकास हुआ, पर अकशेरूकी प्राणीयों में बहुत कम परिवर्तन हुए। यही कारण है कि इस युग को वनस्पति-जीवन और स्तनपायी-जीवन का वह युग कहा जाता है. जिसमें नूतन जीवयुग का आरंभ स्तनपायी पशु-जीवन से मानव के विकास युग तक हुआ। इस काल का आरंभ 8 करोड़ वर्ष पूर्व माना जाता है।
  • cairn -- टीला, संगोरा, शिलाकूट
किसी विशिष्ट घटना या मृतक विशेष की यादगार के लिए बनाया गया स्मारक। पत्थर-चूने आदि की सहायता से बनाई गई चौकोर या गोलाकार पत्थरों की ढेरी।
  • cairn circle -- संगोरा वृत्त, शिलाकूट-वृत्त, शिला-वृत्त
शवाधान के चारों ओर बनी प्रस्तर की परिधि-रेखा। प्रागैतिहासिक कब्रों में इस प्रकार के पत्थरों का बाड़ा मिला है, जिसे 'प्रस्तर-संग्रह वृत्त' या 'निड़े-कल तेड्डि वृत्त' भी कहा जाता है। इस प्रकार के वृत्त में पत्थरों के एक घेरे के अंदर पत्थरों का ढेर होता है, जिसके नीचे एक या अधिक अस्थि कलश भी मिले हैं।
  • caldarium -- हमाम-कक्ष, स्नानागार
प्राचीन रोम में स्नानागारों का वह भीतरी कक्ष, जहाँ गर्म पानी की व्यवस्था रहती थी। आगे चलकर स्नानागारों में तीन कक्ष बनाए जाने लगे, जो स्त्री और पुरुषों के लिए अलग-अलग हुआ करते थे। हमाम-कक्ष में, गर्म पानी से स्नान टब या द्रोणी में किया जाता था।
  • calendar stone -- केलेन्डर पाषाण
एजेटेक सम्राट एक्सेकेटल द्वारा ई. 1479 में स्थापित उत्कीर्ण एकाश्म जिसका भार 20 टन तथा व्यास 4 मीटर था। इसमें एज़टेकी ब्रहमांड की परिकल्पना निहित थी और इस पर उत्कीर्ण प्रतीकों द्वारा कल्प, वर्ष, मास, दिन आदि की गणना की जाती थी।
  • calendrics -- पंचांग-विज्ञान
ज्योतिष विषयक पंचांग, जिसमें नक्षत्रों, ग्रहों, योगों एवं करणों का वैज्ञानिक रीति से ब्यौरेवार अध्ययन एवं निरूपण हो।
  • callais -- हरित पाषाण
अलंकरण के लिए प्रयुक्त हरे रंग का पत्थर। पश्चिमी यूरोप में, उत्तर नवपाषाणकाल से प्रारंभिक कांस्य काल तक इस प्रकार के पत्थर के बने मनके मिले हैं।
  • calligraphy -- सुलिपि, कलालिपि, कलात्मक लिपि
अक्षरों को सुंदर रीति से लिखने की कला। प्राचीन काल में प्रस्तरों, धातुपत्रों, पांडुलिपियों आदि पर चित्ताकर्षक तथा कलात्मक अक्षरों में लिखा या उत्कीर्ण किया जाता था।
  • Calyx Krater -- केलिक्स क्रेटर
प्राचीन यूनान में निर्मित विशाल दोहत्थेवाला पात्र जिसमें मदिरा तैयार की जाती थी। इनका यूरोप के अन्य देशों को निर्यात भी होता था।
  • camaieu -- इकरंगा चित्र
एक ही रंग से निर्मित चित्र।
  • camp -- शिविर, कैंप
(1) प्रागैतिहासिक मानवों द्वारा प्रयुक्त अस्थायी आवास स्थल।
(2) ब्रिटेन में स्थलाकृतियों के लिए बहुधा प्रयुक्त शब्द, जो साधारणतया किसी भी प्रकार के गर्त या बाँध की तरह बने उन अहातों के लिए प्रयुक्त होता है, जो नवपाषाणकालीन सेतु शिविर से लेकर लौहयुगीन गिरिदुर्ग और रोमनकालीन किलाबंदी के काल तक पाए गए हैं।
(3) नगर क्षेत्र से दूर बना अस्थायी आवास, जैसे-तंबू या कुटी।
  • Campignian -- कैंपग्नी
उत्तरी फ्रांस की उत्तर मध्यपाषाण कालीन संस्कृति। इसके अवशेष फ्रांस के कैंपग्नी (Campigny) प्रदेश में मिले हैं। उत्तरी फ्रांस के अतिरिक्त कैंपग्नी संस्कृति के अवशेष इंग्लैंड और बेल्जियम में भी मिले हैं। दानेदार बनावट के मृद्भांड तथा तिरछी काटयुक्त (ट्रांशे) कुठार इसके विशिष्ट उत्पाद हैं। मिट्टी और टहनियों से बनी अंडाकार कुटीरों मे ये निवास करते थे जिनके बीच चूल्हा बना होता था।
  • Campigny axe -- कैपग्नी कुठार
फ्रांस के कैंपग्नी प्रदेश में प्राप्त विशिष्ट प्रकार का प्रागैतिहासिक उपकरण, जिसे अधिकतर विद्वान नवपाषाणकालीन और कुछ विद्वान मध्यपाषाणकालीन मानते हैं। कैंपग्नी कुठार, चकमक पत्थर या बटिकाश्म के मध्य भाग को खंडित कर बनाया जाता हैं। इसका एक किनारा चौकोर बना लिया जाता था और दूसरे किनारे पर उभरी सतह से ऐसे शल्क निकाले जाते थे, जो चपटी सतह से मिलकर तेज कार्यांग का रूप ले लेते हैं।
  • Canaanites -- केनानवासी, केनेनाइट
फ़िलस्तीन में रहनेवाली पूर्व-इज़राइली प्रजाति के लोग। ओल्ड टेस्टामेंट में इस प्रजाति का उल्लेख मिलता है। ये लोग छोटे-छोटे स्वाधीन नगरों में रहते थे। इनके प्रमुख स्थल बिब्लास, उगेरित, मैगिडो एवं लचीस थे।
ये शामी लोगों की ही एक प्रशाखा के लोग थे तथा इनका संबंध उन हिक्सास लोगों से था, जिनका लगभग ई. पू. 2000 से ई. पू. 1200 तक लेवेंट पर अधिकार रहा। व्यापार के माध्यम से इन्होंने मिस्री मेसोपोतामियायी तथा हित्ती लोगों के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान आरंभ किया। वर्णमाला पर आधृत लिपि के ये प्रथम आविष्कारक माने जाते हैं।
  • candelabrum -- दीपस्तंभ
दीप या मोमबत्ती आदि को रखने का एक अलंकृत आधार; दीवट। यह काष्ठ या धातु-निर्मित होता है। इसके आधार के ऊपर एक लंबा पतला दंड बना होता है। दंड के शीर्ष में गोल आकार की चपटी रचना होती है, जिसके ऊपर दीप रखे जाते हैं।
  • candi -- चंडी
मलय भाषा में, देवालय या मंदिर के लिए प्रयुक्त शब्द, जैसे-'चंछी' बोरोबुदूर।
  • canephora -- डलियावाली, कान्फोरा
प्राचीन यूनान के पेनाथीनेइया (Panthenaea) के पर्व पर एथेन्स की अधिष्ठात्री देवी 'स्थेपी' की आराधना के लिए अर्पणार्थ सामग्री की डलिया ले जाने वाली कुमारी।
पूजा सामग्री की डलिया सिर पर ले जाने वाली कुमारी की प्रतिमा।
  • canopic jar -- ढक्कनदार कलश
मिस्री पुरातत्व में उन चार कलशों में से एक, जिनके ढक्कन के ऊपर परिचर आत्मा या अभिरक्षक देवता की आकृति बनी होती थी। इस कलश में, मिस्री लोग मृतकों की आंतों को रखते थे। इस कलश को प्रायः ममी के साथ दफन किया जाता था।
  • canopic vase -- ढक्कनदार कलश
मिट्टी या कांसे का बना एक प्रकार का एट्रूरियाई अस्थिकलश, जिसके ढक्कन पर मानव-मुखाकृति बनी होती थी।
  • cantharus -- जलपात्र, कैथरस
प्राचीन यूनानी एवं रोमन पुरातत्व के अंतर्गत वह ऊँचा, गहरा, सपीठ और दूहत्था जलपात्र, जिसके हत्थे कर्णवत् पात्र के ऊपर से नीचे तक जुड़े होते थे।
  • Capsian (Caspian) Culture -- केप्सी संस्कृति
उत्तरी अफ्रीका की पाषाणकालीन एक संस्कृति। ट्यूनिशिया के 'गफ्सा' नाम पर इस स्स्कृति का नाम केप्सी पड़ा। इसका ई. पू. आठवीं-सातवीं सहस्राब्दी आँका गया है। अत्यन्त नूतन काल के बाद की संस्कृति होते हुए भी, इसके उपकरण-प्रकार उत्तर पुरापाषाणकालीन परंपरा के हैं जिनमें 'F' जैसे बड़े आकार की तक्षणी, पृष्ठित फलक, अस्थि उपकरण आदि मिले हैं। कुछ स्थलों से प्राप्त मानव अवशेष मेक्ता-एफ्लाउ प्रकार के हैं। इस संस्कृति के प्रमुख स्थल ट्यूनिशिया तथा अल्जीरिया में हैं।
  • Capsian Neolithic -- कैप्सी नवपाषाण संस्कृति
उत्तर अफ्रीका की नवपाषाण संस्कृति जिसका काल लगभग ई. पू. 5000 से ई. पू. 2000 तक आँका गया है। इस संस्कृति के लोग मृद्भांडों का निर्माण करते थे और पशुपालन तथा कृषि इनकी जीविका के साधन थे।
  • capstone -- आच्छादन-शिला
महाश्म-शवाधान को ढकने के लिए प्रयुक्त विशाल शिला।
  • carbon dating -- कार्बन तिथि-निर्धारण
किसी मृत कार्बनिक पदार्थ में, कार्बन 14 की मात्रा का पता लगाने तथा मापने की प्रविधि, जिसके द्वारा किसी वस्तु विशेष की तिथि निर्धारित की जाती है। इस विधि के प्रवर्तक डब्ल्यूo एफo लिबी हैं। पुरातत्व में इस प्रविधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि द्वारा 10,000 वर्ष तक पुरानी वस्तुओं की तिथि ज्ञात की जा सकती है।
कालृनिर्धारण की इस प्रणाली का सिद्धांत यह है कि सौर विकिरण, रेडियो-सक्रिय कार्बन (सी14) उत्पन्न करता है। सी14 साधारण कार्बन 12 का आइसोटोप होता है और वातावरण में सी12 के साथ उपलब्ध होता है। प्रत्येक जीवित पदार्थ में सी12 तथा सी14 एक निश्चित अनुपात में रहता है। वस्तु के नष्ट हो जाने के बाद सी14 का विघटन आरंभ हो जाता है। एटकिन के अनुसार, यह विघटन अस्सी वर्षों में एक प्रतिशत रह जाता है। सी14 के शेष भाग का अनुमान, सी12 के अनुपात को निकाल कर किया जाता है। अनुपात ज्ञात होने से तिथि-निर्धारण सरल हो जाता है।
देखिए: 'half life'
  • carcer -- धावन-चौकी
रोमन सरकस में, दौड़ के मैदान का वह स्थान विशेष, जहाँ से दौड़ का आरंभ किया जाता था।
  • cardo -- कार्डो
प्राचीन रोम के नगरों, किलों और शिविरों के उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर को बनाई गई सड़क, जो पूर्व-पश्चिम दिशा की मुख्य सड़क को काटती थी। जालक (ग्रिड) प्रणाली के नगर विन्यास में यह विशेषता स्पष्ट दिखाई देती है।
  • carinated -- तीक्ष्ण कोणाकार
किसी मृद्भांड, धातुपात्र आदि का तीक्ष्ण कोण, जो बहुधा उसकी ग्रीवा अथवा अधोभाग में होता है।
  • carnelian (=cornelian) -- कार्निलियन
केल्सडोनी की एक गहरे लाल, मांस सदृश लाल या रक्ताभ श्वेत रंग की किस्म; सूक्ष्म कणिक अल्प मूल्य रत्न।
  • Cartoccio -- नामपट्टिका
कलाकृति के नीचे कलाकार, कलाकृति अथवा दोनों के नामोल्लेख के लिए लगी पट्टिका।
  • Cartouche -- कार्तूश
(1) प्राचीन मिस्री स्मारकों में शासकों के नामों को परिवृत करने के लिए प्रयुक्त एक अंडाकार या दीर्घायत् फ्रेम।
(2) पाषाण, काष्ठ या धातु पर निर्मित वह पटिया या पटल जिस पर अभिलेख या तिथि लिखी गई हो।
  • carved figure -- तक्षित आकृति
पत्थर इत्यादि में छेनी से काटकर तराशी गई आकृति।
  • caryatid -- 1. केरियाटिड
स्तम्भ के आधार भाग और शीर्ष भाग के मध्य में बनी वस्त्राच्छादित नारी की तक्षित मूर्ति। प्राचीन यूनानी मंदिरों के मंडप-अलंकरण में इस प्रकार की रचना की जाती थी। एथेंस में, इरेक्थियम इसका सर्वोपरि उदाहरण है।
2. मदनिका
भारतीय शिल्प में, भारवाहक रूप-गणों या कीचकों का अंकन हुआ है। कहीं-कहीं हाथी या सिंह भी इस रूप में प्रदर्शित हैं।
  • casket -- मंजूषा
किसी बहुमूल्य धातु या अन्य वस्तु से निर्मित वह पेटिका, जो रत्न इत्यादि बहुमूल्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने के काम में आती है। इस संदर्भ में स्तूपों के गर्भ से उपलब्ध वे मंजूषाएँ उल्लेखनीय हैं, जिनमें बुद्ध एवं अन्य महापुरुषों के धातु अवशेष संचित किए जाते थे।
  • Caspiae portae (=Caspian gates) -- केस्पी द्वार
कैस्पी समुद्र के चारों ओर स्थित पहाड़ी दरें के लिए प्रयुक्त शब्द। मध्य में स्थित होने के कारण, प्राचीन रेगे (Rhagae) के दरें से दूरी का मापन किया जाता था। कैस्पी द्वार अति प्राचीन काल से एक व्यापारिक मार्ग था।
  • Caspian Industry -- केस्पी उद्योग
ट्यूनीशिया मे गफसा नामक स्थान का मध्य-पाषाणकालीन प्रस्तर उपकरण उद्योग। उसका अभ्युदय ई. पू. 8000 से कुछ पहले माना जाता है। इस उद्योग के मुख्य अवशेष ट्यूनीशिया और पूर्वी अल्जीरिया के घोंघा घूरा-निक्षेप (shell middens) से प्राप्त हुए हैं। बाद में इस उद्योग का विस्तार भूमध्यसागरीय उत्तरी अफ्रीका में सिरेनाइका से लेकर मोरक्को तक मिलता है।
  • castle -- दुर्ग, गढ़ी
राजाओं और सामन्तों के लिए बहुधा परिखा तथा प्राचीर से आरक्षित एक वास्तु।
  • castro -- कैस्ट्रो
प्राचीरों से आरक्षित स्थलों के लिए प्रयुक्त पुर्तगाली शब्द। छोटे आकार के इस प्रकार के स्थान ताम्रकाल में तथा गिरि-दुर्ग के रूप में लौहयुग में मिले हैं।
  • catacomb -- अवतुंब, केटाकोंब
प्राचीन रोम के भूगर्भित कक्ष-समूह, जिसमें कब्रें बनी होती थीं अथवा अस्थि-अवशेषों आदि को सुरक्षित रखने के लिए आले बने रहते थे।
  • catapult -- गोफन-अवक्षेपक, अस्त्र-अवक्षेपी
भारी पत्थरों, भालों तथा तीरों इत्यादि को तीव्र गति से दूर फेंकने के लिए बना एक प्राचीन प्रक्षेपणास्त्र।
  • catastrophic burial -- विपाती शवाधान
किसी अप्रत्याशित संकट, महामारी, बाढ़, भूकंप या नरसंहार आदि के कारण अचानक अनेक व्यक्तियों की मृत्यु हो जाने पर किया गया शवाधान; सामूहिक शवाधान।
  • catastrophic cremation -- विपाती शवदाह
किसी महामारी, भूकंप, अग्निकांड इत्यादि में हत हुए बड़े जनसमूह को एक ही स्थान पर एक साथ गाड़ना या जलाना।
  • cauldron -- देग, कड़ाह
भोज्य पदार्थ पकाने का बड़े आकार वाला धातु निर्मित बर्तन जिसका मुँह चौड़ा तथा पेंदा गोलाकार होता था। भट्टी या बड़े चूल्हे पर उसे चढ़ाने या उतारने के लिए उसमें सामान्यतया कड़ेदार हत्थे लगे होते थे। यूरोप में इस प्रकार के बर्तन सर्वप्रथम परवर्ती कांस्य युग में मिले हैं।
  • causewayed camp -- सेतुमार्ग शिविर
दक्षिणी इंग्लैंड की प्रारम्भिक नवपाषाणकालीन (लगभग ई. पूp चतुर्थ सहस्राब्दि) संकेन्द्री खाइयों द्वारा निर्मित बाड़ा। इन खाइयों में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर अन्तराल मिलता है। इन बाड़ों का प्रयोग सम्भवतः स्थायी निवास के लिये न होकर वार्षिक उत्सवों अथवा सभा-स्थल के रूप में होता रहा होगा।
  • causewayed ditch -- सेतुमार्ग परिखा
नवपाषाणकालीन दुर्गों के खंदक या खाई के ऊपर बनी काष्ठ की वह संरचना, जिसकी सहायता से शिविरों तक पहुँचा जा सकता था।
  • cave -- गुफा, गुहा
जमीन में अथवा पहाड़ी चट्टानों में प्रकृति अथवा मानव द्वारा निर्मित संरचना। भारत में मानव-निर्मित प्रसिद्ध गुफाओं में उदयगिरि, बाघ, अजंता, एलोरा आदि हैं।
  • cave art -- गुहा कला
प्राकृतिक गुफाओं तथा शैलाश्रयों की भित्तियों और छत्तों पर अंकित अथवा उत्कीर्ण आदिम कला। इस कला का प्रारम्भ उत्तर पुरा-पाषाणकाल से होता है। इसमें बहुधा पशुओं, मानवों, अस्त्रों तथा आखेट के रेखा चित्र पाये जाते हैं। चित्रों में गेरूए, लाल, पीले, सफेद तथा काले प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता था। स्पेन की अल्तामीरा, फ्रांस की लास्का तथा भारत की भीमबैठका के प्रागैतिहासिक शैलाश्रय विश्वप्रसिद्ध हैं।
  • cave deposit -- गुहा-निक्षेप
किसी गुफा की सतह अथवा उसके नीचे प्राप्त सामग्री। प्रागैतिहासिक गुफाओं के भीतर उपलब्ध सामग्री से प्राक्-मानव के रहन-सहन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी होती है।
  • cave dwelling -- गुहा आवास, गुहाश्रय
आवास के रूप में प्रयुक्त प्रागैतिहासिक गुफाएँ एवं शैलाश्रय जिनमें प्राचीन मानव एवं इसके सांस्कृतिक अवशेष यथा पात्र, अस्त्र शस्त्र। ज्ञात प्राचीनतम गुहाश्रयों में फ्रांस की वालोने (Vallonet) चीन की चौकोतियन गुफाओं तथा भारत के आदमगढ़, भीमबैठका एवं गुडीयम शैलाश्रयों की गणना की जा सकती है।
  • cave earth -- गुहा निक्षेप
गुफा के धरातल पर अतिशय शीत-ताप एवं अन्य प्राकृतिक कारणों से जमा मलवा। इन्हीं निक्षेपों में यदा-कदा मानव व उसके सांस्कृतिक अवशेष तथा पुरा-जैवीय प्रमाण भी प्राप्त होते हैं।
  • cave mouth -- गुहा-मुख
किसी कंदरा का वह अग्र भाग, जहाँ से उसमें प्रवेश किया जाता है।
  • cave temple -- गुहा-मंदिर
गुफाओं को काँट-छाँट कर बनाए गए मंदिर। भारत में, अजंता और एलोरा की गुफाएँ इसी प्रकार की हैं और विश्व के प्रसिद्ध गुफा मंदिरों में गिनी जाती हैं।
  • cave-men -- गुहा मानव
वह पाषाणकालीन प्रागैतिहासिक मानव जो गुफाओं में निवास करते थे तथा आखेट एवं खाद्य-संग्रह द्वारा जीवन-यापन करते थे।
  • cavea -- अर्धचंद्र रंगमंडप, केविया
अर्धचंद्र के आकार जैसा बना, प्राचीन रंगशालाओं में दर्शकों के बैठने का स्थान। मूल रूप में, इसका प्रयोग उस भूगर्भित कक्ष के लिए होता था, जिसमें अखाड़ों में लड़ने वाले वन्य पशु रखे जाते थे।
  • celt -- कुल्हाड़ी, सेल्ट
प्रागैतिहासिक उपकरण जिसकी आकृति छैनी या कुठाराग्र की तरह होती है। नवपाषाणकाल में यह ओपयुक्त (पालिशदार) पत्थर का और परवर्ती काल में धातु का बना होता था।
  • Celtic art -- केल्ट कला
ई. पू. पाँचवी शताब्दी की एक यूरोपीय लौहयुगीन कला जो मध्य और पश्चिम यूरोप में विकसित हुई। केल्टिक कला का विकास ला तेन सामंतों द्वारा किया गया। इन्होंने अनेक सुंदर धातुपात्रों (जग, बाल्टियाँ , कटोरे, प्याले आदि ), अस्त्र-शस्त्रों (तलवार, म्यान, खुखरी, शिरस्त्राण आदि), रथों एवं घोड़ों का साज, वक्षस्त्राण आदि तथा अनेक प्रकार के आभूषणों का निर्माण किया। शैली की दृष्टि से इस कला में क्लासिकी जगत से वानस्पतिक अभिप्राय सीरिया तथा पूर्वी जगत से पशु अभिप्राय और प्रारंभिक लोहयुगीन हालस्टाट संस्कृति से ज्यामितिक अभिप्रायों का समन्वय मिलता है।
  • celure -- 1. उद्भूत तक्षण, उभरी नक्काशी
मूर्तिकला और वास्तुकला में ऐसा कलात्मक अलंकरण जिसे उभार या तक्षित कर दीवारों आदि में बनाया गया हो।
2. अलंकृत छतरी, अलंकृत वितान
किसी मंच अथवा पलंग के ऊपर बना सजावटी सायबान।
  • cemetery -- कब्रिस्तान
मृतकों को दफनाने के लिए नियत स्थान। मूल रूप में रोम का अवतुंब। बाद में यह शब्द गिरजाघर को समर्पित कब्रिस्तान के लिए भी प्रयुक्त होने लगा।
  • cenotaph -- स्मारक-समाधि, छतरी, शून्य समाधि
किसी व्यक्ति की स्मृति को बनाए रखने के लिए निर्मित भवन या समाधि। इसमें उस व्यक्ति या उसके धातु अवशेषों को दफनाया नहीं जाता था। उदाहरणार्थ- राजस्थान तथा मध्यप्रदेश की उत्तर मध्यकालीन छतरियाँ ।
  • centaur -- नराश्व, किन्नर, किंपुरुष
यूनानियों द्वारा वर्णित एक काल्पनिक प्रजाति के लोग। ये इक्सियोन के वंशज थे और थिसेली के पर्वतों में निवास करते थे। इस पौराणिक जीव का आधा शरीर मानव का और आधा अश्व जैसा होता था। ये जंगली और असभ्य माने जाते थे। यूनानी कलाकारों ने ई. पू. आठवीं शताब्दी में नराश्व का अगला भाग मानव के शरीर जैसा और पीछे के पैर अश्व जैसे बनाकर प्रदर्शित किया है। बाद में उसे कमर तक मानव जैसा दिखाया जाने लगा। ये युद्ध तथा शृंगारिक प्रसंगों के लिए प्रसिद्ध थे।
भारतीय कला में किन्नर के रूप में अंकित आकृतियाँ गांधार, मथुरा आदि की कला में मिली हैं। किंपुरुषों को देवयोनि में परिगणित दिव्य मनुष्यों के समान, किंतु घोड़े के मुँहवाले विशिष्ट प्राणियों के रूप में अभिकल्पित किया गया है।
  • Central Indian Chalcolithic Cultures -- मध्य भारतीय ताम्रपाषाण संस्कृति
मध्य-भारतीय क्षेत्र की आद्य-एतिहासिक संस्कृतियाँ जिनकी प्रमुख विशेषता उनके लाल के ऊपर काले रंग के अलंकरणयुक्त भांड, ताम्र उपकरण, लघु पाषाण उपकरण, नरकुल व मिट्टी से निर्मित आवास हैं। इस क्षेत्र की तीन प्रमुख संस्कृतियाँ (कायथा, मालवा तथा जोरवे) हैं, जिनका काल ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि आँका गया है।
  • Cephalic index -- शिरस्य सूचकांक
खोपड़ी की लंबाई के अनुपात में उसकी चौड़ाई का प्रतिशत। इसके निकालने का सूत्र इस प्रकार है :-
खोपड़ी की चौड़ाई х 100 / खोपड़ी की लंबाई
शिरस्य सूचकांक के आधार पर मानव जनसंख्या को तीन कोटियों में बाँटा जाता है- दीर्घ शिरस्क (dolichocephalic), मध्यशिरस्क (mesocephalic) तथा लघु शिरस्क (brachycephalic)।
  • Ceramic -- 1. मृद्भांड
मिट्टी के बर्तन।
2. मृत्तिका कला, मृत्तिका-शिल्प
मिट्टी से कलापूर्ण बरतन और आकृतियाँ बनाने का शिल्प।
  • ceramic analysis -- मृद्भांड-विश्लेषण
पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त, मिट्टी के बर्तनों के विस्तृत अध्ययन के लिए प्रयुक्त एक प्रविधि विशेष। मृद्भांडों के विश्लेषण में उनकी सामग्री, आकार-प्रकार. पकाने की विधि, रंग, मृदा, निर्माणविधि इत्यादि का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। जिनके द्वारा उनकी निर्माण-प्रक्रिया और काल-निर्धारण में बहुत सहायता मिलती है।
  • cercis -- दर्शन-कक्ष
प्राचीन यूनानी रंगमंच में वह स्थान, जहाँ पर दर्शक लोग बैठकर प्रतियोगिता या नाटक इत्यादि देखा करते थे। भारत में, नागार्जुनकोंडा तथा अम्बिकापुर जिले के रामगढ़ पहाड़ी के दर्शन कक्ष उल्लेखनीय हैं।
  • cestrum -- सेस्ट्रम, रंगलेपी
प्राचीन चित्रकारों द्वारा रंगने के लिए प्रयुक्त एक उपकरण। रोमन इतिहासकार प्लिनी के वर्णनों के अनुसार यह नुकीला होता था और इसका प्रयोग मोम के साथ किया जाता था।
  • chalcedony -- कैल्सेडोनी
क्वार्ट्ज की एक गूढ़ क्रिस्टली, पारभासक किस्म जिसका रंग सामान्यतः मलिनपीत या धूसर होता है और द्यूति लगभग मोमी होती है।
  • chalcography -- ताम्रोत्कीर्णन
तांबे या पीतल उकेरने की कला।
  • chalcolithic age -- ताम्र पाषाण युग, ताम्राश्म युग
नवपाषाणकाल एवं कांस्यकाल के मध्यवर्ती मानव सभ्यता का काल विशेष जिसमें तांबे (न कि कांस्य) के साथ-साथ प्रस्तर उपकरणों का प्रयोग होता था।
भारत में दकन की कायथा, मालवा, जोर्वे तथा राजस्थान की अहाड़ आदि प्रमुख ताम्राश्य युगीन संस्कृतियाँ हैं।
  • Chaldaea -- कैल्देई
(1) बेबिलोनिया का ही एक दूसरा नाम, जो उसके वैभव के अंतिम चरण (ई. पू. 626-ई. पू. 539) में रखा गया। यह नामकरण 'काल्दू' नाम पर पड़ा, जो आरमिनियायी लोगों के एक ऐसे कबीले से संबद्ध है, जिससे इनके एक राजवंश का उदय हुआ। इसके प्रमुख शासक नेबूकदनेजर और नेबोनिडस थे, जिनका राज्य भूमध्यसागर से फारस की खाड़ी तक विस्तृत था। इस विशाल राज्य का शासन-प्रबंध बेबिलोन नगर से होता था। ई. पू. 612 में कैल्देई लोगों ने असीरिया को ध्वस्त किया, पर ई. पू. 539 में, हख्मी सम्राट कुरूष ने इसका अंत कर दिया।
(2) प्राचीन शामी जाति के वे लोग, जो मूलतः दज़ला और फरात नदी के तटवर्ती भागों में रहते थे। आगे चलकर बेबिलोनिया बसने के बाद ये लोग शक्तिशाली बन गये।
  • Chaldean art -- कैल्देई काल
अकादिया या मेसोपोटामिया की कला की आरंभिक विकास अवस्था, जिससे आगे चलकर बेबीलोन और असीरिया की कला प्रस्फुटित हुई। भूगर्भित शवाधान, चित्ताकर्षक इनेमल, इष्टिका के सोपनाकार मंदिर, सुंदर मणि-कर्तन और गहरे रंगों के प्रयोग के लिए आगे चलकर, कैल्देई कला ने महत्वपूर्ण आधार प्रदान किया। ई. पू. 1450 के आसपास केल्दियन कला अपने चरमोत्कर्ष पर थी।
  • chalice -- 1. पान-पात्र
तरल पदार्थ पीने का बरतन।
2. पुष्प-पात्र, पुष्प-द्रोणी
फूलों की सजावट के लिए प्रयुक्त भांड।
  • chaltoon -- भूगर्भीय बोतलाकार कक्ष, चोल्तुन
मध्य-अमरीका के बोतलनुमा भूगर्भीय कक्ष जिन्हें भंडार के रूप में प्रयुक्त किया जाता था। सम्भवतः इनका उपयोग वाष्प-घर, स्नानागार या शवाधान के रूप में भी होता था।
  • chamber tomb -- गृह-तुंब, कोष्ठ-मकबरा, कोष्ठ-शवागार
शव को रखने का पाषाण निर्मित कक्ष। यह महापाषाणीय संस्कृति से संबद्ध संरचना है। इसमें छत होती थी। कोष्ठ में, शव या उसके अवशेष रखे जाते थे। कोष्ठ-शवागारों का प्रचलन भारत के साथ-साथ प्राचीन विश्व की अनेक सभ्यताओं में मिलता है।
  • champleve enamelling -- शाम्पलीव इनैमल
केल्ट तथा रोमनों द्वारा प्रयुक्त मीनाकारी की एक प्राचीन प्रविधि जिसका प्रयोग मध्यकाल में ई. ग्यारहवीं शताब्दी से चौदहवीं शताब्दी के बीच भी किया जाता था। इस प्रविधि में धातु, विशेषकर कांसे और पीतल के पात्रों की सतह पर आकृतियाँ उकेरकर उनमें पिघले हुए रंगीन पारदर्शी काँच के मसाले या कृत्रिम मणि को भर दिया जाता था।
  • chancel -- चांसेल
पादरियों के लिए आरक्षित गिरजाघर का वह भाग, जो प्रायः गिरजे का पूर्वी भाग होता था।
  • Channcelade man -- चांसलेड मानव
उत्तर पुरापाषाणकालीन मानव, जिसका कंकाल चांसलेड (फ्रांस) में प्राप्त हुआ था। इसका कद छोटा और नाक लंबी थी। इसके कंकाल के साथ मग्दालीनी संस्कृति कालीन उपकरण मिले हैं।
  • chape -- म्यान की मूँठ
1. तलवार या कटार को रखने के खोल का धातु निर्मित शिरो भाग। इसके किनारे पर अंगूठीनुमा हुक बना होता है, जिससे इसे पेटी में लगाया जा सकता हैं।
2. तलवार और कटार के धातु फल को रखने के लिए बना हुआ खोल या आवरण।
3. तलवार को सुरक्षित रखनेवाले म्यान का धातु-निर्मित ऊपरी भाग।
  • charcoal identification -- चारकोल-अभिनिर्धारण, काठ कोयला पहचान
उत्खनन में प्राप्त कोयले के आधार पर उसके मूल वृक्ष का अभिज्ञान।
पुरातात्विक उत्खन्नों में प्रायः कोयला मिलता है। यह कोयला जिस वृक्ष से बना है, उसके विषय में जानकारी प्राप्त करने से महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकलते हैं। इसके विश्लेषण की प्रविधि यह है कि कोयले का, अनुप्रस्थ, त्रिज्य (radial) एवं स्पर्शरेखीय (tangential) परिच्छेदों में काटकर, अध्ययन किया जाता है। इस विश्लेषण से प्राप्त सूचना पारिस्थितिक अध्ययन के लिए बहुत उपयोगी होती हे। प्राचीन मानव किन-किन वस्तुओं का प्रयोग जलाने के कार्य में करते थे, उसका भी ज्ञान उस विधि से होता है।
  • chariot burial -- सरथ शवाधान
रथ सहित मृतक को कब्र में दफनाना। ऐसी प्रागैतिहासिक कब्रें मिली हैं, जिनमें शव के साथ रथ को भी दफनाया जाता था। यह प्रथा विश्व के कुछ देशों, विशेषकर फ्रांस में प्रचलित थी। अरास तथा यार्कशायर की कुछ कब्रों में रथों के अवशेष मिले हैं। यार्कशायर में मिली इस प्रकार की बहुत-सी समाधियों से ज्ञात होता है कि इनमें स्त्रियों को दफनाया गया था और उन दिनों रथों के पहियों का व्यास 0.85 मीटर होता था।
  • Chassey culture -- चैसी संस्कृति
नवपाषाणकालीन संस्कृति, जिसके अनेक क्षेत्रीय समूह फ्रांस के एक बड़े भूभाग में प्राप्त हुए हैं। लगभग ई. पू. 3500 में, चैसी मृद्भांडों के प्रचलन के साथ ही मीडी छायांकित भांडों का उपयोग समाप्त हो गया। इस मृद्भांड शैली के प्रमाण गुफाओं, ग्रामस्थलों तथा कब्रों से मिलते हैं। इन क्षेत्रों में, इस संस्कृति के पूर्वकालीन मृद्भांडों में बहुधा आखुरित (scratched) व ज्यामितिक नमूने प्राप्त होते हैं। पश्चवर्ती मृद्भांड सादा है। पूर्व कालीन और उत्तर कालीन चैसी सभ्यता में किसी प्रकार का विभेद करना कठिन है। उत्तरी और मध्य फ्रांस में, इस संस्कृति के अवशेष ई. पू. 3,000 से पहले के नहीं मिले हैं।
  • Chatelperronian culture -- शैतलपिरोनी संस्कृति
उत्तर पुरापाषाणकालीन संस्कृति, जिसके पाषाण-उपकरण दक्षिण पश्चिम एवं मध्य फ्रांस से प्राप्त हुए हैं। इस संस्कृति के लोगों ने उपकरण-निर्माण की कुछ परंपरा मोस्तारी संस्कृति से विरासत में प्राप्त की। ये लोग कंदराओं में रहते, शिकार करते तथा जंगली कंदमूलों से अपना भरण-पोषण किया करते थे। इनका विशिष्ट उपकरण शैतलपिरोनी छुरी फलक है, जिसके एक किनारे पर सीधी तेज धार होती है और पृष्ठ भाग कुंठित एवं वक्राकार होता है। शैतलपिरोनी उद्योगों की रेडियो कार्बन विधि से तिथि ई. पू. 31,690± 250 एवं ई. पू. 31,550± 400 निश्चित की गई है।
  • Chatelperronian industry -- शैतलपिरोनी उद्योग
दक्षिण-पश्चिम एवं मध्य फ्रांस का उत्तर-पुरापाषाणकालीन प्राचीनतम उद्योग, जिसने पूर्ववर्ती मोस्तारी संस्कृति से पर्याप्त बातें ग्रहण की।
यूरोपीय उच्च-पुरापाषाणकाल का समारंभ निम्न पेरीगार्डी अथवा शैतलपिरोनी उद्योग से हुआ। इनके मुख्य उपकरण ब्यूरीन, फलक-तक्षणी एवं अंत्य खुरचनी आदि हैं, जिसे शैतलपिरोनी चाकू-फलक भी कहते हैं। इस संस्कृति के उपकरणों में हस्तकुठार गिने-चुने ही मिले हैं। लीके के अनुसार साधारण उपकरणों की तरह हस्तकुठार का भी प्रयोग इस संस्कृति में किया जाता था।
देखिए : 'Chateperronian Culture'
  • check strip -- जाँच पट्टी
देखिए : 'balk'
  • checkboad method -- चतुरंग प्रणाली, वर्ग-जालक पद्धति
किसी पुरातात्विक स्थल के उत्खनन के समय आवास-क्षेत्र की विस्तृत जानकारी के लिए प्रयुक्त पद्धति, जिसमें सर्वेक्षण के दौरान संपूर्ण क्षेत्र को विशाल वर्ग-जालक में विभक्त कर लिया जाता है और आवश्यकतानुसार इच्छित वर्ग में उत्खनन किया जाता है। प्राचीन आवास क्षेत्र या नगरों के उत्खनन के लिए यह उपयोगी विधि है।
  • Cheddar Man -- चेड्डर मानव
इंग्लैंड के चेड्डर गोर्ज नामक स्थान से ई. 1,903 में प्राप्त एक नर-कंकाल। इसके साथ गुफा में अनेक पाषाण, श्रृंग तथा अस्थि-उपकरण प्राप्त हुए। चेड्डर गोर्ज के पार्श्व में प्राप्त अन्य गुफाएँ कच्चे चूने की हैं और जल के प्रवाह से इनका निर्माण हुआ है। इनमें से बहुत सी गुफाओं में पुरापाषाणकालीन आखेटक रहते थे। ये प्राज्ञ मानव (homosapiens) थे जो लगभग 8000 से 10000 वर्ष पूर्व इस स्थान पर निवास करते थे।
  • Chellean -- शेलीयन
यूरोपीय पूर्व पुरापाषाणकालीन हस्तकुठार परंपरा की प्रारंभिक प्रावस्था के लिए पहले प्रयोग में लाया गया शब्द। इसका नामकरण फ्रांस के शेलस (Chelles) सुर मार्ने नामक नामक स्थान पर पड़ा। इस उद्योग के प्रमुख उपकरण द्विमुखी-क्रोड या हस्तकुठार हैं। एबेवीली या शेलीयन हस्तकुठार सबसे प्राचीन और भौंडे हैं। ओक्ले एवं लीके के मतानुसार शेलीयन (एबेवीली) उद्योग द्वितीय हिमनदीय कल्प के अन्तर्हिमावर्ती काल में विकसित हुआ।
भारत में तथा अन्यत्र, जहाँ भी प्रागैतिहासिक साहित्य मे 'शेलीयन' शब्द का प्रयोग हुआ है,वहाँ के उपकरणों का शेलम उपकरणों से रूपसाम्य है तथा निर्माण की पद्धति भी समान है। पर यह आवश्यक नहीं कि ये फ्रांस के उपकरणों के समकालीन हों।
  • Chellean culture -- शेलीयन संस्कृति
फ्रांस में पेरिस से 13 किलोमीटर दूर स्थित एक स्थान शेलससुर मार्ने के स्थान-नाम पर पड़ा शेलीयन नाम। निम्न पुरापाषाणकालीन यूरोपीय हस्तकुठार संस्कृति के लिए इस शब्द का प्रयोग किया गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि इस संस्कृति की उत्पत्ति मध्य अफ्रीका में हुई और कालांतर में यह पश्चिमी यूरोप और दक्षिण एशिया में फैली। इस संस्कृति के उपकरण एकदम सादे हैं। इनमें से बहुत से तो प्राकृतिक पाषाण खंड की तरह दिखाई देते हैं।
देकिए : 'Chellean'
  • chert -- चर्ट
गुढक्रिस्टली क्वार्टज या रेशेदार कैल्सेडोनी से संघठित फ्लिन्ट सदृश एक असित वर्णी शैल जो संहत स्थूल रूप में या ग्रंथिकाओं के रूप में मिलता है।
  • chevaux de frise -- कांडवारिणी, प्रतिरोधक शंकु रचना
(क) किसी दुर्ग, भवन या प्रासाद आदि को बाहरी आक्रमण एवं अश्वारोही सेना द्वारा किए गए आक्रमण को रोकने के लिए बाहरी दीवारों, परकोटे या चौहद्दी में लोहे या लकड़ी की विशाल कीले या भाले की तरह की नुकीली रचना।
(ख) सुरक्षा के लिए किसी दीवार या चहारदीवारी के ऊपर जड़ी नुकीली शलाएँ।
  • Children of the Sun -- सूर्य-संतति
(क) वे प्राचीन लोग, जिन्होने महापाषाणों का निर्माण किया था।
(ख) इंका साम्राज्य (पेरू) के सभ्य लोग या उनके वंशज। सूर्यौपासक होने के कारण उन्हें इस नाम से पुकारा जाता था।
  • Chimaera -- ईहामृग, व्याल
मूर्तिकाल में प्रयुक्त काल्पनिक संयुक्त पशु की वह आकृति, जो सिंह, सर्प तथा अज के शरीर के संयोजन से बनी हो। भारतीय शिल्प में शुक्र, वृषभ, मकर, गज आदि पशुओं का भी इस रूप में अंकन मिलता है।
  • chinampa -- चिनांप्पा
मध्य अमरीका में विशेषकर अजेटेक लोगों द्वारा प्रयोग में लाई गई बहुत उपजाऊ खेती की प्रविधि जिसमें तालाबों तथा जलाशयों की तलहटी की उपजाऊ मिट्टी को निकालकर टहनियों के वर्गांकार जालों पर बिछा दिया जाता था और उसे छिछले पानी वाले भाग में स्थिर कर दिया जाता था, तथा उसकी सतह पर खेती की जाती थी। उर्वरता कायम रखने के लिए तालाब की गीली मिट्टी बीच-बीच मे नई फसल से पहले बदल दी जाती थी।
  • chip -- अपखंड, चिप्पड़, छिप्टी
त्वरित आघात या प्राकृतिक शल्कन की सहायता से विखंडित काष्ठ, पाषाण या किसी अन्य सामग्री का एक छोटा, पतला और चपटा टुकड़ा।
  • chipping floor -- अपखंडन स्थल
पाषाण उपकरण बनाने के कार्यस्थल का वह क्षेत्र जहाँ पर उपकरणों से निकाले गए अनुपयोगी बचे-खुचे चिप्पड़ों का मलवा फैला हुआ हो।
  • Chipping technique -- अपखंडन-प्रविधि
प्रागैतिहासिक मानव द्वारा उपकरण तैयार करने के प्रयोजन से पत्थरों की चिप्पड़ निकालने की एक रीति। पत्थर तोड़ने की प्रणालियों पर लीके तथा ब्रायल ने पर्याप्त प्रकाश डाला है। पत्थर तोड़ने की दो प्रमुख विधियाँ हैं। (1) निहाई प्रविधि तथा (2) प्रत्यक्ष आघात पद्धति।
  • chisel-ended handaxe -- छेनी-कार्यांग हस्तकुठार
प्रागैतिहासिक पाषाण-हस्तकुठारों का एक प्रकार। इस उपकरण की कार्यकारी धार बिलकुल सीधी छेनी या रूखानी की तरह होती है। यह बहुत छोटा तथा जिहवा की तरह निकला होता है।
  • Chopper -- गंडासा, खंडक, टोका, चापर
बटिकाश्म पर निर्मित एकमुखी अपरिष्कृत तथा भारी उपकर जिन्हें एक ओर से तराश कर बनाया गया हो। इस एकमुखीउपकरण का कार्यांग गौलाकार, अर्ध-अंडाकार या लगभग सीधा होता हैं। मोवियस के अनुसार "विशाल, अपरिष्कृत खुरचनी तथा क्रोड़ पर बने बड़ी खुरचनियो को चापर कहते हैं"।
ये अत्यन्त मध्य नूतन युगीन उपकरण पंजाब की सोहन तथा दक्षिणपूर्व एशियाई (बर्मा की अन्याथियन, जावा की पत्ज़ितेनियन, चीन की चू-कू-तियेन आदि) संस्कृतियों के विशिष्ट उपकरण हैं।
  • Chopper tool culture -- चापर उपकरण संस्कृति
वह प्रागैतिहासिक संस्कृति जिसके लोग बटिकाश्मों पर निर्मित एक मुखी अपरिष्कृत भारी उपकरणों का प्रयोग करते थे।
देखिए : 'chopper'
  • Chopping tool -- चापिंग उपकरण, कतरना उपकरण
अत्यन्त मध्य नूतनयुगीन बटिकाश्म पर निर्मित उभयपक्षीय उपकरण जिसके कार्यांग दोनों पक्षों से एकान्तर शल्कन (alternate flaking) विधि द्वारा निर्मित हों। इसका कार्यांग टेढ़ा-मेढ़ा अथवा लहरदार अंग्रेजी के "W" अक्षर के समान होता है।
  • choragic monument -- सहगान यशोमंदिर
(क) किसी नेता द्वारा अपनी सफलता की यादगार में बनाया गया एक लघु स्मारक।
(ख) प्राचीन एथेंस में, सहगान में सफलता मिलने पर पुरस्कार में प्राप्त ('कांस्य त्रिपदी') को प्रदर्शित करने के लिए नियत एक मंदिर विशेष। एथेंस में ई. पू. 334 में बनाया गया लाइसिक्रेटस का 'कोरेगिक मोन्यूमेन्ट' इसका एक भव्य उदाहरण है।
  • choris -- कोरिस
पश्चिमी उत्तर ध्रुव प्रदेशीय प्राग्इतिहास की नोरटन परंपरा का प्राचीनतम रूप। इनकी प्रमुख विशेषता ठप्पांकित मृद्भांड, ओपदार स्लेट उपकरण और दीये हैं। इसका काल ई. पू. 1590-ई. पू. 500 आँका गया है।
  • Christian art -- ईसाई कला, मसीही कला
ईसाई धर्म से संबंधित कला, ईसा मसीह के जन्म से लेकर अब तक प्राप्त वह कला जिसमें ईसा के जीवन तथा ईसाई धर्म की प्रमुख घटनाओं, ईसा तथा अन्य संतों के उपदेशों का चित्रण किया गया हो।
  • chronological sequence -- कालानुक्रम
कार्यों, घटनाओं, तथ्यों आदि की विशिष्ट क्रमानुसार व्यवस्था।
  • chronology -- कालानुक्रम, तैथिकी
समय को काल-खंडों और युगों में व्यवस्थित रूप से विभक्त करने का विज्ञान, जिसके अनुसार प्राचीन घटनाओं, तिथियों और उनके ऐतिहासिक अनुक्रम को निर्धारित और व्यवस्थित किया जाता है। इस संदर्भ में धरती की पर्तों का विशेष महत्व है, जिससे सांस्कृतिक अनुक्रम का ज्ञान होता है।
  • chrysoelephantine -- स्वर्णभूषित हाथीदाँत
सोने से अलंकृत हाथीदाँत से बनी कलात्मक वस्तुएँ।
  • chullpa -- पाषाण-मीनार
पेरू में दक्षिणी एन्डीज, विशेषकर टिटिकाका झील (Lake Titicaca) के चतुर्दिक ईका (INCA) विजय से पूर्व अथवा बाद में पाषाण अथवा कच्ची ईंटों से बना एक बेलनाकार या वर्गाकार शवाधान बुर्ज।
  • Churinga -- चुरिंगा
मध्य आस्ट्रेलिया में प्रचलित प्रथा के अनुसार, गुप्त स्थानों में रखा गया वह छोटा पत्थर या काठ का टुकड़ा जिसमें अनेक प्रकार की ऋजु एवं वक्ररेखीय आकृतियाँ बनी होती थी। इसे व्यक्ति की आत्मा का प्रतीक माना जाता है।
  • ciborium -- 1. छत्र, छतरी, चंदोवा
प्रायः चार स्तम्भों पर टिका छज्जेदार मंडप। यह ऊँचे चबूतरे पर बना होता है। कभी-कभी मूर्ति के ऊपर भी इस प्रकार का मंडप बनाया जाता है :-
(क) मिस्री कमल की तरह का ढ़क्कनदार प्याला।
(ख) मिस्री कमल के बीज-कोश के सदृश बना हुआ प्याला।
(ग) ईसाई धर्म में यूखरिस्त (अंतिम भोज संस्कार) की सामग्री को रखने के लिए बनाया गया पात्र।
  • Cimmerian -- सिमेरी
कीमिया की वह प्राचीन यायावर जाति, जिसने लगभग ई. पू. में एशिया माइनर को रौंद डाला था। इनके कोई अभिलेख अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं। इसलिए इनके पुरातात्विक अवशेषों की कड़ियों को जोड़ना दुष्कर कार्य है। लगभग ई. पू. आठवीं शताब्दी के अन्त में ये काकेशस प्रदेश की ओर उमड़ पड़े और इन्होंने, संपूर्ण पश्चिमी एशिया माइनर से समुद्र तटवर्ती प्रदेश को रौंद डाला, जहाँ पर यूफेसस और यूनानी नगर राज्य इनके विरूद्ध एकजूट हो गए। नगर-कोट के बाहर स्थित कार्टिमिस के प्रसिद्ध मंदिरों को भी इन्होंने लूटा और ध्वस्त किया।
  • cincel -- पाषाण तक्षणी, सिनसेल
दक्षिण अमरीका के प्राचीन इंडियन लोगों द्वारा प्रयुक्त एक पाषाण उपकरण विशेष जिससे तक्षण या अभिलेखों की खुदाई की जाती थी।
  • Cinder mound -- भस्म टीला
मिट्टी या पत्थर से निर्मित टीले के आकार की वह संरचना, जिसमें किसी महान् व्यक्ति के भस्मावशेष सुरक्षित रखे गए हों।
  • cinnabar -- हिंगुल, सिंगरफ, सिनबार
पारे (mercury) का रक्ताभ सल्फाइड जिसका कृत्रिम सिन्दूर से संबंध है। ये लाल चटख-क्रिस्टल के रूप में मिलते हैं। यह पारे का महत्वपूर्ण अयस्क है। प्राचीन कलाकार इसका प्रयोग रंग के रूप में करते थे।
  • circular nimbus -- वृत्ताकार प्रभावली, वृत्ताकार प्रभामंडल
देवताओं अथवा महापुरुषों के मुख-मंडल के चारों ओर गोलाकार बना रश्मि-वृत्त, जिसे चित्रों या मूर्ति के पीछे प्रदर्शित किया जाता है। यह चिह्न देवता या महापुरुष-विशेष के तेज और प्रताप की ओर इंगित करता है। यूरोप में वृत्ताकार प्रभावली निर्माण का सबसे प्राचीन उदाहरण ई. पू. चौथी शताब्दी के अपूली भांडों में प्राप्त होता है। प्राचीन भारतीय मथुरा और गांघार कला में इस प्रकार की प्रभावलियों का सृजन किया जाता था।
  • circumpolar cultures -- परिध्रुवीय संस्कृतियाँ
यूरेशिया की सुदुर संस्कृतियाँ जिन्हें ध्रुवीय पाषाणकालीन संस्कृति भी कहा जाता है। जिस समय इस क्षेत्र के दक्षिणी भाग के लोग कृषिकार्य करते थे, उस समय भी यह लोग अपनी आजीविका आखेट एवं खाद्य संग्रह द्वारा चलाते थे। कतिपय क्षेत्रों में इनके शैल-चित्र भी मिलते हैं जिनमें आखेट तथा मछली पकड़ने के दृश्य अंकित हैं। ये अपने उपकरण स्लेट पत्थर से तथा आभूषण एम्बर से बनाते थे। इनकी स्लेज गाड़ियाँ एवं चमड़े की नावें भी मिलती हैं। दक्षिण क्षेत्र से ये एम्बर का आयात करते थे तथा उसी क्षेत्र से इन्होंने आगे चलकर मृद्भांड निर्माण कार्य भी सीखा। उत्खनन में इनके शवाधान भी मिले हैं।
  • circumvallation -- किलेबंदी
नगर, किले आदि की रक्षा हेतु निर्मित उसके चारों ओर बनी ऊँची दीवार।
  • cist (=kist) -- ताबूत
संदूक या पेटीनुमा आकार की, खड़े प्रस्तर खंडों से बनी संरचना, जिसमें शव को रखकर गाड़ दिया जाता है। ये ताबूत प्रायः भूगर्भित और भूतल के ऊपर भू बने होते थे। इनके ऊपर कभी-कभी संरक्षी टीले भी बनाए जाते थे। प्रागैतिहासिक काल में, ताबूतों में शव को गाड़ने की प्रथा का प्रचलन था। दक्षिण भारत के महापाषाण स्मारकों में, इस प्रकार की संरचनाओं के उदाहरण मिलते हैं।
  • cist burial -- ताबूत शवाधान
संदूक या पेटी की तरह की कब्र, जिसमें मुर्दे को दफनाया गया हो।
  • cist circle -- ताबूत वृत्त
चारों ओर पत्थरों की गोलाकार पंक्तियों से घिरे प्रागैतिहासिक स्मारक। इनको बनाने के लिए पहले एक गड्ढा खोदा जाता था। गड्ढे के अंदर चार खड़ी पटियाओं को इस रीति से रखा जाता था कि उन पर शीर्ष-प्रस्तर स्थापित हो। एक खड़े शिला फलक में लगभग एक तिहाई से आधा मीटर व्यास का एक गोल छिद्र बना होता है। ताबूत वृत्त के फर्श की पटिया में मृद्भांड, मालाएँ तथा उपकरण मिले हैं। इस स्तर के ऊपर लगभग 15 सेंटीमीटर मोटी बालू की परत बिछी होती है, जिनमें नर-कंकाल रखे मिले हैं। अनुमान है कि शव के अवशेषों को एकत्रित कर छिद्रित मार्ग से ताबूत वृत्त में रखकर छिद्र को बंद कर दिया जाता होगा। भारत में इस प्रकार के स्मारक मिले हैं।
  • Clacton technique -- क्लैक्टेनी प्रविधि, क्लैक्टोनी तकनीक
प्रत्यक्ष संघात विधि से चलायमान हथौड़े की चोट द्वारा शल्क निकालने की तकनीक। 'क्लैक्टोनी' नामकरण इंग्लैंड की इसेक्स काउंटी के 'क्लैक्टन-आन-सी' स्थान के आधार पर हुआ। इस प्रकार के शल्कों का आधात-स्थल अकृत्रिम होता है। आघात कंद विकसित, बड़ा तथा गोलाकार होता है तथा शल्कों के दूसरी ओर बाह्यक (cortex) विद्यमान रहते हैं। साधारणतया शल्कों को पुनर्गठित नहीं किया जाता हैं। इनके क्रोड भी अपेक्षाकृत बड़े तथा अनगठित तथा उन पर गहरे शल्कचिह्न विद्यमान होते हैं।
  • Clactonian -- क्लैक्टोनी
निम्नपुरापाषाणकालीन चकमक प्रस्तर उद्योग, जो मुख्यतः द्वितीय महाअंतराहिमनदीय काल में पाए जाते थे। इसका नामकरण इसेक्स के 'क्लेक्टन आन-सी' नामक स्थान पर पड़ा। इस उद्योग के प्रमुख उपकरण कर्तित मोटे चकमक शल्क और अपखंडित चापर सदृश बटिकाश्म हैं। हस्त कुठारों का इस उद्योग में नितांत अभाव था।
इस उद्योग की एक यूरेनियम श्रृंखला (Uranium Series) तिथि 250,000 वर्ष मिलती है। इस उद्योग में पाषाणोपकरणों के अतिरिक्त लकड़ी के भाले का फल भी मिला है।
  • Classic period -- क्लासिक काल, श्रेण्य काल
नई दुनिया के पुरातात्विक संदर्भ में प्रयुक्त पद। इस शब्द का निर्माण मूलतः उस मय सभ्यता की विभिन्न प्रावस्थाओं के लिए किया जाता है, जो ई. 3 से ई. 600 तक चलती रही और अपनी सुंदर कलाकृतियों और भौतिक संस्कृति के लिए विख्यात हुई। क्लीसिक काल का अर्थविस्तार कर इसका प्रयोग दूसरी मैक्सिकी संस्कृतियों के लिए भी किया गया है।
प्राचीन सभ्यताओं में क्लासिकल शब्द का प्रयोग केवल रोम और यूनानी सभ्यताओं के लिए किया गया।
भारतीय संदर्भ में, गुप्त काल को श्रेण्य काल माना जाता है।
  • classical age -- क्लासिकी युग, श्रेण्य युग
(1) ललित कलाओं और साहित्य की विशिष्ट शैलियों के लिए प्रसिद्ध प्राचीन यूनान और रोम का युग विशेष।
इस युग की कला में संतुलन, सादगी और नैसर्गिक सौंदर्य मिलता हैं। इस शैली की विशेषताएँ विशेष रूप से पाँचवीं तथा चौथी शताब्दी ई. पू. में यूनान की चित्रकला तथा मूर्तिकला में परिलक्षित होती है।
(2) किसी देश का युग, जिसमें कला, साहित्य इत्यादि विविध क्षेत्रों में अभूतपूर्व उन्नति हुई हो।
भारतीय इतिहास के संदर्भ में गुप्त काल को श्रेण्य युग कहा जाता है जिसमें श्रेष्ठ वास्तु, मूर्तिकला, चित्रकला तथा साहित्य की रचना हुई। इस काल की सभी ललित कलाएँ अपनी अभूतपूर्व गुणवत्ता, प्रगति, नैसर्गिक सौंदर्याभिव्यक्ति, सहज गरिमा तथा कलात्मक संतुलन के लिए प्रसिद्ध हैं। इस युग की कृतियों ने प्रतिमान स्थापित किए, जो परवर्तो काल से आदर्श रहे।
  • classical archaeology -- क्लासिकी पुरातत्व
प्राचीन यूनानी और रोम की सभ्यताओं के पुरातात्विक अवशेषों का अध्ययन।
  • classical art -- क्लासिकी कला, श्रेण्य कला
किसी देश या काल विशेष की वह प्रतिष्ठित एवं उत्कृष्ट कला जिसे न केवल लोक स्वीकृति मिली हो, वरन् पीढ़ी दर पीढ़ी, कलाकारों ने जिसे आदर्श कला माना हो तथा जिससे अनवरत प्रेरण लेते रहे हों।
उदाहरणार्थ भारत की गुप्त कला और यूरोप की यूनानी और रोमन कला आदि को क्लासिकी कला का स्तर दिया गया है।
देखिए : 'Classical age'
  • classicism -- श्रेण्यवाद
(1) क्लासिकी (शास्त्रीय) शैली का अनुकरण।
(2) प्राचीन यूनानी और रोम के लोगों द्वारा प्रतिपादित एक शैली विशेष जिसमें सादगी, निर्दोषता, लालित्य तथा गतिशीलता विद्यमान हो।
(3) कला, साहित्य और शैली के क्षेत्र में वह आंदोलन जिसमें प्राचीन यूनानी या रोमन शैली का प्रभाव हो।
  • clay -- मिट्टी, चिकनी मिट्टी, मृत्तिका
मूर्ति, मृद्भांड, ईंट और खपरैल आदि के निर्माण के लिए प्रयुक्त एक प्रकार की चिकनी मिट्टी जिसके कण 0.002 मिo मीo व्यास के हों। गीला करने पर इसे किसी भी आकार में गढ़ा जा सकता है और यह सूखने पर कठोर हो जाती है।
  • clay enamel -- मृत्तिका आकाचन, मृत्तिका इनेमल
मृद्भांडकला और मूर्तिकला में अलंकरण के लिए प्रयुक्त रंगीन संश्लिष्ट लेप जिससे उसकी सतह सूखने के बाद चिकनी और चमकदार हो जाती है। इस लेप को तूलिका की सहायता से लगाया जाता है।
  • clay seal -- मृण्मुद्रा
मिट्टी से बनाई गई मुद्रा। प्राचीन काल में मिट्टी की मुद्राएँ प्रायः बनाई जाती थीं।
  • clay stamp -- मृण्मुहर
मिट्टी का ठप्पा। अक्षरों या चिह्नों आदि की छाप लगाने के लिए प्रयुक्त मिट्टी का ठप्पा।
  • clay tablet -- मृत्तिका-फलक, मृद्फलक
मिट्टी का बना हुआ पट्ट जो लेख या चित्र के आधार का काम दे। मिट्टी की पट्टी जिस पर लिखा अथवा चित्र बनाया जाना हैं।
  • Cleaver -- विदारणी
पूर्वपाषाणकालीन हस्तकुठार वर्ग का एक उपकरण जो क्रोड तथा शल्क पर निर्मित किया जाता था। इसकी मूठ हस्त कुठार की तरह परन्तु कार्यांग चौड़े खुरपे जैसा चौड़ा होता था। इसकी उत्पत्ति अफ्रीका के ओल्डुआई नामक स्थान में शेलीयन (Chellean) से ऐश्यूली काल के परिवर्तन के समय हुई होगी।
  • cloisonne -- तार जड़ाई
सोने, चाँदी, तांबे इत्यादि के पतले तारों या पट्टियों की सहायता से धातु के धरातल में रंगीन पत्थरों और काँच को जड़ने की प्रविधि। इस प्रकार के अलंकरण की प्रविधि योरोप और एशिया में ईसा की प्रारंभिक शताब्दी से ही प्रचलित थी। इस प्रकार के अलंकरण आभूषणों, धातु-पात्रों तथा अन्य वस्तुओं पर मिलते हैं।
  • clovis point -- क्लोविस वेधनी
पाषाण से बना एक विशिष्ट प्रकार का उपकरण जो उत्तरी अमेरिका के विशाल क्षेत्र से तथा मध्य अमेरिका के कुछ क्षेत्रों से मिला है। यह एक प्रक्षेपास्त्र था जिसके दोनों पार्श्व उपकरण की लंबाई के अर्धभाग तक धारदार और सिरा नुकीला होता था। इन उपकरणों का प्रारम्भिक काल लगभग ई. पू. 10,000 आँका गया है।
  • code of Hammurabi -- हमूराबी संहिता
बेबीलोन के सम्राट हमूराबी ई. पू. 1792-ई. पू. 1750 द्वारा संकलित कानूनों का संग्रह। इस अभूतपूर्व संहिता से तत्कालीन आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक स्थिति का ज्ञान होता है। यह संहिता सिप्पर के सूर्य-मंदिर में काले डायोराइट प्रस्तर पर उत्कीर्ण थी। लगभग ई. पू. 1200 में यह सिप्पर से सूसा में स्थानांतरित कर दी गई। सन् ई.1901 -2 में, यह तीन खंडों में मिली। ऐतिहासिक दृष्टि से यह संहिता बहुत मबत्वपूर्ण है।
  • codex -- संहिता, कोडेक्स
1. परवर्ती रोमन कालीन धर्मोपदेशों का संकलन जो हस्तलिखित पांडुलिपि के रूप में मिलता है।
2. मध्य अमरीकी दस्तावेज जिनमें जीवन के विभिन्न पहलुओं का वृत्तांत मिलता है।
  • coffin -- शवपेटिका, ताबूत
काष्ठ या धातु का बना हुआ वह संदूक, जिसमें शव को रखकर गाड़ा जाता हो। प्राचीन मिस्र में ममी को इसी तरह के संदूक में रखा जाता था।
  • coffin text -- शवपेटिका लेख
प्राचीन मिस्र के मध्य साम्राज्य के ताबूतों पर अंकित वे अभिलेख, जिनमें जादू-टोना और प्रार्थनाएँ भी सम्मिलित थीं। यह पिरामिड-लेख और मृत पुस्तक (Book of the Dead) लेखन की मध्यवर्ती प्रावस्था थी।
  • coil method -- कुंडली प्रविधि
मृद्भांड निर्माण की एक आदिम तकनीक। इस प्रविधि में मिट्टी के लोदे से बत्तियाँ बनाकर उन्हें कुंडलाकार रखकर पात्र का रूप दिया जाता है।
  • coin -- सिक्का
ढला हुआ और निर्दिष्ट मूल्य का एक धातु-खंड, जिसका प्रयोग वस्तु विनिमय के लिए किया जाता रहा है। सिक्के के मूल्य-वर्ग निर्धारण और उसको जारी करने की शक्ति अधिकृत श्रेणी, समूह या शासन में निहित होती है। भारत के प्राचीनतम सिक्कों में धातु के टुकड़ों पर विशिष्ट चिह्न अंकित हैं।
  • coin hoard -- सिक्का निधि
उत्खनन या अन्य प्रकार से उपलब्ध सिक्कों का संग्रह। पुरातात्विक उत्खननों में सिक्कों की ऐसी विशाल निधियाँ मिली हैं, जो तत्कालीन इतिहास को जानने का महत्वपूर्ण साधन हैं। इन निधियों में, गुप्तकालीन बयाना निधि उल्लेखनीय है।
  • collagen content -- कोलैजन अंश
अस्थि का एक प्रमुख कार्बनिक-यौगिक जिसका प्रयोग पुरातत्व में अस्थि अवशेषों का काल निर्धारण करने के लिए होता है। प्राणियों की अस्थियों में मुख्यतः केल्सियम फास्फेट के साथ-साथ वसा व अस्थि प्रोटीन या कोलैजन विद्यमान रहता है। कोलैजन अंश काफी लंबे समय तक सुरक्षित रह सकता है और बहुत धीरे कम होता है। इसमें कोलैजन अंश का ज्ञान उसमें विद्यमान नाइट्रोजन के अंश का विश्लेषण कर दिया जाता है। तिथि-निर्धारण की इस विधि का प्रयोग बहुधा परीक्षण विधि के साथ किया जाता है। यथेष्ट कोलैजन अंश युक्त अस्थियाँ रेडियोकार्बन तिथि निर्धारण विधि के लिए भी अधिक उपयुक्त है।
  • collared rim -- कंठेदार अंवठ
किसी पात्र के मुख भाग में बना हँसली या कंठे के आकार का घेरा, जो उन्नत, सम या अवनत रूप में होता है।
  • collective tomb -- सामूहिक तुंब, सामूहिक शवाधान
एक विशेष प्रकार की समाधि, जिसमें अनेक शन दफनाए जाते थे। इस प्रकार की समाधियाँ शैलकृत, विशाल पत्थरों या ईटों से बनी मिली है।
  • colossal statue -- विशाल मूर्ति
असाधारण रूप से विशाल आकारवाली मूर्ति जैसे-गोमतेश्वर की तीर्थंकर प्रतिमा तथा वामियान (अफगानिस्तान) की बुद्ध-मूर्ति।
  • Colosseum -- कोलोसियम
वेस्पेसियन और टाइटस द्वारा ई. 80 में निर्मित रंगभूमि, जिसके खंडहर आज भी रोम में विद्यमान हैं। कोलोसियम एक अंडाकार संरचना थी, जो बाहर से 187.45 मीटर चौड़ी थी। इसमें मल्लभूमि के नीचे तहखाने बने थे, जिनमें परिचारक, ग्लैडियेटर तथा जंतु रहते थे।
  • Columbarium -- अस्थि भस्माधान
मकबरे की दीवार में बने कोष्ठ, जिनमें मृतकों, देहावशेषों को पात्रों में सुरक्षित रीति से रखा जाता था।
  • concave convex -- अवतलोत्तल
जो दोनों ओर अवतलाकार हो और पार्श्व में दूसरी ओर उत्तलाकार हो, जैसे-अंडे का खोल।
  • concave scraper -- अवतल खुरचनी
प्रागैतिहासिक उपकरण क्षुरक या खुरचनी का एक प्रकार। अवतल क्षुरक, फलक, शल्क अथवा क्रोड़ में बनाए जाते हैं। इसकी कार्यकारी धार अर्ध चन्द्राकार होती है जिसे परिष्करण द्वारा निर्मित किया जाता है।
  • conch-shell -- शंख
(क) एक प्रकार का बड़े आकार का घोंघा, जिसके कोषावरण को भारत में पवित्र माना जाता है। भारतीय मूर्तिकला में ही नहीं, वरन् सिक्कों, मुहरों आदि में भी धार्मिक प्रतीक के रूप में शंख का प्रयोग मिलता है। यह विष्णु का प्रमुख आयुध माना गया है।
(ख) प्राचीन यूनानी धार्मिक कला में, ट्रिटन नामक समुद्री देव द्वारा सूर्य-नाद के रूप में प्रयुक्त शंख।
  • confessio -- धातुगर्भ
(क) किसी शहीद का मकबरा।
(ख) किसी स्थल पर बनी वेदी।
(ग) किसी पवित्र स्थान या वेदी का वह भाग, जो कहीं-कहीं भूगर्भित होता है तथा जिसमें मृतक की अस्थियाँ सुरक्षित रखी जाती हैं।
(घ) समाधि-मंडप में मृत व्यक्ति के अस्थि-अवशेष के ठीक ऊपर बनी ऊँची वेदी।
  • conisterium -- अभ्यंगकक्ष, मालिशखाना
प्राचीन यूनानी मल्लभूमि या अखाड़े में बना वह कक्ष, जिसमें पहलवान शरीर में तेल लगाते तथा उसे पोंछते थे, ताकि कुश्ती में उनकी पकड़ अच्छी रह सके।
  • context -- संदर्भ
किसी उपकरण का स्थानिक, कालिक और सांस्कृतिक पर्यावरण जिसके आधार पर उसके महत्व का आकलन किया जाता है।
  • contract archaeology -- अनुबन्ध पुरातत्व
किसी पुरातात्विक स्थल, स्मारकों या सांस्कृतिक अवशेषों इत्यादि के समुचित रखरखाव, संरक्षण, अन्वेषण, या व्याख्या के लिए, विधिक अपेक्षाओं के अन्तर्गत किया गया अध्ययन।
  • control pit -- नियंत्रण गर्त
किसी भी उत्खनन में खात के एक किनारे पर बना छोटा गर्त जिसमें पहले खोद कर स्तरों का स्वरूप जान लिया जाता है और बाद में शेष क्षेत्र में उसी आधार पर खुदाई की जाती है। इसके द्वारा उत्खनन सुनियोजित ढंग से किया जाता है तथा पुरातात्विक साक्ष्यों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है।
  • conventional art -- रूढिबद्ध कला, रूढिगत कला
वह कला जिसकी रचना, शैली और माध्यम में समकालीन वस्तुओं या उपलब्धियों का समावेश न होकर, पारंपरिक प्राचीन मानदंडों का अनुकरण किया जाता हो।
  • convex oblate -- उत्तल लघुअक्ष
अंडाकार बटिकाश्मों से भिन्न, किनारों पर चिपटे तथा अपेक्षाकृत पतले बटिकाश्मों पर निर्मित उत्तल कार्यकारी धार वाले पाषाणोपकरण। इस प्रकार के उपकरण गोलाकार अथवा अंडाकार होते हैं तथा इनकी कार्यकारी धार के निर्माण हेतु शल्कीकरण प्रायः चौरस पृष्ठ भाग से ऊपर की ओर बहुत संकरा कोण बनाते हुए किया जाता है। कभी-कभी इसकी कार्यकारी धार सीधी भी होती है। एनियाथियाँ संस्कृति में इस प्रकार के नतोदर-कार्यकारी धार वाले उपकरण भी मिले हैं।
  • convex sided -- उत्तल किनारेवाला, उत्तलपार्श्व
जिसके दोनों पार्श्व उभारदार हों।
  • copper age -- ताम्र-युग
किसी भी सभ्यता के इतिहास का वह काल, जिसमें सर्वप्रथम तांबे का व्यापक रूप से प्रयोग-व्यवहार होने लगा। ताम्र के प्रयोग का युग, प्रस्तर युग और लौह-युग के बीच माना जाता है।
विभिन्न देशों में, ताम्र-युग के अन्तर्गत ताम्र-कांस्य व ताम्र-पाषाण उपकरणों का प्रयोग मिलता है। इसके आधार पर इसे क्रमशः ताम्र-कांस्य युग तथा ताम्राश्म युग की संज्ञा दी गई। यूरोप के संदर्भ में ताम्र प्रस्तर युग (aeneolithic) ताम्र-युग की ही एक स्थिति को सूचित करता है।
  • copper hoards -- ताम्र निधियाँ
निधियो में प्राप्त तांबे की बनी वस्तुएँ, जिनमें चपटी स्कंधित, दंडाकार टांकिया व कुल्हाडियाँ , ताम्र-वलय, हारपून, दुसिंगी तलवारें तथा मानवाकृतियाँ सम्मिलित हैं। इस प्रकार के संचय उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मिले हैं। इस प्रकार के उपकरण एवं आयुध गुजरात और मैसूर से भी मिलते हैं।
गंगाघाटी में इसका काल लगभग ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि का उत्तरार्ध माना जाता है।
  • copper plate inscription -- ताम्रपत्र-लेख
तांबे की चद्दर का बना हुआ वह खंड या टुकड़ा, जिस पर अभिलेख उत्किर्णित हों। उत्खनन में मिले तांबे के पत्तरों पर उत्कीर्णित दानपत्रों अथवा विजय-पत्रों आदि से तत्कालीन इतिहास के अध्ययन में महत्वपूर्ण सहायता मिलती है।
  • coprolite -- शमलाश्म, कोप्रोलाइट
जीवाश्म मल या विष्ठा, जिसके अध्ययन से लुप्त पशुओं की प्रकृति और उनकी भोजन-सामग्री के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
  • corbelled masonry -- कदलिकायुक्त चिनाई
पत्थर या ईंट इत्यादि से बने भवन के शीर्ष भाग की त्रिकोणाकार सीढ़ीनुमा संरचना। ऊपरी भाग के पत्थरों को क्रम से सीढ़ीनुमा बनाकर मेहराबदार आकृति बनाई जाती है।
  • cord ornament -- रज्जु अलंकरण
एक प्रकार की मृद्भांड-सजावट, जिसमें कच्चे बर्तनों के धरातल पर रस्सी की छाप लगाई जाती है। कच्चे बर्तनों के पूरे या थोड़े भाग में रस्सी को लपेटने पर रस्सी की धारियाँ उनमें स्वतः बन जाती हैं।
  • corded ware -- रज्जु अलंकृत भांड
(1) ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि के उत्तरार्ध में मिलने वाला उत्तरी यूरोपीय विशिष्ट भांड। मुख्य भांड प्रकारों में बीकर और गोलाकार एम्फोरा पात्र हैं जो रज्जु अलंकरण युक्त हैं। इन मृद्भाण्डों के साथ-साथ प्रस्तर परशु-कुठार (Battleaxe) भी मिलते हैं। इनके निर्माता आद्य-कृषि कार्य से परिचित थे तथा मृतकों को लघु टीलों (Kurgan) में दफ्ताते थे। कतिपय पुराविद् यूरोप के प्रथम भारोपीय लोगों को इन भांडों का निर्माता मानते हैं।
मृद्भांडों का एक विशिष्ट प्रकार जिनपर पकाने से पहले बलदार डोरियों की छाप बना दी जाती थी। इस प्रकार के मृद्भांड नवपाषाणकालीन संदर्भों में चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत एवं उत्तरी यूरोप में मिले हैं।
  • corded ware culture -- डोरीदार मृद्भांड संस्कृति
ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि में उत्तर योरोपीय मैदानी क्षेत्रों के एक बहुत बड़े क्षेत्र में विस्तृत नवपाषाण संस्कृति। इनके प्रमुख मृद्भांड डोरीदार एवं गोल एम्फोरा थे।
  • core -- क्रोड
एक प्रस्तर पिंड जिसमें से शल्क उतार कर उपकरण बनाए जाते हैं।
देखिए : 'blade'
  • core and flake cultures -- क्रोड तथा शल्क संसक्तियाँ
क्रोड एवं शल्क से उपकरणों का निर्माण और प्रयोग करनेवाली संस्कृतियाँ। पूर्वपाषाणकालीन उपकरणों को मुख्यतः जिन दो भागों में विभक्त किया जाता है, वे हैं (1) क्रोड उपकरण तथा (2) शल्क उपकरण। इनमें बटिकाश्म उपकरण को सम्मिलित नहीं किया जाता, जो प्राचीनतम उपकरण हैं। क्रोड एवं शल्क अन्योन्याश्रित हैं क्योंकि क्रोड से ही शल्क निकाले जाते हैं। क्रोड उपकरणों में एबेवीली एवं ऐश्यूली तथा शल्क उपकरणों वाली क्लैक्टोनी तथा ल्वाल्वाई संस्कृतियाँ परिगणित की जाती हैं।
भारतीय संदर्भ में, बटिकाश्म, क्रोड़ तथा श्लक पर बने उपकरण कभी-कभी एक ही जमाव में मिलते हैं।
  • corporal relic -- देहावशेष, धातु-अवशेष
किसी महान् व्यक्ति की अस्थि, केश तथा नाखून इत्यादि के वे अवशेष, जिन्हे सुरक्षित रूप से रखा जाता था। बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके देहावशेषों पर स्तूप का निर्माण किया गया।
  • costrel -- कोस्ट्रेल
मिट्टी से बना फ्लास्क के आकार का एक मध्यकालीन योरोपीय भांड।
  • counterstrike -- प्रतिमुद्रित करना, प्रत्याहत करना
पहले से ही चिह्नांकित मोहर पर दुबारा मुहर लगाकर चिह्नांकित करना।
  • coup-de-poing -- कूदप्वां
हस्तकुठार के लिए प्रयुक्त फ्रांसीसी भाषा का शब्द जिसे 'बुशे' भी कहा जाता है। निम्न पुरापाषाणकाल के एबेवीलो एश्यूली संस्कृति के ये प्रमुख उपकरण हैं।
देखिए : 'handaxe'
  • court cairn -- प्रांगण संगौरा
दक्षिण-पश्चिमी स्काटलैंड एवं उत्तरी आयरलैंड के महापाषाण गृह-तुंब का एक प्रकार। इसकी मुख्य विशेषता लंबा आयताकार संगौरा (cairn) तथा नतोदर अर्ध वृत्ताकार अग्र प्रांगण है। इस अग्र प्रांगण से शवाधान कक्ष में प्रवेश किया जाता है, जो सामान्यतः गैलरीनुमा बना होता है। प्रांगण संगौरे का निर्माण नवपाषणकाल के प्रारंभिक चरण (लगभग ई. पू. 3000) से ही मिलने लगता है और इनका उपयोग नवपाषाणकाल के अवसान (लगभग ई. पू. 1800) तक होता रहा। इसे 'क्लाइड-कारलिंग फोर्ड तुम्ब' भी कहा जाता है।
  • cranial capacity -- करोटिधारिता
करोटि गुहिता की धारण-क्षमता के आधार पर मस्तिष्क पिटक-धारिता का माप। मृतकों के कपालों में मस्तिष्क पिटक का मापन उसमें जल अथवा सरसों भरकर उसके आयतन के आधार पर किया जाता है। मानव विकास के अध्ययन में इस मापन का उपयोग किया गाया है।
  • crannog -- जलदुर्ग
कृत्रिम रूप से निर्मित एक प्रकार का लघु आरक्षित द्वीप, जो सरोवर के बीच या पीछे की ओर बनाया गया हो। मूल रूप से प्रागैतिहासिक युग में स्काटलैंड में इस प्रकार के द्वीपों की रचना की जाती थी। प्राचीन भारतीय साहित्य में भी इस प्रकार के कृत्रिम आरक्षित दुर्गों का उल्लेख मिलता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में इनका उल्लेख है। यद्यपि जलदुर्गों के सबसे प्राचीन अवशेष नवपाषाणकालीन मिले हैं, तथापि उत्तर कांस्य युग और लौह युग में भी इनका अस्तित्व रहा है।
  • crater -- क्रेटर, चषक
बृहदाकार दो हत्थेवाला पात्र जिसमें सुरा और जल मिश्रित किया जाता था। यूनान-माइसीनी तथा श्रेण्यकालीन कलात्मक वस्तुओं में इसका विशिष्ट स्थान था। विक्स (फ्रांस) में प्राप्त प्रारंभिक लौहकालीन कांस्य क्रेटर कला का श्रेष्ठ नमूना है।
  • creasted ridge flake -- दंतुर, पृष्ठ शल्क
वे प्रागैतिहासिक पाषाण उपकरण-शल्क, जिनके पृष्ठ भाग के ऊपर बनी रेखाएँ सीधी न होकर टेढ़ी-मेढ़ी लहरियादार और अक्षर के समरूप होती हैं। दंतुर कटक शल्क एक विशेष प्रकार के क्रोड से बनता है, जिसके पृष्ठ भाग से एकांतर शल्कन द्वारा लघु आकार के शल्क निकाले जाते हैं। यह उल्लेख्य है कि कृत्रिम आघात स्थल बनाकर, अप्रत्यक्ष आघात द्वारा शल्क निकाले जाते हैं। भारत में दंतुर पृष्ठ शल्क प्राप्त होते हैं।
  • cremation burial -- अस्थि भस्माधान
मृत व्यक्तियों के दाह-कर्म की प्राचीन प्रणाली, जिसमें शरीर के भस्मावशेषों को किसी कलश में रखकर भूमि में गाड़ दिया जाता था।
  • cremation urn -- दाह कलश
वह पात्र, जिसमें मृत व्यक्ति के अवशिष्ट भस्म व अस्थियों को कलश में रखकर भूमि में गाड़ दिया जाता था।
  • crenel (= crenella) -- मोखा, फसील
किसी प्राचीर, दीवार या परकोटे के भागों में थोड़ी-थोड़ी दूर पर बने छिद्र, जिनके एकांतर भाग दीवार की सतह से उठे बनाए जाते हैं और वे एक फसील का काम करते हैं। कंगूरा; कपिशीर्षक।
सामान्यतया बहुत छोटी खिड़की और झरोखे को मोखा कहा जाता है।
  • crescent blade -- अर्धचंद्र फलक
एक प्रागैतिहासिक लघु प्रस्तर उपकरण, जिसकी एक भुजा सीधी तथा दूसरी भुजा अर्ध-चन्द्राकार बनी होती है।
  • crescentic point -- अर्धचंद्राकार वेधनी
प्रागैतिहासिक पाषाण वेधनी का एक प्रकार, जिसकी एक भुजा सीधी तथा दूसरी नीचे की ओर अर्धचन्द्राकार बनी होती है। इस उपकरण की नोक ऊपर की ओर होती है।
  • cresset -- दीप चषक
धातु-निर्मित प्याले के आकार का वह पात्र, जो शीर्ष भाग में खुला तथा पार्श्व भाग में छिद्रित या पट्टीदार होता है। यह ज्वलन सामग्री रखने के काम आता है।इसे मशाल की तरह भी काम में लाया जाता है।
  • Creswellian culture -- केसवेली संस्कृति
ब्रिटेन की उत्तर पुरापाषाणकालीन एक संस्कृति जो वहाँ क्रैसवेल क्रैग नामक स्थान में पाई गई। इसके प्रमुख उपकरणों में बड़े समलंब तिरछे कुंठित फलक तथा छोटे पृष्ठित फलक हैं। इस प्रकार के उपकरण उत्तरी जर्मनी तथा नीदरलैंड से प्राप्त हुए हैं।
  • Cretan culture -- क्रीट संस्कृति
भूमध्यसागर के पूर्वी भाग में स्थित क्रीट द्वीप की संस्कृति। यह मुख्य रूप से अपनी कांस्यकालीन संस्कृति, जिसे मिनोअन संस्कृति भी कहा जाता है, के नाम से जानी जाती है जो यूरोपीय सभ्यता की जननी थी। इस संस्कृति का काल लगभग ई. पू. 2500 से ई. पू. 1400 माना जाता है। इस संस्कृति के प्रमुख केन्द्रों में सर आर्थर इवांस द्वारा उत्खनित क्नौसोस के अतिरिक्त, फेस्टोस, मालिया आदि अन्य पुरास्थल हैं।
देखिए : 'Minoan culture'
  • cribbing -- अस्थायी रेखा
खुदाई के समय टेकबंदी के लिए बनाई गई एक अस्थायी रेखा।
  • criosphinx -- 1. मेषव्याल
वह मूर्ति या आकृति, जिसका मुख मानव की तरह न होकर मेढ़े या दुंबे की तरह हो।
2. मेष शीर्ष दैत्य
असाधारण डील-डौल का असुर या राक्षस, जिसके कपाल या सिर पर मेढ़े की शक्ल बनी हो।
  • Cro-Magnon -- क्रोमाग्नों
दक्षिण पश्चिम फ्रांस के दोरदोन क्षेत्र में स्थित एक प्रागैतिहासिक गुफा। इस स्थान मे ई. 1868 में उत्तर पुरापाषाणकालीन स्तरों से अनेक मानव कंकाल मिले थे। इस प्रकार के मानव को क्रोमाग्नों मानव तथा 'होमो सापियन सापियनस' का प्राचीनतम रूप माना जाता हैं। इस मानव को फ्रांस की पेरीगोर्डियन संस्कृति का निर्माता कहा जाता है, जिसकी प्राचीनतम तिथि ई. पू. 3500 आँकी गई है।
  • Cromerian industry -- क्रोमरी उद्योग
इंग्लेंड के क्रोमर-नोरफोक नामक स्थान में प्राप्त पूर्व-पाषाण युग का शल्क उद्योग। अपरिष्कृत तथा आचार में बड़े ये शल्क उपकरण, काटने व खुरचने के काम आते रहे होंगे। प्राप्त उपकरणों में कुछ बेडौल हस्तकुठार भी हैं।
  • cromleck -- शिलामंडप, शिलास्मारक, क्रोमलेक
वेल्श भाषा का शब्द जो सभी प्रकार के गृह-तुंब महापाषाणणीय स्मारकों के लिए प्रयुक्त किया जाता था। इस शब्द का अब पुरातत्व में प्रयोग नहीं होता है।
  • crook ard -- वक्र आर्ड, वक्र कुदाली
कृषि-कार्य में प्रयुक्त दो प्रकार की कुदालियों में से एक, मुड़ी हुई या घुमावदार कुदाली। पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त, प्राचीन कुदाली, प्रत्यक्ष रूप से कुदाल (hoe) से विकसित हुई, जिसका आकार-प्रकार नखर-हल जैसा होता था और जो भूमि की मिट्टी को बिना पलटाए जोत देता था।
  • crop marks -- वानस्पतिक चिह्न
हवाई चित्रों की सहायता से भूगर्भित अवशेषों का पता देनेवाले वानस्पतिक आभाभेद। किसी टीले या भूमि के नीचे कोई स्मारक या दीवार आदि दबी हुई हो तो ऐसे स्थान की वनस्पति की बढ़वार कम हो जाती है तथा उसका रंग शीघ्र ही पीला पड़ जाता है क्योंकि वहाँ पर आर्द्रता कम रहती है। विशेषतः ग्रीष्म ऋतु में वनस्पति चिह्नों का अध्ययन कर भूगर्भित अवशेषों, यथा शवाधान, खाइयाँ , स्मारक के बारे में उत्खनन से पूर्व, प्रारमभिक जानकारी प्राप्त की जाती हैं।
  • cross bar -- 1. सब्बल, रंभा
लोहे का बना वह मोटा और भारी छड़ जिससे जमीन या दीवार पर खड्ढ़ा खोदा जाता है।
2. तकिया, सूची
भवन आदि के निर्माण-कार्य में प्रयुक्त होने वाली प्रस्तर आदि की वह पटिया जो सहारा देने या रोक के लिए लगाई जाती है।
  • cross bow -- क्रॉस धनुष
एक प्रकार का धनुष जो एक मोटी लकड़ी के आधार पर लगा होता है। इसमें एक छेद होता है। धनुष को छेद के भीतर डाला जाता है। इस लकड़ी के ऊपरी हिस्से में लम्बाई की ओर खाँच होती है। इस खाँच में बाण रखा जाता है। धनुष की डोरी को बाण के तलपर तानकर फँसाया जाता है। इसमें एक ऐसा यंत्र होता है जिसको दबाकर छोड़ने से बाण वेग से छूटता है।
क्रॉस धनुष का चीन में सर्वप्रथम प्रयोग ई. पू. चौथी शताब्दी में मिलता है। कांसे के ढलवाँ बाण छोड़ने का खटका-यंत्र या घोड़ा परवर्ती पूर्वी झाओ या चाओ (चीन का एक प्राचीन राजवंश) शवाधानों में प्राप्त होते हैं।
  • cross dating -- काल-प्रतिनिर्धारण
किन्हीं दो या अधिक संस्कृतियों में प्राप्त पुरावशेषों के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर तिथियों का निर्धारण।
  • cross nimbus -- क्रूस-प्रभावली, क्रूस-प्रभामंडल
ईसा मसीह के प्रतीक चिहन क्रूस के पृष्ठ भाग में बना प्रभामंडल, जो उनकी दैवी शक्तियों का परिचारक है। ई. छठी शताब्दी से ईसा के प्रतीक-चिह्न क्रूस का प्रयोग प्रभावली के साथ नियमित रूप से किया जोने लगा।
  • crucible -- कुठाली, मूषा
उच्च तापसह पदार्थ जैसे, मृत्तिका, ग्रेफाइट, पोर्सिलेन इत्यादि से बना एक छोटा पात्र जिसमें सोना, चाँदी इत्यादि गलाया जाता है। इसे 'घरिया' भी कहा जाता है।
  • cryoturbation -- तुषारी क्रिया
बर्फ के आवरण से ढके क्षेत्र के निकटवर्ती स्थानों की मिट्टी में जल की मात्रा अधिक होती है। ऋतु-परिवर्तन के कारण जब बर्फ पुनः जमने लगती है, तब बर्फ से बनने वाले क्रिस्टलों के दाब से फैले हुए पत्थर एवं अन्य काम पुनर्व्यवस्थित हो जाते हैं, जिसे तुषारी-क्रिया कहा जाता है। इस प्रकार की संरचित मृदा परिहिमानी परिस्थितियों में ही होती है।
  • crypt -- तलघर, तहखाना
पूर्णतया या आंशिक रूप से भूतल के नीचे बना कोष्ठ। कभी-कभी कुछ भवनों में तलघर को शवाधान के लिए भी प्रयुक्त किया जाता था।
  • cryptoporticus -- आवृत्त पार्श्व वीथी, छद्मद्वार मंडप
प्राचीन रोमन स्मारकों में निर्मित वीथी या मंडप जिसके किनारे की दीवारों में पूर्ण स्तंभ न बनाकर नीचे की ओर छोटी दीवार बनी होती है। स्तंभों के नीचे बनी दीवारों में तो चिनाई कर दी जाती है, पर वीथी के ऊपरी भाग में स्तंभ दृष्टिगोचर होते हैं।
होरस के मंदिर (इदफू) ई. पू. 425-ई. पू. 237 तथा हथोर के मंदिर (देनदेरा ई. पू. 332) वे इस प्रकार की पार्श्व-वीथी बनी है। इसमें बनी स्तंभावलियाँ या तो दीवार में ही छिपा दी जाती हैं, या अंशतः दीवार से ढक दी जाती हैं।
  • Cucutani culture -- कुकुतानी संस्कृति
त्रिपोली संस्कृति (TRIPOLYE) की रोम शाखा। इसकी पूर्व कालिक प्रावस्था का काल ई. पू. 3,360 तथा द्वितीय प्रावस्था का काल लगभग ई. पू. 3,000 रेडियो कार्बन प्रविधि के आधार पर आँका गया है।
  • Cultural Resource Management (CRM) -- सांस्कृतिक स्रोत प्रबंध
पुरातत्व की वह शाखा जिसमें प्राचीन स्मारकों तथा सामग्रियों के संरक्षण के संबंध में नीति-निर्धारण और उसके अनुरूप नियमों का निर्माण किया जाता है।
  • cultural types (of artifacts) -- सांस्कृतिक प्ररूप (उपकरणों का)
सांस्कृति विकास के आधार पर प्रागैतिहासिक उपकरणों का वर्गीकरण जो उनके विकास-क्रम को बतलाता है। निम्न पुरापाषाणकालीन उपकरणों के आकार और निर्माण-विधि को ध्यान में रखने हुए उनकी चार संस्कृतियाँ मानी जाती हैं- अबेवीली, ऐश्यूली, कलैक्टोनी तथा ल्वाल्वाई।
  • cumulative frequency curve -- संचयी आवृत्ति वक्र
पुरातत्व में उपकरण के प्ररूपों के प्रतिशत के बताने का ग्राफ में विशिष्ट प्रकार के प्राप्त उपकरणों के ढेर से उनका प्रतिशत निकालकर बताया जाता है। प्रत्येक उपकरण-प्रकार के प्रतिशत, परवर्ती प्रकार के प्रतिशत के साथ जोड़कर क्रमशः ग्राफ में दर्शाया जाता है। ग्राफ में संपूर्ण प्रविष्टि का मान 100 प्रतिशत रखा जाता है।
  • cuneiform -- कीलाक्षर, कीलाकार, बाणमुख
मेसोपोतामिया में ई. पू. तीसरी से प्रथम सहस्राब्दी में विकसित एक प्राचीन लिपि, जिसके अक्षर कील या शंकु की तरह दिखते थे। सुमेरी, अक्कादी एलेमाइट तथा हित्ती भाषाएँ इस लिपि में लिखी जाती थीं। इनके लिपि-चिह्न भावदर्शी हैं और आक्षरिक चिह्न बाएँ से दाएँ लिखे जाते रहे हैं। ई. पू. चौथी शताब्दी की उरूक की मिट्टी की पट्टियों के लेख से मेसोपोतामिया की लिपी की प्राचीनतम चित्रात्मक प्रावस्था का ज्ञान होता है। सर्वप्रथम ई. 1802 में इस लिपि का संकेतगठन बेहस्तून की तीन भाषओं में लिखे अभिलेख के आधार पर जर्मन भाषा-विज्ञानी ग्रोटफेंट ने किया था।
  • Cuneiform tablet -- कीलाकार लेखपट्टी
कीलाक्षरों वाले लेख अंकित मिट्टी की पट्टिका, जिसे आग में रखकर पकाया गया था। कीलाक्षरों का प्रयोग मेसोपोतामिया में काल में होता था। अनुमान है कि इसका प्रादुर्भाव ई. पू. में हुआ। कच्ची मृदा-पट्टियों पर पहले कीलाक्षरों में लिखा जाता था। बाद में स्थायित्व देने के लिए मृतिका पट्टियों को आग में पकाया जाता था।
  • Cuneiform text -- कीलाक्षरी पाठ
वह लेख या ग्रंथ, जो कीलाक्षरों में लिखा गया हो।
देखिए: 'cuneiform'.
