विक्षनरी:हिन्दी लघु परिभाषा कोश/प

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पंक्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. खिंची हुई सीधी रेखा। 2. एक जैसी वस्तुओं, व्यक्‍तियों या जीवों का आगे-पीछे या अगल-बगल में एक सीध में रखना या खड़े होना। पर्या. कतार। उदा. सैनिकों/छात्रों ने पंक्‍तिबद्ध होकर परेड की।

पंख - (पुं.) (तद्.<पक्ष) - सा.अर्थ पक्षियों के वे अंग जिनकी सहायता से उड़ते हैं। पर्या. डैना, पर। प्राणि. (i) पक्षियों, चमगादड़ आदि की उड़ने में सहायक कर्मेंद्रिय जो रूपांतरित अग्रपाद होते हैं। (ii) कीटों में उड़ने के अंग जो त्वचा उद्वर्ध होते हैं। पर्या. पक्ष wings मुहा. 1. पंख लगना=गति बढ़ जाना। 2. पंख काटना=किसी के रास्ते में रूकावट डालना। 3. पंख जमना= (i) स्वच्छंद हो जाना, बुरी आदत लगना। (ii) विनाश नजदीक होना।

पंखा - (पुं.) (तद्.) - 1. ताड़, खजूर के पत्‍तों या बाँस आदि से बनाया गया वह विशेष उपकरण जो हवा के लिए हाथ से डुलाया जाता है। बेना/बेनवा। पर्या. व्यजन। 2. विद्युत चालित वह विशेष उपकरण जो हवा के लिए प्रयुक्‍त होता है। fan जैसे: हमारे पुस्तकालय में दो पंखे छत में लगे हैं तथा एक टेबलफैन नीचे रखा हुआ है। तु. पंखड़ी।

पंगु - (वि.) (तत्.) - जो पैरों से न चल सकता हो, लंगड़ा। उदा. (i) ईश्‍वर की कृपा से ‘पंगु चढ़इ गिरिवर गहन। (ii) पंगु विकलांग श्रेणी में आते हैं।

पंचतंत्र - (पुं.) (तत्.) - विष्णु शर्मा रचित संस्कृत की एक प्रसिद् ध नीति-कथाविषयक पुस्तक जिसके पाँच भाग (तंत्र) हैं 1. सुहृदभेद, 2. मित्रलाभ, 3. काकोलूकीय, 4. लब्धप्रणाश और 5. अपरीक्षित कारक।

पंचत्व/पंचभूत - (तत्.) (पुं.) - भारतीय दर्शन के अनुसार संपूर्ण सृष्‍टि की रचना करने वाले पाँच तत् व हैं। ये पाँच तत् व हैं-आकाश, वायु, तेज, जल और पृथ्वी। उदा. छिति-जल-पावक-गगन-समीरा। पंच- तत् व यह बना सरीरा।।

पंचनामा - (पुं.) (देश.) - किसी स्थिति या घटना के बारे में तैयार किया गया वह दस्तावेज जिस पर सनद के रूप में पाँच व्यक्‍तियों के हस्ताक्षर होते हैं। उदा. आयकर विभाग का छापा पड़ने पर जो माल बरामद हुआ उसका पंचनामा तैयार कर लिया गया।

पंचमी - (स्त्री.) (तत्.) - अमावस या पूनम के बाद की पाँचवी तिथि। जैसे: बसंत पंचमी।

पंचांग [पंच+अंग] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पाँच अंग हैं जिसके। ऐसा प्रकाशन जिसमें या तो (i) भारतीय पद् धति के अनुसार चंद्रमास वाली गणना के अनुसार प्रतिवर्ष विक्रमी संवत् संबंधी वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण (ये पाँच अंग-पंचांग) व्योरेवार दिए रहते हैं या फिर; (ii) ईसवी (खिटीय) कलेंडर के अनुसार जिसमें हर वर्ष के दिनों, सप्‍ताहों एवं महीनों का विवरण मिलता है। अल्पनाक, calendar

पंचामृत [पंच+अमृत] पुं - (तत्.) - पाँच द्रव्यों-गाय के दूध, दही, घी शहद और चीनी को मिलाकर देवस्नान के लिए बनाया गया वह पदार्थ जो पवित्र मानकर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। उदा. श्रीकृष्ण जन्माष्‍टमी के पुण्य अवसर पर मैंने पंचामृत का प्रसाद लेकर व्रत तोड़ा।

पंचायत - (स्त्री.) (तद्.) - किसी विवाद को समाप्‍त करने के लिए चुने हुए (पाँच) लोगों का दल।

पंचायती राज - (पुं.) (तद्.) - प्रशा. भारत में प्रचलित गाँव और जिला स्तर पर स्थानीय स्वशासन की व्यवस्था। टि. यह व्यवस्था भारत में स्वशासन की प्राचीन परंपरा का ही विकसित रूप है। इस नई व्यवस्था में ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, खंड स्तर पर पंचायत समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद होती है।

पंछी - (पुं.) (तद्.) - पक्षी, चिड़िया। उदा. तुलसी पंछिन के पिए घटै न सरि को नीर।

पंजा - (पुं.) (फा.) - 1. पाँचों अंगुलियों से युक्‍त हाथ का अग्रिम भाग, तलवा या हथेली। 2. पक्षियों के पैर का वह निचला भाग जिसके सहारे पक्षी खड़े होते, तैरते या बैठते हैं। 3. जूते का अगला भाग जिसमें पैरों की उंगलियाँ ढकी रहती हैं। 4. कुत्‍ते, बिल्ली, शेर, भालू आदि के नाखून जो शस्त्र का काम करते हैं। 5. पाँच का समूह। जैसे: शेर के पंजे का निशान है।

पंजिका - (स्त्री.) (तत्.) - किसी भी प्रकार का विवरण, हिसाब-किताब आदि लिखने की पुस्तिका। पर्या. पंजी, बही, रजिस्टर। जैसे: उपस्थिति पंजिका, आय-व्यय विवरण पंजिका आदि। तु. संचिका।

पंजी (पंजिका) - (स्त्री.) (तत्.) - प्रशा. 1. व्यवहारों, घटनाओं, नामों आदि को दर्ज करने के लिए रखी गई पुस्तक/पुस्तिका या रजिस्टर। 2. प्राय: काम में आने वाले विशेष आंकड़ों के संग्रहण की युक्‍ति। register

पंजीकरण - (पुं.) (तत्.) - 1. पंजी (डायरी/रजिस्टर) में नाम या अन्य कोई भी संबंधित सूचना दर्ज करने की क्रिया। जैसे: मतदाता सूची में नाम का पंजीकरण अथवा डाक पंजीकरण आदि। Registration

पंजीकृत - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ पंजी में (रजिस्टर में) चढ़ाया हुआ। registerd

पंडाल - (पुं.) (तद्.) - शादी-ब्याह, सभा, अधिवेशन आदि के लिए छोलदारी tent से बना और सजा-सजाया बड़ा मंडल।

पंडित - (वि.) (तत्.) - 1. वह जो किसी विषय का पूर्ण ज्ञाता हो। पर्या. विद्वान। 2. शास्त्र के तात्पर्य का ज्ञाता। पर्या. शास्त्रज्ञ। 3. ब्राह् मण या विद् वान के नाम के पूर्व प्रयुक्‍त आदरसूचक शब्द। जैसे: पंडित मदनमोहन मालवीय। विलो. मूर्ख।

पंथ - (पुं.) (तत्.) - 1. मार्ग, रास्ता। 2. उपासना की पद् धति, संप्रदाय। उदा. ग्यान का पंथ, कृपान की धारा।

पंथनिरपेक्ष - (वि.) (तत्.) - 1. जो धार्मिक पंथों के प्रति तटस्थ हो 2. जो सभी धार्मिक पंथों के प्रति समान भाव रखे। secular

पंथनिरपेक्षता - (स्त्री.) (तत्.) - सभी धर्मों के प्रति समान भाव रखने, बरतने की यानी किसी पंथ (धर्म) विशेष से न जुड़ने की स्थिति। secularism

पंसारी - (पुं.) (तद्.< पण्यशाली) - खाद्य सामग्री संबंधी फुटकर वस्तुओं (जैसे: गेहूँ, मक्का, चावल, बाजरा, दालें आदि को छोडक़र) चीनी, मसाले, सूखे मेवे, जड़ी-बुटियाँ आदि की बिक्री करने वाला व्यापारी। grocer

पकड़ - (स्त्री.) (तद्.) - 1. पकड़ने का ढंग। जैसे: मजबूत पकड़, ढीली पकड़। 2. ग्रहण शक्‍ति ग्रहण-कौशल। उदा. गणित में उसकी पकड़ बहुत अच्छी है। 3. किसी के दोष निकालना। उदा. आपने उसकी गलती पकड़ ली।

पकड़ना स.क्रि. - (तद्.<प्रग्रहण) - 1. किसी वस्तु को हाथ/अंगुलियों से दृढ़तापूर्वक ग्रहण करना ताकि वह छूट न पाए। 2. थामना, धरना, ग्रहण करना। जैसे: माँ ने नालीपार करने में बालक का हाथ पकड़ लिया, थैला पकड़ना। 3. कैद करना-पुलिस ने चोर को पकड़ लिया। 4. कमी को पहचानना/समझना जैसे: उसने मेरे लेख की त्रुटि पकड़ी ली। 5. गाड़ी में चढ़ना-कमल ने भागकर बस/गाड़ी पकड़ ली। विलो. छोड़ना।

पकना अ.कि. - (तद्.) - 1. फलों इत्यादि का पूर्ण (परिपक्व) अवस्था में आना। 2. आग की सहायता से अन्न, सब्जी आदि का खाने योग्य बन जाना। 3. बालों का सफेद होना। 4. फोड़े, फुंसी आदि में मवाद हो जाना। मुहा. कान पकना-किसी बात को सुन-सुन कर ऊब जाना।

पकवान - (पुं.) (तद्.) - घी या तेल में तले या पकाये गए पदार्थ। जैसे: कचौड़ी, समोसा, जलेबी आदि। उदा. किसी शुभ पर्व, जन्मदिन या अतिथि सत्कार के लिए विविध पकवान बनाए जाते हैं।

पक्का - (वि.) (तद्.) - जो घी या तेल में पकाया गया हो। जैसे-पक्का भोजन। दे. पकवान। विलो. कच्चा (जैसे: रोटी, खिचड़ी, दाल, चावल आदि कच्चा भोजन कहलाता है।)

पक्का गाना - (पुं.) (तद्.) - बोलचाल में शास्त्रीय संगीत का पर्याय। दे. ‘शास्त्रीय गान’।

पक्ष - (पुं.) (तत्.) - 1. (i) दो परस्पर विरोधी विचारों में से प्रस्तुत मूल विचार का समर्थन करने वाला समूह; (ii) वह मूल विचार भी side, party विलो. विपक्ष, प्रतिपक्ष। 2. पक्षी का पंख। wing 3. भारतीय चंद्रमास के दो भागों में से कोई भी भाग कृष्ण या शुक्ल पक्ष। 4. व्या. क्रिया-व्यापार के घटित होने की रीति का निर्देश करने वाली व्याकरणिक कोटि। जैसे: सूर्य पूर्व से निकलता है। (नित्यपक्ष), वह घर पहुँच गया। (पूर्णपक्ष), लड़का दौड़ रहा है। (सा तत् य पक्ष) aspect

पक्षकार - (पुं.) (तत्.) - किसी विधिक विषय, लेन-देन, संविदा आदि में एक पक्ष बनने वाला व्यक्‍ति या व्यक्‍ति-समूह। party

पक्षधर - (वि.) (तत्.) - वह व्यक्‍ति जो किसी का पक्ष ले; या किसी पक्ष विशेष का समर्थन करे।

पक्षपात - (पुं.) (तत्.) - 1. दो या अधिक पक्षों में से किसी एक के प्रति झुकाव। biash 2. निष्पक्षता और न्याय भावना का अभाव। partiality उदा. किसी भी प्रतियोगिता में निर्णायक को पक्षपात नहीं करना चाहिए।

पक्षपातपूर्ण - (वि.) (तत्.) - पक्षपात से भरा हुआ। कोई भी पक्षपातपूर्ण निर्णय कष्‍टप्रद होता है।

पक्षपात रहित - (वि.) (तत्.) - किसी एक पक्ष के प्रति झुकाव न रखते हुए सभी पक्षों के प्रति समान न्यायभावना प्रदर्शित करने वाला व्यक्‍ति, निर्णय, साक्ष्य आदि।

पक्षपाती - (वि.) (तत्.) - पक्षपात करने वाला। जैसे: अंपायर को पक्षपाती नहीं होना चाहिए।

पक्षी - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ पंखों वाला जीव। पर्या. चिडि़या, परिंदा। प्राणि. नियततापी कशेरूकी जिसका शरीर परों/पंखों से ढका रहता है, फेफड़ों से सांस लेता है तथ अंडे देता है। bird

पक्षीवृंद [पक्षी+वृंद] - (पुं.) (तत्.) - पक्षियों का दल, झुंड या समूह। जैसे: प्रात: उद्यान में पक्षीवृंद कलरव कर रहे थे।

पखेरू - (पुं.) (तद्<पक्षालु) - दे. पक्षी।

पग - (पु.) (तद्.<पद) - बोलियों में प्रयुक्‍त शब्द। दे. पाँव, पैर, डग। (उदा. पग घुंघरू बांध मीरा नाची रै)

पगडंडी - (स्त्री.) (तद्.) - मनुष्यों या पशुओं के पैदल चलने से जंगल, खेत या मैदान में बन जाने वाला लकीर-सा कच्चा रास्ता।

पगड़ी - (स्त्री.) (तद्.<पटक) - 1. सिर पर लपेटकर बाँधी जाने वाली लंबी कपड़े की पट्टी; इस तरह से बंधा वस्त्र। पर्या. पाग, साफ़ा। मुहा. पगड़ी उछालना/उतरना-अपमानित होना। पगड़ी बँधना-सिर पर जिम्मेदारी आना; सम्मान मिलना। पगड़ी पैरों में रखना-दया की भीख मांगना। 2. वह अवैध धन जो मकान मालिक महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थित मकान या दुकान किराए पर देते समय अलग से लेता है।

पगा - (पुं.) (देश.) - दे. पगड़ी। उदा. सीस पगा न झग्गा तन में।

पगार - (पुं.) - (पुर्त.) वेतन। उदा. मुझे अभी तक गत महीने का पगार नहीं मिला।

पगुराना अ.क्रि. - (देश.) - जुगाली करना। लोको. भैंस के आगे बीन बजाए, भैंस खड़ी पगुराय।

पग्गड़ - (देश.) (दे.) - (देश) भारी-भरकम पगड़ी (अवमानना सूचित करने के लिए प्रयुक्‍त ‘पगड़ी’ सूचक शब्द) दे. ‘पगड़ी’।

पचड़ा - (पुं.) (तद्.) - बिना मतलब की समस्या। पर्या. झंझट या बखेड़ा, झमेला। उदा. तुम दूसरों के पचड़े में क्यों पड़ते हो, अपना काम देखो, घर जाओ।

पचना अ.क्रि. - (तत्.) - 1. खाई हुई वस्तु का हजम हो जाना। जैसे: खाना पचना। 2. किसी धन-संपत्‍ति को अपने अधिकार में लेकर नहीं लौटाना। उदा. छोटा भाई पिता की सारी संपत्‍ति पचा गया, बड़े के हाथ कुछ भी नहीं आया। 3. किसी बात को छिपाकर रखना। उदा. वह अपने अपमान की बात सारी की सारी पचा गया किसी से कुछ नहीं बताया।

पचीस/पच्चीस - (वि.) (तद्.) - बीस से पाँच अधिक, 24 की संख्या। जैसे: तालाब में पचीस/पच्चीस बत्‍तखें तैर रही हैं।

पचीसी - (स्त्री.) (तद्.) - 1. एक ही प्रकार की पच्चीस वस्तुओं का समूह। जैसे: बेताल-पचीसी (25 कहानियों का संग्रह) 2. आयु के प्रारंभिक 25 वर्ष जब व्यक्‍ति अधिक समझदार नहीं होता। मुहा. गदहपच्चीसी (गधापचीसी)-नासमझ उम्र। जैसे: उसकी तो अभी गधापचीसी की उम्र है।

पछताना अ.क्रि. - (तद्.<पश्‍चात्‍ताप) - कोई अनुचित काम कर लेने के बाद यह सोचना कि यदि वैसा न किया जाता तो अच्छा होता; उसके लिए दुखी होना, पश्‍चाताप करना।

पछतावा - (पुं.) (तद्.) - किसी अनुचित कार्य को कर लेने के बाद उसके बारे में पछताने का भाव। दे. पछताना। पर्या. पश्‍चात्‍ताप।

पछाड़ना स.क्रि. - (तद्.) - 1. ज़मीन पर पटकना या चित्‍त गिराना, परास्त करना, हराना। उदा. भारत केसरी सतपाल ने बड़े-बड़े पहलवानों को पछाड़ दिया। 2. धोने के लिए वस्त्रों को पत्थर आदि पर बार-बार ज़ोर से पटकना। उदा. धोबी कपड़ों को धोने के लिए पत्थर पर पछाड़ता है। मुहा. पछाड़ खाना=अत्यंत दुखी होकर बेचैनी के साथ शरीर का धरती पर गिरना। उदा. नवविवाहिता अपने पति की दुर्घटना में मृत्यु की खबर सुनकर पछाड़ खाकर गिर पड़ी।

पछुवा/पछुआ - (वि./स्त्री.) (तद्.<पश्‍चवात/पश्‍चवायु) - पश्‍चिम दिशा से चलने वाली हवा।

पट - (पुं.) (तद्.<पट्ट) - 1. राज सिंहासन जैसे: पटरानी। 2. रेशमी कपड़ां उदा. पट पाँखड़े परहिं विधि नाना। 3. फैला हुआ श्‍वेत वस्त्र, परदा। जैसे: चित्रपट, रजतपट आदि। 4. दरवाजे का पल्ला। उदा. मंदिर के पट खुल गए, दर्शन कर लो। 5. वि. भूमि पर पेट के बल लेटा; औंधा। विलो. चित।

पटकथा - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ पर्दे पर प्रस्तुत की जाने के लिए तैयार की गई कथा। सा.अर्थ सिनेमा, नाटक, धारावाहिक आदि के लिए लिखी गई मूल कहानी का रूपांतरित पाठ। script

पटकना स.क्रि. - (तद्.) - 1. किसी व्यक्‍ति या वस्तु को उठाकर ज़ोर से पृथ्वी पर गिराना, दे मारना। जैसे: अखबार पटकना, शत्रु को पटकना। 2. कुश्ती में प्रतिद् वंद् वी को पृथ्वी पर गिराकर पछाड़ना, पराजित करना।

पटना अ.क्रि. - (तद्.) - 1. गड्ढे आदि का भरकर समतल हो जाना। 2. किसी वस्तु का किसी जगह में बहुत अधिक इकट्ठा हो जाना। जैसे: गोदामों में अनाज पटा पड़ा है। 3. दीवारों में छत पड़ना। जैसे: आज विद्यालय की छत पट गई है। 4. विचार या स्वभावगत मेल होना। जैसे: उन दोनों भाईयों की खूब पटती है। 5. ऋण चुकता हो जाना। जैसे: उसका बैंक का सारा कर्ज पट गया।

पटरा - (पुं.) (तद्.<पटल) - 1. काठ का लंबा और चौरस चीरा हुआ टुकड़ा, तख्ता। 2. खेत की मिट्टी बराबर करने का पाटा। 3. बैठने के लिए बना काठ का आसन। 4. विवाह मंडल में वर-वधू के लिए बनाया जाने वाला आसन। उदा. परंपरावादी लोग आज भी पटरे पर बैठकर भोजन करते हैं।

पटरी - (स्त्री.) (तद्.) - 1. लकड़ी की छोटी तख्ती। 2. सडक़ या नहर के दोनों ओर थोड़ा ऊँचा और कम चौड़ा मार्ग जो पदयात्रियों के लिए होता है। उदा. वाहन दुर्घटना से बचने के लिए पटरी पर चलना चाहिए। 3. लोहे की पटरी जिस पर रेलगाड़ी चलती है। रेल 4. छोटे बच्चों का लिखना सिखाने की तख्ती। मुहा. पटरी बैठना-मन मिलना।

पटवारी - (पुं.) (तत्.) - खेती की ज़मीन और उस पर लगने वाली माल गुजारी का हिसाब-किताब रखने वाला, सरकारी कर्मचारी।

पटसन - (पुं.) (तद्.) - 1. एक प्रसिद्ध रेशेदार पौधा जिसे गलाकर निकाले गए रेशे से सुतली, रस्सी, बोरे, टाट आदि बनाए जाते हैं। 2. पौधे के रेसे। jute

पटाना स.क्रि. - (तद्.) - 1. किसी दूसरे से पाटने का काम कराना। जैसे: गड्ढे को मज़दूर से पटाना अर्थात गड्ढे को मिट् टी, पत्थर आदि से पूरा भराना। 2. किसी के द्वारा छप्पर या छत तैयार करवाना। 3. उधार चुकाना। उदा. उसने मेरा सारा ऋण पटा दिया। 4. बातचीत द्वारा सौदा तय करना। उदा. क्या आपने प्लाट का सौदा पटा लिया? 5. किसी को अपने ऊपर प्रसन्न या अपने अनुकूल करना। उदा. उसने एक व्यक्‍ति को गवाही देने के लिए पटा लिया है।

पटिया - (स्त्री.) (तद्.पोट् टिका) - शा.अर्थ (पत्थर, लकड़ी, खेत आदि की) कम चौड़ी पर अधिक लंबी समतल पट्टी, चारपाई चारों पायों में ऊपर की ओर कसी जाने वाली लकड़ी की लंबी पट्टी जिसमें रस्सी डालकर बीच का जाल बनाया जाता है। पर्या. पाटी, पट्टी।

पट्टिकाणु [पट् टीका + अणु] - (पुं.) (तत्.) - पट्रिकाणु प्राणि. स्तनियो में छोटी रंगहीन रूधिर कणिका। रूचि के स्कंदन (थक्का बनाने) में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है। Platelet पर्या. रूधिर पटि्टकाणु।

पटु - (वि.) (तत्.) - किसी कार्य में कुशल, निपुण, प्रवीण, चतुर। उदा. वह लोक व्यवहार का निर्वाह करने में पटु है।

पटुता - (स्त्री.) (तत्.) - पटु होने का भाव, कुशलता, निपुणता, चातुर्य।

पट्टाकर्ता - (पुं.) (तद्.) - व्यक्‍ति जो अचल संपत्‍ति का अधिकार हस्तांतरण पत्र पर हस्ताक्षर करे।

पट्टाधारी - (पुं.) (तद्.) - व्यक्‍ति या पक्ष जिसके नाम पट्टा दिया गया हो। पर्या. पट्टेदार। दे. पट्टा।

पट्टी - (पुं.) (तद्.< पट्ट) - 1. पालतू कुत्‍ते, बिल्ली आदि के गले में बाँधी जाने वाली चमड़े की चौड़ी पट्टी। 2. कमर में बाँधा जाने वाला बेल्ट। 3. प्रशा. संपत्‍ति (जमीन-जायदाद) के उपयोग का अधिकारपत्र। lease

पट्ट - (पुं.) (तत्.) - 1. काठ या धातु का वह बड़ा टुकड़ा या प्लेट जिस पर नाम, सूचनाएँ आदि लिखी जाती हैं। जैसे: नामपट्ट, सूचनापट्ट आदि। 2. तांबे आदि धातु की वह पट् टी जिस पर राजाज्ञा या दान आदि की सनद उकेरी जाती थी, पत्र। 3. लकड़ी, सीमेंट आदि से बना चपटा सा चौरस भाग जैसे: श्यामपट् ट। 4. पगड़ी, दुपट्टा आदि धारण करने योग्य वस्त्र। 5. पीढ़ा, पटरा। (बैठने के उपयोग का)

पट्टी - (स्त्री.) (तद्.) - 1. लकड़ी, पत्थर, लोहा आदि का तैयार किया गया पतला, समतल आयताकार छोटा तख्ता। 2. लकड़ी की पटिया जिस पर बच्चे चॉक से लिखते हैं। मुहा. बेईमानी की पट्टी पढ़ाना-पाठ पढ़ाना। ला.अर्थ हानिकारक, सीख या सलाह।

पट्टेदार - (पुं.) (दे.) - पट्टाधारी’।

पट्ठा - (पुं.) (तद्.<पुष्‍ट) - 1. शरीर से हृष्‍ट-पुष्‍ट व जवान मनुष्य; पहलवान, कुश्तीबाज़। उदा. (व्यंग्य में) 1. ये दोनों खा-खाकर पट् ठे हो रहे हैं किंतु किसी काम के नहीं। (गाली) उल्लू का पट् ठा=महामूर्ख व्यक्‍ति।

पठार - (पुं.) (देश.) - लगभग समतल पृष्‍ठ वाला वह विस्तृत भूखंड जो आसपास की भूमि से ऊँचा उठा हुआ हो और जिसका कम-से-कम एक तरह का हिस्सा ढालू दिखाई दे। plateau, table land

पड़ताल - (स्त्री.) (तद्.) - सा.अर्थ किसी के लिए काम को दूसरे द्वारा बारीकी से जाँचना। (जैसे: पटवारी) कृषि. निचले स्तर के कर्मचारी द्वारा तैयार किए गए लेखों को उससे ऊँचे पद वाले कर्मचारी (जैसे: निरीक्षक) द्वारा जाँचना और यह प्रमाणित करना कि उसमें अब किसी तरह की गलती नहीं रही है। पर्या. निरीक्षण inspection

पड़ाव - (पुं.) (तद्.) - 1. सेना, यात्रीदल, बरात आदि का आगे बढ़ते हुए विश्राम के लिए कुछ समय तक या रातभर मार्ग मे कहीं ठहरना, इसी तरह सेना, यात्रियों आदि के ठहरने का स्थान। उदा. आपका कल रात्रि में पड़ाव कहाँ होगा?

पडि़या - (स्त्री.) (तद्.) - भैंस का मादा बच्चा।

पड़ोस - (पुं.) (तद्.) - 1. घर, ग्राम, जनपद, देश आदि के आसपास का क्षेत्र, स्थान। 2. किसी के निवास स्थान की समीपवर्ती वह स्थिति जिसमें अन्य लोगों का निवास हो। जैसे: हमारा पड़ोस बहुत अच्छा है। neighbour-hood

पड़ोसी - (पुं./वि.) (तद्.) - 1. पास में रहने वाला, जैसे: श्री अरविंद जी हमारे पड़ोसी हैं। 2. पाकिस्तान हमारा पड़ोसी देश है।

पढ़ना स.क्रि. - (तद्.<पठन) - 1. लिखे हुए को बाँचना, 2. शिक्षा प्राप्‍त करना अर्थात विधिवत् अध्ययन करना।

पढ़ना-लिखना स.क्रि. - (तद्.) - 1. शिक्षण के वे दो आरंभिक कौशल जिनसे उच्चरित भाषा को सुवाच्य वर्णों के माध्यम से कागज़ पर प्रस्तुत करना और फिर उसे मूल भाषा-भाषी के अनुरूप ही अपनी वाणी से दोहराना (इसे क्रमानुसार लिखना-पढ़ना) कहा जा सकता है। 2. आरंभिक शिक्षा से ऊँचे स्तर की शिक्षा प्राप्‍त करना।

पढ़ाई - (स्त्री.) (तद्.) - [पढ़ना+आई प्रत्यय] 1. पढ़ने का काम, भाव या ढंग। 2. शिक्षा प्राप्‍त करने के लिए किया जाने वाला कार्य, अध्ययन, पठन। learning, teaching जैसे: 1. वह पढ़ाई के लिए विदेश गया है। 2. उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता।

पढ़ा-लिखा - (वि.) (तद्.) - 1. जिसने पढ़ना-लिखना सीख लिया हो। 2.औपचारिक (उच्च) शिक्षा प्राप्‍त व्यक्‍ति, शिक्षित, साक्षर। educated विलो. अनपढ़।

पतंग - (पुं.) (तत्.) - 1. उड़ने वाला पक्षी, चिड़िया। 2. उड़ने वाले कीड़े जैसे: फतिंगा, भुनगा, टिड्डी। 3. सूर्य।

पतंग - (स्त्री.) (तत्.) - कागज से बना एक प्रसिद् ध चौकोर खिलौना या मनोरंजक वस्तु जिसे बच्चे तथा बड़े भी डोरी में बाँधकर आकाश में उड़ाते हैं। पर्या. गुड्डी। जैसे: 15 अगस्त को बच्चे सारा दिन पतंग उड़ाते हैं।

पतंगा - (पुं.) (तद्.) - <पतंग या पतंगम) एक प्रकार का उड़ने वाला अल्पजीवी कीट (कीड़ा) फतिंगा जो जलती रोशनी की ओर आकृष्‍ट होने पर जलकर मर जाता है। प्राणि. lepidoptera के असंख्य कीटों में से कोई भी पंख युक्‍त कीट जो तितलियों से भिन्न होता है।

पतझड़ [पत=पत्‍ता+झड़=झड़ना] - (पुं.) (तद्.) - शा.अर्थ पत्‍तों का झड़ना, भू. वह मौसम जब पेड़ के पत्‍ते पक जाने या सूख जाने के बाद अपनी डाल से टूटकर धरती पर गिर जाते हैं। पर्या. शिशिर। the fall शिशिर का मौसम।

पतन - (पुं.) (तत्.) - 1. ऊपर से टूटकर, लुढककर या अन्य प्रकार से नीचे गिरने की क्रिया या भाव। जैसे: वृक्ष से फलों का पतन। 2. उच्च वैभव/उच्च पद/कुल आदि के स्तर से गिरकर बहुत निचले स्तर पर आना, अवनति, अधोगति। down fall पर्या. उत्थान।

पतला - (वि.) (तद्.) - 1. जो कम घेरे वाला हो यानी मोटा न हो। कृश। जैसे: पतला पेड़। 2. कम चौड़ा, संकरा। जैसे: पतला रास्ता। 3. बारीक। जैसे-पतला धागा। 4. जो गाढ़ा द्रव न हो। जैसे: पतला दूध।

पतवार - (स्त्री.) (देश.) - 1. नाव या जहाज के पिछले हिस्से पर बँधा वह तिकोना उपकरण जिसकी सहायता से नाव इधर-उधर घूमाई जाती है। radar 2. ला.अर्थ. विपत्‍ति दूर करने का साधन। उदा. कर्ज़ से मुक्‍ति कराने में आप ही पतवार बनें।

पताका - (स्त्री.) (तत्.) - 1. कपड़े या कागज़ का बना पूर्व निश्‍चित आकार वाला झंडा जो डंडे या रस्सी में बाँधा या लगाया जाता है। पर्या. झंडा, ध्वज, झंडी। उदा. (i) देवालय में पताका फहरा रही है। (ii) चुनाव को जीत कर उसने अपनी विजय पताका लहराई है।

पतिंगा - (पुं.) (तद्.<पतंग) - वे पंखदार कीड़े जो बरसात के मौसम में जलती हुई बत्‍ती या दीपक के चारों ओर उड़ते हैं। दे. ‘पतंगा’।

पति - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी वस्तु, स्थान, देश आदि का मालिक अथवा सर्वोच्च अधिकारी। जैसे: गृहपति, भूमिपति, राष्‍ट्रपति। 2. किसी विवाहित नारी का स्वामी या भरतार। पर्या. शौहर, खाविंद, स्वामी।

पतित - (वि.) (तत्.) - 1. ऊपर से नीचे गिरा हुआ। जैसे: पर्वतपतित शिला खंड। 2. जो नैतिक दृष्‍टि से आचरण से गिरा हुआ हो। पर्या. अधम, नीच। उदा. 1. वह धन के संबंध में इतना पतित है कि गरीबों को भी नहीं छोड़ता। 2. पतितपावन-पतितों को भी पावन-पवित्र करने वाला (ईश्‍वर)

पतियाना स.क्रि. - (तद्.>सं. प्रत्यायन) - 1. किसी के कथन को ठीक मानकर उस पर पूरी तरह विश्‍वास कर लेना। 2. किसी व्यक्‍ति को विश्‍वसनीय मानना। टि. ग्रामीण प्रयोग।

पतीला - (पुं.) (देश.) - तांबे, पीतल स्टेनलैसस्टील आदि चौड़े मुंह वाला गोल बर्तन। उदा. तांबे के पतीले में जल और स्टील के पतीले में दूध भरा है।

पतीली - (स्त्री.) (देश.) - छोटा पतीला।

पतोहू - (स्त्री.) (तत्.>पुत्रवधू) - बेटे की पत्‍नी, पुत्रवधू। जैसे: उत्‍तरा अर्जुन की पतोहू थी।

पत्‍तन - (पुं.) (तत्.) - बंदरगाह के आसपास की बस्ती। port town टि. ‘पतन’ और पत्‍तन के उच्चारण में सार्थक भेद बनाए रखना आवश्यक है।

पत्‍तल - (स्त्री.) (तद्.) - पहले पलाश और सागवान और अब कागज़, प्लास्टिक आदि के पन्नों को मशीन से दबाकर बनी थाली की आकृति वाली रचना जो सार्वजनिक भोजों में खाद् य पदार्थ परोसने के काम आती है।

पत्‍ती - (स्त्री.) (तद्.) - 1. छोटा पत्‍ता, पंखुड़ी। जैसे: पेड़ की पत्‍तियाँ। 2. हिस्सा, भाग। जैसे: ताश का पत्‍ता। 3. लोहे/फौलाद का बना धारदार और पतला उपकरण। जैसे: दाढ़ी बनाने की पत्‍ती।

पत्थर - (पुं.) (तद्.) - दबाव के कारण चूने, बालू आदि ठोस होने से बना भारी व कड़ा भूद्रव्य जो प्राय: खानों से या पर्वतों को काटकर निकाला जाता है। पर्या. शिला, चट्टान। मुहा. (i) पत्थर की लकीर=पक्का निर्णय, विचार या कथन, जिसे बदलवा पाना अत्यंत कठिन हो। उदा. मैंने जो कह दिया उसे पत्थर की लकीर समझो। (ii) पत्थर दिल वि. =दयाहीन। उदा. वह पत्थरदिल इंसान है।

पत्‍नी - (स्त्री.) (तत्.) - वह स्त्री जिससे पुरूष का विधिपूर्वक विवाह संपन्न हुआ हो। अर्धांगिनी। पर्या. सहधर्मिणी, अर्धांगिनी, भार्या, बीवी, जोरू।

पत्र - (पुं.) (तत्.) - 1. वृक्ष का पत्‍ता leaf पर्या. पर्ण। 2. कागज़ का पन्ना जिस पर संदेश या समाचार लिखकर भेजा जाए। पर्या. चिट्ठी, खत letter 3. समाचार-पत्र की संक्षिप्‍ति। पर्या. अखबार। news paper 4. छपी या लिखी सामग्री का पन्ना।

पत्रकार - (पुं.) (तत्.) - 1. समाचार-पत्र, पत्रिका, दूरदर्शन, रेडियो, न्यूज चैनल इत्यादि के लिए समाचार या लेख आदि भेजने वाला व्यक्‍ति। journlist

पत्रकारिता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. जनसंपर्क माध्यमों (पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो, दूरदर्शन आदि) के लिए समाचार, लेख, फ़ीचर आदि लिखने तथा संपादित करने की कला। 2. पत्रकारों के व्यवसाय से संबंधित विद् याशाखा। 3. पत्रकारों का व्यवसाय। jourialism

पत्रवाहक - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पत्र ले जाने वाला। सा.अर्थ डाक विभाग का वह कर्मचारी जो डाकघर से पत्रों को ले जाकर पत्र पाने वाले के घर या दफ्तर पर उसे सौंपता है। पर्या. डाकिया, post man उदा. आज पत्रवाहक द्वारा मेरा प्रमाणपत्र प्राप्‍त हुआ।

पत्रा - (पुं.) (तत्.) - पंचांग (तिथि, वार, नक्षत्र, करण और योग सूचक वर्षभर के विवरण वाली पुस्तिका) के लिए प्रयुक्‍त ग्रामीण प्रयोग।

पत्राचार - (पुं.) (तत्.) - दो व्यक्‍तियों, कार्यालयों अथवा पक्षों के बीच परस्पर पत्रों या चिटि्ठयों के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान; पत्र-व्यवहार। correspondence

पत्रिका - (स्त्री.) (तत्.) - 1. सामान्यत: दैनिक समाचार पत्रों को छोड़कर मध्यम आकार वाले नियमित आवधिक प्रकाशन (जो विविध विषयों से संबंधित हो सकते हैं) periodical journal उदा. 1. आपके घर कौन-कौन सी पत्रिकाएँ आती हैं 2. संदेश, निमंत्रण, शुभसमाचार आदि पहुँचाने वाला पत्र विशेष। उदा. क्‍या आपको रमेश की निमंत्रण पत्रिका मिल गई?

