विक्षनरी:हिन्दी लघु परिभाषा कोश/आ से औ तक

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विक्षनरी:हिन्दी लघु परिभाषा कोश पर लौटें

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- (पुं.) - देवनागरी वर्णमाला का दूसरा (स्वर) वर्ण और ‘अ’ का दीर्घ रूप।

आंकलन - (पुं.) (तत्.) - 1. शा. अर्थ-ठीक मूल्य से गिनना। calculation 2. मूल्य, संख्या अथवा मात्रा के बारे में लगाया गया मोटा अनुमान। estimation

आंचलिक - (वि) (तत्.) - किसी अंचल (क्षेत्र विशेष) की भाषा, संस्कृति आदि से संबंधित या समन्वित। उदा. फणीश्‍वरनाथ रेणु के उपन्यास आंचलिक उपन्यास की श्रेणी में आते हैं।

आंतर कर्ण - (पुं.) (तत्.) - कान के तीन भागों, बाहरी, मध्य एवं भीतरी में से अंतिम यानी भीतर वाला भाग जो तीन अर्धवृत्‍ताकार नलिका और कर्णावर्त Cochlea का बना होता है। तु. बाह्य कर्ण, मध्य कर्ण।

आंतरिक - (वि.) (तत्.) - 1. भीतरी, अंदरूनी, 2. भीतरी भाग से संबंधित। जैसे: आंतरिक व्यवस्था, आंतरिक भू-भाग, 3. मन में विकसित होने वाला। जैसे: आंतरिक प्रेम।

आंतरिक निषेचन - (पुं.) (दे.) - जीव. मादा के शरीर के अंदर होने वाला निषेचन internal fertilization तु. बाह्य निषेचन निषेचन।

आंत्रज्वर - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ आँतों का बुखार दे. ‘टाइफाइड’।

आंदोलन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ झूलना; हिलना-डुलना; कंपन, कँपकँपा। 1. राज. किसी उद्देश्य विशेष को ध्यान में रखते हुए किसी व्यक्‍ति विशेष द्वारा या उसके नेतृत्व में जनसमूह द्वारा अपनी माँगे मनवाने के लिए किया गया प्रदर्शन भले ही उसमें सफलता मिले या नहीं movement 2. संगी. तंतुवाद्यों को उँगली से बजाने पर उत्पन्न नादमय कंपन।

आंशिक (अंश+इक) - (वि.) (तत्.) - अंश-संबंधी, किसी एक भाग से संबंधित partial

आँक - (पुं.) (तद्.) - संख्या

आँकड़ा - ([आँक < अंक < ड़ा]) (तद्.) - 1. संख्या सूचक चिह् न, अंक, 2. धातु निर्मित किसी वस्तु के सिरे पर बना टेढ़ा या तिरछा काँटेनुमा हिस्सा।

आँकड़े - (पुं.) - बहु. 1. संख्याओं का समुच्चय, 2. गणित में-अक्षरों, संख्याओं, आकृतियों का समूह जिसे विश्‍लेषण के लिए प्रस्तुत किया गया हो अथवा 3. कम्प्यूटर में विश्‍लेषण के फलस्वरूप प्राप्‍त सूचना जो अंकों के रूप में होती है। data

आँकना स.कि - ([तद्. < अंकन]) - 1. संख्या सूचक चिह् न लगाना, 2. किसी वस्तु के मूल्य का अंकन करना या अनुमान लगाना। पर्या. कूतना। आज कल

आँख - (तद्.<अक्षि) (स्त्री.) - 1. मनुष्यों और पशुओं की वह इंद्रिय जिसके द्वारा उन्हें किसी वस्तु या व्यक्‍ति के बाह् य हाव-भाव तथा आकार-प्रकार का ज्ञान होता है। पर्या. नेत्र, नयन, लोचन 2. गन्ने (ईख) के दो पोरों के संधि स्थल पर (आँख जैसा) उभार जिससे अँखुआ फूटता है। मुहा. 1. आँख में खून उतर आना = अत्यंत क्रोधित होना। 2. आँख में गड़ना, खटकना, अच्छा न लगना। 3. आँख ऊपर न उठाना = अपने-आप को लज्जित महसूस करना। 4. आँख में चुभना = पसंद न करना। 5. आँखों में धूल झोंकना = अपना हित साधने के लिए दूसरे को धोखा देना। 6. आँख में पानी भरना = किसी भी बुरे काम के लिए लज्जित न होना। 7. आँखें फेर लेना = पहले की तरह लगाव महसूस न करना। 8. आँख लगना = झपकी लेना या थोडे़ समय के लिए नींदआ जाना। 9. आँखे लड़ाना = स्त्री-पुरुष का परस्पर प्रेमपूर्वक देखना। 10. आँख उठाकर न देखना = बिलकुल ध्यान न देना। 11. आँख से ओझल होना = दिखाई न पड़ना, गायब हो जाना। 12. आँख से अंधा नाम नयन सुख = नाम और गुण में मेल न होना। 13. आँख का काँटा = स्वभाव न मिल पाने के कारण अच्छा न लगना। 14. आँख का तारा = अत्यंत प्रिय व्यक्‍ति। 15. आँख की किरकिरी = पीड़ाकारी व्यक्‍ति या वस्तु। 16. आँख खुलना = 1. नींद से जागना, 2. भ्रम दूर होना। 17. आँखें न मिलाना = किसी हीन भावना की वजह से सामने वाले से आँखे चुराना यानी उससे नजरें मिलने से बचना। 18. आँख मारना = आँख से इशारा करना (ताकि जिसे इशारा किया गया है वह तो संकेत समझ ले किंतु दूसरे इसकी भावना भाँप न पाएँ। 19. आँखों-आँखों में ही रात काटना = किसी परेशानी के कारण सारी रात जगते रहना या सो न पाना। 20. आँखों से खून टपकना = बहुत क्रोधित होना। 21. आँखों से गंगा-जमुना बहना/बहाना = बहुत रोना। 22. आँखों देखते मक्खी नहीं निगली जाती = जानते बूझते कोई अप्रिय काम न करना। 23. आँखों से विष उगलना = बहुत क्रोधित होना। 24. फूटी आँखों न सुहाना = बिलकुल अच्छा न लगना।

आँख मिचौनी - ([तद्.+देश.]) (स्त्री.) - कई बच्चों का सम्मिलित खेल जिसमें एक बच्चा किसी दूसरे बच्चे की आँखें मूँदता (ढाँकता) है। इस बीच बाकी बच्चे इधर-उधर छिप जाते हैं। आँखें खुलने पर वह बच्चा छिपे बच्चों को ढूँढता है। जिस बच्चे को वह सबसे पहले ढूँढ लेता है उसे अपनी आँखें बंद करवानी पड़ती है। इस तरह यह खेल चलता रहता है। hide and reak

आँगन - ([तद्< अंगण]) (पुं.) - घर के अंदर का चारों ओर से घिरा वह खाली स्थान जिस पर छत न बनी हो। पर्या. सहन, चौक।

आँगनवाड़ी - (दे.) - शाकवाटिका। शिक्षा-छोटे बच्चों की आरंभिक पाठशाला जहाँ खेल-कूद के माध्यम से भावी शिक्षा के लिए उन्हें तैयार किया जाता है। nursury

आँच - ([तद्< अर्चि] ) (स्त्री.) - 1. वह गरमी या ताप जिसे आग के पास जाने पर महसूस किया जाता है। 2. आग की लपट, लौ। उदा. धीमी आँच पर बनी सब्ज़ी स्वादिष्‍ट होती है।

आँचल - ([तद्.< अंचल]) (पुं.) -  < अंचल] 1. टूटे साड़ी आदि के दोनों छोरों में से वह छोर। पर्या. पल्ला, छोर जो सामने छाती पर और पीछे लटका रहता है। मुहा. आँचल फैलाना-कुछ माँगने के लिए दीनतापूर्वक कपड़े का पल्ला फैलाना।

आँत - ([तद्.अंत्र] ) (स्त्री.) - आमाशय से मलाशय तक का पाचन-पथ (जिससे भोजन पच कर अंगीकृत होता है और शेष मल गुदाद्वार से होकर बाहर निकलता है।)

आँधी - (तद्.< अंध) (स्त्री.) - अत्यंत वेग से बहने वाली धूलभरी हवा, जिससे हल्की वस्तुएँ हवा में तैरती हुई दिखें और इतनी धूल फैल जाए कि अंधकार-सा लगने लगे। पर्या. अंधड़।

आँवला - (पुं.) (तद्.< आमलक) - < आमलक) 1. एक उष्णकटिबंधीय पादप जिसके फल गोलाकार तथा कसैले होते हैं तथा चटनी व अचार के रूप में खाने व दवाई के काम आते हैं। 2. टि. आयुर्वेद की दृष्‍टि से यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपादेय है। यह विटामिन 'सी' का भंडार है।

आँवाँ - (पुं.) (तद्.< आपाक) - वह गड्ढा जिसमें कुम्हार मिट्टी के बर्तन पकाता है। पर्या. भट् ठी। मुहा. आँवाँ बिगड़ जाना = समाज के सब लोगों का बिगड़ जाना।

आँसू - (तद्.< अश्रु) (पुं.) - < अश्रु) शोक, पीड़ा, हर्ष आदि मनोभावों के अतिरेक के कारण आँखों से निकलने वाला पानी। पर्या. अश्रु मुहा. आँसू बहाना/गिराना/ढालना = अत्यधिक रोना। आंसू पोंछना = ढाढस देना। आँसू पीना = मन ही मन रोना। खून के आंसू = क्रोध के साथ हताशा का भाव। मगरमच्छ के आँसू = नकली आँसू। टि. सामान्यत: इस शब्द का प्रयोग बहुवचन में होता है।

आइंदा - - (फा. < आइंदा:) अव्यय आगे आने वाले समय में, भविष्य में; अगली बार। 1. उदा. इस बार तो हो गया सो हो गया ध्यान रहे, आइंदा ऐसा न हो।

आइरिस - (अंग्रे.) (दे.) - परितारिका’

आईना - (पुं.) (फा.) - मुँह देखने का शीशा, दर्पण। मुहा. आईना दिखाना = (किसी के सामने) उसका असली रूप प्रकट कर देना।

आईवीएफ - (दे.) - ‘पात्रे निषेचन’

आकंठ - (तत्.)[आ+कंठ] (क्रि.वि.) - कंठ पर्यंत, गले तक जैसे: 1. भूखे व्यक्‍ति ने आकंठ भोजन किया। 2. सरोवर में गज आकंठ डूबा हुआ था।

आकटि - (तत्.) (वि.) - कमर पर्यंत जैसे: वह सरोवर में आकटि खड़ा हुआ सूर्योपासना कर रहा था।

आकरग्रन्थ - (पु.) (तत्.) - 1. किसी भी साहित्य की वे प्राचीनतम श्रेष्‍ठ कृतियाँ जिनसे भावी साहित्यकारों को अन्य रचनाएँ लिखने की अपेक्षित साम्री चिरकाल तक प्राप्‍त होती रहे। उपजीव्य ग्रंथ। उदा. रामायण एवं महाभारत भारतीय साहित्य के आकरग्रंथ हैं। 2. संदर्भ ग्रंथ जैसे: अमरकोश, आदि संस्कृत के कोशग्रंथ।

आकर्ष - (पु.) (तत्.) - 1. खिंचाव, 2. आयु. आकस्मिक पेशी संकोच। पर्या. ऐंठन जैसे: ग्रीवा आकर्ष।

आकर्षक - (तत्.) (वि.) - (अपनी ओर) खीँचने वाला; जिसमें आकर्षण हो; ला. अर्थ देखने में लुभावना, सुंदर। किसी शक्‍ति या गुण विशेष के कारण किसी अन्य व्यक्‍ति या वस्तु को आकर्षण (आ + कर्ष + न) पुं. तत्. अपनी ओर खींचने की क्रिया, खिंचाव।

आकर्षण-शक्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - सा.अर्थ. किसी को अपनी ओर आकर्षित करने की शक्‍ति। भौ. 1. पिंडों का वह प्राकृतिक गुणधर्म जिससे वे एक-दूसरे को अपनी ओर खींचते हैं। जैसे: ठोस पदार्थ के कण एक दूसरे से चिपके रहते हैं। 2. पृथ्वी का वह बल जो अपने विशिष्‍ट क्षेत्र में आने वाली वस्तु को खींच लेता है। उदा. गुरुत्वाकर्षण शक्‍ति।

आकर्षित - (वि.) (तत्.) - जिसे खींच लिया गया हो, खिंचा हुआ दे. ‘आकर्षण’।

आकलन - (पुं.) (तत्.) - 1. शा.अर्थ. ठीक तरह से गिनना calculation 2. मूल्‍य, संख्‍या अथवा मात्रा के बारे में लगाया गया मोटा अनुमान। estimation

आकस्मिक - (वि.) (तत्.) - 1. अचानक हो जाने वाला; 2. किसी संयोगवश घटित होने वाला। जैसे: आकस्मिक कार्य, आकस्मिक आगमन, आकस्मिक घटना, आकस्मिक अवकाश।

आकस्मिक अवकाश ( - (पु.) (तत्.) - वह छुट् टी जो अचानक किसी आवश्यक कार्य के आ पड़ने पर या अपरिहार्य कारणों से ली जाए। casual leave

आकांक्षा - (तत्.) (स्त्री.) - सा.अर्थ चाह, इच्छा अभिलाषा, कामना। व्या. वाक्य की अर्थवत्‍ता का एक अभिलक्षण जो घटकों की संबद् धता दिखाता है। जैसे: ‘कर लिया है’ क्रिया पदबंध को ‘मैंने उसने’ कर्ता की आकांक्षा है।

आकार - (पुं.) (तत्.) - किसी भौतिक वस्तु की बनावट को प्रकट करने वाला उसका स्वरूप। पर्या. आकृति, सूरत, स्वरूप, डील-डौल, बनावट, गठन।

आकार प्रकार - (पुं.) (तत्.) - (आकार = स्वरूप, सूरत, आकृति, गठन); (प्रकार = ढंग, तरीका) किसी वस्तु का वह स्वरूप और गुण की पहचान को अन्य वस्तुओं से अलग करता है।

आकाश - (पुं.) (तत्.) - 1. पृथ्वी से ऊपर नीले रंग का दिखाई देने वाला शून्य स्थान। पर्या. आसमान, नभ, अंतरिक्ष sky विलो. पाताल 2. समस्त आकाशीय पिंडों के चारों ओर का खाली भाग। 3. एक लचीला पारदर्शी तत् व जिसमें से होकर सूर्य की किरणें पृथ्वी तक पहुँचती हैं। ether 4. दर्शन. पंच महाभूतों में से एक, जिसका गुण ‘शब्द’ (आवाज़) है। मुहा. आकाश-कुसुम/पुष्प असंभव या अनहोनी बात। आकाश छूना/से बातें करना = बहुत ऊँचे जाना। आकाश के तारे तोड़ना = असंभव कार्य करना।

आकाश कुसुम - (पुं.) (तत्.) - (आकाश-कुसुम) 1. आकाश में फूल खिलने या उगने की कल्पना असंभव की कल्पना। 2. ऐसी वस्तु, बात या इच्छा इत्यादि जिसकी मात्र कल्पना की जा सके, अस्तित्वविहीन। जैसे: आकाश कुसुम देखना बंद करो।

आकाशगंगा - (स्त्री.) (तत्.) - शा. अर्थ आकाश में बहने वाली गंगा। खगो. बड़े घेरे के रूप में आकाश में रात में दिखाई पड़ने वाली तारों की फैली हुई एक धूमिल-सी लंबी पट्टी। milky way

आकाशदीप - (पुं.) (तत्.) - समुद्र में जा रहे जहाजों (जलपोतों) के मार्गदर्शन के लिए समुद्र तट पर निर्मित स्तंभ जिस पर तेज रोशनी चारों दिशाओं में बारी-बारी से चमकाई जाती है। पर्या. दीपस्तंभ light house

आकाशवाणी - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ दैवी वाक्, देववाणी। सा.अर्थ 1. आकाश से सुनाई पड़ने वाली वह आवाज़ या बात जो ईश्‍वर की ओर से कही हुई मानी जाए। जैसे: कंस के प्रति देवकी को भेजे जाने के समय हुई आकाशवाणी। 2. वर्तमान में भारत के ‘रेडियो तंत्र’ के लिए स्थिर कर दिया गया व्यक्‍तिवाचक नाम।

आकुल - (वि.) (तत्.) - घबराया हुआ, व्यग्र। टि. समस्त पदों में यह उत्‍तरपद के रूप में प्रयुक्‍त होता है (जैसे: शोकाकुल, चिंताकुल आदि) अन्यथा एकल शब्द के रूप में आकुल के स्थान पर प्राय: ‘व्याकुल’ का प्रयोग देखा गया है। दे. ‘आकुलता’।

आकुलता - (स्त्री.) (तत्.) - घबराने या परेशान होने की मानसिक स्थिति जो प्राय: शारीरिक लक्षणों से प्रकट होती है। पर्या. व्याकुलता।

आकृति - (स्त्री.) (तत्.) - किसी वस्तु या व्यक्‍ति आदि का वह दृश्यमान स्वरूप जो रेखाओं अथवा छाया-चित्रण से प्रकट होता है; बनावट, ढाँचा, गठन। जैसे: मानवाकृति, छायाकृति, मुखाकृति, त्रिभुजाकृति।

आकृष्‍ट - (वि.) (तत्.) - किसी की आकर्षण शक्‍ति से उसकी ओर खिंचा हुआ। पर्या. आकर्षित दे. आकर्षण।

आक्रमण - (पुं.) (तत्.) - युद्ध में या प्रतियोगिता के दौरान शत्रु पक्ष प्रतिपक्ष पर अपने निहित उद् देश्य की पूर्ति के लिए योजनाबद् ध तरीके से चढ़ बैठना (भले ही उसमें सफलता मिले या न मिले।) पर्या. हमला, धावा, चढ़ाई, attack, agression, invasion

आक्रमणकर्ता - (वि./पु.) - आक्रमण करने वाला (व्यक्‍ति, देश आदि)

आक्रमणकारी - (वि.) (तत्.) - आक्रमण करने वाला। पर्या आक्रांता दे. ‘आक्रमण’।

आक्रांता - (वि.) (तत्.) - आक्रमण करने वाला। पर्या. आक्रमणकारी, आक्रमणकर्ता।

आक्रामक - (वि.) (तत्.) - ऐसी क्रिया जिससे आक्रमण जैसी स्थिति प्रकट हो; आक्रमण की क्रिया से युक्‍त, आक्रमणशील।

आक्रोशी - (पुं.) (तत्.) - दूसरे से अनुचित व्यवहार से पहले व्यक्‍ति के मन में उत्पन्न क्रोध की भावना। resentment

आक्षेप - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ फेंकना। सा.अर्थ 1. किसी के बारे में ऐसी बात कहना जो उसकी प्रतिष्‍ठा को हानि पहुँचाए। पर्या. दोषारोपण, इल्जाम, आरोप। 2. किसी के व्यवहार या कथन आदि पर की गई आपिल challenge

आखनन - (पुं.) (तत्.) - भूमि की सतह के आसपास स्थित खनिजों को आसानी से खोदकर निकालने की प्रक्रिया। तु. खनन, प्रवेधन।

आखिरकार/आखिर - (फा.) - 1. अंत में। 2. सारे प्रयत्‍न करने के बाद ही। पर्या. अंततोगत्वा।

आखिरी - (वि.) (फा.) - 1. जो सबसे अंत में हो अंतिम। 2. पिछला।

आखेट - (पुं.) (तत्.) - जंगल में पशु-पक्षियों का पीछा कर उन्हें मारने के रूप में अपनाया गया मनोरंजन-प्रधान और शौर्य-कौशल प्रदर्शक क्रीड़ा (खेल) कार्य। पर्या. शिकार, मृगया।

आखेटक - (पुं.) (तत्.) - आखेट करने वाला व्यक्‍ति, शिकार खेलने वाला व्यक्‍ति, शिकारी।

आख्यान - (पुं.) (तत्.) - सा. अर्थ कथा, कहानी, किस्सा, वृत्‍तांत आदि। इति. प्राचीन काल से चली आ रही गाथा जिसका सामान्यत: ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध न हुआ हो।

आख्यायिका - (स्त्री.) (तत्.) - दे. आख्यान

आगंतुक - (वि.) (तत्.) - (भूले-भटके/बिना बुलाए/अचानक) आने वाला (मेहमान) मुहा. आग बबूला होना= क्रोधावेशपूर्ण नाराजगी प्रकट करना, क्रोधित होकर भला-बुरा कहना।

आग - (स्त्री.) (तद्.) - 1. तेज और प्रकाश का वह पुंज जिसमें दाहकता भी होती है। पर्या. अग्नि, अनल 2. जलन, ताप, गरमी। मुहा. आग लगना = क्रोध आना उदा. उसने गाली क्या दी, शर्माजी को आग लग गई। आग लगाना = झगड़ा शुरू करवाना। पानी में आग लगाना = असंभव कार्य करना। आग में घी डालना = और अधिक क्रोधित करना; झगड़ा बढ़ाना। आग पर पानी डालना = (क्रोध आदि) शांत करना।

आगमन - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी व्यक्‍ति या वस्तु का कहीं अन्यत्र से उल्लिखित स्थान पर आना। विलो. गमन।

आगा-पीछा - ([तद्.< अग्र भाग+पश्‍च भाग]) (पुं.) - शा. अर्थ आगे का भाग/हिस्सा और पीछे का भाग/हिस्सा, यानी दोनों ओर या कहें सब तरफ। ला.अर्थ। हिचक, दुविधा, जैसे: आगा-पीछा करना = दुविधा में पड़ना। 2. परिणाम, नतीजा जैसे: आगा-पीछा सोचकर यह काम शुरु करना आपके लिए ठीक रहेगा।

आगामी - (तत्.) - आगे आने वाला, भावी। उदा. पत्रिका का आगामी अंक प्रेमचंद की कहानियों पर होगा।

आगे - ([तद्.<अग्रत: /अग्रे) (वि.) - क्रि. 1. सामने की ओर विलो. पीछे 2. (किसी बात में) बढक़र, उदा. रमेश दौड़ने में मुझसे आगे है। 3. आने वाले समय में, भविष्य में उदा. 1. आगे-आगे देखिए, होता है क्या। 2. आगे ऐसा मत करना। 4. पहने वाले समय में, भूतकाल में। उदा. 1. ‘आगे ऐसा होता था। 2. मैं आगे भी यहां आ चुका हूँ’। मुहा. आगे आना = जिम्मेदारी स्वीकार करना।

आगे-पीछे क्रि. - (वि.) - 1. एक के पीछे/बाद एक, क्रम से। जैसे: आगे-पीछे चलिए। 2. ला.अर्थ वंश-परिवार में, उत्‍तराधिकार में। जैसे: उसके आगे-पीछे कोई नहीं है अर्थात् उसकी मृत्यु के साथ ही उसका वंश समाप्‍त हो जाएगा। आगे नाथ न पीछे पगुहा

आग्नेय शैल - (पुं.) (तत्.) - ज्वालामुखी के लावे के ठंडे हो जाने पर उससे निर्मित शैल। जैसे: basalt

आग्रह - (पुं.) (तत्.) - अपनी पूरी शक्‍ति के अनुसार दृढ़तापूर्वक कही जाने वाली बात (अनुरोध) या किया जाने वाला कार्य। उदा. (i) मेरा आपसे आग्रह है कि आप इस अवसर पर अवश्य उपस्थित रहें। (ii) सत्याग्रह।

आघात - (पुं.) (तत्.) - 1. धक्का, ठोकर, 2. जानबूझकर पहुँचाई गई चोट, मार, प्रहार injury 3. अकारण या प्रकृति से प्राप्‍त चोट, मन को लगने वाली चोट। शोक प्रस्ताव की अंतिम पंक्‍ति-ईश्‍वर से प्रार्थना है कि वह आपको इस आकस्मिक आघात को सहने की शक्‍ति प्रदान करे।

आघातवर्धनीयता - (स्त्री.) (तत्.) - लगातार चोट मारे जाने पर बढ़ने-फैलने का गुण। रसा. धातुओं की वह विशेषता जिसके कारण उन्हें पीट कर पतली शीट में परिवर्तित किया जा सकता है। जैसे: चाँदी, सोना, ऐलुमीनियम।

आघातवर्ध्य - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ पीटने से बढ़ने योग्य। (धातु के संबंध में) घन आदि किसी भारी औज़ार से पीटे जाने पर लंबाई-चौड़ाई-मोटाई में बढ़ने योग्य।

आचमन - (पुं.) (तत्.) - हिंदुओं का एक धार्मिक संकल्पसूचक कृत्य जिसमें दाहिने हाथ की हथेली में थोड़ा (अंजलि भर) जल लेकर और मंत्र उच्चारित कर उस जल को पी लेना। टि. पूजा या धर्म संबंधी कार्यों/यज्ञों में ऐसा किया जाता है। भोजन से पहले ही हथेली में जल लेकर तीन बार (घूँट-घूँट) पीने को ‘आस्वन’ करना कहा जाता है।

आचरण - (पुं.) (तत्.) - निजी और सामाजिक दायित्वों का विधिपूर्वक निर्वाह करते रहने की व्यक्‍ति की अपेक्षा। टि. विधि का उल्लंघन किए जाने पर वह व्यक्‍ति दंड का भागी माना जाता है। पर्या. चाल-चलन कंडक्ट

आचार - (पुं.) (तत्.) - 1. (समाज के संदर्भ में) व्यक्‍ति के व्यवहार, चाल-चलन, रहन-सहन, आचरण conduct 2. रीति-व्यवहार जैसे: लोकाचार, देशाचार।

आचार-संहिता - (पुं.) (तत्.) - 1. समाज या वर्ग द्वारा स्वीकृत परस्पर व्यवहार और आचरण संबंधी नियमों का संग्रह। 2. चुनाव की औपचारिक घोषणा के बाद सरकार और राजनीतिक दलों द्वारा पालनीय नियमावली।

आचार्य - (पुं.) (तत्.) - प्राचीन अर्थ 1. वेद या शास्त्रों को पढ़ाने वाला गुरु। 2. यज्ञ कार्य संपादन कराने वाला याज्ञिक। 3. उपनयन-विवाह आदि संस्कार कराने वाला पुरोहित। आधु.अर्थ अध्यापक, professor

आज - (वि.) ([तद्.<अद्य]) - 1. निरंतर प्रवहमान काल (समय) के स्तर पर बीत गए दिन और आगामी दिन के बीच वाला वर्तमान दिन। today 2. वर्तमान समय project time

आजकल - (देशज<अद् य+कल्य) - इन दिनों, वर्तमान समय में।

आजन्म - (वि.) (तत्.) - जन्म से लेकर मृत्यु तक, जीवनभर जैसे: आजन्म ब्रह् मचारी।

आजमाइश - (स्त्री.) (फा.) - प्रयोग करके परखने का भाव। उदा. मैंने आजमाइश कर ली है। यह दवा ठीक है।

आजमाना - (फा.) - किसी व्यक्‍ति या वस्तु की उपयोगिता जानने के लिए उसे अपने स्तर पर परखना या परीक्षा लेकर देखना। उदा. यह दवा मेरी आजमाई हुई है।

आज़ाद - (वि.) - स्वतंत्र, स्वाधीन, मुक्‍त (व्यक्‍ति) जो किसी के अधीन या परवश न हो।

आज़ादी - (स्त्री.) (फा.) - किसी के अधीन या परवश न रहने की स्थिति, स्वतंत्रता। विलो. गुलामी।

आजीवन - (वि.) (तत्.) - जीवन पर्यन्त, जीवन रहने तक, जिंदगी भर। इस उपकार के लिए मैं तुम्हारा आजीवन ऋणी रहूँगा।

आजीविका - (स्त्री.) - (i) जीवन निर्वाह के लिए किया जाने वाला काम, रोजी, वृत्‍ति, रोजी-रोटी। (ii) जीवन की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए किया जाने वाला कार्य, व्यवसाय, पेशा।

आज्ञा - (स्त्री.) (तत्.) - बड़ों द्वारा छोटों को किसी काम करने के लिए कहा जाना। पर्या. हुक्म, आदेश। टि. 1. ‘आज्ञा’ शब्द का प्रयोग सामान्य भाषा में किया जाता है जबकि प्रशासनिक भाषा में इसके लिए ‘आदेश’ शब्द मान्य है। 2. किसी से जाने की ‘अनुमति’ माँगी जाती है, न कि ‘आज्ञा’, अत: ‘अब मुझे जाने की आज्ञा दीजिए’ के स्थान पर ‘अब मुझे जाने की अनुमति दीजिए’ का ही प्रयोग किया जाना वांछनीय है।

आज्ञाकारी - (वि.) (तत्.) - (बड़ों की) आज्ञा मानने वाला।

आठ - (वि.) ([तद्.< अष्‍ट]) - 1. विशेष संख्या जो 8 की तरह लिखी जाती है। (सात के बाद और नौ से पहले की संख्या) 2. संख्या जो दो की चार गुना और चार की दो गुना होती है।

आडंबर - (पुं.) (तत्.) - अपने धन, ज्ञान आदि से दूसरे को प्रभावित करने के लिए। उसको बाहरी दिखावा या ऊपरी तडक़-भडक़। उदा. विवाह समारोह में आडंबर की जगह सादगी होनी चाहिए।

आड़ स्त्री - (देश.) - 1. एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुविधापूर्वक न जा/पहुँच सकने या उधर न देख सकने के निमित्‍त उत्पन्न बाधा। पर्या. ओट, परदा; बाधा 2. बहाना (जैसे: लालची राजनेता देश सेवा की आड़ में काफी धन-संपत्‍ति बटोर लेते हैं।

आड़ा - (वि.) (देश.) - धरती के समांतर फैला हुआ; पड़ा horizontal सं. [< आलि] स्त्री. आड़ी।

आड़ू - (पुं.) (देश.) - एक वह गोलाकार खुरदरी गुठली वाला रसीला गूदेदार फल जिसका ऊपरी छिलका पीले व लाल रंग का होता है। peach

आढ़त - (स्त्री.) (देश.) - 1. किसान के यहाँ से कस्बे की मंडी में बिक्री के लिए आए हुए माल की बिचौलिए महाजन (व्यवसायी) द्वारा बिक्री कराए जाने का धंधा। brokerage, commission agency 2. इस तरह के धंधे के बदले बिचौलिए को मिलने वाला धन। brokerage money, commission

आढ़तिया/आढ़ती - (पुं.) (देश.) - आढ़त का धंधा अपनाने वाला व्यापारी। दे. ‘आढ़त’।

आणविक/आण्विक - (वि.) (तत्.) - अणु से संबंधित दे. ‘अणु’।

आतंकवाद - (पुं.) - किसी समूह या संगठन द्वारा अपने वर्तमान राजनीतिक अथवा धार्मिक व्यवस्था विरोधी लक्ष्य की सिद्धि के लिए हिंसक और भयोत्पादक उपायों का ही आश्रय लेने का विचार। terrorism

आतंकवादी/आतंकी - (वि.) (तत्.) - आतंकवाद से संबंधित। पुं. वह व्यक्‍ति, समूह या संगठन जो अपने वर्तमान व्यवस्था विरोधी लक्ष्य की प्राप्‍ति के लिए हिंसा या भयोत्पादक उपायों का आश्रय ले। terrorist

आततायी - (वि.) (तत्.) - जो हत्या, लूटपाट, आगज़नी इत्यादि के स्वभाव वाला हो। tyrant

आतपन - (पुं.) (तत्.) - शा. अर्थ (सूर्य के ताप से) पृथ्वी का तपना। भू. सूर्य से आने वाली वह ऊर्जा जिसे पृथ्वी रोक लेती है और ऋतु के अनुसार स्थान विशेष का तापमान प्रभावित होता है।

आतिथेय - (पुं.) ([तत्.< अतिथि])) - जिसके यहाँ अतिथि ठहरे हों; अतिथि-सत्कार करने वाला। पर्या. मेज़बान host

आतिथ्य - ([तत्.< अतिथि] ) (पुं.) - अतिथि की आवभगत पर्या. अतिथि-सत्कार, अतिथि-सेवा।

आतिशबाज़ी - (स्त्री.) (फा.) - शा.अर्थ आग का तमाशा/खेल। बारूद, गंधक, शोरे आदि के उपयोग से बने खिलौने (अनार, फुलझड़ी आदि) जिन्हें जलने पर रंग-बिरंगी चिनगारियाँ निकलती हैं। यह तमाशा प्राय: अपनी प्रसन्नता व्यक्‍त करने के लिए (दीपावली, विवाह आदि के अवसर पर) किया जाता है।

आतुर - (वि.) (तत्.) - 1. किसी काम को करने में आवश्यकता से अधिक बेचैनी दिखाने वाला। 2. रोगी जैसे: आतुरालय, आतुरशाला, अस्पताल।

आत्म गौरव - (पुं.) (तत्.) - अपनी और अपने से संबंधित सभी बातों के प्रति महसूस किया जाने वाला बड़प्पन का भाव।

आत्मकथा - (स्त्री.) (तत्.) - खुद की लिखी हुई अपने जीवन की कथा। अपने संबंध में कही गई बातें auto-biography किसी की वह जीवनी जो उसने स्वयं लिखी हो। पर्या. आत्मचरित; तु. जीवनी।

आत्मघात - (पुं.) (तत्.) - शा. अर्थ खुद को (अपने-आप को) मार डालने का कृत्य; आत्महत्या।

आत्मघाती हमला - ([तत्.+अर.]) (पुं.) - पुं. किसी जघन्य उद् देश्य की पूर्ति के लिए अपनी जान को पूरी तरह से जोखिम में डालकर व्यक्‍ति द्वारा (विशेष रूप से आतंकवादी द्वारा) शत्रुपक्ष पर आक्रमण की कार्रवाई।

आत्म-नियंत्रण - (पुं.) (तत्.) - अपने ऊपर रखा जाने वाला नियंत्रण पर्या. आत्मसंयम, आत्मनिग्रह self-control

आत्म-निर्भर - (वि.) (तत्.) - (व्यक्‍ति) जो अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति स्वयं पूरी करने में समर्थ हो यानी जिसे दूसरे से मदद लेने की जरूरत न पड़े।

आत्म-निर्भरता - (स्त्री.) (तत्.) - व्यक्‍ति द्वारा स्वयं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकने का सामर्थ्य।

आत्मनिष्‍ठ - (वि.) (तत्.) - (व्यक्‍ति) जो (बाहरी बातों से प्रभावित न होकर) अपने ही विचारों का अनुसरण करे; अपने प्रति ही निष्‍ठा रखने वाला। पर्या. व्यक्‍तिनिष्‍ठ subjective विलो. विषयनिष्‍ठ।

आत्मप्रशंसा - (स्त्री.) (तत्.) - स्वयं के द्वारा अपनी की जाने वाली बड़ाई। खुद का अपना यशोगान। पर्या. आत्मश्‍लाघा विलो. आत्मनिंदा उदा. आत्मप्रशंसा करना शिष्‍टता नहीं मानी जाती।

आत्मबल - ([आत्म+बल]) (तत्.) - आत्मा का बल, आत्मा की ताकत, आध्यात्मिक शक्‍ति।

आत्ममंथन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ अपनी आत्मा को मथना। सत्य-असत्य संबंधी किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले अपने मन में छिपी भावनाओं और विचारों का अच्छी तरह से परीक्षण करना।

आत्मरक्षा - (स्त्री.) (तत्.) - अपनी रक्षा या बचाव। उदा. हमें आत्मरक्षा में समर्थ होना चाहिए।