  • cuneus -- दर्शक-कक्ष
प्राचीन रोम की नाट्यशाला में दर्शकों के बैठने के लिए बने, शंक्वाकार खंडों में से एक, जिसमें दर्शक-कक्ष का विभाजन अनेक सोपानों द्वारा किया जाता था।
  • cup-marks -- चषक-चिह्न
वह शिला-उत्कीर्णन, जिसमें ओखलीनुमा गड्ढ़े बने हों। ये प्रायः संकेन्द्री वृत्तों से आवृत्त होते हैं और मूलाक्ष रेखाओं (Radial lines) पर काटे जाते हैं। इस प्रकार के अलंकरण प्राकृतिक गोलाश्मों में पाए जोते हैं। इनके साथ संकेन्द्रित वलय समूह भी खुदे मिले हैं।
  • curator -- संग्रहाध्यक्ष
किसी संग्रहालय की देखरेख या संगृहीत वस्तुओं की सुरक्षा व्यवस्था करनेवाला अधिकारी। यह संग्रहालय की समस्त प्रदर्शनीय वस्तुओं, शोध संबंधी क्रियाकलापों और अधीनस्थ समस्त पदाधिकारीयों का अधिकारी होता है।
  • curio -- कलाकृति, कौतुक वस्तु
वह वस्तु जो प्राचीन, दुर्लभ, आश्चर्यजनक या विलक्षण होने के कारण दर्शक के मन में जिज्ञासा और अभिरूचि उत्पन्न करे।
  • currency bar -- मुद्रा-छड़, मुद्र-शलाका
एक छोर से संपीड़ित लोहे की पट्टी, जो मुद्रा के रूप में प्रयुक्त रही हो। बेल्जी लोगों से पूर्व ब्रिटेन में इसका प्रयोग मुद्रा की इकाई के रूप में किया जाता था।
  • Cycladic art -- साइक्लेडी कला
ईजियायी सागर में लगभग 20 द्वीपों के एक समूह में विकसित कला। ये द्वीप ईजियायी संस्कृति के महत्वपूर्ण केन्द्र थे तथा जो पश्चिमी एशियायी, मिस्री, क्रीट एवं यूनान की माइसिनी संस्कृतियों से संबंधित था।
  • Cyclopean defensive wall -- बृहत्पाषाण प्राचीर
प्राचीन काल में, अनगढ़ विशाल प्रस्तर खंडों से बनी प्राचीर। इसमें गारे का प्रयोग नहीं किया गया है। यूनान का माइसिनी दुर्ग प्राचीर इसी प्रकार बना था।
  • Cylinder seal -- बेलनाकार मुद्रा
मुद्रा विशेष, जिसका आकार बेलन जैसा था। बर्तन या मिट्टी के लोदों पर बेलन की तरह चलाकर इससे पट्टीनुमा छाप निकाली जाती थी। भारत में, ताम्राश्मयुगीन बस्तियों से इस तरह की मुद्राएँ प्राप्त हुई हैं। ईसवी शदी की प्रारंभिक शताब्दियों तक ये भारत में प्राप्त हुई हैं।
  • Cylindrical tripod vase -- बेलनाकार त्रिपदी पात्र
मध्य अमरीका के प्रारंभिक क्लासिकी काल तिओतिहुआकन की एक विशिष्ट मृद्भांड परंपरा का बेलनाकार तीन पायों वाला बरतन। इसके ऊपर प्रायः घुंडीदार ढकना मिलता है।
  • dagger -- कटार
चकमक पत्थर, तांबे, कांसे, लोहे इत्यादि से बने छोटे आकार के शस्त्र जिसका प्रयोग काटने या घोंपने के लिए किया जाता था। यह खड्ग का लघु रूप है। इसको पकड़ने के लिए हत्था होता है और उसकी धार तेज़ और सिरा नुकीला होता है।
  • Danubian culture -- डेन्यूबी संस्कृति
मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय प्राग्इतिहासकालीन संस्कृतियों के अनुक्रम के विवरण के लिए सर्वप्रथम गार्डन चाइल्ड द्वारा प्रयुक्त पद, जिसका अब प्रयोग नहीं होता। डेन्यूब और उसकी सहायक नदियों की अन्तर्वेदी में नवपाषाणकालीन संस्कृतियों का समारंभ लगभग ई. पू. 4500 में हुआ। इस संस्कृति के 6 चरण गार्डन चाइल्ड द्वारा निर्दिष्ट हैं। इसके प्रथम दो चरण नवपाषाणकालीन संस्कृति से तथा तृतीय से षष्ठ चरण ताम्रकांस्यकालीन संस्कृतियों से सम्बद्ध हैं।
  • Danzantes -- नग्न नराकृति, डेनजेंट
मांट अल्बान (मेक्सिको) में ई. पू. 100 से ई. पू. 100 तक के मध्य निर्मित मंदिरों के पुश्तेवाली दीवार के वे निम्नोद्भृत पट्ट, जिनमें मनुष्यों की नग्न मानवाकृतियाँ तक्षित हैं। इनमें कुछ आकृतियाँ भग्न और कुछ विरूपित हैं। कई पट्टों में चित्रलिपि उत्किर्ण है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
  • Dark Age -- अन्धयुग
इतिहासक्रम की वह कालावधि जिसके सम्बन्ध में साक्ष्य अनुपलब्ध अथवा नितान्त अपर्याप्त हों।
  • dating -- तिथि-निर्धारण
पुरातत्व में किसी स्थल, वस्तु अथवा सभ्यता के प्रादुर्भाव, विकास या उसके विनाश आदि के समय को सुनिश्चित करना। इसके लिए अनेक प्रविधियों का प्रयोग किया जाता है जो मुख्यतः निरपेक्ष और सापेक्ष, दो वर्गों में विभक्त हैं।
  • datum line -- आधार रेखा
उत्खनन में प्राप्त वस्तु की स्थिति को आलेखित करने के लिए नाप-जोख की पूर्व निर्धारित आधारभूत क्षैतिज रेखा। सामान्यतः इस रेखा का निर्धारण किसी भी ऐसे स्थल पर किया जाता है जहाँ से संपूर्ण उत्खनन स्थल संदर्भित हो सके।
  • daub -- मृद्लेप
दीवार की सतह पर लगाया जाने वाला मुलायम आसंजन पदार्थ जैसे पंक, चिकनी मिट्टी आदि जिसे पानी में घोलकर उसका लेप बनाकर दीवार पर पलस्तर किया जाता था। इसका प्रयोग प्राचीनकाल से ही विशेषतः नरकुल और मिट्टी से बनी दीवारों पर किया जाता था।
  • dead culture -- मृत संस्कृति, लुप्त संस्कृति
पूर्णतया समाप्त ऐसी प्राचीन संस्कृति जो वर्तमान में प्रचलित न हो। ऐसी संस्कृति के भौतिक अवशेष यत्र-तत्र प्राप्त होते हैं जिनसे तत्कालीन लोगों के खान-पान, रहन सहन, धार्मिक विश्वास, परंपरा आदि का ज्ञान होता है। उदाहरणार्थ मिस्र, मेसोपोटामिया, रोम आदि की संस्कृतियाँ ।
  • decipher (= decypher) -- उद्वाचन
किसी गुप्त, सांकेतिक या अस्पष्ट लिपी अथवा चित्रलिपी आदि का अर्थ निकालना या पढ़ना।
  • demotic -- डिमोटिक
हाइरेटिक से उत्पन्न प्राचीन मिस्रियों द्वारा प्रयुक्त एक प्रवाही लिपी। इस लिपी का प्रयोग प्राचीन मिस्र में ई. पू. सातवीं शताब्दी से ई. पू. पाँचवी शताब्दी तक मिलता है। प्रसिद्ध रोजिटा पाषाण अभिलेख में चित्रलिपि के नीचे यह लिपि उत्कीर्ण है।
  • Denbigh Flint complex -- डेनबिग चकमक उपकरण समुच्चय
आर्कटिक लघु उपकरण परंपरा का एक संकुल जिसका सर्वप्रथम ज्ञान एलास्का के केप डेनबिग नामक स्थल के उत्खनन से हुआ था। इसकी कार्बन तिथि लगभग ई. पू. 2000 निर्धारित की गई है। आर्कटिक संस्कृतियों के तिथि-निर्धारण में इस स्थल के साक्ष्य का महत्वपूर्ण स्थान है। अत्यन्त सुंदर लघुफलकों पर सुंदर उपकरण इसकी विशिष्टता है।
  • dendrochronology -- वृक्ष वलय कालानुक्रमिकी, वृक्ष कालानुक्रमिकी
वृक्ष वलयों की गणना पर आधारित तिथि-निर्धारण की एक प्रविधि। इस प्रविधि का आधारभूत सिद्धांत है कि वृक्ष में प्रतिवर्ष एक वलय बनता है। इन वलयों की मोटाई जलवायु परिवर्तन पर आधारित होती है।
व्यवहार में, वलय विश्लेषण कार्य में अनेक कठिनाइयाँ हैं। वृक्षवलयों के अध्ययन के लिए दो बातें आवश्यक हैं :--
(1) काफी मात्रा में लकड़ी या लकड़ी के कोयले के वृक्ष-वलय के नमूने उपलब्ध हों।
(2) प्राप्त नमूनों के काल प्रति-निर्धारित हों।
इस पद्धति का पुरातत्व में सर्वप्रथम प्रयोग ई. 1929 में एo ई. डगलस ने किया था। इस विधि द्वारा रेडियो कार्बन तिथियों का अंशशोधन किया जा सका है।
  • diaglyph -- अंतः तलोत्कीर्ण
किसी काष्ठ. धातु या प्रस्तर के तल पर खोदकर की गई पच्चीकारी या शिल्पकला।
  • diaphanous -- पारदर्शक
वह वस्तु (जैसे महीन कपड़ा या शीशा) जिसके आरपार दिखाई दे।
  • diaphanous drapery -- झीना वस्त्र
विशिष्ट प्रकार के वस्त्र जिसके आर-पार दिखाई दे। भारतीय मूर्तिकला में पारदर्शी वस्त्रों का प्रयोग हुआ है। उदाहरणार्थ गंधार शैली की मूर्तियाँ ।
  • dibble -- छिद्रवपित्र
छिद्र करने के लिए प्रयुक्त छोटे आकार का हस्त-उपकरण।
  • die-struck coin -- ठप्पांकित मुद्रा
ठप्पे के माध्यम से चिह्न या लेख अंकित सिक्के। भारत में प्राचीन जनपदीय, हिंद-यूनानी तथा गुप्त युगीन सिक्के प्रायः इसी विधि से निर्मित किए जाते थे।
  • diffusionism -- विसरणवाद
संस्कृति-विकास की व्याख्या करने वाला एक नृवैज्ञानिक सिद्धान्त जिसके अनुसार सांस्कृतिक तत्वों एवं लक्षणों का प्रसार एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति में होता है। इस तरह का प्रसार लोगों के आवागमन या विचारों के प्रसार के फलस्वरूप होता है।
  • dig -- खुदाई, उत्खनन
कुदाल या फावड़ा आदि की सहायता से जमीन पर आघात कर, किसी स्थान विशेष की मिट्टी को खोदकर अलग करना। पुरातत्व में इसका उपयोग भूगर्भित पुरावशेषों को उद्घाटित करने के लिए किया जाता है। यह प्राचीन अवशेषों के ज्ञानार्जन का महत्वपूर्ण साधन है।
  • digging stick -- खनन-यष्टि, खंती
लकड़ी की शाखा से निर्मित एक उपकरण जिसका एक सिरा नुकीला या द्विशाखित होता है। बहुधा इसके कार्यांग को आग पर तपा कर सुदृढ़ बनाया जाता था। आहार-संग्रहण अर्थ-व्यवस्था तथा नवपाषाणकाल में कंदमूल खोदने तथा कृषि कार्य में इसका प्रयोग किया जाता था। कालान्तर में इसका विकास कुदाल और हल के रूप में हुआ।
  • ding -- तिंग
मिट्टी या कांसे का बना चीन से प्राप्त एक त्रिपाद कटोरा, जिसके पाये ठोस होते थे। यह पात्र चीन के पूर्वी तटवर्ती नवपाषाणकाल तथा हेनन लौंगशान संस्कृति में मिलता है। चीन के पूरे कांस्य युग में इस पात्र को मिट्टी के अतिरिक्त कांसे से भी बनाया जाता था।
  • dirk -- कृपाणिका, लंबा छुरा, डर्क
छुरे से लंबे तथा तलवार से छोटे आकार की सीधे फलक वाली मूँठयुक्त कटार।
  • disc (=disk) -- चक्रिका, बिंब, चक्र
(क) एक चपटी वर्तुलाकार प्लेट या तश्तरी।
(ख) टेढ़े-मेढ़े किनारों वाला क्रोड उपकरण। अव्यवस्थित रूप से शल्क निकालने के कारण, इसके उभय-पृष्ठ सममितीय न होकर टेढ़े-मेढ़े होते हैं। यह चपटा, पतला और गोलाकार बना होता है। देखने में यह तश्तरीनुमा होता है।
(ग) चंद्रमा या सूर्य-मंडल।
मिस्री पुरातत्व में एक मंडलाकार रचना जो सूर्य का प्रतिनिधित्व करती थी।
  • discoid -- चक्राकार उपकरण
विशिष्ट प्रकार के तश्तरीनुमा पाषाण-उपकरण। इन उपकरणों के बीच के भाग को कभी-कभी छिद्रित बनाया जाता था। पाषाणकाल मे यह बहुप्रयोजनीय उपकरण था।
  • discriminant analysis -- विभेदी विश्लेषण
सांख्यिकी की एक शाखा जिसमें किसी वस्तु के दो से अधिक चरों (multi variate) का विश्लेषण कर अध्ययन किया जाता है। इस प्रविधि का प्रयोग पुरातात्विक अध्ययन में भी किया जाता है। अधिकतर विभेदी विश्लेषण प्रोग्राम के दो उद्देश्य होते है; विभेदी फलन (discriminant functions) तथा वर्गीकरण। विभेदी विश्लेषण में उदाहरणस्वरूप विभिन्न स्थलों में प्राप्त उपकरणों आदि के पूर्व वर्गीकृत विभेद को प्रस्तुत किया जाता है जबकि मूल घटकों में इनके वर्गों में विभेद नहीं रहता।
विभेदी विश्लेषण का दूसरा उद्देश्य वर्गीकरण है जिससे पहले से ही वर्गीकृत विभाजनों के बहुचर विश्लेषणों का एक-एक करके अध्ययन कर उनके वर्ग निर्धारित कर 'वर्गीकृत परिणाम सारणी' तैयार की जाती है। इस प्रकार का वर्गीकरण विभिन्न पुरास्थलों से प्राप्त कपालों के वर्गों की उनके माप के आधार पर, तुलना करने के लिए भी उपयोगी है।
  • discus -- चक्र
पहिए के आकार का एक प्राचीन गोलाकार अस्त्र जो किसी भारी पत्थर, धातु या लकड़ी का बना होता था। भारतीय कला में विष्णु के हाथ में गोल चक्र प्रदर्शित हुआ है।
  • dish lid -- पात्र-ढक्कन
बर्तन ढकने के लिए प्रयुक्त मिट्टी या धातु-निर्मित उपधान। इस प्रकार का ढक्कन बर्तन से संलग्न तथा पृथक् भी हो सकता है।
  • distribution -- वितरण
उपलब्धि के आधार पर विभिन्न पुरातात्विक स्थलों तथा वस्तुओं के भौगोलिक विस्तार की सीमा निर्धारित करना।
  • distribution map -- वितरण मानचित्र
विभिन्न पुरातात्विक स्थलों एवं वस्तुओं के भौगोलिक विस्तार को प्रदर्शित करने वाला मानचित्र। इन मानचित्रों का उपयोग विभिन्न प्रकार के पुरातात्विक अध्ययनों के लिए किया जाता है।
  • ditch -- खाई, परिखा
प्राचीन काल में दुर्ग एवं सन्निवेशों (settlements) के रक्षार्थ चतुर्दिक भूमि खोदकर बनाई गई नहर के आकार की रचना। इसमें पानी भरा जाता था ताकि शत्रु दुर्ग की दीवार तक न पहुँच सके।
  • dobe -- कच्ची ईंट
धूप में सुखाई गई ईंट। ईंट थापने से पूर्व, दृढ़ता लाने के लिए मिट्टी में कभी-कभी भूसा मिला दिया जाता था और उसे प्रायः चौकोर ईंट का आकार दिया जाता था। विश्व की अनेक प्राचीन सभ्यताओं में भवन-निर्माण के लिए कच्ची ईंटों का प्रयोग होता था, जिसके अवशेष पुरातात्विक उत्खननों में मिले हैं।
  • dolichocephalic -- दीर्घ शिरस्क
अनुपात से लंबे सिर वाला जिसका शिरस्य सूचकांक 75 सेंटीमीटर से कम हो।
देखिए : 'cephalic index'
  • dolmen -- महापाषाण तुंब, डॉलमेन
अनेक विशाल पत्थरों की सहायता से निर्मित एक प्रकार की प्रागैतिहासिक रचना। बहुधा इसे तुंब या समाधि माना गया है। यह प्राचीन समाधि छत की तरह विशाल पत्थरों पर टिकी रहती थी।
डॉलमेन शब्द का प्रयोग विगत शताब्दियों में महापाषाण गृह-तुंबों के लिए भी होता रहा है।
  • dolmen deity -- डॉलमेन मूर्ति
शैलकृत तुंबों एवं महापाषाण स्मारकों के काल की एक रहस्यमय आकृति या देवाकृति। अपने सरलतम रूप में, ये आकृतियाँ, दो आँखें और उन पर भौहें बनाकर अंकित की गई हैं। स्तनों तथा कंठहार की रचना से, इनके स्त्री होने का पता चलता है। प्रगंस की एक एकाश्म मूर्ति में इसका पूरी तरह अंकन किया गाया है। कुछ विद्वानों ने इसे भूदेवी या उर्वरता की देवी माना है।
  • dolmenoid cist -- महापाषाण शवाधानी
पुराकाल में, मृत शरीर को गाड़ने के लिए बनाई गई कब्र, जिसके ऊपर विशाल पाषाणों का आच्छादन होता था।
देखिए: 'dolmen'
  • domestication -- पालतू बनाना
वह प्रक्रिया जिसमें जंगली पौधों तथा जंगली जानवरों को मनुष्य की आवश्यकता के अनुकूल ढाला जाता है। प्रागैतिहासिक काल से ही मानव ने जंगली जानवरों को पालतू बनाया और खेती द्वारा अन्न उत्पादन किया। इसके फलस्वरूप पशु एवं वनस्पतियों में परिस्थिति और पर्यावरण के अनुरूप कालान्तर में स्वतः परिवर्तन होने लगते हैं।
  • domus de janas -- दोमुस द जानास
ताम्र और कांस्ययुगीन शैलोत्कीर्ण समाधियों के लिए प्रयुक्त सार्डिनियाई नाम। उसका शाब्दिक अर्थ "परी गृह" है।
  • donative inscription -- दान लेख
वह अभिलेख, जिसमें किसी संपत्ति को व्यक्ति या संस्था को दान रूप में दिए जाने का उल्लेख हो। प्राचीन काल में शिक्षा संस्थाओं, अग्रहारों, विहारों और मंदिरों को चल व अचल संपत्ति दान में दी जाती थी, जिसका उल्लेख ताम्रपत्रों और अन्य अभिलेखों में मिलता है।
  • Dorians -- डोरियायी
प्राचीन यूनान की एक शक्तिशाली प्रजाति, जिसने ई. पू. बारहवीं शताब्दी में माइसिनी सभ्यता के पराभव के उपरांत दक्षिणी यूनान तथा यूनानी द्वीप समूहों पर आधिपत्य स्थापित किया। ये लोग पेलोपोनिस में डोरिस, मेगेरिस, आरगोलिस, लेकोनिया एवं मेसेनिया तथा एशिया माइनर के तटवर्ती प्रदेशों में बस गए। यूनान में कोरिन्थ और स्पार्टा इनके प्रमुख केन्द्र थे। अधिकतर स्थानों के मूल निवासियों ने इन्हें आत्मसात कर लिया। क्लासिकी यूनान की कला और संस्कृति के विकास में सम्भवतः इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही होगी।
  • dorsal face -- पृष्ठ मुख
(1) किसी उपकरण का पृष्ठ तल।
(2) सिंहासन या वेदी का पृष्ठ भाग।
  • Dorset tradition -- डॉरसेट परंपरा
पूर्वी उत्तरध्रुवीय पाषाण उपकरण, जिसका मूलक्षेत्र उत्तरी कनाडा था, तथा जिसका प्रसार ग्रीनलैंड तक हुआ। इस परम्परा का विभाजन प्राक्-डारसेट में किया जाता है। इसका काल ई. पू. 2400 से ई. 1000 माना जाता है।
  • double axe -- दुधारी कुठार
एक प्रकार का प्रागैतिहासिक पाषाण, ताम्र, कांस्य या लोहे का बना उपकरण तथा शस्त्रास्त्र जिसके दोनों ओर के कार्यांग धारदार होते थे, जिसका प्रयोग दंड में बाँधकर अथवा बेट लगाकर किया जाता था। मिनोअन क्रीट में इस प्रकार के कुठारों का प्रयोग प्रतीक के रूप में किया जाता था।
  • downward measurement -- अधोमुखी माप
पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त वस्तु विशेष की धरातल से गहराई नापने के लिए प्रयुक्त माप।
  • dowsing -- डाउसिंग
भूगर्भित सामग्री की खोज के लिए प्रयुक्त प्रविधि, जिसमें अंग्रेजी के 'Y' आकार के दंड का प्रयोग किया जाता है। पुरातत्ववेत्ता इसके प्रयोग का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मानते। भारतीय पुरातत्व में इसका प्रयोग नहीं मिलता।
  • Dravidian civilisation -- द्रविड़ सभ्यता
भारत में रहनेवाली प्राचीनतम प्रजातियों में से एक। इनका संबंध दक्षिण भारत से माना गया है। कुछ विद्वानों के अनुसार, ये भारत के मूल निवासी थे, पर कुछ इन्हें बिलोचिस्तान की ब्राहुई नाम की एक प्रजाति की शाखा मानते हैं। द्रविड़ लोगों का दक्षिण भारत में आज भी प्रभुत्व है। तमिल, तेलुगु, मलयालम तथा कन्नड भाषा-भाषी लोग इस सभ्यता का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह उल्लेख्य है कि द्रविड़ देवी-देवताओं का समावेश वैदिक धर्म में हुआ।
  • dressed face -- प्रसाधित मुख
1. तक्षण कर तथा घिसकर चिकना किया गया मुख भाग।
2. अलंकार, ऋंगार, सजावट आदि से युक्त मुख।
  • dressing -- तराशना, तक्षण
धारदार उपकरण से किसी वस्तु या उपकरण को तक्षित करना।
  • drift -- अपोढ़
जलधाराओं द्वारा परिवाहित मिट्टी, बालू, बजरी तथा गोलाश्मों का निक्षेप।
  • dromos -- मार्ग
किसी तुंब या मक़बरे का प्रवेश-मार्ग।
  • dun -- डन
पश्चिम और उत्तरी स्काटलैंड की पाषाण की चहारदीवारी से घिरी हुई बस्ती के लिए प्रयुक्त शब्द। इस प्रकार की बस्ती के निर्माण यूरोप में परवर्ती लौह युग से उत्तर-रोमन काल तक प्राप्त होते हैं। इनके चारों ओर खाई भी बनाई जाती थी जिसमें पानी भरा जाता था।
  • Durrington wall -- डूरिंगटन प्राचीर
इंग्लैंड का एक प्रसिद्ध प्रागैतिहासिक अवशेष। दो द्वारों से युक्त 487.600 मीटर व्यासवाला हैंज स्मारक। इस स्थान पर सर्वप्रथम मध्य नवपाषाण काल में विडमिल हिल शैली के मृद्भांड बनाने वाले लोगों ने रहना आरंभ किया। जिस समय रेन्यो-क्लेक्टन मृद्भाडों का प्रयोग किया जाता था, उस समय हेंज-स्मारकों का निर्माण भी हुआ। यहाँ पर खुदाई में बाड़े के अंदर काष्ठ निर्मित दो स्तंभ-गर्त मिले हैं, जो लगभग उसी काल के माने जाते हैं।
  • dyke -- डाइक, तटबंध
1. खाई और तटबंध युक्त मिट्टी से बनी ऋजुरेखीय संरचना। इसका प्रयोजन प्रतिरक्षात्मक तथा प्रादेशिक सीमांकन था।
2. नदी या समुद्र के जल को आगे बढ़ने से रोकने के लिए बनाई गई ऊँची मेड़, जो अधिकतर पक्की होती है, विशेषकर नदी के जल को बाढ़ के समय बस्ती में घुसने से रोकने के लिए बनाया गया बाँध।
  • Dynastic Culture -- वंशीय (मिस्र) संस्कृति
मिस्र के प्राचीन इतिहास के 31 राजवंशों (लगभग ई. पू. 3100-ई. पू. 332) के काल में उद्भूत और फली-फूली संस्कृति। इन राजवंशों के लोग प्रायः रक्तसंबंधी थे। इन राजवंशों के काल में एक विशेष संस्कृति का प्रादुर्भाव हुआ। इस काल में धर्म, खान-पान, रहन-सहन इत्यादि के क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति हुई। राजवंशीय संस्कृति ने बाद की देशी और विदेशी संस्कृकियों को बहुत हद तक प्रभावित किया।
  • dynastic Egypt -- राजवंशीय मिस्र
मिस्र के 31 प्राचीन राजवंशों के शासन काल से संबंधित इतिहास जिसका काल ई. पू. 3100 से ई. पू. 332 माना जाता है। ई. पू. तीसरी शताब्दी के इतिहासकार मनिथो ने मिस्र के संपूर्ण राजवंशीय इतिहास का विवरण यूनानी भाषा में प्रस्तुत किया है। इन राजवंशीय शासकों को 'फराओ' कहा जाता था।
  • ear ornament -- कर्णाभूषण
कान में धारण किया जाने वाला आभूषण। ऐसे अलंकरण पत्थर, मिट्टी एवं बहुमूल्य धातुओं के, प्रागैतिहासिक काल से ही मिर्मित होते रहे हैं।
  • ear pendant -- कर्ण लटकन
कान में पहनने का लटकनदार आभूषण।
  • Early dynastic period (Mesopotamia) -- प्रारंभिक राजवंशीय काल (मेसोपोतामिया)
मेसोपोतामिया के प्राचीनतम ऐतिहासिक काल के लिए प्रयुक्त पारिभाषिक शब्द। इस काल के राजाओं का नाम सुमेरी राजाओं की तालिका से प्राप्त होता है। पुरातत्ववेत्ताओं ने पारंपरिक आधार पर प्रारंभिक राजवंशीय काल को तीन उपकालों में विभक्त किया है। प्रत्येक उपकाल अनुमानतः 200 वर्ष का रहा। इस काल में मानक कीलाक्षर लिपि विकसित हुई। इसका काल सामान्यतः ई. पू. तीसरी सहस्राब्दी के प्रारम्भ से मध्य तक माना जाता है।
  • Early Helladic Culture -- प्रारंभिक एलादिक संस्कृति
यूनान के मुख्य भूभाग की कांस्ययुगीन संस्कृति। इस संस्कृति को प्रारंभिक, मध्य एवं उत्तरवर्ती कालों में विभाजित किया गया है। उत्खनन में प्राप्त सबसे प्राचीन कांस्ययुगीन अवशेष प्रारम्भिक एलादिक संस्कृति के हैं। उसका काल लगभग ई. पू. 2950 से ई. पू. 1950 माना गया है।
  • Early horizon (Peru) -- प्रारंभिक सांस्कृतिक स्तर (पेरू)
पेरू के सप्तवर्गीय पुरातात्विक कालानुक्रम में से एक काल-खंड। इसका काल ई. पू. 900 से ई. पू. 200 आँका गया है।
  • Early Man shelter -- आदि मानव आवास, अर्ली मेन सेल्टर
आस्ट्रेलिया के केपयार्क के लोरा नामक स्थान में प्राप्त एक शैलाश्रय जिसमें मानवों, पशुओं तथा अनेक प्रकार की अमूर्त चित्रित व उकेरी गई आकृतियाँ मिलती हैं। आस्ट्रेलिया की इस प्रारम्भिक गुफाकला की रेडियो कार्बन तिथियाँ ई. पू. 13000 और ई. पू. 10,000 के मध्य की है।
  • earth colour -- खनिज रंग
वे प्राकृतिक रंग जो भूमि में विद्यमान खनिजों से प्राप्त होते हैं। इन रंगों के स्रोतों में गेरू, खड़िया, हिंगुल आदि हैं।
  • earth work -- गढ़बंदी, वप्र
गारे-मिट्टी से बनी एक प्रकार की स्थायी या अस्थायी किलेबंदी, जिसका उद्देश्य बाह्य आक्रमण के विरूद्ध रक्षा करना होता है।
  • ecology -- परिस्थितिविज्ञान, पारिस्थितिकी
जीव-विज्ञान की एक शाखा। जीवित प्राणियों की प्रवृत्ति तथा रहन-सहन आदि और उनके पर्यावरण के साथ अंतर-संबंध का अध्ययन।
  • edge -- कोर, किनारा, धार
किसी उपकरण या हथियार की तीक्ष्ण धार।
  • edge grinding -- धार घर्षण
किसी उपकरण या औज़ार की कोर को घिसकर, धार तेज करना।
  • effigy mound -- प्रतिकाय टीला
संयुक्त राज्य अमरीका के ऊपरी मिसीसिपी क्षेत्र में लगभग 1.23 मीटर ऊँचे तथा सैकड़ों मीटर लंबे पशु-पक्षियों के आकार के शवाधान टीले। इनका निश्चित कालानुक्रम नहीं ज्ञात है, परन्तु प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर इनकी संरचना लगभग ई. सातवी-आठवीं शती मानी जाती है।
  • egg and anchor moulding -- अंड-लांगल सज्जा-पट्टी
एक प्रकार का अलंकरण, जिसमें अंडा तथा शंकु या लंगर तथा जिह्वा की आकृति क्रम से बनाई जाती है।
  • egg and dart design -- अंड-शर सज्जा
श्रेण्य वास्तुकला में प्रयुक्त एक प्रकार की अलंकरण पट्टी, जिसमें अंडे और तीर की आकृतियाँ एक दूसरे के बाद क्रमशः बनाई गई हों।
  • egg shell porcelain -- अंड-वल्क पोर्सिलेन
चीनी मिट्टी के बने अत्यधिक पतले तथा हल्के बर्तन।
  • egg tempera -- अंडपीत समारंजन, एग टेम्परा
चित्र निर्माण में प्रयुक्त जलरंग जिसका प्रयोग तैल रंगों के आविष्कार से पूर्व होता था। इन रंगों को पानी में घोलकर, उसमें अंडे की जर्दी मिलाई जाती थी जिससे रंग दृढ़ता से धरातल पर चिपक सके। अनेक मध्यकालीन यूरोपीय चित्र एगटेम्परा विधि के कारण आज भी उपलब्ध हैं।
  • Egorai ware -- इगोरी भांड
कोरिया के कोरई वंश के काल में बनाए गए एक विषिष्ट प्रकार के मिट्टी के बर्तन, जिनकी सतह पर पालिश रहती थी और अनेक पुष्प प्रतीक बने होते थे।
  • Egyptian papyrus -- मिस्री पैपाइरस
(क) प्राचीन मिस्रवासियों, यूनानियों तथा रोमनों द्वारा प्रयुक्त पेपाइरस पौधे की पतली पट्टियों को एक साथ जोड़, दबा और सुखाकर कागज की तरह निर्मित लेखन सामग्री।
(ख) वह प्राचीन प्रलेख, पांडुलिपि या पत्रावली, जो पेपाइरस पर लिखी गई हो।
  • einkorn -- आइनकार्न
गेहूँ की एक अति प्राचीन किस्म जिसकी बाली छोटी तथा चपटी होती है। यह जंगली किस्म (Triticum boeoticum) आज भी पश्चिम एशिया में मिलती है। पश्चिम एशिया के अली कोश स्थल के पुरातात्विक उत्खनन से इस किस्म के अवशेष ई. पू. 7000 से पूर्व के संदर्भ से प्राप्त हुए हैं।
  • ekotoba -- पटचित्र, इकोटोवा
वह सचित्र पत्रावली, जिसमें चित्र के साथ लेख भी हो।
  • El Argar Culture -- अल-आर्गर संस्कृति
दक्षिण पश्चिम स्पेन के अल्मेरिया में, पहाड़ी पर स्थित ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि का कांस्यकालीन प्ररूप-स्थल। प्राप्त अवशेषों से इस संस्कृति की दो प्रावस्थाओं का ज्ञान होता है। पाषाण-निर्मित आयताकार भवनों वाले ये सन्निवेश आरक्षित थे। इस सन्निवेश में 950 शवाधान प्राप्त हुए हैं। प्रारंभिक शवाधान ताबूत में तथा बाद के शवाधान विशाल कलशों में रखे मिले हैं। शव के साथ रखी सामग्री में घर्षित मृद्भांड, ताम्र कांस्य के छुरे, तलवारें, कुठार तथा सोने-चाँदी के आभूषण मिले हैं। यूरोप के समकालीन सभी स्थलों की तुलना में यहाँ चाँदी का व्यापक प्रयोग मिलता है। मुकुट के लिए विशेषतः चाँदी का प्रयोग हुआ है।
  • El Garcel -- एल गार्सेल
दक्षिण-पूर्वी स्पेन का ई. पू. चतुर्थ सहस्राब्दि का नवपाषाण-कालीन आवास स्थल। इस स्थल में उत्खनन में अनलंकृत गोल तलीदार मृद्भांड, गोलाकार घर मिले हैं। यहाँ के परवर्ती स्तरों में ताम्र स्लैग के अवशेष मिले हैं जिनसे यह ज्ञात होता है कि धातु-कर्म का यहाँ विकास होने लगा था।
देखिए : 'Almeria'
  • Elam Culture -- एलम संस्कृति
दक्षिण पश्चिमी ईरान की करकेह तथा करूह नदियों की घाटियों में विकसित संस्कृति। इस संस्कृति का प्रमुख केन्द्र सूसा नगर था। इन लोगों ने नई चित्रलिपि का आविष्कार किया और कालांतर में अक्कादी कीलाक्षर लिपि का प्रयोग किया। मेसोपोतामिया के मूल पाठ में इन्हें शत्रु के रूप में वर्णित किया गया है और ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि में उर के तृतीय राजवंश के विनाश का मुख्य कारण इनका आक्रमण बताया गया है। उन्तास-गल के शासन काल में यह संस्कृति अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँची। उसने अपने राज्य की सीमा का न केवल विस्तार ही किया अपितु बेबिलोनिया पर आक्रमण कर उसे पराभूत किया। हमूराबी की संहिता के साथ-साथ अनेक वस्तुएँ विजय-चिह्न के रूप में बेबिलोनिया से ले आए। इस संस्कृति का पराभव असीरियायी शासक असुबनिपाल के लगभग ई. पू. 640 में सूसा नगर पर विलय के साथ हुआ। यह संस्कृति अपनी उत्कृष्ट मूर्तिकला, कांस्य-कृतियों तथा आभूषणों के लिए विख्यात है।
  • electrum -- इलेक्ट्रम
सोने और चाँदी से निर्मित एक मिश्रधातु। हल्की पीली आभायुक्त इस धातु का प्रयोग प्राचीन काल से कलाकृतियों के अलंकरण हेतु किया जाता था। इसके प्राचीनतम प्रमाण मेसोपोतामिया, क्रीट (मिनोअन) तथा यूनान (माइसीनियन) से प्राप्त हुए हैं।
  • elephas antiquus -- एलिफस एन्टिफस
अत्यन्त नूतनकालीन (मध्य) जंगली हाथी की एक विलुप्त किस्म। इस किस्म के हाथी के अवशेष भारत में भी मिले हैं।
  • elevation -- उत्सेध, ऊँचाई
किसी संरचना का भूतल से शीर्ष तक का उदग्र स्वरूप।
  • embossed figure -- समुद्भूत आकृति
धरातल से बाहर उभरी हुई मूर्ति।
  • embossed in low relief -- कम उभरे (ठप्पे चित्र)
एक प्रकार की निम्नोद्भूत आकृति, जो सतह से थोड़ी सी ऊपर, बाहर की ओर उभरी हो।
  • embossed ornament -- समुद्भूत अलंकरण
(क) किसी वस्तु, सतह या धरातल पर उभरे हुए अक्षरों या आकृतियों के रूप में बनाए गए अलंकरण।
(ख) वह अलंकरण या गहना, जिसमें आकृतियाँ ऊपर की ओर उभरी हों।
  • Emmer wheat -- एमर गेहूँ
गेहूँ का एक आद्य रूप जो उत्खनन में ई. पू. आठवीं सहस्राब्दि से वन्य (triticum dicoccoides) और कृष्ट (triticum dicoccum) दोनों ही रूपों मे मिले हैं। कृष्ट एमर का प्रसार कालांतर में यूरोप में भी हुआ।
  • empaistic -- उद्भूत, जटित
चमड़ा, लकड़ी अथवा धातु पर खचित, समुद्भृत अथवा ठप्पांकित अलंकरण।
  • enamelled ware -- आकाचित भांड, मीने के भांड
एक विशेष प्रकार के धातु या मिट्टी के बर्तन, जिनके धरातल को अलंकृत अथवा संरक्षित करने के लिए संगलन द्वारा काँचवत् पदार्थ को आरोपित किया जाता था। तामचीनी से बने मीना या कलई किए हुए बर्तन को आकाचित भांड कहा जाता है।
  • encaustic painting -- सिक्थवर्णक चित्र
चित्रांकन की एक प्राचीन प्रविधि जिसमें गर्म पिघले मोम में सूखे रंगों का मिलाया जाता है। इस विधि का प्रयोग क्लासिकी युग से होता आ रहा है।
  • encaustic tile -- दग्धालंकृत खर्पर, दग्धालंकृत टाइल
(अ) आग में पकाई गई काचाभ रंगों से अलंकृत एक प्रकार की खपरैल या काचाभ खर्पर।
(ख) दीवार या फर्श पर लगाई जानेवाली रंगीन टाइल या रंगीन खर्पर।
  • end moraine -- अग्रांतस्थ हिमोढ़
मुख्यतः किसी घाटी-हिमनद के सीमांत पर या किसी हिम चादर के अंतिम छोर के साथ-साथ निर्मित अपोढ़ का एक कटक सदृश संचय। इसे सीमांत मोरेन भी कहते हैं।
  • end scrapper -- अंतस्थ खुरचनी, अंत्य खुरचनी
प्रागैतिहासिक पाषाण उपकरण, खुरचनी का एक प्रकार। अंतस्थ खुरचनी में कार्यकारी धार, शल्क अथवा क्रोड के सिरे पर बनी होती है। अनुमानतः इसका उपयोग छाल और चमड़ा उतारने के लिए किया जाता था। पार्श्व खुरचनी मध्य पूर्व पाषाण कालीन मुख्य उपकरण है जबकि अंत्य खुरचनी उच्च पूर्व पाषाणकालीन।
  • engobe -- अधोलेप
(क) किसी वस्तु पर ऐसे रंग का लेप करना, जो सामान्यतः उस वस्तु के मूल रंग से भिन्न हो।
(ख) वह अपारदर्शी लेप, जो मुख्यतः बाहरी लेप का आधार-लेप होता है।
  • engraved seal -- उत्कीर्ण मुद्रा, उत्कीर्ण मुहर
लेख या अलंकरण को खोदकर बनाई गई मुद्रा अथवा मुहर। भारत में हड़प्पा काल से उत्कृष्ट कोटि की उत्कीर्ण मुद्राएँ विभिन्न स्थलों से प्राप्त हुई हैं।
  • entrance grave -- प्रवेश-शवाधान
एक प्रकार की महापाषाण समाधि। इसकी प्रमुख विशेषता वीथी रहित कक्ष है। इस प्रकार की कब्रें दक्षिण पश्चिमी ब्रिटेन में मिलती हैं।
  • environmental archaeology -- पर्यावरणीय पुरातत्व
पुरातत्व विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्राचीन काल के पर्यावरण का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत वानस्पतिक तथा पशु अवशेषों, मृदा-प्रकारों एवं अन्य भूवैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर मानव और उसके समकालीन प्राकृतिक परिवेश का अध्ययन किया जाता हैं।
  • environmental indicators -- पारिस्थितिक सूचक
उत्खनन में प्राप्त पौधों और जानवरों के प्राचीन अवशेष या जिनके आधार पर तत्कालीन पर्यावरण की जानकारी प्राप्त की जाती है।
  • eolith -- उषः पाषाण उपकरण
अत्यन्त नूतनयुग के पूर्व अथवा प्रारंभिक चरण के प्रकृति निर्मित अनगढ़ पाषाण उपकरण जिसे कुछ समय पूर्व कतिपय प्राग्इतिहासकार मानव निर्मित प्रथम उपकरण मानते थे।
  • epi-palaeolithic Culture -- अनुपुरापाषाणकालीन संस्कृति
प्रौद्योगिक रूप से पुरापाषाणकालीन परंपराओं पर आश्रित वह संस्कृति जो प्रारंभिक उत्तर हिमानी काल में प्रचलित रही। इस पद का अब पुरातत्व में प्रयोग नहीं होता, क्योंकि इससे किसी काल विशेष की निश्चित संस्कृति का बोध नहीं होता।
  • epigraph -- उत्कीर्ण अभिलेख
धातु, प्रस्तर आदि से बनी टिकाऊ वस्तु पर सतह खोदकर लिखा गया लेख।
  • epigraphic monument -- पुरालेखीय स्मारक
प्राचीन काल में तक्षित हुए या लिखे गए लेख वाला स्मारक। प्राचीन काल में, किसी व्यक्ति या घटना विशेष की स्मृति को बनाए रखने के लिए भवनों आदि पर इस प्रकार के लेख लिखे जाते थे।
  • epigraphist -- पुरालेखवेत्ता
वह व्यक्ति, जो प्राचीन लिपियों का अध्ययन, उद्वाचन या विवेचन करता हो।
  • episcenium -- नाट्यमंच, रंगशाला
यूनानी तथा रोमन प्राचीन नाट्यशालाओं का स्थायी मंच। इसकी दीवारें और मेहराबदार तथा द्वार-भाग आयताकार थे, जो मंच तथा गायनकक्ष के मध्य भाग में स्थित रहता था।
  • epitaph -- 1. समाधि लेख
मकबरे या समाधि पर अंकित वह लेख, जिसमें दफनाए गए व्यक्ति का संक्षिप्त परिचय या उसकी प्रशंसा अंकित हो।
2. स्मृति-लेख
किसी मृत व्यक्ति की प्रशंशा में रचित लघु कविता या इसी प्रकार का छोटा लेख, जिसका उद्देश्य मृत व्यक्ति की स्मृति को बनाए रखना होता है।
  • Erechtheum -- इरेक्थियम, एथिना देवी का मंदिर
एथेन्स के पौराणिक शासक इरेक्थियस की स्मृति में एक्रोपोलिस के उत्तरी भाग में निर्मित एक धार्मिक भवन। संगमरमर और काले पत्थर से निर्मित यह आयताकार भवन आयोनी शैली में है। इसका निर्माण लगभग ई. पू. 421-ई. पू. 407 के मध्य हुआ था।
  • erosion -- अपरदन
भूमि की सतह का क्षरण या कटाव।
  • Ertebolle Culture -- एर्तेबोले संस्कृति
मध्य पाषाण काल के अंतिम चरण की पश्चिम बाल्टिक तटवर्ती क्षेत्र की एक संस्कृति। इसके सबसे महत्वपूर्ण अवशेष खाद्यावशिष्ट अंबारों (Kitchen middens) या घूरे के निक्षेपों के रूप में लिटोरिना के तटों में मिले हैं। इसीलिए इसे खाद्यावशिष्ट अंबार या 'किचिन मिडिन' संस्कृति भी कहा जाता है।
इस संस्कृति का विकास लगभग ई. पू. 5,000 में उत्तरहिमनदीय काल में माना जाता है। एर्तेबोले संस्कृति की पश्चवर्ती प्रावस्थाओं में मिट्टी के बर्तनों को प्रयोग में लाया जाने लगा।
  • Eskimo people -- एस्किमो जन
उत्तर-ध्रुवीय तटवर्ती प्रदेश की एक प्रजाति। इस प्रजाति की प्रमुख शारीरिक विशेषताएँ छोटा कद, पीतवर्ण तथा उभरी कपोल-अस्थि है। ये मुख्य रूप से आखेट करते और मछली मारते हैं। अस्थि और हाथी दाँत की नक्काशी में ये दक्ष हैं। नृविज्ञानियों के अनुसार इन लोगों की सभ्यता के प्राचीनतम अवशेष ई. पू. 1,000 के हैं।
  • Eskimo umiak -- एस्किमो उमियाक
एस्किमों लोगों की ऊपर से खुली हुई नाव। इस नाव के निर्माण के लिए पहले एक ढाँचा बनाया जाता है, जिसकी मजबूती के लिए उसमें अनेक आड़े-तिरछे फट्टे लगाए जाते हैं और उन्हे चमड़े से ढक दिया जाता है। इस नाव को सामान ढोने व यात्रियों को लाने-ले जाने के काम में लाया जाता है। यह पतवार से चलती है।
  • ethnoarchaeology -- नृजाति-पुरातत्व विज्ञान
पुरातत्व की वह शाखा जिसमें वर्तमान समाजों, आदिम अथवा अन्य के आचार-व्यवहार एवं भौतिक वस्तुओं का अध्ययन कर पुरातात्विक संस्कृतियों की व्याख्या की जाती है।
  • ethnohistory -- नृजाति इतिहास
पुरातात्विक अवशेषों के आधार पर संस्कृतियों के विकास का अध्ययन। इनमें पुरातात्विक अवशेषों का विश्लेषण प्रलेखित सामग्री के आधार पर किया जाता है।
  • Etruscan -- एट्रूरियावासी
पश्चिमी-मध्य इटली का आधुनिक टस्कनी प्रांत जिसे प्राचीन काल में एट्रूरिया कहा जाता था, में ई. पू. आठवीं और पाँचवीं शताब्दी के मध्य विकसित एक महत्वपूर्ण संस्कृति। इन्होंने वर्णमाला यूनानियों से ग्रहण की थी। इनकी सभ्यता के मुख्य स्रोत मकबरे और उनमें प्राप्त अन्तेष्टि सामग्री हैं। इनके पुरातात्विक अवशेषों में अलंकृत कांस्य दर्पण, विशिष्ट प्रकार के मृद्भांड (Bucehero) तथा उत्कृष्ट आभूषण हैं। इन्होने परवर्ती रोमन संस्कृति को अत्यधिक प्रभावित किया।
  • Etruscan art -- एट्रूस्कन कला
उत्तरी मध्य इटली के एट्र्रिया क्षेत्र की ई. पू. आठवीं से ई. पू. पाँचवीं शताब्दी की कला। इस काल के सर्वोत्कृष्ट नमूने उनके भव्य मकबरों से प्राप्त हुए हैं, जिनके कांस्य दर्पण, आभूषण, भित्ति चित्र तथा मृद्भांड हैं।
  • ewer -- झारी, भृंगार, झंझर
(क) चौड़ी टोंटीवाली एक सुराही।
(ख) एक आधारवाला लंबा, पतला, तलीदार पात्र, जिसमें टोंटी और हत्था बना होता था। प्राचीनकाल में, तरल पदार्थों को सुविधापूर्वक निकालने के लिए ऐसे पात्र बनाए जाते थे।
  • ewery -- भांडागार
पानी भरने के बड़े-बड़े बर्तनों तथा भोजनशाला में प्रयुक्त अन्य प्रकार के बर्तनों इत्यादि को सुरक्षित रखने का कमरा।
  • excavated site -- उत्खनित स्थल
वह स्थान जहाँ पुरातात्विक खुदाई की गई हो।
  • excavation -- उत्खनन, खुदाई
मानव-संस्कृति से संबद्ध भूगर्भित पुरावशेषों को कुदाल, फावड़े आदि की सहायता से, अध्यारोपित मिट्टी से अलग, सतह के बाहर इस तरह व्यवस्थित रूप से उपस्थित करना कि अंतस्थ स्तरों तथा तत्संबंधी पुरावस्तुओं का उद्घाटन हो सके। इस तरह भूमि को खोदकर पुरावेत्ताओं ने, प्राचीन मानव संस्कृतियों का ज्ञान प्राप्त किया। उत्खनन में मुख्यतः क्षैतिजाकार तथा लंबवत् विधियों का प्रयोग किया जाता है।
  • excavation line -- उत्खनन रेखा
उत्खनन से पहले, किसी क्षेत्र में खुदाई का आरंभ करने से पूर्व अंकित रेखा, जो भावी उत्खनन-कार्यों का आधार होती है। संपूर्ण क्षेत्र में खूंटियाँ लगाई जाती हैं और भू-सतह पर चिह्न रेखा बना देते हैं। इन चिह्नित बिंदुओं या रेखाओं से नीचे की ओर खुदाई की जाती है। खुदाई को नियंत्रित रखने के लिए ऐसा किया जाता है।
  • excised decoration -- कर्तित अलंकरण
पकाने से पूर्व मृद्भांड की सतह काट-छाँट या तक्षण कर बनाई गई आकृतियाँ जिन्हें बाद में श्वेत लेप से भर दिया जाता था।
  • exhibit -- 1. प्रदर्श
कोई सुंदर, मूल्यवान अथवा प्राचीन वस्तु, जो प्रदर्शनी अथवा संग्रहालय में दर्शनार्थ रखी हो।
2. प्रदर्शन
प्रदर्श वस्तु को दिखाने की क्रिया।
  • experimental archaeology -- प्रायोगिक पुरातत्व
पुरातात्विक अवशेषों से परिलक्षित मानव व्यवहारों को समझने के लिए उस काल और परिवेश के पुनः सर्जन के प्रयोग। उदाहरणार्थ, उपकरणों एवं भवनों की निर्माण-प्रविधि कृषि-कर्म एवं अन्न संग्रहण की विधियाँ, नौका निर्माण आदि की पुनरावृत्ति की जाती है।
  • extensive excavation -- विस्तृत उत्खनन
व्यापक क्षेत्र में की गई खुदाई। इस प्रकार का उत्खनन तब किया जाता है, जब किसी प्राचीन नगर या अवशेषों का बहुत बड़ा भंडार किसी क्षेत्र विशेष में भूगर्भित हो। नगर-संरचना के पूरे स्वरूप की सम्यक जानकारी हेतु इस प्रकार का उत्खनन किया जाता है।
  • fabricator -- विरचक, विरचक उपकरण
अश्म, अस्थि एवं शृंग निर्मित उपकरण जिसका प्रयोग शल्कन के लिए किया जाता था।
  • facetted tool -- फलकित उपकरण, पृष्ठाकर उपकरण
एक प्रकार का औज़ार, जिसके धरातल को हीरे के लघु सपाट धरातल के समान पूर्णतः या अंशतः सपाट कर दिया गया हो। विविध पहलूवाला उपकरण भी फलकित उपकरण कहा जाता हैं।
  • faience -- 1. प्रकाचित मृद्भांड
विशिष्ट प्रकार की मध्यकालीन इटली की मृद्भांड परंपरा।
2. प्रकाचित मृण्वस्तु, फेयन्स
एक प्रकार की काचाभ मिट्टी, जिसमें ताम्र-लवण मिश्रित कर हरित आभा उत्पन्न की जाती की। इससे मुख्यतः मनके, मुहरें, मूर्तियाँ और लघु आकृतियाँ निर्मित की जाती थी। सम्भवतः इसका उद्भव प्राचीन मिस्र में हुआ और व्यापक रूप से इसका व्यापार-विनिमय ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दी में होने लगा था। निकट पूर्व के अनेक स्थलों से इस काल की प्रकाचित मिट्टी की मोहरें, मनके आदि प्राप्त हुए हैं।
  • false entrance -- छद्म द्वार
(1) कक्षयुक्त लंबे स्तूप के छोर पर अलंकरण के लिए, द्वार के समरूप बनाई गई आकृति, जो कभी-कभी प्रांगण के सम्मुख होती थी। सामान्यतः इसी ओर वास्तविक द्वार का निर्माण किया जाता था।
(2) भवन, समाधि इत्यादि में बनी द्वार जैसी आकृति, जो द्वार नहीं होती, वरन् अलंकरण हेतु बनाई जाती है।
  • fang dong -- फेंग डिंग (=तिंग)
चीन के शांग और झाओ काल के कर्मकांडों में प्रयुक्त विविध प्रकार के कांसे के कलात्मक भांड।
  • Fatyanovo culture -- फात्यानोवो संस्कृति
मध्य रूस में बोल्गा नदी में ऊपरी भाग में योरोस्लेव के निकट स्थित शवाधान क्षेत्र में उत्खनित उत्तर ताम्रयुगीन संस्कृति। प्राप्त अवशेषों के आधार पर यह कहा जाता है कि इस संस्कृति के लोग मृतकों को गोल कलशों में रख कर गाड़ते थे। इनके कुछ कलशों पर डोरी अलंकरण किया गया है। अवशेषों में, मिट्टी के चक्रों की प्रतिकृति, पाषाणपरशु, ताम्रलघु-आभूषण इत्यादि प्राप्त हुए हैं। इनके शवाधान टीलों पर नहीं हैं। ये लोग एकल (single) शवाधान संस्कृति के वाहक थे।
  • Federmeasser -- फेदरमेसर
छोटा पृष्ठित फलक, जिसका आकार जेबी चाकू के समान होता है। इनका प्रयोग सम्भवतः बाणग्रों के रूप में किया गया होगा। यह उपकरण उत्तरी यूरोपीय क्षेत्र के उत्तर हिमानी मानव का विशिष्ट उपकरण था। उसका काल लगभग ई. पू. 9,850-ई. पू. 8,850 माना जाता है। इसी प्रकार के लघु फलक ब्रिटेन के क्रेसवेली काल में भी मिलते हैं।
  • feldspar -- फेल्सपार
शैलों का निर्माण करने वाला एक खनिज-वर्ग मुखयतः एलुमिनियम एवं विभिन्न मात्राओं में पोटैशियम, सोडियम तथा कैल्सियम के सिलिकेट भी विद्यमान रहते हैं।
  • feretory -- धातु-गर्भ
वह उपासना-स्थान, जहाँ पर किसी संत या महात्मा के अवशेष सुरक्षित रखे हों।
  • feroher -- सपक्ष बिंब, पंखदार चक्र, फेरोहर
असीरी, बेबीलोनी तथा फारसी प्राचीन स्मारकों में बनी एक प्रकार की पंखदार तश्तरी। कभी-कभी इसमें मानव-आकृति भी बनाई जाती थी।
  • fertile crescent -- उर्वर चाप, उर्वर क्षेत्र, फरटाइल क्रेसेंट
प्रागैतिहासिक दक्षिण-पश्चिमी एशिया का वह उपजाऊ प्रदेश जो फिलस्तीन से लेकर फारस की खाड़ी तक फैला था। अति प्राचीन काल में, यहाँ पर अनेक जातियों ने प्रवास किया, जिनमें मुख्य सुमेरी, असीरी तथा सेमेटिक जातियाँ थी। इस उर्वर क्षेत्र में अनेक प्राचीन सभ्यताएँ पुष्पित और पल्लवित हुई।
  • fibula -- फाइबुला
आधुनिक 'सेफ्टी पिन' की आकृति की तरह धातु से निर्मित पिन जिसका प्रयोग वस्त्रों को यथास्थिति में बनाए रखने के लिए होता था। इसके विभिन्न प्रकारों के आधार पर काल-निर्धारण किया जा सकता है। लगभग ई. पू. 1300 वर्ष पूर्व इस आभूषण के अवशेष प्राचीन यूनान (माइसीने) तथा उत्तरी इटली (पेस्खीरा) में प्राप्त हुए हैं।
  • fictile -- मृदा-सुघट्यता
विशेष प्रकार की मिट्टी, जिसे किसी विशिष्ट आकार-प्रकार में सरलता से गढ़ा जा सके।
  • field archaeology -- क्षेत्रीय पुरातत्व, प्रायोगिक पुरातत्व
पुरातत्व विज्ञान का व्यावहारिक पक्ष जिसके अंतर्गत सर्वेक्षण, उत्खनन, अभिलेखन, फोटोग्राफी आदि परिगणित हैं। संपूर्ण उत्खनन विज्ञान ही वास्तव में, क्षेत्र-पुरातत्व है।
  • field excavator -- क्षेत्र-उत्खनक
पुरातात्विक स्थलों को खोदने का कार्य करने या करानेवाला व्यक्ति।
  • field recording -- क्षेत्र-अभिलेखन
उत्खनन के समय किसी पुरातात्विक क्षेत्र का विवरण रखने की क्रिया। इसके लिए खुदाई के पहले खाइयाँ या जालक बनाए जाते हैं। संपूर्ण खुदाई क्षेत्र में, खूंटिया गाड़ दी जाती हैं। क्षेत्र-पुरातत्व में लेखप्रमाण का सर्वोपरि महत्व है। क्षेत्र-अभिलेखन में, खुदाई-स्थान, अवशेषों का प्राप्ति स्तर, गहराई, वस्तु-नाम आदि का विवरण तथा प्राप्त वस्तु के आकार-प्रकार विषयक अन्य आवश्यक सूचनाओं का उल्लेख रहता है। उत्खनन के दौरान या खुदाई की परिसमाप्ति पर, इन विवरणों का विस्तृत अध्ययन कर पुरातत्ववेत्ता एवं इतिहासकार इतिहास का शोधन या प्रणयन करते हैं।
  • figurative painting -- आकृतिमूलक चित्रांकन
वे चित्र जिनमें मानव तथा पशु-आकृतियों को प्रधानता प्रदान की जाती है। चित्रकला के इतिहास में इस प्रकार के चित्र सर्वाधिक प्राचीन माने जाते हैं।
  • figure in the round -- पर्युत्कीर्ण आकृति
ऐसी मूर्ति जिसे चारों ओर (आगे-पीछे, दाए और बाएँ) से देखा जा सके।
  • figure stone -- आकृति पाषाण
विभिन्न आकार-प्रकार के पत्थरों पर अंकित आकृति।
  • figurine -- लघु मूर्ति, मूर्तिका
मानव पशु अथवा पक्षी का उत्कीर्णित अथवा ढला हुआ लघु प्रतिरूप।
  • figurism -- प्रतीकवाद
देखिए : 'symbolism'
  • figury -- चित्रित, अलंकृत
आकार या अलंकरण से युक्त। किसी उपकरण, वस्तु, मूर्ति या बर्तन आदि का आकृति या अलंकरण से युक्त होना।
  • fill -- भराव
किसी उत्खनित भूमि की खाली जगह को मिट्टी, कंकर, पत्थर आदि से भरना।
  • filling motif -- स्थानपूरक अलंकरण
किसी वस्तु पर रिक्त स्थानों को भरने के लिए निर्मित आलंकारिक कलाकृतियाँ। भारतीय शिल्प में, स्थानपूरक अलंकरण के रूप में पुष्प, लता, स्वस्तिक, पशु-पक्षी आदि का प्रयोग प्रचलित रहा है। ई. पू. आठवीं से ई. पू. छठी शताब्दी के यूनानी मृद्भांडों में, इस प्रकार की सजावट बहुधा पाई गई है।
  • find spot -- प्राप्ति-स्थल
वह स्थान, जहाँ से महत्वपूर्ण पुरावशेष प्राप्त हों।
  • fine arts -- ललित कलाएँ
(क) सुंदर वस्तुओं के सृजन की कला।
(ख) सौंदर्यानुभूति हेतु, निर्मित कलाएँ, यथा-चित्रकला, आरेखण कला, वास्तुकला, मूर्तिकला, संगीत तथा मृत्तिका शिल्प इत्यादि।
  • Fine Orange Pottery -- परिष्कृत नारंगी मृद्भांड
नारंगी रंग के विशिष्ट मृद्भांड जिनपर काले रंग से चित्रित अथवा उत्कीर्णित अलंकरण प्रायः मिलते हैं। इन भांडों का निर्माण मेक्सिको खाड़ी क्षेत्र से प्रारम्भ होता है। मय सभ्यता के कलासिकी काल के अवसान तथा परवर्ती संपूर्ण क्लासिकी काल में मय-सभ्यता क्षेत्र में इसका प्रयोग मिलता था।
  • finger tip ornamentation -- अंगु लाग्र अलंकरण, टिकुली अलंकरण
मृद्भांडों तथा शिलागृह-चित्रों में प्राप्त एक प्रकार की सजावट। इसमें धरातल को अंगुली के पोरों से दबाकर अलंकृत किया जाता था।
  • fire altar -- 1. यज्ञवेदी
वैदिक काल में, आर्यों द्वारा धार्मिक कृत्यों को संपन्न करने कराने के लिए विशेष प्रकार की ईंटों से बनाई गई एक संरचना, जिसमें आग जलाकर आहुति दी जाती थी। यह प्रथा हिंदू समाज में आज भी प्रचलित है। हवन करने की कुंडी को भी यज्ञवेदी कहा जाता है।
2. अग्निदेवी
पारसी धर्म में, अग्नि-मंदिर का वह स्थान, जहाँ पवित्र अग्नि कुंड बना हो।
  • fire pit -- अग्नि-कुंड
धार्मिक व सामाजिक अवसरों पर होम करने के लिए भूमि में खोदा या बनाया गया गड्ढा। हिंदू धर्म के अतिरिक्त पारसी धर्म में भी अग्नि-कुंड का विशेष महत्व रहा हैं।
  • fishroe pattern -- मत्स्यांड नमूना, छिद्रित नमूना
वास्तुकला एवं अलंकरण में प्रयुक्त ऐसा नमूना, जिसमें छेद बनाए गए हों। ये देखने में मछली के ताजे अंड़ों के गुच्छ की तरह बने होते हैं।
  • fission track dating -- विखंडन पथ तिथि-निर्धारण, विखंडन पथ-तैथिकी
काल मापन की एक विधि जिसमें खनिजों, पाषाण-उपकरणों तथा मृद्भांडों की तिथि, उनमें प्राप्त विकिरण के अंश को माप कर की जाती है। पूर्व अफ्रीका स्थित ओल्डवाय गार्ज के प्रागैतिहासिक अवशेषों का कालमापन इस विधि द्वारा किया गया है।
  • flagon -- सुरापात्र
मंदिरा रखने के लिए बना बर्तन, जिसमें विशेषकर हत्था व टोटी बने होते हैं। कहीं-कही सुरा-पात्र में ढक्कन भी बना मिलता है। इसका आकार एक विशाल उभरी बोतल की तरह होता है।
  • flake -- शल्क
वह पाषाण-खंड, जो किसी बड़े पाषण-खंड (क्रोड) से आघात या दाब प्रविधि से अलग किया गया हो। इस प्रकार से निकाले गए शल्क तथा क्रोड दोनों पर आघात कंद बन जाते हैं, जिनसे इनको सरलता से पहचाना जा सकता है कि ये मानव निर्मित हैं। जिस ओर आघातकंद होता है उसे शल्क तल कहते हैं। शल्कों से विभिन्न प्रकार के उपकरण बनाए जा सकते हैं। इन्हें शल्क उपकरण कहा जा सकता है।
  • flake tool industry -- शल्क उपकरण उद्योग
किसी स्थल विशेष पर बहुतायत में शल्क पर बने उपकरणों के आधार पर प्रकल्पित शल्क उपकरण उद्योग। ब्रायल ने, क्रोड तथा शल्क उद्योग को समानांतर और स्वतंत्र धाराओं के रूप में माना है, परंतु मोवियस इस धारण से सहमत नहीं हैं। शल्क उद्योगों, मे, क्लैक्टोनी एवं लवाल्वाई उद्योग प्रसिद्ध है, जिनमें मिश्रित तत्व भी मिलते हैं। यह कहना कठिन है कि शल्क उद्योग पूर्ववर्त्ती था या क्रोड उद्योग। भारतीय मध्य पाषाणयुगीन उपकरण मूलतः शल्क उपकरण हैं।
  • flaking -- शल्कन
किसी पाषाण पिंड से उपकरण-निर्माण के लिए शल्कों को निकालना।
  • flambe -- प्रकीर्ण पालिश
मिट्टी के बने वे पात्र, जिनमें काचन कर्म (glaze work) असमान रूप से किया गया हो।
  • flange -- फलैंज
(क) किसी उपकरण या औज़ार का चपटा अनुप्रस्थ छोर। इसका उपयोग किसी उपकरण या औज़ार को पकड़ने अथवा उसमें लकड़ी या धातु की मूँठ लगाने के लिए किया जाता है।
(ख) मृदभांड या बरतनों के बाहरी गोलाकार चपटे कोर।
  • flat base tool -- समतलीय उपकरण
वह उपकरण जिसका तना चपटा या समतल हो। यह पेटरसन तथा डमंड द्वारा वर्गीकृत प्रागैतिहासिक पाषाण गुटिकाश्म उपकरणों के तीन प्रमुख विभाजनों में से एक है। इस प्रकार के उपकरणों का एक पक्ष समतल होता है। यह समतल रचना प्राकृतिक या कृत्रिम दोनों प्रकार की हो सकती है। धार को तेज करने के लिए इस उपकरण पर परिष्करण के चिह्न मिलते हैं।
  • flesh rubber -- झाँवा, झामक
छोटे आकार का, आग में पकाया ईंट जैसा वह प्रतिरूप, जिसकी खुरदरी सतह से विशेषतः पैर के तलवे तथा एड़ी को रगड़ कर साफ किया जाता है। मथुरा, कौशांबी, अहिच्छत्र आदि से अलंकृत झाँवे मिले हैं जिनपर एक ओर प्रेमासक्त दंपत्ति, मयूर, बाद्य-वादकों आदि के चित्र अंकित मिले हैं। उत्तरी काले ओपदार भांडों (NBP) के साथ ही कुछ लोढ़े के आकार के लंबे वर्तुलाकार खुरदरी सतह वाली आग में पकाई हुई मिट्टी की वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं, जिन्हे कुछ पुरातत्वेत्ता 'फ्लेश रबर' के नाम से अभिहित करते हैं।
  • flint projectile -- चकमक प्रक्षेपास्त्र
चकमक पत्थर का बना वह उपकरण, जिसे प्रागैतिहासिक मानव आखेट के समय अपने शिकार और लड़ाई के समय अपने प्रतिस्पर्धी पर फैंक कर मारते थे।
  • florr level -- आवास तल
उत्खनन में प्राप्त वह तल, जो भवन का फर्श रहा हो। यह स्तर-विन्यास की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में मान्य है।
  • flotation method -- प्लवन विधि
पुरावनस्पतियों, बीजों, घोघों, कीटों तथा लघु-अस्थियों को प्राचीन स्थलों में प्राप्त मिट्टी तथा अवसादों से जल में तैराकर बाहर निकालने की विधि। इस विधि के अंतर्गत परीक्षण की जाने वाली मृदा सामग्री को जल में मिलाया जाता है, जिससे कि जैव-अवशेष ऊपर तैरने लगे। ऊपर तैरने वाले अवशेषों को छानकर अलग कर लिया जाता है। जैव-अवशेषों की तैरने की क्षमता बढ़ाने के लिए कभी-कभी उस सामग्री में पैराफिन मिला दिया जाता है।
देखिए: 'Froth flotation'
  • flourine dating -- फ्लोरीन काल-निर्धारण
पुरातात्विक वस्तुओं के समय को निश्चित करने के लिए प्रयुक्त एक पद्धति, जिसकी सर्वप्रथम खोज ई. 1844 में अंग्रेज रसायनशास्त्री मिडिलटन ने की थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के काल में इसकी पुनः खोज हुई।
फ्लोरीन एक गैसीय तत्व है, जो फ्लोराइड्स के रूप में, प्रकृति में पाया जाता है। जब फ्लोरीन के परमाणु क्रिस्टलीय फास्फेट के संपर्क में आते हैं, तो हड्डी और दाँतों के खनिज क्रिस्टल के अति सूक्ष्मदर्शीय रंध्रों में फँस जाते हैं और उसमें दिखाई देने लगते हैं।
यदि अलग-अलग भूवैज्ञानिक कालों की हड्डियाँ एक ही स्थान से प्राप्त हों तो उनकी सापेक्ष तिथि सरलता से निश्चित की जा सकती है। इनमें जो सबसे पुरानी होगी, उनमें फ्लोरीन की मात्रा सब से अधिक होगी।
  • fluting -- फ्लूटिंग
(1) मृद्भांड, धातुपात्र, स्तंभ आदि पर अलंकरण हेतु बनी हुई क्षैतिजाकार, लम्बवत् या तिरछी, चौड़ी समानांतर नालीदार रचना।
(2) पाषाणोपकरणों के निर्माण के लिए एक विशिष्ट विधि, जिसमें लंबे, संकीर्ण, सामानांतर पक्षीय फलक प्राप्त किये जाते हैं। इस विधि का प्रारम्भ उत्तर पुरापाषाणकाल में हुआ।
  • Folsom point -- फाल्सम वेधनी
फाल्सम (न्यूमेक्सिको-संयुक्त राज्य अमेरिका) से प्राप्त विशिष्ट प्रकार की प्रक्षेप-वेधनी जिसका आधार अवतल होता था। इस उपकरण के दोनों सतहों से लम्बवत् शल्क निकालकर उसे नालिकाकार बनाया जाता था। इसका काल लगभग ई. पू. 9000-ई. पू. 8000 आँका गया है।
  • food gathering stage -- आहार-संग्रहण अवस्था
सभ्यता के विकास की वह प्रावस्था जिसमें मानव अपना जीवन निर्वाह आखेट तथा वन्य खाद्य पदार्थों का संग्रह कर करता था।
  • food producing stage -- खाद्योत्पादन अवस्था
मानव-सभ्यता के विकास-क्रम की वह अवस्था, जिसमें मनुष्य खेती तथा पशुपालन कर आहार की व्यवस्था करने लगा था। इससे पूर्व वह अपनी जीविका के लिए शिकार तथा आहार-संचयन पर ही निर्भर था। कृषि-अवस्था मानव-सभ्यता की विकास-शृंखला की प्रथम महत्वपूर्ण कड़ी है।
भारत में, इसका आरंभ नवपाषाणयुग से माना जाता है। ग्राम संस्था तथा बर्तनों के निर्माण हेतु चाक का प्रयोग इसी अवस्था में हुआ।
  • formative period -- निर्माण काल
(1) किसी भी सभ्यता के विकास का वह काल जिसमें लोग स्थायी सन्निवेशों में रह कर विविध क्रियाकलापों द्वारा सभ्यता का निर्माण करते थे। कृषि-कार्य, मृद्भांडों की संरचना तथा आनुष्ठानिक केन्द्रों के विकास आदि इस काल के प्रमुख क्रियाकलाप थे। निर्माण काल सभ्यता के विकास की एक संकल्पना है जिसको किसी एक कालावधि में नहीं बाँधा जा सकता।
(2) दक्षिण अमेरिका में ई. पू. 1800 से ई. 300 की अवधि निर्माण काल के रूप में स्वीकार की जाती है।
  • forum -- फोरम, चौक
प्राचीन रोम के नगरों में स्थित खुला हुआ मैदान। इन खुले स्थलों का उपयोग व्यापारिक, सामाजिक, विधिक तथा राजनीतिक केन्द्रों के रूप में किया जाता था। सामान्यतया ये स्तम्भयुक्त, आयताकार स्थल होते थे, जिनके किनारे सार्वजनिक भवन और मंदिर निर्मित होते थे। किसी बड़े नगर में एक से अधिक फोरम हो सकते थे जिनमें अनेक छोटे-छोटे 'फोरा' (बाज़ार) होते थे।
  • Forum ware -- फोरम मृद्भांड
प्राचीन रोम के फोरमों के उत्खनन में प्राप्त एक विशिष्ट प्रकार के हरे रंग के काचित (glazed) मृद्भांड। इन सुराहीनुमा मटकों के चारों ओर लहरिया रेखाएँ बनी हुई हैं। इनका काल छठी और सातवी ई. माना गया है।
  • fossil -- जीवाश्म, फासिल
विलुप्त जीवों के अवशेष या चिह्न जो प्राकृतिक विधियों से शैलों में परिरक्षित रह गए। विस्तृत अर्थ में भूवैज्ञानिक कालों की वस्तुएँ जो उस समय के जीवन की कहानी बतलाती हैं।
  • fossil evidence -- जीवाश्म साक्ष्य
सापेक्ष तिथि-निर्धारण में जीवाश्म-साक्ष्य उल्लेखनीय हैं, क्योंकि प्रागैतिहासिक मानव, प्रागैतिहासिक जीवों पर आधारित रहता था। जीवाश्मों के आधार पर उपकरणों तथा स्तरों के जमाव की तिथि का अनुमान लगाया जा सकता है। यह साक्ष्य उस समय अधिक महत्वपूर्ण प्रतीत होता है, जब ऐसे जीवाश्म प्राप्त होते हैं, जिनके क्रमिक विकास का पता रहता है। जीवाश्म, साक्ष्य कालमापक्रम का कार्य करते हैं। यह विधि तब उपयोगी नहीं होती, जब किसी जीव के विकास का क्रमिक विकास उपलब्ध नहीं होता।
  • fossilman -- जीवाश्म मानव
वह लुप्त मानव, जिसका ज्ञान अश्मीभूत कंकालों के अवशेषों से ही होता है।
  • foundation -- नींव
बजरी, रोड़ी, आदि से बनी वह भूगर्भित तह, जिस पर भवन या संरचना टिकी रहती है।
  • foundation deposit -- आधार-निक्षेप
पुरातात्विक उत्खनन के समय किसी भवन की नींव में प्राप्त दैनिक प्रयोग में आनेवाली अनेक प्रकार की वस्तुओं के अवशेष।
  • foundation level -- नींव-तल, आधार-तल
वह स्तर जिसे खोदकर किसी संरचना के आधार की स्थापना की गई हो।
  • free standing statue -- स्वतः स्थित प्रतिमा
स्वतंत्र रूप से खड़ी प्रतिमा।
  • fresco -- भित्तिचित्र प्रविधि, लेपचित्र प्रविधि
चित्रण की एक विशेष प्रविधि जिसमें गीले पलस्तर के धरातल पर जलरंगों से चित्र तैयार किए जाते हैं। जल मिश्रित रंग आर्द्र धरातल में समाविष्ट हो जाता है।
  • frigidarium -- शीत-स्नान कक्ष
प्राचीन रोम के सार्वजनिक स्नानागारों का वह कक्ष, जिसमें ठंडे जल से स्नान की व्यवस्था होती थी।
  • frost mark -- तुषार चिह्न
किसी भी प्राचीन स्थल के धरातल पर तुषार-कणों के अवशोषण से मिश्रित चिह्न। इन चिह्नों के स्वरूप और वितरण से धरातल के नीचे स्थित संरचनाओं की परिकल्पना की जा सकती है। सामान्यतः यह अध्ययन हवाई सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है।
  • froth flotation -- फेन प्लवन, फ्रोथ प्लवन
प्लवन की एक विशेष विधि। इस विधि के अंतर्गत परीक्षण की जाने वाली मृदा सामग्री को पानी से भरी हुई टंकी में फेनकारक पदार्थ लाकर रखा जाता है। जैविक अवशेष उत्पन्न बुलबुले के साथ एक स्थान में एकक्षित हो जाते हैं, जिन्हें छान लिया जाता है। अनेक प्रकार के फेन प्लवन यंत्र उपयोग में लाये जाते हैं।
  • frying pan -- फ्राइंगपैन
मिट्टी के बने छिछली, किनारीदार, तस्तरीनुमा, हत्थेदार, अलंकृत अवतल पात्र, जो प्रारंभिक कांस्ययुगीन साइक्लेडी द्वीपों के उत्खननों में मिले हैं। सम्भवतः इन्हें प्रजनन संबंधी, आनुष्ठानिक कार्यों में प्रयुक्त किया जाता था क्योंकि उन पर योनि चिह्न मिलते हैं; इजियन क्षेत्र का पात्र विशेष।
  • funerary cult -- शवोपासना
मृत व्यक्ति को सम्मान देना अथवा उसके शव का अनुरक्षण करना। उदाहरणार्थ प्राचीन मिस्र की ममी (mummy)।
  • funerary structure -- अन्तेष्टि स्मारक
ऐसी संरचना जिसमें किसी महापुरुष के शरीर के अवशेष, अस्थि, भस्म, दाँत या केश आदि अनुरक्षण तथा स्मरण आदि के लिए रखे गए हों। भारत में महात्मा बुद्ध के भस्मावशेषों के ऊपर निर्मित संरचना को स्तूप कहते हैं जिसकी उपासना बौद्ध धर्मानुयायी करते हैं।
  • funnel beaker -- कीपाकार बीकर
एक प्रकार का विस्तृत ग्रीवायुक्त प्याला। ई. पू. चौथी, तीसरी सहस्राब्दि की प्रथम नवपाषाणकालीन संस्कृति के ये प्रतिनिधि मृद्भांड हैं।
  • Funnel Beaker Culture -- फनल बीकर संस्कृति
ई. पू. परवर्ती चतुर्थ और आरंभिक तृतीय सहस्राब्दी की उत्तरी यूरोप की नवपाषाणकालीन संस्कृति। इसके अवशेष दक्षिणी स्केंडनेविया, उत्तरी जर्मनी, उत्तरी पोलैंड आदि में मिले हैं। इसका संक्षिप्त नाम 'टी आर बी' संस्कृति है।
  • fylfot -- स्वस्तिक
शुभ-अवसरों, धार्मिक अनुष्ठानों आदि के समय चिह्नित अथवा निर्मित किया जाने वाला प्राचीन मंगल प्रतीक। प्राचीन ईरान, भारत, यूरोप. चीन, जापान आदि देशों में धार्मिक चिह्न के रूप में इसका प्रयोग होता था। यूनानी क्रूस भी स्वस्तिक के आकार का बना होता था। भारतीय कला में दक्षिणावर्त्य तथा वामावर्त्त इस दोनों रूपों में स्वस्तिक का अलंकरण मिलता है। भारत में आज भी यह चिह्न शुभसूचक माना जाता है।
  • gallery grave -- वीथी शवाधान
प्रागैतिहासिक योरोप के महाश्म स्मारकों का एक प्रमुख प्रकार। ये प्रवेश-मार्ग रहित आयताकार रूप में मिलते हैं। इन शवाधानों का निर्माण प्रारंभिक नवपाषाणकाल और कांस्ययुग के बीच हुआ था।