पत्री - (स्त्री.) (तत्.) - सामान्यत: पत्रिका का पर्याय। जैसे: जन्मपत्री। दे. ‘पत्रिका’।

पथ - (पुं.) (तत्.) - रास्ता, मार्ग (जैसे: राजपथ, जनपथ)। उदा. मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएँ वीर अनेक।

पथभ्रष्‍ट - (वि.) (तत्.) - 1. जो सुनिश्‍चित रास्ते से भटक गया हो। 2. जो नैतिकता के रास्ते से विमुख हो गया हो। जैसे: पथभ्रष्‍ट लोग अपने कुल को कलंकित करते हैं।

पथराना अ.क्रि. - (तद्.) - 1. (किसी वस्तु का) सूखकर पत्थर जैसा कठोर/कड़ा हो जाना। 2. पत्थर की तरह जड़, निर्जीव या स्थिर स्तब्ध हो जाना। उदा. तुम्हारी प्रतीक्षा करते-करते मेरी आँखे पथरा गई।

पथराव - (पुं.) (तद्.) - किसी बात का विरोध करते हुए किसी व्यक्‍ति या समूह पर बार-बार पत्थर आदि फेंकने की क्रिया या भाव। उदा. कश्मीर में पिछले दिनों लोगों ने पथराव कर अपना अंसतोष जाहिर करना शुरू कर दिया।

पथरीला - (स्त्री.) (वि.) - पथरीली। वि. पत्थर मिला हुआ, पत्थरों से युक्‍त। जैसे: पथरीला रास्ता, पथरीली धरती।

पथिक - (पुं.) (तत्.) - पथ पर चलने वाला, रास्ते चलने वाला यात्री। पर्या. बटोही, राहगीर, मुसाफिर। उदा. कोई पथिक वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहा है।

पथ्य - (वि.) (तत्.) - (वे भोज्य पदार्थ) जो रोग विशेष में हानिकारक नहीं होते; रोगी को दिया जाने वाला विशेष भोजन; स्वास्थ्य की दृष्‍टि से उपयुक्‍त आहार। विलो. कुपथ्य, अपथ्य।

पद - (पुं.) (तत्.) - 1. चरण, पाँव, पैर। फुट। 2. वाक्य में प्रयुक्‍त विभक्‍तियुक्‍त शब्द। 3. कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारी/अधिकारी की नियत स्थिति का परिचायक स्थान। post 4. काव्यमय गेय रचना। जैसे: सूरदास या मीरा के पद। 5. छंदशास्त्र के अनुसार श्‍लोक की पंक्‍ति।

पदक - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी व्यक्‍ति के विशेष प्रसंशनीय कार्य करने पर उसे किसी संस्था या सरकार द् वारा दिया जाने वाला सोने, चांदी, आदि धातु का कलात्मक रूप से बना हुआ गोल टिक्की के आकार वाला पुरस्कार, तमगा। जैसे: स्वर्णपदक, रजतपदक, कांस्यपदक आदि। medal 2. किसी देवता के चरण-चिह् नों से अंकित एक छोटा सा धातु खंड जिसे गले में आभूषण की तरह पहना जाता है।

पदक्रम - (पुं.) (तत्.) - 1. प्रशा. समान ओहदे वाले कर्मचारियों का वर्ग। grade 2. व्या. वाक्य में प्रयुक्‍त पदों के अनुक्रम को प्रकार्य और अर्थ की दृष्‍टि से देखना। उदा. 1. राम घर जाता है। कर्ता का एकवचन+कर्म का एकवचन+अकर्मक जाना क्रिया का वर्तमान कालिक एकवचन रूप। 2. राम ने फल खाए। कर्ता एकवचन+कर्म बहुवचन+सकर्मक क्रिया ‘खना’ का भूतकालिए बहुवचन रूप। (वर्ड आर्डर)

पदचाप [पद+चाप=आहट] - (स्त्री.) (तत्.+ देश.) - पैरों की आहट।

पदचिह्न - (पुं.) (तत्.) - 1. धरती पर पड़ने वाला पैर का चिह्न या निशान, पैर की छाप। उदा. सीता मार्ग में राम के पदचिह् नों को देखकर उनसे अलग अपना पैर रखती थीं। 2. ला.अर्थ महापुरूषों द्वारा बताए गए आदर्श सिद्धांत, रीति-नीति आदि। उदा. हमें महात्मा गांधी के पद-चिह्नों पर चलकर देश को समृद्य बनाना चाहिए।

पदच्छेद - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी वाक्य या वाक्यांश के पदों को अलग अलग करना। 2. संधियुक्‍त व समासयुक्‍त पदों को विभक्‍त करना। जैसे: 1. हिमालय (कर्ता, व्यक्‍तिवाचक संज्ञा) पर्वतों (संज्ञा का संबंधकारक विभक्‍ति) का राजा (संज्ञा) है (क्रिया, वर्तमान कालिक एकवचन)। संधि-हिम+आलय। 2. यह महापुरूष है। (समास) (महान पुरूष)

पदच्युत - (वि.) (तत्.) - अपने पद से हटाया गया, नौकरी से निकाला गया। पर्या. बरखास्त। dismissed

पदच्युति - (स्त्री.) (तत्.) - अपने पद से हटाया जाना, नौकरी से निकाला जाना। पर्या. बरखास्तगी dismissal

पदत्याग - (पुं.) (तत्.) - पद का त्याग करना, उचित इच्छा से अपना पद या राजगद् दी छोड़ देना। relinguishment abdication

पद-परिचय - (पुं.) (तत्.) - वाक्य में प्रयुक्‍त पदों का व्याकरणिक दृष्‍टि से परिचय अर्थात लिंग, वचन, कारक आदि के रूप में उनकी जानकारी देना। जैसे: गंगा (व्य.सं.कर्ता,एकव. स्त्री. हिमालय (व्य.सं.अपादान का पुं. एकवचन) से निकलती (क्रिया, निकलना अ.क्रि.एकव.) है।

पदबंध - (पुं.) (तत्.) - व्या. एक से अधिक पदों का समूह जो परस्पर मिलकर वाक्य में वही काम करे जो एकल पद करता हो। जैसे: लडक़ा, अच्छा लडक़ा, बहुत अच्छा लडक़ा, सामने के घर में रहने वाला लडक़ा आदि-आदि। जैसे: संज्ञा परबंध, सर्वनाम पदबंध, विशेषण-पदबंध, क्रियापदबंध आदि। उदा. वास्तुकला की दृष्‍टि से ख्याति प्राप्‍त ताजमहल आगरा में है। (संज्ञापदबंध) phrase

पदवी - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी मान्य संस्था या शासन आदि की ओर से दी जाने वाली विशिष्‍ट योग्यता या सम्मानसूचक उपाधि। पर्या. ख़िताब। जैसे: भारतरत्‍न, महा-महोपाध्याय आदि। 2. राजकीय सैन्य सेवाओं आदि में सम्मानस्वरूप दिया जाने वाला कोई ऊँचा पद या दरजा rank

पदार्थ - (पुं.) (तत्.) - 1. पद या शब्द का वाच्य अर्थ। जैसे: निर्मल-मलरहित, शुद् ध, स्वच्छ। 2. वह वस्तु जिसका किसी शब्द से ज्ञान किया जा सके। 3. वस्तु जिसमें गुणधर्म, लक्षण आदि विद्यमान होते हैं तथा जिसकी विशिष्‍ट रासायनिक प्रकृति होती है। mater तु. द्रव्य। जैसे: खाद्य पदार्थ गेहूँ चना आदि, पेय पदार्थ नशीले पदार्थ आदि।

पदार्पण - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पैरों का देना यानी रखना। सा.अर्थ श्रेष्‍ठ पुरूषों का आगमन। उदा. हमारे विद्यालय में मुख्यमंत्री का पदार्पण हुआ।

पदोन्नत [पद+उन्नत] - (पुं.) (तत्.) - वह (कर्मचारी) जिसे नियमानुसार या योग्यतानुसार ऊँचे पद पर भेज दिया गया हो। जैसे: इस वर्ष शिक्षाविभाग के पंद्रह सौ प्राथमिक शिक्षकों को पदोन्नत किया जाएगा। promoted विलो. पदावनत।

पदोन्नति [पद+उन्नति] - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी अधिकारी या कर्मचारी के पद में विभागीय परीक्षण या नियमानुसार होने वाली तरक्की, 2. वर्तमानपद से वरिष्‍ठताक्रम से ऊँचे पद पर होने वाली या की जाने वाली प्रक्रिया। जैसे: उसके भाई की ए.एस.आई से एस.आई. पर पदोन्नति हो गई है।

पद्मा - (पुं.) (तत्.) - कमल का फूल या पौधा भी। उदा. भगवान विष्णु के एक हाथ में पद् य है।

पद्धति - (स्त्री.) (तत्.) - व्यु.अर्थ पैरों के चलने से बने निशान (का क्रम)। सा.अर्थ 1. रास्ता, मार्ग, राह। 2. समाज द्वारा स्वीकृति प्राप्‍त परंपरा, रिवाज़। practise, custom 3. किसी कार्य के संपन्न होने की रीति, प्रणाली, विधि। system method

पद्दलित - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ पैरों से कुचला हुआ। सा.अर्थ (भारतीय संदर्भ में) समाज का वह वर्ग जिसका उच्च वर्ग के व्यक्‍ति शताब्दियो से शोषण करते चले आ रहे थे और जिन्हें स्वतंत्रता के बाद अपना विकास करने की कुछ सुविधाएँ शासन द्वारा प्राप्‍त हुई।

पद्मा - (स्त्री.) - लक्ष्मी।

पद्माकर [पदम+आकर] - (पुं.) (तत्.) - वह तालाब या जलाशय जिसमें लाल कमल पैदा हेाते हैं।

पद्य - (पुं.) (तत्.) - 1. गाने योग्य काव्य। जैसे: कामायनी पद्यात्‍मक महाकाव्य है। चित्रलेखा गद्यात्मक उपन्यास है। (वृंदावन वर्मा) 2. चरणबद् ध/छन्दोबद् ध काव्य। काव्य के दो प्रमुख भेद हैं गद्य और पद्य । पद् य रचना छंदों के नियमानुसार ही होती है।

पधारना - - अ.क.क्रि किसी सम्मानीय व्यक्‍ति के आगमन (और गमन) की सूचक क्रिया। पर्या. आना। या आश्रम या संस्था में आना। जैसे: श्रीमान जी पधारिए, आपका स्वागत है।

पनघट - (पुं.) (देश.) - नदी, कुआँ, सरोवर आदि का वह स्थान जहाँ से स्त्रियाँ परंपरा से कलश आदि में पानी भरकर ले जाती हैं। जैसे: गाँवों में सरकारी नल लगने से पहले स्त्रियाँ पनघट से ही पानी भरकर लाती थीं।

पनडुब्बी - (स्त्री.) (तद्.) - शा.अर्थ पानी में डूबी हुई। सैन्य 1. समुद्र की जल-सतह से नीचे चलने वाली युद् ध पोतिका। submarine 2. नदी, तालाब के किनारे रहने वाली चिड़िया की एक जाति जो पानी में गोता लगाकर मछलियाँ पकड़ती हैं।

पनपना अ.क्रि. - (देश.) - 1. पेड़-पौधों का समुचित विकास होना। 2. व्यक्‍ति के स्वास्थ्य में उत्‍तरोत्‍तर सुधार होना। 3. व्यापार-धंधे का चमकना।

पनही - (स्त्री.) (तद्.) - बोलियों में प्रयुक्‍त शब्द<उपानह) पैर में पहनने का जूता। उदा. आवत जात पनहियाँ टूटी।

पनाह - (स्त्री.) (फा.) - रक्षा, सहारा, आश्रय; शत्रु से बचाव, जान की रक्षा।

पनीर - (पुं.) (फा.) - फटे हुए दूध को निचोड़ कर तरल पदार्थ को अलग कर देने के बाद बचा ठोस-सा भाग, छैना।

पन्नी - (स्त्री.) (देश.) - 1. धातु को कूट कर बनाई गई पतली चादर। सा.अर्थ 2. अब प्लास्टिक या पोलिथिन की चमकीली थैली या चमकीला कागज़ भी।

परंतु अ. - (तत्.) - लेकिन, किंतु, परंतु, तोभी, पर, अपितु।

परंपरा [परंपर+आ] - (स्त्री.) (तत्.) - व्यु.अर्थ बहुत सी घटनाओं आदि का निश्‍चित, अविच्छिन्न क्रम अटूट सिलसिला। सा.अर्थ किसी घटना या विचार आदि का वंश, गुरूओं, समाज आदि में पहले से चली आ रही प्रथा के अनुसार होना। पर्या. रीति, प्रथा। tradition

परंपरागत - (वि.) (तत्.) - (i) परंपरा से चलता आ रहा/प्राप्‍त, (ii) परंपरा के अनुसार किया जाने वाला या होने वाला; पूर्वजों से प्राप्‍त प्रथा आदि दे. परंपरा।

पर1 - (वि.) (तत्.) - अन्य, दूसरा (जो अपना न हो)। जैसे: परदेश-परासा देश, विदेश; परलोक-पृथ्वी से इतर) दूसरा या अन्य लोक। 2. उपसर्ग तद्. परदादा (प्रपिता), परपोता (प्रपौत्र) 3. प्रत्यय, जैसे-स्वार्थपर, तत् पर। 4. परसर्ग (विभक्‍ति प्रत्यय) घर पर, सौ रूपए महीने पर at, on 5. पुनरूक्‍ति के मध्य निरंतरता का सूचक। उदा. वह वार पर वार करता रहा पर मेरा कुछ नहीं बिगड़ा। 6. अ, किंतु, परंतु, लेकिन…….पर मेरा कुछ नहीं बिगड़ा। 7. पुं. पंख जैसे: पक्षी के पर होते हैं। मुहा. 1. पर कतरना-शक्‍तिहीन करना। 2. पर निकलना-अधिक होशियारी दिखाना। 3. बेपर के उड़ना-आधारहीन बातें बनाना।

पर2 अ. - (तद्.<परम) - किंतु, परंतु, लेकिन। जैसे: वह विद्यालय गया तो था पर अभी तक आया नहीं।

पर3 - (पुं.) (फा.) - 1. पक्षी या कीट आदि के दोनों ओर के पंख जो उसे उड़ने में सहायता करते हैं। जैसे: कोयल के पर, चिडि़या के पर, कबूतर के पर। 2. डैना, पक्ष, पंख। 3. पंखों के छोटे छोटे भाग जो पत्‍ती के आकार के परंतु बालों जैसे: पदार्थ के बने होते हैं। मुहा. (i) पर कतरना-शक्‍तिहीन कर देना। (ii) पर निकलना-अधिक शरारती हो जाना।

परकाज [पर+काज] - (पुं.) (तद्.) - दूसरे का कार्य, ऐसा काम जो अपना न हो।

परकोटा - (पुं.) (तद्.) - किले आदि की सुरक्षा के लिए चारों ओर फैली दीवार। पर्या. चार दीवारी। दे. प्राचीर।

परख - (स्त्री.) (तद्.) - गुण-दोष की दृष्‍टि से किसी वस्तु या कार्य की अच्छी तरह से की गई जाँच।

परखनली - (स्त्री.) (तद्.) - एक वैज्ञानिक उपकरण। शीशे की नलीनुमा बरतन जिसमें डालकर पदार्थों का परीक्षण किया जाता है। test tube दे. परख।

परखनली शिशु - (पुं.) (दे.) - परखनली में निषेचन के पश्‍चात स्त्री के गर्भ में स्थापित भ्रूण के परिपक्व होकर जन्‍म लेने वाला शिशु। test tube baby दे. परखनली।

परखना स.क्रि. - (तद्.<परीक्षण) - किसी वस्तु या व्यक्‍ति को गुण-दोष की दृष्‍टि से पूरी तरह जानना-समझना, जाँच करना; अच्छे और बुरे की पहचान करना। उदा. 1. सुनार सोने को आग में तपाकर उसकी शुद् धता को परखता है। 2. किसी व्यक्‍ति को मित्र बनाने से पूर्व उसे अच्छी तरह से परख लेना चाहिए।

परचम/पर्चम - (पुं.) (.फा.) - 1. झंडे का कपड़े वाला भाग, फ़रैरा, पताका। 2. अलक, बाल। मुहा. परचम लहराना-सब तरफ किसी के यश, गुण, उद्यम आदि की ख्याति होना। जैसे: क्रिकेट में भारतीय खिलाड़ी ‘सचिन’ का परचम विश्‍व भर में लहरा रहा है।

परचून - (पुं.) (तद्.) - चावल, आटा, मसाला आदि घरेलू खाद्य पदार्थ। वि. मंडी में आढ़तियों से खरीदकर फुटकर रूप में ग्राहकों को बेचने वाला। दुकानदार

परछाईं - (स्त्री.) (तद्.<प्रतिच्छाया) - 1. किसी व्यक्‍ति, वस्तु की धूप या प्रकाश के प्रभाव से बनने वाली छायामय आकृति। प्रतिच्छाया। 2. जल या दर्पण आदि में दिखाई पड़ने वाला किसी वस्तु आदि का प्रतिबिंब। उदा. राम को रूप निहारति जानकि। कंगन के नग की परछाई। मुहा. किसी की परछाई से डरना=किसी के समीप जाने तक से डरना। बहुत अधिक डरना।

परजीविता - (स्त्री.) (तत्.) - जीव. वह अवस्था जब जीव दूसरे जीव से भोजन यानी पोषण प्राप्‍त करता है और अपने जीवन का कुछ कालांश उसी के (दूसरे के) देह में निवास करके व्यतीत करता है। parasitism

परजीवी - (वि./पु.) (तत्.) - दूसरे के सहारे जीने वाला, दूसरे जीव से पोषण प्राप्‍त करने वाला (जीव)। जैसे: अमरबेल, मलेरियार, परजीवी आदि। parasite

परतंत्र - (वि.) (तत्.) - जो दूसरे की नियंत्रण व्यवस्था में हो, जो दूसरे के अधीन हो। पर्या. पराधीन, परवश; गुलाम। उदा. भारत सैंकड़ों वर्षों तक परतंत्र रहा। विलो. स्वतंत्र।

परतंत्रता - (स्त्री.) (तत्.) - परतंत्र होने का भाव या स्थिति। पर्या. पराधीनता, गुलामी।

परत - (स्त्री.) (तद्.<परिवर्त) - 1. किसी वस्तु पर अन्य वस्तु का फैलाव। उदा. शीशे पर धूल की परत चढ़ी हुई है। पर्या. तह। layer 2. एक ही वस्तु के एक हिस्से पर उसी वस्तु के अन्य हिस्से का चढ़ा हुआ होना। उदा. धोती की परत कर दो। fold

परताप/प्रताप - (पुं.) (तत्.) - (तद्. <प्रताप) दे. प्रताप। व्यक्‍ति में निहित वीरता, शक्‍ति आदि गुणों का वह तेज़ जो दूसरों की आँखों को चौंधिया दे यानी प्रभावित एवं आतंकित कर दे। 2. दबदबा, इकबाल।

परदा - (पुं.) (फा.) - 1. आड़ या ओट करने के लिए प्रयुक्‍त कपड़ा या चिक। उदा. मैंने कमरे के सारे परदे बदल दिए। 2. ओट, आड़, छिपाव, घूँघट। उदा. कई जगह अब भी स्त्रियों में परदा-प्रथा चल रही है। 3. वह सफेद कपड़ा जिस पर परछाई डालकर चित्र दिखाए जाते हैं। जैसे: सिनेमा का परदा। 4. आँख, कान की झिल्ली। जैसे: आँख का परदा, कान का परदा। मुहा. 1. परदा डालना=किसी बात को स्पष्‍ट न होने देना, छिपाना। 2. परदा उठाना/परदाफाश करना-छिपी हुई बात को उजागर करना, भेद खोलना। 3. नारियों की बाहर न आने की जीवन शैली ‘परदा’।

परदा प्रथा - (स्त्री.) - [फा.+प्रथा] समाज के कुछ वर्गों में आज भी प्रचलित यह रिवाज (प्रथा) जिसके अनुसार स्त्रियाँ परपुरूषों के सामने आने पर साड़ी, चुन्नी से मुँह ढक लेती हैं या बुरका पहनकर घर से बाहर निकलती हैं; कपड़े से मुख ढकने की प्रथा, घूंघट की प्रथा, बूरका प्रथा।

परदादा/पड़दादा - (पुं.) (देश.) - पिताजी के पिताजी के पिताजी; पिताजी के दादाजी के पिताजी। great grand father

परदेशी - (वि.) (तत्.) - 1. दूसरे देश का, दूसरे देश से संबंधित। 2. विदेशी (कोई वस्तु आदि) पुं. दूसरे देश का रहने वाला व्यक्‍ति, प्रवासी। उदा. हमारे देश में बहुत से परदेशी भ्रमण के लिए आते हैं।

परनाला - (पुं.) (तद्.) - वह बड़ी नाली जिसमें बस्ती या नगर का गंदा पानी बहता है, पनाला।

परनाली - (स्त्री.) (तद्.) - दे. ‘परनाला’

परपुरूष - (पुं.) (तत्.) - स्त्रियों के लिए अपने पति के अतिरिक्‍त अन्य कोई पुरूष जो कामवासना की दृष्‍टि से त्याज्य है। उदा. स्त्री को स्वप्न में भी परपुरूष का चिंतन नहीं करना चाहिए।

परपोता - (पुं.) (तद्.) - पोते का लड़का,पुत्र के पुत्र का बेटा। अर्थात पिता-पुत्र -पुत्र (पौत्र)-पुत्र (प्रपौत्र) जैसे: अर्जुन का प्रपौत्र जनमेजय। (अर्जुन-अभिमन्यु (पुत्र)-परीक्षित(पौत्र)-जनमेजय(प्रपौत्र) स्त्री.- परपोती (प्रपौत्री) विलो. परदादा (प्रपितामह)

परपोषक - (वि./पुं.) (तत्.) - दूसरों का पोषण करने वाला (जीव); वह जीव जिससे परजीवी अपना पोषण प्राप्‍त करते हैं। जैसे: मच्छर जो मलेरिया परजीवी को अपने शरीर में पालता-पोसता है। host तु. परजीवी। पर्या. परपोषी।

परपोषी - (वि./पुं.) - ऐसे जीव जो अकार्बनिक पदार्थों से अपना भोजन नहीं बना सकते और स्वपोषी जीवों या कार्बनिक पदार्थों से अपना पोषण प्राप्‍त करते हैं। Hetrotroph विषमपोषी।

परब्रह्म - (पुं.) (तत्.) - निर्गुण एवं निराकार ब्रह्म ईश्‍वर।

परभक्षी - (वि./पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ दूसरे को खाने वाला। प्राणि. आजीवन अकेले रहने वाले वे मुक्‍त जीव जो अपने शिकार को मारकर खाते हैं। इनका आकार प्राय: अपने शिकार से बड़ा होता है। उदा. मकड़ी, चील, बाज आदि। कृषि. पादप पीडक़ पर आक्रमण करके उन्हें नष्‍ट करने वाला (कीट) Predator

परम - (वि.) (तत्.) - जिससे आगे या अधिक या श्रेष्‍ठ और कुछ न हो; सर्वोत्कृष्‍ट। जैसे: 1. आत्मा=परमात्मा, परम+ईश्‍वर=परमेश्‍वर। उदा. मेरा परम सौभाग्य है जो आप यहाँ पधारे।

परमाणु [परम+अणु] - (पुं.) (तत्.) - भौ. वि. तत् व का लघुतम अणु जिसके भीतर प्रोटोनों और न्यूट्रोनों से बना एक धन-आवेशित नाभिक होता है और उस नाभि के चारों ओर इलैक्ट्रान अत्यंत तीव्र गति से परिक्रमा करते रहते हैं। atom तु. अणु।

परमाणु ऊर्जा - (स्त्री.) (तत्.) - भौ. वि. परमाणुओं के नाभिकों की पुर्नव्यवस्था से उत्पन्न होने वाली उर्जा जो नाभिकीय विखंडन या संलयन के प्रक्रम से मुक्‍त होती है। पर्या. नाभिकीय ऊर्जा।

परमाणु बम - (पुं.) (तत्.अं.) - नाभिकीय विखंडन के परिणामस्वरूप उन्मोचित ऊर्जा से शक्‍ति प्राप्‍त करने वाला बम जो अत्यंत संहारक होता है। पर्या. अणु बम, नाभिकीय बम। तु. हाइड्रोजन बम

परमाणुवाद - (पुं.) (तत्.) - वैशेषिक दर्शन का सिद् धांत जिसमें माना गया है कि संसार के सभी पदार्थ परमाणुओं के संयोग से या घनीभूत होने से बने हैं। atomism

परमात्मा [परम+आत्मा] पुं - (तत्.) - भारतीय दर्शन के अनुसार संपूर्ण सृष्‍टि का नियमन करने वाली सत्‍ता। पर्या. भगवान, परमेश्‍वर।

परमिट - (पुं.) - (अं.) 1. कोई विशेष कार्य करने या पर्याप्‍त मात्रा में किसी वस्तु चीनी, सीमेंट आदि प्राप्‍त के लिए सरकार की ओर से मिलने वाला लिखित आज्ञापत्र या अनुज्ञापत्र। 2. वाहनों को एक राज्य से दूसरे राज्य में आने जाने के लिए सरकारी मुहर से युक्‍त स्वीकृत पत्र। उदा. बिना सरकारी परमिट मिले कोई विशेष व्यापार या उद् योग नहीं किया जा सकता।

परलोक - (पुं.) (तत्.) - 1. इस लोक (पृथ्वीलोक)से पृथक लोक। 2. मृत्युलोक को छोड़कर अन्य लोक। 3. मृत्यु के पश्‍चात प्राप्‍त होने वाला लोक।

परवरिश - (स्त्री.) (फा.) - छोटे बच्चों या किसी निर्धन, बेसहारा व्यक्‍ति का पालन-पोषण। जैसे: उसने एक अनाथ बच्चे की परवरिश कर उसे डॉक्टर बना दिया।

परवर्ती - (वि.) (तत्.) - कालक्रम की दृष्‍टि से बाद में घटित होने वाला, बाद वाला। उदा. आधुनिक हिंदी साहित्य के परवर्ती काव्य में छंदोमुक्‍त रचनाओं की प्रधानता देखने को मिलती है।

परवश - (वि.) (तत्.) - जो दूसरे के वश में हो, परतंत्र पराधीन। विलो. आत्मवश।

परवशता - (स्त्री.) (तत्.) - दूसरे के अधीन जीवन जीने की स्थिति या भाव। जैसे: हमें परवशता से नहीं आत्मनिर्भरता के साथ जीवन जीना चाहिए।

परवाना - (पुं.) (.फा.) - 1. आदेश पत्र, लिखित आदेश। 2. फतिंगा जो दीपक की लौ के प्रेम में अपने प्राण तक दे देता है। 3. अपने प्रेमी या प्रेमिका पर अत्यंत मुग्ध व्यक्‍ति। जैसे: सलीम अनारकली का परवाना था। 4. ला.अर्थ अपने प्रिय व्यक्‍ति, सिद् धांत, राष्‍ट्र के लिए अपना बलिदान करने वाला या उसके लिए सदा तैयार रहने वाला व्यक्‍ति। जैसे: सभी क्रांतिकारी देश की आजादी के परवाने थे।

परवाह - (स्त्री.) (.फा.) - चिंता, फिक्र।

परसर्ग - (पुं.) (तत्.) - व्या. हिंदी में ‘ने’, को, से, का, की, के, में, पर प्रमुख परसर्ग हैं। जैसे : बालक ने उसकी पुस्तक में पाठ पढ़ा। post position (हिंदी में) संज्ञा के बाद लगकर (और सर्वनाम के साथ मिलकर) कारकीय संबंध प्रकट करने वाली व्याकरणिक इकाई।

परसाल [पर+साल] अ. - ([पर-तत्+फार.]) (स्त्री.) - पिछले साल या अगले साल। पर्या. पारसाल (बोली में) तद्. <प्रशाला) बड़ा कमरा या कोठरी।

परसों क्रि.वि. - (वि.) (तद्.) - बीते हुए कल से पहले वाला दिन या कल आने वाले कल के बाद आने वाला दिन। जैसे: तुम यहाँ कब आये? परसों। अब तुम जाओगे कब? परसों।

परस्पर अ. - (तत्.) - एक दूसरे के बीच में; एक दूसरे के साथ; आपस में। उदा. परस्पर प्रेम रखना चाहिए।

परस्पर क्रि.वि. - (वि.) (तत्.) - एक दूसरे के साथ, आपस में। जैसे: परस्पर विरोधी विचार, परस्पर आदान-प्रदान।

परहित - (पुं.) (तत्.) - दूसरे का हित, भलाई या कल्याण। उदा. परहित सरिस धर्म नहिं भाई-तुलसीदास पर्या. परमार्थ, परोपकार।

परहेज़ - (पुं.) (फा.) - सा.अर्थ दूर रखना या रहना; संयम बरतना। 1. खाने-पीने आदि का संयम। उदा. बीमारी के बाद परहेज़ की वजह से मैं खिचड़ी खाता हूँ। 2. दोषों या बुराईयों से दूर रहना। उदा. दूसरों की निंदा करने वालों से मुझे परहेज़ है।

पराकाष्‍ठा - (स्त्री.) (तत्.) - चरम सीमा, अंतिम सीमा, आखिरी हद। जैसे: मेरे धैर्य की पराकाष्‍ठा की परीक्षा मत लो। climax

पराक्रम [परा+क्रम] - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ आगे की ओर या विरूद्ध दिशा में चलना। सा.अर्थ 1. वीरता, उत्साह। 2. उद् योग, पुरूषार्थ।

पराक्रमी - (स्त्री.) (तत्.) - पराक्रम वाला, पराक्रम से युक्‍त, जो पराक्रम दिखाए। पर्या. वीर।

पराग - (पुं.) (तत्.) - पुष्‍प के केसरों पर जमे हुए असंख्य रजकण। पर्या. पुष्परज।

परागकण - (पुं./बहु.) (तत्.) - पराग के असंख्य कणों का पुंज। दे. ‘पराग’।

परागकोश - (पुं.) (तत्.) - पुंकेसर के सिरे पर का फूला हुआ भाग जो परागकणों को धारण करता है। anther

परागण - (पुं.) (तत्.) - परागकणों का पुमंग के परागकोश से जायांग के वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण जो कीट, वायु या जल के माध्यम से होता है। pollination

पराजय - (पुं.) (तत्.) - लड़ने वाले दो व्यक्‍तियों या दलों में से किसी एक व्यक्‍ति या दल की हार। पर्या. हार, शिकस्त। विलो. जीत, जय।

पराजय - (स्त्री.) (तत्.) - प्रतियोगिता में, युद्ध में अथवा परिस्थितियों से मिलने वाली हार। पर्या. हार, शिकस्त। विलो. जय, विजय।

पराजित [परा+जित] - (वि.) (तत्.) - जिसे जीत लिया गया हो़; हराया हुआ, हारा हुआ। विलो. विजयी। दे. पराजय।

परात - (स्त्री.) (देश.) - थाली के आकार का पीतल, स्टील आदि का चौड़ी किनारी वाला बड़ा बरतन, बड़ी और ऊँची किनारी वाली थाली। तु. थाल-थाल की किनारी अपेक्षाकृत कम चौड़ी होती है।

पराधीनता [पर+अधीन+ता] - (स्त्री.) (तत्.) - दूसरे के अधीन होने का भाव। पर्या. परतंत्रता, गुलामी। विलो. स्वाधीनता=स्वयं के अधीन होने का भाव।

पराबैंगनी - (वि.) (तत्.+ देश.) - दृश्य स्पेक्ट्रम (वर्णक्रम) के बैंगनी वर्ण या उसकी पट्टी से परे का। भौ. विद्युत-चुंबकीय विकिरण का या उसके लिए प्रयुक्‍त शब्द। दृश्य स्पेक्ट्रम (वर्णक्रम) में इसका तरंग दैर्ध्य Wavelength बैंगनी अत्यं की अपेक्षा छोटी होती है। Ultraviolet

पराबैंगनी किरणें - (स्त्री.) - बहु. भौ. लघु तरंग वाली विद् युत-चुंबकीय किरणें। Ultavioletwaves

पराबैंगनी विकिरण - (पुं.) - भौ. विकिरण जो दृश्य स्पेक्ट्रम (वर्णक्रम) में दिखाई पड़ने वाले बैंगनी प्रकाश के परे होता है। Ultraviolet radiation

परामर्श - (पुं.) (तत्.) - किसी विषय के संबंध में होने वाली चर्चा, सलाह, मंत्रणा। consulation

परायण [परम+अयन] - (वि.) (तत्.) - समास के उत्‍तर पद के रूप में सर्वथालीन; को ही सर्वस्व या सर्वोच्च लक्ष्य अथवा प्राप्‍तव्य मानने वाला। जैसे: कर्त्तव्यपरायण, स्वार्थपरायण, धर्मपरायण।

पराया - (वि.) (तद्.<पर) - जो अपना न हो; दूसरे का। विलो. अपना।

परावर्तक पृष्‍ठ - (पुं.) (तत्.) - वह पृष्‍ठ (तल) जिस पर टकराकर प्रकाश और ध्वनि तरंगें लौट आती है। दे. ‘परावर्तन’।

परावर्तन [परा+वर्तन] - (पुं.) (तत्.) - भौ. वि. ध्वनि या प्रकाश की तरंगों का किसी पृष्‍ठ से टकराकर वापस आना/लौट आना। टि. इन्हीं अभिक्रियाओं से हम दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखते हैं या प्रतिध्वनि सुनते हैं।

परावर्तन कोण - (पुं.) (तत्.) - भौ.वि परावर्तित किरण तथा अभिलंब के बीच का कोण। दे. अभिलंब, परावर्तित।

परावर्तित - (वि.) (तत्.) - किसी सतह से टकराकर लौटी हुई (ध्वनि/प्रकाश की तरंगे) दे. ‘परावर्तन’।

परास्त - (वि.) (तत्.) - हारा हुआ। पर्या. पराजित। विलो. विजित, विजेता।

परिंदा - (पुं.) (फा.) - पर (पंख) वाला पक्षी, चिडि़या। उदा. परिंदे आकाश में उड़ते हैं। मुहा. परिंदा न फटकना=कठोर नियंत्रण। स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर लाल किले के आसपास सुरक्षा व्यवस्था इतनी कड़ी थी कि कोई परिंदा भी वहां नहीं फटक सकता था।

परिकलन - (पुं.) (तत्.) - 1. सही जोड़, बाकी, गुणा भाग आदि करने की प्रक्रिया; ऐसी बड़ी गणना जो लगभग ठीक हो। उदा. सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी का सही परिकलन किया जा चुका है। पर्या. आकलन।

परिकलित्र - (पुं.) (तत्.) - गणितीय परिकलन करने वाली इलैक्ट्रानिक मशीन। calculator दे. परिकलन। तु. अभिकलित्र।

परिकल्पना - (स्त्री.) (तत्.) - 1. जिस वस्तु या बात के होने की संभावना हो। उसकी कल्पना पहले ही कर लेने का भाव। 2. किसी अप्रमाणिक किंतु संभावित बात को मान लेना। hypothesis 3. कुछ विशिष्‍ट आधारों को लेकर किसी बात को स्वीकार कर लेना। presumption 4. केवल तर्क के आधार पर किसी बात की कल्पना करना। 5. रचनात्मक विचार। जैसे: संत की परिकल्पना के अनुसार यहाँ एक अनाथाश्रम बनाया जा रहा है।

परिक्रमण - (पुं.) (तत्.) - किसी कण अथवा पिंड का किसी बाह् य केंद्र या अक्ष के चारों ओर एक ही परिधि में घूमते रहना। जैसे: पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर परिक्रमण। revolution टि. पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई लगभग 1,00,000 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से सूर्य की परिक्रमण करती है। इसे एक परिक्रमा पूरी कनने में लगभग 365 दिन और 6 घंटे लगते हैं। पृथ्वी की इस वार्षिक गति को परिक्रमण कहते हैं। तु. घूर्णन। रिवोलुशन

परिक्रमण काव - (पुं.) (तत्.) - किसी ग्रह का सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में लगने वाला समय। उदा. पृथ्वी का परिक्रमण काल लगभग 365 दिन और 6 घंटे हैं। दे. परिक्रमण। तु. परिक्रमा।

परिक्रमा - (स्त्री.) (तत्.) - सा.अर्थ किसी के चारों ओर चक्कर लगाना। जैसे: मंदिर में परिक्रमा करना; गोवर्धन क्षेत्र की परिक्रमा। वि.अर्थ किसी ग्रह द्वारा सूर्य का चक्कर लगाना; किसी उपग्रह द्वारा ग्रह का चक्कर लगाना; धूमकेतु द्वारा किसी सूर्य का चक्कर लगाना। पर्या. परिक्रमण।

परिग्रह - (पुं.) (तत्.) - 1.किसी से किसी वस्तु, धन, संपत्‍ति आदि को दान के रूप में ग्रहण करना। प्रतिग्रह। 2. आदरपूर्वक स्वीकार करना। 3. धन-संपत्‍ति आदि इकट्ठी करना। 4. गृहस्थी बसाना। विलो. अपरिग्रह (किसी भी वस्तु का अधिक संग्रह न करना) (दर्शन) पाँच यमों में से एक (पाँचवाँ) (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह)

परिघटना - (स्त्री.) (तत्.) - कोई ऐसा तथ्य या स्थिति जिसका अस्तित्व हो अथवा घटित होता दिखाई पड़े। विशेष घटना। phenomenon

परिचय - (पुं.) (तत्.) - अच्छी तरह जानना, पूरी जानकारी, जान-पहचान।

परिचय-पत्र - (पुं.) (तत्.) - किसी अभिकरण द्वारा जारी किया गया नाम, पता, चित्र आदि लगा कार्ड जिससे आवश्यकता पड़ने पर उसके धारक की सही पहचान की जा सके। पर्या. पहचानपत्र। Identity card, I card

परिचर - (पुं.) (तत्.) - दूसरों की सेवा या देखभाल करने वाला व्यक्‍ति, सेवक, सेवा सहायक। उदा. अस्वस्थ पिता की देखरेख के लिए हमने एक परिचर रखा हुआ है।

परिचर्या - (स्त्री.) (तत्.) - दूसरों की सेवा, देखभाल, टहल-चाकरी आदि का कार्य।

परिचारक - (वि.) (तत्.) - परिचर्या करने वाला। पुं. 1. सेवक, सेवा-सहायक, 2. रोगी की सेवा करने वाला। पर्या. परिचर। उदा. इस गहन कक्ष के परिचारक बहुत ही कर्तव्यनिष्‍ठ हैं।

परिचारिका - (स्त्री.) (तत्.) - 1. परिचर्या करने वाली, महिला; सेविका, महिला सेवा-सहायक। 2. यात्रियों की सहायता, देखभाल करने वाली महिला। जैसे: विमान परिचारिका air hosters

परिचित - (वि.) (तत्.) - जिससे परिचय हो, जिसे हम ठीक से पहचानते हों। जैसे: पूर्व परिचित व्यक्‍ति। दे. ‘परिचय’।

परिच्छेद - (पुं.) (तत्.) - किसी पुस्तक के अध्याय का वह भाग जिसमें एक विषय की चर्चा या वर्णन हो। जैसे: परिच्छेद 1, परिच्छेद 4, 2. अध्याय का विभाजित संख्यांकित अंश। section जैसे: 102

परिच्छेदिका - (स्त्री.) (तत्.) - लघु आकार वाला विभाजित खंड या कटा हुआ अंग, 1. किसी ठोस वस्तु का लघु आकार वाला वह विभाजित खंड जो उसके गुणों की जाँच करने में सहायता करे। section, profile

परिजन - (पुं.) (तत्.) - (बहु. में प्रयुक्‍त) 1. परिवार के सदस्यों को छोड़कर भरण-पोषण के लिए आश्रित अन्य लोग। जैसे: नौकर-चाकर आदि। 2. राजा आदि के साथ चलने वाले लोग। मंत्री, अनुचर आदि। तु. परिवार।

परिणत [परि+णत] - (वि.) (तत्.) - मू.अर्थ बहुत अधिक झुका हुआ; पूर्ण वृद् धि को प्राप्‍त। विक. अर्थ के रूप में बदला या ढला हुआ। (में) परिवर्तित, रूपांतरित। उदा. पारस पत्थर से छूकर लोहा स्वर्ण के रूप में परिणत हो जाता है, ऐसी मान्यता है।

परिणति - (स्त्री.) (तत्.) - परिवर्तन, रूपांतरण, परिणाम। उदा. आपके निरंतर परिश्रम की परिणति यह हुई कि हमारी कक्षा का परिणाम शत-प्रतिशत रहा।

परिणय [परि+नय] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ (अग्नि के चारों ओर) परिक्रमा करके या पूरी तरह से ले जाना। धार्मिक और सामाजिक कृत्य जिसमें वर-कन्या जीवन पर्यंत एक साथ रहकर सांसारिक जीवन बिताने की रस्म अदा करते हैं। पर्या. विवाह।

परिणाम - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी कार्य के अंत में प्राप्‍त होने वाला फल। जैसे: परीक्षा-परिणाम। पर्या. नतीजा, फल। result 2. किसी बात का अन्य वस्तुओं या बातों पर पड़ने वाला प्रभाव। पर्या. प्रभाव जैसे: धूप के परिणामस्वरूप फसल का सूख जाना। effect 3. किसी बात के बाद या होते समय भी अन्य क्रियात्मक अच्छे या बुरें प्रभाव। उदा. इसका परिणाम तुम्हें भुगतना ही पड़ेगा। consequences 4. सभी बातों को मिलाकर निकाला गया निर्णय। उदा. सभी बातों का परिणाम यह हुआ कि अंतत: वह फेल ही माना गया। conclusion 6. परिवर्तित रूप जैसे: दही, दूध का ही एक परिणाम है।

परिणामस्वरूप व्य. - (तत्.) (दे.) - ‘परिणाम’।

परितारिका - (स्त्री.) (तत्.) - प्राणि/आयु. आँख की पुतली के चारों ओर का रंगीन भाग जो पुतली के खुलने-बंद होने का नियंत्रण करता है। iris of eye

परित्याग [परि+त्याग] - (पुं.) (तत्.) - किसी वस्तु का उपयोग, उपभोग आदि पूरी तरह से छोड़ देना; पूर्ण त्याग। उदा. 1. उसने सभी मादक पदार्थों के सेवन का परित्याग कर दिया है। 2. महात्मा बुद् ध सब कुछ परित्याग कर तप के लिए वन में चले गए।

परिदर्शी - (वि.) (तत्.) - अच्छी तरह से, चारों ओर से, सभी पहलुओं से देखने वाला। पर्या. सम्यक् दर्शी।

परिधान - (पुं.) (तत्.) - 1. शरीर पर पहनने के वस्त्र, कपड़े, पहनावा। जैसे: नीला परिधान। 2. किसी वर्ग या समूह के लिए निर्धारित की गई पोशाक, गणवेश। जैसे: छात्रों के परिधान, रेलवे कर्मियों के परिधान। जैसे: वर-परिधान।

परिधि - (स्त्री.) (तत्.) - 1. कोई क्षेत्र विशेष जो सीमाओं से घिरा हो। उदा. चिकित्सालय की परिधि में शोर करना मना है। ज्‍या. वृत्‍त बनाने वाली वह रेखा जो वृत्‍त के केंद्र से समान दूरी पर होती है। circumference

परिनिष्‍ठित (परि+निष्‍ठा+इत) - (वि.) (तत्.) - शुद्ध, मिलावट रहित; मानक। उदा. इस प्रश्‍न का उत्‍तर परिनिष्‍ठित हिंदी में दीजिए।

परिपक्व - (वि.) (तत्.) - अच्छी तरह पका हुआ, जो कच्चा न हो; जिसका पूरा विकास हो चुका हो; प्रौढ़। जैसे: परिपक्व अवस्था। mature उदा. तुम्हारी मियादी जमा परिपक्व हो गई है। इसे भुना लो।

परिपक्वता [परिपक्व+ता] - (स्त्री.) (तत्.) - परिपक्व होने का भाव। दे. परिपक्व।

परिपत्र - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ चारों ओर भेजा जाने वाला पत्र, सबके लिए जारी पत्र। प्रशा. पत्र जो किसी व्यक्‍ति विशेष की जानकारी के लिए न होकर संस्था के सभी विभाग में सभी लोगों को सूचनार्थ भेजा जाए। पर्या. गश्ती चिट्ठी। circular उदा. आज के परिपत्र से सूचना मिली है कि अगली बीस तारीख को पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा।

परिपथ - (पुं.) (तत्.) - वि. इंजी. अनेक विद् युत चालक अवयवों को जोड़कर बनाया गया बिजली (विद् युत) की धारा के गुज़रने का मार्ग या पथ। खेल. (मोटर दौड़) प्रतियोगिता के लिए दौड़-मार्ग; प्रतियोगिता श्रृंखला जिसमें अलग-अलग स्थानों पर प्रतियोगिताएँ अथवा दौड़ें आयोजित होती हैं। circuit

परिपालक - (वि.) (तत्.) - किसी का अच्छी तरह से पालन करने वाला। जैसे: राजा प्रजा का परिपालक है।

परिपूर्ण - (वि.) (तत्.) - 1. हर प्रकार से पूर्ण, पूरी तरह भरा हुआ, यानी जिसमें कोई कमी न हो। उदा. इस संसार में कोई व्यक्‍ति ऐसा नहीं है जो परिपूर्ण हो। परिपूर्ण तो केवल ईश्‍वर है। 2. पूरी तरह से भरा हुआ; लबालब। जैसे: परिपूर्ण घट।

परिपूर्ण संख्या - (स्त्री.) (तत्.) - गणि. संख्या जो अपने सभी गुणन खंडों के योग के बराबर होती है। जैसे: 28 एक परिपूर्ण संख्या है क्योंकि 1+2+4+7+14=28 perfect number

परिप्रश्‍न - (पुं.) (तत्.) - सीखी हुई बात को अधिक स्पष्‍ट रूप से समझने के लिए जिज्ञासा पूर्वक पूछे गए विविध प्रकार के प्रश्‍न। 2. पूछताछ। जैसे: गीता के अनुसार परिप्रश्‍न और सेवा ज्ञानप्राप्‍ति के साधन हैं। enquiry

परिप्रेक्ष्य - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी मामले से संबंधित सभी बातों या अंगों को ध्यान में रखते हुए उसके बारे में व्यक्‍ति विशेष का समग्र रूप से निर्मित विचार। उदा. अन्ना हजारे के भ्रष्‍टाचार विरोधी आंदोलन को आप किस परिप्रेक्ष्य में देखते हैं?

