विक्षनरी:हिन्दी लघु परिभाषा कोश/म
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मंगल - (पुं.) (तत्.) - 1. शुभ, भलाई, कल्याण। 2. सौर जगत का एक ग्रह जो पौराणिक मान्यता के अनुसार पृथ्वी का पुत्र माना जाता है। पर्या. भौम। 3. मंगलवार का दिन। वि. कल्याणकारी, शुभलक्षण-युक्त। विलो. अमंगल।
मंगलकलश/मंगलघट - (पुं.) (तत्.) - शुभ अवसरों पर पूजा के लिए रखा गया पानी से भरा पवित्र घड़ा।
मंगलगीत - (पुं.) (तत्.) - शादी-ब्याह आदि शुभ अवसरों पर पारंपरिक रूप से गाए जाने वाले गीत। तु. भजन।
मंगलमय - (वि.) (तत्.) - जिससे सभी प्रकार का मंगल अर्थात् कल्याण हो, कल्याण से युक्त, शुभप्रद, कल्याणमय। उदा. आप दोनों का दांपत्य जीवन मंगलमय हो।
मंगलसूत्र - (पुं.) (तत्.) - 1. विवाहिता स्त्रियों के द्वारा अपने सुहाग के लिए गले में पहने जाने वाला आभूषण जिसे एक विशेष सौभाग्य का सूचक माना जाता है। उदा. नववधू के मंगलसूत्र की सभी स्त्रियाँ प्रशंसा कर रही थीं। 2. किसी विशेष पूजा आदि के अवसर पर पुरोहित द्वारा यजमान की कलाई पर बाँधा जाने वाला लाल धागा।
मंगलाचरण - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी कार्य के प्रारंभ में मंगल कामना और अनिष्ट निवारण के लिए की जाने वाली देव स्तुति। 2. पुस्तक के प्रारंभ में लिखा गया देव स्तुति-परक पद।
मंगली - (वि.) (तत्.) - 1. (वह लड़का या लड़की) जिसकी कुंडली में मंगलदोष हो अर्थात् 1,4,7,8,12 में मंगल स्थित हो। 2. विवाह के लिए एक प्रकार का दोष। पर्या. मंगलीक। जैसे: इस मंगली लड़की से विवाह कैसे हो सकता है?
मंगोल - (पुं.) - (विदेशी) एक जाति जिसका मूलस्थान रूस और चीन के मध्य स्थित मंगोलिया नामक देश है। इस जाति के लोगों का रंग हलका पीला, नाक चिपटी और चेहरा चौड़ा होता है।
मंच - (पुं.) (तत्.) - 1. खाट, मचान, खटिया। 2. सभा को संबोधित करने के लिए बना ऊँचा स्थान। 3. नाटक आदि खेलने के लिए बना ऊँचा स्थान, रंगमंच। stage
मंजन - (पुं.) (तद्.) - दाँत आदि साफ करने का (औषधीय) चूर्ण।
मंजरी - (स्त्री.) (तत्.) - 1. नए उगे हुए कोमल कोंपल। 2. फूलों का ऐसा गुच्छा जिसमें एक ही डंडी पर चारों ओर (लंबाई में) छोटे-छोटे फूल खिलते हैं। जैसे: तुलसी या आम के पौधों में मंजरी लगती है।
मंजिल - (स्त्री.) (अर.) - 1. चलकर पहुँचने वाला नियत स्थान। पर्या. गंतव्य। destination 2. भवन की ऊँचाई के अनुसार बने तल और उनकी संख्या। जैसे: छठी मंजिल। story
मंजुल - (वि.) (तत्.) - 1. दिखाई देने में सुंदर।
मंजुलता - (स्त्री.) - सुंदर होने का गुण, सुंदरता।
मंजूर - (वि.) (अर.) - स्वीकृत। उदा. उसकी छुट्टी मंजूर हो गई है। विलो. नामंजूर।
मंजूरी - (स्त्री.) - स्वीकृति। उदा. मैंने अपनी छुट्टी की अर्जी मंजूरी के लिए भेजी है।
मंजूषा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. गहने, वस्त्र आदि सामान रखने की सुंदर पेटी। जैसे: रत्नमंजूषा। 2. छोटा पिटारा या डिब्बा। जैसे: पत्रमंजूषा। 3. पक्षियों को पालने के लिए बना पिंजरा।
मंडप - (पुं.) (तत्.) - 1. मंदिर के ऊपर का भाग जो गोल आकृति का होता है। 2. किसी शुभ एवं विशिष्ट कार्य के लिए छाया हुआ परंतु चारों ओर से खुला स्थान जो गर्मी, वर्षा आदि से बचने के लिए बनाया गया हो। जैसे: चँदोवा, शामियाना।
मंडप - (पुं.) (तत्.) - 1. यज्ञ, विवाह, राजकीय समारोह आदि के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया वह खुला स्थान जो ऊपर से तिनकों, टीन की चद्दर या कपड़े से छाया हुआ हो। 2. चँदोवा, तंबू। जैसे: ‘विवाहमंडप’ अत्यंत सुसज्जित है। 2. उद्यान में ‘लतामंडप’ दर्शनीय है।
मंडल - (पुं.) (तत्.) - 1. गोल घेरा, चक्कर, परिधि। उदा. मुख-मंडल। 2. राज्य का वह भाग जो एक विशेष अधिकारी के अधीन हो। जिला। district 3. कुछ विशेष लोगों का समाज, समूह जैसे: मित्रमंडल। 4. ऋग्वेद के अध्यायों का विभाजन शीर्षक। टि. ऋग्वेद के सभी मंत्र दस मंडलों में विभक्त हैं।
मंडलाकार - (वि.) (तत्.) - मंडल (वृत्त) के आकार वाला, गोल।
मंडली - (स्त्री.) (तत्.) - 1. एक जैसे स्वभाव या प्रवृत्ति के लोगों का समूह, समाज। जैसे: दुष्ट-मंडली। 2. एक ही उद् देश्य या कार्य के लिए एकत्रित लोगों का दल। जैसे : भजन-मंडली, मित्र मंडली। पर्या. वर्ग, समुदाय।
मंडी - (स्त्री.) (तद्.) - 1. किसी प्रकार के माल के थोक और फुटकर बिक्री का बड़ा केंद्र/बाजार। जैसे: धानमंडी, गन्नामंडी, सब्जीमंडी आदि। 2. बड़ा बाजार। जैसे: उसने मंडी से केले और सेब सस्ते खरीदे।
मंतव्य - (पुं.) (तत्.) - किसी विषय में व्यक्त विचार या मत। पर्या. प्रस्ताव, निर्णय।
मंतिख (मंतिक) - (पुं.) - (अ.) तर्कशास्त्र। सिद् धांतों, मतों के विषय में अनेक प्रकार से तर्कपूर्वक विचार करने वाला शास्त्र। टि. दिनकर की रचना- ‘पढ़क्कू की सूझ’। शीर्षक-कविता में मतिख शब्द प्रयुक्त होता है। logic
मंत्र - (पुं.) (तत्.) - 1. गुप्त रखने योग्य बात, सलाह, रहस्य। 2. वेदों के छंदोबद्ध या गद्यात्मक शब्द जिनके उच्चारण के साथ यज्ञादि कार्य किए जाते हैं, वे शब्द जिनसे देवताओं आदि को संतुष्ट किया जाता हो। 4. वे शब्द जिनसे अशुभ शक्तियों को निष्क्रिय किया जाता है। (झाड़-फूँक आदि द्वारा)
मंत्रणा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी विषय पर मननपूर्वक परस्पर किया जाने वाला विचार-विमर्श, परामर्श, सलाह। advice 2. विचार-विमर्श द्वारा निश्चित किया गया मत। जैसे: प्रधानमंत्री ने प्रमुख मंत्रियों के साथ रसाईगैस की समस्या के संबंध में मंत्रणा की।
मंत्रालय - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी मंत्री का कार्यालय/कार्य करने का स्थान 2. मंत्री का विभाग, जैसे: गृह मंत्रालय।
मंत्रिपरिषद्/मंत्रीपरिषद् - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी राज्य या केंद्र सरकार की नीतियों को निर्धारित करने वाला दल या समूह, जिसके सदस्य मंत्री कहलाते हैं। इनका नेता मुख्यमंत्री/प्रधानमंत्री होता है। मंत्रिपरिषद् विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है। 2. राज्यपाल/राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए बनाया गया मंत्रियों का दल या समूह। council of ministers
मंत्रिमंडल - (पुं.) (तत्.) - किसी देश के केंद्र, राज्य, संस्था आदि के मंत्रियों का समूह। cobinet
मंत्री - (पुं.) (तत्.) - 1. मंत्रिपरिषद् का सदस्य। 2. किसी मंत्रालय का प्रधान या मुखिया। 3. राजा, राष्ट्रपति, राज्याध्यक्ष आदि को परामर्श देने वाला। minister 4. गोपनीय बातों पर सलाह देने वाला। 5. किसी संस्था के कार्यों को संचालित या नियंत्रित करने वाला अधिकारी secretary पर्या. सचिव (4, 5 के लिए)।
मंत्रीगण - (पुं.) (तत्.) - मंत्रियों का समूह, मंत्रिमंडल।
मंत्रोच्चार - (पुं.) (तत्.) - मंत्रों का उच्चारण। किसी पूजा-पाठ, धार्मिक समारोह आदि में मंत्रों का उच्च स्वर में पाठ या गायन।
मंत्रोच्चारण [मंत्र+उच्चारण] - (पुं.) (तत्.) - वेदमंत्रों को सही ढंग से शुद् ध उच्चारणपूर्वक बोलना। उदा. आज एक पवित्र कार्यक्रम में विद्वानों के मुख से मंत्रोच्चारण सुनकर मन बहुत प्रसन्न हुआ।
मंथन - (पुं.) (तत्.) - 1. दही से मक्खन निकालने की विशेष क्रिया। मथना, बिलोना। जैसे: 1. गोपियाँ दही-मंथन के समय बाल कृष्ण को बुलाकर मक्खन खिलाती थीं। 2. मथने जैसी क्रिया। जैसे: अग्निमंथन-मथकर लकडि़यों से अग्नि उत्पन्न करना, समुद्रमंथन। 2. ला.अर्थ. किसी विषय पर गंभीर चिंतन-मनन। जैसे: गीता के ज्ञानयोग पर मेरा मंथन चल रहा है। 3. ला.अर्थ किसी ग्रंथ का गहराई से अध्ययन। जैसे: उन्होंने ‘गोदान’ उपन्यास का पूरा मंथन किया है।
मंथर - (वि.) (तत्.) - जिसकी गति धीमी या मंद हो, धीमा, मंद, सुस्त। जैसे: कछुआ मंथर गति से चलता है।
मंथरा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. रामायण में दशरथ की रानी कैकेयी की प्रमुख दासी। 2. ला.अर्थ स्त्री. ऐसी दुष्ट स्त्री जो किसी भी घर में गृह-कलह कर देने में निपुण होती है।
मंद - (वि.) (तत्.) - 1. जिसमें तीव्रता या स्फूर्ति न हो, धीमा, सुस्त। जैसे: वह मंदस्वर में बोला। 2. जड़बुद् धि, मूर्ख। जैसे: ‘अहह मंद में अवसर चूका।’ (तुलसी-रामचरितमानस) 3. कमजोर, दुर्बल। जैसे: मंदाग्नि दोष। विलो. तीव्र। टि. ‘मंद’ फारसी का एक प्रत्यय भी है जिसका अर्थ है ‘वाला’। जैसे: अक्लमंद, जरूरतमंद, सेहतमंद।
मंदगति - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ जिसकी बुद्धि तेजी से न चले। सा.अर्थ जिसकी मति (बुद्धि) मंद या अल्प हो, अल्पबुद्धि, नासमझ। जैसे: अधिकारी के समक्ष वह मंदमति अपनी बात ठीक से कह नहीं पाया। पर्या. मंदबुद्धि।
मंदबुद्धि - (वि.) (तत्.) - जिसकी बुद्धि मंद या कम हो, मोटी अक्ल वाला। पर्या. अल्प बुद्धि, मूर्ख।
मंदा - (वि.) (तत्.) - कम कीमत का, जिसका दाम कम हो गया हो, पर्या. सस्ता स्त्री-मंदी। पुं. (अर्थ) वह काल जब कीमतें कम हो गई हों। उदा. आजकल सोने में मंदी चल रही है। depression
मंदिर - (पुं.) (तत्.) - 1. देवस्थान, देवालय, पूजा का स्थान। 2. कोई भी पवित्र या शुभकार्य का स्थान। उदा. विद् यामंदिर अर्थात् विद्यालय। 3. रहने का स्थान, घर।
मंदी - (स्त्री.) (तद्.) - अर्थ. 1. बाजार की वह अवस्था जिसमें कीमतों में लगातार गिरावट जारी हो। 2. बाजार की वह स्थिति जिसमें लोगों की क्रयशक्ति कम होने से बिक्री कम होती हो। उदा. आजकल मंदी के कारण लोगों को रोजगार भी कम मिल रहा है। विलो. तेजी।
मंद्र - (वि.) (तत्.) - 1. गहरा, गंभीर, मधुर (विशेष रूप से स्वर या ध्वनि का विशेषण) 2. (संगीत) स्वरों के तीन सप्तकों में से पहला सप्तक। अन्य सप्तक हैं-मध्य और तार। base tone
मंद्रतर - (वि.) (तत्.) - तुलनात्मक दृष्टि से अधिक मंद्र। दे. ‘मंद्र’।
मंशा - (स्त्री.) (अर.) - मन में उत्पन्न किसी वस्तु- उद्देश्य-पूर्ति की कामना। 1. उद्देश्य। 2. अभिप्राय, आशय, इरादा। 3. इच्छा, मनोकामना, मनोरथ। जैसे: ऐसा करने के पीछे उनकी मंशा क्या है, हमें पता नहीं।
मंसूबा - (पुं.) - (अ.) 1. मन की इच्छा, महत्वाकांक्षा, संकल्प। उदा. मंसूबा करने मात्र से काम नहीं चलेगा। 2. काम करने की योजना, युक्ति, तजबीज, कोई कार्य करते समय सोची गई युक्ति।
मँगनी - (स्त्री.) (देश.) - 1. किसी के द्वारा कोई वस्तु मांगने पर कुछ समय के लिए उसे वह वस्तु देना। जैसे: बड़ी सीढ़ी मंगनी दे दीजिए। 2. किसी वस्तु को किसी से स्वयं माँगकर कुछ समय के लिए लाना। जैसे: यह बड़ा थाल मँगनी का है, हमारा नहीं। 3. विवाह का एक परंपरागत कार्यक्रम जिसमें लड़के और लड़की का संबंध निश्चित किया जाता है। जैसे: वह अपने मित्र की मँगनी के कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ।
मँगेतर - (पुं.) (देश.) - 1. वह व्यक्ति जिसके साथ किसी कन्या का विवाह-संबंध पक्का हुआ हो। 2. वह व्यक्ति जिसकी किसी कन्या से मँगनी हुई हो। दे. ‘मँगनी’।
मँझधार - (स्त्री.) (तद्.) - शा.अ. नदी के बीच की धारा, प्रवाह के बीच की धारा। ला.अ. किसी काम को करते समय बीच की दुविधा की स्थिति जब कार्य पूरा न हो पाया हो और उसे छोड़ा भी न जा सकता हो।
मँझला - (वि.) (तद्.) - जो बीच का हो, जैसे: उसके तीन पुत्रों में से मँझला चिकित्सक है। पर्या. मध्यम, मझोला।
मँडराना - - अ.क्रि. (देशज) किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान के चारों ओर घूमते या उड़ते रहना, आसपास में रहना।
मकड़ी - (तद्.<मर्कटी) (स्त्री.) - आठ पैरों वाला एक छोटा कीड़ा जो अपने मुख में से निकलने वाले लसीले पदार्थ से जाला बुनता है और उसमें चिपक कर फँसने वाले मक्खी आदि कीटों का आहार कर लेता है या उनका रस चूस लेता है।
मकबरा - (पुं.) (अर.) - 1. वह कब्र जिस पर इमारत या गुंबद बना हो। जैसे: ताजमहल मूलत: मकबरा है। 2. भवन या गुंबद जिसके नीचे किसी की कब्र बनी हो। जैसे: हुमायूँ का मकबरा, ताजमहल आदि।
मकरंद - (पुं.) (तत्.) - फूल का केसर, पराग, फूल का रस।
मकर - (पुं.) (तत्.) - 1. मगर या घड़ियाल नामक जलजंतु। 2. बारह राशियों में से दसवीं राशि।
मकरसंक्राति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. सूर्य का धनुराशि से मकर राशि में प्रवेश करना जिससे उत्तरायण का प्रारंभ माना जाता है। 2. उक्त अवसर पर या तिथि को मनाया जाने वाला उत्सव। टि. मकर संक्रांति का पर्व प्रत्येक वर्ष प्राय: 14 जनवरी को मनाया जाता है। दे. संक्रांति।