  • Gangetic Copper hoards -- गंगा घाटी की ताम्र निधियाँ
भारत में गंगाघाटी में ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि के उत्तरार्ध में प्राप्त वस्तुएँ जिनमें मानवाकृतियाँ, हारपून, दुसिंगी तलवारें, कांटेदार भाले, छेनियाँ और चौड़ी-चपटी कुठारें आदि हैं।
  • garbage dump -- अवकर स्थान, घूरा
वह स्थान, जहाँ पर कूड़ा-कर्कट, तथा अनावश्यक वस्तुओं को फेंका जाता है। पुरातात्विक उत्खननों से प्राप्त अवकर स्थानों से कभी-कभी महत्वपूर्ण सामग्रियाँ मिलती हैं, जिनसे प्राचीन मनुष्यों के रहन-सहन और उनकी सभ्यता-संस्कृति के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।
  • ge -- जी
फरसे के आकार का चीनी कांस्ययुगीन शस्त्र। इसका कांस्य निर्मित धारदार फलक होता था तथा उसके चपटे चूल भाग में लखड़ी की मूँठ लगाने के लिए छिद्र बना होता था। शांगकालीन शवाधानों में कांस्यनिर्मित ऐसे 'जी' शस्त्र मिले हैं। इनके प्राचीनतम उदाहरण ई. पू. मध्य द्वितीय सहस्राब्दी के हैं।
  • geo-chronological dating -- भूतैथिकीय काल-निर्धारण
भूवैज्ञानिक कालानुक्रम जिनसे पुरातात्विक घटनाओं को संदर्भित किया जा सके। उदाहरणार्थ चतुर्थक कालानुक्रम के आधार पर पूर्व पाषाणकालीन पुरातत्व तथा तृतीयक कालानुक्रम के आधार पर मानवसम प्राणियों के विकास के अनुक्रम का निर्धारण। विशेष प्रकार के पुरातात्विक सामग्री की तिथि उस स्थान के स्तरानुक्रम के आधार पर निर्धारित की जाती है और उसकी संपुष्टि स्वतन्त्र रूप से अन्य वैज्ञानिक विधियों जैसे रेडियो कार्बन, पुराचुंबकीय, पोटेशियम, आर्गन आदि से संपुष्ट की जाती है। सामान्य रूप से वे सभी वैज्ञानिक तिथि-निर्धारण विधियाँ इसके अंतर्गत आती हैं जो भूभौतिकीय परिवर्तनों पर आद्धत हैं जैसे पुराचुंबकीय, वृक्षवलय, फ्लोरीन परीक्षण, रेडियो कार्बन आदि।
  • geology -- भूविज्ञान
वह विज्ञान जिसमें पृथ्वी की उत्पत्ति, संरचना तथा उसके संघटन एवं शैलों द्वारा व्यक्त उसके इतिहास की विवेचना की जाती है। यह विज्ञान उन प्रक्रमों पर भी प्रकाश डालता है जिनसे शैलों में परिवर्तन आते रहते हैं। इसमें अभिनव जीवों का संबंध तथा उनकी उत्पत्ति और उनके विकास का अध्ययन भी सम्मिलित है। इस विज्ञान के अनेक उपविभाग हैं जिनमें से निम्नलिखित अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं- ऐतिहासिक भूविज्ञान, भौतिक भूविज्ञान, खनन विज्ञान, भूआकृति विज्ञान, शैल विज्ञान, ज्वालामुखी विज्ञान, स्तरिक भूविज्ञान एवं जीवाश्म विज्ञान।
  • geometrical art -- ज्यामितिक कला
वह कला, जिसके अंतर्गत ज्यामितिक अभिकल्पों यथा- रेखाओं तथा कोणों इत्यादि की सहायता से कोई रेखाकृति बनाई जाए। विविध ज्यामितिक अलंकरण प्रागैतिहासिक काल से प्रचलित हैं।
  • Gerzean -- गरज़ियाई
मिस्र की परवर्ती प्राक् राजवंशीय संस्कृति जिसका विकास ई. पू. लगभग 3600 से अमराती संस्कृति से हुआ। इसका नामकरण अल-गरज़ा नामक स्थान पर हुआ है। जहाँ से इसके विशिष्ट अवशेष मिले हैं। इस संस्कृति के प्रमुख अवयवों मे चकमक पत्थर के चाकू ताम्र निर्मित कुठार और छूरे आदि हैं। फेयन्स का सर्वप्रथम प्रयोग इसी काल में हुआ। इस काल के मृद्भांडों पर एशियाई प्रभाव परिलक्षित होता है। इस संस्कृति के अंतिम चरण में लिपि का आविष्कार हुआ था।
  • gesture of meditation -- ध्यान-मुद्रा
भारतीय मूर्तिशास्त्र में गहन आराधना की द्योतक योग-मुद्रा। इस मुद्रा में योगी की तरह पद्मासन लगाकर बैठा जाता है और बाई हथेळी के ऊपर दाई हथेली को रखा जाता है। भारत में, देवी देवताओं और महापुरुषों की इस प्रकार की अनेक मूर्तियाँ मिली हैं। बुद्ध और जैन तीर्थंकरों को विशेष रूप से इस मुद्रा में प्रदर्शित किया गया है।
  • gesture of protection -- अभय-मुद्रा
निर्भयता प्रदान करने के लिए दाँए कंधे की सीध में खुली दाई हथेली द्वारा प्रदर्शित एक विशिष्ट प्रकार की हस्त मुद्रा। भारतीय कला में, बुद्ध बोधिसत्व तथा विष्णु प्रतिमाओं में यह मुद्रा मिली है।
  • ghost hole -- प्रेत छिद्र
अति प्राचीन काल से यह विश्वास रहा है कि मृतात्मा इसी छिद्र से आती जाती थी।
  • ghost wall -- आभासी दीवार, भित्ति-आभास
प्राचीन भवनों की नींव की ईंटों, पत्थरों आदि को निकाल दिए जाने पर भूमि पर बचे चिह्न।
  • giant's tomb -- दानव-तुंब
सार्डिनिया के महापाषाण गृह-तुंब का स्थानीय नाम। इनका निर्माण ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि के मध्य में हुआ था। वे शवाधिकक्ष गेलरी या बीथी शवाधान की तरह के हैं। इनमें मृत शरीर को एक लंबे संगोरे में रखा जाता था और उसे सहारा देने के लिए प्रतिधारण भित्ति बनती थी। कुछ विशाल तुंबो में वक्राकार गृह मुख (facade) बने मिले हैं, जो सामने के प्रांगण को घेरे हुए हैं।
  • Giza -- गीज़ा
मिस्र की आधुनिक राजधानी केरो के निकट नील नदी के पश्चिमी तट पर स्थित चतुर्थ राजवंशकालीन सम्राटों का समाधि-क्षेत्र। यह स्थल अपने विशाल पिरामिडों के लिए विख्यात है। विशालतम पिरामिड 'खुफू' का है जो 5 हेक्टेयर क्षेत्र में बना है। यह पिरामिड 148 मीटर ऊँचा है जिसके समक्ष 'नृसिंह' की 80 मीटर लंबी आकृति निर्मित है। इसका निर्माणकाल लगभग ई. पू. 2500 माना जाता है।
  • glacial -- हिमनदीय
भूविज्ञान में, किसी हिमनद से संबंधित, उसकी प्रकृति का, उससे उत्पन्न या निक्षेपित अथवा व्युत्पन्न।
  • glacial deposits -- हिमनदीय निक्षेप
हिमनदों द्वारा वाहित या निक्षेपित बजरी, मृत्तिका तथा गोलाश्म की संहतियाँ जो प्रायः अस्तरित अथवा कुछ परिस्थितियों में स्थूलतः स्तरित होती हैं।
  • glacial epoch -- हिमनद युग
भूवैज्ञानिक कालानुक्रम में वह युग जिसमें पृथ्वी का एक बहुत बड़ा भाग हिम से ढका हुआ था।
  • glaciation -- हिमनदन
(क) हिमनद बर्फ के द्वारा अपरदन तथा निक्षेपण से पृथ्वी के ठोस पृष्ठ का रूपांतरण।
(ख) हिमनदों का निर्माण या हिम द्वारा भू-पृष्ठ का ढक जाना।
  • glacier -- हिमनद, हिमानी
क्रिस्टलित तुहिन से निर्मित हिम की एक संहति या हिम पिंड जो गुरूत्व के प्रभाव में पर्वत ढाल या घाटी की ओर धीरे-धीरे संचलित होता है और जिसके अतीत में भी कभी संचलित हुए रहने के प्रमाण मिलते हैं।
  • glaze -- काचन, चमक
मृद्भांडों आदि को ओपदार बनाने के लिए काँचयुक्त लेप लगाकर भट्टी में पकाना। पकाने के परिणाम स्वरूप काँच के कण उस वस्तु के धरातल में फैल जाते हैं जिससे उसका धरातल चमकीला और अरंध्रित हो जाता है।
  • globular amphora -- गोल ऐंफोरा, गोल दुहत्थी सुराही
चौड़े आकार की दुहत्थी सुराही। लगभग ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि की मृद्भांड संस्कृति परवर्ती नवपाषाणकालीन और ताम्रकालीन थी जिसका प्रसार जर्मनी, पोलैंड तथा पश्चिमी रूस तक विस्तृत था। यह संस्कृति यूरोपीय नवपाषाणकालीन टीo आरo बीo संस्कृति से उद्भूत मानी जाती है। इस मृद्भांडों का आकार कंद की तरह तथा गर्दन संकीर्ण है और इनके दोनों ओर हत्थे बने होते हैं। कुछ मृद्भांडों के ऊपरी भाग पर खचित अथवा ठप्पांकित डोरी छाप अलंकरण भी मिलते हैं।
  • glyph -- उच्चित्र
उत्कीर्ण या उद्भूत तक्षित मूर्ति या आकृति।
  • goblet -- प्याला, चषक
(क) बिना हत्थे का लंबोतरा साधार चषक या प्याला। यह सामान्यतः सुरा पात्र के रूप में प्रयुक्त होता था।
(ख) एक विशेष प्रकार का पानपात्र। इसका शीर्ष भाग गिलासनुमा होता है और इसके अधोभाग में पकड़ने के लिए पतली डंडी बनी होती है, जो सामान्यतः गोलाकार आधार पर टिकी होती है।
  • golgotha -- 1. शमाधिस्थल
मुर्दों को दफनाने का स्थान।
2. बलिदान-स्थान
प्राचीन जेरूसलम नगर के बाहर ईसा को सूली पर चढ़ाए जाने का स्थान। रोमन कैथोलिक चर्च में इस स्थान की अनुकृति बनी होती है।
  • goniometer -- 1. कोणमापी
कोनों को नापने का एक यंत्र।
2. गुनिया
वह उपकरण या औजार, जिससे बढ़ई, राज आदि कोने की सीध नापते हैं।
  • gorgoneion -- गार्गन मुख, राक्षसी मुखालंकरण
गार्गन के मुख-चित्रणवाला अलंकरण। यूनानी कथाओं के अनुसार तीन पौराणिक बहिनें स्तेनो (Stheno), यूरेल (Euryale) तथा मेडूसा गार्गन मुखी थीं। इनकी आकृति भयानक और केश सर्पिल थे। कहा जाता है कि इनको देखने मात्र से व्यक्ति पत्थरवत् बन जाता था। यूनानी कला में, इस अलंकरण का प्रयोग, भवनों इत्यादि के ऊपर नज़रौटे के रूप में किया जाता था। एथेना देवी की ढाल पर भी गार्गन-मुख अंकित रहता था। भारतीय संदर्भ में, इस प्रकार के अलंकरण को कीर्ति मुख कहा जाता है। हिंद-यूनानी तथा शक सिक्कों पर इस प्रकार का अलंकरण मिलता है।
  • graffitto -- अभिरेखण, भित्ति-आरेख
शिला, दीवार, मृदा-पात्र आदि पर उकेरकर बनाए गए आरेख, चिह्न एवं अभिकल्प।
  • Grass-marked pottery -- घास छापयुक्त मृद्भांड
ई. पाँचवी या छठी शताब्दी की पश्चिम ब्रिटेन के अल्सर, हेब्रिड्स और कोर्निवल में प्राप्त विशिष्ट प्रकार के हस्तनिर्मित अपरिष्कृत मृद्भांड जिनपर घास और मौसमी वनस्पतियों की छाप मिलती है।
  • grave -- समाधि, कब्र
भूमि को खोद पर बनाया गया वह गड्ढा जिसमें मृतक या उनकी अस्थियों को गाड़ा जाता है।
  • grave goods -- समाधि सामग्री
समाधि के साथ रखी गई वस्तुएँ। प्रागैतिहासिक काल से, मृतक के साथ दैनंदिन प्रयोग में आनेवाली वस्तुओं को दफनाने की प्रथा मिलती है। तत्कालीन मानव की यह धारण थी कि मृत व्यक्ति मरणोपरांत इन वस्तुओं का उपयोग करता था। उत्खनन से प्राप्त सामग्री, प्रागैतिहासिक एवं आद्य ऐतिहासिक सभ्यताओं एवं संस्कृतियों को जानने के महत्वपूर्ण साधन हैं।
  • grave pit -- समाधि गर्त
शव को दफनाने हेतु खोदा गया गड्ढा।
  • grave plundering -- समाधि लुंठन
कब्र में दफनाई गई वस्तुओं की लूट। प्राचीन काल से मृतक के साथ बहुमूल्य वस्तुएँ दफनाने की प्रथा थी। इन बहुमूल्य वस्तुओं को कब्र लुंठक उसे खोदकर निकाल लेते थे। मिस्र के राजवंशकालीन तुंबों की लूटके विषय में उनके ग्रंथों में रोचक वृत्तान्त मिलते हैं।
  • grave-markers -- समाधि-सूचक
कब्र की स्थिति को सूचित करनेवाला संकेत-प्रस्तर।
  • graven images -- उत्कीर्ण प्रतिमा
तक्षित कर बनाई गई काष्ठ, पाषाण, धातु आदि की मूर्ति।
  • graver -- 1. उत्कीर्णक
धातु आदि पर तक्षणकर या खोदकर बनानेवाला या लिखनेवाला।
2. उत्कीर्णक, टांकी
प्रागैतिहासिक पाषाण-उपकरण, जिसे सामान्यतः शल्क अथवा क्रोड पर बनाया जाता है। इस उपकरण के निर्मण में द्वितीयक शल्कीकरण द्वारा पत्थर को क्षैतिजाकार रखकर उस पर लंबवत् प्रहार किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप फलक के ऊपरी भाग से एक तिरछा शल्क निकल जाता है और अर्धशंकु का चिह्न 'ग्रेवर' में दृष्ठिगोचर होता है। इस शल्क (flake) के निकलने से जो शल्क-चिह्न बनता है, उसे उत्कीर्णक-मुख (ग्रेवर फेसेट) कहते हैं। बर्किट महाशय इस उपकरण की प्रमुख पहचान उत्कीर्णक-मुख ही मानते हैं। बनावट के आधार पर इनके अनेक प्रकार हैं।
  • Gravettian Culture -- ग्रेवेती संस्कृति
उत्तर पुरापाषाणकालीन संस्कृति। इसका काल ई. पू. 25,000 से पूर्व माना जाता है। इस संस्कृति का नामकरण फ्रांस के दोरदोन क्षेत्र में स्थित 'ला ग्रेवेत' नाम पर पड़ा। इस संस्कृति के प्रमुख उपकरणों में विशिष्ट पृष्टित फलक हैं जिनकी बाहरी और कर्तन धार अधिक सुव्यवस्थित है। इनके बनाए गए गुफा चित्र लास्को (Lascaux) गुफा में मिलते हैं। इनकी बनाई पुराहस्ति (मेमथ) के दाँतों से बनी स्त्री-मूर्ति (Venus) विशेष है।
दोरदोन क्षेत्र से इस संस्कृति की प्राचीनतम रेडियो कार्बन तिथि ई. पू. 26200 ± 225 तथा नवीनतम तिथि ई. पू. 20830 ± 140 ज्ञात है।
  • Great Bath -- विशाल स्नानागार
मोहनजोदड़ो का प्रसिद्ध विशाल स्नानागार। यह 33 मीटर लंबा व लगभग इतना ही चौड़ा है। इसके मध्य में, स्नान के लिए एक हौज़ बना है, जो 12 मीo लंबा, 7.5 मीo चौड़ा तथा 2.5 मीo गहरा है। इसमें शुद्ध पानी जमा करने की व्यवस्था थी और पानी बाहर निकालने के लिए, नाली भी बनी थी। स्नानार्थियों के लिए, स्नानागार के ऊपर कमरे बने हुए थे।
  • Great flood -- महा जल प्लावन, प्रलय
वह प्रकल्पित काल, जब संपूर्ण सृष्टि विनष्ट हो जाती है और चारों ओर जल के अतिरिक्त कुछ भी नहीं रहता। जब जगत अपने मूल कारण या प्रकृति में विलीन हो जाता है, तब सृष्टि के उस तिरोभाव को प्रलय कहा जाता है। भारत के अतिरिक्त सुमेरी, बैबीलोनी आदि अनेक प्राचीन संस्कृतियों में जल-प्रलय का वर्णन मिलता है।
  • Great Interglacial phase -- महाअंतराहिमनदीय प्रावस्था
आल्पस क्षेत्र के मिन्डेल और रिस हिमनदनों के बीच का ऊष्ण अंतराल। इसका काल आज से 70,000 वर्ष पहले एवं सात लाख वर्ष के बाद कभी रहा होगा।
  • Great Wall of China -- चीन की महाप्राचीर, चीन की विशाल दीवार
चीन के छोटे-छोटे राज्यों की सुरक्षार्थ, पूर्व से पश्चिम की ओर (पीत सागर से कांसू प्रदेश तक) वहाँ के शासकों द्वारा निर्मित कच्ची-पक्की भित्तियाँ। चिन राजवंश के शासक, चिन हुवांगती ने लगभग ई. पू. 221 में छोटे-छोटे राज्यों को समाप्त कर, विशाल साम्राज्य की स्थापना की और छोटी-छोटी प्राचीन भित्तियों को मिलाकर महाप्राचीर का, मूल रूप में निर्माण ई. पू. 214 में कराया। चीन की दीवार की ऊँचाई लगभग 6 से 15 मीटर तथा चौड़ाई लगभग 4 से 7 मीटर है। इसमें स्थान-स्थान पर मोखेदार बुर्ज बने थे। दीवार की कुल लंबाई लगभग 3,220 किलोमीटर है। मंगोलिया की असभ्य तथा खानाबदोश जातियों के आक्रमणों से चीन साम्राज्य की रक्षा करने के लिए यह महाप्राचीर बनाई गई थी। चीन के अनेक सम्राटों ने समय-समय पर इसका जीर्णोद्धार कराया।
  • Great Ziggurat (-Tower of Babel) -- बृहत जिगुरत (- बेबल की मीनार)
सुमेर, बेबीलोन तथा असीरिया के नगरों की देवालय-मीनार। ये मीनार क्रमिक रूप में पिरामिडाकार बनाए जाते थे और इनका देवालय शीर्ष भाग में बना होता था। बाइबिल में वर्णित बेबल की मीनार इसी प्रकार का जिगुरेट रही होगी।
  • Greco-Buddhist art -- यूनानी-बौद्धकला, गांधार कला
मूर्तिकला की यूनानी-बौद्ध शैली, जो गंधार (उत्तर पश्चिमी भारत और अफगानिस्तान) में ई. पहली से ई. छठी में विकसित हुई। यह शैली उत्तर पश्चिमी भारत और अफगानिस्तान में बहुत अधिक लोकप्रिय रही। विषय-वस्तु की दृष्टि से गांधार मूर्तिकला मुख्यतः बौद्ध है और तकनीकी दृष्टि से यह मूलतः यूनानी है। भारत में यह कला कुषाणों तथा शक वंशी शासकों द्वारा प्रोत्साहित की गई। इस कला में सिलेटी नीला पत्थर प्रयुक्त किया गया।
  • Greek architecture -- यूनानी स्थापत्य
यूनानी भवन-निर्माण कला, जिसकी प्रमुख अभिव्यक्ति षट्कोणीय मंदिरों की संरचनाओं में हुई। स्तंभ पंक्तियों से युक्त ये मंदिर आयताकार, एक मंजिलें और ऐसी ढलवाँ छतवाले होते थे, जिनपर त्रिकोणशीर्ष (Pediment) बने होते थे। भवन के बाहरी अलंकरण के लिए रंग या सुवर्ण मंडन प्रायः प्रयुक्त होता था।
यूनानी वास्तुकला को क्रमानुसार डोरिक, आयोनी और कोरिंथी स्तंभ-शैलियों ने बहुत अधिक प्रभावित किया। डोरिक स्तंभ-शैली इनमें सर्वाधिक सादी थी। आयोनी शैली वलयित स्तंभ-शीर्ष तथा कोरिंथी स्तंभ-शैली बेलबूटेदार स्तंभ-शीर्ष के लिए प्रसिद्ध थी। यूनानी स्थापत्य में, लालित्य तथा स्थापित्व का उन्मेष, लगभग ईसवी पाँचवीं शती में हुआ।
  • Greek sculpture -- यूनानी मूर्तिकला
किसी प्रत्यक्ष रूप या काल्पनिक आकार-प्रकार को मिट्टी, पत्थर या धातु आदि में, साकार करने की यूनानी कला। यूनानी मूर्तिकला में पत्थर, धातु तथा मिट्टी का प्रयोग किया गया। इस कला में अंग-प्रत्यंगों के सुगठन, लावण्य तथा भावाभिव्यक्ति पर विशेष ध्यान दिया गया। धार्मिक विषयों के साथ लौकिक विषयों का भी इस कला में व्यापक रूप से समावेश हुआ है। यूनानी सिक्कों, मुहरों तथा आभूषणों पर अनेक सुंदर आकृतियाँ अंकित मिली हैं।
  • green ware -- अदाह भांड, कच्चा भांड
आग में बिना पकाए मिट्टी के कच्चे बर्तन।
  • grey Uruk ware -- धूसर उरुक भांड
सुमेर के सबसे विशाल नगर-राज्य उरुक में मिले भांड। उर से 56 किo मीo दक्षिण पश्चिम में स्थित उरुक की निचली सतह में, सुमेर की प्रागैतिहासिक संस्कृति के अवशेष मिले हैं। यहाँ के मृद्भांड चाक निर्मित है, किंतु चित्रित नहीं हैं।
  • grey ware settlement -- धूसर भांड बस्ती
वह प्रागैतिहासिक स्थल, जहाँ पर हुए उत्खनन के परिणामस्वरूप मिट्टी के बने सलेटी रंग के बर्तन मिले हों।
  • grid layout -- जालक अभिन्यास
उत्खनन-स्थल की क्रमबद्ध खुदाई और प्राप्त वस्तुओं आदि के विवरण के अभिलेखन के लिए, स्थल का अनेक वर्गों में विभाजित किया जाना। सामान्यतः प्रत्येक जालक वर्ग में एक वर्गाकार खाई खोदी जाती है, जिसे प्रत्येक निकटवर्ती खाई से अलग करने के लिए एक मेड़ (baulk) बनाई जाती है। ये जालक उत्खनन-कार्य के आधार-स्तंभ होते हैं।
  • grid system -- जालक पद्धति
पुरातात्विक उत्खनन की प्रविधि विशेष, जिसके अंतर्गत संपूर्ण उत्खनन क्षेत्र को अभिलेखन की सुविधा के लिए छोटे-छोटे वर्गों में विभाजित किया जाता है। सामान्यतः एक वर्गाकार खाई प्रत्येक जालक-वर्ग में खोदी जाती है, जो निकट की खाई से एक मेड़ (baulk) द्वारा विभक्त रहती है। सारे क्षेत्र को वर्गों में विभाजित कर दिया जाता है। नगर या किसी विशाल क्षेत्र के उत्खनन के लिए जालक प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। एक जालक या गड्ढे का माप प्रायः 10х10 मीटर होता है और प्रत्येक गड्ढे के बीच में 1 मीटर का मार्ग छोड़ दिया जाता है। इनको संख्यांकित करने का तरीका अ1, अ2, अ3, ब1, ब2, क्रमानुसार होता है। इस खुदाई में, सरलता से हर ओर बढ़ा जा सकता है। सभी जालकों में समान प्रकाश की व्यवस्था रहती है और चित्र लेने में सुविधा होती है। कालीबंगा, लोथल, एरण, सूरकोटडा, भगवानपुरा, पवनी तथा पिपरहवा आदि क्षेत्रों में उत्खनन इसी प्रणाली से किए गए हैं।
  • griffin -- सपक्ष सिंह
यूनानी मिथकविद्या में वर्णित एक कल्पित दानव। इसका सिर, अग्र भाग तथा पंख बाज़ की तरह तथा पृष्ठ भाग सिंह जैसा माना गया था। इनका कार्य स्वर्ण की खानों की रक्षा तथा उन नदियों की देखभाल करना प्रकल्पित था, जो हाइपरबोरिअनस के क्षेत्र में बहती थीं। सपक्ष सिंह की आकृति प्राचीन सिक्कों, बुद्धमूर्तियों, तथा वस्तु-अलंकरणों में भी प्राप्त होती हैं। इसे 'झंपा-सिंह 'भी कहते है।
  • Grimaldi cave -- ग्रिमाल्डी गुहा
फ्रांस की सीमा से कुछ सौ मीटर पहले, इटली के आधुनिक नगर मोनाको से कुछ पूर्व स्थित प्रागैतिहासिक गुफाएँ। इन गुफाओं में प्रागैतिहासिक मानव के नर-कंकाल और मध्य तथा उच्च पुरापाषाणकालीन चकमक उद्योग की वस्तुएँ मिली हैं। इनके उपकरण इकधारी फलक थे जो उत्तर पेरीगार्डी या ग्रेवेती प्रकार के थे।
  • Grimaldi man -- ग्रिमाल्दी मानव
ग्रिमाल्डी मानव के अवशेष ई. 1901 मे प्राप्त हुए। प्रोo वरनी (Verneau) ने इस प्रागैतिहासिक मानव को आधुनिक नीग्रो से मिलता जुलता माना है जो विवादास्पद है। इस गुफा में एक स्त्री और बच्चे के जीवाश्म मिले हैं जिनका माथा कंदाकार तथा जबड़े उभरे हुए हैं।
देखिए : 'Grimandi cave'
  • grinding stone -- 1. चक्की पाट
आटा आदि पीसने या दाल दलने के काम आनेवाला चपटा, वर्तुलाकार पत्थर या पत्थरों का युग्म। चक्की के दो पाटों में निचला पाट स्थिर होता है और ऊपर का पाट निचले पाट की धुरी पर घूमता है और अनाज आदि उन पाटों के बीच मे पिसता है। चक्की के वर्तुलाकार पत्थर को चक्की पाट कहा जाता है। भारत के अनेक उत्खनित नगरों से चक्कीपाट प्राप्त हुए हैं। प्रागैतिहासिक कालीन, पीसने के लिए भिन्न प्रकार की शिला चक्कियाँ मिली हैं वे आधुनिक खरल और सिल-लोढ़े की तरह के हैं।
2. सान पत्थर
यह पत्थर जिस पर रगड़ कर अस्त्रों आदि की धार तेज की जाती है। इसे 'कुरंड' भी कहा जाता है।
  • grotto -- गुहा, कंदरा
जमीन या पहाड़ के नीचे या भूमि में बनी प्राकृतिक और विस्तृत जगह; पहाड़ में बनी लंबी घाटी; कंदरा।
  • ground face -- घर्षित तल, घिसा भाग
किसी वस्तु, उपकरण या औजार आदि का चिकनाया गया भाग।
  • ground moraine -- तलस्य हिमोढ़, तलस्य मोरेन
हिमनद द्वारा निक्षेपित मृदा, बालू, बजरी और गोलाश्मों का एक विषमांगी संचय जो सामान्यतः अपने क्षेत्रीय विस्तार की तुलना में पतला होता है। इसमें प्रायः स्थलाकृतिक उतार-चढ़ाव बहुत कम होता है और आमतौर पर अस्तरित होता है। तलस्थ हिमोढ़ों का निर्माण गतिमान हिमनद की तली पर अपघर्षण से निकले पदार्थों के बर्फ के नीचे निक्षेपण से होता है।
  • group burial -- समह-शवाधान, सामूहिक शवाधान
मृत व्यक्तियों को एक साथ दफनाने की प्रथा; एक प्रकार का गृह-तुंब (Chamber tomb), जो शैल-कृत या महापाषाणों (megalithic) से बना हो। इस प्रकार के तुंब में, अनेक शवों को एक साथ दफनाया जाता था। पुरातात्विक उत्खननों में, प्रायः यह देखने में आया है कि एक ही स्थान में काफी लंबे समय से शवों के क्रमिक (successive) निक्षेप की विधि का प्रचलन रहा है। मध्य-प्रदेश के रायसेन जिले के भीम बैठका के प्रागैतिहासिक शिलागृहों में ऐसे अनेक शवाधान मिले हैं।
  • Gumelnita culture -- गुमेलनित्सा संस्कृति
पूर्वी रूमानिया और बल्गारिया की उत्तर नवपाषाणकालीन या ताम्रकालीन संस्कृति। इसका काल लगभग ई. पू. 3800 से ई. पू. 3200 के मध्य माना जाता है। इस ग्राम्य संस्कृति के घर आयताकार बने होते थे। ये अपनी विकसित ताम्र धातु की तथा विभिन्न कर्मकांडी क्रियाओं के लिए विख्यात् हैं।
  • gymnasium -- व्यायामशाला, जिम्नेजियम
प्राचीन यूनान का अखाड़ा, जहाँ पर युवा लोग कसरत या व्यायाम करते थे। यहाँ पर वे ही युवा कसरत करते थे, जो 'मल्लभूमि' (palaestra) मे हुई परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए हों। प्राचीन यूनान के प्रत्येक नगर में व्यायामशालाएँ थीं।
पूरी व्यायामशाला एक प्रांगण की तरह बनी होती थी, जिसमें मल्ल युद्ध के लिए आच्छादित भाग नियत होता था। बड़े प्रांगण में, परिधान कक्ष तथा स्नानागार आदि भी बने होते थे।
  • gyneoconitis -- महिला-कक्ष
यूनानी गिरजाघरों का वह भाग, जो स्त्रियों के लिए आरक्षित हो।
  • habitat -- आवास
(1) वह भौगोलिक क्षेत्र जहाँ जीव या प्राणी समूह निवास करने हों।
(2) कोई प्राकृतिक परिवेश जहाँ मानव-समूह निवास करते हों।
  • habitation level -- आवास स्तर
पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त वह स्तर विशेष, जिसमें मानव निवास के प्रमाण प्राप्त हों।
  • habitation site -- आवास स्थल
मानव निवास स्थल। ऐसे स्थलों के सर्वेक्षण तथा उत्खनन द्वारा तत्कालीन संस्कृति का ज्ञान होता है।
  • hache -- चकमक कुठारी, हाशे
छोटे हत्थेवाली कुल्हाड़ी, जिसका शीर्ष हथोड़ानुमा हो। इसका प्रयोग एक हाथ से काटने या आघात (hammering) के लिए किया जाता था।
  • hack -- खनित्र
धरती खोदने का औजार, गैंती, खंती, फावड़ा आदि इसी वर्ग के औजार हैं।
  • Hadrian's wall -- हैड्रियन की दीवार
रोमकालीन ब्रिटेन की उत्तरी सरहदों की रक्षा के लिए बनाई गई पत्थर की 122 किलोमीटर लंबी दीवार, जो टाइन से सोल्वे तक विस्तृत थी। इसका निर्माण हेड्रियन ने, लगभग ई. 122-ई. 133 में करवाया था। यह दीवार 2.5 मीo से 3.5 मीo मोटी तथा 3.7 से 4.8 मीo ऊँची थी। इस संपूर्ण दीवार के क्षेत्रांतर्गत 16 किले स्थित थे। जिन स्थानों पर सुरक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं थी वहाँ पर 2.7 मीटर गहरी तथा 8.1 मीटर चौड़ी खाई बनाई गई थी।
  • haft -- मूठ, दस्ता, बेंट
किसी औजार, पात्र या हथियार का वह भाग, जिसे मुट्ठी से पकड़ा जाता है।
  • hair net -- केशजाली
सिर के बालों को बाँधने के लिए बनाई गई छोटे-छोटे छिद्रों से युक्त एक प्रकार की कपड़े की जाली, जिसमें जूड़े को बाँधकर रखा जाता है।
  • halberd -- नोकदार फरसा
उपकरण विशेष जिसकी धार नोकदार जैसी होती है जिसमें काष्ठ-दंड संलग्न किया जाता था। इसके कांस्य फलक यूरोपीय तथा चीनी कांस्ययुग के मिले हैं।
  • half-life -- अर्ध-आयु
रेडियो ऐक्टिव आइसोटोप के आधे भाग को विघटित होने के लिए अपेक्षित समय। वर्तमान मान्यता के अनुसार कार्बन14 के विघटन में अर्ध-आयु निर्धारण समय 5730 वर्ष है। डब्ल्यूo एफo लिबी ने इसके लिए पहले 5568 वर्ष आँका था।
  • Halicarnassus -- हेलिकारनेसस
एशिया माइनर में, केरिया (Caria) का वह प्राचीन यूनानी पत्तन नगर जिसकी स्थापना डोरियन लोगों ने ई. पू. दसवीं शताब्दी में की थी। विख्यात इतिहासकार हेरोडोटस (ई. पू. 377) का जन्म यहीं हुआ था। विश्व के सात आश्चर्यों में से एक 'मोसोलस' का मक़बरा, जो आज 'मोसोलिअस' (Mausoleum) के नाम से विख्यात है, यहीं पर स्थित है।
  • Hallstatt civilisation -- हाल्स्टाट सभ्यता
आस्ट्रिया के साल्जबुर्ग नामक स्थान से 50 किलोमीटर पूर्व की ओर स्थित एक प्रागैतिहासिक स्थल जिसके नाम के आधार पर मध्य यूरोपीय लौहकाल (लगभग ई. पू. 700-ई. पू. 500) का नामकरण हुआ। इस स्थल में कुल 3000 शवाधान प्राप्त हुए हैं जिनके उत्खनन में प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर हाल्स्टाट संस्कृति का कालानुक्रम निर्धारित किया गया।
हाल्स्टाट 'क' एवं 'ख' चरण परवर्ती कांस्ययुगीन अर्न-फील्ड संस्कृति (अर्नफील्ड कल्चर) को द्योतित करता है जिसका काल ई. पू. 1200 से ई. पू. 800 माना जाता है। इस संस्कृति का 'ग' और 'घ' चरण लौहकालीन है जिसका काल ई. पू. 700 से ई. पू. 600 माना जाता है।
  • Hallstatt epoch -- हाल्स्टाट युग
मध्य और पश्चिमी यूरोप की लौह अवस्था का प्रथम युग। हाल्सटाट सभ्यता को इस युग की प्रतिनिधि सभ्यता माना जाता है।
देखिए: 'Hallstatt Civilisation'.
  • halo -- प्रभामंडल
देवी-देवताओं और महापुरुषों के चित्रों अथवा मूर्तियों के चारों ओर अथवा संपूर्ण शरीर के पृष्ठ भाग में बना ज्योति मंडल, जिसे ज्ञान के आलोक और दिव्य तेज का प्रतीक माना गया है।
पौर्वात्य चित्रकला और मूर्तिकला में प्रभामंडल का व्यापक प्रयोग मिलता है।
देखिए : 'halo circle'.
  • halo-circle -- प्रभावलय, प्रभामंडल
देवी-देवताओं और महापुरुषों के पृष्ठ भाग में या ठीक सिर के पीछे बना ज्योति-वृत्त जिसे ज्ञान के प्रकाश एवं दिक् तेज का प्रतीक माना जाता है। ई. पाँचवी शताब्दी की लाल बालुकाश्म से बनी मथुरा शैली की बुद्ध मूर्ति के पीछे अलंकृत वृत्ताकार प्रभामंडल उल्लेखनीय है। यह मूर्ति राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में सुरक्षित है। ब्रिटिश संग्रहालय में तांग वंशकालीन (ई. 618-ई. 906) कवान -यिन (Kaunyin) का एक बहत ही मनोहर चित्र संग्रहित है, जिसमें उनके पृष्ठ भाग में सिर के पीछे वृत्ताकार प्रभामंडल बना है। सबसे प्राचीन वृत्ताकार प्रभामंडल ई. पू. चौथी थसाब्दी के अपूली मृद्भांडों में मिले हैं। कुषाणकालीन प्रभामंडल सीधे-सादे अथवा नखालंकरण किनारोंवाले हैं। गुप्त काल में, माणिक्य माल, पुष्पावली ओर सूर्य-रश्मियों से प्रभामंडल को अलंकृत किया गया है। कुषाण तथा गुप्तकालीन प्रभामंडल वृत्ताकार तथा मध्यकालीन सामान्यतः अंडाकार मिले हैं।
  • hammering technique -- हथौड़ा प्रविधि
प्रागैतिहासिक पाषाण-उपकरणों के निर्माण की एक प्रविधि। इसमें उपकरण बनाने के लिए जिस प्रस्तर को तोड़ा जाता है, वह स्थिर रहता है और उस पर हथौड़े से प्रहार किया जाता है।
देखिए : 'Anvil technique'
  • hammerstone -- प्रस्तर-हथौड़ा
प्रागैतिहासिक मानव द्वारा प्रयुक्त प्रस्तर उपकरण, जो प्रायः गोलाकार होते थे और जिन्हे पत्थर तोड़ने आदि के काम में लाया जाता था।
  • hand pose -- हस्त मुद्रा
प्राचीन भारतीय मूर्ति शास्त्र में, खड़े रहने, बैठने आदि के समय हाथों की विशिष्ट स्थिति, यथा-सम मुद्रा, परम तथा अंजलि मुद्रा आदि।
  • handaxe -- हस्तकुठार
पुरापाषाणकालीन एक विशिष्ट प्रस्तर उपकरण। किसी अश्म पिंड तल से शल्क निकालकर इसे निर्मित किया जाता था। इसका एक सिरा नुकीला और दूसरा भुथरा होता है। सर्वप्रथम हस्तकुठार का उद्भव आज से लगभग दस से बीस लाख वर्ष पूर्व हुआ होगा और इसका प्रयोग मानव द्वारा प्रारंभिक दस लाख वर्ष तक किया जाता रहा। यूरोप के हिमानी युग के अंतिम चरण तक एश्यूलि परंपरा में निर्मित मोस्तारी संस्कृति के हस्तकुठार मिले हैं।
एश्यूली उद्योग का यह एक प्रतिनिधि उपकरण है। इसका प्रयोग अज्ञात है। कतिपय पुराविदों के अनुसार मांस आदि काटने के लिए तथा कुछ अन्य के अनुसार कंद-मूल आदि खोदकर निकालने के लिए इसका प्रयोग किया जाता रहा होगा। वस्तुतः यह बहुप्रयोजनीय उपकरण है।
  • handaxe-scraper -- हस्तकुठार स्क्रेपर, हस्तकुठार खुरचनी
एक प्रागैतिहासिक मिश्रित पाषाण-उपकरण, जिससे दो भिन्न प्रकार के औजारों का काम लिया जाता था। ये उपकरण प्रायः शल्क पर बने मिलते हैं। इनका एक छोर कार्यकारी धारवाला और नुकीला होता है। इसकी भुजा का परिष्करण कर खुरचने के लिए कार्यकारी धार बनी होती है। इस उपकरण में, कार्यकारी धार के पीछे, उसे पकड़ने के लिए मूठ बनी होती है।
  • handled bowl -- हत्थेदार प्याला
प्याला विशेष, जिसे पकड़ने के लिए, उसके किनारे पर मूठ बनी हो। इस प्रकार के प्यालों का प्रचलन अति प्राचीन काल से रहा है।
  • hanging bowls -- निलंब चषक
ई. सातवी शताब्दी तक एंग्लो-सेक्सन कालीन शवाधानों से उपलब्ध विशिष्ट प्रकार के कांस्य कटोरे। ये पतले, छिछले तथा अलंकृत होते थे और इन्हें लटकाने के लिए छल्ले लगे होते थे। केल्ट धातु-निर्माण परंपरा के ये विशिष्ट पात्र हैं।
  • Hanging Garden -- सोपानोद्यान, निलंब उद्यान
बेबीलोन के प्रसिद्ध उद्यानों के लिए प्रयुक्त शब्द, जिसका विस्तृत उल्लेख अनेक स्थलों पर हेरोडोरस, डायोडोरस और अनेक यूनानी लेखकों ने किया है। ये उद्यान इतने सुंदर बने थे कि विश्व के 'सात प्राचीन आश्चर्यों' में इनकी गणना होती थी। तलोद्यानों का निश्चित विवरण ज्ञात नहीं है। इनका निर्माण बेबीलोनी शासक नेबूकदनेज़र (ई. पू. 604-ई. पू. 561) ने अपनी पत्नी एमीतिस के लिए किया था। यह समूची संरचना विशाल मेहराबों पर टिकी हुई थी जिनपर काफी गहरी मिट्टी भरकर विशाल वृक्षों को लगाया गया था।
  • hangtu -- हांगतू
चीन के शांग (ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दी) और झाओ (लगभग ई. पू. 1100 से ई. पू. 256 तक) कालों में प्राचीरों, दीवारों, नीवों तथा शावाधानों के निर्माण की एक विशिष्ट प्रविधि। इसके अंतर्गत लकड़ी के बनाए गए ढाँचों के बीच में मिट्टी की पतली-पचली तहों को थापी से कूट-कूट कर एक के ऊपर दूसरी तह जमाकर संरचना को सुदृढ़ बनाया जाता था।
  • haniwa -- हनीवा
जापान में किसी-टीले के अंदर या ऊपर रखी जाने वाली विशाल, खोखली मृणवस्तु। इसका प्रचलन ई. चौथी शताब्दी से ई. छठी शताब्दी तक रहा। इसकी उत्पत्ति ई. तृतीय शताब्दी सीमावर्ती 'यायोई' (Yayoi) कर्मकांडी भांडों से मानी जाती है। ई. चतुर्थ शताब्दी में मृण्वस्तुओं के अतिरिक्त नौका, अस्त्र-शस्त्र, कवच आदि की आकृतियों के हनीवा मिले हैं। ई. पाँचवी और छठी शताब्दी में पशु-पक्षियो के अतिरिक्त मानव आकृतियों में मिलते हैं।
  • Harappa Civilisation -- हड़प्पा सभ्यता
पश्चिमोत्तर भारत एवं पाकिस्तान में सिन्धु और उसकी सहायक नदियों की घाटियों में ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि में विकसित ताम्राश्म युगीन सभ्यता। पाकिस्तान के आधुनिक पंजाब प्रांत के रावी तट पर स्थित हड़प्पा नामक स्थल से प्राप्त अवशेषों के आधार पर इसे कतिपय पुराविद् हड़प्पा सभ्यता के नाम से अभिहित करते हैं। इस सभ्यता के अब तक लगभग 300 से अधिक पुरास्थल ज्ञात हैं जिनमें मोहनजोदड़ो, चन्नुदड़ो (पाकिस्तान) तथा कालीबंगा, रोपड़ और लोथल (भारत) प्रमुख स्थल हैं। इस सभ्यता का विस्तार पश्चिम में बलोचिस्तान से लेकर, पूर्व में आलमगीर (मेरठ-उत्तरप्रदेश) तथा उत्तर में मांडा (जम्मू-कश्मीर) से दक्षिण में ताप्ती नदी तक ज्ञात है।
  • harpoon -- हारपून, मत्स्यभाला
मछली, समुद्री जीवों तथा अन्य पशुओं के शिकार के लिए प्रयुक्त होने वाला कांटेदार प्रक्षेपणास्त्र। इस वियोज्य अस्त्र का शीर्ष भाग नुकीला, त्रिभुजाकार अथवा चपटा होता था तथा इसके मध्यभाग के दोनों पार्श्व कांटेदार होते हैं। इसके प्राचीनतम नमूने उच्च पुरापाषाणकालीन संदर्भों से सींग व हड्डी के बने हुए मिले हैं। भारतीय संदर्भ में इस प्रकार के अस्त्र पुराऐतिहासिक ताम्र-निधियों में मिले हैं।
  • Hastinapur Cultural sequence -- हस्तिनापुर सांस्कृतिक अनुक्रम
मेरठ जिले में स्थित हस्तिनापुर नामक स्थल के उत्खनन से ज्ञात सांस्कृतिक अनुक्रम। पुरातात्विक उत्खनन से यहाँ पर पाँच सांस्कृतिक कालों का पता चलता है। यहाँ प्रत्येक काल के विशेष प्रकार के मृद्भांड मिले हैं। प्राचीन मृद्भांड गेरूए रंग के हैं। दूसरे काल का विशिष्ट चाक निर्मित भांड सलेटी रंग के हैं जिनपर भूरे अथवा काले रंग के चित्रण मिलते हैं। तांबे का प्रयोग भी इस काल में होने लगा था। तीसरे काल में काले ओपदार भांड, पकी ईंटों के भवन व आहत सिक्के मिले हैं। चतुर्थ काल कुषाणयुगीन तथा पंचम काल मध्ययुगीन है। उसके उत्खननकर्ता बीo बीo लाल ने इसके द्वितीय काल को महाभारत कालीन माना है।
  • hat-stone -- टोपीकल (तमिल)
छातानुमा महापाषाण स्मारक। भारतवर्ष में टोपीकल युक्त स्मारक केरल प्रदेश में मिले हैं। इनका प्रयोग, विशेषकर आनुष्ठानिक अवसरों पर किया जाता था। इस स्थापत्य-रचना के शीर्ष भाग में पत्थर रखा होता है, जिसका आकार शीर्ष प्रस्तरी गोल आधारवाले चपटे शंकु जैसा होता है। इसके किनारे के भाग भीतर की ओर मुड़े और गोलाकार होते हैं। इस स्मारक का बाह्य स्वरूप अनुवृत्तसम और पत्थरों से बना होता है। यह अनुवृत्त, आधार भाग में चौड़ी गोलाई लेकर ऊपर की ओर क्रमशः पतला होता जाता है।
  • Hathor -- हथोर देवी
(क) प्राचीन मिस्र की गो-देवी जो प्रणय एवं प्रमोद की प्रतीक थी, जिसे मानव और पशु दोनों रूपों में अंकित किया गया था। इस देवी का ऊपरी भाग गाय के समान है तथा निचला भाग मानव की तरह बना है।
(ख) सात महिला अप्सराओं में से अक, जो बाल-जन्म के समय आकर उसके भविष्य को बतलाती है। यह स्री और प्रसूत की विशिष्ट देवी मानी गई है।
  • Hathoric column -- हथोरी-स्तंभ
मिस्री वास्तुकला में, एक प्रकार का स्तंभ, जिसके शीर्ष भाग में प्रणय-देवी हथोरी की आकृति बनी होती थी। यह आकृति स्तंभ-शीर्ष के चारों कोनों पर बनी मिलती है।
  • headcovering -- शिरोवस्र
सिर को ढकने या केशों को बाँधने का परिधान, केशबंध।
  • hearse -- 1. ताबूत-ढाँचा
किसी राजवंशीय या उच्चकुलीन व्यक्ति के ताबूत या कब्र के ऊपर बना सुंदर, स्थायी या अस्थायी ढाँचा।
2. शवयान
किसी मृतक व्यक्ति को श्मशान-स्थल तक ले जाने की गाड़ी।
  • heart shaped motif -- तांबूलाकृति अभिप्राय, हृदयाकार अभिप्राय
अलंकरण के लिए प्रयुक्त अभिकल्प विशेष, जिसकी आकृति मानव हृदय या तांबूल से मिलती-जुलती हो।
  • heavy mineral analysis -- भारी खनिज विश्लेषण
शैल-विज्ञान संबंधी विश्लेषण की एक तकनीक। इस विधि के अन्तर्गत प्रस्तर अथवा मृद्भांड के टुकड़ों या अन्य खनिज युक्त सामग्री को पीस कर उच्च-विस्कासिता युक्त तरल पदार्थ में मिलाया जाता है जिसके फलस्वरूप खनिज अलग-अलग हो जाते हैं तथा भारी खनिज द्रव के धरातल में जमा हो जाते हैं। पुरातत्व में इस प्रविधि का प्रयोग मृदभांडों को वर्गीकृत करने तथा उसकी सामग्री के स्रोतों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
  • hecatomb -- शतमेध
प्राचीन यूनान का एक प्रसिद्ध धार्मिक उत्सव, जिसमें सौ वृषभों की एक साथ बलि, ईश्वर को प्रसन्न रखने के लिए दी जाती थी। 'हेक्टाटोम्ब' का शाब्दिक अर्थ 'शत वृषभ' है। होमर ने अपने काव्य में इसका उल्लेख किया है। कालांतर में अधिक मात्रा में पशुबलि या व्यापक स्तरीय हत्याकांड के लिए भी इस शब्द का प्रयोग किया जाने लगा।
  • hecatompedon -- शतपदी मंदिर, सौफुटा मंदिर
एथेंस के एक्रोपोलिस के ऊपर निर्मित प्राचीन मंदिर। इस मंदिर के ध्वंसावशेष पार्थिनोन के भव्य मंदिर के नीचे दबे हैं। इसका शाब्दिक अर्थ 100 फुट ऊँचे मंदिर से है। स्तंभोपरि रचना तथा त्रिकोणिका मूर्तियों के अध्ययन से, यह मंदिर ई. पू. 550 के पहले का माना जाता है। यह एक साधारण प्रकार का चूने पत्थर से बना डोरिक मंदिर बताया जाता है। इस मंदिर को ई. पू. 490 और ई. पू. 480 के आसपास दूसरे बड़े मंदिर को बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया गया था।
यह नाम (Hecatompedon) एथेंस के तृतीय मंदिर पार्थिनान के गर्भगृह के लिए भी प्रयुक्त हुआ है, जिसका निर्माण-कार्य ई. पू. 447 में प्रारंभ हुआ था।
  • Heildeberg man -- हाईडलबर्ग मानव
होमो इरेक्टस वर्ग के मानव का जीवाश्म। इसके निचले जबड़े के अवशेष ई. 1907 में दक्षिण-जर्मनी के हाइडेलबर्ग क्षेत्र में स्थित मावेर नामक स्थल के बलुआ गर्त में मिले। इस प्रारंभिक अत्यन्त नूतन युगीन मानव का काल 400,000 वर्ष पूर्व माना जाता है।
  • heliolithic culture -- सौर-पाषाण संस्कृति, हीलियोलिथिक संस्कृति
(क) मिस्री नवपाषाणषुगीन कृषि संस्कृति। भारतीय संदर्भ में इसका प्रयोग नहीं किया जाता है।
(ख) पाषाणयुगीन धारणाओं और विश्वासों की द्योतक संस्कृति जिसके लोग सूर्य और महापाषाण स्मारकों को श्रद्धा और आदर प्रदान करते थे।
  • Helladic Culture -- एलादिक संस्कृति, हेलाडिक संस्कृति
यूनान के मुख्य भूभाग की कांस्ययुगीन (लगभग ई. पू. 3000 से ई. पू. 1100) संस्कृति। पुरावेत्ताओं ने इस संस्कृति को तीन काल खंडों में विभक्त किया है। प्रारंभिक एलादिक (लगभग ई. पू. 3000 से ई. पू. 1950), मध्य एलादिक (लगभग ई. पू. 1950 से लगभग ई. पू. 1650) तथा परवर्ती एलादिक (लगभग ई. पू. 1650 से ई. पू. 1100) प्रत्येक काल को अलग-अलग प्रावस्थाओं में बाँटा गया है। उत्तर एलादिक काल को 'माइसिनी काल' भी कहा जाता है।
  • Hellenic -- यूनानी
(क) यूनान देश से संबंधित या यूनान का निवासी।
(ख) यूनान की भाषा, जो विशेषतः पश्चवर्ती काल में विकसित हुई; 'क्लासिकी या श्रेण्य यूनानी भाषा' विशेषतः पश्चवर्ती काल में विकसित यूनानी भाषा।
  • Hellenic art -- यूनानी कला
मूलतः यूनान देश में पल्लवित और पुष्पित कला। इस कला का विस्तार उत्तर पश्चिमी भारत में हुआ, जो 'गांघार कला' के नाम से विख्यात है। उत्तर भारत के अनेक प्राचीन कला-केंद्रों में, यूनानी कला का प्रभाव मिलता है।
  • Hellenic Civilisation -- यूनानी सभ्यता
इजियन सागर में स्थित यूनान तथा उसके द्वीप समूह में विकसित प्राचीन सभ्यता जिसने विश्व की अनेक सभ्यताओं को प्रभावित किया। सिकंदर के अभ्युदय के उपरांत इसका रूपान्तरण 'हेलेनिस्टिक' सभ्यता के रूप में हुआ।
  • Hellenistic -- हेलेनिस्टिक
निकट-पूर्व और भूमध्य सागारीय क्षेत्र की यूनानी या यूनानी सभ्यता से प्रभावित सभ्यता जिसका प्रारम्भ ई. पू. 323 (सिकन्दर की मृत्यु) से हुआ। इस सभ्यता का अंत रोमन साम्राज्य के अभ्युदय के साथ लगभग ई. पू. 30 में हुआ। सभी क्षेत्रों में विकसित इस सभ्यता से संबंधित लोग एक समान यूनानी भाषा (koine) का प्रयोग करते थे।
  • helmet -- शिरस्त्राण
प्राचीन काल और मध्यकाल में, युद्ध आदि के समय मारक घातों और हथियारों आदि से सिर की रक्षा के लिए बना विशेष प्रकार का टोप। ये अस्थि, चर्म, और धातु के विभिन्न आकार-प्रकार के बने होते थे। भारत में प्राप्त हिंद-यूनानी राजाओं तथा शक सम्राटों के सिक्कों पर इस प्रकार के शिरस्त्राण अंकित मिले हैं।
  • Henge monument -- हेंज स्मारक
ब्रिटिश द्वीप की नवपाषाण तथा कांस्यकालीन एक विशिष्ट कर्मकांडी स्मारक। यह वर्तुलाकार अथवा अनियमित आकार-प्रकार की संरचना होती थी जो तटयुक्त खाई पर आवेष्टित थी। इसकी परिधि 30 मीटर से लेकर (Woodhenge) 400 मीटर तक (Avebury, Durrington wall) होती थी। इस स्मारक में एक से लेकर चार प्रवेश द्वार बने होते थे।
  • Hephaestus -- हिफेस्टस (अग्निदेवता)
यूनानी पुराकथाओं के अनुसार ज्यूस (Zeus) और इरा (Hera) के पुत्र हिफेस्टस धातु कर्म और अग्नि के देवता थे। शिल्पकार्य में दक्ष होने के कारण इसे नगर जीवन और सभ्यताओं का प्रवर्तक माना गया है। भारत में कुषाण राजा हुविष्क के सिक्कों पर इस देवता की आकृति अंकित है।
  • Hieracosphinx -- श्येन-व्याल, श्येनमुख
प्राचीन मिस्री धर्म-कथाओं में वर्णित दानव विशेष; जिसका मुख भाग बाज पक्षी की तरह होता है। स्फिंक्स आकृतियाँ अनेक रूपों में बनाई जाती थीं, जिनमें से एक 'श्येन मुखाकर' थी। पुरातात्विक उत्खननों में इनकी अनेक आकृतियाँ मिली हैं।
  • Hieratic -- हाइरेटिक
मिस्री चित्रलिपि का एक प्रवाही रूप। कूँची-कलम द्वारा पेपाइरस पर इसे व्यापार आदि कार्यों के लिए लिखा जाता था। ई. पू. 700 के बाद, इस लिपि का स्थान डिमोटिक लिपि ने ले लिया, परंतु कर्मकांडी प्रयोग में इसका प्रचलन बना रहा।
  • hieroglyphic -- चित्रलिपि
लिपि विशेष, जिसमें वर्णों के स्थान पर वस्तुओं और क्रियाओं के चित्र बनाकर उनके द्वारा संकल्पनाओं को अभिव्यक्त किया जाता था। मिस्र की चित्रलिपि सबसे प्राचीन मानी जाती है। यूनानी लोग, इसे 'पवित्र उत्कीर्ण लिपि' कहते थे। 'रोजेटा प्रस्तर' तथा 'कैनोपस आज्ञप्ति' में इस लिपि को 'ईश्वरीय शब्दों' का लेखन कहा गया है।
यू तो मिस्री लोग, इस लिपि में दाएँ से बाएँ लिखते थे, पर चित्रों के मुख की दिशा को भी ध्यान में रख कर इसके लेखन-क्रम को निर्धारित किया जाता था। ई. 1822 में, चेपोलियम ने इस लिपि का रहस्योद्घाटन किया था। उसके अध्ययन का आधार, रोजेटा तथा फिले के सूचीस्तंभ अभिलेख हैं।
मिस्र में इस लिपि का प्रादुभाव ई. पू. 3100 में माना जाता हैं। वहाँ पर इसका प्रयोग इसके मूल रूप में ई. चौथी शताब्दी तक प्रचलित रहा।
  • hieroglyphic Hittite -- हित्ती चित्रलिपि
हित्तियों की प्राचीन चित्रलिपि, जिसका संबंध विद्वान लोग मिस्री चित्रलिपि से जोड़ते हैं। इस लिपि का काल मोटे तौर पर ई. पू. 2,400 से पहले का माना जाता है। कुछ विद्वान इसका काल ई. पू. 2,900 से ई. पू. 2,400 के बीच मानते हैं।
हित्ती भाषा के लेखन में प्रयुक्त एक चित्रलिपि। ई. पू. 1,500 के बाद तक इसका प्रयोग-व्यवहार मिलता है। इसकी उत्पत्ति की तिथि के संबंध में विद्वानों में पयप्ति मतभेद है। हित्ती-भारतीय संबंध का पता बोगजकोई में प्राप्त अभिलेख से हुआ है।
  • hierogram -- पवित्र प्रतीक
धर्म-प्रतीक या धर्म-चिह्न जिन्हे आदर और श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता हो। ऐसे भारतीय प्रतीकों में, स्वस्तिक, नंदिपद, चंद्रमेरू, बोधिवृक्ष, नंदी आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।
  • hilani (-bit-hilani) -- हिलानी
ई. पू. प्रथम सहस्राब्दी में सीरिया-हिट्टाइट लोगों द्वारा प्रयुक्त एक विशिष्ट प्रकार की भवन-संरचना। इसमें स्तम्भयुक्त द्वार-मंडप (portico), आयताकार सिंहासन-कक्ष तथा अनेक भांडागार बने होते थे। द्वार-मंडप के एक छोर पर ऊपरी-मंजिल पर चढ़ने के लिए सीढीयाँ बनी होती थी। ऐसे भवनों का प्रयोग स्वागत-कक्ष के रूप में किया जाता था।
  • hill figure -- पर्वत-आकृति, हिल फीगर
दक्षिण ब्रिटेन के चाक पहाड़ियों में प्राप्त स्मारक विशेष। अश्व या मानवाकृतिक पर्वत पार्श्वों को काटछाँट कर बनाई जाती थी। पहाड़ियों की हरित पृष्ठभूमि में श्वेत आकृतियाँ मनोहारी लगती थी। इनमें सबसे प्राचीन यूफिंग्टन का श्वेत अश्व हैं, जो उत्तर लौह युग का माना जाता है।
  • hill jar -- शांकव घट
हानकालीन ई. पू. 202 का चीनी मृद्भांड विशेष, जिसका आवरण या ढक्कन शंकु के आकार जैसा होता था। पात्र के ऊपर पर्वतों, घाटियों, शिकारियों तथा वस्तुओं आदि के चित्र बने होते थे।
  • hillfort -- गिरि दुर्ग
पाषाण या मिट्टी की प्राचीर से सुरक्षित पहाड़ी के ऊपर बना मानव सन्निवेश। इस प्रकार के गिरिदुर्ग विश्व में विभिन्न कालों में अनेक स्थलों पर मिलते हैं। योरोप में इस प्रकार के दुर्ग परवर्ती कांस्य तथा लौह-युग में निर्मित हुये।
  • hippodrome -- घुड़दौड़ का मैदान, हिप्पोड्रोम, रंगमंडप
यूनानी पुरातत्व के अंतर्गत, प्राचीन यूनान में घोड़ों तथा रथों के दौड़ाने का अंडाकार मार्ग। यह 365 मीटर लंबा तथा 114 मीटर चौड़ा था। इस मार्ग के दोनों ओर दर्शकों के बैठने के लिए सोपान बने थे। औलम्पिया के हिप्पोड्रोम में हिप्पोड्रेमिया की मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई थी। रोम शासनकाल में यूनान के राज्यों में बने घुड़दौड़ के मैदान को भी 'हिप्पोड्रोम' कहा जाता था, जिसका आकार रोम रंगमंडप (circus) के समान था। इनमें 'बाइजेन्टियम' का हिप्पोड्रोम सबसे प्रसिद्ध था, जिसका निर्माण सेप्टिमियस ने करवाया था। यूनानी हिप्पोड्रोम की तुलना में, रोम रंगमंडप (circus) अपेक्षाकृत संकीर्ण होता था।
  • Hittite -- (क) हित्ती
द्वितीय सहस्राब्दि के वे लोग जिन्होने मध्य तुर्की में साम्राज्य की स्थापना की थी। इनकी राजधानी हत्तसाज (आधुनिक बोग़जकोई) थी। इनका साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर साम्राज्य काल (ई. पू. 1450-ई. पू. 1200) में रहा। जब इनके राज्य के अंतर्गत सीरिया, बेबीलोन मित्तनी साम्राज्य समाहित थे। इन्होंने असीरिया तथा मिस्र साम्राज्य के साथ संघर्ष किया। लगभग ई. पू. 1200 में यह साम्राज्य एकाएक विलुप्त हो गया। इनके इतिहास की जानकारी के मुख्य साधन अभिलेख और पुरावशेष हैं। इनके अभिलेख स्मारकों पर चित्राक्षर लिपि में तथा शासकीय अभिलेख कीलाक्षर लिपि में मिलते हैं। बोग़जकोई से प्राप्त अभिलेखों में वैदिक देवताओं तथा इंडो-इरानी शासकों के नाम मिलते हैं। ये अपने लौह ज्ञान के लिए जगत में विख्यात् थे। वस्तुतः इस धातु पर प्रारंभ में इनका एकाधिकार था। लौह-धातुकी के अतिरिक्त ये ताम्र, सीसा, रजत आदि में भी दक्ष थे और इनका व्यापार करते थे। इनकी अपनी विशिष्ट मूर्तिकला थी।
(ख) हित्ती भाषा
एशिया माइनर तथा सीरिया की एक प्राचीन भाषा। यह लिपि मूलतः चित्रात्मक थी तथा आगे चलकर कुछ अंशों में भावात्मक और ध्वन्यात्मक हो गई। इस लिपि में कुल 419 प्रतीक मिले हैं। यह कभी दाएँ से बाएँ कभी विपरित क्रम से लिखी जाती थी।
  • hoard -- निधि
भूमि से सायास या आनासाय प्राप्त वस्तुएँ। उदाहरणार्थ उत्तर प्रदेश, बिहार तथा उड़ीसा की आद्यैतिहासिक ताम्र-निधियाँ। राजस्थान के भरतपुर जनपद के बयाना नामक स्थान से लगभग 2000 गुप्तशासकों की स्वर्ण-मुद्राओं की महत्वपूर्ण निधियाँ प्राप्त हुई हैं।
  • hod -- तसला, तगाड़ी
गारा, ईंट इत्यादि को ढोने के लिए बना एक विशेष प्रकार का तसला।
  • hoe -- कुदाल
जमीन या मिट्टी खोदने का उपकरण, जिसका कार्यकारी फलक लंबे हत्थे के ऊपर समकोणाकार स्थिति में होता हैं। भारत में कुदाल के प्राचीनतम नमूने नागदा, नवदाटोली, चिरांद और अतरंजीखेडा स्थलों से मिले हैं जो उत्तरी कृष्ण मार्जित भांडों (Northern black polished ware) के स्तरों में मिले हैं।
  • hoe agriculture -- कुदाल कृषि
कुदाल द्वारा खेती करने का आदिम तरीका, जो हल द्वारा खेती करने के तरीके से पहले प्रचलित था। नवपाषाण काल में, इसका प्रचलन आरंभ हो गया था।
  • holocene age -- होलोसीन काल, नूतनतम काल
चतुर्थक (Quartenary) का नवीनतम कल्प। इसका आरंभ आज से 10,000 वर्ष पूर्व हुआ जो अद्यतन है।
  • Hominidae -- होमोनिड
वानर परिवार से भिन्न मानव परिवार जिसमें विलुप्त प्रजाति से लेकर समुन्नत पूर्ण मानव सम्मिलित हैं।
  • Homo erectus -- होमो इरेक्टस
मनुष्य की एक विलुप्त जाति (स्पीशिज) जिससे मेधावी मानव (सेपियन्स) का विकास हुआ)। इसके अवशेष जावा (ट्रिनिल), चीन (चौकोतियन), वियतनाम (थान खूयेन) तथा पूर्वी अफ्रीका (ओल्डुवाई) में प्राप्त हुए हैं। अफ्रीका में इसकी तिथि लगभग 16 लाख और चीन तथा जावा में लगभग 5 लाख वर्ष पुरानी आँकी गई है। इनकी खोपड़ी में मस्तिष्क के लिए अपेक्षाकृत कम स्थान होता है, जिसका शिरस्क सूचकांक 775 सी.सी. (घन सेंटीमीटर) से 1225 सी.सी. तक होता था।
  • Homo habilis -- होमो हेबिलिस
मानव का प्रारंभिक रूप जिसके अवशेष ओल्डुवाई गार्ज (उत्तरी तंजानिया) में प्राप्त हुए। इसका काल 20 लाख से 15 लाख वर्ष पूर्व आँका गया है।
  • Homo Rhodesiensis -- रोडेशियाई मानव
ई. 1921 में उत्तरी रोडेशिया के ब्रोकन हिल नामक स्थान में होमो इरेक्टस का एक बहुत बाद के अवशेष जिन्हे होमो रोडेशियसिस कहा जाता है। अवशेषों में प्राप्त हड्डियों में निचले जबड़े को छोड़कर एक समूची खोपड़ी, एक दूसरे व्यक्ति का जबड़ा, एक त्रिकास्थि, पिंडली की हड्डी और जांघ की हड्डी के दोनों सिरे थे। खोपड़ी के अंदर 1280 घन सेंटीमीटर का मस्तिष्क था। उसकी भौहों के उद्रेख बड़े, माथा क्षैतिज, आँखों के गड्ढ़े कन्दरायुक्त और वर्गाकृति किनारे वाले, चेहरा लंबा और नाक चपटी थी। इसका काल सम्भवतः तीस हज़ार वर्ष से अधिक पुराना नहीं है।
  • Homo Sapiens Nearderthalensis -- निआँडरथल मानव
मानव की एक विलुप्त जाति (स्पेशीज़) जिसका नामकरण पश्चिमी जर्मनी के डूसेल्डाफ नगर के निकट निआँडरथल नाम की गुफा में प्राप्त मानव जीवाश्म के आधार पर पड़ा। सर्वप्रथम इसके जीवाश्म ई. 1856 में उत्खनन में प्राप्त हुए। इसकी मस्तिष्क क्षमता आधुनिक मानव से अधिक थी। इनके जीवाश्मों के साथ मोस्तीरियन परम्परा के पाषाणोपकरण मिलते हैं। इन मानव जाति का उद्भव लगभग एक लाख वर्ष पूर्व हुआ था और लगभग ई. पू. 40,000 वर्ष में यह विलुप्त हो गई।
  • Homo Sapiens Sapiens -- होमो सेपिएन्स सेपिएन्स
पूर्ण मानव का तकनीकी नाम। वर्तमान मनुष्यों की सभी उपलब्ध प्रजातियाँ इसके अंतर्गत आती हैं। इनके प्राचीनतम अवशेष लगभग ई. पू. 35,000 वर्ष पुराने हैं।
देखिए : "Cro-Magnon"
  • homostadial -- समस्तरीय
वे संस्कृतियाँ जो समाज की प्रौद्योगिक स्थिति की सूचक हैं। त्रिकाल पद्धति (Three Age System) का वर्गीकरण इसी आधार पर किया गया है। इनमें संसक्तियों की निश्चित निरपेक्ष तिथि का ध्यान नही रखा जाता है।
  • homotaxial -- समस्थानिक
वे वस्तुएँ जो समान तुलनात्मक स्थिति में, अलग-अलग अनुक्रमों में मिलती है, समस्थानिक कही जाती हैं। भूविज्ञान में इस आधार पर यह मान्यता है कि वे समकालिक भी होंगी। सामान्यतः सत्य हो सकता है क्योंकि उनका अनुक्रम दीर्घकालिक होता है। पर पुरात्व में यह आवश्यक नहीं।
  • hood stone -- छत्र पाषाण
दक्षिण भारत के महाश्मकालीन शवाधानों के ऊपर निर्मित गुंबदाकार पाषाण छत्र। इस प्रकार के महाश्म शवाधानों को केरल में 'कुंडन कुडेई कल' कहा जाता है।
देखिए : "megalith"
  • Horgen culture -- होर्गेन संस्कृति
स्विटज़रलैंड की न्यूशतेल (Neuchatel) झील के निकट 'हार्ज' नामक स्थल से ज्ञात नवपाषाणकालीन संस्कृति। तत्कालीन मृद्भांड डोलची की तरह बने थे जिनपर पट्टीदार अलंकरण किया गया था।
  • horizon -- क्षैतिज
इस शब्द का प्रयोग पुरातात्विक संदर्भ में विभिन्न स्थानिक, मिश्रित सांस्कृतिक समूहों के लिए किया जाता हैं जिसका विस्तार विस्तृत क्षेत्र में हुआ हो परन्तु अल्पकालिक हो। ये संस्कृतियाँ समकालिक होती हैं। इस शब्द का प्रयोग अमरीकी प्रागैतिहासिक पुरातत्व में परंपरा शब्द के विपरित उन कला शैलियों के लिए मिलता है जिनका अल्पकालिक प्रचलन रहा।
  • horizontal excavation -- क्षैतिज उत्खनन
पुरातात्विक उत्खनन के अंतर्गत भूगर्भित विभिन्न स्तरों की खुदाई करने की प्रविधि। इस विधि में किसी स्थल विशेष की सम्पूर्ण संस्कृति की जानकारी हेतु विस्तृत क्षेत्र में उत्खनन किया जाता है। क्षेतिज उत्खनन द्वारा हमें किसी नगर अथवा ग्राम की सभ्यता का सर्वांग रूप ज्ञात होता है, जबकी इसके विपरीत लम्बवत् खुदाई (vertical excavation) से मात्र सांस्कृतिक अनुक्रम निर्धारित होता है।
  • horns of consecration -- पवित्र शृंग प्रतीक
मिनोअन सभ्यता का एक प्रमुख धार्मिक प्रतीक। वृषभ-शृंग की रूढ़िगत आकृति प्रायः पत्थर या एलाबास्टर में बनाकर धर्मस्थलों अथवा भवनों में स्थापित की जाती थी। इन आकृतियों का कलात्मक चित्रण मिलता है।
  • horrea -- होरिया, भांडागार, धान्यागार
समग्र रोम साम्राज्य में पाये जानेवाले विशाल भंडारघर जिसमें अनाज तथा अन्य आवश्यक वस्तुएँ सुरक्षित रखी जाती थी।
  • huaca (=guaca) -- ह्वाका, पवित्र प्रतीक
प्राचीन पेरू संस्कृति के पवित्र वस्तुओं के लिए प्रयुक्त शब्द। किसी भी पवित्र पर्वत, धर्मस्थल, ताबीज़, पशु अथवा उपकरण के लिए भी इस शब्द को प्रयुक्त किया जाता है।
  • Huai style -- हुई शैली
चीन की पूर्वी झाओ संस्कृति की कांस्य कलाकृतियों को अलंकृत करने की विशिष्ट शैली। इस शैली का नामकरण हुई नदी के किनारे शाओ जियान स्थल के समीप प्राप्त उद्भृत कलाकृतियों के आधार पर किया गया। इस शैली की कलाकृतियाँ ई. पू. छठी से ई. पू. तीसरी शताब्दी के बीच मिलती हैं।
  • huang -- हुआंग, अर्धवृत्ताकार लटकन
जेड प्रस्तर का अर्धवृत्ताकार समतल लटकन। चीन के नवपाषाण युगीन स्थलों में इस प्रकार के आभूषण प्राप्त हुए हैं। इनमें निर्माण की परंपरा, वहाँ पर संपूर्ण कांस्य-युग में बनी रही।
  • hummocky moraine -- टेकरीसदृश हिमोढ़
इस प्रकार के हिमोढ़ जो स्थिर बर्फ के पिघलने से निर्मित होते हैं। इन हिमोढ़ों का संचय गोल या शंक्वाकार होता है।
  • humus -- ह्यूमस
वनस्पतियों या जीवों के आंशिक रूप से सड़ने या गलने से बनी भूरे या काले रंग की मिट्टी।
  • hunebed -- महापाषाण तुंब, हूनबेड
उत्तरी नीदरलैंड के महापाषाण गृह तुंब का डच नाम। इन महापाषाण तुंबों में प्रस्तर निर्मित आयताकार भवन होते हैं जिनकी लंबी भुजा में प्रवेश-द्वार होता था। यह सम्पूर्ण संरचना गोलाकार अथवा अंडाकार टीलों से आच्छादित होती थी जो उपांताश्मों (kerb) द्वारा परिवेष्ठित होती थी। ई. पू. तीसरी सहस्राब्द में इनका निर्माण टी.आर.बी. संस्कृति के लोगों ने किया।
  • Hurri -- हुर्री
पुरातात्विक एवं अभिलेखीय साक्ष्यों द्वारा ज्ञात मूलतः आर्मिनिया (दक्षिण पूर्वी तुर्की एवं उत्तरी पश्चिमी ईरान) के लोग। इनका उल्लेख ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि के मध्य से ही मिलने लगता है परन्तु इनकी विस्तृत जानकारी ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि में ही प्राप्त होती है जब इन्होंने मेसोपोटामिया तथा सीरिया आदि अनेक राज्यों की स्थापना कर ली थी। इन राज्यों में मित्तनी भी एक राज्य था। ये द्वितीय शताब्दी के उत्तरार्ध में हित्ती असीरियाई राज्यों में विलीन हो गए।
  • Huxley's line -- हक्सले रेखा
अत्यन्त नूतनकालीन (प्लीस्टोसीन) और पूर्वी एशियायी प्राणिसमूह क्षेत्र का पूर्वी छोर। यह काल्पनिक रेखा बाली और लौम्बोक, बोर्निया और सुलावेशी के बीच होती हुई उत्तर की ओर पश्चिमी फिलिपाइन्स की पश्चिम की तरफ से निकल जाती है। आज से 50,000 वर्ष पूर्व होमिनिड प्राणियों के निवास की सीमा रेखा के रूप में इसे स्वीकार किया जाता है।
  • huyuk -- ह्यूक
कृत्रिम टीले के लिए प्रयुक्त तुर्की शब्द, जिसको अरबी में 'टेल' (tell) कहते हैं।
  • hydria -- हाइड्रिया
विशिष्ट प्रकार का यूनानी जलपात्र। घंटाकार इस पात्र के दोनों पार्श्वो में पकड़ने के लिए क्षैतिजाकार हत्थे तथा तरल पदार्थ उड़ेलने के लिए गर्दन पर लम्बवत् हत्था होता है।
  • hyksos -- हिक्सस
फिलस्तीनी यायावर लोग, जो लगभग ई. पू. 1800 में सीरिया और फिलस्तीन में फैले थे। जिन्होंने लगभग ई. पू. 1800 में मिस्र के नील नदी के डेल्टा प्रदेश के पूर्वी भाग में एवरिस नामक स्थल को अपनी राजधानी बनाई। इन्हें 'गड़रिया शासक' (shepherd king) भी कहा जाता है। मिस्र के अठारहवें राजवंश के संस्थापक अमोसिस प्रथम (Amosis I) ने इन्हें लगभग ई. पू. 1567 में मिस्र के बाहर खदेड़ दिया। घोड़ा, रथ, जेतून, अनार का परिचय मिस्रवासियों को इन्होंने ही कराया।
  • hypocaust -- अधःतापक कक्ष
प्राचीन रोम का वह भूगर्भित अग्निस्थान अथवा तहखाना, जिसमें कमरों को गर्म करने के उद्देश्य से अग्निकोष्ठ बनाए जाते थे और तापवाहिका नालियों की सहायता से कमरों को गर्म रखा जाता था। फर्श टाइल और कंकरीट के बने होते थे। इसके उदाहरण ई. पू. 100 से मिलने लगे।
  • hypogeum -- अधोभूमिक, भूगर्भित
(क) किसी भवन या इमारत का वह भाग, जो जमीन के नीचे बना हो।
(ख) प्राचीन यूनानी और रोमन रंगभूमि (amphitheatre) की भूगर्भित वीथिकाएँ।
(ग) जमीन के नीचे बनी कब्र।
  • Iberian man -- आइबेरियाई मानव
स्पेन के पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्वी समुद्र तटवर्ती क्षेत्र में रहनेवाले लोग।
  • Ice age -- हिम युग
अत्यन्त नूतन (Pleistocene) युग के लिए एक प्रचलित परन्तु अवैज्ञानिक नाम। अर्थ विस्तार से यह शब्द किसी भी प्रमुख भूतकालीन शीत या हिमनदीय काल के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।
  • ichnolite -- पदांकित प्रस्तर
अश्मीभूत रूप में मिले पद-चिह्न; प्रस्तरित पद-चिह्न।
  • icon -- प्रतिमा, मूर्ति
किसी देवी-देवता की प्रकल्पित या व्यक्ति की वास्तविक आकृति के अनुरूप बनाई गई मूर्ति। प्रतिमा शब्द का प्रयोग देवी-देवताओं की प्रतिकृतियों के अतिरिक्त महान्-आत्माओं, यशस्वी पुरुषों तथा पूर्वजों की बनी हुई मूर्तियों के लिए किया जाता है। प्रतिमा-निर्माण के माध्यम पत्थर, धातु, मिट्टी, हाथीदाँत, अस्थि इत्यादि हैं।
  • iconography -- प्रतिमाशास्त्र, मूर्तिविद्या
वह शास्त्र जिसमें मूर्ति-निर्माण के विभिन्न पहलुओं का निरूपण होता है। इसका वास्तविक प्रयोजन पूजा है। प्रतिमाशास्त्र की पूर्व पीठिका 'पूजा-परंपरा' में निहित है। प्रतिमाविद्या की सम्यक जानकारी के लिए उसके द्रव्य, लक्षण, भेद तथा विकास के विषय में ज्ञान अपेक्षित है।
  • iconology -- प्रतिमाशास्त्र, प्रतिमाविज्ञान
वह शास्त्र, जिसमें प्रतिमाओं के आकार-प्रकार, लक्षण, निर्माण-विधि, द्रव्य एवं भेद आदि का शास्त्रीय रीति से विवेचन किया गया हो।
देखिए : 'iconography'.
