विक्षनरी:राजस्थानी-हिन्दी शब्दकोश
दिखावट
- अकीको –– मुस्लिम बच्चों के मुण्डन व नामाकरण
- अक्कड-बक्कड, कांजीदड़ो, दडीमार कोयड़ो –– राजस्थान के देशी खेल
- अखड, पड़त, पडेत्या –– जो खेत बिना जुता हुआ पड़ा रहता है।
- अगुण –– पूर्व
- अचरियो-बचरियो –– सूर्य पूजा के दिन प्रसूता हेतु बनाया गया विभिन सब्जियों का मिश्रण
- अजन्मो –– पुत्र जन्म पर गाया जाने वाला लोकगीत
- अडवा –– खेत में बिजुका
- अडाव –– जब लगातार काम में लेने से भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाने पर उसको खाली छोड़ दिया जाता है।
- अलसोट –– फसल के साथ उगने वाली घास
- अलूणा (मक्खन) –– गिलडी ( मक्खन रखने का पाप्त)
- आंक –– अक्षर
- आगड , रावो , बेवनी –– चूल्हे के आगे का भाग
- आंगी –– स्त्री की चोली
- आथूंण –– पश्चिम
- आथूणा –– पश्चिमी
- उनाळो –– गर्मी का मौसम
- उन्दरो –– चूहा
- उर्डो, ऊर्यो, ऊसरडो, छापर्यो –– ऐसा खेत जिसमे घास और अनाज दोनों में से कुछ भी पैदा न होता हो।
- उस्तरा –– रेजर/दाढ़ी करने का औजार
- ऊदेइ –– दीमक
- ओबरी –– अनाज व उपयोगी सामान को रखने के लिय बनाया गया मिट्टी का उपकरण (कोटला)
- ओबरो –– अनाज रखने का स्थान
- ओरणी –– खेत में बीज को डालने के लिए हल के साथ लगाई जाती है इसको “नायलो” भी कहते है।
- ओरा –– कोने का कमरा
- कब्जो –– ब्लाउज
- कलाल या मदजीवन –– शराब का कारोबारी
- कलेवो –– नाश्ता
- कसार –– धी मे सीके आटे में चीनी मिलाकर बनाया गया खाद्य पदार्थ
- कांचली –– स्त्री की कुर्ती
- कांजर –– बनजारा
- कांदों –– प्याज
- कांसन –– बर्तन
- किना उडाणा –– पतंग उड़ाना
- किलकीटारि –– गिलहरी
- कुटी –– बाजरे की फसल का चारा
- कुदाली, कुश –– मिट्टी को खोदने का यंत्र
- कुरियो घुचटियो –– कुत्ते का बच्चा
- कुलियो –– मिट्टी का छोटा वर्तन
- केलड़ो, पौणी, केरुड़ी –– मिट्टी का तवा
- कोटडी –– बौक्स रूम
- खटुलो –– छोटी चारपाई
- खाखला –– गेंहू या जौ का चारा
- खाट / मांचो –– बडी चारपाई
- खुसड़ा –– जूते चप्पल
- खूंटा –– पशुओं को बांधने के लिये जमीन में गाढ़ी गई लकड़ी
- खूंटी –– वस्तु/वस्त्र लटकाने का स्थान
- खेली –– पशुओं के पानी पीने के लिय बनाया गया छोड़ा कुंड
- खेळ –– पशुओ के पानी पिने का स्थान
- ख्वासजी –– नाई
- ख्वासजी –– नाई
- गंजी/बंडी –– बनियान
- गदड़ों –– सियार
- गँवार –– अनपढ
- गिट्ना –– खाना
- गीगलो –– बच्चा
- गीगलो/टाबर –– बच्चा
- गीडोलो –– केंचुआ , वर्षा ऋतु में पेदा होने वाला जीव
- गुणीया –– चाय / दूध / पानी रखने का छोटा बर्तन
- गुम्हारिया –– तलघर
- गुलेल –– पक्षी को मारने या उड़ाने के लिए दो शाखी लकड़ी पर रबड़ की पट्टी बांधी जाती जसमे में बीच में पत्थर रखकर फेंका जाता है.