मकसद - (पुं.) (अर.मक़्सिद) - मक़्सिद) 1. (किसी के जीवन का) उद् देश्य या इच्छा। जैसे: आपके जीवन का मकसद क्या है? शिक्षक बनना या चिकित्सक बनना। 2. अभिप्राय, आशय, मतलब। जैसे: वहाँ जाने से आपका मकसद पूरा नहीं होगा।
मकान - (पुं.) (अर.) - आवास या रहने का स्थान। पर्या. घर, गृह, आलय, भवन।
मक्का - (पुं.) (अर.) - अरब प्रदेश की धार्मिक राजधानी। हज़रत मुहम्मद का जन्मस्थान। मुसलमान हज के लिए यहीं एकत्र होते हैं। यहीं ‘काबा’ नामक प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। (देश.) एक मोटा अनाज, मकई, भुट्ठे के दाने। maize
मक्कार - (वि.) (अर.) - धूर्त, छली, चालाक।
मक्कारी - (स्त्री.) (अर.) - धूर्तता, छल, धोखा, चालाकी।
मक्खन - (पुं.) (देश.) - दूध या दही मथने के बाद निकला हुआ सार तत् व, जिसको गर्म करके घी बनाया जाता है, नवनीत।
मक्खी - (स्त्री.) (तद्.<मक्षिका) - 1. एक उड़ने वाला कीट जो प्राय: मीठी वस्तुओं और गंदी जगहों पर पाया जाता है 2. मधुमक्खी मुहा. 1. जीती मक्खी निगलता-जानते हुए अपना अहित करना 2. मक्खी की तरह निकाल फेंकना-किसी को अपने से अलग कर देना 3. मक्खी मारना-बिना काम के समय बिताना 4. मक्खी पर मक्खी मारना-बिना विचार किए हूबहू प्रतिलिपि बनाना 5. नाक पर मक्खी न बैठने देना-अभिमानपूर्वक रहना, आक्षेप सहन न करना।
मक्खीचूस - (पुं.) (देश.) - बहुत बड़ा कंजूस, व्यर्थ वस्तुओं से भी लाभ उठाने की बात सोचने वाला।
मखमल - (स्त्री.) (अर.) - एक रेशम जैसा मोटा कपड़ा जिसकी ऊपरी सतह बहुत नरम और रोएँदार होती है।
मखमली - (वि.) (फा.) - 1. मखमल से बना हुआ। 2. मखमल जैसा। उदा. मखमली घास।
मखौल - (पुं.) (देश.) - हँसी, मज़ाक, उपहास, खिल्ली, दिल्लगी। उदा. किसी की कुरूपता का मखौल नहीं उड़ाना चाहिए।
मग - (पुं.) (तद्.) - रास्ता, पथ। उदा. चल पड़े जिधर दो डग मग में चल पड़े कोटि पग उसी ओर।
मगज़ - (पुं.) (अर.) - 1. मस्तिष्क 2. दिमाग। उदा. इतनी देर से बहस करके मेरा मगज क्यों खा रहे हो? मुहा. 1. मगज़-मारना/मगज़पच्ची करना- किसी कठिन सवाल या समस्या में बड़ी देर से उलझे रहना। 2. मगज़ चाटना/खाना- बहुत बोलकर परेशान करना। 3. गिरी, मींगी जैसे: मगज़ के लड्डू
मगध - (पुं.) (तत्.) - दक्षिणी बिहार का प्राचीन नाम। वर्तमान समय में पटना और राजगृह के आस-पास का क्षेत्र। मगध राज्य के प्राचीन राजाओं में जरासंध, चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक आदि का नाम प्रसिद् ध है।
मगन - (वि.) (तद्.<मग्न) - बहुत प्रसन्न, खुश, आनंदित, डूबा हुआ। दे. ‘मग्न’।
मगर अ. - (फा.) (पुं.) - परंतु, लेकिन। जैसे: तुम मेहनत तो करते हो मगर तुम्हें अपने भाई के समान अंक नहीं प्राप्त होते। तद्. <मकर) एक जलचर सरीसृप प्राणी मगरमच्छ या घड़ियाल। इसका मुख्य भोजन मछलियाँ हैं। मुहा. 1. जल में रहकर मगर से बैर-अधिक शक्तिशाली लोगों के साथ रहकर भी उनसे दुश्मनी रखना। 2. मगरमच्छ के आँसू बहना-दिखावटी शोक या सहानुभूति दिखाना।
मगरमच्छ - (पुं.) (तद्.) - सरीसृप जाति का जीव जो पानी में और जमीन पर दोनों स्थानों में रह सकता है। मछली इसका मुख्य आहार है परंतु बड़े आकार वाले प्राणियों को भी यह खा जाता है। प्राय: नदियों, झीलों में पाया जाता है। पर्या. मगर, घड़ियाल।
मग़रूर - (वि.) (अर.-मग्रूर) - शा.अ. गरूर (घमंड) के साथ/वाला सा.अ. जिसे अपने गुण, शक्ति, कला आदि पर आवश्यकता से अधिक घमंड हो। पर्या. अभिमानी, घमंडी जैसे: वह अधिक धन पाकर मग़रूर हो गया है।
मचना - - अ.क्रि. (अनु.) 1. शोर आदि का शुरू होना। 2. किसी चीज की व्यापकता होना। छा जाना। उदा. देखो! कक्षा में शोर मच रहा है। 2. दिल्ली में डकैतों का आतंक मचा हुआ है।
मचलना अ.क्रि. - (देश.) - कोई वस्तु प्राप्त करने के लिए बाल भाव से हठ करना, (विशेष रूप से बालकों या स्त्रियों के लिए प्रयुक्त)।
मचान - (पुं.) (तद्.<मंच) - बाँसों, लट्ठों या पेड़ों आदि के सहारे बनाया हुआ ऊँचा बैठने लायक स्थान या मंच जिस पर बैठकर खेत की रखवाली की जा सकती है या हिंसक पशुओं का शिकार किया जा सकता है।
मचाना स.क्रि. - (देश.) - शोर/कोलाहल, आदि को चारों और फैलाना। जैसे: कक्षा में बच्चे शोर मचा रहे हैं।
मचिया - (स्त्री.) (तद्.<मंच) - 1. चारपाई की तरह सुतली आदि से बुनी हुई चार पायों वाली बैठने की छोटी चौकी। 2. छोटी चारपाई। जैसे: घर में मचिया पर बैठी कुछ औरतें कपड़ों में कढ़ाई कर रही हैं।
मच्छर - (पुं.) (तद्.<मशक) - हवा में उड़ने वाला अनेक प्रकार के रोगाणुओं का वाहक एक कीट। इनमें से कुछ के काटने से डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया आदि रोग होते हैं।
मच्छरदानी - (स्त्री.) (देश.) - मच्छरों से बचने के लिए चारपाई पर लगाया जाने वाला जालीदार आवरण।
मछली - (तद्.मच्छ<मत्स्य) - एक जल जीव जिसकी छोटी-बड़ी अनेक प्रजातियाँ होती हैं। ये अनेक रंगों एवं आकारों की होती हैं। पर्या. मीन, मत्स्य।
मछुआ/मछुवा - (पुं.) (देश.) - मछली पकड़ने और बेचने का व्यवसाय करने वाला। स्त्री. मछुआरिन।
मछुआरा - (पुं.) (देश.) - दे. ‘मछुआ’।
मजदूर - (पुं.) (फा.) - शारीरिक श्रम से दूसरों का काम करके धन कमाने वाला व्यक्ति।
मजदूरी - (स्त्री.) (फा.) - 1. मजदूर का काम या भाव। 2. मजदूर का पारिश्रमिक। wages
मजबूत - (वि.) (अर.) - 1. पक्का, टिकाऊ, दृढ़, पुष्ट, बलशाली। 2. पक्के दिलवाला।
मजमा - (पुं.) (अर.) - बहुत से लोगों का एक जगह बेतरतीब इकट्ठा होना, जमावड़ा, जमघट। उदा. मदारी के कौतुक को देखने के लिए लोगों का मजमा लग गया।
मजमून - (पुं.) (अर.) - निबंध, लेखा, वार्तालाप आदि का विषय। उदा. हम तो लिफाफा देखकर ही मजमून भाँप जाते हैं।
मजहब - (पुं.) (अर.) - धर्म, संप्रदाय, पंथ, मत। जैसे : इस्लाम, जैन, बौद् ध आदि मजहब।
मजहबी - (वि.) (अर.) - 1. धर्म या संप्रदाय से संबंधित। 2. मजहब का कट्टरता से पालन करने वाला। उदा. मजहबी झगड़े राष्ट्रहित में नहीं हैं।
मजा - (पुं.) (फा.) - 1. इंद्रियों से मिलने वाला आनंद और सुख। उदा. आम खाकर मजा आ गया। 2. यह फिल्म देखकर मजा आ गया। मुहा. मजा चखाना-दंड देना या परेशान करना।
मजाक - (पुं.) (अर.) - 1. मनोरंजन हेतु हँसने हँसाने की बातें, हँसी, दिल्लगी, उपहास। 2. हँसी खेल, सरल काम। जैसे: तैरकर समुद्र पार करना मजाक नहीं है। मुहा. 1. मजाक उड़ाना-किसी की हँसी उड़ाना, उपहास करना। जैसे: हमें व्यर्थ में किसी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। 2. मजाक समझना-किसी बात को सत्य न समझकर हँसी में लेना। उसके हिंदी में 95% प्रतिशत अंक पाने की बात को मैंने मजाक समझा था।
मजाकिया - (वि.) (अर.) - हास-परिहास से संबंधित बातें करने वाला, मजाक करने के स्वभाव वाला।
मजार - (पुं.) (अर.) - मुस्लिम संतों, फकीरों की कब्र, जिस पर फूल, चादर आदि चढ़ाई जाती है या मन्नत माँगी जाती है। तु. मकबरा।
मजाल - (स्त्री.) (अर.) - शक्ति, सामर्थ्य, साहस आदि का भाव। टि. प्राय: प्रश्नवाचक या नकारात्मक अर्थ में ही प्रयोग होता है। जैसे: उसकी क्या मजाल?
मजिस्ट्रेट - (पुं.) - (अं.) 1. छोटे आपराधिक मुकद् मे सुनने और दंडविधान करने वाला राजकीय अधिकारी। 2. दंडाधिकारी, जो विधि के अनुसार प्रशासन चलाने वाला अधिकारी भी होता है। जैसे: जिला मजिस्ट्रेट district magistrate
मजीरा - (पुं.) (तद्.<मंजीर) - काँसे, पीतल आदि की कटोरीनुमा जोड़ी जो होली और अन्य धार्मिक अवसरों पर गीत या भजन के साथ ताल देने के लिए बजाई जाती है।
मजेदार - (वि.) (फा.) - इंद्रियों को सुख देने वाला। पर्या. स्वादिष्ट, बढ़िया, लजी़ज, दिलचस्प, मनोरंजक, आंनददायक।
मज्जा - (स्त्री.) (तत्.) - अस्थि (हड्डी) के खोखले भाग में पाए जाने वाले मृदु ऊतक। प्राय: ये ऊतक गाढ़े द्रव के रूप में होते हैं। bone marrow
मझधार/मँझधार - (स्त्री.) (तद्.) - 1. (नदी आदि की) धारा के बीच का स्थान। जैसे: नाव अब मझधार से पार हो रही है। 2. लाक्ष. किसी काम या बात के पूरा होने से पूर्व की दुविधात्मक स्थिति। जैसे: मैं विदेश पढ़ने जाऊँ या यहीं पढूँ? अभी तो मैं मझधार में हूँ। मुहा. मझधार में पड़ना-विपत्ति में फँसना।
मझला - (वि.) (दे.) - ‘मँझला’।
मझौला - (वि.) (तद्.) - दे. ‘मँझला’।
मटका - (पुं.) (तद्.<मार्तिक) - मिट्टी का बड़ा घड़ा जो प्राय: नीचे की तरफ से भी गोल होता है। स्त्री. मटकी-छोटा मटका।
मटकाना स.क्रि. - (देश.) - आँख, हाथ, कमर आदि किसी अंग को नखरे या हाव-भाव के साथ हिलाना। जैसे: भौहें मटकाना, कूल्हे मटकाना आदि।
मटमैला - (वि.) (देश.) - 1. मिट्टी के रंग का, खाक़ी 2. मिट्टी आदि के कारण मैला, गँदला। विलो. साफ़ सुथरा।
मटर - (पुं.) (देश.) - एक प्रसिद्ध पौधा जिसकी फलियों में गोल दाने होते हैं और जिनकी तरकारी या दाल बनती है। peas
मटरगश्त - (पुं.) (तद्.+फ़ा.) - धीरे धीरे निश्चित होकर घूमने -फिरने वाला आदमी,बिना काम के टहलने वाला व्यक्ति,घूमने वाला व्यक्ति।जैसे: वह सड़क पर एसे घूम रहा है जैसे: वह कोई मटरगश्त हो। वि. घूमने-फिरने वाला, बिना कम के टहलने वाला।
मटरगश्ती - (स्त्री.) (तद्.+फ़ा.) - आनन्दपूर्वक (मित्रो के साथ) मौजमस्ती करना। जैसे: वह अपने साथियो के साथ कही मटरगश्ती कर रहा होगा।(दे.) 1। मौजमस्ती के साथ घूमने, सैरसपाटा करने की क्रिया। उदा. कुछ बालक पढ़ने की जगह साल भर मटरगश्ती किया करते है।
मट्ठा - (पुं.) (तद्.(मंथन) - पानी मिलाकर मथा हुआ दही, जिसमें से मक्खन निकाल लिया गया हो, मथकर मक्खन निकाल लेने के बाद बचा हुआ तरल पदार्थ। पर्या. छाछ।
मट्ठी/मठरी - (स्त्री.) (दे.) - आटे या मैदे की बनी और घी/तेल में तली हुई खाने योग्य मीठी या नमकीन टिकिया।
मठ - (पुं.) (तत्.) - 1. साधुओं का आवास-स्थल। 2. बौद्ध भिक्षुओं के रहने का स्थान, बौद्धविहार 3. धार्मिक स्थान जहाँ शिक्षा का आदान-प्रदान होता है और नित्य धार्मिक अनुष्ठान, प्रवचन इत्यादि होते हैं। जैसे: आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठ। श्रृंगेरीमठ, बेलूरमठ आदि।
मठाधीश - (पुं.) (तत्.) - सा.अ. मठ या स्वामी या मुखिया। आधु.अर्थ ऐसा व्यक्ति जो अपने स्वामित्व या अधिकारों को छोड़ना न चाहे। (मुहावरे के रूप में) पर्या. सत्ताधीश।
मड़ैया - (स्त्री.) (तत्.) - 1. तृण, काठ, बाँस आदि से बनी झोंपड़ी, कुटिया 2. गरीब लोगों या साधु- संतों के रहने की जगह। जैसे: कुछ किसान या मजदूर सब्जी, फल, फूल वाले खेतों की रक्षा के लिए मड़ैया बनाकर रहते हैं।
मढ़ना सक.क्रि. - (तद्.<मंडन) - 1. सुरक्षा या सौंदर्य वद् धि के लिए किसी वस्तु पर दूसरी वस्तु लगाना, जड़ना चिपकाना या लपेटना आदि। जैसे: हम तस्वीर पर फ्रेम मढ़ते हैं। 2. किसी की इच्छा के बिना उस पर किसी काम को करने की जिम्मेदारी आग्रहपूर्वक सौंपना। जैसे: पानी भरने का काम बालक के सिर मढ़ना। 3. लाक्ष.अर्थ. किसी निर्दोष पर कोई दोष या आरोप लगाना। जैसे: उसने रूपयों की चोरी का सारा दोष मेरे भाई पर मढ़ दिया।
मणि - (स्त्री.) (तत्.) - सा.अ. स्वयंप्रकाशित (अँधेरे में भी प्रकाशित हो सकने वाला) रत्न जैसे: नागमणि शा.अ. बहुमूल्य और चमकदार (पारदर्शी) खनिज पत्थर पर्या. रत्न ला.अ. किसी वर्ग का श्रेष्ठ व्यक्ति जैसे: शिरोमणि विद्वान।
मत क्रि.वि. - (वि.) (तद्.<मा) - कोई कार्य न करने के लिए प्राय: पद या आयु में छोटों के लिए प्रयुक्त निषेधवाचक शब्द। जैसे: ऐसा मत करो। don’t
मत - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी व्यक्ति का किसी विषय में माँगा गया और/या व्यक्त निजी विचार। पर्या. सम्मति, विचार, राय opinion, view 2. पंथ, संप्रदाय, मजहब विशेष की स्थापित मान्यताएँ और विश्वास sect, reed जैसे: कबीर-मत, संतमत, बौद्ध-मत 3. निर्वाचन के समय उम्मीदवार को दिया जाने वाला समर्थन। vote
मतगणना - (स्त्री.) (तत्.) - मतों (वोटों) की गिनती । चुनाव के पश्चात् मतों की गिनती, यह जानने के लिए कि किस प्रत्याशी को कितने मत प्राप्त हुए हैं।
मतदाता - (पुं.) (तत्.) - मतदान करने वाला, वोट डालने वाला। voter
मतदान - (पुं.) (तत्.) - किसी पद के लिए किसी विशेष उम्मीदवार को चुनने के लिए अपनी स्वीकृति दिए जाने की वैधानिक प्रक्रिया। voting