  • iconometry -- प्रतिमामिति, तालमान, प्रतिमा मान-विज्ञान
वह शास्त्र जिसमें प्रतिमा संबंधी, माप, आकार-प्रकार, अंग-उपांगों का निर्धारण होता है। प्राचीन भारतीय शिल्पग्रंथों यथा मानसार, समरांगण-सूत्रधार आदि में इसका विधिवत उल्लेख मिलता है।
  • iconoplastic art -- प्रतिमा-अभिघटन कला, मूर्ति निर्माण कला
वह कला जिसमें प्रतिमा निर्माण सिद्धांतों के क्रियान्वयन का निरूपण हो।
  • ideogram -- भावचित्र
चित्रलिपि के बाद की लेखन-अवस्था, जिसमें भावों और विचारों को चित्रों द्वारा अभिव्यक्त किया जाता था। अनेकानेक भावचित्रों के प्रयोग से, चिह्नों की संख्याओं में निरंतर वृद्धि होती गई। चित्रलिपि में चित्र वस्तुओं को व्यक्त करते हैं, पर भाव-लिपि के अंतर्गत ये चित्र स्थूल वस्तुओं के अलावा भावों को भी व्यक्त करते हैं। उदाहरणार्थ, चित्र लिपि में सूर्य के लिए वृत्त बनाते हैं, पर भाव-लिपि में यह वृत्त सूर्य के अतिरिक्त अन्य संबद्ध भावों को भी व्यक्त करता है। चीनी भाषा भाव-लिपि में लिखी जाती है। भावचित्र वह एकमात्र लिखित प्रतीक है, जो संपूर्ण संकल्पना के अर्थ को स्पष्ट करता है।
  • ideographic script -- भावलिपि
लेखन के विकास की आरंभिक अवस्थाओं में प्रयुक्त वह लिपि, जो ध्वनियों को व्यक्त न करके विचारों, वस्तुओं, संकल्पनाओं या भावों को अभिव्यक्त करे।
  • idolatry -- प्रतिमापूजा, मूर्तिपूजा
किसी आकृति, मूर्ति या प्रतिमा में ईश्वर या किसी देवी-देवता के अस्तित्व को प्रतिष्ठापित कर उसकी अर्चना या पूजा करना।
  • igneous rock -- आग्नेय शैल
गलित मैग्मा के पिंडन (जमने) से निर्मित शैल। ज्वालामुखी से लावा के ठंडे पड़ने पर बनी एक प्रकार की चट्टान विशेष, जिसका प्रयोग प्रागैतिहासिक मानव, पाषाण-उपकरण-निर्माण के लिए करता था। आग्नेय प्रस्तरों का वर्गीकरण उनके कणों की संरचना के आधार पर किया जाता है। हल्के रंग के आग्नेय प्रस्तरों में आब्सीडियन, रायोलाइट एवं ग्रेनाइट उल्लेखनीय हैं। गहरे रंग के प्रस्तरों में, बेसाल्ट, ट्रैप तथा ग्रैवो आदि हैं। बीच के प्रकारों में, डाइओराइट एवं ऐण्डेजाइट हैं।
  • impressed decoration -- आरोपित अलंकरण
मिट्टी के बर्तनों के धरातल को किसी ठोस वस्तु या ठप्पे से दबाकर बनाई गई सजावटी आकृति। प्राचीनकाल में, प्राकृतिक वस्तुओं, चिड़ियों की अस्तियों, कौड़ियों, दाँतेदार समुद्री शंकों आदि की छाप सजावट के लिए लगाई जाती थी। किसी अस्थि या पत्थर की पट्टी को उत्कीर्ण कर कच्चे मृद्भांडों पर उसकी छाप अंकित करने के प्रयोग भी मिले हैं।
  • incense burner -- धूपदान
एक पात्र विशेष, जिसमें धूप, राल आदि सुगंधित द्रव्यों को जलाया जाता है। पुरातात्विक उत्खननों में, पुराकाल से ही विभिन्न प्रकार के धूपदानों के नमूने मिलते हैं।
  • incense cup -- धूपदानी
वेसेक्स संस्कृति से संबंधित शवाधानों में लगभग ई. पू. 1400 में प्राप्त लघु पात्र विशेष।
  • incised decoration -- उत्कीर्ण अलंकरण
मिट्टी के बर्तनों को अलंकृत करने की एक प्रविधि। पकाने से पूर्व भांडों की सतह को नुकीले तथा धारदार उपकरण से कुरेद या खोदकर फूल-पत्ती या कोई अन्य आकर्षक अभिप्राय बनाया जाता था।
  • incrustation -- पर्पटीयन
(क) परतों या तहों के जमने की स्थिति, अवस्था या क्रिया, पपड़ी की रचना।
(ख) (वास्तुकला) किसी संरचना में संगमरमर, मोज़ेक इत्यादि को सीमेंट या लोहे की पट्टियों की सहायता से फर्श या दीवारों में लगाना या जड़ना।
(ग) (ललितकला) किसी वस्तु पर किसी अन्य वस्तु को जमाना।
  • index finger pose -- तर्जनी मुद्रा
भारतीय मूर्तिकला में प्रयुक्त मुद्रा विशेष, जिसमें मुट्ठी को बाँधकर तर्जनी और मध्यमा को फैलाया जाता है। तंत्र में भी इस मुद्रा का प्रयोग होता है।
  • indigenous culture -- देशज संस्कृति
किसी देश की मौलिक संस्कृति, जिस पर विदेशी प्रभाव न पड़ा हो।
  • indirect percussion -- अप्रत्यक्ष आघात प्रविधि
प्रागैतिहासिक काल में, प्रस्तर उपकरण बनाने की एक प्रविधि। जिस प्रस्तर खंड से फलक अथवा शल्क निकालना होता था उसपर गढ़कर आघात स्थल निर्मित कर लिया जाता था। जिस बिंदु से फलक या शल्क निकाला जाना अभिष्ट होता था उस बिंदु पर अस्थि या काष्ठ की किसी वस्तु को छेनी के रूप में रखकर हथौड़े से ठोका जाता था, जिससे वांछित आकार-प्रकार के फलक शल्क निकल आते थे। प्रत्यक्ष आघात प्रविधि की तुलना में इस विधि द्वारा नियंत्रित फलकीकरण संभव था।
  • Indo-European languages -- भारत-यूरोपीय भाषा समूह, भारोपीय भाषा-समूह
भारत-यूरोपीय भाषाओं के परिवार की भाषा, जिसमें मुख्यतः वैदिक, संस्कृत, प्राचीन ईरानी, आर्मिनियाई, तोखारी, इलिरियाई, अल्वेनियाई, इतालवी, सेल्टिक, प्राचीन जर्मन, बाल्टिक और स्लाविक आदि प्रमुख भाषाएँ आती हैं। इसे अब 'भारत हित्ती' परिवार भी कहा जाता है। ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि में, लोगों के आवागमन से इन भाषा वर्ग का प्रसरण यूरोप, निकट-पूर्व ईरान और भारत में हुआ होगा। सन् 1786 में विलियम जोन्स ने संस्कृत और यूरोपीय भाषाओं की साम्यता का विचार प्रतिपादित किया।
  • indology -- भारत विद्या
वह विद्या जिसमें भारत के प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति (धर्म दर्शन, कला, भाषा एवं साहित्य आदि ) का अनुसंधानपरक विवेचन एवं अध्ययन किया जाता है।
  • Indus Civilization -- सिंधु सभ्यता
विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक जिसका नामकरण सिंधु तथा उसकी सहायक नदियों की घाटी में प्राप्त महत्वपूर्ण आद्य ऐतिहासिक अवशेषों के आधार पर किया गया। इस सभ्यता का पता ई. 1921 में राखालदास बनर्जी ने लगाया और सर जान मार्शल, माधो स्वरूप वत्स, मेके तथा मार्टिमर व्हीलर आदि ने इस सभ्यता का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया।
सिंधु सभ्यता का विस्तार, सिंधु घाटी क्षेत्र के अतिरिक्त बिलोचिरतान, पूर्वी पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, राजस्थान तथा गुजरात तक था। इस सभ्यता की विशेषताओं में सुनियोजित नगर निर्माण, लिपि ज्ञान तथा उच्च स्तरीय नागरिक जीवन मुख्य हैं। प्रस्तुत सभ्यता के प्रमुख केन्द्र हड़प्पा के नाम पर इसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है।
देखिए : 'Harappa Civilization'
  • industrial archaeology -- औद्योगिक पुरातत्व
अतीत के औद्योगिक क्रिया-कलापों के भौतिक अवशेषों का अध्ययन। प्रायः इस शब्द का प्रयोग परवर्ती मध्यकालीन पुरातत्व के लिए किया जाता है। परन्तु ब्रिटेन और पश्चिम योरोप में औद्योगिक क्रांति के अवशेषों के अध्ययन के लिए इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है।
  • industry -- उद्योग
विशेष प्रकार के उपकरणों का समुच्चय जिसे एक ही वर्ग के लोगों की कृति माना जाता है। इसके अंतर्गत एक ही माध्यम से निर्मित उपकरण समूह आते हैं जैसे चकमक उपकरण, मृद्भांड आदि। अनेक उद्योग समूहों के साथ-साथ मिलने के आधार पर उसे उद्योग विशेष की संस्कृति के नाम से अभिहित किया जाता है। उदाहरणार्थ, रेखिय मृदभांड संस्कृति (linear pottery culture) के अंतर्गत मृद्भांड उद्योग के साथ उससे सम्बद्ध पाषाण उद्योग सन्निवेश तथा अर्थव्यवस्था भी सम्मिलित है।
  • inerary urn -- भस्मापात्र शव, भस्म-कलश शव
मृत व्यक्ति के दाह-संस्कार के बाद अवशिष्ट भस्मी को सुरक्षित रखने का कलश या पात्र। प्राचीन प्रथाओं के अनुसार, इस कलश को भूमि में गाड़ दिया जाता था। इस प्रकार के कलश स्तूपों और शवाघानों में प्राप्त हुए हैं।
  • inhumation -- शवाधान, दफनाना
मृतकों को भूमि में गाड़ने की प्रथा। सामान्यतः शवाधान गड्ढा खोदकर बनाए जाते हैं। प्रागैतिहासिक काल से शवों को अनेक प्रकार से गाड़ने की प्रथा रही है।
  • inlay work -- जड़ाई, पच्चीकारी
अलंकरण हेतु किसी वस्तु के धरातल में अन्य वस्तु को (धातु, हाथीदाँत आदि) धंसाकर अच्छी तरह प्रायः जमायी गई वस्तु जो मूल धरातल के समतल होती है। माइसिने से प्राप्त कांस्य छुरे इस विधि के सर्वोत्तम नमूने हैं।
  • inscription -- अभिलेख
धातु, पत्थर, हाथीदाँत, बर्तन, मोहर आदि पर उत्कीर्ण लेख।
  • insula -- खंड
(1) रोम के नगरों में बने विशाल आवासी भवनों का संवर्ग।
(2) रोमन वास्तुकला में नगर का वह परिपेक्ष जो चतुष्पथों से परिवृत्त हो।
  • intaglio -- उत्कीर्ण अंकन
कठोर प्रस्तर या धातु पर उत्कीर्ण कर बनाई गई आकृति।
  • integration period -- समाकलन काल, एकीकरण काल
यूकेडोरियाई प्रागितिहास की अंतिम प्रावस्था जो ई. 500 से इंका विजय ई.1532 तक बनी रही। इस काल में काफी विस्तृत क्षेत्र में सांस्कृतिक एकता स्थापित हुई। नगरों का अभ्युदय, समाज में वर्ग-विभेद, सघन कृषि और उच्च स्तरीय धातुकी का विकास हुआ।
  • inter agency archaeological salvage programme -- अंतः अभिकरण पुरातात्विक उद्धार कार्यक्रम
जब किसी पुरातात्विक महत्व के स्थल के जल-नियंत्रण, विकास, भवन-निर्माण आदि की योजनाओं के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप पूर्ण या आंशिक क्षति की आशंका होती है, तब संबंधित अंतर-अभिकरण, महत्वपूर्ण वस्तुओं को सुरक्षित रूप से निकालने या उनके स्थानात्नरण के संबंध में आवश्यक कार्यक्रम बनाते हैं। भारत में इस प्रकार के कार्यक्रमों के अंतर्गत विख्यात बौद्ध स्थल नागार्जुन कोंडा को जलमग्न होने से बचाया गया था। मिस्र में भी आस्वान बाँध के बनने के कारण प्रसिद्ध नूबिया स्मारकों को इसी प्रकार अंतर-अभिकरण द्वारा बचाया गया।
  • interglacial -- अंतर्हिमावर्ती, अंतर्हिमनदीय. अंतर्हिमानी
दो हिमानी युगों के बीच का काल या उससे संबंधित।
  • interstadial -- उप-अंतराहिमानी
किसी हिमनदीय युग के दो उपविभाजनों के बीच के कल्प से संबंधित।
  • involution -- अंतर्वलन
परिहिमानी क्षेत्र के सक्रिय स्तर में विकसित संरचना की प्रक्रिया। इस प्रक्रिया से सूक्ष्म कणिक पदार्थों द्वारा जिह्वाकार अथवा स्तंभाकार आकृतियाँ बन जाती हैं जिससे पुरातात्विक अवशेष का भ्रम हो सकता है।
देखिए : 'cryturbation'
  • Ionian -- आयोनी
प्राचीन एशिया माइनर में स्थित आयोनिया जनपद के लोग, जो प्राचीनतम यूनानी आक्रमणकारियों की संतति थे। डोरियाई आक्रमण के उपरांत. ये लोग ईजियन द्वीप तथा एशिया माइनर में चले गए।
  • Iron age -- लौह युग
मानव-विकास की वह प्रावस्था, जिसमें मनुष्य ने लोहे का प्रयोग किया। त्रिकाल पद्धति में निर्दिष्ट मानव विकास के तीन युगों (पाषाण युग, ताम्र-कांस्य युग एवं लौह युग) की यह अंतिम कड़ी है। यूरोप में, इसका प्रयोग ई.पू. 1000 के आसपास माना जाता है। मध्य यूरोप की हाल्स्टाट (आस्ट्रिया) सभ्यता (लगभग ई.पू. 700-ई. पू. 600) से लौह युग के आरंभ का पता चलता है। भारत में उत्तर-प्रदेश के एटा जनपद में अतरंजीखेड़ा में हुए उत्खननों में ई.पू. 1100 के स्तर से लोहे के अवशेष मिले हैं। वैदिक वांगमय में इसके लिए 'कृष्णायस' शब्द मिलता है।
  • irregular point -- अनियमित बेधनी
प्रागैतिहासिक पाषाण वेधनी का एक प्रकार। इस प्रकार के उपकरणों का केई निश्चित या निर्धारित आकार नहीं है। इसकी विशेषता केवल उपकरण की नोक है, जिसे परिष्कृत भी किया जाता था। नोक को छोड़कर अन्य भाग प्रायः अनगठित होता है।
  • isotopic fractionation -- आइसोटोपी प्रभाजन, समस्थानिक प्रभाजन
रेडियोकार्बन-तैथिकी की यह प्रमुख धारणा है कि 12c, 13c, 14c, एक ही गति से अपने कार्बन-चक्र के इर्दगिर्द घूमते हैं। इन तीनों आइसोटोपों में रासायनिक दृष्टि से काफी एकरूपता है, यदि इनमें जरा सी भी विभिन्नता हो जाए तो कुछ पौधों में विभिन्नता आ जाती है जिसके फलस्वरूप इनकी तिथि-निर्धारण में त्रुटियों की संभावना बढ़ जाती है। प्रयोगशाला में जीवों और जन्तुओं में व्याप्त प्रभाजन की मात्रा का पता लगा लेने से उनकी सही तिथि का पता लगाया जा सकता है।
  • jade -- हरिताश्म, जेड
पाइरॉक्सीन (जैडाइट) और ऐम्फिबोल (नेफ्राइट) दोनों खनिज वर्गों में मिलने वाला एक कठोर एवं अति चीमड़ खनिज पदार्थ। यह हरे-श्वेत रंग से लेकर गहरे हरे रंगों में पाया जाता है और इसे एक रत्न-पदार्थ के रूप में बहुत अधिक प्रयोग में लाया जाता है। भारत में, हरिताश्म के बने मनके आभूषणों के रूप में प्रयुक्त होते रहे हैं। कभी-कभी इस खनिज के पात्र भी बनाए जाते थे।
  • janiform -- द्विमुखी
(1) दो मुखोंवाली ऐसी मानव मूर्ति, जिसकी ग्रीवा एक तथा मुख दो हों।
(2) दो मुँहवाले प्राचीन रोमन देवता जेनस के समरूप वाला।
  • Janus -- जेनस
प्राचीन रोम का देवता, जिसकी स्मृति में जनवरी नाम रखा गया। प्राचीन रोम के भवनों के मेहराबों एवं द्वारों पर इसकी मूर्ति उत्कीर्ण की जाती थी। इस मूर्ति का मस्तक तो एक होता था पर इसके दो मुख विपरित दिशाओं में बने होते थे।
  • jar burial -- कलश शवाधान
मृतकों को गाड़ने की एक प्राचीन प्रथा, जिसके अंतर्गत मिट्टी के विशाल भांडों में मुर्दे को रखा जाता था। यह प्रथा विशेषकर भूमध्यसागरीय क्षेत्र के अनेक स्थानों में प्रचलित थी। अनातोलिया के पूर्व कांस्ययुगीन काल में भी इस प्रथा का पता चलता है। भारत में, ताम्राश्मयुगीन अनेक स्थलों से कलश शवाधान प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से महाराष्ट्र की जोर्वे संस्कृति का उल्लेख किया जा सकता है। इस संस्कृति में इस प्रक्रिया द्वारा बच्चों के शवों को ही दफनाया जाता था। सामान्यतः शव का आधा भाग एक पात्र और आधा भाग दूसरे पात्र में रखकर पात्रों को मिलाकर झोपड़ियों के सामने ही प्रांगण में गाड़ दिया जाता था।
  • java man -- जावा मानव
लुप्त-मानव का आदिम रूप। जावा मानव को प्राचीन मानव का वह अति प्राचीन रूप माना जाता है, जिसकी नस्ल बहुत पहले लुप्त हो चुकी थी। जावा मानव को खोज निकालने का श्रेय यूजीन डुबाय को है, जिन्होंने ई. 1891 में जावा के ट्रिनिल नामक स्थान से एक जंधास्थि कपाल और दो दाँतों को खोज निकाला था। कालांतर में इस क्षेत्र से इसके अन्य अवशेष भी खोज निकाले गए। यह माना जाता है कि यह मानव सीधा खड़ा होकर चल सकता था, इसलिए इसे कपि मानव ('पिथिकैथ्रोपस इरेक्टस') कहा जाता था। वर्तमान काल में इस मानव को होमो इरेक्टस श्रेणी में रखा जाता है। इसका ललाट कम चौड़ा था और चिबुक नहीं था। मस्तिष्क क्षमता 900 से 1000 घन सेंटीमीटर थी। कुछ विद्वानों की धारण है कि यह मानव बोलना भी जानता था।
  • Jellinge style -- जेलिंग शैली
स्कैंडिनेविया की एक प्राचीन अलंकरण शैली। इसका नामकरण पूर्वी जटलैंड के जेलिंग नामक स्थल से प्राप्त विशिष्ट कलाकृतियों के आधार पर पड़ा। ई. नवीं से ग्यारहवीं शताब्दी तक एंग्लो-सेक्सन तथा स्कैंडिनेवी कला में इस शैली की प्रमुख विषय-वस्तु पशु-आकृतियाँ हैं जो रूढ़िगत अथवा पूर्णतया अमृर्त रूप से मिलती हैं।
  • jet -- जेट
एक प्रकार का काला और कच्चा पत्थर, जो कोयले का खनिज है, और जिसका प्रयोग ब्रिटेनी कास्य युग में मिलता है। इस पत्थर से बटन, मनके, आभूषण, खिलौने तथा अन्य अलंकरण की वस्तुएँ बनाई जाती थी।
  • Jhangar culture -- झांगर संस्कृति
गुजरात के कच्छ जिले में सिंधु या हड़प्पाकालीन एक प्रमुख संस्कृति जिसमें लाल, पांडु तथा लेपित मृद्भांड एवं क्रोड और शल्क पर बनी खुरचनी (स्करेपर) और फलक मिले हैं। यहाँ पर 'रंग महल मृद्भांडों' से मिलते-जुलते चित्रित मृद्भांड मिले हैं। झांगर संस्कृति में मृदभांडों के निर्माण तथा उनके उपचार की पूर्णतया नई तकनीक का प्रयोग किया गया था।
  • Jhukar culture -- झूकर संस्कृति
पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में प्राप्त ताम्रपाषाण के अतिरिक्त इस संस्कृति के महत्वपूर्ण प्रमाण आमरी तथा चान्हूदड़ो से भी प्राप्त हुए हैं। झूकर मृदभांडों तथा हड़प्पाकालीन मृद्भांडों के शैला-विन्यास और अलंकरण में पर्याप्त साम्य है, इसी कारण कुछ विद्वान इसे हड़प्पा संस्कृति का ही परवर्ती रूप मानते हैं जिनमें नगरीय जीवन लुप्त हो चुका था।
  • Jorwe culture -- जोर्वे संस्कृति
महाराष्ट्र राज्य की एक ताम्राश्मयुगीन संस्कृति। अहमदनगर जिले में, प्रवरा नदी के किनारे जोर्वे नामक स्थान से सर्वप्रथम इस संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए थे। अन्य प्रमुख स्थल हैं नेवासा, चन्दोली, इनामगाँव, दाइमाबाद आदि। विदर्भ तथा कोंकण के समुद्र तटीय क्षेत्रों को छोड़कर इस संस्कृति के अवशेष संपूर्ण महाराष्ट्र से प्राप्त हुए हैं। इस संस्कृति का काल ई.पू. 1400-ई. पू. 700 आँका गया है। यों तो यह ग्रामीण संस्कृति थी तथापि दाइमाबाद एवं इनामगाँव जैसे स्थलों में इससे सम्बद्ध चतुर्दिक समृद्धि के प्रमाण मिलते हैं। परन्तु यह समृद्धि दीर्घकालिक नहीं थी तथा प्रथम सहस्राब्दि के प्रारंभ से इसकी बस्तियाँ निर्धन हो गई। संस्कृति के प्रारंभिक चरण में ये लोग अनेक कमरों वाले बड़े-बड़े आयताकार घरों में रहते थे, परन्तु द्वितीय चरण में केवल मात्र छोटी-छोटी वृत्ताकार झोपड़ियों के ही प्रमाण हैं। चाक निर्मित लाल मृद्भांड, जिनपर काले रंग से बनी ज्यामितिक डिजाइन हैं, इनकी प्रमुख विशेषता हैं। नोतलाकार तथा टोंटीदार पात्र विशिष्ट कहे जा सकते हैं। संस्कृति की अन्य विशेषताओं में विभिन्न पत्थरों के मनके, ताम्र उपकरण, लघु पाषाण उपकरण तथा कलश-शवाधान की गणना की जा सकती है। शवों को बहुधा घर के अंदर अथवा निकट में गाड़ा जाता था।
  • Jorwe ware -- जोर्वे मृद्भांड
महाराष्ट्र की ताम्रश्मयुगीन मृद्भांड परंपरा। इसका नामकरण महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले के प्रवरा नदी के तट पर स्थित जोर्वे नामक स्थान के उत्खनन में प्रथम बार प्राप्त विशिष्ट मृद्भांडों के आधार पर किया गया है। चाक निर्मित मिट्टी के इन बरतनों की लाल सतह के ऊपर काले रंग से मुख्यतः ज्यामितिक अलंकरण चित्रित मिलते हैं। प्रमुख मृद्भांड प्रकारों में नौतलाकार गोल आधार वाले चषक, गोलाकार जार, छिछली तश्तरी, ढक्कनदार लघु द्रोणी तथा टोंटेदार लोटे हैं।
देखिए : 'Jorwe culture'
  • Kalibangan -- कालीबंगा
राजस्थान के गंगानगर जिले में, घग्गर (प्राचीन सरस्वती) नदी के तट पर प्राप्त आद्य ऐतिहासिक सांस्कृतिक स्थल। कालीबंगा के निचले स्तर में, हड़प्पा संस्कृति की पूर्ववर्ती संस्कृति मिली है। ऊपरी स्तरों पर हड़प्पा की परिपक्व संस्कृति के अवशेष मिले हैं। दोनों संस्कृतियों की कड़ी के रूप में कालीबंगा स्थल का विशेष महत्व है। पूर्व हड़प्पा संस्कृति के प्रथम काल में यहाँ रक्षा प्राचीरों के घिरी एक समांतर चतुर्भुज के प्रमाण मिले हैं। सामान्यतः मकान तथा रक्षा प्राचीर दोनों ही कच्ची ईटों के बने हैं। मृद्भांड 6 प्रकार के हैं जिनमें अधिक संख्या लाल मृद्भांडों की है। इन पर चित्रण भी मिलता है। हड़प्पाकालीन मृद्भांडों में इन्हें भिन्न कहा गाया है। अन्य विशेषताओं में कैल्सेडोनी एवं गोमेद के छोटे फलक, स्टीऐटाइट, शुक्ति (shell), कार्नीनियन, मिट्टी तथा तांबे, शुक्ति और मिट्टी की चूड़ियाँ, आकृतियाँ तथा तांबे की कुल्हाड़ियों का उल्लेख किया जा सकता है। बस्ती के दक्षिणपूर्व में हल से जुते हुए खेत के प्रमाण अद्वितीय हैं। रेडियोकार्बन तिथि के आधार पर इसका काल ई. पू. 2450-ई. पू. 2300 आँका गया है।
द्वितीय काल परिपक्व हड़प्पा संस्कृति का है जिसमें बस्ती दो भागों में विभाजित थी। दुर्ग जो प्रथम काल के अवशेषों पर स्थापित था और निचला नगर भाग समांतर चतुर्भुज दुर्ग भी दो भागों में विभाजित था। दुर्ग के चारों ओर कच्ची ईंटों से बनी रक्षा प्राचीर थी जिसमें स्थान-स्थान पर बुर्ज भी हैं। दुर्ग के अंदर पाँच से छह कच्ची ईंटों के बने बृहदाकार चबूतरे प्राप्त हुए हैं जिनके ऊपर सम्भवतः भवन बने थे। निचले नगर की बस्ती समांतर चतुर्भज आकार की थी परन्तु यह दुर्ग की अपेक्षा छोटी थी। इसमें भी चारों ओर कच्ची ईंटों की रक्षा प्राचीर थी। सम्पूर्ण नगर उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम जाने वाली सड़कों के परिणामस्वरूप एक जालाकार योजना का स्वरूप धारण करता था। नगर में प्रविष्ट करने के लिए उत्तर और पश्चिम में दो द्वार थे। निचले नगर के चार या पाँच अग्निवेदिकाओं से युक्त एक छोटा भवन मिला है। दुर्ग के पश्चिम में शवाधान स्थल मिला है। इस काल को ई. पू. 2300 और ई. पू. 1750 से मध्य रखा गया है।
  • kaolin (= China clay) -- केओलिन
एक सफेद या लगभग सफेद रंग का मृत्तिका शैल जो कि अतिफेल्सपारी शैलों के अपघटन के फलस्वरूप बनता है। इसे पोर्सिलेन का पेस्ट बनाने के काम में लाया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यतः मिट्टी के बर्तन बनाने के काम में लाया जाता है।
  • Karewas -- करेवा
कश्मीर धाटी की झीलों के किनारे बालू एवं सूक्ष्म कणिकाओं से बने जलोढक (एल्यूवियन) जमाव। इन जमावों को करेवा कहा जाता है। इन जमावों के ऊपर नवपाषाणकालीन महत्वपूर्ण अवशेष एवं गर्त-आवास के प्रमाण होते हैं। महत्वपूर्ण उत्खनित पुरास्थलों में बुर्जहाम एवं गुफकाल हैं।
  • Kassites -- कैसाइट
मध्य जेग्रोस पहाड़ों के निवासी वे लोग, जिन्होंने हित्ती आक्रमण के उपरांत, लगभग सन् ई.पू. 1595 में बेबिलोन पर अधिकार किया था। चार शताब्दियों तक उनका बेबिलोन नगर पर लगभग ई.पू. 1157 तक अधिकार रहा। पुरातात्विक प्रमाणों के आधार पर इनकी पहचान कठिन है, क्योंकि इन्होनें कुछ भारोपीय देवताओं की आराधाना प्रारम्भ की थी अतः इनके शासकों को कभी-कभी भारोपीय कहा जाता है।
  • Kayatha Culture -- कायथा संस्कृति
जिला उज्जैन में छोटी काली सिंध नदी के किनारे उत्खनन में प्राप्त एक ताम्रपाषाणकालीन संस्कृति जिसकी जिसकी खोज वी. एस. वाकणकर ने की थी। इसका सर्वप्रथम उत्खनन 1965-67 में किया गया। उत्खनन के आधार पर इस संस्कृति को पाँच कालों में विभक्त किया गया। प्रथम काल लगभग ई.पू.1800 माना गया है जो उपमहाद्वीप की एक विशिष्ट ताम्राश्म संस्कृति मानी जाती है। इस काल में विशिष्ट तीन प्रकार के मृद्भांड उद्योग मिले हैं जिनमें दो प्रकार के चित्रित मृद्भांड तथा एक कर्तित (incised) मृद्भांड उद्योग हैं। ताम्र तथा प्रस्तर के उपकरण मिले हैं। कायथा संस्कृति के लोगों को यहाँ पर बसने से पूर्व ताम्र प्रौद्योगिकी का ज्ञान था। द्वितीय काल बनास संस्कृति (लगभग ई.पू 1700-ई. पू. 1500) के नाम से जाना जाता है। कायथा संस्कृति के लुप्त होने पर क्षेत्र में बनास संस्कृति (अहाड़ संस्कृति) के लोगों ने लगभग ई.पू. 1800 में अधिकार कर लिया। जिनकी प्रमुख विशेषता काले और लाल-मृद्भांडों को सफेद रंग से चित्रित किया गया। तृतीय काल मालवा संस्कृति (लगभग ई.पू. 1500-ई.पू. 1200) है जो अपने विशिष्ट, चित्रित मालवा मृद्भांडों के लिए विख्यात है। चतुर्थ काल प्रारंभिक ऐतिहासिक (लगभग ई.पू. 600-ई.पू.200) है। तृतीय काल से चतुर्थ काल के बीच लगभग सात शताब्दियों का अंतराल मिलता है। पंचम काल शुंग, कुषाण और गुप्त कालीन (लगभग ई.पू. 200-ई.पू 600) है। इस काल के लाल और लाल-लेपित मृद्भांड विशिष्ट हैं। विशिष्ट प्रकार के मिट्टी के पान-पात्र, कर्णफूल, चम्मचें शकटिका (toy-cart) और शंखों की चूड़ियाँ उल्लेखनीय हैं।
देखिए: 'Kayatha ware'
  • kayatha ware -- कायथा मृद्भांड
मध्य-प्रदेश की ताम्रपाषाणयुगीन एक मृद्भांड परंपरा। इसका नामकरण मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में छोटी काली नदी के दाँए किनारे पर स्थित कायथा नामक स्थल से मिले अवशेषों के आधार पर पड़ा। इन चाक निर्मित सुदृढ़ मृद्भांडों के बाहरी सतह पर गाढ़ा लेप लगाया जाता था जिसके ऊपर बैगनी रंग से खड़ी तथा सर्पिल रेखाओं के साथ-साथ फंदाकार अलंकरण बने मिले हैं। इनके प्रमुख पात्र, छोटी गरदन और चौड़े मुख वाले गोल लोटे, अंदर की ओर अंवठदार स्कन्धयुक्त नौ तलाकार चषक तथा विशाल अंवठदार जार हैं। इस मृद्भांड परंपरा का काल ई. पू. 2000-ई. पू. 1800 आँका गया है।
देखिए : 'kayatha culture'
  • keeled scraper -- निधरणाकार क्षुरक, निधरणाकार खुरचनी
यूरोपीय उच्च पूर्व पाषाणकालीन विशिष्ट उपकरण, जो शल्क तथा क्रोड दोनों पर बना मिलता है। इस उपकरण के बीच के उभरे भाग से, संकरे तथा छिछले फलक निकाले जाते हैं, जिनसे उपकरण की कार्यकारी धार बनती है। मध्य भाग के समानांतर फलक चिह्न पंखे की तरह लगते हैं। ये चिह्न नाली प्रविधि (fluting technique) से निकाले जाते थे। यह उपकरण यूरोप की आरिगनेशी संस्कृति की प्रमुख विशेषता हैं।
  • kerb -- उपांताश्म
किसी संगोरा या शव-टीले के चारों ओर दीवार या पत्थर की चिनाई जो, पुश्ते का कार्य करती है।
  • kernos -- दीप-मंडित पात्र, करनोस
मिट्टी के जार जैसा प्राचीन बर्तन, जिसके मुख के चारों ओर छोटे आकार के अनेक दीये लगे रहते थे। पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्रों के उत्खनन में इस प्रकार के पात्र मिले हैं। यह अभी ज्ञात नहीं हो पाया है कि इन पात्रों का प्रयोग किस प्रयोजन के लिए होता था, तथापि इनके अनुष्ठानिक उपयोग की संभावना को सहज नकारा नहीं जा सकता।
  • kero -- काष्ठ बीकर, केरो
लकड़ी का बना विशाल आकार का बीकर, जिसके पार्श्व भाग सीधे फैले होते हैं। इस पात्र में, उकेरकर ज्यामितिक नमूने बनाए गए हैं। इंका सभ्यता युग में इसका प्रयोग होता था। मिट्टी के बने इस प्रकार के पात्र अपेक्षाकृत प्राचीन हैं व तियाहुवान्को संस्कृति में प्रचलित थे।
  • kiln -- आँवाँ, भट्ठा
ईंटों और मृद्भांडों को पकाने के लिए संरचित कक्ष या गर्त, जिसमें आग जलाकर कच्चे मृद्भांडों और ईंटों को पकाया जाता है।
  • kitchen midden -- घूरा, किचिन मिडन
शाब्दिक अर्थ में घरेलू कूड़ा-करकट फेंकने का स्थान; और संकीर्ण अर्थ में, खाद्य संग्रहकों द्वारा छोड़े गए समुद्री सीपियों के टीले।
प्रागैतिहासिक कूड़े का ढेर, जो क्षेत्र विशेष में मानवीय निवास का परिचायक है। विगत सौ वर्षों में, फ्रांस, सार्डीनिया, पुर्तगाल, ब्राजील, जापान और डेनमार्क में, अनेक ऐसे प्रागैतिहासिक ढेर मिले हैं, जिनमें समुद्री जानवरों के पंजर, थलचर पशुओं की अस्थियाँ और पाषाण उपकरण और दैनिक जीवन में काम में आने वाली अनेक वस्तुएँ हैं। डेन्मार्क में, कूड़े के इन निक्षेपों में एक उत्तर-मध्यपाषाणकालीन संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिसे 'किचिन मिडन कल्चर' कहा जाता है।
  • kiva -- किवा
प्यूबलो इंडियन वास्तुकला के अंतर्गत वह आनुष्ठानिक कक्ष या वास्तु-संरचना, जो अंशतः भूगर्भित और सामान्यतः गोलाकार होती थी। इस संरचना के अंतर्गत अग्निस्थल, वेदी-स्थान तथा सिपापू (सछिद्र फर्श) बने होते थे। किले में प्रवेश करने के लिए, प्रवेश-मार्ग तथा इसमें प्रकाश के लिए प्रायः ऊपर की ओर से रोशनी की व्यवस्था होती थी।
  • Knoviz culture -- नोविज़ संस्कृति
यूरोप की एक उत्तर-कांस्ययुगीन संस्कृति। मध्य एवं उत्तर पश्चिमी बोहेमिया की वह कलश-क्षेत्र संस्कृति, जो 'ट्यूमूलस' (Tumulus) कांस्ययुगीन संस्कृति के ह्रास के उपरांत आई। इस संस्कृति के लोग अपने मृतकों को कलशों में रखकर भूमि में गाड़ते ता दबा देते थे। इस संस्कृति का काल ई. पू. 1400 से ई. पू. 900 तक आँका जाता है।
  • Kuban culture -- कूबन संस्कृति
(1) पश्चिम काकेशिया की कूबन घाटी से प्राप्त पूर्ववर्ती कांस्य युगीन उत्तरी काकेशिया संस्कृति का एक क्षेत्राय रूपांतर जिसकी तिथि ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि का मध्य मानी जाती है।
(2) इसी क्षेत्र में प्राप्त एक परवर्ती संस्कृति जो अंत तक कांस्ययुग से प्राचीनतम लौह-युग (ई. पू. प्रथम सहस्राब्दि का प्रारंभ) में रखी जाती है।
यह संस्कृति कुरगन कब्रों, युद्ध कुठारों तथा धातु की वस्तुओं के लिए विख्यात है।
  • Kujavian grave -- कुजावियन शवाधान
पोलैंड के नवपाषाणकावीन विशिष्ट शवाधान जो टी. आर. बी. (ट्रेगटरबीकर) संस्कृति से संबद्ध थे। इस पाषाण निर्मित कक्ष अथवा खाईनुमा शवाधानों के ऊपर समलंबी (trapezoidal) समाधि बनी होती थी। इनमें शव को विस्तीर्ण अवस्था में दफनाया जाता था।
  • Kulli -- कुल्ली
पाकिस्तान में दक्षिण बलोचिस्तान की ताम्रपाषाणकालीन संस्कृति और तत्युगीन मृद्भांड शैली, जिसका सर्वप्रथम उत्खनन पर ओरेल स्टाइन ने करवाया था। इस संस्कृति के चाक निर्मित मृद्भांड मुख्यतः पांडु तथा लाल रंग के हैं, जिन पर काले रंग से लंबे आकार के कूबड़वाले बैल बने हैं, जिनके ऊपर गोलाकार एवं ज्यामितिक आकृतियों के नीचे बकरों की लघु आकृतियाँ बनी हैं। वृषभ तथा नारी की मृणमूर्तियाँ भी मिली हैं। हड़प्पा संस्कृति पर, जिन संस्कृतियों का प्रभाव पड़ा, उनमें से एक कुल्ली संस्कृति भी कही जाती है। इसकी तिथि ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि स्थापित की जाती है। यहाँ के मृद्भांड चाक निर्मित थे। परवर्ती कुल्ली की सामग्रियों में सिंधु घाटी का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
  • kylix -- काइलिक्स, सुरापात्र
प्राचीन यूनान का पेयपात्र विशेष। इस साधार, चौड़े और छिछले प्याले के दोनों पार्श्व में हत्थे बने होते थे।
  • La Tene -- ला तेन
स्विट्जरलैंड की न्यूशातेल झील के पूर्वी ला तेन में प्राप्त हुए बृहत् उत्तर लौह युगीन निक्षेप। इस यूरोपीय द्वितीय लौह युग का नामकरण इसी स्थलनाम के आधार पर किया गया। ई. 1907 से ई. 1917 के मध्य हुए उत्खननों के परिणामस्वरूप काष्ठ स्थूण, काष्ठ सेतु तथा लोहे और कांसे के बने अनेक उपकरण यहाँ मिले, जिन पर सिथियाई प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। ला तेन संस्कृतियों में सरथशवाधाव मिले हैं। यह केल्टिक लोगों की संस्कृति थी, जो वस्तुतः हालस्टाट युग की पश्चवर्ती थी। पुरातत्ववेत्ताओं ने इसका काल ई. पू. 500 से ई. 100 माना है। ब्रिटेन की संस्कृतियों पर लातेन संस्कृति का प्रभाव स्पष्टतः दृष्टिगोचर होता है। ला तेन काल की कला को केल्टिक कला कहा जाता है जो अपने धातु-कर्म के लिए विख्यात थी।
  • labret -- अधरिका, ओष्ठ आभरण
निचले ओष्ठ में पहना जाने वाला काष्ठ, हड्डी, सीप या पत्थर इत्यादि का बना आभूषण। मध्य अमेरिका में इस प्रकार के आभूषण प्रचलित थे।
  • laconicum -- लेकोनिकम
स्नानोपरांत पसीना लाने वाला प्राचीन रोमवासियों का एक कक्ष। रोम गणराज्य के अवसान काल में, रोमवासियों द्वारा निर्मित कक्ष, जिसमें पसीना लाने के लिए शरीर पर शुष्क और गरम हवा प्रवाहित की जाती थी। शरीर की ताप सहने की क्षमता के अनुसार स्नान-कक्ष का तापमान बड़ाया-घटाया जा सकता था। यह स्नान-कक्ष का तापमान बढ़ाया-घटाया जा सकता था। यह स्नान-कक्ष लघु गोलाकार कमरे के रूप में होता था, जिसके ऊपर गुंबद भू बना रहता था। मेहरा बदार छत पर बने छिद्रों से कक्ष के भीतर प्रकाश की व्यवस्था होती थी। इन छिद्रों के नीचे कांसे की ढालें लड़ियों में लटकी रहती थी और उन्हें झुकाकर या उठाकर तापमान को कम या ज्यादा किया जाता था।
रोमवासियों ने वाष्प-स्नान की यह प्रथा यूनानियों से ग्रहण की थी।
  • lacquer -- लाख, लाक्षा
वृक्ष विशेष की टहनियों से प्राप्त लाख या लाक्षा गोंद की तरह का पदार्थ। यह मूलतः भूरे रंग का होता है। रंग में परिवर्तन लाने के लिए इसमें दूसरे प्रकार के रंग मिलाए जाते हैं।
इसका उपयोग मुख्यतः लकड़ी की वस्तुओं, कपड़े और मिट्टी के बर्तनों पर लेप के लिए किया जाता था। शाङग वंश के अनेक इस प्रकार के बरतन प्राप्त हुए हैं। प्राचीनतम तिथि ई. पू. चौदहवीं शताब्दी आँकी गई है। लाक्षा लेपित बरतनों तथा लाक्षानिर्मित वस्तुओं की बहुत बड़ी संख्या ई. पू. पाँचवीं शताब्दी की पूर्वी झाऊ तथा हान स्थलों से प्राप्त हुई है।
  • lake dwelling -- सरोवर तट-वास
किसी सरोवर या झील के किनारे या तट पर मानव आवास। प्रागैतिहासिक मानव तालों के निकट तथा दलदली भूमि पर अपने निवास स्थान बनाते थे। इन झीलघरों से नवपाषाणकाल के पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए हैं जो अनुमानतः ई. पू. 2800 के आंके जाते हैं। स्विट्जरलैंड की झीलों पर इस प्रकार के निवासों के अवशेष मिले हैं। ये आवास बल्लियों को गाड़कर बनाए जाते थे। ब्रिटिश द्वीप-समूह के इस प्रकार के लौहकालीन आवासों को क्रेनोग (crannog) कहते हैं।
देखिए : 'crannog'
  • lance -- भाला, कुंत
प्रसिद्ध प्राचीन उपकरण या अस्त्र। इसमें विशाल और मोटे दंड के छोर पर नुकीला और पैना एक बड़ा फल लगा होता है। इसका फल धातु अथवा पत्थर का बना होता था।
  • lancehead -- भालाग्र, कुंताग्र
(i) भाले के आगे का वह नोकदार भाग, जिससे शिकार को मारा जाता था।
(ii) पाषाण, हड्डी या धातु की बनी वेधनी, जो आकार में बाणाग्र से बड़ी और शूलाग्र से छोटी होती थी। अनुमानतः इसे बल्लम की तरह लकड़ी में फंसा कर प्रक्षेपित कर फेंकने के काम में लाया जाता था। प्रागैतिहासिक मानव इस प्रकार के उपकरणों का प्रयोग आखेट के समय किया करता था।
  • lanceolate handaxe -- भालाकार हस्तकुठार, नुकीला हस्तकुठार
प्रागैतिहासिक पाषाण-हस्तकुठारों का एक प्रकार। सामान्यतः इसका निचला भाग गोल तथा ऊपरी भाग की अपेक्षा मोटा होता था। पश्चिमी यूरोप की मध्य पूर्व पाषाण काल की मिकोकियन (Micoquian) संस्कृति की यह उपकरण एक विशेषता है। इसी कारण हस्तकुठार के इस प्रकार को कभी-कभी 'मिकोकियन हेन्डेक्स' भी कहा जाता है। यह उपकरण भाले, फलक अथवा लंबी पत्ती के समान होता है। यह ऊपर से नुकीला तथा नीचे की ओर दोनों भुजाएँ नतोदर होती हैं। इसके किनारे पतले, पैने तथा तीक्ष्ण होते हैं।
देखिए : 'Micoquian handaxe'
  • langi tombs -- लैंगी समाधि
टोगो द्वीप की मिट्टी की विशाल समाधियाँ। इन आयताकार अथवा वर्गाकार समाधियों के पार्श्व सीढ़ीदार होते थे जिनपर प्रवाल प्रस्तरपट्टियाँ लगी होती थी।
  • lapidary -- 1. मणिकारी 2. मणिकार
क़ीमती पत्थरों को काटने-छाँटने, परिमार्जित और उत्कीर्ण करने की कला या उससे संबंधित।
वह कारीगर, जो हीरे के अतिरिक्त अन्य कीमती पत्थरों आदि को काटने-छाँटने, परिमार्जित और उक्तीर्ण करने की कला में दक्ष हो।
  • lapis lazuli -- लाजवर्द
वह प्रसिद्ध और कीमती हल्के नीले रंग का रत्न, जिसके तल पर सुनहरी चित्तियाँ बनी होती हैं। प्राचीन काल में, अलंकरणात्मक मनकों तथा मुहरों में लोकप्रिय पत्थर का प्रयोग किया जाता था। यह बहुत बड़ी मात्रा में, बदख्शाँ (उत्तरी अफगानिस्तान) में मिलते थे और वहाँ से सुदूर देशों को भेजे जाते थे। मेसोपोतामियाई संस्कृति ई. पू. पाँचवी सहस्राब्दि में ही इसके विविध उपयोग के प्रमाण मिलते हैं। ई. पू. तीसरी व चौथी सहस्राब्दि में पूर्वी ईरान तथा पश्चिमोत्तर बारत की संस्कृतियों में इसका पर्याप्त उपयोग किया गया।
  • larnax -- शवाधानी, मिट्टी का ताबूत
शव को रखने के लिए मुख्यतः पकाई हुई मिट्टी से बनी पेटी या ताबूत। उत्खनन में पत्थर की शवपेटी भी मिली है। कभी-कभी शवाधानी को बाहरसे अलंकृत भी किया जाता था। ई. पू. पाँचवी-छठी शताब्दी में पूर्वी यूनान में यह शवाधानी बहुत प्रचलित थी।
  • Larnian culture -- लार्नी संस्कृति
मध्य पाषाणकालीन संस्कृति, जिसका नामकरण आयरलैंड के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र लार्ने के नाम पर पड़ा। इस संस्कृति का विशिष्ट उपकरण शल्क पर निर्मित एक पर्णाकार वेधनी हैं।
  • late glacial phase -- उत्तर हिमावर्तनीय प्रावस्था
हिम युग की वह अंतिम प्रावस्था, जब हिमनदियों ने अंतिम रूप से पीछे हटना प्रारंभ कर दिया था। उत्तरी यूरोप की इस समय की महत्वपूर्ण संस्कृतियाँ अहेरेंसबर्ग (Ahrensburgian), क्रेसवेली (Creswellian) फेदरमेसर (Federmesser) एवं हैमबर्ग (Hamburgian) हैं। इस प्रावस्था की संस्कृतियों को बहुधा अनुपुरापाषाणकालीन (Epipalaeolithic) कहा जाता है।
  • lattice -- जाल, जाली, जालक
(क) लकड़ी, पत्थर या धातु की बनी ऐसी रचना, जिसमें प्रायः नियत और नियमित रूप से थोड़े-थोड़े अंतराल पर छिद्र या कटाव चिह्न बने हों।
(ख) विकर्ण पट्टियों से युक्त, गुंथे हुए बहुत-से तारों, शिराओं या रेखाओं का ऐसा समूह, जो किसी काष्ठ या धातु रचना पर बना हो।
  • laurel leaf implement -- लारेल पत्र सदृश उपकरण
लारेल वृक्ष की आकृति से मिलते-जुलते पाषाण उपकरण, जिनके छोर नोकदार तथा कार्यांग अपेक्षाकृत तीक्ष्ण होते हैं। छोटे आकार वाले ये उपकरण वेधनी, भाले एवं तीर के नोक के रूप में प्रयुक्त होते रहे होंगे। कुछ लारेल उपकरण आकार में बहुत बड़े मिलते हैं। इनका निर्माण दाब-शल्कन प्रविधि द्वारा किया जाता था। पश्चिमी यूरोप की उच्च पूर्व पाषाणकालीन सोल्यूत्री संस्कृति के ये विशिष्ट उपकरण हैं।
  • Laustiz culture -- लोसिट्ज संस्कृति
पूर्वी जर्मनी, उत्तरी चेकोस्लोवाकिया तथा पोलैंड के बहुत बड़े भाग में फैली एक कलश क्षेत्र संस्कृति। इस संस्कृति के निर्माता बहुधा आरक्षित बस्तियों में रहते थे। शवदाह के उपरांत अस्थियों को पात्रों में रखकर गाड़ देते थे। यदा-कदा उनके ऊपर तुंब भी निर्मित करते थे।
इस संस्कृति की कालावधि ई. पू. 1500 से ई. पू. 300 तक मानी जाती है।
देखिए : 'Lusataian culture'.
  • layer -- परत, स्तर
सामान्य अर्थ में एक दूसरे के ऊपर जमी सतह। शैल से निर्मित अथवा भूमि का संस्तर या स्तर। पुरातत्व में मानवीय कारणों से निर्मित संस्तर भी सांस्कृतिक अध्ययन के लिए उपयोगी होते हैं। इस विज्ञान में स्तरानुक्रम के आधार पर सांस्कृतिक अनुक्रम निर्धारित किया जाता हैं।
  • layer tag -- स्तर टैग, स्तर-बिल्ला
उत्खनन के समय, उत्खनित क्षेत्र की दीवारों पर लगा स्तर-बिल्ला, जिस पर स्तर संख्या निर्दिष्ट होती है।
  • lead -- सीसा, लेड
वजन में भारी, प्रहार करने पर न टूटने वाली एक धातु विशेष जिसका प्रयोग प्रायः मिश्रधातु (ऐलाँय) के रूप में होता है। इस धातु का गलनांक (मेल्टिंग पॉइंट) बहुत कम होता है। अधिकतर सीसा अयस्क गैलेना (कोर गैलेना) से निकलता है। यूरोप के कुछ क्षेत्रों में उत्तरकांस्य युग में सीसे के अवशेष खुदाई में मिले हैं। हड़प्पा की खुदाई में सीसे की वस्तुएँ तांबे के साथ मित्र धातु के रूप में मिली थीं। सिक्कों को ढालने में सीसा का प्रयोग होता था।
  • leaf and dart ornament -- पर्ण-शर अलंकरण
श्रेण्य कालीन सज्जा-पट्टी, जिसमें पत्तों एवं वाण की आकृति एक-के-बाद एक क्रम से बनाई जाती थी।
  • lecythus (=lekythos) -- कुप्पी, लेसिथस, लेकिथोस
प्राचीन काल में यूनानियों द्वारा तेल, मरहम इत्यादि रखने के लिए निर्मित एक पात्र विशेष जो प्रायः बेलनाकार होता था। श्वेत, बहुरंगी अलंकरणों से युक्त लेसिथ पात्र अनेक कब्रों मे मिले हैं।
  • ledger -- समाधि-शिला
किसी समाधि या कब्र के ऊपर रखा समतल पत्थर। ऐतिहासिक युग में, ऐसे अनेक पत्थरों पर लेख अंकित किए जाते थे।
  • ledget pot -- कगरीदार भांड
वह पात्र जिसके ऊपरी भाग का सिरा ऊपर की ओर कुछ ऊँचा उठा हुआ हो।
  • leister -- 1. मत्स्यशूल
मध्यपाषाण और नवपाषाणकालीन झील आवासों से मिला मछली पकड़ने का भाला। इस भाले में दो अस्थियाँ या कांटों सहित, अंदर या पीछे की ओर मुड़े दो शृंग-मुख बने होते थे।
2. नेज़ा
मछली मारने का बरछा या भाला।
  • leiwen -- लेवेन
एन्यांग तथा झाओकालीन (लगभग ई. पू. से ई. पू. 9 वीं शताब्दी) कांस्य पात्रों पर प्राप्त अलंकरण अभिप्राय। धार्मिक संस्कारों में प्रयुक्त इन विशिष्ट पात्रों पर गोल, कोणदार सर्पिल अलंकरण बने होते थे।
  • Levalloisian culture -- ल्वाल्वाई संस्कृति
फ्रांस के एक उपनगर ल्वाल्वा पैरे (Levalois Perret) के नाम पर नामित एक मध्य पूर्व पाषाण संस्कृति। वर्तमान काल में इस संस्कृति के स्वतंत्र अस्तित्व को नहीं स्वीकार किया जाता है।
  • Levalloisian technique -- ल्वाल्वाई प्रविधि
सामान्य शल्क, त्रिकोणात्मक शल्क तथा फलक निकालने की एक प्रविधि जिसका नामकरण फ्रांस में पेरिस के एक उपनगर ल्वाल्वा पैरे के नाम पर पड़ा। इस प्रविधि के अंतर्गत शल्क निकालने से पूर्व क्रोड का इस प्रकार गठन किया जाता है कि निश्चित स्थल पर आघात करने से वांछित आकार-प्रकार के शल्क अथवा फलक निकाले जा सकें। फ्रासुआ वोर्दे के अनुसार इस प्रविधि का प्रयोग पूर्वपाषाणकाल से नवपाषाणकाल तक किया जाता था।
  • li -- ली
(1) चीन के नवपाषाण और कांस्ययुग में प्रचलित, कांसे या मिट्टी का बना पात्र। यह नाव की तरह का होता है। इसमें तीन खोखले पाए होते हैं, जिन पर यह टिका रहता है।
(2) चीन में प्रचलित दूरी का एक पैमाना जिसका उल्लेख भारत में आए चीनी-यात्रियों के यात्रा-विवरणों में मिलता है। एक ली का माप 1/3 मील के बराबर है।
  • Ligurian man -- लिगूरी मानव
दक्षिण-पश्चिमी इटली, स्विट्जरलैंड तथा दक्षिण-पश्चिमी गाल प्रदेश की आदिवासी प्रजाति।
  • Linear A -- लिनियर ए' लिपि
प्रारंभिक कांस्ययुगीन क्रीट की मिनोअन सभ्यता में प्रयुक्त एक लिपि। यह लिपि मृदा फलकों पर उत्कीर्ण मिलती है जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। इस लिपि को यह नाम ब्रिटिश पुरातत्ववेत्ता सर आर्थर इवास (ई. 1851-ई. 1941) ने दिया। इसका सर्वप्रथम प्रमाण फेस्टास (phaestos) से प्राप्त गोलाकार मृत्तिका फलक (Phastos Disc) पर मिला था।
  • Linear B -- लिनियर बी' लिपि
कीट के परवर्ती मिनोअन तथा यूनान के माइसिनियनकालीन (ई. पू. लगभग 1500) मृदा पट्टिकाओं पर प्राप्त यूनानी भाषा की एक लिपि विशेष। सर्वप्रथम इस लिपि को ई. 1952 में माइकेल वेनट्रिस ने पढ़ा।
  • linear pottery culture -- रेखांकित मृद्भांड संस्कृति
मध्य यूरोप की आद्य-खाद्योत्पादक संस्कृति। इस संस्कृति के विशिष्ट मृद्भांडों की सतह पर रेखाकार आकृतियाँ (वृत्ताकार, आड़ी-तिरछी तथा सर्पिल) चित्रित अथवा खचित मिलती हैं। इस संस्कृति के प्रमुख उपकरणों में प्रस्तर निर्मित पालिशदार बसूले तथा लघुपाषाणोपकरण हैं। ये झूम-कृषि (slash and burn) से परिचित थे तथा मृतकों को दफनाते थे। इस संस्कृति का प्रसार क्षेत्र पूर्वी हंगरी से नीदरलैंड्स तक था। इसका काल ई. पू. 4500-ई. पू. 4000 आँका जाता है।
इस संस्कृति को जर्मन भाषा में 'लिनेनबण्डकेमारिक' संस्कृति कहते हैं जिसका संक्षिप्त अंग्रेजी नामकरण 'LBK' संस्कृति हैं। इसे डेन्यूबी I संस्कृति भी कहते हैं।
  • lithic culture -- पाषाण संस्कृति
वह प्रागैतिहासिक संस्कृति, जिसमें मनुष्य ने मात्र पत्थर के उपकरणों का निर्माण और प्रयोग करना शुरू किया। पाषाण संस्कृति में, पुरापाषाण, मध्य पाषाण और नवपाषाण संस्कृतियाँ अंतर्निहित हैं।
  • living Fossil -- जीवित फासिल, जीवित जीवाश्म
(क) वह पौधा या पशु, जिसके अनेक वर्ग रहे हों, किंतु अब केवल यह एक ही वर्ग बचा रह गया हो।
(ख) अत्यधिक प्राचीन प्रजाति समूह से निकला पशु, जो बहुत कम परिवर्तनों के साथ अभी भी विद्यमान हो।
  • localized culture -- स्थानिक संस्कृति
वह संस्कृति, जिसका विस्तार किसी छोटे क्षेत्र या स्थान विशेष तक सीमित हो।
  • loch Lomond stadial -- लोक लोमोन्ड प्रावस्था
डेवेन्शियन शीतयुगीन लघु अवधि जिसका काल आज से 10, 009-11, 000 वर्ष पूर्व आँका जाता है। इस काल में स्कॉटलैंड तथा वेल्स के ऊँचे पर्वतों पर छोटे-छोटे हिमनद बन गए थे।
  • lock ring -- केश कुंडल
सोने-चाँदी या तांबा-पीतल से बना वृत्ताकार अलंकरण, जो संभवतः केश-गुच्छ को बाँधने के काम आता था। उत्तरी यूरोप के पूर्व एवं मध्य कांस्य युग में यह आभूषण लोकप्रिय था।
  • loculus -- समाधि-कोष्ठ
किसी प्राचीन तुंब का वह भीतरी भाग, जहाँ पर मृत शरीर या उसके भस्मावशेष सुरक्षित रखे जाते थे।
  • loess -- लोएस
वायु द्वारा निक्षेपित, मुख्यतः सिल्ट की साइज़ के शैलकणों तथा खनिज-कणों से संघटित एवं असंपीडित तथा अस्तरित अवसादी निक्षेप जिसमें सामान्यतः थोड़ी-बहुत मात्रा में सूक्ष्म बालू और मृत्तिका भी मिली होती है। इसका रंग हल्का भूरा, पीला या धूसर होता है और इसकी विशेषता यह है कि यह अत्यंत प्रवण या सीधे खड़े ढालों पर टिका रह सकता है।
  • long barrow -- लंबा बेरो, लंबी समाधि
एक या एक से अधिक शवाधानों के ऊपर बने एक लंबे टीले पर स्थापित संरचना। ब्रिटेन में, मिट्टी के बने और लंबे आकार वाले पूर्व और मध्य नवपाषाणकाल के बेरो मिले हैं। दूसरे प्रकार के लंबे आकार के बेरो वीथी कब्रों पर स्थापित महापाषाण स्मारकों में मिले हैं।
  • loom -- करघा, खड्डी, वेम
हाथ से कपड़ा बुनने का एक यंत्र। प्राचीन वस्त्रों को देखकर तत्कालीन करघों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता हैं। प्राचीन मिस्र में क्षैतिजाकार करधा तथा सीरिया और मैसोपोटामिया में उर्ध्वाधर करघा प्रचलित था।
  • Lothal -- लोथल
गुजरात प्रदेश में, खंभात की खाड़ी के ऊपर सरगवाला गाँव के समीप स्थित हड़प्पाकालीन नगर। उत्खनन से यहाँ दो काल प्रकाश में आए। काल 'क' संस्कृति ह्रासोन्मुख अवस्था का है। लोथल की प्रमुख विशेषता है, रक्षा प्राचीरों से घिरी एक ही बस्ती का दो भागों में विभाजन, जिन्हें 'एक्रोपोलिस' तथा निम्न नगर का नाम दिया गया है। इसके अतिरिक्त दो अन्य विशेषताएँ लोथल को दूसरे हड़प्पाकालीन नगरों से भिन्न बनाती हैं- पकी ईंटों से बनी समलंबाभ (trapezoidal) गोदी तथा समीपवर्ती गोदाम। उत्खननकर्ता एस आर राव के अनुसार गोदी में पानी लाने के लिए समद्र से लोथल तक एक नहर थी, जिसमें इतना जल होता था कि जहाज सरलता से आ-जा सकें। मह्त्वपूर्ण बात यह है कि गोदाम के समीप ही 65 मिट्टी के मुद्रांक (sealing) मिले हैं जिनके पृष्ठ भाग पर रस्सीआदि के चिह्न हैं। साथ ही एक स्टिएटाइट की बनी फारस की खाड़ी प्रकार की मुद्रा भी प्राप्त हुई है। इस स्थल से एक मिट्टी से बनी जहाज की प्रतिमूर्ति तथा कुछ पाषाणलंगर भी प्राप्त हुए हैं। उत्खनन से प्राप्त साक्ष्य लोथल को एक औद्योगिक केन्द्र भी प्रमाणित करते हैं। कार्नेलियन के मनके बनाने का यहाँ उद्योग था।
  • lower register -- निम्न पट्टिका
किसी उद्भूत खंड का निम्न भाग।
  • lozenge pattern -- हीरक
हीरे की आकृति की तरह बनी सज्जा-पट्टी।
  • lunate -- अर्धचंद्राकार उपकरण, लूनेट
लघुपाषाणीय उपकरण, जिसका आकार आधे चंद्रमा होता है। इसका वृत्तांश कुंठित और इसकी सीधी भुजा प्रायः अनगठित (unretouched) होती है। वस्तुतः यह अर्ध-बहुमूल्य पत्थरों से निर्मित सूक्ष्म पाषाण उपकरण था। इसका उपयोग संश्लिष्ट (composite) उपकरण के रूप में किया जाता है।
  • lunula -- अर्धचंद्राकार आभूषण, लुनूला
संभवतः गले में पहना जानेवाला सोने का आभूषण। इस पर हुए उत्कीर्ण अलंकरण से यह अनुमान लगाया जाता है कि यह जेट (एक काला पत्थर) कंठहार की प्रतिकृति था। पूर्व कांस्ययुगीन आयरलैंड तथा स्कॉटलैंड के 'खाद्य भांड संस्कृति' के लोगों ने इस आभूषण का प्रयोग किया था।
  • lur -- ल्यूर
उत्तर कांस्ययुगीन उत्तरी यूरोप से प्राप्त कांसे का तुरही सदृश विशाल वाद्य, जिसे फूंककर बजाया जाता था। यह दो स्थानों पर वक्राकार होता था और इसके एक छोर पर गोल आकृति बनी होती थी।
  • Lusatian culture -- लुसेती संस्कृति
देखिए : 'Lausitz culture'.
  • Lustrous Red Ware -- चमकदार लाल भांड
ताम्रपाषाणकालीन चमकीले लाल के विशिष्ट मृदापात्र। इस प्रकार के पात्र सर्वप्रथम गुजरात के रंगपुर (जिला सुरेन्द्र नगर) नामक स्थल से उत्खनित स्तरों में मिले। इनका काल ई. पू. 1100 से ई. पू. 800 के बीच आँका गया है। यह गुजरात में हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवसान से संबंधित है।
  • lynchet -- सोपान-कगार, लिंशेट
प्राचीन काल में पहाड़ों में कृषि के लिए बनाए गए मानव निर्मित सीढ़ीनुमा खेत। वर्गाकार केल्टीय खेतों में वेदिका-कगार मिलते हैं, जो कांस्य युग से रोमन-ब्रिटिश काल के मध्यवर्ती माने जाते हैं।
  • mace -- गदा
एक प्रकार का प्राचीन भारतीय अस्त्र, जिसका दंड लंबा तथा ऊपरी सिरा अधिकतर गोलाकार और भारी होता था।
  • mace-head -- गदाशीर्ष
प्रागैतिहासिक पाषाण उपकरण, जो बहुधा वृत्ताकार बना होता था और संभवतः जिसके मध्य में बने एक छिद्र में लकड़ी का दस्ता या मूँठ फंसाया जाता था। कुछ प्राचीन गदाशीर्षों पर पालिश किए जाने के भी प्रमाण मिले हैं। प्राप्त गदाशीर्ष नाशपाती, बिंब, तारक और अंडे जैसी आकृति वाले हैं।
भारत में परवर्ती मध्य पाषाणकालीन तथा नवपाषाणकालीन संदर्भों में अनेक ऐसे गदाशीर्ष प्राप्त हुए हैं जिनके दोनों तल चपटे हैं। इनके प्रयोग के संबंध में विवाद है।
  • macellum -- मंडी
प्राचीन रोमन सभ्यता के नगरों का वह भाग जहाँ पर खाद्यान्न विशेषकर मांस का विशाल बाज़ार होता था। सम्राट नीरो ने रोमन नगर में एक विशाल दो मंजिली मंडी भवन (मेसिलम मेगनम) का निर्माण करवाया था।
  • Magdalenian art -- मग्दालीनी कला
उच्च पूर्व पाषाणकालीन संस्कृति के अंतर्गत वह कला, जिसका मग्दाली नाम फ्रांस के 'ला माद लेन' (La Magde-leine) स्थान के नाम पर पड़ा। मग्दालीनी गुहा कला के सर्वोत्कृष्ट नमूने अल्तामिरा (Altamira) में मिले हैं। इसके अतिरिक्त चित्रकला के नमूने फ्रांस के लास्का (Laseaux) तथा फों-द-गोम (Font-de-Gaume) से भी मिले हैं। इनमें अधिकांश पशु-आकृतियाँ हैं, जिन्हे एक अथवा एकाधिक रंगों से चित्रित किया गया था। इस कला के दो प्रमुख रूप गुहाचित्रकला एवं सुवाह्य कला (mobiliary art) हैं। सुवाह्य कला के अंतर्गत अस्थि, हाथीदाँत, शृंग तथा पत्थर की तराशी गई लघु कलाकृतियों तथा अलंकृत अस्त्र, उपकरण और आभूषण आते हैं।
  • Magdalenian culture -- मग्दालीनी संस्कृति
उच्च पूर्व पाषाणकालीन वह संस्कृति, जिसका नामकरण फ्रांस के दोरदोन (Dordogne) क्षेत्र के लामाद लेन नामक स्थान पर पड़ा। इस संस्कृति को छह चरणों में विभाजित किया जाता है। प्राप्त उपकरणों से ज्ञात होता है कि ये लोग मछली पकड़ने और रेंडियर का शिकार कर अपना जीवन-निर्वाह करते थे। ये रेंडियर शृंग से हारपून, बल्लम भाले इत्यादि बनाते थे। इनके विशिष्ट पाषाण उपकरण तक्षणी (ब्यूरिन), अंतखुरचनी आदि हैं। तक्षणी से शृंग तथा अस्थियों को तराशते थे। इस संस्कृति के गुफा चित्रों के अवशेष, अल्तामीरा (Altamira), लास्का (Laseaux) एवं फों-द-गोम (Font-de-Gaume) में मिले हैं।
फ्रांस और स्पेन के समीपस्थ भागों के अतिरिक्त इस संस्कृति के अवशेष ब्रिटेन, जर्मनी, चैकोस्लोवाकिया, पोलैंड आदि में मिले हैं। रेडियो कार्बन तिथिक्रम के अनुसार इस संस्कृति का काल ई. पू. 16000 से ई. पू. 10000 तक माना गया है।
  • maggot decoration -- कीट अलंकरण
मेगोट कीड़े की चित्राकृति या प्रतिकृति से युक्त अलंकरण।
  • Maglemosian culture -- मेग्लेमोसाई संस्कृति
उत्तर यूरोपीय क्षेत्र की प्रथम मध्य पाषाणकालीन संस्कृति। इसका काल ई. पू. 7000 और ई. पू. 5000 माना जाता है। यह संस्कृति निचले क्षेत्रों और कभी-कभी दलदली भूमि, छोटे द्वीपों, तालों तथा नदी तटवर्ती क्षेत्रों में मिलती है। इस संस्कृति के प्रमुख स्थल इंग्लैंड में स्टारकार (Star care) और जर्मन में डुवेनन्जे (Duvensce) तथा हालैंड में पैस्से (pesse) हैं।
इस संस्कृति से संबद्ध प्रमुख उपकरणों तथा वस्तुओं में लघु पाषाण उपकरण, फलकीत कुठार, बसूला, हड्डी के भालाग्र, लकड़ी के धनुष, पतवार तथा खात डोंगी आदि हैं। मछली पकड़ना तथा शिकार करना, इस संस्कृति के लोगों का प्रमुख व्यवसाय था। ये लोग लघु वस्तुओं पर ज्यामितिक नमूने बनाते थे। प्राप्त अवशेषों में ब्यूरिन, क्षुरक (scraper) आदि प्रमुख हैं। जंगलों को काटने के लिए भारी उपकरण जैसे चकमक-कुठार, बसूला, क्रोड, तक्षणी आदि भी प्राप्त हुए हैं।
इस संस्कृति के निर्माता प्राचीनतम नाविकों में से थे तथा इन्होंने कुत्ते को पालना प्रारंभ किया। डोंगी (Canoe) के अवशेष पैस्से तथा पालतू कुत्ते के अस्थि अवशेष स्टार कार से मिले हैं।
  • magnetic surveying -- चुंबकीय सर्वेक्षण
भूभौतिकी सर्वेक्षण की एक प्रचलित प्रविधि। इस प्रविधि में चुंबकत्वमापी यंत्र (magnetometer) की सहायता से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का बल मापन किया जाता है। निर्धारित स्थल में अनेक जालक (ग्रिड) बनाकर भूमि के समचुंबकीय चार्ट (isomagnetic chart) बनाए जाते हैं। भूगर्भित पुरावशेषों एवं संरचनाओं का पूर्वानुमान इस सर्वेक्षण प्रविधि से किया जाता है।
  • Magnetometer -- चुंबकत्वमापी यंत्र
भूमि के चुंबकीय बल को मापने का यंत्र। दो प्रकार के चुंबकत्वमापी यंत्र- प्रोटोन मेग्निटोमीटर तथा फलक्सगेट मेग्निटोमीटर- आजकल प्रचलित हैं।
  • Magosian -- मेगोसी
पाषाणकालीन वह संस्कृति, जिसके अवशेष पूर्वी अफ्रीका के क्षेत्रों में मिले हैं। यह संस्कृति दक्षिणी अफ्रीका में भी मिलती हैं। इस संस्कृति का काल लगभग ई. पू. 10,000-ई. पू. 6,000 माना जाता है। लघु पाषाण उपकरणों एवं छोटे फलकों के अतिरिक्त इसके प्रमुख उपकरण त्रिकोण पर्णाकार और समचतुर्भुजाकार नोक (point) वाले हैं। इन उपकरणों के एक या दोनों ओर काफी बारीकी से काम किया गया है।
  • Malwa Ware -- मालवा मृद्भांड
ताम्राश्मयुगीन मध्य भारत के मालवा पठार क्षेत्र में किए गए उत्खननों से प्राप्त एक मृद्भांड परंपरा। चाक निर्मित इन मृद्भांडों के गेरूए-लाल सतह पर काले एवं चाकलेटी रंग के वानस्पतिक एवं ज्यामितिक अलंकरण चित्रित मिलते हैं। प्रमुख पात्र-प्रकारों में नालीदार चषक, साधार तश्तरियाँ, पानपात्र तथा टोंटीदार हाँडी आदि हैं। नावदाटोली इस परंपरा का प्रमुख प्रतिनिधि पुरास्थल है। अन्य उत्खनित पुरास्थलों में नागदा, एरण, कायथा, बहल, दाइमाबाद, चांडोली, सोने-गाँव तथा इनामगाँव हैं। रेडियोकार्बन तिथि द्वारा इसका काल ई. पू. 1600 से ई. पू. 1200 के बीच माना गया है।
  • mammoth -- महाकाय हस्ति, मैमथ
प्रागैतिहासिक मानव का समकालीन, प्रसिद्ध और प्राचीन विशालकाय पशु। इसके देहावशेष, विशेषकर, साइबेरिया और अलास्का में, अत्यंत नूतन युगीन व्यूर्म (Wurm) हिमानी निक्षेपों में मिले हैं। इसकी ऊँचाई लगभग सवा चार मीटर थी। इसके दाँत लंबे, बड़े और वक्राकार होते थे। जलवायु ठंडी होने के कारण, इसके शरीर में बड़े और घने बाल होते थे। चतुर्थ हिमनदन काल में, इनके झुंड-के-झुंड दक्षिण इंग्लैंड में टेम्स नदी की घाटी में विचरण करते थे। साइबेरिया के हिमाच्छादित प्रदेश में मैमथ के 20,000 वर्ष पुराने अवशेष उसी स्थिति में मिले हैं, जो अतिनूतन (Pleistocene) काल में थे। हाथी की यह प्रजाति आज से लगभग दस हजार वर्ष पूर्व लुप्त हो गई।
  • manaia -- उत्कुटिकासन, उकडू बैठी मूर्ति
पंजों के बल, बैठने की मुद्रा, जिसमें घुटने वक्ष से सटे रहते हैं।
  • mandorla -- प्रभा-मंडल
नुकीला और अंडाकार या बादाम की आकृति से मिलता-जुलता प्रभा-मंडल, जिसे देवी-देवताओं या उनके चित्रों के पीछे दैवी तेज के रूप में दिखाया जाता है।
  • mano -- मेनो
उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका में पीसने तथा कूटने के लिए प्रयुक्त पाषाणोपकरण।
  • mansio -- विश्रामगृह, मेन्सियो
रोम के नगर-द्वार के निकट विशिष्ट व्यक्तियों के लिए निर्मित विश्रामगृह।
  • Marine archaeology -- समुद्री पुरातत्व
समुद्रों, बन्दरगाहों में जलमग्न प्राचीन अवशेषों के अध्ययन की विद्या। अधुनातन वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग कर तलहटी में पड़े पुरावशेषों का सर्वेक्षण कर उन्हें अध्ययनार्थ बाहर निकाला जाता है।
  • Marnians -- मार्नियन
उत्तरी फ्रांस की मार्न घाटी में प्राप्त ला-तेन के लौहयुगीन एक सांस्कृतिक वर्ग का पूर्वनाम जो अब प्रचलित नहीं है।
  • Maros point -- मारोस वेधनी
एक प्रकार की पाषाण निर्मित प्रक्षेप वेधनी। उसका आधार नतोदर तथा पुनर्गठित पार्श्व दंतुरित होता है। इंडोनेशियाई दक्षिणी सुलावेंशी संस्कृति के मारोस क्षेत्र के टोएलियन उद्योग का यह एक प्रमुख उपकरण था। उसकी कालावधि ई. पू. 4000-ई. पू. 1000 वर्ष आँकी गई है।
  • marquetry -- पच्चीकारी
धातु, प्रस्तर या काष्ठ में नगीने, रंगीन पत्थर अथवा किसी अन्य वस्तु के छोटे-छोटे खंडों को अलंकरणार्थ जड़ने या जमाने की क्रिया। पच्चीकारी करते समय जड़ी जानेवाली वस्तु को गहरे विवरों में इस प्रकार बिठाया जाता है कि वह सरलता से बाहर न निकल सके। किसी वस्तु में हाथीदाँत, काष्ट, मोती या शंख इत्यादि जड़ने की क्रिया को 'खचन कर्म' कहा जाता है।
  • Marschwitz culture -- मार्शवित्स संस्कृति
पूर्व कांस्ययुगीन यूनेटिस संस्कृति की प्रारंभिक प्रावस्था की एक क्षेत्रीय संस्कृति जो ओडर नदी के तटवर्ती क्षेत्र में विकसित हुई। इसका काल लगभग ई. पू. 1900-1800 आँका गया है।
देखिए : 'Unetice Culture'
  • mask -- मुखच्छद, परदा
प्राचीन श्रेण्य रंगाशालाओं में धारणीय आकृतियाँ या मुखौटे। नृत्य एवं उत्सव आदि के समय इस प्रकार के मुखौटे पहनकर लोगों का मन बहलाया था। स्वांग इत्यादि में अब भी इनका पर्याप्त प्रचलन है। प्राचीन यूनानी रंगमंचों में इनका बहुत अधिक प्रयोग होता था। विभिन्न भावों के लिए भिन्न-भिन्न आकार-प्रकार के मुखौटे होते थे। नाट्य-कला के विकास के साथ-साथ अनेक प्रकार के कलात्मक मुखौटे बने। इस्काइलस ने मस्तक और मुख सहित पूरे मुखौटे बनाए।
2. परदा : आड़ करने के काम में प्रयुक्त वस्त्र, धोती, साड़ी या चादर का वह भाग, जिससे मुँह ढका जाता है।
3. नकाब : चेहरा छिपाने या मुख ढकने का वस्त्र, मुखावरण।
  • masonry -- 1. चिनाई, चय विधि
चूना, सीमेंट या गारा लगाकर पत्थर, ईंट या टाइल से भवन निर्माण करने का तरीका।
2. राजगीरी
घर, भवन आदि बनाने की कला।
  • mastaba -- मस्तबा
मिस्र के प्राक् राजवंशीय तथा प्राचीन राजवंशीय कालों में मकबरों के ऊपर बनी आयताकार-संरचना। प्रायः राजकीय शवाधानों के सन्निकट सामंतों व अन्य राजकीय अधिकारियों को दफनाने के लिए ये निर्मित किए जाते थे। प्रारंभ में इनका निर्माण कच्ची ईंटों से किया जाता था, परन्तु बाद में महत्वपूर्ण व्यक्तियों के मस्तबा पत्थरों से भी निर्मित होने लगे। आगे चलकर इसी से पिरामिडों का विकास माना जाता है।
  • mattock -- गैंता
उत्खनन में प्रयुक्त उपकरण, जिसके ठीक बीच में लकड़ी का डंडा फंसाने के लिए छिद्र बना होता है।
  • Mauer -- माउएर
जर्मनी के हेडेलबर्ग के समीप स्थित एक स्थान जहाँ से होमो इरेक्टस मानव के निचले जबड़े का अवशेष ई. 1907 में प्राप्त हुआ।
देखिए : 'Heidelberg man'
  • mausoleum -- मकबरा
वह भव्य इमारत जिसमें किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के शव को दफनाया गया हो।
  • Mausoleum of Halicarnassus -- हेलिकारनेसस का मक़बरा
प्राचीन विश्व के सात आश्चर्यों में से एक 'मोसोलस' का मक़बरा, मोसोलियम के नाम से भी विख्यात है। यह दक्षिण-पश्चिमी एशिया के प्राचीन नगर केरिया में ई. पू. 350 में बनकर तैयार हुआ था। सर चार्ल्स न्यूटन ने, उत्खनन कर इसे खोज निकाला था।
  • Maya civilization -- माया सभ्यता
दक्षिणी मैक्सिको तथा ग्वातेमाला में केन्द्रित नई दुनिया की एक महत्वपूर्ण सभ्यता, जिसका उद्भव अज्ञात है। इस सभ्यता को तीन चरणों में विभक्त किया जाता है- पूर्व श्रेण्य काल, श्रेण्य काल तथा परवर्ती श्रेण्य काल। श्रेण्य काल की तिथि ई.292 से ई. 900 तक मानी जाती है। श्रेण्य माया सभ्यता की मुख्य विशेषताएँ उनके आनुष्ठानिक वास्तु, चित्राक्षर लिपि, ज्योतिष तथा पंचांग हैं। इस संस्कृति के विनाश के अनेक कारण बताए गए हैं।
  • Mayan calendar -- माया पंचांग
माया लोगों में प्रचलित सौर पंचांग। पश्चवर्त्ती मेक्सिको के पंचांग तथा दूसरे पंचांग इसी पर आधारित रहे। माया वर्ष में 365 दिन होते थे और कोई अधिवर्ष (leap year) नहीं होता था। वर्ष 18 महीनों में विभक्त था और प्रत्येक महीनों में 20 दिन होते थे। वर्ष के अंत में 5 दिन जोड़ दिए जाते थे।
  • Mazapan ware -- मैज़ापान मृद्भांड शैली
मेक्सिको के टौलटेक्स (Toltecs) लोगों द्वारा विकसित मृद्भांड कला की एक विशिष्ट शैली। इसमें वे पांडु धरातल पर तूलिका समूह द्वारा नारंगी अथवा लाल रंग से सीधी समानांतर या लहरियादार रेखाएँ चित्रित करते थे। मैज़ापान कटोरे मृद्भांड-कला केउत्कृष्ट नमूने हैं।
  • mean ceramic dating -- माध्य मृद्भांड तिथि-निर्धारण
मृद्भांडों के प्रलेखित साक्ष्यों के आधार पर उनकी माध्य तिथि निश्चित करने की विधि। यह विधि अमरीकी औपनिवेशिक स्थलों में मानव के निवास की तिथि निर्धारित करने के लिए स्टेनली साउथ द्वारा अन्वेषित की गई थी। इस विधि में अनेक कमियाँ हैं।
  • meander -- विसर्प
सरिता के मार्ग में लूप सदृश मोड़ या घुमाव। इसका विकास उस समय होता है जब सरिता, अपने मार्ग का पार्श्वीय स्थानांतरण मूल वक्रों के उत्तल पार्श्वों की ओर करके संतुलित तल पर बहने लगती है।
  • meander design -- घुमावदार अलंकरण
रेखा या पट्टी से बना नियमित घुमावदार चित्रण। इसमें सर्पिल एवं वर्गाकार अलंकरण प्रमुख हैं। इस प्रकार के अलंकरण प्रागैतिहासिक मृद्भांडों में बहुतायत से मिलते हैं।
  • medallion -- चित्रफलक, मेडोलियन
(क) यादगारस्वरूप बनाया गया विशाल पदक।
(ख) बड़े तमगे के आकार का फलक, जिसमें आकृति उत्कीर्णित हो।
(ग) दीवार, गवाक्ष या स्तंभ को अलंकृत करने के लिए बना अलंकरण।
(घ) सूचियों के ऊपर, अलंकरण के लिए बनाए गए तमगे जैसे आकार के गोलाकार फलक-चक्र। साँची, भरहुत तथा सातवाहन वेदिकाओं में इस प्रकार के चित्रफलक मिलते हैं।
  • Medes -- मीडियाई लोग
उत्तरी-पश्चिमी ईरान के भारोपीय भाषा-भाषी लोग। इनका उल्लेख क्लासिकी ग्रीको-रोमन साहित्य में मिलता है। ई. पू. आठवीं-छठी शताब्दी में हुए ईरान-मेसोपोटामिया संघर्ष में इन्होंने भाग लिया था। परंपरानुसार पायजामा का प्रयोग इन्होंने ही प्रारंभ किया था।
  • meditative pose -- ध्यानमुद्रा
बैठने की मुद्रा विशेष, जिसमें चिंतनरत अथवा आराधना करते हुए दिखाया गया हो।
  • Mediterranean race -- भूमध्यसागरीय प्रजाति
भूमध्यसागर के तटवर्ती प्रदेशों में रहनेवाली प्रजाति। इस प्रजाति की विशेषताएँ काली आँखें व केश, लंबा सिर, सँकरी नाक, घुँघराले बाल तथा छरहरा शरीर हैं।
  • medium -- माध्यम
किसी भी वस्तु के निर्माण में प्रयुक्त रचना सामग्री। उदाहरणार्थ, मूर्तिकला में कांसा, लोहा, प्रस्तर तथा काष्ठ एवं चित्रकला में तैल माध्यम, रंग माध्यम, कैनवस आदि।
  • medium relief -- मध्य उद्भृत
नक्काशी या तक्षण कर बनाई गई वह आकृति, जो उदभृत धरातल के न तो बहुत ऊपर उठी हो और न बहुत नीची हो।
  • megalith -- महापाषाण, महाश्म
अनगढ़ विशाल पाषाण-खंडों से बने मृतक संस्कार से संबद्ध प्राचीन स्मारक। इनके तीन मुख्य प्रकार प्राप्त होते हैं- शवाधान स्थल पर निर्मित महाश्म स्मारक, शवदाह के उपरांत शेष अवशेष पर बने स्मारक तथा मृतक की स्मृति में बनाए गए स्मारक, जो बहुधा मेनहिर के रूप में खड़े किए जाते थे। यूरोप में महाश्म स्मारकों को बनाने की परंपरा नवपाषाणकाल से ही प्रारंभ हो गई थी। इनका एक भव्य नमूना ब्रिटेन के 'स्टोनहेंज' स्मारक हैं। भारत में ई. पू. प्रथम सहस्राब्दि के प्रथमार्ध से लगभग ई. के प्रारंभ तक के लौह युग से संबद्ध अनेक स्मारक प्राप्त हुए हैं। इनका प्राधान्य दक्षिण भारत में दिखाई देता है। अनेक भारतीय जन-जातियों में यह स्मारक विधान अब भी प्रचलित है।
  • Meganthropus -- मेगान्थ्रोपस, बृहद्मानव
विलुप्त होमो इरेक्टस परिवार का एक विशाल मानव-समप्राणी। इसके जबड़े की हड्डियों के अवशेष वान कोन्डसवोल्ड ने ई. 1939 और ई. 1941 में मध्य जावा (इंडोनेशिया) के संगीरन जिले से प्राप्त किए थे। इसे विशाल प्राचीन जावा मानव ('मेगान्थ्रोपस पैलियो जावानिक्स') भी कहा जाता है।
  • Megarian ware -- मेगारा मृद्भांड
ई. पू. तृतीय शताब्दी के उत्तरार्ध में विकसित प्रसिद्ध यूनानी मृद्भांड परंपरा जिसका नामकरण प्राचीन यूनानी नगर मेगारा पर पड़ा। ये 'सेमियन मृद्भांडों' की ही एक किस्म थी। मेगारा मृद्भांडों की बनावट अत्यधिक परिष्कृत, रंग लाख की तरह चटख लाल तथा धरातल चमकदार होता था, जिस पर मुख्यतः फूल-पत्तियाँ एवं कभी-कभी मानव एवं पशु आकृतियाँ चित्रित होती थीं। भारतवर्ष में इस प्रकार के मृद्भांड तेर (जिला ओस्मानाबाद, महाराष्ट्र) की खुदाई में मिले हैं। तक्षशिला के उत्खनन में इनकी स्थानीय नकल मिली है।
  • megaron -- मेगारोन
प्राचीन यूनान की भवन-निर्माण योजना। इस निर्माण योजना में सामान्यतः तीन कमरे होते थे- एक विशाल कक्ष जिसके केन्द्र में भट्टी निर्मित होती थी, एक गलियारा तथा उसके आगे द्वार-मंडप। माइसीनियन राज-प्रासादों की केन्द्रीय संरचना इसी प्रकार की मिलती है। परन्तु यूनान में इससे पूर्व नवपाषाणकालीन संदर्भों में भी इस प्रकार की संरचनाएँ मिली हैं।
  • menhir -- नडुगल, मैनहिर
बहुधा मृतक की स्मृति में लंबवत् स्थापित पाषाण खंड। ये एकल अथवा अनेक रेखीय अथवा वृत्ताकार घरों के रूप में स्थापित मिलते हैं। यूरोपीय नवपाषाणकालीन संदर्भों में ये बहुधा मिलते हैं। भारत में महाश्म प्रकारों में इनकी गणना की जाती है।
  • Mesolithic age -- मध्यपाषाण काल
मानव संस्कृति के विकास का वह चरण, जो पुरापाषाणकाल का उत्तरवर्ती तथा नवपाषाणकाल का पूर्ववर्ती रहा। सामान्यतः मध्यपाषाणकालीन संस्कृटियाँ नूतनतम युग के प्रारंभिक चरण की हैं। इस युग के विशिष्ट उपकरण सूक्ष्माश्म हैं। इस युग का आरंभ ई. पू. 8000 के आसपास माना जाता है। भारत में भी इस युग के सूक्ष्माश्म उपकरण मिले हैं। इस युग में भी आजीविका का मुख्य साधन आखेट एवं खाद्य संग्रह था। भारत के विभिन्न भागों में भी सूक्ष्माश्म उपकरण विभिन्न संदर्भों में प्राप्त हुए हैं यथा- नदी तथा झील के तटवर्ती प्रदेश, खुले मैदान, बालू के टीले, शैलाश्रय आदि।
  • Mesopotamian civilization -- मेसोपोतामियाई सभ्यता
एशिया महाद्वीप में, दज़ला और फरात नदी के मध्यवर्ती क्षेत्र की प्रसिद्ध सभ्यता। अब इसका अधिकतर क्षेत्र आधुनिक ईराक में है। मेसोपोतामिया की सभ्यता निःसंदेह ऐसी उन्नत सभ्यता थी, जिसने विश्व की अनेक प्राचीन सभ्यताओं को प्रभावित किया। इस सभ्यता का प्रारंभ लगभग ई. पू. शताब्दी का आरंभिक माना जाता है। इसके अंतर्गत निम्न चार सभ्यताएँ तिथि क्रमानुसार आती हैं : --
सुमेरी, बेबिलोनियाई, असीरियाई तथा कैल्डियन।
  • metal detector -- धातु संसूचक, मेटल डिटेक्टर
विद्युत-चुंबकीय सर्वेक्षण में भूमिगत धातु निर्मित वस्तुओं के पता लगाने का एक यंत्र।
  • metallographic examination -- धातु परीक्षण
धातु की विश्लेषण की एक प्रविधि जिसमें धातु की क्रिस्टलीय संरचना का परीक्षण सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा किया जाता है। इस परीक्षण से धातु की निर्माण प्रक्रिया तथा मिश्रधातु की संरचना का ज्ञान होता है। इस प्रविधि का उपयोग पुरातत्व में प्राचीन धातुनिर्मित वस्तुओं की जाँच के लिए किया जाता है।
  • metamorphic rock -- कायांतरित शैल
पृथ्वी के धरातल के नीचे तापमान में हुए परिवर्तनों, रासायनिक प्रक्रियाओं और दबावों के कारण एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित चट्टान। ये रूपांतरित चट्टानें अनेक प्रकार की होती हैं। इनका निर्माण आग्नेय (igneous) या स्तरित (sedimentary) चट्टानों से हो सकता है। स्लेट, फाइलाइट, शिष्ट, संगमरमर आदि स्फटिक कायांतरित शैल हैं।
  • micaceous -- अभ्रकी
अभ्रक के रंग-रूप, उसकी चमक-दमक का; अभ्रकयुक्त। मृद्भांडों में बहुधा अभ्रकयुक्त मिट्टी का प्रयोग मिलता है।
  • Micoquian handaxe -- मिकोकियन हस्तकुठार
प्राचीन हस्तकुठारों का एक प्रकार। इसका नामकरण आकृति के आधार पर न होकर फ्रांस में स्थित ला मिकाक (La Micoque) नामक स्थान पर किया गया। इस उपकरण का निचला हिस्सा गोलाकार तथा कार्यांग असाधारण रूप से लंबा और नुकीला होता है।
  • micro burin -- सूक्ष्म ब्यूरिन, सूक्ष्म तक्षणी
सूक्ष्म पाषाण उपकरणों का एक उपोत्पाद (by product)। फलक (blade) में खाँचा (notched) बन जाने के उपरांत इसे मूल पत्थर से अलग कर लिया जाता है। फलक का एक भाग तो लघु पाषाण उपकरण बन जाएगा तथा अवशिष्ट भाग (सूक्ष्म ब्यूरिन) में मूल खाँचे और टूटने के चिह्न दिखाई देते हैं। कुछ समलंबाकार लघु पाषाण उपकरणों का निर्माण दो खाँचे यंत्र फलकों के मध्य भाग से बनाया जाता था, जिसके प्रत्येक छोर से एक-एक सूक्ष्म ब्यूरिन बनता है।
  • micro palaeontology -- सूक्ष्म जीवाश्मिकी, सूक्ष्म जीवाश्म-विज्ञान
बहुत छोटे आकार के जीवों का व्यवस्थित अध्ययन-विवेचन करने वाला विज्ञान। सूक्ष्म जीव भिन्न-भिन्न भूवैज्ञानिक कल्पों में विद्यमान रहे। पत्थरों में फॉसिल रूप में अंकित आकृतियों का अध्ययन और विवेचन सूक्ष्म जीवाश्मिकी में किया जाता है। समुद्र में प्राप्त फोरैमिनीफेरा के जीवाश्मों के आधार पर प्रतिनूतनकालीन तापमान का अध्ययन किया गया है।
  • microlith -- सूक्ष्माश्म, सूक्ष्म पाषाण
प्रस्तर के बने प्रागैतिहासिक लघु फलक उपकरण। ये उपकरण 12 मिमी. तक चौड़े तथा 5 सेमी. तक लंबे लघु फलकों पर निर्मित होते हैं तथा इनका एक पृष्ठ लुंठित होता है। इन्हें मुख्यतः दो भागों में विभक्त किया जाता है- (1) अज्यामितिक, और (2) ज्यामितिक। ये मध्य पाषाणकाल के प्रमुख उपकरण हैं। इनका प्रारंभ उच्च पूर्व पाषाणकाल से ही हो गया था। भारत की ताम्राश्मयुगीन संस्कृतियों में भी परिष्कृत सूक्ष्माश्म मिले हैं।
  • mid rib -- मध्य शिरा
(क) किसी उपकरण आदि के बीच का उठा रेखीय भाग।
(ख) किसी कांस्य उपकरण को अतिरिक्त मज़बूत बनाने के लिए उसकी मध्य रेखा का उभार।
पाषाणकालीन फलकों एवं फलक-क्रोडों में भी मध्य शिरा प्रमुख रूप से देखी जाती हैं।
  • midden -- घूरा, कूड़ा-करकट का ढेर
बस्तियों के निकट सामान्यतः प्राप्त कूड़े का ढेर, जिसमें टूटे-फूटे बर्तन तथा अन्य वस्तुएँ, कोयला, राख, खाद्य पदार्थ, हड़डियाँ आदि मिलती हैं। पुरातत्ववेत्ता पुराने घरों में प्राप्त सामग्री के अध्ययन से तत्कालीन संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करते हैं। उत्तरी यूरोप की किचन मिडेन (kitchen-Midden) संस्कृति का ज्ञान इसी प्रकार हुआ।
  • Middle Horizon -- मिडिल होराइज़न
पेरू के पुरातात्विक काल-विभाजन के सात-चरणों में से एक चरण जिसका काल ई. 600-ई. 1000 माना गया है।
  • Middle Mississipi Culture -- मध्य मिसीसिपी संस्कृति
उत्तरी अमरीका के मध्य मिसीसिपी घाटी तथा उसकी सहायक नदियों के तट पर विकसित ग्राम्य संस्कृति। इसका काल लगभग ई. आठवीं सदी से ईसवी सत्रहवीं सदी तक माना जाता है। इस संस्कृति की प्रमुख विशेषता आनुष्ठानिक केन्द्र युक्त विशाल आरक्षित ग्राम, समुन्नत मृद्भांड परंपरा तथा कृषि और आखेट पर आधारित अर्थव्यवस्था थी।
  • middle stone age -- मध्य पाषाण काल
अफ्रीका में पुराश्मकालीन सांस्कृतिक विकास की द्वितीय अवस्था। इस शब्द का प्रयोग कुछ समय तक भारतीय प्रागैतिहास में भी किया जाता रहा। अफ्रीका में सांगोआन इस काल की प्रमुख संस्कृति है।
  • Midland man -- मिडलैंड मानव, मध्यदेश मानव
संयुक्त राज्य अमरीका के टेक्सास राज्य के मिडलैंड नामक प्रदेश में प्राप्त मानव अवशेष, जिनका काल लगभग ई. पू. 9,000 आँका गया है।
  • mile fort (=mile post) -- मील दुर्ग, मील चौकी
प्राचीन रोमन साम्राज्य के सरहदी क्षेत्रों की रक्षा-व्यवस्था के लिए प्रत्येक रोमन मील (1620 गज = 1482 मीटर) की दूरी पर बनी चौकी या बुर्जी। प्राचीन हेड्रियन दीवार (Hadrian's Wall) में इस प्रकार की छोटी चौकियों की आयाताकार योजना मिलती है।
  • Minbres -- मिम्ब्रेस
दक्षिणी-पश्चिमी संयुक्तराज्य अमरीका की एक संस्कृति जिस पर अनासाज़ी (Anasazi) परंपरा का गहरा प्रभाव परिलक्षित होता है। यह संस्कृति अपनी विशिष्ट मृद्भांड परंपरा के लिए जानी जाती है जो ई. 900-ई. 1200 तक प्रचलित रही। इन मृद्भांडों में श्वेत लेप पर काले रंग के ज्यामितिक एवं प्राकृतिक चित्रण मिलते हैं।
  • Mindel -- मिंडेल
अत्यन्त नूतन (Pleistocene) काल में आल्पस क्षेत्र में चार हिमावर्तनों में से दूसरा। ई. 1909 में दो यूरोपीय वैज्ञानिकों पेंक और ब्रक्नर ने, आल्पस पर्वत के उत्तर में डेन्यूब घाटी की ओर बहने वाली चार छोटी नदियों के नाम पर आल्पीय हिमावर्तनों को क्रमशः गुंस (Gunj), मिंडेल(Mindel), रिस (Riss) और व्युर्म (Wurm) नाम दिया।
  • Mindel-Riss -- मिंडेल-रिस
आल्पस क्षेत्र के चार हिमावर्तनों के मध्यवर्ती तीन अंतरा-हिमानी कालों में दूसरा। यह काल मिंडेल और रिस हिमावर्तनों का मध्यवर्ती है।
देखिए : 'Mindel'.