आत्म-विश्‍वास - (पु.) (तत्.) - अपनी योग्यता या कार्यक्षमता पर इस दृष्‍टि से पूरा भरोसा रखना कि ‘अमुक कार्य मैं कर ही लूँगा’ या कि ‘मेरी जानकारी या अनुमान बिलकुल ठीक है।’ self confidence

आत्मसमर्पण - (पुं.) (तत्.) - अपने विरोधी या अधिक शक्‍तिशाली के सम्मुख अपने आपको हवाले कर देने की यानी उसकी अधीनता स्वीकार कर लेने की कार्रवाई। युद् ध में पराजित सेना का विजयी सेना के समक्ष हथियार डालना।

आत्मसात् करना - (तत्.) - 1. पूरी तरह अपने अंदर समाहित कर लेना। 2. कोई विद्या पूरी तरह सीख लेना। 3. अपने जीवन में उतार लेना।

आत्महत्या - (स्त्री.) (तत्.) - खुद को (अपने आपको) मार डालना। पर्या. आत्मघात। suicide

आत्मा - ([आत्मा<आत्मन्] ) (स्त्री.) - 1. मन, बुद् धि एवं शरीर के समस्त व्यापारों का संचालन करने वाली सत्‍ता, ‘मैं’ का वास्तविक रूवरूप। पर्या. जीवात्मा, चिति, 2. परमात्मा का एक अंश solo, spirit

आत्माभिमान - (पुं.) (तत्.) - अपने और अपने से संबंधित सभी के बारे में होने वाला गर्व का अनुभव। पर्या. स्वाभिमान self respect

आत्मीय - (वि.) (तत्.) - 1. अपना, निजी विलो. परकीय 2. स्वजन, सगे रिश्तेदार।

आत्मीय व्यक्‍ति - (पुं.) - (बहुवचन) किसी को पराया मत समझो। यहाँ सभी अपने हैं।

आत्मीयता - (स्त्री.) (तत्.) - आत्मीय (अपना) होने का भाव, अपनापन।

आदत - (स्त्री.) (अर.) - किसी की वे क्रियाएँ जो अभ्यास के कारण स्वभाव का अंग बन जाती है और उन्हें न करने से बेचैनी-सी होने लग जाती है। (परंतु समय के अनुसार उसमें परिवर्तन आ सकता है।) तुल. स्वभाव = जन्मजात गुण, जो कभी बदलते नहीं। व्यसन, लत = बुरी आदतें।

आदम - (पुं.) (अर.) - ‘इसलाम’ एवं ‘यहूदी’ धर्मों के अनुसार सृष्‍टि का प्रथम पुरुष आदि मानव।

आदमक़द - (वि.) - (अ.) मनुष्य के क़द या आकार वाला मानवाकार, आदमी की ऊँचाई के बराबर।

आदमियत - (अर.+फा.) (स्त्री.) - आदमी होने के गुण एवं विशेषताएँ, मनुष्यता, मानवता, इन्सानियत।

आदमी - ([अर.< आदम]) (पुं.) - 1. वयस्क नर man विलो. औरत उदा. औरतों के डिब्बे में आदमियों का प्रवेश मना है। 2. पशुओं से भिन्न नर और नारी का सूचक सामान्य शब्द इन्सान। पर्या. मनुष्य। 3. ग्रामीण प्रयोग-पति। उदा. इस समय मेरा आदमी हसबैंड घर में पर नहीं है। 4. मज़दूर। उदा. “आदमी काम पर हैं।”

आदर - (पुं.) (तत्.) - किसी व्यक्‍ति, पद या संस्था की उपलब्धियों अथवा गुणों के कारण उसके प्रति प्रकट की गई सम्मान की भावना। विलो. निरादर।

आदरणीय - (वि.) (तत्.) - आदर के योग्य, पर्या. सम्माननीय टि. संस्कृत के नियमानुसार आ + दृ + अनीयर् से ‘आदरणीय’ विशेषण शब्द बना है।

आदरणीय - - रसा. ऐसा ईंधन जो सस्ता, सहज उपलब्ध होने वाला, सुगमता से जलने वाला तथा दहन के बाद हानिकारक उत्पाद न छोड़ता हो।

आदर्श - (पुं.) (तत्.) - 1. वह व्यक्‍ति, वस्तु या गुण जिसकी विशेषता अनुकरणीय हो, नमूना। ideal 2. आईना, दर्पण, शीशा।

आदर्शवाद - (तत्.) (पुं.) - यह सिद्धांत कि व्यक्‍ति को यथासंभव अपने जीवन में सुकर्म और परहित चिंतन की भावना का विस्तार तथा उसे यथार्थ में परिणत करते रहना चाहिए। idealism टि. साहित्य में इसी भावना का प्रतिबिंबन ‘आदर्शवाद’ कहलाता है; जबकि यथास्थिति के चित्रण को आदर्शवाद’ के विलोम के रूप में ‘यथार्थवाद’ realism की संज्ञा दी जाती है।

आदर्शवादी - (वि./पु.) (तत्.) - आदर्शवाद का अनुकरण/अनुपालन करने वाला (व्यक्‍ति)। idealist

आदर्शीकरण - (पुं.) - किसी व्यक्‍ति, वस्तु आदि को अपने लिए आदर्श मानने या बना लेने की स्थिति।

आदान - (पुं.) - किसी से कुछ लेने या प्राप्‍त करने का कृत्य। विलो.-प्रदान।

आदान-प्रदान - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ लेना और देना। सा.अर्थ 1. किसी से कुछ ग्रहण करना और बदले में उसे कुछ अन्य देना। barter

आदाब - (पुं.) (अर.) - (‘अदब’ का बहुवचन) 1. शिष्‍टाचार, 2. सलाम, 3. बंदगी उदा. आदाब अर्ज़ है= (आपके लिए मेरा) नमस्कार/सलाम/अशिर्वादन।

आदि - (पुं.) (तत्.) - 1. प्रारंभ, मूल विलो. अंत वि. (तत्.) प्रारंभ का, प्रथम जैसे: आदि काल। निपात (तत्.) इसी प्रकार के अन्य, पर्या. वगैरह, इत्यादि उदा. मनुष्य, पशु आदि प्राणी।

आदि पुरुष - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ प्रथम व्यक्‍ति। सा.अर्थ 1. किसी जाति या वंश का पहला व्यक्‍ति पर्या. मूल पुरुष। 2. परमात्मा, ईश्‍वर।

आदित्य - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ अदिति के पुत्र। सा. अर्थ-सूर्य, रवि। टि. इसीलिए कहीं-कहीं रविवार को ‘आदित्यवार’ भी कहते हैं।

आदिम - (वि.) (तत्.) - आदि का यानी बहुत पहले का, पुरातन, बहुत पुराना।

आदिम निर्वाह कृषि - (स्त्री.) (तत्.) - निर्वाह (परिवार की आवश्यकताएँ पूरी करना) के लिए कृषि की प्रारंभिक (आदिकालीन) परंपरा, जिसमें स्थानांतरी कृषि और चलवासी पशुचारण सम्मिलित हैं। दे. स्थानांतरी कृषि, चलवासी पशुचारण तुल. गहन निर्वाह कृषि = कृषि का वर्तमान प्रकार।

आदिवासी - (तत्.)[आदि+वासी] शा.अर्थ प्राचीनतम निवासी। (वि./पुं.) - [आदि+वासी] शा.अर्थ प्राचीनतम निवासी। वह निवासी जिसके पुरखे उस क्षेत्र विशेष में अतिप्राचीन काल से रहते आए माने जाते हैं और जिनकी विशिष्‍ट संस्कृति विकसित हो चुकी हो।

आदी - (वि.) (अर.) - जिसे कुछ (उल्लिखित काम) करने की लत पड़ गई हो। पर्या. अभ्यस्त।

आदेश - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ आज्ञा हुकुम, प्रशा. अधिकारी या संस्था द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारी। कर्मचारियों अनुपालन के लिए कोई भी मौखिक या लिखित प्राधिकारपूर्ण कथन। order

आद्यंत - (क्रि.वि.) (तत्.) - प्रारंभ से अंत तक, पर्या. आद् योयोपांत उदा. मैंने पुस्तक को आद् यंत पढ़ लिया है।

आद् याक्षर - (पुं.) (तत्.) - किसी व्यक्‍ति के नाम के प्रारंभिक अक्षर (जिससे नाम संक्षिप्‍त हो जाता है।) जैसे: जवाहर लाल नेहरू = ज.ला. नेहरु या ज.ला.ने. initials

आद्योपांत - (दे.) - आद्यंत आदि (आरंभ) से लेकर उपांत तक।

आधा - ([तद्.< अर्ध] ) (वि.) - किसी वस्तु के दो समान भागों में से एक भाग। मुहा. आधा तीतर आधा बटेर = दो अलग प्रकारों का मेल। आधा-अधूरा।

आधार - (पुं.) (तत्.) - 1. जिस पर या जिसके सहारे कोई चीज़ खड़ी या टिकी रहती हो। support 2. रेखागणित.-त्रिभुज की नीचे वाली भुजा जिस पर वह स्थित माना जाता है। base

आधारभूत - (वि.) (तत्.) - मूल, बुनियादी

आधारभूमि - (स्त्री.) (तत्.) - वह भूमि स्थान जो आधार बना हो। किसी कार्य या वस्तु का मुख्य आधार। 1. वह भू-खंड जिस पर कोई भवन बना हो। 2. किसी भी कार्य का मूल कारण।

आधारिक - (वि.) - आधार संबंधी, आधारभूत; मूल, बुनियादी। जिस पर कोई वस्तु टिकी हो।

आधारित - (वि.) (तत्.) - किसी आधार पर टिका हुआ। आधृत, आश्रित, अवलंबित।

आधि - (स्त्री.) (तत्.) - मन की चिंता, मानसिक बीमारी। जैसे:- पागलपन , चिंता, शोक, भय आदि। तु. व्याधि।

आधिकारिक - (वि.) (तत्.) - अधिकार संपन्न, अधिकारपूर्वक कहा गया। जैसे: आधिकारिक जानकारी, आधिकारिक सूचना आदि।

आधिपत्य - (तत्.) (पुं.) - अधिपति होने का भाव, प्रभुत्व, स्वामित्व, सर्वोपरिता।

आधुनिक - (वि.) (तत्.) - 1. वर्तमान काल से संबंधित। 2. वर्तमान काल का, चल रहे समय का। विलो. पुरातन तु. सम-सामयिक।

आधुनिकता - (वि.) (तत्.) - आधुनिक (नए) होने का भाव। नए ज़माने का चलन।

आधुनिका [आधुनिक+आ - ([स्त्री.प्रत्यय] ) (तत्.) - पुं. 1. वर्तमान युग की नारी (महिला)। 2. पाश्‍चात्य संस्कृति में ढली हुई महिला स्त्री. ।

आधुनिकीकरण - (पुं.) (तत्.) - आधुनिक काल के अनुरूप (या योग्य) करने का कार्य। जैसे: शिक्षा का आधुनिकीकरण।

आध्यात्मिक - (वि.) (तत्.) - (भाव-आध्यात्मिकता) आत्मा संबंधी, ब्रह्म और जीव संबंधी। जैसे: आध्यात्मिक आनंद, आध्यात्मिक शक्‍ति spiritual

आध्यात्मिकता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. ब्रह्म एवं जीव संबंधी चिंतन, ज्ञान या सद् वृत्‍ति। 2. आत्मिक ज्ञान, 3. आत्मा एवं परमात्मा-संबंधी चिंतन शैली एवं ज्ञान।

आनंद - (पुं.) - किसी प्रिय या इच्छित वस्तु की प्राप्‍ति पर या अच्छा कार्य होने पर मन में अपने-आप पैदा होने वाला प्रसन्नता का भाव। पर्या. खुशी, प्रसन्नता, हर्ष। विलो. कष्‍ट, वेदना।

आनंददाता - (पुं.) - आनंद देने वाला, मन को चिंतामुक्‍त बनाने वाला।

आनंददायक - (वि.) (तत्.) - आनंद होने वाला पर्या. सुखकर विलो. कष्‍टदायक।

आनंदित - (वि.) (तत्.) - (व्यक्‍ति) जिसे आनंद हुआ हो हर्षित।

आनंदोत्सव - (पुं.) (तत्.) - आनंद के लिए मनाया जाने वाला उत्सव।

आन - ([तद्.< आणि]) (स्त्री.) - प्रतिष्‍ठा; सम्मान; टेक। उदा. भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी अपने देश की आन पर मर मिटने को सदा तैयार रहते थे।

आनत - (तत्.) (वि.) - झुका हुआ, ढाल युक्‍त, कुछ ढाल बनाकर रखा गया।

आनति - (तत्.) (स्त्री.) - झुकाव, ढाल।

आनन-फानन - (क्रि.वि.) (अर.) - तत्काल, उसी क्षण, तुरंत, फ़ौरन।

आनर्त - (पुं.) (तत्.) - 1. गुजरात प्रांत के वर्तमान काठियावाड़ और सौराष्‍ट्र के एक क्षेत्र का प्राचीन नाम। 2. रंगमंच, नाच घर, नाट्यशाला। युद्ध अथवा लड़ाई।

आना - (तद्.<आवन < आगमन]) - क्रि. 1. बोलने वाले के पास पहुँचना। उदा. इधर आओ। 2. प्रकट होना या सामने दिखना। उदा. मुंबई से कब आए। बिजली चार बजे आएगी, पसीना आना, बुखार आना। 3. समय प्रारंभ होना। उदा. अब गरमियाँ आएँगी। 4. पौधों में फल-फूल आदि लगना। उदा. गमले में फूल आया है। 5. मन के भाव प्रकट होना। उदा. मज़ा आना, हँसी आना, रोना आना। 6. ज्ञान होना। उदा. यह प्रश्‍न किसे आता है। अन्य प्रयोग-सपने आना, टॉफ़ी एक रुपए में आती है, पुस्तक में कई बार आया है, अब करोलबाग आएगा, एक नई पिक्चर आई है, किताबें आई है, आदि।

आनाकानी - ([तद्.<अन+ आकर्णन = कान लगाकर सुनना]) (स्त्री.) - किसी सुनी हुई बात को अनसुनी करने यानी ध्यान न देने का कार्य; टाल-मटोल। उदा. मैं जब भी उसे कुछ करने को कहता हूँ, वह आनाकानी करने लगता है।

आनुवांशिक - (तत्.) - [अनु +वंश+इक] वंश परंपरा से प्राप्‍त, पुश्तैनी।

आनुवांशिक - (तत्.) - [अनु+वंश+इक] वंश परंपरा से प्राप्‍त, पुश्तैनी।

आप - (तद्.+आप्त) (सर्व.) - 1. बड़ो को आदर प्रकट करने के लिए `तुम’ या `वह’ के स्थान पर बहूवचनात्मक प्रयोग जैसे: 1. आप यहाँ बैठिए। 2. पं. रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी के आचार्य है। आपने कई पुस्तकें लिखी हैं। 2. स्वयं, खुद उदा. मै आप ही (अपने आप) यह कह लूँगा।

आपत्काल - (पुं.) (तत्.) - संकट का समय।

आपत्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. दु:ख, कष्‍ट, विपत्‍ति, संकट calamity 2. दु:ख-कष्‍ट का समय bad days 3. किसी बात में दोष निकालना या उससे असहमत होना। उदा. मुझे इस शब्द पर आपत्‍ति है। objection पर्या. एतराज़।

आपत्‍तिजनक - (वि.) (तत्.) - आपत्‍ति करने योग्य, जिस पर आपत्‍ति की जा सके। उदा. तुम्हारी आपत्‍तिजनक हरकतें अब सीमा से बाहर होती जा रही हैं। objectionable

आपत्‍तिजनक कृत्य - (पुं.) (तत्.) - कोई भी ऐसा काम जो सामाजिक मर्यादा (ओं) का उल्लंघन करने वाला हो।

आपदा - (स्त्री.) (तत्.) - अनजाने में घटित हुई (आ पड़ी) अत्यंत कष्‍टकर घटनाएँ; घोर विपत्‍ति। calamity, disaster misfortuine

आपदा प्रबंधन - (पुं.) (तत्.) - बाढ़, भूकंप, महामारी, सूखा जैसी प्राकृतिक दुर्घटनाओं से तत् काल निपटने के लिए अपनाए जाने वाले त्वरित, योजनाबद् ध एवं प्रभावकारी उपाय। desaster management

आपबीती - (स्त्री.) (देश.) - वह बात या घटना जो स्वयं अपने ऊपर घटित हुई हो या खुद ने अनुभव की हो।

आपसदारी - (स्त्री.) (दे.) - एक-दूसरे के बीच का संबंध, पर्या. पारस्परिकता।

आपसी - (वि.) (दे.) - एक दूसरे से संबंधित, आपस का पर्या. पारस्परिक।

आपा - (पुं.) (स्त्री.) - 1. स्वयं की सत्‍ता, अपना अस्तित्व, 2. अहंभाव, अभिमान, 3. होश-हवास, सुध-बुध, चेतना। उदा. (हिंदी) बड़ी बहिन (के लिए संबोधन) मुहा. आपा खोना/तजना = अहंभाव छोड़ना, नम्र हो जाना। आपे में न रहना = अत्यंत क्रोधित होना, होश खो देना। आपे से बाहर होना = क्रोध में स्वयं पर नियंत्रण न रख पाना।

आपात - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ आ गिरा/गिरी) पुं. 1. सहसा उत्पन्न हुई (स्थिति जिसके निराकरण हेतु तत् काल कार्रवाई अपेक्षित है।) 2. राष्‍ट्रीय संकट की स्थिति जिसका पूर्वाभास न हो।)

आपातकाल - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ कष्‍ट का समय, बुरा समय। वि. अर्थ वह घटना या विषम परिस्थिति जो अचानक ऐसे रूप में सामने आ जाए जिसकी पहले से कोई संभावना या कल्पना न की गई हो। वि. अ. अर्थ अचानक घटित वह विकट स्थिति जिसमें शासन जनता के वैयक्‍तिक अधिकारों को स्थगित कर देता है और सारे अधिकार अपने नियंत्रण में कर लेता है। पर्या. आपात स्थिति emergency

आपातस्थिति - (स्त्री.) (तत्.) - अकस्मात् आई संकट की घड़ी। emergency

आपाधापी - (स्त्री.) (देश.) - अपने हित के लिए कुछ पा लेने हेतु भीड़ में मची अव्यव या धक्कामुक्की। उदा. भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले हॉकी मैच के टिकट के लिए दर्शकों में आपाधापी मची हुई है।

आपूर्ति - (तत्.)[आ + पूर्ति] (स्त्री.) - किसी वस्तु के अभाव को दूर करने के लिए उस वस्तु को आवश्यकतानुसार उपलब्ध करा देने की क्रिया; संभरण, पूर्ति करने का भाव, उपलब्ध करना। पर्या. पूर्ति।

आपेक्षिक - ([अपेक्षा + इक]) - किसी अन्य की अपेक्षा, तुलना या अनुपात के सदंर्भ में; सापेक्ष, परस्पर आश्रित। उदा. दिल्ली की तुलना में शिमला की आपेक्षिक आर्द्रता उसकी ऊँचाई और हरियाली पर निर्भर करती है।

आप्रवासी - ([आ + प्रवास + ई]) (वि./पुं.) - किसी देश विशेष में अन्य देश से आकर बस जाने वाला व्यक्‍ति या व्यक्‍तियों का समूह। उदा. मारीशस में आप्रवासी भारतीयों की संख्या अत्यधिक है। immigrant तु. उत्प्रवासी।

आफ़त - (स्त्री.) - (अरबी) परेशानी में डालने वाली या कष्‍टकर स्थिति। विपत्‍ति, कष्‍ट, दु:ख। उदा. आफ़त आना; आफ़त मचाना; आफ़त खड़ी करना; आफ़त मोल लेना।

आबंटन - ([आ + बंटन]) (पुं.) - (i) किसी वस्तु-समूह का अनेक के बीच बँटवारा, बाँटना, विभाजित करना; वितरण करना, अलग रखना।  (ii) किसी वस्तु समूह का विविध कार्यों के लिए आनुपातिक नियतन।

आब - (स्त्री.) (फा.) - चमक, तडक़ भडक़, शोभा। पुं. पानी।

आबरू - (स्त्री.) (फा.) - इज़्ज़त, आत्म सम्मान, प्रतिष्‍ठा, शील। मुहा. 1. आबरू उतारना = इज़्ज़त मिट्टी में मिलाना। 2. आबरू में बट्टा लगना = इज़्ज़त में कलंक, धब्बा या दाग लगना। 3. आबरू लुटना = स्त्री का सतीत्व नष्‍ट होना।

आबाद - (फा.) - बसा हुआ (गाँव, नगर), बस्ती वाला इलाका।

आबादी - (स्त्री.) (फा.) - (फ़ा) 1. स्थान विशेष पर बसे हुए/रहने वाले लोगों की कुल संख्या। पर्या. जनसंख्या population 2. किसी भौगोलिक इकाई के भीतर एक समय विशेष में रहने वाले लोगों की संख्या, जनसंख्या।

आबोदाना - (पुं.) (फा.) - 1. जल और अन्‍न या अन्‍न-जल 2. जीविका, रोज़ी। जैसे: जब तक यहाँ का आबोदाना रहेगा, तब तक रहेंगे। मुहा. आबोदाना उठ जाना=किसी स्‍थान विशेष में जीविका का साधन न रह जाना।

आबोहवा - (पुं.) (फा.) - सर्दी-गर्मी स्वास्थ्य आदि के विचार से किसी देश की प्राकृतिक स्थिति; जलवायु। प्रयो. कश्मीर की आबोहवा बहुत अच्छी है।

आभा - (स्त्री.) (तत्.) - कांति, चमक-दमक। उदा. नवरात्रि में दुर्गा की सजी-धजी मूर्तियों की दर्शनीय होती है।

आभार - (पुं.) (तत्.) - सामान्य या विशेष अवस्था में सहयोग करने वाले के प्रति अथवा किसी के द्वारा उपकृत होने पर उसके प्रति प्रकट की गई कृतज्ञता। जैसे: रक्‍त देने पर मैंने मित्र के प्रति आभार व्यक्‍त किया। पर्या. एहसान।

आभारी - (वि.) (तत्.) - आभार मानने वाला, कृतज्ञ (i) जिसके साथ कोई उपकार किया गया हो; (ii) जो दूसरों द्वारा अपने पर किए गए उपकारों को दिल से महसूस करे। अहसानमंद।

आभास - (पुं.) (तत्.) - [आ+भास] (i) पूर्व ज्ञान, भावी परिणाम की झलक। उदा. जन भावना देखकर मुझे आभास हो गया था कि इस बार आम चुनाव में अमुक दल विजयी होगा। (ii) प्रतिबिंब, छाया। (iii) मिथ्या ज्ञान, भ्रम जैसे रात्रि में रस्सी देखकर साँप का आभास होना, रस्सी को साँप मान लेना।

आभिजात्य - (वि.) ([तत्.<अभिजात]) - कुलीनों से संबंधित, श्रेष्‍ठवंशीय।

आभूषण - (पुं.) (तत्.) - किसी की शोभा या सुंदरता को बढ़ाने वाली वस्तु; जेवर, गहना, अलंकार।

आमंत्रण - (पुं.) (तत्.) - [आ+मंत्र+न] बुलावा, बुलाना, आह् वान।

आमंत्रित [आ+मंत्र+इत्] - (तत्.) (वि.) - बुलाए गए, आहूत।

आम - (अर.) (पुं.) - 1. जिसमें जन-साधारण की भागीदारी हो। जैसे : आम चुनाव, 2. साधारण, मामूली जैसे: आम आदमी, 3. जनसाधारण के लिए खुला। जैसे: आम जलसा, दरबारे आम। प्रयोग खुले आम = सबके सामने ( न कि छिपे तौर पर)। सर्वव्यापक, सार्वजनिक जैसे: आम माफ़ी, विलो. खास तद्.  <आम्र] उष्णकटिबंधीय और वसंत ऋतु में फलने वाला वृक्ष और उसके फल जिनके कड़वे होने पर उनकी सब्जी बनाई जाती है या अचार डाला जाता है और पकने पर या तो चूसा जाता है अथवा काट कर खाया जाता हैं mango

आम आदमी - (पुं.) (तत्.) - [आ + आदमी] किसी भी देश का वह नागरिक जिसे कोई विशेष पद या ओहदा प्राप्‍त न हो; वह साधारण या मामूली आदमी जिसकी गिनती गिने-चुने लोगों में न होती है। उदा. इस महँगाई में आम आदमी का जीवन सहज नहीं है।

आम चुनाव - (पुं.) (अर. तद्.) - (भारतीय संदर्भ में) लोकसभा के लिए होने वाली चुनाव प्रक्रिया जिसमें पूरे देश के मतदाता भाग लेते हैं। पर्या. आम निर्वाचन general election

आम जनता - (स्त्री.) ((अ. तत्.) - किसी देश, प्रदेश या स्थान विशेष के विशेषाधिकार रहित सामान्य जनसमूह की वाचक संज्ञा, साधारण जनता, जनता public

आम सभा (अ.) - (स्त्री.) - 1. किसी संगठन द्वारा आयोजित वह सभा जिसमें सभी सदस्य सम्मिलित हो सकें। 2. किसी सार्वजनिक हित से संबंधित विषय पर आयोजित ऐसी सभा जिसमें सम्मिलित होने और विषय विशेषज्ञों तथा जन-प्रतिनिधियों (नेताओं) के विचार सुनने के लिए स्थानीय जनता सार्वजनिक सूचना के माध्यम से आमंत्रित हो। पर्या. सार्वजनिक सभा public meeting

आम हड़ताल - (स्त्री.) (अर.+तद्.<हट्ट+ताला) ) - 1. जन-सामान्य की हड़ताल, 2. अपनी माँगें न माने जाने पर अथवा किसी अन्याय के विरुद्ध अपना असंतोष व्यक्‍त करने के लिए संबंधित असंतुष्‍ट दल द्वारा सभी व्यवसायियों, कर्मचारियों या जनसाधारण से भी काम बन्द रखने का आह्वान अथवा जोर-जबरदस्ती से कामकाज बंद करवाने का प्रयत्‍न। general strike

आमतौर पर - (क्रि.वि.) (अर.) - सामान्य रूप से; प्राय:। विलो. विशेषतौर पर, खासकर। उदा. आमतौर पर बंगाल के लोग चावल और मछली भोजी हैं।

आमद - (स्त्री.) (फा.) - 1. आगमन, आना, 2. आपूर्ति, 3. आय।

आमदनी - (स्त्री.) (फा.) - आया हुआ या कमाया गया धन। पर्या. आय।

आमना-सामना - (पुं.) (देश.पहला पद अनु.) - 1. मुलाकात, भेंट उदा. मेले में हमारा आमना-सामना भर हुआ। 2. टकराव, संघर्ष उदा. उन दोनों के बीच आमना-सामना जरूर हुआ किंतु जीत किसी की नहीं हुई।

आमने-सामने - (क्रि.वि.) (देश.पहला पद अनु.) - एक दूसरे के समक्ष या मुकाबले में।

आमरण [आ :तक+मरण] - (क्रि.वि.) (तत्.) - जब तक मृत्यु न हो जाए तब तक, मृत्युपर्यंत पर्या. आजीवन, जीवनभर, जि़ंदगी भर।

आमरण अनशन - (पुं.) (तत्.) - किसी माँग की पूर्ति को सक्षम प्राधिकारी द्वारा अस्वीकृत कर दिए जाने पर व्यक्‍ति या व्यक्‍ति समूह द्वारा की गई ऐसी सार्वजनिक घोषणा की जब तक वह माँग मानी नहीं जाती तब तक वह व्यक्‍ति या व्यक्‍ति समूह अन्नजल ग्रहण नहीं करेगा, भले ही ऐसी स्थिति में उसकी मृत्यु ही क्यों न हो जाए। fast unto death

आमादा - (वि.) (फा.) - तत्पर, उद्यत, तैयार उदा. वह लड़ने को आमादा हो गया।

आमाप - (पुं.) (तत्.) - किसी पदार्थ की मात्रा का निर्धारण करने वाली युक्‍ति। पैमाना, कसौटी, परख।

आमापन - (पुं.) - किसी पदार्थ की मात्रा का निर्धारण करने वाली क्रिया जैसे: बहुमूल्य धातुओं की शुद्धता का आमापन।

आमाशय - (पुं.) (तत्.) - [आम = बिना पका भोजन + आशय = स्थान] पेट के अंदर की वह थैली जहाँ दाँतों से चबा हुआ भोजन ग्रासनली के माध्यम से पहुँचता और पचता है। stomach

आमुख - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी भी कृति की प्रस्तावना (प्रीएंबल)। पर्या. भूमिका, प्राक्कथन, पुरोवाक आदि। 2. पत्र. किसी समाचार के मुख्य अंश को प्रमुखता से व्यक्‍त करने वाला प्रारंभिक अनुच्छेद जो प्राय: काले या बड़े अक्षरों से योजित होता है। intro, lead पर्या. मुखज़।

आमूल - (क्रि.वि.) (तत्.) - जड़ से लेकर; जड़ तक (समूचा)। उदा. भारी आँधी में कई वृक्ष आमूल नष्‍ट हो गए।

आमूल-चूल - (क्रि.वि.) (तत्.) - शा.अर्थ 1. (वृक्ष की) जड़ से शिखर (ऊपरी चोटी)। जैसे: आमूल चूल परिवर्तन = संपूर्ण परिवर्तन। radical change उदा. फ्रांसीसी क्रांति ने मध्यकालीन यूरोप में आमूलचूल परिवर्तन के बीज बो दिए।

आमोद-प्रमोद - (पुं.) (तत्.) - मन को खुशियों से भर देने वाले हँसी-खुशी के कार्यकलाप। पर्या. मौज मस्ती meriment उदा. खेल भवन में बालकों के आमोद-प्रमोद के सभी साधन उपलब्ध हैं।

आम्र - (पुं.) (तत्.) - आम का पेड़, आम का फल दे. आम पुं.

आय - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ आना, आगम, आवक। अर्थ. किसी निश्‍चित समयावधि में (विशेषकर एक वर्ष में) किसी व्यक्‍ति विशेष को होने वाली प्राप्‍ति जो मुद्रा में आँकी जाती है। पर्या. आमदनी income विलो. व्यय, खर्च।

आयकर - - शा.अर्थ आय पर लगने वाला कर। अर्थ नागरिकों, कंपनियों और अन्य व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठानों की वार्षिक आय पर केन्द्र सरकार द्वारा लगाया जाने वाला प्रत्यक्ष कर। income tax

आयत - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ विस्तृत, चौड़ा, विशाल; खींचा गया। 1. पुं. तत्. (रेखागणित) चार भुजाओं वाली वह आकृति जिसके चारों समकोण वाले यानी 90° वाले और आमने-सामने की भुजाएँ समान लंबाई वाली होती हैं। rectangle 2. स्त्री. अर. कुरान का कोई वाक्य।

आयतन - (पुं.) - किसी ठोस पिंड द्वारा घेरी गई कुल जगह। इसका मात्रक घन होता है volume

आयतन कोण - (पुं.) - आपतित किरण तथा अभिलंब के बीच का कोण।

आयताकार - (तत्.) - आयत के आकार वाला/वाली। टि. आयत-चार भुजाओं वाली वह आकृति जिसके सभी कोण समकोण (90°) होते हैं तथा लंबाई अधिक तथा चौड़ाई कम होती है किंतु आमने सामने की भुजाएँ बराबर होती है।

आयन मंडल - (पुं.) (तत्.) - पृथ्वी के चारों ओर फैले वायु के आवरण के मध्य क्षेत्र का वह भाग जहाँ से रेडियो तरंगें परावर्तित होकर पृथ्वी के सुदूर क्षेत्रों में संचरित होती है। inospear टि. आयन (ion): परमाणु या परमाणु समूह जिसमें इलेक्ट्रॉनों की न्यूनाधिकता के कारण ऋण (–) या धन (+ आवेश होता है)।

आया - (तद्.) (स्त्री.) - 1. ‘आना’ क्रिया का एकवचनांत भूतकाल का रूप। (पुर्त.) बच्चों की देखभाल करने वाली महिला। पर्या. दाई, धाय।

आयातित - ([आयात + इत प्रत्यय]) (तत्.) - वह वस्तु या माल जो व्यापार हेतु दूसरे देश से अपने देश में मँगाया गया हो। imported विलो. निर्यातित।

आयाम - (पुं.) - शा.अर्थ 1. फैलाव, लंबाई। 2. नियमन, रोक जैसे प्राणायाम = प्राणवायु का नियमन। भौ. किसी आवर्त गति वाले दोलन या कंपन में दोलन या कंपन करने वाली वस्तु का मध्य स्थिति से दोनों ओर महत्‍तम विस्थापन। amplitude टि. सामान्य व्यवहार में ‘डाइमेन्शन’ के लिए ‘आयाम’ पर्याय का प्रयोग हो रहा है, किंतु विज्ञान विषयों में ‘आयाम’ डाइमेन्शन नहीं है, ‘ऐमप्लिट्यूड’ है। इन तकनीकी शब्दों के प्रयोग में सावधानी बरतना अनिवार्य है।

आयामी - (वि.) (दे.) - एकाधिक आयामों से युक्‍त। जैसे: बहुआयामी व्यक्‍तित्व; विस्तृत आयाम वाला। 1. लंबा-चौड़ा दे. आयाम (सा.अर्थ) 2. नियम अथवा नियंत्रण में रखने वाला।

आयु - (स्त्री.) (तत्.) - 1. जन्म से मृत्यु तक का समय। life 2. जन्म से शणनाकाल तक का समय (वर्षों में) जिसका मानक वर्ष है और जिसकी अंतिम सीमा मृत्यु है। पर्या. वय, उम्र, जीवनकाल। age

आयु - (स्त्री.) (तत्.) - आयु. रोग विशेष जिसके प्रभाव से शरीर का कोई अंग निश्‍चेतन अवस्था वाली या शक्‍तिहीन हो जाता है। लकवा (दे. पक्षाघात)

आयुक्‍त - (पुं.) (तत्.) - 1. एकाधिक जिलों के मंडल कमिश्‍नरी का सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी। 2. किसी आयोग का सर्वोच्च अधिकारी।

आयुध निर्माणी - (स्त्री.) (तत्.) - सैन्य कार्रवाई में प्रयुक्‍त होने वाले अस्त्र-शस्त्रों के निर्माण और संयोजन की शाला। ordnance factory

आयुध - (पुं.) (तत्.) - युद्ध के हथियार; सेना में काम आने वाले अस्त्रशस्त्र। ordnance, arms and ammunition

आयुधशाला - (स्त्री.) (तत्.) - रक्षाबलों द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों में प्रयुक्‍त अस्त्र-शस्त्रों की सुरक्षा और संग्रह का आगार। ordnance depot

आयुर्विज्ञान - (पुं.) (तत्.) - 1. आयु संबंधी विज्ञान medical science 2. रोगों की चिकित्सा यानी उपचार से संबंधित विज्ञान। पर्या. चिकित्साशास्त्र medicine

आयुर्वेद - (पुं.) (तत्.) - 1. ऋग्वेद या कुछ विद्वानों के मतानुसार अथर्ववेद का एक उपवेद जिसमें स्वास्थ्य एवं दीर्घ आयु के सिद्धांतों की चर्चा है। 2. (ऐलोपेथी, होमियोपेथी जैसी विदेशी चिकित्सा पद्धतियों की तुलना में) प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति।