मतपत्र - (पुं.) (तत्.) - वह पत्रक जिस पर किसी पद के लिए उम्मीदवार के निर्धारित चुनाव-चिह् न पर निशान लगाकर मतदाता उसके पक्ष में अपना मत देता है। ballot paper टि. अब यह प्रक्रिया समाप्त प्राय: है। इसके लिए बड़े चुनावों में मशीन पर बटन दबाकर मतदान होता है।
मतपेटी - (स्त्री.) (तत्.) - वह पेटी या डिब्बा जिसमें मतदाता अपना मतपत्र डालता है। ballot box टि. बड़े चुनावों में अब ई.वी.एम. मशीनों से ही यह कार्य हो जाता है।
मतभेद - (पुं.) (तत्.) - किसी विषय पर लोगों के बीच पाई जाने वाली विचारों, धारणाओं आदि की भिन्नता। उदा. मतभेद की वजह से हम लोग किसी निर्णय पर नहीं पहुँच सके। विलो. मतैक्य।
मतलब - (पुं.) (अर.) - 1. अर्थ, तात्पर्य, अभिप्राय, आशय उदा. (i) ‘पंकज’ का मतलब कमल है। (ii) आपके कथन का मतलब मैं समझ नहीं पाया। 2. अपना हित, स्वार्थ। उदा. तुम हमेशा अपने मतलब की बात करते हो। 3. उद्देश्य, विचार- तुम्हारा यहाँ आने का मतलब क्या है? 4. संबंधित, वास्ता। उदा. हमारा तुमसे कोई मतलब नहीं है।
मतलबी - (वि.) (अर.) - केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करने का अभिलाषी (व्यक्ति)। दे. मतलब।
मतवाला - (वि.) (देश.) - 1. जो अहंकार के कारण लापरवाह और मस्त हो। जैसे: वह लाटरी में धन पाकर मतवाला हो गया है। 2. नशे में चूर। 3. हर्ष और उन्माद से पागल, दीवाना। जैसे: वह अच्छी नौकरी पाने की खुशी में मतवाला हो गया है।
मतवाला - (वि.) (देश.<मद) - 1. शराब आदि के नशे में मस्त, नशे के कारण सोचने-समझने की क्षमता से हीन 2. धन, सत्ता, ज्ञान, यौवन आदि के अहंकार के कारण विवेकहीन।
मतांधता [मत+अंधता] - (स्त्री.) (तत्.) - 1. अपने मत के विरोध में अच्छा-बुरा कुछ भी न देख पाने का भाव। 2. अपने विचारों का समर्थन इस सीमा तक करना कि दूसरे विचारों की ओर देखने (सोचने) की भी इच्छा न हो। अपने मत, संप्रदाय, धर्म इत्यादि का अंधा अर्थात् अविवेकपूर्ण समर्थन तथा अनुगमन।
मताधिकार [मत+अधिकार] - (पुं.) (तत्.) - राज. चुनाव में अपनी इच्छानुसार मत देने का अधिकार। right of voting पुं. तत्. (मत+अधिकार) 1. किसी भी सामान्य निर्वाचन में मत देने का अधिकार। 2. राष्ट्रीय/अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर किसी विषय पर मत देने का अधिकार। जैसे: भारत में 18 वर्ष या उससे ऊपर की आयु का कोई भी व्यक्ति चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकता है।
मतानुयायी [मत+अनुयायी] - (वि.) (तत्.) - 1. किसी विशिष्ट धर्म, संप्रदाय आदि को मानने वाला 2. राजनीतिक दल या विचारधारा को स्वीकार करने वाला। पर्या. मतावलंबी।
मति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. बुद्धि 2. विचार, समझ 3. मन। उदा. ‘जहाँ सुमति तँह संपति नाना। जहाँ कुमति तँह विपति निदाना’। तुलसी.रामचरित. मानस। मुहा. मति मारी जाना-बुद्धि भ्रष्ट होना।
मतिमंद - (वि.) (तत्.) - 1. कम बुद्धि वाला; बुद्धिहीन 2. मूर्ख, बेवकूफ, जड़, नासमझ, बुद्धू।
मतैक्य [मत+ऐक्य] - (पुं.) (तत्.) - किसी विषय पर सभी या अधिकतर लोगों के बीच विचारों की एकता। पर्या. सर्वसम्मति, ऐकमत्य। उदा. हम सभी का प्रस्तुत योजना पर मतैक्य है। विलो. मतभेद।
मत्त - (वि.) (तत्.) - 1. जो किसी मद से मतवाला हो, मस्त। जैसे: मत्त हाथी। 2. नशे में धुत्त। जैसे: वह शराब के नशे में मत्त है। 3. पागल 4. ला.अर्थ अहंकारी। जैसे: वह धन और पद पाकर मत्त हो गया है।
मत्स्य - (पुं.) (तत्.) - 1. मछली, विष्णु का पहला अवतार (मत्स्यावतार) 2. महाभारतकालीन विराट देश का नाम। अज्ञातवास के समय पांड़व यहीं रहे थे।
मत्स्यन - (पुं.) (तत्.) - 1. मछली पकड़ने का कार्य, खेल, शौक या व्यापार fishing 2. व्यापारिक दृष्टि से मछलियों का पालन (फिशरी)। fishery
मत्स्यपालन - (पुं.) (तत्.) - विशेष रूप से निर्मित तालाबों और पोखरों में वाणिज्यिक स्तर पर मछलियों को पालने की मानवीय गतिविधि जिसके परिणामस्वरूप उत्पादित मछलियाँ खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग में आती हैं। pisciculture दे. कृषि।
मथना - (तद्.<मंथन) - स.क्रि. 1. दूध, दही आदि तरल पदार्थों को मथनी या अन्य किसी यंत्र से बिलोना। 2. गइराई से छानबीन करना, किसी विषय या मामले पर गहराई से विचार करना।
मद - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी मादक पदार्थ के सेवन से होने वाली विकृत मानसिक अवस्था, नशा 2. धन, बल, सत्ता आदि का ऐसा अहंकार या घमंड जिसमें उचित-अनुचित का ज्ञान न रहे। जैसे: धन का मद, सत्ता का मद। 3. मलवाले हाथी की कनपटी से बहने वाला गंधयुक्त तरल पदार्थ। जैसे: मदमस्त हाथी की कनपटी से मद बह रहा है। पुं. अर. वाणि. खाता बही या कोई खाता या उसका शीर्षक पेटा। जैसे: मेरी इस धनराशि को किस मद में समायोजित करेंगे?
मदद - (स्त्री.) (अर.) - सहायता, (आर्थिक या शारीरिक रूप से) की गई सहायता। तु. सहयोग-साथ-साथ काम करना।
मददगार - (वि.) (अर.+फा.) - सहायक, मदद करने वाला।
मदन - (पुं.) (तत्.) - 1. काम, कामदेव, प्रेम, कामुकता 2. वसंतकाल।
मदनोत्सव [मदन+उत्सव] - (पुं.) (तत्.) - वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला उत्सव। पर्या. वसंतोत्सव।
मदमत्त - (वि.) (तत्.) - नशे में मतवाला, नशे में चूर। पर्या. मदमस्त, मदमाता, मत्त (पागल जैसा)। उदा. वह तो धन के नशे में मदमत्त हो रहा है।
मदरसा - (पुं.) (अर.<मद्रिस:) - 1. इस्लामी शिक्षा पद्धति का विद्यालय। 2. उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाएँ पढ़ाने की एक धार्मिक संस्था।
मदहोश - (वि.) (.फा.) - मद यानी नशे में अपना होश खो देने वाला। उदा. कुछ लोग शराब पीकर मदहोश हो जाते हैं।
मदांध [मद+अंध] - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ मद में अंधा। जो अपनी जवानी, धन, शक्ति, सत्ता, मस्ती आदि के गर्व से विवेकहीन हो गया हो। पर्या. मदोन्मत्त, मदमत्त।
मदांधता - (स्त्री.) (तत्.) - धन आदि के नशे में अंधा जैसा होने की स्थिति या भाव।
मदारी - (पुं.) (अर.) - 1. बंदर, भालू आदि का खेल दिखाकर अपनी जीविका चलाने वाला। 2. जादू आदि का खेल दिखाने वाला बाजीगर। पर्या. कलंदर।
मदिरा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. एक नशीला पेय पदार्थ। पर्या. शराब, मद्य 2. एक वर्णिक छंद।
मदिरालय [मदिरा+आलय] - (पुं.) (तत्.) - वह स्थान जहाँ शराब मिलती है और लोग बैठकर पीते हैं। पर्या. शराबघर, शराब की दुकान, मधुशाला।
मद्धिम - (वि.) (तद्.<मध्यम) - 1. मंद, धीमा। उदा. मद्धिम आँच में पकी दाल स्वादिष्ट होती है। 2. तेल की कमी से दीपक की लौ मद् धिम हो गई। 3. उसकी काम करने की गति मद्धिम है।
मद्य - (पुं.) (तत्.) - मदिरा, शराब। उदा. मद्यपान स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है।
मधु - (वि.) (तत्.) - 1. जिसका स्वाद मधुर या मीठा हो। जैसे: मधुपेय। 2. प्रिय। जैसे: मधुवाणी, मधुरूप। पुं. 1. मधुमक्खियों से प्राप्त शहद। 2. पुष्परस, मकरंद। जैसे: भ्रमर पुष्पों का मधु पी रहे हैं। 3. वसंत ऋतु। 4. चैत्र मास का पुराणोक्त नाम। उदा. नवमी भौमवार मधुमासा (तुलसी रास च.मा.)।
मधुकर - (पुं.) (तत्.) - दे. ‘भौंरा’।
मधुप - (पुं.) (तत्.) - दे. ‘भौंरा’।
मधुमक्खी - (स्त्री.) (तद्.<मधुमक्षिका) - एक छोटा कीट जो फूलों का रस चूसकर शहद का छत्ता बना कर उसमें शहद एकत्र करता है। टि. इसके डंक से दर्द होता है और शरीर का काटा हुआ हिस्सा सूज जाता है।
मधुमेह - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ मधु का मेह यानी शर्करा (मीठेपन) का प्रवाह (बहना)। आयु. अग्न्याशय में विद्यमान लैंगहैंस द्वीप कोशिकाओं द्वारा इंसुलिन नामक हार्मोन के पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न न होने अथवा उसका ठीक प्रकार से उपयोग न होने से उत्पन्न कार्बोहाइड्रेट (शर्करा) चयापचय carbohydrate metabolis रोग। रक्त में सामान्य से अधिक ग्लूकोस का होना, मूत्र में शर्करा का पाया जाना, पेशाब बहुत आना (बहुमूत्रता), प्यास अधिक लगना (अतिपिपासी), भूख अधिक लगना (अतिक्षुधा) आदि इस रोग के विशिष्ट लक्षण हैं। diabetes
मधुर - (वि.) (तत्.) - 1. जिसका स्वाद मधु (शहद) जैसा अर्थात् मीठा हो, मीठा, जो शहद की तरह जीभ में देर तक चिपक कर स्वाद देता रहे। 2. मन को प्रसन्न करने वाला। जैसे: मधुर दृश्य। 3. सुंदर, कोमल, मोहक जैसे: शिशु की मधुर मुसकान।
मधुशाला - (स्त्री.) (तत्.) - 1. शराब बनाने और बेचने का स्थान, मयखाना/ मैखाना।
मध्य - (वि./पुं.) (तत्.) - बीच का (भाग), केंद्रीय (भाग) (प्राय: समास के रूप में प्रयुक्त) उदा. मध्य प्रदेश, मध्यकाल, मध्याह् न, मध्यरात्रि आदि भूमध्य, भ्रूमध्य आदि। काल में। जैसे: परीक्षा के मध्य शांति रखें।
मध्यकर्ण - (पुं.) (तत्.) - दे. ‘कर्ण’।
मध्यकाल - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ बीच का समय। इति. भारतीय इतिहास में सातवीं शताब्दी से लगभग सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी तक का काल। साहित्य हिंदी साहित्य के इतिहास में भक्तिकाल और रीतिकाल के लिए प्रयुक्त काल-खंड़ का नाम।
मध्यपाषाण युग - (पुं.) (तत्.) - (नृवंश./इति.) पुरापाषाण युग और नवपाषाण युग के बीच का काल। टि. वैज्ञानिकों के अनुसार इसी काल में पहले पालतू पशु के रूप में कुत्ते को अपनाया गया तथा मानव ने धनुष-बाण का प्रयोग प्रारंभ किया। मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग भी इसी काल में प्रारंभ हुआ। mesolithic age
मध्यमंडल - (पुं.) (तत्.) - भूगो. पृथ्वी की वायुमंडलीय चार परतों-क्षोभ मंडल, समताप मंडल, मध्य मंडल तथा बाह् य मंडल में से तीसरा। इसका विस्तार पृथ्वी की सतह से लगभग 400 कि.मी. से 1000 कि.मी. की उँचाई तक है।
मध्यम मार्ग - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ बीच का मार्ग/रास्ता। दर्श. महात्मा गौतम बुद् ध द्वारा प्रवर्तित मत या सिद् धांत, जिसमें किसी भी चरम स्थिति से बचने के लिए कहा गया है।
मध्य-युग - (पुं.) (तत्.) - इति. मध्यकालीन युग, मध्यकाल का समय। दे. मध्यकाल।
मध्यरात्रि - (स्त्री.) (तत्.) - रात में बारह बजे के आसपास का समय। midnight पर्या. अर्धरात्रि, आधीरात। उदा. श्री कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था।
मध्यवर्ग - (पुं.) (तत्.) - अर्थ. समाज का वह वर्ग जो न अधिक गरीब है और न ही अधिक धनवान। इस वर्ग के लोग छोटी-मोटी नौकरी और सामान्य व्यापार करके जीवन का निर्वाह करते हैं। middle class
मध्यवर्ती - (वि.) (तत्.) - 1. जो मध्य में हो, बीच का उदा. दो नदियों का मध्यवर्ती भूभाग। 2. तटस्थ-जो दोनों पक्षों द्वारा मान्य हो।
मध्यस्थ - (पुं.) (तत्.) - 1. वह जो बीच में पड़कर विवाद को सुलझा दे। mediator 2. वह जो दो पक्षों के बीच तालमेल बिठाने का काम करे और इस कार्य से लाभ भी उठाए। जैसे: किसान और सामान्य मनुष्य के बीच में व्यापारी। दलाल middle man दो या अधिक पक्षों द्वारा मान्य वह (व्यक्ति या देश) जो विवादों को सुलझाने या समझौता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मध्यस्थता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. मध्यस्थ होने का भाव, अवस्था या स्थिति 2. मध्यस्थ का कार्य। तु. तटस्थता। mediation
मध्याह्न - (पुं.) (तत्.) - दिन का वह समय तब सूर्य आकाश में सिर के ऊपर होता है। दोपहर का समय, सामान्य रूप से ग्यारह बजे से दो बजे के बीच का समय।
मन - (पुं.) (तद्.<मनस्) - शा.अर्थ जीवित प्राणियों में अनुभव, इच्छा, ज्ञान, संकल्प आदि का अनुभव करने वाली शक्ति, अंत:करण, चित्त, हृदय। दर्श. भारतीय चिंतन के अनुसार चार अंत:करणों में से एक जो संकल्प-विकल्प की शक्ति के रूप में माना जाता है। नई-नई कल्पनाएँ करना, खोज करना इत्यादि इसके कार्य हैं। टि. अन्य तीन अंत:करण बुद्धि, चित्त और अहंकार हैं। मुहा. मन मैला करना-मन में दुर्भावना आना। मन टूटना-उत्साह नष्ट/भंग हो जाना। मन से उतरना-मन में अनादर भाव आना। 2. स्वतंत्रता-पूर्व की मापतौल के अनुसार चालीस सेर (लगभग 37 किलोग्राम) की तौल/माप 3. उक्त तौल का बाट।
मनका - (पुं.) (तद्.<मणिक:) - माला का दाना! उदा. कर का मनका डारि कै मन का मनका फेर-कबीर!