  • miniature -- लघु चित्र
छोटे आकार के बारीकी से बनाए गए चित्र, छवि चित्र (portrait) आदि। ये प्रायः पांडुलिपियों में या अलग से अलंकरण के लिए निर्मित किए जाते थे। इस प्रकार के चित्रण मुगल, राजपूत, कांगड़ा तथा दक्किनी शैलियों में विशेष रूप से मिलते हैं।
  • miniature paintings -- लघु चित्र
छोटे आकार के वे चित्र जो प्रायः कागज तथा ताड़पत्रों के हस्तलिखित ग्रंथों में सजाने अथवा वर्णित प्रसंगों को स्पष्ट करने के लिए बने हों।
  • Minoan civilization -- क्रीट सभ्यता, मिनोअन सभ्यता
क्रीट द्वीप की कांस्यकालीन सभ्यता, जिसका काल लगभग ई. पू. 3,000 से ई. पू. 1,450 तक माना जाता है। पुराकथाओं में उल्लिखित मिनोस नामक शासक के नाम के आधार पर सर आर्थर ईवान्स ने इसे मिनोअन सभ्यता कहा जो तथ्य संगत नहीं है। ईवान्स ने इस सदी के प्रारंभिक वर्षों में नौसोस (Knossos) का उत्खनन् कर इस समृद्ध सभ्यता के व्यापक स्वरूप को उद्धाटित किया। यहाँ से ज्ञात विशाल राज प्रासाद, विशिष्ट मृद्भांड, सोने-चाँदी तथा कांस्य के आभूषण, मुहरें, मूर्तियाँ, भित्ति-चित्र इस सभ्यता के कलात्मक वैभव को दर्शाते हैं। फैस्टोस (Phaestos) से प्राप्त लिपि (Linear A) अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है। नौसोस के अतिरिक्त मालिया (Mallia) और फैस्टोस (Phaestos) से भी राजप्रासाद के अवशेष मिले हैं। यह यूरोप की प्रथम सभ्यता है।
  • Minoan culture -- मिनोअन संस्कृति
ई. पू. 3000 से ई. पू. 1400 की एक कांस्यकालीन क्रीट की संस्कृति जिसकी सबसे परवर्ती माइसिनियन थी। मिनोअन भाषा के अभिलेख मिले हैं। इस संस्कृति ने अनेक परवर्ती संस्कृतियों को प्रभावित किया।
  • Minotaur -- नरवृषभ, मिनोटार
यूनानी पुराकथाओं में वर्णित राक्षस विशेष, जिसका सिर बैल का और धड़ मानव का बताया गया है। मिनोटार और उससे संबंधित कथानकों का अंकन पुरावशेषों में प्राप्त होता है।
  • Minyan ware -- मिनियाई भांड
लगभग ई. पू. 1900 की मध्यकांस्यकालीन, उत्तरी और मध्य यूनान की एक विषिष्ट मृद्भांड परंपरा। ये धूसर और पीले रंग के मृद्भांड चाक पर बने होते थे। वैभवशाली माइसिनि सभ्यता के मृद्भांडों की उत्पत्ति इस मृद्भांड परंपरा से मानी जाती है। कतिपय पुराविद् इस परंपरा के निर्माताओं को प्रथम यूनानी (First Greeks) मानते हैं।
  • Miocene epoch -- मध्यनूतन युग
भूवैज्ञानिक तृतीय कल्प के आदिनूतन (eocene) और अतिनूतन (pliocene) के बीच का युग। इसी काल में विश्व की कुछ महत्वपूर्ण पर्वत श्रेणियों का निर्माण प्रारंभ हुआ।
  • missing link -- विलुप्त कड़ी
मानवसम प्राणी और मानव के बीच की वह कड़ी, जिसे अब तक खोजा नहीं जा सका। विकासवाद के प्रवर्तक, डार्विन के अनुसार, मनुष्य उस प्राइमेट (primate) परिवार का सदस्य है, जिसमें लंगूर, गोरिला, चिम्पांजी, बंदर एवं एप (ape) परिगणित किए जाते हैं। इनके पूर्वज से प्रारंभिक जीव युग के प्राणियों का विकास हुआ।मानव के क्रमिक विकास से संबद्ध पर्याप्त सामग्री अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। यह माना जाता है कि अपने पैरों पर खड़े होने वाले मानवसम प्राणी और मानव के मध्यवर्ती विकास-काल में निश्चय ही कोई ऐसा प्राणी रहा होगा, जिससे मानव का विद्यमान रूप विकसित हुआ। विकास के बीच की इस कड़ी को नृविज्ञानी 'लुप्त कड़ी' कहते हैं।
  • Mississipi tradition -- मिसीसिपी परंपरा
मध्य मिसीसिपी घाटी में विकसित उत्तरी अमरीका की अंतिम प्रमुख प्रागैतिहासिक सांस्कृतिक परंपरा। इस परंपरा का विस्तार दक्षिणी पूर्वी अमरीका से उत्तर में अजटलान (विस्कोन्सिन) तक मिलता है। यह एक कृषि प्रधान संस्कृति थी जिसकी प्रमुख विशेषता शंख-जटित मृद्भांड तथा चकमक पत्थर से निर्मित कुदाल है। इस परंपरा का समारंभ लगभग ई. 700 माना जाता है और यह ई. 1200-ई. 1400 तक पूर्ण वैभव में रही। ई. सत्रहवीं शताब्दी में यह समाप्त हो गई।
  • Mitannian -- मितानी
उत्तरी मेसोपोटामिया में, दज़ला फरात नदी की घाटी में स्थित राज्य, जो लगभग ई. पू. 1500 में स्थापित हुआ। यह राज्य एक शताब्दी से कुछ अधिक समय तक चलता रहा। हित्ती लोगों ने, इसे लगभग ई. पू. 1370 में समाप्त कर दिया। इस राज्य के लोग हुरी कहे जाते थे। अभिलेखों में इस राज्यवंश के शासकों तथा उनके द्वारा पूजित देवताओं के जो नाम मिलते हैं वे वैदिक आर्य नामों से मिलते हैं। इसी आधार पर इन्हें भारोपीय कहा गया है।
  • Mithraeum -- मिथ्र उपासनागृह
प्राचीन रोम देवता मिथ्र की उपासना के लिए बना गृह इसमें प्रायः एक मध्य वीथी (nave) तथा दो पार्श्व वीथी (aisle) बनी होती थी। मध्य वीथी के अंत में अलंकृत विभाजन-दीवार (reredos) बनी होती थी जिसमें मिथ्र देवता की आकृतियाँ तथा उनसे संबंधित पुराकथाएँ उत्कीर्णित होती थीं। मूलतः मिथ्र (संस्कृत-मित्र) प्रकाश, सत्य एवं अनुबंध के इंडो-ईरानी देवता थे।
  • Mithras -- मिथ्रास
सत्य का रक्षक और अंधकार के विरूद्ध अहुरमज्द का सहायक अवेस्ता में उल्लिखित देवता, जिसे परवर्ती काल में शंक्वाकार टोपी धारण किए युवा रूप में दिखाया गया है। कहा जाता है कि इसने दैवी वृषभ का वध किया। वृषभ के शरीर से मानव जाति के लिए कल्याणकारी पौधों तथा पशुओं का उद्भव हुआ। रोम शासनकाल में, इस देवता का महत्व पूर्वापेक्षा अधिक बढ़ गया और सैनिकों में भी इसकी पूजा होने लगी।
  • Mixtec -- मिक्सटेक
दक्षिण मेक्सिको के ओक्सेका नदी की ऊपरी घाटी में निवास करने वाले लोग एवं उनकी संस्कृति। मिक्सटेक लोगों के बारे में सूचना 'कोडेक्स' नामक प्राचीन मेक्सिकी पांडुलिपियों से मिलती है। ये लोग धातु-कर्म, मणिकारी तथा कलात्मक वस्तुओं के निर्माण में कुशल थे। इस संस्कृति का उद्भव ई. 692 में माना जाता है।
  • Moabite -- मोआबी
(1) मृत सागर के पूर्व में निवास करनेवाले प्राचीन सामी लोगों की एक जाति, जिनका हिब्रू समुदाय से निकट का संबंध था।
(2) मोआब के निवासी।
(3) सामी वर्ग की मोआबी भाषा जिसका हिब्रू भाषा से काफी साम्य था।
  • Moabite stone -- मोआबी पत्थर, मोआबी प्रस्तर पट्ट
19 अगस्त, ई. 1868 को क्लाइन (Klein) द्वारा मोआब में डिबोन नामक स्थान मे प्राप्त बेसाल्ट का काला पत्थर, जिसमें मोआब के राजा मेशा (Mesha) की इजरालियों पर विजय (ई. पू. 860) का उल्लेख है। इस अभिलेख में 34 पंक्तियाँ हैं, जो मोआबी वर्ण माला में लिखी हैं।
  • moat -- परिखा, खाई
राजप्रासाद की दीवार तथा किले की प्राचीर के चारों ओर रक्षा के लिए बनी चौड़ी और गहरे पानी से भरी नहर, जिसे आसानी से पार नहीं किया जा सके।
  • mobiliary art -- सुवाह्य कला
उच्च पूर्वपाषाणकालीन लघु कलाकृतियाँ, जो सुविधापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाई जा सकें, के लिए प्रयुक्त सामान्य शब्द। इसके अंतर्गत मूर्तियाँ, तक्षित अस्थि, शृंग, हाथीदाँत तथा पत्थर के उपकरण, अस्त्र एवं आभूषण आते है।
  • Mon-khmer -- मोन-ख़मेर
दक्षिण एशिया का एक भाषा परिवार। इस भाषा परिवार के अंतर्गत मोन, खमेर, इंडोचीन प्रायद्वीप तथा उत्तरी-पूर्वी भारत की पर्वतीय भाषाएँ आती हैं। अधुनातन शोधों के अनुसार वियतनामी भाषा भी इसी परिवार की है।
  • Mondsee culture -- मोंडसी संस्कृति
उत्तरी आस्ट्रिया की ताम्रकालीन संस्कृति जो अपने स्थूण-आवासों (Pile dwellings) तथा विशिष्ट अलंकृत मृद्भांडों के लिए प्रसिद्ध थी। स्थानीय खानों से प्राप्त खनिज का प्रगलन कर (smelting) संभवतः इन्होंने ही सर्वप्रथम ताम्र बनाना प्रारंभ किया।
  • Mongoloid people -- मंगोलाभ जन
मानव जाति के प्रजातिगत विभाजनों में से एक। इस प्रजाति के लोगों का रंग पीला, नाक चपटी, सिर तथा चेहरा चौड़ा, बाल काले तथा सीधे होते हैं। इस प्रजाति के लोगों में चीनी, जापानी, कोरियाई, तिब्बती, मंगोल, मंचू, बर्मी, अन्नामी आदि परिगणित किए जाते हैं।
  • monolith -- एकाश्म
विशेषतः बड़े आकार की एक पत्थर की संरचना। भारत में इस प्रकार की अनेक संरचनाएँ विभिन्न कालों में निर्मित हुई, यथा अशोक के स्तंभ, महाबलीपुरम के रथ, एलोरा का कैलाश मंदिर आदि।
  • monopteron (=monopteros) -- वृत्ताकार मंदिर
यूनानी या रोमन मंदिर, जो प्रायः वृत्ताकार होता था। इसके गर्भगृह में दीवारें न बनाकर घेरे में स्तंभ बनाए जाते थे। गर्भगृह के ऊपर शंक्वाकार छत बनाई जाती थी। एथेंस के एक्रोपोलिस के ऊपर निर्मित आगस्टस का मंदिर इस शैली के मंदिरों का एक भव्य उदाहरण है।
  • monument -- स्मारक
(1) भवन, स्तंभ, पाषाण-पट्ट या इसी प्रकार की कोई अन्य संरचना, जो किसी व्यक्ति, घटना या कृत्य को यादगार बनाए रखने के लिए बनी हो।
(2) सौ वर्ष से अधिक प्राचीन कोई महत्वपूर्ण वास्तु।
  • moraine -- हिमोढ़, मोरेन
हिमनद (glacier) द्वारा परिवाहित तथा निक्षेपित विभिन्न प्रमापों के अवसाद का संचय। हिमोढ़ अनेक प्रकार के होते हैं। तलस्थ हिमोढ़ (ground moraine), टेकरीकार हिमोढ़ तथा अग्रांतस्थ हिमोढ़ (end moraine) इनमें प्रमुख हैं।
  • Morpheus -- स्वप्न-देवता, मोर्फियस
यूनानी देवकथाओं में हिपनास का पुत्र मोर्फियस; इसे स्वप्न का देवता माना जाता था। यह मनुष्य की आकृति और बोली की नकल करने में समर्थ था। इसका उल्लेख धार्मिक कथाओं की अपेक्षा साहित्यिक उपाख्यानों में अधिक मिलता है।
  • mortar -- 1. ओखली, खरल
प्रागैतिहासिक काल से प्रयोग में लाई जाने वाली थोड़ी गहरी पात्राकार रचना। इसमें अनाज को मूसल की सहायता से कूटा या पीसा जाता था। इन्हें कभी-कभी फर्श में भी खोदकर बनाया जाता था। हड़प्पा की खुदाई में ओखली की तरह की वृत्ताकार रचनाएँ फर्श में बनी हुई मिली हैं। तक्षशिला के भीर और सिरकप नामक टीलों की खुदाई में पत्थर की ओखलियाँ मिली हैं, जिनकी तिथियाँ क्रमशः ई. पू. 300 तथा ई. 100 आँकी गई हैं। पत्थर, धातु, चीनी मिट्टी आदि की छोटे आकार की पेषणी को 'खरल' कहा जाता है जिसमें औषधियाँ कूटी जाती हैं।
2. गारा
मिट्टी, चूना, बालू आदि का वह लेप, जिससे किसी भी संरचना के निर्माण में पत्थर की ईंटों आदि की जुड़ाई तथा पलस्तर के लिए मिट्टी, चूना, बालू, जल आदि का मिश्रण होता था।
  • mosaic -- मोजैक
चित्रों और आलेखनों द्वारा भित्ति तथा फर्श सज्जा का एक टिकाऊ माध्यम जिसमें रंगीन संगमरमर, शीशा या अन्य रचना सामग्री के लघु खंडों को दीवार अथवा फर्श की सतह पर सीमेन्ट या अन्य किसी प्लास्टर की सहायता से जड़ा जाता था। इस शैली का व्यापक प्रयोग रोमनों ने फुटपाथों के लिए किया था। बाद में बाइजेंटाइन और इटली के गिरजाघरो की दीवारों को अलंकृत करने के लिए इसका प्रयोग किया गया। इस शैली के प्राचीनतम उदाहरण मिस्र और सुमेरिया में मिलते हैं।
  • Mother Goddess -- मातृदेवी
मातृत्व या प्रजनन शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाली देवी। विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में मातृदेवी का विशेष महत्व था। उसकी मूर्तियाँ मिट्टी तथा पत्थर से बनी मिलती हैं। यूरोप में कुछ उच्च पुरापाषाणकालीन संदर्भों से इस प्रकार की मूर्तियाँ मिली हैं जिन्हें 'वीनस' के नाम से अभिहित किया जाता है। अनमें विलनडार्फ (Willendorf) तथा डोलनी वेस्तोनिस (Dolni Vestonice) से प्राप्त प्रतिमाएँ प्रमुख हैं। भारत में भी बेलन घाटी से अस्थि निर्मित मातृदेवी की ही तरह की एक आकृति प्राप्त हुई है, जिसे उसके उत्खननकर्ता 'मातृदेवी' मानते हैं। निर्विवाद रूप से भारत में ऐसी मूर्तियाँ हड़प्पा काल से मिलती हैं। मातृदेवी की प्राचीनतम मूर्तियों का काल आज से तीस हजार वर्ष पूर्व माना जाता है।
  • mottee -- प्राचीर-अट्ट
प्रागैतिहासिक यूरोप में सामान्यतः काष्ठ-प्राचीर से घिरा टीला।
  • mound -- टीला
धरती के ऊपर उभरा हुआ भाग जो प्राकृतिक अथवा मानवीय कारणों से बना हो। बहुधा प्राचीन बस्तियों और संरचनाओं के अवशेषों पर टीले बन जाते हैं।
  • Mousterian -- मोस्तारी
दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस के दारदोन क्षेत्र के लमोस्तेयर प्रारूप स्थल के आधार पर दिया गया नाम। पहले इसे मध्य-पुरापाषाणकालीन एक संस्कृति माना जाता था। वर्तमान काल में मोस्तारी एक प्राविधिक स्तर है जो बहुधा विश्व पर्यन्त मध्य-पुरापाषाणकालीन संस्कृतियों में दृष्टिगोचर होता है। इस स्तर के अंतर्गत बहुधा वे उपकरण आते हैं जो पूर्व गठित क्रोडों से निकाले गए शल्कों (flakes) पर बने थे तथा उन पर नियमित पुनर्गठन के चिह्न विद्यमान थे।
फ्रांसुआ बोर्दे ने दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस में मोस्तारी स्तर की चार संस्कृतियों को पहचाना है- विशिष्ट मोस्तारी (typical Mousterian), शारेन्तियन (इसके ला-किना तथा ला-फेरासी नामक दो उपभाग हैं), दंतुरित मोस्तारी तथा अश्यूलियन परंपरा की मोस्तारी। उल्लेख्य है कि नियान्डरथाल मानव के अवशेष केवल प्रथम दो संस्कृतियों से ही संबद्ध हैं। यों तो ये चारों सांस्कृतिक वर्ग समकालीन थे तथा इनके अवशेष व्युर्म हिमानी के प्रारंभ से लगभग ई. पू. चालीस हजार वर्ष तक के स्तरों में पाए गए हैं, तथापि अनुमान किया जाता है कि इनका प्रारम्भ रिस-व्युर्म अंतरहिमानी में हुआ होगा। इन सांस्कृतिक वर्गों के प्रमुख उपकरण प्रकार हैं मोस्तारी वेधनी, विभिन्न प्रकार की पार्श्व खुरचनी (side-scraper), दंतुरित उपकरण, खांचेदार उपकरण आदि।
मोस्तारी स्तर के उपकरण अफ्रीका, पश्चिमी एशिया तथा भारत में पाए जाते हैं।
  • Mousterian technique -- मोस्तारी प्रविधि
मोस्तारी प्रविधि लवाल्वाई प्रविधि का ही एक प्रकार है। इस प्रविधि के द्वारा त्रिकोणाकार शल्क निकाले जाते थे। पत्थर को चारों ओर से गढ़कर गोल कर लिया जाता था तथा उसकी एक सतह को इस प्रकार गढ़ा जाता था कि उसमें से नुकीले त्रिकोणाकार शल्क सरलता से निकाले जा सकें। मोस्तारी प्रविधि क्रोड़ों पर चारों ओर केन्द्र की दिशा में निकाले शल्क-चिह्न विद्यमान रहते थे, तथा आघात-पट एक स्थान पर न होकर चोरों ओर होता था। सामान्यतः ये क्रोड़ बीच में मोटे तथा किनारों की ओर पतले होते थे। कभी-कभी क्रोड़ की दोनों सतहों से भी शल्क निकाले जाते थे।
  • mud brick -- कच्ची ईंट
धूप में सुखाई गई ईंट। भवन निर्माण के लिए इस प्रकार की ईंटों का प्रयोग नवपाषाणकाल से होता था।
  • muller -- बट्टा, लोढ़ा, पेषणी
पत्थर, लकड़ी, धातु आदि का बना हुआ बेलनाकार पीसने, कूटने अथवा मिश्रण के लिए प्रयुक्त उपकरण जिसे हाथ से पकड़कर प्रयोग में लाया जाता है। इस प्रकार के उपकरण नवपाषाणकाल से ही मिलने लगते हैं।
  • multivallate fort -- बहुप्राचीर दुर्ग
एक से अधिक परकोटे या चहारदीवारों से युक्त किला। इस प्रकार के परकोटे मध्यकाल में पाए जाते हैं।
  • mummy -- ममी
सड़ने-गलने के विरूद्ध बचाव की दृष्टि से लेपादि लगाकर सुरक्षित बनाया गया मृत मनुष्य या पशु का शरीर। लगभग ई. पू. 3000 से ही पिरामिडकालीन मिस्री लोग शवों को विटूमन मसाले, गोंद, नेट्रोन तथा शहद इत्यादि विशिष्ट मसालों ले लेपित कर परिरक्षित करते थे। शरीर के आंतरिक सड़नेवाले भागों को काट कर उनमें मसाला भी भरा जाता था। इसके उपरांत शव को सूती वस्त्र में कसकर लपेट दिया जाता था। ममी को आभूषण पहनाए जाते थे और उसके निकट दैनंदिन प्रयोग की आवश्यक वस्तुएँ रखी जाती थी। मानव-शवों को कब्र में रखने के पूर्व लकड़ी, पाषाण या सोने के बने मानवाकृति बक्सों में रखा जाता था। विश्व के अनेक संग्रहालयों में मिस्र की ममियाँ या प्रतिकृतियाँ आज भी प्रदर्शित की जाती हैं।
  • mummy case -- ममी पेटिका
वह मानवाकृति संदूक या ताबूत, जिसमें मिस्री लोग शव को सुरक्षित रखते थे।
  • mummy pot -- ममी भांड
प्राचीन मिस्र में पशुओं की ममी को सुरक्षित रखने के पात्र।
  • Munsell soil color chart -- मंसल मृदा रंग-चार्ट
प्राप्त मिट्टी के रंग और संरचना के सही अंकन के लिए ए. मंसल द्वारा बनाया गया एक मानक चार्ट। इससे स्तरों के रंग-रूप का ज्ञान उस व्यक्ति को भी हो सकता है जिसने उसे प्रत्यक्ष में नही देखा हो। इससे मिट्टी, तलछटों और मृद्भांडों में प्रयुक्त मिट्टी की विशेषताओं का भी ज्ञान हो सकता है।
  • mural -- भित्ती-चित्र
दीवारों एवं अंतश्छद को सजाने के लिए बने चित्र। भारत में अजन्ता, बाघ और बृहदेश्वर की गुफाओं तथा बृहदेश्वर मंदिर आदि के चित्र इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
  • murus gallicus -- गैलिक भित्ति, म्यूरस गैलीकस
लकड़ी के ढ़ाँचे की सहायता से मिट्टी या पत्थर के बने परकोटे को अपेक्षाकृत अधिक सदृढ़ बनाने की प्रविधि। गैलिक भित्ति में लकड़ी को खड़ा नहीं रखा जाता, वरन् क्षैतिजाकार रखा जाता है, जो लोहे के आँकड़ों से बँधी होती है। गाल की दीवार या म्यूरस गैलीकस का सामना सीजर ने केल्टिक कबीले के अभियान के समय किया।
  • museology -- संग्रहालय-विज्ञान
किसी संग्रहालय के संगठन, प्रबंध, व्यवस्थापन तथा उसमें रखी वस्तुओं के संग्रह, प्रदर्शन, संरक्षण तथा प्रलेखीकरण आदि से संबद्ध शास्त्र।
  • museum -- संग्रहालय
वह सुरक्षित स्थान या भवन, जिसमें स्थानिय महत्व की वस्तुओं का संग्रह प्रदर्शनार्थ ही नहीं, वरन् उन्हें सुरक्षित और व्यवस्थित रूप में रखने के लिए भी किया जाता हैं। संग्रहालयों की स्थापना मूल वस्तुओं के परिरक्षण, प्रदर्शन तथा अध्ययन के लिए की जाती है। इन वस्तुओं के महत्व को आंकने के लिए कभी-कभी अनुकृतियों, चार्टों, फोटोग्राफों इत्यादि का भी प्रयोग किया जाता है।
  • Mycenaean civilization -- माईसीनी सभ्यता
यूनान के मुख्य भूभाग के दक्षिण में पेलोपोनेसम के उत्तर-पूर्व में स्थित माईसीन नगर के नाम पर विख्यात प्राचीन सभ्यता, जो लगभग ई. पू. 1450 में अपने चरमोत्कर्ष पर थी। वह सभ्यता मिनोअन सभ्यता की परवर्ती है। माईसीनी सभ्यता के अवशेष विस्तृत भूमध्य सागरीय क्षेत्र में मिलते हैं। यह सभ्यता अपने भव्य दुर्ग के सिंहद्वार, दुर्ग के अंदर और बाहर दो वृत्तों में बनी गर्त-कब्रें (shaft grave circle A & B) तथा उनमें मिली बहुमूल्य शव सामग्रियों यथा स्वर्ण-रजत आभूषण और पात्र, बहुमूल्य रत्नों के मनके, कांस्य निर्मित अलंकृत आयुध तथा विशिष्ट मृद्भांडों के लिए जानी जाती हैं। इस सभ्यता ने परवर्ती चरण में भूमध्य सागरीय क्षेत्र के अतिरिक्त मिस्र, सीरिया एवं लेवा (Levant) की सभ्यता को प्राभावित किया। इस सभ्यता का अवसान लगभग ई. पू. 1200 में हुआ।
  • myrtle decoration -- मेंहदी पत्रालंकरण
यूनानी मृद्भांडों का एक अलंकरण-अभिप्राय जिसमें अंडाकार नुकीली पत्तियों को उनके तने और विपरीत स्थिति में अंकित दिखाया गया है।
  • Nahuatl (=Nahuatlan) -- नवाटल
अज़ेटेक और अन्य मेक्सिकन कबीलों की बोलचाल की भाषा।
देखिए: 'Azetec'.
  • naos -- 1. नाओस, मंदिर
वह स्थापत्य संरचना, जिसमें अर्चा-पूजा के लिए मूर्ति स्थापित हो।
2. गर्भगृह
मंदिर के बीच का वह कोष्ठ या अंतरिक कक्ष, जिसमें अधिष्ठात्री मूर्ति स्थापित हो।
  • narthex -- गिरजा-ड्योढ़ी
गिरजाघर का द्वार-मंडप, जो गिरजाघर में धुसने से पहले पड़ता है। इसे 'गिरजापौरी' भी कहा जा सकता है।
गिरजा की मध्य विधि (basilica) की समकोणीय स्थिति में बना वह भाग, जिसमें प्रवेश-मार्ग बना होता है।
  • nasal index -- नासिका सूचकांक
नाक की लंबाई तथा चौड़ाई के प्रतिशत का सूचकांक। उस आधार पर मानव की विभिन्न प्रजातियों का निर्धारण किया जाता है। 75 प्रतिशत से कम नासिका-सूचकांक के लोग तनु-नासा (leptorrhine), 75 से 85 प्रतिशत वाले मध्य-नासा (Mesorrhine) तथा 85 प्रतिशत से अधिक सूचकांक वाले विस्तिर्ण-नासा (Platorrhine) कहलाते हैं।
नीग्रो लोगों की नाक चौड़ी, मंगोलों की मध्यम तथा काकेशियाई लोगों की लंबी तथा पतली होती है। परन्तु इस विधि द्वारा प्रजाति निर्धारण शिरस्क सूचकांक की तरह अधिक सटीक नहीं माना जाता।
  • national monument -- राष्ट्रीय स्मारक
ऐतिहासिक, कलात्मक एवं स्थापत्य की दृष्टि से राष्ट्रीय महत्व की संरचनाएँ एवं अन्य पुरावशेष जो कम से कम सौ वर्ष प्राचीन हों। इन्हें क्षतिग्रस्त करना दंडनीय अपराध माना जाता है तथा उनके रख-रखाव का शासकीय दायित्व होता है।
  • native -- मूल निवासी, देशवासी
किसी क्षेत्र या देश विशेष में रहने वाले वे लोग, जो अति प्राचीन काल से वहाँ रहते चले आ रहे हों।
  • native art -- देशज कला
किसी देश विशेष में पुष्पित और पल्लवित कला, जो पूर्णतः उस केश की अपनी मौलिक कला हो। इस प्रकार की कला के प्रादुर्भाव में, किसी अन्यदेशीय कला का प्रभाव नहीं होता।
  • Natufian culture -- नतूफी संस्कृति
लेवंट की मध्यपाषाणकालीन (Mesolithic) संस्कृति, जिसका नामकरण फिलस्तीन के 'वादी अन नतूक' के नाम पर पड़ा। इस संस्कृति के लोग खाद्य संग्रह और आखेट पर जीवन-यापन करते थे। ऐसी संभावना भी व्यक्त की जाती है कि ये लोग आदिम कृषि से परिचित थे। ये मृद्भांड से अपरिचित थे। प्रारंभिक पशु-पालन के प्रमाण कतिपय स्थलों से प्राप्त हुए हैं। परवर्ती चरण में ये लोग स्थायी सन्निवेशों में रहने भी लगे थे। उत्खनन में, इनके प्रमुख उपकरण अस्थि दरांती, लंबी काँटेदार अस्थि वेधनी, क्षुरक, खुरचनी, वेधक आदि मिले हैं। अनेक नतूकी नर-कंकाल भी गुफाओं में मिले हैं। इस संस्कृति की खोज का श्रेय डोरीथी गेरोड को है।
सामान्यतः इस संस्कृति का काल ई. पू. 10000 से ई. पू. 8000 के मध्य आँका गया है।
  • natural soil -- प्राकृतिक मिट्टी
पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त वह धरातल जिस पर उस स्थान के निवासी पहली बार बसे। इस स्तर के ऊपर ही मानवीय आवास के स्तर प्राप्त होते हैं।
  • navata -- नवाटा
मिनोर्वा द्वीप में प्राप्त कांस्ययुगीन महाश्म स्मारक। इसका नामकरण इसके आकार पर आधृत है जो उल्टी नौका की तरह होता है। इसका काल ई. पू. 1800 से ई. पू. 1200 माना गया है।
  • Neanderthal man -- नेआंडरथाल मानव
प्रथम प्रमाण ई. 1856 में जर्मनी के ड्यूसलडोर्फ नगर के निकट नेआंडरथाल की एक छोटी-सी गुफा से प्राप्त हुआ। नेआंडरथाल जर्मनी के राइन प्रदेश की एक घाटी है, जहाँ पूर्व मानव का अस्तित्व जाना जाता है। इस मानव की खोपड़ी बड़ी और कपाल मोटा था। सामान्यतः इसकी भौंह की हड्डी कुछ उठी हुई थी और ललाट पृष्ठाभिमुख था। यह मानव गर्दन सीधी कर खड़ा नहीं हो सकता था परन्तु इसकी कपालक्षमता आधुनिक मानव से भी अधिक थी। इन्हे अब 'होमो सापियन्स' वर्ग की एक प्रजाति माना जाता है। इनके जीवाश्म यूरोप के अनेक स्थलों से तथा उत्तरी अफ्रीका एवं पश्चिमी एशिया से मोस्तारी परंपरा के उपकरणों के साथ मिले हैं। इस मानव की तिथि आज से एक लाख और चालीस हजार वर्ष पूर्व के मध्य मानी जाती है।
  • necklet -- गुलूबंद, कंठा
गले में सटकर पहनने का आभूषण। बड़े-बड़े मनके वाले इस प्रकार के आभूषण को कंठा कहा जाता हैं।
  • necropolis -- कब्रिस्तान, शवाधि-स्थल
प्रायः किसी नगर के निकट बना विस्तृत निर्जन क्षेत्र, जहाँ पर मृतकों को दफनाया जाता था।
  • Negrito people -- नीग्रीटो जन
(क) मध्य और दक्षिणी अफ्रीका तथा ओसेनिया के बौने नीग्रोसम लोग। इनके काले वर्ण में नीग्रो लोगों की तरह एकरूपता नहीं है। ये 1 मीटर से लेकर 1.5 मीटर तक लंबे होते हैं। ये लोग फिलिपाइन्स, मलाया प्राद्वीप, अंडमान द्वीप और दक्षिण भारत में भी हैं। इनके ऊपरी ओष्ठ अपेक्षाकृत अधिक मोटे होते हैं।
(ख) इथियोपियाई प्रजाति के लोग।
(ग) अफ्रीका के बांतू कबीले के लोग।
  • neolithic age -- नवपाषाण युग
सर्वप्रथम जॉन ल्यूबक (john Lubbeck) द्वारा ई. 1865 में प्रयुक्त शब्द, जो पाषाणकालीन संस्कृति के अंतिम चरण का द्योतक है। प्रारंभिक कृषि कार्य इस चरण की मुख्य विशेषता है, जिसके फलस्वरूप मानव ने स्थायी सन्निवेश में रहना प्रारंभ किया। इस चरण की संस्कृतियों में प्रायः घर्षित पाषाण उपकरण यथा कुठार, छैनी, आदि प्राप्त होते हैं। कहीं-कहीं से अस्थि उपकरण भी इनके साथ मिलते हैं।
पश्चिम एशिया से इस चरण के प्राचीनतम (लगभग ई. पू. 28000) प्रमाण मिले हैं। इस दृष्टि से जेरिको, जारमो आदि महत्वपूर्ण स्थल हैं। विकासक्रम की दृष्टि से इसे दो भागों में विभक्त किया जाता है-(क) मृद्भांडरहित तथा (ख) मृद्भांड युक्त।
इस चरण के पश्चात ताम्राश्म, ताम्र-कांस्ययुगीन संस्कृतियाँ प्रारंभ होती हैं।
  • net sinker -- जाल निमज्जक
पकी मिट्टी या पत्थर से बनी छेददार वस्तु। अनुमानतः इसका प्रयोग मछली पकड़ने के लिए जाल के साथ किया जाता रहा होगा।
  • neutron activation analysis -- न्यूट्रॉन सक्रियण विश्लेषण
रासायनिक विश्लेषण की एक प्रविधि। इसके अंतर्गत किसी वस्तु के नमूने को न्यूक्लीय रिऐक्टर में किरणित (irradiated) कर उसके स्थित परमाणुओं को रेडियोसक्रिय आइसोटोप में परिवर्तित किया जाता है जो तत्काल विघटित होकर गामा किरणों को उत्सर्जित (emit) करने हैं। इन गामा किरणों की ऊर्जा, नमूने में विद्यमान तत्वों की मात्रा से संबंधित होती है और इस सूचना के आधार पर विभिन्न तत्वों (elements) की सान्द्रता (concentration) का पता चल जाता है। इस प्रविधि में मात्र 50 से 110 मेगाग्राम नमूने की ही आवश्यकता होती हैं। बड़े नमूनों से छोटे नमूने काटकर परीक्षण के लिए निकाले जाते हैं।
इस प्रविधि का उपयोग आब्सीडियन, चकमक उपकरणों, संगमरमर तथा सिक्कों इत्यादि के लिए किया जाता है। इस विधि द्वारा परीक्षित वस्तु की संरचना के अध्ययन के आधार पर उस वस्तु का मूल स्रोत, वितरण तथा कभी-कभी काल का भी बोध होता है। भारतवर्ष में विभिन्न कालों के भांडों का विभेदीकरण इस विधि द्वारा किया गया है। यथा :-- हड़प्पाकालीन भांड, चित्रित धूसर भांड, बनास भांड आदि।
  • New Empire -- नव साम्राज्य
मय संस्कृति का परवर्ती काल जो ई. 980 से ई. 1450 तक रहा।
  • nimb -- प्रभावली, प्रभामंडल, भामंडल
देखिए: 'nimbus'.
  • nimbate -- प्रभावली युक्त
वह मूर्ति या चित्र, जिसके पृष्ठ भाग में, विशेषकर मस्तक के पीछे, दिव्य तेज और प्रकाश का द्योतक वृत्त बना हो।
  • nimbus -- प्रभामंडल, प्रभावली, भामंडल
देवी-देवताओं अथवा महापुरुषों के चित्रों या उनकी मूर्तियों के मस्तक के पीछे बना प्रायः गोलाकार फैलाव, जो दिव्य ज्योति, प्रकाश और तेज का प्रतीक होता है। प्राचीन श्रेण्यकालीन भारतीय एवं विदेशी वास्तुकला, चित्रकला एवं सिक्कों में, देवी-देवताओं और यशस्वी व्यक्तियों के पीछे इस प्रकार का प्रकाशयुक्त वृत्त दिखाया गया है।
  • nomos (=nome) -- नोमास
यूनानी नगर-राज्य के सिक्कों की इकाई।
  • Nordic race -- नार्डिक प्रजाति
कॉकेशियाई प्रजाति का एक उप प्रकार। नार्डिक लोगों का कद लंबा, केश भूरे, आँखें नीली तथा नाक सीधी होती थी। इनका शिरस्क सूचकांक 80 से कम होता था। ये मुख्यतः स्वीडन और नार्वे में केन्द्रित हैं।
  • North Deccan Chalcolithic Culture -- उत्तरी-दक्कनी ताम्राश्म संस्कृति
भारत के उत्तरी-दक्कनी क्षेत्र की एक संस्कृति। इसके अवशेष मुख्यतः महाराष्ट्र में मिले हैं। इस संस्कृति में जोर्वे भांड, सूक्ष्माश्म, कलश-शवाधान, ओपदार प्रस्तर कुठार तथा ताम्र उपकरण मिले हैं। इसका काल लगभग ई. पू. 1500-ई. पू. 1000 आँका गया है।
  • Northern black polished ware -- उत्तरी कृष्ण मार्जित भांड
चाक पर बने तथा अच्छी प्रकार पकाए गए सामान्यतः काले रंग के चमकदार विशिष्ट भांड। काले रंग के अतिरिक्त कभी-कभी ये भूरे, रूपहले तथा स्वर्णिम आभायुक्त भी मिलते हैं। ये बर्तन सामान्यतः बहुत पतले बने होते थे और हल्के से ठोकने पर धातु जैसी आवाज़ इनसे निकलती है। सामान्यतः कटोरे और तश्तरियाँ मिलती हैं परन्तु कक्षी-कभी ढक्कन, नौतलाकार हांडियाँ आदि भी मिलते हैं। रेडियो-कार्बन तिथियों के आधार पर इन मृद्भांडों की तिथि लगभग ई. पू. 550 से ई. पू. 50 आँकी गई है। यह मृद्भांड 2121 किलोमीटर लंबे (उत्तर-दक्षिण) तथा 1790 किलोमीटर लंबे (पूरब-पश्चिम) तथा 1790 किलोमीटर चौड़े (पूरब-पश्चिम) क्षेत्र में स्थित 415 पुरास्थलों से प्राप्त हुए हैं। सुदूर उत्तर में स्वात क्षेत्र में स्थित उद्यग्राम तथा दक्षिण में गुन्तुर जनपद में स्थित चेब्रोलू, सुदूर पश्चिम में काठियावाड़ में स्थित प्रभास तथा सुदूर पूर्व में चौबीस परगना जनपद में स्थित चन्द्रकेतु गढ़ हैं। इस मृद्भांड का प्रमुख क्षेत्र उन ऊपरी गंगा घाटी का पूर्वी भाग (उत्तर-प्रदेश) था, जहाँ से कुल ज्ञात 415 पुरास्थलों में से 292 पुरास्थल स्थित हैं। इतने विस्तृत क्षेत्र से किसी मृद्भांड परंपरा का प्रसार नहीं ज्ञात है।
  • nose scraper -- नासाकार खुरचनी
शल्क, फलक या क्रोड पर बनी एक विशिष्ट खुरचनी जिसकी खुरचन धार पर नासाकार उभार होता है। इसे बनाने के लिए एक अंत के दोनों पार्श्वों में एक-एक खाँचा (notch) इस प्रकार बनाया जाता है कि दोनों खाँचों के बीच का भाग नासिका जैसा निकला हुआ दिखाई पड़ता है। इसी निकले हुए भाग पर पुनर्गठन द्वारा कार्यांग निर्मित किया जाता है। यह मध्यपूर्व पाषाणकाल का विशिष्ट उपकरण था।
  • notched blade -- खाँचेदार फलक
प्रागैतिहासिक पाषाण-उपकरण, जिसका प्रयोग संभवतः लकड़ी छीलने के लिए किया जाता था। ये फलक आकार में सामान्य फलक के समान हैं। इनमें अंतर केवल इतना है कि फलकशल्क (blade flake) के एक ओर अर्ध चंद्राकार कटाव बना होता है। कभी-कभी ये कटाव फलक के एक पार्श्व के ऊपर और नीचे दोनों ओर मिलते हैं।
  • notched scraper -- खाँचेदार खुरचनी
मध्य पूर्व पाषाणकालीन विशेष प्रकार का उपकरण। यह मूलतः अवतलाकार खुरचनी है, पर इसकी कार्यकारी धार अपेक्षाकृत छोटी तथा अधिक गोलाकार होती है।
  • nucleates -- केंद्रक
पूर्व पाषाणकालीन सोहन संस्कृति का एक विशिष्ट अंडाकार बटिकाश्म उपकरण, जिनका निर्माण उदर एवं पृष्ठ दोनों भागों में शल्कीकरण द्वारा किया जाता था। इन उपकरणों को 'उभयपक्षी उपकरण' भी कहा जा सकता है, क्योंकि इनके दोनों पक्षों में शल्कीकरण होता है। शल्क निकालने के लिए इनमें सोपान-पद शल्कीकरण प्रविधि (step flaking technique) का प्रयोग होता था। इन उपकरणों में परिष्करण के चिह्न भी मिलते हैं। ये उपकरण एक पार्श्वीय (peripheral) रूपों में मिलते हैं।
  • numismatics -- मुद्राशास्त्र
वह शास्त्र, जिसके अंतर्गत सिक्कों का व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है। विभिन्न धातुओं के बने प्राचीन सिक्के तत्कालीन इतिहास और संस्कृति को जानने के महत्वपूर्ण साधन हैं।
  • numismatist -- मुद्राशास्त्री
वह व्यक्ति, जो सिक्कों का विशेषज्ञ हो या जिसे देश-काल विशेष के सिक्कों की विशेषताओं का विशद ज्ञान हो।
  • nuraghe -- बुर्ज, मीनार
मीनार जैसी बृहत्पाषाण संरचना, जो इटली के सार्डिनिया प्रांत में ई. पू. दो हजार से रोम विजय काल के मध्य इस द्वीप में बनी। इस प्रकार की बुर्ज दो मंजिली या अधिक हुआ करती थी। इनकी आधार-परिधि शिखर भाग की अपेक्षा अधिक चौड़ी होती थी। सार्डिनिया में इस प्रकार की हजारों संरचनाएँ मिलती हैं। सार्डिनिया की कांस्यकालीन संस्कृति को 'नुराघे संस्कृति' भी कहते हैं।
  • nymphaeum -- निकुंज गृह, सावन-भादों
किसी स्थापत्य संरचना या भवन का वह भीतरी कक्ष, जिसमें जल-विहार के लिए सरोवर या फुहारा बना होता था। इसके निकट पेड़-पौधे लगाकर और मूर्तियाँ आदि स्थापित कर वातावरण के सौंदर्य में वृद्धि की जाती थी। इस प्रकार की संरचना का प्रयोग विश्रामगृह के रूप में भी किया जाता था। प्राचीन भारतीय साहित्य में 'धारागृह' या धारासोध के रूप में इनका रोचक वर्णन मिलता है।
  • obelisk -- सूच्याकार स्तंभ
चौकोर शुंडाकार खंभा, जिसका शीर्ष भाग पिरामिड की तरह होता है। प्राचीन मिस्री लोग कदाचित इसे धार्मिक प्रयोजनों या अलंकरण हेतु बनाते रहे होंगे। यह प्रायः एक ही विशाल पत्थर से बना होता था जिनपर चित्रलेख भी अंकित किए जाते थे। इसी प्रकार के युग्म स्तंभ हेलियोपोलिस तथा करनक में विद्यमान हैं जिन्हें सूर्य-पूजा के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया जाता है।
  • object card -- वस्तु-पत्रक
पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त-स्थल, स्तर विवरण, प्राप्ति-तिथि, सामग्री तथा माप आदि का विस्तृत लेखा-जोखा रखने के लिए बनाया गया चिट्ठा। संख्यांकित पत्रक में, प्राप्त वस्तु का संख्यांकन कर तत्संबंधी विस्तृत सूचना लिपिबद्ध की जाती है। पुरातत्ववेत्ता प्राप्त वस्तुओं का क्रमबद्ध अध्ययन करते समय अपेक्षीत जानकारी, वस्तु-पत्रक में उल्लिखित विस्तृत विवरण से प्राप्त करता है। सामान्यतः यह पत्रक इस प्रकार बनाया जाता है :-
क्रमांक
तिथि
स्थिति
स्तर-विवरण
माप
वस्तु या सामग्री
टिप्पणी
  • oblates -- लध्वक्ष उपकरण
निम्न पूर्वपाषाणकालीन समतल बटिकाश्म उपकरण, जो अंडाकार बटिकाश्म उपकरणों की अपेक्षा पतले, समतल तथा चपटे किनारों वाले होते हैं। इन उपकरणों का निर्माण एकपक्षीय फलकीकरण (unifacial flaking) द्वारा किया जाता था। बटिकाश्मों के अपेक्षाकृत पतले होने के कारण फलक नीचे के चौरस तल से उपर की ओर बहुत संकरा कोण बनाते हुए निकाले जाते हैं। लध्वक्ष उपकरण दो प्रकार के होते हैं :-
(i) उत्तल कार्यांग लध्वक्ष (convex oblate)
(ii) नुकीला कार्यांग लध्वक्ष (pointed oblate)
  • obliquely retouched point -- तिर्यक परिष्कृत बेधनी
प्रागैतिहासिक पाषाण वेधनी का एक प्रकार। इस वेधनी के फलक संकरे, तिरछे और कुंठित (blunt) होते हैं जिनमें एक ओर नोक बनाने के लिए तिरछी दिशा में परिष्करण किया जाता है, जो बाएँ या दाएँ किसी भी ओर हो सकता है।
  • obsidian -- आब्सीडी
एक ज्वालामुखीय अल्प पारदर्शी काँच, जो सामान्यतः काला और पट्टित होता है। इसका उपयोग प्रागैतिहासिक काल में उपकरण निर्माण के लिए होता था।
  • Obsidian hydration dating -- आब्सीडी जलयोजन काल-निर्धारण
आब्सीडी उपकरणों के काल-निर्धारण की एक प्रणाली। शल्कन के अपरांत जब आब्सीडी की एक नई सतह अनावृत होती है तो अंतः जलप्रवाह के कारण उसमें धीरे-धीरे कुछ रासायनिक परिवर्तन होगे लगते हैं। जलयोजन की दर, तापमान और आब्सीडी के रासायनिक संघटन द्वारा नियंत्रित होती है। यदि जलयोजन की दर ज्ञात हो तो जलयोजित स्तर की मोटाई के आधार पर उसकी तिथि जानी जा सकती है। हर क्षेत्र की जलयोजन दर जानने के बाद उसका अंशशोधन विखंडन पथ-तैथिकी (fission Track Dating) द्वारा किया जा सकता है। इस विधि द्वारा अभी तक लगभग ई. पू. 25000 तक की तिथि जापान में मापी जा सकी है ।
  • ochre -- गैरिक, गेरू
मटियारा और आमतौर पर लाल या पीले रंग का अशुद्ध लोह अयस्क जो वर्णक (pigment) के रूप में व्यापक रूप में प्रयुक्त होता है। गेरूए प्राकृतिक रंगों का प्रयोग प्रागैतिहासिक गुफा-चित्रों तथा वैयक्तिक अलंकरण में मिलता है। पाषाण काल में इन रंगों से मृत शरीर को भी रंगा जाता था।
  • ochre coloured pottery (=O.C.P.) -- गैरिक मृद्भांड
गेरूए रंग के मिट्टी के बर्तन। मुख्यतः गंगा-जमुना घाटी में प्राप्त ये मोटे भांड प्रायः जर्जर अवस्था में मिले हैं। प्रो. लाल यह मानते हैं कि ये मृद्भांड काफी समय तक जलमग्न रहे होंगे। इसी आस्था पर बी. बी. लाल इस मृद्भांड संस्कृति के विनाश के कारण जलप्लावन मानते हैं। अब तक अनेक महत्वपूर्ण पुरास्थलों से उत्खनन के फलस्वरूप ये मृद्भांड निश्चित स्तरों में प्राप्त हो चुके हैं। प्रमुख पुरास्थलों में बहादराबाद (हरिद्वार), आम्बखेडी (सहारनपुर), अत्रंजीखेड़ा (एटा), लालकिला (बुलन्दशहर) और सैवाई (इटावा) हैं। प्रमुख पात्र-प्रकारों में भंडारण जार, मटके, द्रोणी, कटोरे, ढक्कन, साधार तश्तरियाँ आदि हैं। सैवाई में इसके साथ-साथ ताम्रनिधि उपकरण (कांटेदार भाला) भी मिला है जिससे इस ताम्रनिधि संस्कृति से पूर्वकथित संबंध स्पष्टतया प्रमाणित हो गया। लालकिला के उत्खनन् में प्राप्त पूर्णरूपेण सुरक्षित लाल भांडों के मिलने से यह भी पूर्वकल्पना, विकसित ताम्रऔद्योगिकी से परिचित लोग निम्नकोटि के गेरूए भांड निर्मित करते थे, असत्य सिद्ध हुई। शृंगवेरपुर से भी उत्कृष्ट लाल रंग के भांड मिले हैं। उत्खनन् से प्राप्त इन भांडों के साथ अन्य अवशेषों से अब हमें यह ज्ञात है कि ये न केवल ताम्र उपकरणों के निर्माता ही थे अपितु कच्ची-पकी ईंटों के मकानों का निर्माण करते थे (लालकिला) तथा चावल और जौ की खेती भी करते थे (लालकिला, अंत्रजीखेड़ा)।
अंत्रजीखेड़ा, लालकिला, झिनझिना तथा नसीरपुर से प्राप्त इस मृद्भांड की जो तिथियाँ आक्सफोर्ड के पुरातत्व अनुसंधान प्रयोगशाला से उष्मादीप्ति विधि द्वारा प्राप्त हुई हैं वह इसे ई. पू. 2600 से ई. पू. 1200 के मध्य निश्चित करती हैं।
  • oculus -- नेत्राकृति अलंकरण
एक अलंकरण अभिप्राय जिसमें दो वृत्तों अथवा कुंडलो को संयुक्त कर आँख की तरह की आकृति निर्मित है।
यह अलंकरण अभिप्राय ई. पू. तृतीय सहस्राब्दी में पश्चिमी यूरोप में बहुप्रचलित था।
  • Odderade interstadial -- ओडिरेड उपअंतर /हिमानी
वाइशेलियन शीत काल की उप-अंतराहिमानी अवस्था। इसकी अधिकतम शोधित रेडियोकार्बन तिथि लगभग 58,000 वo पूo (वर्ष पूर्व) आँकी गई है।
  • Odeon -- संगीत कक्ष, प्रेक्षागृह, ओडियन
प्राचीन यूनान व रोम में प्रचलित एक प्रकार की रंगशाला जिसका प्रयोग संगीत एवं कलात्मक कार्यक्रमों के लिए किया जाता था। यह सामान्य तथा एक आयताकार वृहद भवन होता था जिसमें अनेक स्तंभ होते थे तथा जिसकी छत पिरामिड के आकार की बनी होती थी। परवर्तीकालीन रोम में अर्धवर्तुलाकार छत विहीन रंगशालाओं तथा विभिन्न प्रकार के छतयुक्त सभागृहों के लिए भी इस शब्द का प्रयोग किया जाने लगा।
इस प्रकार की प्राचीनतम रंगशाला यूनान के एथेंस नगर में ई. पू. पाँचवी शताब्दी में पेरीक्लीज द्वारा निर्मित की गई।
  • oenochoe -- सुरा-पात्र
मिट्टी की बनी प्राचीन यूनानी सुराही, जिसका मुँह त्रिपर्णाकार (trefoil shaped) होता है। इसके मुँह के ऊपरी भाग से लेकर ग्रीवा के निचले भाग तक, पकड़ने के लिए हत्था बना होता है। इसका प्रयोग मदिरा रखने के लिए किया जाता था। इस प्रकार के पात्र प्राचीन यूनान के सभी कालों में प्रचलित थे।
  • Old Copper Culture -- पुरा ताम्र संस्कृति, ओल्ड कॉपर संस्कृति
विस्कोन्सिन और मिशिगन (संयुक्त राज्य अमरीका) के ग्रेट लेक्स क्षेत्र की एक विशिष्ट मध्य / परवर्ती पुरातन संस्कृति। इसकी प्रमुख विशेषता घन प्रहार और तापानुशीतन द्वारा निर्मित ताम्रोपकरण हैं जो समकालीन पाषाणोपकरणों की अनुकृति में निर्मित हैं। इस संस्कृति की सामान्यतः स्वीकृत तिथि (terminal date) ई. पू. 1500 मानी जाती है।
  • Old Cordilleran culture -- पुरा कार्डिलिरन संस्कृति
प्रशान्त कार्डिलिरन पर्वतों की परवर्ती अत्यन्त नूतन युगीन आखेट एवं खाद्य संग्राहक संस्कृति। इस संस्कृति का प्रमुख उपकरण पर्णाकार द्विमुखी प्रक्षेप वेधनी है। रेडियो कार्बन प्रविधि से इस संस्कृति का समारंभ ई. पू. 5000 के मध्य माना जाता है।
  • Old Empire -- प्राचीन साम्राज्य
माया संस्कृति के विकास का सबसे महत्वपूर्ण काल जिसका काल ई. 200 से ई. 600 माना गया है।
  • Old stone age -- पुरा पाषाण युग, पुरा प्रस्तर युग
अफ्रीकी पुरातत्व में पाषाण युग का प्रथम काल। अफ्रीका में पाषाण युग का विभाजन निम्न प्रकार माना गया है :--
(1) पुरा पाषाण युग,
(2) मध्य पाषाण युग, तथा
(3) उत्तर पाषाण युग
पुरा पाषाण युग के लोग शिकार और कंदमूलादि से अपना जीवन निर्वाह करते थे तथा बटिकाश्म, क्रोडों और शल्कों से उपकरण निर्माण कर उनका प्रयोग करते थे।
  • Oldowan culture -- ओल्डवी संस्कृति
उत्तरी तंजानिया के ओल्डवी गार्ज के आधार-निक्षेप (बेड1) से मिले समकालिक स्तरों वाली दक्षिणी तथा पूर्वी अफ्रीका की बटिकाश्म उपकरण संस्कृति। इस संस्कृति का काल 16 लाख से 20 लाख वर्ष पूर्व माना गया है।
देखिए : 'Olduvai gorge'.
  • Olduvai gorge -- ओल्डवी महाखड्ड, ओल्डवी गार्ज
अफ्रीका में उत्तरी तंजानिया का महाखड्ड जहाँ से मानव के उद्भव एवं विकास के साथ-साथ संपूर्ण पाषाणकालीन उपकरण उद्योग के विकास का इतिहास ज्ञात हुआ है। लगभग 18 लाख वर्ष पूर्व से लेकर 10,000 वर्ष पूर्व तक की पाषाणकालीन उपकरण परंपरा यहाँ पर निश्चित स्तरों में मिली है। प्रारंभिक आस्ट्रेलोपिथेकस प्राक् मनुष्य (homonid) से लेकर उत्तान मानव (homo erectus) तथा मेधावी मानव (Homo sapiens) तक के लगभग 40 से अधिक जीवाश्मित अवशेष मिले हैं।
आधार निक्षेप (Bed 1)का निर्माण लगभग 19 लाख वर्ष पूर्व प्रारंभ हो गया था। इस निक्षेप से बटिकाश्म पर निर्मित चापर तथा शल्क उपकरणों के साथ-साथ आस्ट्रेलोपिथेकस वर्ग के दो जीवाश्म (Australopithecus boisei तथा homo habilis) भी मिले हैं। प्रथम जीवाश्म की तिथि पोटेशियम आर्गन तिथि-निर्धारण विधि द्वारा लगभग साढ़े सतरह लाख वर्ष पूर्व आँकी गई है। द्वितीय निक्षेप (Bed 2) के निचले स्तर में तो पूर्ववर्ती काल के बटिकाश्म उपकरण ही मिलते हैं परन्तु इसके ऊपरी स्तर से रूक्ष हस्तकुठार (Abbevillian) मिलने लगते हैं। इस निक्षेप की तिथि लगभग 12 लाख से 50,000 वर्ष आँकी गई है। इससे प्राक् मानव (Hominid) और उत्तान मानव के जीवाश्म मिले हैं।
तृतीय एवं चतुर्थ निक्षेप (Bed 3, 4) में हस्तकुठार परंपरा के उपकरण मिले हैं। चतुर्थ निक्षेप से निआंडरथाल मानवों से सदृश जीवाश्म के साथ-साथ अश्यूलियन परंपरा के हस्तकुठार मिलते हैं। पंचम निक्षेप (Bed 5) से अफ्रीकी मध्य पाषाणकालीन उपकरण उद्योग (Kenya capsian) के प्रमाण मिलते हैं।
  • Oligocene epoch -- अल्पनूतन युग, आलिगोसीन युग
भूवैज्ञानिक समय सारणी में, तृतीय कल्प को आजकल सामान्यतः जिन युगों में विभाजित किया जाता है, उनमें से इओसीन और मायोसीन के बीच का एक युग तथा उस युग में निक्षेपित शेल श्रेणी।
  • olmec -- ओल्मेक
मेक्सिको के दक्षिण वेराक्रुज तथा तेबेस्को के निकटवर्ती क्षेत्र के, मध्य अमरीकी लोग। प्राचीनतम मध्य अमरीकी सभ्यता के ये जनक माने जाते हैं। ओल्मेक लोगों द्वारा बनाई गई पाषाण मूर्तियाँ तथा मृद्भांड, तत्कालीन कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इस सभ्यता ने मध्य अमरीकी संस्कृति को बहुत अधिक प्रभावित किया। ओल्मेक चित्रलिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। संभवतः ओल्मक लोग माया लोगों के पूर्वज थे। इनकी सभ्यता का प्रारंभ पूर्व श्रेण्य (pre-classical) युग में हुआ, जिसका समय लगभग ई. पू. 1200 माना जाता है। प्रथम सहस्राब्दि का काल, इस सभ्यता का स्वर्ग युग था। ई. पू. 600 से ई. पू. 400 मध्य इस सभ्यता का अंत हुआ।
  • olpe -- सुराही
(क) प्राचीन यूनान की, एक प्रकार की चमड़े की सुराही, जिसमें तेल या तरल पदार्थ रखा जाता था।
(ख) मदिरा को सुरक्षित रखने का प्राचीन यूनान का एक प्रकार का मृद्भांड।
  • omphalos (=sacred stone) -- पवित्र-पाषाण, पूतपाषाण
डेल्फी (यूनान) में, अपोलो के मंदिर में स्थित अर्ध गोलाकार अथवा शंक्वाकार प्रस्तर की वेदी, जिसे प्राचीन यूनानी लोग पृथ्वी का केंद्र मानते थे। इस संबंध में किंवदंती प्रचलित है कि इसका ज्ञान जीयस (Zeus) को हुआ था। उसने दो बाज़ों को विपरीत दिशाओं में उड़ने के लिए कहा और वे दोनों उड़कर अंततः डेल्फी में मिले। उनकी स्मृति में, यहाँ एक पवित्र पाषाण, उक्त कथा के अनुसार स्थापित किया गया, जिसमें अपोलो को पत्थर पर बैठे हुए अंकित किया गया है।
  • onyx -- सुलेमानी, ऑनिक्स
स्फटिक (क्वार्ट्ज) की एक गूढ़ क्रिस्टलीय किस्म जो भिन्न-भिन्न रंगों वाली (मुख्यतः श्वेत, पीली. काली या लाल) परतों से बनी होती है। प्राचीन काल से ही इसका प्रयोग अलंकरण आदि के लिए मिलने लगता है।
  • optical emission spectrometry -- प्रकाशीय उत्सर्जन स्पेक्ट्रममिति
रासायनिक विश्लेषण की एक प्रविधि में नमूनों को स्फुलिंग विसर्जन (spark discharge) या लेसर किरणपुंज (laser beam) द्वारा वाष्पित (vapourised) कर नमूनों के इलेक्ट्रॉनों को प्रवर्धित किया जाता है। इस प्रक्रिया द्वारा प्रकाश निःसृत होता है, जिसकी तरंगदैर्ध्य (wavelength) नमूनों की रासायनिक संरचना से संबंधित होती है। इस प्रविधि का उपयोग काँच, धातुओं तथा मृद्बांडों के विश्लेषण के लिए किया जाता है।
प्रकाश स्पेक्ट्रम के विश्लेषण द्वारा नमूने में विद्यमान विभिन्न तत्वों की सान्ध्रता का परिकलन किया जा सकता है। इस विधि से पुरातात्विक वस्तुओं का स्रोत, उसकी प्रौद्योगिकी तथा व्यापार एवं वितरण का पता लगाया जा सकता है।
  • optical square -- प्रकाशीय गुनिया, प्रकाशीय समकोणित्र
सर्वेक्षण में प्रयुक्त एक यंत्र विशेष। इससे धरातल पर समकोण बनाए जाते हैं। इसका उपयोग पुरातात्विक उत्खननों में खाकों के अभिविन्यास में किया जाता है।
  • opus Alexandrinum -- पाषाण कुट्टिम
विशिष्ट प्रकार का फर्श, जिसमें संगमरमर की टाइलों का प्रयोग किया जाता था।
  • opus latericium -- इष्टिका चिनाई, टाइल चिनाई
यूनानी-रोमन भवनों में प्रयुक्त एक विशेष प्रकार की चिनाई जिसमें ईंटों या मिट्टी की पकी टाइलों को पत्थर की दीवारों पर अलंकरणार्थ गारे से चिना जाता था।
  • opus reticulatum -- जालक चिनाई
प्राचीन रोमन वास्तुकार विट्रूवियस (लगभग ई. पू. 30) द्वारा वर्गाकार प्रस्तरों से बनाई गई हीरे की आकृतिनुमा संरचना के लिए प्रयुक्त शब्द। अपरिष्कृत दीवारों की सजावट के लिए इस प्रकार की चिनाई का उपयोग किया जाता है।
  • opus vermiculatum -- वक्रिल अलंकरण
छोटे-छोटे प्रस्तर खंडों को वक्राकार रेखाओं में व्यवस्थित कर बनाया गया एक विशिष्ट मोज़ेक अलंकरण।
  • oracle bone -- प्राख्यापन अस्थि
प्राचीन काल में, चीनियों द्वारा शकुन-विचार के लिए प्रयुक्त जानवरों की हड़ियाँ, विशेषकर बैल की स्कंध-अस्थि (collar bone) या कछुए का खोल। इसके प्राचीनतम उदाहरण लुंग शान (Lung Shan) काल के मिले हैं। कभी-कभी इन पर अभिलेख उत्कीर्ण मिलते हैं, जो तत्कालीन इतिहास जानने के महत्वपूर्ण स्रोत व साधन हैं। परवर्ती शांग वंश के समय ये अधिक प्रचलित हुए।
  • Oranian industry -- ऑरेनी उद्योग
उत्तरी अफ्रीका की प्रातिनूतन काल के अंतिम चरण की एक संस्कृति। इस संस्कृति का विस्तार ट्यूनिशिया और मोरक्को के भूमध्य सागरीय तटवर्ती क्षेत्रों में मिलता है। इनके द्वारा निर्मित प्रमुख उपकरणों में लघु पृष्ठित फलक हैं। इनकी आजीविका, आखेट और मत्स्य संग्रह पर आधारित थी। ये मृतकों को दफनाते थे। कभी-कभी मृतकों को गेरू से अलंकृत कर उनके साथ खाद्य सामग्री और जंगली मवेशियों के सींग रखकर दफनाये जाने के प्रमाण मिलते हैं।
इस संस्कृति के प्राचीनतम अवशेष पश्चिमी मोरक्को के ताफोराल (Taforalt) नामक स्थल से मिले हैं जिसकी रेडियोकार्बन तिथि ई. पू. 14000 आँकी गई है। उस संस्कृति का आधुनिक नाम आइबेरोमावरोशियन है।
  • Orbital index -- नेत्रगुहा सूचकांक
नेत्र के गड्ढे की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात। इसके आधार पर प्रजातियों का निर्धारण किया जाता है। उदाहरणर्थ मंगोलायड का 99 तथा आस्ट्रेलायड का 87 माना जाता है।
  • Orientalia -- प्राच्य सामग्री
पूर्वी देशों की सांस्कृतिक पुरातात्विक एवं कलात्मक परंपरा से संबंधित सामग्री।
  • Osiris -- ओसाइरिस
प्राचीन मिस्र का मृत्यु देवता, जो पाताल का स्वामी था। मिस्रियों का यह विश्वास था कि धार्मिक संस्कार, कृषि तथा स्भयता की अन्य कलाओं का ज्ञान इसी देवता ने मनुष्यों को प्रदान किया था। इसका प्रमुख उपासना केंद्र एबिडोस था। प्राचीन मिस्री कला में इसे दाढ़ीयुक्त दिखाया गया है। इसके मस्तक पर मुकुट रहता है। इसे ममी रूप में भी दिखाया गया है।
  • ossuary -- अस्थि आधान
मृत मानव-शरीर की हड्डियों को दफनाने का पात्र। एक मानव शरीर की हड्डियों को दफनाने के लिए सामान्यतः मृतपात्रों का उपयोग किया जाता था परन्तु एकाधिक मृत मानवों की अस्थियों को दफनाने के लिए गुफाएँ अथवा निर्मित संरचनाओं (यथा गृह तुम्ब, गुंबदीय समाधि आदि) का उपयोग होता था।
  • Ostrakon (=ostracon) -- अभिलिखित मृद-पट्ट
ई. पू. पाँचवीं शताब्दी में यूनानियों द्वारा एथेंस में मतदान के लिए प्रयुक्त अभिलेख युक्त मृत-पट्टिका। ई. पू. तीसरी शताब्दी में मिस्र पर यूनानियों के विजय के उपरांत इस प्रकार की अभिलिखित मृत पट्टिकाओं का प्रयोग मतदान के अतिरिक्त धार्मिक, जादुई, शैक्षिक, पत्र-लेखन तथा हिसाब-किताब के लिए भी किया जाने लगा।
  • outward blow technique -- बहिर्मुखी संघात प्रविधि
प्रागैतिहासिक काल में, पाषाण-उपकरण बनाते समय शल्क निकालने के लिए पत्थर के बाहरी छोर पर प्रहार करने की विधि।
  • oval-shaped -- अंडाकार, अंडिल
अंडानुमा; अंडे जैसी, अंडे के आकार की संरचना।
  • ovate handaxe -- अंडाकार हस्तकुठार
हस्तकुठार का एक प्रकार जो अंडाकार होता था। ऐश्यूली पद्धति में इसकी सतह अत्यधिक सुगठित बना दी जाती थी।
  • ovoid tool -- अंडाभ उपकरण
अंडे के आकार जैसा पुरापाषाणकालीन औज़ार।
  • ovolo -- गोला, उत्तल सज्जापट्टी
वृत्ताकार, उत्तल सज्जापट्टी। रोम वास्तुकला में, उत्तल सज्जापट्टी की काट वृत्त के चतुर्थ भाग की तरह होती थी। यूनानी वास्तुकला में, यह चपटी और फलकाधार (echinus) जैसी होती थी।
  • Ovum -- अंडालंकरण
वास्तुकला में, अंडे की तरह की सजावट के लिए बनाई गई संरचना।
  • pad stone -- धरण-पाषाण
भवन बनाते समय किसी गर्डर के सिरे या छत के त्रिकोण को आधार देने के लिए दीवार में जड़ा पत्थर, जिस पर पाटन (छत आदि) या बोझ ठहर सके।
  • pagoda -- पैगोडा
बर्मा, चीन, जापान आदि सुदूर पूर्व के देशों में विद्यमान एक बहुस्तरीय अलंकृत मीनार जैसी संरचना। बौद्ध मंदिरों की मीनार जैसी संरचनाओं को प्रायः पैगोडा कहा जाता है। प्रत्येक देश के पैगोडाओं में देश विशेष की कला का प्रभाव होता है और इनके वास्तुकलात्मक विन्यास में पर्याप्त वैभिन्य के दर्शन होते हैं।
  • pai-loo -- अलंकृत तोरण
चीनी वास्तुकला में, द्वार विशेष, जिसमें मूर्तियाँ और अलंकरण बने होते थे। इस तोरण में, किसी नायक या नायिका की कीर्ति का विवरण अंकित होता था।
  • Painted Black and Red Ware -- चित्रित काले-लाल भांड
ई. पू. द्वितीय सहस्त्राब्दि परंपरा। इन भांडों का बाहरी भाग लाल और भीतरी भाग काला होता था। पकने से पूर्व सामान्यतः अंवठ के नीचे की बाहरी सतह पर श्वेत रंग से चित्रित किया जाता था। कभी-कभी भीतरी सतह पर भी चित्रण मिलते हैं। चित्रण सीधी, लहरियादार, आड़ी-तिरछी रेखाओं तथा बिंदुओं से निर्मित किए जाते थे। इन मृद्भांडों को आवे में उल्टा रखकर पकाया जाता था। इस मृद्भांड परंपरा का प्रमुख क्षेत्र बनास नदी की घाटी था।
यह मृद्भांड सर्वप्रथम 1952-53 में माहेश्वर और नवदाटोली की खुदाई में मालवा भांड के साथ मिले थे। इससे संबंधित 50 से अधिक पुरास्थल प्रकाश में आए हैं। मृद्भांड प्रकारों में विभिन्न प्रकार के कटोरे और तश्तरियाँ मिली हैं। ये मृद्भांड बनास क्षेत्र के अलावा भगवानपुरा (चितौड़), एरण (सागर), कायथा (उज्जैन), पांडु राजार धीबी (जिला बर्दवान), चिराद (बिहार), राजघाट (वाराणसी) और सोहगोरा (गोरखपुर) आदि स्थलों से मिले हैं। गुजरात में अनेक स्थलों में हड़प्पाकालीन मृद्भांडों के साथ ये मृद्भांड भी प्राप्त हुए हैं। सामान्यतः इनकी स्वीकृत तिथि ई. पू. 1800 से ई. पू. 1200 के बीच मानी जाती है।
  • Painted Grey Ware -- चित्रित धूसर भांड
धूसर तल पर काले रंग से चित्रित चाकनिर्मित मृद्भांड। आजकल यह भांड परंपरा इसी नाम की संस्कृति का द्योतक बन गई है। चिकनी मिट्टी से बने इन पात्रों को नियमित ताप (controlled firing) से बंद आँवों में पकाया जाता था। इन हलके विशिष्ट (deluxe) भांडों की दीवारें पतली होती थीं। प्रमुख पात्र-प्रकारों में कटोरियाँ, थालियाँ, तश्तरियाँ हैं। कभी-कभी लोटेनुमा पात्र तथा मंडलाकार आधार वाले टोंटीयुक्त पात्र भी मिलते हैं। इन पर पकाने से पूर्व रेखाएँ (सीधी, सर्पिल एवं आड़ी-तिरछी आदि), बिंन्दु तथा ज्यामितिक और वानस्पतिक आकृतियाँ चित्रित की जाती थीं। इस भांड परंपरा के साथ अचित्रित धूसर भांड एवं लाल भांड भी मिलते हैं।
सर्वप्रथम यह मृद्भांड 1944 ई. में अहिच्छत्र की खुदाई में प्राप्त हुआ था। परंतु इसका महत्व हस्तिनापुर के उत्खनन के बाद ही स्थापित हुआ। अब तक यह मृद्भांड उत्तर में थाप्ली (गढ़वाल) से दक्षिण में उज्जैन तथा पश्चिम में घरेंडा (अमृतसर) से पूर्व में वैशाली तक पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और बिहार प्रांतों से प्रतिवेदित हो चुके हैं। भारत से बाहर यह मृद्भांड पाकिस्तान में लखियोपीर, हड़प्पा तथा चोलिस्तान क्षेत्र में प्राप्त हुए हैं।
इसकी प्राचीनतम तिथि भगवानपुरा (हरियाणा) के उत्खनन से ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि के उत्तरार्ध तथा मध्य गंगाघाटी में अत्रंजीखेड़ा तथा हस्तिनापुर से ई. पू. 1100-ई. पू. 500 आँकी गई है।
  • Painted Grey Ware Culture -- चित्रित धूसर भांड संस्कृति
वह संस्कृति जो मुख्यतः चित्रित धूसर भांड परंपरा द्वारा पहचानी जाती हैं। इस संस्कृति से संबंधित अनेक पुरास्थल ज्ञात हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण उत्खनित स्थल रोपड़, भगवानपुरा, अहिच्छत्र, हस्तिनापुर, कौशाम्बी, अत्रंजीखेड़ा, झखेड़ा, श्रावस्ती, सरदारगढ़ तथा नोह हैं। यह मुख्यतः पशुपालन तथा कृषि पर आधारित ग्राम्य संस्कृति थी। ये लोग नरकुल और मिट्टी से बनी झोपड़ियों और कच्चे मकानों में रहते थे। भगवानपुर के उत्खनन में पकी ईंटों का भी प्रयोग मिलता है। ये मुख्यतः चावल और मांस खाते थे।
भारत में काँच के प्रयोग के सर्वप्रथम प्रमाण इसी संस्कृति के संदर्भ में भगवानपुर से मिले हैं। ये ताम्र से परिचित थे और आगे चलकर लौह के प्रयोग का समारंभ भी इन्ही के द्वारा किया गया। ये लोग अस्थि निर्मित उपकरण, मिट्टी से बनी चक्रिका एवं खिलौने, मनके, आदि का भी प्रयोग करते थे और मृतकों को दफनाते थे (भगवानपुरा)।
इस संस्कृति के दो चरण स्पष्टतः दिखाई पड़ते हैं- प्रथम चरण में यह संस्कृति परवर्ती हड़प्पाकालीन संस्कृति से संबद्ध प्रतीत होती है जिसके प्रभाव भगवानपुर, दधेड़ी, काटपालोन, नगर और संघोल आदि के उत्खनन में मिले हैं। इन स्थलों पर चित्रित धूसर भांड के साथ-साथ उत्तर हड़प्पाकालीन भांड, ताम्र उपकरण और शवाधान मिलते हैं।
द्वितीय चरण में इस संस्कृति में लौह का प्रयोग दिखाई पड़ता है। हस्तिनापुर, अत्रंजीखेड़ा आदि स्थलों के उत्खनन से यह ज्ञात होता है कि गंगा घाटी में इस संस्कृति के लोग गेरूए भांड (OCP) से संबंधित लोगों के बाद आकर बसे थे। हस्तिनापुर में इस संस्कृति के गंगा में बाढ़ में विनष्ट होने के प्रमाण मिले हैं। स्तरीकरण के आधार पर इस संस्कृति की तिथि ई. पू. 1100-ई. पू. 500 वर्ष आँकी जाती है। बाढ़ से हस्तिनापुर के विनष्ट होने से साहित्यिक साक्ष्य तथा महाभारत में उल्लिखित स्थलों से इस भांड के मिलने के आधार पर कतिपय पुरावेत्ता इस संस्कृति को उत्तर वैदिककालीन संस्कृति मानते हैं।
  • palaeo-dendrology -- पुरावृक्षविज्ञान
जीवाश्मित वृक्षों के अध्ययन से संबंधित पुरावनस्पति विज्ञान की एक शाखा।
  • palaeo-ecology -- पुरापारिस्थितिकी
विज्ञान की वह शाखा, जिसके अंतर्गत विगत भूवैज्ञानिक कालों में व्याप्त परिस्थितियों का अध्ययन किया जाता है। इस कार्य में वस्तुतः जीवाश्मों का अध्ययन आवश्यक है, क्योंकि इसके माध्यम से ही पुराकाल की परिस्थितियों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती हैं।
  • palaeo-hydrology -- पुराजलविज्ञान
पुराकालीन सिंचाई और नगरीय जलव्यवस्था के साधनों के अध्ययन का विज्ञान।
  • palaeo-pathology -- पुरारोग विज्ञान
प्राचीन काल के लोगों में व्याप्त रोगों और विकृतियों का अध्ययन। मुख्यतः प्राचीन कंकालों और जीवाश्मों के अध्ययन से अनेक प्रकार के रोगों के निदान और शल्य-कर्म तथा प्राचीन चिकित्सा उपकरणों का ज्ञान प्राप्त होता है। भारतवर्ष में बुर्जहोम तथा कालीबंगा के उत्खनन में प्राप्त कंकालों का अध्ययन इसी विधा से किया गया है।
  • palaeo-zoology -- प्राणिअश्मविज्ञान
विज्ञान की वह शाखा, जिसके अंतर्गत विगत भूवैज्ञानिक कल्पों के प्राणियों का अध्ययन प्राप्त जीवाश्मों के विवेचन द्वारा किया जाता है।
  • palaeobiology -- पुराजीव विज्ञान
प्राचीन जीवों का अध्ययन। इस विज्ञान में विशेषतया प्राचीन जीवों के उस पक्ष का अध्ययन किया जाता है जो विकास तथा अन्य जीवन पहेलियों से संबंधित होता है।
  • palaeobotany -- पुरावनस्पति विज्ञान
अश्मीभूत पादपों का अध्ययन। इसका संबंध भूविज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान दोनों से है। इसका उपयोग प्रागैतिहास के अध्ययन में विशेष रूप से किया जाता है।
  • palaeoclimatology -- पुराजलवायु विज्ञान
पृथ्वी के इतिहास में भूवैज्ञानिक कल्पों की जलवायवी परिस्थितियों की विवेचना से संबंधित विज्ञान।
  • palaeoethnic -- पुराप्रजातीय, पुरानृजातीय
प्राचीनतम मानव-प्रजातियों का या उनसे संबंधित।
  • palaeoethnobotany -- पुरामानव वनस्पतिविज्ञान
प्राचीन काल में मानवों द्वारा प्रयुक्त वनस्पतियों का अध्ययन।
  • palaeographist -- पुरालिपिज्ञ, पुरालिपिविद्
प्राचीन काल में प्रचलित लिपियों का ज्ञाता या अध्येता।
  • palaeography -- 1. पुरालिपि
प्राचीन काल में प्रचलित लिपि।
2. पुरालिपिशास्त्र
अध्ययन की वह विधा जिससे प्राचीन लिपियों के वाचन का व्यवस्थित ज्ञान प्राप्त होता है। इसके अंतर्गत प्राचीन लिपियों की उत्पत्ति, उनका उद्वाचन और काल आदि का निर्धारण किया जाता है।
  • palaeolithic age -- पुरापाषाण युग
अत्यन्त नूतनकालीन मानवीय संस्कृति का प्रथम और सबसे लंबा काल। इस युग की कालावधि प्रथम उपकरण निर्माण (लगभग 25 लाख वर्ष पूर्व) से लेकर अत्यन्त नूतन काल के अन्त तक (लगभग 10,000 वर्ष पूर्व) रहा। यूरोपीय पुरातत्व के संदर्भ में इसके तीन उपविभाग निम्न, मध्य एवं उच्च पुरापाषाण युग किए गए हैं। निम्न पूर्व पाषाण युग में मानव के प्रारंभिक रूप (आस्ट्रेलोपिथेकस तथा उत्तान मानव) और बटिकाश्म पर निर्मित चापर उपकरण तथा क्रोड एवं शल्क पर निर्मित हस्तकुठार मिलते हैं। मध्य पूर्व पाषाण युग में नियान्डरथाल मानव और शल्क-उपकरण उद्योग (मोस्तीरियन) मिलते हैं। उच्च पूर्व पाषाण युग में फलक एवं ब्यूरिन उद्योग, मेधावी मानव तथा गुहा-कला के प्रमाण मिलते हैं। भारतीय पुरातत्व में यूरोपीय वर्गीकरण ही स्वीकार किया जाता है।
  • palaeolithic culture -- पुरापाषाण संस्कृति
देखिए : 'palaeolithic age'.
  • palaeomagnetism -- पुराचुंबकत्व
चट्टानों, अवसादों तथा पुरातात्विक सामग्रियों में लोह-आक्साइड के चुम्बकन द्वारा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता और प्राचीन अभिविन्यास का संरक्षण। पुरातत्व में इसका उपयोग मुख्यतः काल-गणना के लिए किया जाता है। इस विधि द्वारा मनुष्य के विकास के उसी काल का तिथि निर्धारण किया जा सकता है जिसमें मृद्भांडों, ईंट के भट्ठों और चूल्हों आदि का उपयोग होता था। इस विधि का सफलतापूर्वक उपयोग केवल उन्ही स्थलों में होता है जहाँ पर काफी मात्रा में अवशेषों के अनुक्रम मिलते हैं।
  • palaeontological method -- जीवाश्मीय पद्धति
सापेक्ष तिथि-निर्धारण में, जीवाश्म-साक्ष्य का अपना महत्व है। जीवाश्मीय पद्धति से उपकरणों के जमाव की तिथि का पता लगाया जाता है। प्रायः भूगर्भीय जमावों में प्रागैतिहासिक उपकरणों के साथ-साथ जीवाश्मों के अवशेष मिलते हैं। क्रमिक विकास के अवशेषों के साक्ष्य के आधार पर भूवैज्ञानिक कल्पों का काल-निर्धारण किया जाता है। यद्यपि जीवों के विकास संबंधी क्रमिक साक्ष्य उपलब्ध न होने के कारण यह पद्धति अधिक उपयोगी नहीं है, तथापि इसमें संदेह नहीं कि जीवाश्मीय अध्ययन पद्धति के आधार पर प्रागैतिहासिक मानव और तत्कालीन जीवों के संबंध में महत्वपूर्ण सूचना-सामग्री प्राप्त की जा सकती है।
  • palaeontology -- जीवाश्मविज्ञान, पुराजैविकी
भूवैज्ञानिक अतीत के जीवों का अध्ययन। इस विज्ञान में जीवाश्मों के अध्ययन के आधार पर वनस्पतियों और पशुओं के प्राचीन स्वरूप का विवेचन होता है। इस विज्ञान को सामान्यतः तीन उपविभागों, कशेरूकी जीवाश्मिकी (vertibrate palaeontology), अकशेरूकी जीवाश्मिकी (invertibrate palaeontology) तथा पुरावनस्पति (palaeobotany) विज्ञान के रूप में विभाजित किया जाता है।
  • palaeoserology -- पुरासीरम विज्ञान
पुरासीरम विज्ञान में पुराने कंकालों के स्पंजी अस्थि-ऊतकों का अध्ययन और विवेचन किया जाता है। बहुत ठंडी जलवायु में सुरक्षित मानव-अवशेषों का अध्ययन भी इस विज्ञान के अंतर्गत किया जाता है।
  • palaeosols -- पुरानिखात
स्तरों के अनुक्रमों में प्राप्त जीवाश्मी मृदा के विशिष्ट निक्षेप। ये निक्षेप उपउत्तराहिमानी स्थिति के द्योतक हैं जब वनस्पतियाँ क्षेत्र विशेष में उगने लगी थीं। नीदरलैंड, उत्तरी जर्मनी तथा डेन्मार्क के वाइशेलियन (Weichelian) लोएस अनुक्रमों में इस प्रकार के निक्षेप मिलते हैं।
  • palaeozoic Era -- पुराजीवी महाकल्प
भूवैज्ञानिक इतिहास का एक बड़ा विभाजन जो कैम्ब्रियायी काल से लेकर पर्मियायी के अंत में समाप्त होता है। इसका काल 57 से 22.5 करोड़ वर्ष पूर्व माना जाता है। इस काल से अपृष्ठवंशी (invertibrate) प्राणी-युग का समारंभ हुआ।
  • palafitta -- झीलनिवास, झीलघर
नवपाषाण काल और कांस्ययुग में उत्तरी इटली में बने स्थूणावासों (pile dwellings) के ग्रामों का ईतालवी भाषा में नाम।
  • palette -- रंगपट्टिका
(1) रंग और प्रसाधन-सामग्री को पीसने के लिए प्रयुक्त सिल। लगभग ई. पू. 3000 में बनी, इस प्रकार की रंगपट्टिका मिस्र के राजवंशीय काल के प्रारंभ से ही मिलने लगती है।
(2) पतला गोलाकार या वर्गाकार पटल या पट्टी, जिसमें उसे पकड़ने के लिए एक ओर छिद्र बना होता है। यह संज्ञा चीनी मिट्टी या काँच के उस पात्र के लिए भी प्रयुक्त होती है, जिसमें कलाकार अपने रंगों को मिलाता है। यूरोप में, पुनर्जागरण काल के आरंभ में, यह रंगपट्टिका दृढ़ काष्ठ से बनी होती थी और इसे पकड़ने के लिए इसमें हत्था या अंगुष्ठ-छिद्र बना होता था।
  • palimpsest -- उपर्यालिखित, पैलिंपसेस्ट
(1) वह कागज या अन्य लेखन-सामग्री जिसकी मूल लिपि को मिटाकर उसके ऊपर दूसरी लिपि लिखी गई हो।
(2) कोई पांडुलिपि जिसपर एक या दो बार लिखकर मिटाई अवस्थित हो ।
  • palisade -- काष्ठ प्राचीन, घेरा, कठघरा
रक्षा के लिए बनाई गई लकड़ी की एक ऊँची दीवार; जमीन में गाड़े गए शहतीरों से बना घेरा।
भारतवर्ष में, पाटलीपुत्र के उत्खनन में लकड़ी की चहार-दीवारी के अवशेष मिले हैं, जिन्हें सामान्य बोलचाल की भाषा में 'लकड़कोट' (काष्ठ निर्मित दुर्ग) कहा जाता है।
  • Palladium -- पैलेडिआन
पैलास एथेना देवी की मूर्ति; विशेषकर ट्राय की वह मूर्ति, जिसके बारे में यह मान्यता थी कि ट्राय नगर तभी तक सुरक्षित रह सकता है जब तक मूर्ति नगर में सुरक्षित है। इस मूर्ति को, ओडेसस और डायोमिडस ट्राय पर विजय प्राप्त कर उठा ले गए। अनुश्रुतियों के आधार पर यह माना जाता है कि बाद में यही मूर्ति रोम ले जाई गई।
  • palstave -- पालस्टेव
मध्य कांस्यकालीन यूरोप की एक विशिष्ट कांस्य कुठार जिसका ऊपरी सिरा (मूठ) कोरदार, फलक और मूठ के मध्य, अवरोधक कटक (stop ridge) बना होता था। इन विशिष्टाओं के कारण उसे मूठ में मजबूती के साथ फँसाया जा सकता था। उसे और अच्छी तरह से आसानी के साथ मूठ में बाँधने के लिए पार्श्व में एक अथवा दो छल्ले बने होते थे।
  • palynology -- परागाणु विज्ञान
परागकण तथा बीजाणुओं के अध्ययन से संबंधित वनस्पति विज्ञान की एक शाखा। परागाणु का बाह्य खोल दृढ़ होता है तथा इस कारण वह जीवाश्म रूप में परिरक्षित रह जाता है। प्राचीन वनस्पतियों तथा वातावरण के बारे में इनसे महत्वपूर्ण सूचना मिलती है।
  • palynostratigraphy -- परागाणु स्तर विन्यास
किसी स्तर में विद्यमान परागाणु प्रकारों का निर्धारण। इसके माध्यम से वनस्पति के प्रकार आदि का पता लगता है तथा उस युग के पेड़-पौधे तथा जलवायु-विषयक सूचना भी प्राप्त की जाती है।
  • papyrus -- पेपाइरस
उत्तरी मिस्र में नीलघाटी तथा भूमध्यसागरीय प्रदेशों में उत्पन्न होने वाला एक विशेष प्रकार का नरकुल। प्राचीन मिस्रवासी इसका प्रयोग कागज़ बनाने के लिए किया करते थे। लेखन-सामग्री के रूप में इसका प्रयोग कब से आरंभ हुआ, यह ज्ञात नहीं है। लगभग ई. पू. 3000 में प्रथम राजवंशकालीन सक्करा (Saqqara) के मकबरे में लेख रहित एक पेपाइरस वल्लित-पत्र मिला है, पर लेखयुक्त पेपाइरस ई. पू. 2500 से ई. 1000 तक की अवधि में मिलते हैं। आधुनिक अंग्रेजी का शब्द पेपर इसी से उद्भूत है। पेपाइरस लेख मिस्र, यूनान एवं रोम के प्राचीन इतिहास के बारे में जानने के मुख्य साधन हैं।
  • parallel trench -- समानांतर खाई
किसी पुरातात्विक स्थल की खुदाई करने की प्रविधि, जिसके अंतर्गत समानांतर खाई बनाकर खुदाई की जाती है। सर्वप्रथम चिह्न बनाकर खुदाई आरंभ की जाती है। खुदाई में दीवार के अंश मिलने पर दीवार का सहारा लेकर खुदाई की जाती है और शनैः शनैः स्थान का प्राचीन आकार निकल आता है। इस खुदाई का प्रयोग भूगर्भ में छिपी दीवारों का पता लगाने तथा एक स्थान पर विद्यमान भिन्न-भिन्न कालों की सम्यताओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  • parasol -- छत्र, छतरी
सम्मान-चिह्न के रूप में, विशिष्ट राजपुरुषों या सामंतों के ऊपर लगा हुआ छाता। राज-चिह्न के रूप में इसका प्रयोग इंका संस्कृति में बहुत मिलता है।
  • parcel gilt -- आंशिक स्वर्ण-रंजित
अपेक्षाकृत कम मूल्यवान धातु से बनी मूर्ति, संरचना या कृति के किसी एक पक्ष या सीमित भाग पर सोने का पानी या झोल चढ़ाना।
  • parent boulder -- मूल गोलाश्म
वह मुख्य गोलाकार पत्थर जिससे काट-छाँट कर उपकरण बनाया गया हो।
  • Parthenon -- पार्थिनान
एथेन्स में, एक्रोपोलिस पर बना कुमारी अथीना देवी का मंदिर। पंद्रह वर्षों में (ई. पू. 447 से ई. पू. 432) इसका निर्माण पेरीक्लीज़ के शासन काल में हुआ।
इक्तीनस (Ictinus)और कालीक्रोतेस (Callicrates) नामक वास्तुकारों द्वारा इसका निर्माण मूर्तिकार फिडियास (Phidias) के निरीक्षण में किया गया। 40 फुट ऊँची अथीना देवी की हेमदंत भूषित (Chyselephantine) महान मूर्ति में फिडियास का विशिष्ट योगदान था। एथेन्स के उत्तर में स्थित पन्देलिकोन पर्वत के संगमरमर से बना यह मंदिर डोरिक वास्तुकला का उत्कृष्टतम रूप है। इस मंदिर में उद्भूत चित्र-वल्लरी (frieze) यूनानी मूर्ति शिल्प के उदाहरण हैं।
पार्थिनान की योजना समानांतर चतुर्भुजी है, जो दो मुख्य भागों में विभाजित है। उस मंदिर में बाहर की ओर प्रत्येक छोर पर आठ-आठ स्तंभ बने हैं और प्रत्येक भाग में सत्रह स्तंभ निर्मित हैं।
  • passage grave -- सुरंग-कब्र
प्रागैतिहासिक यूरोप के महापाषाण स्मारकों का एक प्रमुख प्रकार जिसकी विशिष्टता एक गोलाकार टीले में कब्र का बना होना तथा उसमें प्रवेश के लिए अलग से एक मार्ग का निर्माण होता था। विद्वानों का अनुमान है कि सुरंग-कब्र का आरंभ किसी स्थान विशेष से हुआ होगा, जहाँ से अन्य स्थानों में यह प्रसारित हुई। पूरे यूरोप में जहाँ भी महापाषाण स्मारक मिलते हैं सुरंग-कब्र भी मिलती हैं। परन्तु इनका मुख्य वितरण क्षेत्र पश्चिमी भाग में मिलता है। प्राचीनतम सुरंग-कब्र ब्रिटानी से मिली है जो ई. पू. 4500 से पहले की है। अन्य क्षत्रों में ये कब्रें कांस्यकाल में भी निर्मित होती रहीं।
  • paten -- रकाबी, थालीका
धातु का बना तश्तरीनुमा छिछला पात्र, जिसके किनारे बाहर की ओर मुड़े हों। यह छिछली छोटी थाली के रूप में बनी होती है।
  • patera -- 1. अलंकृत रकाबी
वह रकाबी, जिसे तक्षण कर पर्याप्त रूप से सजाया गया हो। भवनों अथवा फर्निचरों के अलंकरण के लिए प्रयुक्त छिछली थालीनुमा तश्तरी प्रायः वृत्ताकार अथवा अंडाकार होती है।
2. पतेरा, रकाबी
प्राचीन रोमनों द्वारा यज्ञ के समय पीने अथवा तर्पण के लिए प्रयुक्त मिट्टी या धातु का बना तश्तरीनुमा पात्र विशेष।
  • patina -- पैटिना, छदिमा
रासायनिक प्रक्रिया के प्रभाव से परिवर्तित सतह। प्राचीन इमारतों, प्रस्तर-खंडों, मूर्तियों, आयुधों तथा तांबे और कांसे की वस्तुओं की सतह पर आर्द्रता, अवसाद (sedimentation) के प्रभाव से एक रासायनिक तह जम जाती है जो हरे, श्वेत, पीले तथा भूरे रंग की हो सकती है। पैटिना की सतह की अधिकता से वस्तु की प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है, परन्तु तिथि-निर्धारण के लिए इसका सहारा नहीं लिया जा सकता।
  • patinated coin -- मोर्चा लगा सिक्का
पीतल, तांबे या कांसे आदि किसी धातु या एकाधिक धातुओं से बना सिक्का, जिसमें जंग लग गया हो। समय के प्रभाव से सिक्कों पर इस प्रकार का जंग लग जाता है। पुरातात्विक उत्खननों के परिणामस्वरूप प्राप्त जंग लगे सिक्कों को रसायनों की सहायता से साफ किया जा सकता है।
  • patination -- पैटिनीकरण, छदिमा लगना
किसी पत्थर, मिट्टी, धातु आदि से बनी वस्तुओं के ऊपर का बाहरी जमाव। इस जमाव के द्वारा कभी-कभी मूल वस्तु की ऊपरी सतह का रंग बदल जाता है। यह रंग-परिवर्तन आर्द्रता-जन्य रासायनिक प्रक्रियाओं के कारण होता है।
देखिए : 'patina'
  • pear-shaped handaxe -- नाशपात्याकार हस्तकुठार
निम्न पूर्व पाषाणकालीन हस्तकुठारों का एक प्रकार। इस उपकरण को पकड़ने का नीचेवाला संपूर्ण भाग (मूठ) अनगढ़ होता है और शल्कीकरण केवल कार्यकारी धार तक ही सीमित रहता है। इस हस्तकुठार का आकार नाशपाती से मिलता-जुलता है। डॉ, सांकलिया ने मूठयुक्त गुटिकाश्म हस्तकुठार (pebble-butted handaxe) को इस श्रेणी में रखा है क्योंकि उनका आकार भी लगभग नाशपाती जैसा ही होता है।
  • peat -- पीट
जैविक पदार्थों, विशेषकर वनस्पतियों के अपघटन और विघटन से उत्पन्न गहरे भूरे अथवा काले रंग का जमाव। ऐसे जमावों में पादप (plant) एवं कंकाल लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं जो प्रागैतिहासिक अध्ययन में विशेष उपयोगी हैं।
  • pebble -- गुटिका
4 मिलीमीटर से लेकर 64 मिलीमीटर तक के व्यास वाले शैल खंड जो वायु, जल या हिमानी बर्फ के द्वारा घिसकर चिकने और गोलाकार हो जाते हैं।
  • pebble scraper -- बटिकाश्म खुरचनी, बटिकाश्म क्षुरक
बटिकाश्म का बना प्रागैतिहासिक उपकरण। इसमें धार प्रायः एक ओर बनी होती है। मोवियम के अनुसार छोटा चॉपर ही खुरचनी होता है।
  • pebble tool -- बटिकाश्म उपकरण, बटिकाश्म औज़ार
नदियों में बहनेवाली पत्थर की बटिकाओं को तोड़कर बनाए गए उपकरण। ये बटिकाएँ धारा-प्रवाह में बहने और लुढ़कने के कारण चिकनी और गोलाकार हो जाती हैं। बटिकाश्म उपकरण मानव निर्मित प्राचीनतम उपकरण माने जाते हैं। अफ्रीका की ओल्डवाई संस्कृति के बटिकाश्म उपकरण सर्वाधिक प्राचीन (लगभग 18 लाख वर्ष पूर्व) माने गए हैं। भारत में, ये उपकरण अनेक स्थानों में बहुतायत से मिले हैं, जिनमें सोन-उद्योग विशेष उल्लेखनीय है। इन उपकरणों के दो प्रमुख प्रकार हैं -- (i) चॉपर व (ii) चोपिंग।
  • pebble tool industry -- बटिकाश्म उपकरण-उद्योग
किसी क्षेत्र विशेष में प्राप्त बटिकाश्म उपकरणों का प्रतिशत अन्य प्रकार के उपकरणों की अपेक्षा अधिक होने पर, उसे बटिकाश्म उपकरण उद्योग का क्षेत्र कहा जाता है। भारत में, सोन-क्षेत्र इसका उदाहरण है, जहाँ से ये प्राचीनतम उपकरण बहुतायत में प्राप्त हुए हैं।
इस उद्योग के प्रमुख स्थलों में, दक्षिण अफ्रीका के प्रीस्टलेनवाश, युगांडा के काफुअन, केनिया के आल्डोवन, वर्मा के एनियाथियाँ, जावा के पर्टाजटेनियन तथा चीन के चौकोतियाँ आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
  • pebble-butted handaxe -- मूठयुक्त गुटिकाश्म हस्तकुठार
निम्न पूर्व पाषाणकालीन हस्तकुठारों का एक प्रकार। इस हस्त कुठार की अनगढ़ मूठ पर बटिकाश्म का वाह्यक (cortex) विद्यमान होता है। इस उपकरण की कार्यकारी धार निकालने के लिए दोनों ओर से शल्क निकाल कर नुकीला बनाया जाता था।
  • pecking technique -- टंकन-प्रविधि
प्रागैतिहासिक मानव द्वारा पाषाण हथौड़े से आघात कर पाषाण उपकरण अथवा उस पर अलंकरण करने की तकनीक।
  • pectoral ornaments -- वक्ष अलंकरण
गले में डालकर छाती पर धारण किया जाने वाला अलंकरण।
  • pedology -- मृदा-विज्ञान
वह विज्ञान जो मृदाओं और उनकी उत्पत्ति की तथा उनके लक्षणों और उपयोगों की विवेचना करता है।
इस विज्ञान का पुरातत्व में व्यापक प्रयोग किया जाता है। किसी भी पुरास्थल के स्तर विशेष के मृदा विश्लेषण द्वारा यह सरलता से जाना जा सकता है कि वह मानवनिर्मित स्तर है अथवा प्राकृतिक।
  • pegasus -- सपक्ष अश्व
यूनानी धर्म-कथा में वर्णित दो पंखों वाला घोड़ा, जो मेडूसा के रक्त से उसकी मृत्यु के उपरांत उत्पन्न बताया जाता है। प्राचीन ईरानी तथा भारतीय कला में, सपक्ष अश्व का रूपांकन मिलता है।
  • Peking man (=Sinanthropus Pekinensis) -- पीकिंग मानव
पीकिंग के समीप चोकोटियन गुफा से डेविडसन ब्लैक द्वारा 1927 ई. में प्राप्त प्राचीन मानव के जीवाश्म। इस उत्तान मानव (homoerectus) स्पेशीज़ की मस्तिष्क क्षमता 1100 सी. सी.-1200 सी. सी. मापी गई है। इसका प्राचीन नाम 'पिथिकेन्थ्रोपस पेकिनेन्सिस' था। सामान्य भाषा में इसे पीकिंग मानव भी कहा जाता है। इनके जीवाश्मों के साथ पाषाण निर्मित 'चॉपर-चापिंग' मिले हैं। अग्नि प्रयोग का सर्वप्रथम प्रमाण इन्हीं के अवशेषों के साथ प्राप्त हुआ है। इनका काल लगभग 450,000 वर्ष पूर्व माना जाता है।
  • Pellet -- गोली, गोफन-गोली
पत्थर या मिट्टी की बनी गुटिका जिसे गुलेल अथवा छींके जैसे बने छोटे जालक में रखकर दूर तक फेंक कर मार किया जा सकता था। प्राचीन काल से ही प्रक्षेपास्त्र के रूप में इसके प्रयोग के प्रमाण मिलते हैं।
  • Pellet bow -- गुटिका प्रक्षेपक धनुष, गुलेल
(क) पत्थरों को दूर फेंकने के लिए बनाया गया प्राचीन क्रास धनुष या गोफन-अवक्षेपक।
(ख) मिट्टी या पत्थर की गोलियों को दूर तक फेंकने के लिए बनाया गया धनुष की तरह का उपकरण।
  • pendant (=pendent) -- लटकन, लंबक, लुंबी
(1) छत, अंतश्छद आदि में लटकनेवाला अलंकरण। गाँथिक वास्तुकला की परवर्ती शैली में, इस प्रकार के अलंकरण का बहुत अधिक प्रचलन था। भारतीय वास्तुकला में भी अलंकरण के लिए प्रायः कमलाकृति के लटकन बनाए जाते थे।
(2) गले के हार तथा मेखला को अलंकृत करने के लिए बनी लटकन। भारतीय मूर्तिकला और चित्रकला में, इस प्रकार की लटकन बहुतायत से मिलती है। उत्खनन में धातु, पाषाण, हाथीदाँत तथा मिट्टी की लटकनें मिली हैं।
  • penetralia -- अंतर्देवालय, गर्भगृह
किसी भवन, विशेषकर मंदिर या प्रासाद का आभ्यंतरिक भाग; मंदिर की वह कोणी, जिसमें देव-प्रतिमा स्थापित हो।
  • pentacle -- पंचकोण तारा
पंचकोणी ताराकृति, जिसका प्रयोग ताबीज या रक्षाप्रतीक के रूप में किया जाता रहा है। भारतीय तंत्रशास्त्र में इस प्रतीक का प्रयोग मिलता है।
  • Peoples of the sea -- समुद्री लोग
ई. पू. तेरहवीं और चौदहवीं शताब्दी में मिस्र पर दो बार आक्रणण करने वाले लोग। इन युद्धों में वे पराजित हुए थे। अनेक मिस्री स्मारकों में (ई. पू. बारहवीं सदी का मेडिनेट हाबू मंदिर), इस घटना को अंकित किया गया है। संभवतः ये आक्रमणकारी ईजियन और एनातोलियाई क्षेत्र के वासी थे।
  • percussion flaking -- आघात शल्कन
पाषाणयुगीन प्रस्तर उपकरण बनाने की एक प्रविधि। पत्थर पर लकड़ी, हड्डी या प्रस्तर प्रहार कर, पतले और लंबे शल्क निकालना, जिससे उसका कार्यांग धारदार बन सके।
  • percussion method -- आघात-विधि
प्रागैतिहासिक पाषाण-उपकरण निर्माण की प्रमुख प्रविधि, जिसके अंतर्गत जिस पाषाण से उपकरण बनाना अभिप्रेत हो, उस पर हथौड़े से प्रहार कर शल्क निकाले जाते थे।
अप्रत्यक्ष आघात-विधि का प्रयोग मुख्यतः फलक (blade) निकालने के लिए किया जाता था। अप्रत्यक्ष आघात-प्रविधि में, क्रोड के आगात-स्थल पर हड्डी या सख्त लकड़ी को किनारे पर रख कर धीरे-धीरे हथौड़े से अप्रत्यक्ष रूप से प्रहार किया जाता था।
  • perforated jar -- छिद्रित कलश
सुराही जैसा एक पात्र, जिसमें अनेक छोटे-छोटे छेद बने हों। भारत की हड़प्पा संस्कृति में इस प्रकार के छिद्रित भांड मिले हैं।
  • perforated lid -- छिद्रित ढक्कन
किसी भी प्रकार के पात्र के ऊपर रखने का छेददार ढक्कन।
  • Pergamum -- पेर्गामम
हेलेनिस्टिककालीन अनातोलिया का एक महत्वपूर्ण यूनानी नगर जो स्थानीय अट्टालिद राजवंश (Attalid dynasty) की राजधानी थी। चमड़े को लेखन-सामग्री के रूप में सर्वप्रथम प्रयोग करने के कारण ये बाद तक विख्यात थे। यह साहित्य, कला और विज्ञान का प्रमुख केन्द्र रहा और यहाँ पर स्थापित ग्रंथालय अलक्जेंड्रिया के ग्रंथालय के समान ही सुविख्यात एवं सम्पन्न था। रोमन काल में भी यह एक कला केन्द्र के रूप में जाना जाता था। इन्होंने मूर्तिकला की स्थानीय शैली विकसित की थी।
  • periglacial -- परिहिमानी
ऊष्णकटिबंधीय प्रदेशों में चतुर्थक हिमचादरों की चतुर्दिक आधुनिक दशा। इस क्षेत्र में धरा का एक भाग सदैव हिमशीतित रहता है जिसके ऊपर एक हिम द्रवित और हिमशीतित क्रियाशील स्तर होता है। जलवायुगत परिवर्तनों के कारण इस क्रियाशील स्तर में अनेक प्रक्रियाएँ आरंभ हो जाती हैं जिन्हें तुषारी-क्रिया (cryoturbation) कहते हैं। ग्रीष्मकाल में जब यह क्रियाशील स्तर हिमद्रवित होता है तब धरातल का जमाव नीचे की ओर बहने लगता है। परिहिमानी क्षेत्र की नदियाँ मौसमी होती हैंऔर इस क्षेत्र में तुषारी-क्रिया द्वारा तीव्र भूअपरदन होता है। वायु-क्रिया द्वारा भूक्षरण एवं निक्षेपण भी होता है, जिसके फलस्वरूप यूरोप और एशिया महाद्वीप में बड़े-बड़े गाद मिट्टी (loess) और बालू के जमाव मिलते हैं। ये क्षेत्र प्रागितिहास में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसी वातावरण में प्रारंभिक मानव लंबे समय तक निवास करता रहा।
  • peripheral nucleates -- परिधीय केंद्रक
निम्नपूर्वपाषाणकालीन बटिकाश्म उपकरण की पूरी परिधि में बना कार्यांग जिसके केन्द्र के दोनों पृष्ठों पर बाह्यक (cortex) विद्यमान रहता है।
देखिए : 'nucleates'.