परिबद्ध - (वि.) (तत्.) - (i) चारों ओर से यानी अच्छी तरह से बँधा हुआ; (ii) जिसे रोक कर रखा गया हो; जब्त impounded

परिभाषा - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ चारों ओर से भाषा में बाँधना। सा.अर्थ सटीक शब्दों में प्रस्तुत ऐसा संक्षिप्‍त परिचय जिससे उसके स्वरूप, गुण, वैशिष्ट्य आदि की पूरी जानकारी प्राप्‍त हो सके। definition उदा. संज्ञा शब्द की सोदाहरण परिभाषा लिखो।

परिभाषित [परिभाषा+इत.] - (वि.) (तत्.) - जिसकी परिभाषा दी गई हो या दी जा चुकी हो। defined

परिमल - (पुं.) (तत्.) - उत्‍तम गंध, सुंगध, सुवास। उदा. चंदन के परिमल से सुवासित है यह मंडप।

परिमाप - (पुं.) (तत्.) - 1. वृत्‍त की पूरी लंबाई। 2. बहुभूज की समस्त भुजाओं की लंबाइयों का योगफल। perimeter

परिमार्जन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पूरी तरह से सफाई करना। सा.अर्थ 1. किसी पात्र को अच्छी तरह से मांज कर, धोकर साफ करना। 2. त्रुटियाँ, दोष आदि दूर करके ठीक करना। उदा. यह लेख त्रुटियों के परिमार्जन के बिना मुद्रण के योग्य नहीं है।

परिमार्जित - (वि.) (तत्.) - साफ-सुथरा, त्रुटि रहित। जैसे: परिमार्जित भाषा।

परिमेय संख्या - (स्त्री.) (तत्.) - गणि. दो पूर्ण संख्याओं के भागफल के रूप में व्यक्‍त की जाने वाली संख्या। जैसे: 1/2, 3/5 rational number तु. अपरिमेय संख्या।

परियोजना - (स्त्री.) (तत्.) - 1. ऐसा कार्य जिसे पूरा करने में विपुल धनराशि, पर्याप्‍त समय और बड़ी संख्या में कुशल और अर्धकुशल कार्यकर्ताओं की आवश्यकता पड़े। जैसे: जलविद्युत परियोजना। 2. विद्यार्थी को नियमित अध्ययन के पूरक कार्य के रूप में सौंपा गया वह विषय जिसे वह परिश्रमपूर्वक अपने खाली समय में बारीकी से पूरा करता है। जैसे: बिजली का सर्किट (परिपथ) बनाने की परियोजना। project

परिरक्षक - (वि./पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ हर तरह से/पूरी तरह से रक्षा करने वाला। तक वह पदार्थ प्रक्रिया या तरीका जो किसी वस्तु को हानि, क्षति, खराबी आदि से लंबे समय तक बनाए/बचाए रखने में मदद करे। जैसे: अचार के लिए तेल, सिरका, नमक आदि preservative पर्या. परिरक्षी।

परिरक्षण - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ पूरी तरह से, रक्षा करने, बचाए या बनाए रखने का भाव अथवा प्रक्रम। तक. समय तक इस्तेमाल के योग्य बनाए रखने या न बिगड़ने देने की वैज्ञानिक विधि। जैसे: 1. फलों, सब्जि़यों का परिरक्षण। 2. ऐतिहासिक महत्व के भवनों अथवा कलाकृतियों का परिरक्षण। preservation

परिरक्षित - (तत्.) - अच्छी तरह से बचाकर रखी गई या देखभाल की गई वस्तु। जैसे: परिरक्षित वन संपदा, परिरक्षित ऐतिहासिक इमारतें (भवन) और कलाकृतियाँ आदि। preservation

परिरक्षी - (वि./पुं.) (तत्.) - दे. ‘परिरक्षक’।

परिलक्षित - (वि.) (तत्.) - अच्छी तरह से देखा हुआ, ध्यान में आया हुआ। उदा. तुम्हारे गहन अध्ययन से ऐसा परिलक्षित होता है कि तुम अवश्य ही प्रथम श्रेणी प्राप्‍त करोगे।

परिलब्धियाँ - (बहू.) (तत्.) - प्रशा. कर्मचारी को मिलने वाले वेतन और विविध प्रकार के भत्‍तों का कुल योग। emoluments तु. वेतन, भत्‍ता।

परिवर्तन क्षम - (वि.) (तत्.) - जिसमें परिवर्तन किया जा सके। उदा. चाँदी परिवर्तन क्षम धातु है। इससे गहने गढ़े जा सकते हैं।

परिवर्तन सारणी - (स्त्री.) (तत्.) - विभिन्न प्रणालियों के भार-माप आदि की इकाईयों के तुलनात्मक मान को प्रदर्शित करने वाली तालिका। जैसे: मीटर और गज, मील और किलोमीटर, सेर और किलोग्राम आदि की इकाइयों का तुलनात्मक मान बताने वाली तालिकाएँ। conversion table

परिवर्तनशील - (वि.) (तत्.) - परिवर्तन या बदलाव होते रहना जिसका स्वभाव हो। उदा. मौसम परिवर्तनशील है, कभी गरमी, कभी वर्षा तथा कभी सर्दी। ever changing

परिवर्धन - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ आवश्यकतानुसार किसी वस्तु के आकार, संख्या, गुण आदि में की गई या हुई बढ़ोतरी। तर्क. 1. जीव-निषेचित अंड से वयस्क अवस्था प्राप्‍त होने तक के समस्त परिवर्तनों का क्रम। जैसे: निषेचित अंड से टैडपोल होकर मेंढक़ बन जाना। development 2. विधि. किसी नियम-विनियम का संशोधन कर उसमें कुछ नए प्रावधान जोड़ना। addition 3. किसी भवन में कुछ कमरे आदि जोड़ कर उसका विस्तार करना। extension 4. पूर्व प्रकाशित ग्रंथ के कलेवर में वृद्धि कर उसका पुनप्रकाशन करना। enlargement

परिवर्धित - (वि.) (तत्.) - पहले की तुलना में, बढ़ाया हुआ। जैसे: कोश का परिवर्धित संस्करण, परिवर्धित मूल्य।

परिवहन - (पुं.) (तत्.) - वस्तुओं, मनुष्यों या पशुओं आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने-लाने की सुनियोजित व्यवस्था। उदा. दिल्ली की परिवहन व्यवस्था के लिए बसें, मेट्रो, रेल तथा रिंग रेलवे की सुविधा उपलब्ध है। तु. यातायात। transport

परिवार कल्‍याण - (पुं.) (तत्.) - व्‍यक्‍ति के परिवार के हित साधन को ध्‍यान में रखते हुए सरकार द् वारा चलाई जा रही योजना विशेष जिसमें बच्‍चों की संख्‍या सीमित रखने के साथ-साथ महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य, पोषाहार, प्रसवपूर्व और प्रसवोत्‍तर देखभाल, शिशुओं के स्‍वास्‍थ्‍य आदि पर विशेष ध्‍यान दिया जाता है। टि. अब ‘परिवार नियोजन’ के स्‍थान पर ‘परिवार कल्‍याण’ शब्‍द का प्रयोग होने लगा है। family welfare

परिवार नियोजन - (पुं.) (तत्.) - परिवार संबंधी नियोजन अर्थात परिवार में बच्चों की संख्या सीमित रखने के उपायों के साथ-साथ जच्चा-बच्चा की देखभाल तथा उनके पोषाहार संबंधी सुविधाओं की जानकारी दी जाती है। family planning दे. परिवार कल्याण की टिप्पणी।

परिवार - (पुं.) (तत्.) - 1. वंश-परंपरा से जुड़े हुए लोगों का समूह; भले ही एक साथ रहते हों या अलग-अलग। पर्या. कुटुंब, खानदान 2. एक ही व्यवसाय, पेशे से जुड़े लोग। जैसे: अध्यापक परिवार, छात्र परिवार। प्रशा. पति-पत्‍नी और अवयस्क/अविवाहित संतान तथा आश्रित माता-पिता। family

परिवेश - (पुं.) (तत्.) - किसी भी प्राणी (मनुष्य, पशु-पक्षी, पादप आदि) के आस-पास की प्राकृतिक, सामाजिक आदि परिस्थितियाँ जिनसे वह प्रभावित होता है। पर्या. वातावरण। उदा. झोपड़ पट्टी और गंदी बस्तियों का परिवेश अस्वास्थ्यकर होता है। टि. पहले इसके लिए ‘वातावरण’ शब्द का प्रयोग होता था। enviornment surrounding

परिवेष्‍टन - (पुं.) (तत्.) - चारों तरफ से घेरना या घेर लेना; ढक लेना, आवृत्‍त करना।

परिवेष्‍टित - (वि.) (तत्.) - चारों ओर से घिरा हुआ, ढका हुआ या आवृत। जैसे: स्‍वर्ण जटित लाल वस्‍त्रों से परिवेष्‍टित वधू।

परिशिष्‍ट - (वि.) (तत्.) - बचा हुआ, शेष। जैसे: परिशिष्‍ट सामग्री=शेष बचा सामान। पुं. पुस्तक के अंत में दी गई या जोड़ी गई अतिरिक्‍त उपयोगी सामग्री। appendix उदा. हमारी पुस्तक के परिशिष्‍ट में लेखक की अन्य कृतियों का भी संक्षिप्‍त परिचय दिया गया है।

परिशोधन - (पुं.) (तत्.) - किसी लिखित सामग्री या वेतनमान आदि की गलतियों को सुधारने के लिए किया गया परिवर्तन; सुधार। rectification

परिश्रम - (पुं.) (तत्.) - ऐसा शारीरिक और मानसिक काम (श्रम) जिसे करते-करते थकावट आने लगे। पर्या. मेहनत। उदा. परिश्रम का फल मीठा हेाता है।

परिश्रमी - (वि.) (तत्.) - परिश्रम करने वाला (व्यक्‍ति) दे. परिश्रम। उदा. मेरा मित्र बहुत परिश्रमी है।

परिषद - (स्त्री.) (तत्.) - निर्वाचित, नियुक्‍त या नामित सदस्यों का समूह जो निर्धारित समय पर एकत्र होकर सौंपे गए कार्य पर विचार-विमर्श करके किसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। जैसे: छात्र परिषद, नगर परिषद, सुरक्षा परिषद आदि। council

परिष्करण - (पुं.) (तत्.) - 1. स्वच्छ या शुद् ध करना। 2. दोष या त्रुटियाँ दूर करके ठीक करना।

परिष्करिणी - (स्त्री.) (तत्.) - (<परिष्कार) खनिज, तेल, पेट्रोलियम आदि को शुद् ध कर पेट्रोल अलग करने का कारखाना। refinery

परिष्कार - (पुं.) (तत्.) - स्वच्छ और सुंदर बनाने की क्रिया या भाव, संस्कार, शुद् धीकरण, सजावट। उदा. हमें अपनी भाषा का परिष्कार करते रहना चाहिए।

परिष्कृत - (वि.) (तत्.) - जिसका परिष्कार किया गया हो, पूरी तरह से साफ किया हुआ, शुद्ध किया हुआ। दे. परिष्कार।

परिसंचरण - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ. तरफ भेजने या भेजे जाने की व्यवस्था। जीव. रक्‍त का हृदय से धमनियों, कोशिकाओं और शिराओं में होते हुए चक्रीय (वृत्‍ताकार) रूप से लगातार बहते रहने की व्यवस्था। Circulation

परिसर - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी संस्था के भवनों, उपभवनों, खाली मैदानों का समस्त क्षेत्र या आहाता। campus जैसे. विश्‍वविद् यालय परिसर, विद् यालय परिसर।

परिस्थिति [परि+स्थिति] - (स्त्री.) (तत्.) - 1. चारों ओर की स्थिति/अवस्था। 2. चारों ओर होने वाली घटनाएँ जो मनुष्य या वातावरण पर प्रभाव डालती हैं। 3. किसी व्यक्‍ति की देश, काल, परिवेश आदि से संबंधित स्थिति। जैसे: इंदिरा गांधी के समय भी राजनैतिक परिस्थिति आज से भिन्न थी। 4. दशा, हालत। जैसे: बाढ़ उतरने के बाद गाँव की परिस्थिति कैसी है?

परिस्थितिकी - (स्त्री.) (तत्.) - जीव. जीवविज्ञान की एक शाखा जिसमें जीवों के पारस्परिक संबंधों तथा उनके आसपास के पर्यावरण के बीच संबंधों का अध्ययन किया जाता है। पर्या. परिस्थिति विज्ञान। Ecology

परिस्थितिविज्ञान - (पुं.) (तत्.) - दे. ‘पास्थितिकी’।

परिस्थितिविज्ञानी - (पुं.) (तत्.) - दे. पारिस्थितिकविद्।

परिहार - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ दूर करना, अलग करना, हटाना। जैसे: दोष परिहार। तक. अर्थ. दंड, ऋण आदि का अंशत: कम किया जाना अथवा पूर्णत: समाप्‍त कर देना। remission

परीक्षण - (पुं.) (तत्.) - 1. परीक्षा लेने या करने (परखने) की क्रिया। पर्या. जाँच, परख। जैसे: रक्‍त परीक्षण, मासिक या साप्‍ताहिक परीक्षण। टि. ‘परीक्षा’ और ‘परीक्षण’ का भेद द्रष्‍टव्य है।

परीक्षित - (वि.) (तत्.) - (परीक्षा+इत) जिसकी परीक्षा की जा चुकी हो; जिसकी जाँच हो चुकी हो। उदा. यह दवा मेरी परीक्षित है। इसे तुम बेधड़क होकर ले सकते हो।

परीक्ष्य - (वि.) (तत्.) - जिसकी परीक्षा/जाँच होनी अभी शेष है; जिसकी जाँच अभी चल रही है। उदा. घोटाले का यह मामला परीक्ष्य है अभी इसके बारे में किसी निर्णय पर पहुँचना ठीक नहीं होगा।

परे क्रि. - (वि.) (तद्.<पर) - दूर, अलग, आगे, दूसरी तरफ, दूर हट कर। उदा. इस पुस्तक को परे रख दो, फिर बात करो। यह बात तुम्हारी समझ से परे है।

परेड़ - (स्त्री.) - (अं.) 1. सैनिकों का स्फूर्तिमय अनुशासनबद्ध विशेषगतियुक्‍त प्रदर्शन, कवायद, संचलन। 2. विद्यालयीय बच्चों द्वारा मैदान में की जाने वाली विशेष कवायद। जैसे: 1. गणतंत्र दिवस के अवसर पर सैनिकों की परेड़ निकलती है। 2. स्कूल के मैदान में छात्र परेड करते हैं।

परेशान - (वि.) (फा.) - दु:खी, चिंतित, बेचैन। उदा. आंध्र प्रदेश में कई किसानों ने गरीबी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।

परेशानी - (स्त्री.) (फा.) - दु:ख, चिंता, बेचैनी। उदा.-तुम्हारी परेशानी का कारण क्या है? मुझे बताओ। शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ।

परोक्ष - (वि.) (तत्.) - जो आँखों के आगे न हो, छिपा हुआ, अप्रत्यक्ष। जैसे: परोक्षकर, परोक्ष निर्वाचन। पर्या. अप्रत्यक्ष। विलो. प्रत्यक्ष।

परोपकार [पर+उपकार] - (पुं.) (तत्.) - 1. दूसरे की भलाई करने का काम। पर्या. परहित। उदा. परोपकार करना सबसे बड़ा धर्म है।

परोपकारी - (वि.) (तत्.) - 1. परोपकार (दूसरे का भला) करने वाला। उदा. वह बहुत ही परोपकारी व्यक्‍ति है।

परोसना स.क्रि. - (तद्.<परिवेषण) - 1. खिलाने के लिए थाली या पत्‍तल में भोजन की सामग्री लगाना। 2. खाते समय खाने वाले की थाली या पत्‍तल में खाद्य सामग्री ला-लाकर आदरपूर्वक रखना। उदा. सभी बारातियों को खाना परोसा गया।

पर्णकुटी - (स्त्री.) (तत्.) - पत्‍तों की यानी घास-फूस से बनी कुटिया। उदा. राम, सीता और लक्ष्मण पर्णकुटी बनाकर वन में रहने लगे।

पर्णपाती - (वि.) (तत्.) - पौधे जिनकी पत्‍तियाँ ऋतु विशेष में झड़ जाती हैं। पर्या. पतझड़ी। जैसे: पर्णपाती वन। deciduous विलो. सदाबहार।

पर्णहरित - (पुं.) (तत्.) - वन पादप कोशिकाओं में पाया जाने वाला हरा वर्णक जिसकी सहायता से हरे पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। यह चार वर्णकों का मिश्रित रूप है। chlorophyll

पर्णिका - (स्त्री.) (तत्.) - दे. पन्नी।

पर्दानशीन [पर्दा+नशीन] - (वि./स्त्री.) (फा.) - परदे में रहने वाली स्त्री. जो पराए मरदों के सामने बाहर नहीं आती।

पर्दाफ़ाश [परदा+फाश] - (पुं.) (फा.) - पर्दाफाश होना/करना। व्यु.अर्थ परदा खुल जाना। ला.अर्थ छिपी या छिपाई हुई बातों का सामने आ जाना। भेद खुल जाना। जैसे: आजकल पर्दाफाश पत्रकारिता का बहुत प्रचलन है।

पर्पटी - (स्त्री.) (तत्.) - सा.अर्थ पपड़ी। भू. वि. दे. भू-पर्पटी। Earth crust कृषि. मृदापृष्‍ठ की शुष्क परत जो अपने ठीक नीचे वाली मृदा की तुलना में अधिक सख्त (ठोस), कठोर और भंगुर होती है। crust

पर्यंत [परि+अंत] - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ अंतिम सीमा, परिधि। हिंदी में समस्त पद का उत्‍तर पद। अ. तक (फैला हुआ) जैसे: जीवन पर्यंत=जीवित रहने तक। उदा. हस्तिनापुर के राजा शांतनु के पुत्र देवव्रत जीवन पर्यंत ब्रह् मचारी रहने की कठोर प्रतिज्ञा कर ‘भीष्म’ कहलाए।

पर्यटक - (पुं.) (तत्.) - दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करने वाला व्यक्‍ति या समूह। उदा. भारत में प्रतिवर्ष लाखों विदेशी पर्यटक आते हैं।

पर्यटन [परि+अटन] - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ देश या विदेश के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों का ज्ञानवर्धन और मनोरंजन के लिए भ्रमण। पर्या. देशाटन। 2. उदा. ग्रीष्मावकाश में हम दक्षिण भारत का पर्यटन करेंगे।

पर्यनुकूलन [परि+अनुकूलन] - (पुं.) (तत्.) - किसी भी नई परिस्थिति या नए जलवायु में अपने को उसके तदनुरूप बनाए रखने का कार्य। acelimatization

पर्यवसान [परि+अवसान] - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी कार्य की पूरी तरह समाप्‍ति, अंत। जैसे: समारोह का पर्यवसान, दिन का पर्यवसान। 2. निर्धारण।

पर्याप्‍त - (वि.) (तत्.) - जितना आवश्यक हो उतना, जितना चाहिए उतना, जरूरत के मुताबिक, काफ़ी, यथेष्‍ट। उदा. 1. सर्दी बिताने के लिए उसके पास पर्याप्‍त गरम कपड़े हैं। 2. किसी पर दोषारोपण करने से पहले पर्याप्‍त सबूत जुटा लेना चाहिए। syfficient

पर्याय - (पुं.) (तत्.) - किसी शब्द के समान अर्थ का सूचक दूसरा शब्द। जैसे: ‘कमल’ का ‘पंकज’, ‘जलज’ आदि। पर्या. समानार्थक शब्द, समानार्थी।

पर्यायवाची - (वि.) (तत्.) - पर्याय (समान अर्थ) बतलाने वाला। समानार्थक (शब्द)। विलो. विपरीतार्थक synonym

पर्यावरण [परि+आवरण] - (पुं.) (तत्.) - 1. पृथ्वी के चारों तरफ फैला वह घेरा जो प्राणियों व वनस्पतियों के अस्तित्व की रक्षा में सहायक होता है। टि. पर्यावरण प्राणियों का रक्षा कवच है। 2. बाहरी और भीतरी सभी दशाओं का (तापमान, प्रकाश, भूमि, हवा, पानी, पौधे, प्राणियों का) समुच्चय जो जीवों के अस्तित्व, वृद्धि, परिवर्धन, सक्रियता आदि पर प्रभाव डालता है। उदा. आज के मशीनी युग में पर्यावरण की रक्षा पर सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

पर्यावरण हितैषी - (वि.) (तत्.) - पर्यावरण का हित (भला) चाहने वाला। enviornment friend उदा. आजकल पर्यावरण-हितैषी उत्पादन योजनाओं पर अधिक बल देने की आवश्यकता है। दे. ‘पर्यावरण’।

पर्यावास [परि+आवास] - (पुं.) (तत्.) - प्राकृतिक आवास। habitat उदा. आजकल चिड़ियाघर में पशु-पक्षियों के लिए पर्यावास जैसी सुविधाएँ जुटाने पर बल दिया जाता है।

पर्व - (पुं.) (तत्.) - 1. कोई धार्मिक उत्सव या त्योहार। जैसे: दीपावली पर्व, संक्रांति पर्व। 2. दो संधिस्थलों के बीच का भाग। बोलचाल में पोर। जैसे: उंगलियों के पारे, गन्ने के पोर। 3. विशाल ग्रंथ के विभाग या खंड। उदा. महाभारत में अठारह पर्व हैं।

पर्वत - (पुं.) (तत्.) - 1. प्राकृतिक रूप से शैलों/शिलाओं, मिट्टी आदि से बना ऊँचा भूखंड। जैसे: हिमालय पर्वत माला, अरावली पर्वत माला। 2. ला.अर्थ (पहाड़ जैसा) ऊँचा ढेर। उदा. तुमने यह क्या पुस्तकों का पर्वत बना रखा है? इन्हें व्यवस्थित रखो।

पर्वतमाला - (पुं.) (तत्.) - एक सीध में बहुत देर तक चलने वाली पर्वतों की श्रृंखला या पंक्‍ति। उदा. हिमालय भारतवर्ष की सबसे बड़ी पर्वतमाला है। Range

पर्वतारोहण [पर्वत+आरोहण] - (पुं.) (तत्.) - पहाड़/पत्थरों पर चढ़ने का खेल या अभियान। उदा. हम एक सप्‍ताह बाद पर्वतारोहण के अभ्यास के लिए जाएँगे।

पर्वतारोही [पर्वत+आरोही] - (वि./पुं.) (तत्.) - पर्वत पर चढ़ने वाला; पर्वतारोहण के अभियान में भाग लेने वाला सदस्य।

पलंग - (पुं.) ([तद्.<पर्यक]) - सुसज्जित शयनासन, (सोने के काम आने वाली बड़ी चारपाई)।

पल - (पुं.) (तत्.) - 1. समय गणना की प्राचीन सूक्ष्म अवधि या माप जो 24 सेकंड के बराबर होती है। अर्थात् 60 पल 24 मिनट के बराबर होते हैं। 60 पल की एक घटी होती है। ढाई घटी का एक घंटा होता है। 2. एक पुरानी तौल या मान (चार कर्ष-एक पल) 3. थोड़ी देर, क्षण भर। मुहा. पल-भर में – क्षण भर में, तत् काल, शीघ्र। जैसे: पलभर में क्या से क्या हो गया।

पलक - (स्त्री.) (तत्.) - प्राणि. आँख के ऊपर की चल त्वचा वाला पट जिसकी सहायता से आँख को खोला और बंद किया जा सकता है। पलक आँख की सुरक्षा भी करती है। eye lid मुहा. (i) पलक झपकना-नींद की पहली अवस्था जिसमें आँख की पलकें बंद हो जाती हैं। (ii) पलकें बिछाना/पलक पाँवड़े बिछाना-किसी की प्रतीक्षा में उसके स्वागत सत्कार की पूरी तैयारी करना। टि. किसी महत्वपूर्ण व्यक्‍ति के आगमन पर लाल रेशमी गलीचे की पट्टी बिछाने का रिवाज है। इस मुहावरे का अभिप्राय यह है कि स्वागतातुर व्यक्‍ति ने उस लाल पट् टी के स्थान पर अपनी पलकें बिछा रखी हैं।

पलटन - (स्त्री.) - (अं.<प्लैटून) सैन्य-पुलिस, सैनिकों आदि की टुकड़ी। ला.अर्थ झुंड, समूह। उदा. पुराने ज़माने में घर में बच्चों की पलटन खड़ी कर दी जाती थी। अब एक या दो बच्चों तक ही परिवार को सीमित रखा जाता है।

पलटना अ.क्रि. - (देश.) - उलट जाना, एकदम, बदल जाना, मुकरना। उदा. वह अपनी बात से पलट गया। उलटना (पृष्‍ठ आदि), वस्तु बदलना। उदा. धूप में सूख रहे कपड़ों को पलट दो, जल्दी सूख जाएँगे।

पलटा - (पुं.) (तद्.>प्रलोठन) - 1. पलटने या गिर जाने की क्रिया या भाव। जैसे: बस पलटा खाकर गिर पड़ी। 2. किसी बात या स्थिति से मुकरने का भाव। जैसे: उसका इरादा पलटा देखकर वह सोचने लगा। 3. विपरीत दशा में होने वाला परिवर्तन। जैसे: उसके भाग्य ने पलटा खाया। 4. सब्जी आदि पलटने का रसोईघर का उपकरण।

पलभर क्रि. - (वि.) (तत्.+ देश.) - बहुत थोड़े समय के लिए। (लगभग पलक झपकने जितना) उदा. पलभर के लिए ठहर जाओ, मैं भी साथ चलता हूँ। पर्या. क्षणभर।

पलस्तर - (पुं.) - (अं.<प्लास्टर) 1. इंजी. दीवारों पर लेप के लिए प्रयुक्‍त पदार्थ जो सीमेंट, चूने, रेत, रंग आदि का मिश्रण होता है। 2. आयु. टूटी हड्डी को प्राकृतिक रूप से जुड़ने में सहायता देने के लिए बाँधी गई लेपित पट्टी। plaster उदा. उसके पैर पर पलस्तर चढ़ा है, इसलिए वह चल नहीं सकता।

पलायन [परा+अयन] - (पुं.) (तत्.) - र’ के स्थान पर ‘ध’ व्यु.अर्थ विपरीत दिशा में जाना। सा.अर्थ युद् ध से अथवा प्रतिकूल परिस्थितियों से घबराकर/डरकर उनसे मुख मोड़ लेना या वहाँ से भाग जाना। उदा. छात्रों में पलायनवृत्‍ति बढ़ जाने पर वे बीच में पढ़ाई-लिखाई छोड़ देते हैं।

पलाश - (पुं.) (तत्.) - 1. ढाक का पौधा जिसमें नवपल्लव ग्रीष्म के आरंभ में निकलते हैं तथा फूल लाल रंग के होते हैं। पर्या. टेसू। उदा. पलाश के पत्‍ते ‘पत्‍तल’ बनाने के काम आते हैं।

पलीता - (पुं.) (फा.) - 1. वह बत्‍ती जिससे तोप में आग लगाई जाती है। 2. पटाखे में लगी बत्‍ती जिसे सुलगाने पर पटाखा चलता है/बजता है। ला.अर्थ पलीता लगाना अपनी बातों या कार्यों से किसी के मध्य झगड़ा शुरू करना, बढ़ाना या भडक़ाना।

पल्लव - (पुं.) (तत्.) - 1. नया और कोमल पत्‍ता। 2. दक्षिण भारत का एक प्राचीन राजवंश (जिसकी राजधानी तमिलनाडु के कांचीपुरम में थी।)

पल्लवन - (पुं.) (तत्.) - नए-नए पत्‍ते निकलना; ला.अर्थ विकसित होना/करना। उदा. समरथ को नहीं दोस गुसाईं’ उक्‍ति का पल्लवन करते हुए लघु निबंध लिखिए।

पल्लवित [पल्लव+इत्] - (वि.) (तत्.) - नई कोंपलों से युक्‍त, अंकुरित, विकसित, फला-फूला। दे. पल्लवन।

पल्ला1 - (पुं.) (तद्.<पटल) - 1. पहनी हुई साड़ी, धोती आदि का एक छोर, दामन, आँचल। जैसे: बच्चे माँ का पल्ला पकड़ते हैं। मुहा. (i) पल्ला छूटना-पीछा छूटना, परेशानी दूर होना। (ii) पल्ला झाड़ना-इनकार करना, सहयोग न करना। मेरे द्वारा मदद माँगने पर उसने पल्ला झाड़ दिया। (iii) पल्ले पड़ना-अनिच्छा से प्राप्‍त होना, मजबूरी, खराब चीज का मिलना। जैसे: यह खराब गाड़ी तो मेरे ही पल्ले पड़ी। (iv) पल्ले बाँधना-अपने या अन्य किसी को जिम्मेवारी देना। (v) पल्ले मढ़ना-ज़बरदस्ती उत्‍तरदायित्व देना।

पल्ला2 - (पुं.) - (फा. पल्ल:) 1. तराजू का एक पक्ष या पलड़ा। 2. दो परस्पर विरोधी दलों से एक पाला। मुहा. पल्ला भारी होना-पक्ष का मजबूर होना। जैसे: यहाँ स्थानीय चुनाव में एक निर्दलीय का पल्ला भारी है। पल्ला/पाला बदलना-पक्ष बदलना, रुख बदलना।

पल्लू - (पुं.) (देश.) - कपड़े का छोर (विशेष रूप से महिलाओं की साड़ी का छोर जिससे वे अपना सिर ढकती हैं।) उदा. नवविवाहिता ने पल्लू से सिर ढककर अपने सास-ससुर के चरण-स्पर्श किए।

पल्सपोलियो - (पुं.) - (अं.) पोलियो नामक रोग की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा चलाया गया एक अभियान जिसके अंतर्गत पाँच वर्ष तक के बालक-बालिकाओं को समय-समय पर पोलियो का टीका लगाया जाता है। यह टीका औषधि की बूँदों के रूप में बच्चों को पिलाया जाता है।

पवन - (पुं.) (तत्.) - प्राकृतिक रूप से गतिशील वायु। Wind

पवन-ऊर्जा - (स्त्री.) (तत्.) - हवा की सहायता से प्राप्‍त ऊर्जा। wind energy टि. तीव्र गति से चलती हवाएँ पवन-चक्की को घुमाती हैं, जो बिजली पैदा करने के लिए जनरेटर से जुड़ी होती हैं।

पवन वेगमापी - (वि./पुं.) (तत्.) - प्राकृतिक रूप से बहने वाली हवा के वेग का मापन करने वाला उपकरण। Anemometer

पशुता - (स्त्री.) (तत्.) - पशु के गुणों और लक्षणों को प्रकट करने वाला भाव। पर्या. पशुत्व। उदा. उसने तुम्हारे साथ पशुता का जो व्यवहार किया वह मुझे अच्छा नहीं लगा।

पशुत्व - (पुं.) (तत्.) - दे. ‘पशुता’।

पशुधन [पशु+धन] - (पुं.) (तत्.) - आर्थिक उत्पादन के रूप में उपयोगी पशु (संरक्षण व पालन की दृष्‍टि से) 1. पशुरूपी धन। 2. ढोर, मवेशी। उदा. कुछ लोगों की जीविका का साधन पशुधन ही होता है।

पशुपालक [पशु+पालक] - (पुं.) (तत्.) - 1. पशुओं को पालकर आजीविका चलाने वाला। 2. पशुओं को पालने वाला। दे. ‘पशु पालन’।

पशुपालन [पशु+पालन] - (पुं.) (तत्.) - पशुओं को पालने, उनकी देखभाल करने तथा उनकी अभिवृद् धि के लिए आवश्यक परिस्थितियों का निर्माण करने की विद्या ओर व्यवसाय दोनों ही। animal hasbandary, cattle breeding

पशुवत् क्रि. - (वि.) (तत्.) - 1. जानवरों की तरह (अशिष्‍टता के संदर्भ में) पशु के समान, पशुओं जैसा। जैसे: पशुवत् मत खाओ। 2. शिकारी पशुओं जैसा निर्दय व्यवहार। जैसे: वह अपने नौकरों के साथ पशुवत् व्यवहार करता था।

पश्‍च - (वि.) (तत्.) - 1. पीछे का, पिछला। 2. जिसका उच्चारण जीभ के पिछले भाग से होता है। जैसे: पश्‍चस्वर। (उ, ऊ, ओ, अर)

पश्‍चगति - (स्त्री.) (तत्.) - पीछे की ओर जाने की स्थिति, अवस्था अथवा भाव।

पश्‍चगामी - (वि.) (तत्.) - पीछे की ओर जाने या देखने वाला। उदा. व्यक्‍ति को चाहिए कि वह पश्‍चगामी होने के बजाय अग्रगामी बने।

पश्‍चात् - (अव्य.) (तत्.) - व्यु.अर्थ पश्‍च-पीछे, पीठ। तु. पश्‍चिम। पश्‍चात्-पीछे से। सा.अर्थ बाद में, अनंतर, अंत में।

पश्‍चाताप [पश्‍चात्+ताप] - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ बाद में होने वाला कष्‍ट। सा.अर्थ कोई अनुचित कार्य करके बाद में उसके लिए पहले मन-ही-मन दु:खी होना, फिर उसके निवारण के लिए कोई उपचार करना। पर्या. पछतावा। उदा. उसने गुस्से में छोटे भाई को पीट तो दिया पर बाद में उसे इस बात पर पश्‍चाताप हुआ। तब उसने भाई को पुचकारा और उससे माफी माँगी।

पश्मीना - (पुं.) (.फा.) - कश्मीरी (लद् दाखी) और तिब्बती भेड़ों से प्राप्‍त उत्‍तम किस्म की ऊन और उससे बना कपड़ा। उदा. मेरी माताजी ने एक पश्मीना शॉल पसंद की, पर बहुत महँगी होने से उन्होंने उसे नहीं खरीदा।

पसंद - (स्त्री.) (.फा.) - 1. मन को अच्छा लगने का भाव, रूचि। उदा. अपनी-अपनी पंसद बताओ। 2. वि. फा. समस्त पद में उत्‍तरपद के रूप में प्रयुक्‍त होने पर। जैसे: मनपसंद-मन को पसंद आने वाला/वाली। उदा. तुम्हारी मनपसंद मिठाई कौन सी है? पर्या. पसंदीदा। विलो. नापसंद।

पसंदीदा - (वि.) (.फा.) - पसंद किया हुआ, मन को अच्छा लगने वाला, रूचिकर। उदा. तुम्हारी पसंदीदा मिठाई कौन सी है? पर्या. मनपसंद।

पसली - (स्त्री.) ([तद्<पर्शुका]) - रीढ़ की हड्डी से जुड़ी और छाती को आगे से घेरने वाली घुमावदार हड्डियों के बारह जोड़ों में से कोई भी हड्डी। rib बहु. पसलियाँ ribs

पसारना स.क्रि. - (तद्<प्रसारण) - फैलाना, दायरा बढ़ाना। जैसे: 1. बिस्तर पर पैर पसारना। 2. किसी के आगे हाथ पसारना। उदा. वह तो हमारी ज़मीन की ओर अपने पैर पसार रहा है।

पसीजना अ.क्रि. - (देश.) - 1. अधिक ताप या गर्मी के कारण ठोस वस्तु का द्रव में बदलने लगना। पर्या.पिघलना। उदा. पत्‍थर से पानी पसीजना। 2. किसी का दु:ख देखकर मन में दया का भाव उत्पन्न होना। उदा. उसकी गरीबी देखकर मेरा दिल पसीज गया।

पसोपेश - (पुं.) (फा.) - किसी कार्य के करने से मन में उत्पन्न हुई दुविधा या असमंजस की स्थिति। उदा. मैं इसी पसोपेश में हूँ कि नौकरी करूँ या व्यापार।

पस्त - (वि.) (फा.) - मूल अर्थ. लघु, छोटा; अधम, नीच। हिंदी में अर्थ थका हुआ, शिथिल, हतोत्‍साहित। टि. हिंदी में यह अर्थ ‘पस्तहिम्मत’ या ‘पस्तहौसला’ से विकसित हुआ जान पड़ता है। अ.क्रि. पस्त होना-पूरी तरह से थक जना, शिथिल हो जाना।

पहचान - (स्त्री.) (तद्.<प्रत्यभिज्ञान/ देश.) - 1. पहले देखी, सुनी या जानी हुई वस्तु या व्यक्‍ति को पुन: देखने पर उसे उसी रूप में जानने-समझने का भाव। जैसे: किसी ने गैंडे का चित्र देखा है। चिड़ियाघर में उसे देखकर यह जान लेना कि यह गैंडा ही है जिसका चित्र मैंने देखा था। 2. परख। उदा. मुझे अच्छे फलों की पहचान नहीं है। 3. परिचय। उदा. मेरी उसकी जान-पहचान पुरानी है। 4. कोई विशिष्‍ट चिह् न, निशान या गुण आदि जिससे वस्तु आदि का ज्ञान हो। उदा. सूँड ही हाथी की पहचान है।

पहचान-चिह्न - (पुं.) (तद्.+ तत्.) - व्यक्‍ति के जन्म- चिह् न या शरीर पर लगी चोट आदि का स्थायी निशान जिससे उसकी शिनाख्त (पहचान) हो सके। identification mark

पहचानपत्र - (पुं.) (तद्+ तत्.) - संबंधित संस्था द्वारा जारी किया गया पहचान कार्ड जिस पर व्यक्‍ति का चित्र (फोटो) और जन्मतारीख के साथ-साथ अन्य मोटी-मोटी जानकारियाँ भी दी गई होती हैं। पर्या. अभिज्ञान पत्र। identification mark

पहनना स.क्रि. - (तद्.>परिधान) - किसी वस्त्र या आभूषण आदि को शरीर में धारण करना। जैसे: (i) कुर्ता-धोती पहनना। (ii) किसी स्त्री का साड़ी पहनना या गले में हार पहनना।

पहनाना - - स.क्रि. (प्रेर.<पहनना) माँ शिशु को उसके कपड़े पहनाती है।

पहनावा पुं - (तद्.) - 1. शरीर में पहनने के मुख्य वस्त्र। पोशाक dress 2. विशेष स्थान या समाज में सामान्य रूप से अथवा परंपरा के अनुसार पहने जाने वाले कपड़े। जैसे: राजस्थान व बंगाल के लोगों का पहनावा भिन्न प्रकार का है। टि. कई बार पहनावा भी पहचान का साधन बन जाता है।

पहर - (पुं.) (तद्.<प्रहर) - 1. पूरे दिन-रात (24 घंटे) का आठवाँ भाग (पूरे दिन रात में आठ पहर) होते हैं, तीन घंटे का समय। जैसे: दोपहर, चौथा पहर। पर्या. याम (आठहु याम यही झक तेरे)

पहरा - (पुं.) (तद्.>प्रहर) - 1. रक्षा, रखवाली, उचित ढंग से देखरेख। जैसे-बड़े अधिकारियों या कार्यालयों आदि में हर समय पहरा रहता है। 2. रक्षकों का समूह। जैसे: पुलिस ने उसके घर पहरा बिठा दिया है। 3. चौकसी, चौकी। 4. चौकीदार की गश्त या फेरा।

पहरेदार - (पुं.) (तद्.पहरा+फा. दार) - पहरा देने वाला, नियत कालिक नौकरीपेशा व्यक्‍ति जो किसी स्थान विशेष की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है। पर्या. चौकीदार, रखवाल Guard

पहरेदारी - (स्त्री.) (तद्.पहरा+फा.दारी) - 1. पहरा देने का कार्य, 2. पहरा देने के लिए दिया गया पारिश्रमिक। दे. पहरा, ‘पहरेदार’।

पहल - (स्त्री.) - (.फा) (पहल करना अ.क्रि.) किसी काम को आगे बढक़र शुरू करना ताकि दूसरे भी उससे जुड़ने के लिए प्रेरित हों। उदा. अगर आप पहल न करते तो यह काम शुरू ही न होता।

पहलू - (पुं.) (फा.) - 1. शरीर का दायाँ या बायाँ भाग, करवट। उदा. वह पहलू बदलकर सो गया। 2. किसी विषय के कई पक्षों में से कोई भी पक्ष, दृष्‍टिकोण। उदा. चुनाव में उम्मीदवार को वोट देने से पहले मैं सभी पहलुओं पर विचार कर लेता हूँ।

पहाड़ - (पुं.) (तद्.पाषाण) - भूमि का ऊँचा ऊपर से नुकीला तथा ऊबड़-खाबड़ चट् टानों, वृक्षों आदि से युक्‍त प्राकृतिक भाग, पर्वत। जैसे: विंध्या पर्वत, अरावली पर्वत। मुहा. 1. पहाड़ टूट पड़ना-अचानक भारी विपत्‍ति आ पड़ना। 2. पहाड़ उठाना-भारी काम की जिम्मेवारी अपने ऊपर लेना।

पहाड़ा - (पुं.) ([तद्.<प्रस्तार] ) - किसी संख्या की गुणन-सूची। table उदा. आठ का पहाड़ा याद करो।

पहाड़ी - (स्त्री.) (वि.) - (पहाड़+ई प्रत्य.) 1. पहाड़ संबंधी, 2. छोटा पहाड़। पहाड़ का निवासी।

पहुँच - (स्त्री.) (तद्.) - 1. पैठ, दखल। उदा. उसकी पहुँच बड़े-बड़ों तक है। देश. रसीद प्राप्‍त होने की सूचना। उदा. मेरे पत्र की पहुँच शीघ्र भेजना।

पहुँचना अ.क्रि. - (तद्.) - 1. किसी व्यक्‍ति, वस्तु या विचार का एक स्थान या बिंदु से चलकर शुरू होकर दूसरे स्थान या बिंदु पर ठहरना या स्थिर होना। उदा. 1. तुम दिल्ली कब पहुँचे? 2. बताओ, तुम किस निर्णय पर पहुँचे। 2. किसी ऊँचे पद को प्राप्‍त करना। उदा. उसने अपनी नौकरी लिपिक के पद से शुरू की और निदेशक तक पहुँच गया। 3. भेजी हुई सामग्री पाने वाले को प्राप्‍त होना। उदा. जब मेरा पत्र तुम तक पहुँच जाए तब मुझे खबर करना।

पहुँचा - (पुं.) (तद्.) - 1. हथेली और कुहनी के बीच का हथेली से लगा भाग। मणिबंध, कलाई। उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना-किसी को अपने अनुकूल समझकर अपनी स्वार्थसिद् धि के लिए उसे और अधिक प्रयोग करना। अ.क्रि. पहुँचना क्रिया का भूतकालिक रूप।