- गूणी –– लाव की खींचने हेतु बैलो के चलने का ढालनुमा स्थान
- गूणीया –– चाय/दूध/पानी रखने का छोटा बर्तन
- गूदड़ा –– छोटा बेड/गद्दा
- गेलड –– दुसरे विवाह में स्त्री के साथ जाने वाला बच्चा
- गेलड़ –– दूसरे विवाह में स्त्री के साथ जाने वाला बच्चा
- गोफन –– पत्थर फेकने का चमड़े और डोरियों से बना यंत्र
- घडूची –– पानी का मटका रखने की वस्तु
- घनेड़ो-घनेड़ी –– भानजा-भनजी
- घुचरियो –– कुत्ते का बच्चा
- चकडोल –– गाजे बाजे के साथ शव ले जाने कि क्रिया
- चडस –– यह लोहे के पिंजरे पर खाल को मडकर बनाया जाता है जो कुओं से पानी निकालने के काम आता है
- चरणोत –– पशुओं के चरने की भूमि
- चांक –– खलियान में अन्न राशी के ऊपर चिन्ह लगाना
- चावर, पाटा, पटेला, हमाडो, पटवास –– जोते गए खेतों को चौरस करने का लकड़ी का बना चौड़ा तख्ता
- चू, चऊ –– हल के निचे लगा शंक्वाकार लोहे का यंत्र
- चूंण –– आटा
- चोबारा –– ऊपर का कमरा
- चौमासो –– बारिश का मौसम
- छछयों –– जीरे की फसल का रोग
- छणेरी –– उपले रखने का स्थान
- छाजलो –– अनाज को साफ करने का उपकरण
- छाणों –– सुखा हुआ गोबर जो जलाने के काम आता है
- छोरा-छोरी –– लड़का-लड़की
- जापो –– बच्चा पैदा होना
- जावण –– दही जमाने के लिए छाछ या खटाई की अन्य सामग्री
- जावणी –– दूध गर्म करने और दही जमाने की मटकी
- जिनावर –– जीव-जन्तु
- जैली –– लकड़ी का सींगदार उपकरण
- झबलो / झूबलो –– नवजात बच्चे का वस्त्र
- झरोखो –– खिड़की
- झालरों –– गले में पहने की माला
- झुतरा –– बाल
- झेरना –– छाछ बिलोने के लिए लकड़ी का उपकरण इसको “रई” भी कहते है
- झोंपड़ी –– घास-फूस से तैयार किया गया मकान
- टांड –– सामान रखने के लिए पत्थर की सिला दिवार पर लगाना
- टोलडो –– ऊँट का बच्चा
- ठाटो –– कागज गलाकर बनाया गया अनाज रखने का पात्र
- ठाण –– पशुओं को चारा डालने का उपकरण जो लकड़ी या पत्थर से बनाया जाता है
- ठिकाणा –– पता
- ठुंगा –– लिफाफा
- डांगरा –– पशु
- ढींकळी –– कुएँ के ऊपर लगाया गया यंत्र जो लकड़ी का बना होता है.