मनगढंत - (वि.) (देश.) - मन में गढ़ा हुआ, कपोलकल्पित, मन की कल्पना मात्र, अप्रामाणिक।
मनचला - (वि./पुं.) (तद्.) - शा.अर्थ चंचल मन वाला सा.अर्थ रसिक स्वभाव वाला टि. सामान्य रूप से इसे दोष माना जाता है।
मनचाहा - (वि.) (तद्.) - मन में चाहा हुआ। पर्या. मनोनुकूल, इच्छित।
मनन - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी विषय पर बार-बार गहराई से किया जाने वाला तर्कपूर्ण अध्ययन या विचार। 2. ऐसा दार्शनिक चिंतन जिसका तर्कसंगत अनुभव या ज्ञान हो। जैसे: मनन करने से ही उपनिषदों की भाषा समझी जा सकती है।
मनपसंद - (वि.) (तद्.+फा.पसंद) - मन को रुचिकर/अच्छा लगने वाला।
मन-बहलाव - (पुं.) (तद्.) - शा.अर्थ मन को बहलाना, मन को प्रसन्न करने की क्रिया या भाव, मनोरंजन।
मनभावन - (वि.) (तत्.+तद्.) - मन को अच्छा लगाने वाला,मनोहर,सुंदर,सुखद। जैसे: वह राधा-कृष्ण की मूर्ति बहुत ही मनभावन है।
मनमाना - (वि.) (देश.) - उचित-अनुचित, जो मन को भावे, अनुशासन का विचार किए बिना स्वयं की इच्छानुसार किया जाने वाला, रोक-टोक स्वीकार न करते हुए किया जाने वाला, स्वेच्छाचारपूर्वक (स्वेच्छ), जो मन में आए जो भी चाहे। उदा. यथेच्छ, जितना जी चाहे।
मनमानापन - (पुं.) (देश.) - इच्छानुसार, स्वेच्छाचार पूर्वक कार्य करने का भाव, निरंकुश होने का भाव।
मनमानी - (देश.) (स्त्री.) - 1. जो अपने मन को अच्छा लगे वह करनी। 2. स्वेच्छाचारिता (दूसरे की इच्छा को महत्व न देना)। उदा. अब यहाँ पर तुम्हारी मनमानी नहीं चलेगी।
मनमाफिक - (वि.) (तत्.) - [मन+माफिक़मुआफिक़] क्रि.वि. (तत्.+अर.) 1. जो सब प्रकार से मन के अनुकूल हो, मनोनुकूल जैसे: आज उसे कई दिनों बाद मनमाफिक भोजन मिला। 2. मनपसंद जैसे: न्यायाधीश ने उसके मनमाफिक निर्णय दिया।
मनमुटाव - (पुं.) (देश.) - शा.अ. मन मोटा होने का भाव सा.अ. तुच्छ स्वार्थ, ईर्ष्या, द्वेष आदि के कारण किसी के प्रति मन में होने वाला वैमनस्य, मनोमालिन्य, शत्रुता आदि का भाव; किसी से मन का न मिलना। जैसे: वे दोनों पहले अच्छे मित्र थे किंतु पता नहीं किस बात पर उन दोनों में मनमुटाव हो गया है।
मनमोहक - (पुं.) (तद्.) - मन को मोहने वाला, प्रिय, आकर्षक।
मनमौज - (स्त्री.) (तत्.+अर.) - 1. मन की मस्ती, प्रसन्नता, मन की लहर 2. स्वयं के आनंद के लिए इच्छानुसार किया जाने वाला कोई काम या खेल आदि।
मनमौजी - (वि.) (तत्.+अर.) - बिना किसी सोच- विचार के या बिना किसी के कहे अपने मन की तरंग या इच्छा के अनुसार ही काम करने वाला। स्वेच्छाचारी।
मनसब - (पुं.) (अर.) - शा.अर्थ पद, ओहदा, अधिकार, कर्तव्य, सेवा। (मुगलकालीन) सेना का एक उँचे पद वाला ओहदा जिसे कुछ विशेष अधिकार उपलब्ध थे।
मनसबदार - (पुं.) (अर.+फा.) - 1. उच्च पदस्थ अधिकारी, ओहदेदार 2. पीढ़ी दर पीढ़ी वज़ीफा पाने वला (व्यक्ति)।
मनसूबा - (पुं.) (अर.मन्सूब) - 1. युक्ति, ढंग 2. इरादा, विचार। जैसे: मित्र ने अपने जीवन में कई मनसूबे बाँधे किंतु एक में भी सफलता नहीं मिली।
मनस्ताप [मनस्+ताप] - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी कारण से मन को होने वाली तकलीफ। मानसिक कष्ट जैसे: उनके अशिष्ट व्यवहार से मित्र को बहुत मनस्ताप हुआ। 2. पश्चात्ताप जैसे: झूठी गवाही देने का उन्हें मनस्ताप था।
मनहूस - (वि.) (अर.) - 1. अशुभ, अभागा। वि. 2. कुरूप जैसे: मनहूस शक्ल 3. सदा दु:खी और उदास
मनहूसियत/मनहूसी - (स्त्री.) (अर.) - मनहूस होने का भाव, दु:ख, उदासी।
मनाना स.क्रि. - (देश.) - 1. रूठे हुए को प्रसन्न करना 2. किसी व्यक्ति को अपनी बात मनवाने/मानने के लिए राजी करना। 3. किसी कामना की पूर्ति के लिए आराध्य से प्रार्थना करना। जन्मदिन/त्यौहार इत्यादि मनाना।
मनाही - (स्त्री.) (अर.) - निषेधाज्ञा, मना करने का भाव, रोक। जैसे: जुलूस निकालने की मनाही है।
मनीषा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. मन की इच्छा, कामना या चाह। 2. बुद्धि, प्रज्ञा 3. सोच-विचार। wisdom
मनीषी - (वि./पुं.) (तत्.) - विचारशील/मननशील विद् वान wiseman
मनुआ/मनषा - (दे.) - ‘मन’।
मनुष्य - (पुं.) (तत्.) - स्तनपायी प्राणी जो अपने बुद्धि बल के कारण सब प्राणियों में श्रेष्ठ माना जाता है। पर्या. मानव, आदमी, इंसान।
मनुष्यता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. मनुष्य होने का भाव। 2. मानवोचित गुण, शील, दया, करुणा आदि। 3. शिष्टता, अच्छे सभ्य नागरिक का गुण। humanity
मनुहार - (स्त्री.) (देश.) - 1. किसी रूठे हुए व्यक्ति को मनाने की क्रिया या भाव। पर्या. मनावन, खुशामद 2. किसी से कुछ माँगने या प्रार्थना करने का भाव। पर्या. प्रार्थना, विनय।
मनोकामना [मन:+कामना] - (पुं.) (तत्.) - 1. मन में उठने वाली इच्छा 2. मन में छिपी हुई अव्यक्त इच्छा, अभिलाषा। जैसे: ईश्वर तुम्हारी मनोकामना पूरी करे।
मनोकामना [मन:+कामना] - (स्त्री.) (तत्.) - मन की इच्छा।
मनोदशा [मन:+दशा] - (स्त्री.) (तत्.) - 1. मन की दशा 2. मन की स्थिति।
मनोनीत [मन:+नीत] - (वि.) (तत्.) - 1. मन के अनुकूल, पंसद किया हुआ, जो किसी पद पर नियुक्त होने के लिए विशेषाधिकार से चुना गया हो। designated चुना हुआ, नामांकित, नामज़द।
मनोबल [मन:+बल] - (वि.) (तत्.) - मन का बल। आत्मा का बल। morale
मनोयोग [मन:+योग] - (पुं.) (तत्.) - मन को किसी कार्य में अच्छी तरह लगाने कि क्रिया या भाव, एकाग्र करने का भाव, मन की एकाग्रता। जैसे: मनोयोगपूर्वक पढ़ने से पाठ जल्दी याद होता है।
मनोरंजक - (वि.) (तत्.) - मन को अच्छा लगने वाला (कार्य या पदार्थ), दिल बहलाने वाला। जैसे: उसने सभा में एक मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
मनोरंजन [मन:, मनस्+रंजन] - (पुं.) (तत्.) - मन को प्रसन्न करने की क्रिया या भाव, मन-बहलाव
मनोरथ [मन:,मनस्+रथ] - (पुं.) (तत्.) - अभिलाषा, इच्छा, मन की कामना, भविष्य के विषय में ऊँची कल्पना।
मनोरम [मन:+रम] - (वि.) (तत्.) - मन को अच्छा लगने वाला, जिसमें मन रम जाए, सुंदर उदा. हिमालय की बर्फीली चोटियों का दृश्य अत्यंत मनोरम होता है।
मनोरोग [मन:, मनस्+रोग] - (पुं.) (तत्.) - मानसिक बीमारी, मन से संबंधित रोग जैसे: पागलपन, मिरगी (अवसादग्रस्तता होना) आदि।
मनोविज्ञान (मन:+विज्ञान) - (पुं.) (तत्.) - वह शास्त्र जिसमें मन, चित्त एवं बुद् धि के समस्त क्रियाकलापों तथा उनसे संबंधित कार्यों या कमियों, रोगों आदि का अध्ययन किया जाता है। psychology
मनोवेग - (पुं.) (तत्.) - 1. मन की चंचल प्रवृत्ति 2. परिस्थितिवश मन की विभिन्न प्रवृत्तियाँ जैसे: भय, क्रोध आदि की स्थिति। mood
मनोहर [मन:+हर] - (वि.) (तत्.) - 1. मन को हरने (चुराने) वाला, जो मन को अच्छा लगे। 2. देखने में सुंदर। पर्या. चित्ताकर्षक।
मनोहारी - (वि.) (तत्.) - दे. ‘मनोहर’।
मनौती - (स्त्री.) (दे.) - ‘मन्नत’।
मनौती - (स्त्री.) (देश.) - दे. ‘मन्नत’। किसी रूठे व्यक्ति को मनाना। पर्या. मनुहार, मनौवल।
मन्नत - (स्त्री.) (देश.<मानना) - अपनी इच्छा पूर्ति के लिए अपने इष्टदेव से उसे सानुरोध माँगना और उसकी पूर्ति हो जाने पर संकल्पनानुसार देय वस्तु को इष्टदेव को समर्पित करना।
मन्नत - (स्त्री.) (देश.) - किसी अभीष्ट कामना की पूर्ति के लिए स्वीकार की गई किसी इष्ट देवता आदि की पूजा। पर्या. मानता, मनौती। मुहा. मन्नत मानना-मनोकामना की पूर्ति के लिए पूजा, व्रत, सेवा आदि करने का संकल्प करना। जैसे: अकबर ने पुत्र-प्राप्ति की मन्नत के लिए पैदल फतेहपुर सीकरी की यात्रा की थी।
मन्वंतर - (पुं.) (तत्.) - भारतीय काल-गणना में 71 महायुगों (चतुर्युगों) का काल। एक महायुग 43 लाख 20 हजार वर्षों का माना जाता है। इसमें चारों युगों (सत्ययुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग) का काल सम्मिलित है। टि. 71 महायुग=एक मन्वंतर, 14 मन्वंतर=एक कल्प=ब्रह् मा का एक दिन। इस समय छठा श्वेत वाराह कल्प, सातवाँ वैवस्वत मन्वंतर और 28 वें कलियुग का पहला चरण चल रहा है।
ममता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. ‘मेरा’ होने का भाव, मेरापन, किसी के प्रति अपना जैसा होने का भाव, स्नेह, आत्मीयता, ममत्व। 2. माँ का अपनी संतान के प्रति सहज स्नेह, प्रेम। जैसे: माता की ममता में सहज उदारतापूर्ण स्नेहभाव होता है। 3. सांसारिक मोह या लोभ। जैसे: ममता से मनुष्य का यश नष्ट होता है। उदा. ‘ममता केहि कर जस न नसावा’ (तुलसी-रा.च.मा. 6/61/1)।
ममत्व - (पुं.) (तत्.) - दे. ‘ममता’।
मयंद - (पुं.) (तद्.<.मृगेन्द्र) - वन में रहने वाला मृगराज/सिंह। जैसे: उस वन में मैंने दहाड़ते हुए मयंद को देखा। टि. प्राय: काव्य में प्रयुक्त शब्द।
मयूर - (पुं.) (तत्.) - मोर (पक्षी)।
मरकट - (पुं.) (तद्.<मर्कट) - बंदर, वानर, मर्कट।
मरकत - (पुं.) (तत्.) - नौ प्रकार के रत्नों में से एक जो हरे रंग का कीमती चमकदार पत्थर या रत्न होता है। पर्या. पन्ना।
मरकती - (वि.) (तद्.) - मरकत मणि के रंग वाला दे. ‘मरकत’।
मरघिल्ला - (पुं.) (देश.) - मरणासन्न जैसा, जिसे देखकर ऐसा लगे कि अब मरने ही वाला है। (ग्रामीण प्रयोग) दुबला-पतला, रोगी-सा, मरियल।
मरज/मर्ज - (पुं.) (अर.) - रोग, बीमारी, व्याधि।
मरज़ी/मर्जी - (स्त्री.) (अर.) - 1. मन के अनुकूल इच्छा, रूचि। जैसे: आपकी मरज़ी के अनुसार उसने विवाह किया है। 2. कृपा। जैसे: आपकी मरज़ी से ही मैं यहाँ तक पहुँचा हूँ। 3. आज्ञा, स्वीकृति। जैसे: आपकी मरज़ी हो तो मैं उद्यान से फूल ले आऊँ। 4. प्रसन्नता जैसे: जैसी आपकी मरज़ी।
मरण - (पुं.) (तत्.) - शरीर से प्राणवायु का निकल जाना, प्राणांत हो जाने का भाव। पर्या. मृत्यु, मौत।
मरणासन्न [मरण+आसन्न] - (वि.) (तत्.) - जो मरने के करीब हो, जो मरने वाला हो, जिसकी मृत्यु समीप/करीब हो।
मरद/मर्द - (पुं.) (फा.) - 1. पुरुष, नर, मनुष्य। 2. पुरूषार्थी, वीर, साहसी व्यक्ति 3. पति, स्वामी, भर्ता। उदा. क्या आप इस औरत के मरद को पहचानते हैं। स्त्री. /विलो. औरत।
मरना अ.क्रि. - (तद्.<मरण) - शरीर में से प्राण वायु का निकलना, जान निकलना, शरीरांत हो जाना, मर जाना। मुहा. (i) मर मिटना-मेहनत करते-करते या युद्ध करते हुए बलिदान होना। दुर्दशा को या मृत्यु को प्राप्त करना। (ii) मरने तक की फुरसत न होना, काम में बहुत अधिक व्यस्त होना।
मरमर - (पुं.) (फा.) - एक प्रकार का चिकना और चमकीला पत्थर जो मकराना (राजस्थान) से प्राप्त होता है। पर्या. संगमरमर/संगेमरमर। उदा. आगरा का ताजमहल संगमरमर से बना हुआ है।
मरम्मत - (स्त्री.) (अर.) - 1. टूटी-फूटी वस्तु के दोष दूर करके उसे उपयोगी बना देना। जैसे: मकान की मरम्मत। 2. किसी की पिटाई करना/होना।
मरहट/मरघट - (पुं.) (देश.) - शव जलाने का स्थान, श्मशान। उदा. कबीर मरि मरहर गया, किनहूँ न बूझी सार। (कबीर साखी-81-3)
मरहम - (पुं.) (अर.) - एक गाढ़ा, चिकना औषधियुक्त लेप जो चोट, घाव आदि पर लगाया जाता है। ointment
मरहम-पट्टी - (स्त्री.) (अर.) - किसी चोट या घाव को साफ करके उस पर दवा लगाकर कपड़े या अन्य प्रकार की पट्टी बाँधने की क्रिया।
मरियल - (वि.) (देश.) - 1. मरे हुए समान 2. दुर्बल-बहुत ही दुबला-पतला आदमी। पर्या. मृतप्राय:।
मरीज - (पुं.) (अर.) - रोगी, बीमार, रोगग्रस्त। जिसे कोई रोग हुआ हो।
मरुत् - (पुं.) (तत्.) - 1. एक वैदिक देवता। 2. वायु का अधिष्ठाता देवता, वायुदेव। टि. हिंदू शास्त्रों में 57 मरुत् माने गये हैं-मरुत् गण। ‘चले पवन उनचास’ (तुलसी. रा.च. मानस)।
मरुद्यान - (पुं.) (तत्.) - रेगिस्तान में पाया जाने वाला हरा-भरा स्थान, रेगिस्तान का वह नीचा स्थान, जहाँ जल सतह पर आ जाता है और परिणामस्वरूप उद्यान बन जाते हैं। जैसे: सहारा का मरुद्यान।
मरुस्थल - (पुं.) (तत्.) - भौगोलिक दृष्टि से वह निर्जल भू-भाग जो पूर्णतया रेतीला होता है तथा बहुत कम वर्षा होने के कारण वनस्पति नाममात्र को कहीं-कहीं दिखाई देती है। पर्या. रेगिस्तान, मरुदेश, मरुभूमि। जैसे: मरुस्थल में यातायात का एकमात्र साधन ऊँट ही है।