  • peristalith -- प्रस्तर-वृत्त, पाषाण-वृत्त
पत्थरों का घेरा; किसी टीले या महापाषाण तुंब के चारों ओर पत्थरों से बना घेरा।
  • peristyle -- परिस्तंभ
किसी भवन के चारों ओर अथवा भवन के अन्दर प्रांगण या कक्ष के चतुर्दिक बनी स्तंभ-पंक्ति।
  • Peruvian Late Horizon -- पेरू का अधुनातन काल
पेरू के पुरातत्व का सबसे अधुनातन काल जो ई. 1476 से ई. 1534 तक रहा। इस काल में इंका संस्कृति अपने चरमोत्कर्ष पर थी।
  • Pewter -- 1. प्यूटर, अधित्रपु
वह मिश्र धातु जिसका प्रमुख घटक टीन होता है। उत्तम श्रेणी के कांस्य में टीन के साथ थोड़ा-सा ऐंटिमनी, तांबा और बिस्मथ मिला होता है। घटिया दर्जे के कांस्य में सीसा मिला होता है। इस धातु का प्रयोग अति प्राचीन काल से घरेलू बर्तनों के लिए किया जाता रहा है।
2. प्यूटर पात्र
कांसा या प्यूटर नामक मिश्र धातु से बना बर्तन।
  • phallic emblem -- लिंग-प्रतीक
शिश्न का प्रतीक रूप। यह जगत की उत्पत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। अनादि काल से पाषाण तथा धातुओं आदि के बने लिंग-प्रतीक प्रचलित रहे हैं। विश्व के अनेक देशों में आदिम धर्मों, शामी लोगों तथा यूनानी डायोनिसस धर्म में इस प्रतीक का प्रचलन था।
भारत में हड़प्पा काल से ही लिंग-प्रतीक मिलने लगते हैं। कालांतर में यह शिव के प्रतीक रूप में प्रचलित हुआ। लिंग-प्रतीक एकमुखी, चतुर्मुखी तथा पंचमुखी रूपों में भी मिलते हैं। बारह प्रमुख शिवलिंग ज्योतिर्लिंग के नाम से जाने जाते हैं।
  • phallic worship -- लिंगोपासना
प्रजनन शक्ति की शिश्न के रूप में उपासना की प्राचीन काल से प्रचलित प्रथा। हिंदू धर्म में जनन का प्रतीक शिव लिंग को माना गया है।
देखिए : 'phallic emblem'.
  • Pharaoh -- फेरो, फराऊन
हिन्दुओं द्वारा मिस्र के प्रसिद्ध राजवंश को दिया गया उपाधि नाम। इस शब्द की व्युत्पत्ति या तो 'परा' (PARA) से हुई होगी जिसका अर्थ सूर्य है जो इन शासकों के प्रमुख देवता थे अथवा 'फूरो' (PHOURO) से हुआ होगा जिसका अर्थ 'राजा' होता है।
मिस्र के ये शासक स्वयं को शासक और ईश्वर दोनों का रूप मानते थे। इन्होंने अपने शवाधानों में प्रचुर धनराशि और श्रम लगाकर भव्य पिरामिडों का निर्माण कराया, जो विश्व के अभूतपूर्व पुरातात्विक स्मारक माने जाते हैं। इन राजाओं की प्रत्येक शाखा ने एक-एक वंश प्रवर्तित किया, जिनमें कुल मिला कर 31 शासक हुए।
  • Phidian -- फीडियासी
यूनान के ई. पू. 5 वी शाताब्दी के महान मूर्तिकार फिडियास या उसकी कला शैली से सम्बद्ध।
  • phoenix -- फीनिक्स, अमरपक्षी
मिस्र का वह मिथक पक्षी, जिसके विषय में कहा जाता है कि वह हेलियोपोलिस में हर पाँच सौ वर्ष में एक बार प्रकट होता है। अपने ही शरीर की राख से इसका पुनः उत्पन्न होना माना जाता है। प्राचीन कला में इसका चित्रण मिलता है। चीन, जापान और प्राच्य कला में इस पक्षी को आग की लपटों के बीच दर्शाया गया है।
  • phosphate surveying -- फास्फेट सर्वेक्षण
परीक्षण द्वारा मिट्टी में विद्यमान अंश का पता लगाना। फास्फेट मृदा का एक प्राकृतिक घटक हैं। भूमि के किसी विशिष्ट क्षेत्र में मानव तथा जीवों की अस्थियों, मल एवं खाद्य पदार्थों के विघटन, सड़न और गलने से, क्षेत्र विशेष में मृदा का फास्फेट अंश काफी बढ़ जाता है। मृदा में मिला फास्फेट प्रायः अविलेय (insoluble) रूप में होता है जहाँ पर मानव-आवास होते हैं, वहाँ मृदा में फास्फेट का औसत बहुत अधिक होता है, जो हजारों वर्षों तक स्थिर रहता है।
मृदा में मिले फास्फेट के विश्लेषण से, मानव-आवासों, पशुओं की उपलब्धि तथा अन्य विशिष्टताओं का पता लगाया जाता है। इस विधि में अनेक कमियों के कारण इसका पुरातत्व में प्रयोग बहुत कम होता है।
  • photogrammetry -- फोटोग्राम मिति
फोटो चित्रों के नापजोख द्वारा सर्वेक्षण की एक प्रविधि। इस प्रविधि में प्रायः फोटोग्राम के त्रिविमी युग्मों (stereoscopic pairs) का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग हवाई फोटो चित्रों के प्रांकन तथा मानचित्रों के निर्माण में किया जाता है। पुरातत्व में इसके द्वारा प्राचीन स्थलों की खोज करने, भावी उत्खननों की योजना बनाने तथा स्मारकों और मूर्तियों के आरेखन में किया जाता है।
  • Phyrygian -- फ्रीजियाई
(क) मध्य तुर्की के पश्चिमी भाग में स्थित प्राचीन देश फ्रीजिया का मूल निवासी; फ्रीजिया से संबंधित। लगभग ई. पू. 750-ई. पू. 680 तक फ्रीजियाई राजतंत्र शक्तिशाली रहा। इसकी राजधानी गार्डिओन (GORDION) थी। कुछ विद्वानों ने इनका भारोपीय उद्भव माना है। फ्रीजियाई लोग अपने शैलकृत धर्म स्थलों तथा समुद्र शवाधानों के लिए प्रसिद्ध थे।
(ख) फ्रीजिया की भाषा या उसके निवासियों से संबंधित।
  • pick (=pick axe) -- गैंती, कुदाली
मिट्टी खोदने का छोटा औजार। इसमें बेंट फँसाने के लिए छिद्र बना होता है। कुदाली या गैंती उत्खनन के आरंभिक औजार हैं।
  • pictograph -- चित्र-लेख
(1) गुहाओं, शिलागृहों, पहाड़ की चट्टानों आदि पर प्राचीन कालीन मानवों द्वारा उत्कीर्ण या चित्रित आकृतियाँ। ये प्रायः विविध रंगों से बनी होती थी।
(2) मानवीय या प्राकृतिक वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतीकों का चित्रण जो उन वस्तुओं अथवा भावों को दर्शाती है। प्राचीन विश्व में इस प्रकार के चित्र-लेख तथा प्रतीक प्रचुर संख्या में मिले हैं।
  • pictography -- 1. चित्रलिपि
अति प्राचीन काल में प्रयुक्त वह लिपि, जिसमें वस्तुओं और क्रियाओं के चित्रों के माध्यम से भावों की अभिव्यक्ति की जाती थी।
2. चित्रलेखन
चित्र बनाने की कला या क्रिया।
  • pietra dura work -- पच्चीकारी
कठोर तथा अर्ध मूल्यवान पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़ों को फर्श, दीवार या छतों आदि में जमा कर बैठाने या जड़ने का काम।
  • pigmentation -- वर्णकता, रंजकता
रंगों का जमाव या रंगजन्य सजावट।
  • pigmy flint -- 1. छोटा चकमक
आकार में काफी छोटा चकमक पत्थर।
2. लघु चकमक (उपकरण)
चकमक पत्थर का बना छोटे आकार का उपकरण।
  • pigmy implement -- लघु उपकरण, छोटा औजार
काम करने में सहायक छोटे आकार का औजार।
  • pillar edict -- स्तंभ-लेख
किसी खंभे पर उत्कीर्ण अभिलेख। विश्व के अनेक भागों में प्राचीन लिपियों में स्तंभों पर उत्कीर्ण अनेक अभिलेख मिले हैं। ईरान में दारा तथा भारतवर्ष में, सम्राट अशोक महान् के स्तंभलेख तत्कालीन इतिहास ज्ञान के प्रमुख स्रोत हैं।
  • Piltdown man -- पिल्टडाउन मानव
इंग्लैंड के ससेक्स प्रदेश के पिल्टडाउन नामक स्थान में मिले मानव अवशेष, जिनके आधार पर पिल्टडाउन मानव के अस्तित्व का प्रतिपादन किया गया। इन अवशेषों को सन् 1911-1915 के बीच चार्ल्स डासन (Charles Dawson) नामक व्यक्ति ने, प्रारंभिक अत्यंत नूतन युग (Pleistocene) के प्रारंभ काल का बताया। इसे इआनथ्रोपस डासोनी (Eoanthropus Dawsoni) नाम दिया गया और मानव विकास में 'लुप्त कड़ी' (missing link) की खोज बताया गया। परन्तु, सन् 1953 में, फ्लोरीन परीक्षण से यह पता चला कि यह एक वैज्ञानिक जालसाज़ी थी। वास्तव में, प्राप्त मस्तिष्क मेधावी मानव का और जबड़ा किसी आधुनिक वनमानुष ओरांगअटन (Orangutang) का था। इसके साथ प्राप्त उपकरण भी, किसी जालसाज ने रासायनिक प्रक्रिया से प्राचीन-सा बना दिया था।
  • pilum -- बड़ा बर्छा, पाइलम
प्राचीन रोम के पैदल सैनिकों द्वारा प्रयुक्त भारी भाला।
  • pintadera -- पिन्टाडेरा
मानव शरीर या मुख पर अलंकारिक चित्रण के लिए प्रयुक्त विशेष प्रकार की मिट्टी की मुहर जिसके पृष्ठ भाग पर हत्था बना होता था। मोहरों का प्रयोग मध्य यूरोप, इटली और अमरीका की नवपाषाणकालीन संस्कृतियों में मिलता है।
  • pipe-stem dating -- पाइप-स्टैम तैथिकी
अमरीकी उपनिवेशकालीन अवशेषों में प्राप्त मृदा-पाइपों के घेरे की विभिन्नता के आधार पर उनके काल-निर्धारण की एक प्रविधि।
  • Pirri point -- पिरी वेधनी
पत्ती के आकार की एक नुकीली प्रागैतिहासिक आस्ट्रेलियाई पाषाण वेधनी। यह सात सेंटीमीटर तक लंबी और पृष्ठ धरातल में चतुर्दिक मिलती है। इसका काल, ई. पू. 3000 वर्ष आँका गया है।
  • pise -- मृतस्कंध, मटकंधा, गोंदा
किसी फर्श अथवा दीवार को बनाने के लिए प्रयुक्त सानी हुई मिट्टी के पिंड जिसे एक के ऊपर एक रखकर थापा जाता था।
  • pit register -- गर्त-पंजिका
वह रजिस्टर, जिसमें उत्खनित खदान की स्थिति, उसका स्तर, प्राप्त वस्तु-विवरण, स्तरीय गहराई, मिट्टी के ब्यौरे आदि का विस्तृत विवरण रहता है। खुदाई के बाद प्राप्त वस्तुओं का मूल्यांकन करने में यह संकलित विवरण महत्वपूर्ण और उपयोगी होता है। खुदाई हो जाने के बाद भी गर्त-पंजिका की सहायता से प्रत्येक उत्खनित वस्तु की मूल स्थिति का ज्ञान प्राप्त हो सकता है।
  • Pit-comb ware -- पिट-काम्ब मृद्भांड
छोटे-छोटे गड्ढों तथा कंघी की आकृति से अलंकृत पश्चिमी यूरोप के परिध्रुवीय संस्कृतियों (circumpolar cultures) का एक विशिष्ट मृद्भांड।
  • Pithecanthropus man -- कपि मानव, पिथिकैथ्रोपस मानव
मुख्यतः जावा से प्राप्त प्रारंभिक जीवाश्मों को दिया गया नाम जिसे अब होमो इरेक्टस जाति के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है। अनुमान है कि इस मानव का कद 1.52 मीटर से कुछ अधिक था और यह सीधा होकर चलता था। इसका मस्तक पीछे की ओर धंसा व भौंह की हड्डी उभरी थी और इसके चिबुक नहीं था। इसके अवशेष जावा, चौकोतिया (पीर्किक), ओल्डवी (पूर्वी अफ्रीका) तथा यूरोप में मिले हैं। अफ्रीकी स्थलों में इनके बनाए हस्तकुठार तथा चीन के चोकोतिया और यूरोप के वर्तेसज़ोलोस (Vrrtezzollos) में गुटिकाश्म उपकरण मिले हैं। जावा मानव की तिथि लगभग पाँच लाख वर्ष पूर्व मानी जाती है।
  • pithos -- बृहद् ढोलाकार बर्तन, पिथॉस
चौड़े मुँह वाला बैपैंदी का वृहदाकार मिट्टी का मटका। इसका उपयोग द्रव (तेल, मदिरा आदि) अथवा अन्न भंडारण के लिए किया जाता था। प्राचीन कालीन यूनान में भंडारण के अतिरिक्त इसका उपयोग शवाधान कलश के रूप में भी मिलता है। बड़ी संख्या में इस प्रकार के पात्र क्रीट द्वीप में क्नोसौंस के राजप्रासाद के भंडारगृह में फर्श पर जमाकर पंक्तिबद्ध मिले हैं। भारत में भी इस प्रकार के पात्र प्रचुर संख्या में मिले हैं।
  • pithos burial -- पिथॉस शवाधान
शवाधान की रीति विशेष, जिसके अंतर्गत मानव शरीर को विशाल मृद्भांडों में रखकर गाड़ दिया जाता था।
देखिए : 'pithos'.
  • Pleistocene epoch -- अत्यंत नूतन युग
भूवैज्ञानिक समय सारिणी में चतुर्थ कल्प के दो युगों में से पहले वाला युग। इस युग में चार हिमयुग तथा उनके बीच तीन अन्तर्हिमयुग हुए हैं। आरंभिक अत्यंत नूतन काल में मानव के प्राचीनतम रूप (आस्ट्रेलोपिथिकस) का उद्भव हुआ। जिसका काल पोटेशियम आर्गन प्रणाली द्वारा लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व आँका गया है। इस युग का अंत अत्यंत नूतनतम युग (Holocene) के प्रारंभ (लगभग 10,000 वर्ष पूर्व) के साथ हुआ। इस काल को पुरापाषाण काल के उद्भव का युग माना जाता है। विद्यमान युग में पाए जाने वाले स्तनपायी जीव इसी युग के माने जाते हैं।
  • pliocene epoch -- अतिनूतन युग
यह भूवैज्ञानिक युग लगभग 1,50,00,000 वर्षों तक विद्यमान रहा जिसमें महाद्वीपों तथा समुद्रों ने अपना वर्तमान स्वरूप धारण किया। अतिनूतन युग में, विद्यमान युग में, विद्यमान वनस्पतियों जैसी वनसपतियाँ उत्पन्न हो चुकी थीं। हाथी, घोड़े, वृषभ, जिराफ और बड़े आकार के हिरन आदि सर्वप्रथम इसी काल में उत्पन्न हुए। अतिनूतन काल के अवसान में, मानवसम कपि और दक्षिणी कपि मानव (आस्टेलोपिथिकस) उत्पन्न हुए।
  • plotting stake (=plotting peg) -- अंकन, खूंटी, अंकन शंकु
पुरातात्विक उत्खनन में, खदानों के किनारे स्तरीकरण, प्राप्त वस्तुओं आदि का लेखा-जोखा रखने के लिए, भूमि में गाड़ी गई खूंटियॉँ। जिस ओर से खूटियों को गाड़ा जाता है, वह छोर नुकीला होता है। खूंटियों को इस प्रकार गाड़ा जाता है कि उनका मुँह वर्ग से विकर्णवत् (diagonal) हो। खूंटियों से विभक्त उत्खनित की जानेवाली खाई को एक दिशा में अक्षरों तथा दूसरी दिशा में संख्याओं से नामांकित किया जाता है।
  • plough (=plow) -- हल
खेत जोतने का प्रसिद्ध और प्राचीन उपकरण। इसे बैल या अन्य पशु की सहायता से चलाया जाता है। कभी-कभी मनुष्य का उपयोग भी इसे चलाने के लिए किया जाता रहा। हलवाहा पशु को पीछे से नियंत्रित करता है। सबसे प्राचीन हल की उत्पत्ति कुदाल (hoe) से हुई, जिसे कुदाल-हल या नखर-हल कहा जाता था। नखर-हल के चिह्न दक्षिण-पश्चिमी यूरोप में नवपाषाण-काल के स्मारकों के नीचे के स्तर से मिले हैं।
यह उल्लेख्य है कि लकड़ी की शाखाओं तथा हरिण शृंगों का प्रयोग हल के रूप में प्रागैतिहासिक काल में होता रहा था। अनुमान है कि ई. पू. 3000 में इसका प्रयोग उर्वर-चाप (Fertile Crescent) क्षेत्र में होता था। ई. पू. 2500 के आसपास सिंधु घाटी की सभ्यता में इसका प्रयोग मिलता है। भागतवर्ष में कालीबंगा से जुते हुए खेत का प्राचीनतम प्रमाण मिला है।
बाद में पहिये युक्त भारी हल बनने लगे जिससे न केवल खोदा जा सकता था अपितु खोदने के साथ-साथ मिट्टी भी पलटी जा सकती थी। ऐसे हल ईसवी सदी के प्रारंभ में बने।
  • plow agriculture (=plough agriculture) -- हल-कृषि
हल द्वारा खेती करने का तरीका, जिसका आरंभ उत्तरपाषाण काल में माना जाता है। इससे पूर्व खेती के लिए कुदाल का प्रयोग होता था। पुरातत्ववेत्ताओं की यह धारण है कि हल-कृषि का प्रयोग सर्वप्रथम मिस्र और मेसोपोटामिया में किया गया। सबसे प्राचीन हल संभवतः काष्ठ-निर्मित रहे होंगे।
देखिए : 'plough'
  • plumb-bob -- साहुल
लट्टू के जैसा धातु का उपकरण जो डोरी में लटका होता है। आकार में यह शंकुवत् होता है। गहराई या सिधाई नापने के काम में यह प्रयुक्त किया जाता है। पुरातात्विक उत्खनन में, खुदाई लंबवत् हो रही है अथवा नहीं तथा प्राप्त पुरावशेष की गहराई नापने में इस उपकरण की सहायता ली जाती है। भवन-निर्माण करते समय दीवारों की सिधाई नापने के लिए इसका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है।
  • plumbate ware -- मटियाले भांड
प्रशांत महासागर के ऊपरी तटवर्ती क्षेत्र, मेक्सिको-ग्वाटेमाला सरहदी क्षेत्र निकट में मिले अति सुंदर सलेटी-हरे अथवा नारंगी रंग के मृद्भांड, जो आरंभिक उत्तर श्रेण्य-काल में बने थे। ये भांड यहाँ से सुदूरवर्ती प्रदेशों को भेजे जाते थे। इन भांडों में विशेष प्रकार की चमक, स्थानीय मिट्टी की प्राकृतिक विशेषता के कारण रही होगी।
  • pluteus -- प्राकारिका
प्राचीन रोम के भवनों में स्तंभों के मध्य पृथक्करण के लिए बनी छोटी दीवार।
  • pluvial (=pluvial period) -- आर्द्रकल्प
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों तथा निचले प्रदेशों में, जो कभी अत्यन्त नूतनकालीन हिमचादरों से आच्छादित नहीं थे, जलवायु परिवर्तन लंबे समय तक अधिक वर्षा के कारण बढ़ी हुई आर्द्रता के कारण जलवायु परिवर्तन का काल। इस काल में झीलों और नदियों का जलस्तर बढ़ गया तथा वनस्पतियों एवं पशुओं में परिवर्तन हो गया।
यद्यपि सामान्यतः यह माना जाता है कि अफ्रीका और एशिया के उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में जब यह युग आया तब उत्तरी यूरोप में हिमयुग चल रहा था, तथापि इस प्रकार का समीकरण संदेहास्पद हैं।
  • point -- वेधनी
पुरापाषाणकालीन प्रस्तर उपकरण, जिसके आगे का सिरा नुकीला होता है। वेधनी में शल्कीकरण एक या दोनों ओर होता रहा है। इन्हें दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है
(1) साधारण वेधनी (simple point) और
(2) चूलदार वेधनी (Tanged point)।
प्रागैतिहासिक मानव इसका प्रयोग आखेट के लिए भाले, शर आदि प्रक्षेपास्त्रों के मुखाग्र के रूप में करता था।
  • point of impact -- संपर्क बिंदु
पाषाण उपकरण निर्माण प्रक्रिया में आघातक एवं आघात स्थल का संपर्क बिंदु। आघात के फलस्वरूप संपर्क-बिंदु से बल-प्रवेश क्रमबद्ध वर्द्धमान वृत्तों (ever widening circles) में बनता है।
  • pointed oblate -- नुकीला कार्यांग
निम्न पूर्व पाषाणकालीन चौरस अंडाकार बटिकाश्म के एक अंत के दोनों पार्श्वों से एकपक्षीय शल्कीकरण द्वारा निर्मित प्रारंभिक ऐश्यूली हस्तकुठारों सदृश उपकरण। शल्कीकरण इस प्रकार किया जाता था कि एक अंत नुकीला हो जाता था और बीच में एक उभरी रेखा बन जाती थी।
देखिए : 'oblates'.
  • polished stone implement -- ओपयुक्त पाषाण-उपकरण, पालिशदार पाषाण-उपकरण
पालिश हुए प्रागैतिहासिक उपकरण। उपकरण-निर्माण की चार प्रविधियों में प्रथम शल्कन, द्वितीय टंकाई (pecking) और तृतीय घर्षण के बाद पालिश का स्थान अंतिम है। घर्षणोत्तर पालिश से उपकरणों में ओप या चमक उत्पन्न होती है। अब तक प्राप्त उपकरणों में पूरी तरह चमकीले और पालिशदार उपकरण बहुत कम मिले हैं। अधिकतर चमकीलापन कार्यांगों तक मिला है। चमक लाने की प्रविधि के बारे में अभी कुछ कहना कठिन है। सन् 1947 में व्हीलर ने, ब्रह्मगिरी के उत्खनन में पालिशयुक्त प्रस्तर कुल्हाड़ी संस्कृति को खोज निकाला। सन् 1947 के उपरांत दक्षिण भारत में हुए उत्खनन-कार्यों से, ओपयुक्त प्रस्तर कुल्हाड़ी वाली संस्कृति के विषय में महत्वपूर्ण सूचना सामग्री प्राप्त हुई। भारत में, इस संस्कृति की महत्वपूर्ण देन लाल धरातल पर बने काले चित्र एवं हल्के पीले तथा लाल धरातल पर बने बैंगनी चित्र हैं।
  • pollen analysis (= palynology) -- पराग विश्लेषण (=परागाणुविज्ञान)
वनस्पति विज्ञान की वह शाखा जिसमें परागकण तथा बीजाणुओं का अध्ययन कर तत्कालीन जलवायु एवं पर्यावरण का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। परागाणुओं का बाह्य चोल दृढ़ होता है इसलिए वह जीवाश्म रूप में परिरक्षित रह जाता है।
पुराकालीन अवसादों तथा मुद्राओं से प्राप्त परागकणों का सूक्ष्मदर्शीय निश्चयन तथा विस्तृत विवेचन कर तत्कालिन जलवायु का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। उनके विश्लेषण से जलवायु संबंधी परिवर्तनों का भी ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। पुराजलवायु विज्ञानी यह ज्ञात करता है कि कौन-सी वनस्पति किस क्षेत्र में और किस युग में विद्यमान रही। इस आधार पर वह प्राप्त परागों का काल-निर्धारण कर सकता है। इन परागों के साथ, प्राप्त वस्तुओं का काल-निर्धारण वस्तुतः परागों के काल-निर्धारण के आधार पर निश्चित किया जाता है।
पराग-विश्लेषण के क्षेत्र में, यूरोप में बहुत अधिक अनुसंधान हुए हैं। इसी आधार पर वहाँ प्रागैतिहासिक कांस्ययुगीन एवं लौहयुगीन जलवायु को विभिन्न कालों में विभाजित किया गया है।
पराग विश्लेषण के कार्य में अनेक सीमाएँ हैं। उदाहरणार्थ भिन्न-भिन्न पादप भिन्न मात्रा में परागकण उत्पन्न करते हैं, अस्तु मात्र सांख्यिकीय विश्लेषण से सही निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। इसी तरह सुदूर क्षेत्रों (कई सौ किलोमीटर) से परागकण उड़कर किसी भी अवसादी निक्षेप में जमा हो सकते हैं।
  • pollen diagram -- पराग आरेख
पराग विश्लेषण के निष्कर्षों का आरेख। इस आरेख द्वारा अवसादों या भू-स्तरों में प्राप्त परागों की विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ मिलती हैं। उदाहरणार्थ, वे कितनी गहराई में प्राप्त हुए, उनका स्तर-क्रम क्या था, विभिन्न पराग प्रकारों का क्रमिक पारस्परिक अनुपात आदि।
  • pollen zones -- पराग क्षेत्र
विभिन्न पराग-प्रकारों की अधिकता और न्यूनता के आरेख पर आधारित पराग क्षेत्र। इस पद्धति का इंग्लैंड में सर्वप्रथम प्रयोग गाडविन ने ई. 1940 में किया था तथा इस आधार पर उन्होंने 6 पराग क्षेत्रों का निर्धारण किया था। पुराकालीन वनस्पतियों की जानकारी और उनके इतिहास के लिए यह विधि अत्यन्त उपयोगी है।
  • polychrome -- बहुवर्ण, बहुरंगी
एकाधिक रंगोंवाला; अनेक रंगों से युक्त बहुरंगी चित्र बनाने की प्रक्रिया से संबंधित। छठी शताब्दी ई. पू. के एटिक के बहुरंगी भांड चित्र बहुरंगी कला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण हैं। कांस्यकालीन ईजियन मृद्भांडों में अनेक रंगों का प्रयोग होता था। भारतीय शिलागृहों, अजंता, एलोरा तथा बाघ आदि में बहुवर्णी चित्र प्राप्त हुए हैं।
  • pommel (=pammel) -- 1. मूठ की घुंडी
तलवार की मूठ की छोर पर बनी एक गोलाकार आकृति। प्रायः यह अलंकरण के लिए बनी होती है।
2. कलश की घुंडी
किसी मंदिर, स्तंभ, गुंबद, बल्ली के ऊपरी भाग पर अलंकरण के लिए बनी कंदुकाकार रचना।
  • porcelain -- चीनी मिट्टी के पात्र, चीनी मिट्टी, पोर्सिर्लेन
उत्तम प्रकार की मिट्टी के सफेद बर्तन, जो अपनी चमक, कठोरता, सुंदरता एवं पारभासिता के लिए प्राचीन काल से प्रसिद्ध हैं। सर्वप्रथम चीन में इस प्रकार के पात्र निर्मित हुए, इसीलिए इसे चीनी मिट्टी कहा जाता है। इस प्रकार की मिट्टी के बने भांड कठोर और मृदुल दोनों प्रकार के होते हैं, जिसका कारण निर्माण-प्रविधि में प्रयुक्त तापमान तथा मूल मिट्टी में मिलाई गई वस्तुएँ होती हैं। इस मिट्टी का मुख्य संघटक केओलिन है।
  • port hole -- गवाक्ष-पत्थर
तीर आदि प्रक्षेपास्त्रों को फेंकने के लिए दुर्ग प्राचीर में निर्मित मोखा।
  • port hole slab -- छिद्रित पत्थर
तुंबों के प्रवेश-मार्ग पर रखे वृत्ताकार या चौकोर छिद्र युक्त पाषाण-पट्ट। कभी-कभी दो अलग-अलग पाषाण खंडों में अर्धवृत्ताकार काट को जोड़कर यह मोखा बनाया जाता था। विश्व के अनेक देशों के गृह-तुंबों के प्रवेश-मार्ग में इस प्रकार के गवाक्ष पत्थरों से बने हैं। यह छिद्र सामान्यतः इतना बड़ा होता था कि उसमें से होकर एक शव को अन्दर प्रविष्ट कराया जा सके।
  • portal dolmen -- द्वार डॉलमेन
महापाषाणीय गृह तुंब (Megalithic Chamber tomb) का एक प्रकार। यह आयताकार रचना पीछे की ओर संकरी और गहरी होती थी। इसका प्रवेश द्वार ऊपर की ओर झुकी हुई दो खड़ी पटियों के ऊपर एक अन्य पटिया बिछाकर निर्मित किया जाता था।
  • post-hole -- स्तंभ गर्त
भवन आदि के निर्माण के समय स्थूण के लिए बनाया गया गड्ढा। पुरातात्विक उत्खननों में भवनों के ध्वस्त हो जाने पर, उनके काष्ठ-स्तंभों का विघटित रूप अवशिष्ट छाप के रूप में इन गर्तों में मिलता है। पाटलीपुत्र के उत्खनन में, चंद्रगुप्त मौर्य कालीन स्तंभ गर्तों से तत्कालीन सभ्यता और नगर-योजना का ज्ञान होता है।
  • pot rest -- भांड-आधार
(क) बर्तन के नीचे का वह पैंदा या भाग, जिस पर वह टिका रहता है।
(ख) बर्तन को भूमि पर स्थिर करने के लिए अलग से निर्मित आधार।
  • pot sherd -- ठीकरा, भांड-खंड
मिट्टी के बर्तनों के टूटे-फूटे टुकड़े। पुरातात्विक उत्खननों में इन ठीकरों का बहुत महत्व है। ये तत्कालीन जीवन, खान-पान, रहन-सहन आदि का लेखा-जोखा अपने में समेटे रहते है। रंगीन तथा चित्रित ठीकर भी मिलते हैं। पुरातत्ववेत्ता के महत्वपूर्ण कार्यों में, इन ठीकरों को जोड़ना, इन्हें सुधारना, पैक करना, इनका संग्रह तथा इनका रासायनिक उपचार करना या करवाना ही नहीं, वरन् इनके प्राप्ति-स्तर का विस्तृत ब्यौरा रखना तथा उसके आधार पर विभिन्न कालों की संस्कृतियों का विवरण प्रस्तुत करना भी सम्मिलित है। कभी-कभी तो संस्कृतियों का नामकरण ही उनके विशिष्ट मृद्भांडों के आधार पर किया जाता है, यथा 'NBP' संस्कृति, 'PGW' संस्कृति, आदि।
  • potassium-argon dating -- पोटेशियम आर्गन काल-निर्धारण
विकिरणमितीय तिथि-निर्धारण की एक विधि। इस विधि का विकास इस शताब्दी के छठे दशक में हुआ। इस विधि द्वारा 2.5 लाख वर्ष पूर्व की वस्तुओं की तिथि निर्धारित की जा सकती है। किसी भी खनिज में रेडियोएक्टिव पोटेशियम आइसोटोप (K40) का विघटन आरगन A40 अथवा केल्सियम (40c) गैस में होता है। पोटेशियम (K40) के विघटित होकर आर्गन A40 में परिवर्तित होने का दर ज्ञात है। इसका अर्ध-जीवन (half-life) काल लगभग एक करोड़ वर्ष होता है। इसे आधार मानकर खनिज में वर्तमान पोटेशियम /आर्गन (K40/A40) के अनुपात के आधार पर तिथि का मापन किया जा सकता हैं। इस विधि के द्वारा ओल्डुवाई (Olduvai), टांगानिक संस्कृति की प्रथम स्तर की तिथि का निर्धारण हुआ। यह विधि मापन के उद्भव और विकास के कालानुक्रम-निर्धारण के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है।
  • potter's wheel -- चाक, कुंभकार-चक्र
मंडलाकार वह पत्थर, जिससे कुम्हार बर्तन आदि बनाता है। यह अपनी धुरी पर घूमता रहता है। कुम्हार मिट्टी के लोंदे को इस पर रखकर बर्तनों के आकार-प्रकार में यथेच्छ परिवर्तन करता है। लगभग ई. पू. 3400 में, मेसोपोटामिया में चाक का प्रचलन मिलता है। लगभग ई. पू. 2500 में क्रीट द्वीप के मिनोआई लोगों द्वारा इसका प्रचार यूरोप में हुआ। चाक के प्रयोग से विश्व में औद्योगीकरण के नवीन युग का समारंभ हुआ होगा।
संस्कृत में चाक को 'कुलालचक' की संज्ञा दी गई है।
  • pottery -- मृद्भांड, मिट्टी के बर्तन
आंबे से 400o C या उससे अधिक ताप में पकाए गए मृण्पात्र। इसका समारंभ प्रागैतिहासिक काल में हुआ था। पुरातत्व में मृद्भांडों का विशेष महत्व है। इनके अध्ययन के आधार पर विभिन्न कालों की संस्कृतियों के स्वरूप, उनके पारस्परिक संबंधों तथा क्रमिक विकास के विभिन्न चरणों की व्याखया की जा सकती है।
  • Prabhas ware -- प्रभास मृद्भांड
भारत में प्रभासपत्तन या सोमानाथ पत्तन (जिला जूनागढ़) के प्ररूप स्थल (type site) के नाम पर पड़ी एक परिष्कृत मृद्भांड परंपरा। इन भांडों के धरातल पर गुलाबी और नारंगी तथा कभी-कभी धूसर वर्ण का प्रलेप मिलता है, जिस पर बैगनी और कत्थई रंग से पट्टिकाओं में ज्यामितिक आकृतियाँ बनी मिलती हैं। इन भांडों के वितरण क्षेत्र का अभी ठीक-ठीक ज्ञान नहीं है। जूनागढ़, खंबोदर, किन्नरखेड़ा तथा जामनगर के लाखाबालव क्षेत्र के उत्खनन में यह मृद्भांड मिले हैं। कार्बन 14 प्रविधि से प्रभास मृद्भांड परंपरा का काल लगभग ई. पू. 1800-ई. पू. 1200 तक निर्धारित किया गया है।
  • Pre-Dynastic Egypt -- प्राग्वंशीय मिस्र
नीलघाटी में नवपाषाणकाल तथा राजवंशकालीन केन्द्रीकृत मिस्री राज्य के मध्य की सभ्यता। इसका काल-विस्तार लगभग ई. पू. पाँचवी सहस्राब्दि से लेकर ई. पू. 3100 वर्ष माना गया है।
  • pre-literate culture -- प्राक्साक्षर संस्कृति
लेखन-कला के विकास-पूर्व की संस्कृति।
  • prehistorian -- प्रागितिहासविद, प्रागितिहासज्ञ
प्रागैतिहासिक मानव तथा उनके उपकरणों, सन्निवेशों एवं अन्य सांस्कृतिक अवयवों का अध्ययन और विश्लेषण करने वाला विशेषज्ञ।
  • prehistoric -- प्रागैतिहासिक
लिखित इतिहास के आरंभ होने से पहले की प्रावस्था से संबंधित या इतिहास पूर्व काल का।
  • prehistoric archaeology -- प्रागैतिहासिक पुरातत्व
मानव के लिखित इतिहास से पूर्ववर्ती स्थिति और अवस्था आदि का व्यवस्थित अध्ययन। इसके अंतर्गत तत्कालीन प्रयुक्त पाषाण-उपकरणों, मृद्भांडों, जीवाश्मों, नर कंकालों तथा सांस्कृतिक प्रागितिहास पूर्णतया पुरातत्व पर आश्रित, वैज्ञानिक अध्ययन के लिए भूविज्ञान, जीवाश्म विज्ञान, नृविज्ञान, भौतिकी तथा रसायन-विज्ञान विषयक प्रविधियों का आश्रय लिया जाता है।
  • prehistory -- प्रागितिहास
प्रागितिहास के अंतर्गत मानव के प्रादुर्भाव से लेकर उसके साक्षर होने तक के विकास के विभिन्न चरणों का अध्ययन किया जाता है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ई. 1833 में फ्रांसीसी विद्वान तूर्नल (Tournal) ने किया था परन्तु इसे व्यापक स्वीकृति ई. 1851 में डेनियेल विल्सन की प्रसिद्ध पुस्तक 'दी आर्कुयोलाजी एंड प्रीहिस्टारिक एनल्स ऑफ स्कालैंड' के प्रकाशन के बाद मिला। प्रागितिहास इतिहास से कई अर्थों में भिन्न है यथा, (क) प्रागितिहास में मानव समाज व संस्कृतियों का अध्ययन किया जाता है न कि व्यक्ति का; (ख) प्रागितिहास का अध्ययन मात्र प्राचीन मौलिक अवशेषों के आधार पर होता है, (ग) लिखित साक्ष्यों के अभाव में प्रागितिहास में किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों तथा स्थानों का नाम अज्ञात होने के कारण यह अनाम संस्कृतियों का विवरण मात्र होता है।
  • primary flaking -- प्राथमिक शल्कन
उपकरण-निर्माण की प्रथम प्रावस्था। इसमें उपकरण के रूप में परिवर्तनीय पत्थर की ऊपरी सतह को तराश कर तथा अनावश्यक उभार को दूर कर वांछित आकार प्रदान किया जाता है। इस प्रविधि द्वारा निर्मित शल्क अथवा क्रोड को उपकरण का अंतिम स्वरूप प्रदान करने के लिए उससे पुनः छोटे-छोटे शल्क (chipping) निकाले जाते हैं जिसे द्वितीयक शल्कीकरण (secondary flaking) कहा जाता है।
देखिए : 'Secondary flaking'.
  • primitive -- आदिम
(क) अविकसित, प्राक्सम्य, निरक्षर मानव समुदाय का सदस्य।
(ख) नृविज्ञान में साधारण प्रौद्योगिकी अथवा बाधाग्रस्त सामाजिक आर्थिक स्थिति के कारण हीन खाद्य उत्पादों अथवा हस्तकृतियों को 'आदिम' कहा जाता है।
  • primitive man -- आदिम मानव
(क) प्रागैतिहासिक मानव या प्राचीन मानव।
(ख) मेधावी-मानव (homo sapiens sapiens) का पूर्ववर्ती।
(ग) असभ्य, प्राक्-सभ्य आदिम जाति का मनुष्य।
  • probing method -- शलाका जाँच-प्रणाली
भूमिस्थ कठोर वस्तुओं यथा दीवार, फर्श, तल-शिला आदि का पूर्व ज्ञान प्राप्त करने की एक विधि।
क्लासिकी पुरातात्विक महत्व के स्थल पर उत्खनन करने से पूर्व, सर्वेक्षण के रूप में भूगर्भित संरचनाओं आदि का पूर्वज्ञान प्राप्त करने के लिए एक 'T' आकार की धातु की छड़ को भूमि में प्रविष्ट कर यह ज्ञात किया जाता है कि भूगर्भ में कोई भवन या अन्य पुरातात्विक ठोस सामग्री दबी है या नहीं।
  • profuse retouch -- प्रभूत परिष्करण, प्रभूत अनुशल्कन
प्रागैतिहासिक काल में, पाषाण-उपकरणों की धार को तीक्ष्ण अथवा कुंठित (blunt) करने के लिए किया गया अत्यधिक शल्कीकरण।
  • prognathism -- उद्गत हनुता
मनुष्य के जबड़ों का उभार। इस उभार के आधार पर मनुष्य का प्रजातीय वर्गीकरण किया जाता है। अलग-अलग प्रजातियों के जबड़े के उभार में भिन्नता मिलती है। उदाहरणार्थ नीग्रो प्रजाती के जबड़े कुछ अधिक उभरे होते हैं।
  • propylaeum -- मुख्य द्वार
किसी देवालय अथवा धार्मिक अहाता में प्रवेश के लिए बना विशाल भव्य द्वार जो मंदिर से अलग होता है। इस अंग्रेजी शब्द का बहुवचन (propylaea) में प्रयोग एथेंस के एक्रोपोलिस के मुख्य द्वार के लिए किया जाता है।
  • protecting coating -- संरक्षी विलेपन
किसी पुरातात्विक वस्तु के क्षय को रोकने के लिए उस पर किया गया रासायनिक लेप।
  • prothyron ( =prothyrum) -- द्वार मंडप, प्रवेश द्वार
किसी भवन का मुख्य प्रवेश द्वार या मंडप।
  • proto homo -- आद्य होमो
मानव का वर्तमान स्वरूप से पूर्ववर्ती रूप; उषाकालीन मानव।
  • protohistory -- आद्य इतिहास
प्रागैतिहासिक काल एवं ऐतिहासिक काल के बीच की कड़ी। इस काल में दोनों ही कालों की विशेषताएँ समाहित होती हैं।
भारतीय उपमहाद्वीप में हड़प्पाकालीन सभ्यता को आद्यैतिहासिक सभ्यता कहते हैं क्योंकि उस सभ्यता के स्वरूप एवं विशिष्टताओं का ज्ञान मात्र उसके भौतिक अवशेषों के आधार पर ही होता है यद्यपि उनकी अपनी लिपि थी जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका।
  • protolithic -- आद्य पाषाणयुगीन
पूर्व पाषाण काल का पूर्ववर्ती चरण जिसमें पत्थर का प्रयोग उपकरण के रूप में करना प्रारंभ कर दिया था।
देखिए : 'eoliths'.
  • protoma -- पशुआग्रीव अलंकरण
वास्तुकला के अंतर्गत अलंकरण के लिए बनाई गई किसी पशु की आकंठ आकृति।
  • proton magnetometer -- प्रोटोन चुंबकमापी
किसी भूभाग के चुंबकीय क्षेत्र के घनत्व-मापन का यंत्र।
देखिए : 'magnetometer'
  • prototype -- आद्य प्ररूप
आरंभिक मूल रूप, जिससे प्रतिकृति बनाई जाती है।
  • provenance (=provenience) -- प्राप्ति-स्थल
वह स्थल या क्षेत्र विशेष, जहाँ से प्राचीन वस्तु की प्राप्ति हुई हो।
  • pseudepigraph -- छद्म लेख, जाली लेख
वह लेख या अभिलेख जो वास्तविक न होकर जाली हो, यथा भारत में गया का 'जाली ताम्रपट्ट अभिलेख'।
  • public inscription -- सार्वजनिक उत्कीर्ण लेख
शिला, ताम्रपत्र आदि पर तक्षित लेख, जो प्रजा के अनुपालन या जनता की सूचना के लिए किसी ऐसे सार्वजनिक स्थल पर स्थापित किया गया हो, जहाँ सब लोग उसे देख-पढ़ सकें। अशोक के अभिलेख इसी श्रेणी के हैं।
  • punch marked coin -- आहत सिक्का
प्राचीन भारतीय सिक्कों का एक प्रकार। चाँदी और तांबे के चौकोर, अंडाकार, गोल अथवा अज्यामितिक आकार के इन सिक्कों पर चिह्नों को आहत कर रूपित किया जाता था। प्राप्त आहत सिक्कों का समय, ईसवी पूर्व चौथी सदी से लेकर लगभग ईसवी तीसरी सदी तक है। सबसे प्राचीन अभिलिखित आहत सिक्का विदिशा में मिला है, जिस पर सातवाहन शासक सात्कर्णी का नाम ब्राह्मी लिपी में अंकित है।
आहत सिक्के बनाने की तीन रीतियाँ प्रचलित थीं- (1) धातु के पत्तर काट कर सिक्के बनाना, (2) साँचे में ढाल कर सिक्के बनाना, तथा (3) ठप्पे में चिह्न लगाकर सिक्के बनाना।
  • purgatory hammer -- परगेटरी हथौड़ा, शोधन हथौड़ा
प्रागैतिहासिककालीन प्रस्तर हथौड़ा, जिसे शव के साथ गाड़ा जाता था। इसके संबंध में तत्कालीन विश्वास यह था कि मृतात्मा इस हथौड़े की सहायता से शोधन-गृह (purgatory) के द्वार खटखटाती थी।
  • putto -- शिशु आकृति
चित्रकला एवं स्थापत्य कला में अलंकरण हेतु निर्मित अथवा चित्रित शिशु आकृति जो प्रायः नग्न रूप में दर्शायी गई हो। इतालवी पुनर्जागरण काल में ऐसी आकृतियाँ, यथा कामदेव (cupid) प्रायः देखने को मिलती हैं।
  • pygmy people -- पिग्मी जन
(क) भूमध्य रेखीय अफ्रीका के नीग्रो प्रजाति से संबंधित लोग, जो डेढ़ मीटर से कम लंबे होते हैं। इनका रंग लगभग नीग्रो लोगों जैसा होता है। अविकसित चिबुक, चौड़ी नाक तथा मध्यम, गोल सिरवाले ये लोग अपनी आजीविका आखेट से प्राप्त करते थे। इनकी अपनी विशिष्ट भाषा नहीं है। ये अपने निकट पड़ोसियों की भाषा अपना लेते हैं।
(ख) दक्षिण-पूर्वी एशिया के अंडमान या फिलीपाइन्स द्वीपों के नीग्रो, जिनका कद छोटा होता है।
(ग) छोटे कद के बौने लोग।
  • pyramid -- पिरामिड
प्राचीन मिस्री लोगों द्वारा फेरो (pharaoh) शासकों के शवाधान के लिए पाषाणनिर्मित विशाल संरचना। इसका आधार वर्गाकार और पार्श्व त्रिकोणाकार होता है जो ऊपर जाकर एक बिंदु के रूप में मिल जाती है। यह माना जाता है कि कच्ची ईंटों से बने मस्तबा तुंब से पिरामिडों के बनाने की प्रेरणा मिली होगी। सबसे प्रसिद्ध और विशाल पिरामिड गीज़ा में चिआपस (Cheops) का भव्य पिरामिड है। इसके किनारे की एक भुजा लगभग 231.4 मीटर लंबी और पिरामिड की ऊँचाई 146.6 मीटर है। इसमें लगभग 25 लाख पाषाण खंड लगे हैं, जिनमें प्रत्येक का भार ढाई टन के लगभग है। यह 13 एकड़ क्षेत्र में निर्मित है। प्राचीन विश्व के 'सात आश्चर्यों' में इसकी गणना की गई है।
  • pyramid texts -- पिरामिड लेख
मिस्र के प्राचीन राजवंश के पाँच पिरामिडों की दीवारों पर उक्रीर्ण लेख, जो तत्कालीन मिस्रवासियों के धार्मिक विश्वासों और आस्थाओं आदि के परिचायक हैं। आगे चलकर, इस प्रकार के लेख 'प्रेत पुस्तक' (Book of the Dead) तथा 'शव पेटिका-लेख' (coffin Texts) के रूप में प्रचलित रहे। इन अभिलेखों का उद्देश्य मृत्यु के बाद परलोक में मृतक की यात्रा को सुखद बनाना रहा होगा।
  • pyramidion -- लघु पिरामिड
लघु आकार का पिरामिड। किसी सूचि स्तंभ अथवा विशाल पिरामिड के ऊपर इस प्रकार के लघु पिरामिड बने मिलते हैं।
  • pyramidologist -- पिरामिड-विशेषज्ञ
वह व्यक्ति, जिसने पिरामिडों के विषय में, व्यवस्थित ढंग से विशेष अध्ययन कर ज्ञानार्जन किया हो और जो उनके इतिहास, उनकी निर्माण प्रक्रिया, स्थापत्यात्मक विशिष्टता आदि का ज्ञाता हो।
  • pyriform jar -- तुंबी-रूप पात्र, नाशपातीरूपी जार
नाशपाती फल के आकार जैसा बर्तन, जिसकी गर्दन कुछ लंबी और नीचे का भाग गोलाकार होता है।
  • Python -- पाइथन, अजगर
यूनानी देवशास्त्र में वर्णित, विशाल अजगर, जो जलप्रलय के बाद कीचड़ से उत्पन्न हुआ माना जाता था। एक प्राचीन कथा के अनुसार यह डेल्फी के निकट नगर पारनेसस पर्वत पर रहता था, जहाँ अपोलो ने इसका वध किया।
  • pyxis -- ढक्कनदार मंजूषा
प्रायः बेलनाकार अलंकृत ढक्कनयुक्त पेटिका। प्राचीन यूनान, रोम और भारत आदि में इस प्रकार के पात्र प्रसाधन-सामग्री अथवा आभूषण आदि रखने के काम में लाए जाते थे।
  • Quadrant excavation -- चतुष्कोणी उत्खनन
टीलों के उत्खनन की विशिष्ट प्रविधि, जिसमें टीले को दो डोरियों के सहारे चार भागों में विभक्त किया जाता है। तदुपरांत विपरीत चतुर्थांशों को एक के बाद एक इस प्रकार खोदा जाता है कि टीले के आरपार दोनों दिशाओं में अनुप्रस्थ काट बन सके। प्रत्येक चतुर्थांश के बीच में, .4572 मीटर से .9144 मीटर चौड़ी मेड़ (baulk) बनाई जाती है। इस प्रकार से उत्खनन करने पर अभिलेखन कार्य बहुत सरल हो जाता है। प्रत्येक चतुर्थांश में दिग्बिंदु से संख्या या अंक लिखे जाते हैं। रिकार्ड करने के लिए बराबर दूरी पर खूंटियाँ लगाई जाती हैं।
  • quadrant method -- चतुरस्त्र-प्रणाली
प्राचीन स्थलों के उत्खनन की एक प्रविधि। किसी वृत्ताकार संरचना यथा बरो, वृत्ताकार संरचना आदि की खुदाई इसी विधि से की जाती है।
देखिए : 'quadrant excavation'.
  • quarry -- खदान
एक खुली हुई या पृष्ठीय खान जिसमें से प्रायः इमारती पत्थर जैसे स्लेट, चूना-पत्थर आदि निकाले जाते हैं।
  • quartz -- स्फटिक, क्वाट्रज
सिलिकान डाइआक्साइड से संघटित एक अति कठोर काँच जैसा दिखाई देने वाला खनिज Sio2 जो प्रायः रंगहीन, पारदर्शी परन्तु कभी-कभी पीले, भूरे, बैंगनी या हरे रंग के षटकोणीय क्रिस्टल रूपों में पाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण शैलकर खनिज है। इसकी अनेक किस्में मिलती हैं, जो रंग और चमक में अलग-अलग होती हैं। यह पिंड रूप (एगेट, ब्लडस्टोन, केल्सेडोनी, जेस्पर आदि ) या क्रिस्टल (एमिथिइस्ट, सिट्रिन आदि) रूप में मिलता है। प्राचीनकालीन अनेक उपकरण व मनके स्फटिक के बने मिले हैं।
  • Quaternary period -- चतुर्थक काल
अंतिम भू-वैज्ञानिक काल। मानव का प्रादुर्भाव इसी युग में हुआ। इस काल को दो भागों, अत्यंत नूतनतम युग तथा नूतनतम युग के रूप में विभाजित किया जाता है। नूतनतम युग के अंत में प्राज्ञ मानव (homo-sapiens) उत्पन्न हुआ। इसके प्रारंभ के संबंध में मतैक्य नहीं है। कुछ इसका प्रारंभ 24 लाख वर्ष पूर्व मानते हैं, परन्तु कतिपय अन्य विद्वान उसका प्रारंभ मात्र 18 लाख वर्ष पूर्व बताते हैं।
  • race -- प्रजाति
(क) व्यक्ति समुदाय, जो आनुवंशिकी या रक्त से परस्पर संबंधित हों और जिनका पूर्वज और उद्गम-स्रोत एक हो।
(ख) मानव जाति का विभाजन, उनकी शारीरिक विशेषताओं तथा बनावट यथा- सिर, आँख, कान, नाक, होंठ के आकार, शरीर के रंग और केश के प्रकार आदि के आधार पर किया जाता है, जो उन्हें जन्म से ही विरासत के रूप में मिली है तथा जिन्हें बदला नहीं जा सकता। विश्व की तीन प्रमुख प्रजातियाँ हैं- काकेशियाई, मंगोल व नीग्रो।
  • raciology -- प्रजाति विज्ञान
मानव प्रजातियों का अध्ययन संबंधी विज्ञान। इसके अंतर्गत विभिन्न नस्लों की शारीरिक विशेषताओं, जैसे, वर्ण; रक्त-वर्ग, शिरस्य सूचकांक, केश, अस्थि आदि का व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है। इसमें आनुवंशिकता, प्रजनन अथवा जीन प्रभेद के संबंध में विशेष विवेचना की जाती है।
  • radio-active dating -- रेडियो-सक्रिय काल-निर्धारण
काल-निर्धारण की वह वैज्ञानिक प्रविधि, जिसका आधार रेडियो सक्रियता का परिमाण होता है। कार्बन14, वस्तुतः कार्बन12 का वह रेडियो सक्रिय आइसोटोप है, जो वायु-मंडल में अंतरिक्ष-विकिरण द्वारा नाइट्रोजन14 से उत्पन्न होता है। जैविक पदार्थ की मृत्यु के उपरांत, ये आइसोटोप कार्बन डाईआक्साइड के रूप में कार्बन का विनिमय करना समाप्त कर देते हैं और कार्बन14 का संचय धीरे-धीरे कम हो जाता है। यह परिवर्तन कुछ इस प्रकार होता है कि लगभग 5568 वर्षों के उपरांत, कार्बन14 मूल मात्रा का आधा रह जाता है। कुछ प्रयोगशालाएँ कार्बन14 का अर्धजीवन 5730 वर्ष मानती हैं। कार्बन14 तथा कार्बन12की मात्रा का परिमाण प्रयोगशाला में निश्चित कर, उसके आधार पर, जैविक पदार्थ की मृत्यु से अद्यतन काल तक गणना की जाती है। इस विधि द्वारा 70,000 वर्ष पूर्व तक की तिथि ज्ञात की जा सकती है।
सर्वप्रथम सन् 1946 ई. में एफo डब्ल्यूo लिब्बी ने, इस प्रविधि का प्रतिपादन किया। इस प्रविधि में चार प्रकार की अशुद्धियों की संभावना है- (1) सांख्यिकी क्रियात्मक अशुद्धि, (2) सी14 के नमूनों के प्राप्ति-स्तर संबंधी अशुद्धता, (3) प्रयोगशाला तथा मापकीय त्रुटि, और (4) समय-समय पर कार्बन14 की मात्रा पर वायुमंडलीय विकिरण का प्रभाव।
इस प्रणाली से ज्ञात तिथियों का अंशशोधन (calibration) वृक्ष-कालानुक्रमिकी (dendrochronology) द्वारा किया जाता है। लगभग ई पू 6050 तक की अंशशोधन तालिका प्रकाशित हो चुकी है।
देखिए : 'carbon dating'.
  • radio-activity method -- रेडियो-सक्रियता-विधि
पुरातात्विक अवशेषों की तिथि निर्धारित करने की एक वैज्ञानिक प्रणाली।
देखिए : 'radio-active dating'
  • rail coping -- मुंडेर, उष्णीष
किसी वेदिका या रेलिंग का सबसे ऊपरी भाग।
  • railing (rail) -- जंगला, रेलिंग
काष्ठ, धातु अथवा ईंट, सीमेन्ट से बने छड़ अथवा दंड से किसी वेदिका, कटघरा अथवा भवन का परिवेष्ठन। थोड़ी-थोड़ी दूरी पर क्षैतिजाकार इन दंडों को ऊर्ध्वाधर (horizontal) स्तंभों से मजबूती के साथ जोड़ दिया जाता था।
  • random ashlar -- अनियमित चिनाई
वर्गाकार अथवा आयताकार पाषाण खंडों की बिना क्रम के चिनाई। इस प्रकार की जुड़ाई में पाषाण-खंडों को अनियमित ढंग से जोड़ा जाता था जिसके परिणामस्वरूप रद्दों की ऊँचाई अलग-अलग हो जाती थी।
  • random excavation -- बेतरतीब उत्खनन
अव्यवस्थित और अनियमित रूप से की गई खुदाई। इस प्रकार की खुदाई से पुरातात्विक सामग्रियों को क्षति पहुँचने के साथ-साथ उत्खनित स्थल भी क्षतिग्रस्त होता है।
  • recumbent image -- शयन मूर्ति
वह मूर्ति जो विश्राम, लेटे रहने या सोने की मुद्रा में हो। भारतीय मूर्तिकला में विष्णु को शेषनाग की शय्या पर लेटे हुए (शयन मुद्रा में) दिखाया गया है। इसे 'शेषशायी' मुद्रा कहा जाता है। महात्मा बुद्ध की मूर्तियाँ भी इस मुद्रा में मिली हैं जिसमें विश्वप्रसिद्ध कुशीनगर की विशाल लेटी हुई मूर्ति जो बुद्ध के महापरिनिर्वाण की सूचक है, उल्लेखनीय है।
  • red ochre -- गेरू
रंगने के काम में लाई जाने वाली लाल रंग की खनिज मिट्टी।
  • red polished ware -- लाल ओपदार मृद्भांड
वे बर्तन, जिन पर लाल रंग का पूर्ण या आंशिक गहरा लेपन कर चिकना और चमकदार बनाया गया हो।
भारतवर्ष में ये मृद्भांड मुख्य रूप से काठियावाड़ क्षेत्र में प्रारंभिक इतिहासकालीन संदर्भों से प्राप्त हुए हैं। आम्रेली के उत्खनन में इस प्रकार के मृद्भांड के सर्वाधिक आकार-प्रकार मिले हैं। इस मृद्भांड की तिथि ई. पू. प्रथम शताब्दी से ई. पाँचवीं शताब्दी के मध्य आँकी गई है।
कतिपय पुराविद् (सुब्बाराव) इनकी उत्कृष्ट बनावट और चमक के आधार पर इसे रोम के सैमियन भांड की नकल मानते हैं परन्तु इन मृद्भांडों का मूल क्षेत्र तथा तिथि इनकी देशज उत्पत्ति प्रमाणित करती है।
  • red slipped pottery -- लाल लेपयुक्त भांड
मिट्टी के वे बर्तन, जिन पर पकाने के पूर्व लाल रंग का लेप किया जाता था। बर्तन बन जाने के उपरांत उसे लाल रंग के गाढ़े घोल में डुबो दिया जाता था। इससे मृद्भांड पर लाल रंग की पतली तह चढ़ जाती थी। घोल के सूख जाने के उपरांत पात्र को आग में पकाया जाता था। इसके दो लाभ थे। प्रथम, भांडों की सुंदरता बढ़ जाती थी। दूसरे, इससे वे अधिक जलरोधी (watertight) वन जाते हैं।
भारतवर्ष में उत्खनन में ये मृद्भांड अनेक पुरास्थलों से विभिन्न संदर्भों में (प्रारंभिक इतिहासकालीन व ऐतिहासिक) प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार के बहुरंगी पात्र प्राक्-हड़प्पाकालीन संदर्भों में सुरकोटड़ा (कच्छ) के प्रथम काल में मिले हैं।
  • red-on-red technique -- लाल भांड पर लाल रंग की प्रविधि
आद्यैतिहासिककालीन, लाल रंग के मिट्टी के बर्तनों पर लाल रंग से अंलकरण करने का तरीका।
  • refuge deposit -- कूड़ा निक्षेप, अवकर निक्षेप
वह स्थान, जहाँ पर घर का कूड़ा-करकट आदि फेंका जाता है। इन निक्षेपों के पुरातात्विक उत्खनन के अध्ययन से तत्कालीन संस्कृति को जानने में सहायता मिलती है। दैनंदिन प्रयोग में आनेवाली अनेक वस्तुएँ, जैसे ठीकरे, अनाज, खिलौने, अस्थियाँ, गुठलियाँ तथा अलंकरण में प्रयुक्त मनके, मोती आदि वस्तुएँ कूड़ा-निक्षेपों में मिलती हैं जिनसे तत्कालीन सभ्यता एवं संस्कृति के बारे में ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
  • regilding -- पुनः स्वर्णलेपन
किसी भी वस्तु की सतह पर सोने का वर्क या पत्थर चढ़ाना, जिससे वह वस्तु देखने से सुंदर और आकर्षक प्रतीत हो।
  • reglet (=riglet) -- पट्टिका
एक चपटी और सकरी सज्जा पट्टी, जिसे संधि-आवरण और विभिन्न भागों का विभाजित करने आदि के लिए बनाया जाता है। ये अंतर्ग्रथित गाँठ या जालीदार अलंकरण के रूप में भी होती है।
  • regular point -- नियमित वेधनी
प्रागैतिहासिक पाषाण उपकरण का प्रकार। इस प्रकार के उपकरण लंबे व पतले फलक-शल्कों पर बनाए जाते हैं। ये उपकरण 'A' आकार के होते हैं। उपकरण की धार बनाने के लिए, कभी एक भुजा और कभी दोनों भुजाओं के छोरों को परिष्कृत किया जाता है।
  • reisner work -- रंगीन काष्ठ-पच्चीकारी
अलग-अलग रंगों की लकड़ी को, अलंकरण हेतु उत्खचित करने या जड़ने का काम।
यह शब्द 17 वीं शताब्दी के प्रमुख काष्ठ-शिल्पी रीड़नर के नाम पर बना है।
  • relative chronology -- सापेक्ष कालानुक्रम
उन पुरातात्विक उत्खननों में, जिनकी निश्चित तिथि के बारे में ठोस सामग्री (जैसे अभिलेख, सिक्के आदि) उपलब्ध न हों, पुरातत्ववेत्ता प्रमाणों के अभाव में विभिन्न स्रोतों, जैसे, स्तरीकरण, प्ररूपविद्या (typological method) सहसंबंधीकरण प्रणाली आदि से प्राप्त सूचनाओं को एकत्रित कर सापेक्ष कालानुक्रम प्रस्तुत करता है।
सापेक्ष कालानुक्रम में किसी वस्तु या घटना का क्रम मात्र ही निर्धारित किया जा सकता है जबकि निरपेक्ष कालानुक्रम में सौरवर्षों में निश्चित रूप से उसकी तिथि व्यक्त की जा सकती है।
  • relic -- 1. पुरावशेष
प्राचीन काल के स्मारकों, भवनों, वस्तुओं आदि के अवशेष; भग्नावशेष।
2. देहावशेष
किसी महापुरुष के शरीर के अवशेष, जिन्हें प्रायः मंजूषा में सुरक्षित रखा जाता था। भारत में, इस प्रकार के महात्मा बुद्ध के देहावशेष साँची, पिपरहवा आदि स्थानों में मिले हैं। इन देहावशेषों को मंजूषा में रखकर किसी धार्मिक स्मारक के अंदर सुरक्षित रखने की प्रथा है।
3. स्मृति चिह्न
किसी महापुरुष या सन्त की अस्थि अथवा उनके वस्त्र या दैनंदिन प्रयोग की किसी वस्तु को यादगार के रूप में सुरक्षित रखना।
  • relic casket -- अवशेष मंजूषा, धातु-मंजूषा
वह पिटारी या डिब्बा, जिसमें किसी महात्मा के धातु-अवशेष, दिन प्रतिदिन के काम में आनेवाली वस्तुएँ आदि आराधना या श्रद्धा-समर्पण के लिए सुरक्षित रखी जाती हैं। बौद्ध धर्म में बुद्ध और प्रसिद्ध भिक्षुओं के देहावशेषों को सुंदर मंजूषा में रखकर उनके ऊपर स्तूप-निर्माण किया गया था।
  • relic chamber -- अवशेष कक्ष, धातु-गर्भ
वह स्थान, जहाँ पर महापुरुषों, महात्माओं आदि की अस्थियाँ, दाँत अथवा अन्य भौतिक अवशेष सुरक्षित रीति से रखे गए हों। बौद्धों द्वारा, अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए एक विशेष प्रकार की संरचना (स्तूप) का निर्माण किया जाता था।
  • relic receptacle -- अवशेष पात्र
किसी महापुरुष के धातु-अवशेषों को सुरक्षित रखने का आधान। बौद्ध धर्म में इन धातु अवशेषों को स्तूपों में सुरक्षित रीति से रखा जाता था।
  • relic stupa -- धातु-स्तूप
वह विशिष्ट संरचना जिसमें भगवान बुद्ध अथवा उनके शिष्यों के देहावशेष सुरक्षित रखे हों। भारत के धातु-स्तूपों में, साँची तथा सारनाथ के स्तूप विशेष उल्लेखनीय हैं।
  • relief -- उद्भूति, उभार
अपनी पृष्ठभूमि से ऊपर की ओर उठान।
मूर्तियों में, आकृति के मुख, वक्ष, हस्त, उदर आदि के धरातल से बाहर की ओर निकलने की अवस्था।
मूर्ति को उभारदार बनाने के लिए मूर्तिकार द्वारा हथौड़े और छेनी का प्रयोग किया जाता है।
उभारदार आकृतियाँ तीन प्रकार से उद्भूत होती हैं- (1) उच्च उद्भृत (2) मध्य उद्भृत, तथा (3) निम्न उद्भृत। प्राचीन काल में बने उद्भृत शिलापट्ट आदि मिले हैं। इस प्रकार की उभारदार आकृतियाँ लकड़ी, हाथीदाँत, पत्थर और धातुओं से बनी मिली हैं।
  • relief image -- उद्भृत प्रतिमा
किसी धरातल को उकेर, उभार या तक्षित कर बनाई गई मूर्ति।
  • relief sculpture (=relievo sculpture) -- उद्भृत मूर्ति
उकेर, उभार या तक्षण कर बनाई गई मूर्ति।
  • religious art -- धार्मिक कला
मंदिर, मस्जिद, गिरजा, गुरूद्वारा, स्तूप आदि धार्मिक संरचनाओं के निर्माण, अलंकरण से संबंधित कला। प्राचीन काल से, उपासना-अर्चना, पूजा-साधना, सिज़दा-नमाज़ आदि धार्मिक क्रियाओं को करने के स्थानों को आकर्षक, सुंदर और सुविधाजनक बनाने का प्रयत्न होता रहा है। अन्य देशों की तरह भारत में भी धर्म ग्रंथों तथा वास्तुशास्त्रीय ग्रंथों में, धार्मिक संरचनाओं के निर्माण संबंधी निश्चित नियमों का प्रावधान रहा है और उन्हीं के अनुसार धार्मिक भवनों का निर्माण और अलंकरण हुआ है।
  • reliquary -- पुरावशेष-आधान, अस्थि-मंजूषा
वह पूजा-स्थल या अवधान या ढक्कनदार पात्र, जिसमें किसी महापुरुष के देहावशेष (अस्थि, केश इत्यादि) या उनके द्वारा प्रयुक्त वस्तु (वस्त्र, पादुका, माला आदि) को प्रदर्शन के लिए सुरक्षित रखा गया हो।
  • Remedello culture -- रेमिडेलो संस्कृति
उत्तरी इटली स्थित पो घाटी की ताम्रकालीन संस्कृति। ई. 1885-1886 में हुए उत्खनन में, यहाँ पर 117 खात-समाधियाँ प्राप्त हुई। इन समाधियों में तांबे की सपाट कुठारें, त्रिभुजाकार कटारें, चाँदी के दुर्लभ आभूषण तथा चकमक पत्थर से बने कांटेदार तथा पुच्छल तीर के फल आदि मिले हैं। रेमिडेलो संस्कृति का लगभग ई. पू. 3000 आँका गया है।
  • renovation -- नवीकरण, पुनरुद्धार
किसी वस्तु को यथासंभव मूल रूप प्रदान करना।
जीर्णोद्धार या पुनरुद्धार से तात्पर्य है, किसी प्राचीन मंदिर, भवन, कूप, तड़ाग आदि की मरम्मत कर, उसे यथासंभव पूर्व रूप प्रदान करना। स्मारकों के जीर्णोद्धार का कार्य, पुरातत्व में बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अंन्तर्गत मूल संरचना के प्रामाणिक अवशेषों को सुरक्षित रखते हुए, इस प्रकार मरम्मत की जाती है कि वह यथासंभव मूल जैसी प्रतीत हो। भारत में ताजमहल, बीजापुर का गोल गुंबद, कुतुब मीनार, अजंता की गुफाओं आदि अनेक महत्वपूर्ण स्मारकों को ह्रास से बचाने के लिए समय-समय पर उनका पुनरुद्धार किया जाता रहा है।
  • replica -- प्रतिकृति
किसी मूल चित्र, मूर्ति, अलंकरण वस्तु आदि के आकार-प्रकार से मिलती हुई, ठीक उसी प्रकार बनी या बनाई गई दूसरी कृति। सामान्यतया ठप्पे द्वारा या साँचे में ढाल कर, मूल कृति का प्रतिरूप तैयार किया जाता हैं। दुर्लभ कला-कृतियों, जैसे मूर्ति, सिक्के, अलंकरण पट्ट आदि की प्रतिकृतियाँ, अध्ययन या अलंकरण के लिए रखी जाती हैं।
  • repousse -- पश्चोद्भूत
चाँदी, सोना अथवा कांसा आदि धातु की बनी चादरों के पृष्ठ भाग पर हथौड़े से प्रहार कर आकृति उभारना या उद्भूत आकृति का रूपांकन करना। यह तकनीक भारत में बहुत प्राचीन काल से प्रचलित है। इसकी पुष्टि पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त नमूनों से होती है।
  • reredos -- पृष्ठावरण
(1) किसी वेदी के पीछे की ओर बनी विभाजक दीवार या पर्दा जो प्रायः लकड़ी या पत्थर की बनी तथा अलंकृत होती है।
(2) प्राचीन भवनों के विशाल कक्षों के मध्य में बनी अंगीठी का पिछला भाग। यह धूमनाल के ठीक नीचे बना होता था।
  • rescue excavation -- उद्धार उत्खनन
किसी पुरातात्विक निधि को विनष्ट होने से बचाने व सुरक्षित रखने के प्रयोजन से की गई खुदाई। जल और खाद्य समस्याओं आदि को सुलझाने के लिए बाँध बनाने और नहरों आदि की व्यवस्था करते समय कभी-कभी इनकी चपेट में प्राचीन अवशेष, स्मारक या क्षेत्र आ जाते हैं, जिन्हें पुरातत्ववेत्ता कम-से-कम समय में तात्कालिक उत्खनन द्वारा बचाने की व्यवस्था करते हैं।
उद्धार उत्खनन का सबसे महत्वपूर्ण नमूना मिस्र स्थित नूबिया के स्मारक हैं, जिन्हें आस्वान बाँध बनने के परिणामस्वरूप जलमग्न होने से बचाया गया। भारतवर्ष में, नागार्जुनकोंडा के प्रसिद्ध बौद्ध स्थान की रक्षा उद्धार-उत्खनन द्वारा की गई और उसे कृष्णा नदी के ऊपर बने बाँध में जलमग्न होने से बचाया गया।
  • restoration -- जीर्णोद्धार
किसी प्राचीन भवन या वास्तु संरचना की, फिर से की गई मरम्मत।
किसी टूटी-फूटी इमारत को और अधिक ह्रास, विनाश और विघटन से रोकने के लिए किया गया प्रयास।
किसी भी पुरावशेष के जीर्णोद्धार में इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है कि मरम्मत करते समय उनका मौलिक रूप और सौन्दर्य अप्रभावित रहे।
  • restriking (of coin) -- पुनर्मुद्रांकन (सिक्के का)
किसी सिक्के या मोहर पर दुबारा ठप्पांकन। प्राचीन काल में विजेता शासक, विजित शासक द्वारा प्रवर्तित सिक्कों या मोहरों पर अपनी शासकीय मोहर पुनः ठप्पांकित करा देता था। सातवाहन शासक गौतमिपुत्र सातकर्णी ने, क्षहरात शासक नहपान के सिक्कों को अपनी शासकीय मुद्रा से पुनर्मुद्रांकित किया। कुपाणों के अनेक सिक्कों पर योधेयगण ने अपनी मोहर अंकित की।
  • retouch -- 1. अनुशल्कन
प्रागैतिहासिक काल में, प्रस्तर बनाते समय किया गया वह द्वितीयक शल्कीकरण (secondary flaking), जिसके द्वारा उपकरण के कार्यांग की धार को तेज अथवा उसके किसी भाग विशेष की धार को कुंठित (blunt) किया जाता है।
2. परिष्करण, अनुशोधन
क्षतिग्रस्त प्राचीन चित्रों तथा मूर्तियों आदि को सुधार द्वारा मूल रूप में लाने का कार्य।
  • retouching technique -- 1. अनुशोधन प्रविधि, अनुशल्कन-प्रविधि
प्रागैतिहासिक पाषाण-उपकरण में द्वितीयक शल्कीकरण द्वारा उपकरण के कार्यांग की धार को तेज अथवा उसके किसी भाग विशेष की धार को कुंठित किए जाने की तकनीक। यह प्रविधि उपकरण निर्माण के विकास की विभिन्न अवस्था की द्योतक हैं। इस प्रविधि के तीन प्रमुख उद्देश्य थे-(1) कार्यांग निर्माण या उसका पुनरुज्जीवन, (2) उसकी धार तेज करना, (3) उपकरण की भुजाओं की तीक्ष्णता को कुंठित करना। प्रथम तथा दूसरे प्रकार का अनुशल्कन पाषाण काल के सभी चरणों में प्रचलित था किन्तु तीसरे प्रकार का अनुशल्कन केवल उच्च पुरापाषाण काल के उपकरणों में ही प्रमुखतया मिलता है। अनुशोधन आघात शल्कन तथा दाब शल्कन दोनों ही प्रविधियों द्वारा किया जाता था।
2. परिष्करण प्रविधि
मूर्तियों, चित्रों आदि को मूल रूप में लाने के लिए प्रयुक्त प्रविधि।
  • revetment wall -- पुश्ता, प्रतिधारक भित्ति
ईंट, पत्थर, मिट्टी आदि से बनी सुरक्षात्मक दीवार, जो पानी की बाढ़, भू-स्खलन आदि को रोकने के लिए बनाई जाती थी। प्राचीन दुर्गों, मंदिरों, नगरों आदि की रक्षा के लिए ऐसी संरचना के निर्माण का विधान प्रचलित रहा है।
  • rhombus -- समांतर चतुर्भुजाकार आकृति
एक आकृति विशेष जिसके परस्पर विपरीत दोनों पार्श्व समानांतर होते हैं। इनसे दो अधिक कोण तथा दो न्यून कोणीय रचना बन जाती है। भारतीय एवं यूनानी मृद्भांडों आदि पर यह अलंकरण अभिप्राय के रूप में चित्रित या उत्खचित मिलता है।
  • rhyton -- राइटोन
प्राचीन यूनान का पात्र-विशेष जिसका उपयोग देवताओं एवं मृतात्माओं को तर्पण देने के लिए किया जाता था। एक हत्थेदार इस पात्र के मुख भाग को संतुलित रखने के लिए कभी-कभी निचले भाग में छिद्र बना होता था। तर्पण करने वाला व्यक्ति इस छिद्र को अनुष्ठान के प्रारंभ होने तक अंगुलियों से बंद रखता था। ये गहरे पात्र सामान्यतः मूल्यवान पत्थरों आदि से बने होते थे जिन पर विभिन्न प्रकार के अलंकरण निर्मित होते थे। इन पात्रों का निचला भाग प्रायः किसी पशु-पक्षी, स्त्री या मिथक-प्राणी के मुख-भाग जैसा बना होता था।
कांस्यकालीन मिनोअन माइसीनियन सभ्यता के ये विशिष्ट पात्र थे। इस प्रकार के मिट्टी के बने पात्रों पर विशद् एवं उत्कृष्ट अलंकरण मिलते हैं। यूनान की श्रेण्यकालीन (Classical) तथा ईरान की अख्मनी (Achaemenid) सभ्यता के भी वे विशिष्ट पात्र रहे।
  • ribbed ware -- 1.कमरखी भांड
वे बर्तन, जिनमें कमरख फल की तरह उभरी हुई फांकें अलंकरण के लिए बनी हों। इस प्रकार के भांड कांस्यकालीन यूनानी सभ्यता में मिलते हैं।
2. उभरी रेखीय भांड
पसली की तरह उभरी रेखायुक्त भांड।
  • rifle (= rifle green) -- गहरा धूसर रंग
हरी अथवा काली आभायुक्त एक प्रकार का गहरा धूसर रंग।
  • rim -- अंवठ, कोर, किनारा
गोलाकार पात्रों का उठा या मुड़ा हुआ ऊपरी किनारा। उत्खननों के परिणामस्वरूप, इस प्रकार के प्राचीन कोरदार बर्तन काफी संख्या में मिले हैं।
  • rinceau -- पट्टी अलंकरण
पत्र-पुष्पों, लता-वल्लरियों आदि की लहरियादार आकृति से युक्त वलनि या अन्य इसी प्रकार के प्राकृतिक रूपों की प्रतिकृति, जिसे किसी पटिया, तख्ती, वस्त्र आदि पर सज्जार्थ बनाया गया हो।
  • ring well -- वलय कूप
मिट्टी के पके वृत्तों की ऐसी संरचना, जिसमें मिट्टी के वलयों को इस प्रकार फँसाया जाता था कि कूप सदृश आकृति बन जाती थी। इस प्रकार के वलय-कूपों के निचले अथवा ऊपरी भाग में ईटों के भी प्रयोग मिलते हैं। इस प्रकार के कूप भारतवर्ष के विस्तृत क्षेत्र (उत्तर में शहबाजगढ़ी से दक्षिण में अरिकामेडु (पांडिचेरी), पश्चिम में ब्रहूमानाबाद से पूर्व में महास्थानगढ़) में मिले है। बड़ी संख्या में इस तरह के कूप उत्तरीकृष्ण मार्जित भांड संस्कृति (NBPW Culture) के साथ गंगा यमुना दोआब क्षेत्र में मिले हैं। इन कूपों के प्राचीनतम प्रमाण लगभग ई. पू. पाँचवी-चौथी शताब्दी में मिलते हैं। इनका उपयोग बाद तक होता रहा। इन कूपों के उपयोग के संबंध में विवाद है। संभवतः इनका उपयोग पानी खींचने के लिए अथवा भांडागार के रूप में अथवा गंदे पानी की निकासी के लिए (शोख्ता) अथवा कूड़ा आदि फेंकने के लिए किया जाता रहा होगा।
  • ringstone -- वलय-प्रस्तर
(1) वृत्ताकार पाषाण-उपकरण, जिसके मध्य भाग में एक बड़ा छिद्र बना होता था। इसे समतल करने के उपरांत घिसा जाता था। कुछ वलय-प्रस्तरों पर पालिश के अवशेष चिह्न मिले हैं। छिद्र दोनों तलों से किया जाता था। ये वलय-प्रस्तर नाशपाती, बिंब, तारक अथवा अंडे की आकृति वाले बने मिले हैं।
(2) इस प्रकार के वलय-प्रस्तर भारत में नवपाषाणकालीन संदर्भों में नेवासा, नावदाटोली, लंघनाज आदि अनेक स्थलों से मिले हैं जिन्हें संकालिया गदाशीर्ष अथवा कुदाल के ऊपर लगाया जाने वाला भार मानते हैं। मार्शल ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ों से प्राप्त इस प्रकार के वलय-प्रस्तरों का जादुई धार्मिक उपयोग माना हैं। वस्तुतः इसके उपयोग के संबंध में कुछ भी निश्चित तौर से नहीं कहा जा सकता।
  • riparian civilization -- अनुनद सभ्यता, तटवर्ती सभ्यता
नदी-तट पर विकसित हुई सभ्यता। विश्व की अधिकांश सभ्यताएँ नदी-तटों पर पुष्पित और पल्लवित हुई। गंगा-यमुना, नील, सिंधु तथा दजला-फरात नदियों के तटों पर विश्व की सर्वोत्कृष्ट सभ्यताओं ने जन्म लिया।
  • ripple marks -- उर्मिका चिह्न
कणिक पदार्थों में यथा बालू, जलधाराओं तथा तरंगों की प्रक्षोभन क्रिया से निर्मित समांतर उभारदार चिह्न।
  • river section -- नदी-अनुप्रस्थ
नदी द्वारा काटे गए कगार। प्रागैतिहासिक काल की सापेक्षिक काल-निर्धारण में इसका विशेष महत्व है। नदी-अनुप्रस्थ में विभिन्न कालों के जमाव स्पष्टतः दृष्टिगोचर होते हैं। इन जमावों को भूमि के रंग तथा उनकी सामग्री के आधार पर एक-दूसरे से विभक्त किया जा सकता है। प्रत्येक जमाव नदी के जीवन-काल के विभिन्न कालों के द्योतक हैं। पहाड़ी नदियों के जमाव तीन प्रकार के होते हैं- (1) गोलाश्म निक्षेप, (2) बजरी निक्षेप (gravel deposit) एवं (3) गाद निक्षेप (silt deposit)। नदी-अनुप्रस्थ में प्राप्त निक्षेपों में मिले पत्थरों के आकार-प्रकार, उनके जमाव और घर्षण की दशा, दिशा या अवस्था का अध्ययन कर तत्कालीन जलवायु और नदी के स्वरूप संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जब इन जमावों में प्रागैतिहासिक उपकरण मिलते हैं तो उपयुक्त संकेतों के आधार पर उनके आवासों की खोज की जा सकती है।
  • rock cut architecture -- शैलकृत वास्तु
चट्टानों को काट कर बनाए गए भवन या मंदिर। विशाल शिलाओं या पहाड़ियों के किसी भाग को काट-छाँट कर इन्हें बनाया जाता था। मिस्र देश में, अबू-सिम्बेल, उत्तरी अरेबिया में पिट्रा तथा भारत में कार्ले, भाजा, अजंता की गुफाएँ, एलोरा का कैलाश मंदिर तथा मामल्लपुरम के रथ-मंदिर शैलकृत वास्तु के सर्वोत्कृष्ट नमूने हैं।
  • rock cut edict -- शिलोत्कीर्ण राजादेश, शिलोत्कीर्ण धर्मादेश
शासन द्वारा शिलाओं पर उत्कीर्ण अभिलेख। सम्राट अशोक ने अपने शिलालेखों में उत्कीर्णित लेखों को 'धर्म-लिपि' (धम्मलिपि) बताया।
  • rock inscription -- शिलालेख
किसी शिला या पत्थर पर खोदकर लिखा गया अभिलेख; शिलोत्कीर्ण लेख।
  • rock painting -- शैल-चित्र
प्राकृतिक गुफाओं या मानव-निर्मित शिला-आवासों की दीवारों पर बने चित्र। प्रागैतिहासिक काल से शैल-चित्रों का निर्माण होता आ रहा है। भारतवर्ष में, प्रागैतिहासिक शिलागृह चित्र मध्यप्रदेश के अनेक स्थलों, यथा आदमगढ़, आबचंद, भीमबैठका, पंचमढ़ी आदि में बहुलता से मिले हैं। इन चित्रों में अनेक प्राकृतिक रंगों का प्रयोग हुआ है और उनसे तत्कालीन मानव-जीवन की झाँकी मिलती है।
विश्व में सबसे प्राचीन एवं उत्कृष्ट शैल-चित्र उच्च-पूर्व पाषाणकालीन स्पेन (अल्टामिरा) तथा फ्रांस लास्को (Lascaux) की गुफाओं में मिले हैं।
  • rock shelter -- शैलाश्रय
चूने पत्थर की अति प्रवण पहाड़ी (भृगु) के नीचे या उनके बीच में प्राकृतिक रूप से बना आश्रयस्थल। शैलाश्रय गुफा की तरह गहरा नहीं होता, पर शैलाश्रयों के वितान काफी बड़े मिले हैं, जिनमें पर्याप्त संख्या में मनुष्य निवास करते होंगे। प्रागैतिहासिक मानवों तथा उनके द्वारा प्रयुक्त वस्तुओं के अवशेष शैलाश्रयों में मिले हैं। मानव आवास के रूप में शैलाश्रयों का उपयोग पूर्वपाषाण काल के परवर्ती चरण से मिलते लगता है।
  • Roman architecture -- रोमन स्थापत्य
रोम साम्राज्यकालीन वह वास्तुकला, जो इटली, यूरोप, उत्तरी अफ्रीका तथा पश्चिम एशिया के देशों में अब भी विद्यमान है और जिसका काल ई. पू. 146 से ई. 365 तक रहा। इस युग की स्थापत्य कला में ज्वालामुखी-कंकरीट, ईंट, पत्थर तथा संगमरमर का प्रयोग हुआ है।
रोमन लोगों ने, यूनानी-धरणिक शैली (trabeated Greek style) तथा एट्रस्कनी मेहराबदार संरचनाओं को सम्मिलित कर एक नवीन शैली को जन्म दिया। उनकी वास्तुकलात्मक संरचनाएँ जल-सेतु, सार्वजनिक स्नानागार, प्राचीर, पुल तथा समाधिमंडप के रूप में आज भी विद्यमान हैं।
  • Romanesque style -- रोम प्रभावित कला
रोम की कला से प्रभावित वास्तु कला या कलाशैली।
  • Ropar -- रोपड़
सतलज नदी के किनारे स्थित एक महत्वपूर्ण पुरास्थल। 21 मीटर ऊँचे इस टीले की खुदाई 1952 से 1955 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्वावधान में हुई। खुदाई में निम्नलिखित 6 कालों का पता चला है जिनके अवशेष निश्चित क्रमबद्ध स्तरों में मिले हैं :-
1. हड़प्पा काल, लगभग ई. पू. 2100 से ई. पू. 1400;
2. चित्रित धूसर मृद्भांड (PGW), लगभग ई. पू. 1000 से ई. पू. 600;
3. उत्तरी कृष्ण मार्जित मृद्भांड (NBPW), या प्रारंभिक ऐतिहासिक लगभग ई. पू. 600 से ई. पू. 200;
4. मध्य ऐतिहासिक से परवर्ती ऐतिहासिक, लगभग ई. पू. 200-ई. 700 तक;
5. परवर्ती ऐतिहासिक लगभग ई. 700-ई. 1200; तथा
6. मध्यकालीन, लगभग ई. 1200-ई. 1700
इन कालों को उपकालों में विभाजित किया गया है। स्वतंत्रता के उपरांत पहली बार रोपड़ स्थल की खुदाई में हड़प्पा सभ्यता के अवशेष तथा चित्रित धूसर मृद्भांड (PGW) पहली बार प्राप्त हुए।
  • rosace (=rose) -- वलयाकार अलंकरण
(क) किसी कक्ष की अंतश्छद (ceiling) के मध्य में बना अलंकरण।
(ख) भवनों को सज्जित करने के लिए बनी वृत्ताकार अलंकृत संरचना, जो गुलाब के पुष्प के समान अंकित होती है। भारत में, इस प्रकार का अलंकरण गुप्तकालीन मंदिरों में कमलाकृति के रूप में मिला है। अलंकरण अभिप्राय के रूप में इसका अंकन विभिन्न पुरावशेषों, यथा मृद्भांड आदि में मिलता है।
  • Rosetta stone -- रोज़िटा-पाषाण
अगस्त, सन् 1799 ई. में फ्रांसीसी सैन्य टुकड़ी द्वारा मिस्र की नील नदी के पश्चिमी डेल्टे में राशिद (Rashid) के निकटवर्ती क्षेत्र में मिला एक काला बेसाल्ट पत्थर। ई. 1812 में, रोज़िटा पाषाण की दूसरी प्रति डॉ. थोमस यंग को प्राप्त हुई। टोलेमी पंचम (ई. पू.196) की राजाज्ञा इस पत्थर पर तीन भाषाओं (चित्राक्षर, डिमोटिक और यूनानी) में अंकित है, जिसके आधार पर चेम्पोलियन ने मिस्री चित्रलिपि का उद्बोधन किया। यह पट्ट लगभग 1.14 मीटर लंबा, .7112 मीटर चौड़ा और .2794 मीटर गहरा है। ब्रिटिश संग्रहालय में रोज़िटा पाषाण सुरक्षित है।
  • rosette -- 1. फुल्लिका, पाटल
पुष्पाकृति अलंकरण। भारत में, प्राचीन वेदिकाओं में इस प्रकार का अलंकरण बहुलता से मिलता है।
2. गुच्छा
वह वृत्ताकार अलंकरण, जिसके बीच में पत्तियों और फूलों के गुच्छ बने हों। प्राचीन भवनों में, अलंकरण के लिए इस प्रकार की संरचनाए बनाई जाती थीं।
  • Rossen Danubian culture -- रोसन डेन्यूबी संस्कृति
मध्य जर्मनी में स्थित रोसन-डेन्यूब क्षेत्र की मध्य नवपाषाणकालीन संस्कृति। रोसन मध्य जर्मनी में मर्सबुर्ग के निकट एक प्रागैतिहासिक कब्रिस्तान है जिसमें स्थित 70 शवाधानों से सादे व चित्रित भांड छिद्रित पाषाण कुठार तथा अस्थि तथा जेट के कंठहार आदि मिले हैं। इनके सन्निवेश छोटे आयातकार मकानों से निर्मित होते हैं। इसके प्ररूप स्थल उत्तरी बोहेमिया, सेक्सो-थूरिंजिया, बवेरिया, राइन के क्षेत्र, स्विट्जरलैंड और पूर्वी फ्रांस में मिले हैं जो परवर्ती डेन्यूबी संस्कृति, कालीन हैं। इन संस्कृतियों के जनक रोसन-डेन्यूब क्षेत्र में बसने वाले लोग थे। इस संस्कृति का उद्भव ई. पू. चौथी सहस्राब्दी के प्रारंभ में पूर्ववर्ती रेखीय मृद्भांड संस्कृति (Linear Pottery Culture) से हुआ था।
  • rostrocarinate tool -- चंचुमुखी उपकरण
अश्मपिंड जिसकी ऊपरी तथा निचली सतह चपटी होती है तथा कर्तन धार नोकीली अथवा चंचु आकार की होती है। इस प्रकार के उपकरण तृतीयक निक्षेप में प्राप्त हुए हैं। परंतु यदाकदा यह पूर्व पुरा प्रस्तर युग के कूदप्वां के साथ भी प्राप्त हुए हैं।
  • roulette -- दाँतेदार चक्र
कच्ची मिट्टी के बर्तनों पर दाँतेदार अलंकरण के लिए प्रयुक्त वह चक्र जिसमें अंकुर के रूप में निकले कंगूरे पैने होते हैं। इस चक्राकार उपकरण से कच्ची मिट्टी के बने पात्रादि पर छोटी-छोटी 'डैश' के आकार की रेखाएँ बन जाती थीं। बर्तनों की सजावट की यह तकनीक अनेक देशों में प्रचलित रही है।
  • rouletted decoration -- चक्रिल अलंकरण, दाँतेदार अलंकरण
भांडों, शिलापट्टों या मूर्तियों आदि में बनाया गया दाँतेदार अलंकरण।
  • rouletted ware -- चक्रिल अलंकरणयुक्त भांड, रूलेट भांड
दाँतेदार उपकरण द्वारा अलंकृत भांड।
अत्यधिक चिकनी मिट्टी के अंतर्वलित अंवठ (incurved rim) वाली तश्तरियों को उलटकर पकाने के कारण अंदर का भाग और ऊपरी भाग हल्का काला, सलेटी, पीला अथवा भूरा होता है। बर्तनों के सूखने से पहले ही उन पर दाँतेदार पहियों से दो अथवा तीन संकेद्रित पट्टियों वाला अलंकरण खचित किया जाता था। अलंकरण अभिप्रायों में छोटे त्रिभुज, चतुर्भुज, हीरक, अर्ध-चंचु बिन्दु आदि होते थे। पकाने से पूर्व इन तश्तरियों को मिट्टी के घोल से अंदर व बाहर लेपित कर दिया जाता था। इनकी भीतरी सतह अच्छी तरह से प्रमार्जित (well burnished) होती हैं। इन तश्तरियों को हल्के-हल्के ठोंकने पर धातु जैसी आवाज निकलती है।
यद्यपि अलंकरण अभिप्राय तथा तकनीक के आधार पर इन भांडों को भूमध्यसागरीय भांडों से प्रभावित बताया जाता है तथापि अलंकरण अभिप्रायों के अतिरिक्त कोई अन्य विशेषता ऐसी नहीं मिलती जिससे इसे विदेशी भांड निश्चित रूप से कहा जा सके। इन भांडों का भारतवर्ष में विस्तार दक्षिण में अरिकामेडू (पांडिचेरी) तथा उत्तर में तामलुक (पं. बंगाल) तक मिलता है।
इनका काल ई. प्रथम एवं द्वितीय शताब्दी है।
  • round barrow -- वृत्ताकार समाधि
एक या एक से अधिक शवाधानों के ऊपर ईंट आदि से बना गोलाकार टीला या ढूह। बौद्धों द्वारा बुद्ध के अवशेष-चिह्न या देहावशेषों को रखने के लिए गोल स्तूप बनाए जाते थे।
इस गोलाकार टीले के चारों ओर प्रायः खाई भी बनी होती थी और शवादि को ताबूत में रखकर उसमें गाड़ दिया जाता था।
ब्रिटेन में मिली अधिकतर मिट्टी की वृत्ताकार समाधियों कांस्य युगीन हैं। उत्खनन में रोमन, आंग्ल-सेक्सन तथा वाइकिंग कालों की गोल समाधियाँ मिली हैं।
  • rounded scraper -- वर्तुल खुरचनी
गोलाकार शल्क या क्रोड़ पर बने पुरापाषाणयुगीन प्रमुख उपकरण। इस प्रकार के उपकरणों की कार्यकारी धार प्रायः उपकरण की आधी या उससे अधिक परिधि में बनी होती है। उपकरण की धार बनाने के लिए प्रायः उभयपक्षीय शल्कीकरण किया जाता था, किन्तु एकपक्षीय शल्कीकरण के नमूने भी मिलते हैं। इनकी कार्यकारी धार सामान्यतः उत्तलाकार होती है।
  • russet -- रोहित
लाल-भूरा या पीला-भूरा रंग।
  • russet coated painted ware -- रोहित लेपित चित्रित भांड
दक्षिण भारत की प्रारंभिक इतिहासकालीन संस्कृति का एक विशिष्ट मृद्भांड जिसे व्हीलर ने आंध्रभांड की संज्ञा दी थी। इनके दो प्रकार- काले-लाल-मिलते हैं। इन भांडों की ऊपरी सतह पर कैओलीन (चीनी मिट्टी) से रेखीय अभिप्राय चित्रित करने के उपरांत उन्हें रक्ताभ-भूरे गेरूए हल्के लेप से आलेपित किया जाता था। अलंकरण अभिप्रायों में समानांतर रेखाओं और उनसे बने विभिन्न आकार, आड़ी तिरछी रेखाएँ, बिंदुओं से निर्मित रेखाएँ, तोरणाकार रेखाएँ, कंधी आदि मिलते हैं। प्रमुख पात्र-प्रकारों में विभिन्न प्रकार के छिछले और गहरे कटोरे हैं।
  • Sacae (=Sakas) -- शक
मध्य एशिया के आक्सस (आमू दरिया) तथा जक्सरतस (Jaxartes) (आधु. सर दरिया) नदी के मुहाने पर रहने वाले प्राचीन यायावर लोग। शक लोगों का उल्लेख प्राचीन साहित्य में प्रचुर रूप से मिलता है। ईसवी पूर्व दूसरी सदी में, उत्तर-पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों पर उनका अधिकार रहा।
  • sacellum -- लघु मंदिर
(1) किसी गिरजाघर का अलंकृत छोटा उपासना गृह।
(2) प्राचीन रोम में किसी देवी-देवता को समर्पित, बिना छतवाला, किंतु चारों ओर से घिरा स्थान।
  • sacrarium -- 1. पूजागृह
प्राचीन रोम में, किसी भवन या मंदिर का वह स्थान, जहाँ पर पवित्र वस्तु रखी जाती है।
2. गर्भगृह
किसी गिरजाघर का मुख्य या पवित्रतम भाग; किसी धार्मिक व्यक्ति द्वारा अनुष्ठान हेतु बनाया गया छोटा-सा भवन।
3. पाषाण-द्रोणी
किसी चर्च में, युखेरिस्त (अंतिम भोज) संस्कार के बाद, चषक को धोने के लिए बनी पत्थर या संगमरमर की हौदी।
  • sacrificial altar -- 1. बलिवेदी
वह ऊँचा उठा हुआ मंच या चबूतरा, जिस पर देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए, किसी पशु का वध किया जाता था।
2. यज्ञवेदी
हवन-पूजन, अनुष्ठान आदि करने के लिए बनी वेदिका। किसी मंदिर या प्रासाद के प्रांगण में धरातल से कुछ ऊपर उठ कर बना चतुष्कोणीय स्थान, जहाँ यज्ञ किया जाता है।
  • sacrificial post -- यज्ञ-स्तंभ, यूप
यज्ञ-स्थल का वह खंभा, जिससे बलिदान हेतु पशु को बाँधा जाता है। भारत में, लौरिया नंदनगढ़, मथुरा आदि में, इस प्रकार के यूप स्तंभ मिले हैं। इनमें से अनेक पर ब्राह्मी लिपि के लेख अंकित हैं। गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त और कुमार गुप्त प्रथम की स्वर्ण-मुद्राओं पर ऐसे अश्वमेध यूप के चित्र अंकित हैं, जिसके समीप अश्व बँधा दिखाया गया है।
  • saddle quern -- काठी सिल, अवतल चक्की
अंडाकार, चौकोर या आयताकर प्रस्तर, जिसके ऊपर का कार्यकारी तल सपाट या थोड़ा बहुत नतोदर तथा घिसा हुआ होता है। पुरातत्वज्ञों के अनुसार प्राचीन काल में इसका प्रयोग अन्न पीसने के लिए किया जाता था। सिल पर बेलनाकार या चौकोर लोढ़े के सपाट सतह पर रखे अन्न या किसी अन्य वस्तु को बार-बार आगे-पीछे हाथ से चलाकर पीसा जाता था। अवतल चक्की का आकार काठी (saddle) की तरह होता था।
भारतवर्ष में इस प्रकार के सिलों के प्रमाण मध्य-पाषाणकाल से ही यथा बागोर (राजस्थान), नेवासा (महाराष्ट्र) में मिलते हैं। नवपाषाणकालीन प्राक्-हड़प्पा तथा ताम्राश्मकालीन पुरास्थलों से भी उसके प्रमाण मिलते हैं। इतिहासकाल में भी इसका उपयोग होता रहा। गाँवों में इसका अब भी उपयोग होता है।
  • Saka-era -- शक संवत्
शक राजा शालिवाहन द्वारा प्रवर्तित संवत्, जिसका आरंभ ईसा के 78 वर्ष पश्चात् हुआ था। प्राचीन भारतीय वांगमय एवं अभिलेखों तथा मुद्राओं पर इसका प्रयोग मिलता है।
  • salvage archaeology -- उद्धारक पुरातत्व
किसी पुरातात्विक स्थल या कलात्मक कृतियों को विनष्ट होने से बचाने के उद्देश्य से किया गया कार्य।
उद्धारक पुरातत्व की उपलब्धि का सर्वोत्कृष्ट, नमूना मिस्र में नूबिया के स्मारक हैं, जो आस्वान बाँध के बनने के कारण पूर्णतः जलमग्न या विनष्ट हो जाते, यदि उन्हें उपयुक्त समय पर संयुक्त राष्ट्र संघीय सहायता से, सुरक्षित रूप में अन्यत्र न ले जाया जाता। भारत में, उद्धारक पुरातत्वीय उपलब्धि की कोटि में, नागार्जुनकोंडा के स्मारक हैं। पुराने कुओं, नदियों, तालाबों आदि में फेंकी गई प्राचीन मूर्तियों का उद्धार भी इसी कोटि में परिगणित किया जाता है।
देखिए : 'rescue excavation'.