- ढूँगरा, ढूँगरी –– जब फसल पक जाने के बाद काट ली जाती उसको एक जगह ढेर कर दिया जाता है
- ढोर –– भेड़बकरी
- तखडीयों/ ताकड़ी –– तराजू
- तंग मोरखा, गोरबंध, पिलाणत्र –– ऊँट का सजावट का समान
- तंगड-पट्टियाँ –– ऊंट को हल जोतते समय कसने की साज
- तड़काउ –– भोर
- तागड़ी –– स्त्रिओ के कमर पर पहने का आभूषण
- तांती –– जो व्यक्ति बीमार हो जाता है उसके सूत या मोली का धागा बाँधा जाता है यह देवता की जोत के ऊपर घुमाकर बांधा जाता है
- तिस (लगना) –– प्यास (लगना)
- तीपड –– मकान की तीसरी मंजिल
- थरपनो –– स्थापित करना
- थली –– घर के दरवाजे का स्थान
- दंताली –– खेत की जमीन को साफ करना तथा क्यारी या धोरा बनाने के लिए काम में ली जाती है
- दावणा –– पशु को चरते समय छोड़ने के लिए पैरों में बांधी जाने वाली रस्सी
- दिसा जाना –– पायखाना जाना
- धणी-लुगाई –– पति-पत्नी
- धावाडिया –– काफिले को लुटने वाला
- धुण –– 20 kg
- धोवण –– मृतक की राख को पानी में डालकर रिश्तेदारों को दिया जाने वाला भोज
- नाँगला –– नेडी और झेरने में डालने की रस्सी
- नाडी–तलाई –– पानी के बड़े गड्डो को तलाई आय नाडी कहा जाता है
- नातणौ –– पानी, दूध, छाछ को छानने के काम आने वाला वस्त्र
- नीरनी –– मोट और मूँग का चारा
- नीरो –– पशुओ का चारा
- नेडी –– छाछ बिलौने के लिए लगाया गया खूंटा या लकड़ी का स्तम्भ
- नेतरा, नेता –– झरने को घुमाने की रस्सी
- पतड़ो –– पंचांग
- पथरना –– विछोना
- परखी –– बोरे से गेहूँ का नमूना निकालने का पात्र
- पराणी, पुराणी –– बैलो या भैसों को हाकने की लकड़ी
- परिंडा –– पानी रखने की जगह
- पसेरी/धडी –– 5 kg
- पाकट –– बूढ़ा ऊँट
- पाणत –– फसल को पानी देने की प्रक्रिया
- पालर पाणी –– पीने का बारिश का पानी
- पावड़ा –– खुदाई के लिए बनाया गया उपकरण
- पावणा –– जवाई
- पिडो –– बैठने की रस्सी/ऊन की चौकी
- पुरियो –– जानवरों के भोजन का स्थान
- पूँगा/मुशल –– बेवकूफ़
- पूरियों –– जानवरों के भोजन का स्थान
- बजेडा –– पान का खेत
- बटेऊ –– मेहमान
- बरिंडा –– बरामदा
- बाखल –– लान
- बाजोट –– लकड़ी की बड़ी चौकी
- बाँझड –– अनुपजाऊ भूमि
- बांदरवाल –– मांगलिक कार्यों पे घर के दरवाजे पर पत्तों से बनी लम्बी झालर
- बावणी –– खेत में बीज बोने को कहा जाता है
- बावनी –– लम्बाई में छोटी महिला
- बावनो –– लम्बाई में छोटा पुरुष
- बिजुका, आदव्वो, बिड़कना –– खेत में पशु-पक्षियों से फसल की रक्षा करने के लिए मानव जैसी बनाई गयी आकृति
- बिलौवनी –– दही को बिलौने के लिए मिट्टी का मटका
- बीड –– जिस भूमि का कोई उपयोग में नहीं लिया जाता है जिसमें सिर्फ घास उगती हो
- बींद –– पती/दुल्हा
- बींदणी –– बहू/दुल्हन
- बेगा बेगा –– जल्दी जल्दी
- बेड़ियो –– मसाला रखने का बॉक्स
- बेवणी –– चूल्हे के सामने राख (बानी) के लिए बनाया गया चौकोर स्थान
- बेसवार –– मसाला