पहेली - (स्त्री.) (तद्.) - वह मनोरंजक काव्य-विधा जिसमें किसी कथन को गूढ़ प्रश्‍न के रूप में प्रस्तुत कर श्रोता से उसका उत्‍तर पूछा जाता है और श्रोता को उसका उत्‍तर बूझने में काफी बौद् धिक श्रम करना पड़ता है। जैसे: ”एक थाल मोती से भरा/सबके सिर पर औंधा धरा/चारों ओर वह थाली फिरे/मोती उससे एक न गिरे/बताओ क्‍या? (उत्‍तर-आसमान) मुहा. पहेलियाँ बुझाना-इस रूप में बात कहना जो सामान्य रूप से जल्दी समझ में न आए।

पाँख - (पुं.) (तद्.<पंख) - पक्षियों, कीड़ों आदि का वह अंश जिसकी सहायता से उड़ते हैं। पर्या. पंख, पर, डैना।

पांडित्य - (पुं.) (तत्.) - 1. पंडित होने का गुण। पर्या. विद्वत्‍ता। उदा. उनके पांडित्य से सभी प्रभावित हैं। 2. पौरोहित्य कर्म। पर्या. पंडिताई।

पांडु रोग - (पुं.) (तत्.) - पांडु वि. पीलापन लिए हुए सफेद रंग का। पांडु रोग, रोग जिसमें रक्‍त के दूषित हो जाने से त्वचा का रंग पीतवर्णी (पीला सा) हो जाता है। पर्या. पीलिया। Jaundice, Icterus

पांडुलिपि - (स्त्री.) (तत्.) - व्यु.अर्थ किसी ग्रंथ की हस्तलिखित पहली प्रति या उसकी प्राथमिक प्रतिलिपि जो समय के कारण हलकी पीली (पांडु) या फीकी पड़ गई हो। सा.अर्थ प्रकाश के लिए प्रस्तुत किसी ग्रंथ की हस्तलिखित या टंकित प्रति। manuscript

पाँत - (स्त्री.) (तद्<पाँति पंक्‍ति) - 1. पंक्‍ति, रेखा, क़तार। जैसे: साधू पाँत में बैठकर भोजन करते हैं। 2. परंपरा। उदा. जाति-पाँत पूछे नहि कोई। हरि को भजै सो हरि का होई।। 2. समूह। उदा. हंसों की नहिं पाँत।

पाँव - (पुं.) (तद्.<पाद) - टाँक का टखने से नीचे का सपाट हिस्सा जिसकी सहायता से प्राणी धरती पर खड़े होते और चलते हैं। पर्या. पैर, चरण। foot

पाँवड़ा - (पुं.) (देश.) - पैरों के नीचे का आसन। सा.अर्थ वह लंबी पट्टी जो किसी अति महत्वपूर्ण व्यक्‍ति या पूज्य आगंतुक के मार्ग में बिछाई जाती है। red carpet जैसे: पलक पाँवड़े बिछाना।

पाक कला - (स्त्री.) (तत्.) - विविध प्रकार के पौष्‍टिक एवं स्वादिष्‍ट भोजन बनाने की कला। उदा. वह पाककला में अत्यंत निपुण हैं।

पाक1 - (पुं.) (तत्.) - पकना, पकाना। जैसे: पाककला, पाकशास्त्र।

पाक2 - (वि.) (.फा.) - पवित्र, शुद् ध; निर्दोष। 1. उदा. उसका चरित्र बहुत पाक है।; पाकिस्तान। 2. वह इस मामले में पूरी तरह पाक है।

पाखंड - (पुं.) (तत्.) - वास्तविकता से दूर, दिखावे-भर के लिए किया जाने वाला व्यवहार। पर्या. आडंबर, ढोंग, छद् म। उदा. कुछ लोग सहायता का पाखंड रचकर दूसरों को दबाते हैं।

पाखंडी - (वि./पुं.) (तद्.) - पाखंड करने वाला, दिखावा करने वाला (व्यक्‍ति)

पाखी - (पुं.) (तद्.<पक्षी) - बोलियों में प्रयुक्‍त शब्द जिसके पंख हों, जो उड़ सके। पर्या. पक्षी, चिड़िया।

पागल - (वि./पुं.) (तत्.) - 1. मानसिक दृष्‍टि से अस्वस्थ (व्यक्‍ति)। ला.अर्थ क्रोध आदि में दिमागी संतुलन खो देने वाला (व्यक्‍ति), विक्षिप्‍त, सनकी। 2. मूर्ख, नासमझ।

पागलखाना - (पुं.) (तत्.फा.) - वह आवासीय केंद्र जहाँ पागलों को रखा जाता है और उनका इलाज भी किया जाता है। पर्या. मानसिक चिकित्सालय।

पाचक ग्रंथि - (स्त्री.) (तत्.) - प्राणियों में भोजन को पचाने वाला एन्जाइम-युक्‍त स्राव उत्पन्न करने वाली ग्रंथियाँ। जैसे: लार-ग्रंथियाँ, जठर ग्रंथियाँ, अग्न्याशय आदि। Digestive gland

पाचक रस - (पुं.) (तत्.) - प्राणियों में पाचक ग्रंथियों से उत्पन्न होने वाला एन्जाइम युक्‍त स्राव जो भोजन को पचाने में योगदान करता है। लार, जठर तथा अग्न्याशय रस। दे. पाचक-ग्रंथि। digestive juice

पाचक - (वि.) (तत्.) - 1. पचाने वाला, 2. पकाने वाला। जैसे: पाचक रस; पाचक औषधि। पुं. 1. खाना बनाने वाला; रसोइया।

पाचन - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ पकाने या पचाने का भाव। आयु. ग्रहण किए हुए आहार का पाचनतंत्र के अंगों द्वारा शरीर की कोशिकाओं में अवशोषण के योग्य बनाए जाने की क्रिया। digestion पर्या. हाज़मा।

पाचन ग्रंथि - (स्त्री.) (तत्.) - भोजन को पचाने वाले एन्ज़ाइम-युक्‍त स्राव उत्पन्न करने वाली ग्रंथियाँ। जैसे: लार या लाल ग्रंथियाँ, जठर ग्रंथियाँ, अग्न्याशय आदि। digestive fland (s) दे. ‘पाचन’।

पाचन तंत्र - (पुं.) (तत्.) - मुँह से मलाशय तक फैला हुआ शरीर के अंदर के नलिकाओं, ग्रंथियों आदि का समूह जो भोजन को पचाने में तालमेल से काम करता है। पर्या. आहारतंत्र। digestive system

पाचन पथ - (पुं.) (तत्.) - digestive track दे. आहार नाल।

पाजी - (वि.) (फा.) - 1. दुष्‍ट, चालाक, बदमाश, धूर्त। 2. नीच, स्वभाव का अधम।

पाजीपन - (पुं.) (फा.) - पाजी होने का भाव, दुष्‍टता, शरारत।

पाट - (पुं.) (तद्.) - 1. जूट का बना फावड़ा। जैसे: रोम पाट पर अनगिनत जाटी। 2. जल का विस्तार (कपड़े की तरह का)। जैसे: नदी का पाट। 2. चक्की के ऊपर-नीचे के दो गोल पत्थर में से प्रत्येक (पाट) उदा. दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। (कबीर) 4. राजसिंहासन, गद् दी । उदा. इस संसार में बड़े-बड़ों का राजपाट गया, समय किसी का एक-सा नहीं रहता।

पाटना प्रे.क्रि. - (तद्.<पाटन) (दे.) - 1. किसी गड्ढे नींव आदि को मिट्टी, पत्थर आदि से इतना भरना कि वह समतल हो जाए। 2. कमरे की दीवारों के ऊपर छत बनाना। उदा. उनके घर की छत पाट दी गयी। 3. ला.अर्थ (i) किसी स्थान में किसी वस्तु का बड़ा ढेर लगा देना। जैसे: इस समय कश्मीरी शलों व सेबों से बाजार पाट दिया गया है। (ii) चुकाना, जैसे: उसने अपना पुराना ऋण पाट दिया। पटना।

पाटल - (पुं.) (तत्.) - दे. ‘गुलाब’।

पाटा - (स्त्री.) (तद्.<पट्ट) - 1. बैठने का लकड़ी से बना पीढ़ा, आसन। जैसे: विवाह के समय वर और कन्या ‘पाटा’ पर बैठते हैं। 2. वह आयताकार लकड़ी जिसकी सहायता से किसान जुते खेत की मिट् टी को समतल करता है। 3. राज मिस्त्री का वह उपकरण जिससे समतल पलस्तर किया जाता है। 4. पत्थर का वह टुकड़ा या लकड़ी का तख्ता जिस पर धोबी कपड़े धोता है।

पाठ - (पुं.) (तत्.) - पढ़ने से संबंधित काम। जैसे: काव्यपाठ। recition 1. पुस्तक का एक संख्याकित खंड lesson 2. धार्मिक ग्रंथ का नियमित पठन। 3. मूल विवेच्य विषय text 4. मूल का भाषांतरित रूप। जैसे: हिंदी पाठ version

पाठक - (पुं.) (तत्.) - पढ़ने वाला; पाठ करने वाला। दे. ‘पाठ’।

पाठशाला - (स्त्री.) (तत्.) - बहुत से छात्रों के (विशेष रूप से प्राथमिक स्तर के बालकों के) साथ-साथ पढ़ने का स्थान या भवन। school तु. विद्यालय, महाविद्यालय।

पाठी - (वि.) (तत्.) - पढ़ने वाला (समस्तपद के उत्‍तर पद के रूप में); पाठ करने वाला। जैसे: 1. वेदपाठी-वेदपाठ करने वाला। 2. सहपाठी=साथ पढ़ने वाला।

पाठ्य पुस्तक - (स्त्री.) (तत्.) - वह विषयवार पुस्तक जो विद्यालय में छात्रों/विद् यार्थियों को नियमित रूप से पढ़ाई जाती है। text book

पाड़ा - (पुं.) (तद्<पाटक) - 1. नगर या गाँव का मुहल्ला, टोला। जैसे: जाटपाड़ा, धोबीपाड़ा आदि। 2. खेती की सीमा रेखा/हद। 3. पुं. देश. भैंस का नर बच्चा, पड़रा। स्त्री. पड़िया।

पात - (पुं.) (तत्.) - 1. पौधे की शाखा पर उगा हुआ हरा, चपटा, चौड़ा पतला भाग, (जिसका कार्य प्रकाश संश्‍लेषण और वाष्पोत्सर्जन है।) पर्या. पत्र, पर्ण, पत्‍ता।

पातक - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ गिरा देने वाला या पतन का कारण बनने वाला कार्य। पर्या.पाप, गुनाह। विलो.पुण्य।

पातकी - (वि./पुं.) (तत्.) - पतन के मार्ग पर चलने वाला; पातक का दोषी। पर्या. पापी, पापाचारी, गुनहगार।

पाताल - (पुं.) (तत्.) - पृथ्वी के नीचे के सात लोकों में से सबसे नीचे का लोक (अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल, पाताल) मुहा. पाताल में होना-बहुत नीचे या गहराई में होना। उदा. यह कुआँ तो पातालतोड़ है।

पाती - (वि.) (तत्.) - जो गिरता/गिरती हो, गिरने वाला/वाली; गिराने वाला। स्त्री. (पत्र) 1. चिटठी, पत्री। 2. पत्‍ता, 3. मर्यादा, लज्जा, प्रतिष्‍ठा।

पात्र - (पुं.) (तत्.) - 1. बरतन जिसमें कुड रखा जा सके। जैसे: जलपात्र। 2. योग्य, उपयुक्‍त (व्यक्‍ति)। उदा. वे सम्मान के पात्र हैं। 3. अभिनय करने वाला/वाली। उदा. इस नाटक में कुल छह पात्र हैं। actor 4. किसी कहानी-उपन्यास आदि में वर्णित व्यक्‍ति। charector

पात्रे निषेचन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पात्र में निषेचन। जीव.आयु. निषेचन की क्रिया का मादा शरीर के अंदर न होकर किसी भी पात्र (जैसे: टेस्ट ट्यूब आदि) में कराया जाना। invitro fertilization दे. ‘निषेचन’, ‘आंतरिक’ एवं ‘बाह् य निषेचन’।

पात्रेनिषेचन - (पुं.) (तत्.) - अंडाणु और शुक्राणु को गर्भाशय से बाहर किसी उपयुक्‍त माध्यम में कुछ समय तक रखकर कृत्रिम निषेचन करने का कार्य। invitro fertilization (IVF)

पाथेय - (पुं.) (तत्.) - यात्रा के दौरान यानी मार्ग (पथ) में साथ रखा जाने वाला भोज्य पदार्थ, मार्ग का भोजन। उदा. लंबी यात्रा करते समय सदा अपना पाथेय लेकर चलना चाहिए।

पाद1 - (पुं.) (तत्.) - 1. पैर, चरण, पाँव। जैसे: विष्णुपाद, सतीपाद। 2. किसी ग्रंथ या किसी भी वस्तु का चतुर्थांश। जैसे: अष्‍टाध्यायी का पहला पाद। 3. पुराने समय में प्रचलित एक पैर की माप जो लगभग बारह अंगुल की होती थी। (लगभग 22 सेमी.) 4. श्‍लोक/पद्य का चौथाई भाग। श्‍लोक या पद्य में चार पाद होते हैं।

पाद2 - (पुं.) (तत्.<पर्द) - 1. गुदा मार्ग से निकलने वाली पेट की बदबूदार हवा gas, अपानवायु, अधोवायु। टि. जब अधिक आवाज करती हुई यह अपानवायु निकलती है तो इसे ‘पादना’ या ‘पाद निकालना’ कहा जाता है जिसे सामाजिक रूप से अशिष्‍टता माना जाता है।

पादप - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पाद-पैरों से (यानी अपनी जड़ों से) +प-पीने वाला। वन.वह सजीव प्राणी (वस्तु) जो अपनी जड़ों से जल और पोषक तत् व ग्रहण करता है तथा अपनी पत्‍तियों में ही प्रकाश-संश्‍लेषण द्वारा भोजन तैयार करता है। plant टि. पादप शब्द ही समस्त वनस्पति (पेड़- पौधे, लताएँ, जड़ी-बूटियों) का सूचक है।

पादप अवशिष्‍ट - (वि./पुं.) (तत्.) - पेड़-पौधों का बचा हुआ अनुपयोगी भाग। दे. ‘अवशिष्‍ट’। plant residue

पादप जगत् - (पुं.) (तत्.) - वह जगत (समूह) जिसमें सभी प्रकार के पादप/पौधे सम्मिलित हैं। पर्या. वनस्पति जगत्। plant kindgom flora तु. प्राणिजगत/जंतुजगत।

पादप-पोषक - (वि.) (तत्.) - वनस्पति (पौधों) को पुष्‍ट करने वाले तत् व/पदार्थ। जैसे: जल, रासायनिक खाद, धूप आदि।

पादपालय (पादप+आलय) - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पादपों (पेड़-पौधों आदि) का घर/कक्ष/भवन। दे. हर्बेरियम।

पादरी - (पुं.) - (पुर्त.<पैड्रे) ईसाईयों का धर्मगुरू या पुरोहित जो ईसाईयों के संस्कार और अनुष्‍ठान आदि संपन्न कराता है। जो हर चर्च में नियुक्‍त होता है। टि. इनका सर्वोच्च धर्मगुरू 'पोप' कहलाता है।

पादाभ [पादप+आभ] (मध्यम पद लोप से निर्मित शब्द) - (पुं.) (तत्.) - एक कोशिक जीव जैसे अमीबा के मुख्य शरीर से बाहर की ओर उभरने वाला भाग, जो भोजन लेते समय बन जाता है तथा बाद में पूर्ववत् अवस्था में आ जाता है; एक प्रकार का प्रवर्ध।

पान1 - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी द्रव पदार्थ के पीने की क्रिया या भाव। जैसे: दुग्धपान। 2. पीने का तल पदार्थ, पेय द्रव्य। जैसे: पान इत्यादि की व्यवस्था भरपूर है।

पान2 - (पुं.) (तद्.<पर्ण) - 1. पत्‍ता, 2. एक विशेष लता का पत्‍ता जिस पर कत्था, चूना लगाकर तथा उसमें सौंफ, सुपाड़ी, लौंग, इलाइची इत्यादि डालकर खाई जाती है। पर्या. नारावल्ली, तांबूल। 3. उक्‍त प्रकार से लगा हुआ पान का बीड़ा जिसे लौंग आदि से बंद कर तथा उस पर चाँदी/सोने का वर्क लिपटाया गया हो। पर्या. गिलौरी, बीड़ा। टि. यह शिष्‍टाचार की भेंट का प्रतीक माना जाता है। उदा. आदर सहित पान कर दीन्हो। (सूरसागर 10/829)

पानी - (पुं.) (तद्.<पानीय) - 1. वर्षा, नदी या पृथ्वी के अंदर से निकलने वाला द्रव जो पीने, नहाने, स्वच्छता आदि के काम आता है। 2. जीभ, आँख, घाव आदि से रिसने वाला तरल पदार्थ। ला.अर्थ (i) चमक, कांति, आभा। (ii) मान, प्रतिष्‍ठा। (iii) हथियारों की धार। 3. हाथ-करहुँ प्रनाम जोरि जुग पानी। (पाणि) मुहा. (i) पानी देना-सींचना (ii). तर्पण करना, पितरों को जल चढ़ाना। पानी में आग लगाना-असंभव को संभव करने का प्रयत्‍न करना।, शांत स्थिति में अशांति उत्पन्न करना। मुँह में पानी आना-किसी वस्तु का लोभ (लालच) होना। पानी उतरना/मरना-(i) कांतिहीन होना। (ii) सम्मान/प्रतिष्‍ठा खो देना। पानी उतारना-अपमानित/बेइज्जत करना। पानी माँगना-हार मान लेना। पानी तक न माँगना- तत् काल मृत्यु हो जाना। पानी-पानी होना/करना-लज्जित होना/करना। पानी पी-पीकर कोसना-लंबें समय तक (बीच-बीच में रूककर) कोसते रहना। पानी भरना-(अन्य के मूल्यवान कामों की तुलना में) निम्नसार में काम करना।

पाप - (पुं.) (तत्.) - 1. (लोक मान्यता के अनुसार) वे बुरे कर्म जिनका परिणाम बाद में भुगतना पड़े। पर्या. पातक। 2. ऐसे कर्मों का फल। मुहा. पाप उदय होना-पिछले जन्म के पापों का मिलना। पाप कटना-पाप का नाश होना, कोई झंझट समाप्‍त होना। विलो. पुण्य।

पाबंद - (वि.) (फा.) - नियम, समय आदि का पालन करने वाला। जैसे: समय का पाबंद।

पाबंदी - (स्त्री.) (फा.) - 1. नियम बद् धता की स्थिति। जैसे: समय की पाबंदी। 2. रूकावट, प्रतिबंध। उदा. गांधी जयंती के दिन शराब पीने पर पाबंदी होती है।

पायदान - (पुं.) (फा.>पाएदान) - 1. बस, रेल आदि वाहनों में लगा तख्ता जिस पर यात्री पैर रखकर चढ़ते हैं। जैसे: कृपया पायदान पर यात्रा न करें। 2. घरों में प्रयुक्‍त पाँव साफ करने का कपड़ा या चौकोर कालीन जैसा टुकड़ा।

पायल - (स्त्री.) (तद्.पादपाल) - स्त्रियों के पैर में पहनने का चाँदी का एक आभूषण जिसमें छोटे घुंघरू लगे होते हैं, पायजेब। जैसे: पायल की झंकार बहुत मीठी होती है।

पाया - (पुं.) (तद्.पाद) - 1. पलंग, चौकी, चारपाई आदि के किनारों पर लगे/जुड़े पैरों जैसे कलात्मक डंडे जिनके सहारे वह ढाँचा जमीन पर टिका रहता है।

पारंगत (पारम/गत) - (वि.) (तत्.) - व्यु.अर्थ पार गया हुआ। सा.अर्थ (व्यक्‍ति) जिसने किसी शास्त्र का गहन अध्ययन कर लिया हो, विद्वान।

पारंपरिक [परंपरा+इक] - (वि.) (तत्.) - परपंरा से चला आया हुआ। दे. ‘परंपरा’।

पार - (पुं.) (तत्.) - किसी दृष्‍ट (दिखाई पड़ने वाली वस्तु) जैसे: नदी, तालाब, झील, समुद्र, भूमि, सीमा आदि का द्रष्‍टा (देखने वाला) किनारा। जैसे: नदी पार, सीमापार। मुहा. 1. पार उतरना-दूसरी ओर जाना। ला.अर्थ किसी कार्य का पूरी तरह संपन्न होना। 2. पार लगाना-दूसरी ओर पहुँचाना। ला.अर्थ कार्य समाप्‍त करने में मदद करना; उद् धार करना। 3. पार पाना-किसी को परास्त करना। ला.अर्थ परिश्रमपूर्वक काम पूरा करके सफल होना।

पारखी - (वि.) (तद्.) - परख या पहचान करने वाला, परखने की योग्यता रखने वाला। जैसे: रत्‍नों का पारखी।

पारगमन - (पुं.) (तत्.) - पार जाने का कार्य, पार जाना। परि. गंतव्य तक पहुँचने के लिए बीच के किसी स्थान को पार करना। transit भौ. ऊर्जा का किसी माध्यम में प्रवेश कर दूसरी ओर निकल आना। transmission

पारगम्यता - (स्त्री.) (तत्.) - जिसमें से किसी तरल, गैस आदि पदार्थ के छनकर निकलने की क्षमता हो। permeability, permeable

पारण [पार+न] - (पुं.) (तत्.) - किसी प्रस्ताव या विधेयक के प्रारूप का संस्था के सदस्यों द् वारा चर्चा के बाद स्वीकृत कर लेने की प्रक्रिया। passing

पारदर्शक - (वि.) (तत्.) - भौ. (वह पदार्थ) जिसके बीच में होने पर भी आर-पार की वस्तुएँ स्पष्‍ट देखी जा सकती है। जैसे: काँच transparent

पारदर्शी - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ पार की वस्तु दिखलाने वाला। तक.अर्थ फिल्म का वह टुकड़ा जिस पर अंकित चित्र या लिखित अंश को प्रकाश के माध्यम से पर्दे पर प्रक्षेपित किए जाने पर बड़े आकार में देखा या पढ़ा जा सकता है। transparency

पारपत्र - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पार करने/पार जाने का पत्र, देश की सीमा को पार करने का अनुमति पत्र। राज. केंद्र सरकार द्वारा अपने देश के नागरिकों को मांगने पर जारी किया जाने वाला पहचान-पत्र जो उसे विदेश यात्रा पर जाने और वहाँ से लौटने की अनुमति प्रदान करता है। passport

पारस - (पुं.) (तद्<स्पर्श) - वह काला पत्थर जिसके बारे में माना जाता है कि उसके स्पर्श मात्र से लोहा सोना बन जाता है।, पारसमणि philosphers stone उदा. पारस परिस कुधातु सुहाई। (तुलसी-रामचरित मानस)

पारसी - (वि.) (देश.) - 1. मूलत: फारस से निकले और पीढ़ियों पूर्व भारत में आकर बसे निवासी, जो पारसी धर्म को मानते हैं तथा अग्निपूजा में विश्‍वास रखते हैं; महात्मा जरथुस्र के अनुयायी। 2. पारस देश से संबंधित।

पारावार [पार+अवार] - (पुं.) (तत्.) - इधर का किनारा और उधर का भी, दोनों किनारे, दोनों तट (पास का और दूर का भी)। उदा.-ईश्‍वर की महिमा का पारावार नहीं।

पारिजात - (पुं.) (तत्.) - पुराणानुसार समुद्र मंथन से प्राप्‍त चौदह रत्‍नों में वृक्ष रूप एक रत्‍न जो इंद्र के स्वामित्व में आया और नंदन वन में रोपा गया।

पारितंत्र - (पुं.) (तत्.) - परितंत्र से संबंधित सारी वस्तुएँ और स्थितियाँ। जीव. किसी क्षेत्र या स्थान विशेष के जीवों और उसके भौतिक पर्यावरण की मिली-जुली इकाई।

पारित [पारण+इत] - (वि.) (तत्.) - विधि.वह प्रस्ताव या विधेयक जो विधिपूर्वक किसी संस्था द्वारा स्वीकृत कर लिया गया हो। passed

पारितोषिक [परितोष+इक] - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी को उसके उल्लेखनीय कार्य, गुण आदि के लिए प्रसन्नतापूवर्क दिया जाने वाला इनाम। पर्या.पुरस्कार prize, reward। उदा. आज विद्यालय में मंडलीयस्तर की अंत्याक्षरी प्रतियोगिता के विजयी छात्रों को पारितोषिक रूप में नकद पुरस्कार और पुस्तकें दी गईं।

पारिश्रमिक [परिश्रम+इक] - (पुं.) (तत्.) - मुख्यत: शारीरिक और गौणत: बौद्धिक परिश्रम के काम के बदले में मिलने वाला धन। (जो फुटकर काम के लिए हो सकता है और नियमित काम के लिए भी) पर्या. मजदूरी, मेहनताना। wages, remuneration तु. वेतन, मानदेय।

पारिस्थितिकी [परिस्थिति+इक+ई] - (स्त्री.) (तत्.) - जीव विज्ञान की शाखा जिसमें जीव की अपने परिवेश के सजीव और निर्जीव घटकों के साथ होने वाली अन्योन्य (परस्पर) क्रिया का अध्ययन किया जाता है। पर्या. परिस्थिति विज्ञान। ecology

पारिस्थितिकीविद् - (पुं.) (तत्.) - पारिस्थितिकी का विशेषज्ञ/विद् वान। ecologist दे. ‘पारिस्थितिका’।

पार्टी-चिह्न - (पुं.) (अं.तत्.) - किसी भी राजनीतिक दल का वह दृश्य प्रतीक (जो चित्र के रूप में होता है।) जिसे देखकर अनपढ़ लोग भी जिस दल के उम्मीदवार को वोट देना है उसे पहचान सकें। जैसे: हाथ का पंजा (कांग्रेस), कमल (भाजपा), हाथी(बसपा) इत्यादि।

पार्श्‍व - (पुं.) (तत्.) - किसी स्थूल वस्तु का दिखाई पड़ने वाला कोई भी किनारा, बगल, पास की जगह। जैसे: पार्श्‍वभाग, पार्श्‍वचित्र; पार्श्‍वगायक।

पार्श्‍वगायक (गायिका) - (पुं./स्त्री.) (तत्.) - फिल्म में नायक/नायिका के दृश्य-श्रव्य गाने को पर्दे के पीछे से गाने वाला/वाली; नायक/नायिका आदि को गला उधार देने वाला/वाली गायक/गायिका। playback singer

पार्श्‍विक - (वि.) (पुं.) - शा.अर्थ किनारे वाला। व्या. प्रयत्‍न के आधार पर वर्गीकृत वह व्यंजन जिसके उच्चारण में जिह् वा का मध्य भाग तो हवा को रोकता है लेकिन हवा जीभ के दोनों पार्श्‍वभागों से बराबर निकलती है। उदा. ल/व्यंजन। lateral consonant

पार्षद - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ परिषद् का सदस्य। तक.अर्थ-नगरपालिका या नगर निगम का निर्वाचित सदस्य। councier दे. ‘परिषद्’।

पाल - (पुं.) (देश.) - 1. नाव के मस्तूल के सहारे तना वह गाढ़ा कपड़ा जो हवा के बहने की दिशा में नाव को खेता है। जैसे: पालदार नौका। 2. ट्रक या गाड़ी में भरे माल को ढकने का कपड़ा। उदा. बरसात होने के कारण घर के आंगन में पाल बांध दिया गया है। 3. फलों को पकाने की पारंपरिक प्रक्रिया जिसमें कच्चे फलों को पत्‍तों या घास से ढककर रखा जाता है। जैसे: आम को पाल में लगाना। 4. (प्रत्यय) पालन करने वाला, नियंत्रण या रक्षा करने वाला। जैसे: राज्यपाल, डाकपाल, लेखापाल, द्वार पाल आदि।

पालकी - (स्त्री.) (तद्.<पल्यंक) - लकड़ी का बना वाहन जिसमें रानियों, नव-वधुओं, यात्रियों आदि के लिए बैठने का स्थान होता है और जिसे कहार कंधे पर उठाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं। पर्या. डोली, शिविका।

पालतू - (वि.) (तद्.<पालित) - पाला जाने वाला, पाला गया। घरेलू उपयोग में लाने के लिए (या शोभा के लिए भी) पाले जाने वाले (पशु या पक्षी)

पालथी - (स्त्री.) (तद्.<पर्यस्ति) - बैठने का एक प्रकार जिसमें दोनों पैरों को घुटने से मोड़कर दाँए और बाँए पंजों को क्रमश: बाईं और दाईं जाँघ के नीचे दबे रखते हैं यानी पालथी मारना। उदा. ‘योग’ पर भाषण सुनने हेतु सभी छात्र मैदान में पालथी मारकर बैठे हुए थे।

पालन-पोषण - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी को (नहला-धुलाकर, खिलाना-पिलाना आदि के रूप में) पालना-पोसना, भरण-पोषण। 2. लालन-पालन। जैसे: उसने एक अनाथ बच्चे का पालन-पोषण कर उसे शिक्षित बना दिया।

पालना - (पुं.) (तद्.<पल्यंक) - 1. (चल न सकने वाले) शिशुओं को झुलाकर सुलाने के काम आने वाला लटकता छोटे आकार का पलंगनुमा उपकरण। 2. स.क्रि. तत्. <पालन) दैनिक मूल आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए अपने या पराए मनुष्य अथवा पशु को जीवित रहने में सहायता करना, भरण-पोषण करना, आश्रय में लेना।

पाला - (पुं.) (तद्.<प्रालेय) - बादलों में रहने वाले जल-कण जो अत्यधिक सरदी के कारण पेड़-पौधों, फसलों पर पतली तह के रूप में फैल जाते हैं और उन्हें हानि पहुँचाते हैं। मुहा. पाला पड़ना-नष्‍ट हो जाना। मेरी आशाओं पर पाला पड़ गया। पर्या. तुषारापात (तुषार=पाला-पात) 2. व्यवहार सूचक संबंध, बरताव उदा. अभी तक तुम्हारा उससे पाला नहीं पड़ा है, पड़ेगा तब समझोगे। पुं. देश. दो प्रतियोगी पक्षों के खेल में किसी का भी खेल-क्षेत्र; पक्ष। जैसे: कबड्डी का पाला।

पालि - (स्त्री.) (तत्.) - 1. एक प्राचीन भाषा जो संस्कृत और प्राकृत के बीच की मानी जाती है तथा जिसमें अधिकतर बौद्ध ग्रंथ लिखे गए हैं। पर्या. पाली भाषा। 2. आयु. किसी अंग का लंबा गोल-सा प्रवर्ध। जैसे: कर्णपालि lobe

पाली/पारी - (स्त्री.) (तद्.<पालि) - 1. प्राचीन काल की एक भारतीय भाषा जो संस्कृत से निकली थी। गौतमबुद्ध के उपदेश इसी भाषा में हैं। दे. पालि। 2. स्त्री. [देश.<पारी] कारखानो, कार्यालयों आदि मे कम करने की कुछ घंटो की अवधि। shift 3. पारी- क्रिकेट के खेल का एक भाग। innings

पालि। 2. - (स्त्री.) (देश.) - <पारी] कारखानों, कार्यालयों आदि में काम करने की कुछ घंटों की अवधि। shift 3. पारी-क्रिकेट के खेल का एक भाग। innings

पाव - (पुं.) (देश.) - एक प्रकार का खाद्य पदार्थ जिसे ओवन में पकाया जाता है। पर्या. पावरोटी। (ब्रेड)

पाव - (वि./पुं.) ([तद्<पाद]) - 1. किसी वस्तु का चौथाई भाग। 2. एक सेर का एक चौथाई भाग। (नाप) 3. एक किलो का चौथाई भाग 250 ग्राम। जैसे: वह बालक पाव भर दूध रोज पीता है।

पावक - (तत्.) (पुं.) - अग्नि, उदा. काह न पावक जारि सक (तुलसी-रामचरितमानस) (अग्नि किसको नहीं जला सकती) वि. पवित्र करने वाला। जैसे: जल जो संध्यावंदन से पहले स्थानपावक के रूप में यत्र- तत्र छिडक़ा जाता है।

पावन - (वि.) (तत्.) - पवित्र करने वाला; पवित्र, शुद्ध। उदा. 1. अब उनका पावन-चरित्र सुनिए। 2. पावन जल, पावनपर्व। विलो. अपावन।

पावभाजी - (स्त्री.) (देश.) - वह खाद्य पदार्थ जिसमें सब्जी के साथ खाने के लिए पावरोटी मिलती है।

पाश - (पुं.) (तत्.) - बाँधने के काम आने वाली रस्सी, जंजीर या बेड़ी, जाल आदि। पर्या. फॉस। जैसे: बाहुपाश, स्नेहपाश, मायापाश आदि।

पाशविकता [पाश्‍विक+ता] - (स्त्री.) (तत्.) - (हिसंक), पशुओं जैसा व्यवहार।

पाश्‍चात्य - (वि.) (तत्.) - पश्‍चिम दिशा से संबंधित; पश्‍चिमी देशों से संबंधित (यूरोप आदि देशों का) जैसे: पाश्‍चात्य संस्कृति, पाश्‍चात्य सभ्यता। विलो. पौर्वात्य, पौरस्त्य (अव्याकरणिक प्रयोग जो प्रचलन में है।)

पाश्‍विक (पाशव<पशु+इक) - (वि.) (तत्.) - पशुओं/जानवरों जैसा, हिंसक। ला.अर्थ. निर्मम।

पाषाणयुग - (पुं.) (तत्.) - वह प्रागैतिहासिक काल जब आदि मानव पत्थरों से निर्मित औजारों का उपयोग करता था। (स्टोन एज) उदा. पुरातत्त्वविद् मानव सभ्यता के विकास में पाषाणयुगीन संस्कृति की चर्चा करते हैं।

पाषाणहृदय - (वि.) (तत्.) - पत्थर की तरह कठोर हृदय वाला। पर्या. पत्थरदिल, निर्दयी, कठोर, क्रुर। उदा. वह पाषाण हृदय व्यक्‍ति है, उसे किसी की दैन्य दशा पर तरस नहीं आता। विलो. कोमल हृदय।

पास - (पुं.) - (अं.) 1. कहीं जाने की लिखित अनुमति, जैसे-किसी रेलयात्रा के लिए पास। 2. किसी विशेष कार्यक्रम में प्रवेश के लिए अधिकार पत्र या आज्ञापत्र।

पास होना अ.क्रि. [अं.+ - (तद्.) - 1. लेखा कार्यालय में वेतन, अवकाश, मेडिकल आदि बिलों का पारित या स्वीकृत होना। या संसद, विधानसभा आदि में कोई राजनैतिक या सामाजिक कानून पारित होना। 2. किसी कक्षा में उत्‍तीर्ण होना। जैसे: वह शास्त्री पास है। 3. किसी वस्तु, व्यक्‍ति, वाहन आदि का समीप से निकल जाना। जैसे: उस स्टेशन से कालका मेल पास हो गई। Pass

पास1 क्रि.वि. - (वि.) (तद्.<पार्श्‍व) - 1. नजदीक, निकट, समीप। जैसे: बालक माँ के पास गया। 2. अधिकार/कब्जे में। जैसे: उसके पास पचास बीघा खेत हैं।

पास2 क्रि.वि. - (वि.) (तद्.<पार्श्‍व) - 1. निकट, नज़दीक। जैसे: मेरे पास आओ। 2. अधिकार में। जैसे: वह पुस्तक मेरे पास है। पुं. 1. निकटता, जैसे: पास के मकान में जाओ ओर…….। 2. अधिकार, जैसे: अपने पास की पुस्तक दे रहा हूँ।

पास3 - (पुं.) (तद्.<पाश) - पाश, बंधन, जाल, फंदा आदि। जैसे: नागपाश, मोहपाश। टि. बोलियों में प्रयुक्‍त शब्द।

पास4 - (अं.) (वि.) - 1. कहीं जाने की अनुमति पत्र। 2. रेल आदि का वह अधिकारपत्र या आज्ञा-पत्र जिसे दिखाकर बेरोक-टोक यात्रा की जा सकती है। जैसे: रेलपास, बसपास। 1. पारित-संसद में वह विधेयक पास हो गया। 2. उत्‍तीर्ण-वह एम.ए. पास युवक है।

पासा - (पुं.) (तद्.<पाशक) - चौसर आदि खेलों में फेंका जाने वाला लकड़ी, हाथीदांत, प्लास्टिक आदि का टुकड़ा जिस पर एक से छह बिंदियाँ बनी होती हैं। dice मुहा. 1. पासा पलटना-भाग्य का पलटना। 2. पासा-सीधा पड़ना-भाग्य खुलना, जीत जाना। 3. पासा उलटा पड़ना-भाग्य उलट जाना, हार जाना। 4. पासा फेंकना-भाग्य की परीक्षा करना।

पास्तेरीकरण - (पुं.) - (संक पास्तर+करण) रसा.-लुई पास्तेर द्वारा विकसित दूध आदि भोज्य पदार्थों को रोगाणू रहित करने की विधि। pasteurization

पाहुना - (पुं.) (देश.) - घर में आने वाला मेहमान या अतिथि, जिसका स्वागत अपेक्षित होता है। उदा. हमारे घर पाहुने पधारे।

पाहुनी - (स्त्री.) (देश.) - 1. अतिथि स्त्री। 2. मेहमानदारी, अतिथि सत्कार।

पिंजड़ा/पिंजरा - (पुं.) (तद्.<पंजर) - सा.अर्थ धातु, बाँस की तीली आदि का बना हुआ ऐसा छोटा/बड़ा कटघरा जिसमें पशु-पक्षी पाले जाते हैं। ला.अर्थ ऐसा स्थान जहाँ से बाहर निकलना कठिन हो।

पिंजरबद्ध [पिंजर+बद्ध] - (वि.) (तत्.) - पिंजरे में बंधा हुआ या बंद। दे. पिंजड़ा, पिंजरा।

पिंड - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी ठोस वस्तु का प्राय: गोलाकार खंड या टुकड़ा। जैसे: गुड़़, धातु या मिट्टी का पिंड। 2. धर्म. जौ के आटे, भात आदि का वह गोलाकार खंड जो श्राद्ध के समय पित्‍तरों को चढ़ाया जाता है। मुहा. (i) पिंड देना- श्राद्ध करना। (ii) पिंड छुडाना-परेशान करने वाले से किसी तरह बचना।

पिंडज - (वि./पुं.) (तत्.) - पिंड के रूप में जन्मने वाला प्राणी दे. पर्या.जरायुज।

पिउ1 - (पुं.) - (अनु.) पपीहे के बोलने का मधुर शब्द। जैसे: पिऊ-पिऊ पपीहा बोले।

पिउ2 - (पुं.) (तद्.<प्रिय) - पति, जैसे: पिउ बसत परदेश। टि. सामान्यत: कविता में प्रयुक्‍त शब्द।

पिकनिक - (पुं.) - (अं.) 1. लोगों का मनोरंजन व मौज मस्ती के लिए घर से बाहर किसी सुंदर स्थान, नदी तट, समुद्रतट या जंगल में जाना तथा वहाँ मनचाहा भोजन तथा अन्य पदार्थों का आनंद लेना। 2. मौजमस्ती का कार्यक्रम (संगीत/खेलकूद आदि) उदा. आज हमारी कक्षा के छात्र पिकनिक मनाने गए हैं। Picnic

पिघलना अ.क्रि. - (तद्<विगलन) - सा.अर्थ ताप पाकर किसी ठोस पदार्थ का द्रव रूप में परिवर्तित होना। जैसे: घी या मोम का पिघलना। ला.अर्थ दया या करूणावश मन का द्रवित होना। उदा: संत बहुत जल्दी पिघल जाते हैं।

पिघलाना - - स.क्रि. सा.अर्थ ताप देकर किसी ठोस पदार्थ को तरल बनाना। ला.अर्थ दया से मन गीला करना।

पिचकारी - (स्त्री.) (देश.) - पिस्टन और चंतु/तुंड से युक्‍त अथवा सुई लगी शीशे या प्लास्टिक की गोलाकार नलिकावाला उपकरण जो किसी द्रव पदार्थ (जैसे दवा) को पहले दूसरे पात्र से अपने अंदर खींचकर और फिर बाहर या रोगी की शिराओं में पहुँचाता है। syringe

पिछड़ापन [पिछड़ा+पन] - (पुं.) (तद्.) - किसी व्यक्‍ति अथवा समूह की सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक आदि क्षेत्रों में उन्नत वर्ग की तुलना में पीछे रह जाने की स्थिति। back wardness

पिछलग्गू - (वि.) (देश.) - शा.अर्थ पीछे लगा हुआ। सा.अर्थ अपनी विवेक बुद्धि का उपयोग किए बिना किसी का अनुसरण करने वाला (व्यक्‍ति) पर्या. अंधाभक्‍त।

पिछला - (<पीछे) - 1. जो पीछे की ओर हो; 2. जो पुराना या बीते समय का हो। पर्या. पश्‍चाद्वर्ती। विलो. अगला; आगे की, आगे होने वाली। स्त्री. पिछली)

पिछाड़ी - (स्त्री.) (तद्.) - पीछे का भाग। विलो. अगाड़ी।

पिटारी - (स्त्री.) (तद्.<पिटक) - पिटारा का स्त्री रूप लकड़ी, बाँस आदि की बनी छोटी टोकरी जिसमें ढक्कन लगा होता है।

पिता - (पुं.) (तत्.) - जन्म देने वाला (नर)। पर्या. जनक, बाप। विलो. माता।

पितामह - (पुं.) (तत्.) - 1. पिता के पिता, दादाजी। 2. ब्रह्मा, भीष्म आदि के लिए प्रयुक्‍त संबोधन।

पितामही - (स्त्री.) (तत्.) - पिता की माता, दादी।

पितृ - (पुं.) (तत्.) - समास में प्रयोग करने हेतु ‘पिता’ शब्द का रूप। जैसे: पितृधन=पिता का धन।