मरुस्थलीकरण - (पुं.) (तत्.) - वह प्रक्रिया जिसके कारण ज़मीन के अंदर का पानी समाप्त हो जाए या इतना नीचे चला जाए कि प्रयोग न किया जा सके। परिणामस्वरूप उस स्थान की वनस्पति नष्ट हो जाती है और वह ज़मीन मरुभूमि में परिवर्तित हो जाती है और कृषि के योग्य नहीं रह पाती। exsiccation
मरोड़ - (स्त्री.) (देश.) - 1. मरोड़ने की क्रिया या भाव, ऐंठन। 2. पेट में होने वाली ऐंठन या कष्ट, अजीर्णता के कारण होने वाले रोग का एक लक्षण।
मरोड़ना स.क्रि - (देश.) - पर्या. ऐंठना, उमेठना (कान, किस वस्तु के एक सिरे को स्थिर रखते हुए दूसरे सिरे को गोलाकार घुमाने की क्रिया।
मर्कट - (पुं.) (तत्.) - बंदर, बानर, कपि।
मर्ज़ी - (स्त्री.) (अर.) - दे. ‘मरजी’।
मर्तबा - (पुं.) (अर.) - पद, दरजा, श्रेणी। उदा. उसका मर्तबा काफ़ी ऊँचा है। अव्य. बार, दफ़ा। उदा. मैंने ऐसा नज़ारा (दृश्य) पहली मर्तबा देखा है।
मर्तबान - (पुं.) (.फा.) - चीनी मिट्टी (पोर्सिलेन) का बना हुआ बर्तन, जिसमें अचार, मुरब्बा आदि रखा जाता है। पर्या. इमरतबान।
मर्द - (पुं.) (फा.) - 1. (लिंग आधारित) नर, पुरुष। 2. वीर और साहसी पुरुष। 3. पति। उदा. नदी में डूबते बालक को बचाकर उसने मर्द का काम किया है। विलो. नामर्द, नपुंसक।
मर्दन - (पुं.) (तत्.) - 1. रगड़ कर मलने की क्रिया या भाव। जैसे: तेल आदि चिकने पदार्थ या दवा को शरीर पर मलना। 1. मालिश, 2. मसलना, 3. कुचलना, रौंदना। जैसे: मान-मर्दन।
मर्दानगी - (स्त्री.) (फा.) - 1. वीरता या साहसपूर्ण आचरण। 2. पौरुष। 3. साहस, हिम्मत। उदा. हमने उस लुटेरे को पकड़ने में तुम्हारी मर्दानगी देखी।
मर्दाना - (वि.) (फा.) - 1. पुरुष संबंधी, पुरुषों का। जैसे: मर्दाना अस्पताल। 2. पुरुषों के समान। जैसे: उस स्त्री ने मर्दाना वस्त्र पहने हैं। 3. वीरों जैसा, साहसपूर्ण। जैसे: मर्दाना काम करना। विलो. जनाना।
मर्म - (पुं.) (तत्.) - 1. रहस्य, भेद। उदा. तेरा मर्म कोई नहीं जान सकता। 2. तत् व। 3. शरीर का वह कोमल भाग/अंग जहाँ चोट लगने पर बहुत पीड़ा हो या मृत्यु हो जाए। 4. हृदय।
मर्मज्ञ - (वि.) (तत्.) - किसी बात का मर्म (गूढ़ रहस्य) जानने वाला, सूक्ष्म बातों का जानकार, तत् वज्ञ।
मर्मर - - (अं.) अस्पष्ट सुनाई देने वाली ध्वनि, फुसफुसाहट (पूर्ण)। murmer
मर्मस्थल - (पुं.) (तत्.) - शरीर के वे कोमल अंग जिन पर चोट लगने से सबसे अधिक कष्ट या हानि होती है। जैसे: नाक, हृदय, अंडकोश आदि।
मर्मस्पर्शी - (वि.) (तत्.) - हृदय/मर्म को स्पर्श करने वाला, मन को छूने वाली (बात.) संवेदना जगाने वाला (भाव)।
मर्यादा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. सीमा, हद, प्रतिष्ठा। 2. समाज में प्रचलित नियम एवं व्यवहार जिनका उल्लंघन वांछित नहीं होता।
मल - (पुं.) (तत्.) - शरीर से निकलने वाला मैल। जैसे: मूत्र, पसीना, पाखाना, कफ आदि। मैल, गंदगी, विष्ठा।
मलद्वार - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ मल के बाहर निकलने का रास्ता, पाँच कर्मोंद्रियों में से एक। दे. ‘गुदा’।
मलना सं.क्रि. - (तद्.<मर्दन) - 1. मालिश करना। जैसे: शरीर में तेल मलना। 2. हाथ की सहायता से रगड़ना। जैसे: कपड़े पर साबुन मलना।
मलबा - (पुं.) (देश.) - गिरे या तोड़े गए भवनों की अनुपयोगी टूटी ईंटें, मिट् टी, मसाला आदि का ढेर जो भराव के ही योग्य होता है।
मलमल - (स्त्री.) (तद्.) - एक प्रकार का बहुत बढ़िया सूती वस्त्र जो बहुत कोमल, चिकना, बारीक और सफ़ेद रंग का होता है। जैसे: ढाका की मलमल। पर्या. मस्लिन। muslin
मलमास - (पुं.) (तत्.) - भारतीय काल गणना में लगभग तीन वर्ष के बाद आने वाला अमावस्या से अमावस्या तक का महीना जिसमें सूर्य की संक्रांति नहीं होती। इसकी गणना 12 मासों में नहीं होती। अत: वर्ष तेरह महीने का हो जाता है। पर्या. अधिक मास, पुरुषोत्तम मास, लौंद का महीना। टि. 1. सूर्य और चंद्रमा की गतियों में तालमेल बैठाने के लिए भारतीय ज्योतिषशास्त्र में यह व्यवस्था की गई है। 2. इस मास में विवाह आदि सामाजिक शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं पर ईश्वर-आराधना के लिए इसे उत्तम माना गया है।
मलमूत्र - (पुं.) (तत्.) - शरीर के अंदर से बाहर फेंके जाने वाले अपशिष्ट।
मलहम - (पुं.) (अर.) - घाव पर लगाने का लेप। दे. ‘मरहम’।
मलाई - (स्त्री.) (देश.) - 1. दूध-दही आदि पर जमने वाली ऊपरी परत जिसमें वसा की मात्रा 20 प्रतिशत से अधिक होती है। 2. सार, तत् व। टि. दूध की मलाई को गर्म करने पर प्राप्त द्रव पदार्थ घी कहा जाता है। 3. मलने (सहलाते हुए रगड़ने) का भाव। 4. मलने के बदले दी जाने वाली मज़दूरी।
मलाल - (पुं.) (अर.) - 1. किसी कार्य को सही समय पर या सही ढंग से न करने का दु:ख, पछतावा। पर्या. पश्चात्ताप। 2. दु:ख, रंज, अफ़सोस। जैसे: मुझे विदेश जाने का अवसर मिलने पर भी वहाँ न जाने का आज भी मलाल है।
मलाशय [मल + आशय] - (पुं.) - शा.अर्थ. मल का स्थान। प्राणि. बड़ी आँत का अंतिम फूला हुआ अंग जिसमें मल इकट्ठा होता है और गुदा द्वार से बाहर निकलता है। retal, rectum
मलिन/मलीन - (वि.) (तत्.) -
मलेरिया परजीवी - (पुं.) (अं+तत्.) - प्रोटोजोआ संघ phyllum के स्पोरोज़ोआ वर्ग genes में प्लाज़्मोडियम वंश (जीनस) के रोगाणु का सामान्य नाम। टि. वयस्क अवस्था में यह मादा एनोफिलीज़ मच्छर के शरीर में रहता है और मच्छर के काटने पर मानव के रुधिर में पहुँच कर मलेरिया रोग उत्पन्न करता है।
मलेरिया - (पुं.) - (अं.) एक विशेष प्रकार के (एनोफ्लीज़) मच्छर के काटने से होने वाला ज्वर या बुखार।
मलेरिया-रोधी - (वि.) (अ.+तत्.) - 1. जो मलेरिया से बचाए। (ऐसी औषधि या उपाय)। 2. जो मलेरिया को रोके।
मल्ल युद्ध - (पुं.) (तत्.) - कुश्ती। टि. प्राचीन काल में मल्ल एक जाति थी। उस जाति के लोग द्वंद्व युद् ध में बहुत निपुण होते थे, इसीलिए कुश्ती लड़ने वाले को ‘मल्ल’ और द्वंद्व युद्ध को मल्लयुद्ध कहते हैं। wrestling
मल्लाह - (पुं.) (अर.) - 1. नाविक, केवट, माँझी। 2. एक जाति जो नाव चलाने और मछली मारने का व्यवसाय करती है।
मल्लिका - (स्त्री.) (तत्.) - 1. बेला की जाति का सफेद रंग के सुगंधित फूलों वाला एक पौधा, मोतिया, मोगरा; उक्त पौधे के फूल। 2. चमेली की बेल या उसका फूल।
मवाद - (पुं.) (अर.) - घाव या फोड़े से निकलने वाला पीले से रंग का गाढ़ा तरल। pus
मवेशी - (पुं.) (अर.<मवाशी) - घरों में पाले जा सकने वाला तथा कृषि, दुग्ध-उत्पादन, सवारी आदि के काम आने वाला पशु। टि. इन पशुओं के पैरों में खुर होते हैं।
मवेशीख़ाना - (पुं.) (फा.) - 1. पालतू चौपाए रखने का स्थान, घेरा, बाड़ा, पशुशाला। 2. नगरपालिका आदि द्वारा आवारा पशुओं को बंद करने का स्थान। काँजी-हाउस। kine house
मशक - (स्त्री.) (अर.) - पानी भरने के लिए चमड़े की बड़ी थैली। तत्. 1. मच्छर 2. शरीर पर का मसा।
मशक्कत - (स्त्री.) (अर.) - 1. परिश्रम, मेहनत, श्रम। उदा. दलदल में फँसी गाड़ी को बाहर निकालने के लिए उन्हें काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी। 2. दौड़-धूप। उदा. काफ़ी मशक्कत के बाद यह नौकरी मिली है।
मशग़ूल - (वि.) (अर.) - 1. जो किसी काम में लगा हुआ हो, संलग्न, लीन। 2. व्यस्त। जैसे: वह अतिथियों के स्वागत में मशग़ूल है। involved
मशग़ूलियत - (स्त्री.) (अर.) - 1. व्यस्तता 2. लीनता।
मशविरा/मशवरा - (पुं.) (अर.) - सलाह, परामर्श, विचार-विमर्श। उदा. इस बारे में पिताजी से मशविरा कर लो।
मशहूर - (वि.) (अर.>मश्हूर) - जिसे अधिकतर लोग जानते-पहचानते हों। पर्या. विख्यात, प्रसिद्ध।
मशाल - (स्त्री.) (अर.) - लंबी लकड़ी जिसमें कपड़ा लपेटकर और उस पर तेल इत्यादि डालकर जलाते हैं और प्रकाश प्राप्त करते हैं।
मशीन - (स्त्री.) - (अं.) कल-पुरजों से बना यंत्र जिससे काम जल्दी बड़ी मात्रा में और एक जैसा हो। कल, यंत्र।
मसख़रा - (पुं.) (अर.<मस्ख़र:) - 1. अपनी विशेष हाव-भाव युक्त क्रियाओं या शब्दों आदि से दूसरों को खुश करने वाला, परिहास करने वाला। मज़ाकिया। जैसे: सरकस का मसख़रा सबको खूब हँसाता है। 2. दूसरों की नकलें करने वाला। पर्या. विदूषक। जैसे: हर नाटक में एक मसख़रा होता है। joker, comedian
मसखरापन/मसखरी - (पुं.) (स्त्री.) - हँसी, मज़ाक, दिल्लगी। जैसे: तुम्हारी मसख़री करने की आदत अभी नहीं गई।
मसजिद - (स्त्री.) (.फा.<मस्जिद) - वह भवन जहाँ मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं। तु. मंदिर, गुरुद्वारा, गिरजाघर।
मसनद - (पुं.) (अर.) - शा.अर्थ बड़ा तकिया, वह फर्श या गद् दी जिस पर प्रतिष्ठित लोग बैठें। उदा. मसनद बिछा दो। सा.अर्थ बेलनाकार बड़ा तकिया।
मसलन क्रि.वि. - (वि.) (अर.) - मिसाल (उदाहरण) के तौर पर, उदाहरणार्थ, जैसे।
मसलना स.क्रि. - (देश.) - 1. उँगलियों से दबाते हुए किसी वस्तु को रगड़ना। पर्या. मलना। 2. जोर लगाकर दबाना। मुहा. मसल देना-नष्ट कर देने की धमकी।
मसविदा/मसौदा - (पुं.) (अर.) - किसी लेख का प्रारंभिक रूप जिसे काँट-छाँटकर शुद्ध किया जाए। पर्या. प्रालेख draft
मसहरी - (स्त्री.) (तद्.) - मच्छरों से बचाव के लिए पलंग या चारपाई के चारों ओर लगाने का विशेष जालीदार पर्दा, मच्छरदानी।
मसाला - (पुं.) (अर.) - वह सामग्री, जिसकी सहायता से कोई चीज उपयोगी, स्वादिष्ट, सुग्राह् य और संग्रहणीय बन जाए। जैसे: मकान बनाने का मसाला, पान का मसाला, सब्जी बनाने का मसाला, अखबार के लिए मसाला, बर्तन जोड़ने का मसाला, फिल्मी मसाला आदि।
मसालेदार - (वि.) (अर.+फा.) - जिसमें मसाला डाला गया हो, चटपटा, मसाले से युक्त। दे. `मसाला’ जैसे: मसालेदार सब्जी।
मसीह - (पुं.) (अर.) - ईसाइयों के धर्मगुरु प्रवर्तक हज़रत ईसा, यीशु। christ
मसीहा - (पुं.) (अर.) - 1. वह जिसमें रोगियों को नीरोग करने की शक्ति हो, महापुरुष। 2. ईसाई धर्म के प्रवर्तक।
मसूड़ा - (पुं.) (तद्.) - मुँह के अंदर का जबड़े से लगा मांसल भाग जिसमें दाँत उगे होते हैं, दाँतों से चिपका हुआ ऊपर और नीचे का मांस। gum
मसूरिका - (स्त्री.) (तत्.) - दे. ‘चिकनपॉक्स’।
मसोसना अ.क्रि. - (देश.) - (फा.<अफ़सोस) 1. किसी बात पर मन ही मन खेद या दु:ख करना, कुढ़ना। 2. पछतावा करना। उदा. असावधानी की वजह से चोरी हो जाने पर वह मन मसोसकर रह गया। (स.क्रि.) मरोड़ना, ऐंठना। उदा. उसने मेरी गर्दन मसोस दी।
मसौदा - (पुं.) (अर.<मसविद:) - किसी कार्य, योजना, बातचीत के विषय में प्रारंभिक विचार के बाद प्रस्तावित प्रारूप, जिसमें बाद में आवश्यक सुधार करके अंतिम रूप दिया जा सके। पर्या. प्रारूप (ड्राफ्ट), मसविदा। जैसे: देश में अनिवार्य शिक्षा लागू करने के कानून का मसौदा तैयार है।
मस्त - (वि.) (.फा.) - शा.अ. बहुत अधिक प्रसन्न। सा. अ. मतवाला, बेपरवाह, मत्त या नशे में चूर। निश्चिंत, निस्पृह।
मस्तमौला - (वि.) - (फा.+अ.) 1. जो अपने कार्यों, विचारों में ही मस्त रहता हो। 2. जो अपनी इच्छानुसार सभी कार्य करता हो, जिसे किसी की परवाह न हो, मनमौजी, प्रसन्नचित्त।
मस्तिष्क - (पुं.) (तत्.) - 1. दिमाग, मस्तक के अंदर का गूदा। 2. बुद् धि, वह मानसिक शक्ति जिसके माध्यम से मनुष्य चिंतन-मनन करता है और निर्णय लेता है।
मस्ती - (स्त्री.) (फा.) - 1. मस्त या मतवाला होने की स्थिति या भाव। 2. मतवालापन, लापरवाही, निस्पृहता।
मस्तूल - (पुं.) (फा.) - बड़ी नाव, जहाज आदि के बीच में ऊर्ध्वाधर गाड़ा हुआ लंबा खंभा या लट् ठा जिसमें झंडा, पाल आदि बाँधा जाता है। mast
मस्लिन - (स्त्री.) (दे.) - (अं.<मोजिलिंग फ्रांसीसी) दे. 'मलमल'।
मस्सा - (पुं.) (तद्.<मांस) - <मांस) मानव शरीर पर काले रंग के दाने के रूप में उभरा हुआ मांस पिंड जो दर्दरहित होता है। mole
महँगा - (वि.) (तद्.<महार्घ) - 1. जिसका मूल्य अपेक्षाकृत अधिक हो। 2. अधिक मूल्य वाला, बहुमूल्य। 3. अधिक श्रम या कठिनाई से प्राप्त होने वाला। जैसे: मुझे यह परीक्षा बहुत महँगी पड़ी है। मुहा. महँगा पड़ना-बुरे परिणाम वाला। जैसे: मेरे काम में दखल देना तुम्हें महँगा पड़ेगा।
महँगाई - (स्त्री.) (देश.<महँगा) - वस्तुओं की कीमत अपेक्षाकृत बहुत अधिक होने का भाव।
महँगाई भत्ता - (पुं.) (देश.) - नौकरी करने वालों को बढ़ी हुई महँगाई के फलस्वरूप मिलने वाला अतिरिक्त धन या भत्ता। दे. ‘महँगाई’।
महंत - (पुं.) (तद्.) - 1. वह साधु जो अपने मठ या समाज का प्रधान हो। 2. साधु संघ का मुखिया। 3. मठाधीश।