- बोहरगत –– व्याज पर रूपया उधार देने का धन्धा
- ब्यालू –– सूर्यास्त के पूर्व का भोजन
- भरतार –– पति
- भंवर –– बड़ा लड़का
- भवरी –– बड़ी लड़की
- भावज –– भाभी
- भिल्लड –– घोड़ा मक्खी
- भूड़ोजी –– फूफाजी
- मचान/ डागला –– झोंपड़ीनुमा
- मटकी –– मिट्टी का घड़ा
- मण –– 40 kg
- मांडि –– कलब (वस्त्रो में दी जाने वाली)
- मांढणो –– लिखना
- मायरो –– भात
- मारोठ –– विवाह के अवसर पर दुल्हे-दुल्हन के मुख पर चित्रकारी
- मालिया –– छत पर कमरा
- मिति –– तिथि
- मुकलाओ –– गोणा/ बालविवाह उपरांत पहली बार पीहर से पत्नी को घर लाना
- मुदो –– तिलक (विवाह में वर का)
- मुहमाखी /मदमाखी –– मधुमक्खी
- मूण –– मिट्टी का बड़ा घड़ा
- मेर –– खेत में हँके हुए भाग के चरों तरफ छोड़ी गयी भूमि
- मेल –– विवाहिक प्रीतिभोज
- मोडो –– साधू
- रमणने –– खेलने
- रमणा –– खेलना
- रहँट –– सिंचाई के लिए कुओं से पानी निकालने का यंत्र
- राखुन्ड़ो –– बर्तन साफ करने का स्थान
- रेलनी –– गर्मी या ताप को कम करने के लिए खेत में पानी फेरना
- लाडलो –– प्रिये
- लाडी –– सोतन
- लाडो –– बेटी
- लालजी –– देवर
- लाव –– कुएँ में जाने तथा कुएँ से पानी को बाहर निकालने के लिए डोरी को लाव कहा जाता है
- लावणी –– किसान द्वारा फसल को काटने के लिए प्रयुक्त किया गया शब्द
- लावणों –– मांगलिक कार्य पर बांटी जाने वाली मिठाई
- लूकटी –– लोमड़ी
- लूण –– नमक
- लूण्यो –– मक्खन. इसको “घीलडी” नामक उपकरण में रखा जाता है
- वाकल पाणी –– पीने का नल का पानी
- वीरा –– भाई
- शाल –– सामने का बड़ा कमरा
- सड़ो, हडो, बाड़ –– पशुओं के खेतों में घुसने से रोकने के लिए खेत चारो तरफ बनाई गयी मेड
- सांकली –– सरकंडा
- साकी –– शराब / हुका पिलाने वाला व्यक्ति
- सानटो / आंटा सांटा –– एक वैवाहिक प्रथा
- सिकली –– धारधार हथियारों को धार देना
- सियाळो –– सर्दी का मौसम
- सींकळौ –– दही को मथने की मथनी के साथ लगा लोहे का कुंदा
- सीरख –– रजाई
- सीरावन –– कृषको का सुषह का भोज
- सुतली –– रस्सी
- सूड –– खेत जोतने से पहले खेत के झाड-झंखाड को साफ करना
- सेर –– 1kg
- सेवंज –– वह जमीन जिसमें बिना सिंचाई वर्षा से फसल होती है |
- सोभाऊ –– वह स्त्री या कन्या जिसे विवाहित कन्या के साथ प्रथम बार ससुराल जाते समय साथ भेजा जाता है।
- सोम –– पितृ पक्ष वालों का पुत्री के ससुराल में पैसे देकर भोजन करना
- स्यापल, करणी, गुणीया –– भवन निर्माण करने वाले कारीगर के ओजार
- हटडी –– मिर्च मसाले रखने का यंत्र
- हथलेवों की रस्म –– एक लोकगीत/ पाणिग्रहण संस्कार / विवाह में वधू का हाथ वर के हाथ में देने
- हरजस/हरजा –– भजन
- हेड़ाऊ –– घोड़ों का व्यापारी
- होद –– पानी रखने की भुमि गत टंकी
स्रोत
[सम्पादन]अन्य ऑनलाइन उपलब्ध राजस्थानी कोश
[सम्पादन]- राजस्थानी-हिन्दी शब्दकोश, भाग-२
- राजस्थानी शबदकोश (पद्मश्री डॉ० सीताराम लालस द्वारा संपादित)