आयुवर्ग - (पुं.) (तत्.) - 1. व्यक्‍तियों का आयु के अनुसार विभाजन या श्रेणीकरण। 2. लगभग समान उम्र के व्यक्‍तियों या छात्रों का समूह। उदा. 15 से 20 वर्ष तक का आयु वर्ग।

आयुष्मान - (आयुष्मती) (वि.)(तत्.) - लंबी आयु वाला दीर्घजीवी, चिरंजीवी।

आयोग - (पुं.) (तत्.) - 1. एक या एक से अधिक निर्दिष्‍ट अधिकारसंपन्न व्यक्‍तियों का वह समूह जिसे किसी निर्दिष्‍ट कार्य या घटना की छानबीन करने तथा उसके संबंध में पूर्व निश्‍चित अवधि में अपनी रिपोर्ट देने के लिए सरकार द्वारा नियुक्‍त किया गया हो। commission 2. किसी निर्दिष्‍ट कार्य के सम्यक् निष्पादन के लिए एक अध्यक्ष के अधीन स्थापित स्थायी या अस्थायी अवधि का अभिकरण।

आयोजक - (वि./पुं.) (तत्.) - किसी नियत कार्य (जैसे: बैठक, संगोष्‍ठी, सभा आदि की संपूर्ण व्यवस्था की देखभाल करने वाला व्यक्‍ति या व्यक्‍ति समूह। organizer दे. आयोजन।

आयोजन - (पुं.) (तत्.) - समुचित योजना बनाकर किसी कार्य के आरंभ से लेकर अंत तक पूरा करने की व्यवस्था। जैसे: वार्षिकोत्सव का आयोजन, प्रतियोगिता खेल-कूद का आयोजन।

आयोजना - (स्त्री.) (तत्.) - दे. ‘आयोजन’।

आयोजित - (वि.) (तत्.) - 1. जिसका आयोजन किया गया हो। दे. ‘आयोजन’।

आरंभ - (पुं.) - 1. किसी भी कार्य के प्रवर्तन का शुरूआती चरण। 2. शुरू होने की क्रिया भी/उत्पत्‍ति।

आरंभिक [आरंभ + इक] - (वि.) (तत्.) - 1. आरंभ का, शुरू का। 2. किसी कार्य को शुरू करने से पहले के वे काम, जिन पर आगे का काम आधारित है। preliminary

आरक्षण - (पुं.) - किसी पद, आसन सुविधा आदि को सुनियोजित ढंग से, निश्‍चित करना। जैसे: रेलवे आरक्षण, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आदि के लिए पदों का आरक्षण। reservation

आरक्षित - (वि.) (तत्.) - जिसका आरक्षण किया गया हो। reserved दे. आरक्षण।

आरक्षी - (वि.) (तत्.) - पूरी तरह से रक्षा करने वाला। पुलिस का पर्याय police

आरजू - (स्त्री.) (फा.) - विनय, विनती, प्रार्थना, अनुरोध। उदा. आप से मेरी आरजू है कि कल आप मेरे घर पधारें।

आरती - (स्त्री.) (तद्.<आरात्रि]) - 1. देवमूर्ति के सामने भक्‍ति सूचक दीपक घुमाने की क्रिया। जैसे: आरती उतारना। 2. वह दीप पात्र जिसे देवमूर्ति के आगे घुमाया जाए। 3. वे स्रोत या स्तुतियाँ जो इस अवसर पर गाई जाएँ। जैसे: आरती गाना।

आर-पार [आर=इधर का/यह किनारा+पार=उधर का/दूसरा किनारा] - (क्रि.वि.) (देशज.) - इस सिरे से उस सिरे तक, एक सिरे से दूसरे सिरे तक। उदा. लकड़ी में आर-पार छेद है।

आरा - (तद्.< आदारक) (पुं.) - लोहे की बड़ी दाँतेदार पटरी जिससे लकड़ी चीरी जाती है।

आराधक - (वि.) (तत्.) - आराधना करने वाला दे. आराधना।

आराधना - (स्त्री.) (तत्.) - मूल अर्थ प्रसन्न करने के विविध उपाय। पर्या. अर्थ पूजन, पूजा, उपासना, अर्चना। worship

आराम तलब - (वि.) (फा.) - आराम चाहने वाला (यानी मेहनत न करने वाला); पर्या. आरामपसंद।

आराम - (पुं.) (फा.) - 1. शारीरिक और मानसिक परिश्रम के बाद शरीर और मन को विश्राम देने की स्थिति, थकावट मिटाने का कार्य। रेस्ट 2. बीमारी की स्थिति में पहले से कुछ/बहुत कमी। उदा. इस दवा के लेने से मुझे अब आराम महसूस हो रहा है। relief

आरामगाह [आराम + शाह] - (स्त्री.) (फा.) - आराम करने का कमरा, भवन आदि। पर्या. विश्राम स्थान/स्थल rest house दे. ‘आराम’

आरामदेह [आराम+देह] - (वि.) (फा.) - आराम/देने वाला/वाली; विश्रामदायक।

आरी - (स्त्री.) (दे.) - लकड़ी चीरने का एक हस्तचालित छोटा दाँतीदार औज़ार। hand saw दे. ‘आरा’।

आरोग्य - (पुं.) (तत्.) - अरोग (नीरोग) होने की स्थिति भाव। पर्या. स्वास्थ्य। उदा. लंबी बीमारी के बाद कक्षा में उपस्थिति से पहले आरोग्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है।

आरोप पत्र - (विधि.) (दे.) - वह पत्र जिसके द्वारा किसी को अपराधी घोषित करने का आरोप लगाया गया है। charge sheet दे. आरोप।

आरोप - (पुं.) (तत्.) - 1. विधि. किसी पर अपराधी होने का लगाया गया चार्ज 2. एक पदार्थ में दूसरे पदार्थ के गुणधर्म की की गई कल्पना का दोषारोपण, दोषारोपण, इलजाम। 3. कर आदि लगाना, उगाहना या लेना।

आरोपक - (वि/पुं.) (तत्.) - 1. आरोप लगाने वाला (व्यक्‍ति) दे. आरोप। 2. पौधा रोपने वाला (व्यक्‍ति) दे. आरोपण।

आरोपण - (पुं.) (तत्.) - 1. आरोप लगाने की क्रिया या भाव। 2. एक जगह से उखाडक़र दूसरी जगह रोपने की अथवा कलम लगाने की क्रिया।

आरोपपत्र - (पुं.) (तत्.) - 1. प्रशा. अनुशासन भंग करने वाले कर्मचारी को दिया गया उसके कदाचर/णों दोषों का वह औपचारिक पत्र जिसके अनुसार उसके विरुद् ध कार्रवाई का सूत्रपात किया जाता है। 2. विधि. अभियोजन पक्ष द्वारा अदालत में अभियुक्‍त के खिलाफ़ दाखिल किया गया दस्तावेज। charge sheet

आरोपित - (वि.) - 1. विधि. जिस पर आरोप लगा हो या लगाया गया हो। accused charged 2. कृषि. एक जगह से उखाडक़र दूसरी जगह रोपा गया। transplanted

आरोपी - (पुं.) - वह व्यक्‍ति जिस पर अपराध करने का दोष लगाया गया हो ओर जो अपने पर आरोपित अपराध को मिथ्या सिद्ध करने के लिए प्रतिवादी हो।

आरोह - (पुं.) (तत्.) - ऊपर की ओर जाने (चढ़ने) का भाव। विलो. अवरोह।

आरोहण - (पुं.) (तत्.) - 1. ऊपर की ओर बढ़ना/चढ़ना। जैसे: पर्वतारोहण [पर्वत + आरोहण]। 2. सवारी करना जैसे: अश्‍वारोहण (अश्‍व + आरोहण)।

आरोही लता - (स्त्री.) (तत्.) - वह पौधा जो किसी सहारे के चारों ओर लिपटकर अथवा अपने प्रतान tendril आदि के द्वारा उससे चिपके रहकर ऊपर को बढ़ता है। climber

आर्गान - (पुं.) (तत्.) - (अं.) रसा. रंगहीन, गंधहीन, अधात्विक, अक्रिय गैसीय व। प्रतीक Ar, परमाणु क्रमांक 18, आपेक्षिक परमाणु द्रव्यमान 39.948

आर्त - (वि.) (तत्.) - शारीरिक चोट खाने या मानसिक पीड़ा सहने के कारण उत्पन्न।

आर्तक्रंदन - ([आर्त+क्रंदन]) (तत्.) - पीड़ा जन्य ध्वनि, दु:ख से चिल्लाना, दर्द से कराहना। दे. ‘आर्त’

आर्तनाद - (पुं.) (तत्.) - पीड़ा के कारण मुख से निकलने वाली दीर्घकालीन ध्वनि/आवाज़।

आर्थिक [अर्थ+इक] - (वि.) (तत्.) - धन अर्थात् रुपए-पैसे से संबंधित। उदा. उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। economic

आर्द्र - (वि.) (तत्.) - गीला, नम। ला.अर्थ 1. मृदु, कोमल। 2. दयालु।

आर्द्रता [आर्द्र+ता] - (स्त्री.) (तत्.) - 1. गीलापन, 2. हवा में व्याप्‍त भाप की मात्रा, नमी। 3. ला.अर्थ मन का पसीज जाना; दयालुता।

आर्द्रतामापी - (पुं.) (तत्.) - भौति. वायु में विद्यमान जलवाष्प या नमी मापने का विशेष मंच।

आलंबन - (पुं.) (तत्.) - 1. सहारा; लटकन। 2. साहि. शास्त्र विभाव का एक भेद जिस पर भाव या रस टिकता यानी अवलंबित होता है। जैसे: श्रृंगार रस में नायक-नायिका।

आलपिन - (स्त्री.) - पुर्त. वह छोटी और पतली लोहे के तार से बनी कील जिसका एक सिरा सुई की नौंक जैसा होता है तो दूसरे सिरे पर घुंडी होती है। यह कागजों को आपस में जोड़ने के काम आती है।

आलम - (पुं.) (अर.) - 1. संसार, दुनिया, जगत। जैसे: आलमपनाह = संसार का रक्षक, आलमगीर = संसार को जीतने वाला। 2. दुनिया के लोग। 3. भीड़, जनसमूह उदा. क्या आलम इकट्ठा कर लिया है। 4. दृश्य, नज़ारा उदा. काश्मीर का आलम ही विचित्र है। 5. (खराब) दशा, स्थिति, अवस्था उदा. तुमने अपना यह कैसा आलम बना रखा है।

आलमारी - (दे.) - ‘अलमारी’।

आलय - (पुं.) (तत्.) - 1. घर, मकान। 2. स्थान जैसे: विद्यालय, पुस्तकालय, देवालय।

आलस - (पुं.) ([तत्.< आलस्य] ) - 1. कार्य करने का उत्साह न होना। 2. कार्य करने का मन न होना, बिना कारण कार्य को टालते रहना। पर्या. सुस्ती, काहिली।

आलसी - (वि./पुं.) - जो आलस करता हो। काम करने में ढीलापन दिखाने वाला/बरतने वाला (व्यक्‍ति)। पर्या. सुस्त, काहिल, निरुत्साही।

आला - (पुं.) (तद्.< आलय]) - दीवार में बना चौकोर स्थान जहाँ कोई वस्तु रखी जा सके। पर्या. ताखा। पुं. अर. 1. हथियार, औज़ार, 2. चिकित्सकों का एक उपकरण stethoscope वि. अर. 1. प्रथम श्रेणी का। जैसे: आला दरज़े का विद्वान/बेवकूफ़। 2. प्रमुख, प्रधान। जैसे: वज़ीरे आला (प्रधानमंत्री)

आलाप - (पुं.) (तत्.) - 1. आपस में होने वाली बातचीत, संभाषण। उदा. वहाँ दो संत परस्पर आलाप कर रहे थे। 2. संगीत में राग को मात्र स्वरों में प्रकट करना या स्वरों का विस्तारपूर्वक साधन, रागविस्तार, तान। उदा. गायन से पहले उन्होंने एक लंबा आलाप प्रस्तुत किया।

आलिंगन - (पुं.) (तत्.) - दो व्यक्‍तियों का परस्पर बातों में भरकर और गले मिलना। उदा. मेरा मित्र वर्षों बाद विदेश से लौटा तो मैंने उसे आलिंगन बद्ध कर लिया।

आलीशान - (अर.)= भव्यता, शोभा; प्रतिष्ठा] (वि.) - जो देखने, सुनने मे बड़ी भव्यता वाला हो। शानदार, भव्य। जैसे: आलीशान इमारत।

आलू - (पुं.) (तद्.< आलुक/आलूक]) - खेतों में जमीन के अंदर गोलाकार गाँठ के रूप में पैदा होने वाला एक प्रकार का कंद, जिसमें मंड (स्‍टार्च) की प्रधानता होती है और जिसकी सब्जी बनती है।

आलूबुखारा - (पुं.) (फा.) - आलूचा नामक वृक्ष का सुखाया हुआ फल, जो औषधि के भी काम आता है।

आलेख - (पुं.) (तत्.) - 1. विषय विशेषज्ञ द्वारा अपने विषय पर किसी सभा-सम्मेलन या विचार गोष्‍ठी में पढ़ा जाने वाला स्वत:पूर्ण लेख। paper 2. रेडियो, दूरदर्शन, फिल्म आदि का पाठ या पटकथा। script

आलेखन - (तत्.) - शब्दों से या रेखाओं से चित्रण करना। कोई रचना तैयार करना। लिखना तस्वीर बनाना चित्राकंन। शा. अर्थ शब्दों से या रेखाओं से तैयार की गई कोई कृति।

आलोक - (पुं.) (तत्.) - प्रकाश; चमक, ज्योति लाइट

आलोकित - (वि.) (तत्.) - प्रकाशित

आलोचक - (वि.) (तत्.) - किसी व्यक्‍ति या कथन वस्तु को देख-सुनकर गुण-दोष की दृष्‍टि से उसकी विवेचना करने वाला (व्यक्‍ति)। पर्या. समालोचक। उदा. कवि का कार्य है रचना करना और आलोचक का कार्य है उसे परखना (गुण-दोषों की विवेचना करना)। 2. किसी व्यक्‍ति, वस्तु या कथन को देख-सुनकर उसके गुणों की अपेक्षा दोषों को अधिक उजागर करने वाला (व्यक्‍ति)।

आलोचना - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी बात, कार्य, साहित्यिक रचना या व्यक्‍ति आदि के गुण-दोषों तथा उपयोगिता के विषय में किया जाने वाला दो टूक विचार। पर्या. टीका-टिप्पणी, समीक्षा। 2. निंदा या बुराई, कमियाँ गिनाने का कार्य। जैसे: कठोर आलोचना। 3. भले-बुरे की परख।

आल्हा (व्यक्‍तिवाचक पुं. संज्ञा) - (पुं.) - 1. एक योद् धा का नाम जो परमर्दिदेव के सेनापति थे। 2. आल्हा एक वीरगाथा है-जिसमें आल्हा और उसके छोटे भाई ऊदल के कार्यों का वर्णन है। 2. 31 मात्राओं वाला वीर छंद। 3. आल्हा-ऊदल के वीरतापूर्ण जीवन का यशवर्णन करने वाली पद्धात्मक गाथा।

आवभगत - (देशज) - आतिथ्य, (प्रसन्नता के साथ किसी का) स्वागत सत्कार। जैसे : परिवार के साथ चेन्नई पहुँचने पर मित्र ने हमारी बड़ी आवभगत की।

आवरण - (संज्ञा) (तत्.) - (स.अर्थ 1. किसी वस्तु को ढकने, छिपाने का सूचक भाव। 2. आड़ करने वाली या ढकने वाली वस्तु। जैसे: परदा। 3. पुस्तक को खराब होने से बचाने के लिए उस पर मढ़ा या चढ़ाया गया कागज़, प्लास्टिक आदि का खेल।

आवर्त [आ+वर्त] - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ पूरी तरह से घूमना या चक्कर खाना। 1. पानी का भँवर। 2. एक निश्‍चित अवधि में पूँजी या माल के उपयोग की बारंबारता। जैसे: पण्यावर्त, पूँजी-आवर्त। 3. व्यावसायिक प्रतिष्‍ठान द्वारा एक निर्दिष्‍ट अवधि में किया गया कारोबार। turnover

आवर्तकाल - (पुं.) - 1. घटनाओं के पुनरावर्ती क्रम में वह समय जिसमें घटना का एक चक्र पूरा हो जाता है। उदा. लोलक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँच कर फिर से पहले सिरे तक पहुँचने की अवधि। 2. वह समयावधि जिसमें बार-बार घटने वाली घटना एक बार पूरी घटती है। जैसे: किसी ग्रह की कक्षीय गति का आवर्त काल। 3. महिलाओं में रजस्वला होने की सामान्यत: तीन दिनों वाली अवधि।

आवर्तन - (पुं.) (तत्.) - चक्कर काटने की क्रिया, घूम-फिर कर पहले वाली स्थिति में आ जाना। दे. ‘आवर्त’।

आवर्तिता - (स्त्री.) - बार-बार घटित होने का भाव। जैसे: राम के भाई के मित्र के साले के घर में। यहाँ संज्ञा + के का आवर्तन द्रष्‍टव्य है।

आवर्ती - (वि.) (तत्.) - 1. जो चारों ओर घूमता हो या चक्कर लगाता हो। 2. बार-बार होने वाला, आवर्तक। 3. एक निश्‍चित अवधि के पश्‍चात् बार-बार नियमित रूप से होने वाला, या किया जाने वाला जैसे: आवर्ती जमा, आवर्ती ब्याज, आवर्ती भूकंप आदि।

आवर्धक लेन्स - (पुं.) - (अं.) वह उत्‍तल लेन्‍स जो छोटी वस्तु को बड़े आकार में दिखाता हो।

आवर्धन - (पुं.) (तत्.) - किसी भी वस्तु/कथन को आकार-प्रकार में बढ़ाकर/बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना/प्रस्तुत करना।

आवर्धित - (पुं.) (तत्.) - जिसके आकार को बड़ा बनाकर दिखाया गया हो, बढ़ाया या फैलाया हुआ।

आवश्यक - (वि.) (तत्.) - 1. जो (कार्य) बिना विलंब के अवश्य होना चाहिए, पर्या. जरूरी urgent 2. जिसे छोड़ा न जा सके, जिसके बिना काम न चल सके। अनिवार्य necessary

आवश्यकता - (स्त्री.) (तत्.) - ऐसी वस्तु जिसे छोड़ा न जा सके, जरूरी होने या लगने का भाव; ज़रूरत।

आवा - (दे.) - ‘आँवाँ’।

आवागमन [आवह>आवा = आना + गमन = जाना] - (पुं.) (तत्.) - 1. लोगों, वाहनों आदि के आने और जाने की सूचक दोनों क्रियाओं का सम्मिलित नाम। जैसे: जुलूस की वजह से बहादुरशाह जफ़र मार्ग पर आवागमन घंटों प्रभावित रहा। 2. जन्म-मरण का चक्र।

आवाज़ - (स्त्री.) (फा.) - 1. शब्द, ध्वनि, नाद। 2. बोली, वाणी, स्वर। मुहा. आवाज़ देना/लगाना = पुकारना, बुलना। आवाज़ उठाना = अपनी बात ज़ोर से रखना (सामान्यत: विरोध में बात कहना) आवाज़ बैठना = मुख से आवाज़ का साफ़ न निकलना। 3. संदेश उदा. वक्‍त की आवाज़ है….

आवाजाही [आवा + जाही] - (फा.) - आने और जाने की सूचक दोनों क्रियाओं का सम्मिलित नाम। पर्या. आवागमन।

आवाजाही - (स्त्री.) - बार-बार या निरंतर आने और जाने की क्रिया।

आवारा - (वि./पु.) (फा.) - बिना किसी नियंत्रण के व्यर्थ इधर-उधर भटकने वाला। पर्या. आवारागर्द।

आवारागर्द - (वि./पुं.) (फा.) - दे. आवारा।

आवारागर्दी - (स्त्री.) (फा.) - बिना किसी नियंत्रण के व्यर्थ इधर-उधर भटकते रहने का काम।

आवास - (पुं.) (तत्.) - जीवों के रहने का (i) प्राकृतिक स्थान अथवा (ii) निर्मित स्थान। habitat

आवाहन - (पुं.) (तत्.) - प्रार्थना कर किसी को आदरपूर्वक बुलाना या आमंत्रित करना। उदा. पंडितों ने अग्निदेव का आवाहन कर यज्ञ आरंभ किया। invocation तुल. आह्वान।

आविर्भाव - (वि.आविर्भूत) (तत्.) - उत्पन्न होने, प्रकट होने, सामने आने आदि की सूचक क्रिया। जैसे: भारत में, राजा राम मोहन राय से आधुनिक युग का आविर्भाव माना जाता है। वि. आविर्भूत)

आविष [आ + विष] - (पुं.) - विष जैसा पदार्थ; विष जैसे: प्रभाव वाला पदार्थ; विषैला पदार्थं (टॉक्सिन) तु. विषि (जहर), जीविष (जीव + विष)

आविषता - (स्त्री.) - किसी पदार्थ की जीव को क्षति पहुँचाने की क्षमता। जैसे: फैक्टरियों के दूषित रसायनों का नदी जल में छोड़े जाने पर उसके जीवों पर होने वाला विषैला प्रभाव। पर्या. आविषालुता। toxicity

आविष्कर्ता - (वि.) (तत्.) - आविष्कार करने वाला, पर्या. आविष्कारक दे. आविष्कार।

आविष्कार - (पुं.) (तत्.) - अपने ज्ञान, अनुभव और बुद् धि के बल पर प्रस्तुत नया ज्ञान (सिद्धांत) या नई वस्तु invention तुल. खोज discovery

आविष्कारक - (वि./पुं.) - आविष्कार करने वाला (विशेषज्ञ व्यक्‍ति)।

आवृत - (वि.) (तत्.) - (चारों ओर से) ढका हुआ, छिपा हुआ, लिपटा हुआ अथवा घिरा हुआ।

आवृत्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. एक ही काम को बार-बार (कई बार) किया जाना। दुहराना, बारंबारता, अभ्यास। 2. किसी पुस्तक का पुन: प्रकाशन; अगली बार (ज्यों-का-त्यों) प्रकाशित किया जाना। तु. संस्करण।

आवेग - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ किसी कार्य के निष्पादन के लिए सहसा उत्पन्न प्रेरणा। जैसे: तंत्रिका आवेग impulse मनो. 1. चित्‍त की वह प्रबल वृत्‍ति जो व्यक्‍ति को बिना सोचे-समझे कोई कार्य करने के लिए प्रवृत्‍त कर देती है। 2. अकस्मात् किसी शुभ या अशुभ घटना के कारण मन में आने वाले हर्ष, शोक, भय, क्रोध इत्यादि विकार।

आवेदक - (वि.) (पुं.) - आवेदनकर्ता, आवेदन पत्र देने वाला।

आवेदन - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी बड़े के सामने अपनी बात रखना पर्या. निवेदन। 2. प्रार्थना।

आवेदनकर्ता - (पुं.) (तत्.) - प्रार्थना पत्र, अरज़ी। आवेदन करने वाला।

आवेश - (पुं.) (तत्.) - 1. मन का वह भाव जिसमें भावनाओं की प्रबलता एवं वेग की अधिकता होती है तथा व्यक्‍ति अपने आपको अधिक ऊर्जायुक्‍त समझने लगता है और बुद्धि का प्रयोग किए बिना सक्रिय हो जाता है। पर्या. तैश, जोश, झोंक। उदा. आवेश में आकर वह अपने साथी को भला-बुरा कहने लगा। flary of excite 2. भौ. चालक (उपकरण) पर विद्युत् की कुल मात्रा। charge उदा. तुम्हारा मोबाइल बंद हो गया है। इसे आवेशित कर लो। यह फिर से काम करना शुरू कर देगा।

आशंका - (स्त्री.) (तत्.) - 1. अनिष्‍ट का भय; किसी अनहोनी का डर। पर्या. डर, खटका। जैसे: हमले की आशंका। 2. अपने किसी व्यवहार के पश्‍चात् यह चिंता या भय उत्पन्न होना कि इसका परिणाम क्या निकलेगा या कि कहीं इसका परिणाम हानि कर न हो। apprehension

आशंसा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी के लिए शुभ कामना, इच्छा, अभिलाषा जैसे: आपके जन्मदिन पर मेरी शुभाशंसा। 2. आशा, उम्मीद। उदा. मैं आपके उत्‍तम परिणाम की आशंसा करता हूँ। 3. प्रशंसा: सिफ़ारिश।

आशय - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी कही गई बात के स्वत: स्पष्‍ट न होने पर, उसके बारे में पुन: कहा गया तात्पर्यसूचक कथन। पर्या. अर्थ, भाव, तात्पर्य। उदा. मेरे कहने का आशय यह था कि 2. किसी वस्तु को धारण करने वाला स्थान अथवा अंग। जैसे: गर्भाशय, पित्‍ताशय।

आशा - (स्त्री.) (तत्.) - मन का वह संभावित या काल्पनिक भाव जिसमें यह लगने लगता है कि अमुक कार्य हो ही जाएगा या अमुक वस्तु मिल ही जाएगी। पर्या. उम्मीद, भरोसा। उदा. आशा है तुम्हें इस कार्य में सफलता अवश्य मिलेगी। विलो. निराशा, नाउम्मीदी। मुहा. आशा बँधना/जगना = मन में आशा उत्पन्न होना। आशा टूटना = आशा नष्‍ट हो जाना। आशा तोड़ना = किसी की आशा को भंग कर देना। आशा की किरण = आशा का आभास। तुल. विश्‍वास = मन का वह दृढ़ भाव कि कार्य निश्‍चित रूप से हो जाएगा।

आशातीत (आशा+अतीत) - (वि.) (तत्.) - जितनी आशा की गई हो उससे कहीं अधिक। उदा. उसे परीक्षा में आशातीत सफलता मिली।

आशावान/आशावान् - (वि.) (तत्.) - (किसी बात की) आशा रखने वाला।

आशिक - (पुं.) (अर.) - व्यु.अर्थ इश्क करने वाला। सा.अर्थ किसी पर आसक्‍त हो उससे प्रेम या इश्क करने वाला व्यक्‍ति। पर्या. प्रेमी।

आशिक मिज़ाज - (वि.) (अर.) - व्यक्‍ति जो स्वभाव से ही किसी के इश्क में पड़ जाए।

आशिकी - (स्त्री.) - प्रेम; आसक्‍ति।

आशीर्वचन - (पुं.) (दे.) - ‘आशीर्वाद’।

आशीर्वाद [आशी:+वाद] - (पुं.) (तत्.) - कल्याण या मंगल कामना के वचन, जो प्राय: बड़ों के द् वारा छोटों के प्रति कहे जाते हैं। आशीष, दुआ। तुल. शुभकामना।

आशीष/आशिष - (आशिस्/आशी) (दे.) - (आशिस्/आशी) आशीर्वाद।

आशुकवि - (पुं.) (तत्.) - (आशु-कवि) दिए गए किसी भी विषय पर तत् काल अर्थात् उसी समय कविता रचने में समर्थ कवि। जैसे: कुंज बिहारी शुक्ल (कानपुर) हिंदी के आशुकवि थे।

आश्‍चर्य - (पुं.) (तत्.) - किसी अनहोनी घटना के (घटित) होने अथवा असामान्य वस्तु आदि के देखने सुनने की वजह से मन में उत्पन्न विशेष भाव। पर्या. विस्मय, अचंभा, ताज्जुब। आश्‍चर्य का ठिकाना न रहना = बहुत अधिक आश्‍चर्य करना। आश्‍चर्य-चकित होना = आश्‍चर्य से भ्रम में पड़ जाना। आश्‍चर्यजनक।

आश्रम - (पुं.) (तत्.) - 1. प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों, साधु-संतों के लिए स्थापित जन कोलाहल से दूर आश्रय-स्थल। जैसे : भारद् वाज आश्रम। पर्या. तपोवन। 2. आधुनिक युग में किसी वर्ग विशेष के निराश्रित व्यक्‍तियों के कल्याण के लिए स्थापित सार्वजनिक संस्थाएँ जैसे-विधवाश्रम, अनाथाश्रम, वृद् धाश्रम आदि। 3. हिंदू संस्कृति के अनुसार जीवनकाल की चार अवस्थाएँ-ब्रह्मचर्य गार्हस्थ्य (गृहस्थ), वानप्रस्थ और संन्यास।

आश्रय - (पुं.) (तत्.) - आधार, सहारा आदि बनने की (i) स्थिति या (ii) वस्तु, स्थान आदि। (i) support (ii) shelter

आश्रित - (वि.) (तत्.) - किसी पर टिका या ठहरा हुआ; किसी का सहारा लिए हुए।

आश्‍वस्त - (वि.) (तत्.) - जिसे आश्‍वासन मिला हो; जिसे सांत्वना मिली हो; जिसे तसल्ली दी गई हो।

आश्‍वस्ति - (स्त्री.) (तत्.<आश्‍वासन) - <आश्‍वासन) किसी वस्तु के विनिर्माता द्वारा वस्तु की गुणवत्‍ता के बारे में ग्राहक को दिया गया भरोसा (आश्‍वासन) कि यदि एक निश्‍चित कालावधि में उनके उत्पाद में कमी पाई गई तो वह (विनिर्माता) उसे दूर कर देगा या उत्पाद को ही बदल देगा, warranty दे. 'आश्‍वासन'।

आश्‍वासन - (पुं.) (तत्.) - विपरीत परिस्थितियों के उत्पन्न हो जाने पर किसी व्यक्‍ति को उनसे पार पाने के लिए दूसरे व्यक्‍ति से सहायता के रूप में मिला भरोसा; तसल्‍ली, सांत्‍वना, दिलासा।

आषाढ़ - (पुं.) (तत्.) - भारतीय कालगणना के अनुसार वर्ष का चौथा चांद्रभास जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए पूर्वाषाढा-उत्‍तराषाढा नामक नक्षत्रों की सीध में आ जाती है। टि. भारत में वर्षा का प्रारंभ आषाढ़ मास से माना जाता है।

आस - (स्त्री.) (तद्<आशा) - (तत्.) दे. ‘आशा’।

आसक्‍त - (वि.) (तत्.) - जिसका मन किसी की ओर खिंचकर उससे जुड़-सा गया हो।

आसक्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - आसक्‍त होने का भाव। दे. ‘आसक्‍त’।

आसन - (पुं.) (तत्.) - 1. स्थिरता और सुखपूर्वक बैठने की स्थिति। 2. बैठने की विशिष्‍ट मुद्रा, योग के अनुसार स्वास्थ्य की दृष्‍टि से लाभप्रद विविध मुद्राएँ या शरीर को मोड़ने के प्रकार जैसे: पद् भासन, शीर्षासन आदि। 3. जिस पर बैठते हैं, बैठने की वस्तु जैसे: चटाई, कुर्सी, चौकी आदि।

आसन्नभूत - (पुं.)(व्या.) (आसन्न + भूत) (तत्.) - व्या. 1. क्रिया का वह रूप जिससे ज्ञात हो कि क्रिया का व्यापार भूतकाल में आरंभ होकर अभी-अभी समाप्‍त हुआ है। जैसे: उसने मित्र को पत्र लिखा है। 2. भूतकाल की क्रिया का एक भेद।

आस-पड़ोस - (अनु.आस+तद्.<प्रतिवेश) (तद्.) - नज़दीक रहने वाले लोग, अपने घर के आस-पास के घर यानी वहाँ के निवासी। उदा. हमारा आस-पड़ोस अच्छा है।

आस-पास - (क्रि.वि.) - अपने घर, गाँव परिवेश आदि के समीप। जैसे: आस-पास के निवासी, आस-पास के गाँव, आस-पास के लोग आदि।

आसमान - (पुं.) (फा.) - आस्माँ पृथ्वी से दिखाई पड़ने वाला अंतरिक्ष का नीलाभ क्षेत्र। पर्या. आकाश, गगन। मुहा. 1. आसमान के तारे तोड़ना = कोई कठिन या असंभव काम करना। 2. आसमान टूट पड़ना = विपत्‍ति से घिर जाना। 3. आसमान में उड़ना = अवास्तविक बातें करना या कल्पना के ख्वाब (सपने/देखना) 4. आसमान में छेद करना = असंभव काम करने का प्रयत्‍न करना। 5. आसमान सिर पर उठा लेना = बहुत शोरगुल मचाना।

आसरा - (पुं.) (तद्.< आश्रय)) - दे. ‘आश्रय’।

आसव - (पुं.) - फल आदि में खमीर द्वारा बनाया गया नशीला पेय, मदिरा; अर्क।

आसवन - (पुं.) (तत्.) - द्रव पदार्थ को वाष्प में परिवर्तन करने और उसे पुन: संघनित कर संचित करने की प्रक्रिया। शराब (मदिरा) बनाने के लिए प्राय: यही प्रक्रिया अपनायी जाती है। distillation

आसवनी - (स्त्री.) - 1. आसवन कर्म करने की शाला। 2. विभिन्न प्रकार की मदिरा बनाने की कर्मशाला; मदिरा निर्माणी। distillery

आसान - (वि.) (फा.) - (वह काम) जिसे (हल) करने में कठिनाई न हो। सरल, सुगम। उदा. प्रश्‍न पत्र बहुत आसान था। विलो. कठिन।

आसानी - (स्त्री.) (फा.) - बिना किसी कष्‍ट के सहज रूप से हो जाने या किए जा सकने की स्थिति। जैसे: (i) मुझे कविता की अपेक्षा निबंध लिखने में आसानी रहेगी। (ii) मैं इस नदी को आसानी से पार कर सकता हूँ। पर्या. सरलता, सुगमता।

आसामी - (पुं.) (तद्.<अ.स्वामी) - 1. कर्ज लेने वाला कोई व्यक्‍ति। उदा. आप अपने आसामी को बुलाइए। 2. दूसरे की भूमि को किसी निश्‍चित शर्त पर जोतने वाला किसान। 3. किसान।

आसार - (पुं.) - बहु. (असर) भावी घटना का सूचना देने वाले लक्षण। उदा. बारिश आने के आसार दिख रहे हैं।

आस्तिक - (वि./पुं.) (तत्.) - मूल अर्थ में 1. वेद वाक्यों को प्रमाण मानने वाला (व्यक्‍ति)। 2. ईश्‍वर की सत्‍ता में विश्‍वास करने वाला (व्यक्‍ति) theist विलो. नास्तिक। नास्तिक वि./पुं. तत्. मूल अर्थ 1. वेद वाक्यों को प्रमाण न मानने वाला (व्यक्‍ति) वि. अर्थ 2. ईश्‍वर की सत्‍ता में विश्‍वास न करने वाला (व्यक्‍ति) ethiest non believer विलो. आस्तिक।

आस्तीन - (स्त्री.) (फा.) - 1. बाँह (शरीर का अंग) 2. कमीज़ का वह हिस्सा जो बाँह को ढकता है। मुहा. आस्तीन का साँप = मित्र के वेश में शत्रु। आस्तीन चढ़ाना = लड़ने-झगड़ने के लिए तैयार होना।

आस्था - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ (मन का) पूरी तरह से (किसी पर) टिक जाना या स्थिर हो जाना। चित्‍त की वह स्थायी धारणा जो किसी को पूज्य या श्रद् धेय मानती है। पर्या. दृढ़ विश्‍वास, निष्‍ठा विलो. अनास्था।

आस्थान - (पुं.) (तत्.) - भरोसे लायक टिकने की जगह; कुर्सी, बैठक, विश्राम स्थल, सभा भवन आदि। आस्थावान-आस्‍था से युक्‍त।

आह - (स्त्री.) (फा.) - हृदय से होकर मुँह से निकलने वाली दु:खभरी करूण ध्‍वनि, ठंडी साँस, मुहा. आह भरना= दु:ख प्रकट करने हेतु ठंडी सांस लेना। अव्य. (तद्.<अहह) पीडा, दु:ख, हानि, शोक आदि का सूचक विस्‍मय बोधक शब्‍द जैसे- आह! मर गया!