महक - (स्त्री.) (तद्.<महक्क:) - गंध, सुगंध, वास। जैसे: फूलों की महक आ रही है।
महकदार - (वि.) (देश.) - जिसमें महक हो, महकने वाला, सुगंधित, खुशबूदार। उदा. इस वाटिका में अधिकतर महकदार पुष्प खिले हैं।
महकना अ.क्रि. - (देश.) - सुगंध फैलाना। उदा. गुलाब के फूलों की गंध से सारी वाटिका महक गई।
महकमा - (पुं.) (अर.) - 1. प्रशासनिक दृष्टि से व्यवस्था करने वाला कोई एक विभाग। 2. न्यायालय, कचहरी।
महज क्रि.वि. - (वि.) (अर.) - केवल, सिर्फ, मात्र, जैसे: यह तो महज शुरूआत है।
महजर - (पुं.) (अर.) - किसी प्रयोजन से किसी बड़े अधिकारी को दिया गया प्रार्थनापत्र। petition
महजरनामा - (पुं.) - घोषणापत्र, सूचनापत्र।
महती - (स्त्री.) (तत्.) - 1. महत्व, महिमा, महत्ता। 2. वीणा। 3. सौ तारों वाली वीणा। वि. 1. बड़ी 2; श्रेष्ठ 3. महान। उदा. आपने हमारे यहाँ पधारकर महती कृपा की।
महत् - (वि.) (तत्.) - 1. महान्, बड़ा 2. विस्तृत 3. विपुल। उदा. यह महत् साक्षरता अभियान है।
महत्व (महत्+त्व) - (पुं.) (तत्.) - व्यु.अर्थ महान होने की अवस्था या भाव। सा.अर्थ 1. विशेषता, खासियत। 2. गुरुता, अधिक आवश्यक होने का भाव। तु. महत्ता।
महत्वपूर्ण - (वि.) (तद्.) - महत्व से युक्त, महत्व वाला। उदा. यह कार्य अधिक महत्वपूर्ण है। important, significant
महत्वाकांक्षा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. महत्व प्राप्त करने की उत्कट इच्छा 2. अत्यंत कठिनता या परिश्रम से प्राप्त वस्तुओं (जैसे: विपुल धन-संपत्ति, उच्च पद-प्रतिष्ठा, सफलता) को आसानी से प्राप्त कर लेने की इच्छा।
महत्वाकांक्षी - (वि.) (तद्.) - (व्यक्ति) जो महत्तवाकांक्षा पाल रखे। दे. महत्वकांक्षा।
महफिल - (स्त्री.) (अर.) - 1. गोष्ठी, सभा, जलसा 2. ऐसी सभा जिसमें नृत्य, संगीत का मनोरंजक कार्यक्रम हो रहा हो। जैसे: आज उस महफिल में संगीत और नृत्य का समाँ बँधा हुआ था। मुहा. महफिल जमना-गोष्ठी/सभा जुड़ना, जलसा होना। उदा. कल उसके घर दोस्तों की महफिल जमी हुई थी।
महफ़ूज - (वि.) (अर.) - जिसकी अच्छी तरह हिफाजत की गई हो, भली-भाँति सुरक्षित मुहा. महफूज रखना-सब प्रकार की आपन्तियों आदि से रक्षा करना।
महबूब - (पुं.) (अर.) - प्रिय, प्रियतम, प्रेमपात्र। महबूबा (स्त्री.) प्रेयसी, प्रेमपात्री।
महराब - (स्त्री.) (अर.) - दे. ‘मेहराब’।
महरी - (स्त्री.) (देश.) - दूसरे के घरों में बर्तन साफ़ करने, सफाई करने का काम करने वाली महिला। पर्या. कहारिन।
महरूम - (वि.) (अर.) - 1. जिसे कोई वस्तु प्राप्त न हुई हो, वंचित। उदा. गरीबी के कारण कुछ बच्चे शिक्षा से महरूम रह जाते हैं (टि. मरहूम (स्वर्गीय) की याद बनाए रखना आवश्यक है।
महर्षि [महा+ऋर्षि] - (पुं.) (तत्.) - बहुत बड़े ऋषि, ऋषियों में श्रेष्ठ जैसे: महर्षि वसिष्ठ।
महल - (पुं.) (अर.) - 1. धनाढ्य लोगों या राजाओं के रहने का बहुत बड़ा मकान, प्रासाद, हवेली जैसे: राजमहल 2. रानी। जैसे: मुमताज महल 3. रानियों के रहने का स्थान पर्या. अंत:पुर, रनिवास।
महसूस - (वि./स्त्री.) (अर.) - वह बात जो ज्ञानेंद्रियों या मन आदि के द्वारा जानी जाए, अनुभूत, ज्ञात, मालूम। उदा. आज ठंड महसूस हो रही है।
महाकाव्य - (पुं.) (तत्.) - बहुत बड़ा काव्य, अनेक सर्गों, कांडों आदि में विभक्त प्रबंध काव्य जिसमें प्राय: किसी महापुरुष का जीवन-चरित वर्णित होता है। जैसे: रामचरित मानस, कामायनी टि. संस्कृत साहित्य शास्त्र में महाकाव्य में लक्षणों की विस्तृत चर्चा है।
महाक्रांति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. राजनैतिक या सामाजिक रूप में संघर्षपूर्वक किया गया बहुत बड़ा परिवर्तन जो एक लंबी प्रक्रिया के बाद संभव होता है। जैसे: नेपाल में राजतंत्र की जगह लोकतंत्र की स्थापना महाक्रांति ही थी। 2. विकास की दृष्टि से बहुत बड़ा परिवर्तन जैसे: भारत में औद् योगिक क्रांति 3. सामाजिक परिवर्तन का दौर जैसे: स्वामी दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना एक महाक्रांति थी।
महाखड्ड - (पुं.) (तद्.) - भू-कठोर चट्टानों वाली दो पहाड़ियों के बीच नदी के कटाव से बना वह गहरा गड्डा जिसके ऊपर का हिस्सा खड़ी दीवारों जैसा होता है। जैसे: जबलपुर के पास भेड़ाघाट का महाखड्ड संकीर्ण चट् टानी नदी-घाटी। gorge पर्या. खड्ड-भूमि, गिरिसंकट। ravine रेवाइन।
महाचक्रवात - (पुं.) (तत्.) - बड़ा चक्रवात दे. चक्रवात।
महाजन - (पुं.) (तत्.) - 1. महापुरुष, 2. धनी व्यक्ति। जो पैसे का लेन-देन करता हो। 3. ऋण देने वाला। reditor
महाजनपद - (पुं.) (तत्.) - 1. अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र वाला जिला। जैसे: छत्तीसगढ़ में बस्तर जिला 2. प्राचीन काल में बड़े राज्यक्षेत्रों के लिए प्रयुक्त शब्द।
महाजनी - (स्त्री.) (तद्.) - महाजन का व्यवसाय/कर्म, रुपयों का लेन-देन।
महात्मा - (पुं./वि.) (तद्.<महात्मन्) - श्रेष्ठ विचारों वाला, पवित्र आत्मा वाला संत, योगी, महापुरुष जैसे: महात्मा गांधी।
महादंडनायक - (पुं.) (तत्.) - प्राचीन काल में प्रचलित मुख्य न्याय अधिकारी के लिए प्रयुक्त पद का नाम, उच्च स्तर का दंडनायक।
महादेश - (पुं.) (तत्.) - भू. समुद्र के बीच उठा हुआ चट्टानी भूभाग जो एक बड़ा क्षेत्र घेरता है। जैसे: एशिया महादेश पर्या. महाद्वीप continent टि. बड़ा क्षेत्र होने के कारण सांस्कृतिक, राजनैतिक कारणों से अनेक राज्य या देश उसमें बन जाते हैं दे. ‘महाद्वीप’।
महाद्वीप - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ बहुत बड़ा द्वीप। भू. पृथ्वी का वह बड़ा भाग जो चारों ओर से पानी से घिरा हुआ हो उदा. एशिया महाद्वीप, अफ्रीका महाद्वीप। तु. प्रायद्वीप दे. द्वीप।
महाधमनी - (स्त्री.) (तत्.) - शरीर की प्रमुख धमनी जो अन्य धमनियों एवं उनकी असंख्य शाखाओं द्वारा रुधिर को हृदय से शरीर के अधिकतर भागों तक ले जाती है। aorto
महान - (वि.) (तद्.) - बड़ा (महान व्यक्ति), ऊँचा, विशाल, उच्च कोटि का, श्रेष्ठ उदा. हमारा देश महान है।
महानगर - (पुं.) (तत्.) - किसी प्रांत या क्षेत्र का प्रमुख शहर या नगर। जैसे: मुबई, दिल्ली, कानपुर, इलाहाबाद, बेंगलुरू आदि। metroploitan town
महानता - (स्त्री.) (तद्.) - महान होने की स्थिति या भाव।
महानाश - (पुं.) (तत्.) - बहुत बड़ा विनाश। ऐसी स्थिति जिसमें जन, धन की बड़ी क्षति हुई हो।
महापरिनिर्वाण/महानिर्वाण - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ मृत्यु। दर्श. बौद्ध मत के अनुसार वह प्रक्रिया जिसके होने पर साधक बुद् ध या अर्हत् बन जाता है।
महापुरुष - (पुं.) (तत्.) - 1. महान् व्यक्ति, महिमाशाली पुरुष 2. वह व्यक्ति जिसका आचरण अनुकरणीय हो। उदा. महात्मा गाँधी महापुरुष थे।
महापौर - (पुं.) (तत्.) - नगरपालिका का प्रधान, नगर-प्रमुख। mayor
महाप्रलय - (पुं.) (तत्.) - 1. वह प्रलय जिसमें सारी सृष्टि का विनाश हो जाता है। 2. भारतीय कालगणना के अनुसार ब्रह् मा की आयु पूर्ण होने पर होने वाला संपूर्ण सृष्टि का विनाश।
महाप्राण - (वि.) (तत्.) - महान् आत्मा वाला, उदार उदा. महाप्राण निराला आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक हैं। वे व्यंजन जिनके उच्चारण में मुख से अधिक हवा निकलती है (हिंदी वर्ण व्यवस्था के पाँचों वर्गों के दूसरे और चौथे वर्ण महाप्राण स्वन हैं)।
महाबलशाली - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ श्रेष्ठ बलवान ला.अर्थ बहुत बड़ा योद् धा।
महाबली - (वि.) (तत्.) - बहुत श्रेष्ठ बलवान, अधिक शक्तिशाली जैसे: महाबली, भीम।
महाभारत - (पुं.) (तत्.) - 1. महर्षि वेदव्यास रचित वह संस्कृत महाकाव्य जिसमें कौरवों एवं पांडवों के युद्ध का वर्णन है तथा विश्व प्रसिद्ध श्रीमद् भगवतद् गीता’ नामक प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ भी इसी का अंश है। संपूर्ण महाभारत 18 पर्वों में है। 2. ला.अर्थ बहुत बड़ा युद्ध या विवाद। जैसे: उन दोनों के बीच महाभारत छिड़ा हुआ है।
महाभियोग [महा+अभियोग] - (पुं.) (तत्.) - सदनों में विशिष्ट बहुमत से सहमति के पश्चात् देश के राष्ट्रपति या उच्च/सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर चलाया जाने वाला मुकदमा जिसके कारण संबंधित पदधारी पदच्युत हो सकता है। impeachment
महामंडलेश्वर - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ किसी क्षेत्र का बड़ा शासक। वि. अर्थ 1. प्राचीन काल के सैनिक शासकों द्वारा स्वयं को दी हुई उपाधि, ‘महासामंत’। 2. किसी विशिष्ट धार्मिक संप्रदाय का सर्वोच्च अधिकारी या महाधिपति।
महामंत्री - (पुं.) (तत्.) - प्राचीन काल में राज्य या साम्राज्य का प्रधानमंत्री। पर्या. महामात्य। दे. महामात्य।
महामहिम - (वि.) (तत्.) - जिसकी महिमा बहुत अधिक हो बहुत महिमा वाला। टि. आजकल यह राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के लिए प्रयुक्त होता है, जैसे: महामहिम राष्ट्रपति, महामहिम राज्यपाल।
महामात्य - (पुं.) (तत्.) - महामंत्री, किसी राज्य या संस्था का वह मंत्री जो सभी मंत्रियों में प्रमुख हो, प्रधानमंत्री। secretary general, chief minister, prime minister
महामारी - (स्त्री.) (देश.) - वह संक्रामक भीषण रोग जिससे बड़ी संख्या में लोग मरते रहें। जैसे: हैजा, प्लेग, एड्स, स्वाइन फ्लू आदि। epidemic
महायुग - (पुं.) (तत्.) - 1. भारतीय काल गणना के अनुसार सत्य, त्रेता, द्वापर, कलि इन चारों युगों का समूह। 2. एक महायुग 43,20,000 वर्षों का माना जाता है।
महायुद्ध - (पुं.) (तत्.) - बहुत बड़ा, भीषण और व्यापक युद्ध जिसमें बहुत से बड़े-बड़े देश या राष्ट्र सम्मिलित हों। जैसे: प्रथम और द्वितीय-दोनों विश्व युद्ध ‘महायुद्ध’ थे।
महारत - (स्त्री.) (अर.) - योग्यता, कौशल, जानकारी, पहुँच। किसी क्षेत्र में विशेषज्ञ होने का भाव। उदा. हड्डियों के ऑपरेशन में डॉक्टर साहब को महारत हासिल है।
महारथी - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ बड़े रथ वाला। सा.अ. प्राचीन काल में वह बहुत बड़ा योद्धा जो अकेला हजारों योद्धाओं के साथ युद्ध कर सकता था।
महावत - (पुं.) (तद्.) - हाथियों की देखरेख और संचालन करने वाला, पर्या. पीलवान, हाथीवान।
महावर - (पुं.) (तद्.<महावर्ण) - लाख से तैयार गहरा चमकदार वह लाल रंग जिसे स्त्रियाँ विशेष रूप से सौभाग्यवती, मांगलिक अवसरों पर अपनी एडि़यों और तलवे के किनारों पर लगाती हैं।
महाविद्यालय [महा + विद् या +आलय] - (पुं.) (तत्.) - वह विद्यालय जिसमें ऊँची कक्षाओं का शिक्षण होता है। collage
महावीर चक्र - (पुं.) (तत्.) - अधिक शौर्यपूर्ण कार्य करने के लिए भारत सरकार द्वारा सैनिकों को दिया जाने वाला विशिष्ट पुरस्कार (पदक)
महाशय - (पुं.) (तत्.) - उच्च विचारों वाला व्यक्ति, सज्जन, ऐसे व्यक्तियों के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला संबोधन।
महासंग्राम - (पुं.) (तत्.) - बहुत बड़ा युद्ध जिसमें बड़ी संख्या में सैनिक हताहत हों।
महासागरीय बेसिन - (तत्.+अं) (पुं.) - भूगो. भूपृष्ठ पर स्थित बहुत बड़े गर्त जिसमें महासागर बन जाते हैं।
महिमा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. बड़ाई, गौरव, महत्त्वपूर्ण होने का भाव, विशिष्टता। 2. आठ सिद् धियों (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वाशित्व) में से एक।
महिला - (स्त्री.) (तत्.) - 1. भद्र नारी, अच्छे घर की स्त्री। 2. नारी के लिए आदरसूचक शब्द।
महिष - (पुं.) (तत्.) - भैंसा।
महिषी - (स्त्री.) (तत्.) - 1. भैंस। 2. रानी (राजा की पटरानी)।
मही - (स्त्री.) (तत्.) - 1. पृथ्वी। पुं. छाछ (मथित, मथा हुआ दही) 2. मट् ठा, छाछ।
महीधर (मही+धर) - (पुं.) (तत्.) - मही (धरती) को धारण करने वाला पर्वत। जैसे: महीधरों के उन्नत शिखर सर्प से सुशोभित हैं।
महीन - (वि.) (फा.) - बारीक, बहुत पतला, सूक्ष्म; धीमा, कोमल। जैसे: महीन स्वर, महीन वस्त्र। विलो. मोटा।