पितृभक्‍त - (वि.) (तत्.) - पिता की सेवा करने तथा उनकी सभी बातों को आज्ञा के रूप में स्वीकार करने वाला।

पितृभक्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - पुत्र द्वारा पिता की सेवा करने तथा उनकी सभी बातों को आज्ञा के रूप में स्वीकार करने की स्थिति।

पित्‍त - (पुं.) (तत्.) - यकृत से निकलने वाला पीले-हरे रंग का गाढ़ा क्षारीय द्रव जो पित्‍तवाहिनी से पित्‍ताशय तथा ग्रहणी में पहुँचता है और पाचन में सहायक होता है। bile

पित्‍ताशय [पित्‍त+आशय] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पित्‍त के संचय का स्थान; पित्‍त की थैली। आयु. यकृत के दाएं खंड की निचली सतह पर स्थित नाशपाती के आकार की एक थैली जो यकृत से आने वाले पित्‍त (बाइल) को तब तक थामे रहती है जब तक कि वह सिस्टिक नली द्वारा ड्यूज्निम में नहीं पहुँच जाता। gall-bladder

पिनकोड - (पुं.) - (अं.) अंग्रेजी पदबंध ‘पोस्टल इंडेक्स नंबर’ की आद् यक्षरी संक्षिप्‍ति का उच्चरित रूप PIN टि. देश के संपूर्ण क्षेत्र को एक निश्‍चित भौगोलिक आधार पर विभाजित कर प्रत्येक भाग को आबंटित एक विशिष्‍ट क्रमांक। पिन में छह अंक होते हैं जिसमें पहला अंक देश के बडे़ भाग को सूचित करता है, अगले दो अंक उसी भाग के एक छोटे भाग को तथा शेष तीन अंक उस छोटे भाग के भी छोटे टुकड़ों के लिए प्रयुक्‍त होते हैं। इसीलिए प्राय: पिनकोड के अंकों को तीन-तीन के समूह में लिखा जाता है। पिनकोड के कारण पत्र पहुँचाने में सुविधा होती है।

पिया - (पुं.) (तद्.) - नारी का प्रिय यानी स्वामी या पति। पर्या. पति, प्रियतम।

पिलना अ.क्रि. - (तत्.) (तत्) - तत्परता के साथ किसी कार्य में जोश के साथ जुट जाना। उदा. पिल पड़ना।

पिसना अ.क्रि. - ([तद्<पेषण] ) - 1. पीसा जाना, चूर्ण या चटनी बन जाना। 2. कुचला जाना। 3. कष्‍ट में पड़ना। मुहा. दो पाटों के बीच पिसना-दो के झगड़े में तीसरे को कष्‍ट पहुँचना।

पिस्तौल - (स्त्री.) - (अं.) गोली दागने का वह छोटा उपकरण जिसे सुविधापूर्वक पास में रखकर या लेकर जाया जा सकता है। तमंचा। तु. revolver।

पी.वी.सी. - - (अं.) पॉलिविनाइल क्लोराइड का आद्यक्षरी संक्षिप्‍त नाम। रसा. विनाइल क्लोराइड का एक दृढ़ पारदर्शी ठोस बहुलक (पॉलिमर) जिसका उपयोग अनेक प्रकार के उत्पादों जैसे पाइप बनाने, फ़र्श तैयार करने, आदि में किया जाता है। PVC

पीठ - (स्त्री.) (तद्.<पृष्‍ठ) - 1. आयु. छाती और पेट के पीछे की ओर दिखने वाला शरीर का अंग। (कंधे से कमर तक का चौड़ा भाग) मुहा. पीठ ठोकना-शाबाशी देना, सराहना करना। पीठ दिखाना/फेरना/करना (i) मुँह फेर लेना, आनाकानी करना। (ii) हार मान लेना, भाग जाना। पीठ लगाना=आराम करना। 2. शिक्षा विधि (i) आसन, पवित्र स्थान। chair जैसे: व्यासपीठ, राजपीठ, पीठासीन, अधिकारी। (ii) आसन (बैंच) जैसे: न्यायपीठ।

पीड़क/(पीडक) - (वि./पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पीड़ा पहुँचाने वाला। रसा. ऐसे जीव जो पादन, प्राणी या अन्य मानवीय संसाधनों की गुणवत्‍ता या मूल्य में कमी लाते हैं। Pest

पीड़कनाशी/पीडकनाशी - (वि./पुं.) (तत्.) - वह रासायनिक पदार्थ जो पीड़कों को मारता है। Pesticide

पीड़ा - (स्त्री.) (तत्.<पीड़ा) - शारीरिक अथवा मानसिक कष्‍ट/दर्द/वेदना/तकलीफ; रोग, व्याधि, बीमारी। उदा. (1) मेरे शरीर में बहुत पीड़ा हो रही है। (2) अपनी पीड़ा का निदान तो कराइए कि कौन-सी बीमारी है।

पीत - (वि.) (तत्.) - पीला, पीले रंग का।

पीतक - (पुं.) (तत्.) - अंडे के मध्य भाग में पाया जाने वाला पीला हिस्सा जिसमें प्रोटीन और वसा कणिकाएँ होती हैं। Yolk

पीतल - (पुं.) (तद्.<पित्‍तल) - ताँबे और जस्ते के मेल से बनी पीले रंग की एक मिश्रधातु जिससे बरतन, मूर्तियाँ आदि बनाए जाते हैं। brass

पीयूष ग्रंथि - (स्त्री.) (तत्.) - प्राणि.-मस्तिष्क के मूल (बेस) में स्थित अंत:स्रावी ग्रंथि जो वृद् धि और विकास (ग्रोथ और विकास) को नियंत्रित करती है। pituitary gland

पीलिया [पील<पीला+इया] - (पुं.) (तद्.) - प्राणि./आयु. त्वचा, आँखों, श्‍लेष्मा-कलाओं तथा मूत्र का पीले रंग का हो जाना जो रुधिर में पित्‍तघटक (बिलुरूबिन वर्णक) की मात्रा अधिक हो जाने से होता है। यह अनेक रोगों का लक्षण है। पर्या. कामला, पांडुरोग/icterus, jaundice

पुंगी - (पुं.) [तद्.(<पूंगी] - 1. सुपारी। 2. अनुरणनात्मक शब्द जिससे पूं-पूं जैसी आवाज़ निकलती है और जिसे प्राय: पेड़ के दो पत्‍तों या दो ठीकरियों को मिलाकर बाजा बनाते है जो छोटे ग्रामीण बच्चे बजाते हैं। पु. तत्. एक पौराणिक शासक (प्रजापति) जिनकी पुत्री सती का शिवाजी से विवाह हुआ था।

पुआल - (पुं.) (तद्.<पलाल) - चावल, कोदों आदि के डंठल, जिसमें से दाने अलग कर दिए गए हों। टि. पुआल झोंपड़ी के छाने और जानवरों को खिलाने के काम आता है।

पुकार - (स्त्री.) - (हि.<पुकारना) 1. किसी का नाम लेकर ऊँची तेज़ आवाज़ में उसे बुलाने का भाव। 2. सहायता के लिए दीन स्‍वर में लगाई गई आवाज़। 3. अदालत में पेश होने के लिए चपरासी द्वारा ऊँची आवाज़ में वादी/प्रतिवादी को बुलाना।

पुच्छलतारा - (पुं.) (दे.) - शा.अर्थ पूँछवाला तारा। दे. धूमकेतु।

पुजारी [पूजा+आरी प्रत्यय] - (पुं.) (तद्.) - शा.अर्थ वि. पूजा करने वाला; पुं. मंदिरों में देवमूर्तियों की पूजाविधि संपन्न करने वाला व्यक्‍ति। ला.अर्थ किसी विशेष वस्तु को जीवन का लक्ष्य बनाकर उसे प्राप्‍त करते रहने वाला व्यक्‍ति। जैसे: लक्ष्मी का पुजारी, रूप का पुजारी।

पुण्य - (पुं.) (तत्.) - 1. धार्मिक दृष्‍टि से शुभ फल देने वाला कार्य। 2. ऐसे शुभ कार्य का फल। 3. परोपकार आदि कार्य। वि. तत्. पवित्र, शुभ।

पुतला - (पुं.) (तद्.पुत्‍तल) - लकड़ी, घास, कपड़े, मिट् टी आदि से बनी किसी भी प्राणी की आकृति। मुहा. पुतला जलाना-किसी के प्रति घृणा प्रकट करने तथा उसे अपमानित करने के लिए उसका पुतला बनाकर जलाना।

पुतली - (स्त्री.) (तद्.<पुत्‍तलिका) - 1. मुख्यत: काठ से (और मिट्टी अथवा धातु से भी) गढ़ी गई कोई भी प्रतिमूर्ति। 2. प्राणि. आँख का गोल छिद्र जिससे होकर प्रकाश गुजरता है। Pupil

पुताई - (स्त्री.) - [हिं. पोतना+आई-प्रत्य.] 1. दीवार पर चमक लाने के लिए चूने रंग या चिकनी मिट्टी की परत चढ़ाने की क्रिया। तु. लिपाई 2. इस कार्य के लिए चुकाई जाने वाली मज़दूरी।

पुत्रेष्‍टि यज्ञ [पुत्रेष्‍टि=पुत्र+इष्‍टि] - (पुं.) (तत्.) - पुत्र प्राप्‍ति की इच्छा रख कर किया जाने वाला यज्ञ विशेष। उदा. महाराजा दशरथ ने संतान प्राप्‍ति की इच्छा से पुत्रेष्‍टि यज्ञ किया।

पुन: अ. - (तत्.) - फिर से, दूसरी बार, दोबारा। (पुन:-पुन: – बार-बार)

पुन:चक्रण/पुनश्‍चक्रण - (पुं.) (तत्.) - उपयोग या घरेलू कामकाज में बेकार हो गए पदार्थों को (जैसे कागज़, कूड़े, कांच के टुकड़ों आदि को) संसाधित कर फिर से किसी-न-किसी रूप में उपयोगी बना लेने की पद् धति। recycling

पुनरवलोकन [पुन<पुन:+अवलोकन] - (पुं.) (तत्.) - फिर से देखना। पर्या. पुनरीक्षण। टि. पुनरावलोकन अशुद्ध रूप है।

पुनराकलन [पुन<पुन:+आकलन] - (पुं.) (तत्.) - फिर से आकलन करना, पुन: गिनना, फिर से जाँचना।

पुनरागमन (पुन<पुन:+आगमन) - (पुं.) (तत्.) - 1. फिर से आना, दोबारा आना।, 2. पुन: जन्म ले लेना।

पुनरावृत्‍ति [पुन<पुन:+आवृत्‍ति] - (स्त्री.) (तत्.) - 1. कही हुई बात को दोहराना या फिर से कहना। 2. किए हुए कार्य को फिर करना; दोबारा पढ़ना।

पुनरीक्षण (पुनद्<पुन:+ईक्षण) - (पुं.) (तत्.) - फिर से देखना, देखे हुए या किए हुए काम फिर से देखना या जाँचना।

पुनरूक्‍ति [पुन<पुन:+उक्‍ति] - (स्त्री.) (तत्.) - एक बार कही हुई बात को पुन: कहना; दोबारा कही हुई बात। repetition

पुनरूद् भवन - (पुं.) (तत्.) - दे. ‘पुनर्जनन’।

पुनर्गठन [पुनद्<पुन:+गठन] - (पुं.) (तत्.) - दोबारा किया जाने वाला गठन। दे. गठन। reorganisation

पुनर्जनन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ फिर से पैदा होना (या बढ़ना) वन. किसी जीव (प्राणी या पादप) द्वारा अपने नष्‍ट अथवा चोटग्रस्त ऊतकों तथा अंगों का पुननिर्माण। पर्या. पुनरूद् भवन। regeneration

पुनर्जागरण [पुनर<पुन:+जागरण] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ फिर से जगना/जगाना। इति. यूरोप के इतिहास में 14वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी तक का समय जब कला, विद्या, उद्योग आदि में क्रांति आई थी। पर्या. पुनरूत्थान, नवजागरण renaissance टि. इस युग के पश्‍चात आधुनिक युग का प्रारंभ माना जाता है।

पुनर्निधारण [पुनद्<पुन:+निर्धारण] - (पुं.) (तत्.) - फिर से निर्धारित करना, फिर से तय करना, पुन: निश्‍चित करना। जैसे: वर का पुनर्निधारण।

पुनर्भाव [पुनर्<पुन:+भाव] - (पुं.) (तत्.) - दुबारा होने का भाव। पर्या. पुनर्जन्म।

पुनर्लेखन [पुनद्<पुन:+लेखन] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ दोबारा किया जाने वाला लेखन। सा.अर्थ त्रुटियों को सुधारकर किया गया फिर से लेखन। तु. नकल।

पुनर्वनरोपण [पुनर्<पुन:+वन+रोपण] - (पुं.) (तत्.) - काटे गए जंगल के स्थान पर नए वृक्ष लगाने की क्रिया।

पुनर्वास [पुन<पुन:+वास] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ फिर से बसाना। सा.अर्थ (1) एक स्थान से उजड़े हुए जन-समुदाय को अन्यत्र बसने के लिए आवश्यक सुविधा प्रदान करना। (2) आयु. शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता के शिथिल हो जाने पर प्रशिक्षण देकर और/अथवा उपचार कर उन्हें फिर से कार्यक्षम बनाने की पद् धति ताकि रोगी पुन: स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जा सके। rehabilitation पर्या. पुनर्स्थापन।

पुनर्विचार [पुनर<पुन:+विचार] - (पुं.) (तत्.) - किसी बात पर फिर से विचार करना।

पुनर्विवाह [पुनद्<पुन:+विवाह] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ फिर से किया गया विवाह। सा. अर्थ-पति की मृत्यु के बाद पत्‍नी द्वारा और पत्‍नी की मृत्यु के बाद पति द्वारा फिर से किया गया विवाह।

पुनर्स्थापन [पुनर्<पुन:+स्थापन] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ फिर से स्थापित करना। जो जनसमुदाय या शरीर का अंग विस्थापित हो गया हो उसे पुन: (अन्यत्र वहीं) बसाना या बिठाना। reinstate दे. पुनर्वास।

पुनर्स्थापित [पुनर्<पुन:+स्थापित] - (वि.) (तत्.) - दुबारा स्थापित किया हुआ। दे. ‘पुनर्स्थापन’।

पुरज़ा/पुर्ज़ा - - 1. टुकड़ा, खंड। 2. कागज़ का फाड़ा हुआ छोटा टुकड़ा जिस पर कुछ लिखा जाए। (स्लिप) 3. किसी मशीन आदि का कोई हिस्सा। 4. रोगी के उपचार के लिए चिकित्सक द् वारा लिखा गया निदान, औषधि (दवा) परहेज आदि का विवरण prescription मुहा. चलता पुरज़ा=चालाक आदमी। पुरज़ा-पुरज़ा उड़ना=पूरी तरह से नष्‍ट हो जाना।

पुरवा - (पुं.) ([तद्<पूर्वपुरूष] ) - 1. बाप, दादा आदि पिछली पीढ़ी का/के व्यक्‍ति। टि. सामान्य रूप से बहुवचन में ही प्रयुक्‍त-पुरखे। मुहा. पुरखे तर जाना-पुरखों (पूर्वपुरूषों) को मृत्यु के पश्‍चात उत्‍तम लोकों की (न कि नरक की) प्राप्‍ति होना।

पुरवा/पुरवाई/पुरवैया/पुरवइया - (स्त्री.) (तद्.) - पूर्व से आने वाली हवा (जो वर्षा लाने की सूचक है।) पुरवा।

पुरस्कार [पुरस् <पुर:=आगे, सामने+कार=करना) - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ आगे करना; सामने रखना। सा.अर्थ किसी के अच्छे कार्य को देखकर उसे प्रोत्साहन हेतु दी गई आर्थिक या अन्य प्रकार की सहायता। प्रतियोगिता आदि में विजेता को सम्मानार्थ दिया जाने वाला पारितोषिक या इनाम।

पुरस्कृत [पुरस्<पुर:+कृत] - (वि.) (तत्.) - व्यु.अर्थ जिसे आगे या सामने किया गया हो। सा.अर्थ (वह व्यक्‍ति) जिसे प्रतियोगिता आदि में उत्कृष्‍टतासूचक प्रशस्तिपत्र या सम्मानचिह् न से अलंकृत किया गया हो। दे. ‘पुरस्कार’।

पुराकथा - (स्त्री.) (तत्.) - प्राचीन कथा या पुरानी कहानी, अति प्राचीन काल यानी प्रागैतिहासिक काल से संबंधित किसी घटना का विवरण। जैसे: राजा हरिश्‍चंद्र की कथा, सत्यवान-सावित्री की कथा।

पुराण - (पुं.) (तत्.) - भारत के प्राचीन धर्मग्रंथ जिसमें कथाओं के माध्यम से सदाचार की बातें बताई गई हैं तथा प्राचीन भारतीय इतिहास की कथाएँ वर्णित हैं। व्यु.अर्थ वि. पुराना, प्राचीनकाल से संबंधित। टि. मुख्य पुराण 18 हैं जिन्हें महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित, संगृहीत या संपादित माना गया है।

पुराणगाथा (एँ) - (स्त्री.) (तत्.) - पुराणों में वर्णित कथाएँ दे. ‘पुराणद्ध।

पुरातत्त्व - (तत्) (तत्.) - [पुरा=प्राचीन+ व=वास्तविक स्थिति] पुं. (तत्.) वह शास्त्र जिसमें प्राचीन इतिहास का अध्ययन करने के लिए प्राचीन अवशेषों की लिपियों, अभिलेखों, भवनों, सिक्कों आदि की खोज की जाती है और उन्हीं के आधार पर तत् कालीन इतिहास संबंधी निष्कर्ष निकाले जाते हैं। archeology

पुरात्त्वविद्/पुरात्त्ववेत्ता - (तत्) (तत्.) - पुं. (तत्.) पुरातत्त्व का जानकार; प्राचीन अवशेषों का अध्ययनकर तत् कालीन इतिहास संबंधी निष्कर्ष निकालने वाला विशेषज्ञ। archeoligist

पुरास्थल [पुरा=प्राचीन+स्थल=(रहने का) स्थान] - (पुं.) (तत्.) - अति प्राचीनकाल के वे आवासीय स्थल जिनमें पुरामानव प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए निवास करता था/करते थे। गुफाओं, कंदराओं वाले स्थल। जैसे: मध्य प्रदेश में भीमबेटका।

पुरोहित - (पुं.) (तत्.) - वह विशेषज्ञ (मुख्यत: हिंदू ब्राह्मण) जिसकी देखरेख में विवाह आदि संस्कार तथा यज्ञ आदि धार्मिक कृत्य किए जाते हैं। priest तु. यजमान।

पुरोहिताई - (स्त्री.) (तत्.) - पुरोहित का कार्य। पर्या. पौरोहित्य। दे. पुरोहित।

पुल - (पुं.) (फा.) - किसी नदी, सडक़ या रेलमार्ग के ऊपर व्यक्‍तियों, वाहनों आदि के आवागमन के लिए बनाई गई स्थायी या अस्थायी संरचना। पर्या. सेतु।

पुलक - (पुं.) (तत्.) - (शरीर के) रोंगटे खड़े होने की स्थिति। पर्या. रोमांच। टि. हिंदी में ‘पुलक’ शब्द (संज्ञा) का विरल प्रयोग देखा गया है। इसके विशेष रूप का खूब प्रयोग होता है; जबकि इन दोनों के पर्यायों (रोमांच और रोमांचित) का प्रयोग होता है।

पुलकित [पुलक+इत] - (वि.) (तत्.) - स्त्री. हर्ष, विस्मय आदि के कारण जिसके रोंगटे खड़े हो गए हों। पर्या. रोमांचित।

पुलाव - (पुं.) (फा.) - मूल अर्थ गोश्त और चावल से बना खाद्य पदार्थ। मूल उच्चारण ‘पलाव’ है पर उर्दू में इसे ‘पुलाव’ कहा जाने लगा। सा.अर्थ विशेष प्रकार से पकाए गए चावल जिसमें चावलों को पहले चिकनाई में भून लिया जाता है तथा उसमें मटर, मसाले आदि भी मिलाए जाते हैं।

पुलिन - (पुं.) (तत्.) - 1. (i) नदी का किनारा, नदी तट; (ii) नदी का पानी हटने के बाद की रेतीली जमीन Bank 2. समुद्र के किनारे वाली रेतीली ज़मीन। beach

पुलिया - (स्त्री.) (देश.) - (i) छोटा पुल; (ii) नालों, रेलवे लाईनों आदि को पार करने के लिए बनाया गया छोटे आकार का पुल। culvert bridge

पुलिस - (स्त्री.) - (अं.) किसी नगर, राज्‍य आदि का राजकीय बल जिसका मुख्‍य कार्य समाज में शांति तथा राजकीय व्‍यवस्‍था को बनाए रखना है तथा कानून-नियमों के उल्‍लंघन कर्ताओं को पकड़कर न्‍यायालय के समक्ष सजा हेतु प्रस्‍तुत करना भी इसमे शामिल है। police

पुली1 - (स्त्री.) - (अं.) रस्सी, जंजीर, पेटी (बेल्ट) आदि से युक्‍त पहिया जो किसी अक्ष पर घूमकर भार उठाने, घर्षण की दिशा बदलने के लिए प्रयुक्‍त होता है। पर्या. घिरनी।

पुली2 - (स्त्री.) - (अं.) (पुली) (घिरनी) वह पहिया जिस पर रस्सी रखकर पानी आदि ऊपर खींचते हैं।

पुल्टिस - (स्त्री.) - (अं.) अलसी, नीम की पत्‍ती, अजवाइन गुड़ आदि से बने एक प्रकार के गर्म प्रलेप से युक्‍त कपड़े की पट्टी जो किसी प्रकार के फोड़े को पकाने या फोड़ने के लिए बाँधी जाती है। poultice

पुश्त - (स्त्री.) (फा.) - 1. पीठ, पिछला भाग।, जैसे: किताब की पुश्तबंदी। 2. वंश परंपरा से कोई स्थान। जैसे: पिता, चाचा आदि पिछली पुश्त के हैं और दादा-दादी आदि उनसे भी पिछली पुश्त के हैं। (पुश्त-दर-पुश्त-एक पीढ़ी से दूसरी/तीसरी तक का सिलसिला, पर्या. पीढ़ी।

पुश्तैनी - (वि.) - (फा.पुश्त) 1. पुश्त (पीढ़ी) से संबंधित, जो (कई) पीढि़यों से बराबर चला आ रहा हो। उदा. मैं पुश्तैनी मकान में रहता हूँ।

पुष्प - (पुं.) (तत्.) - नव पादप का वह भाग जो विकसित होकर बीज या फल प्रदान करें। पर्या. फूल, कुसुम आदि।

पुष्पण [पुष्प+न] - (पुं.) (तत्.) - पुष्पित होना या फूल लगना। दे. ‘पुष्प’।

पुष्पित - (वि.) (तत्.) - (i) खिला हुआ; (ii) फूलों से युक्‍त।

पुस्तक - (स्त्री.) (तत्.) - व्यु.अर्थ हाथ की लिखी पोथी। सा.अर्थ पोथी, ग्रंथ, किताब। book

पुस्तकालय (पुस्तक+आलय) - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ पुस्तकों का घर (यानी रखने का स्थान)। सा.अर्थ वह कमरा या भवन जहाँ विभिन्न विषयों की पुस्तकें संगृहीत हों। library

पूजन - (पुं.) (तत्.) - 1. देवी-देवताओं की पूजा करने का कार्य। पर्या. अर्चना, पूजा। 2. आदर, सम्मान। 3. ला.अर्थ पीटने का कार्य; दंड, सजा।

पूजना स.क्रि. - (तत्.) (तत्.<पूजन) - 1. इष्‍ट-पूर्ति के लिए किसी देवी-देवता की पुष्प, फल आदि से पूजा करना।

पूजनीय/पूज्य - (वि.) (तत्.) - पूजा के योग्य। पर्या. आदरणीय, सम्माननीय। जैसे: पूज्य/पूजनीय पिताजी। टि. ‘पूज्यनीय’ अशुद्ध है। दे. पूजा।

पूजा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. पत्र, पुष्प, धूप, दीप आदि के द्वारा देवता विशेष को प्रसन्न करने के लिए किया जाने वाला धार्मिक कार्य। पर्या. अर्चना, पूजन। 2. ला.अर्थ पिटाई। उदा.-चोरी करने पर माँ ने बच्चे की जमकर पूजा की।

पूनम - (स्त्री.) (तद्<पूर्णिमा) - दे. पूर्णिमा।

पूरक - (वि.) (तत्.) - 1. मुख्य अंश की पूर्ति करने वाला अंश या अंग। complimentary 2. योग. प्राणायाम का पहला चरण जिसमें एक नथुना बंद कर दूसरे से श्‍वास को भीतर खींचते हैं। (अन्य चरण में कुंभक और रेचक) 3. पत्र-वह छोटा समाचार जो आवश्यकता पड़ने पर समाचार-पत्र के रिक्‍त खांचे की पूर्ति करता है। 4. व्या. अस्तित्वसूचक वाक्यों में विधेय के स्थान पर आने वाला संज्ञा या विशेषण शब्द। उदा. वह छात्र है, वह बीमार है। complement

पूरक-प्रश्‍न - (पुं.) (तत्.) - विधायिका में मंत्री द् वारा किसी तारांकित प्रश्‍न का उत्‍तर दिए जाने के बाद उसी विषय से संबंधित अतिरिक्‍त जानकारी प्राप्‍त करने के लिए मूल प्रश्‍नकर्ता अथवा किसी अन्य सदस्य द्वारा पूछा गया प्रश्‍न। supplementary question तु. तारांकित प्रश्‍न।

पूरण - (पुं.) (तत्.) - 1. पूरा करने या भरने का भाव। 2. समाप्‍ति का भाव। 3. ‘पूर्ण’ का बोलियों में उच्चारण।

पूर्णकालिक - (तत्.) (वि.) - (पूर्ण+काल+इक) पूरे समय के लिए होने वाला। full time जैसे: पूर्णकालिक कर्मचारी।

पूर्णतया अव्यय - (तत्.) - पूर्णता के साथ; पूरी तरह से; पूर्ण रूप से।

पूर्णमासी - (स्त्री.) (तत्.) - महीने के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि जब पूरा चाँद दिखाई पड़ता है। पर्या. पूर्णिमा, पूनो (बोलीगत प्रयोग)। दे. पूर्णिमा।

पूर्णिमा - (स्त्री.) (तत्.) - सा.अर्थ चंद्रमास की वह रात्रि जब पृथ्वी तल से सोलह कलाओं से युक्‍त (पूर्ण प्रकाशित) चाँद के दर्शन होते हैं। खगो. जिस समय चंद्र सूर्य के साथ वियुति की स्थिति में हो उस समय की चंद्र की कला (प्रावस्था)। टि. इस समय चंद्र का पूर्णत: दीप्‍त अर्धभाग पृथ्वी की ओर होता है इसलिए वह हमें पूरा-का-पूरा प्रकाशित रूप में दिखाई पड़ता है। यानी चंद्रमास का वह दिन जब पूर्णचंद्र कलाओं से युक्‍त होता है। full moon पर्या. पूनम। विलो. अमावस्या।

पूर्ति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. (रिक्‍त स्थान को) पूरा करना। 2. आवश्यकता के अनुसार बाज़ार में सामान उपलब्ध कराना। supply

पूर्वग्रह/पूर्वाग्रह (पूर्व+ग्रह) - (पुं.) - किसी व्यक्‍ति की वह धारणा (प्राय: अनुचित) जो बद्धमूल हो चुकी है और जिसे बदलना लगभग असंभव हो। पर्या. पूर्वाग्रह prejudice, bias

पूर्वज - (वि./पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ पूर्व=पहले+ज = पैदा हुआ अर्थात जो पहले पैदा हुआ हो। सा.अर्थ वंश परंपरा में पिता, दादा, परदादा आदि पुरानी पीढ़ी के लोग। पर्या. पुरखे। (पुं. बहु.) ancestors, forefathers

पूर्ववत् - (अव्य.) (तत्.) - पूर्व+वत् पहले जैसा।

पूर्ववर्ती - (वि.) (तत्.) - (वर्तमान से) पहले का, पहले वाला; क्रम; जो पहले घटित हो चुका हो। जैसे: पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री।

पूर्वाभ्यास [सं.पूर्व+अभ्यास] - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी कार्य को अंतिम रूप से सफलतापूर्वक प्रस्तुत करने से पूर्व किया गया अभ्यास। तमीमंतेंस

पूर्वार्ध (पूर्व+अर्ध) - (पुं.) (तत्.) - पहले का आधा भाग। तु. उत्‍तरार्ध।

पृथक - (वि.) (तत्.) - अलग, भिन्न। जैसे: पृथक् मार्ग।

पृथक्करण (पृथक्+करण) - (पुं.) (तत्.) - अलग करना; जो पहले एक हो उसमें से किसी हिस्से को अलग करने की क्रिया अथवा भाव। उदा. तेलंगाना के पृथक्करण की मांग ज़ोर पकड़ती जा रही है।

पृथ्वी/पृथिवी - (स्त्री.) (तत्.) - 1. सौरमंडल का वह ग्रह जिस पर हम रहते हैं। earth 2. मिट्टी, पत्थर आदि का बना वह ऊपरी ठोस भाग जिस पर हम चलते फिरते हैं। पर्या. ज़मीन, धरा, अवनि। 3. दुनिया। उदा. इस पृथ्वी पर ऐसा कौन है…..। 4. (दर्शन) पाँच तत् वों में से एक तत् व या महाभूत जिसका गुण गंध है।

पृष्‍ठ - (पुं.) (तत्.) - 1. पीठ back 2. किसी वस्तु का ऊपरी तल। surface 3. पुस्तक के पन्‍ने का एक ओर का तल। page

पृष्‍ठभूमि [पृष्‍ठ+भूमि] - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ पीछे की भूमि। 1. पीछे का वह भाग जो दीखता नहीं या जिस ओर सहसा ध्यान नहीं जाता। पर्या. पृष्‍ठभाग। 2. किसी घटना की आधारभूत बातें। 3. किसी चित्र या वस्तु के पीछे के वे दृश्य जिनके कारण चित्र या वस्तु की शोभा बढ़ जाती है। back ground

पेंच, पेच - (पुं.) (.फा.) - 1. घुमाव, फिराव, लपेट। 2. उलझन, झंझट। 3. चालबाजी, धूर्तता। 4. चूड़ीदार कील जो घुमाकर कसी जाती है। (स्क्रू) 5. पतंग उडाते समय पतंगों का फँसना। 6. कुश्ती की एक चाल।

पेंट - (पुं.) - (अं.) Paint 1. तेल और केमिकल आदि मिलाया हुआ रंग। 2. रंग विशेषकर गीला जो दीवार, दरवाजे़, कपड़े आदि पर ब्रश की सहायता से लगाया जाता है।

पेंतरा/पैंतरा - (पुं.) ([तद्<पादान्तर] ) - 1. कुश्ती में अथवा तलवार आदि के चलाने में प्रतिद्वन्‍द्वी की पैर रखने या संचालन की मुद्रा। जैसे: ठीक पैंतरे में वार करना। 2. चालाकी वाली चाल। जैसे-वह अपने स्वार्थवश जल्दी ही नया पैंतरा चलेगा। मुहा. पैंतरा बदलना=नयी चाल चलना।

पेंशन - (स्त्री.) - (अं.) पूर्व निश्‍चित समय तक की गई सरकारी सेवा से अवकाश प्राप्‍ति के पश्‍चात भरण-पोषण के लिए प्रतिमास मिलने वाला वेतन का अंश। pension

पेंसिल - (पुं.) (वि.) - (अं.) एक पतली लकड़ी के टुकड़े के अंदर स्थित काले या अन्य रंग के सिक्के वाली लेखनी जो लिखने पर रेखा खींचने या कोई आकार बनाने में काम आती है। इसे रबड़ से मिटाया भी जा सकता है। जैसे: इसे पहले पेंसिल से लिखो, बाद में स्याही से लिखना।वि. यह एक तरह की सूखी कलम है जिससे बिना स्याही के लिखा जाता है।

पेचीदा - (दे.) - पि.(फा.<पेचीद:) जिसमें पेच हो, जो सरल न हो; कठिन, मुश्किल। complicated दे. पेंच/पेच (1 और 2)

पेटी - (स्त्री.) (तद् पेटिका) - 1. छोटा संदूक, बक्सा। 2. कमरबंद, बेल्ट।

पेट्रोल - (पुं.) (स्त्री.) - (अं.) पेट्रोलियम से प्राप्‍त एक प्रसिद् ध खनिज तरल पदार्थ जो ऊर्जा का प्रमुख साधन है तथा जो ईंधन के रूप में कार आदि वाहनों में भी प्रयुक्‍त होता है। (अं.) गश्‍त 1. पुलिस द्वारा नगर रक्षणार्थ भ्रमण करना। 2. शत्रु की गति विधि पर नजर रखना; चौकसी करना। patrol

पेट्रोलियम - (पुं.) - (अं.) पृथ्वी के नीचे की चट्टानों से मिलने वाला प्राकृतिक ज्‍वलनशील खनिज (तेल)। इससे पेट्रोल, मिट् टी का तेल आदि अलग किए जाते हैं।

पेट्रोलियम परिष्करणी - (स्त्री.) (तत्) - (अं.+तत्) वह स्थान जहाँ खनिज के रूप में प्राप्‍त पेट्रोलियम का परिशोधन किया जाता है अर्थात् जहाँ पेट्रोल, मिट्टी का तेल एवं अन्य उत्पाद अलग किए जाते हैं। petroleum refinery

पेड़ - (पुं.) (तद्<पिंड) - दे. वृक्ष।

पेड़-पौधे - (पुं.) (तद्.) - बहु. किसी क्षेत्र या युग की समस्त वनस्पति का समूह और उनका विवरण तथा उनकी सूची आदि। पर्या. वनस्पति जात। flora

पेनिसिलिन - (पुं.) - (अं.) पेनीसीलियय नामक फफूंद से (कृत्रिम रूप) से तैयार की गई एक दवा जो जीवाणुओं से उत्पन्न रोगों को रोकने के काम आती है।

पेनीसीलियम - (पुं.) - (अं.) एक फफूंद, जिससे कृत्रिम रूप से पेनिसिलिन नामक दवा बनती है और जो जीवाणु से उत्पन्न रोगों को रोकने के काम आती है।

पेय - (वि.) (तत्.) - पीने योग्य, पीने लायक। पेय पदार्थ, पेय जल। पुं. पीने की तरल वस्तु जैसे: शरबत, ठंडई, दूध, चाय आदि।

पेरना - (तद्<पीड़न) - स.क्रि. कोल्हू या मशीन में कोई वस्तु डालकर इस तरह दबाना कि उससे तरल पदार्थ निकल आए। जैसे: गन्ना पेरना।

पेराफिन मोम - (पुं.) - (अं.) कोलतार, लकड़ी आदि के आसवन से प्राप्‍त श्‍वेत, पारदर्शी क्रिस्टलीय पदार्थ जो ठोस पैराफिनों का मिश्रण होता है। paraffin wax

पेश करना स.क्रि. - (फा.) - प्रस्तुत करना, उपस्थित करना, दिखलाना।

पेशकश - (पुं.) (फा.) - दे. प्रस्तुति।

पेशा - (पुं.) - (फा.<पेश:) 1. उद् यम, व्यवसाय। 2. आजीविका का साधन, पारंपरिक रूप से किया जाने वाला जीवनयापन का ढंग। जैसे: डाक्टरी पेशा।

पेशी - (स्त्री.) (तत्.) - 1. प्राणि. संकुचनशील कोशिकाओं अथवा तंतुओं का बनी एक प्रकार का ऊतक जो संकुचित होकर शरीर के किसी अंग अथवा भाग में गति उत्पन्न करता है। muscle 2. स्त्री. फा. (i) विधि न्यायालय में मुकदमें के पक्ष-विपक्ष में प्रस्तुत वादी और प्रतिवादी दोनों ही पक्षों के तर्क-वितर्क या जिरह की सुनवाई। hearing; (ii) अधीनस्थ कर्मचारी द्वारा अधिकारी के सामने उपस्थित होना। presentation

पेशीय बल - (पुं.) (तत्.) - मांसपेशियों से संबंधित बल; पेशियों से लगाया गया बल।

पेशेवर - (वि.) (फा.) - <पेश:वर) 1. जो किसी विशेष पेशे (व्यवसाय, कार्य) को अपनी आजीविका का साधन बना ले। जैसे: पेशेवर खिलाड़ी। विलो. शौकिया। दे. पेशा।

पैंतरा - (पुं.) ([तद्<पदान्तर]) - 1. युद्ध में पैर जमाकर खड़े होने की मुद्रा या पदविन्यास का ढंग। 2. चालाकी से भरी हुई चाल या युक्‍ति। मुहा. पैंतरा बदलना=1. पहले वाला पक्ष छोडक़र दूसरे पक्ष की ओर चले जाना। 2. नीति में परिवर्तन कर लेना। 3. नया तरीका अपनाना।

पैंतरेबाज़ - (वि.) - चालबाज़।

पैंरीं - (स्त्री.) (देश.) - 1. फसल के कटे हुए गेहूँ, चना, मसूर आदि के पौधे या डंठलयुक्‍त फलियों जिन्हें बैल आदि के पैरों से दाँय कराके अनाज के दाने अलग किये जाते हैं। 2. दाँय, दँवरी। उदा. पाँवरि तजहू देहू पग पैंरी। (जायसी-पद्मावत 26/2) टि. ग्रामीण प्रयोग।

पैगंबर - (पुं.) (फा.) - 1. ईश्‍वर का दूत, देवदूत। 2. वह पूज्य व्यक्‍ति जो ईश्‍वर का संदेश मनुष्यों तक पहुँचाता है। जैसे: मुहम्मद साहब। जैसे: ईसाई धर्माचार्य ईसा मसीह, 2. मुसलमानों के धर्माचार्य मुहम्मद साहब।

पैगाम - (पुं.) (फा.<पैग़ाम) - किसी व्यक्‍ति के द्वारा कहलाया हुआ मुख्यत: मौखिक संदेश। उदा. तुम्हें मालिक ने कानपुर जाने का पैग़ाम भेजा है। message

पैठ - (स्त्री.) ([तद्<प्रविष्‍टि]) - 1. अंदर तक घुसने/पहुँचने का भाव। उदा. इतिहास में शर्माजी की अच्छी पैठ है। 2. पैठ कर, घुसकर। उदा. जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ।

पैठना अ.क्रि. - (तद्.) (दे.) - 1. अंदर जाना, घुसना। दे. पैठ।

पैतृक - (वि.) (तत्.) - 1. पिता से संबंधित, पिता से उत्‍तराधिकार में प्राप्‍त। 2. पिता, उनके पिता (दादा) उनके भी पिता (परदादा) इस प्रकार परंपरा से चली आई हुई कोई वस्तु या बात। जैसे: पैतृक संपत्‍ति। पर्या. खानदानी, पुश्तैनी।

पैदल - (वि.) (तद्) - 1. पाँव-पाँव चलकर कहीं जाने वाले। जैसे: पैदल यात्री। 2. पुं. 1. वह सैनिक जो बिना सवारी लड़े। foot soldier 2. शतरंज के खेल में ‘प्यादा’ नाम का अगली पंक्‍ति का मोहरा जो अपनी सीध में एक घर चलता है। (पान)

पैदल सैना - (स्त्री.) - स्थल सेना का वह अंग जिसके सैनिक युद् ध क्षेत्र में पैदल आगे बढक़र लड़ते हैं। infentry

पैदावार - (स्त्री.) (फा.) - खेत में पैदा की जाने वाली कोई भी वस्तु। पर्या. उपज, फसल। उदा. इस वर्ष देश में गेहूँ की पैदावार अच्छी हुई है।

पैना - (वि.) (तद्<पैण) - किसी हथियार (जैसे भाला) या औज़ार (जैसे सुई) के सिरे का नुकीला (नोकदार) होना। तु. धारदार।

पैनापन - (वि.) - पैना (नुकीला) होने का भाव या स्थिति। तु. धार।

पैमाइश - (स्त्री.) (फा.) - सा.अर्थ नापने या मापने की क्रिया या भाव। पर्या. नाप-जोख। कृषि-खेतों/ज़मीनों आदि का क्षेत्रफल जानने के लिए की जाने वाली आधिकारिक नाप। servey

पैमाना - (पुं.) (फा.) - 1. वह साधन जिससे किसी चीज़ को नापा-तोला जाए। 2. शराब पीने का प्याला। टि. लंबाई या दूरी नापी जाती है। (मीटर), ठोस वस्तुएँ तौली जाती हैं। (ग्राम), तरल पदार्थ मापे जाते हैं। (लीटर)।

पैर - (पुं.) ([तद्<पद] ) - शरीर का वह अंग जिसके सहारे प्राणी खड़े होते या चलते हैं। पर्या. पद, पग, पांव, पाद, चरण। मुहा. पैर उखड़ना=लड़ाई में साहस खो देना। पैर जमाना=दृढ़ होना। पैर छूना/पकड़ना, पैरों पर पड़ना/गिरना=शरणागत होना। पैर छूना=आदर व्यक्‍त करना, प्रणाम करना। पैर पसारना/फैलाना=अधिक प्राप्‍त करने के लिए प्रयत्‍न करना। फूँक-फूँक कर पैर रखना=संभलकर काम करना। धरती पर पैर न रखना=अहंकार प्रकट करना। पैर सो जाना=रक्‍तसंचार रूक जाने के कारण पैर का सुन्न हो जाना।

पैराफिन - (पुं.) (दे.) - (अं.) मीथेन वर्ग का संतृप्‍त हाइड्रोकार्बन जो, गैस, द्रव या ठोस हो सकता है। दे. पैराफिन मोम।