आहट - (स्त्री.) (देश.) - किसी के चलने या हिलने से पैदा हुई हलकी-सी आवाज़। पद चाप पाँव की धमक, खटका। आहट प्रत्‍यय जो क्रिया (धातु) में जुडक़र संज्ञा बनाए। जैसे: घबराहट, चिल्लाहट आदि।

आहत - (वि.) (तत्.) - चोट खाया हुआ पर्या. घायल, ज़ख़्मी तु. हत

आहार नाल - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ भोजन की नली। मुँह से मलद्वार तक फैली हुई नलिकाओं का क्रम जो भोजन के पाचन, अवशोषण तथा मल-उत्सर्जन का काम करता है। इसके प्रमुख अंग हैं: मुख गुहा, ग्रसनी, ग्रासनली, आमाशय, दोनों आँतें तथा मलाशय। alimentary canal

आहार-तंत्र - (पुं.) (तत्.) - भोजन के अंतर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण तथा अवशिष्‍ट मल-पदार्थों के उत्सर्जन का कार्य करने वाले अंगों का समूह। इसमें आहार-नाल तथा पाचक रसों का स्रवण करने वाली ग्रंथियाँ आती हैं। alimentary system

आहिस्ता - (क्रि.वि.) (फा.) - बिना शब्द किए मंद गति से, धीरे से।

आहुति - (स्त्री.) (तत्.) - मंत्र पढ़ कर देवता की प्रसन्नता के निमित्‍त अग्नि में साकल्य (हवन सामग्री) डालना।

आह्लाद - (पुं.) (तत्.) - मन में जगा अति प्रसन्नता का भाव। पर्या. आनंद, खुशी, हर्ष।

आह्लादित (आह्लाद + इत) - (वि.) (तत्.) - जिसे आह्लाद हुआ हो। पर्या. अति प्रसन्न, आनंदित, हर्षित, बहुत खुश।

आह्लान - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ बुलाना, बुलावा, पुकार। जैसे: 1. अध्यक्षता करने के लिए मंच पर मुख्य अतिथि का आह्वान। call 2. यज्ञ में मंत्र पढक़र देवता का आह् वान। invocation 3. न्यायालय में सुनवाई के लिए अभियुक्‍त का आह्वान (सम्मान)।

आह्वान - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ बुलाना। 1. विधि न्यायालय में उपस्थित होने के लिए भेजा गया औपचारिक आदेश। saman 2. चुनौतीपूर्ण या ललकारते हुए बुलाना। उदा. झांसी की रानी ने अपने सैनिकों और देशवासियों का स्वतंत्रता के लिए मर मिटने का आह्वान किया। 3. दे. आवाहन।

ऑरिकल - (अंग्रे.) (दे.) - अलिंद’।

ऑरिकिल - (अं.) (दे.) - (अं.) ‘अलिंद’। मुहा. आँख आना = आँख का एक रोग; आँख उठाना = विद्रोह करना; आँख खुलना = भ्रम दूर हो जाना; आँख दिखाना = डराना; आँखें चार होना = सामना होना; आँखें चुराना = छिपना; आँखे फेरना = बदल जाना; आँखें बिछाना = स्वागत करना; आँखों पर परदा पड़ना = भ्रम में रहना; आँखें भर आना = दु:खी होना; आँखों में धूल झोंकना = धोखा देना। 3. आँख के आकार का छिद्र जैसे: सुई की आँख। 4. ला.अर्थ. विचार, विवेक, परख, पहचान।

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इंकार/इनकार - (पुं.) (अर.) - जो अपने मन को न रुचे उसे करने को कहने पर मना कर देने की स्थिति। (रिफ्यूजल, डिनायल) पर्या. अस्वीकृति, मनाही।

इंगित - (पुं.) (तत्.) - अभिप्राय, स्पष्‍ट करने के लिए शरीर के किसी अंग से किया जाने वाला इशारा/संकेत। वि. जिसकी ओर इशारा किया गया हो।

इंच - (पुं./वि.) - (अं.) रैखिक लंबाई-चौड़ाई का एक अंग्रेजी माप जो लगभग 2.54 सेमी. के बराबर होता है। एक फुट का बारहवाँ भाग।

इंचभर - (वि.) (देश.) - बहुत थोड़ी मात्रा, ज़रा सी। उदा. पेट में इंचभर जगह नहीं है। इंचभर जमीन नहीं दूँगा।

इंजन - (पुं.) - (अं.< एंजिन) 1. भाप, पैट्रोल, गैस या बिजली की शक्‍ति से गति करने वाला (चलने वाला) यंत्र। 2. रेल का इंजन, जो बहुत सारे डिब्बों को खींचकर ले जाता है।

इंजीनियर - (पुं.) (दे.) - (अं.) इंजीनियरी-शास्त्र का ज्ञाता अथवा इस विद्या के व्यावसायिक उपयोग में निष्णात व्यक्‍ति। पर्या. अभियंता। दे. इंजीनियरी।

इंजीनियरी - (स्त्री.) - (अं.) मूल.अर्थ. किसी इंजन/ मशीनरी की निर्माण-प्रक्रिया या संचालन-प्रक्रिया का शास्त्र। विस्तृत अर्थ-मशीनरी (मशीन इंजीनियरी), विद्युत (इलैक्‍ट्रिकल इंजी.) इलैक्ट्रानिकी (इलैक्ट्रानिक इंजी.) या भवन निर्माण (सिविल इंजी.) इत्यादि से संबंधित निर्माण एवं संचालन का शास्त्र। पर्या. इंजीनियरिंग, यांत्रिकी।

इंजीनियरी - (स्त्री.) - (अं.< इंजीनियरिंग का अनुकूलित रूप) भवनों, मशीनों, विद्युत उपकरणों आदि के अभिकल्पन (डिजाइन बनाने), निर्माण, उपयोग आदि में विज्ञान के सिद्धांतों का अनुप्रयोग।

इंजेक्शन - (पुं.) - (अं.) 1. किसी औषधि को रक्‍तनलिका या मांसपेशियों तक सुई के माध्यम से पहुँचाने की युक्‍ति। 2. सुई लगाना।

इंटरनेट - (पुं.) - कंप्‍यूटरों (अभिकलित्रों) का परस्पर जुड़ा हुआ विश्‍वव्यापी जाल-क्रम।

इंटरव्यू - (अं.) (दे.) - साक्षात्कार’।

इंतज़ाम - (पुं.) (अर.) - दे. ‘प्रबंध’।

इंतजार - (पुं.) (अर.) - किसी व्यक्‍ति के आने या घटना के घटित होने के लिए की गई प्रतीक्षा।

इंदिरा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. धन की देवी लक्ष्मी। जैसे: सतीविधात्री इंदिरा देखीं अमित अनूप। (तुलसी रा.च.मा. वा.का.दो.54) 2. कांति, चमक; छाटा, शोभा।

इंदु - (पुं.) (तत्.) - चंद्र, चंद्रमा।

इंद्रजाल - (पुं.) (तत्.) - जादू के विस्मयकारी करतब जहाँ बुद्धि‍ सहजता से प्रवेश न कर सके। पर्या. जादू।

इंद्रधनुष [इंद्र+धनुष] - (पुं.) (तत्.) - वर्षाकाल में सूर्य प्रकाश के प्रभाववश आकाश में दिखाई पड़ने वाला धनुषाकृति चाप जिसमें सातों रंग दिखाई देते हैं। (रेनबो)

इंद्रिय - (स्त्री.) (तत्.) - 1. ज्ञान प्राप्‍त करने के पाँच भौतिक साधन-आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा, इन्हें ज्ञानेद्रियाँ कहते हैं। 2. कर्म करने के पाँच भौतिक साधन-हाथ, पैर, वाक्, मलस्थान और मूत्रस्थान, इन्हें कर्मेद्रियाँ कहते हैं। 3. शरीर के अंदर रहने वाले और न दिखने वाले चार साधन-मन बुद् धि चित्‍त और अहंकार इन्हें अंत:करण कहते हैं।

इंद्रियगोचर - (वि.) (तत्.) - जो ज्ञान-इंद्रियों द्वारा अनुभव किया जा सकता हो, इंद्रियग्राह् य (विषय) जैसे: संसार की प्रत्येक वस्तु इंद्रियगोचर है स्वयं मनुष्य की आत्मा इंद्रियगोचर नहीं है। (क्योंकि उसका विषय इंद्रियों से परे हैं, जैसे: आँखों से परे हैं।) विलो. इंद्रिय-अगोचर

इंद्रियातीत (इंद्रिय+अतीत) - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ इंद्रियों से परे। सा.अर्थ जिसका ज्ञान या अनुभव इंद्रियों से न हो सके, जैसे: आत्मा या ईश्‍वर।

इंफ्लुएंजा - (पुं.) - (अं.) विषाणु जन्य एक सामान्य रोग जो विषाणु के संक्रमण से होता है। टि. 1. तेज़ बुखार, शरीर में दर्द और नज़ला-जुकाम इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। 2. कभी-कभी यह महामारी का रूप धारण कर लेता है। पर्या. प्रतिश्याय।

इंसान/इन्सान/इनसान - (पुं.) (अर.) - मनुष्य, मानव, आदमी (जिसमें पुरूष, महिलाएँ ओर बच्चे सभी सम्मिलित हैं।) human teling

इंसानियत/इन्सानियत - (स्त्री.) (फा.) - दे. मनुष्यता।

इकट्ठा - (वि.) (तद्< एकस्थ) - < एकस्थ) कई लोगों या वस्तुओं का एक स्थान पर जमा होने का भाव। पर्या. एकत्र, जमा।

इकबालिया बयान - (पुं.) (अर.) - इक्बाल शा.अर्थ मान लेने/कबूल करने वाला बयान। अपने अपराध को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश के समक्ष दिया गया मौखिक/लिखित कथन।

इकरार - (पुं.) (अर.) - मूल अर्थ स्वीकृति। सा.अर्थ कोई कार्य करने का वचन। पर्या. प्रतिज्ञा, वादा, वचन। agreement

इकरारनामा - (पुं.) (अर.) - किसी बात को स्वीकार करने का लिखित अनुबंध पत्र। agreement

इकलौता - (वि.) (स्त्री.) - (देशज) 1. माँ-बाप की अकेली संतान। जैसे: इकलौता बेटा। 2. एकमात्र, अकेला। इकलौती जैसे: इकलौती बेटी।)

इकाई [इक/एक+आई] - (स्त्री.) (देश.) - 1. संख्या लिखने के क्रम में सबसे दाहिनी ओर के पूर्णांक का मान। तुलना-दहाई, सैंकड़ा आदि। 2. कोई ऐसा भाग, मान अथवा मात्रा जो अपने आप में पूर्ण हो तथा उसका उल्लेख किया जा सके। unit उदा. हाथ, पैर, मुंह आदि हमारे शरीर की इकाईयाँ हैं।

इक्का - (पुं.) (देश.) - 1. ताश की गड्डी के चारों वर्गों (पान, ईंट, चिड़ी, हुकम) के 13-13 पत्‍तों में सर्वोच्च मानवाला पत्‍ता जिस पर केवल एक बूटी का संकेत चिह् न बना होता है। 2. दे. इक्कागाड़ी।

इक्कागाड़ी - (स्त्री.) - ताँगा जिसमें केवल एक घोड़ा जुता होता है।

इक्का-दुक्का - (वि.) (देश.) - एक या दो; कोई-कोई (नहीं के बराबर) गर्मी की दोहपर में सडक़ पर इक्का-दुक्का लोग ही नज़र आते हैं।

इक़्ता - (पुं.) (अर.) - ख़िलजी और तुग़लक शासकों द्वारा अपने सेनानायकों को सूबेदारी के लिए प्रदान किया गया ज़मीन का इलाका या क्षेत्र।

इक़्तेदार - (पुं.) - (अ.) ख़िलजी और तुग़लक शासकों के द्वारा अपने सेनानायकों को दिया जाने वाला खिताब जिसके अनुसार वे अपने इक़्ते के सूबेदार होते थे। पर्या. मुक़्ती।

इक्विटी शेयर - (पुं.) - (अं.) अधिमान अंशों से भिन्‍न अंश/शेयर समान लाभ वाले शेयर।

इक्विटी - (स्त्री.) - (अं.) 1. कंपनी के अंशधारियों का लाभसमता की दृष्‍टि से स्वामित्व हित। 2. किसी कंपनी या योजना के तहत लगाई गई पूंजी का समानुपातिक रूप से घटना या बढ़ना, आनुपातिक दृष्‍टि से लाभ और स्‍वामित्‍व में हिस्‍सेदारी।

इख्तियार - (पुं.) - (अ.) 1. अधिकार 2. सामर्थ्य 3. प्रभुत्व 4. वश/नियन्‍त्रण

इग्लू - (पुं.) - (अं.) हिम-प्रदेशों antartica में रहने के लिए बर्फ का बना हुआ गुंबदाकार घर।

इच्छा - (स्त्री.) (तत्.) - मन का वह भाव कि कोई कार्य अपने स्वभाव, रुचि आदि के अनुसार हो, या अमुक वस्तु प्राप्‍त हो जाए सांसारिक या जागतिक विषयों के प्रति मन की अनुरक्‍ति। पर्या. कामना, अभिलाषा, चाह।

इच्छा-पूर्ति - (स्त्री.) (तत्.) - इच्छा की पूर्ति यानी इच्छा पूरी होने का भाव। पर्या. संतुष्‍टि।

इच्छुक - (वि.) (तत्.) - जिसे इच्छा हो, इच्छा करने वाला, लालायित।

इजाज़त - (स्त्री.) - (अ.) अनुमति।

इजाज़तनामा - - (चार्टर) अनुमति पत्र।

इज़ाफा - (स्त्री.) - वृद्धि, बढ़ोतरी, तरक्की, उन्नति।

इज़ारबंद - (पुं.) (फा.) - पजामा, सूट, लहंगा आदि को कमर में बांधने के लिए प्रयोग की जाने वाली डोरी। पर्या. कमरबंद, नाड़ा।

इज़्ज़त - (स्त्री.) (अर.) - 1. सम्मान, आदर, प्रतिष्‍ठा, मान-मर्यादा। उदा. बड़ों की इज़्ज़त करना हमारा कर्त्तव्य है। 2. सतीत्व, शुद्ध होने का भाव।

इज्ज़तदार - (वि.) (अर.+फा.) - जिसकी समाज में मान या प्रतिष्‍ठा हो, इज्जतवाला। उदा. ‘राघव’ हमारे गाँव के इज्जतदार व्यक्‍ति है।

इठलाना - (देश.) - अपनी ओर दूसरों का ध्यान आकृष्‍ट करने के लिए मुस्कराते हुए मस्तीभरी हरकतें करना। पर्या. इतराना। उदा. सौंदर्य प्राकृतिक देन है, उस पर इठलाना ठीक नहीं।

इडली - (स्त्री.) - चावल और दाल के पिसे हुए गाढ़े घोल में खमीर उठाकर भाप में पकाया जाने वाला दक्षिण भारतीय व्यंजन।

इतमीनान/इत्मीनान - (पुं.) (अर.) - 1. विश्‍वास, भरोसा। उदा. इत्मिनान रखो। तुम्हारी पुस्तक मिल जाएगी। 2. मन का वह भाव जब थोड़ा मिलने पर या न मिलने पर भी प्रसन्नता ही रहे। (उदा. और वह इत्मीनान से सो गया) पर्या. संतोष, तसल्ली, शांति, सब्र।

इतराना - (देश.) (दे.) - इठलाना।

इतिवृत्‍तात्मक - (वि.) (तत्.) - भावुकता या भावनाप्रधान न होकर जो वर्णनात्मक या आख्यानात्मक हो। इतिवृत्‍त (घटना) पर आधारित। जैसे: हिंदी साहित्य में द्विवेदीयुगीन कविताएँ विशेष रूप से इतिवृत्‍तात्मक थीं।

इतिश्री - (स्त्री.) (तत्.) - किसी कार्य, आंदोलन, साम्राज्य आदि का अंत पूरी तरह समाप्‍ति, खात्मा। जैसे: बहादुरशाह जफ़र की पराजय के साथ ही मुगल साम्राज्य की इतिश्री हो गई।

इतिहास - (पुं.) (तत्.) - बीती हुई घटनाओं और उनसे संबंधित व्यक्‍तियों का काल-क्रम के अनुसार वर्णन। पाश्‍चात्य इतिहासलेखन पद् धति के अनुसार बहुधा राज्य से संबंधित वर्णन इतिहासग्रंथों में मिलता है।) पर्या. तवारीख।

इतिहासकार - (पुं.) (तत्.) - इतिहास लिखने वाला विशेषज्ञ। दे. इतिहास।

इतै - (क्रि.वि.) - (ब्रज.) इधर, इस ओर।

इत्‍तफाकन - (क्रि.वि.) (अर.) - इत्‍तफाक से, संयोगवश।

इत्‍तफाकिया - (क्रि.वि.) (अर.) - इत्‍तफ़ाक से, संयोग से, आकस्मिक। जैसे: इत्‍तफाकिया छुट्टी = आकस्मिक अवकाश। casual leave

इत्‍तिफ़ाक - (पुं.) (अर.) - 1. दैवयोग; संयोग। उदा. इसे इत्‍तिफ़ाक ही समझिए कि आपसे हमारी भेंट हो गई। 2. एक राय, सहमति। उदा. इस विषय में मैं आपसे इत्‍तिफ़ाक नहीं रखता।

इत्‍तेसारे - (वि.) - (देशज < इतने सारे) आश्‍चर्य सूचित करने वाला पदबंध। टि. इतने सारे, इतनी अधिक संख्या या मात्रा में।

इत्यादि - (क्रि.वि.) (तत्.) - इसी प्रकार अन्य भी, आदि-आदि, वगैरह-वगैरह। उदा. उसने उपदेशों की झड़ी लगा दी। जैसे: ऐसा करो, ऐसा मत करो। जल्दी उठो, जल्दी सोओ, परिश्रम करो, समय बरबाद मत करो इत्यादि।

इत्र - (पुं.) - (अ.) फूलों को उबालने से बनी भाप को संघनित कर आसवन विधि से बनाया गया संचित पदार्थ। पर्या. पुष्पसार, अतर।

इत्रदान - (पुं.) (अर.+फा.) - तरह-तरह के इत्र सुगांधित रखने का पात्र। पर्या. अतरदान

इधर - (क्रि.वि.) (तद् < इत:) - इस ओर, इस दिशा में, इस तरफ। उदा. इधर आओ। विलो. उधर।

इधर-उधर - (क्रि.वि.) - (इत:+तत:=इतस्तत:) आसपास, सब ओर। उदा. एक जगह बैठे रहो। इधर-उधर मत फिरो। मुहा. इधर-उधर करना=टालमटोल करना। 2. इधर-उधर की बात=सुनी-सुनाई बात। इधर-उधर की हाँकना=मुख्य बात पर न आकर बेकार की बात करते रहना। इधर की उधर करना=झगड़ा करवाना; चुगली करना।

इनविट्रो निषेचन (आई वी एफ-IVF) - (दे.) - पात्रे निषेचन।

इनसान/इंसान - - कोई भी मनुष्य चाहे, वह आदमी हो, औरत हो, या बच्चा। पर्या. मानव, मनुष्य। उदा. इनसान हो, इनसान जैसा व्यवहार करो, हैवान जैसा नहीं। (ह्युमन बीइंर्ग) विलो. हैवान, जानवर, पशु।

इनसाफ़/इंसाफ़ - (पुं.) (अर.) - न्याय।

इनाम - (पुं.) (अर.) - दे. पुरस्कार।

इनी-गिनी - (वि.) (स्त्री.) - जिनकी संख्या उंगलियों पर गिनी जा सके; सीमित संख्या वाली।

इने-गिने - (वि.) (पुं.) - (पूर्वपद अनु.) जिनकी संख्या उंगलियों पर गिनी जा सके; सीमित संख्या वाले, कुछ ही, थोड़े से। उदा. इस गाँव में इने-गिने लोगों ने ही उच्च शिक्षा प्राप्‍त की हैं।

इन्सुलिन - (पुं.) - (अ.) अग्नाशय की बीटा कोशिकाओं में बनने वाले हार्मोन जो शर्करा के अपाच्य को नियंत्रित करते हैं। मधुमेह के रोगी को यह औषधि इंजेक्शन लगाकर बाहर से दी जाती है।

इफ़्तार - (पुं.) (अर.) - दिनका रोजा (उपवास) रखने के बाद संध्या को रोजा खोलने के निमित्‍त जलपान करना।

इबादत - (स्त्री.) (अर.) - प्रार्थना।

इबादतखाना - (अ.) (अर.+फा.) - प्रार्थना गृह, मंदिर, मस्जिद आदि।

इबादतखाना पर्याय- इबादतगाह /प्रार्थनास्थल - - पूजाघर, मंदिर।

इबादतगाह - (स्त्री.) (अर.+फा.) - प्रार्थना स्थल, मंदिर/मस्जिद आदि

इमामबाड़ा [इमाम+बाड़ा] - (पुं.) (अर./ देश.) - वह विशाल अहाता या भवन जिसमें शिया मुसलमान मुहर्रम के अवसर पर ताजिया समर्पित करते हैं तथा श्रद्धांजलि देते हैं।

इमारत - (स्त्री.) (अर.) - आकार में बड़ा और पक्का बना हुआ मकान; भवन।

इम्तहान - (पुं.) (अर.) - दे. परीक्षा। किसी की योग्यता, विशेषत, सामर्थ्य, अभिव्यक्‍ति आदि की परख के लिए लिखित या प्रायोगिक या मौखिक रूप से किया जाने वाला कार्य। examination पर्या. परीक्षा।

इरादा - (पुं.) (अर.) - 1. इच्छा, विचार। उदा. आज मेरा घूमने जाने का इरादा नहीं है। 2. आपका इरादा नेक है। 2. निश्‍चय, संकल्प। उदा. मैंने इरादा कर लिया है कि जब तक इस काम को पूरा नहीं कर लेता तब तक सोऊंगा नहीं।

इलज़ाम/इल्ज़ाम - (पुं.) (अर.) - 1. किसी व्यक्‍ति के विषय में यह कहना कि उसने अमुक गलत काम किया है। दोषारोपण, आरोप (चार्ज)। 2. नियम विरूद्ध कार्य करने के लिए न्‍यायालय में दावा प्रस्तुत करना। अभियोग। allegation

इलाका - (पुं.) (अर.) - तुलनात्मक दृष्‍टि से अपने रहने, बसने, काम करने आदि के आसपास का भूक्षेत्र। पर्या. क्षेत्र, प्रदेश, पड़ोस। उदा. तुम तो मेरे ही इलाके के रहने वाले हो।

इलाज - (पुं.) (अर.) - 1. बीमारी दूर करने की विधि। पर्या. चिकित्‍सा उदा. तुम्‍हें मधुमेह की बीमारी है। इसका इलाज बहुत जरूरी है treatment 2. उपाय, युक्‍ति, तरकीब, समाधान। उदा. इस समस्‍या का कोई इलाज नहीं है।

इलाही - (वि.) (अ.) - ईश्‍वरीय, खुदाई, दैवी। हे ईश्‍वर, हे मेरे ईश्‍वर, मेरे खुदा।

इलेक्ट्रान - (पुं.) (अ.) - भरण विद्युत, आवेश वाला आधारभूत अति सूक्ष्मकण, जो परमाणु से छोटा होता है तथा समस्त परमाणुओं के कोशों में नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता रहता है।

इलेक्ट्रोड - (पुं.) - (अग्रे.) विद् युत परिपथ में धन-आवेश और ऋण आवेश वाले वे दो ध्रुव (सिरे) जिनके मध्य का विभवांतर voltage विद् युत धारा के प्रवाह को प्रेरित करता है। नोट-धन आवेश वाला ध्रुव ‘एनोड’ कहलाता है तथा ऋण आवेश वाला ध्रुव ‘कैथोड़’। दोनों सिरे सामान्य रूप से इलेक्ट्रोड कहे जाते हैं।

इल्तिजा - (स्त्री.) (अर.) - किसी से विनम्रतापूर्वक की जाने वाली प्रार्थना, विनती, निवेदन, दरख़्वास्त। जैसे-आप से इल्तिजा है कि इसे आर्थिक सहायता देकर इसकी पढ़ाई में सहयोग प्रदान करें।

इल्लत - (स्त्री.) (अर.) - 1. किसी प्रकार का शारीरिक रोग, बीमारी। 2. झंझट, बखेड़ा। 3. बुरी लत, दुर्व्यसन। मुहा. इल्लत पालना=किसी संकटपूर्ण स्थिति का दायित्व लेना।

इल्ली - (स्त्री.) (देश.) - जीव. तितली, शलम (मॉथ) आदि कीटों का कृमि जैसा मुलायम डिंभक। इसके वक्ष में तीन जोड़ी जुड़ी हुई टांगे और उदर में चलने वाले अंग होते हैं। अं. पर्या. केटर पिलर।

इशारा - (पुं.) (अर.<इशार:) - उँगली, आँख आदि से किया गया संकेत। उदा. तुम बस इशारा भर कर देना, मैं बैठक से उठकर चला आऊँगा।

इश्तिहार/इश्तहार - (पुं.) (अर.) - दे. विज्ञापन।

इष्‍टापत्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - [इष्‍ट+आपत्‍ति] न्याय-किसी विवाद में न्यायालय के समक्ष वादी का ऐसा बयान या वक्‍तव्य जो प्रतिवादी के पक्ष में जाता है।

इसरार - (पुं.) (अर.< इस्रार) - हठ, जिद, आग्रह।

इस्तीफ़ा - (पुं.) (अर.) - दे. त्यागपत्र।

इस्तेमाल - (पुं.) (अर.) - उपयोग, काम में लेना, सेवन करना (जैसे: दवा आदि)

इस्पात - (पुं.) - (सं. अयस पत्र) लोहे का (मिश्र धातु) जिसमें कार्बन के अतिरिक्‍त मैंगनीज, फासफोरस आदि होते हैं, समुद्री जहाज तथा अन्य वाहनों/मशीनों के निर्माण में प्रयुक्‍त यह जंग न लाने वाली धातु प्रयुक्‍त होती है। steel

इस्लाम - (पुं.) (अर.) - शा.अर्थ ईश्‍वर के मार्ग में प्राण देने को प्रस्तुत होना। 2. मुसलमानों का मज़हब।

ईंट - (स्त्री.) (तद्.) - (सं. < इष्‍टिका) सामान्‍यत: चिकनी मिट्टी का पकाया हुआ आयताकार खंड जो पत्‍थर के विकल्‍प के रूप में भवन-निर्माण में काम आता है। (ब्रिक) मुहा. ईंट से बजाना- जिससे विरोध या शत्रुता हो उसका सब कुछ नष्‍ट कर देना।

ईंधन - (पुं.) (तद्.< इन्‍धन)) - सभी ज्‍वलनशील पदार्थ जैसे : लकडी कोयला, घी, तेल पैट्रोल, डीजल गैस (सी एन जी, एल.पी.वी) इत्‍यादि, पर्या. जलावन भौ. रसा. उष्‍मा या ऊर्जा उत्‍पन्‍न करने वाला पदार्थ।

ईजाद - (पुं.) (अर.) - जो सुविधा या वैज्ञानिक जानकारी पहले उपलब्ध न हो उसका पहली बार पता लगाना। दे. आविष्कार invention उदा. ग्राहम बेल ने टेलीफोन का ईजाद किया। तु. खोज discovery

ईद गिर्द - (क्रि.वि.) (अर.) - आस-पास, चारों ओर उदा. 1. जब देखो तब वह नेता के ईदगिर्द ही दिखाई पड़ता है 2; पृथ्‍वी सूर्य के ईद-गिर्द घूमती रहती है।

ईद गिर्द - (क्रि.वि.) - (अरबी) आस-पास, चारों ओर। उदा 1. जब देखो तब वह नेता के ईद-गिर्द ही दिखाई पड़ता है। 2. धरती सूरज के ईद-गिर्द घूमती रहती है।

ईमान - (पुं.) (अर.) - 1. धार्मिक आस्था या विश्‍वास। उदा. जो खुदा पर ईमान लाए वही सच्चा मुसलमान है। 2. चित्‍त की उत्‍तमवृत्‍ति, अच्छी नीयत, सत्यनिष्‍ठा। उदा. सामने पड़ा धन देखकर उसका ईमान डोल गया। ओनेस्टी

ईमानदार - (वि.) (अर.ईमान+फा. दार) - 1. अच्छी नीयत रखने वाला। 2. सत्य का पक्षपाती। 3. लेन-देन के व्यवहार में सच्चा; छल-कपट न करने वाला; जिस पर भरोसा किया जा सके। (ऑनेस्ट)

ईमानदारी - (स्त्री.) (अर.+फा.) - ईमानदार होने का भाव। दे. ईमानदार। उदा. पहले ईमानदारी, पीछे दुकानदारी। honesty, trustworthy

ई-मेल (इलैक्ट्रानिक मेल की संक्षिप्‍ति) - (स्त्री.) - (अं.) कंम्प्यूटर-जालक्रम (इंटरनेट) के माध्यम से एक प्रयोक्‍ता से दूसरे प्रयोक्‍ता तक लिखित संदेश भेजने की व्यवस्था।

ईर्ष्या - (स्त्री.) (तत्.) - अपनी तुलना में अन्य (परिचित) व्यक्‍ति की उन्नति या लाभ की स्थिति देखकर उसे पचा न पाने के कारण दुखी होना और अपनी प्रतिकूल भावना को येनकेन प्रकारेण प्रकट करते रहना। पर्या. डाह, जलन।

ईर्ष्यालु - (वि.) (तत्.) - ईर्ष्या करने वाला, ईर्ष्या की भावना से युक्‍त। दे. ईर्ष्या।

ईश्‍वर - (पुं.) (तत्.) - मूल अर्थ जिसे ईशित्व की सिद् धि प्राप्‍त हो। ‘ईशित्व’=सभी आज्ञा-पालन करें, इस प्रकार की सिद् धि । 1. परमेश्‍वर, भगवान। 2. स्वामी, मालिक, प्रभु।

ईश्‍वरीय [ईश्‍वर+ईय] - (वि.) (तत्.) - ईश्‍वर (भगवान) द्वारा निर्धारित; ईश्‍वर जैसा; ईश्‍वर से संबंधित।

ईसवी/ईस्वी - (वि.) (अर.) - मूल अर्थ ईसा से संबंधित। प्रच.अर्थ ईसामसीह की कल्पित जन्मतिथि से शुरू हुआ वर्षों का क्रम जिसे ‘सन्’ संज्ञा से व्यक्‍त किया जाता है। उदा. 2011 ईसवी या सन् 2011 = ईसा के पश्‍चात 2011वाँ वर्ष। (ए.डी.)