  • Samarra pottery -- समरा मृद्भांड
उत्तरी इराक में समरा नगर के उत्खनन में प्राप्त ई. पू. छठी सहस्राब्दि के विशिष्ट मृद्भांड। हल्के पृष्ठभूमि पर काले अथवा भूरे रंग से इन बर्तनों पर मछली, पशु तथा मानवों की सुंदर आकृतियाँ एवं ज्यामितिक अलंकरण चित्रित मिलते हैं। विशिष्ट पात्र-प्रकारों में खुले मुँह वाले अलंकृत कटोरे हैं। इस स्थल का उत्खनन प्रथम विश्वयुद्ध के पूर्व हर्जफेल्ड (Herzfeld) ने कराया था।
  • Samian ware (=Terra sigillata) -- सेमियाई भांड
दक्षिण और मध्य गाल तथा मोसेल (Moselle) घाटी में मिले वे विशिष्ट मृद्भांड, जो पहली से तीसरी शताब्दी ई.में बनाए गए थे। ये भांड इतालवी एरिन्ताइन भांडों की आकृति में निर्मित हुए। साँचे से बने रंग के इन मृद्भांडों की सतह अत्यन्त चमकीली होती है। ये मृद्भांड सादे और अलंकृत, दोनों ही प्रकार के मिलते हैं। आकार और अलंकरण के आधार पर यह माना जाता है कि इनका निर्माण धातु-निर्मित पात्रों की प्रतिकृति के रूप में हुआ होगा। इन मृद्भांडों पर निर्माता कुंभकार अथवा उसकी कार्यशाला का नाम ठप्पांकित मिलता है। साँचे में ढालकर बनाए गए मृद्भांडों पर प्रायः उभरी हुई मिथक आकृतियाँ, पशु-पक्षी एवं बेल-बूटे निर्मित मिलते हैं। इसी आधार पर इसे टेरा सिगिलाटा (terra sigillata) अर्थात् उभरी आकृतियुक्त मृद्भांड कहा जाता है।
कुंभकारों अथवा उनकी कार्यशालाओं के ठप्पांकित नामों के आधार पर रोम के अनेक शाही पुरास्थलों की तिथि सुनिश्चित की जा सकी।
  • Samoan culture -- सेमोआई संस्कृति
पश्चिमी पोलिनिशिया के प्राचीनतम सेमोआ वासियों की संस्कृति। सेमोआ संस्कृति का प्रारंभ लगभग ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि के उत्तरार्ध में हुआ जब वे पोलिनिशिया में आकर बसे। इनके विशिष्ट मृद्भांड ई. पू. प्रथम सहस्राब्दि के अन्त तक मिलते हैं। उसके बाद ये मृद्भांड बनना बन्द हो गए। यह संस्कृति अपने मिट्टी के दुर्ग, कच्चे या पाषाण निर्मित भवन और देवालय-चबूतरों के लिए प्रसिद्ध है।
  • sanctum -- गर्भ-गृह
मंदिर के मध्य या छोर में स्थित वह स्थान, जिसमें प्रतिमा स्थापित हो। यह मंदिर का पवित्रतम भाग होता है।
  • sanctum sanctorum -- 1. पवित्रतम स्थल
अन्य स्थानों की अपेक्षा सबसे पवित्र स्थान।
2. गर्भ-गृह
किसी मंदिर का मध्यवर्ती या उसके छोर पर स्थित वह स्थल, जिसमें मूर्ति स्थापित हो।
  • sand gravel soil -- बलुई कंकरीली मिट्टी
बालू और कंकड़ों से युक्त मिट्टी।
  • Sandia cave -- संदिया गुफा
संयुक्त राज्य अमरीका के न्यू मेक्सिको राज्य में एल्ब्यूकर्क (Albuquerque) के निकट स्थित संदिया गुफा। इसमें प्राप्त विशिष्ट उपकरण चूलदार और बिना नालीदार प्रक्षेप्य वेधनी है, जिसमें केवल एक ओर स्कंध बना होता है। इसका काल ई. पू. 12,000-ई. पू. 8000 माना गया है। इन उपकरणों के साथ-साथ कतिपय विलुप्त प्रजाति के स्तनपायी पशुओं, यथा गौर (bison) ऊँट तथा मैमथ के अवशेष भी मिले हैं।
  • sandstone -- बालुकाश्म, बलुआ पत्थर
अपरदी अवसादी शैल (detrital sedimentary rock) का एक प्रकार, जो बालू और स्फटिक (क्वार्ट्ज) से बना होता है। यह सामान्यतः लाल, पीला, भूरा, सलेटी या हल्के श्वेत रंग का होता है।
  • sapphire -- नीलम
कोरंडम की एक नीले रंग की किस्म जो प्रसिद्ध बहुमूल्य रत्न के रूप में प्राचीन काल से ही व्यवह्त होती रही। नीलम से बने हुए मनके प्राचीन स्थलों से प्राप्त हुए हैं। प्राचीन भारतीय साहित्य में इसे नीलमणि कहा गया है।
  • sarcophagus -- शव-पेटिका, ताबूत
(क) पत्थरों या पकी मिट्टी से बनी वह पेटी, जिसमें शव रखा जाता था।
(ख) प्राचीन यूनानियों द्वारा शव-पेटी बनाने के लिए प्रयुक्त चूनापत्थर, जिसमें रखा शव कुछ सप्ताह में गल जाता था। इसे एशियाई प्रस्तर या लेपिस एसिअस भी नाम दिया गया है। कहा जाता है कि प्राचीन लाइसिया नगर के एक्सोस स्थान में यह पत्थर मिलता था।
(ग) किसी खुले स्थान पर या तुंब में स्थापित विशाल ताबूत। प्राचीन मिस्री लोग ममी को पाषाण पेटियों में सुरक्षित रीति से रखते थे।
कालांतर में, शव-पेटिकाएँ संगमरमर, मिट्टी, सीसे, लकड़ी, पोर्फिरी इत्यादि की बनाई जाने लगी। इन शव-पेटिकाओं में मनुष्य के संपूर्ण शरीर को रखकर दफनाया जाता था। यूनानी और रोमन काल की शव-पेटिकाओं में, पुरा-कथाओं एवं देव-कथाओं के चित्र बने मिले हैं, जो तत्कालीन कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। दक्षिणी भारत में, पकी मिट्टी की पशु-आकृतियों के रूप में बने ताबूत भी मिले हैं जिनके भीतर शव रखकर दफनाया जाता था। शव-पेटिका के भीतर या बाहर मृतक व्यक्ति की प्रिय वस्तुएँ भी रखी जाती थीं।
  • Sargonid period -- सारगोनिद काल
असीरिया का सारगोन राजवंश के शासकों का राज्य-काल जो ई. पू. 722 से ई. पू. 607 तक रहा। इस राजवंश की स्थापना सारगोन द्वितीय (ई. पू. 722 -- ई. पू. 705) ने की थी। इस वंश में, सेनाचेरिब इसरहद्दन तथा असुरबनीपाल सरीखे प्रतिभाशाली और वीर शासक हुए। सरगन द्वितीय के उत्तराधिकारी सेनाचेरिब (ई. पू. 705-680) ने बेबिलोन नगर को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था, पर निनेवह नगर में, उसने निर्माण-कार्य भी करवाया। यह वंश ई. पू. 607 तक चलता रहा।
  • Satyr -- सैट्र
यूनानी पौराणिक कथाओं में वर्णित अर्ध देवता, जो बेकस () तथा डायोनिसस के अनुचर के रूप में प्रदर्शित किया जाता था। इसका रूप बहुत ही भद्दा और अरूचिकर था। बकरे के जैसे नुकीले लंबे कान, सींग और पूंछ, इसकी आकृति की विशेषता थे। इसे मद्यप और दुराचारी अर्धदेवता माना गया है। यूनानी मृद्भांडों पर बनी इसकी आकृति यूनानी कला का श्रेष्ठ उदाहरण है। संगमरमर की श्रेण्यकालीन इनकी मूर्तियाँ भी मिली हैं।
  • sauce boat -- प्रारंभिक पात्र, डोंगा
प्रारंभिक कांस्यकालीन यूनान का विशिष्ट मृद्भांड जो डोंगी के आकार की तरह का होता था। इसके एक ओर पकड़ने के लिए हत्था तथा दूसरी ओर नालीदार लंबी टोंटी बनी होती थी।
इसी काल का स्वर्ण निर्मित एक पात्र भी मिला है जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि इन मृण्पात्रों का निर्माण धातुपात्रों की अनुकृति में किया गया होगा।
  • Sauveterrian -- सौवेतेरिऐं
दक्षिण-पूर्व फ्रांस तथा यूरोप के निकटवर्ती क्षेत्रों की प्रारंभिक मध्य पाषाणकालीन सौवेतेरिऐं संस्कृति, जिसके ज्यामितिक आकार में बने उपकरण बहुत बड़ी संख्या में मिले हैं। काष्ठ-कर्म संबंधी उपकरण नहीं मिलते हैं। संभवतः राक अलन (Roc Allan) नामक स्थल से प्राप्त कपाल इसी संस्कृति से संबंधित हैं।
इस स्थान पर स्थित दो शैलाश्रयों के उत्खनन के फलस्वरूप यूरोपीय मध्यपाषाणकालीन संस्कृतियों के अवशेष निश्चित स्तरक्रम में प्राप्त हुए। सबसे निचले स्तर से मग्दालीनी संस्कृति और उसके ऊपर के स्तरों से क्रमशः अजीली, सैवेतेरिऐं तथा तार्देनोज़ी (Tardenoisian) संस्कृतियों के अवशेष मिले हैं।
  • scarab -- गुबरैला ताबीज़, शृंगाकार ताबीज
वह ताबीज़ या अंगूठी, जो गुबरैला कीट की आकृति से मिलती हो। इसे प्राचीन मिस्री लोग सूर्य की प्रेरक शक्ति मानते थे। इसकी आकृति मध्य-राजवंशीयकाल में, आभूषणों, कलात्मक वस्तुओं तथा मुद्राओं पर अंकित की जाती थी। विभिन्न पत्थरों और प्रकाशित वस्तुओं (faience) पर गुबरैले कीटों की आकृतियोँ बनी मिली हैं, जिसके अन्दर के चपटे भाग में चित्रलिपि में लेख भी उत्किर्णित हैं। इसे छिद्रित कर अंगूठी, ताबीज़ और मनके के रूप में भी प्रयुक्त किया जाता था। पुनरुज्जीवन के प्रतीक के रूप में ये मिस्र ममी के साथ भी दफनाये जाते थे।
  • scarlet ware -- लोहित भांड
मेसोपोटामिया के आरंभिक राजवंशकालीन (ई. पू. 2900-ई. पू. 2370) प्रसिद्ध मृद्भांड जिसके अवशेष दियालघाटी और दक्षिण पश्चिमी ईरान में मिले हैं। लोहित मृद्भांडों का उद्गम जेमदेत नस्र मृद्भांडों (Jemdet Nasr ware) से माना जाता है। उन मृद्भांडों पर, पीली पृष्ठभूमि के ऊपर काले रंग के ज्यामितिक अलंकरण चित्रित मिलते हैं। अलंकरण अभिप्रायों में मनुष्यों के अतिरिक्त पशुओं और पक्षियों की आकृतियाँ भी मिलती हैं। दक्षिण-पश्चिमी ब्लूचिस्तान में कुल्ली-मेही से प्राप्त प्राक्-हड़प्पाकालीन चित्रित पांडु मृद्भांडों की इन मृद्भांडों के साथ तुलना के आधार पर उन्हें ई. पू. तृतीय सहस्राब्दि के प्रारंभ का मृद्भांड माना जाता है।
  • scauper (=scorper) -- उत्कीर्णक
लकड़ी पर तक्षण-कार्य करने के लिए बना एक चपटा उपकरण, जिसकी धार वक्राकार होती है।
  • scena (=skene) -- नेपथ्य
प्राचीन यूनान के श्रेण्यकालीन रंगमंचों का पिछला भाग।
  • scimitar (=cimeter=-scimetor = Scimiter) -- खड्ग, तलवार, शमशीर
तलवार से मिलता-जुलता एक अस्त्र, जिसका फलक (blade) वक्राकार होता है। इसके काटने की तेज धार उत्तल पार्श्व में बनी होती है। इसका प्रयोग मुख्यतः अरब और फारस के लोग करते थे।
  • scraper -- खुरचनी, क्षुरक, रांपी
एक प्रकार का प्रागैतिहासिक पाषाण उपकरण। शल्क व फलक या फलक का परिष्करण (retouch) कर इसकी कार्यकारी धार निर्मित की जाती थी जो सामान्यतः अर्धवृत्ताकार या उत्तल होती थी। स्क्रेपर का प्रयोग संभवतः काष्ठ-कर्म अथवा चमड़ा उधेड़ने के लिए किया जाता था।
मध्यपूर्व पाषाणकालीन शल्क पर निर्मित खुरचनी प्रायः पार्श्व में परिष्करण कर बनाई जाती थी जिसे पार्श्व खुरचनी या रेक्लार (recloir) कहा जाता है। उच्च पूर्व पाषाणकाल में फलक के अंर्तभाग का परिष्करण कर खुरचनियाँ निर्मित की जाने लगी जिन्हें अंत खुरचनी या ग्रेटार (grattoir) कहा जाता है।
  • scratch plough -- नखर, हल, आखुर हल
प्राचीनतम हल, जिसका उद्गम और विकास कुदाल से हुआ। इस हल से मिट्टी को थोड़ा-सा कुरेदा तो जा सकता था, किन्तु उसे पलटा नहीं जा सकता था। दक्षिण-पश्चिमी यूरोप के नवपाषाणकालीन कुछ स्मारकों के नीचे इस प्रकार के हल द्वारा बने निशान मिले हैं।
देखिए : 'ard'.
  • scroll -- 1. कुंडली
कागज़ या चमड़े की लंबी पट्टियाँ जिन पर महत्वपूर्ण दस्तावेजों को लिखकर किसी मूठयुक्त काष्ठ दंड या छड़ में लपेट कर सुरक्षित रखा जाता था। इसे खोलकर पढ़ने और पुनः लपेट कर रखने में आसानी होती थी। भारतवर्ष में जन्मपत्री या राजादेश इसी प्रकार के होते थे।
2. कुंडलित अलंकरण
अलंकरण के लिए प्रयुक्त सर्पिल या वलयाकार अभिप्राय। इस प्रकार के अलंकरण अभिप्राय यूनानी वास्तु में आयोनी व कारिंथी स्तंभों के शीर्षभाग में निर्मित मिलते हैं।
3. कुंडल
सर्पिल या वलयाकार आकृति वाले अलंकरण, यथा कानों में पहनने की बाली।
  • scroll moulding -- कुंडलित सज्जापट्टी
किसी भवन या कलाकृति को सजाने या अलंकृत करने के लिए बना गोलाकार अलंकरण।
  • sculp -- तक्षण क्रिया
लकड़ी, पत्थर आदि को छील, काट, तराश या उकेर कर मूर्तियाँ आदि बनाना।
  • sculpstone -- सुतक्षणीय शिला
काटने, तराशने, उकेरने और तक्षण कार्य करने के लिए उपयुक्त पत्थर की पटिया। इस प्रकार की शिला, मूर्ति-निर्माण के लिए उपयुक्त होती है।
तक्षण कर्म के लिए सामान्यतया सर्वाधिक दृढ़ पत्थर का प्रयोग इसलिए किया जाता है कि छेनी का प्रयोग करते समय वह अपेक्षा या आवश्यकता से अधिक विखंडित न हो। मूर्ति-निर्माण के लिए ग्रेनाइट, बालुकाश्म, संगमरमर आदि का प्रयोग होता रहा है।
  • sculptor -- मूर्तिकार
मूर्ति बनानेवाला शिल्पी।
  • sculptural canon -- मूर्तिकला अभिनियम
विभिन्न प्रकार की मूर्तियों, विशेषकर धार्मिक मूर्तियों के निर्माण विषयक सिद्धांत। प्राचीन मिस्रियों ने भी मूर्तियों के अनुपात के संबंध में नियम बनाए थे। प्राचीन यूनान में, छठी शताब्दी ई. पू. में शारीरिक अवयवों के अनुपात निश्चित कर दिए गए थे। इस संबंध में आर्गिस (ई. पू. 450-ई. पू. 420) ने सर्वप्रथम प्रयास किया था। विट्रूवियस ने मूर्तियों के शारीरिक अनुपात को पुनः स्थापित किया।
अनेक प्राचीन भारतीय ग्रंथों में, मूर्तियों के शारीरिक अनुपात, मुद्राओं, वाहनों इत्यादि का विशद वर्णन मिलता है। प्रतिमा-मान विज्ञान संबंधी प्राचीनतम दिनांकित ग्रंथ उपलब्ध नहीं हैं। 'वैखानसागम' में प्रतिमा-मानविज्ञान के छह ढंग मान (अनुपात), प्रमाण (चौड़ाई), उन्मान, परिमाण, उपमान (भीतरी भागों की नाप) तथा लंबमान बताए गए हैं। भारतीय वास्तुशास्त्र के मानक-ग्रंथों में 'मानसार', 'शिल्परत्न', 'मयमतम', 'अपराजितपृच्छा', 'समरांगण सूत्रधार' आदि उल्लेखनीय हैं।
  • sculpture -- 1. मूर्तिकला
प्रतिमा गढ़ने की कला;
लकड़ी, पत्थर, धातु आदि को काट, उकेर या तक्षित कर, किसी आकृति या आकार को उद्भूत या प्रत्युत्कीर्ण करने की कला।
2. मूर्ति
लकड़ी, हाथीदाँत, मिट्टी, पत्थर या धातु को तक्षित कर बनाई गई आकृति।
  • scythe -- दरांती
घास-फूस, फसल इत्यादि को काटने का एक मूठयुक्त औजार, जिसका तेज धारदार फलक लंबा और वक्राकार होता है।
  • scythian -- सीथियन
वोल्गा नदी के पश्चिम में काला सागर के उत्तर तथा अराल समुद्र के पूर्व में स्थित सोथिया के मूल निवासी। प्राचीन यूनान से इनका संपर्क ई. पू. सातवीं शताब्दी से था। इन्होंने पश्चिम एशियाई क्षेत्रों को पददलित किया। कला के क्षेत्र में पर्याप्त योगदान रहा। इनकी कला से यूरोप की केल्टीय कला तथा ईरान के निकटवर्ती प्रदेश की कला प्रभावित थी।
  • seal -- मोहर, मुहर, मुद्रा
किसी वस्तु की मुलायम सतह पर विशिष्ट चिह्न या नाम आदि अंकित करने का अपेक्षाकृत कठोर वस्तु से बना ठप्पा। यह धातु, पत्थर, पकी मिट्टी, हाथीदाँत आदि का बना होता था। इन मुहरों का प्रयोजन किसी वस्तु का स्वामित्व अथवा प्रलेखों की वैधता सुनिश्चित करना होता था। अस्तु कलात्मक महत्व के साथ-साथ सामाजिक दृष्टि से वे अत्यंत मूल्यवान थीं।
मुख्यरूप से दो प्रकार की मुहरें मिलती हैं। (क) सपाट तथा (ख) बेलनाकार। सर्वप्रथम ये मेसोपोतामिया में ई. पू. चतुर्थ सहस्राब्दि में बेलनाकार मुहरें मिली हैं जो कला की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। लगभग ई. पू. 3700 में मिस्रावासियों ने उनका उपयोग प्रारंभ किया। ई. पू. 2300 में मुहरों का प्रयोग यूनान, क्रीट तथा पश्चिमी एशियाई देशों में होने लगा। भारत में हड़प्पाकालीन संस्कृतियों में इस प्रकार की मुहरें बड़ी मात्रा में मिली हैं जो कला और लिपि की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
ठप्पा बनाने के लिए किसी उत्कीर्णित पत्थर या मनके को किसी नरम मिट्टी की तरह मोटी तह पर दबाकर उसका प्रतिरूप साँचा बना लिया जाता था। सूखने और आग में पका कर दृढ़ बनाने के उपरांत ठप्पा लगाकर अन्य वस्तुओं को प्रामाणिकता प्रदान की जाती थी। सब से प्राचीन मुद्राएँ चपटी होती थीं, जिन्हें मिट्टी से मुद्रांकित किया जाता था। बाद में, ये बेलनाकार बनीं। सब प्राचीन मुहरों के अलंकरण ज्यामितिक रूपों में मिले हैं।
प्राचीन भारत में, शासकों तथा श्रेणियों, नगरों और ग्रामों की अपनी-अपनी-स्वतंत्र मुद्राएँ होती थीं।
अब तक प्राप्त मुद्राओं के आधार पर मुहरों को मोटे रूप से निम्न भागों में विभक्त किया जा सकता है :---
सुमेरी बेलनाकार मुद्रा, मिस्री गुबेरेलाकार ताबीज, बटन-मुद्रा, मुहर की अंगूठी, मनका-मुद्रा, खानेदार मुद्रा, प्रिज्मेटिक मुद्रा (prismatic seal), वातामाकार मुद्रा।
  • sealing -- 1. प्रतिमुद्रा
किसी मोहर से लगाई गई वस्तु।
2. मुद्रांकन
किसी साँचे या ठप्पे आदि की सहायता से चिह्न या आकृति आदि अंकित करने का काम।
  • sealstone -- मुद्रा-पाषाण
पत्थर पर उत्कीर्णित मुहर, जिससे किसी अन्य वस्तु पर छाप लगाई जाती है। इसका प्रयोग पात्रों में अलंकरण करने के लिए भी किया जाता था। सामान्यतया ये प्रागैतिहासकालीन संदर्भों में मिलते हैं।
  • seated image -- आसीन मूर्ति
वह मूर्ति, जो बैठी हुई मुद्रा में हो।
प्राचीन भारतीय मूर्तियाँ पद्मासन, भूमिस्पर्श या अन्य प्रकार की बैठी हुई मुद्राओं में मिलती हैं।
  • secondary burial -- द्वितीयक शवाधान
(क) प्राथमिक शवाधान स्मारक के, उपांत में बनाया या जोड़ा गया दूसरा शवाधान। प्राथमिक शवाधान, वे शवाधान स्मारक हैं, जिनका निर्माण शव दफनाने के लिए प्रथमतः किया जाता था, यथा बैरो आदि। द्वितीयक शवाधान वे हैं, जो प्रायः प्राथमिक शवाधानों के बाद में जोड़ दिए जाते थे।
(ख) इस शब्द का प्रयोग उस प्राचीन प्रथा के लिए भी किया जाता है, जिसके अंतर्गत मृतक की अस्थि का संचयन कर अस्थि-पात्रों में रखकर दफनाया जाता था। मृत्यु के उपरांत शव को कुछ समय के लिए खुला छोड़ दिया जाता था। जब मृत शरीर का मांस और चर्म आदि सड़-गल जाता था और केवल अस्थियाँ शेष रह जाती थीं, तब उन्हें अस्थि-पात्र में रखा जाता था। ताम्राश्म और महापाषाणयुगीन संस्कृति में, इस प्रकार के शवाधानों के अनेक उदाहरण मिले हैं।
  • secondary flaking (=secondary retouch) -- द्वितीयक शल्कन
प्राथमिक शल्कन से प्राप्त लगभग वांछित आकार-प्रकार के अपूर्ण क्रोड, शल्क या फलक उपकरण को पुनः काट-छाँट और तराश कर परिष्कृत करना। इस प्रक्रिया द्वारा पाषाणोपकरण की उभरी रेखाओं (ridges) को नियमित संधात द्वारा समतल किया जाता था। प्राचीन काल में, संभवतः इसके लिए बेलवाकार अथवा हल्के हथौड़े का प्रयोग किया जाता था।
देखिए : 'retouching'.
  • section -- काट
पुरातात्विक अवशेषों के स्तरांकन के लिए खड़ी खुदाई में की गई काट।
  • section drawing -- काट-आरेखण, काट-चित्रांकन
पुरातात्विक उत्खनन में उपलब्ध काट के स्तरांकन का आरेख तैयार करना। उत्खनन और उसमें प्राप्त पुरावशेषों के सम्यक विवरण के लिए यह अत्यंत आवश्यक और उपयोगी होता है। इसका उपयोग विभिन्न खदानों या उत्खनित स्थलों के समन्वित अध्ययन के लिए भी किया जाता है।
  • sedimentary rock -- अवसादी शैल, तलछटी शैल
अवसाद के संचयन से निर्मित शैल जो विभिन्न प्रमापों के शैल-खंड, प्राणियों तथा पौधों के उत्पाद या अवशेष, रासायनिक क्रिया अथवा वाष्पन के उत्पाद या इन पदार्थों के मिश्रणों से युक्त होता है। अवसादी शैलों में प्रायः ऊर्मि-चिह्न (ripple mark), पंक-दरार और जीवाश्म मिलते हैं। अवसादी चट्टानें अनेक प्रकार की होती हैं।
  • sediments -- तलछट, अवसाद
निलंबन की अवस्था में, अपने उद्गत स्थल से दूर वायु, जल या हिम द्वारा परिवाहित होकर भू-पृष्ठ पर संचित ठोस पदार्थ (खनिज तथा जैविक)। पुरातात्विक स्थलों की कुछ तलछटें मानव अवशेषों जैसे भवनों के अवशेष तथा कूड़ा-करकट या घूरा-निक्षेप (kitchen midden deposits) पर ही निर्मित होती हैं तथा अन्य तलछटें संरचनाओं के अपरदन और विघटन से बनती हैं। इसके अलावा मृदा-निर्माण प्रक्रिया का भी तलछट निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है। प्रागैतिहासिककालीन पर्यावरण अध्ययन के लिए पुरातात्विक स्थल से परे के अवसादों का अध्ययन आवश्यक है।
  • Selena (=Selene) -- सेलेना
प्राचीन यूनानी कथाओं में वर्णित चंद्रमा की देवी, जो टिटान हाइपेरियोन और थिया की पुत्री कही जाती थी। इसे अनिद्य सुंदरी के रूप में, अनेक स्थलों पर चित्रित किया गया है। प्राचीन यूनान में नव चंद्र और पूर्ण चंद्र के पर्वों पर इस देवी की उपासना की जाती थी।
  • Semite -- शामी, सेमाइट
अरब प्रायद्वीप के वे प्राचीन लोग, जिनमें मुख्यतः यहूदी, अरब, बेबीलोनी, असीरियाई, फोनिशियाई और दक्षिण-पश्चिमी एशियाई लोगों को परिगणित किया जाता है। फोनिशियाई लोगों ने, अपनी सामी भाषा को भूमध्यसागरीय क्षेत्र के एक बहुत बड़े विस्तृत भाग में प्रचलित और प्रसारित किया। शामी भाषाओं में, अरबी और हिब्रू आज भी प्रचलित हैं जबकि फोनोशियाई, मोआबी, बेबीलोनी, असीरी तथा कनानी (Cananite) भाषाएँ विलुप्त हो चुकी हैं।
  • septal slab -- पट-पाषाण
किसी महाश्म शवाधान में पत्थर की खड़ी पटिया, जो उसे अलग-अलग शवाधान क्षेत्रों में विभाजित करती है। कभी-कभी इनमें छिद्र भी बना होता था।
  • sepulchre (=sepulcher) -- मकबरा, समाधि
मृतक को गाड़ने या दफनाने का स्थान; वह इमारत, जिसमें कब्र बनी हो।
  • Serapeum -- सीरेपिअम
मिस्री देवता सीरेपिस को समर्पित मंदिर। सीरेपिस देव-कल्पना में, ओसाइरस और एपिस की संयुक्त विशेषताएँ मिलती हैं। टालेमी वंशीय शासनकाल में, इस देवता का बहुत अधिक महत्व और सम्मान था। सबसे प्रसिद्ध सीरेपियस मेम्फिस में स्थित था, जिसमें पवित्र एपिस वृषभों को दफनाया गया था।
देखिए : 'serapis'.
  • Serapis -- सीरापिस
प्राचीन मिस्री देवता, जिसकी आराधना का आरंभ टालेमी राजाओं के शासनकाल में, यूनान में हुआ। वहाँ से इसकी उपासना का प्रचार रोम में हुआ। कहा जाता है कि मृत वृषभ ही सीरापिस देवता था। यूनानी और मिस्री पूजा-परंपरा का यह सम्मिलित और समन्वित रूप था।
  • Sesklo -- सेस्कलो
ई. पू. छठी सहस्राब्दि के थेसेली (Thessaly) के मैदानी भाग में वोलोस (Volos) के निकट एक नवपाषाणकालीन टीला जिसके नाम पर समग्र यूनानी मुख्य भूभाग की मध्य नवपाषाणकालीन संस्कृति का नामकरण हुआ है। मृद्भांडों पर सुंदर श्वेत लेप के ऊपर लाल रंग के ज्यामितिक अलंकरण बने हैं। पत्थर की नींव पर एक दूसरे से सटे हुए कच्ची ईंटों के मकानों के अवशेष भी मिले हैं जिसमें गुंबदाकार भट्टियाँ मिली हैं।
  • Seven wonders of the World -- विश्व के सात आश्चर्य
हेलेनिस्टिक काल में जिन सात आश्चर्यों की सूची बनाई गई है, उनमें-(1) बेबीलोन के तलोद्यान, (2) मिस्र के पिरामिड, (3) इफेसस में स्थित आर्तेमिस (डियना) का मंदिर, (4) ओलंपिया स्थित जूपिटर की हेमदंत मूर्ति, (5) रोड्स की सूर्य (Helios) की विशाल मूर्ति, (6) हेलिकारनेसस का मकबरा, तथा (7) एलेक्जैंड्रिया का प्रकाश स्तंभ (Pharos)।
उक्त अद्भुत संरचनाएँ विश्व की सर्जनात्मक क्षमता और सौंदर्य बोध के साकार प्रमाण हैं।
  • sgraffito (=sgraffiato) Ware -- अभिरेखित भांड
काचित भांड की सतह को खुरच कर अलंकृत करने की प्रविधि। इस विधि में भांड को काचित करने से पहले अभिरेखित अलंकरण अभिप्राय को विभिन्न रंगों से भर दिया जाता था। इस प्रकार निर्मित भांडों के चमकीले अलंकरण अभिप्राय काचित भांडों के धरातल पर उभर कर उन्हें अतिसुन्दर बना देते थे।
ई. 11-12 शताब्दी के बाइजेन्टीनी भांड पश्चिमी यूरोप के इस शैली में निर्मित भांडों के उत्कृष्ट प्राचीनतम नमूने हैं।
  • Shadow mark -- छाया-चिह्न
वैमानिक छाया-चित्रणों में मानवीय संरचनाओं के विशेष प्रकार से उद्भासित चिह्न।
योजनाबद्ध पुरातात्विक अन्वेषण में, वैमानिक छायाचित्रण का महत्वपूर्ण स्थान है। इन छाया-चिह्नों से नए पुरातात्विक स्थलों का अनुमान तो होता ही है, इनके आधार पर ज्ञात प्राचीन स्थलों का व्यवस्थित अध्ययन भी किया जा सकता है। प्रातः या सायंकाल जब सूर्य आकाश में नीचे की ओर टीले- प्राचीन नालियों, तटबंधों के पीछे होता है, तब वनस्पति से ढकी हुई इन संरचनाओं से एक विशेष प्रकार की छाया उद्भासित होती है। विमान से चित्रित इस छाया का सूक्ष्म अध्ययन कर प्राचीन स्थलों का पता लगाया जा सकता है। वैज्ञानिक छायाचित्रण के आधार पर ही रोमन और मय लोगों की मार्ग-योजना का ज्ञान प्राप्त किया जा सका है।
  • shaft -- 1. आयुध दंड
भाले या तीर आदि की नोक को फँसाने का लंबा डंडा।
2. स्तंभ दंड
किसी क्लासिकी-स्तंभ का आधार और शीर्ष के बीच का भाग।
  • shaft grave -- गर्त कब्र
एक प्रकार का शवाधान, जिसमें मृत शरीर को एक गहरे सँकरे गड्डे में दफना दिया जाता था। विश्व के अनेक भागों से प्रागैतिहासिक काल से ही इस प्रकार की कब्रों के अवशेष मिले हैं। यूनान में माइसीने की कब्रें विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
  • shaft straightener -- शर-ऋजुक, बाण-ऋजुक
देखिए : 'arrow straightener'.
  • shaft-hole axe -- दंडविवर कुठार
एक प्रकार की पत्थर या धातु की कुल्हाड़ी जिसमें डंडे को फँसाने के लिए छिद्र बना होता था। इस प्रकार की कुल्हाडियाँ प्रागैतिहासिक काल से ही मिलने लगती हैं।
  • shale -- शेल, मृदा प्रस्तर, स्लेटी पत्थर
एक सूक्ष्म कणिक, अपरदी, अवसादी शैल।
चिकनी मिट्टी, पंक अथवा गाद (silt) के संघटन (composition) से बना स्तरित विदल्य (fissile) शैल।
प्राचीन काल में इसका उपयोग बर्तन आदि बनाने के लिए मिलता है।
  • shell -- 1.कवच
कुछ प्राणियों का बाहरी-कठोर दृढ़ आवरण जो सामान्यतः कैल्सियकी होता है, परन्तु किसी-किसी प्राणी में यह काइटिनी या सिलिकामय भी होता है। प्राचीन स्थलों के उत्खन्न में मिले इन आवरणों से तत्कालीन पर्यावरण के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। मध्यपाषाणकालीन कूड़ा-निक्षेप (kitchen midden) संस्कृति में विभिन्न प्रकार के कवच मिले हैं।
2. शंख
समुद्र में पैदा होने वाले बड़े आकार के समुद्री घोंघे का ऊपरी आवरण या खोल, जो फूँक मार कर बजाने के काम में आता है। यह पत्थर-सा कठोर, चिकना और सामान्यतः सफेद रंग का होता है। इसके ऊपरी पार्श्व भाग में एक छिद्र बना होता है, जिसमें मुँह से हवा फूँकने से नीचे से गर्जन के साथ आवाज निकलती है। इसका निचला भाग कर्णवत् होता है। अति प्राचीन काल से शंखों का प्रयोग होता आ रहा है। बड़े शंखों से कंगन आदि आभूषण भी काटकर बनाए जाते थे। शंखों के खंडों को जड़ कर अलंकरण हेतु प्रयुक्त किया जाता था। पूजा, युद्ध आदि अनेक अवसरों पर शंख को बजाया जाता रहा है।
भारत में, शंख को पवित्र और शुभ माना जाता है। चित्रकला, स्थापत्यकला तथा वाद्यादि में शंख का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।
देखिए : 'conch shell'.
  • shell inlay(ing) -- शंख पच्ची (कारी)
(1) अलंकरण के लिए शंख के खंडों को किसी पात्र या अन्य वस्तु के तल में जड़ने का काम।
(2) शंख को अधिक सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए उसकी बाहरी सतह को खोदकर अन्य आकर्षक रंगों या द्रव्यों का जमाव।
  • Shepherd king -- मेषपाल-नृप
मिस्र के बारहवें और सोलहवें राजवंशकालीन रेगिस्तानी यायावर जिन्होंने मिस्र में बलात् प्रवेश किया। ये पश्चिम एशियाई लोग थे, जिन्होंने शिथिल राज्यमंडल बनाया था। यद्यपि इन्हें प्रायः 'भेषपाल नृप' कहा गया है-पर सही अर्थ में इन्हें विदेशी राजा (Princes of Foreign Lands) के नाम से संबोधित किया गया। इनके शिविर-स्थल यहूदिया टीले (Tell-el Yehudiya) का उत्खनन किया गया। लगभग ई. पू. 1640 से ई. पू. 1580 तक अवेरिस से संपूर्ण नील घाटी तक इनका शासन रहा। ई. पू. 1580 में, अहमिज प्रथम (Aahmes I) ने इन्हें खदेड़ कर भगा दिया। इन्होंने घोड़े, रथ, खड़े करघे आदि का प्रचलन शुरू किया। इन्हें 'हिक्सस नृप' भी कहा गया है।
  • sherd (=shard) -- ठीकरा
मिट्टी के टूटे-फूटे बर्तनों के टुकड़े। प्रागैतिहासिक और प्राचीन इतिहास के क्रमबद्ध अध्ययन के लिए, उत्खननों में प्राप्त पुरातात्विक ठीकरों का विशेष महत्व है। प्रत्येक काल के मृद्भांडों की अपनी-अपनी विशेषताएँ होती हैं। पुरातत्ववेत्ता मृद्भांडों और ठीकरों की धुलाई, उनका अंकन, वर्गीकरण, संग्रह, उनकी थैलाबंदी और उन्हें पैक करने आदि की व्यवस्था करता है और अपने अध्ययन आधार पर संबंधित संस्कृति का काल निर्धारण करता है।
  • shield -- ढाल
युद्ध में रक्षार्थ प्रयुक्त लकड़ी, चमड़ा, धातु आदि से बना कवच। कांस्य और लौह निर्मित ढालें पर्याप्त संख्या में आद्यैतिहासिक काल से ही मिलने लगती हैं। कछुए के ऊपरी आवरण तथा गैंडे आदि पशुओं के सख्त चमड़े से भी ढालें निर्मित होती थीं। सामान्यतः योद्धा इसे बाएँ हाथ में धारण करते थे। अनेक आकार-प्रकार की ढालें, अनलंकृत और अलंकृत मिली हैं।
  • shovel -- खनित्र, बेलचा
पुरातात्विक उत्खननों में, मिट्टी खोदने व उठाने के लिए प्रयुक्त उपकरण। उसका फाल चौड़ा और आगे की ओर से धारदार होता है। पकड़ने के लिए इसमें एक लंबा दंड लगा होता है। खनित्र अनेक आकार प्रकार के बने होते हैं।
  • sickle -- हँसिया
अति प्राचीन धारदार उपकरण, जो घास-फूस, वनस्पति और फसल आदि काटने के काम आता था। प्रागैतिहासिक काल में, इसे पशु की पसली की हड्डी में, चकमक पत्थरों से बने सूक्ष्माश्मों में फँसाकर बनाया जाता था। मध्यपाषाणकालीन स्तरों से, फिलस्तीन की नतूफी संस्कृति में मिले इस तरह के सूक्ष्माश्मों पर प्राप्त शस्य-चमक (crop gloss) के आधार पर कृषि के प्रारंभ के संबंध में महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाला गया। पश्चवर्ती युग में हँसिए, कांसे और लोहे की धातुओं से बनने लगे और लौह काल में इनका रूप निश्चित हो गया।
  • side-scraper -- पार्श्व क्षुरक, पार्श्व क्षुरणी, पार्श्व खुरचनी
प्रागैतिहासिक पाषाण-उपकरण क्षुरक या खुरचनी का एक प्रकार। इस प्रकार का उपकरण प्रायः मोटे शल्क (flake) या क्रोड की लंबी भुजा पर हुए परिष्करण से बनते थे। इस उपकरण की कार्यकारी धार पार्श्व में होती है इसलिए इसे पार्श्व क्षुरक कहा जाता है।
देखिए : 'scraper'.
  • siderography -- अयस् उत्कीर्णन, लोहाश्म उत्कीर्णन
लोहे पर उत्कीर्ण करने की कला या प्रक्रिया।
  • sigil -- 1. मुद्रा
किसी वस्तु या द्रव्यादि पर चिह्न, प्रतीक या नाम आदि अंकित करने की ठोस वस्तु। यह प्रायः किसी कठोर लकड़ी, पत्थर या धातु से बनती थी। हाथी दाँत और मिट्टी की बनी मुद्राएँ भी मिली हैं।
मुद्राओं का प्रयोग, विश्व के अनेक भागों में, आद्यैतिहासिक काल से होता आ रहा हैं।
2. जादू-चिह्न
ज्योतिष या जादू-टोने में प्रयुक्त आकृति या चिह्न जिसमें गुह्य शक्ति (occult) विद्यमान होना माना जाता है।
  • sigillate (=sizillated) -- मुद्रांकित
(क) मुद्रा-चिह्न से युक्त सामग्री या वस्तु।
(ख) ठप्पे लगाकर अलंकृत किया हुआ (मृद्भांड आदि), विशेषकर प्राचीन रोम में ठप्पांकित मृद्भांडों के लिए प्रयुक्त शब्द।
  • sigillography -- मुहर विद्या
मुहरों के उद्भव, विकास, प्रयोग-व्यवहार, आकार-प्रकार, निर्माण प्रक्रिया, अलंकरण तथा महत्व के व्यवस्थित विवेचन संबंधी अध्ययन।
  • silhouette -- छायाकृति
ऐसा रेखा-चित्र या किसी आकृति का वह प्रतिरूप, जिसमें मात्र मूल रूप की बाह्य-रेखाओ को अंकित कर इसे काले अथवा किसी अन्य रंग से भर दिया जाता है। प्रागैतिहासिक गुफाओं एवं कंदराओं में मानवों और पशुओं के अनेक छाया-चित्र बने मिले हैं।
अंग्रेजी शब्द (silhouette) फ्रांस के शासक लुई पन्द्रहवें (Louis XV) के वित्त मंत्री एटीन द सिलवेत (Etienne De Silhouette ई. 1709-1767) की मितव्ययिता की आदत पर आधारित है।
  • silica -- बालू, सिकता, सिलिका
सिकता या बालू, सिलिका का ही अशुद्ध रूप हैं। सिलिका को, बढ़िया श्वेत चूर्ण और कोलाइडी रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
  • sinanthropus (=Peking man) -- चीनी मानव, पेकिंग मानव, सिनेन्थ्रोपस
उत्तान मानव (Homo erectus) के एक प्रकार का पूर्व नाम।
चीन में, पेकिंग नगर से 61 किलोमीटर दूर चोउ-कोउतिएन नामक गुफा में प्राप्त अवशेषों के आधार पर अन्वेषित और प्रतिपादित चीनी मानव, जिसे 'पेकिंग मानव' भी कहा जाता था। इसकी खोज ई. 1929 में डब्ल्यू, सी, पेई नामक चीनी विद्वान ने की। इन मानव के चालीस अस्थि पंजर, ई. 1937 में खोज कर निकाले गए। यह अनुमान किया जाता है कि इस मानव की करोटिधारिता (cranial capacity) 1075 घन सेंटीमीटर थी। पेकिंग मानव अग्नि तथा पाषाण-उपकरणों के प्रयोग से परिचित था।
यह मानव संभवतः आज से साढ़े चार लाख वर्ष पूर्व प्रारंभिक मध्य अत्यंत नूतन युग (early middle pleistocene) में अवतरित हुआ।
  • sinanthropus Pekinensis -- पेकिंग मानव
देखिए : 'sinanthropus'.
  • site card -- स्थल-कार्ड, स्थल-पत्रक
पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त हुई वस्तुओं के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए निर्मित कार्ड जिसमें क्रम संख्या, दिनांक, वस्तु का प्राप्ति स्थल (स्तर), विवरण, उसका माप तथा आरेख-चित्र विषयक सूचना उल्लिखित हो। पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकार इसी विवरण के आधार पर विस्तृत और व्यवस्थित विवेचन करते हैं।
  • skeuomorphic pattern -- पात्र-उपकरण अलंकरण
एक प्रकार का डिज़ाइन या अभिकल्प जो भांड या उपकरण की आकृति-सा हो।
  • slab grave -- शिलापट्ट-समाधि, शिलाच्छादित समाधि
एक प्रकार की प्रागैतिहासिक कब्र, जिसमें मृतक को गाड़ने के लिए बने गर्त के ऊपर ढकने के लिए पाषाण-खंड रखे जाते थे।
  • slag -- धातुमल, स्लैग
गलाने पर निकला हुआ धातु का मैल।
  • sling -- गोफना, स्लिंग
प्रागैतिहासिक काल से प्रयुक्त प्राचीन उपकरण। यह छींके की तरह बना एक प्रकार का जाल होता था जिसमें दो फीते या रस्सियाँ लगी होती थीं। इसमें पत्थर और ढेले आदि को रख और वेग से घुमाकर एक रस्सी छोड़ दी जाती थी। वेग से निकले हुए पत्थर अथवा ढेले से गंभीर प्रहार किया जाता था। इसे 'ढेलवांस' भी कहा जाता है।
  • sling ball -- गोफन-गोली
ठेलवांस में प्रहार के लिए रखी गोली या पत्थर का टुकड़ा। प्राचीन काल में, मिट्टी को गोलाकार बनाकर आग में पकाया जाता था, फिर पकी गोली का प्रयोग ढेलवांस में किया जाता था।
  • sling stone -- गोफन पत्थर
पत्थर के छोटे टुकड़े या गुटिकाश्म, जिन्हें गोफन या ढेलवांस में रख कर फेंका जाता था।
  • slip -- मृदा-लेप
बर्तनों के ऊपर चिकनी मिट्टी का लेप। मिट्टी के बर्तनों को आग में पकाने से पूर्व, उन पर मिट्टी के घोल का लेप किया जाता था। इसके दो उद्देश्य होते थे। पहला, भांड की खुरदरी सतह को चिकना तथा अलंकृत करना। दूसरा, बर्तन को अधिक जलसह बनाना। प्रागैतिहासिक काल से इन प्रविधि का प्रयोग बर्तनों को अलंकृत करने के लिए होता रहा है।
  • slipped pottery -- लेपित मृद्भांड
वे मिट्टी के बर्तन, जिन्हें अलंकृत करने और अधिक जलसह बनाने के लिए, चिकनी मिट्टी के पतले लेप से लेपित किया जाता था।
  • Soan (=Sohan) industry -- सोअन (सोहन) उद्योग
पंजाब और उत्तर-पश्चिमी भारत का बटिकाश्म उपकरण या चॉपर-चॉपिंग उपकरण उद्योग। पाकिस्तान के पोतवार (Potwar) क्षेत्र में सिंधु की सहायक सोन (सोहन) नदी की घाटी में सर्वप्रथम इस उद्योग के मिलने के आधार पर इसका यह नामकरण पड़ा। प्राक्-सोअन उपकरण काफी घिसे हुए, बेढंगे और बड़े आकार के शल्क हैं। द्वितीय अंतरहिमानी युग में, आरंभिक सोअन उद्योग पनपा, जिसके अंतर्गत बटिकाश्म उपकरण, स्क्रेपर तथा शल्क (flake) आदि बने, जो क्लेक्टोनी तथा ल्वाल्वाई (Levalloisian) उपकरणों के समान थे। तृतीय हिमयुग में, उत्तर सोअन उद्योग के उपकरण मिलते हैं जो आरंभिक सोअन उद्योग से विकसित प्रतीत होते हैं। इनमें लंबे आकार के शल्क-फलक पर निर्मित उपकरण भी मिलते हैं।
इस उद्योग की तिथि अभी तक निश्चित रूप से निर्धारित नहीं की जा सकी है। कतिपय विद्वानों के अनुसार इसका प्रारंभ पाँच लाख वर्ष पूर्व माना जा सकता है।
  • socket -- कोटर, साकेट
किसी वस्तु या उपकरण का खोखला भाग या छिद्र, जिसमें दंड को अटकाया जाता है।
  • sod -- तृणमृदा
मिट्टी की ऊपरी स्तर (ह्यूमस) जो घास-फूस तथा वनस्पतियों की जड़ों से युक्त हो।
  • Solomon's seal (=David's shield) -- 1. सुलेमान की मुहर
एक प्रकार का रहस्यमय प्रतीकात्मक चिह्न, जो सीधे और उल्टे त्रिकोण को एक दूसरे पर अंतर्ग्रथित कर बनता था। यंत्र में नीचे वाला त्रिकोण गहरे रंग में बना तथा ऊपरवाला सादा होता था। इसका प्रयोग व्याधियों के विरुद्ध रक्षा के लिए कवच के रूप में किया जाता था।
2. सुलेमानी अंगूठी
प्राचीन लोक-कथाओं में वर्णित चमत्कारी अंगूठी, जिसमें जड़ी मणि के माध्यम से सुलेमान दूर-दूर स्थित स्थानों और व्यवितयों को देखा करता था।
  • Solutrean culture -- सोल्यूत्री संस्कृति
उच्च पूर्व पुरापाषाणयुगीन उद्योग, जिसका नामकरण मध्य फ्रांस के प्रसिद्ध स्थान 'सोल्यूत्र' पर हुआ। मग्दाली उद्योग से यह पूर्ववर्ती उद्योग था। इससे पूर्ववर्ती उद्योगों में परवर्ती पेरिगार्डियन, आरिग्नेसी एवं मोस्तारी उद्योग थे।
सोल्यूत्री संस्कृति के विकास की तीन प्रावस्थाएँ मानी जाती हैं। पूर्व सोल्यूत्री काल में, पाषाण उपकरण फलक रूप में बने थे और उनका ऊपरी भाग ही तक्षित होता था। इस प्रावस्था की रेडियो कार्बन तिथि ई. पू. 19000-ई. पू. 18000 आँकी गई है। मध्य सोल्यूत्री काल में विशिष्ट रूप से पतले, लंबे, फलकों पर दाब शल्कन विधि से निर्मित द्विपृष्ठीय वेधनियाँ (point) मिलती हैं। उत्तर सोल्यूत्री स्तरों में प्राप्त उपकरण, विलो पत्ती के आकार से मिलते-जुलते हैं। प्रमुख उपकरणों में पत्ती के आकार के प्रक्षेपास्त्र तथा एक स्कंधीय वेधनियाँ हैं। इस संस्कृति की गुहा कला के भी अवशेष मिले हैं, जिनमें उभरी कला-कृतियाँ पर्याप्त प्रसिद्ध हैं।
  • sondage -- तलावगाहन
एक सीमित क्षेत्र में भूतल के नीचे के स्तरों का अनुक्रम ज्ञात करने के लिए गहरी खाई खोद कर किया गया व्यवस्थित उत्खनन-कार्य।
  • spatula -- प्रलेपनी
चौड़े और पतले फलकवाली, कुंठित धार वाली छुरी जैसी वस्तु जिसे मृद्भांडों पर पालिश करने, रंगों को फैलाने आदि कार्यों में प्रयुक्त किया जाता था।
  • spear -- बल्लम, नेज़ा
प्राचीन काल से प्रचलित अस्त्र विशेष जिसके फल का अगला भाग नुकीला होता है। युद्ध और आखेट के समय प्रायः इसका प्रयोग भोंकने के लिए किया जाता था। काष्ठ या अस्थि दंड में फल को फँसाकर ही इसका प्रयोग होता था। प्रागैतिहासिक काल में, पत्थर के बने भाले के फल का आकार नुकीली और लंबी पत्ती के आकार जैसा होता था। कांस्य युग में कांसे के बने अनेक प्रकार के भालाग्र बनते थे। लोहे का आविष्कार होने के बाद ये लोहे के बनने लगे।
  • speleology -- गुहा-विद्या
गुफाओं की रचना, उनके प्रकार, विकास आदि का व्यवस्थित ज्ञान करानेवाली विद्या।
  • speos -- शैल मंदिर, शिला मंदिर
प्राचीन मिस्र का गुफा मंदिर या मकबरा।
  • sphinx -- स्फिंक्स
प्राचीन मिस्र हित्ती तथा यूनान की वे विशालकाय आकृतियाँ, जिनका धड़ बैठे हुए शेर का तथा सिर मानव का बना मिलता हैं। यदा-कदा मेंढे का सिर भी बना मिलता है। विशालतम स्फिंक्स की मूर्ति मिस्र में गीज़ा स्थित पिरामिड के सामने है जो 80 मीटर लंबी और 20 मीटर ऊँची है। मिस्री लोग इन आकृतियों को तुंब-स्थलों और देवालयों का रक्षक मानते थे।
  • sphragistics -- मुहरशास्त्र
मुद्राओं और उनसे संबद्ध इतिहास, क्रमबद्ध ओर वैज्ञानिक अध्ययन संबंधी विद्या।
  • Square method -- वर्ग-रीति, वर्ग-प्रणाली
पुरातात्विक उत्खनन की एक मुख्य प्रविधि, जिसके अंतर्गत उत्खनन क्षेत्र को अंकन तथा निरीक्षण के लिए पृथक-पृथक वर्गों में विभक्त किया जाता है।
देखिए : 'grid system'.
  • stadial phase -- स्टेडियल प्रावस्था, हिमनदन-प्रावस्था
वह प्रावस्था, जिसके अंतर्गत हिमनदन काल में, तापमान न्यूनतम होने के कारण विस्तृत क्षेत्र में हिम चादरों का विस्तार हो जाता था। हिमनदन तापमान में, जलवायुगत उतार-चढ़ाव होते थे। उस क्षेत्र विशेष को, जहाँ तापमान न्यूनतम और चारों ओर हिम का विस्तार हो जाता था, हिमनदन-प्रावस्था का क्षेत्र कहा जाता है।
  • stage -- चरण
(क) किसी काल के अनेक उपविभागों में से एक।
(ख) किसी काल विशेष के विकास के गौण उपविभाग।
(ग) भू-स्तर शृंखलाओं का गौण उपविभाजन।
  • statuary -- 1. मूर्तिकार
मूर्ति-शिल्पी; मूर्ति गढ़ने या बनानेवाला कारीगर।
2. मूर्तिकला
प्रतिमा बनाने या गढ़नेवाली विद्या; बुत बनाने का हुनर।
  • statue -- मूर्ति, प्रतिमा
मिट्टी, धातु, पत्थर, अस्थि, काष्ठ आदि ठोस पदार्थ से बनी तक्षित या प्रतिरूपित त्रिआयामी आकृति जिसे चारों ओर से देखा जा सके।
  • statue menhir -- मूर्ति-एकाश्म स्मारक
स्तंभ अथवा खड़े पत्थर की पटियों पर निर्मित मानव-आकृति। एक ही विशाल प्रस्तर खंड से बनी इस प्रकार की मूर्तियाँ यूरोप के अनेक क्षेत्रों से मिलि हैं, जिनको उत्तर नवपाषाणकालीन और आरंभिक धातुयुगीन माना जाता है। एकाश्म प्रस्तर से बनी इन मूर्तियों को वस्त्र एवं शस्त्रास्त्र धारण किए हुए भी कभी-कभी दिखाया गया है। एकाश्म स्मारक, मुख्यतः इटली, कोर्सिका और दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस में प्राप्त हुए हैं।
  • statuette -- मूर्तिका, लघु प्रतिमा
छोटे आकार की प्रतिमा, जो वास्तविक आकार (life size) की अपेक्षा काफी छोटी होती है।
  • stele (stela) -- शिलापट्ट, उत्कीर्ण शिलापट्ट
शिला-खंड या पाषाण-स्तंभ, जिसे प्रायः यूनानी लोग शवाधान-प्रस्तर के रूप में प्रयुक्त करते थे। कभी-कभी इन शिलापट्टों पर आकृतियाँ, लेखादि अंकित किए जाते थे।
  • step flaking technique -- सोपानपद शल्कन प्रविधि
प्रागैतिहासिक मानव द्वारा प्रयुक्त तकनीक, जिसके द्वारा उपकरणों को सुडौल बनाने के लिए कार्यांग को अधिक तीक्ष्ण बनाया जाता था। असमांग प्रस्तरों पर यह प्रविधि अधिक कारगर होती थी। इसमें पत्थर से छोटे आकार के शल्क इस प्रकार निकाले जाते थे कि एक के शंकु का गड्ढा दूसरे शल्क का आघात मंच बन जाता था। इस प्रकार के शल्कन में आघात की शक्ति प्रस्तर के दूसरी ओर पहुँचने के पहले समाप्त हो जाती है। फलतः क्षत चिह्न सोपान के आकार के बनते हैं। इसी कारण इसे सोपानपद शल्कन प्रविधि कहा जाता है।
मध्य पुरापाषाण काल में द्वितीय शल्कन (secondary flaking) के लिए इस प्रकार के शल्कन का व्यापक प्रयोग किया जाता था।
  • step pyramid -- सोपान-पिरामिड
मिस्र के सक्करा (Saqqara) नामक स्थान में, मेमफिस के निकट बना सीढ़ीनुमा विशाल स्मारक, जो आधुनिक नगर कैरो से लगभग 32 किलोमीटर दक्षिण की ओर स्थित है। इसका निर्माण मिस्र के तृतीय राजवंश के प्रथम शासक जोसर (लगभग ई. पू. 2660) ने करवाया था। इस पिरामिड के उत्तरी छोर में, शवाधि-स्थल (mortuary temple) एवं एक छोटा-सा आवृत्त-कक्ष बना हुआ है, जिसमें जोसर की चूना पत्थर की आसीन मूर्ति मिली है। यह पिरामिड स्थानीय नुमुलाइटिक चूने-पत्थर को बाहर से लगाया गया है। उपलब्ध स्मारकों में यह प्राचीनतम स्मारक है।
  • steppe -- स्टेप
पूर्वी यूरोप से एशिया के मध्य भाग तक फैले विस्तृत घास के मैदान। प्रागैतिहास काल में मुख्यतः यह यायावर लोगों का केन्द्र था जो पशुचारण अवस्था में थे। पश्चवर्ती युग में ये कृषि करना सीख गए और निकटवर्ती स्थानों में स्थायी रूप से बस गए। मानव सभ्यता के विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। भारोपीय सीथियन, हूण तथा मंगोल इसी क्षेत्र के वासी थे जिन्होंने अपने-अपने काल की सभ्यताओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा।
  • sterile layer -- आवास चिह्नविहीन स्तर
पुरातात्विक उत्खनन में मिला वह स्तर, जिसमें मानव-आवास का चिह्न न हो।
  • stirrup -- रकाब
अश्वारोहण में प्रयुक्त लोहे का बना और नीचे की ओर लटकता पायदान, जिसमें पैर फँसा कर घोड़े पर चढ़ने और उससे उतरने तथा सवारी करने में सहूलियत होती है।
मथुरा कला में, अश्वारोहिणी युवती का रकाबयुक्त चित्रण संभवतः सबसे प्राचीन है। यह चित्र अमरीका के बोस्टन संग्रहालय में सुरक्षित है।
  • stone circle -- प्रस्तर वृत्त
अनेक लंबे एवं खड़े पाषाण-खंडों की सहायता से बनी यह गोलाकार संरचना, जिसे आदिम या प्राचीन मानव धार्मिक कार्यों के लिए बनाते थे। प्रस्तर वृत्त के सबसे प्रसिद्ध उदाहरण इंग्लैंड के एविबरी तथा स्टोनहेंज स्मारक हैं। इस प्रकार के खड़े पत्थरों को किसी टीले, डॉलमेन या अन्य किसी संरचना के चारों ओर गोलाकार घेरे के रूप में स्थापित किया जाता था। यूरोप में ये प्रायः परवर्ती नवपाषाण अथवा कांस्ययुगीन हैं। इस प्रकार के लगभग 900 स्मारक प्रागैतिहासिक यूरोपीय ब्रिटिश द्वीप-समूह में मिले हैं।
दक्षिण भारत के महाश्म स्मारकों में भी प्रस्तर वृत्त की संरचना मिलती हैं जिनका निर्माण नवपाषाण काल में हुआ था।
  • stone collar -- प्रस्तर हँसली
मेक्सिको, वेस्ट इन्डीज़ और विशेषकर प्यूरटो-रिको में मिला विशाल पत्थर का बना छल्ला। प्रस्तर हँसली का औसत भार 24 किलो होता है। कभी-कभी इन छल्लों पर व्याघ्र, सर्प तथा अनेक प्रतीक-चिह्न अंकित मिलते हैं। प्राप्त नमूनों का आकार प्रायः खुली घुड़नाल जैसा है। किसी-किसी हँसली का मुँह बंद भी मिला है।
  • stone dressing -- प्रस्तर-तक्षण, संगतराशी
पाषाण खंडों को छेनी-हथौड़े आदि से काट-छाँट कर गढ़ने, समतल बनाने और तक्षित करने का कार्य।
  • stone engraving -- शिला-तक्षण, प्रस्तर-तक्षण
पत्थर या शिला को खोदकर मूर्ति-आकृति बनाने या उस पर तक्षण कर लेख अंकित करने का कार्य।
  • stone implement -- प्रस्तर उपकरण
मनुष्य द्वारा बनाए गए प्राचीनतम पत्थर के औज़ार। अनुमान है कि इनके बनने से पूर्व, लकड़ी और हड्डियों से उपकरण बनते रहे होंगे। पत्थरों के बने उपकरणों में, सबसे प्राचीन उपकरण बटिकाश्म हैं, जिनसे हस्तकुठार-संस्कृति विकसित हुई। संपूर्ण प्रस्तर उपकरणों को चार प्रमुख उद्योगों में विभाजित किया जाता है-(1) बटिकाश्म उद्योग, (2) क्रोड उद्योग, (3) शल्क उद्योग, तथा (4) फलक उद्योग।
इनके निर्माण के लिए विभिन्न पाषाण कालों में, अलग-अलग प्रकार की तकनीकों का प्रयोग किया गया। प्रस्तर उपकरण-निर्माण के तीन प्रमुख काल हैं-पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल तथा नवपाषाण काल।
  • stone inscription -- शिलालेख
कोई आधिकारिक आज्ञा, आदेश, उपदेश या संदेश,पत्थर की पटिया या शिलाखंड पर अंकित हो। कहीं-कहीं इन शिलालेखों में शासकीय उपलब्धियों, सैनिक विजयों और प्रमुख घटनाओं का भी उल्लेख मिलता है। पत्थरों पर लेख उत्कीर्ण करने की प्रथा विश्व के अनेक भागों में प्राचीन काल से चली आ रही है इसीलिए प्राचीन इतिहास को जानने के लिए शिलालेख महत्वपूर्ण साधन हैं।
  • stonehenge -- स्टोनहेंज
इंग्लैंड के विल्टशायर स्थित प्रागैतिहासिक महापाषाण स्मारक, जो वास्तुकला की दृष्टि से अद्भूत हैं। एक ही स्थल पर तीन विभिन्न कालों में बने ये स्मारक खड़े और गाड़े गए ऐसे पत्थरों का समूह हैं, जिनके ऊपर क्षैतिजिक स्थिति में एक पत्थर रखा गया था। आरंभ में, इस स्मारक में, दो समकेंद्रिक वृत्त बने थे, जिसमें छोटे प्रस्तरों की दो पंक्तियाँ थीं तथा मध्य में बलुआ पत्थर का खंड रखा था। इन स्मारकों का उद्देश्य धार्मिक कार्यों का संपादन करना था।
स्टोनहैंज की प्रथम प्रावस्था का काल, नवपाषाणकालीन मृद्भांडों के आधार पर ई. पू. 2800-ई. पू.1230 माना गया है। द्वितीय प्रावस्था का काल, चंचुकार मृद्भांड (beaker) के आधार पर ई. पू. तृतीय सहस्राब्दी का उत्तरार्ध माना जाता है। तृतीय प्रावस्था का काल ई. पू. तृतीय सहस्राब्दी के उत्तरार्ध से लगभग ई. पू. 1500 माना जाता है।
इस वास्तु का उद्भव पहले माइसीनी शब्यता से माना जाता था। परन्तु,अब इसका विकास स्थानीय परंपरा से माना जाने लगा है। कुछ पुराविद् धार्मिक कृत्यों के अतिरिक्त इसका उपयोग वेधशाला के रूप में भी मानते हैं।
  • storage bin -- बखार
प्राचीन काल से प्रचलित रहा एक प्रकार का भंडार-केंद्र, जिसमें खाद्यान्न आदि को संग्रहित और सुरक्षित रखा जाता है। यह एक बड़े गोल घेरे या विशाल आकार के पात्र के रूप में बना होता था।
  • storage jar -- संचयी घट
वह भांड या बर्तन, जिसमें वस्तुएँ संग्रहीत की जाती हैं, विशेषकर अन्न या तरल पदार्थों को सुरक्षित रखने का बड़ा और चौड़ा घड़ा। प्राचीन काल से ही विशाल आकार के इस प्रकार के मिट्टी के घड़े खुदाई में मिले हैं।
  • stratification -- 1. स्तरविन्यास
अवसादी शैलों अथवा मानव निर्मित निक्षेपों का संस्तरों या स्तरों में विन्यास।
2. स्तरण
अवसादी शैलों अथवा मानव निर्मित निक्षेपों का संस्तरों या स्तरों में विन्यस्त होने का प्रक्रम।
  • stratified excavation -- स्तरित उत्खनन
पुरातात्विक उत्खनन में, भू-स्तरों के उत्खनन का वह तरीका, जिनमें भूमि की सतहों अथवा स्तरों को क्रमबद्ध रीति से खोदा जाता है। इस उत्खनन का मूल सिद्धांत यह है कि पृथ्वी के धरातल के नीचे, यदि कोई उथल-पुथल नहीं हुई हो तो, निम्नतम स्तर प्राचीनतम होता है और ऊपर के स्तर पर प्राप्त वस्तु की अपेक्षा पश्चवर्त्ती काल की होगी।
  • stratigraphic method -- स्तर-विधि, स्तर-निर्धारण विधि
स्मर क्रमानुसार पुरातात्विक उत्खनन में प्रयुक्त वह विधि, जिसके अंतर्गत विभिन्न स्तरों के निर्धारण द्वारा संस्कृतियों के विकास-क्रम का ज्ञान प्राप्त होता है। सिद्धान्ततः यदि पृथ्वी के धरातल के नीचे किसी प्रकार की उथल-पुथल नहीं हुई हो तो निम्नतम स्तर पर प्राप्त वस्तु सबसे प्राचीन और ऊपर के स्तर में प्राप्त वस्तु अपेक्षाकृत नवीन होगी। जब किसी स्तर में सिक्के, अभिलेख या किसी काल विशेष के विशिष्ट मृद्भांड आदि मिलते हैं तो उनसे काल-निर्धारण में बहुत अधिक सहायता मिलती है। यह विधि सापेक्ष काल निर्धारण के लिए भी उपयुक्त है।
  • stratigraphic pit -- स्तरित गर्त
पुरातात्विक उत्खनन में, स्तरों के मध्य आनेवाले गर्त, जो एक या अनेक स्तरों के कटाव से बने होते हैं। सामान्यतया गर्त विशेष का संबंध, उस स्तर विशेष से होता है, जिसकी परत इसे ढकती है। ढकनेवाले स्तर के साथ-ही-साथ गर्त के तल तक विद्यमान संपूर्ण सामग्री अलग कर दी जाती है और उसके बाद उत्खनन-कार्य जारी रखा जाता है। गर्त में प्राप्त वस्तुओं का समय सामान्यतया उस स्तर विशेष का काल होता है जिस स्तर से खोदी गई हो, न कि प्राप्त वस्तु की गहराई।
  • stratigraphic record -- स्तर-अभिलेख
पुरातात्विक उत्खनन-कार्य में उत्खनित खात के विभिन्न स्तरों के विवरण, उनके रंग, गहराई, प्राप्त-वस्तु, मिट्टी आदि की रासायनिक विशेषताओं आदि का लिखित विवरण। उत्खनन के उपरांत, इसी विवरण के आधार पर पुरातत्वशास्त्री और इतिहासकार विस्तृत अध्ययन करते हैं। खुदाई के बाद, स्थल अनुक्रम के नष्ट हो जाने के बाद भी स्तरों को वास्तविक स्थिति का विवरण स्तर-अभिलेखन में उपलब्ध रहता है।
  • stratigraphical evidence -- स्तर-प्रमाण
पुरातात्विक उत्खनन में, भूमि की विभिन्न परतों से प्राप्त प्रमाण, जिसके आधार पर स्थल का काल, विकास-क्रम आदि का अनुमान लगाया जाता है।
  • stratigraphy -- 1. स्तर-विन्यास
किसी भी पुरातत्वीय उत्खनित क्षेत्र के विभिन्न सतहों का व्यवस्थित अध्ययन कर उनकी व्याख्या करना। इस अध्ययन द्वारा पुरातत्ववेत्ता विभिन्न संस्कृतियों के रूपों और कालानुक्रम का निर्धारण करता है।
देखिए : 'stratigraphic method'.
2. स्तरिकी, स्तरक्रम विज्ञान
भूविज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत शैल-स्तरों का अध्ययन उनकी निक्षेपण-स्थिति, आयु स्वरूप, वितरण आदि की दृष्टि से किया जाता है।
  • stratum (pl. strata) -- स्तर
विभिन्न मोटाइयों वाली स्तरित शैल अथवा मानवीय निक्षेपों की एक इकाई जिसका अपना एक विशिष्ट आश्मिक गुण अथवा गठन होता है जिसके कारण वह अपने ऊपर अथवा नीचे के अन्य स्तरों से अलग पहचानी जा सकती है।
  • stria (pl. striae) -- धारियाँ
किसी कुड्य-स्तभ, स्तंभ, बर्तन या मृण्मूर्ति आदि पर बनी नालिकामय पट्टी या पट्टियाँ।
  • strigil -- खुरचनी
सींग अथवा धातु निर्मित एक संकीर्ण एवं वक्र खुरचनी जिसका प्रयोग प्राचीन यूनान एवं रोम में स्नान के समय शरीर के किसी भाग में जमे मैल को खुरच कर निकालने के लिए किया जाता था।
  • striking platform -- आघात-स्थल
किसी प्रस्तर क्रोड का वह समतल भाग, जिसपर आघात कर शल्क या फलक निकाले जाते हैं। आघात-स्थल अकृत्रिम तथा कृत्रिम दो प्रकार के होते हैं। अकृत्रिम आधात-स्थल अनगढ़ होता है। कृत्रिम आधात-स्थल को फलकित आघात-स्थल कहा जाता है, जिसका निर्माण एक या अधिक शल्कों को निकाल कर किया जाता था। प्रत्येक शल्क अथवा फलक के साथ साथ आघात-स्थल का भी कुछ भाग उसके साथ निकल जाता है।
देखिए : 'flake'.
  • strip method -- पट्टी-पद्धति
किसी विस्तृत क्षेत्र के उत्खनन के लिए बनाया गया अभिकल्प या खाका। इसके अंतर्गत पूरे क्षेत्र को लंबी-लंबी पट्टियों में विभक्त कर दिया जाता है। पहले एक लंबी पट्टी में उत्खनन किया जाता है। उसके बाद उसके समीपवर्ती लंबी पट्टी में खुदाई करके उसका मलवा बगल की खुदी हुई खात में सीधे फेंक दिया जाता है। इस तरह यह क्रम चलता रहता है। इस विधि की सुविधा यह है कि कम से कम समय और परिव्यय में काम पूर्ण किया जा सकता है।
इस पद्धति का सबसे बड़ा दोष यह है कि अध्ययन के लिए काटी गई अनुदैर्घ्य (longitudinal) मूल परतें सदैव के लिए विलुप्त हो जाती हैं और स्थल को समग्र रूप से नहीं देखा जा सकता। नई प्रविधियों के प्रचलन के बाद अब यह प्रविधि प्रयोग में नहीं आती।
  • stucco -- 1. गच, गारा
चूने-सुर्खी आदि को मिलाकर बनाया गया लेप या पलस्तर। इसमें संगमरमर का चूर्ण मिलाकर प्राचीन काल में रोम के लोग आंतरिक अलंकरण एवं उद्भृत मूर्ति आदि निर्मित करते थे।
2. गचकारी
चूने-सुर्खी से बनाई गई लेप-सामग्री द्वारा, दीवारों और फर्श पर पलस्तर करने या आंतरिक अलंकरण संबंधित कार्य।
  • sub-triangular point -- उपत्रिकोणात्मक वेधनी
प्रागैतिहासिक पाषाण-वेधनी का एक प्रकार। यह उपकरण आकार में तिरछा और कुंठित पार्श्वात फलक जैसा होता है, परन्तु उससे अधिक सकरा होता है। इसके दोनों ओर बनी लंबी भुजाएँ कार्यकारी धार की ओर अधिक चौड़ी एवं कुंठित होती हैं।
  • submarine archaeology -- समुद्रगर्भीय पुरातत्व
समुद्र के तल के नीचे दबी प्राचीन वस्तुओं की खोज और उत्खनन से संबंधित विज्ञान।
देखिए : 'under water archaeology'.
  • substratum -- अधःस्तर
धरातल मृदा के नीचे का एकल संस्तर या स्तर।
  • Sumerian -- सुमेरी
(1) सुमेर के निवासी। प्राचीन मेसोपोतामिया के दक्षिणी छोर पर बेबीलोन और फारस की खाड़ी के मध्य स्थित, सुमेर में विश्व की प्राचीनतम सभ्यता का अभ्युदय ई. पू. चौथी सहस्राब्दी के द्वितीयार्ध में हुआ। ई. पू. तृतीय सहस्राब्दी में, सुमेर देश बारह नगर-राज्यों में विभक्त था। सुमेरी लोगों ने कीलाक्षर लिपि और छह इकाइयों पर आधारित गणित-प्रणाली को विकसित किया। अनेक भवनों एवं देवालयों (ziggurat) के निर्माण के साथ-साथ इन्होंने कला, साहित्य और धर्मशास्त्र में विशेष प्रगति की।
(2) सुमेरवासियों की योगात्मक भाषा सुमेरी, जो मूलतः फरात नदी की निचली घाटी में प्रचलित थी। यह भाषा कीलाक्षर लिपि में लिखी है।
  • Sumerian culture -- सुमेरी संस्कृति
प्राचीन सुमेर की आद्यैतिहासिक संस्कृति, जिसने भौतिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की थी।
देखिए : 'Sumerian'.