पैराशूट - (पुं.) - (अं.) हवारोधी कपड़े का बड़ा थैला जो खुलने और उसमें हवा भर जाने पर बड़े छाते का रूप ले लेता है। आकाश से ज़मीन पर सुरक्षित उतरने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। हिंदी पर्या.हवाई छतरी।

पैरोडी - (स्त्री.) - (अं.) (काव्य.) किसी साहित्यिक रचना की उपहासात्मक अनुकृति, कृति। parody

पैविलियन - (पुं.) - (अं.) (किसी खेल के मैदान में बनी) दर्शक-दीर्घा जहाँ शेष खिलाड़ी और दर्शक बैठकर खेल का आनंद लेते हैं। pavillion

पैसा - (पुं.) - (सं.<पादांश/फा. पैस:) 1. भारत में 1669 (लगभग) तक प्रचलित ताँबे का एक प्रसिद्ध सिक्का जो एक आने का चौथा भाग तथा रूपये का चौसठवाँ भाग होता था। (या तीन पाई का सिक्का) टि. पहले एक आने में बारह पाई होती थी। एक पाई का भी सिक्का होता था) 2. आजकल नये प्रचलित सिक्कों में एक रूपये का सौवाँ भाग। 3. लाक्ष. धन। उदा. आज जिसके पास पैसा है उसी की समाज में इज्जत है।

पॉलिऐस्टर - (पुं.) - (अं.) ऐल्कोहॉलों के संघनन से बनाया गया संश्‍लेषित रेजिन जिसके कृत्रिम धागे बनाए जाते हैं (इसके कपड़े आदि बनते हैं।)

पॉलिथीन - (पुं.) - (अं.) रसा. (i) एक चीमड़ हल्का प्लास्टिक।; (ii) कठोर, पारभासी, श्‍वेत मोती जैसा पदार्थ जिससे थैले, बोतलें, खिलौने आदि बनाए जाते हैं। (ii) एथिलीन का तापसुघ्हाटय thermoplastic बहुलक polymer जिसका प्रयोग सामान की पैकिंग करने या उसे विद्युतरोधी व ऊष्मारोधी बनाने में होता है। polythene

पॉलिश - (स्त्री.) - (अं.) 1. वह लेप या रोगन जो किसी वस्तु या नाखून आदि को चमकाने के लिए उस पर लगाया जाता है। जैसे: जूते की पॉलिश, फर्नीचर की पॉलिश, नेलपॉलिश। 2. इस प्रकार के लेप से आई हुई चमक। polish

पॉश्‍चरीकरण - - (पाश्‍चुरीकरण/पास्तेरीकरण) रसा.रोग उत्‍पन्‍न करने वाले जीवाणुओं को नष्‍ट करने के उद् देश्य से किसी तरल पदार्थ को जैसे, दूध को उसके रासायनिक संघटन में परिवर्तन लाए बिना साधारण तापमान पर तथा एक निश्‍चित समय तक गर्म करना। (सामान्यत: 60oC पर तीस मिनट तक) टि. इस विधि का विकास लुई पास्तेर नामक रसायनविज्ञानी ने किया था। इस कारण इसे पास्तेरीकरण, पॉश्‍चरीकरण, पाश्‍चुरीकरण आदि कहा जाता है। pasteurization

पोंगल - (पुं.) - (तमिल) मकर संक्रांति के अवसर पर (14 जनवरी के आसपास) तमिलनाडु में मनाया जाने वाला प्रसिद् ध त्‍योहार और उस अवसर पर तैयार खिचड़ीनुमा व्यंजन।

पोंगा - (वि.) (तद्) - <पुंगव) शा.अर्थ जो अंदर से बिल्कुल खोखला हो। ला.अर्थ 1. जिसे कुछ न आता हो, वज्र मूर्ख, बिल्कुल नासमझ।

पोंगापंथी - (स्त्री.) (तद्) - 1. अत्यंत मूर्खतापूर्ण कृत्य, 2. रूढि़वादिता।

पोंगापन - (पुं.) (तद्) - अत्यंत मूर्खता, बिल्कुल नासमझी। दे. पोंगा।

पोखर/पोखरा - (पुं.) (तद्.>पुष्कर) - 1. प्राकृतिक रूप से बना छोटा तालाब। 2. ज़मीन में बड़ा गड्ढा खोदकर बनाया हुआ जलाशय। (स्त्री. पोखरी)

पोखरी [पोखर+ई] - (स्त्री.) (तद्<पुष्कर) - बहुत छोटा तालाब, तलैया जिसमें बरसात का पानी बहकर भर जाता है।

पोटली - (स्त्री.) (तद्.<पोटलिका) - छोटी गठरी, कपड़े के टुकड़े में लपेटकर बाँधी गई वस्तु जो बाहर से दिखे नहीं और सुरक्षित भी रहे। जैसे: सुदामा की पोटली।

पोत - (पुं.) (तत्.) - 1. पानी का जहाज़, बड़ी नाव। 2. पशु-पक्षियों का बच्चा। 3. कपड़े की बनावट। (पतला-मोटा) उदा. कपड़ा महीन पोत का है।

पोतना स.क्रि. - (तद्<सं. पोतन) - लेप करना, 1. गाढ़े तरल पदार्थ को किसी तरह लगाना कि वह उस पर चिपक जाए; चुपड़ना। जैसे: दीवार पर चूना पोतना।

पोता - (पुं.) - (<पौत्र) 1. बेटे का बेटा, पौत्र। तु. पोती। 2. गाढ़े तरल पदार्थ को पोतने का कपड़ा या कुर्त्ता। (हिं.-पोतना)

पोताश्रय [पोत+आश्रय] - (पुं.) (तत्.) - 1. प्राकृतिक रूप से बना अथवा कृत्रिम रूप से निर्मित पोत (जहाज़) के रूकने का स्थान, बंदरगाह। 2. समुद्र के किनारे का वह स्थान जहाँ जहाज़ को रूकने तथा सामान चढ़ाने-उतारने का काम होता है। harbour

पोती - (स्त्री.) (तद्<पौत्री) - बेटे की बेटी। तु. पोता।

पोर - (पुं.) (तद्<पर्व) - 1. ईख, बाँस आदि की गाँठों के बीच का हिस्सा। 2. उंगली की गाँठ या जोड़ जहाँ से वह मुड़ती है। 3. उंगली में दो गांठों के बीच का भाग। उदा. उंगलियों में तीन-तीन पोर होते हैं जबकि अंगूठे में दो ही पोर होते हैं।

पोला - (वि.) (देश.) - 1. जो भीतर से खोखला हो, जिसके अंदर कुछ न हो, केवल वायु या शून्य हो। उदा. पोली नाली, पोला पाइप। 2. ज़मीन का वह भाग जिसमें थोड़ा अंदर की ओर हवा हो या शून्य हो। पोली ज़मीन। पर्या. खोखला। विलो. ठोस। मुहा. 1. ढोल में पोल होना=ऊपर पूरा दिखावा होना, परंतु अंदर कुछ न होना। 2. पोल खुल जाना=कमज़ोरी का पता चल जाना।

पोलियो - (पुं.) - (अं.) सा.अर्थ छोटे बच्चों को होने वाला एक रोग जिसमें हाथ-पैरों की नसें कमजोर हो जाती हैं तथा हाथ-पैर पतले या टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। आयु. तंत्रिकातंत्र में विषाणु संक्रमण से उत्पन्न रोग जो लसिकातंत्र, रूधिर तथा तंत्रिका तंत्र में फैल जाता है। गले और आँतों में मंद संक्रमण से आरंभ होकर बाद में यह रोग मंद पक्षाघात उत्पन्न कर देता है। अब इसकी वैक्सीन उपलब्ध है।

पोलियो ड्रॉप - (स्त्री./पुं.) (दे.) - (अं.) पोलियो की बीमारी से बचने के लिए बच्चों को पिलाई जाने वाली दवा की बूँदे। दे. पोलियो।

पोश - (पुं.) (फा.) - 1. जिससे कोई वस्तु ढकी जाए। जैसे-मेजपोश, तख्तपोश, पलंगपोश। 2. पहनने की चीज़, कपड़ा।

पोशाक - (स्त्री.) (फा.) - सा.अर्थ पहनने के कपड़े। 1. गर्मी-सर्दी से बचने और नंगेपन को ढकने के लिए शरीर पर पहने जाने वाले सलीकेदार कपड़े। पर्या. वस्त्र, परिधान, पहनावा, लिबास। dress 2. किसी विशेष वर्ग के व्यक्‍ति समूह के लिए अवसर विशेष पर पहने जाने वाले एक ही प्रकार के वस्त्र। जैसे: विद्यालयों में पहने जाने वाले छात्र-छात्राओं के वस्त्र, सैनिकों की वेशभूषा, देशवार क्रिकेट के खिलाडि़यों के वस्त्र आदि। पर्या. गणवेश uniform

पोशीदा - (वि.) (फा.) - छिपा हुआ, ढका हुआ, गुप्‍त।

पोषक - (वि.) (तत्) - पोषण करने वाला (तत्व) दे. पोषण। nutritive

पोषण - (पुं.) (तत्) - जीवों द्वारा भोजन को अंतर्ग्रहण, पाचक तथा स्वांगीकरण (स्व+अंगीकरण) की प्रक्रिया। nutrition

पोष्य - (वि.) (तत्) - पोषण करने योग्य; पाले जाने योग्य। दे. पोषण।

पोस्टर - (पुं.) - (अं.) सर्वसाधारण को सूचना पहुँचाने के लिए बड़े-बड़े अक्षरों में लिखकर या छपवाकर दीवारों पर चिपकाने के लिए बनाया गया विज्ञापन का प्रसिद् ध साधन।

पोस्टेज - (पं.) - (अं.) डाक विभाग में डाक के पत्र, पार्सल, धनादेश आदि भेजे जाने का खर्च। पर्या. डाकव्यय, डाक-महसूल।

पौध (पोद) - (स्त्री.) (तत्) - बीज से निकला हुआ नवजात पौधा जो या तो अपने मूल स्थान पर ही बढ़ता रहता है या कहीं और जगह रोपा जाकर विकसित होता है। sapling, seedling

पौधघर/पौधा-घर - (पुं.) (तत्+ तद्.) - शीशे, प्लास्टिक अथवा पॉलिथीन से बनी घर जैसी संरचना जिसमें नियंत्रित तापमान पर पौधे उगाए जाते हैं। green house तु. पौधशाला।

पौधशाला - (स्त्री.) (तत्) - वह स्थान जहाँ तरह-तरह के पौधे बिक्री हेतु या अन्यत्र रोपने के लिए उगाए जाते हैं। तु. पौधघर। nursery

पौधा - (पुं.) (तत्) - सा.अर्थ वृक्ष या पेड़ के उगते समय का प्रारंभिक रूप; नया और छोटा पेड़। तु. पादप, वनस्पति, पेड़।

पौधाघर-प्रभाव - (पुं.) - कार्बनडाइ ऑक्साइड आदि गैसों द्वारा हमारी पृथ्वी के वायुमंडल पर दुष्प्रभाव, जिसके कारण विकिरणकारी गैसें भूपृष्‍ठ से बाहर नहीं जा पाती और सूर्य से आने वाला हानिकारक विकिरण पृथ्वी के वायुमंडल को दुष्प्रभावित करता है। green house effect

पौराणिक [पुराण+ईक] - (वि.) (तत्) - (i) पुराणों से संबंधित। जैसे: पुराणिक काल। (ii) पुराणों में बताया हुआ। जैसे: पौराणिक कथा। दे. पुराण।

पौरूष हार्मोन - (पुं.) (तत्+अं.) - वे हार्मोन जो लडक़ों में वयस्कों के लक्षण उत्पन्न करते हैं। जैसे-चेहरे पर बाल आना आदि।

पौष्‍टिक (पुष्‍ट+इक) - (वि.) (तत्) - पोषण प्रदान करने वाला। दे. पोषण।

प्यारा - (वि.) ([तद्<प्रिय] ) - 1. प्रिय लगने वाला। पर्या. प्रिय, प्रेमपात्र। 2. मासूम-सा दिखने वाला।

प्यूपा - - (अं.) कीटों के परिवर्धन के दौरान लारवा तथा वयस्क के बीच की अवस्था जिसमें चलने-फिरने और पोषण की क्रियाएँ नहीं होती हैं। इसमें लारवा के अंगों का पुनर्गठन होकर वयस्क अंगों का परिवर्धन होता है। जैसे: रेशम का कोया, तितली का क्राइसेलिस। पर्या. कोशित। तु. लारवा/लार्वा। pupa

प्यूबिक - (वि.) - (अं.) जघन-संबंधी, उदर के निम्न भाग वाले क्षेत्र से संबंधित। जघनास्थि 1. जघन की अस्थि या हड्डी; दो हडि्डयों में से कोई एक जो तीसरी हड्डी के साथ मिलकर श्रोणि के अधर भाग के दोनों ओर चाप के आकार की रचना का निर्माण करती है। pubic

प्रकटन अवधि - (स्त्री.) (तत्.) - आयु. संक्रमण होने और रोग के प्रथम लक्षण दिखाई देने के बीच का समय। incubation period

प्रकरण - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी पुस्तक का एक भाग जिसमें किसी एक विषय का वर्णन हो। chapter 2. प्रसंग, विषय (जिसके बारे में कुछ कहा जाए या लिखा जाए) topic

प्रकांड - (वि.) (तत्.) - (प्र=विशेष रूप से +कांड=मूल से शाखा तक फैला वृक्ष का तना; विस्तृत) जिसे विषय के प्रत्येक पक्ष का गहन और विस्तृत ज्ञान हो। जैसे: प्रकांड पंडित।

प्रकार - (पुं.) (तत्.) - एक ही तरह की वस्तुओं अथवा प्राणियों का वर्ग जिसे अन्य वस्तुओं आदि से अलग पहचाना जा सके। पर्या. किस्म, रीति, ढंग। जैसे: हमारे देश में कई प्रकार की भाषाएँ बोली जाती हैं।

प्रकार्य - (पुं.) (तत्.) - विशेष प्रकार का विशिष्‍ट कार्य। function

प्रकाश - (पुं.) (तत्.) - 1. वह शक्‍ति या तत् व जिसके कारण हम वस्तुओं को देख पाते हैं। भौ. वह प्राकृतिक कारक (विद् युत चुंबकीय विकिरण) जो आँख के दृष्‍टिपटल पर पडक़र वस्तुओं को दृश्यमान बनाता है। light 2. आलोक, ज्योति, रोशनी। 3. सूर्य की किरणें, धूप।

प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एल ई डी LED) - (पुं.) (तत्.+तत्.+अं.) - एक छोटा विद्युत उपकरण जो दुर्बल विद् युत धारा होने पर भी प्रकाश दे सकता है। इसे बैटरी के धन/ऋण टर्मिनलों से जोड़ा जाता है। आजकल ट्रैफिक सिग्नल लाइट में प्रकाश के लिए इसका प्रयोग किया जा रहा है। यह अनेक रंगों में उपलब्ध है। LED

प्रकाश वर्ष - (पुं.) (तत्.) - आकाशीय दूरी का एक मानक। एक सौर वर्ष में सूर्य का प्रकाश जितनी दूरी तय करता है, उस दूरी के प्रकाश वर्ष कहते हैं, (प्रकाश एक सेकेंड में लगभग तीन लाख छियासी हजार कि.मी. की दूरी तय करता है। light year टि. हमारे सूर्य के अतिरिक्‍त निकटतम तारा (एल्‍फा सेंटॉरी) पृथ्‍वी से लगभग 4.3 प्रकाश वर्ष दूर है। (लगभग 4×1013 किलो मीटर)

प्रकाश स्तंभ - (पुं.) (तत्.) - 1. रोशनी का खंभा, बिजली का खंभा (इलैक्‍ट्रिक पोल)। 2. समुद्र तट पर स्थापित प्रकाश-मीनार जो नाविकों, जहाजों का मार्ग-प्रदर्शन करने के साथ-साथ उन्हें संभावित खतरों से चेतावनी देने के काम आती है। पर्या. दीपस्तंभ, प्रकाशगृह, आकाशदीप light house

प्रकाशन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ रोशनी डालना, प्रकाशित करने का कार्य। तक.अर्थ वे पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाएँ आदि जिन्हें बेचने बाँटने के लिए छपवा लिया जाता है; इस तरह छपी सामग्री। publication

प्रकाश-पिंड - (पुं.) (तत्.) - वह आकाशीय पिंड (गोला) जो प्रकाश उत्सर्जित करता है। तारा, सूर्य (जो एक तारा ही है।)। star

प्रकाशपुंज - (पुं.) (तत्.) - प्रकाश की लगभग समांतर किरणों का समूह। beam of light

प्रकाश-संश्‍लेषण - (पुं.) (तत्.) - वन. हरे पौधों द्वारा वायुमंडल की कार्बन डाइऑक्साइड और जल से कार्बोहाइड्रेट का निर्माण। इस प्रक्रिया में हरा वर्णक पर्णहरित उत्प्रेरक का काम करता है। photo=synthesis

प्रकाशित [प्रकाश+इत] - (वि.) (तत्.) - 1. प्रकाश से युक्‍त; प्रकाश में लाया हुआ/लाई हुई; प्रकट किया हुआ/हुई। 2. मुद्रित, छपी हुई (सामग्री) विलो. अप्रकाशित।

प्रकीर्ण - (वि.) (तत्.) - जो सघन न हो, बिखरा हुआ/बिखरी हुई; फैला हुआ/फैली हुई। जैसे: प्रकीर्ण बस्ती।

प्रकीर्णन - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ बिखरना, फैलना, बिखराव। भौ. प्रक्रम जिसमें आने वाले विकिरण की दिशा अथवा ऊर्जा में बिखराव आ जाता है। जैसे: प्रकाश और ध्वनि तरंगों में।

प्रकृति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी व्यक्‍ति या वस्तु का मूल स्वभाव। पर्या. मिजाज, स्वभाव। 2. वह मूल शक्‍ति जिससे संपूर्ण जीव-जगत उत्पन्न हुआ है। 3. वह जो हमें चारों ओर पेड़-पौधे, नदी आदि के रूप में दिखाई पड़ता है। nature

प्रकोप - (पुं.) (तत्.) - 1. वह अधिक कोप या क्रोध। जैसे: प्रकृति का प्रकोप (भूकंप या सुनामी के समय) 2. बीमारी को बढ़ाने वाली शक्‍ति। उदा. आजकल शहर में डैंगू का प्रकोप फैला हुआ है।

प्रक्रम - (पुं.) (तत्.) - एक के बाद एक संक्रियाओं का क्रम जिससे किसी कार्य विशेष का संपादन होता है। process तु. प्रक्रिया।

प्रक्रिया - (स्त्री.) (तत्.) - किसी कार्य को संपादित करने का तरीका। procedure पर्या. क्रियाविधि। तु. प्रक्रम।

प्रक्षेपण [प्रक्षेप+न] - (पुं.) (तत्.) - एक स्थान से दूर फेंकना या दागना। projection उदा. भारत ने अंतरिक्ष में उपग्रह का प्रक्षेपण किया।

प्रक्षेपास्त्र [प्रक्षेप+अस्त्र] - (पुं.) (तत्.) - सैन्य. ऐसा संहारक अस्त्र (हथियार) जो शत्रुपक्ष पर बहुत दूर से निशाना साधता है। missile

प्रखर [प्र+खर=तीखा, तेज़ धार वाला] - (वि.) (तत्.) - बहुत ही तीक्ष्ण। उदा. प्रखर धूप, प्रखर ताप, प्रखर गर्मी, प्रखर वृद्धि

प्रख्यात - (वि.) (तत्.) - प्रसिद्ध, मशहूर, विख्यात। जैसे: प्रख्यात व्यक्‍ति, प्रख्यात कवि।

प्रगति - (स्त्री.) (तत्.) - तेजी से आगे बढ़ना। उदा. हमारा देश विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है।

प्रगतिशील [प्रगति+शील] - (वि.) (तत्.) - 1. निरंतर आगे की ओर बढ़ने वाला, उन्नतिशील। 2. पुराने शिथिल या रूढ़ विचारों को छोडक़र नए विचारों व नई व्यवस्थाओं को अपनाने वाला। उदा. 1. आर्थिक दृष्‍टि से मेरा परिवार निरंतर प्रगतिशील बना हुआ है। 2. मेरा मित्र प्रगतिशील विचारों का है।

प्रगतिशीलता - (स्त्री.) (तत्.) - रूढ़ विचारों को छोडक़र निरंतर नए विचारों को अपनाते रहने का भाव।

प्रगलन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ बलपूर्वक गलाना। रसा. अयस्क में कुछ रसायन मिलाकर और उच्च ताप पर पिघलाकर धातु को शुद् ध करने की प्रक्रिया।

प्रचंड - (वि.) (तत्.) - 1. बहुत तीव्र या तेज़, प्रखर, गतिशील-प्रचंड ताप, प्रचंड वेग। 2. भयंकर, भयानक, भीषण- सुनामी की प्रचंड लहरें। 3. असह्य – प्रचंड गर्मी।

प्रचलन - (पुं.) (तत्.) - 1. वस्तु, प्रथा, रिवाज आदि के जारी रहने का भाव या क्रिया। उदा. 1. आजकल चव्वनी, अठन्नी का प्रचलन नहीं है, पहले था। 2. अब घूँघट प्रथा का प्रचलन कम होता जा रहा है। 2. व्यवहार, चलन या प्रयोग में आना। उदा. आजकल चूड़ीदार पाजामे का प्रचलन हो गया है।

प्रचलित - (वि.) (तत्.) - प्रचलन में आया हुआ। दे. प्रचलन।

प्रचार - (पुं.) (तत्.) - किसी सूचना, विचार, वस्तु, भाषा आदि को जनता में अधिक-से-अधिक फैलाने का निरंतर प्रयास। उदा. हिंदी के प्रचार के लिए देश में कई गैर-सरकारी संगठन स्थापित हैं।

प्रचारक - (वि.) (तत्.) - प्रचार करने वाला। जैसे: धर्म-प्रचारक, हिंदी प्रचारक। उदा. गैर-सरकारी हिंदी संगठनों में कई प्रचारक कार्यरत हैं। दे. प्रचार।

प्रचारित - (वि.) (तत्.) - 1. जिसका प्रचार किया गया हो। उदा. नव प्रकाशित पुस्तक को प्रचरित करने के लिए एक विचार गोष्‍ठी आयोजित की गई। । 2. वे नियम, सिद्धांत, योजना आदि जिनकी घोषणा दी गई हो, घोषित। उदा. मेट्रों के तीसरे चरण की योजना को प्रचारित कर दिया गया।

प्रचालक - (पुं.) (तत्.) - किसी यंत्र के समुचित संचालन में लगा व्यक्‍ति/कर्मचारी। जैसे: टेलीफ़ोन प्रचालक। operator

प्रचालन - (पुं.) (तत्.) - चलाने की क्रिया, संचालन। किसी अभियान, यंत्र अथवा कार्य के सफल संचालन के लिए आवश्यक सभी क्रियाएँ। operation

प्रचुर - (वि.) (तत्.) - मात्रा में बहुत अधिक। उदा. बंगाल में मछली प्रचुर मात्रा में खाई जाती है।

प्रचुरता - (स्त्री.) (तत्.) - मात्रा में बहुत अधिक होने का भाव, अधिकता। दे. प्रचुर।

प्रच्छन्न - (वि.) (तत्.) - ढका या लपेटा हुआ, छिपा हुआ, गुप्‍त। जैसे: वस्त्रों से प्रच्छन्नचित। उदा. 1. कुछ विचारकों ने आदि शंकर को प्रच्छन्न बौद्ध कहा है। 2. विद्या प्रच्छन्न धन है।

प्रजनन - (पुं.) (तत्.) - संतान उत्पन्न करना, संतानोत्पत्‍ति। reproduction उदा. सभी प्राणियों में वंशवृदि्ध प्रजनन क्रिया से होती है।

प्रजातंत्र [प्रजा+तंत्र] - (पुं.) (तत्.) - किसी देश की वह शासन-व्यवस्था जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि विधि-निर्माण करते हैं और तदनुसार उन्हीं में से बनी कार्यपालिका देश का शासन चलाती है। पर्या. लोकतंत्र democracy

प्रजातंत्रीय - (वि.) (तत्.) - प्रजातंत्र से संबंधित, प्रजातंत्रवाली।

प्रजाति - (स्त्री.) (तत्.) - मनुष्यों, पशु-पक्षियों, पौधों का वह समुदाय जिसमें समान आनुवंशिक अभिलक्षण पाए जाते हो। इन अभिलक्षणों को बदला नहीं जा सकता। पर्या. नस्ल। जैसे: मंगोल प्रजाति, नीग्रोप्रजाति; स्तनपायी प्रजाति, सरीसृप प्रजाति। race

प्रज्ञाचक्षु [प्रज्ञा+चक्षु] - (वि./पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ बुद्धि‍ (प्रज्ञा) ही जिसके लिए आँखों (चक्षुओं) का काम करे। विक. अर्थ. नेत्रहीन, अंधा। उदा. सूरदास प्रज्ञाचक्षु (अंधे) थे।

प्रज्वलित [प्र+ज्वलित] - (वि.) (तत्.) - (विशेष रूप से), जलता हुआ, जला हुआ। उदा. दीपावली की शाम प्रज्वलित दीपों से जगमगा उठी।

प्रणय - (पुं.) (तत्.) - पति-पत्‍नी या प्रेमी-प्रेमिका के मध्य आपसी प्रेम। उदा. राधाकृष्ण उत्कृष्‍टतम प्रणय के प्रतीक हैं।

प्रणयन - (पुं.) (तत्.) - किसी साहित्यिक कृति की रचना। उदा. इस वर्ष मैंने जिन कविताओं का प्रणयन किया, वे अब पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित हो गई हैं।

प्रणाम - (पुं.) (तत्.) - 1. पूज्य जनों, विद् वानों, गुरुजनों, बड़ों आदि को हाथ जोडक़र व सिर झुकाकर किया जाने वाला अभिवादन, नमन, वंदन। 2. बड़ों का सम्मान करने के लिए नमस्कार। जैसे: 1. रामचन्द्र ने ऋषि विश्‍वामित्र को दंडवत् प्रणाम किया। 2. परीक्षा से पूर्व हम गुरुजनों को प्रणाम करते हैं।

प्रणाली - (स्त्री.) (तत्.) - 1. पानी निकलने का छोटा मार्ग। 2. दो बड़े जलाशयों को मिलाने वाला जलमार्ग। (चैनेल) 3. किसी काम को आरंभ से अंत तक करने का पद् धति, ढंग, तरीका , विधि। 4. कोई सूचना आदि अन्यत्र भेजने का साधन। channel

प्रताड़ना - (स्त्री.) (तत्.) - 1. बुरी तरह से डाँटना-डपटना, फटकारना, झिड़कना। reprimeand

प्रताड़ि‍त - (वि.) (तत्.) - जिसकी प्रताड़ना हुई हो, जिसे भला-बुरा कहा गया हो या फटकारा गया हो। उदा. पत्‍नी रत्‍नावली से प्रताडि़त होकर तुलसी ने गृहस्थ जीवन त्याग दिया और रामभक्‍ति में जीवन समर्पित कर दिया।

प्रताप - (पुं.) (तत्.) - महिमा, वीरता, गौरव, तेज, पौरूष, प्रभुत्व, यश, पुण्य आदि का मिला जुला गुण। उदा. पूर्वजों के पुण्य-प्रताप से ही मैं भीषण दुर्घटना के बावजूद बच गया।

प्रति उपसर्ग - (तत्.) (तत्.) - विभिन्न शब्दों के साथ जुडक़र निम्नलिखित अर्थ देने वाला उपसर्ग। 1. विपरीतता जैसे : प्रतिक्रिया। 2. विरोध जैसे: प्रतिबल। 3. बदला जैसे: प्रत्युपकार। 4. पुन: पुन: होना जैसे: प्रतिदिन। 5. समानता प्रतिद्वंद्वी, प्रतिनिधि। 6. सामने होना, प्रत्यक्ष। 7. खंडन प्रतिवाद। 8. मुकाबला, प्रतिभट। 9. अधीन होना प्रति समाहर्ता आदि। अव्यय 1. ओर – जैसे: घर के प्रति 2. विरूद्ध जैसे: देश के प्रति द्रोह 3. साथ जैसे: बच्चे के प्रति स्नेह 4. विषय में जैसे: पढाई के प्रति लगाव। स्त्री. तत्. पुस्तक, समाचार-पत्र पत्रिका आदि की एक इकाई। जैसे: पुस्तक की प्रति। copy

प्रतिअम्ल - (पुं.) (तत्.) - रसा. अम्लों को उदासीन करने अथवा अम्लता को समाप्‍त करने के लिए प्रयुक्‍त पदार्थ। जैसे: सोडियम बाइकार्बोनेट। anti-acid

प्रतिकार - (पुं.) (तत्.) - (प्रति+कार) 1. किसी कार्य का प्रभाव रोकने या दबाने आदि के लिए किया जाने वाला कार्य, रोकथाम। उदा. सरकार ने बाबा रामदेव के आंदोलन का सख्ती से प्रतिकार किया। 2. प्रतिशोध, बदला। उदा. उसने अपने साथ हुए अपमान का प्रतिकार उसे दंड दिलवा कर लिया।

प्रतिकूल - (वि.) (तत्.) - विपरीत परिणाम देने वाला। उदा. प्रतिकूल परिस्थितियों में भी धैर्य नहीं खोना चाहिए। विलो. अनुकूल।

प्रतिकूलता - (स्त्री.) (तत्.) - विपरीत होने का भाव; प्रतिकूल होने की स्थिति। विलो. अनुकूलता।

प्रतिकूल प्रभाव - (पुं.) (तत्.) - चाहें तो अच्छा पर परिणाम प्रतिकूल निकले। उदा. एैलोपेथी की दवाएँ हमारे एक रोग को तो ठीक कर देती हैं पर प्रतिकू प्रभाव वाली होने के कारण दूसरे रोग को पैदा भी कर सकती हैं। adverse effect

प्रतिकृति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी व्यक्‍ति या वस्तु की हूबहू प्रतिमा। उदा. यह लडक़ा अपने पिता की प्रतिकृति है। मूल आकृति की हूबहू नकल। जैसे: छायाचित्र, इलैक्ट्रास्टेट प्रति।

प्रतिक्रिया - (स्त्री.) (तत्.) - किसी क्रिया के विरोध में (या परिणामस्वरूप) होने वाली दूसरी क्रिया। जैसे: गेंद के पटकने पर गेंद के उछलने की क्रिया। reaction तु. अनुक्रिया (तकनीकी अर्थ में| रसा.

प्रतिग्रह - (पुं.) (तत्.) - 1. दान में दी गई किसी भी वस्तु, धन आदि को स्वीकार करना। 2. ब्राह् मण के द्वारा लिया जाने वाला वह दान जो उसे विधिपूर्वक दिया जाए। 3. पाणिग्रह, विवाह। उदा. कुलीन व श्रेष्‍ठ ब्राह्मण किसी का प्रतिग्रह स्वीकार नहीं करता।

प्रतिजीवी औषधियाँ - (स्त्री.) (तत्.) - सूक्ष्मजीवों से बनी दवाएँ (जो जीवाणु और कवकों के संक्रमण से होने वाले रोगों के नियंत्रण में लाभकारी सिद्ध चुकी हैं)। जैसे: पेनिसिलिन। antibiotic drugs

प्रतिजीवी/प्रतिजैविक द्रव्य - (पुं.) (तत्.) - रसा. सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न रासायनिक पदार्थ जो औषधि के रूप में प्रयुक्‍त होकर जीवाणु और कवकों के संक्रमण से होने वाले रोगों के नियंत्रण में लाभकारी सिद्ध हुई हैं। उदा. पेनिसिलिन। antibiotic

प्रतिज्ञा - (स्त्री.) (तत्.) - किसी कार्य को संपन्न करने या न करने का संकल्प। पर्या. प्रण, निश्‍चय।

प्रतिदर्श - (पुं.) (तत्.) - गणि. वस्तुओं या आँकड़ों के समूह में से उठाई गई कोई इकाई जिसका विश्‍लेषण-परीक्षण कर उस समूह (या वर्ग) की सामान्य प्रवृत्‍तियों या गुणधर्मों की जानकारी प्राप्‍त की जा सकती है। पर्या. नमूना। sample

प्रतिदान - (पुं.) (तत्.) - किसी अच्छे काम के बदले में किया गया अच्छा काम; किसी दी हुई वस्तु के बदले में प्राप्‍त दूसरी वस्तु। (repayment; return gift)

प्रतिदीप्‍त नलिका - (स्त्री.) (तत्.) - ऊर्जा अवशोषण के परिणामस्वरूप विद् युत-चुंबकीय विकिरण के उत्सर्जन से युक्‍त प्रकाश नलिका। पर्या. ट्यूब-लाइट। florescent tube

प्रतिदीप्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - ऊर्जा अवशोषण के परिणामस्वरूप किसी पदार्थ विशेष से विद्युत चुंबकीय विकिरण का उत्सर्जन। जैसे: ट्यूबलाइट में florescence

प्रतिद्वंद्व - (पुं.) (तत्.) - सामान्यत: दो बराबर के तुल्य बलशाली व्यक्‍तियों या विचारधाराओं में परस्पर लड़ाई, टक्कर, विरोध आदि। rivalry, antagonism, centest

प्रतिद्वंद्वी - (वि.) (पुं.) - (तत्.) सामान्यत: दो बराबर के (तुल्य) बल वाले व्यक्‍तियों या भिन्न-भिन्न विचारधाराओं में विश्‍वास रखने वाले समूहों के बीच सक्रिय टक्कर। पर्या. विरोधी, प्रतिपक्षी, प्रतियोगी। rival, antagonist, centestant

प्रतिद्वन्‍द्वी - (वि.) (पुं.) - (तत्.)1. जो किसी का सक्रिय रूप से विरोध करे, विरोधी; शत्रु। उदा. महाभारत युद् ध में कर्ण अर्जुन को अपना प्रतिद्वंद्वी मानता था। rival, antagonist। 2. किसी प्रतियोगिता में दूसरे से मुकाबला करने वाला, उदा. कुश्ती प्रतियोगिता में अनेक पहलवान प्रतिद्वंद्वी हैं।

प्रतिधारी - (वि.) (तत्.) - (दीवार) भूमि को खिसकने से रोकने वाला, किनारे की मिट् टी को गिरने से रोकने वाला।

प्रतिध्वनि - (स्त्री.) (तत्.) - किसी ध्वनि के किसी तल पर टकराने के फलस्वरूप उत्पन्न किसी उसी से मिलती-जुलती ध्वनि जो कुछ विलंब से सुनाई देती है। पर्या. गूँज। echo

प्रतिनिधि - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी की ओर से कोई काम करने के लिए नियुक्‍त अथवा निर्वाचित व्यक्‍ति। जैसे: वकील, अभिकर्ता (एजेन्ट), संसद्-सदस्य आदि। 2. किसी रचनाकार के समग्र साहित्य से चुनी हुई कुछ रचनाएँ जो स्वयं उसे या संपादक को पसंद हों और जिन्हें पढक़र पाठक वर्ग को उस रचनाकार की रचनात्मक प्रतिभा की जानकारी मिल जाए। जैसे: कमलेश्‍वर की प्रतिनिधि कहानियाँ। representative

प्रतिनिधि मंडल - (पुं.) (तत्.) - किसी सभा, सम्मेलन, आयोजन आदि में भाग लेने के लिए संबंधित विषय-विशेषज्ञों का मनोनीत दल जिसका नेतृत्व कोई नामित सदस्य करता है। delegation

प्रतिनिधित्व - (पुं.) (तत्.) - प्रतिनिधि होने या बनने का भाव। दे. प्रतिनिधि।

प्रतिपर्ण - (पुं.) (तत्.) - किसी रसीद, चालान, चैक आदि का वह भाग जो उसे जारी करने वाला रिकार्ड के लिए अपने पास रखता है। पर्या. अधपन्ना। जैसे: बैंक के खाते में धन जमा करने के लिए भरी पर्ची का प्रतिपर्ण/अधपन्ना। counter file

प्रतिपादन - (पुं.) (तत्.) - 1. पहले स्वयं अच्छी तरह समझकर फिर दूसरों के सामने किसी विषय का विवेचन करना। उदा. शिक्षक ने कक्षा में अलंकारों के महत्त्व का प्रतिपादन किया। 2. किसी विषय का प्रमाणपूर्वक कथन, निरुपण। उदा. आज एक वैज्ञानिक ने खगोलीय तत्त्वों का सप्रमाण प्रतिपादन किया।

प्रतिपादित - (वि.) (तत्.) - जिसका प्रतिपादन किया हो; अच्छी तरह समझाया हुआ, उदा. ‘पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है’ यह सिद्धांत आर्यभट्ट द्वारा प्रतिपादित है।

प्रतिपाद्य - (वि.) (तत्.) - जिसका प्रतिपादन किया जाना हो; प्रतिपादन के योग्य। उदा. निराला की कविता का प्रतिपाद्य विषय सामाजिक चेतना जगाना है।

प्रतिपूर्ती - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ पुन: प्राप्‍त करना, किसी के बदले में की गई पूर्ति; सा.अर्थ किसी प्रयोजन के लिए व्यय किए गए धन की संस्था द्वारा नियमानुसार वापसी या भरपाई। reimbursement

प्रतिबंध - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी काम में खड़ी की गई रुकावट, बाधा, अवरोध आदि। जैसे: स्कूलों के पास हार्न (भोपू) बजाने पर प्रतिबंध है। restriction। 2. किसी काम या बात के लिए लगाई गई शर्त। condition

प्रतिबंधित [प्रतिबंध+इत] - (वि.) (तत्.) - जिस पर प्रतिबंध लगा हो। जैसे: प्रतिबंधित दवाएँ, प्रतिबंधित क्षेत्र।

प्रतिबद् ध - (वि.) (तत्.) - जिसने कोई कार्य पूरा करने का प्रण किया हो। जैसे: भ्रष्‍टाचार मिटाने के लिए प्रतिबद्ध, सच बोलने के लिए प्रतिबद्ध आदि।

प्रतिबिंब - - 1. किसी वस्तु की हूबहू प्रतिमा जो प्रकाश के परावर्तन के कारण दिखलाई देती है। reflection उदा. दर्पण में/जल में हम अपना प्रतिबिंब देख सकते हैं।

प्रतिभा - (स्त्री.) (तत्.) - बुद्धि की वह शक्‍ति जिससे कोई व्यक्‍ति किसी विषय को शीघ्रता से समझ लेता है, उसे स्मरण रखता है, उस पर विचारपूर्वक शीघ्र निर्णय ले सकता है तथा अवसर आने पर शीघ्र उसका उपयोग कर सकता है। talent

प्रतिभा पलायन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ प्रतिभा (प्रतिभाशाली व्यक्‍ति) का कहीं और चला जाना। अन्यत्र-चले जाना। सा.अर्थ अपने देश में उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्‍त कर रोजगार के बेहतर अवसर तलाशने और धनार्जन को ही प्रमुखता देने वाले शिक्षित व्यक्‍ति जो बड़ी संख्या में विदेश चले जाते हैं। brain-drain

प्रतिभू - (पुं.) (तत्.) - व्यक्‍ति जो दूसरे व्यक्‍ति की जमानत देता है। पर्या. जामिन surety

प्रतिभूति - (स्त्री.) (तत्.) - जमानत देने का काम। पर्या. जमानत। secuirty

प्रतिमा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. मिट्टी, पत्थर धातु आदि से बनी आकृति। पर्या. मूर्ति। 2. ला.अर्थ करुणा की साक्षात् प्रतिमा हो तुम। 3. समानता का भाव (समास में) दे. अप्रतिम।

प्रतिमान - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ समान मान वाली दूसरी वस्तु। सा.अर्थ उदाहरण के रूप में कोई वस्तु या व्यक्‍ति। पर्या. आदर्श। (मॉडल)। 2. वह पद्धति या प्रकार जिसके अनुसार सभी कार्य किए जाते हैं। pattern

प्रतिमूर्ति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. मिट्टी, पत्थर, धातु आदि से निर्मित आकृति। पर्या. मूर्ति। 2. किसी का दूसरों में दिखाई पड़ने वाला यथावत् स्वरूप। जैसे: करुणा की प्रतिमूर्ति। 3. पर्या. प्रतिमा, अनुकृति।

प्रतियोग - (पुं.) (तत्.) - किसी के प्रभाव को कम या नष्‍ट करने की क्रिया। 1. विरोध, विपरीत क्रिया। 2. परस्पर विरोधी वस्तुओं का अंतर्संबध।

प्रतियोगिता (प्रतियोगी+ता) - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ प्रतियोगी होने का भाव। सा.अर्थ वह आयोजन जिसमें एकाधिक प्रतियोगियों में से प्रत्येक अपनी श्रेष्‍ठता का प्रदर्शन करने का प्रयत्‍न करे। पर्या. प्रतिस्पर्धा, प्रतिद्वंद् विताता, होड, मुकाबला competition दे. प्रतियोगी।

प्रतियोगी (प्रतियोग+ई) - (वि.) (तत्.) - 1. प्रतियोगिता में भाग लेने वाला व्यक्‍ति या दल। competitor, participant 2. बराबर शक्‍तिवाला विरोधी या शत्रु। पर्या. प्रतिद्वंद्वी।

प्रतिरक्षण/प्रतिरक्षा - (स्त्री.) (तत्.) - सा.अर्थ 1. बचाव, संरक्षण, हिफाजत। protection safeguard 2. रोगों आदि से बचाव precaution। पारि. अर्थ किसी विरोधी के आक्रमण से सुरक्षा या बचाव। उदा. भारत सरकार का प्रतिरक्षा मंत्रालय (अब रक्षा मंत्रालय) defence ministry

प्रतिरक्षी - (वि.) (तत्.) - 1. प्रतिरक्षा करने वाला। 2. रोगों आदि से बचाव करने वाला। दे. प्रतिरक्षा।

प्रतिरक्षीकरण - (पुं.) (तत्.) - आयु. रोग का पूर्ण प्रतिरोध। immunization

प्रतिरूप - (पुं.) (तत्.) - किसी अन्य जैसा रूप, व्यवहार, चाल ढाल, पहनावा आदि। उदा. आप मेरे लिए साक्षात् ईश्‍वर के प्रतिरूप हैं।