ईसा - (पुं.) (अर.) - मूल अर्थ उपदेश देना, वसीयत करना। प्रच.अर्थ हज़रत ईसा मसीह, जिन्होंने ईसाई धर्म की स्थापना की।

ईसाई - (वि./पुं.) (अर.) - ईसामसीह से संबंधित; हजरत ईसा द्वारा प्रचलित धर्म का अनुयायी।

ईसापूर्व - (वि.) (अर.+तत्.) - ईसवी सन् से पहले की कालगणना का सूचक। उदा. 300 ई.पू. = ईसा से 300 वर्षपूर्व। तु. ईसवी/ईस्वी।

ईसाफैगस - (अं.) (दे.) - दे. ग्रसिका।

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उँगली - (स्त्री.) (तद्.<अंगुलि) - मनुष्य के हाथों और पैरों में आगे की ओर निकले हुए छोटे (प्रवर्ध) हिस्से जो सामान्यत: प्रत्येक हाथ और पैरों में पाँच-पाँच होते हैं और जिनसे मनुष्य मुख्यत: पकड़ने का काम करता है। (इनके नाम क्रमश: कनिष्का, अनामिका, मध्यमा, तर्जनी और अंगुष्‍ठ (अँगूठा) हैं। मुहा. 1. उँगली उठाना=(किसी पर) आक्षेप करना। 2. उँगली पर नचाना=दूसरों से इच्छानुसार कार्य करवाना।

उ द् ध त - (वि.) (तत्.) - व्यु.अर्थ ऊपर उठाया हुआ। सा.अर्थ ऐसा व्यक्‍ति जिसका स्वभाव यह प्रकट करे कि वह दूसरों से श्रेष्‍ठ है और किसी का भी अपमान कर देने में कोई बुराई नहीं है। पर्या. घमंडी, ढीठ।

उऋण - (वि.) (तत्.) - [उद् गत+ऋण] जो ऋण (कर्ज) से मुक्‍त हो चुका हो, जिसने लिया हुआ कर्ज चुकता कर दिया हो। पर्या. ऋणमुक्‍त। ला. प्रयोग- जिसने किसी के उपकार के बदले में अपनी ओर से लगभग वैसा ही काम कर दिया हो।

उकताना अ.क्रि. - (तद्.<उत्कर्तन वर्ण विपर्यय के बाद) - वह मानसिक दशा जब कोई व्यक्‍ति बिना काम के बैठे रहकर या एक ही काम को बार-बार अथवा देर तक करते-करते धैर्य खो देता है। पर्या. ऊबना।

उकताहट - (स्त्री.) (तद्.) - ऊब जाने अर्थात धैर्य खो देने की स्थिति। पर्या. बोरियत। दे. उकताना।

उकसाना स.कि. - (तद्.<उत्कर्षणन) - अन्य व्यक्‍ति से कोई विशेष काम (विशेषत: गलत काम) करवाने के लिए उसे बार-बार उत्प्रेरित करना या उत्‍तेजित करना।

उकेरना सं.क्रि. - (तद्.<उत्कीर्ण) - किसी शिलाखंड, धातु अथवा काष्‍ठपट्ट पर खोदकर छेनी से सावधानीपूर्वक बेलबूटे बनाना, नक्काशी करना।

उक्‍त - (वि.) (तत्.) - जो कहा गया हो, कहा हुआ, कथित। जैसे: वेदोक्‍त=जो वेद में कहा गया। शास्त्रोक्‍त=शास्त्रों में कहा/बताया गया।

उक्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. परंपरागत या लोक में कहा जाने वाला कोई प्रसिद्ध कथन। 2. चमत्कारपूर्ण वचन। 3. अद्भुत किंतु अनुभव पर आधारित कोई वाक्य। जैसे: यह उक्‍ति अत्यंत प्रसिद्ध है-‘बिनु भय होई न प्रीति।’

उखड़ना - (तद्< उत्खात) - 1. जमी हुई या गड़ी हई किसी वस्तु का अपने स्थान से अलग हो जाना। जैसे: वृक्ष का उखड़ना। 2. मजबूत स्थिति से कमज़ोर स्थिति में आ जाना। उदा. क्रिकेट मैच में आस्ट्रेलिया के पैर उखड़ गए।

उखाड़ना - - 1. जमी हुई या गड़ी हुई किसी वस्तु को प्रयत्‍न पूर्वक अपने स्थान से अलग कर देना। उदा. मजदूरों ने सूखे पेड़ को उखाड़ दिया। 2. मजबूत स्थिति से कमज़ोर स्थिति में ले आना। उदा. भारत ने पहले ही टैस्ट मैच में आस्‍ट्रेलिया के पैर उखाड़ दिए।

उगना - (तद्.) - (उद् गमन) 1. बीज में से अंकुर फूटने या निकलने और फिर यथासमय विकसित होते रहने की क्रिया। 2. सूर्य, चंद्र आदि का उदय होना।

उगलना - (तद्<उद् गिलन) - 1. मुँह या पेट में गए भोज्य पदार्थ को बाहर निकालना; उल्टी करना। उदा. उल्टी हुई और उसने खाया-पीसा सब उगल दिया। 2. गुप्‍त बात को प्रकट कर देना। (i) उसे कोई बात नहीं पचती, सब उगल देता है। (ii) पुलिस की मार खाकर उसने चोरी की बात उगल दी। विलो. निगलना।

उगाना - - स.क्रि (प्रथम प्रेरणा. <उगना) खेत, क्यारी, गमले आदि में बीज बोकर और खाद पानी देकर कुछ उपजने/पैदा होने का अवसर देने की क्रिया। मुहा. हथेली पर सरसों उगाना=असंभव कार्य करने में प्रवृत्‍त होना।

उगाहना - (तद्.<उद्ग्राहण) - दिए गए कर्ज की किस्त, कर, चंदा, बकाया राशि आदि वसूल करना; दी गई वस्तु का मांगना; वसूल करना।

उगाही - (स्त्री.) (तद्.<उद्ग्रहित) - 1. उगाहने की क्रिया या भाव। 2. उगाहे गए धन की मात्रा।

उग्र - (वि.) (तत्.) - 1. गरम मिजाज वाला (व्यक्‍ति) जैसे: उग्र स्वभाव, उग्र व्यवहार। 2. जिसकी गति सामान्य से तेज़ हो। जैसे: उग्र वायु। विलो. मंद/शांत।

उग्रता - (स्त्री.) (तत्.) - उग्र होने का भाव। दे. उग्र।

उग्रवाद - (पुं.) (तत्.) - किसी भी विषय में, विशेष रूप से धार्मिक या राजनीतिक क्षेत्र में मर्यादित सीमा का उल्लंघन कर अपनाई गई चरम विचारधारा। extremism

उग्रवादी - (वि./पुं.) (तत्.) - व्यक्‍ति या समूह जो किसी भी विषय में, विशेष रूप से राजनीतिक अथवा धार्मिक क्षेत्र में मर्यादित सीमा का उल्लंघन कर चरम विचारधारा का पोषक हो तथा तदनुसार आचरण करता हो। extremist

उघाड़ना सं.क्रि. - (तद्.<उद् घाटन) - ढकी चीज पर से पर्दा हटाना।

उचकना - (तद्<सं. उच्चकरण) - 1. पंजों के बल यानी एडि़याँ उठाकर और अंगूठे-उंगलियों के सहारे खड़े होकर वस्तु को उठाने, पकड़ने या देखने की क्रिया का प्रयत्‍न करना। 2. कमानी (स्‍प्रिंग) की तरह झटके से उछलना। उदा. वह उचककर घोड़े/साइकिल पर सवार हो गया।

उचक्का - (वि./पुं.) - (उचकना) यकायक झपटकर किसी भी चीज को ले भागने वाला (व्यक्‍ति), उठाईगीर।

उचक्कापन - (पुं.) (देश.) - यकायक झपटकर किसी की चीज़ को ले भागने का अनैतिक स्वभाव।

उचटना - (तद्< उच्चाटन) - किसी व्यक्‍ति या बात से मन का उदासीन या विरक्‍त हो जाना। उदा. हम दोनों के बीच अब तक बहुत स्नेह था, पर जबसे उसने मेरे साथ धोका किया तब से मेरा मन उससे उचट गया है।

उचाट - (पुं.) (तद्<उच्चाट) - मन न लगने की स्थिति। दे. उचटना।

उचित - (वि.) (तत्.) - 1. जैसा होना चाहिए वैसा ही। पर्या.-योग्य, मुनासिब, ठीक, वाजिब; जैसे उचित समय पर proper 2. आवश्यकता, परिस्थिति, देश, काल, पात्र आदि के अनुसार करने या होने के योग्य। fit विलो. अनुचित।

उच्च - (वि.) (तत्.) - आकार, प्रकार, गुण, योग्यता, आदर्श, पद, स्थान आदि के बारे में व्यक्‍ति के मन में पूर्व निर्धारित सामान्य स्तर की अवधारणा से ऊपर का। जैसे: उच्च शिखर, उच्च कोटि, उच्च जाति, उच्च पद, उच्च कुल, उच्च विचार, उच्च स्वर, उच्च सीमा, उच्च आदर्श, उच्च शिक्षा आदि।

उच्‍च न्‍यायालय - (वि.) (तत्.) - राज्‍य स्‍तर की न्‍यायपालिका का शीर्ष न्‍यायालय High Court दे. न्‍यायालय तु. उच्‍चतम न्‍यायालय।

उच्चतम - (वि.) (तत्.) - गुण, योग्यता, मूल्य आदि की दृष्‍टि से जो सभी से ऊँचा या श्रेष्‍ठ हो। जैसे : उच्चतम शिखर, उच्चतम योग्यता आदि। जैसे: 1. सभी पर्वतों में हिमालय उच्चतम है। 2. उच्चतम विद्यालय। (XI-XII)

उच्चतम न्यायालय - (पुं.) (तत्.) - किसी भी देश की न्यायपालिका का सर्वोच्च न्यायालय। supreme court

उच्चतर [उच्च+तर] - (वि.) (तत्.) - तुलनावाची वि. तत्. गुण, योग्यता, भाव, स्थान आदि की दृष्‍टि से किन्हीं दो की तुलनात्मक स्थिति में एक की अन्य से ऊपरी स्थिति। जैसे: उच्चतर शिक्षा, उच्चतर विद्यालय।

उच्च शिक्षा/उच्चतम शिक्षा - (स्त्री.) (तत्.) - स्कूल/विद्यालय स्तर से ऊपर की शिक्षा जिसमें महाविद्यालयों/कॉलिजों, विश्‍वविद्यालयों तथा व्यावसायिक/पेशेवर संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली शिक्षा सम्मिलित है। higher education

उच्चाटन - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी विशिष्‍ट प्रक्रिया द्वारा किसी का चित्‍त कहीं से हटाना। 2. तंत्र प्रक्रिया के अभिचारों में से एक। 3. अनमनापन, विरक्‍ति। उदा. उसके मन का ऐसा उच्चाटन हुआ कि उसका पढ़ाई में मन ही नहीं लगता।

उच्चाधिकार समिति - (स्त्री.) (तत्.) - किसी विशेष महत्वपूर्ण मामले पर विचार करने के लिए गठित समिति जिसके सदस्य उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी अथवा उच्चस्तरीय विशेषज्ञ अथवा दोनों हों और जिसकी सिफारिशों को सरकार पूरी गंभीरता से ले।

उच्चाधिकारी [उच्च+अधिकारी] - (पुं.) (तत्.) - संदर्भ बिंदु अथवा वक्‍ता के पद स्तर से बड़े स्तर का अधिकारी/अधिकारियों का समूह। high efficials

उच्चायुक्‍त [उच्च+आयुक्‍त] - (पुं.) (तत्.) - उच्चायोग में पदस्थापित सर्वोच्च राजनयिक अधिकारी। High Commissioner दे. उच्चायोग।

उच्चायोग [उच्च+आयोग] - (पुं.) (तत्.) - राज. राष्‍ट्रमंडलीय में से किसी भी देश का दूसरे राष्‍ट्रमंडलीय देश में स्थित राजनयिक कार्यालय। High Commission तु. दूतावास।

उच्चारण - (पुं.) (तत्.) - 1. भाषा विशेष के स्वनों (की ध्वनियों) और उनसे बने शब्दों और वाक्यों को बोलकर प्रकट करने की रीति। pronounciation 2. भाषा विशेष के स्वनों (की ध्वनियों) का मुख विवर में स्थान और प्रयत्‍न के अनुसार प्रस्तुत विवरण। articulation

उच्चावच - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ ऊँचा-नीचा, घट-बढ़, असमान। पुं. भू. मानचित्र में विभिन्न संकेत-चिह्नों से प्रस्तुत किए जाने वाले पृथ्वी के धरातलीय लक्षणों (पर्वत, पठार, मैदान, घाटी, जलाशय आदि) के लिए दिया गया सामूहिक नाम। (रिलीफ़) गणि. 1. संख्याओं की किसी श्रेणी के क्रमागत पदों में होने वाली घट-बढ़। वाणि./जलवायु 1. कीमत, लाभ, तापमान, जलस्तर आदि से संबंधित आँकड़ों का बराबर, कम-ज्यादा या ऊपर-नीचे होते रहना।

उच्चावचन - (पुं.) - सा.अर्थ ऊँचे-नीचे होने, घटने-बढ़ने आदि का भाव।

उच्छिष्‍ट - (वि./पुं.) (तत्.) - खाने के बाद बचा हुआ (भोजन); खाने के बाद छोड़ा हुआ (अन्न), झूठा, झूठन।

उच्छृंखल - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ जंज़ीर से छूट गया; बंधन रहित, स्वेच्छाचारी, अपनी मर्जी से काम करने वाला, मनमानी करने वाला, उद् दड, नियम न मानने वाला।

उच्छृंखलता - (स्त्री.) (तत्.) - उच्छृंखल होने का भाव, मनमानी करने की स्थिति, स्वेच्छाचारिता, उद्ंदडता।’

उछलकूद [उछल(ना)+कूद(ना] - (स्त्री.) (तद्.< उच्छलन+कूर्दन) - शा.अर्थ 1. उछलना और कूदना। 2. किसी कार्य के लिए छटपटाहट के साथ दौड़-भाग करना। टि. उछलना और कूदना में अंतर है। उछलना, पैर के पंजों के बल पर एक ही स्थान पर उछलकर वहीं उतरना। कूदना, असमस्तरीय स्थल पर ऊपर से नीचे अथवा समस्तरीय स्थल पर आगे की ओर होता है।

उछलना अ.क्रि. - (तद्.) (तत्) - 1. किसी ऊँचे स्थान पर पहुँचने के लिए जल्दी में झटके के साथ उठना या बढ़ना। अपने आधार को झटके के साथ पाँवों से अलग करके ऊपर उठना और फिर या तो उसी स्थान पर क्षण उतर आना या किसी अन्य आधार पर जा चढ़ना। इस प्रक्रिया में ऊँचाई अधिक होती है किंतु दूरी अपेक्षाकृत कम। जैसे: 1. उछलकर घोड़े पर चढ़ना (आधार भिन्न), 2. मित्र को अचानक देखकर वह उछल पड़ा। (आधार वही)

उछाल - (स्त्री.) (तद्.< उच्छलन) - उछलने की क्रिया। दे. उछलना।

उछालना - (तद्.< उच्छलन) - ऊपर की ओर इस तरह फेंकना कि लगभग आसपास ही आकर गिरे। जैसे: बच्चे को उछालना, सिक्का उछालना।

उजड़ना - - अ.क्रि. 1. किसी बसे हुए स्थान या लहलहाते खेत का प्राकृतिक आपदा अथवा मानवीय कुकृत्य के कारण बरबाद हो जाना, ध्वस्त हो जाना, विनष्‍ट हो जाना। उदा. 1. दिल्ली कई बार उजड़ी और कई बार बसी। 2. टिड्डी दल ने खेतों को उज़ाड दिया। विलो. बसना; लहलहाना।

उजबक - (वि.) - (तु. < उज्बेक (तुर्क कबीला) 1. (एक तिरस्कार सूचक शब्द) अनुशासनहीन, जिद् दी या मनमानी करने वाला। शरारती; मूर्ख।

उजरत - (स्त्री.) (अर.) - किसी कार्य के बदले में कार्य करने वाले को दिया जाने वाला पारिश्रमिक, मज़दूरी।

उजला - (वि.) (तद्.< उज्जवल) - जो मैला न हो या जिसका मैल साफ कर दिया गया हो। पर्या. स्वस्छ, निर्मल, साफ़, चमकदार। जैसे: उजला वस्त्र। 2. सफेद, श्‍वेत, धवल। जैसे: उजली चांदनी।

उजलापन - (पुं.) (तद्.) - स्वच्छ, सफ़ेद या चमकदार होने का भाव। दे. उजला।

उजागर - (वि.) (तद्.) - 1. प्रकाशित, प्रकट, व्यक्‍त। उदा. अब तो रहस्य उजागर हो ही गया है। 2. मुझे प्रसन्नता है कि तुमने अपने परिवार का नाम खूब उजागर किया है।

उजाड़ - (पुं.) (तद्.) - 1. वह स्थल जो उजड़ गया हो; उजड़ा हुआ स्थान। दे. उजड़ना। वि. उजड़ा हुआ, ध्वस्त, वीरान, जनहीन।

उजाड़ना - - सं.क्रि. (उजाड़) बसे हुए स्थान, घर, खेत, स्मारक, बस्ती आदि को नष्‍ट कर देना, वीरान बना देना।

उजाला - (पुं.) (तद्.<उज्जवल) - प्रकाश, रोशनी। उदा. सूरज निकला और उजाला हो गया। विलो. अँधेरा।

उज्‍ज्‍वल (उत्+ज्वल) - (वि.) (तत्.) - 1. प्रकाश से युक्‍त, चमकीला, चमकदार। 2. जिसमें कोई दाग न हो, 3. शुभ्र, स्वच्छ, मलहीन। जैसे: उज्जवल वस्त्र। 2. चमकदार, प्रकाशमान। जैसे: शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पूर्णत: उज्जवल दिखाई दिया। shining 2. ला.प्रयोग इसी तरह परिश्रम करते रहे तो मुझे तुम्हारा भविष्य उज्जवल दिखलाई देता है। bright

उज्‍बेक - - शा.मूल अर्थ उज=खुद, बेक-शासक। उज्‍बेक=स्‍वयं अपना शासक, स्‍वाधीन तुर्क प्रजाति का एक कबीला; उज्‍बेकिस्‍तान के निवासी।

उज्र - (पुं.) (अर.) - किसी कार्य या बात से असहमत होते हुए उसके बारे में अपनी ओर से विनयपूर्वक प्रकट किया गया विरोध। पर्या. आपत्‍ति। objection

उठना - (तद्.<उत्थान) - 1. निद्रा त्यागकर बिस्तर (शय्या) छोड़ना, जागना। उदा. प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठना स्वास्थ्यकर है। 2. सामान्य स्थिति से अधिक ऊँचाई (संपन्नता आदि की दृष्‍टि से) तक पहुँचना। उदा. यह परिवार मेहनत के बल पर गरीबी से बहुत ऊपर उठ गया है। मुहा. उठ जाना=(i) समाप्‍त होना। उदा. मृत्युभोज का रिवाज उठ गया है।, मेरा अन्न-जल अब दिल्ली से उठ गया लगता है; (ii) मृत्यु होना। उदा. सर्दी की रात में भिखारी संसार से उठ गया और किसी ने उसकी ओर ध्यान तक नहीं दिया।

उठाईगीर - (वि.) - [हि.उठाई< उठाना+गीर=वाला/ धारक] सामने या पास में रखी हुई किसी की वस्तु को, उसकी आँख से बचाते हुए उठाकर ले भागने वाला। पर्या. उचक्का।

उठाईगीर - (स्त्री.) - (हि. उठाई< उठना+गीरी भाववाचक प्रत्यय) सामने या पास में रखी किसी की वस्तु को उसकी आँख बचाते हुए उठाकर ले भागने का कुकृत्य।

उठाना - - स.क्रि. (प्रथम प्रेरणार्थक < उठना) 1. पड़ी स्थिति से खड़ी स्थिति में लाना। 2. बैठे या सोए हुए को खड़ा करना, जगाना। 3. किराए पर देना, जैसे: कमरा उठाना। 4. कसम खाना, जैसे: गंगा जल उठाना।

उड़नखटौला - (पुं.) (तद्.) - शा.अर्थ उड़ने वाला खटौला या खाट के आकार से मिलता-जुलता यान। टि. वायुयान के लिए प्रचलित प्राचीन ग्रामीण नाम।

उड़नतश्तरी - (स्त्री.) (तद्.) - शा.अर्थ उड़ने वाली तश्तरी यानी तश्तरी के आकार-प्रकार का कोई पिंड। एक प्रकार का अज्ञात ज्योतिर्मय पिंड जो कुछ लोगों द्वारा आकश में कभी-कभी उड़ता हुआ देखा गया है।

उड़नदस्ता - (पुं.) - (उड़ना+फा.) दोषियों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए गठित, पुलिस दल जो सूचना मिलते ही त्वरित गति से घटना स्थल पर पहुँच जाता है। flying squed

उड़ना - (तद्.< उड्डयन) - 1. पक्षियों आदि का आकाश में विचरण करना। 2. विमान, हेलिकॉप्टर आदि में बैठकर आकाशमार्ग से अपने गंतव्य तक जाना। 3. फीका पड़ना। उदा. कपड़े का रंग उड़ गया। 4. फैलना जैसे: ख़बर उड़ना।

उड़वाना - (तद्) (तद्-उड्डयन) - (उड़ना-उड़ाना-उड़वाना) 1. ‘उड़ना’ क्रिया का वह प्रेरणार्थक रूप जिसमें कोई अन्य व्यक्‍ति किसी दूसरे से उस क्रिया को करवाता है। उदा. भानु, मयंक से पतंग उड़वाता है। 2. अन्य व्यक्‍ति के माध्यम से किसी (बुरी) बात को फैलाना। उदा. सोहन ने मोहन से तुम्हा

उड़ान - (उड्डयन) (तद्.) - पंख युक्‍त प्राणियों और यंत्रों की आकाश में उड़ने की क्रिया। जैसे: पक्षियों की उड़ान। 2. वायुयान की उड़ान। ला.प्रयो. कल्पना की उड़ान।

उड़ेलना - (तद्.उत्+इलन=एलन) - किसी पात्र को टेढ़ा करके उसमें रखे हुए तरल पदार्थ को दूसरे पात्र में डालने की क्रिया। उदा. बाल्टी के पानी को कूलर में उड़ेलना।

उड्डयन-विभाग - (पुं.) (तत्.) - नागरिक विमानों की उड़ान और तत्संबधी प्रचालन व्यवस्था का प्रबंधन करने वाला विभाग। aviiation department

उतरन - (स्त्री.) - उतरी हुई वस्‍तु/वस्‍त्र पुराने वस्त्र जो अब पहनने के काम नहीं आ रहे।

उतरना - (तद्<अवतरण) - 1. ऊपर से नीचे आना। जैसे: गाड़ी से उतरना, सीढि़याँ उतरना; पारा उतरना; भाव उतरना। 2. मात्रा का कम या समाप्‍त होना। उदा. बुखार उतरना। 3. फीका पड़ना। जैसे: रंग उतरना, चेहरा उतरना। 5. स्थान से हट जाना। जैसे: बांह उतरना, आंत उतरना। 6. याद न रहना, भूल जाना, जैसे: ध्यान से उतरना। विलो. चढ़ना।

उतार - (पुं.) (तद्. हिं उतरना) - उतरने का भाव। पर्या. ढाल। जैसे: पहाड़ का उतार; बुखार उतार पर है; भाव का उतार-चढ़ाव। विलो. चढ़ाव।

उतारना - (तद्.<उत्‍तारण) - ऊपर से नीचे लाना। उदा. गाड़ी रवाना होने वाली है, सामान जल्दी-जल्दी उतार लो।, शरीर से अलग करना। उदा. कमीज उतार लो। उदा. पुस्तक में से ज्यों का त्यों न उतारो।

उतावला - (वि.) (तद्.<त्वरणशील)) - जल्दी करने वाला, जल्दबाज, बेसब्र, अधीर, जिसे धीरज न हो।

उतावली - (स्त्री.) - (हि. उतावला) किसी कार्य के करने में आगे-पीछे सोचे बिना करने का भाव, शीघ्रता, जल्दबाजी। उदा. किसी कार्य के करने में उतावली नहीं करनी चाहिए।

उत्कंठा - (स्त्री.) (तत्.) - किसी बात को करने, पाने, जानने आदि की अति उत्सुकता या तीव्र अभिलाषा। उदा. परीक्षा में प्रथम स्थान पाने की उत्कंठा है तो डटकर परिश्रम करो।

उत्कंठित - (वि.) (तत्.) - (व्यक्‍ति) जिसके मन में किसी बात को करने, पाने, जानने आदि की अति उत्सुकता हो या प्रबल अभिलाषा हो। पर्या. अधीर, बेसब्र। उदा. पहली बार विदेश यात्रा पर जाने की खबर सुनकर वह बहुत उत्कंठित है।

उत्कट - (वि.) (तत्.) - जिसे दबाया न जा सके। जैसे: उत्कट अभिलाषा/इच्छा।

उत्कर्ष - (पुं.) (तत्.) - ऊपर की ओर उठने, विकसित होने, समृद्ध होने का उत्‍तरोत्‍तर प्रक्रम। उदा. तुम्हारे उत्कर्ष को देखकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। विलो. अपकर्ष।

उत्कीर्ण (उद्+कीर्ण) - (वि.) (तत्.) - खुदा हुआ, खोदकर लिखा हुआ, लिखित। जैसे: अशोक के शिलालेख (जो चट्टानों पर टांकी से खोद कर लिखे हुए मिलते हैं।)

उत्कृष्‍ट - (वि.) (तत्.) - श्रेष्‍ठ, सबसे अच्छा, उत्‍तम, बहुत बढि़या। उदा. ताजमहल मुगल स्थापत्य कला का उत्कृष्‍ट उदाहरण है।

उत्कृष्‍टता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी भी क्षेत्र में बढि़या/उत्कृष्‍ट होने की अवस्था या भाव। पर्या. श्रेष्‍ठता। उदा. ताजमहल की रचनात्मक उत्कृष्‍टता विश्‍वप्रसिद्ध है। विलो. निकृष्‍टता।

उत्खंड भ्रंश - (पुं.) (तत्.) - (उत्+खंड) म्रंशोत्थ पर्वतों का उठा हुआ भ्रंश या भाग। दे. भ्रंशोत्थ पर्वत। horst तु. द्रोणिका भ्रंश=धंसा हुआ भ्रंश या भाग।

उत्खनन (उत्+खनन) - (पुं.) (तत्.) - ज़मीन के अंदर से कोई चीज बाहर निकालने के लिए,या प्रकाश में लाने के उद्देश्य से की जाने वाली खोदने की क्रिया या खुदाई। (ऐक्सावेशन) उदा. सिंधु घाटी में उत्खनन के फलस्वरूप प्राचीन भारतीय सभ्यता के असंख्य प्रमाण उपलब्‍ध हुए हैं।

उत्‍तम पुरूष - (पुं.) (तत्.) - व्याकरण में, वह पद (शब्द) जो बोलने वाले का वाचक हो; बोलने वाले का सूचक सर्वनाम। जैसे: मैं, हम।

उत्‍तम - (वि.) (तत्.) - जो देखने, सुनने या प्रयोग की दृष्‍टि से बहुत अच्छा हो। सबसे अच्छा, श्रेष्‍ठ, बहुत बढि़या। जैसे: उत्‍तम भोजन, उत्‍तम स्वास्थ्य, उत्‍तम संगीत, उत्‍तम कला।

उत्‍तमोत्‍तम [उत्‍तम+उत्‍तम] - (वि.) (तत्.) - अच्छे से अच्छा, सर्वोत्‍तम, सबसे अच्छा, एक से बढक़र एक।

उत्‍तर - (पुं.) (तत्.) - 1. वह दिशा जो दक्षिण दिशा के ठीक सामने अर्थात विपरीत दिशा में है। उदा. हिमालय भारत के उत्‍तर में है। 2. मौखिक या लिखित रूप में पूछे गए प्रश्‍न का जवाब। उदा. मैंने सभी प्रश्‍नों के उत्‍तर लिख दिऐ। 3. किसी अप्रिय व्यवहार के बदले किया गया व्यवहार, प्रतिकार या बदला। उदा. तुमने उसके दुर्व्यवहार का सही उत्‍तर दे दिया।

उत्‍तर अयनांत - (पुं.) (तत्.) - भू. वि. वह क्षण जब सूर्य की किरणें पृथ्वी की गति के कारण घूमती हुई 23.5 अंशवाली कर्क रेखा पर सीधी पड़ती है। summer solstice

उत्‍तरजीविता (उत्‍तर+जीवी+ता) - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी संपत्‍ति में इस आधार पर मिला अधिकार कि उसमें जिस अन्य का भी अधिकार था वह अब जीवित नहीं है। 2. जीवधारियों के जीवन की निरंतरता। जैसे: योग्यतम की उत्‍तरजीविता survical of the fitest

उत्‍तरजीवी - (वि./पुं.) - बाद में जीवित रहने वाला व्यक्‍ति अथवा हिताधिकारी। जैसे: बैंक में संयुक्‍त खाता होने पर दोनों में से किसी एक खातेदार की मृत्यु हो जाने पर दूसरा (जीवित) खातेदार। survivor

उत्‍तरदायित्व - (पुं.) (तत्.) - उत्‍तरदायी होने का भाव। पर्या. जवाबदेही। दे. उत्‍तरदायी।

उत्‍तरदायी - (वि.) - शा.अर्थ उत्‍तर देने वाला। (व्यक्‍ति) जिस पर सौंपे गए कार्य के ठीक तरह से किए जाने की जिम्मेदारी डाली गई हो और ठीक तरह से न होने पर ‘क्यों नहीं हुआ?’ की जवाबदेही हो। का उत्‍तरदायित्व हो। पर्या. जिम्मेवार, जवाबदेह।

उत्‍तरध्रुव/उत्‍तरी ध्रुव - (पुं.) (तत्.) - भू. पृथ्वी के अक्ष का उत्‍तरी अंतिम सिरा, छोर या बिंदु।

उत्‍तरवर्ती - (वि.) (तत्.) - समय की दृष्‍टि से बादका, अगला। विलो. पूर्ववर्ती। उदा. भारमेंदू काल उत्‍तरवर्ती हिंदी काव्य में खड़ी बोली का प्रयोग होने लगा।

उत्‍तराधिकारी (उत्‍तर+अधिकारी) - (वि.) - वह व्यक्‍ति या अभिकरण जो किसी के संपत्‍ति या कार्य आदि को उसके जीवनमुक्‍त/पदमुक्‍त होने के बाद प्राप्‍त करे। पर्या. वारिस।

उत्‍तरापेक्षी - (वि.) (तत्.) - जो अपने पत्र, प्रार्थना पत्र, निमंत्रणपत्र, कथन आदि के उत्‍तर की अपेक्षा करता हो; जवाब चाहने वाला।

उत्‍तरायण (उत्‍तर+अयन) - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ उत्‍तर की ओर गमन (जाना) सूर्य की दक्षिण दिशा की तरफ से उत्‍तर की ओर बढ़ना अर्थात मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर सूर्य की गति।

उत्‍तरार्ध - (पुं.) - बादवाला आधा भाग। तु. पूर्वार्ध।

उत्‍तरी गोलार्ध - (पुं.) (तत्.) - भूगोलक पर खिंची विषुवत रेखा (भूमध्य रेखा) से उत्‍तर की ओर का आधा भाग। North Hemisphere

उत्‍तरोत्‍तर (उत्‍तर+उत्‍तर) - (वि./क्रि.वि.) (तत्.) - लगातार, क्रमश:। उदा 1. उसके स्वास्थ्य में उत्‍तरोत्‍तर सुधार हो रहा है। 2. उसका स्वास्थ्य उत्‍तरोत्‍तर क्षीण होता जा रहा है।

उत्‍तल - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ उठा हुआ तल। किसी भी गोलाकार या खोखली संरचना की बाहर की ओर उभरी हुई सतह। जैसे: ग्लोब का बाहरी दृश्य भाग; उत्‍तल। (कोन्वेक्स) तु. अवतल।

उत्‍तीर्ण - (वि.) (तत्.) - व्यु.अर्थ (इस पार से उस पार पहुँचा हुआ) सा.अर्थ परीक्षा में सफल हुआ (व्यक्‍ति)

उत्‍तेजक - (वि.) - 1. उत्‍तेजना पैदा करने वाला। 2. उभारने, भडक़ाने, उकसाने का काम करने वाला। 3. मनोवेगों को तीव्र करने वाला।

उत्‍तेजन - (पुं.) (दे.) - उत्‍तेजना।

उत्‍तेजना - (स्त्री.) (तत्.) - किसी कार्य या कथन विशेष के फलस्वरूप प्रभावित व्यक्‍ति के मनावेगों को तीव्रतर हो जाने की स्थिति। excitment

उत्‍तेजित (उत्‍तेज+इत) - (तत्.) - उत्‍तेजना से आविष्‍ट, जिसमें उत्‍तेजना पैदा हुई या आई हो। उदा. ज्यों-ज्यों तुम मुझे उत्‍तेजित करते रहोगे, त्यों-त्यों मेरा क्रोध बढ़ता जाएगा।

उत्‍तोलक (उत्+तोलक) - (पुं.) - (तराजू की तरह एक पलड़ा), ऊपर उठाने वाला। एक युक्‍ति विशेष जो किसी बहुत भारी वस्तु को सरलतापूर्वक एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर पहुँचा देती है। crane

उत्थान - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ ऊपर की ओर उठना। सा.अर्थ दयनीय स्थिति से उन्नत दशा में पहुँचने का भाव, समद्धि। उदा. शिक्षा और कठोर परिश्रम से ही देश का उत्थान संभव है। विलो. पतन।

उत्थित - (वि.) (तत्.) - ऊपर उठा हुआ। उदा. उत्थित भूभाग को पठार कहते हैं।

उत्पत्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - जन्म; अस्तित्व में आने की स्थिति, आरंभ, उद्भम।

उत्पन्न - (वि.) (तत्.) - जो पैदा किया गया हो या पैदा हुआ हो।, जन्मा हुआ born पैदा हुआ produced

उत्पात - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ ऊपर की ओर उठना। सा.अर्थ उपद्रव, खुराफात, आफत, अशांति।

उत्पाद - (पुं.) (तत्.) - 1. कृषि कर्म द्वारा पैदा हुई फसल। 2. पूंजी प्रधान उद् योगों द्वारा तैयार की गई वस्तु/वस्तुएं। product दे. उत्पादन।

उत्पादक - (तत्.) (पुं.) - 1. उत्पादन से संबंधित या जुड़ा हुआ; उत्पादन संबंधी, 2. उत्पादन करने वाला, उत्पादनकर्ता। 3. माल पैदा करने/तैयार करने वाला व्यक्‍ति productivity

उत्पादकता - (स्त्री.) (तत्.) - उत्पादन संबंधी कार्यक्षमता या मात्रा। productivity

उत्पादन - (तत्.) (पुं.) - 1. किसी वस्तु या माल के पैदा करने/निर्माण करने की क्रिया या भाव। 2. उपर्युक्‍त क्रिया के अनुसार उत्पादित वस्तुएँ या माल भी। जैसे: 1. खेतों में उपजी वस्तुएँ, पैदावार। 2. कारखानों में तैयार हुआ मात्र। production

उत्पादनशुल्क/उत्पाद शुल्क - (पुं.) (तत्.) - 1. देश में तैयार होने वाले माल/वस्तु पर लगने वाला शुल्क/कर। 2. उत्पादनकर, आबकारी। excise duty

उत्पादशुल्क - (पुं.) (तत्.) - देश के भीतर तैयार होने वाले माल, वस्तुओं पर लगने वाला शुल्क, कर। पर्या. उत्पादन शुल्क, आबकारी।

उत्पादिता - (स्त्री.) (तत्.) - दे. उत्पादकता।

उत्प्रवास - (पुं.) (तत्.) - स्थायी रूप से रहने के विचार से अपना देश छोडक़र किसी दूसरे देश में जा बसने की क्रिया या भाव। emigration विलो. आप्रवास।

उत्प्रवासी - (वि.) (तत्.) - (उत् + प्रवास + ई) वि./पुं. किसी देश से उठकर अन्य देश विशेष में जाकर बस जाने वाला व्यक्‍ति या व्यक्‍तियों का समूह। उदा. भारत के कई उत्प्रवासी मारीशस में स्थायी रूप से बस गए हैं। emigriant विलो. आप्रवासी।

उत्प्रेक्षा - (स्त्री.) (तत्.) - अनुमान, उदासीनता। साहि. एक अर्थालंकार, जिसमें उपमेय और उपमान का भेद ज्ञात होने पर भी ऐसा उल्लेख होता है जैसे उपमेय मानो उपमान के समान है। उदा. 1. इतना अंधेरा छा गया मानो रात हो गई हो। 2. सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलौने गात। मनो नील मणि सैल पर आतप परयो प्रभात।

उत्प्रेरक - (वि./पुं.) (तत्.) - वि. उत्प्रेरित करने वाला। पुं. रसा.-वह पदार्थ जो किसी रासायनिक या जैवरासायनिक अभिक्रिया की चाल में परिवर्तन करता है या अभिक्रिया को संपन्न करता है और स्वयं अभिक्रिया के अंत में अपरिवर्तित रहता है। catalyst दे. उत्प्रेरण।

उत्प्रेरण - (पुं.) (तत्.) - रसा. उत्प्रेरक द्वारा किसी रासायनिक या जैवरासायनिक अभिक्रिया को त्वरित करने की क्रिया। catalysis

उत्प्रेरणा - (स्त्री.) (तत्.) - मनो. कार्य जिसके फलस्वरूप कोई कुछ करने को उद्यत हो जाए। inducement

उत्‍प्‍लावकता - (स्त्री.) (तत्.) - रसा. पदार्थ का तैरते रहने का गुण। पर्या. तरणशीलता।

उत्‍प्‍लावकता - (स्त्री.) (तत्.) - रसा. पदार्थ का तैरते रहने का गुण। पर्या. तरणशीलता।

उत्सर्ग - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी के लिए किया गया त्याग, भेंट, अर्पण। जैसे: राष्‍ट्र के लिए कितने राष्‍ट्रभक्‍तों ने अपने सर्वस्व का उत्सर्ग किया। 2. बलिदान, जैसे: चंद्रशेखर ने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया पर समर्पण नहीं किया। 3. समाप्‍ति, जैसे: किसी व्रत आदि का उत्सर्ग।

उत्सर्जन - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ छोड़ना, बाहर निकलना। जीव. अवांछित पदार्थ (मल/अपशिष्‍ट) का बाहर निकलना। कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों से उपापचय के परिणामस्वरूप अपशिष्‍ट उत्पादों waste products को त्यागने या बाहर निकालने की विधि। excresence

उत्सर्जन तंत्र - (पुं.) (तत्.) - उन सभी संरचनाओं और अंगों का समुच्चय जो शरीर से वर्ज्य (त्यागने लायक) पदार्थ को बाहर निकालने में योगदान करते हैं। excrcscence system

उत्सर्जित - (वि.) (दे.) - बाहर निकाले हुए, छोड़े हुए। दे. उत्सर्जन।

उत्सर्जी - (वि.) (तत्.) - उद्योगों, तापीय विद् युत संयंत्रों तथा गाडि़यों से निकाला (अपशिष्‍ट पदार्थ)

उत्सव - (पुं.) (तत्.) - धूमधाम से मनाया जाने वाला कोई भी मंगलकार्य, जैसे : विवाहोत्सव, वसंतोत्सव, वाषिर्कोत्सव।

उत्सादन - (पुं.) (तत्.) - 1. पहले से चले आ रहे किसी पद, स्थान आदि को समाप्‍त कर देने का भाव। जैसे: इस विभाग में सहायक के पद का उत्सादन कर दिया गया। abolition 2. पहले दी गई किसी आज्ञा को निरस्त या स्थगित करने का भाव। जैसे: हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के आदेश का उत्सादन कर दिया। set side