  • sun-disc -- रश्मि-मंडल
सूर्य देवता का प्रतीक वृत्त, जिसमें सूर्य की किरणों को निकलते हुए दिखाया जाता है। यूरोपीय कांस्ययुगीन इस प्रकार की रचनाएँ कांसे के अलावा सोने से बनी भी मिली हैं। मिस्र में यह प्रतीक-चिह्न 'रा' और 'यूरेनस' के लिए प्रयुक्त हुआ है। दक्षिण-पश्चिमी एशिया में असुर-देव और अहुर-मज्द के प्रतीक रूप में, रश्मि-मंडल का प्रयोग किया गया था।
भारतीय मूर्ति कला में, मूर्तियों के पीछे भामंडल का रूप भी रश्मि-मंडल है। सती-स्तंभों आदि पर सूर्य के रश्मि-मंडल का अंकन मिलता है। भारतीय आहत मुद्राओं तथा पांचाल जनपद की मुद्राओं पर सूर्य का भामंडल प्रदर्शित किया गया है।
  • superimposed building -- अध्यारोपित भवन
किसी भवन के ढह जाने के उपरांत उसके अवशेषों पर निर्मित भवन।
  • surface indication -- धरातल-संकेत
किसी क्षेत्र विशेष की भूमि की ऊपरी सतह पर दृष्टिगोचर संकेत या चिह्न जिनके आधार पर किसी प्राचीन स्थल को खोजने में सहायता मिलती है। सामान्यतया वनस्पति छाया, मृदा-चिह्न तथा छाया-चिह्न इत्यादि द्वारा भूमि के नीचे की स्थिति का अनुमान किया जाता है। यदि किसी भूमि के नीचे कोई इमारत दबी हो तो उसके ऊपरी भाग पर वनस्पति अपेक्षाकृत कम होती है। सूर्य के मंद प्रकाश में, धरातल के लिए गए चित्रों से भी धरातल-संकेत मिलते हैं।
  • Swanscombe man -- स्वान्सकोंब मानव
इंग्लैंड के केंट क्षेत्र में टेम्स नदी की निचली घाटी में 30 मीटर ऊँची वेदिका (terrace) से स्वान्सकोंब नामक स्थान में मिले प्राज्ञ-मानव (homosapiens) से मिलते-जुलते करोटि (skull) के अवशेष जिन्हें मार्सटन (A.T. Marston) ने, सन् 1936 में मध्य प्रातिनूतन युगीन स्तरों में खोज के निकाला। प्राप्त कपाल किसी ऐसी स्त्री का है, जिसकी आयु लगभग बीस से पचीस वर्ष की रही होगी। इसकी करोटि धारिता 1325 अथवा 135.0 cc थी। अनेक विद्वानों का यह मत है कि यह खोपड़ी नेआंडरथाल प्राज्ञ मानव से मिलती-जुलती है और इस प्रकार प्राज्ञ मानव को नेआंडरथाल मानवों से पूर्ववर्ती सिद्ध करते हैं।
  • Swastika symbol -- स्वस्तिक प्रतीक
अति प्राचीन काल से प्रयुक्त मंगल चिह्न, जिसे आज भी शुभ अवसरों पर, दीवारों, मूर्तियों आदि पर अंकित किया जाता है। अलंकरण के लिए भी इस चिह्न का यत्र-तत्र प्रयोग हुआ है। यूनानी क्रूस की आकृति इस जैसी है, अंतर केवल इतना है कि यूनानी क्रूस के बाहुओं के छोर समकोण में मुड़े रहते थे। धार्मिक चिह्न के रूप में, स्वस्तिक का प्रचलन भारत, फारस, जर्मन, चीन, जापान तथा उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका आदि अनेक देशों में रहा है। आज भी यह चिह्न अनेक देशों में सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यूरोपीय देशों में, इस प्रतीक के कांस्ययुगीन अवशेष मिले हैं।
भारत में, आद्यैतिहासिक काल से इस चिह्न का प्रयोग चित्रकला, मूर्तिकला के अतिरिक्त सिक्कों, मुहरों आदि पर हुआ है। भारत तथा अन्य अनेक देशों में, स्वस्तिक का प्रयोग दक्षिणवर्त और वामवर्त दोनों रूपों में मिलता है।
  • swinging blow technique -- दोलाघात प्रविधि
प्रागैतिहासिक पाषाण उपकरण निर्माण की अनुमानित तकनीक, जिसका सर्वप्रथम उल्लेख फ्रांसीसी पुरातत्ववेत्ता ब्रायल ने किया। इस तकनीक के अंतर्गत प्रागैतिहासिक मानव पत्थरों को तोड़ने के लिए एक भारी पत्थर को डोर या ताँत से बाँध कर, उसे पत्थर की निहाई पर झूले की तरह टकराता था। बार-बार निहाई से टकराने पर पत्थर विखंडित हो जाता था। इस पद्धति की जटिलता के कारण लीके महोदय ने, इसके प्रयोग किए जाने का संदेह व्यक्त किया है। इस पद्धति से मनचाहे शल्क निकालना वस्तुतः दुरूह कार्य है।
  • sword -- खड्ग, असि, शमशीर, तलवार
प्राचीन काल से प्रयुक्त, कांसे या लोहे से बना, लंबा तेज धारदार हथियार जो भोंकने या काटने अथवा दोनों कार्यों के लिए प्रयुक्त होता था। इसका फल कटार से लंबा तथा कृपाण से चौड़ा होता हैं। संभवतः इसका उद्भव हंगरी में हुआ जहाँ से इसका प्रसार संपूर्ण ईजियन प्रदेश, यूरोप और पश्चिमी एशिया में हुआ। यूनान में माइसीने के गर्त-तुंबों (shaft grave) में (ई. पू. 1650) कांस्य-निर्मित सुंदर तलवारें मिली हैं। आग्नेयास्त्रों के निर्माण के पूर्व तक यह युद्धों में प्रयुक्त एक महत्वपूर्ण आयुध रहा। भारतीय चित्रकला व मूर्तिकला में विभिन्न आकार-प्रकार के खड्गों, तलवारों आदि का निरूपण हुआ है। उत्खननों में प्राप्त आयुधों में भी तलवारों आदि के विविध रूप मिले हैं।
  • symbolism (=figurism) -- प्रतीकवाद
कला के क्षेत्र में, अभिव्यंजना की विशिष्ट शैली, जिसमें प्रतीकों, चिह्नों, जड़ या जंगम आकृतियों के माध्यम से भावी वस्तुओं तथा विषयों आदि का बोध कराया जाता है। हीनयान कला में, बुद्ध की उपस्थिति को बताने के लिए अनेक प्रतीकों का प्रयोग किया जाता था, जैसे केवल पदचिह्न, बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण की ओर इंगित करते हैं। साँची और भरहुत के स्मारकों में गौतम बुद्ध के जीवन की कथा चित्रित करने के लिए प्रतीकों का आश्रय लिया गया है। ईसाई धर्म का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक क्रूस रहा है, जो ईसा-मसीह को शूली पर चढ़ाने की घटना का प्रतीक है।
  • syncretistic icon -- संश्लिष्ट-मूर्ति, सम्मिश्र मूर्ति, संहति मूर्ति
विभिन्न धर्मों एवं संप्रदायों में पारस्परिक सद्भाव तथा सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से विभिन्न संप्रदायों की देव-प्रतिमाओं का संश्लिष्ट रूप, जैसे-वैष्णव और संप्रदायों में एकता स्थापित करने के लिए हरिहर की एकीकृत मूर्ति, शैव और शाक्त संप्रदायों का एकीकृत रूप अर्धनारीश्वर मूर्ति। हिंदुओं और बौद्धों में धर्मगत पारस्परिक विद्वेष निवारण के लिए शिवलोकेश्वर रूप और बुद्ध-विष्णु का योगनारायण रूप मिलता है।
  • syrinx -- सुरंग-तुंब
प्राचीन मिस्री मकबरों में, शिलाओं को काटकर बनाया गया एक प्रकार का सुरंग की तरह संकीर्ण गलियारा, जिसमें से ऊपर बने तुंब में प्रवेश किया जाता था।
  • tablet -- पटिया, पट्ट
प्रायः लघु आकार का समतल पट्ट, पाषाण-खंड या छोटी सिल्ली, जिस पर लेख या आकृति तक्षित हो। इस प्रकार की पट्टी, पत्थर, मिट्टी या किसी धातु की बनी होती है।
भरहुत तथा साँची में अधोलिखित पट्टिकाएँ बहुत अधिक संख्या में मिली हैं।
  • Tablet of homage -- आयागपट्ट
जैन धर्म में, पूजा-अर्चा के लिए प्रयुक्त प्रायः वर्गाकार या आयताकार शिलापट्ट, जिसके मध्य में तीर्थकर की लघु प्रतिमा बनी होती है और प्रतिमा के चारों ओर अनेक मांगलिक प्रतीक और अलंकरण भी बने होते हैं। मथुरा में प्राप्त हुए अनेक आयाग-पट्टों पर ब्राह्मी लेख मिले हैं।
परवर्ती आयाग-पट्टों पर चौबीस तीर्थंकरों की प्रतिमाओं को 'चौबीसी' की संज्ञा दी जाती है।
  • tabulatum -- काष्ठकर्म, दारुकर्म
प्राचीन रोम में, लकड़ी की बनी फर्श, आभ्यंतरिक दीवार, अंतश्छद, बारजा या इसी प्रकार की अन्य बहिर्गत संरचना के लिए प्रयुक्त शब्द।
  • tachymeter (=tacheometer) -- उत्सेधमापी, जवमापी, टैकीमीटर
परातात्विक सर्वेक्षण में प्रयुक्त उपकरण विशेष, जिसके द्वारा किसी वस्तु की दूरी, दिशा, ऊँचाई और स्थिति आदि विषयक ज्ञान शीघ्रता से प्राप्त किया जाता है।
  • tang -- चूल, टेंग
किसी आयुध या उपकरण के फल के ठीक नीचे का निकला हुआ संकीर्ण भाग जिसमें काष्ठ या अस्थि दंड फँसाया जाता था। पाषाण काल से ही इसके प्रमाण मिलने लगते हैं। कांस्यकालीन आयुधों और उपकरणों के चूल विकसित अवस्था में मिलते हैं जिनमें कीलें फँसाने के लिए छिद्र बने होते हैं।
  • tankard -- पानपात्र
एक हत्थेवाला बड़े आकार का प्याला जिससे तरल पदार्थ को पिया जाता था। चाँदी और जस्ते के बने ढक्कनदार प्याले भी मिले हैं।
प्राचीन यूनान व रोम में मिले मिट्टी के टब की तरह के बर्तनों को भी इसी नाम से अभिहित किया जाता है।
  • tapestry -- चित्रपट
हाथ से बुना मोटा कपड़ा, जिसकी बनावट में, विभिन्न आकृतियाँ, लता, बेलबूटे आदि बने हों। प्राचीन काल से ही इस प्रकार के वस्त्र का प्रयोग पर्दे बनाने और फर्नीचरों को मढ़ने के काम में किया जाता था। भारत में, मंदिरों की दीवारों पर बुने हुए वस्त्र के चित्रित पर्दों को लगाया जाता था।
  • Tardenosian Culture -- तार्देनोज़ी संस्कृति
दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस के तार्देनोएज़ नामक स्थल के उत्खनन के परिणामस्वरूप ज्ञात मध्यपाषाणकालीन संस्कृति, जो स्पेन, फ्रांस, बेल्जियम, ब्रिटेन, दक्षिणी एवं मध्य जर्मनी, पोलैंड तथा रूस में भी प्रचलित रही है। इस मध्यपाषाणकालीन संस्कृति का आरंभ काल ई. पू. 6000 से ई. पू. 4000 माना जाता है। इस संस्कृति के प्रमुख उपकरणों में, अनेक समलंबी बाणाग्र जिनका कार्यांग छेनी की तरह होता था, चकमक के छोटे-छोटे शल्क तथा अन्य लघु पाषाण उपकरण हैं।
यह संस्कृति मध्यपाषाणकालीन सावेतेरी(Sauveterian) संस्कृति के बाद विकसित हुई और नवपाषाणकालीन कृषकों के आगमन के साथ समाप्त हो गई।
  • Tasian beakers -- तासी बीकर, चंचुआकार प्याला
चिड़िया की चोंच के आकार जैसे कोने वाले प्याले, जिन्हें बडेरियाई संस्कृति से पूर्ववर्त्ती मिस्र के नवपाषाणकालीन युग का माना जाता है।
देखिए : 'Tasian civilization'.
  • Tasian civilization -- तासी सभ्यता
ऊपरी मिस्र की पूर्वराजवंशीय नवपाषाणकालीन संस्कृति, जिसका नामकरण देर-तासा (Deir Tasa) नामक प्ररूप स्थल के आधार पर हुआ। तासी सभ्यता अब वस्तुतः बडेरियाई संस्कृति का ही स्थानीय रूप माना जाता है। देर-तासा आदिम कृषकों का सन्निवेश था।
  • taxonomy -- वर्गिकी, वर्गीकरण-विज्ञान
जीवों अथवा वस्तुओं को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करना। पुरातात्विक उत्खननों में प्राप्त अलग-अलग प्रकार के उपकरणों, मृद्भांडों तथा अन्य वस्तुओं को उनके काल, आकार-प्रकार आदि के आधार पर अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर दिया जाता है जिससे उनका व्यवस्थित अध्ययन किया जा सके।
  • tectiform -- निवास आकृति
पूर्वपाषाणकालीन मानवों द्वारा गुफाओं की दीवारों पर बनी आवासों की आकृति। इन चित्रों से यह ज्ञात होता है कि पाषाणकालीन मानवों ने आवासों का निर्माण करना सीख लिया था।
इस प्रकार के चित्रण मग्दाली (Magdalenian) कालीन फ्रांस और इटली के गुहा चित्रों (उदाहरणार्थ फा-द-गों) में मिले हैं जिसमें एक त्रिभुज की आकृति (स्वतंत्र रूप से अथवा किसी पशु आकृति के शरीर के मध्य भाग में) बनी है तथा जिसके आधार से ऊपरी कोण तक एक ऊर्ध्व रेखा निर्मित हैं।
  • tectonic -- विवर्तनिक
भू-पर्पटी के विरूपण के परिणामस्वरूप बनी शैल संरचनाओं और उनके बाह्य रूपों से संबंधित।
  • telamon -- नराकृति-स्तंभ
प्राचीन यूरोपीय भवनों में प्रयुक्त एक प्रकार का स्तंभ या कुड्य स्तंभ, जिसमें पुरुष की आकृति तक्षित हो।
भारतीय स्थापत्य कला में, पुरुषों और स्त्रियों की आकृतियाँ स्तंभों पर उत्कीर्णित मिली हैं। राजिम के प्राचीन मंदिरों के नराकृति-स्तंभ उल्लेखनीय हैं।
  • tell -- टीला
दीर्घ अवधि में मानव-निवास के अवशेषों द्वारा निर्मित भू-स्तर से ऊपर को उठी हुई रचना। मानव अवशेषों द्वारा निर्मित इन टीलों की दीवार तथा कूड़ा-करकट तथा अन्य अनेक प्रकार की सामग्रियाँ उसे यह रूप प्रदान करती हैं। इस प्रकार के टीले प्राचीन मानव-सभ्यता के जानने के महत्वपूर्ण साधन हैं।
  • temenos -- मंदिर-प्रांगण
यूनानी मंदिर के चतुर्दिक निर्मित पवित्र घेरा या बाड़ा।
  • tempera (=tempora) -- टेंपरा, अपारदर्शी जलरंग
अपारदर्शी जलरंग जिनका प्रयोग तैल रंगों के जन्म के पूर्व (लगभग सोलहवीं शताब्दी ईसवी) से ही होता रहा है। सामान्यतः मिट्टी और खनिजों से बने सूखे चूर्ण में सरेस, जिंक आक्साइड, अंडे की जर्दी आदि मिलाकर पानी में घोल कर रंग तैयार किया जाता था जिसे डिस्टेंपर (distemper) या समारंजन कहते हैं। इसका प्रयोग टेंपरा चित्रण में किया जाता है। इन रंगों से किए गए चित्रण का प्रभाव सपाट, समरूप और अपारदर्शी होता है।
अजंता और बाध के चित्रों में समारंजन शैली का प्रयोग किया गया है।
  • temporal art -- ऐहिक कला
पारलौकिक, धार्मिक या आध्यात्मिक कला से भिन्न, भौतिक उद्देश्यों, स्थितियों या पदार्थों का प्रतिरूपण करनेवाली कला।
  • teocalli -- देवालय
प्राचीन मैक्सिको में विशेष प्रकार के मंदिर, जो रूंडित पिरामिडाकार टीले के ऊपरी भाग में बने होते थे।
तेनोचितितलान में, अजटेक के विशाल मंदिर को 'तियोकेली' नाम दिया गया है।
  • Terra Sigilate -- टेरासिगिलेट, उद्भृत आकृतियुक्त पात्र
रोमन साम्राज्य के विस्तृत क्षेत्र में खाने-पीने के लिए प्रयुक्त चमकीले लाल भांड। साँचे में बने इन मृदभांडों पर सादे और उद्भृत अलंकरण मिलते हैं। ये भांड आकार-प्रकार की दृष्टि से धातु-निर्मित बर्तनों से मिलते-जुलते है। कुछ बर्तनों पर कुंभकार अथवा उसकी कार्यशाला के नाम ठप्पांकित हैं। अलंकरण अभिप्रायों में मिथकीय आकृतियाँ, पशु-पक्षियों तथा बेल-बूटे आदि है, इन्हें मुख्यतः दो वर्गों में विभक्त किया जाता है : (1) एरेटाइन ई. पू. 30 से ई. 50, तथा (2) सेमियाई
  • terracotta -- 1. पकी मिट्टी, पक्व मृत्तिका
आग में पकी मिट्टी।
2. मृण्मूर्ति
मिट्टी की बनी मूर्ति, जो आग में पकी हो।
  • terracotta figure -- मृण्मूर्ति
मिट्टी की बनी मूर्ति, जिसे आग में रखकर पक्का रूप दिया जाता था। भारत और अनेक प्राचीन देशों में, पकी मिट्टी की बनी मानव तथा पशु-पक्षियों की मूर्तियाँ मिली हैं। भूमध्य सागरीय क्षेत्र और सिंधु घाटी की सभ्यताकालीन कुछ ऐसी नारी प्रतिमाएँ भी मिली हैं, जिन्हें मातृ देवी कहा जाता है। मौर्य काल से लेकर गुप्त काल तक बनी बहुसंख्यक मृण्मूर्तियों को देखने से ज्ञात होता है कि इनमें से कुछ पूजा के लिए देवमूर्तियों के रूप में बनी होंगी और कुछ अलंकरण अथवा मनोविनोद के लिए।
मिट्टी की बनी मूर्तियाँ पीले या लाल रंग से रंगी मिली हैं। मथुरा, राजघाट, कोशांबी, बक्सर आदि स्थानों से विविध रंगों में चित्रित मृण्मूर्तियाँ मिली हैं। अहिच्छत्र से प्राप्त गंगा, शिवपार्वती की मृण्मूर्तियाँ कलात्मक और उत्कृष्ट हैं।
  • Terramara culture -- टेरामारा संस्कृति
उत्तरी इटली की 'पो' घाटी में बोलोग्ना और परमा के बीच कांस्ययुगीन टीले जिसे स्थानीय भाषा में 'टेरामारा' कहते हैं। टेरामारा संस्कृति का निर्माण बहुत समय तक कूड़ाकरकट के फेंकने से हुआ, निक्षेप स्थल से प्राप्त हुए अवशेषों के आधार पर यह माना गया है कि इस संस्कृति के जनक ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि (मध्य कांस्य युग) में डेन्यूब क्षेत्र से इटली आए, जहाँ उन्होंने कलश-शवाधान प्रथा का आरंभ किया। इनमे कांस्य (निर्मित) पंखाकार कुठार, दोधारी चाकू आदि कांस्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इस संस्कृति ने अंतिम चरण में एपिनी संस्कृति को प्रभावित किया।
  • terrazzo -- टेराज़ो, मणिकुट्टिम
संगमरमर तथा ग्रेनाइट के छोटे-छोटे टुकड़ों को, सफेद अथवा रंगीन सीमेंट में जमाकर बनाना। यह उल्लेख्य है कि फर्श पर गारे के जम जाने के उपरांत चमक लाने के लिए फर्श को घिसा जाता था।
  • terrestrial deposit -- स्थलीय निक्षेप
भूमि पर वायु, समुद्र, नदी, सरोवर आदि के प्रवाह द्वारा बने अवसादी (sedimentary) निक्षेप।
  • tessera -- 1. कुट्टिम गुटिका, कुट्टिम-खंडक
संगमरमर, काँच इत्यादि का एक वर्गाकार खंड, जिसका प्रयोग दीवार तथा फर्श आदि को अलंकृत करने के लिए किया जाता था।
2. टोकन
प्राचीन रोम में विभिन्न कार्यों के लिए प्रयुक्त हाथीदाँत, हड्डी-काष्ठ, कांस्य, शीशा आदि की छोटी और चौकोर धनाकृति। कभी-कभी इन पर वृत्ताकार चिह्न अंकित होते थे।
  • test digging -- परीक्षणार्थ उत्खनन, जाँच-खुदाई
किसी व्यवस्थित पुरातात्विक उत्खनन के पूर्व प्रारंभिक जाँच के लिए खात या गर्त खोदना। इस खुदाई से भूमि के नीचे स्थित प्राचीन अवशेषों तथा विभिन्न सांस्कृतिक अनुक्रमों का पता लगाया जाता है।
  • tetrapylon -- चतुद्र्वारी
चार प्रवेश-द्वारों से युक्त वास्तुकलात्मक संरचना।
  • theodolite -- थियोडोलाइट
भू-स्थल के क्षैतिजाकार और कभी-कभी लंबवत् कोणों को मापने के लिए प्रयुक्त उपकरण विशेष,जिसमें दूरबीन के साथ एक घूमनेवाला तल तथा क्षैतीज कोणों को नापनेवाला 'वर्नियर' लगा रहता है। इसमें आमतौर पर एक क्षैतीज दिक्सूचक यंत्र भी लगा रहता है। इस यंत्र का प्रयोग पुरातात्विक सर्वेक्षण में विशेष महत्वपूर्ण है।
  • theriomorphic god -- पशुरूप देव
पशुओं की आकृतियों में बने देव। यथा; विष्णु के वराह, नृसिंह आदि रूप।
  • thermae (=thermal) -- जन-स्नानागार
प्राचीन रोमन लोगों द्वारा जनता के लिए बनाए गए स्नानगृह, जिसमें गर्म पानी की भी व्यवस्था होती थी। इस प्रकार के सार्वजनिक भवनों का निर्माण अग्रिप्पा (ई. पू. 63-ई. पू. 12) के काल से आरंभ हुआ। इस प्रकार की सबसे बृहदाकार संरचना रोम में बनी; जो आज भग्नावस्था में है। कराकल्ला का जन-स्नानागार (Thermae of Caracalla) सबसे महत्वपूर्ण प्राप्त अवशेष है।
भारत में, राजगृह तथा बद्रीनाथ आदि स्थानों में गर्म पानी से युक्त जन-स्नानागार विद्यमान हैं।
  • thermoluminescence dating -- ताप-संदीप्ति काल-निर्धारण
प्राचीन ठीकरों तथा पकी मिट्टी की वस्तुओं के काल-निर्धारण की एक प्रविधि। इसके अंतर्गत आग में पकाए मृद्भांड आदि के ताप-संदीप्ति का माप किया जाता है। इस प्रविधि का प्रयोग प्राचीन मृद्भांडों के रूप में प्रतिपादित या प्रयुक्त, आधुनिक जाली मृद्भांडों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। ई. 1960 में पुरातात्विक सामग्रीयों के काल-निर्धारण के लिए केनेडी और नोफ ने इस प्रविधि का उल्लेख किया था। भारत में गेरू मृद्भांडों की तिथि इसी विधि द्वारा ई. पू. 2000-ई. पू. 1400 मानी गई है। किसी वस्तु को जब तपाया जाता है तब उसमें निहित रेडियो सक्रिय खनिजों में एकत्रित शक्ति प्रकाश रूप में निःसृत होती है। इसी प्रक्रिया को ताप-संदीप्ति कहा जाता है। प्राचीनकालीन किसी भी पकी हुई मिट्टी की वस्तु को यदि 400oC-500oC के ताप पर पकाकर बनाया गया हो तो उससे यदि शक्ति शून्य हो गई होगी, तो समय बीतने के साथ उस वस्तु में निहित रेडियो सक्रिय खनिज अनवरत विकिरण से प्रभावित होकर पुनःशक्ति संचित कर लेते हैं। उत्खनन के बाद ठीकरों अथवा पकी मिट्टी से निर्मित वस्तुओं को गर्म करके उससे निःसृत दीप्ति को नापकर यह पता लगाया जा सकता है कि वह वस्तु कितने समय पहले निर्मित हुई होगी। इसके लिए यह आवश्यक होगा कि रेडियो बमबारिता की दर ज्ञात हो।
इस विधि से निर्धारित तिथि में 5 से 10 प्रतिशत की त्रुटि हो सकती है। उदाहरणार्थ, यदि कोई वस्तु 5000 वर्ष पुरानी है तो उसकी तिथि ±500 वर्षों की हो सकती है।
  • Theseum -- थिस्यूज का मंदिर
एथेन्स में, एगोरा के निकट वीर राजा थिसियस को समर्पित मंदिर, जिसका वध लाकोमेडिज ने किया। ई. पू. 469 में, उसकी अस्थियों को एथेन्स में लाकर यह मंदिर बनाया गया। इसकी दीवारों पर प्रसिद्ध चित्र बने हैं। संकट के समय इसका प्रयोग शरण-स्थल के रूप में होता था। नवीनतम शोधों के परिणामस्वरूप, अब यह सिद्ध हो चुका है कि यह मंदिर में फेस्टस देवता को समर्पित था।
  • thole -- देवकोष्ठ
किसी मंदिर या भवन में, देवता विशेष को समर्पित आला या ताक। भारत में, देवगढ़, भीतरगाँव (उ. प्र. ) खजुराहो, ग्वालियर आदि के प्राचीन मंदिरों में इस प्रकार के देवकोष्ठ विद्यमान हैं।
  • tholos tomb -- गोल समाधि
पत्थर के बने मधुमक्खी के छत्ते की तरह का गोलाकार मकबरा जिसकी छत टोड़ेदार (corbelled) होती थी।
इस प्रकार की समाधियाँ ई. पू. 1580-ई. पू. 1100 में यूनान की माइसिनी सभ्यता में प्रचलित थीं। तुंबाकार समाधियाँ वास्तव में शाही समाधिया थीं। इन समाधियों के उद्भव का इतिहास अज्ञात है। अभी तक केवल यूनान में ही इस प्रकार की बीस समाधियाँ उत्खनित की गई हैं। 'एट्रियस का खज़ाना' तथा 'मिनयास का खज़ाना' प्रसिद्ध गोल समाधियाँ हैं।
  • three-age system -- त्रियुग-व्यवस्था
वह व्यवस्था, जिसमें संपूर्ण प्रागैतिहासिक अध्ययन सामग्री को तीन भागों में विभाजित किया गया। प्रागितिहास के इन तीन भागों को (1) पाषाण युग, (2) कांस्य युग, एवं (3) लौह युग कहा जाता है। त्रियुग-व्यवस्था शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सी. थोम्सन (ई. 1816-ई. 1819) ने किया था।
अब अकेले पाषाण युग को ही विस्तृत अध्ययन के लिए तीन भागों में विभक्त किया जाता है-(1) पुरापाषाण काल, (2) मध्य पाषाण काल, और (3) नवपाषाणकाल। पुरापाषाणकाल को भी निम्न, मध्य तथा उच्च तीन भागों में विभाजित किया जाता है। इन विभाजनों से प्रागैतिहासिक संस्कृतियों के अध्ययन में बहुत सहायता मिलती है।
इन विभाजन की कतिपय त्रुटियाँ हैं। विश्व के सभी भागों में इन विभिन्न युगों की तिथि और विकासक्रम एक-सा नहीं मिलता है। कुछ देशों में, ऐसी संस्कृतियाँ आज भी विद्यमान हैं, जो पुरापाषाणकालीन प्रावस्था में हैं। अफ्रीका में पाषाण युग के बाद सीधे लौहयुग प्रारंभ हो जाता है। फिर भी, काल-विभाजन की जब तक कोई अन्य उपयुक्त विधि विकसित नहीं हो जाती है तब तक यही विधि प्रयुक्त हो रही है।
  • Thule culture -- थ्यूल संस्कृति
ग्रीनलैंड के केपयार्क नामक स्थान के निकट प्राप्त प्राचीन एस्किमो संस्कृति। आगे चलकर साइबेरिया से ग्रीनलैंड तक उत्तरी ध्रुव के विस्तृत क्षेत्र में इसका प्रसार हुआ। इस संस्कृति के लोग सील, वैलरस और ह्वेल मछलियों का शिकार करते थे। ये जाड़ों में भूगर्भित आवासों तथा गर्मियों में खुले मैदानों में तंबुओं में रहते थे। ये स्लेट पत्थर से निर्मित घृष्ट उपकरणों तथा ठप्पांकित मृद्भांडों का प्रयोग करते थे। एस्किमों अलंकरण कला का चरमोत्कर्ष इनकी कला में दिखाई पड़ता है।
इस संस्कृति का काल लगभग ई. 100-ई. 1800 रहा।
  • thumb-nail scraper -- अंगुष्ठ-नख खुरचनी
प्रागैतिहासिक पाषाणोपकरण खुरचनी का एक प्रकार जो अंगूठे के नाखून के आकार-सा होता है। इनकी कार्यकारी धार प्रायः उत्तल (convex) होती है। कभी-कभी इन्हें उत्तल खुरचनी के नाम से भी जाना जाता है।
  • tiger slayer coin -- व्याघ्र-निहंता मुद्रा
समुद्रगुप्त द्वारा प्रवर्तित स्वर्ण-मुद्रा, जिसमें राजा धनुष-बाण लिए व्याघ्र-वध करते हुए प्रदर्शित किया गया है। बाएँ हाथ के नीचे राजा का नाम समुद्रगुप्त और सिक्के के पृष्ठ भाग पर मकर पर खड़ी गंगा देवी की आकृति है और मुद्रा-लेख 'व्याध्र पराक्रम' उत्कीर्णित है। बयाना में मिले खजाने में इस प्रकार के अनेक सिक्के मिले हैं। कला की दृष्टि से ये सिक्के उत्कृष्ट कोटि के हैं।
  • tomb -- मक़बरा, समाधि, तुंब
वह इमारत, जिसमें मृत व्यक्ति को दफनाया गया हो। मृत व्यक्ति की स्मृति में, प्राचीन काल से, मज़ार या कब्र बनाने की प्रथा प्रचलित रही है। राजा-महाराजाओं, सभासदों, राजपरिवार के सदस्यों, संतों तथा महापुरुषों आदि की मृत्यु के उपरांत उन के देहावशेषों पर विशाल स्मारक निर्मित किए जाते रहे हैं। विश्व के अनेक प्राचीन प्रसिद्ध स्मारक मक़बरों के रूप में आज भी विद्यमान हैं।
  • tomb-robbery papyri -- तुंब-दस्युता वृत्त
मिस्र के प्राचीन नगर थीब्ज (Thebes) के पश्चिमी किनारे पर स्थित शाही तुंबों तथा दूसरे पवित्र स्थलों की चोरी के संबंध में बीसवें राजवंश के अंतिम काल में ई. पू. 1100 के आसपास पेपीरस कागज़ पर हाईरेटिक शैली में लिखी गई एक सरकारी रिपोर्ट। विगत काल में हुई तुंबों की लूट का तो इसमें विस्तृत उल्लेख हैं ही, चोरों को पकड़ने के लिए उठाए गए कारगर कदमों का भी इसमें वर्णन किया गया है। प्राचीन मिस्र की तत्कालीन विधि-प्रक्रिया की जानकारी इस वृत्त से मिलती है।
  • tool -- औज़ार, उपकरण
हाथ से प्रयुक्त बड़े या छोटे आकार के उपस्कर या औज़ार। इन उपकरणों के अध्ययन से ही हमें मानवीय सभ्यता के उद्भव एवं उसके क्रमिक विकास का इतिहास ज्ञात होता है। मानव की परिभाषा ही है 'उपकरणों का निर्माता प्राणी'।
  • tope -- स्तूप
मिट्टी या पत्थर का वह गोलाकार टीला या भवन, जिसमें भगवान बुद्ध या किसी बौद्ध महात्मा के दाँत, केश, अस्थि, आदि स्मृति चिह्नों को सुरक्षित रखा गया हो।
  • tore (=torque) -- कंठा, ग्रैवेयक, हँसली
प्राचीन काल से प्रचलित, गले में पहना जानेवाला गोल आकार का आभूषण।
प्रारंभिक कांस्ययुगीन मध्य यूरोप की संस्कृतियों में इस प्रकार के आभूषणों के प्रयोग के प्रमाण, विशेषतः यूनेटिस (Unetice) संस्कृति, से प्रारंभ हो जाते हैं परन्तु इसका विस्तृत प्रयोग परवर्ती लौहयुगीन संस्कृतियों लातेन (La tene) में मिलता है। कांस्य के अतिरिक्त ये सोने, चाँदी आदि के बने भी मिले हैं।
प्राचीन बर्बर गॉल, जर्मन तथा ब्रिटेन लोग इन्हें गले में धारण करते थे। भारतवर्ष में भी प्राचीन काल से आज तक इस प्रकार के आभूषणों का प्रयोग होता चला आ रहा है। ईसवी पूर्व लगभग 200 वर्ष से भारतीय मूर्तिकला में भी इन आभूषणों का प्रयोग मिलता है।
  • torii -- तोरण-द्वार
जापान के शितो मंदिर का प्रवेश-मार्ग, जिसे दो खड़े स्तंभों पर उष्णीष स्थापित कर बनाया गया है। भारत में, इस प्रकार के तोरण द्वार साँची, भरहुत आदि में मिले हैं।
  • torso -- कबंधमूर्ति, धड़-प्रतिमा
वह मानव-मूर्ति, जिसमें गले के नीचे से लेकर कमर तक का भाग ही बना हो, विशेषकर वे मूर्तियाँ, जिनका ऊपरी भाग ही बना हो और सर और कमर के नीचे के अंग खंडित हों, यथा बिना सिर की धड़ मूर्ति।
हड़प्पा में इस प्रकार का बिना सिर-पैर का धड़ मिला है, जो नृत्य मुद्रा में है।
  • tortoise amulet -- कच्छप ताबीज़
कछुए के आकार जैसा बना, गले या बाँह में बाँधने का ताबीज़, जो अनिष्ट निवारण हेतु धारण किया जाता था।
प्राचीन भारतीय कला में, यह अलंकरण विशेष रूप में मिला है। कच्छप आकार के ताबीज़ विभिन्न पत्थरों में बने मिले हैं।
  • tortoise core -- कच्छप क्रोड
ल्वाल्वाई शल्कीकरण विधि द्वारा निर्मित वह क्रोड जिसका एक तल कछुए की खोल की तरह तथा दूसरा तल सपाट हो। इस प्रकार के क्रोड प्रायः अंडाकार होते हैं। कोर के उत्तल पर चारों ओर से केंद्रोन्मुख संधात से निकाले गए फलकों के चिह्न वर्तमान रहते हैं जिससे वह कछुए की खोल की तरह दिखता है। प्रायः क्रोड के एक किनारे पर कृत्रिम आघात-स्थल बनाने के प्रमाण भी विद्यमान रहते हैं।
इस प्रकार के क्रोड परवर्ती निम्न पूर्व पाषाण काल से ही मिलने लगते हैं तथा इसका विस्तृत प्रयोग मध्य पूर्व पाषाणकालीन मोस्तारी (Mousterian) संस्कृतियों में दिखाई पड़ता है। भारत में उत्कृष्टतम कच्छप क्रोडों का प्रयोग उच्च पूर्व पाषाणकाल में होता था।
  • tourelle -- छोटी मीनार
धरातल से बहुत ऊँची ऊपर उठी वर्गाकर या वृत्ताकार टोड़ी युक्त वास्तु-संरचना जो अपनी परिधि की तुलना में काफी ऊँची बनी होती है।
  • tournette -- भ्रमि, चक्री, चाक
देखिए : 'Potter's wheel'.
  • tower -- मीनार, बुर्ज
ऊँची स्तंभाकार वास्तुरचना।
घुंडी के आकार की धरातल से पर्याप्त ऊपर ऊँची उठी गोल या पहलदार वह संरचना, जो अपनी परिधि के अनुपात की प्रपेक्षा बहुत ऊँची हो। यह अलग से भी बनी हो सकती है (जैसे, कुतुब मीनार) और यह किसी भवन या किले आदि की दीवारों में उठी, उसका एक भाग भी हो सकती है, जैसे किलों की बुर्जियाँ या चर्च का घंटाघर।
  • Tower of Babel -- बेबल की मीनार
प्राचीन बेबीलोन देश की ऐतिहासिक और विशाल मीनार। कहा जाता है कि स्वर्ग में पहुँचने के लिए इस मीनार को बनाया गया था।
  • tranchet -- टांकी, ट्रांशे
प्रागैतिहासिक छेनी जैसा प्रस्तर उपकरण, जिसकी कार्यकारी सीधी व तीक्ष्ण धार उपकरण के मुख्य अक्ष से समकोण पर शल्क निकाल कर निर्मित होती थीं। मध्य पाषाणकालीन कुठार एवं बसूले इसी विधि से निर्मित किए गए। मध्य एवं नवपाषाणकालीन अनुप्रस्थ बाणाग्रों का निर्माण भी इसी प्रकार किया जाता था।
  • transitional period -- संक्रमण काल
किसी सभ्यता या संस्कृति के विकास की वह प्रावस्था जब वह नवीन रूप ग्रहण कर रही हो।
  • trapezoid -- समलंबाभ उपकरण
चार भुजाओं वाला प्रागैतिहासिक पाषाण-उपकरण, जिसकी दो भुजाएँ समानांतर होती हैं। इन भुजाओं को मिलानेवाली छोटी भुजा समकोण बनाती है और दूसरी तिर्यक् भुजा कुंठित होती है। इस उपकरण की सबसे लंबी भुजा अपरिष्कृत होती है।
  • tree ring chronology -- वृक्ष-वलय कालानुक्रमिकी
वृक्ष-वलयों के व्यवस्थित अध्ययन और विश्लेषण द्वारा निर्धारित कालानुक्रम जो वलय-रेशों के क्रमिक विकास पर आधारित होता है।
देखिए : 'dendro-chronology'.
  • trepanning (=trephining) -- कपाल-छेदन, ट्रेफाइन
किसी जीवित व्यक्ति के कपाल में छिद्र का बनाया जाना। नवपाषाण काल में पत्थर के चाकू से कपाल में छिद्र करने की प्रथा प्रचलित थी। इसका उद्देशय संभवतः ट्यूमर, उन्माद, सिरदर्द आदि की चिकित्सा करना रहा होगा। बहुत-से छिद्रित कपाल विशेषतः नवपाषाणकालीन संदर्भों से फ्रांस तथा पूर्व कोलम्बियाई पेरू में मिले हैं।
  • trial trenching -- परीक्षण-खाई उत्खनन
किसी भी व्यवस्थित उत्खनन से पूर्व प्राथमिक परीक्षण या जाँच के तौर पर भूगर्भित सामग्री के पूर्वानुमान के लिए खाइयों को खोदना। परीक्षणार्थ उत्खनन के परिणामस्वरूप यह आवश्यक नहीं कि खुदाई में कुछ प्राप्त हो ही जाए। क्षेत्र उत्खनन में परीक्षण के रूप में, प्रारंभिक रूप से खाइयाँ खोदने की प्रविधि उत्खनन के ध्येय को बहुधा सिद्ध करने में सक्षम होती हैं।
  • triangular handaxe -- त्रिभुजाकार हस्तकुठार
प्रागैतिहासिक पाषाण हस्तकुठारों का एक प्रकार, जिसकी तीन भुजाओं में दो भुजाएँ बड़ी तथा एक भुजा छोटी होती है। इसमें बाह्यक भी विद्यमान रहता है। इस उपकरण का आकार त्रिकोण जैसा होता है।
  • triangular point -- त्रिकोणाकार वेधनी
एक प्रकार की प्रागैतिहासिक पाषाण-वेधनी, जिसकी दो भुजाएँ अपेक्षाकृत लंबी तथा तीसरी भुजा तिरछी होती है। उस उपकरण का प्रयोग प्रायः छेद करने के लिए किया जाता था।
  • triangulation -- त्रिभुजन
पुरातात्विक उत्खनन में प्रयुक्त सर्वेक्षण-प्रविधि, जिससे किसी दो ज्ञात बिंदुओं से त्रिभुज के तीसरे बिंदु को निर्धारित किया जाता हैं।
  • trident -- त्रिशूल
वह अस्त्र या उपकरण जिसके सिरे पर तीन नोकदार फल बने होते हैं। प्राचीन काल से प्रतीक के रूप में इस अस्त्र का प्रयोग होता रहा है। भारत में त्रिशूल को शिव का और रोम में पोसिडोन (Posedion) का अस्त्र माना गया है।
  • trilithon (=trilith) -- त्रिपाषाण
वह संरचना, जिसमें दो स्तंभाकार रूप में खड़े पत्थरों पर घरण या उष्णीय के रूप में तीसरा पत्थर क्षैतिजाकार रखा हो। इस प्रकार की संरचनाएँ महाश्म स्मारकों में मिलती हैं। इस संरचना का उत्कृष्टतम नमूना इंग्लैंड के स्टोनहेंज स्मारक में देखने को मिलता है जिसमें 50 टन वजन के पत्थर बड़ी कुशलता से प्रयुक्त हुए हैं।
  • trim -- 1. कर्तन, कतरना
काटना-छाँटना, अनावश्यक या बेडौल भाग को अलग करना।
किसी उपकरण के अनावश्यक और बेडौल भाग को शल्कित कर अलग करना। प्रागैतिहासिक काल में, पाषाण-उपकरणों को सुंदर बनाने के लिए छोटे-छोटे शल्क निकाले जाते थे।
भारतीय मुद्राशास्त्र में, आहत मुद्राओं के निर्माण में कर्तन पद्धति का प्रयोग होता था।
2. सँवारना
किसी वस्तु को ऐसा रूप देना कि देखने में आकर्षक या सुंदर प्रतीत हो।
  • tripod -- त्रिपाद, तिपाई
तीन पायों के आधार पर खड़ी टिकटी। प्राचीन यूनान में, इस प्रकार की तिपाई के ऊपर डेल्फी के मंदिर की पुजारिन बैठकर देववाणी का पाठ किया करती थी।
भारत में प्राप्त हिंद-यूनानी शासक अपोलोडोटस के सिक्कों पर 'त्रिपाद' चिह्न अंकित है।
  • triquetra -- त्रिकोण अलंकरण
तीन कोनों से युक्त अभिप्रायों का त्रिभुजाकार अलंकरण।
  • Triton -- ट्रीटन
यूनानी मिथकविद्या में वर्णित वह समुद्री अर्ध देवता, जिसका निचला भाग मछली जैसा और ऊपर का भाग मानव जैसा बना था। इसका प्रमुख प्रतीक शंख था यह पोसीडोन और एम्फिट्राइट की संतान कहा गया है। प्राचीन यूनानी कला में, इस देवता का अनेक स्थलों पर चित्रण हुआ है।
भारतीय कला में, इस जैसा प्रतीक मत्स्य-कन्या (mermaid) है, जिसकी विभिन्न आकृतियाँ मथुरा और अमरावती आदि में प्राप्त शिलापट्टों पर अंकित मिली हैं।
  • tropaeum (=tropaion) -- कीर्ति-स्तंभ, विजयस्मारक
किसी महत्वपूर्ण विजय की स्मृति में बनी इमारत या किसी की कीर्ति को स्थायी रूप देने के लिए स्थापित स्तंभ।
प्राचीन यूनान में, युद्ध में हथियाए गए अस्त्र-शस्त्र आदि, जिन्हें प्राचीन रोम में ट्राफी कहा जाता था, स्मारक के रूप में रखे जाते थे। प्राचीन रोम में इस तरह के स्मारकों को स्थायी भवनों के रूप में विजित आयुधों, ढालों तथा समुद्री पोतों के अग्र भाग आदि की आकृतियों को उद्भृत कर अलंकृत किया जाता था।
भारत में, इस प्रकार के कीर्ति-स्तंभों के उदाहरण, प्रयाग में समुद्रगुप्त का प्रशस्ति-स्तंभ, मंदसोर में यशोधर्मन के कीर्ति-स्तंभ तथा चितौड़ में राणा कुंभा का कीर्ति-स्तंभ है।
  • Troy -- ट्राय
उत्तरी-पश्चिमी तुर्की में स्थित एक प्राचीन महत्वपूर्ण स्थल जिसकी पहचान आधुनिक हिस्सारलिक टीले के साथ सर्वप्रथम ई. 1871 में जर्मन पुराविद् श्लीमन ने की। इस स्थल का विस्तृत विवरण होमर के 'इलियड' नामक महाकाव्य एवं यूनानी कथाओं में मिलता है। 1871-1930 के मध्य इस स्थल का उत्खनन श्लीमन, डार्पफेल्ड तथा ब्लेगन द्वारा कराया गया।
उत्खनन के फलस्वरूप नौ सांस्कृतिक कालों का पता लगा। प्रथम काल का प्रारंभ (Troy I) लगभग ई. पू. 3000 में हुआ जब यहाँ पर एक छोटा-सा प्राचीरयुक्त प्रासाद था। द्वितीय काल (Troy II) में यहाँ एक सुंदर और समृद्ध नगर विकसित हुआ। इसी काल (ई. पू. तृतीय सहस्त्राब्दि का उत्तरार्ध ) के एक खजाने से जिसे प्रियम राजा का खजाना (Prium's tresury) कहा जाता है सोने, चाँदी और कांस्य के लगभग आठ हजार आभूषण मिले। श्लीमन ने इसी काल के ट्राय की पहचान होमर के इलियड में वर्णित ट्राय से की। तीसरे, चौथे और पाँचवें काल की कांस्यकालीन सांस्कृतिक चरणों में कोई विशेष प्रगति नहीं दिखाई पड़ती है। छठें काल (Troy VI) में (ई. पू. 1800-1300) इसका विस्तार 5 एकड़ क्षेत्र में हुआ और चारों और द्वारयुक्त प्राचीर निर्मित किया गया। घोड़ों के प्रयोग से इस काल के लोग परिचित थे और वे शवों का दाह-संस्कार करते थे। नवीन प्रकार के मिनयन भांडों का निर्माण होने लगा। इन्हीं नवीन सांस्कृतिक तत्वों के आधार पर हार्पफेल्ड ने इस सांस्कृतिक चरण के ट्राय की पहचान होमर द्वारा वर्णित ट्राय के साथ की। इस काल का विध्वंस भूचाल से हुआ। सातवाँ काल (Troy VII) पूर्ववर्ती परंपरा का ही घटिया रूप था जिसका विनाश ब्लेगेन के अनुसार हेलेन की खोज में निकले एकियन सम्राट द्वारा लगभग ई. पू. 1260 में किया गया। आठवाँ काल (Troy VIII) ई. पू. 700 में यूनानियों के यहाँ पर बसने के साथ प्रारंभ हुआ तथा नवाँ काल (Troy IX) हेलिनिस्टिक एवं रोमन सभ्यता का काल है। इसके बाद यह फिर कभी नहीं बसा।
  • trumpet -- तूर्य, तुरही
फूँककर बजाया जानेवाला एक प्रकार का वाद्ययंत्र, जो आकार में लंबा होता है।
साँची, भरहुत आदि की कला में तूर्य के सुंदर उदाहरण मिले हैं।
  • trunnion celt -- ट्रनियन सेल्ट, टेकयूक्त कुल्हाड़ी
प्रस्तर या धातु का बना प्राचीन उपकरण, जिसके पार्श्व में बाहर की ओर निकली बनी होती है, जिसमें बेंट फँसाया जाता है। नवपाषाणकाल, कांस्यकाल में इस प्रकार की अनेक कुल्हाड़ियाँ मिली हैं।
  • tumulus -- समाधि टीला
प्राचीन काल में, किसी कब्र या शवाधान के ऊपर बनाया गया मिट्टी, पत्थर आदि का ऊचाँ ढूह।
देखिए : 'barrow'.
  • turn table pottery -- चाक पर बने मृद्भांड
वे मिट्टी के बर्तन, जिन्हें कील पर घूमनेवाले चक्राकार पत्थर पर रखकर बनाया जाता था। तेज गति से घूमने वाले चाक के पूर्व धीमी गति से चलनेवाले चक्रों का प्रयोग हाथ से बनाए गए भांडों को, विशेषकर उनके 'ओष्ठों' को, सुगठित करने के लिए सर्वप्रथम इसका प्रयोग किया गया होगा। लगभग ई. पू. 3400 में मेसोपोतामिया में तीव्रगति से घूमने वाले चक्रों का आविष्कार हो जाने के बाद मृद्भांडों का निर्माण उसी पर होने लगा।
देखिए : 'potter's wheel'.
  • turtle-back-tortoise core -- कच्छप पृष्ठ
देखिए : 'tortoise core'.
  • typological dating -- प्रारूपित काल-निर्धारण
सापेक्ष तिथि-निर्धारण की वह प्रणाली, जिसके अंतर्गत एक ही प्रकार की तकनीकी अवस्था और स्वरूप की वस्तुएँ एक ही काल की मानी जाती हैं। इस प्रणाली का महत्व विभिन्न स्तरों के अनुक्रमों को जानने के उपरांत बढ़ जाता है। यह माना गया है कि वस्तुओं के विकास और निर्माण का एक निश्चित क्रम होता है। किसी काल विशेष के उपकरणों और मृद्भांडों में सामान्यतः कुछ विशेषताएँ निहित होती हैं। विभिन्न उत्खनित सभ्यताओं में प्राप्त मृद्भांडों का अध्ययन कर, उनमें पारस्परिक संबंध निर्धारित और निश्चित किया जाता है। सामान्यतः वे वस्तुएँ जो धरातल की सतह से प्राप्त होती हैं, उनका अध्ययन उनके प्रकारों के आधार पर किया जाता है। एक ही आकार-प्रकार की वस्तुएँ सामान्यतः एक ही काल की मानी जाती हैं। जहाँ पर एक ही स्तर में, विभिन्न प्रकार के उपकरण या मृद्भांड मिलते हैं, वहाँ प्ररूप-प्रणाली का सहारा लेना पड़ता है। प्ररूप-प्रणाली काल निर्धारण प्रक्रम में बहुत अधिक सहायक नहीं होती परंतु पुष्टिकरण के लिए इसका प्रयोग होता है।
  • typology -- प्ररूप-विज्ञान
वह विज्ञान, जिसके अंतर्गत उपकरणों के आकार-प्रकार का व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है। इसके दो उद्देश्य होते हैं। पहला वर्गीकरण तथा दूसरा विभिन्न प्रकार के उपकरणों की तुलना, जिससे उनके पारस्परिक संबंधों का ज्ञान होता हैं। एक ही प्रकार के उपकरणों जैसे छुरे, कुठार, मृद्भांड आदि को उनके आकार, अभिकल्प आदि के आधार पर एक ही वर्ग या श्रेणी में रखा जाता है और प्राप्त वस्तुओं का वर्ग निर्धारित कर, विवेच्य वस्तु का कालानुक्रम इस विज्ञान के माध्यम से निश्चित किया जाता है। इसके माध्यम से वस्तुओं के आकार-प्रकार और अलंकरण आदि में हुए क्रमिक परिवर्तनों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
  • Ubaid culture -- उबेद संस्कृति
दक्षिण ईरान में बसरा से 160 किलोमीटर दूर उर नामक स्थान से साढ़े छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित अल-उबेद नामक छोटे-से टीले के उत्खनन से ज्ञात मेसोपोतामिया की एक प्रसिद्ध प्रागैतिहासिक संस्कृति जिसका काल ई. पू. 5000 से ई. पू. 4000 के मध्य माना जाता है।
अल-उबेद टीले का उत्खनन ई. 1919 में हाल तथा ई. 1923-24 में लियोनार्ड बूली ने कराया था। इस टीले से प्राप्त वस्तुओं की साम्यता दक्षिण मेसोपोतामिया के अनेक स्थलों में प्राप्त वस्तुओं से है, जिसके आधार पर यह अनुमान किया जाता है कि इस संस्कृति के जनकों का, संपूर्ण मेसोपोतामिया में आधिपत्य रहा होगा। इस संस्कृति की विशिष्टता आग में पके पीले अथवा हरापन लिए अलंकृत मृद्भांड हैं। ई. पू. पाँचवीं सहस्राब्दि के मध्य में इस संस्कृति ने उत्तरी मेसोपोतामिया में हलफ संस्कृति को पराभूत कर वहाँ अपना आधिपत्य स्थापित किया। काले और भूरे रंग से ज्यामितिक आकृतियाँ इन पर चित्रित की गई हैं। उबेद जन द्वारा बनाए गए अनेक प्रकार के उपकरण, ताम्र मूर्तियाँ तथा मंदिर आदि मिले हैं। इस संस्कृति की मुख्य विशेषता विशाल ग्राम सन्निवेश तथा मेसोपोतामिया के क्षेत्र में प्रथम मंदिर वास्तु के अवशेष हैं।
  • Umbrella stone -- छत्रपाषाण, कुडई कल्लू
छतरीनुमा महापाषाण स्मारकों का एक प्रकार, जिसे मलयालय में कल्लू या कुडकल्लू कहा जाता है। ये कब्र के ऊपर रखे हुए छतरीनुमा प्रस्तर खंड होते हैं। इस महापाषाण-स्मारक में टोपीकल्लू की तरह का उदग्र अनुवृत्त आधार नहीं होता। यह एकाश्म स्मारक गुंबदाकार होता है। शीर्ष-प्रस्तर सीधे भूमि पर टिका रहता है।
  • uncial -- बृहदक्षर लिपि
चौथी से आठवीं शताब्दी ई. तक प्रचलित रही, बड़े-बड़े अक्षरोंवाली लिखावट जो यूनानी तथा लैटिन पांडुलिपियों में प्रयुक्त हुई। इस लेखन-प्रणाली में कुछ अक्षर गोल तथा वक्राकार होते हैं।
  • undecipherable inscription -- अपाठ्य उत्कीर्ण लेख, अनुद्वाच्य उत्कीर्ण लेख
वे शिलालेख या अभिलेख, जिनका वाचन न किया जा सका हो, सैन्धव लिपि श्रेणी के हैं, जिन्हें वर्षों के अथक परिश्रम के बावजूद अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
  • under coat -- निचली परत
एक लेप के नीचे दूसरा लेप।
  • underwater archaeology -- अंत्तर्जलीय पुरातत्व
समुद्र, तालाब या नदी के जल के नीचे दबे, प्राचीन अवशेषों और वस्तुओं का पता लगाने तथा उनका वैज्ञानिक अध्ययन करने विषयक शास्त्र। इस शास्त्र का विकास द्वितीय विश्वयुद्ध में पनडुब्बियों एवं अन्य समुद्रगर्भीय क्षेत्र में कार्य के लिए उपयोगी उपकरणों के आविष्कार के साथ हुआ। आधुनिक वैज्ञानिक माध्यमों से समुद्र की तलहटी में, सर्वेक्षण एवं खोज कार्य किए जा रहे हैं और नई-नई तकनीकों का प्रयोग हो रहा है। भूमध्यसागर में, श्रेण्यकालीन पोतध्वंसावशेषों से पुराने जल मार्गों, पोतों आदि के बारे में महत्वपूर्ण सूचना सामग्री मिली है। तुर्की के गेलीडोन्या अन्तरीप (cape Gelidonya) से प्रागैतिहासकालीन एक माइसीनी जहाज के महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। स्विट्जरंलैंड के नवपाषाणकालीन गाँवों, फ्लोरिंग से 'पैलियो-इन्डियन' (Paleo Indian) शवाधान तथा भारत में द्वारिका के अवशेष इसी विधा द्वारा प्रकाश में आए हैं।
  • underworld deity -- पाताल देव
देवकथाओं अथवा पुराणों में वर्णित वे देवी-देवता, जिनका निवासस्थान भूमि के नीचे पाताल लोक में माना जाता है। पृथ्वी के नीचे सात लोक बताए गए हैं, जिनमें पाताल-लोक सबसे नीचे का लोक माना जाता है और इसके निवासियों को पाताल देव कहा जाता है।
  • Unetice culture -- यूनेटिस संस्कृति
मध्य यूरोप की एक प्रारंभिक कांस्यकालीन संस्कृति। चेकोस्लोवाकिया के बोहेमिया क्षेत्र में प्राग के निकट स्थित यूनेटिस नामक प्ररूप स्थल के आधार पर इस संस्कृति का नामकरण हुआ है। यूनेटिस सभ्यता मूलतः बोहेमिया और मोराविया के निकटवर्ती क्षेत्रों में विकसित हुई। इस सभ्यता के लोगों ने पहले तांबे और बाद में कांस्य धातु का प्रयोग किया। इस संस्कृति का प्रसार हंगेरी, उत्तरी आस्ट्रिया से लेकर बवेरिया और स्विट्जरलैंड तक हो गया। इस संस्कृति के धातु उपकरण हँसली, केश-चिमटी, विभिन्न प्रकार की पिनें, कोरदार कुठार तथा फरसा आदि हैं।
यूनेटिस संस्कृति को तीन कालों में विभक्त किया जाता है। प्रारंभिक काल (लगभग ई. पू. 1900-ई. पू. 1800), श्रेण्य (क्लासिकी) काल (लगभग ई. पू. 1800-ई. पू. 1600), तथा उत्तर काल (लगभग ई. पू. 1600-ई. पू. 1500)।
  • uni-lateral flat base -- एक पार्श्विक समतल उपकरण
निम्न पूर्व पाषाणकालीन गुटिकाश्म पर निर्मित समतल उपकरणों का एक प्रकार। लंबान के समानांतर दिशा में टूटे हुए अंडाकार गुटिकाश्म के एक पार्श्व से अनियंत्रित फलकीकरण प्रविधि द्वारा एक पार्श्विक उपकरणों का निर्माण किया जाता था।
  • unicorn -- एकशृंगी
(क) एक सींग वाला।
(ख) एक काल्पनिक पशु जिसका सिर और शरीर घोड़े जैसा, पिछले पैर महामृग की तरह, पूँछ शेर जैसी तथा सिर के मध्य में एक सीधा सींग होता था।
भारत में सिंधु घाटी की मोहरों पर इस प्रकार के काल्पनिक पशुओं का मनोरम चित्रांकन किया गया है। वैदिक साहित्य में भी इस प्रकार के कल्पित पशु का उल्लेख मिलता है।
  • uniface tool -- एकमुखी उपकरण
वह उपकरण, जिसके कार्यांग केवल एक पक्ष से फलक निकालकर निर्मित किए गए हों।
  • unifaced -- एकमुखी
(क) वह वस्तु, जिसके केवल एक ओर अभिकल्प बना हुआ हो, जैसे एक ही पृष्ठ पर बने अभिकल्प वाले सिक्के।
(ख) एकमुखी पाषाण-उपकरण; एकल फलकित वह पाषाण उपकरण, जिसे एक ओर से तराश कर बनाया गया हो। दूसरी ओर अनगढ़ होने के कारण इसे एकल फलकित कहते हैं।
(ग) एकपृष्ठीय; एक ही पृष्ठवाला।
  • Upper palaeolithic age -- उत्तर पुरापाषाण काल
पुरापाषाणकाल का अंतिम चरण, जिसमें प्राज्ञ मानव, फलक और तक्षणी उद्योग के साथ-साथ यूरोप में गुहा-कला का प्रादुर्भाव हुआ। कुछ देशों में यह अनुमानतः ई. पू. 38000 से प्रारंभ हुई मानी जाती है।
  • upper register -- उपरि चित्र-पट्टिक, उपरि शिला-पट्ट
किसी शिला-पट्ट या चित्र-फलक का ऊपरी भाग। प्राचीन भारतीय चित्रकला में, विभिन्न लोकप्रिय कथाओं को आलेखित करने के लिए पूरी सतह को अनेक पट्टियों में विभाजित कर दिया जाता है। कथाओं और उपकथाओं को विषय-क्रमानुसार विभिन्न पट्टियों में उत्कीर्ण कर दिया जाता है। इस प्रकार का आलेखन भरहुत, साँची, मथुरा, अजंता आदि में मिला है।
  • upturned rim -- उद्वर्ती (अंवठ)
बर्तन का ऊपर की ओर मुड़ा हुआ किनारा। इसे संस्कृत में 'ओष्ठ' कहा गया है।
  • urban civilization -- नगरीय सभ्यता
नगर के निवासियों की सभ्यता।
ग्राम की अपेक्षा अधिक संख्या (30,000 से ऊपर) वाली जनसंख्या के निवास का होना, नगर कहा जाता है। इसमें आवास गृहों के अतिरिक्त बाज़ार, देवालय, मनोरंजन स्थल, प्रशासनिक भवन आदि बने होते हैं। पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त नगरों के अवशेषों से तत्कालीन सभ्यता का ज्ञान होता है। विश्व के अनेक भागों में, भूतल में दबे नगरों से प्राचीनकालीन नगर-सभ्यताओं का पता चला है।
  • urn -- कलश
मिट्टी का बना काफी गहराई वाला बड़ा पात्र, जिसका प्रयोग, आद्यैतिहासिक काल से होता आ रहा है। हत्थाविहीन इन पात्रों का मुख भाग चौड़ा और नीचे का भाग गमले के अनुरूप कम चौड़ा होता था। सामान्यतः इसका प्रयोग प्राचीनकाल में मृतकों के भस्मावशेषों को रखने के लिए किया जाता था। विश्व के अनेक देशों में हुई खुदाइयों में भस्म-कलश मिले हैं, जो विभिन्न आकार-प्रकारों के हैं। यूरोपीय परवर्ती कांस्यकालीन भस्मकलश क्षेत्र संस्कृतियाँ (urnfield cultures) वहाँ के तत्कालीन शवाधान संस्कारो का ज्ञान कराती हैं।
  • urn burial -- कलश-शवाधान
शवों को गाड़ने की प्राचीन रीति, जिसके अंतर्गत मृत व्यक्ति या उसके देहावशेषों को, मिट्टी, पत्थर या धातु के कलशों में रखकर भूमि के अंदर गाड़ दिया जाता था। इस प्रकार के भूमस्थि शवाधानों के अवशेष प्राचीन जगत के विभिन्न उत्खनित क्षेत्रों से प्राप्त हुए हैं।
देखिए : 'urn'.
  • urn people -- भस्म कलश जन
इंग्लैंड की कांस्ययुगीन संस्कृति के वे लोग, जो अपने मृतकों के शरीर एवं उनके भस्मावशेषों को, विशाल कलशों में रखकर भूमि के नीचे दबाते या गाड़ देते थे। थोमस ब्राउन (ई. 1605-ई. 1682) ने, इस प्रकार के कलशों की खोज कर उनका विवरण अपने ग्रंथ में प्रस्तुत किया था।
शवों या भस्मावशेषों को कलशों में रखकर गाड़ने की प्रथा आद्यैतिहासिक युग से अनेक देशों में प्रचलित रही है।
  • urnfield cultures -- कलश-क्षेत्र संस्कृतियाँ
वह प्राचीन संस्कृतियाँ जिसका ज्ञान कब्रिस्तान जहाँ पर मिट्टी के बर्तनों में मृत व्यक्ति या उसके भस्मावशेषों को भूमि में गाड़ दिया जाता था, से होता है। यूरोपीय कांस्ययुगीन संस्कृतियों में, मुर्दों को गाड़ने की इस प्रकार की प्रथा का काफी प्रचलन था। इस प्रथा का प्रचलन ई. पू. द्वितीय सहस्राब्दि में हंगेरी की विसापोस्ताग संस्कृति तथा रोमानिया की सिरना संस्कृति में मिला है। उत्तरी इटली में मिले कलश-क्षेत्र, टेरामारा लोगों द्वारा इसी काल में बनाए गए थे। इन संस्कृतियों का काल सामान्यतः ई. पू. 1300-ई. पू. 800 के मध्य माना जाता है। इस काल का कांस्य-उद्योग अत्यधिक विकसित था।
देखिए : 'urn'.
  • Uruk culture -- उरुक संस्कृति
ईराक में फरात नदी की एक प्राचीन शाखा के किनारे स्थित प्रमुख सुमेरीय नगर-राज्य उरुक की संस्कृति। यह स्थान बगदाद से 250 कि.मी. दक्षिण तथा वर्तमान उरु से 56 कि.मी. दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित है। जर्मन पुराविदों ने इसका उत्खनन ई. 1912 में प्रारंभ किया। ई. 1931 तक हुए उत्खननों के फलस्वरूप सुमेरु संस्कृति के तीन सांस्कृतिक कालों का पता चला जिसे क्रमशः उबैद, उरुक और जेमदेत नस्त्र काल कहा जाता है।
उरुक मेसोपोतामिया ही नहीं वरन् विश्व का प्रथम नगर कहा जा सकता है क्योंकि यहीं से सर्वप्रथम विशाल एवं भव्य भवनों के सन्निवेश तथा लेखन कला के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं। प्रारंभिक राज्यवंश काल में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस विशाल नगर के चतुर्दिक लगभग 9.5 कि.मी. लंबी सुरक्षा दीवार निर्मित थी, जिसमें 50,000 लोगों के घर बन सकते थे। उरुक से प्राप्त प्रमुख अवशेषों में प्रणय की देवी इनन्ना का 'श्वेत मंदिर', उत्कीर्णित प्रथम मृत पट्टिकाएँ जिन पर प्रारंभ में चित्राक्षर लिपि और बाद में कीलाक्षर लिपि के लेख मिलते हैं, जिगुरात तथा प्रथम चाक निर्मित मृद्भांड हैं। ई. पू.चतुर्थ सहस्राब्दी में प्रारंभ यह संस्कृति ई. पू. तृतीय सहस्राब्दी तक सुमेरीय सभ्यता का राजनीतिक शक्ति तथा धार्मिक क्रिया-कलापों का प्रमुख केन्द्र रही। इस संस्कृति का ह्रास ई. पू. तृतीय सहस्राब्दी के उत्तरार्ध में प्रारंभ हुआ। मेसोपोतामियायी महाकाव्य के नायक गिल्गामेश का उरुक घर था।
इस नगर की पहचान आधुनिक 'वर्का' से की जाती है जिसे बाइबिल में 'एरेक' कहा गया है।
  • ushabti -- उशेबती
प्राचीन मिस्र की मृतक की समाधि में रखी जानेवाली ममी की आकृति की लघु मूर्तियाँ । इस प्रकार की मूर्तियों में, बहुधा 'प्रेत-पुस्तक' (Book of the Dead) के अंश उत्कीर्ण किए जाते थे। ये मूर्तियाँ लकड़ी तथा पत्थर की बनी और प्रायः 101 मि.मि. से 228.6 मि.मि. तक लंबी होती थी। मिस्री तुंबों में, इस प्रकार की मूर्तियाँ बहुत बड़ी संख्या में मिली हैं। यह धारण उन दिनों प्रचलित थी कि समाधिस्थ की गई मूर्तियाँ मृत व्यक्ति के अनुचर के रूप में सेवा करेंगी।
मिस्र के 'नव-राजवंश' काल की बनी, बहुत सुंदर उशेबती मूर्तियाँ मिली हैं, जिनमें मृत व्यक्ति का नाम भी अंकित होता था।
  • vandalism -- कला-विध्वंस
किसी देश या स्थान के ऐतिहासिक स्मारकों और वहाँ की कलात्मक वस्तुओं के विनाश, जलाने, तोड़ने या नष्ट करने का कार्य।
  • vaporarium -- वाष्प-स्नानागार
प्राचीन रोम के स्नानगृहों का वह भाग, जहाँ पर नहाने के लिए गर्म पानी की व्यवस्था होती थी।
  • varve chronology -- अनुवर्षस्तरी तैथिकी
पुरातात्विक काल-निर्धारण की प्रविधि विशेष, जिसके प्रवर्तक जेरार्ड द गीर थे। इन्होंने ही सर्वप्रथम ई. 1910 में इस विधि द्वारा स्कैंडिनेविया के निक्षेपों की ई. पू. 10,000 वर्षों तक की निरपेक्ष तिथियाँ प्रकाशित की थीं।
अनुवर्षस्तरी, हिमचादरों अथवा हिमनदियों के किनारे, जलाशयों के किनारे अथवा जलाशयों में जमा होने वाले अवसादों के स्तरों को कहा जाता है। यह जमाव प्रतिवर्ष होता है। जाड़े में जब ठंड पड़ती है तब बर्फ के कम पिघलने के कारण नदी का प्रवाह धीमा हो जाता है। इसके फलस्वरूप नदी के निक्षेपण की मात्रा कम हो जाती है। इसके विपरित गर्मी में, वर्फ के पिघलने के कारण, जल की मात्रा बढ़ जाती है और नदी अधिक सामग्री निक्षेपित करती है। इस तरह नदी द्वारा प्रतिवर्ष निक्षेपित अवसाद के विभिन्न स्तरों की गणना कर तिथि निर्धारित की जा सकती है।
अनुवर्षस्तरों की गणना एक दुरूह कार्य है, क्योंकि ये सब स्तरों में एक जैसे नहीं होते। यही नहीं, प्राप्त सामग्री के मूल स्थान का पता लगाना भी दुरूह कार्य है। पुरातात्विक काल-निर्धारण में, इस प्रविधि का महत्व सीमित है।
  • vegetation shadow -- वनस्पति-छाया
भूगर्भ में दबे पुरातात्विक स्थलों का पता लगाने की एक प्रविधि। किसी टीले या उस स्थान पर, जिसके नीचे कोई इमारत आदि दबी हो, वनस्पति की उपज और बढ़ोतरी बहुत कम होती है। विशेषकर यदि कोई फसल आदि क्षेत्र में लगी हो तो उसकी बाढ़ ही नहीं मारी जाएगी, बल्कि वह बहुत जल्दी पीली पड़ जाएगी। जहाँ पर भूमि के नीचे की सतह ठोस नहीं होगी, वहाँ वनस्पति का विकास सामान्य रूप में होगा। इस प्रविधि के प्रणेता ओ. जी. एस. क्रेफोर्ड और मेजर एलेन हैं। इसका सर्वप्रथम प्रयोग सन् 1906 ई. में हुआ।
देखिए : 'crop marks'.
  • ventral surface -- अधःस्तल
किसी वस्तु के ऊपरी तल के विपरीत नीचे की सतह।
  • Venus -- बोनस
प्राचीन इटली और रोम की सौंदर्य, उपवन एवं सरोवर की अधिष्ठात्री देवी। यूनानी देवी एफ्रोदिती से इसकी बहुत अधिक साम्यता थी। ई. पू. 217 में, बीनस का एक विशाल मंदिर रोम में स्थापित किया गया था। वीनस की विशाल मूर्ति लूब्र संग्रहालय में प्रदर्शन हेतु रखी है।
  • Venus figurine -- वीनस की लघुमूर्ति
परवर्ती पूर्व पाषाणकालीन यूरोप की मिट्टी, पत्थर अथवा हाथीदाँत आदि की बनी नग्न एवं मोटी औरतों की छोटी मूर्तियाँ। इन मूर्तियों में पेट, स्तन एवं नितम्ब वृहदाकार, पैर व हाथ प्रतीक रूप में तथा सिर की आकृति मात्र निर्मित है। इस तरह की मूर्तियाँ फ्रांस से लेकर रूस तक विस्तृत क्षेत्र में आज से 30,000 वर्ष पहले से लेकर 15,000 वर्ष पूर्व तक निर्मित होती रहीं। पूर्वी ग्रेवेती संस्कृति की यह प्रमुख विशिष्टता है।
  • vermilion -- सिंदूर
प्राचीन काल में हिंगल नामक खनिज को पीस कर बनाया गया चमकीला लाल रंग का चूर्ण जिसे सरलता से जल में घोला जा सकता है।
प्राचीन काल से सिंदूरी रंग का प्रयोग चित्रकार आदि करते आ रहे हैं।
अनादि काल से, सिंदूर का प्रयोग सौभाग्यवती हिंदू स्त्रियाँ माँग में भर कर करती रही हैं। सौभाग्यवती स्त्रियों को, चित्रांकन में, उनकी माँग को लाल रंग से अंकित किया जाता है।
  • vertical excavation -- लंबमान उत्खनन, उदग्र उत्खनन
किसी स्थल की सभ्यता या संस्कृतियों के सम्पूर्ण अनुक्रम के ज्ञान के लिए की गई खड़ी खुदाई।
जब किसी पुरातात्विक स्थल में प्राप्त सभ्यताओं का क्रम मात्र जानना होता है, तब एक ऐसा गड्ढा खोदा जाता है, जो टीले के सबसे ऊँचे स्थान पर स्थित होता है। इसका आकार सामान्यतया 20 या 30 मीटर लंबा और 5 या 10 मीटर चौड़ा होता है। गड्ढे का मुख उत्तर से दक्षिण या पूर्व से पश्चिम की ओर होता है। लकड़ी की खूँटियाँ एक-एक मीटर की दूरी पर लगा दी जाती है। खूँटी में 1, 2, 3, 4, संख्याओं का क्रमशः अंकन होता है और दूसरी ओर 1', 2', 3', 4', इत्यादि लिखा जाता है। (') चिह्न लगाने से माप करने में सुविधा होती है। इस प्रविधि से खड़ी और सीधी खुदाई की जाती है तथा परतों का अनावरण क्रमानुसार हो पाता है। प्राप्त मकानों, दीवारों इत्यादि के चित्र ले लिए जाते हैं। इससे उस स्थल की संपूर्ण संस्कृतियों का आदि से अंत तक क्रमिक ज्ञान हो पाता है।
  • vestibule -- अर्धमंडप, अंतराली
(क) रोम के प्राचीन मंदिर या भवन में प्रवेश करने का भाग।
(ख) अब यह शब्द किसी भवन के अंतःभाग और बाहरी द्वार के बीच स्थित प्रवेश-मार्ग के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
  • vestige -- अवशेष
वह, जो उपयोग, उपभाग, विनाश, शरण या भ्रंश आदि के उपरांत बना रह गया हो, जैसे प्राचीन भवनों, स्मारकों या सभ्यता के अवशेष। पुरातात्विक उत्खननों में भी इस तरह के अवशेष मिलते हैं।
  • vignette -- 1.द्राक्षावल्लरी अलंकरण
अंगूर के गुच्छे, पल्लव और लता युक्त अलंकरण।
2. लघु-चित्र
किसी पांडुलिपि या पुस्तक में अलंकरणार्थ लता-वल्लरी से युक्त लघु-चित्र। इस प्रकार के चित्र पांडुलिपि के आरंभ तथा अंत अथवा प्रत्येक अध्याय के आरंभ तथा अंत में अलंकरणार्थ बने होते थे।
  • visorium -- दर्शक-वीथी
प्राचीन रोम और यूनान में, रंगभूमि का वह भाग, जहाँ पर दर्शकों के बैठने की व्यवस्था रहती ती।
रंग-मंडप का दर्शक कक्ष।
  • vital sanctorium -- पवित्र स्थल
किसी मंदिर या भवन का वह भाग, जहाँ पर देवमूर्ति स्थापित हो; देवस्थान।
देखिए : ' sanctum sanctorum'.
  • vitreous slip -- काँच लेप, चमकदार लेप
मिट्टी के बर्तनों के ऊपर प्राप्त चमकदार और चिकना लेप। अनपके बर्तनों पर सिलिकायुक्त गाढ़े व मृत्तिका लेप को लगाकर उसे सूखने दिया जाता है। सूखने के बाद उसे पकाया जाता है। पकने के बाद बर्तन की लेपयुक्त सतह काफी चिकनी और काँच जैसी चमकदार हो जाती है।
  • Vitruvian -- विट्रूवी
रोम के आगस्टसकालीन प्रसिद्ध वास्तुकार मार्क्स विट्रूवियस पोलियो (ई. पू. प्रथम शताब्दी) की शैली में निर्मित या प्रभावित वास्तु-संरचना।
  • Vitruvian scroll -- कुंडलित, पत्रालंकरण
किसी संरचना की सजावट के लिए फूल और पत्तियों की बेलदार सजावट, जो लच्छेदार एवं लहरदार भी होती हैं। प्राचीन वास्तुकला में, इस प्रकार के अलंकरण भवनों और दीवारों में बहुत अधिक पाए गए हैं।
  • vomitorium -- रंगशाला गलियारा
प्राचीन रोम की रंगशाला का वह मार्ग जिससे होकर रंगशाला में प्रवेश अथवा बाहर निकला जाता था। रंगशाला में आसन-पंक्तियों के मध्य में गलियारे बने होते थे।
  • waivelined pottery -- लहरियादार-मृद्भांड
वे मिट्टी के बर्तन, जिनमें अलंकरण के लिए तरंगाकार रेखाएँ बनाई जाती थी।
  • weathering -- अपक्षय, अपक्षयण
रासायनिक प्रक्रिया, जलवायु-परिवर्तन, धूप तथा समय के प्रभाव के परिणामस्वरूप हुआ क्षय या विघटन। विघटन की स्थिति से उस वस्तु अथवा वास्तु की प्राचीनता का अनुमान किया जा सकता है।
  • Wessex culture -- वेसेक्स संस्कृति
दक्षिणी इंग्लैंड के प्रारंभिक कांस्य युग की संस्कृति, जिसका ज्ञान उत्खनन के परिणामस्वरूप अनावृत हुए लगभग 100 शवाधानों से हुआ है। इस संस्कृति की दो प्रावस्थाएँ हैं, जिनका काल ई. पू. 1650 से ई. पू. 1400 तक माना जाता है। इस सभ्यता के लोग तांबे तथा कांसे के उपकरणों का प्रयोग करते थे। इन लोगों का निकटवर्ती अनेक देशों से व्यापारिक संबंध रहा होगा, क्योंकि शव-पेटिकाओं में दूसरे स्थानों की अनेक वस्तुएँ रखी मिली हैं। यूनान की माइसिनी तथा क्रीट की सभ्यताओं के साथ इनका संबंध ऐंबर की बनी प्राप्त वस्तुओं के आधार पर प्रमाणित होता है। इन समृद्ध शवाधानों में तांबे और कांसे के अतिरिक्त सोने और चाँदी की बनी वस्तुएँ ऐंबर, फायन्स, शैल तथा अस्थि निर्मित वस्तुएँ भी प्राप्त हुई हैं। इनमें प्राप्त विशिष्ट प्रकार के मृद्भांड इंग्लैंड की देशज विशिष्टता हैं।
  • wheel -- चक्र,पहिया
गोल आकार की ऐसी वस्तु, जो अपनी धुरी पर घूमती हो अथवा धूमने के लिए बनी हो, जैसे- मिट्टी के बर्तनों को बनाने के काम में प्रयुक्त चाक, किसी गाड़ी का पहिया या आटा पीसने की चक्की।
प्राचीन मानव के द्वारा आविष्कृत प्रमुख वस्तुओं में चाक भी एक था। कहा जाता है कि लगभग ई. पू. 3400 में, मेसोपोतामिया में, मिट्टी के बर्तन बनाने के चाक का अन्वेषण हो चुका था। उर के शाही ध्वज में चाक की आकृति अंकित की गई थी।
चाक प्रायः ठोस होते थे और एक ही लकड़ी के बने होते थे। मिस्र में इनका प्रयोग हिक्सास (लगभग ई. पू. 1640-ई. पू. 1570) लोगों ने किया था। पहिए के अन्वेषण के फलस्वरूप हल्के और कम भारवाले युद्ध-रथों का आविष्कार हुआ। यह माना जाता है कि चाक और पहिए का प्रयोग सिंधु नदी की घाटी में पल्लवित सभ्यता में हो चुका था। मिनोआई, चीन की अन्यांग अनेक सभ्यताओं में भी चाक एवं चक्र का प्रयोग मिलता है।
चक्र के आविष्कार के साथ ही मानव सभ्यता में एक क्रांतिकारी परिवर्तन दिखाई पड़ने लगता है। यातायात की गति में तीव्रता आने से व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ गई तथा विभिन्न संस्कृतियों का पारस्परिक संबंध भी बढ़ा। घूर्णन गतिक प्रविधि का उपयोग मानव समाज के लिए विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी सिद्ध हुआ, यथा- पात्रों का निर्माण अनाज पीसने की चक्की आदि।
  • willow leaf point -- विलो पत्राकार वेधनी
उत्तर-पूर्व पाषाणकालीन लंबा त्रिकोणाकार नोकदार उपकरण। यूरोप के विलो वृक्ष की पत्तियों से इसका आकार काफी मिलता है- इसीलिए इसका यह नामकरण हुआ।
यह वेधनी आकार तथा निर्माण प्रविधि की दृष्टि से भिन्न है। इस उपकरण का निर्माण फलक के एक सतह से शल्क लिकाल कर किया जाता है जबकि लारेल पत्राकार वेधनी में शल्क दोनों सतहों से निकाले जाते हैं। इस वेधनी की दूसरी सतह समतल होती है और उस पर किसी प्रकार का फलकीकरण नहीं किया जाता था। यह यूरोप की सोल्यूत्री संस्कृति का विशिष्ट उपकरण है।
  • X-ray fluorescence spectrometry (XRF) -- ऐक्स-किरण प्रतिदीप्ति स्पेक्ट्रममिति
रासायनिक विश्लेषण की एक प्रविधि।
जब किसी वस्तु को ऐक्स-किरण द्वारा किरणित किया जाता है तब उसकी अणुसंरचना में हुए परिवर्तनों के फलस्वरूप जो एक्स-किरण वापस लौटती है उनके स्पेक्ट्रम का विश्लेषण कर यह जाना जा सकता है कि उस वस्तु में कौन-कौन से तत्व किस मात्रा में विद्यमान हैं। छोटी से छोटी वस्तु के लघुतम क्षेत्र की जाँच के लिए ऐक्स-किरण मिलीप्रोब विधि का विकास किया गया है।
इस विधि द्वारा सीसा, रंग, मृद्भांड, धातु तथा सिक्कों की जाँच की जा सकती है। इसी विधि द्वारा यूरोप में प्राप्त विभिन्न क्षेत्रों के आब्सीडियन और उससे निर्मित वस्तुओं के मूल स्थान का पता लगाया जा सका।
  • Yamato culture -- यामाती संस्कृति
जापान के आधुनिक नारा जनपद के प्राचीन यामातो प्रांत की संस्कृति। जापान के आधुनिक राजवंश की उत्पत्ति इसी प्रान्त के आद्य ऐतिहासिक लोगों से मानी जाती है जो संभवतः अल्पाइन प्रजाति के थे।
  • Yayoi culture -- यायोई संस्कृति
लगभग ई. पू. 300 से ई. 300 तक की जापान की संस्कृति। इस संस्कृति के अवशेष सन् 1884 ई. में, सर्वप्रथम तोक्यो के यायोई नामक स्थान में प्राप्त हुए। इस संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं में सादे मृद्भांड, चावल, गेहूँ, जौ, दाल आदि की खेती, धातु निर्मित उपकरण (कांस्य एवं लौह), भू-गर्भित सन्निवेश तथा विभिन्न प्रकार के शवाधान सम्मिलित हैं।
इस संस्कृति को प्रागैतिहासिक कोरियाई और चीनी संस्कृतियों ने प्रभावित किया। यह संस्कृति जापान में जोमोन संस्कृति के उपरांत लगभग ई. पू. 300 में विकसित हुई। आद्य ऐतिहासिक संस्कृति के प्रारंभ (लगभग ई. 300) के साथ यह संस्कृति समाप्त हो गई।
  • zapotec -- झापोतेक
मेक्सिको के ओक्सका नदी की घाटी के प्राचीन निवासी। इनका प्रमुख केंद्र ओक्सका की घाटी में स्थित मोंट एल्बन नामक स्थान था। लगभग ई. 300 में, इस विशिष्ट संस्कृति के प्रमाण मिलने लगते हैं। लगभग ई. 1400 में, इनके बहुत बड़े क्षेत्र में मिक्सतेक लोगों ने अधिकार कर लिया। इनकी संस्कृति अत्यधिक उन्नत थी। इनकी भाषा मेक्सिको के प्रसिद्ध भाषायी परिवार में से एक है। ये लोग कर्मकांडीय संस्कृति के जनक थे। इन्होंने एक पंचांग का आविष्कार किया और लेखन की एक विशिष्ट शैली या प्रणाली भी प्रवर्तित की।
  • Zend-Avesta -- जेंद-अवेस्ता
प्राचीन ईरान के जरदुस्त धर्म से संबंधित पवित्र धर्म-ग्रंथ टीका जिसे आज भी पारसी धर्मानुयायी पवित्रतम ग्रंथ के रूप में मानते हैं।
  • Zephyr (zephyrus) -- जेफिरस
यूनानी देव-शास्त्र में पछुआ हवा का मानवीकृत रूप।
  • zeus -- देवपति, जीयस
यूनान का प्रसिद्ध सर्वोच्च ओल्मपियाई देवता। इसकी उपासना होमर काल से ही पूरे यूनान में प्रचलित थी। यूनानी अपनी उत्पत्ति इसी देवता से मानते हैं। इसका समीकरण रोम के जूपिटर तथा ऋग्वैदिक देवता द्योस के साथ किया जाता है। जीयस मुख्यतः आकाश का देवता कहा जाता है। प्रारंभ में ये प्रकृति के विभिन्न तत्वों, यथा वर्षा, वायु, गर्जन तथा बिजली के देवता के रूप में प्रतिष्ठित हुए। बाद में तो ये संपूर्ण मानव जाति तथा देवताओं के जनक के रूप में पूजित हुए।
इसकी अनेक मूर्तियाँ और चित्रित आकृतियाँ प्राचीन यूनान में मिली हैं।
  • Zhob culture -- झोब संस्कृति
उत्तरी बिलोचिस्तान की ताम्रपाषाणकालीन संस्कृति। इस संस्कृति के विशिष्ट मृद्भांडों में लाल लेप के ऊपर काले और लाल रंग में बने चित्र मिले हैं। भांडों पर क्षैतिजाकार पट्टियाँ भी बनी हैं। विशिष्ट अलंकरण अभिप्रायों में रीतिबद्ध ककुदमान वृषभ व हिरण हैं। साधार तश्तरियाँ एवं गहरे चषक इस संस्कृति की विशेषता हैं। प्राप्त अवशेषों के आधार पर कहा जा सकता है कि तत्कालीन भवन कच्ची ईटों से बने होते थे। इस संस्कृति की तिथि ई. पू. चौथी से तीसरी सहस्राब्दी मानी गई है। इस संस्कृति में तांबे का प्रयोग काफी कम मात्रा में मिलता है। झोब संस्कृति के प्रसिद्ध स्थलों में रानाघुंडई विशेष उल्लेखनीय है।
  • ziggurat -- जिगुरेट
मेसोपोतामिया की सभ्यता से संबंधित विशाल प्राचीन पिरामिडाकार मंदिर। यह आयताकार संरचना ऊपर की ओर क्रमशः छोटी और नीचे की ओर चौड़ी होती थी। ऊपर पहुँचने के लिए बाहर की ओर सीढ़ियाँ बनी होती थी। पूजा-स्थल इसके शीर्ष भाग में स्थित होता था। सर्वोत्कृष्ट जिगुरेट के अवशेष उर, बेबिलोन तथा एलाम में मिले हैं। एलाम का चोगा जंबिल जिगुरेट काफी अच्छी स्थिति में विद्यमान है।
  • Zinjanthropus (=Australopithecus boisei) -- जिंजैथ्रोपस (= आस्ट्रेलोपिथेकस बीजी)
ओल्डावाई के प्रथम सतह (Bed I) में प्राप्त आस्ट्रेलोपिथेकस वंश की एक जाति का प्राचीन नाम। इस मानव के जबड़े बड़े विशाल थे परन्तु इनकी लंबाई मात्र 1.20 मीटर तथा वजन 50 पौंड होता था। ठोड़ी विहीन इन मानवों के मस्तक ढालूदार, भौंह-आस्थियाँ उमड़ी हुई तथा मस्तिष्क छोटा होता था जिसकी करोटि धारिता वानर जाति की ही तरह लगभग 400-600cc होती थी। ओल्डवाई से प्राप्त प्रमाणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ये गुटिकाश्मों से सरल एवं साधारण उपकरण बनाना जानते थे। पोटेशियम आरगन विधि द्वारा ओल्डवाई गार्ज में प्राप्त जीवाश्म की तिथि लगभग दस लाख पचहत्तर हजार वर्ष पूर्व आँकी गई है। अन्य स्थलों से प्राप्त इस प्रकार के जीवाश्मों की तिथियाँ लगभग 21 लाख से 11 लाख वर्ष पूर्व बताई जाती हैं।
मानव सभ्यता के प्रारंभ के प्राप्त प्रामाणित साक्ष्य इन्हीं मानवों से संबंधित माने जाते हैं।
  • Zlota pottery -- ज्लोटा भांड
नवपाषाण-ताम्रयुगीन दक्षिणी पोलैंड के सेंडोमार्यज़ (Sandomierz) नामक स्थान में स्थित ज्लोटा नामक स्थल के मृद्भांड। उत्खनित शवाधानों में अनेक प्रकार के मिट्टी के बर्तन मिले हैं जिनमें रज्जु अलंकरण भी अंकित हैं। इन मृद्भांडों से यह पता चलता है कि बाडेन संस्कृति से इनका संपर्क होगा।

स्रोत[सम्पादन]