प्रतिरूपण [प्रतिरूप+न] - (पुं.) (तत्.) - 1. अभिनय के लिए किसी पात्र का रूप धारण करना। personation 2. विधि. धोखा देने की नीयत से किसी अन्य व्यक्‍ति के समान वस्त्र धारण करना, अन्तरण करना अथवा उसके नाम या पद को अपना नाम या पद बताना। impersonation

प्रतिरोध - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ विरोध; रुकावट, बाधा। तक.अर्थ 1. किसी प्रकार के आक्रमण को रोकने के लिए किया जाने वाला कार्य। 2. भौ. गतिमान वस्तु के वेग को घटाने की प्रवृत्‍ति, विशेषकर विद् युत प्रवाह को सीमित करने की पदार्थ की क्रिया जिसके कारण विद् युत शक्‍ति का ताप शक्‍ति में रूपातंरित हो जाता है। resistance

प्रतिरोधक - (वि.) (तत्.) - सा.अर्थ प्रतिरोध से संबंधित; 2. प्रतिरोधित करने वाला; बचाव करने वाला। पुं. मिश्रधातु के तार की कुंडली जो विद्युत-धारा को सीमित करने के लिए परिपथ में लगाई जाती है। पर्या. प्रतिरोधी। resistant

प्रतिरोधी - (तत्.) (वि.) - सा.अर्थ वि. प्रतिरोध से संबंधित; 2. प्रतिरोध करने वाला। तक.अर्थ पुं. आयु. पदार्थ जो रोगकारक अणु जीवों की वृद् धि‍ को रोक दे (आवश्यक नहीं कि यह पदार्थ अणुजीवों का नाश कर ही दे।) जैसे: कार्बोलिक अम्ल antiseptic

प्रतिरोपण - (पुं.) (तत्.) - 1. कृषि पाद को एक स्थान से उखाडक़र दूसरी जगह रोपना या लगाना। जैसे: धान का प्रतिरोपण। 2. बाग-पौधे की एक टहनी को तराश कर दूसरे पौधे के तराशे गए स्थान पर जोड़ना ताकि उस पौधे की नस्ल में सुधार हो जाए। जैसे: गुलाब के पौधे में प्रतिरोपण। 3. आयु. शल्य चिकित्सा द्वारा किसी जीवित व्यक्‍ति या शव के विच्छेदित अंग को किसी रोगी के शरीर में रोपना/लगाना। जैसे: यकृत (लीवर) या नेत्रगोलक का प्रत्यारोपण। transplantation

प्रतिलिपि - (स्त्री.) (तत्.) - हस्तलिखित, कार्बन पेपर, टापइराइटर अथवा इलैक्‍ट्रॉनिक उपकरण द् वारा किसी लेख, पुस्तक आदि की ज्यों की त्यों नकल। पर्या. अनुलिपि। duplicate copy

प्रतिवाद - (पुं.) (तत्.) - किसी अन्‍य के मत, विचार या दावे का खंडन करते हुए अपना मत या विचार प्रस्‍तुत। विलो. वाद

प्रतिवादी - (वि./पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ प्रतिवाद करने वाला (व्यक्‍ति) विधि. वादी के दावे को स्वीकार न करते हुए उसके कथन का विरोध करते हुए अपना पक्ष प्रस्तुत करने वाला पक्षकार। contestant, defendant

प्रतिवेदन - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी घटना का प्रस्तुत वृत्तांत। 2. किसी विचाराधीन विषय पर विशेषज्ञों की विस्तृत राय। 3. किसी भाषण, चर्चा, वाद-विवाद आदि का प्रकाशनार्थ तैयार किया गया विवरण। report

प्रतिशत क्रि. - (वि.) (तत्.) - गणि. हर सौ या सैकड़े के हिसाब से; प्रति सौ पर। पुं. सौवाँ भाग। पर्या. फीसदी। percent

प्रतिशतता [प्रतिशत+ता] - (स्त्री.) (तत्.) - सौ को आधारभूत संख्या मानकर गणना करने या किसी राशि का अंश ज्ञात करने का सूचक भाव (इसका प्रतीक % है)। percentage

प्रतिशब्द - (पुं.) (तत्.) - किसी शब्द के सामान्य अर्थ को ही सूचित करने वाला दूसरा शब्द। पर्या. पर्याय। equivalent, synonym

प्रतिशोध - (पुं.) (तत्.) - बदला लेने के विचार से किया जाने वाला कार्य। पर्या. बदला प्रतिकार। जीतने के लिए खेलना तो ठीक है किंतु प्रतिशोध की भावना से खेलना अच्छा नहीं माना जाता।

प्रतिश्याय - (पुं.) (तत्.) - दे. इंफ्लुएंजा। नजला, जुकाम का विकराल रूप।

प्रतिषेध - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ मनाही, रोक, प्रतिबंध, निषेध। विधि. किसी कार्य के सामान्य जन-जीवन के लिए अनुचित मानते हुए उस पर लगाई गई कानूनी रोक। पर्या. प्रतिबंध। जैसे: सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान और पॉलीथीन की थैलियों पर लगा प्रतिबंध।

प्रतिष्‍ठा - (स्त्री.) (तत्.) - [प्रति+स्था] 1. समाज में प्राप्‍त य प्रदत्‍त गौरवमय स्थान। पर्या. मान-मर्यादा, सम्मान, गौरव। उदा. यह मेरी प्रतिष्‍ठा का प्रश्‍न बन गया है। अब मैं इस काम को करके छोड़ँगा। 2. किसी को श्रेष्‍ठ आसन पर बिठाना। जैसे: देवमूर्ति की प्रतिष्‍ठा। प्राण-प्रतिष्‍ठा।

प्रतिष्‍ठित - (वि.) (तत्.) - (प्रतिष्‍ठा+इत, प्रति+स्थित) व्यु.अर्थ किसी स्थान विशेष से अन्यत्र स्थित। सा.अर्थ 1. स्थान विशेष पर स्थापित। उदा. मंदिर में शिवलिंग प्रतिष्‍ठित किया गया। 2. प्रतिष्‍ठा प्राप्‍त। पर्या. सम्मानित। उदा. डॉ. कलाम एक प्रतिष्‍ठित वैज्ञानिक हैं। दे. प्रतिष्‍ठा।

प्रतिस्पर्धा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. एक-दूसरे से आगे निकल/बढ़ जाने की होड़। पर्या. प्रतियोगिता। 2. दो या दो से अधिक के बीच स्वस्थ मुकाबला जिसका परिणाम किसी की जीत और किसी की हार के रूप में सामने आता है। 3. पारि. एक ही जाति या विभिन्न जातियों के प्राणियों के बीच अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संघर्ष।

प्रतिस्पर्धी [प्रतिस्पर्धा+ई] - (वि./पुं.) (तत्.) - प्रतिस्पर्धा करने वाला खिलाड़ी, होड़ में लगा व्यक्‍ति; संघर्षरत प्राणी। दे. प्रतिस्पर्धा।

प्रतिहस्ताक्षर - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी महत्त्वपूर्ण प्रलेख पर एक व्यक्‍ति के हस्ताक्षर के अलावा एक और व्यक्‍ति के हस्ताक्षर; 2. पहले से हो रहे हस्ताक्षर की पुष्‍टि स्वरूप दूसरे व्यक्‍ति (वरिष्‍ठ अधिकारी) द्वारा किए गए हस्ताक्षर। counter-signature

प्रतिहस्ताक्षरित (प्रतिहस्ताक्षर+इत) - (वि.) (तत्.) - प्रतिहस्ताक्षर युक्‍त। दे. प्रतिहस्ताक्षर।

प्रतिहारी - (पुं.) (तत्.) - (प्राचीन काल में) राजाओं के महल में नियुक्‍त दरबान, द् वारपाल। chamber lain

प्रतिहिंसा - (स्त्री.) (तत्.) - हिंसा के विरोध में हिंसा; बैर का बदला बैरसे।

प्रतीक (चिह्न) - (पुं.) (तत्.) - दूसरों से भिन्नता दिखाने के लिए प्रयुक्‍त स्पष्‍ट पहचान चिह् न symbol इसके रूप हो सकते हैं-संप्रतीक emblem, शुभंकर maseot, गुंफाक्षर (मोनोग्राम) आदि। पर्या. 1. चिह्न, लक्षण, निशान। 2. किसी के स्थल पर प्रयुक्‍त होने वाली वस्तु जैसे पूजा के समय मूर्ति के स्थान पर सुपारी या अक्षत का प्रयोग। 3. किसी समाज सिद्धांत या तत् व का प्रतिनिधि। उदा. अंधकार अज्ञान का प्रतीक है; शेर शक्‍ति का प्रतीक है; कुतुबमीनार दिल्ली का प्रतीक है।

प्रतीकात्मक [प्रतीक+आत्मक] - (वि.) (तत्.) - 1. केवल प्रतीक के रूप में प्रयुक्‍त। उदा. साहित्य में प्रतीकात्मक प्रयोगों का बाहुल्य होता है।

प्रतीक्षा - (स्त्री.) (तत्.) - किसी काम के पूरा होने या किसी के आने की उत्सुकता के साथ राह देखने का भाव। पर्या. इंतजार, प्रत्याशा।

प्रतीक्षालय [प्रतीक्षा+आलय] - (पुं.) (तत्.) - वह कमरा या हॉल जहाँ भेंटकर्ता या यात्री नियत कार्य हेतु थोड़े समय के लिए प्रतीक्षा (इंतजार) करते हैं। जैसे: रेलवे प्रतीक्षालय। waiting room

प्रतीक्षासूची - (स्त्री.) (तत्.) - नौकरी, बस/रेल/हवाई यात्रा, उपभोग की वस्तु के लिए उपलब्ध रिक्‍तियों की पूर्ति हेतु बनी क्रमवार आरक्षण सूची में जुड़े कुछ अतिरिक्‍त नाम जिन्हें स्थान खाली रह जाने की स्थिति में समायोजित किया जा सके। जैसे: रेलवे टिकटों की आरक्षण-सूची के लिए बनी प्रतीक्षासूची। waiting list

प्रतीत होना - - अक्रि. लगना-ज्ञात, विदित, जाना हुआ। गहराई में न जाकर ऊपर-ऊपर से दिखना, लगना। उदा. ऐसा प्रतीत होता है कि वह अब नहीं आएगा।

प्रत्यंचा - (स्त्री.) (तत्.) - धनुष की डोरी। पर्या. धनुर्ज्या।

प्रत्यक्ष - (वि.) (तत्.) - व्यु.अर्थ जो आँखों के सामने हो और साफ-साफ दिखाई दे। सा.अर्थ जिसका ज्ञान इंद्रियों से हो यानी जिसके लिए अन्य प्रमाण की आवश्यकता न हो। (‘प्रत्यक्षं कि प्रमाणम्’) सा.पर्या. स्पष्‍ट, सरल। जैसे: प्रत्यक्ष उदाहरण, प्रत्यक्ष कथन; प्रत्यक्ष कर। विलो. अप्रत्यक्ष, परोक्ष।

प्रत्यक्षदर्शी - (वि.) (तत्.) - जिसने कोई घटना अपनी आँखों से देखी हो। पर्या. चश्मदीद गवाह (आइ-विटनेस) उदा. अदालती सुनवाई में प्रत्यक्षदर्शी की गवाही को महत्त्व दिया जाता है। दे. प्रत्यक्ष।

प्रत्यर्पण [प्रति+अर्पण] - (पुं.) (तत्.) - अंत:विधि किसी देश के अपराधी के किसी अन्य देश में जा छिपने पर उस अपराधी को संधि की शर्तों के अनुसार उसी देश को, जहाँ उसने अपराध किया हो, लौटा देने की प्रक्रिया। extradition

प्रत्याक्रमण [प्रति+आक्रमण] - (पुं.) (तत्.) - आक्रमण की प्रतिक्रिया स्वरूप किया गया आक्रमण। counter-attack

प्रत्यारोप [प्रति+आरोप] - (पुं.) (तत्.) - जिस पर आरोप लगा हो, उसके द् वारा आरोपकर्ता पर किया गया जवाबी आरोप। (काउंटर चार्ज) उदा. लड़ाई-झगड़ों में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आरोपों-प्रत्यारोपों की झड़ी लगा दी। counter charge

प्रत्याशा [प्रति+आशा] - (स्त्री.) (तत्.) - पहले से लगाया गया अनुमान, पहले से की गई आशा या उम्मीद। उदा. मेरी प्रत्याशा के अनुसार ही चुनाव का परिणाम निकला-इसकी मुझे खुशी है। anticipation

प्रत्याशित [आशा+इत] - (वि.) (तत्.) - 1. जो किसी अनुकूल परिणाम, फल, प्राप्‍ति, सहयोग आदि की आशा से युक्‍त हो। 2. आशा के अनुरूप। अपेक्षित। जैसे: उसके परिश्रम को देखते हुए यही परिणाम प्रत्याशित था।

प्रत्याशी [प्रति+आशा प्रत्याशा+ई] - (पुं.) (तत्.) - व्यक्‍ति जो वह पाने की आशा लगाए हो, जिसकी उसने माँग की है या जिसके लिए उसने आवेदन किया है। पर्या. अभ्यर्थी, उम्मीद् वार candidate

प्रत्यास्थता - (स्त्री.) (तत्.) - लचीला। खींचकर छोड़ देने पर पूर्व स्थिति में आने वाला। भौ. बाह्य बल के लगने पर विकृत हुए पिंड से विकार उत्पन्न करने वाले कारकों (बल) के हटाए जाने पर ठोस का वापस अपनी पूर्वस्थिति पा लेने का गुणधर्म। elasticity

प्रत्युत्‍तर [प्रति+उत्‍तर] - (पुं.) (तत्.) - उत्‍तर के रूप में प्राप्‍त पत्र का दिया गया या दिया जाने वाला पुन: उत्‍तर। rejoinder

प्रत्यूष - (पुं.) (तत्.) - प्रात:काल, तडक़ा, प्रभात, अल-सुबह।

प्रत्येक - (वि.) (तत्.) - [प्रति+एक] एक-एक। दो या अधिक के समूह में से हर-एक। उदा. परमात्मा का वास प्रत्येक व्यक्‍ति में है अर्थात् हर व्यक्‍ति में है।

प्रथम कुलिक - (वि./पुं.) (तत्.) - (गुप्‍त साम्राज्य की स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था के प्रसंग में प्रयुक्‍त शब्द जो) नगर के सबसे प्रसिद्ध परिवार का मुखिया।

प्रथम नाम - (पुं.) (तत्.) - व्यक्‍ति का मुख्य नाम जिसे प्राय: कुलनाम से पहले रखने की प्रथा है। जैसे: रविप्रकाश मलहोत्रा में ‘रविप्रकाश’।

प्रथम - (वि.) (तत्.) - 1. गिनती में सबसे पहले आने वाला, पहला। 2. सर्वश्रेष्‍ठ, सबसे अच्छा।

प्रथमोपचार [प्रथम+उपचार] - (पुं.) (तत्.) - दे. प्राथमिक उपचार। first aid

प्रथा - (स्त्री.) (तत्.) - हर समाज में बहुत समय से चली आ रही परंपरा। पर्या. रीति-रिवाज। custom, practice

प्रदक्षिण-पथ - (पुं.) (तत्.) - प्रदक्षिणा का मार्ग। उदा. सूर्य के चारों ओर घूमने वाली पृथ्वी का प्रदक्षिणा पथ। दे. प्रदक्षिणा पथ गोलाकार न होकर अंडाकार होता है।

प्रदक्षिणा - (स्त्री.) (तत्.) - किसी मूर्ति, केन्द्र आदि के चारों ओर इस प्रकार घूमना कि वह मूर्ति, केंद्र आदि घूमने वाले के दाहिने हाथ की ओर रहे; घड़ी की सुइयों की दिशा में परिक्रमा करना। उदा. कुछ उपग्रह अपने ग्रह की वामावर्त परिक्रमा करते हैं तो कुछ दक्षिणावर्त। तु. परिक्रमा=दक्षिणावर्त या वामावर्त (दाहिनी या बाईं किसी भी ओर से) गोल-गोल घूमना।

प्रदर्शक - (वि./पुं.) (तत्.) - 1. किसी कला, कौशल मार्ग आदि का प्रदर्शन करने वाला व्यक्‍ति। demonstrator

प्रदर्शन - (पुं.) (तत्.) - 1. दिखलाना। जैसे : किसी कला का प्रदर्शन। 2. असंतोष प्रकट करने के लिए लोकतंत्रात्मक विधि के अनुसार सामूहिक नारेबाजी। demonstration

प्रदर्शनकारी [प्रदर्शन+कारी] - (वि./पुं.) (तत्.) - प्रदर्शन करने वाला व्यक्‍ति या समूह। दे. प्रदर्शन।

प्रदर्शनी [प्रदर्शन+ई] - (स्त्री.) (तत्.) - किसी कला, कौशल या उत्पाद आदि को प्रदर्शित करने के लिए किया गया सार्वजनिक आयोजन। exhibition दे. प्रदर्शन।

प्रदान - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी को कुछ देना। विलो. आदान।

प्रदीप्‍त पिंड - (पुं.) (तत्.) - खगो. प्रकाश उत्सर्जित करने वाले आकाशीय पिंड; वे आकाशीय पिंड जिनमें अपना प्रकाश हो। पर्या. तारा। (तारा)

प्रदीप्‍ति वृत्‍त - (पुं.) (तत्.) - भू. भूमंडल पर दिन-रात को विभाजित करने वाला वृत्‍त। टि. पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 24 घंटे लगाती है। पृथ्वी के जिस भाग पर सूर्य की रोशनी पड़ती है, वहाँ दिन होता है और शेष भाग में रात होती है।

प्रदूषक - (वि./पुं.) (तत्.) - जल, मृदा या वायुमंडल में विसर्जित हानिकारक रसायन या अपशिष्‍ट पदार्थ जो पर्यावरण को दूषित करते हैं। pollutor

प्रदूषण - (पुं.) (तत्.) - विविध प्रकार के मानवीय कार्यकलापों, उपोत्पादों के परिणामस्वरूप पर्यावरण में होने वाला बुरा या घातक प्रभाव। जैसे : वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण आदि pollution

प्रदूषणकारी - (वि.) (तत्.) - प्रदूषण उत्पन्न करने वाले तत् व)। दे. प्रदूषण।

प्रदेश - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी देश का वह प्रशासनिक अथवा भौगोलिक बड़ा भाग जो भाषा, रहन-सहन, शासन-पद् धति आदि में से किसी या किन्हीं कारणों की दृष्‍टि से औरों से भिन्न और स्वतंत्र माना जाता हो।

प्रधान - (वि.) (तत्.) - समूह में पद, प्रतिष्‍ठा, वय आदि-आदि में पहला समूह का मुख्य। principal पुं. (तत्) 1. मुखिया, सरदार।

प्रधानता [प्रधान+ता] - (स्त्री.) (तत्.) - प्रधान होने का भाव; प्रमुखता। दे. प्रधान।

प्रधार - (स्त्री.) (तत्.) - किसी स्रोत से निकल रहे तरल की धारा। jet

प्रपंच - (पुं.) (तत्.) - 1. विश्‍व और उसमें व्याप्‍त माया, जाल/जंजाल। उदा. मेरी माताजी सारे दिन गृहस्थी के प्रपंच में उलझी रहती हैं। 2. छल-कपट।

प्रपत्र - (पुं.) (तत्.) - 1. वह छपा हुआ कागज जिसमें पंक्‍ति के आरंभ में विषय के शीर्षक दिए होते हैं और उनके आगे स्थान खाली छोड़ा हुआ होता है जिनमें आवेदक संगत ब्यौरा भरकर आगे की कार्रवाई के लिए प्रस्तुत करता है। (फॉर्म) 2. कोई भी औपचारिक प्रलेख। जैसे: चैक, विनिमय-पत्र, संविदा आदि। instrument

प्रपात - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ 1. ऊपर से नीचे तेजी से पतन या गिरना। भू. 2. पहाड़ से निकलने वाली जल की वह धारा जो बहुत ऊँचाई से नीचे गिरती है। पर्या. झरना, जलप्रपात। उदा. भारत का सबसे बड़ा जलप्रपात कर्नाटक में भद्रावती का ‘जोगफॉल’ है। waterfall

प्रपितामह - (पुं.) (तत्.) - पिताजी के दादाजी या दादाजी के पिताजी, परदादा। great grand father

प्रपितामही - (स्त्री.) (तत्.) - पिताजी के दादीजी, दादीजी के माताजी, परदादी। great grand mother

प्रपौत्र - (पुं.) (तत्.) - पोते का पुत्र, बेटे का पौत्र great grand son

प्रपौत्री - (स्त्री.) (तत्.) - पोते की पुत्री, बेटे का पौत्री great grand daughter

प्रफुल्ल - (वि.) (तत्.) - 1. पूरी तरह खिला हुआ, पूर्ण विकसित। जैसे: प्रफुल्ल गुलाब, प्रफुल्ल कमल। 2. प्रसन्नता से युक्‍त, मुस्कराता हुआ। जैसे: 1. वह प्रफुल्ल मन से मुझसे मिला। 2. उस उत्सव में वह प्रफुल्ल वदन सबका स्वागत कर रहा था।

प्रफुल्लित - (वि.) (तत्.) - 1. खिला हुआ, विकसित। जैसे: प्रफुल्लित कमल। 2. प्रसन्न। जैसे: प्रफुल्लित बदन/चेहरा।

प्रबंध - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ अच्छी तरह से बँधा हुआ। सा.अर्थ शोधकार्य के रूप में विश्‍वविद् यालय या उच्च शिक्षण संस्था की डिग्री प्राप्‍त करने के लिए प्रस्तुत कई भागों में बँटा विस्तृत ग्रंथाकार मौलिक निबंध। (थीसिस) 2. किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए अपनाई गई समुचित व्यवस्था। पर्या. व्यवस्था। 3. काव्य का एक प्रकार जिसमें किसी उदात्‍तचरित को नायक/नायिका बनाकर उसके जीवन से संबंधित घटनाओं का सरस, कलात्मक और सुगठित चित्रण किया जाता है। उदा. रामचरित मानस हिंदी का एक सर्वोत्कृष्‍ट प्रबंध काव्य है।

प्रबंधक - (पुं.) (तत्.) - 1. प्रबंध करने वाला, प्रबंधकर्ता manager, सुविचारित व्यवस्था इंतजाम करने वाला organiser। दे. प्रबंधन।

प्रबंधन [प्रबंध+अन] - (पुं.) (तत्.) - उपलब्ध संसाधनों का इष्‍टतम उपयोग सुनिश्‍चित करने की समन्वित व्यवस्था। management

प्रबल - (वि.) (तत्.) - 1. अपेक्षाकृत अधिक बलवान। जैसे: प्रबल शत्रु। 2. उग्र, तेज, प्रचंड; भारी। उदा. प्रबल तूफान, प्रबल वर्षा; प्रबल समर्थक आदि।

प्रबलता - (स्त्री.) (तत्.) - प्रबल होने का गुणधर्म, स्थिति या भाव। पर्या. प्राबल्य।

प्रबुद्ध - (वि.) (तत्.) - व्यु. अर्थ जागा हुआ, होश में आया हुआ। enlightened सा.अर्थ बुद् धिमान, ज्ञानी, समझदार। जैसे: प्रबुद्ध साहित्यकार।

प्रभा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. चमक, आभा, दीप्‍ति। जैसे: विद्युत्प्रभ। 2. प्रकाश, जगमगाहट; चौंध जैसे: सूर्य प्रभा। 3. रश्मि, किरण। जैसे: चंद्र की प्रभा मन को आनंदित करने वाली होती है। 4. तेज। जैसे: उसका मुख अलौकिक प्रभा से युक्‍त है।

प्रभाज - (पुं.) (तत्.) - ऐसी वास्तविक संख्या जो पूर्ण न हो, भिन्न। जैसे: 107, 3/4, 5/10 आदि।

प्रभात - (पुं.) (तत्.) - पूर्व में निकले सूर्य प्रकाश का सभी दिशाओं में फैलना प्रारंभ होने का काल। पर्या. प्रात:काल, सबेरा, तडक़ा, भोर। उदा. हमने हरिद्वार में प्रभात में पहला गंगास्नान किया।

प्रभात फेरी - (स्त्री.) (तत्.+फेरना) - सूर्योदय से पूर्व लोगों का दल बनाकर गीत/भजन गाते हुए अथवा नारे लगाते हुए बस्ती में घूमने का कार्य।

प्रभाती - (स्त्री.) - [प्रभात+ई] प्रात:काल गाया जाने वाला गीत।

प्रभार - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ विशेष भार। तक.अर्थ 1. (प्रशा.) किसी पद का कार्यभार। (चार्ज) 2. सेवा प्रदान करने के बदले उगाहा गया शुल्क। charge

प्रभारी - (वि./पुं.) (तत्.) - जिस पर किसी पद का कार्य भार हो; जिसे सौंपा गया दायित्व निभाना हो। incharge

प्रभाव - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी वस्तु या क्रिया का होने वाला परिणाम या फल। पर्या. असर, परिणाम। affect 2. शक्‍ति, आतंक, सम्मान, अधिकार आदि का अन्यों पर पड़ने वाला परिणाम जिससे उनके जीवन, कार्यों आदि में बदलाव आ जाता है। influence

प्रभावशाली - (वि.) (तत्.) - 1. जिसका दूसरों पर वाणी, गुण आदि की दृष्‍टि से बहुत प्रभाव पड़ता हो। प्रभाववाला, असरदार। जैसे: वह इतना प्रभावशाली है कि वह मंत्रियों से भी अपना काम करवा लेता है। 2. तेजस्वी; अद्भुत। 3. उत्‍तम परिणाम देने वाला, असरदार। जैसे: यह दवा अत्यंत प्रभावशाली है।

प्रभावित - (वि.) (तत्.) - प्रभाव के अधीन, जिस पर प्रभाव पड़ा हो।

प्रभावी - (वि.) (तत्.) - प्रभाव डालने वाला, जिसका दूसरे पर प्रभाव पड़ा हो। influential, dominant

प्रभु - (पुं.) (तत्.) - 1. स्वामी, अधिपति; संपूर्ण सत्‍ता संपन्न। 2. ईश्‍वर, परमात्मा।

प्रभुता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. संपूर्ण सत्‍ता संपन्न यानी स्वामी होने का भाव, स्वामित्व। 2. सामर्थ्य, शक्‍ति, शासन।

प्रभुसत्‍ता - (स्त्री.) (तत्.) - राज. राज्य की सर्वोपरि शक्‍ति (जिस पर किसी का अंकुश नहीं होता) sovereignty

प्रमाण - (पुं.) (तत्.) - 1. वह कथन या तत्त्व जिससे कोई बात सिद्ध होती है। पर्या. सबूत। evidence2. वह कथन जिसे सभी स्वीकार करें।

प्रमाण-पत्र - (पुं.) (तत्.) - किसी प्राधिकारी, संस्था आदि द्वारा जारी वह लिखित सूचना कि उसमें उल्लिखित व्यक्‍ति और उससे संबंधित बातें हस्ताक्षरकर्ता की जानकारी के अनुसार तथ्यत: सही हैं। 2. कोई परीक्षा उत्‍तीर्ण करने पर व्‍यक्‍ति को दिया जाने वाला योग्‍यता-पत्र। certificate

प्रमुख - (वि.) (तत्.) - 1. पहला, आगे का। 2. प्रधान, मुख्य। जैसे: प्रमुख वक्‍ता। पुं. संस्था का शीर्षस्थ अधिकारी। जैसे: शासन प्रमुख। head of government, राज्य प्रमुख head of state, नगर प्रमुख (मेयर)

प्रमुखता - (स्त्री.) (तत्.) - प्रमुख होने की अवस्था/भाव। पर्या.- प्रधानता, मुख्यता। उदा. 1. इस विद् यालय में विज्ञान के अध्ययन की प्रमुखता है। 2. चुनाव के लिए खड़े उम्मीदवार ने हमारे क्षेत्र की बिजली की समस्या पर प्रमुखता से ध्यान देने का आश्‍वासन दिया।

प्रमेय - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ प्रमाणित किए जाने या मापे जाने योग्य। तक.अर्थ. गणि. 1. वह व्यापक कथन (या नियम) जो सिद्ध किया जा चुका हो और सूत्र या प्रतीक के रूप में प्रयुक्‍त हो। जैसे: पाइथागोरस प्रमेय। 2. ज्या. कोई साध्य जिसे सिद्ध करना अभिप्रेत हो। theorem

प्रमोचन - (पुं.) (तत्.) - जीव. प्राणी द्वारा अपने जीवन काल में पक्‍व देह खंडों का परित्याग। जैसे: अधिकतर फीता कृमियों में।

प्रयत्‍न - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी कार्य को पूरा करने के लिए किया गया शारीरिक और मानसिक श्रम। पर्या. प्रयास चेष्‍टा, कोशिश। effort, attempt। 2. व्या. (उच्चारण प्रयत्‍न का संक्षिप्‍त रूप) वर्णों के उच्चारण के समय मुख विवर, जिह्वा आदि की विभिन्न स्थितियाँ। manner of articulation

प्रयाण [प्र+यान] - (पुं.) (तत्.) - 1. एक स्थान से दूसरे स्थान को जाना। पर्या. प्रस्थान, यात्रा, गमन। 2. युद् ध के लिए प्रस्थान करना। पर्या. कूच, चढाई। जैसे: प्रयाणगीत (मार्च) 3. मृत्यु। जैसे: महाप्रयाण।

प्रयास - (पुं.) (तत्.) - किसी कठिन कार्य को शुरू करके उसे अंतिम परिणाम तक पहुँचाने का प्रयत्‍न; (भले ही उसमें सफलता मिले या न मिले)। प्रयत्‍नपूर्वक किया गया कार्य। पर्या. प्रयत्‍न। उदा. उनका यह प्रयास सराहनीय है।

प्रयुक्‍त - (वि.) (तत्.) - 1. जिसका प्रयोग हो चुका या किया जा चुका हो; अथवा प्रयोग होता हो। 2. जो काम में लाया जाता या लाया गया हो।

प्रयोक्‍ता - (वि.) (पुं.) - (तत्.) प्रयोग (उपयोग) करने वाला, प्रयोगकर्ता। कार के प्रयोक्‍ताओं को चाहिए कि वे गाड़ी गतिसीमा को ध्यान में रखते हुए चलाएँ।

प्रयोग - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी वस्तु को कार्य में लाए जाने का भाव। पर्या. व्यवहार, इस्तेमाल use उदा. असभ्य भाषा का प्रयोग वर्जित है। 2. बल, अधिकार आदि का व्यवहार। exercise उदा. प्रधानाध्यापक ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए नकल करते छात्र को परीक्षा से निष्कासित कर दिया। 3. परीक्षा, जाँच आदि के लिए क्रियात्मक रूप देना या प्रत्यक्ष करके दिखाना। experiment

प्रयोगशाला - (स्त्री.) (तत्.) - विज्ञान संबंधी प्रयोग करने के लिए संपूर्ण सुविधाओं से युक्‍त कमरा या भवन। laboratory उदा. रसायन (शास्त्र) का व्यावहारिक अध्ययन करने के लिए हमारे विद्यालय में प्रयोगशाला बनी हुई है।

प्रयोगात्मक [प्रयोग+आत्मक] - (वि.) (तत्.) - 1. प्रयोग संबंधी। 2. व्यावहारिक। उदा. खबर है कि आज वैज्ञानिक कुछ नवनिर्मित औषधियों का प्रयोगात्‍मक परीक्षण करेंगें।

प्रयोजन - (पुं.) (तत्.) - किसी काम को करने का उद्देश्य। पर्या. अभिप्राय, मतलब। purpose उदा. आपके यहाँ पधारने/आने का क्या प्रयोजन है?

प्रयोज्यता - (स्त्री.) (तत्.) - प्रयोग अथवा उपयोग किए जाने की योग्यता।

प्रलय - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ. विशेष रूप से लय हो जाना, समाप्‍त या नष्‍ट हो जाना। सा.अर्थ. वह (समय) जब संपूर्ण सृष्‍टि अपने कारण रूप, प्रकृति में विलीन हो जाती है यानी जल में डूब जाती है। उदा. हर प्रलय के बाद पुन: नई सृष्‍टि होती है।

प्रलाप - (पुं.) (तत्.) - उन्मत्‍तावस्था, शोक की स्थिति आदि में बेलगाम और बेसिर पैर की कही गई बातें। पर्या. बकवास। उदा. पुत्र की दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर उसकी माँ का प्रलाप सुनकर सबका मन द्रवित हो गया।

प्रलोभन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ विशेष रूप से लालच देना या लुभाना। सा.अर्थ लालच दिखाकर किसी को अनुचित कार्य करने के लिए उकसाने की वृत्‍ति। allurement, temptation

प्रवक्‍ता - (पुं.) (तत्.) - 1. राजनीतिक दल अथवा किसी भी संस्था के नीतिगत निर्णय को सार्वजनिक कर सकने के लिए अधिकृत व्यक्‍ति। spokesperson 2. किसी विश्‍वविद् यालय के त्रिस्तरीय अध्यापक वर्ग में से कनिष्‍ठ वर्ग का शिक्षक। lecturer तु. अधिवक्‍ता।

प्रवचन - (पुं.) (तत्.) - मुख्यत: किसी धार्मिक विषय पर श्रोताओं के सम्मुख पीठासीन व्‍यक्‍ति का नीतिपरक और उपदेशात्मक व्‍याख्‍यान। उदा. शारदीय नवरात्र के अवसर पर बिड़ला मंदिर में होने वाले। श्रीमद् भगवत् विषयक प्रवचन का मैं नियमित श्रोता हूँ।

प्रवर समिति - (स्त्री.) (तत्.) - विधि. संसद् में विधिवत् चर्चा आरंभ होने से पहले किसी विधेयक पर विस्तापूर्वक विचार कर लेने के लिए लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा नियुक्‍त सांसदों की समिति select committee

प्रवर्तक - (वि./पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ कोई नया काम शुरू करने वाला व्यक्‍ति। जैसे: आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती, अद्वैत दर्शन के प्रवर्तक आदि शंकराचार्य। propounder भौ. बिजली की मोटर, ट्यूब लाइट आदि के प्रवाह को आरंभ कर अभीष्‍ट तीव्रता तक पहुँचाने का काम करने वाला उपकरण। starter वाणि. किसी उद्यम विशेष की कल्पना कर तत् संबंधी कंपनी की स्थापना के लिए आवश्यक धनराशि जुटाने, कंपनी के पंजीकरण की औपचारिकताएँ पूरी करने वाला व्यवसायी। promotor

प्रवर्तन - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी कार्य का आरंभ, शुरू करना; लागू करना, लागू होना। 2. विधि. किसी विधि, व्यवस्था, प्रक्रिया आदि का अधिकारपूर्वक लागू किया जाना enforcement उदा. दहेज प्रथा कानून के प्रवर्तन के लिए सरकार ने ठोस प्रस्ताव रखे।

प्रवर्ध - (पुं.) (तत्.) - जीव. बाहर की ओर निकला हुआ भाग। outgrowth

प्रवर्धक - (वि.) (पुं.) - तत्. सा.अर्थ नि. (आवाज) बढ़ाने वाला। भौ. तंरग के लक्षण में बिना परिवर्तन किए किसी सिगनल (जैसे रेडियों सिगनल) की प्रबलता में वृद्धि‍ करने वाला उपकरण। amplifier

प्रवर्धन - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ विशेष रूप से बढ़ाने की क्रिया या भाव। भौ. किसी सिगनल का सामर्थ्य। जैसे: धारा, वोल्टता आदि को बढ़ाने का प्रक्रम। amplification

प्रवाचक - (पुं.) (तत्.) - प्रवचन करने वाला; शास्त्रीय कथनों की व्याख्या करने वाला।

प्रवास - (पुं.) (तत्.) - 1. अपना देश छोडक़र (स्थायी/अस्थायी रूप में) अन्य देश में जा बसना। 2. प्राणि. प्रतिवर्ष ऋतु परिवर्तन के साथ ही मुख्यत: पक्षियों और मछलियों का अपने शीत प्रदेश से सामूहिक रूप में उष्ण प्रदेश में गमन और वहाँ प्रजनन, कालयापन के बाद मौसम के अनुकूल हो जाने पर अपने मूल स्थान पर लौट आना। 3. शिक्षा. एक शिक्षण संस्था से मुक्‍त होकर दूसरी शिक्षण संस्था में प्रवेश लेना। migration

प्रवासी पक्षी - (पुं.) (तत्.) - पक्षियों का वह समूह जो नियमित रूप से अपने देश से शीतकाल शुरू होने से पहले ही उड़कर किसी सुदूर देश में चले आते हैं और वहाँ प्रजनन आदि से निबट कर ग्रीष्मकाल शुरू होने के साथ ही अपने देश लौट जाते हैं। migratory birds

प्रवाह - (पुं.) (तत्.) - 1. जल का (तेज) बहाव। flow 2. किसी कार्य का लगातार होना। 3. बहते हुए पानी में कोई वस्तु बहाना। जैसे: अस्थियों का या देव प्रतिमाओं का प्रवाह। immersion

प्रवाहित - (वि.) (तत्.) - बहाया हुआ। दे. प्रवाह।

प्रविधि - (स्त्री.) (तत्.) - कुशलतापूर्वक कार्य करने की विधि, तकनीक। technique

प्रविशेषण - (पुं.) (तत्.) - व्या. विशेषण का विशेषण। जैसे: बहुत बड़ा, बहु प्रचलित।

प्रविष्‍ट - (वि.) (तत्.) - 1. भवन आदि में जिसका प्रवेश हो गया हो, अंदर गया हुआ। 2. जिसे किसी संस्था विद् यालय आदि में पढ़ाई के लिए दाखिला मिल गया हो। जैसे: इस वर्ष इस विद् यालय में दो सौ छात्रों को प्रविष्‍ट किया गया है। 3. दर्ज/पंजीकृत-उपस्थिति रजिस्टर में सभी छात्रों के नाम प्रविष्‍ट कर लिए गए हैं।

प्रवीण - (वि.) (तत्.) - व्यु.अर्थ वीणा वादन में दक्ष। सा.अर्थ अच्छा जानकार, किसी कार्य में होशियार, कुशल, निपुण आदि। efficient

प्रवृत्‍त - (वि.) (तत्.) - 1. आरंभ हुआ, आरंभ किया हुआ; लागू हुआ, लागू किया गया; लगा हुआ। जैसे: प्रवृत्‍त नियमावली; अध्ययन में प्रवृत्‍त।

प्रवृत्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - मन का किसी विषय आदि के प्रति झुकाव, सांसारिक वस्तुओं, कार्यों अदि के प्रति, लगाव। विलोम. निवृत्‍ति।

प्रवेधन - (पुं.) (तत्.) - कूँआ खोदने, पेट्रोलियम, गैस आदि खनिज पदार्थों को बाहर निकालने के लिए मशीनों की सहायता से गहरी खुदाई करने का काम। drilling

प्रवेशपत्र - (पुं.) (तत्.) - किसी स्थान, संस्थान में अथवा परीक्षा आदि के लिए प्रवेश करने के लिए दिया गया अनुमति-पत्र। admission card

प्रशंसक - (वि.) (तत्.) - प्रशंसा करने वाला। दे. प्रशंसा।

प्रशंसनीय - (वि.) (तत्.) - प्रशंसा के योग्य। दे. प्रशंसा।

प्रशंसा - (स्त्री.) (तत्.) - किसी वस्तु व्यक्‍ति या कार्य इत्यादि के गुणों या अच्छाइयों का आदरपूर्वक कथन। पर्या. बड़ाई, तारीफ। विलो. निंदा।

प्रशस्त - (वि.) (तत्.) - 1. जिसकी प्रशंसा या तारीफ की गई हो। प्रशंसित, 2. विकसित अर्थ लंबा-चौड़ा और साफ-सुथरा। broad जैसे: प्रशस्त पथ।

प्रशस्ति - (स्त्री.) (तत्.) - सा.अर्थ की गई प्रशंसा, या तारीफ स्तुति, गुणगान आदि। तक.अर्थ 1. राजाओं की प्रशंसा में ग्रंथों, ताम्रपत्रों, शिलालेखों आदि में लिखे हुए लेख, श्‍लोक आदि।, विरुदावलि। eulogy जैसे: राजप्रशस्ति महाकाव्य। 2. पराक्रम, अदम्य साहस, विशिष्‍ट सेवा अथवा संबंधित क्षेत्र में असाधारण योग्यता या योगदान के लिए सैनिक, खिलाड़ी, अध्यापक आदि की उपलब्धियों का औपचारिक अवसर विशेष पर पढ़ा जाना। जैसे: 26 जनवरी के अवसर पर सैनिकों तथा सेवानिवृत्‍ति के अवसर पर अध्यापकों की प्रशस्‍ति। citation

प्रशस्ति-पत्र - (पुं.) (तत्.) - वह आलेख जिसमें किसी व्यक्‍ति के असाधारण गुणों या कार्यों का प्रशंसात्मक वर्णन किया जाता है। टि. सम्मान व्यक्‍त करने के लिए प्रशस्ति-पत्र दिए जाते हैं। दे. प्रशस्ति।

प्रशस्य - (वि.) (तत्.) - जो प्रशंसा के काबिल हो। प्रशंसनीय, प्रशंसा-योग्य, स्तुत्य।

प्रशांत महासागर - (पुं.) (तत्.) - पैसेफिक ओशन के लिए प्रयुक्‍त हिंदी पर्याय जो मौटे तौर पर एशिया तथा आस्ट्रेलिया के पूर्वी तटों से लेकर उत्‍तरी और दक्षिणी अमेरिका के पश्‍चिमी तटों तक फैला सबसे बड़ा महासागर है। pacific ocean

प्रशालक - (पुं.) (तत्.) - व्यक्‍ति जो अयस्क/धातु को गलाकर अलग-अलग आकार में इस्पात आदि तैयार करने का काम करता है।