उत्सादित - (वि.) (तत्.) - जिसका उत्सादन किया जा चुका हो। दे. उत्सादन।

उत्साह - (पुं.) (तत्.) - मन का वह भाव जो व्यक्‍ति को रुचिपूर्वक स तत् कार्य करते रहने व आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। पर्या. जोश, हौसला। उदा. सभी बच्चों ने बड़े उत्साह से खेलकूद प्रतियोगिताओं में भाग लिया।

उत्साहित [उत्साह+इत] - (वि.) (तत्.) - किसी समय विशेष में उत्साह या जोश से लबालब भरा हुआ। (फिल्ड विद एंथूजियाज्म) उदा. मैं यह काम करने के लिए बहुत उत्साहित हूँ। दे. उत्साह। तु. उत्साही।

उत्साही (उत्साह+ई) - (वि.) (तत्.) - उत्साह से काम करने के स्वभाव वाला। दे. उत्साहित। उदा. वह व्यक्‍त बहुत उत्साही है। तु. उत्साहित (एंथूजियास्टिक) पुं. एंथूजियास्ट।

उत्सुक - (वि.) (तत्.) - 1. जो किसी बात को जानने के लिए या कोई अनुभव प्राप्‍त करने के लिए अत्यंत इच्छुक हो। पर्या. उत्कंठित, लालायित। 2. किसी वस्तु या कार्य को शीघ्रता से पूरा करने या पूरा होता हुआ देखने को लालायित। उदा. जो बच्चे पर्वतीय क्षेत्र में पर्यटन के लिए जाने को उत्सुक हों वे चलकर अपना पंजीकरण अवश्य करा लें।

उत्सुकता - (स्त्री.) (तत्.) - किसी बात को जानने या किसी कार्य को शीघ्रता से पूरा करने की ललक। उदा. ज्यों-ज्यों परीक्षा परिणाम निकलने की तारीख निकट आती जा रही है त्यों-त्यों सभी की उत्सुकता बढ़ती जा रही है।

उथल-पुथल [उथलना+अनु. पुथलना] - (स्त्री.) - ऐसी स्थिति जिसमें सारी व्यवस्था गड़बड़ा गई हो, भारी उलटफेर। उदा. कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ जिससे उथल-पुथल मच जाए एक लहर इधर से जाए एक लहर उधर से आए।

उदत्‍तर - (पुं.) (तद्< उद्धर) - 1.इस आशा से किसी अन्य को दिया गया धन आदि कि वह यथा समय पहले वाले व्यक्‍ति को लौटा देगा। loan 2. बाद में लौटा देने का वचन देकर कोई वस्तु या धन किसी से लेना। borow

उदधि - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ जल को धारण करने वाला। 1. समुद्र, सागर। 2. बादल, मेघ।

उदय - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ ऊपर की ओर उठना। 1. सूर्य, चद्रं, तारों आदि का निकलना। विलो. अस्त। 2. नई शक्‍ति के रूप में प्रकट होना। जैसे: बंगला देश का उदय, भाग्योदय। 3. नई शक्‍ति, देश का उदय।

उदर - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ पेट। उदा. उदर-पूर्ति (पेट भरने) के लिए सभी प्राणियों को कष्‍ट झेलने पड़ते हैं। stomach आयु. प्राणियों में वक्ष और श्रोणि के बीच वाला भाग जिसके अंदर जठर, आंतें, वृक्क, मूत्राशय, गर्भाशय आदि स्थित होते है। abedoman गैर-तकनीकी। टि. स्त्री का गर्भाशय जिसमें भ्रूण पलकर बढ़ता है।

उदरपूर्ति - (स्त्री.) (तत्.) - [उदर+पूति] शा.अर्थ पेट भरना, पेट का भरण। वह कार्य जो स्वयं अपने और कुटुंबियों का पेट पालने यानी जीवित रहने के लिए अपनाया गया हो। उदा. उदरपूर्ति के लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ता ही है।

उदात्‍त - (वि.) (तत्.) - सा.अर्थ 1. ऊँचा/महान। जैसे: उदात्‍त चरित्र। (सब्लाइम, ऐग्जाल्टेड) 2. जिसके उच्चारण में सुर और तान उठे। टि. वैदिक संस्कृत में स्वर (सुर) के तीन भेद हैं- उदात्‍त, अनुदात्‍त और स्वरित।

उदार - (वि.) (तत्.) - 1. जो संकुचित या रूढ़ विचारों से बंधा न रहे। liberal 2. जो गरीबों की या जरूरतमंद लोगों की खुलेदिल से (वित्‍तीय) सहायता करे। दानशील (जेनेरस)

उदारता [उदार+ता] - (स्त्री.) (तत्.) - उदार होने का भाव या क्रिया। दे. उदार।

उदारवाद - (पुं.) - कट्टरपंथी विचारधारा के स्थान पर नरम नीति अपनाकर सुधारों की पोषक धारणा।

उदारवादी - (वि./पुं.) - कट्टरता को तिलांजलि देकर नरमनीति अपनाते हुए सुधारों का पोषक (व्यक्‍ति या समुदाय)।

उदारीकरण - (स्त्री.) (तत्.) - (आधुनिक संकल्पना) में मुख्यत: वह आर्थिक उदारीकरण जिसमें देश की अर्थव्यवस्था को अपने ही क्षेत्र में सीमित न रखकर अंतरार्राष्‍ट्रीय बाज़ार के लिए खोल दिया जाता है। librralisation

उदास - (वि.) (तत्.) - 1. जिसके चेहरे से अप्रसन्नता और निराशा की भावना झलके तथा जिसका काम करने में मन न लगे। पर्या. खिन्न। जिसका मन किसी काम या घटना के प्रति किसी कारण विशेष से दुखी या खिन्न हो जाए।

उदासी - (वि.) (देश.< उदास) - 1. उदास हो जानें को प्रकट करने वाला मन का भाव। 2. अप्रसन्नता और निराशा की भावना जो प्राय: चेहरे से भी प्रकट होती है। खिन्नता।

उदासीन - (वि.) (तत्.) - 1. जिसका मन काम को करने में न लगे। 2. दो परस्पर विरोधी पक्षों में से किसी एक के प्रति या दोनों के प्रति लगाव महसूस न करे। पर्या. तटस्थ। तटस्थ neutral 2. सांसारिक मोह-माया आदि से अलग, पृथक।

उदासीनता - (स्त्री.) - 1. किसी बात या परिस्थिति से चित्‍त से दुखी होने पर मन में जगा विरक्‍ति का भाव। उदा. आज काम के प्रति तुम्हारी उदासीनता देखकर मुझे हैरानी हो रही है। 2. तटस्थता, निरपेक्षता। 3. अरुचि, विरक्‍ति। विलो. रूचि।

उदाहरण - (पुं.) (तत्.) - किसी बात या घटना को सही या गलत सिद् ध करने के लिए वैसी ही किसी बात या घटना आदि का किया गया उल्लेख। पर्या. मिसाल।

उदित - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ जिसका उदय हो चुका हो। सा.अर्थ-उगा हुआ, निकला हुआ। उदा. सूर्य/चंद्र को उचित हुए लगभग एक घंटा हो चुका है।

उदीयमान - (वि.) (तत्.) - 1. जिसका उदय हो रहा हो। उदा. उदीयमान सूर्य को सभी नमस्कार करते हैं। 2. जिसमें जन्म से ही गुण संपन्न होने के लक्षण दिखाई दें; पर्या. होनहार; जिसमें शुरू से ही विकास की अच्छी संभावनाएँ दिखाई पड़े। उदा. जीव प्राद्यौगिक आधुनिक युग का उदायीमान उद्योग है।

उद्दहन स.क्रि. - (पुं.) (तत्.) - (उत्+दहन) अकस्मात आंच देकर जलाना। जैसे : उद्दहन चम्मच में deflagration

उद् देश्यहीन - (वि.) (तत्.) - जो कार्य उद्देश्य निर्धारित किए बिना किया जाए। पर्या. निररूदे्देश्य। उदा. हमें उद् देश्यहीन कार्य नहीं करना चाहिए।

उद्गम - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ ऊपर आना; बाहर निकलना। 1. उदय, उत्पन्न होने का भाव, आविर्भाव। 2. उत्पन्न होने का स्थान, निकास। 3. नदी के निकलने का स्थान। उदा. गंगोत्री गंगा नदी का उद् गम स्थान है।

उद्गर - (पुं.) (तत्.) - वे मन के भाव जो वाणी के माध्यम से औरों के सम्मुख प्रकट हो चुके हों।

उद् घाट - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ नीचे से निकाल कर ऊपर लाना, बाहर निकालना। सा.अर्थ 1. कष्‍टों से छुटकारा। 2. (भारतीय दर्शन के अनुसार) जन्म और मरण के बंधन से मुक्‍ति)।

उद्घाटन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ खोलना, उघाड़ना, प्रकट करना। किसी प्रतिष्‍ठित व्यक्‍ति के हाथों किसी नवनिर्मित भवन का फीता काट कर अथवा सम्मेलन का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ करना inaugenation तु. विमोचन, लोकार्पण।

उद् घाटित - (वि.) (तत्.) - जिसका उद्घाटन हो चुका हो। दे. उदघाटन।

उद्घोषणा - (स्त्री.) (तत्.) - सार्वजनिक और खुले रूप में की गई औपचारिक घोषणा। proclamation

उद्दंड (उत्/द्+दंड) - (वि.) (तत्.) - व्यु.अर्थ (जो सदा हाथ में) डंडा उठाए खड़ा रहे। किसी नियम, नियंत्रण, मर्यादा को न मानते हुए मनमानी आचरण करने वाला; किसी से न डरने या दबने वाला। उदा. उद्दड स्वभाव वाले बालकों को कोई पसंद नहीं करता।

उद्दंडता (उद्+दंडता) - (स्त्री.) (तत्.) - किसी नियम, नियंत्रण, मर्यादा को न मानते हुए मनमाना आचरण करने का भाव, किसी से न दबने या डरने की स्थिति।

उद्दीपक - (वि./पुं.) (तत्.) - 1. उत्‍तेजना पैदा करने वाला; उत्‍तेजक। 2. प्रकाशित करने वाला; प्रकाशक। मनो. कोई कारक विशेष जिसकी अनुक्रिया में कोई अन्य क्रिया हो। stimulas stimulatant

उद् दीपन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ उद्दीप्‍त करने वाली क्रिया या उसका सूचक भाव। 1. ऐसा कोई भी बाहरी या भीतरी कारक जिसके प्रभाववश जीव कुछ करे। 2. कोई स्थिति या क्रिया जिसके प्रति कोई अनुक्रिया की जाए। stimulus 3. दहकाना, जलाना। 4. उत्‍तेजना। मनो. किसी ज्ञानेद्रिय का ऊर्जा में परिवर्तन से सक्रिय अर्थात उत्‍तेजित होना। stimulation

उद्दीप्‍त (उत्+दीप्‍त) - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ 1. दहकता हुआ, चमकता हुआ। 2. उत्‍तेजित। दे. उद्दीपन। (स्टिम्युलेटैड) उद्दीपन। (स्टिम्युलेटैड)

उद् देश्य पूं. - (तत्.) - 1. वह कार्य, वस्तु या बात जिसे ध्यान में रखकर या लक्ष्य मानकर कोई कार्य किया जाए या कहा जाए। पर्या. लक्ष्य, प्रयोजन। 2. व्या. वह पद जिसके बारे में कुछ कहा जाए या विधान किया जाए। उदा. लडक़ा खाना खा रहा है। में ‘लड़का’ subject objeetive

उद् धम - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ मेहनत, परिश्रम, प्रयत्‍न, प्रयास, उद् योग। अर्थ 1. जीविकोपार्जन के लिए किया जाने वाला नियत काम। occupation 2. उत्पादन का वह कारक जो जोखिम उठाता है। (ऐन्टरप्राइज़) 3. फर्म, कंपनी का पर्याय। enterprise

उद् धरण (उद्/उत्+हरण/धरण) - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ उठाकर लाना/धरना। सा.अर्थ किसी वक्‍ता या लेखक के कथन को वहां से उठाकर अन्यत्र ज्यों का त्यों लाना या रखना। quatation

उद्धरण-चिह्न - (पुं.) (तत्.) - किसी वक्‍ता या लेखक के कथन को वहाँ से उठाकर अन्यत्र ज्यों-का-त्यों प्रस्तुत करने के लिए प्रयुक्‍त विरामादि चिह्न (”……”) quatation mark

उद्धृत - (वि.) - शा.अर्थ खींचकर ऊपर निकाला हुआ। किसी विस्तृत कथित या लिखित सामग्री में से एक अंश बाहर निकालकर अन्यत्र अविकल रूप से उदाहरणस्वरूप प्रस्तुत किया हुआ।

उद्धान - (पुं.) (तत्.) - सैर तथा मनोविनोद के लिए बना और पेड़-पौधों से सजा तथा हरी-भरी घास वाला चारों ओर से घिरा भूखंड। पर्या. बगीचा, वाटिका, बाग।

उद्धानकृषि - (स्त्री.) (तत्.) - वाणिज्यिक स्तर पर सब्जियों, फूलों और फलों के उत्पादन का कार्य। पर्या. बागवानी। harticulature दे. कृषि।

उद्बोधन - (पुं.) (तत्.) - 1. जगाने का भाव। 2. ज्ञान-वृद्धि कराने की क्रिया। वि. उद् बोधक, उद्बोधक, उद्बोधनीय, उद्वोधित।

उद् भावना - (स्त्री.) (तत्.) - मन में उत्पन्न कोई नई बात।

उद् भिज - (वि./पुं.) (तत्.) - धरती फोडक़र उगने/ निकलने वाले पादप (लताएँ, पौधे, वृक्ष आदि) तु. स्वेदज, अंडज, जरायुज (पिंडज) vetitative

उद् भुत - (वि.) (तत्.) - किसी कार्य के लिए सदा तैयार, तत् पर। उदा. वह लड़ने-भिड़ने के लिए सदा उद्युत (तैयार) रहता हो।

उद् भुव - (पुं.) (तत्.) - अस्तित्व में आना, उत्पन्न होना, प्रकट होना, जन्म, उत्पत्‍ति।

उद्यमी - (वि.) (दे.) - उद्यम करने वाला। पर्या. उद्योगी, मेहनती, परिश्रमी। उद्यम (सही अर्थ)

उद्यान - (पुं.) (तत्.) - सजावटी और उपयोगी दोनों प्रकार के फल-फूलों से लदा छोटे आकार का बाग। पर्या. बगीचा, वाटिका।

उद्योग - (पुं.) (तत्.) - 1. कारखानों में निर्मित वस्तुओं का उत्पादन। 2. वह संयंत्र या कारखाना जो किसी वस्तु के उत्पादन या निर्माण के लिए स्थापित किया गया है। industry जैसे: इस्पात- उद्योग, सूत-उद्योग आदि। 2. कठिन परिश्रम, प्रयत्‍न, प्रयास, कोशिश। उदा. मैनें स्वयं शिक्षक के माध्यम से तमिल भाषा सीखने का उद्योग किया किंतु उसमें अधिक सफलता नहीं मिली।

उद्योगपति‍ (उद्योग+पति) - (पुं.) (तत्.) - उद्योग कामालिक, कारखाने का मालिक। industrialist दे. उद्योग।

उद्योगीकरण (उद् योग + ई + करण) - (पुं.) (तत्.) - नवीनतम कारखाने लगाने का काम; विशाल उद्योगों को स्थापित करने का काम। टि. व्याकरणिक शुद् धता की दृष्‍टि से इस शब्द के स्थान पर ‘औद्योगिकरण’ का प्रयोग होना चाहिए।

उद्वग्निता - (स्त्री.) (तत्.) - उद्विग्न होने का भाव। दे. उद्विग्न।

उद्वर्ध (उत् + वर्ध) - (वि./पुं.) - 1. ऊपर की ओर वर्धनशील या उठा हुआ।

उद् विहन - (वि.) (तत्.) - घबराया हुआ, परेशान, चिंतित और व्याकुल।

उद्वेग - (पुं.) (तत्.) - घबराहट, परेशानी, चित्‍त की व्याकुलता। उदा. क्रोध के उद्वेग में वह न जाने क्या-क्या बकता रहा।

उधर क्रि. - (वि.) ([तद्< उत्‍तर]) - उस ओर, उस तरफ। उदा. कमरे में इधर पुस्तकें रखी है और उधर पत्रिकाएँ हैं। वि. इधर।

उधार पुं - ([तद्< उद्धार]) - 1. इस आशा से किसी अन्‍य को दिया गया धन आदि कि वह यथा समय पहले वाले व्‍यक्‍ति को उसे लौटा देगा। loan 2. बाद में लौटा देने का वचन देकर कोई वस्‍तु या धन किसी लेना borrow

उधेड़ना स.क्रि. - (तद्< उद् धारण) - सिलाई के टांके या बुनाई को खोलना। उदा. रजाई की सिलाई उधेड़ना, स्वेटर उधेड़ना।

उधेड़-बुन [उधेड़ना+बुनना] - (पुं.) - (देशज) शा.अर्थ पर्याप्‍त सोच-विचार लेने के बावजूद किसी निर्णय या निश्‍चय पर नहीं पहुँचने की स्थिति; उलझन।

उनींदा - (वि.) (तद्.< उन्निद्र) - रात में देर रात सोने के कारण जिसकी आँखों में जागने के बाद भी नींद का आलस्य भरा हुआ हो; नींद से भरी आँखों वाला, उँघता हुआ।

उन्नत - (वि.) (तत्.) - 1. ऊपर उठा हुआ, ऊँचा। जैसे: उन्नत शिखर। 2. आगे बढ़ा हुआ। जैसे: उन्नत देश। विलो. अवनत।

उन्नति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. वर्तमान स्थिति पद आदि से आगे बढ़ने या ऊपर जाने की दशा का सूचकभाव। जैसे: भौतिक उन्नति, पदोन्नति। पर्या. तरक्की (प्रोमोशन)। 2. पूर्व स्थिति की तुलना में दिखाई पड़ने वाला सुधार। (इंप्रूवमेंट)

उन्नयन [उत्+नयन] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ ऊपर की ओर ले जाना। सा.अर्थ वर्तमान स्थिति से श्रेष्‍ठतर स्थिति में पहुँचना/पहुँचाना; ऊँची कक्षा या पद पर जाना। विलो. अवनयन।

उन्नायक - (वि.) (तत्.) - ऊपर उठाने या ले जाने वाला, उन्नत करने वाला; आगे बढ़ाने वाला। उदा. स्वतंत्रता से पहले हमारे देश के उन्नायकों में महात्मा गाँधी का नाम आदर के साथ लिया जाता है।

उन्नीस - (वि.) (तद्< एकोनविंशति)) - बीस से एक कम; दस जमा नौ। ला.अर्थ कुछ कम, जैसे: पढ़ाई में वह उन्नीस है। (यानी श्रेष्‍ठता की सूचक एक इकाई के रूप में मान्य, बीस की संख्या से कुछ कम है।) मुहा. 1. उन्नीस होना=किसी की तुलना में कुछ कम होना। 2. उन्नीस-बीस होना=कुछ कम-ज्यादा होना, लगभग।

उन्मत्‍त - (वि.) (तत्.) - 1. नशा चढ़ा होने के कारण जो आपे में न हो। 2. जिसकी बुद् धि व्यवस्थित रूप से कार्य न कर रही हो। पर्या. पागल, बावला।

उन्माद - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ-पागलपन। मनो. उग्र और अनियंत्रनीय आवेगात्मक व्यवहार। mania तु. विक्षेप, विक्षिप्‍तता। विक्षिप्‍तता स्त्री. तत्. सा.अर्थ-पागलपन। मनो. मनोविकृति की ऐसी दशा जिसमें व्यक्‍ति अपनी मन:शांति, संवेगों पर नियंत्रण और संतुलन खो बैठता है। insanity

उन्मुक्‍त [उत्+मुन्क] - (वि.) (तत्.) - 1. जो पहले बंधन में हो पर अब मुक्‍त कर दिया गया हो। 2. जो कभी बंधा न रहा हो, खुला। जैसेः उन्मुक्‍त वातावरण।

उन्मुक्‍ति - - 1. जो पहले बंधन में हो उसे बंधनमुक्‍त किया जाना। 2. कभी बंधन में न रहने की स्थिति।

उन्मूलन (उत्+मूलन) - (पुं.) (तत्.) - जड़ से निकाल फेंकना, समाप्‍ति, नाश। जैसे: मलेरिया उन्मूलन।

उपकरण - (पुं.) (तत्.) - [उप+करण] 1. किसी प्रयोग में आने वाला औजार या पुर्जा, जैसे: इस मशीन के उपकरण सरलता से नहीं मिलते। 2. साधन, जैसे: उपकरणों के बिना कारीगर अधूरा है। 3. यंत्र या यंत्र के भाग।

उपकार - (पुं.) (तत्.) - बिना लोभ या लालच के किसी दूसरे के लिए किया गया ऐसा कार्य जो उसके लिए लाभकारी हो। पर्या. भलाई, नेकी। उदा. मेरे प्रति आपका उपकार मैं कभी नहीं भूलूँगा।

उपक्षेत्र - (पुं.) (तत्.) - किसी बडे़ भूभाग का सीमांकित एक छोटा भाग।

उपखंड - (पुं.) (तत्.) - प्रशासन के सुचारू संचालन के उद् देश्य से जि़ले को बांटकर बनाई गई कई इकाईयों में से कोई एक इकाई। पर्या. उपप्रभाग। subdivision

उपग्रह - (पुं.) (तत्.) - वह आकाशीय (प्राकृतिक या कृत्रिम) पिंड जो किसी ग्रह की परिक्रमा करे। जैसे: पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा अथवा मानव निर्मित कोई भी कृत्रिम संचार उपग्रह। satellite

उपचार - (पुं.) (तत्.) - 1. रोगी का दवा से इलाज। पर्या. चिकित्सा treatment 2. रोगी की सेवा। 3. रस्म अदायगी।

उपचारिका - (स्त्री.) (तत्.) - अस्पताल में चिकित्सक की सलाह के अनुसार रोगी को दवा देने का तथा उसके लिए अनावश्यक सेवा का कार्य करने वाली महिला। nurse

उपचुनाव - (पुं.) (तत्.) - दो नियमित चुनाव और अगले चुनाव के समय के बीच में किसी सदस्य के त्यागपत्र या मृत्यु से उत्पन्न रिक्‍त स्थान को भरने के लिए किया जाने वाला विशेष चुनाव। by election पर्या. उपनिर्वाचन।

उपज - (स्त्री.) (तद्.< उपचय) - 1. उत्पन्न/पैदा होने की क्रिया या भाव। 2. उत्पन्न/पैदा हुई वस्तु की मात्रा। 3. खेत-खलिहान, बागवानी आदि में पैदा हुई वस्तु की मात्रा। पर्या. पैदावार। 4. produce मन में उठी हुई कल्पना।

उपजना - (तद्<उपजन्यते) - 1. जमीन में या खेत में किसी चीज़ का पैदा होना या उगना। उदा. खेतों में कुछ पौधे अपने आप उपजते हैं। 2. मन में किसी विचार या भाव का पैदा होना/उत्पन्न होना। उदा. हमारे मन में तरह-तरह के भाव उपजते हैं।

उपजाऊ (उपज+आऊ) - (वि.) (देश.<उपज) - जिसमें अधिक उपज संभावित हो। पर्या. उर्वर। जैसे: उपजाऊ भूमि। विलो. बंजर।

उपत्यका - (स्त्री.) (तत्.) - 1. पहाड़ की तलहटी; पहाड़ के नीचे का भूक्षेत्र, तराई foothils 2. दो पहाड़ों के बीच का संकरा भूक्षेत्र, घाटी (वैली) तुल. अधित्यका।

उपदेश - (पुं.) (तत्.) - 1. नेक सलाह, हित की बात, शिक्षा, सीख, सलाह। 2. धार्मिक प्रवचन।

उपदेशक - (वि./पुं.) (तत्.) - दूसरों को धार्मिक, नैतिक आदि उपदेश या सीख देने वाला (व्यक्‍ति)।

उपद्रव - (पुं.) (तत्.) - शांति-व्यवस्था को भंग करने वाला प्राय: हिंसा या तोडफ़ोड़ करने वाला (कु) कृत्य। पर्या. उत्पात, दंगा-फसाद, हंगामा।

उपद्रवग्रस्त - (वि.) (तत्.) - (वह क्षेत्र) जहाँ हिंसा या तोडफ़ोड़ की भारी मात्रा में घटनाएँ घट रही हों।

उपद्रवी - (वि.) (तत्.) - 1. उपद्रव या ऊधम मचाने वाला 2. नटखट जैसे: विद्यालय में कुछ छात्र उपद्रवी होते हैं 3. दंगा फ़साद करने वाला।

उपधातु [उप+धातु] - (पुं.) (तत्.) - तत् वों का वर्ग जिनके गुण-धर्म धातु और अधातु के बीच के होते हैं, जैसे: जर्मेनियम, एन्टीमनी आदि। metalliod

उपनगर - (पुं.) (तत्.) - किसी नगर की सीमा से लगा अपेक्षाकृत छोटा और बाद में विकसित रिहायशी इलाका जो नागरिक सुविधाओं की दृष्‍टि से उसी (महा) नगर की प्रमुख इकाई बन गया हो। जैसे: (दिल्ली/नई दिल्ली का) द्वारका उपनगर। sub city

उपनयन [उप+नयन] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ (गुरू के) समीप ले जाना। जैसे: उपनयन संस्कार यानी प्राचीन काल का वह संस्कार जिसमें (अष्‍टवर्षीय) बालक को यज्ञोपवीत पहना कर शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरू के पास भेजा जाता था और जो अब भी किसी-न-किसी रूप में भारत में प्रचलित है। पर्या. यज्ञोपवीत संस्कार।

उपनाम - (पुं.) (तत्.) - 1. वास्तविक नाम से भिन्न नाम, पुकारा जाने वाला नाम। जैसे: छुट्टन, बबलू आदि। 2. कुलनाम 3. कवियों, लेखकों आदि का स्वयं रखा नाम। जैसे: कन्हैया लाल मिश्र ‘प्रभाकर’, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ 4. पदवी surname

उपनियम - (पुं.) (तत्.) - किसी नियम के एकाधिक भागों में से एक जिसका संख्यांकन नियम से भिन्न रीति से किया जाए। जैसे: नियम 5 का उपनियम (अ) sub rule

उपनिर्वाचन - (पुं.) (तत्.) - [उप+निर्वाचन] नियमित चुनाव और अगले चुनाव की अवधि के दौरान किसी सदस्य की मृत्यु या त्यागपत्र से उत्पन्न रिक्‍त को भरने के लिए किया जाने वाला विशेष चुनाव। पर्या. उपचुनाव। byelection

उपनिवेश - (पुं.) (तत्.) - [उप+निवेश] 1. दूसरे देश से आकर बसे लोगों की बस्ती। जैसे: कोच्चि में यहूदियों का उपनिवेश (बस्ती।) 2. वह देश या क्षेत्र जो किसी अन्य प्रभावी देश के नियंत्रण में हो और जहाँ उस नियंत्रक देश के निवासी आकर बस गए हों। जैसे: स्वतंत्रता से पूर्व गोवा पुर्तगालियों का तथा पांडिचेरी (पुदुच्चेरी) फ्रांस का उपनिवेश था। colony

उपनिवेशवाद - (पुं.) (तत्.) - [उपनिवेश-वाद] दूसरे देशों को अथवा उसके कुछ क्षेत्रों को अपने कब्जे में लेकर वहाँ अपने देश के लोगों को बसाने की प्रक्रिया अथवा इस प्रक्रिया में विश्‍वास रखने का सिद्धांत। colonialism

उपनिवेशवादी - (वि./पुं.) (तत्.) - [उपनिवेश+वादी] 1. उपनिवेशवाद से संबंधित। 2. उपनिवेश स्थापित करने वाला देश अथवा उपनिवेशवाद में विश्‍वास करने वाला व्यक्‍ति या समुदाय। colonialist

उपनिषद - (स्त्री.) (तत्.) - [उप+नि+सद्] शा.अर्थ 1. ब्रह्मविद् या की ज्ञान प्राप्‍ति के लिए गुरू के निकट बैठना 2. वेद की शाखाओं वाले ब्राह्मण ग्रंथों के अंतिम भाग जिनमें आत्मा और परमात्मा आदि का वर्णन किया गया है। इन ग्रंथों की संख्या 108 मानी जाती है 3. वेदांत दर्शन।

उपन्यास - (पुं.) (तत्.) - 1. साहित्य की एक कल्पना प्रधान रचनात्मक विधा, जिसमें प्रबंधकाव्य की शैली पर बहुत लंबी गद् यात्मक कथा होती है तथा जिसमें अनेक मुख्य तथा गौण पात्रों, घटनाओं का समावेश होता है 2. उक्‍त विधा की रचना nobel वि. औपन्यासिक। उदा. ‘गोदान’ उपन्यास की रचना प्रेमचंद ने की।

उपन्यासकार - (पुं.) (तत्.) - उपन्यास का रचयिता। (नोवेलिस्ट) दे. उपन्यास। उदा. उपन्यासकार प्रेमचंद ने ‘गोदान’ की रचना की।

उपभोक्‍ता - (वि./पुं.) - 1. किसी उत्पाद का उपभोग करने वाला या उसे काम में लाने वाला।, 2. वह व्यक्‍ति जो जीवनयापन के लिए उपयोगी वस्तुओं को बाजार से खरीदकर उनका इस्तेमाल करता है। consumer 3. बरतने वाला, भोग करने वाला।

उपभोग - (पुं.) (तत्.) - 1. वाणि. प्राप्‍त या खरीदी हुई वस्तु का उपयोग। consumtion 2. मनपसंद किसी वस्तु का आनंद उठाना या उसके सुख का अनुभव करना। उदा. आजकल लोग पैसे के बल पर नई-नई वस्तुओं का उपभोग करते हैं। enjoymnet

उपमहाद्वीप - (पुं.) (तत्.) - (उप+महा+द् वीप) किसी महाद् वीप का वह विस्तृत भू-क्षेत्र जो सामान्यत: तीन और से समुद्र से घिरा होता है ओर अपनी-अलग जैसी पहचान प्रकट करता है। जैसे: भारतीय उपमहाद् वीप जिसमें (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश आदि आते हैं।) तु. महाद्वीप।

उपमा - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ समानता; समानता। साहि.अर्थ एक अर्थालंकार जिसमें किसी प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्‍ति की समानता के आधार पर किसी वस्तु या व्यक्‍ति के रूप, गुण आदि का वर्णन किया जाता है। उदा. 1. पीपर पात सरिस मन डोला। 2. महंगाई बढ़ रही निरंतर द्रुपद सुता के चीर सी।

उपमान - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ समरूपता। वह वस्तु, गुण जिससे किसी की तुलना की जाए। उदा. उसका मुख चंद्रमा के समान सुंदर है। यहाँ ‘चंद्रमा’ उपमान है, जिसकी तुलना या समानता ‘मुख’ से की गई है। तु. उपमेय।

उपमृदा - (स्त्री.) (तत्.) - मृदा के विभिन्न स्तरों में से ऊपरी मृदा से निचले स्तर वाली मृदा। subsoil

उपमेय - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ उपमा (तुलना) के योग्य। साहि. जिसकी किसी से तुलना की जाए यानी उपमा दी जाए। उदा. उसका मुख चंद्रमा के समान सुंदर है में ‘मुख’ उपमेय है क्योंकि इसकी तुलना चंद्रमा से की जा रही है। तु. उपमान।

उपमेयोपमा - (स्त्री.) (तत्.) - [उपमेय+उपमा] काव्य. एक अर्थालंकार जिसमें उपमेय और उपमान को परस्पर उपमान और उपमेय कहा जाता है। जैसे: चंद्रमा के समान दूध है और दूध के समान ही चंद्रमा है।

उपयुक्‍त - (वि.) (तत्.) - 1. जो किसी अन्‍य वस्तु, व्यक्‍ति आदि के अनुसार ठीक-ठीक मेल खाए। जैसे: उपयुक्‍त औषधि। (फिट/स्यूटेबल) 2. जैसा होना उचित हो, वैसा ही। जैसे: उपयुक्‍त उत्‍तर। proper 3. उपयोगी। useful

उपयुक्‍तता - (स्त्री.) (तत्.) - उपयुक्‍त होने का भाव। समय, परिस्थिति आवश्यकता आदि के अनुरूप होने की स्थिति। suitability, apporoprate property, fitness usefulness

उपयोग - (पुं.) (तत्.) - किसी चीज़ के काम में लेने या आने की स्थिति अथवा भाव, वस्तु आदि का व्यवहार में लाया जाना। पर्या. इस्तेमाल, व्यवहार, use

उपयोगिता - (स्त्री.) (तत्.) - उपयोगी या लाभकारी होने का सूचक भाव। उदा. खेतीबाड़ी के कार्य में हल की उपयोगिता स्वयंसिद् ध है। utility पर्या. उपादेयता।

उपयोगितावाद - (स्त्री.) (तत्.) - यह मान्यता कि वही कार्य सबसे अच्छा माना जाना चाहिए जो सबका हित करने वाला हो। (सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय) utilitarianism

उपयोगितावादी - (वि./पुं.) (तत्.) - 1. उपयोगितावाद संबंधी। 2. वह व्यक्‍ति जो उपयोगितावाद में विश्‍वास रखता हो या अनुयायी हो।

उपयोगी - (वि.) (तत्.) - काम में आने/लिए जाने के योग्य; लाभदायक, फायदेमंद। दे. उपयोगिता।

उपरांत - (वि.क्रि.) (तत्.) - उपरांत पीछे, बाद में, अनंतर।

उपराज्यपाल - (पुं.) (तत्.) - भारत के संविधान के अनुसार केंद्र प्रशासित क्षेत्र अथवा सीमित अधिकार वाले राज्य का सर्वोच्च पदाधिकारी जो राष्‍ट्रपति द्वारा नियुक्‍त होता है और उसी के प्रति उत्‍तरदायी होता है।

उपराम - (पुं.) (तत्.) - 1. विरक्‍ति, वैराग्य। जैसे: उन्हें गृहस्थ जीवन से उपराम हो गया है। 2. निवृत्‍ति, छुटकारा। जैसे: सांसारिक भोगों से मन को उपराम कहाँ? 3. विश्राम, विश्रांति। 4. मृत्यु।

उपरिपुल - (पुं.) - सडक़/राजमार्ग को पार करने के लिए उसके ऊपर आरपार बना पुल। fly over

उपर्युक्‍त (उपरि+उक्‍त) - (वि.) (तत्.) - ऊपर कहा गया, जिसका ऊपर उल्लेख किया जा चुका है। टि. ‘उपर्युक्‍त’ के स्थान पर कई लोग ‘उपरोक्‍त’ का प्रयोग करते हैं जो व्याकरणिक रचना की दृष्‍टि से सही नहीं है।

उपलब्ध - (वि.) (तत्.) - जो प्राप्‍त हो या हो सके। जैसे: कार्यालय आने-जाने के लिए मुझे सरकारी वाहन स्टाफकार उपलब्ध है।

उपलब्धता - (स्त्री.) (तत्.) - उपलब्ध होने की सुविधा।

उपलब्धि - (स्त्री.) - 1. प्रयत्‍नपूर्वक प्राप्‍त वस्तुएँ या सफलता achivement उदा: साहित्य के क्षेत्र में आपकी उपलब्धियाँ क्या हैं?