महीना - (पुं.) (तद्.) - 1. भारतीय काल गणना के अनुसार चंद्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा की कालावधि। 2. पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा की कालावधि अर्थात् वर्ष का बारहवाँ भाग। पर्या. मास 3. तीस दिन की अवधि।
महीप - (पुं.) (तत्.) - अपने राज्य की धरती तथा उसमें रहने वालों की रक्षा करने वाला, राजा। पर्या. महीपति, भूपति, भूपाल, भूप।
महुआ - (पुं.) (तद्.<मधूक) - आम के वृक्ष के आकार का एक वृक्ष, जिसका फूल खाने एवं शराब बनाने के काम आता है। इसके फल से तेल भी निकाला जाता है। इसकी लकड़ी दरवाजे, फर्नीचर आदि बनाने के काम आती है।
महोत्सव [महा+उत्सव] - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ बड़ा उत्सव, ऐसा उत्सव जो व्यापक स्तर पर बड़ी साज-सज्जा एवं धूमधाम से मनाया जाता है।
महोदय - (पुं.) (तत्.) - एक आदरसूचक संबोधन जिसका प्रयोग बड़े आदमियों या वरिष्ठ अधिकारियों के लिए किया जाता है। जैसे: जिलाधीश महोदय, प्रिय महोदय, अध्यक्ष महोदय आदि।
मिचलाना अ.क्रि. - (देश.) - वमन या उल्टी करने जैसा अहसास मात्र (पर वास्तव में वमन न होना)।
मिचलाहट - (स्त्री.) (देश.) - मिचली का भाव, उलटी के आने जैसा भाव (अनुभूति)।
मिज़राब - (स्त्री.) (अर.) - तार से बना एक नुकीला छल्ला जिसे उँगली के अगले भाग में पहनकर उससे सितार बजाया जाता है।
मिज़ाज - (पुं.) (अर.) - 1. किसी वस्तु या पदार्थ का मौलिक गुण-धर्म, तासीर। 2. स्वभाव, प्रकृति। जैसे: वे गरम मिज़ाज के व्यक्ति हैं। 3. मानसिक स्थिति जैसे: अभी पिताजी का मिज़ाज ठीक नहीं है। 4. शारीरिक स्वास्थ्य, तबीयत। जैसे: कैसे मिज़ाज हैं? 5. दिखावा, नाज़-नखरा, अन्दाज़। 6. (ला.अर्थ) हालात जैसे: मौसम का मिज़ाज। मुहा. मिज़ाज खराब होना-नाराज़ होना। मिज़ाज न मिलना-घमंड होना। मिज़ाज पूछना- हालचाल पूछना। मिज़ाज आसमान पर होना- बहुत ज्यादा घमंड होना।
मिटना अ.क्रि. - (देश.) - जिसका अस्तित्व हो या रहा हो उसका लुप्त हो जाना, नष्ट हो जाना या न रहना। उदा. सारे जहाँ से अच्छा….। यूनान मिस्र रोम मिट गए जहाँ से….।
मिटाना स.क्रि. - (देश.) - उदा. बच्चे पेंसिल से लिखे को रबड़ से मिटा देते हैं।
मिट्टी - (स्त्री.) (तद्.<मृतिका) - सा.अर्थ 1. भूमि के ऊपरी तल का वह भूरा, कोमल, सूखा चूर्ण जैसा पदार्थ जिसमें पेड़-पौधे उगते हैं और जो उड़कर शरीर, कपड़े आदि को मैला कर देते हैं। भू. वि. जैव तथा अजैव प्रक्रमों के फलस्वरूप भू-पृष्ठ पर निर्मित पदार्थ जिसमें वनस्पतियाँ उग सकती हैं। पर्या. मृदा soil, माटी, धूल। ला.अर्थ मृत देह, शरीर पंच तत् वों में से पहला जो पृथ्वी तत् व से बना है। मुहा. (i) मिट्टी में मिला देना-बरबाद करना। (ii) मिट्टी का माधो-मूर्ख या अयोग्य व्यक्ति। (iv) मिट्टी उठना-शव की अर्थी लाना।
मिठास - (स्त्री.) (<तद्.<मिष्ट) - 1. मीठा होने का भाव, किसी पदार्थ का माधुर्य, मीठापन। उदा. दशहरी आम में और आमों की तुलना में मिठास अधिक होती है।
मितली - (स्त्री.) (देश.) - जी की मिचलाहट वमन/उलटी होने का एहसास मात्र। दे. ‘मिचलाना’।
मितव्यय - (वि.) (तत्.) - थोड़ा या अल्प व्यय, पैसा बचाने के उद्देश्य से सोच समझकर कम खर्च करने का भाव। उदा. इस वर्ष सरकार ने शिक्षा में मितव्यय किया है। विलो. अपव्यय।
मितव्ययी - (वि.) (तत्.) - वह व्यक्ति जो स्वभावत: कम खर्च में काम चलाए। विलो. अपव्ययी।
मिताशी [मित (स्वल्प] + आशी] - (वि.) (तत्.) - अल्प या थोड़ा भोजन करने वाला। उदा. विद्यार्थी को मिताशी होना चाहिए। पर्या. अल्पाहारी, मिताहारी।
मिति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी वस्तु को नापने-मापने की विधि या क्रिया। 2. परिमाप, मान। मापने की विद्या ज्यामिति, त्रिकोणमिति।
मिती - (स्त्री.) (तद्.<मिति) - 1. चांद्र वर्ष या सौर वर्ष की तिथि, तारीख। 2. दिन, पंचमी के दिन यज्ञोपवीत संस्कार होगा। जैसे: मिती वैशाख कृ. पंचमी रविवार। 3. वह तिथि जब तक ब्याज चुकाना अपेक्षित हो, मितीवार। क्रि. वि. तिथियों के अनुसार।
मित्र - (पु.) (तत्.) - व्यक्ति जिसे आप जानते हों और जो समय पड़ने पर आपकी सहायता करे। पर्या. शत्रु।
मित्रता - (स्त्री.) (तत्.) - दोस्त होने और दोस्ती निभाने का भाव। पर्या. दोस्ती। विलो. शत्रुता।
मिथक - (पुं.) - (अं.<मिथ.) वे पुरा कथाएँ (पुराण इत्यादि), घटनाएँ या पात्र जिनको नए संदर्भों में प्रतीकात्मक रूप से तुलना के लिए प्रस्तुत किया जाए। जैसे: इस रावण का अट्टहास तो सुनो। अरे! जाह्नवी बह निकलेगी बाधाओं की जंघा फोड़। पर्या. कल्पकथा।
मिथकीय - (वि.) (दे.) - (अं.<मिथ) 1. मिथक से युक्त; मिथक से संबंधित। 2. मिथक जैसा। दे. मिथक।
मिथुन - (पुं.) (तत्.) - 1. सभी प्राणियों में नर-नारी का जोड़ा। couple 2. बारह राशियों में से एक, मिथुन राशि। gemini
मिथ्या - (वि.) (तत्.) - 1. जो वास्तविक न हो, झूठा, काल्पनिक। 2. जिसका उचित आधार ही न हो निराधार। जैसे: मिथ्या अहंकार false।
मिन्नत - (स्त्री.) (अर.) - प्रार्थना, निवेदन, विनती। उदा. मैं आपसे मिन्नत करता हूँ कि आप उसे छोड़ दें।
मिमियाना - - अ.क्रि. (अनु.) 1. मे-मे (जैसी ध्वनि) करना। जैसे: बकरी या भेड़ की आवाज़। 2. किसी से कुछ चाहने से पहले उसके सामने दबी और खुशामद भरी आवाज़ में गिड़गिड़ाना।
मियाँ - (पुं.) (फा.) - 1. किसी भी व्यक्ति के लिए प्रयुक्त एक प्रतिष्ठादायक और शिष्ट संबोधन। उदा. कहो मियाँ, कैसे हो। 2. पति उदा. आजकल तुम्हारे मियाँ क्या कर रहे हैं। मुहा. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू होना-खुद ही अपनी तारीफ़ करना।
मियाद - (स्त्री.) (अर.<मीआद) - किसी कार्य को शुरू करने से लेकर पूरा करने तक के लिए नियत समय, अवधि, समयसीमा। उदा. इस पुल के निर्माण की मियाद पूरी होने वाली है।
मियादी - (वि.) (अर.) - मियाद वाला, आवधिक। उदा. मियादी बुखार, मियादी जमा।
मियादी बुखार - (पुं.) (फा.) - शा. अर्थ बुख़ार जो प्राय: एक निश्चित अवधि (दो सप्ताह या उससे अधिक) तक बना रहता है। दे. ‘टाइफाइड’।
मिरगी/मिर्गी - (स्त्री.) (देश.) - एक स्नायविक रोग जिसमें सहसा हाथ-पैर ऐंठने लगते हैं और रोगी बेहोश-सा हो जाता है तथा उसके मुँह से झाग निकलता है। पर्या. अपस्मार epilepsy। उदा. उसे मिरगी का दौरा पड़ता है।
मिर्च - (स्त्री.) (देश.) - केप्सिकम वर्ग की एक फली जो पहले हरे रंग की और फिर पकने पर लाल रंग की हो जाती है और बहुत तीक्ष्ण (तीखे) स्वाद वाली जिसका सब्जी, मसाले आदि के रूप में उपयोग होता है।
मिर्चा - (पुं.) (देश.) - बड़े आकार की कम तीखी हरे, लाल रंग की एक फली इस मिर्च का अचार भी बनता है।
मिर्जई/मिरजई - (स्त्री.) (फा.) - एक कुर्तीनुमा पहनावा जिसमें बटन के स्थान पर बंद लगे होते हैं।
मिल - (स्त्री.) - (अ.) 1. ऐसा उद्योग या कारखाना जिसमें किसी वस्तु का व्यापक रूप से उत्पादन किया जाता है। जैसे: सूती कपड़े की मिल, जूट मिल, चीनी मिल, चावल मिल आदि। 2. अनाज, मसाला आदि पीसने, दाल दलने की चक्की जो भाप बिजली आदि की सहायता से चलती है।
मिलना क्रि. - (तद्.) - 1. दो पदार्थों का मिलकर एक होना, जुड़ना, संयुक्त होना। जैसे: दाल में नमक मिलाना। 2. समूह में समा जाना। जैसे: प्रयाग में यमुना गंगा में मिल जाती है। 3. लगभग एक जैसा होना। जैसे: उसकी मुखमुद्रा विवेकानंद से मिलती है। 4. भेंट-मुलाकात करना स.क्रि. जैसे: कल रमेश मिला था। 5. प्राप्त करना/होना जैसे: वहाँ तुम्हें क्या मिला?
मिलाप [मिल+आप] - (पुं.) (तद्.) - 1. मिलने का भाव। 2. मित्रता जैसे: कल राम और भरत के मिलाप की लीला संपन्न हुई।
मिलीमीटर - (वि.) - (अं.) लंबाई की नाप जो एक मीटर के हजारवें भाग के बराबर होती है। 1 मिमी=1 मीटर। 1 मिमी=.4 इंच लगभग। टि. मिलीमीटर को संक्षिप्त रूप में मि.मी या mm लिखते हैं।
मिशन - (पुं.) (तत्) - (अं.) 1. किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए कुछ व्यक्तियों को कहीं (विशेष रूप से विदेशों में) भेजा जाना। पर्या. राजदूतावास। जैसे: वाशिंगटन स्थित भारतीय मिशन। 2. उपयुक्त कार्य के लिए जाने वाले या भेजे जाने वाले लोगों का समूह। जैसे: मास्को स्थित भारतीय मिशन। 3. ईसाई धर्म प्रचारकों का समूह या संस्था, ईसाई धर्म प्रचारकों का आवास। 5. समर्पण की भावना से कार्य करने की परता।
मिश्र - (वि.) (तत्.) - जो दो या दो से अधिक के मिलने से एक हो गया हो। जैसे: मिश्र धातु (मिश्रातु) पीतल जो ताँबे और जस्ते के मिश्रण से बना है। पुं. 1. प्रतिष्ठित व्यक्ति। 2. ब्राह् मणों की एक उपजाति की उपाधि। 3. नाटक की कथावस्तु के तीन भेदों में से एक।
मिश्रण - (पुं.) (तत्.) - कुछ वस्तुओं को मिलाने का भाव, मिलावट। mixture अलग-अलग धातुओं को गलाकर और उन्हें मिलाकर मिश्र धातु बनाने का भाव। alloy जैसे: ‘पीतल’ ताँबे और जस्ते का मिश्रण है। ठोस या द्रव औषधियों को मिलाने का भाव। compound
मिश्रधातु/मिश्रातु - (स्त्री.) (तत्.) - [मिश्रातु=मिश्र + धातु] (मध्य वर्ण लोपी समास से बनी नवनिर्मित शब्द)। दे. ‘मिश्र’।
मिश्रवाक्य - (पुं.) (तत्.) - ऐसा वाक्य जिसका एक उपवाक्य दूसरे प्रधान उपवाक्य पर आश्रित हो। यह ‘जो’, ‘कि’ संयोजकों से जुड़ा होता है। उदा. शिक्षक ने कहा कि कल दिल्ली भ्रमण के लिए चलेंगे।’
मिश्रित - (वि.) (तत्.) - मिला-जुला, मिलावटी, मिश्रण किया हुआ। जैसे: नमक मिश्रित पानी। दे. ‘मिश्रण’।
मिश्रित खेती - (स्त्री.) (तत्.+तद्.) - कृषि. एक ही फार्म पर खेती एवं पशुपालन का काम साथ-साथ होना। mixed farming टि. यह प्रथा मुख्यत: अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका में प्रचलित है।
मिसरी/मिस्री - (स्त्री.) (अर.<मिस्र) - 1. विशेष प्रकार से जमायी हुई शक्कर जो दानेदार या रवेदार होती है तथा गुण और स्वाद में शक्कर से कुछ भिन्न होती है। 2. मिस्र देश की भाषा।
मिसाइल - (पुं.) - (अं.) दूर से मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र। मिसाइल दागना-लक्ष्य भेदने के लिए मिसाइल चलाना।
मिसाल - (स्त्री.) (अर.) - 1. उदाहरण, नमूना, नजीर जैसे: मिसाल के तौर पर। 2. आदर्श। उदा. देश के लिए आत्मबलिदान कर भगत सिंह ने भारतीयों के सामने मिसाल कायम की।
मिसिल - (स्त्री.) (अर.<मिस्ल) - 1. पंजिका 2. कार्यालय में किसी विषय पर आवती और उसके निपटान से संबंधित कार्यवाई का लेखा-जोखा संचित करने वाला आवरण। पर्या. फाइल, संचिका।
मिस्सा - (वि./पुं.) (तद्.<मिश्रित) - गेहूँ और चने आदि अनाजों को एक साथ पीस कर तैयार किया गया आटा।
मिस्सी - (स्त्री.) (तद्.) - मिश्रित अनाजों/दालों के चूर्ण से बनी कोई वस्तु। जैसे: मिस्सी रोटी।
मिहिर - (पुं.) (तत्.) - 1. सौरमंडल का मुख्य ग्रह सूर्य। जैसे: ‘मिहिर’ ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। पर्या. रवि, भानु। 2. बादल, पवन। टि. फारसी में भी मिहिर का अर्थ ‘सूर्य’ ही है।
मीचना स.क्रि. - (देश.) - 1. रोशनी की सीधी चकाचौंध से बचने के लिए या किसी अन्य प्रयोजन से दोनों आँखों को दोनों हथेलियों से हल्का-सा दबाव देकर बंद करना। 2. ला.अर्थ मृत्यु। उदा. उसने कम उम्र में ही आँखें मीच लीं।
मीटर - (पुं.) - (अं.) 1. बिजली, पानी, गैस अथवा किसी की भी गुणवत्ता आदि की मात्रा मापने और उसे रिकार्ड करने वाला यंत्र विशेष, मापयंत्र। meter 2. लंबाई या दूरी की एक माप जो अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार लगभग 39.4 इंच के बराबर मानी जाती है। 3. साहि. छंद, काव्य रचना में शब्द संयोजन की एक विधा। meter
मीडिया - (पुं.) - (अं.) जनसंचार के सार्वजनिक साधन जैसे: रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट, समाचार पत्र-पत्रिकाएँ इत्यादि।
मीत - (पुं.) (तद्.<मित्र) - पु. दे. ‘मित्र’।
मीन - (पुं.) (तत्.) - 1. मछली 2. ज्योतिष के अनुसार बारह राशियों में से अंतिम राशि। टि. पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करते समय परिक्रमा मार्ग को बारह भागों में बाँटा गया है। इस स्थिति में सूर्य और पृथ्वी की सीध में दिखने वाले तारों के समूह को राशि कहते हैं। इस प्रकार भिन्न-भिन्न ग्रह भिन्न-भिन्न राशियों में दिखते हैं।