प्रशासन - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी राष्‍ट्र, राज्य, नगर, संस्था आदि के मूल उद् देश्यों को पूरा करने के लिए विहित विधि (नियमों) के अधीन तत् संबंधी कर्त्‍तव्यों व अधिकारों की सुरक्षा के साथ-साथ उन्हें कार्यरूप में परिणित करने की क्रिया-विधि और व्यवस्था। administration 2. किसी देश की कार्यपालिका जैसे: अमेरिका में ओबामा प्रशासन।

प्रशासनिक (प्रशासन+इक) - (वि.) (तत्.) - प्रशासन से संबंधित। जैसे: प्रशासनिक शब्दावली। दे. प्रशासन।

प्रशिक्षक - (वि./पुं.) (तत्.) - किसी व्यावहारिक या प्रायोगिक शिक्षा पद् धति से या नियमित रूप से दी जाने वाली शिक्षा। 1. किसी व्यवसाय, कला-कौशल आदि की क्रियात्मक शिक्षा देने वाला विशेषज्ञ। trainer खेल की सही तकनीक सिखाने और उसका अभ्यास कराने वाला विशेषज्ञ। coach तु. शिक्षक।

प्रशिक्षण - (पुं.) (तत्.) - किसी व्यवसाय, कला-कौशल आदि की क्रियात्मक शिक्षा। training

प्रशिक्षणार्थी [प्रशिक्षण+अर्थी] - (वि./पुं.) (तत्.) - प्रशिक्षण प्राप्‍त करने वाला व्यक्‍ति। trainer तु. शिक्षण।

प्रशिक्षित - (वि.) (तत्.) - जिसे प्रशिक्षण मिल चुका हो। दे. प्रशिक्षण। trained

प्रशिक्षु - (वि.) (तत्.) - जो प्रशिक्षण लेना चाहता हो जिसने प्रशिक्षण लेना शुरू ही किया है। apprentice

प्रशीतन - (पुं.) (तत्.) - प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए वस्तुओं को परिवेश की तुलना में ठंडा करने, ठंडा बनाए रखने की प्रविधि (ताकि वे बिगड़े नहीं)। refrigeration

प्रशीतित्र [प्रशीतित (प्रशीतन+यंत्र=मध्यम वर्णलोप के बाद] - (पुं.) (तत्.) - भोज्य वस्तुओं को प्रशीतित (ठंडा) कर अधिक काल तक सुरक्षित रखने के लिए निर्मित मशीन युक्‍त अलमारी। फ्रिज refrigerator

प्रश्‍नकाल - (पुं.) (तत्.) - संसद तथा विधानमंडलों की प्रत्येक बैठक का पहला घंटा जब सदस्य मंत्रियों से उनके विभागों से संबंधित प्रशन पूछते हैं तथा मंत्रिगण उनका उत्‍तर देते हैं। question hour

प्रश्‍नमंच - (पुं.) (तत्.) - प्रतियोगिता का एक प्रकार जिसमें एक स्थान पर एकत्रित प्रतियोगियों से प्रश्‍न पूछे जाते हैं और प्रतियोगी को उनके उत्‍तर निर्धारित समय में तत् काल देने होते हैं। quiz competition उदा. आज विद्यालय में खेल से संबंधित प्रश्‍नमंच प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।

प्रश्‍नवाचक - (वि.) (तत्.) - प्रश्‍न का संकेत करने वाला। interrogative उदा. प्रश्‍नवाचक चिह्न (?) प्रश्‍नवाचक चेहरा आदि।

प्रश्रय - (पुं.) (तत्.) - अच्छी प्रकार से दिया गया सहारा; आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए प्राप्‍त समर्थन। patronage

प्रश्‍वास - (पुं.) (तत्.) - बाहर की ओर छोड़ा गया श्‍वास। विलो. श्‍वास।

प्रसंग - (पुं.) (तत्.) - 1. उपयुक्‍त संयोग, अवसर, मौका। 2. प्रकरण, अध्याय, कथा का संबंधित अंश। 3. विषय का स्वरूप और परंपरा। context

प्रसंगानुकूल [प्रसंग+अनुकूल] - (वि.) (तत्.) - 1. परिस्थिति और संदर्भ के अनुसार जो उचित हो। 2. विवेच्य विषय के अनुरूप। उदा. इस ऐतिहासिक विषय की उन्होंने प्रसंगानुकूल विवेचना की। 2. छात्र किसी पद्य के संदर्भ में प्रसंगानुकूल व्याख्या लिखते हैं।

प्रसन्न - (वि.) (तत्.) - 1. खुश, हर्षित। दे. प्रसन्नता। उदा. मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि आप हमारे घर पधारे।

प्रसन्नता [प्रसन्न+ता] - (स्त्री.) (तत्.) - अनुकूल परिस्थितियों के परिणामस्वरूप मन में पैदा हुई सुख और संतोष की भावना जो शारीरिक चेष्‍टाओं के माध्यम से भी प्रकट होती है। पर्या. खुशी, हर्ष। उदा. समारोह में आपकी उपस्थिति से हमें प्रसन्नता है।

प्रसव - (पुं.) (तत्.) - तक.अर्थ आयु. गर्भस्थ शिशु का कलाओं (झिल्लियों) समेत माता के गर्भ से बाहर निकल आना। delivery जैसे: प्रसव पीड़ा, (लेबरपेन),प्रसवावकाश (प्रसव+अवकाश=maternity leave) सा.अर्थ मनुष्य पशु-पक्षी, वनस्पति आदि द्वारा संतान उत्पन्न करने की क्रिया या भाव; संतान का पैदा होना।

प्रसविनी - (वि.) (तत्.) - प्रसव करने वाली, संतान पैदा करने वाली। उदा. मेवाड़ वीर-प्रसविनी=वीरों को जन्म देने वाली भूमि है।

प्रसाद - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ प्रसन्नता। सा.अर्थ 1. अनुग्रह, कृपा। 2. वह खाद् य पदार्थ (फल, अन्न, मिठाई आदि) जो किसी देवता को अर्पित करने के बाद सबको देय होता है या बाँटा जाता है। 3. देवता को चढ़ाई जाने वाली वस्तु जैसे: मंगलवार को लोग श्री हनुमान जी पर बूँदी या लड्डू का प्रसाद चढ़ाते हैं। 4. भाषा का एक गुण। मुहा. प्रसाद पाना = भोजन करना।

प्रसाधक - (वि.) (तत्.) - व्युं.अर्थ प्रसाधन करने वाला। सा.अर्थ 1. साज श्रृंगार करने वाला। 2. कार्य को व्यवस्थित रूप में करने वाला।

प्रसाधन - (पुं.) (तत्.) - 1. शौचादि से निवृत होने, हाथ-पैर धोन, वस्त्र-केश आदि सजाने का कार्य श्रृंगार, सजावट का काम। 2. उपर्युक्‍त कार्यों के लिए नियत कक्ष। toilet उदा. रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे पर प्रसाधन कक्ष की सुविधा उपलब्ध है।

प्रसार - (पुं.) (तत्.) - किसी वस्तु, विचार आदि का अपने मूल स्थान से सभी दिशाओं में हुआ या किया गया फैलाव, क्षेत्र विस्तार। उदा. भारत के संविधान के अनुसार हिंदी की प्रसार वृद्धि का दायित्व संघ सरकार का है।

प्रसारण - (पुं.) (तत्.) - सा.अर्थ फैलाना, विस्तार करना; तक.अर्थ 1. तार या रेडियो संकेतों के जरिए संदेश भेजना। पर्या. संचारण। (ट्रांसमिशन) 2. (1) विद् युत चुंबकीय तरंगों की सहायता से रेडियो कार्यक्रमों को श्रोताओं तक पहुँचाना; (2) रेडियो, दूरदर्शन द्वार श्रव्य-दृश्य कार्यक्रमों का संचारण। bradcasting

प्रसिद्धि - (स्त्री.) (तत्.) - 1. प्रसिद्धि होने की अवस्था या भाव। 2. ख्याति, शोहरत, 3. प्रतिष्‍ठा।

प्रसिद्ध - (वि.) (तत्.) - अपने गुणों के कारण जिसका नाम अधिकाधिक लोगों तक पहुँच गया हो। पर्या. विख्यात, मशहूर। जैसे: डॉ. त्रेहन हृदयविशेषज्ञ के रूप में देश-विदेश में बहुत प्रसिद्ध है।

प्रसुप्‍ति - (स्त्री.) (तत्.) - सा.अर्थ-सोने, नींद लेने या शरीर की बाह् य क्रियाशीलता के थम जाने की स्थिति। तक.अर्थ-जीव/कृषि-पशुओं, कीटों और पादपों में तथा प्राकृतिक घटनाओं में भी शरीर-क्रियात्मक सक्रियता की किसी कालावधि विशेष में विरामावस्था या कहें निष्क्रियता पर उस अवधि के बाद पुन: सक्रिय होने/हो सकने की पूरी संभावना। जैसे: शीतकाल में मेंढक की प्रसुप्‍ति, ज्वालामुखी की प्रसुप्‍ति (ज्वालामुखी की प्रसुप्‍तावस्था) आदि-आदि। dormancy hybernation

प्रसूति विज्ञान - (पुं.) (तत्.) - आयुविज्ञान की शाखा विशेष जिसमें गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्‍तर काल में माता की देखभाल संबंधी बातों का अध्ययन किया जाता है। obstetrics

प्रस्तर-खंड - (पुं.) (तत्.) - पत्थर का टुकड़ा या हिस्सा।

प्रस्ताव - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी कार्य को करने के लिए अन्य लोगों के समक्ष प्रस्तुत विचार, योजना, सुझाव इत्यादि। proposal 2. वह बात जो सभा, सम्मेलन आदि में विचार और स्वीकृति के लिए रखी जाए। resolution, motion 3. विवाद की स्थिति में उसे निपटाने के लिए लेन-देन संबंधी सुझाव। offer 4. निबंध आदि।

प्रस्तावक - (वि./पुं.) (तत्.) - किसी प्रस्ताव/योजना आदि का विचारार्थ/स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करने वाला सदस्य। (मूवर) 2. (चुनाव के लिए) किसी का नाम सुझाने वाला। proposer

प्रस्तावना - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी विषय का विस्तृत/विवेचन करने से पूर्व संक्षेप में प्रस्तुत किया जाने वाला तत् संबंधी लेखकीय वक्‍तव्‍य। विशेषज्ञ की सम्मति। 2. किसी ग्रंथ आदि की भूमिका। पर्या. प्राक्कथन, उपोद्धात, आमुख, दो शब्द। उदा. इस ग्रंथ की प्रस्तावना पांडित्यपूर्ण है।

प्रस्तुत - (वि.) (तत्.) - 1. जो उपयोग हेतु तैयार है। उदा. भोजन प्रस्तुत है। मैं चलने के लिए प्रस्तुत हूँ। 2. विचार, कविता, कहानी आदि जिसे दूसरों को सुनाया जाए। उदा. एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ। 3. उपस्थित; दिया जाना। उदा. प्रस्तुत शब्द की व्याख्या कीजिए; पुस्तक प्रस्तुत है।

प्रस्तुति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. पेश करने या सामने रखने की क्रिया, भाव या ढंग। उदा. व्याख्यान के रूप में विचारों की प्रस्तुति पूर्णत: तर्कसंगत थी। 2. पेश किया जाने वाला कार्यक्रम। 3. नाटक, फिल्‍म आदि में किया गया अभिनय। 4. किसी वस्तु के प्रदर्शन का तरीका।

प्रस्तुतिकरण [प्रस्तुति+करण] - (पुं.) (तत्.) - प्रस्तुत किया जाना, पेश किया जाना। दे. प्रस्तुति।

प्रस्थान - (पुं.) (तत्.) - एक स्थान से दूसरे स्थान को रवानगी (चलना), गमन। उदा. अज़मेर शताब्दी का नई दिल्ली स्टेशन से प्रस्थान सुबह 6.00 बजे है। departure महाप्रस्थान पुं. तत्. मृत्यु, मौत; स्वर्ग के लिए रवानगी।

प्रस्थान बिंदु - (पुं.) (तत्.) - वह बिंदु या स्थान जहाँ से प्रस्थान की क्रिया प्रारंभ होती है। point of departure

प्रस्थापक - (वि./पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ. प्रस्थापन/प्रस्थापना करने वाला। विधि. विधायिका में किसी विधेयक को पारित करने के लिए प्रस्थापित करने वाल (सदस्य)। proposer

प्रस्थापन/प्रस्थापना - (पुं./स्त्री.) (तत्.) - 1. विधि विधायिका में विधेयक को विचारार्थ प्रस्थापित करना या रखना। 2. इंजी कल-पुर्जों, यंत्रों आदि हो यथास्थान ठीक-ठीक लगाने की क्रिया। installation

प्रस्फुटन - (पुं.) (तत्.) - 1. फूटना; अंकुरित होना, पल्लवित / पुष्पित होना; कली का पुष्प के रूप में विकसित होना, खिलना। 2. किसी छिपी बात का सामने आना।

प्रहरी - (पुं.) (तत्.) - किसी भवन, संस्था आदि के प्रवेश द्वार पर नियुक्‍त अथवा निगरानी करने वाला। पर्या. पहरेदार, चौकीदार। उदा. 1. कार्यालय के प्रवेश द्वार पर खड़े प्रहरी ने मुझे रोक लिया क्योंकि मैंने प्रवेश-पत्र नहीं बनवाया था। 2. हमारे मोहल्ले में प्रहरी रातभर पहरा देता है।

प्रहार - (पुं.) (तत्.) - किसी शस्त्र या लकड़ी, लोहे आदि की मोटी वस्तु से किसी व्यक्‍ति, वस्तु या स्थान पर चोट पहुँचाने की क्रिया। पर्या. आघात, वार।

प्रांत - (पुं.) (तत्.) - किसी देश की सीमांकित एक बड़ी शासकीय या भौगोलिक इकाई। जैसे: बिहार प्रांत, पंजाब प्रांत, महाराष्‍ट्र आदि। पर्या. सूबा। पर्या. प्रदेश, राज्य, सूबा।

प्रांतीय - (वि.) (तत्.) - प्रांत से संबंधित। जैसे-सांय 7.00 बजे रेडियो पर प्रांतीय समाचार सुनाए जाते हैं।

प्रांतीयता - (स्त्री.) (तत्.) - वह मनोभाव जिसमें लोग राष्‍ट्रीय हितों की अपेक्षा अपने प्रदेश के (प्रीतीय) हितों पर ज्यादा जोर देते हैं; संकीर्ण प्रंतीय भावना। उदा. हमें प्रांतीयता नहीं अपितु राष्‍ट्रीयता की भावना से कार्य करना चाहिए।

प्राइवेट - (वि.) - (अं.) निजी, व्यक्‍तिगत; जो सार्वजनिक न हो। विलोम-पब्लिक, सार्वजनिक। उदा. प्राइवेट पार्किंग, प्राइवेट सेक्रेटरी, प्राइवेट कंपनी।

प्राकृत - (वि.) (तत्.<प्रकृति) - 1. प्रकृति से प्राप्‍त या उत्पन्न; प्रकृति से संबंधित। 2. एक प्राचीन भारतीय आर्यभाषा का नाम। संस्कृत (सुधरी हुई) से भिन्न दिखाने वाली, मौलिक रूप में प्रयुक्‍त होने वाली भाषा (बोलचाल की भाषा) मानते हुए इसे यह नाम दिया गया। आधुनिक भारतीय भाषाओं का जन्म इसी प्राकृत के विविध रूपों से हुआ माना जाता है।

प्राकृतिक - (वि.) (तत्.) - (प्रकृति+इक) 1. प्रकृति से संबंधित, प्रकृति प्रदत्‍त। (जैसे: प्राकृतिक चिकित्सा, प्राकृतिक जीवन, प्राकृतिक सुषमा) 2. स्वाभाविक, सहज। natural

प्राकृतिक आपदा - (स्त्री.) (तत्.) - जन-धन की अपार हानि करने वाली प्राकृतिक घटनाएँ। पर्या. प्राकृतिक विपत्‍ति। जैसे: सूखा, बाढ़, भूकंप, तूफान, सुनामी आदि प्राकृतिक आपदाएँ हैं जिन पर मनुष्य का वश नहीं चलता। तु. प्राकृतिक परिघटना। natural calamity

प्राकृतिक उपग्रह - (पुं.) (तत्.) - खगो. पृथ्वी या अन्य ग्रहों के चारों ओर परिक्रमा करने वाला आकाशीय पिंड, जैसे : पृथ्वी की परिक्रमा करने वाला चाँद। natural satellites

प्राकृतिक परिघटना - (स्त्री.) (तत्.) - प्रकृति में होने वाली बड़ी-बड़ी घटनाएँ। जैसे-तारे टूटना, भूकंप, ज्वालामुखी फटना आदि। टि. यह आवश्यक नहीं है कि ये परिघटनाएँ जन-धन की हानि करने वाली ही हों। natural phenomena तु. प्राकृतिक आपदा।

प्राकृतिक वृदधि‍दर - (स्त्री.) (तत्.) - किसी देश के जन्मदर और मृत्युदर के बीच का अन्तर।

प्राकृतिक संख्याएँ स्त्रीबहु. - (तत्.) - गणि. घनपूर्ण संख्याएँ (जैसे-1, 2, 3, 4…)

प्राकृतिक संसाधन - (पुं.) (तत्.) - प्राणियों के जीवन को बनाए रखने वाले प्रकृति से विरासत में मिले आधारभूत साधन। जैसे: सौर ऊर्जा, वायु, जल, भूमि, वनस्पति आदि-आदि। natural resources

प्राचार्य - (पुं.) (तत्.) - (प्र+आचार्य) किसी महाविद्यालय college के प्रशासनिक प्रधान।

प्राचीन - (वि.) (तत्.) - जो वर्तमान काल से संबंधित न होकर भूतकाल से संबंधित हो, पुराने जमाने का, पुराना, पुरातन। विलो. अर्वाचीन, आधुनिक। जैसे: प्राचीन भारत, प्राचीन इतिहास, प्राचीन साहित्य।

प्राचीर - (स्त्री.) (तत्.) - किले, नगर आदि की सुरक्षा के लिए उसके चारों ओर बनाई गई दीवार। पर्या. चहारदीवारी, परकोटा।

प्राणघातक - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ जो प्राण के लिए घातक हो। सा.अर्थ ऐसी चोट या आघात या वस्‍तु या रोग जिससे मृत्यु हो जाने की संभावना हो। जैसे: प्राणघातक हमला fatal

प्राणदंड - (पुं.) (तत्.) - दे. मृत्युदंड।

प्राणनाथ - (पुं.) (तत्.) - 1. प्राणों के स्वामी, ईश्‍वर। 2. (प्राचीन प्रयोग) स्त्री का पति के लिए संबोधन, प्रियतम, स्वामी। उदा. प्राणनाथ! तुम युद्ध में विजय प्राप्‍त करो।

प्राणनाश - (पुं.) (तत्.) - प्राणों का नाश, मृत्यु।

प्राण-पखेरू - (तत्) (पुं.) - [तत्.+तद्.<पक्षालु] पुं. बहु. शा. अर्थ प्राण रूपी पक्षी। सा. अर्थ शरीर के अंदर की जीवन- वायु जो जीव को जीवित रखती है। उदा. उसके प्राण - पखेरू उड़ गए= उसकी मृत्यु हो गई।

प्राणांत [प्राण+अंत] - (पुं.) (तत्.) - प्राण/प्राणों का अंत, जीवन का अंत, मृत्यु।

प्राणायाम [प्राण+आयाम] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ प्राण (श्‍वास-प्रश्‍वास) का विस्तार। योग-1. योग के आठ अंगों (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि) में से एक। 2. योग के अनुसार श्‍वास और प्रश्‍वास (प्राण) को नियंत्रित और नियमित रूप से खींचने और बाहर निकालने की प्रक्रिया। उदा. हम प्राणायाम करके अनेक बीमारियों से मुक्‍ति पा सकते हैं।

प्राणिजात - (पुं.) (तत्.) - किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले सभी जीव जंतु। fawna तु. वनस्पति जात।

प्राथमिक [प्रथम+इक] - (वि.) (तत्.) - 1. काल के धरातल पर अथवा क्रम में सबसे पहले का/की। जैसे: प्राथमिक चिकित्सा, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक विद् यालय (जो पाँच वर्ष और दस वर्ष की उम्र वाले बच्चों को कक्षा 1 से 5 तक की शिक्षा देते हैं) 2. महत्व की दृष्‍टि से मुख्य। जैसे: प्राथमिक आवश्यकताएँ (रोटी, कपड़ा, मकान)

प्राथमिक उपचार - (पुं.) (तत्.) - (आयु.) आवश्‍यक चिकित्सा से पहले दुर्घटनाग्रस्त अथवा सहसा बीमार हुए व्यक्‍ति को तात्कालिक राहत देने के लिए किए गए उपाय। पर्या. प्रथमोपचार first-aid

प्राथमिकता - (स्त्री.) (तत्.) - प्राथमिक होने का भाव; अन्य लोगों या वस्तुओं की तुलना में जिसे पहला अवसर मिले या दिया जाए। उदा. दस विद्यार्थियों में से किसे प्राथमिकता दे यह महत्वपूर्ण प्रश्‍न है।

प्रादुर्भाव [प्रादुर+भाव] - (पुं.) (तत्.) - नए रूप में प्रकट होना, अस्तित्व में आना; जन्म लेना। उदा. 1. हिमालय से गंगा का प्रादुर्भाव हुआ। 2. देवकी के गर्भ से कृष्ण का प्रादुर्भाव हुआ।

प्रादेशिक [प्रदेश+इक प्रत्यय] - (वि.) (तत्.) - 1. प्रदेश संबंधी या किसी प्रदेश का। जैसे: (i) भारत का प्रादेशिक विकास। (ii) भारत की प्रादेशिक भाषाएँ। 2. क्षेत्रीय, इलाकाई। जैसे: प्रादेशिक सेना या प्रादेशिक विश्‍वविद्यालय।

प्रादेशिकता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. प्रादेशिक होने का भाव। 2. क्षेत्रीयता, 3. राष्‍ट्रीयता से भिन्न संकुचित भावना।

प्राधिकरण [प्र+अधिकरण] - (पुं.) (तत्.) - वह संगठन जिसे कोई विशेष प्रकृति का कार्य-संपादन हेतु शक्‍तियाँ प्रत्यायोजित की गई हो। जैसे: दिल्ली विकास प्राधिकरण (डी.डी.ए.), जयपुर विकास प्राधिकरण (जे.डी.ए.) आदि। authority

प्राधिकार [प्र+अधिकार] - (पुं.) (तत्.) - किसी व्यक्‍ति, वर्ग या संस्था के कर्तव्य विशेष के प्रसंग में प्रत्यायोजित अधिकार; निर्दिष्‍ट कार्य निष्पादित करने का विशेष अधिकार। authority

प्राधिकारपत्र - (पुं.) (तत्.) - काम को पूरा करने हेतु किसी व्यक्‍ति विशेष को प्राधिकृत करने के लिए जारी किया गया पत्र। authority letter दे. प्राधिकार।

प्राधिकारी [प्राधिकार+ई] - (पुं.) (तत्.) - व्यक्‍ति जिसे औपचारिक आदेश देने की शक्‍ति या निर्दिष्‍ट कार्य संपन्न करने का विशेष अधिकार प्राप्‍त हो। authority

प्राधिकृत - (वि.) (तत्.) - (व्यक्‍ति) जिसे किसी काम को पूरा करने का प्राधिकार सौंपा गया हो या मिला हो। authorized

प्राध्यापक [प्र.+अध्यापक] - (पुं.) (तत्.) - विश्‍वविद् यालय के त्रिस्तरीय शिक्षक वर्ग मे नीचे से पहले वर्ग का शिक्षक) पर्या. प्रवक्‍ता lecturer, assistant professor

प्राप्‍त्‍याशा [प्राप्‍ति+आशा] - (स्त्री.) (तत्.) - 1. कुछ प्राप्‍त होने की आशा। 2. (नाटयशा) नाट्य कथावस्तु के विकास क्रम में तृतीय अवस्था जिसमें फल प्राप्‍ति की या विफलता की दिशाएँ स्पष्‍ट दिखने लगती है अर्थात् दर्शक अपनी ओर से अनुमान लगाने लगता है।

प्रामाणिक [प्रमाण+इक] - (वि.) (तत्.) - जो प्रमाणों से सिद्ध हो; जो प्रमाण माना जाता हो; जिसकी सच्चाई में संदेह न हो। पर्या. विश्‍वसनीय। जैसे: प्रामाणिक कथन; प्रामाणिक वस्तु। authentic

प्राय: - (अव्य.) (तत्.) - 1. एकाधिक अवसरों पर। 2. लगभग, करीब-करीब, तकरीबन। पर्या. अधिकतर, ज्यादातर, अक्सर।

प्रायद् वीप [प्राय:+द्वीप] - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ लगभग द्वीप जैसा। सा.अर्थ भू. ऐसा स्थलीय भाग जो तीन ओर से जल से घिरा हो। जैसे: भारत का दक्षिणी पठार। तु. महाद् वीप, उपमहाद्वीप।

प्रायश्‍चित - (पुं.) (तत्.) - किसी पापकर्म की दोषनिवृत्‍ति के लिए शास्त्रोक्‍त विधि से किया जाने वाला कोई धार्मिक कृत्य जैसे: यज्ञ, दान, सेवा आदि। उदा. उसकी गाड़ी के नीचे एक पिल्ला दबकर मर गया तो उसने प्रायश्‍चितस्वरूप गोशाला में एक हज़ार रूपए दान किए।

प्रायोगिक [प्रयोग+इक] - (वि.) (तत्.) - 1. प्रयोग संबंधी, प्रयोग का। 2. नित्य व्यवहार में लाया जाने वाला, उपयोगी। जैसे: प्रायोगिक पात्र। 3. किसी तथ्य को सिद्ध या प्रमाणित करने के लिए किया जाने वाला (परीक्षण कार्य)। जैसे: विज्ञान के विभिन्न प्रायोगिक कार्य। experimental

प्रायोजक - (वि./पु.) - 1. किसी नियत कार्य (बैठक, संगोष्ठी, सभा, खेल आदि) की सामान्य व्यवस्था को छोडक़र केवल वित्‍तीय भार उठाने वाला (व्यक्‍ति या संगठन)। 2. किसी रेडियो या टी.वी. कार्यक्रम के दौरान बीच-बीच में अपनी कंपनी का विज्ञापन करने की सुविधा के लिए समय खरीदने वाला प्रतिष्‍ठान। sponsor तु. आयोजक।

प्रारंभ - (पुं.) (तत्.) - (प्र.+आरंभ) 1. किसी काम की शुरूआत। विलो. अंत/समाप्‍ति। 2. शुरू-शुरू का भाग। जैसे: कविता का प्रारंभ अच्छा है।

प्रारब्ध - (पुं.) (तत्.) - 1. संचित कार्य का वह भाग जिसका भोग इस जन्म में आरंभ हो चुका हो। पर्या. भाग्य। 2. वह अदृश्य शक्‍ति जिसके बारे में यह माना जाता है कि वह हमारे भूत, वर्तमान और भविष्य को नियंत्रित करती है यानी जो कुछ हुआ था, हो रहा है, और आगे होगा वह सब उसकी इच्छा का परिणाम है। destiny, fate उदा. प्रारब्ध में लिखा होगा तो हम लाखों-करोड़ों के मालिक बन जाएंगे।

प्रारूप - (पुं.) (तत्.) - [प्र+आरूप] किसी दस्तावेज का पहले बनाया गया कच्चा रूप जो सक्षम व्यक्‍ति द्वारा अनुमोदित, संशोधित होकर अंतिम रूप ग्रहण करता है। जैसे: पत्र का प्रारूप। पर्या. मसौदा draft

प्रारूपिक [प्ररूप+इक] - (वि.) (तत्.) - किसी वस्तु, रचना आदि के वे अभिलक्षण जो औरों से उसकी भिन्नता के सूचक हों। typical

प्रार्थना - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी से कुछ करने के लिए या देने के लिए किया गया विनम्रतापूर्वक कथन। पर्या. याचना, निवेदन। उदा. आप से प्रार्थना है कि मुझे दो दिन का अवकाश प्रदान करें। 2. ईश्‍वर या देवी-देवता आदि को संबोधित करते हुए अपने या किसी अन्य के कल्याण के लिए या सभी के कल्याण के लिए की जाने वाली विनम्रता/भक्‍तिपूर्ण गद्यात्मक/पद्यात्मक स्तुति। जैसे: हे प्रभो! सबका कल्याण कर अथवा हे प्रभो! आनंददाता ज्ञान हमको दीजिए। आदि।

प्रार्थनापत्र - (पुं.) (तत्.) - किसी से कुछ चाहने या देने के लिए लिखित रूप में प्रस्तुत विनम्रतापूर्वक निवेदन। जैसे: छुट्टी का प्रार्थनापत्र। पर्याय-आवेदन application

प्रार्थी - (वि.) (तत्.) - 1. प्रार्थना करने वाला। 2. प्रार्थना-पत्र के अंत में हस्ताक्षर करने के स्थान से ठीक ऊपर का आदरसूचक अधोलेख। जैसे: प्रार्थी (हस्ताक्षर) (व्यक्‍ति का नाम)

प्रावधान [प्र+अवधान=रखना] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ विशेष रूप से रखना या व्यवस्था करना। 1. किसी कार्य के लिए समुचित धन आदि की पहले से की गई व्यवस्था। 2. कानूनी दृष्‍टि से कोई शर्त या व्यवस्था जो किसी विशेष उद् देश्य से बनाई गई हो। provision

प्रासंगिक - (वि.) (तत्.) - 1. जिसका प्रसंग हो, प्रसंगगत, प्रसंग-संबंधी। दे. प्रसंग।

प्रासाद - (पुं.) (तत्.) - विशाल भवन, राजभवन, राजा का महल, आलीशान इमारत।

प्रिय - (वि.) (तत्.) - 1. जिसके प्रति हृदय में प्रेम की भावना हो। 2. मन को अच्छा लगने वाला, चित्‍ताकर्षक/मनभावन। 3. संबोधन के रूप में प्रयुक्‍त शब्द। पुं. 1. प्रिय लगने वाला व्यक्‍ति। 2. पति, प्रेमी। स्त्री. प्रिया। विलो. अप्रिय।

प्रियतम - (वि.) (तत्.) - [प्रिय+तम प्रत्यय] जो सबसे अधिक प्रिय हो। जैसे: परमप्रिय मेरे तो प्रियतम तुम्हीं हो। पुं. 1. पति, 2. प्रेमी। स्त्री. प्रियतमा।

प्रीति - (स्त्री.) (तत्.) - समान स्तर के व्यक्‍तियों का परस्पर स्नेहभाव। पर्या. प्रेम। जैसे: (i) प्रीतिविवाह; (ii) बिनु भय होइ न प्रीति। 2. संतोष, आनंद। जैसे: प्रीतिभोज।

प्रीतिभोज - (पुं.) (तत्.) - किसी उत्सव के अवसर पर अपने मन का आनंद प्रकट करने के निमित्‍त स्नेहीजनों को निमंत्रित कर आयोजित सामूहिक भोजन। उदा. मेरे भाई के विवाहोत्सव के एक दिन बाद प्रीतिभोज का आयोजन है, आप अवश्य पधारें। banquet

प्रूफ संशोधक - (वि./पुं.) (तत्.) - (अं.+तत्.)मुद्रण-सामग्री की अंतिम छपाई से पहले मूल सामग्री (पांडुलिपि) से मिलानकर वर्तनीसंबंधी रह गई गलतियों को सुधारने वाला व्‍यक्‍ति और उसका पद। proof-reader

प्रूफ संशोधन - (पुं.) (तत्.) - (अं.+ मुद्र. मुद्रण-सामग्री की अंतिम छपाई से पहले वर्तनी संबंधी रह गई गलतियों में किया जाने वाला/किया गया सुधार। proof-reading

प्रेक्षक - (वि./पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ प्रेक्षण करने वाला। 1. फिल्म, नाटक, सर्कस, जादू, खेल-प्रतियोगिता आदि मनोरंजक कार्यक्रमों का दर्शक समूह। spectator 2. सभा सम्मेलन, चुनाव प्रक्रिया आदि की कार्यवाई को दूर से देखने/नजर रखने के लिए नियुक्‍त अधिकृत और निष्पक्ष व्यक्‍ति/अधिकारी। observer

प्रेक्षण - (पुं.) (तत्.) - देखना, देखने की क्रिया।

प्रेत - (पुं.) (तत्.) - मृत व्यक्‍ति की आत्मा का सूक्ष्म शरीर के साथ एक विशेष योनि में भटकता हुआ रूप। उदा. कहते हैं कि जो मायामोहग्रस्त होकर मरते हैं वे प्रेतयोनि को प्राप्‍त होते हैं। स्त्री. प्रेतनी) पर्या. प्रेतात्मा।

प्रेतलेखक - (पुं.) (तत्.) - (प्रेत-लेखक) प्रेत=मृत व्यक्‍ति की आत्मा या प्रेतों (भूतों/भूत जीवात्माओं) की रोमांचकारी काल्पनिक कथाओं या कहानियों को लिखने वाला। जैसे: प्रेतलेखक प्रेतात्माओं की बड़ी ही समसनीखेज व भयावह कथाएँ लिखते हैं। जो कभी-कभी फिल्मों के रूप में भी प्रदर्शित होती हैं।

प्रेम - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी व्यक्‍ति, वस्तु, विषय, देव, प्रकृति आदि के प्रति मन में उत्पन्न होने वाला विशेष आकर्षण युक्‍त कोमल भाव। पर्या. प्यार, प्रीति। जैसे: भाई से प्रेम, मित्र से प्रेम, प्रकृति-प्रेम, राष्‍ट्र-प्रेम, संगीत-प्रेम। तुल. स्नेह, आदर, श्रद्धा। 2. स्त्री-पुरूष का परस्पर कामवासना से युक्‍त राग, मुहब्बत। जैसे: दुष्यन्त-शकुंतला का प्रेम। 3. सांसारिक विषयों के प्रति लगाव, आसक्‍ति। जैसे: धनप्रेम, पुत्रप्रेम।

प्रेमकथा - (स्त्री.) (तत्.) - ऐसी कहानी जिसका केंद्रीय बिंदु प्रेम होता है। ऐसी कहानियों में प्राय: रूपवर्णन, आकर्षण, प्रेमप्रसंग, विरह एवं पुनर्मिलन इत्यादि की घटनाओं का सरस वर्णन होता है। दर्शन, सिद् धांत, विचारों आदि को प्रमुखता नहीं दी जाती।

प्रेयसी - (स्त्री.) (तत्.) - (प्रेयस्=प्रिय, अतिशय, प्रिय+ई स्त्री. प्रत्यय] अतिशय प्रिय, प्रेमिका, प्रियतमा।

प्रेरक - (वि.) (तत्.) - किसी काम के लिए प्रेरणा देने वाला या प्रेरित करने वाला। दे. प्रेरणा।

प्रेरणा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. कुछ करने के लिए मन में उठने वाला भाव जिसे अंत:करण की आवाज़ भी माना जा सकता है। 2. किसी महापुरूष, अनुभवी व्यक्‍ति, वयोवृद् ध आदि द्वारा कुछ करने के लिए दिया गया आह् वान अथवा प्रोत्साहन। inspiration

प्रेरित - (वि.) (तत्.) - किसी कार्य में प्रवृत्‍त किया या लगाया हुआ।

प्रेषक - (वि./पुं.) (तत्.) - 1. (पत्र) भेजने वाला। sender 2. (डाक) रवाना करने वाला। dispatcher 2. रूपया-पैसा भेजने वाला remitter

प्रेषण - (पुं.) (तत्.) - [प्रेष+न] सा.अर्थ 1. भेजना, रवाना करना। dispatch, remittance भौ. 2. संकेतों, चित्रों आदि को रेडियो तरंगों, तार, प्रकाश किरण आदि के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजने का प्रक्रम। transmission

प्रेषिती - (पुं.) (तत्.) - [प्रेषित+ई] तार, पत्र, मनीआर्डर आदि से भेजे गए रूपय-पैसे को पाने वाला, प्राप्‍तकर्ता। remittee

प्रेषित्र - (पु.) (तत्.) - उपकरण जो दृश्य-श्रव्य सामग्री को मॉडुलित रेडियो तरंगों में बदलकर उनको प्रसारित करता है। transmitter

प्रेष्य - (वि.) (तत्.) - (वस्तु, सामग्री) जिसे भेजा जाना है।

प्रेस - (पुं.) - (अं.) 1. किसी को आधिकारिक तरीके से प्रभावित करने का कार्य, दबाव। 2. दबाव डालने वाला उपकरण। 3. कपड़ों पर इस्त्री करने का उपकरण। उदा. आजकल लोग घरों बिजली के प्रेस का प्रयोग करते हैं। 4. लेखन सामग्री की छपाई की मशीन, मुद्रणयंत्र। 5. मुद्रणालय, छापाखाना, प्रकाशन संस्थान।

प्रोकेरियोट्स - (पुं.) - (अं.) (जीवविज्ञान+पादपविज्ञान) 1. जीवों का वह वर्ग जिसकी कोशिकाओं में कोई केंद्रक या कलाओं से परिबद् ध अंगक नहीं होते। 2. प्राक्केंद्रिकी। Prokcaryotes

प्रोटीन - (पुं.) - (अं.) एमीनों अम्लों के बने और पेप्टाइड बंधों से जुड़े पदार्थ जो दूध, मांस आदि में प्रचुरता से पाए जाते हैं। यह जैव पदार्थ का मुख रचक है। Protein

प्रोटोजोआ - (पुं.) - (अं.) एक कोशिका वाले सभी प्राणियों का संघ जिसमें अमीबा, पैरामीशियम, मलेरिया परजीवी आदि प्राणी आते हैं। अलैंगिक विधि द् वारा जनन और अंग या ऊतक का न होना इनके विशिष्ट लक्षण हैं। protozoa

प्रोत्कर्ष [प्र+उत्कर्ष] - (पुं.) (तत्.) - बहुत अधिक ऊपर उठना; विशेष उछाल, बहुत ऊपर चढ़ना।

प्रोत्साहन - (पुं.) (तत्.) - [प्र+उत्साहन] किसी काम को करने के लिए दिया गया बढ़ावा, उत्साह।, वृद्धि‍ के लिए दी गई सहायता। ऐन्करेजमेन्ट जैसे: प्रोत्साहन पुरस्कार। encouragement

प्रोत्साहित - - [प्रोत्साह-इत] जिसे प्रोत्साहन दिया गया या मिला हो।

प्रोफेसर - (पुं.) - (अं.) 1. वह विशेष अध्यापक जो विश्‍वविद् यालय, महाविद् यालय/ कॉलेज आदि उच्च संस्था में पढ़ाता है या शैक्षिक गतिविधियों का विशेषज्ञ होता है। 2. किसी विषय का विशिष्‍ट विद्वान या विभागाध्यक्ष/ प्राध्यापक। professor

प्रौढ़ - (वि.) (स्त्री.प्रौढ़ा) - जिसकी आयु अधिक हो गई हो, परिपक्व, मैच्योर। जैसे: प्रौढ़ व्यक्‍ति। पुं. दे. वयस्क adult जैसे: प्रौढ़ शिक्षा।

प्रौढ़ता - (स्त्री.) (तत्.) - प्रौढ़ अथवा परिपक्व हो जाने की स्थिति का सूचक भाव। maturity, adulthood

प्रौद्योगिक - - [प्र+उद्योग+इक] प्रौद्योग से संबंधित, प्रौद्योग विषयक। technologica

प्रौद्योगिकी - (स्त्री.) - [प्रौद्योगिक+ई] 1. पदार्थ, शक्‍ति और औज़ार के उत्पादन के लिए अनुप्रयोग; 2. अनुप्रयुक्‍त विज्ञानों का व्यावहारिक पक्ष। 3. व्यावहारिक उपयोग के लिए किसी विषय विशेष से संबंधित संचित ज्ञान का अनुप्रयोग सिखाने वाला विज्ञान। टैक्नोलॉजी पर्या. तकनीकी। technology

प्लग - (पुं.) - (अंग्रे.) इंजी.धातु का लंबा पतला डाक जिसे बिजली आपूर्ति वाले छिद्र में बिठाकर/डालकर प्रवाहित बिजली से संपर्क साधा जाता है। plug

प्लव अ.क्रि. - (तत्.) - तैरना।

प्लवक [प्लव+क] - (वि.) (तत्.) - तैरने वाला। पुं. जीव जल में तैरते रहने वाले जीवों का समूह। प्लैंक्टन

प्लवन [प्लव+न] - (पुं.) (तत्.) - तैरने का कार्य।

प्लाज़्मा झिल्ली - (स्त्री.) (अंग्रे.+देश.) - लिपिड तथा प्रोटीनयुक्‍त वरणात्मक पारगम्य झिल्ली जो कोशिका द्रव्य को इसके बाहरी परिवेश से पृथक करती है। plasma membrane

प्लाज़्मा - (पुं.) - (अं.) रूधिर, लसीका का (या दुग्ध का भी) रंगहीन तरल अंश जिसमें कणिकाएँ तैरती रहती हैं। इसमें लवण, प्रोटीन, हॉरमोन, प्रतिविष आदि निलंबित होते हैं। पर्या. जीव-द्रव्य।

प्लावन - (पुं.) (तत्.) - बहना; बाढ़ आ जाना; डूब जाना, जलमय हो जाना। जैसे: जल-प्लावन।

प्लास्टिक - (वि.) (वि.) - (अं.) सुघट्य। (सं) प्लास्टिक। पुं. विभिन्न संश्‍लेषित बहुलक-पदार्थों में से कोई एक जिसे इच्छानुसार कोई भी रूप, आकार दिया जा सकता है। plastic

प्लैस्टिड - (पुं.) - (अं.) पत्‍ती की कोशिकाओं के द्रव्य में छितरी हुई छोटी-छोटी रंगीन संरचनाएँ। टि. हरे रंग के प्लैस्टिड को क्लोरोप्लास्ट या हरितवलक कहते हैं।