उपला - (पुं.) - गोबर को पाथकर और सुखाकर बनाया गया इंर्धन, कंडा।

उपवन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ छोटे आकार का वन। सा.अर्थ बाग, बगीचा, फुलवाड़ी आदि।

उपवास - (पुं.) (तत्.) - 1. धार्मिक कृत्य के रूप में भोजन का त्याग। वह व्रत जिसमें अन्न ग्रहण नहीं किया जाता (पर फलाहार की अनुमति होती है।) fast तु. भूखहड़ताल, अनशन।

उपशीर्षक [उप+शीर्षक] - (पुं.) (तत्.) - मूल शीर्षक के अंतर्गत आए विषय को अधिक स्पष्‍ट करने वाले विभाजन का सूचक गौणशीर्षक। sub heading

उपसंपादक [उप+संपादक] - (पुं.) (तत्.) - मुख्य संपादक के अधीन या उसके साथ काम करने वाला, वह संपादक जिसे कोई नियत कार्य सौंपा जाता है और जो मुख्य संपादक की अनुपस्थिति में मुख्य संपादक का कार्यभार भी वहन करता है। sub-editor

उपसंहार - (पुं.) (तत्.) - किसी पुस्तक या लेख के अंत में जोड़ा गया वह अध्याय या अंश जिसमें उस पुस्तक या लेख का निचोड़ होता है यानी सारांश के रूप में (संक्षेप में) सारी बात/बातें बता दी जाती हैं।

उपसभापति - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी संस्था, सभा, समिति का वह प्राधिकारी जो सभापति से क्रम में दूसरा होता है और सभापति की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का संचालन, नियमन आदि करता है। Vice President 2. राज्यसभा में सभापति की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का संचालन, नियमन करने के लिए उसी सदन के सदस्यों में से निर्वाचित प्राधिकारी। deputy chairman

उपसमिति - (स्त्री.) (तत्.) - किसी बड़ी समिति के ही सदस्यों में से नामित तीन-चार सदस्यों वाली छोटी समिति जो सौंपे गए कार्य विशेष की रिपोर्ट बड़ी समिति में प्रस्तुत करती हैं sub committee

उपसर्ग - (पुं.) (तत्.) - व्युं.अर्थ समीप छोड़ा गया। व्या. वह शब्दांश जो किसी शब्द से पहले लग कर उसका अर्थ बदल देता है। जैसे: उपहार में ‘उप’ उपसर्ग है, इसी तरह सरपंच में ‘सर’ उपसर्ग है। (प्रीफिक्स) तु. प्रत्यय।

उपस्थित - (वि.) (तत्.) - जो अपेक्षित स्थान पर मौजूद हो। पर्या. हाजि़र। उदा. कक्षा में सभी छात्र उपस्थित है।।

उपस्थिति - (स्त्री.) - 1. अपेक्षित स्थान पर किसी/किन्हीं की मौजूदगी। 2. मौजूद लोगों की कुल संख्या।

उपस्थितिपंजिका - (स्त्री.) (तत्.) - वह पंजिका यानी रजिस्टर जिसमें छात्रों, कर्मचारियों आदि की हर दिन की समय पर मौजूदगी दर्ज (अंकित) की जाती है। attendance register

उपहार - (पुं.) (तत्.) - किसी अवसर विशेष पर अपने प्रिय या आदरणीय व्यक्‍ति को सम्मानार्थ दी जाने वाली वस्तु। पर्या. भेंट, सौगात। उदा. मुझे अपने जन्मदिन पर तरह-तरह के उपहार प्राप्‍त हुए। project gift

उपहास - (पुं.) (तत्.) - हंसते हुए किसी की बुराई या निंदा करने का (अवांछित) कृत्य। पर्या. मज़ाक।

उपाख्यान [उप+आख्यान] - (पुं.) (तत्.) - 1. मुख्य कथा के अंतर्गत आई हुई उपकथा। जैसे: रामायण में शबरी का उपाख्यान। 2. विस्तार से वर्णित कोई पुरातन कथा। जैसे: नचिकेतोपाख्यान।

उपादान - (पुं.) (तत्.) - वह कच्चा माल (आधार सामग्री) जिससे कोई वस्तु बनी हो। जैसे: मिट्टी जिससे घड़ा बनता है।

उपादानकारण - (पुं.) (तत्.) - वह कारण जो कार्य में परिणत हो जाता है; वह आधार सामग्री जिससे कोई वस्तु बनती है। दे. उपादान।

उपादेय - (वि.) (तत्.) - लेने योग्य, ग्रहण करने योग्य, उपयोगी, लाभदायक।

उपादेयता - (स्त्री.) (तत्.) - ग्रहण करने की योग्यता, लाभदायक स्थिति का सूचक भाव।

उपाधि - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी शैक्षिक पाठ्यक्रम की सफल समाप्‍ति पर विद् यार्थियों/छात्रों को प्रदान किया जाने वाला श्रेणीसूचक नाम। जैसे: स्नातक की उपाधि, डॉक्टर (वाचस्पति) की उपाधि आदि। 2. जनता द्वारा प्रदत्‍त मान अथवा सम्मानसूचक शब्‍द। किसी अतिविशिष्‍ट व्यक्‍ति के प्रथम नाम के साथ जनता द्वारा जोड़ा गया सम्मानसूचक शब्द। जैसे: महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, महामना मालवीय, नेताजी सुभाषचंद्र बसु आदि।

उपाध्यक्ष [उप+अध्यक्ष] - (पुं.) (तत्.) - 1. अध्यक्ष की सहायता तथा उसकी अनुपस्थिति में उसके कार्य का निर्वहन करने के लिए अधिकृत व्यक्‍ति। deputy chairman 2. लोकसभा में अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का संचालन, नियमन आदि करने के लिए उसी सदन के सदस्यों में से निर्वाचित प्राधिकारी। deputy speaker

उपानह - (पुं.) (तत्.) - चलते समय पैरों को सुरक्षित रखने का साधन। पर्या. जूता, पादत्राण, चप्पल आदि।

उपाय - (पुं.) (तत्.) - 1. युक्‍ति, साधन device 2. सुरक्षा आदि के लिए अपनाए गए साधन। measures 3. दोषों के निवारण के लिए किए गए कार्य। remedy 4. निष्पादन के लिए अपनाए गए साधन। means

उपार्जन [उप+अर्जन] - (पुं.) (तत्.) - परिश्रम से धन कमाने का कार्य।

उपार्जनीय - (वि.) (तत्.) - उपार्जन करने के योग्य।

उपार्जित - (वि.) (तत्.) - [परिश्रम से कमाया] गया।

उपालंभ - (तत्) (दे.) - उलाहना।

उपासक - (वि.) (तत्.) - (स्त्री-उपासिका) उपासना/पूजा करने वाला। उदा. वह हनुमानजी का उपासक है। दे. उपासना।

उपासना - (स्त्री.) (तत्.) - व्यु.अर्थ निकट बैठना,। सा.अर्थ-सामान्यत: सम्मुख बैठकर अपने इष्‍टदेव की वाणी, पुष्प और अर्चना से की गई पूजा। पूजा, अर्चना, सेवा, आराधना, भक्‍ति।

उपेक्षा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. अयोग्य समझकर ध्यान न देना। पर्या. अवहेलना तिरस्कार। neglect2. उदासीनता का भाव। पर्या. अन्यमनस्कता, लापरवाही (इंडिफडेन्स)

उपोष्ण कटिबंध [उप+उष्ण=कम गरम+कटिबंध= कमरपेटी] - (पुं.) (तत्.) - भूमध्यरेखा के दोनों ओर का 10o से 30o अक्षांश के बीच का भाग जहाँ उष्णता अपेक्षाकृत कम होती है। उदा. भारतीय उपमहाद्वीप मं गंगा-ब्रह् मपुत्र का बेसिन उपोष्णकटिबंध (10o से 30o उत्‍तर अक्षांश के मध्य) में स्थित है। tropical zone

उफ़ (अव्यय.) - (अर.) - दु:ख, कष्‍ट, पीड़ा आदि भावों को सूचित करने वाला शब्द। ओह, च्च्, अरे-अरे, आह, हाय। शा.अर्थ बड़े दुख की बात है। जैसे: उफ़ उसका बच्चा छत से गिर गया। मुहा. 1. उफ़ करना=कष्‍ट या दु:ख के भाव को व्यक्‍त करना। 2. उफ़ तक न करना=कष्‍ट, व्यथा, या चोट आदि को चुपचाप सहन कर लेना।

उफनना अ.क्रि. - (तद्.) - <उत्फणन/उत्स्फालन) उबलते द्रव पदार्थ का पात्र की सीमा पारकर बाहर निकलना। जैसे: दूध का उफनना; वर्षाऋतु में नदी का उफनना। तु. उबलना।

उफान - (पुं.) (दे.) - (उफनना) उफनने की स्थिति का सूचक भाव; आवेग में सीमा छोडक़र बाहर निकल जाने की स्थिति। जैसे: दूध का उफान; नदी का उफान, क्रोध का उफान। उफनना। तु. उबाल।

उबटन - (पुं.) (तद्.<उद् वर्तन) - बदन को कांतिमान बनाने के लिए स्नान से पहले शरीर पर मलने के लिए तैयार किया गया लेप। टि. यह लेप प्राय: सरसों/तिल के तेल में जौ का आटा/बेसन एवं हल्दी चंदन का बुरादा आदि मिलाकर तैयार किया जाता है। कभी-कभी दही में बेसन, हल्दी मिलाकर भी इसे बनाते हैं।

उबरना अ.क्रि. - (तद् द्विवियते) - किसी विषम परिस्थिति से निकलना या मुक्‍त होना। निस्तार पाना, छूटना। उदा. 1. तुमने मुझे पारिवारिक संकट से उबरने में मदद की, इसके लिए धन्यवाद। 2. देश अब आर्थिक संकट से उबर गया है।

उबलना अ.क्रि. - (तद्<उद्वलन) - उच्च तापमान पर द्रव पदार्थ का इस स्थिति में पहुँचना कि उसमें बुलबुले उठने लगें और कुछ अंश भाप बनकर उड़ता दिखाई दे। उदा. दूध उबल गया है, चूल्हे से नीचे उतार लो।

उबाऊ - (वि.) - उबा देने वाला, उकताने वाला। जैसे: यह कार्य बहुत उबाऊ है। boring

उबारना - (तद् <उद्वारयति] (दे.) - उबरना। उदाहरण-तुमने मुझे पारिवारिक संकट से उबार दिया इसके लिए धन्यवाद।

उबाल - (पुं.) (दे.) - (उबलना/उबालना) उबलने की स्थिति का सूचक भाव। दे. उबलना/उबालना।

उबालना - ([तद् उद्वालन] ) - द्रव पदार्थ को इतना अधिक ताप देना कि उसमें बुलबुले उठने लगें तथा कुछ अंश भाप बनकर उड़ता दिखाई दे। उदा. पानी को उबालकर पीने से जलजनित बीमारियों से बचा जा सकता है। तु. उफनना। (टि. उबलना उफनने की पूर्व स्थिति का सूचक है।)

उभरना - ([तद्<उद् भरण]) - 1. ऊपर उठना, प्रकट होना। 2. सामने आना। जैसे: 1. नई विपत्‍ति उभर आई है। 2. एकांत में बैठा तो मन में कई विचार उभरने लगे।

उभार - (पुं.) - उभरने की क्रिया का सूचक शब्द, ऊँचा उठा हुआ भाग।

उमंग - (स्त्री.) (तद्.< उन्‍मंग) - मन में उत्‍पन्‍न होने वाला वह उत्‍तेजनापूर्ण और सुखद भाव जो किसी काम को प्रसन्‍नतापूर्वक करने में तत् पर करता है। उदा. उसने अपने भाई की शादी में सभी मित्रों को बड़ी उमंग से निमंत्रित किया। पर्या. उल्‍लास, मौज

उमड़ना - - अ.क्रि. घनीभूत होकर फैलना, बिखना, बरसना आदि। जैसे: बादलों का उमड़ना, आँसुओं का उमड़ना, नदी का उमड़ना, भीड़ का उमड़ना आदि।

उमराव - (पुं.) (दे.) - (अ. < उमरा) 'अमीर' का बहुवचन। 1. अमीर लोग, 2. स्वतंत्रतापूर्व की रियासतों के ठिकानों के मालिक। (ठाकुर, सरदार आदि।) दे. अमीर।

उमस - (स्त्री.) (फा.) - हवा न चलने से होने वाली गरमी, बरसात की गरमी जिसमें पसीना नहीं सूखता और शरीर में चिपचिपाहट बनी रहती है। humidity

उम्दा - (वि.) - (अ.<उम्द:) जो गुणों की दृष्‍टि से श्रेष्‍ठ हो। पर्या. बढि़या, उच्च कोटि का। जैसे: उम्दा सामाना। उदा. आपके उम्दा सुझाव के लिए धन्यवाद।

उम्मीद - (स्त्री.) (फा.) - आशा, अपेक्षा, इच्छा। 1. आशा। उदा. मुझे तुम्हारे पास हो जाने की पूरी उम्मीद है। hope 2. अपेक्षा। उदा. तुमने इतना-सा काम नहीं किया, बताओ, तुमसे और क्या उम्मीद की जा सकती है। expeetation मुहा. उम्मीदों पर पानी फिरना=सारी आशाएँ ध्वस्त हो जाना।

उम्मीद्वार - (वि./पुं.) (फा.) - व्यक्‍ति जो वह पाने की उम्मीद(आशा) लगाए हो जिसकी उसने मांग की है या जिसके लिए उसने आवेदन किया है। पर्या. प्रत्याशी, अभ्यर्थी (केंडिडेट) जैसे: वह निदेशक के पद का उम्मीदवार है।

उम्मीदवारी - (स्त्री.) (फा.) - उम्मीदवार होने की स्थिति। दे. उम्मीदवार।

उम्र/उमर - (स्त्री.) (अर.) - 1. जन्म के पश्‍वात वर्तमान तक बीते हुए वर्ष। पर्या. अवस्था, आयु, वय। उदा. आपके भाई की उम्र/उमर कितनी है? 2. जन्म से लेकर मृत्‍यु तक का समय (वर्षों में), पूरा जीवनकाल। पर्या. आयु। उदा. मैं तुम्हें याद कर रहा था कि तुम आ गए। तुम्हारी उमर/उम्र बड़ी लंबी है।

उम्रकैद - (स्त्री.) - (अ.) आजीवन कारावास का दंड।

उर - (पुं.) (तत्.) - 1. छाती, 2. सीना। 3. वक्षस्थल।

उर्वर - (वि.) (तत्.) - 1. (भूमि या खेत) जिसमें पेड़-पौधे या फसल की पैदावार अधिक मात्रा में हो। 2. प्राणी (मानव, पशु और पादप) जो संतोनोत्पत्‍ति, बीज आदि पैदा करने में समर्थ हों। 3. जो अच्छे परिणाम, विचार का जनक हो। जैसे: उर्वर मस्तिष्क।

उर्वरक - (वि./पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ उपजाऊ करने वाला या उपज बढ़ाने में काम आने वाला (पदार्थ)। रसा./कृषि पौधों को सघन मात्रा में पोषक तत् व पहुँचाने वाला (पदार्थ) जो जैविक तथा रासायनिक दोनों प्रकार का होता है। टि. जैविक (या carbonic) उर्वरक को खाद कहते हैं तथा कारखाने में तैयार किए जाने रासायनिक लवण को सामान्यत: उर्वरक कहा जाता है। रासायनिक उर्वरक के उदाहरण है। यूरिया, अमोनिया, सल्फेट, सुपर फॉस्फेट, पोटाश, NKP आदि। तु. खाद।

उर्वरता - (स्त्री.) (तत्.) - उपजाऊपन, उपजाऊ होने का गुणधर्म। उर्वर होने का भाव। दे. उर्वरक।

उलझन - (स्त्री.) (तद्.>अवरुंधन) - 1. उलझने की ऐसी स्थिति जिसे सुलझाना भले ही असंभव हो किंतु अत्यंत कठिन अवश्य हो। परस्पर फँस जाने की स्थिति। 2. गुत्थी। 3. समस्या। जैसे: 1. नई-नई उलझने पैदा करना उसका स्वभाव बन गया है। दे. उलझना।

उलझना - (तद्< अवरूंधन) - 1. धागा, डोरी, बाल आदि का आपस में इस तरह फँस जाना कि उन्हें पूर्वस्थिति में लाने (यानी सुझलाने) में बड़ी कठिनाई आए। 2. किसी ऐसे वाद-विवाद में फँस जाना जिसका हल न निकले। जैसे: मामला बहुत उलझ गया है। 3. एक व्यक्‍ति की दूसरे व्यक्‍ति से शारीरिक या वैचारिक स्तर पर छोटी-मोटी झड़प। विलो. सुलझना।

उलट, पलट/उलट/पुलट - (स्त्री.) (देश.) - 1. अदल-बदल। 2. अव्यवस्था, गड़बड़ी।

उलटना - (देश.) - 1. नीचे का भाग ऊपर और ऊपर का भाग नीचे होना/करना। जैसे: बस उलट गई और कई लोग जख्मी हो गए। 2. अभी कपड़े गीले हैं उन्हें उलट/उलटा दो। स.क्रि. उलटाना। मुहा. उलटना-पलटना=कुछ का कुछ कर देना, अस्त-व्यस्त कर देना। 2. उलटे पाँव लौटना=गंतव्य तक पहुँचने या उद्देश्य की पूर्ति से पहले ही वापस आ जाना।

उलट-फेर - (पुं.) (देश.) - 1. अदल-बदल, परिवर्तन, हेर-फेर। 2. जीवन में सुख-दुख का आना-जाना।

उलटबाँसी - (स्त्री.) (देश.) - ऐसी कविता, उक्‍ति जिसमें सामान्य से उलटी बात कही गई हो, लेकिन उसका कुछ गूढ़ अर्थ भी हो। जैसे: अमीर खुसरो या कबीर की उलटबाँसिया। उदा. 1. ठाढ़ा सिंह चरावै गाई। 2. रंगी को नारंगी कहैं, बने दूध को खोया, चलती को गाड़ी कहैं, देख कबीरा रोया।

उलटा - (वि.) (देश.) - उलटा हुआ, पर्या. विपरीत, विरूद्ध । दे. उलटना। मुहा. 1. उलटे पाँव लौटना=तुरंत वापस जाना। 2. उलटी गंगा=नियम विरूद्ध बात। 3. उलटी माला फेरना=बुरा चाहना। 4. उलटा जमाना=ऐसा समय जहाँ सब नियम विरूद्ध हो। 5. उलटी खोपड़ी=महामूर्ख। 6. उलटी-सीधी सुनाना=भला-बुरा कहना।

उलटा-पलटा-उल्टा-पुलटा - (स्त्री.) (देश.) - क्रम विरूद्ध, इधर का उधर और उधर का इधर (करना), बैसिरपैर का। आदि। उदा. तुम्हारा हर काम उलटा-पलटा होता है, कभी तो ठीक काम किया करो।

उलटा-सीधा - (वि.) (देश.) - अव्यवस्थित, बिना क्रम का। 1. अनुचित। उदा. वह हमेशा उलटी-सीधी बातें करता रहता है। 2. आधारहीन। उदा. उलटे-सीधे आरोप लगाना उसकी आदत बन चुकी है।

उलटी - (स्त्री.) (देश.) - आमाशय में पहुँचे खाद् य पदार्थ का मुँह से बाहर निकल जाना। पर्या. वमन, कै। vimiting

उलाहना - (पुं.) (तद्.उपालंभ) - किसी के तथाकथित अनुचित व्यवहार की उसी से हलकी-सी, प्रभावित व्यक्‍ति द्वारा शिकायत करना। पर्या. गिला-शिकवा। (नाभित क्रिया)

उलीचना स.क्रि. - (तद्) (तद्< उल्‍लुंचन) - अनावश्यक रूप से प्रवेश कर गए पानी को हाथ या बरतन से बाहर फेंकना।

उलूक - (पुं.) (तत्.) - दे. उल्लू।

उल्का - (स्त्री.) (तत्.) - आकाशीय पिंडों के वे जलते हुए टुकड़े जो पृथ्वी पर गिरते हैं या आकाश में चमकते हुए इधर-उधर जाते दिखाई देते हैं।

उल्कापात [उल्का+पात] - (पुं.) (तत्.) - अंतरिक्ष से जलते पिंडों का टूटकर पृथ्वी पर गिरना।

उल्कापिंड - (पुं.) (तत्.) - खगो. अंतरिक्ष में पृथ्वी, चंद्रमा आदि की सतह पर गिरने वाली चट्टानें या धातु के टुकड़े जो भस्मीभूत उल्का के अंश होते हैं। meteoroid

उल्लंघन [उद्+लंघन] - (पुं.) (तत्.) - किसी सीमा, बाधा, मर्यादा, नियम को लांघने का कृत्य।

उल्लसित - (वि.) (तत्.) - प्रसन्न, उल्लासपूर्ण।

उल्लास [उत्+लास] - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ चमक, आभा। सा.अर्थ 1. मन की प्रसन्नता। पर्या. आनंद, हर्ष, खुशी।, 2. ग्रंथ का अध्याय। जैसे: प्रथम उल्लास, चतुर्थ उल्लास) 3. एक अलंकार जिसमें एक के गुण या दोष का दूसरे पर आरोप किया गया हो।

उल्लिखित [उत्+लिखित] - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ ऊपर लिखा हुआ। सा.अर्थ जिसका ऊपर यानी पहले उल्लेख हो चुका है। पर्या. पूर्वकथित, पूर्वोक्‍त।

उल्लू - (पुं.) (तद्< उलूक) - 1. चौड़े सपाट से मुख में मोटी गोल आँखें और अंकुशाकार चोंच वाला वह शिकारी पक्षी जो रात में शिकार करता है और जिसे दिन में दिखाई नहीं देता। इसकी आवाज़ भयावह होती है। 2. सा.अर्थ मूर्ख। मुहा.-अपना उल्लू सीधा करना=किसी को मूर्ख बनाकर अपना काम निकालना।

उल्लेख [उत्+लेख] - (पुं.) (तत्.) - मूल अर्थ ताड़पत्र/भोजपत्र, प्रस्तरशिला, फिर कागज़ पर उकेरना/लिखना। आधु.अर्थ किसी घटना, व्यक्‍ति आदि के बारे में लिखकर या बोलकर किया गया कथन। पर्या. कथन, वर्णन, चर्चा, जिक्र। (मेन्शन)

उल्लेखनीय/उल्लेख्य - (वि.) (तत्.) - [उल्‍लेखन+ईय, उललेख+य] उल्लेख करने योग्य, बताने योग्य।

उषा - (स्त्री.) (तत्.) - आसमान में सूर्य की पहली किरण का प्रकाश, प्रभात, ब्रह् ममुहूर्त, प्रात:काल, भोर।

उषाकाल - (पुं.) (तत्.) - दे. उषा।

उष्ण - (वि.) (तत्.) - जिसकी तासीर गरम हो। पर्या. गरम।

उष्णकटिबंध - (पुं.) (तत्.) - भू. भूमध्य रेखा के 23½o उत्‍तर (कर्क रेखा) और 23½o दक्षिण (मकर रेखा) के बीच फैला पृथ्वी का क्षेत्र जहाँ सूर्य से अधिकतम उष्णता (ऊष्मा) प्राप्‍त होती है। tropical zone तु. शीतकटिबंध।

उष्णता - (स्त्री.) (तत्.) - [उष्‍ण+ता] गरम होने का भाव, गरम तासीर।

उष्म/ऊष्म वर्ण - (पुं.) (तत्.) - श, ष, स, ह-ये चार घार्षी व्यंजन जिनके उच्चारण में हवा के रगड़ खाते हुए निकलने के कारण अधिक ऊष्मा व्यय होती है। sibilant

उष्मा - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ गरमी, ताप। भौ. किसी पदार्थ की आंतरिक उर्जा जो उसके अणुओं अथवा परमाणुओं की गतिज ऊर्जा के कारण होती है। इसका एस.आई. मात्रक ‘जूल’ है। heat टि. ‘उष्मा’ और ‘ऊष्मा’ दोनों ही शब्दरूप प्रचलित हैं।

उसाँस - (स्त्री.) (तद्< उत्+श्‍वास) - 1. ऊपर की ओर खींची गई साँस। 2. दु:ख या कष्‍ट के समय ली जाने वाली गहरी साँसे। उदा. उसने उसाँसे भरते हुए अपनी दु:खभरी कथा कही।

उसूल - (पुं.) (अर.) - नियम, कायदा, सिद् धांत। उदा. वह अपने उसूलों का पक्का है, वादा किया तो जरूर निभाएगा।

उस्तरा - (पुं.) (फा.) - हजामत करने (बाल उतारने या दाढ़ी बनाने) के काम आने वाला धारदार औज़ार। razor

उस्ताद - (पुं.) (फा.) - 1. गुरू, शिक्षक (teacher) 2. अपने विषय का उच्चकोटि का विशेषज्ञ (master) 3. अर्थापकर्षी 4. ला.अर्थ धूर्त, चालाक, गुरूघंटाल। 5. किसी भी फन का विशेषज्ञ। जैसे: संगीत का उस्‍ताद। टि. गाड़ी चलाने वाले को अथवा बड़े मिस्त्री को ‘उस्ताद’ संबोधन से पुकारने की प्रथा है।

उस्तादी - (स्त्री.) (फा.) - 1. शिक्षक की वृत्‍ति (जिसमें निपुणता, दक्षता आदि गुण निहित हैं।) 2. ला.अर्थ (व्यंग्य में) चालाकी, धूर्तता। उदा. वह मेरे साथ उस्तादी कर गया।

ऊँघ - (स्त्री.) (दे.) - नींद आने की पहली अवस्था जब व्यक्‍ति हलकी और अल्पकालिक नींद की खुमारी में आता है और उसका सिर झटके खाने लगता है। पर्या. अर्धनिद्रा, झपकी। उदा. ऊँघ क्यों रहे हो? क्या नींद आ रही है?

ऊँघना अक्रि. - (देश.) - 1. निद्रा की आरंभिक स्थिति में होना। 2. थकावट या मन न लगने के कारण बैठे-बैठे ही झपकी लेना।

ऊँच-नीच - (स्त्री.) (तद्.) - 1. वर्णव्यवस्था संबंधी श्रेणी विभाजन। उदा. आजकल के लोग ऊँच-नीच पर ज्यादा विचार नहीं करते। 2. परिणाम उदा. कोई कदम उठाने से पहले उसके ऊँच-नीच पर विचार कर लेना ठीक रहेगा।

ऊँचा - (वि.) (तद्.<उच्च) - 1. ऊपर उठा हुआ, उन्नत। 2. श्रेष्‍ठता में बढ़ा हुआ, महान्, बड़ा। 3. जिसका स्तर अत्यंत उन्नत हो ऐसा (स्वर), तीव्र तुल. लंबा टि. ‘लंबा’ में लगातार विस्तार देखा जाता है जबकि ‘ऊँचा’ में उच्चतम बिंदु पर ध्यान दिया जाता है। उदा. छत ऊँची है। मुहा. ऊँची नाक होना = इज्ज़त होना। ऊँचा सुनना = ज़ोर से बोली गई बात ही सुन पाना (यानी धीरे बोली गई बात को सुनने में कठिनाई होना।)

ऊँचाई - (स्त्री.) (तद्.) - ऊँचा होने का भाव।

ऊँचा-नीचा - (वि) (तद्.) - 1. जो समतल न हो। पर्या. ऊबड़-खाबड़ 2. हानि-लाभ, भला-बुरा।

ऊँचे - (क्रि.वि.) (तद्.< उच्चै:) - 1. ऊँचाई पर, ऊँचाई की ओर उदा. फल ऊँचे (ऊँचाई पर) लगे हैं। वहाँ तक तुम्हारा हाथ नहीं पहुँचेगा। 2. ज़ोर से (शब्द करना) उदा. ज़रा ऊँचे बोलो।

ऊँट - (पुं.) (तद्.< उष्‍ट्र) - ऊँचे कद का गद् दीदार पंजों और लंबी टाँगों वाला, जुगाई करने वाला, स्तनपोषी और कूबड़ वाला रेगिस्तानी चौपाया जो सवारी व बोझा ढोने के काम आता है और बिना पानी पिए अधिक दिनों तक सरलता से चल सकता है। camel मुहा. बेनकेल का ऊँट = ऐसा व्यक्‍ति जिस पर कोई बंधन न हो।

ऊट-पटाँग - (वि.) (देश.) - (काल्पनिक व्युत्पत्‍ति < ऊँट पर टाँग) 1. अटपटा, टेढ़ा-मेढ़ा, बेढंगा, विचित्र, 2. निरर्थक, व्यर्थ, वाहियात, 3. अंटसंट। उदा. कैसी ऊट-पटाँग बातें करते हो!

ऊतक - (पुं.) (तत्.) - समान कार्य करने के लिए समान कोशिकाओं का समूह। प्राणी शरीर में संयोजी ऊतक, तंत्रिका ऊतक, पेशी ऊतक आदि कई प्रकार के ऊतक होते हैं जिनके अलग-अलग कार्य होते हैं। (टिशु tissue)

ऊदबिलाव - (पुं.) (तद्.< उद्बिडाल) - शा.अर्थ पानी की (में रहने वाला) नेवले की आकृति का मीन भक्षी, स्तनपोषी, सघन जलसह लोमकेशी, जालपाद् प्राणी जो जल में भी रह सकता है। oter

ऊधम - (पुं.) (तद्.> उद्धम) - शोरगुल, लड़ाई-झगड़ा, वस्तुओं की उठापटक-इन सबका सम्मिलित रूप। पर्या. उपद्रव, उत्पात।

ऊधमी - (वि.) (< तद्) - ऊधम करने वाला। दे. ऊधम।

ऊन - (पुं.) (तद्.< ऊर्ण) - 1. भेड़, बकरी आदि के बालों को काटकर बनाया गया लंबा धागा, जिससे वस्त्र, कंबल आदि बनाते हैं। 2. वि. तत्. कम या एक कम जैसे: उनतीस, नि + ऊन = न्यून।

ऊनी - (वि.) (तद्.) - ऊन का (बना हुआ)। दे. ऊन, तु. रेशमी, सूती आदि।

ऊपर क्रि. - (वि.) (तद्.< उपरि) - 1. ऊँचाई पर, ऊँचे स्थान पर। उदा. शर्माजी ऊपर रहते हैं। 2. आधार पर उदा. पुस्तक संदूक के ऊपर है। 3. ऊँची श्रेणी का उदा. उनका पद मेरे ऊपर है। 4. (लेख आदि में) पहले उदा. ऊपर कहा गया है कि…। 5. अतिरिक्‍त उदा. ऊपर की आमदनी….।

ऊपरवाला - (वि./पु.) (तद्.) - ऊपर (आसमान, स्वर्ग में) निवास करने वाला यानी ईश्‍वर।

ऊपरी - (वि.) (तद्.) - 1.जो ऊपर स्थित हो, 2. बाहरी, बाहर का, 3. दिखावटी।

ऊब - (स्त्री.) (तद्.) - किसी एक ही क्रिया को बार-बार करते रहने पर मन में उसके प्रति पैदा हुई अरुचि; किसी चीज से जी भर जाने की स्थिति। उदा. 1. शादी में कई दिनों से मिठाई खाता रहा हूँ। अब मेरा मन मिठाई से ऊब गया है। 2. चुप हो जाओ। सुबह से ही तुम्हारी बातों की रट सुनते-सुनते में ऊब गया हूँ।

ऊबड़-खाबड़ - (वि.) (तद्.) - अप. उब्भड़-खब्बड़ < उर्बट-खर्बट) ऊँचा-नीचा (स्थल) वह भूमि जो समतल न हो और जहाँ चलना कष्‍टप्रद हो।

ऊबना - (तद्.< उद्वेजन) - 1. एक ही स्थिति में देर तक रहने से मन का किसी वस्तु व्यक्‍ति आदि में स्थिर न रह पाना। उकताना। मन का उचटना। 2. घबराना, अकुलाना। उदा. 1. किसी एक वस्तु का निरंतर सेवन करते-करते मन ऊब जाता है। 2. कई दिन से अकेले रह रही मां अब ऊब गई है।

ऊर्जस्वी - (वि.) (तत्.) - 1. जिसमें ऊर्जा (अधिक) हो। पर्या. बलवान, पराक्रमी, स्फूर्तियुक्‍त। 2. ऊर्जा देने वाला उदा. उसका देशभक्‍तिपूर्ण ऊर्जस्वी भाषण सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। eneyetic

ऊर्जा - (स्त्री.) (तत्.) - (भौतिक पदार्थों या रासायनिक तत् वों की) कार्य करने की क्षमता या शक्‍ति। जैसे : नाभिकीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि।

ऊर्घ्‍व क्रि. - (क्रि.वि.) (तत्.) - ऊपर की ओर, ऊपर की दिशा में जैसे: ऊर्ध्वगति, ऊर्ध्वगामी।

ऊर्घ्‍वाधर (ऊर्ध्व+अधर) - (वि.) (तत्.) - तल के ऊपर लंबाई में सीधा खड़ा; क्षैतिज तल पर समकोण बनाते हुए vertical upright विलो. क्षैतिज।

ऊर्मि - (स्त्री.) (तत्.) - लहर, तरंग wave

ऊल जलूल - (वि.) (देश.) - असंबद् ध, बेसिर-पैर का, वाहियात, अंडबंड। उदा. वह ऊल जलूल बकता रहा।

ऊषा/उषा - (स्त्री.) (तत्.) - सूर्योदय के पूर्व की लालिमा (इसे ही वैदिक साहित्य में सूर्य का सारथि (अरुण) कहा गया है।)

ऊषाकाल/उषाकाल/उष:काल - (पुं.) (तत्.) - प्रात:काल, सवेरा।

ऊष्णन - (पुं.) (तत्.) - गरम करने या होने का भाव (वार्मिंग) जैसे: विश्‍व ऊष्णन global worning

ऊष्मा - (स्त्री.) - ताप, गर्मी। किसी पदार्थ की आंतरिक ऊर्जा जो उसके अणुओं और परमाणुओं की गतिज ऊर्जा के कारण होती है, इसका मानक ‘जूल’ है। heat

ऊष्मायन - (पुं.) (तत्.) - ऊष्मा (गरमी) प्रदान करने का कृत्य। गर्म करना, सेना, सेंकना। जैसे: मुर्गी अंडों के ऊष्मायन के लिए उन पर बैठी रहती है।

ऊसर - (वि.) (तद्.< ऊषर) - वह (भूमि) जो पेड़-पौधों के उगने या खेती के पर्याप्‍त योग्य न हो। पर्या. बंजर यानी ऊसर ज़मीन barren land

ऊहापोह (ऊह + अपोह) - (पुं.) (तत्.) - ऊह = तर्क, अनुमान, अपोह = शंकाओं का निराकरण। ऊहापोह = शंकाएँ उत्पन्न होना तथा मन में ही उनका निराकरण करना। ऐसा बार-बार होने के कारण अनिश्‍चय की स्‍थिति में विचार करते रहना। पर्या. उधेड़बुन, तर्क-वितर्क।

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ऋक्ष - (पुं.) (तत्.) - 1. भालू, रीछ 2. एक विशिष्‍ट तारा समूह या राशि 3. प्राचीन काल की एक जाति जिसमें जाम्बवान् हुए थे।

ऋग्वेद [ऋक् + वेद] - (तत्.) - चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) में से एक वेद जो प्राचीनतम माना जाता है। पर्या. ऋक् संहिता।

ऋचा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. वेदमंत्र, जो पद् यात्मक हो। 2. स्तुति।

ऋजु - (वि.) (तत्.) - 1. सरल, सीधी-सीधी। 2. सरल स्वभाव वाला, सज्जन, भोला-भाला, 3. ईमानदार honest

ऋजु कोण - (पुं.) (तत्.) - कोण जिसकी भुजाएँ एक ही सरल रेखा पर शीर्ष बिंदु से दो विपरीत दिशाओं में स्थित हो; 180° का कोण। straight angle

ऋण पत्र - (पुं.) (तत्.) - 1. कंपनी की उधार पूँजी। 2. कंपनी द्वारा लिए गए कर्ज़ (ऋण) के प्रमाण स्वरूप जारी किया गया दस्तावेज जिस पर उसका मूल्य और ब्याज दर अंकित रहते हैं। debenture तु. शेयर।

ऋणावेश - (पुं.) (तत्.) - वस्तु में निहित विद्युत की मात्रा negative charge वि. धनावेश।

ऋणी - (वि.) (तत्.) - 1. जिसने ऋण लिया हो, कर्ज़दार debtor 2. जो उपकार से दबा हो, उपकृत। उदा. मैं सदा आपका ऋणी रहूँगा = आपका उपकार याद रखूँगा।

ऋतु - (स्त्री.) (तत्.) - (भारतीय संदर्भ में) प्राकृतिक परिवर्तनों के अनुसार संपूर्ण वर्ष के दो-दो महीनों के छह भागों में से कोई भी भाग। जैसे: वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर। season तुल. मौसम

ऋतु-परिवर्तन - (पुं.) (तत्.) - एक ऋतु से दूसरी ऋतु में होने वाला बदलाव; वह संधि-काल जिसमें एक ऋतु दूसरी ऋतु में बदल रही होती है। इस काल में दोनों में से किसी का प्रभाव अधिक नहीं होता। जैसे: फाल्गुन मास में हेमंत और वसंत का संधिकाल होता है।

ऋतु प्रवास - (पुं.) (तत्.) - 1. ऋतु परिवर्तन के क्रम में पक्षियों, मछलियों आदि द् वारा अपने निश्‍चित स्थान से दूसरे स्थान को जाना। migration

ऋतुराज - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ ऋतुओं का राजा। वसंत ऋतु। पर्या. मधुमास।

ऋद्धि - (स्त्री.) (तत्.) - संपन्नता, समृद्धि, वैभव।

ऋषि - (पुं.) (तत्.) - 1. वेदमंत्रों के द्रष्‍टा यानी उन्हें प्रकाशित करने वाले। 2. आध्यात्मिक तत्वों के ज्ञाता-बुद्धिमान, सच्चरित्र और त्यागी मुनि।

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एंटीबायोटिक - (पुं.) - (अं.) 1. जीवाणुओं को नष्‍ट कर देने वाली दवा। 2. सूक्ष्म जीवों द्वारा उत्पन्न रासायनिक यौगिक या उनसे मिलते-जुलते कृत्रिम रूप से संश्‍लेषित पदार्थ। हिन्दी पर्याय प्रतिजैविक antibiotic टि. यह कम सांद्रता में भी अन्य सूक्ष्म जीवों को मारने या उसकी वृद्धि रोकने में सक्षम होते हैं।

एक - (वि./पुं.) (तत्.) - 1. पहली प्राकृत संख्या 2. बेजोड़, अनुपम, अद्वितीय उदा. लाखों में एक होना। 3. बराबर, समान उदा. आप आएँ, न आएँ, एक ही बात है। मुहा. 1. एक आँख से देखना = समान भाव रखना। 2. एक-एक करके = क्रम से। एक टक देखना = बिना पलक झपकाए देखना। एक दम = लगातार, तुरंत, एक बारगी।

एकक - (पुं.) (तत्.) - कार्यालय की छोटी से छोटी इकाई। unit जैसे: हिंदी एकक।

एककोशिक/एककोशीय - (वि.) (तत्.) - (ऐसे प्राणी जिनका पूरा शरीर) जो केवल एक ही कोशिका का बना होता है। उदा. अमीबा unicellular तु. बहुकोशिक/बहुकोशीय।

एक-चौथाई/चौथाई - (वि.) (तद्.) - समान चार भागों में से एक भाग, चौथा भाग, पर्या. चतुर्थांश।

एकछत्र - (वि.) (तद्.) - जहाँ पूरे राज्य में कहीं भी, किसी अन्य का प्रभुत्व न हो; संपूर्ण प्रभुता संपन्न। जैसे: एक छत्र राज्य।

एकजुट - (वि.) (तत्.+ तद्.) - (i) मिलकर एक हुआ (रूप)। (ii) ठोस रूप में दे. एकजुटता।

एकजुटता - (स्त्री.) (तत्.+ तद्.) - 1. कई इकाइयों का इस तरह मिलना या इकट् ठा होना कि वे एक (संयुक्‍त) इकाई के रूप में दिखाई पड़े। solidarity 2. अलग-अलग समूहों में बँटे लोगों का एक ही लक्ष्य की प्राप्‍ति के लिए एकाकार होकर यानी एक इकाई बनकर प्रयत्‍न करने की स्थिति का सूचना भाव।

एकटक - (क्रि.वि.) (देश.) - आश्‍चर्य के साथ बिना पलक झपकाए, अनिमेष। जैसे: एकटक देखते रहना।

एकड़ - (पुं.) - (अं.) भूमि के क्षेत्रफल की माप जो 4,84 वर्ग गज़ या 0.405 हेक्टेयर के बराबर होती है।

एकता - (स्त्री.) (तत्.) - किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए समाज के सभी सदस्यों का आपस में मिलकर एक होने का भाव। पर्या. ऐक्य, एका। उदा. हमें राष्‍ट्रीय एकता के प्रति सदा जागरूक रहना चाहिए। unity विलो. अनेकता।

एकत्र [एक + त्र] - (अव्य.) (तत्.) - एक स्थान पर, एक जगह (स्थित) टि. संस्‍कृत में त्र-प्रत्यय (त्रल्) एक स्थानवाचक प्रत्यय है। इसके प्रयोग से स्थानसूचक शब्द बनते हैं। जैसे: सर्व + त्र = सर्वत्र = प्रत्येक स्थान पर, सभी जगह। अन्य + त्र = अन्यत्र =किसी दूसरी जगह, और जगह।

एक दफ़ा क्रि. - (क्रि.वि.) (तत्.<अर.दफ़अ) - 1. एक बार, जैसे: एक दफ़ा वह पेड़ से गिर गया था। 2. एक समय जैसे: एक दफ़ा की बात है… विलो. अनेक दफ़ा, कई दफ़ा।

एकदम - (क्रि.वि.) (फा.) - 1. एकाएक, एकबारगी, सहसा 2. पूर्ण रूप से जैसे: एकदम सही। 3. तुरंत, फ़ौरन उदा. एकदम चले आओ।

एकपूर्वजक - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ एक ही पूर्वज से उत्पन्न (जीव) दे. क्लोन।

एकबारगी - (क्रि.वि.) (फा.) - 1. एक बार में या एक समय में होने वाला, अचानक सहसा। उदा. यह कार्य एकबारगी निपट जाए तो अच्छा है।

एकमत - (वि.) (तत्.) - एक या समान मत रखने वाले। पर्या. मतैक्य, एकराय, सर्वसम्मत। उदा. इस विचार के बारे में हम सब एकमत हैं।

एकमात्र - (वि.) (तत्.) - मात्र एक (कोई दूसरा नहीं), केवल एक, अकेला, एक ही। जैसे: एकमात्र वितरक (सोल डिस्टि्रब्यूटर) उदा. तुम मेरे एकमात्र विश्‍वसनीय मित्र हो।

एकमुश्त - (वि.) (तत्. एक+ फा. = बँधी मुट्ठी) - कई बार (यानी किस्‍तो में) न होकर एक ही बार में (किया गया भुगतान)। lermpsum

एकरसता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. प्रारम्भ से अंत तक एक जैसा होने का भाव। 2. तल्लीन हो जाने का भाव। 3. लगातार एक ही तरह के काम में लगे रहने के कारण उससे मन भर जाने या ऊब जाने की स्थिति का सूचक भाव monotony

एकरूपता - (स्त्री.) (तत्.) - दो या अधिक वस्तुओं या स्थितियों में समानता का भाव, समानता।

एकवचन - (पुं.) (तत्.) - व्या. में शब्द का वह रूप जिसके अनुसार उस शब्द से संख्यात्मक दृष्‍टि से एक (इकाई) का ही बोध हो। जैसे: लडक़ा, मैं, पुस्तक आदि।

एकहरा/इकहरा - (वि.) - (देश) 1. एक परत वाला 2. एक लड़ी वाला 3. शरीर से दुबला-पतला।

एकांगी - (वि.) (तत्.) - विभिन्न व्यक्‍तियों से संबंधित होने के बावजूद एक ही व्यक्‍ति या विषय के पक्ष में उदा. यह विचार एकांगी (एकपक्षीय) है। इका/एकतरफा जैसे: एकांगी निर्णय। विलो. सर्वांगपूर्ण।

एकांत - (वि.) (तत्.) - सूना या निर्जन (स्थान)

एकांतर [एक+अंतर] - (वि.) (तत्.) - किसी श्रृंखला में एक के बाद एक करके आने या घटित होने वाला। altermate

एकातंर कोण - (पुं.) (तत्.) - ज्या. कोई तिर्यक छेदी रेखा दो रेखाओं के साथ जब दो आसन्नेतर कोण बनाती है उनमें से कोई एक कोण। ये दो कोण तिर्यक छेदी रेखा के विपरीत पार्श्‍वों में होते हैं। विलो. आसन्न कोण।

एकांतर क्रम - (पुं.) (तत्.) - कृषि फसल चक्रण फसल को बदल-बदल कर बोने की रीति या क्रम।

एकांतवास [एकांत + वास] - (पुं.) (तत्.) - एकांत में निर्जन में या अकेले ही रहना। उदा. ऋषि-मुनि प्राय: एकांतवास किया करते थे।

एका - (पुं.) ([तद्.< एकता]) - कई लोगों के बीच में व्यवसाय, स्वभाव, विचारधारा इत्यादि में एक जुट होने का भाव। पर्या. एकता।

एकाएक/यकायक - (क्रि.वि.) - (देशज.) जिसका पूर्वाभास न हो। पर्या. अकस्मात्, अचानक, सहसा।

एकाकी - (वि.) (तत्.) - अकेला ही (रहने वाला) उदा. मैं कई दिनों से एकाकी जीवन व्यतीत कर रहा हूँ।

एकाग्र [एक + अग्र] - (वि.) (तत्.) - 1. किसी विषय पर एकचित्‍त होकर चिन्तन करता हुआ (तन्मय, तल्लीन) जैसे: वह एकाग्र होकर अध्ययन कर रहा था। 2. ध्यान स्थित जैसे: एकाग्र होकर तप में लीन।

एकाग्रता (एक+अग्र+ता) - (स्त्री.) (तत्.) - एकाग्र होने का भाव। दे. एकाग्र concentration

एकादश - (वि.) (तत्.) - 1. एक और दस = ग्यारह। 2. ग्यारह का समूह (टीम) जैसे: फुटबॉल एकादश। 3. ग्यारहवाँ।

एकादशी - (स्त्री.) (तत्.) - मूल अर्थ ग्यारहवी। सा. अर्थ हिंदू मास के प्रत्येक पक्ष की ग्यारहवीं तिथि (जिस दिन कई लोग उपवास रखते हैं।) उदा. आज मेरी एकादशी है। कुछ खाऊँगा पीऊँगा नहीं।

एकाध - (वि.) (तद्.) - शा.अर्थ एक या और आधा, सा.अर्थ केवल एक-दो यानी अति नगण्य संख्या।

एकाधिकार - (पुं.) (तत्.) - किसी वस्तु, भवन, कार्य या व्यापार आदि पर किसी व्यक्‍ति, संस्था, समाज या दल आदि का एकमात्र अधिकार अर्थात् उसका प्रयोग अन्य कोई नहीं कर सकता। monopaly

एकीकरण (एक+करण) - (पुं.) - मिलाना, एक कर देना, एक साथ कर देना। 1. दो या दो से अधिक खंडों को मिलकर एक करना। integration उदा. भारत संघ में देशी रियासतों का विलयन। 2. अलग-अलग हुए अंशों को मिलाना ताकि एक बन सके। unification जैसे: पश्‍चिमी जर्मनी और पूर्वी जर्मनी का एकीकरण।

एकेश्‍वरवाद [एक+ईश्‍वर+वाद] - (पुं.) (तत्.) - यह मान्यता है कि ईश्‍वर एक ही है, तथा वही सर्वशक्‍ति संपन्न है। monotheism, monotheist

एचआईवी HIV - (पुं.) (दे.) - (अ.) आयु. मनुष्यों में एड्स रोग को उत्पन्न करने वाला खतरनाक पश्‍चविषाणु retrovirus अंग्रेज़ी के तीन शब्दों का आद्यक्षरी संक्षिप्‍त नाम। दे. एड्स Human Immunodeficiency Virus

एटलस - (पुं.) - (अं.) जिल्द बँधी पुस्तक जिसमें संबंधित स्थानों, प्रदेशों या देशों के मानचित्रों का संग्रह हो। पर्या. मानचित्रावली।

एड़ी - (स्त्री.) (देश.) - 1. पैर के पंजे का टखने से नीचे का (पिछला) भाग। 2. जूते के तले का पिछला उभरा भाग जो पैर की एड़ी को सहारा देता है। मुहा. एडि़याँ रगड़ना = बहुत दौड़ भाग और परिश्रम करना। एड़ी-चोटी का ज़ोर = किसी काम में लगी पूरी ताकत। एड़ी से चोटी तक = पूरे शरीर में, नखशिख।

एडीज - (पुं.) - (अं.) एक मादा मच्छर जो डेंगू नामक रोग को फैलाता है।

एड्रिनल ग्रंथि - (दे.) - अधिवृक्क ग्रंथि।

एड्रिनल - (पुं.) - (अं.) अधिवृक्क, अग्नाशय के निकट स्थित एक अंत:स्रावी ग्रंथि।

एड्रिनेलिन हार्मोन - (पुं.) - (अं.) अधिवृक्क (एडि्रनल) के केन्द्रीय भाग medulla से निकलने वाला हार्मोन जो ग्लाइकोजन को ग्लूकोस में बदलने में सहायक होता है। adrenaline

एड्स - (पुं.) - (अं.) एच आई वी (HIV) अंग्रेजी के चार शब्दों Acquired Immunity Deficiency Syndrome का आद्यक्षरी संक्षिप्‍ति। आयु. विषाणु से उत्पन्न होने वाला रोग। इस रोग में रोगी के शरीर की संक्रमण से अपनी रक्षा करने की क्षमता बहुत ही कम हो जाती है और अंत में रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। यह रोग पश्‍चविषाणु retrovirus के कारण होता है। हिंदी में इसे उपार्जित प्रतिरक्षा न्यूनता संरक्षण रोग कहा जाता है। यह रोग पहले इस्तेमाल की गई सिरिंज से, माँ के दूध से शिशु में, पीडि़त व्यक्‍ति का खून स्वस्थ व्यक्‍ति को देने से तथा एचआईवी से पीडि़त व्यक्‍ति के साथ लैंगिक संपर्क स्थापित करने से फैल सकता है।

एतराज़ - (पुं.) (अर.) - किसी कार्य या विचारधारा के प्रति व्यक्‍ति द्वारा की गई सकारण असहमति। पर्या. आपत्‍ति, विरोध।

एनोफ्लीज़ - (पुं.) - (अं.) मलेरिया फैलाने वाला मच्छर।

एनाफ्लीज मच्छर - (पुं.) (अं. +तद्.) - रक्‍त का चूषण कर मलेरिया नामक रोग को फैलाने वाला कीट। मादा एनॉफ्लीज मच्छर मलेरिया रोग वाहक carrier है। दे. मलेरिया।

एन्थ्रेक्स रोग - (पुं.) (अं.+तत्.) - आयु. संक्रमित पशुओं जैसे गाय, भैंस, भेड़, बकरियों, घोड़ों आदि के संपर्क से वैसीलस एन्थ्रेक्स नामक जीवाणु द्वारा उत्पन्न एक विशिष्‍ट तीव्र संक्रामक रोग। यह रोग कई प्रकार का हो सकता है; जैसे: cataneous, intestinal तथा Pulmonary जिनमें से अंतिम दो के कारण मृत्यु भी हो जाती है।

एम. ए - (वि.) - (अं.) Master of Arts की संक्षिप्‍ति 1. किसी विश्‍वविद्यालय या संस्‍थान का दो वर्षीय कला या मानविकी में स्नातकोत्‍तर पाठ्यक्रम/परीक्षा 2. ‘कला निष्णात’ नामक उपाधि। Master of Arts

एलर्जी - (स्त्री.) - (अं.) किसी वस्तु के हानिकर होने के बावजूद उसे खाने अथवा उसके संसर्ग में आने पर व्यक्‍ति महसूस होने वाली असामान्य अनुक्रिया। पर्या. प्रत्यूर्जता।

एलान - (पुं.) (अर.) - 1. राष्‍ट्र के सर्वोपरि अधिकारी की ओर से की जाने वाली औपचारिक घोषणा। पर्या. उद् धोषणा (प्रोक्लेमेशन) 2. सार्वजनिक तौर पर घोषित की गई। की जाने वाली कोई सूचना। पर्या. ढिंढोरा, मुनादी। जैसे: ऐलान-ए-जंग।

एल्कोहॉल - (पुं.) - (अं.) हल्‍का सुगंध युक्‍त और रंगहीन द्रव जो बियर, शराब और स्पिरिट में मादकता उत्पन्न करता हैं मद् य सार शराब, मदिरा, मादक पदार्थ। alcohol

एल्यूमिनियम/ऐल्यूमिनियम - (पुं.) (तत्) - (अं.) रजत-श्‍वेत, तन्य, आघातवर्ध्य और हलके भार वाला धात्विक व। aluminium टि. यह भूपर्पटी पर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है विद् युत का अच्छा चालक है। भार हलका होने के कारण यह बर्तन, वायुयान, पानी के जहाज़ आदि के निर्माण में बहुत उपयोगी है।

एवं/एवम् अव्यं. - (तत्.) - 1. इस प्रकार 2. और।

एस्ट्रोजन - (पुं.) - (अं.) शरीर में विद् यमान मादा सेक्स हार्मोन उत्पन्न कर सकने वाला पदार्थ जो अन्य कृत्रिम विधि से भी बनाया जाता है। astrogen

एहसान - (पुं.) (अर.) - 1. किसी के साथ की गई नेकी, उपकार। 2. कृतज्ञता।

एहसान फरामोश - (वि.) (अर.फा.) - किसी के द्वारा अपने पर किए गए उपकार को भूल जाने वाला (व्यक्‍ति), कृतघ्न।

एहसानमंद - (वि.) (अर.फा.) - किसी के द्वारा अपने पर किए गए उपकार को मानने वाला (व्यक्ति) कृतज्ञ

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ऐंठ - (स्त्री.) (तद्< आमृष्‍टि) - अपने-आप में घमंड की अधिकता, गर्व, ठसक। पर्या. अकड़। मुहा. रस्सी जल गई पर ऐंठ न गई।

ऐंठन अ.क्रि. - (तद्.) (स्त्री.) - 1. टेढ़ा हो जाना, घुमावदार हो जाना 2. घमंड या रोब दिखाना 3. अस्‍वीकार करना। 4. स्त्री. (देश.) मरोड़ने या ऐंठने का भाव।

ऐंठना - (स.क्रि.) - 1. किसी वस्तु को ज़ोर से दबाते हुए घुमाव देना। 2. भय दिखाकर या दबाव डालकर कुछ लेना/वसूलना। जैसे: रस्सी ऐंठना, कान ऐंठना, कान का मरोड़ना। लोगो से रुपए ऐंठना। दे. ऐंठ ।

ऐंठा - (पुं.) (देश.) - रस्सी बँटने का एक यंत्र। मरोड़ देना, घुमाव देना, ऐंठा लगाना। 2. भूतकालिक कृदंत – मरोड़ा हुआ।

ऐंड्रोजन - - (अं.) वे रासायनिक स्राव जिनमें नरत्‍व के लक्षण विकसित करने की क्षमता होती है जैसे: वृषण हार्मोन androgen

ऐक्य - (पुं.) (तत्.) - दे. ‘एकता’।

ऐक्रिलिक - (वि./पुं.) - (अं) ऊन के स्थान पर उपयोग में लाए जाने वाले संश्‍लेषित रेशे से तैयार ऊन जैसा पदार्थ या वस्तु। इसके बने वस्त्र ऊन की अपेक्षा सस्ते होते हैं।

ऐच्छिक - (वि.) (तत्.) - 1. स्वेच्छा से किया जाने वाला जिसे करना या न करना अपनी इच्‍छा पर निर्भर हो। जैसे: ऐच्छिक अंशदान voluntary 2. कई में से इच्छानुसार किसी एक का चुनाव। पर्या.वैकल्पिक जैसे: इन चार ऐच्छिक/वैकल्पिक विषयों में से तुमने कौन-सा विषय चुना। optional

ऐतिहासिक [इतिहास+इक] - (वि.) (तत्.) - 1. इतिहास से संबंधित। उदा. गाँधीजी के अधिकतर पत्र ऐतिहासिक महत्व के हैं। 2. जिसका उल्लेख इतिहास में हुआ है। उदा. मैंने दिल्ली के लगभग सभी ऐतिहासिक स्थानों का भ्रमण कर रखा है। historical

ऐन - (वि.) (अर.) - ठीक, उपयुक्‍त जैसे: ऐन मौके पर उसने अपनी बात पलट दी।

ऐनक - (स्त्री.) - (अ.) दृष्‍टिदोष होने पर नज़र को सही रखने के लिए पहना जाने वाला चश्मा। पर्या. उपनेत्र।

ऐब - (पुं.) (अर.) - किसी व्यक्‍ति या कार्य में दिखाई पड़ी/पड़ने वाली कोई कमी, भूल या त्रुटि। पर्या. अवगुण, दोष। जैसे: ऐब ढूँढना।

ऐबदार - (वि.) (अर.+फा.) - दे. ऐबी ।

ऐबी - (वि.) (अर.) - जिसमें ऐब हो। जैसे: ऐबी घोड़ा, ऐबी लडक़ा।

ऐमीनो अम्ल - (पुं.) (अं.+तत्.) - रसा. कार्बनिक यौगिकों का एक ऐसा वर्ग जो ऐमीनो (NH2) तथा कार्बोक्सिल (–COOH) समूह युक्‍त होता है तथा जिसके साथ पार्श्‍व शृंखला भी लगी रहती है। यह प्रोटीन की आधारगत संरचनात्मक इकाई है। amino acid

ऐम्बर - (पुं.) - (अं.) एक प्रकार की राल। इसे फर (एक प्रकार की बिछावन) से रगड़ने पर यह बालों जैसी हल्की वस्तुओं को खींच लेता है। 2. कड़रुवा 3. एक प्रकार का गहना या आभूषण जो गले में पहना जाता है।

ऐयाश - (वि.) (अर.) - जो बहुत ऐश या अनुचित मौजमस्ती करने वाला हो। पर्या. 1. विलासी 2. व्यभिचारी। उदा. कुछ लोग अनुचित धन पाकर ऐयाश बन जाते हैं।

ऐयाशी - (स्त्री.) (अर.) - 1. विलासी का आचरण 2. विलासी का जीवन 3. विलास 4. व्यभिचार।

ऐरा-गैरा - (वि.) - (प्रथम पद अनु. + < अर. गैर) (हीन अर्थ में) जो पूर्व परिचित न हो। मुहा. ऐरा गैरा नत्थू खैरा = अपरिचित और सम्मान का अनधिकारी कोई भी (व्यक्‍ति)।

ऐश - (पुं.) (अर.) - 1. भोगविलास। उदा. पुराने ज़माने में अधिकतर राजा-महाराजा ऐश का जीवन जीते थे। 2. खाने-पीने-पहनने और घूमने का सुख sensual enjoyment पर्या. मज़े। उदा. तुम्हारे नाम लॉटरी निकली है। अब तुम्हें ऐश करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। meri making meriment

ऐशपरस्त - (वि.) (अर.+फ़ा परस्त = पूजा करने वाला) - जिसका मन भोग-विलास या सुखमय जीवन जीने में ही अधिक रमता हो। luxirious

ऐशोआराम [ऐश+ओ(.और) आराम] - (पुं.) (अर.+फा) - ठाठ बाट उदा. ऐशो आराम की जिंदगी किसे पसंद नहीं है?

ऐश्‍वर्य - (पुं.) (तत्.< ईश्‍वर) - 1. प्रभु होने का भाव, ईश्‍वरत्‍व, प्रभुता, विभुता 2. धन-संपत्‍ति, विभूति।

ऐश्‍वर्यवान्/ऐश्‍वरवान)/ऐश्‍वर्यशाली - (वि.) (तत्.) - धन संपत्‍ति यानी भौतिक समृद्धि से युक्‍त। उदा. अमेरिका हमसे कई गुना ऐश्‍वर्यवान/ ऐश्‍वर्यशाली देश है।

ऐसा - (वि.) (तद्.< ईदृश) - इस प्रकार का, इस जैसा उदा. ऐसा नहीं हो सकता; कहीं ऐसा न हो कि तुम न आओ; ऐसा ही सही।

ऐसे - (अव्य.) (देश.) - 1. इस प्रकार/तरह, इस विधि से उदा. ऐसे क्या देख रहे हो? 2. बिना किसी कारण के उदा. तुम ऐसे ही क्‍यों आए?

ऐस्टर - (पुं.) - (अं.) रसा. कार्बनिक यौगिकों के समूह में से कोई एक जिसका निर्माण ऐल्कोहॉल पर अम्ल की अभिक्रिया से होता है। इसके अंतर्गत तेल, प्राकृतिक वसा, मोम आदि आते हैं और इनका उपयोग विस्फोट प्लास्टिक, रेयॉन आदि के उत्पादन में होता है। ester

ऐस्टेरीकरण - (पुं.) - (अं.) रसा. शा.अर्थ ऐस्टर का निर्माण। हाइड्रोजन आयनों की उपस्थिति में ऐल्कोहॉल पर अम्ल की सीधी क्रिया के फलस्वरूप ऐस्टर का निर्माण esterification

ऐहिक [इह + इक] - (वि.) (तत्.) - इह (इस लोक) से संबंधित, पर्या. लौकिक, सांसारिक विलो. पारलौकिक।

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ओंठ - (पुं.) (तद्.>ओष्‍ठ) - मुख के बाहर का ऊपर-नीचे उभरा मांसल भाग जिससे मुँह का अंदर का भाग ढँका रहता है। पर्या. होंठ। टि. ऊपर के भाग को ‘ओष्‍ठ’ और नीचे के भाग को ‘अधर’ कहते हैं।

ओखली - (स्त्री.) (तद्.) - दे. ऊखल मुहा. ओखली में सिर देना = जानबूझकर मुसीबत में फँसना।

ओछा - (वि.) (तद्.<अपतुच्छ) - जो गंभीर न हो, छिछला। पर्या. तुच्छ, नीच जैसे: ओछा व्यक्‍ति, ओछी बात विलो. गंभीर

ओछापन - (पुं.) (तद्.) - छिछला होने यानी गंभीर न होने अथवा नीच प्रकृति का सूचक भाव।

ओज - (पुं.) (तद्. ओजस्) - 1. ऊर्जा 2. प्राणवत्‍ता 3. सामर्थ्य, शक्‍ति।

ओजस्‍वी - (वि.) (तत्.) - 1. ओज भरा, जोश पैदा करने वाला जैसे: ओजस्वी भाषण। 2. बल-वीर्य शाली जैसे: ओजस्वी व्यक्‍तित्व।

ओज़ोन - (स्त्री.) - (अं.) ऑक्सीजन का एक अन्य रूप (प्रतीक O3) जो अति अभिक्रियाशील और रंगहीन गैस है। वायुमंडल में इसकी पतली परत है जो सूर्य की पराबैंगनी किरणों के कुप्रभाव से पृथ्वी की रक्षा करती है।

ओझल - (वि.) (देश.) - देख सकने की सीमा से दूर; किसी आड़ के हुआ; जो दिखाई न पड़े।

ओझल होना अ.क्रि. - (देश.) - नजर से दूर होना; छिप जाना, ओट में हो जाना जैसे: आँख से ओझल हो गया।

ओझा - (पुं.) (तद्.< उपाध्याय) - 1. ब्राह्मणों की एक उपाधि 2. भूत-प्रेत की बाधा दूर करने वाला, झाड़-फूँक करने वाला।

ओट - (स्त्री.) (तद्.< अवटि) - ऐसी रुकावट जिसके कारण वस्तु या व्यक्‍ति स्पष्‍ट रूप से दिखलाई न पड़ सके। पर्या. आड़, व्यवधान। उदा. सूर्य बादलों की ओट में आ गया।

ओढ़ना क्रि. - (तद्.) - किसी वस्तु को अपने ऊपर पसारना या फैलाना। उदा. रात में सोते समय चादर ओढ़ लेना, नहीं तो मच्छर काटेंगे। 2. दूसरे की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेना।

ओढ़नी/ओढ़निया - (स्त्री.) (तद्.) - 1. सिर पर ओढ़ने का स्त्रियों का एक मर्यादित वस्त्र। 2. शरीर छिपाने हेतु स्त्रियों द्वारा प्रयुक्‍त दुपट्टा या चादर।

ओत-प्रोत [ओत = बुना हुआ (ताना) + प्रोत = कसा हुआ/ अच्छी तरह बुना हुआ] - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ ताने-बाने की तरह (अच्छी तरह) बुना हुआ। सा.अर्थ इस तरह मिला हुआ कि उसके अंशों को सामान्यत: अलग करना कठिन हो। जैसे: प्रेम से ओत-प्रोत।

ओर - (स्त्री.) (तद्. >अबर) - दिशा की सूचना देने हेतु प्रयुक्‍त शब्द जैसे: इस ओर, दाहिनी ओर, नीचे की ओर, गाँव की ओर इत्यादि। पर्या. तरफ़, दिशा में।

ओला - (पुं.) (तद्.> उपल) - आकाशीय वायुमंडल में अत्यधिक ठंडक के कारण जमकर बर्फ के टुकड़ों के रूप में बरसने वाला जलकण। मुहा. सर मुँडाते ही ओले पड़ना = कार्यारंभ में ही विघ्न उपस्थित होना। टि. सामान्‍यत: बहुवचन में ही प्रयोग होता है।

ओलावर्षण - (पुं.) (तद्.+ तत्.) - ओलों की बरसात पर्या. उपलवर्षा दे. ओला।

ओषजन - (पुं.) - ऑक्सीजन नाम की एक गैस।

ओस - (स्त्री.) (देश.) - वातावरण में फैली भाप जो सघन होकर रात में बारीक-बारीक जल कणों के रूप में ठंडे स्थान पर गिरती है। पर्या. शबनम dew

ओसाई मशीन - (देश+अं) (दे.) - ओसाई के लिए काम आने वाला यंत्र। Winnowing machine दे. ओसान।

ओसाना - (पु.) (देश.) - काटी गई फसल से दानों को वायु-प्रवाह द्वारा भूसी से अलग करने की क्रिया।

ओहदा - (पुं.) (अर.< ओहद:) - सा.अर्थ पद। सै वि. समान स्तरों में बँटे एकाधिक पद, भले ही उन पदों के नाम अलग-अलग क्यों न हों। rank

ओहदेदार - (पुं.) (अर.+फा.) - किसी पद को धारण करने वाला व्यक्‍ति; पदाधिकारी

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औंटना/औंटाना स.क्रि. - (तद्.< उत्‍तापन) - दूध को या पानी मिले आटे को उबालते और कड़छुल आदि से हिलाते/घौंटते रह कर गाढ़ा करना।

औंधा/औंधी - (वि.) (तद्.) - 1. जिसका मुँह नीचे की ओर हो; उलटा। 2. पट लेटा हुआ यानी जिसका मुँह और पेट धरती की ओर हो तथा पीठ आसमान की ओर।

औकात - (स्त्री.) (अर.) - व्यु.अर्थ वक्‍त का बहुवचन। सा.अर्थ प्रतिष्‍ठा, इज्ज़त, हैसियत, बिसात उदा. उसकी औकात इतनी ही है।

औचक - (वि.) (देश.) - अचानक जैसे: औचक निरीक्षण।

औचित्य - (पुं.) (तत्.) - उचित होने का भाव। दे. उचित।

औज़ार - (पुं.) - (अर्.) वे उपकरण जो किसी निर्माण कार्य, युद्ध आदि में प्रयुक्‍त होते हैं। पर्या. उपकरण instruments

औद्योगिक [उद् योग+इक] - (वि.) - उद्योग से संबंधित; उद्यनपरक।

औद्योगिक क्रांति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. नवीन वैज्ञानिक अनुसंधानों के फलस्वरूप उद् धोग-धंधों के क्षेत्र में हुआ युगांतरकारी परिवर्तन 2. उद्योग-क्षेत्र में हुई द्रुतगामी प्रगति।

औने-पौने क्रि. - (वि.) (तद्) - (प्रथम पद अनु.+ शा. अर्थ तीन-चौथाई कीमत में। सा.अर्थ जितनी कम कीमत में मिल जाए (वही ठीक)

औपचारिक [उपचार+इक] - (वि.) (तत्.) - 1. जो नियमानुसार या विधि-अनुसार हो। 2. जो केवल रस्म अदायगी के लिए किया गया हो। रस्मी। 3. बाहरी दिखावा। विलो. अनौपचारिक।

औपनिवेशिक [उपनिवेश इक] - (वि.) (तत्.) - उपनिवेश से संबंधित। दे. उपनिवेश। उदा. अंग्रेज़ों के औपनिवेशिक साम्राज्य में सूर्यास्त नहीं होता था।

और - (अव्य.) (तद्.< अवर < अपर) - दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने के लिए प्रयुक्‍त शब्द वि. तद्. <अपर) 1. दूसरा, अन्‍य उदा. और क्या कहोगे? 2. अधिक उदा. थोड़ा और दें। मुहा. और का और = कुछ का कुछ, अर्थात् बेकार।

औरत - (स्त्री.) (अर.) - 1. महिला, स्त्री 2. (ग्राम्य प्रयोग) पत्‍नी 3. घर में काम करने वाली (नौकरानी)।

औलाद - (स्त्री.) (अर.) - संतान, संतति।

औषध शा.अर्थ - (वि.) (तत्.) - ओषधि/औषधि से बना हुआ पु. किसी रोग को दूर करने के लिए चिकित्सकों द्वारा प्रयुक्‍त जड़ी बूटियाँ या उनसे बनाई गई दवा। पर्या. दवा, दवाई medicine

औषधालय [औषध = दवाई + आलय = घर] - (पुं.) (तत्.) - जहाँ दवाई प्राप्‍त हो, पर्या. दवाखाना।

औषधि/औषधि - (स्त्री.) (तत्.) - 1. जड़ी बूटी 2. वनस्पति।

औषधीय - (वि.) (तत्.) - औषध संबंधी, जड़ी-बूटी से संबंधित। दे. औषध। उदा. लहसुन में बहुत से औषधीय गुण हैं।

औसत - (स्त्री.) (अर.) - दो या दो से अधिक संख्याओं को जोडक़र उनकी कुल संख्या से भाग देने पर प्राप्‍त राशि। जैसे: 2 + 4 + 6 + 8 + 10 + 12 का औसत है 7 । average