मीन-मेख - (पुं.) (तत्.+तद्.<मेष) - किसी कार्य में गुण-दोष निकालने का भाव। पर्या. नुक्ता-चीनी। टि. प्राय: मुहावरे के रूप में प्रयुक्त।
मीन-मेष/मीन-मेख उक्ति - (तत्.) (दे.) - मीन-मेख’। टि. मीन बारहवीं राशि जबकि मेष पहली राशि है। जैसे: वह तो हर काम में मीन-मेष निकालता है।
मीनाकारी - (स्त्री.) (फा.) - सोने-चाँदी के आभूषणों पर होने वाला मीना का काम। उदा. मुगलबेगमें मीनाकारी वाले आभूषणों की बहुत शौकीन थीं। तु. पचीकारी।
मीनार स्त्री - (अर.<मनार) - 1. एक गोलाकार भवन जिसकी ऊँचाई उसके व्यास से बहुत अधिक होती है। ऊपर छतरी नुमा आवरण भी होता है। प्राय: मस्जिद के साथ मीनार अवश्य होती है जिस पर चढ़कर अज़ान दी जाती है। इसमें सीढि़याँ अंदर की ओर गोलाकार में होती हैं। tower 2. घंटाघर, जिसमें ऊपर की ओर घड़ी लगी होती है। 3. दीपस्तंभ। जैसे: समुद्र में/के किनारे रास्ता दिखाने के लिए बनाया गया दीपस्तंभ light house 4. कोई लंबा और ऊँचा वास्तु-शिल्प। जैसे: कुतुबमीनार, टी.वी. टॉवर। पर्या. लाट, धौरहरा।
मील - (पुं.) - (अं.) दूरी का एक माप जो 1.69 किलोमीटर या 176 गज के बराबर है। mile
मुंड - (पुं.) (तत्.) - 1. सिर, खोपड़ी, 2. मनुष्य का कटा हुआ सिर। जैसे: रुंड-मुंड। उदा. महाकाली को मुंडमाला पहने हुए दिखाया जाता है। तु. रुंड।
मुंडन - (पुं.) (तत्.) - 1. उस्तरे से सिर के बाल (चोटी को छोडक़र) पूरी तरह से साफ कर देना। 2. हिंदुओं के सोलह संस्कारों में से एक जिसमें बालक के जन्मजात बाल पहली बार पूरी तरह से उतरवा दिए जाते हैं।
मुंडा - (पुं.) (देश.) - 1. एक आदिवासी जाति जो बिहार (वर्तमान झारखंड) के छोटा नागपुर, राँची से लेकर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर तक के जंगली भागों में रहती है। इनकी बोलियाँ खरबार, संथाली, मुंडारी, कोरबा आदि हैं। 2. बालक, बेटा (पंजाब में बोला जाने वाला शब्द) 3. जूते का एक प्रकार। मुँडे हुए सिर वाला, बिना सींग का (बैल, बकरा आदि)।
मुंडेर - (स्त्री.) (देश.) - मकान की छत पर चारों ओर एक फुट से कम ऊँची मोटी दीवार जो सामान्यतया दीवारों में पानी जाने से बचाने के लिए बनाई जाती है। उदा. मुंडेर पर कौवे बैठे हैं।
मुंशी - (पुं.) (अर.) - 1. गद्य लेखक 2. किसी कार्यालय का लिपिक, क्लर्क 3. वकील का मुहर्रिर 4. कचहरी के बाहर लोगों के लिए सुलेख में अर्जियाँ लिखने वाला पेशेवर व्यक्ति। काव्य की एक उपाधि।
मुंशीखाना - (अर.) (अर.+फ़ा) - मुंशियों के लिए (कचहरी के बाहर) बैठने का स्थान।
मुंशीगिरी,मुंशीगीरी - (अ.+फा.) - अर्जियाँ लिखने का काम, मुहर्रिरी।
मुंसिफ - (पुं.) - (अ.) 1. इनसाफ़ या न्याय करने वाला अधिकारी। 2. दीवानी अदालत का एक न्यायकर्ता पदाधिकारी। टि. मुंसिफ की अदालत/ कचहरी जो तहसील स्तर पर काम करती है।
मुँगरी - (स्त्री.) (तद्.<मुद्गर) - 1. काठ की मोंगरी जिससे ठोकने-पीटने का काम लिया जाता है। 2. काठ का छोटा हथौड़ा। 3. कपड़े धोने-पीटने के काम आने वाली लंबी, चपटी और मूठ वाली लकड़ी की फट्टी (बैट के आकार की) पुं. मुँगरा (मोंगरा)
मुँगौरी - (स्त्री.) (तद्.) - मूँग की बनी हुई बरी। बहु. मुँगौरियाँ। पर्या. मँगौड़ी, मुँगौड़ी। टि. मूँग की दाल को भिगोकर, पीसकर और गोल आकार की छोटी-छोटी बरियाँ बनाकर सुखा लिया जाता है। बाद में आवश्यकतानुसार तलकर या सब्जी के रूप में उसे खाया जाता है। या मूँग की दाल भिगो-पीसकर पकौड़े की तरह तलकर भी खाया जाता है।
मुँडेरा - (पुं.) (दे.) - छत के चारों तरफ की छोटे आकार की दीवार जो गिरने से बचने के लिए खींची जाती है।
मुँदना अ.क्रि. - (तद्.<मुद्रण) - खुली रहने वाली या किसी खुली हुई वस्तु का बंद हो जाना, ढक जाना। जैसे: आँखें मुँद गारे। गोरे से छेद मुँद गया।
मुँह - (पुं.) (तद्.<मुख) - शरीर का वह अंग जिससे जीवित प्राणी भोजन करते हैं और बोलते हैं। उसके अंदर जीभ, मूर्धा, तालू, दाँत, स्वर-तंत्र होते हैं। मुहा. मुँह मीठा करना-शुभ अवसर पर मिठाई आदि खाना। मुँह चिढ़ाना-किसी का मज़ाक उड़ाना। मुँह काला करना-कोई बुरा कार्य करना। मुँह छुपाना-लज्जित होना। मुँह में खून लगना-बुरे काम का चसका लगना। मुँह में पानी भर आना-ललचाना। मुँह मोड़ना-(किसी से) विरक्त हो जाना। मुँह लटकाना-लज्जित होना उदास/ मायूस/निराश होना।
मुँहकाला - (पुं.) (देश.) - 1. समाज में घृणित या अमर्यादित आचरण से होने वाली बदनामी। जैसे: उसे मुँह काला करके गाँव से निकाल दिया गया। 2. व्यमिचार जैसे: उसने नौकरानी के साथ अपना मुँह काला किया।
मुँहछुआई - (स्त्री.) (देश.) - 1. मुँह छूने का कार्य। 2. (लाक्ष.) किसी अतिथि इत्यादि केवल एक बार औपचारिकता से थोड़े शब्दों में हाल-चाल पूछना या जलपान के लिए कहना, (हृदय से या दिली भावना से नहीं)।
मुँहजबानी क्रि.वि./वि. - (वि./वि.) (.फा.) - 1. जो केवल मुँह से मात्र कह दिया गया हो, मौखिक रूप से। उदा. मुझे पूरी कथा मुँहजबानी याद है। 2. ऊपरी, दिखावटी।
मुँह-फट - (वि.) (देश.) - शा.अर्थ मुँह का फटा, फटे मुँह वाला। ला.अर्थ किसी भी प्रकार की विशेष रूप से अनुचित बात बिना किसी हिचकिचाहट के कह देने वाला। offensively out-spoken
मुँहमाँगा [मुँह (से)+ माँगा] - (वि.) (तद्.) - मुँह से माँगा हुआ। पर्या. मनोवांछित, मनोनुकूल, इच्छित। उदा. उसकी मुँहमाँगी मुराद पूरी हुई।
मुआयना/मुआइना - (पुं.) (अर.< मुआयन:) - 1. किसी विषय या चीज़ को गौर से देखना, निरीक्षण। 2. किसी विद्यालय, कार्यालय, विभाग आदि के कार्यों की जाँच-पड़ताल करना। जैसे: कक्षा का मुआयना।
मुआवज़ा - (पुं.) (अर.) - वह धनराशि जो किसी प्रकार से होने वाली हानि के बदले के रूप में दी जाए या वसूल की जाए। बदला, हर्जाना, हरजाना, क्षतिपूर्ति। compensation
मुकदमा - (पुं.) (अर.< मुकद्दम:) - दो पक्षकारों के बीच उत्पन्न विवाद जिसे न्यायालय के निर्णय द्वारा सुलझाया जाए। case, litigation, law suit
मुकद्दर - (पुं.) - (अ.) भाग्य, किस्मत, तकदीर। उदा. तुम्हारा मुकद्दर अच्छा था जो उस भयंकर दुर्घटना के बाद भी बच गए।
मुकम्मल - (वि.) (अर.) - 1. संपूर्ण, सर्वांग परिपूर्ण; जैसे: मकान मुकम्मल तरीके से बन गया। 2. साबुत, अखंड। 3. समाप्त (पूरा हो जाना)। जैसे: जलसा मुकम्मल हो गया।
मुकरना अ.क्रि. - (देश.) - पहले कोई बात कहकर या काम करके फिर यह कहना कि मैंने ऐसा नहीं कहा था। पर्या. नटना।
मुक़र्रर - (वि.) (अर.) - नियुक्त। उदा. इस कंपनी में अब दो नए कर्मचारी मुक़र्रर किए गए हैं।
मुकाबला - (पुं.) - (अ.) बराबरी का भाव, लड़ाई, मिलान करके जाँचने का भाव।
मुकाम - (पुं.) (अर.) - 1. ठहरने या खड़े होने की जगह, निवास स्थान, घर, गंतव्य स्थान। 2. परिस्थिति जैसे: हम ऐसे मुकाम पर आ पहुँचे हैं जहाँ से वापिस जाना मुश्किल है।
मुकुट - (पुं.) (तत्.) - एक आभूषण जो सिर पर धारण किया जाता है। देवता, राजा आदि मुकुट धारण करते थे। उदा. 1. आजकल भी विवाहोत्सव पर वर-कन्या भिन्न रूप में मुकुट धारण करते हैं। 2. विश्व-सुंदरी प्रतियोगिता में विजेता को मुकुट पहनाया जाता है।
मुकुल - (पुं.) (तत्.) - 1. कली, अधखिली या खिलती हुई कली। 2. शरीर 3. आत्मा।
मुकुलन - (पुं.) (तत्.) - कली बनने की प्रक्रिया या भाव।
मुकुलित - (वि.) (तत्.) - 1. जिसमें नई कलियाँ आ गयी हों, कलीयुक्त। 2. अधखिला, अधमुँहा। जैसे: मुकलित कमल।
मुक्का - (पुं.) (तद्.<मुष्टिका) - 1. किसी पर आघात या प्रहार करने के लिए हाथ की अंगुलियों की बँधी हुई मुट्ठी। 2. घूँसा। जैसे: मुक्केबाज़ी की प्रतियोगिता।
मुक्त - (वि.) (तत्.) - 1. स्वतंत्र किया हुआ, छोड़ा गया, बंधनरहित, खुला हुआ। 2. मोक्ष-प्राप्त। विलो. बद्ध।
मुक्तहस्त - (वि.) (तत्.) - 1. खुले हाथों (दान या व्यय करने वाला)। जैसे: वह मुक्तहस्त से गरीबों को धन और वस्त्र देता है। 2. उदार। उदा. वह मुक्तहस्त व्यक्ति है।
मुक्ति - (स्त्री.) (तत्.) - 1. बंधनरहित होने की स्थिति या भाव relief दायित्व से मुक्त होने का भाव। 2. स्वतंत्रता, आजादी, स्वच्छंदता। independence 3. मोक्ष। salvation
मुक्तिवाहिनी - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ मुक्ति दिलाने वाला। सा.अर्थ स्वतंत्रता-प्राप्ति या समाज- उद् धार के उद् देश्य से गठित सशस्त्र जनसमूह (सेना)।
मुक़्ती - (पुं.) (अर.<मुक़ीत) - खिलजी और तुगलक शासकों के काल के वे सेनानायक जो कानून व्यवस्थाएँ भीसँभालते थे। पर्या. इक्तादार, इक्तेदार, इक्तादार। दे. ‘इक्ता’।
मुख गुहिका - (स्त्री.) (तत्.) - (कशेरुकियों में) मुख के भीतर का गुफानुमा स्थान जहाँ दाँत, जीभ और लार ग्रंथियाँ होती हैं तथा भोजन ग्रहण किया जाता है, लार से सनता है और ग्रास नली में पहुँचाया जाता है। buccal or mouth cavity
मुखड़ा - (पुं.) (तद्.) - चेहरा। उदा. दर्पण में अपना मुखड़ा तो देखो। पत्र. किसी समाचार के सार या मुख्य अंश को प्रमुखता से व्यक्त करने वाला प्रारंभिक अनुच्छेद जो प्राय: काले या बड़े अक्षरों में योजित होता है। पर्या. आमुख inproduction
मुखबि़र - (पुं.) (अर.<मुख़्बिर) - शा.अर्थ विशेष खबर देने वाला। 1. पुलिस को गुप्त रूप से अपराधियों से संबंधित विशेष खबरें देने वाला व्यक्ति, भेदिया, जासूस।
मुखमंडल - (पुं.) (तत्.) - ललाट, आँख, नाक, कान, ओष्ठ आदि मुख के सभी अंगों का सामूहिक नाम, चेहरा। उदा. सुखद समाचार सुनकर उसके मुखमंडल की आभा देखने योग्य थी।
मुखर - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ अनावश्यक रूप से अधिक बोलने वाला, वाचाल; कटु बोलने वाला। ला.अर्थ. 1. बोलता हुआ सा। जैसे: प्रकृति मानो मुखर हो गई। 2. मुख्य, अग्रणी, स्पष्ट एवं सटीक वक्ता। जैसे: लोकमान्य तिलक मुखर वक्ता थे।
मुखरता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. मुखर होने का भाव/अवस्था/गुण। 2. वाचलता। उदा. बहुत दिनों के बाद आज उसकी वाणी मुखरित हुई।
मुखरित - (वि.) (तत्.) - शा.अ. ध्वनित, उच्चरित शब्दायमान, जिसमें से कोई ध्वनि निकल रही हो। ला.अर्थ. बोलता हुआ-सा, बोलने वाला। 1. ध्वनियुक्त, ध्वनि करता हुआ, शब्द करता हुआ। जैसे: कोकिल मुखरित यह उपवन। 2. स्पष्ट (शब्दों वाला) जैसे: यह था उनका मुखरित संदेश।
मुखाग्नि [मुख+अग्नि] - (स्त्री.) (तत्.) - 1. पुत्र या अन्य संबंधी लोगों के द्वारा चिता पर लिटाए गए शव को सर्वप्रथम दी जाने वाली अग्नि जिससे चिता जलती है। 2. अंत्येष्टि संस्कार की एक प्रथा या रीति। जैसे: सनातन मान्यता के अनुसार अंतत्येष्टि में पिता के शव को मुखाग्नि उसका पुत्र ही देता है।
मुख़ातिब - (वि.) (अर.) - जो सामने से बात करता हो, संबोधन करने वाला, मुखातिब होना। जैसे: वह अतिथि से मुख़ातिब होते हुए बोले। अ.क्रि. सामने होना, सम्मुख होना सामने होकर बात करना।
मुख़ातिब होना अ.क्रि. - (अर.) - प्रवृत्त होना। (किसी से बातचीत करने के लिए उसकी ओर)
मुखारी - (स्त्री.) (तद्.>मुख) - 1. किसी वस्तु का ऊपर वाला या सामने वाला भाग जो उसकी पहचान होता है। 2. दाँतों को साफ करने के लिए नीम या बबूल आदि की छोटी हरी टहनी, दातून, दातौन। जैसे: गाँवों में अभी भी अधिकतर लोग नीम या बबूल की मुखारी से दाँत साफ करते हैं।
मुखिया - (पुं.) (तद्.) - 1. किसी भी कार्य का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति, प्रमुख, प्रधान, अगुआ। 2. किसी गाँव, पंचायत, दल आदि का सबसे प्रमुख व्यक्ति।
मुखौटा - (पुं.) (तद्.) - 1. मुख का आवरण; भिन्न रूप प्रदर्शित करने के लिए मुख पर लगाई जाने वाली कागज, प्लास्टिक, धातुपत्र आदि की बनी आकृति विशेष। जैसे: नाटकों में या रामलीला में प्राय: राक्षस, वानर आदि के मुखौटे लगाए रहते हैं। 2. धातु आदि से निर्मित चेहरे के आकार का वह स्वरूप जो देवी-देवताओं की मूर्तियों के मुख पर लगाया जाता है, चेहरा। 3. (ला.) भावानुकरण द्वारा दूसरों को प्रभावित करने का साधन। जैसे: साधु का मुखौटा बना हुआ यह वास्तव में राक्षस ही है।
मुख़्तसर - (वि.) (अर.) - संक्षिप्त।
मुख़्तार - (पुं.) (अर.) - 1. किसी व्यक्ति के प्रतिनिधि के रूप में काम करने का कानूनी अधिकार प्राप्त व्यक्ति। 2. अदालत के कार्यों के लिए वकीलों के समकक्ष कार्य कर सकने वाला व्यक्ति।
मुख्तारनामा - (पुं.) (अर.+फा.) - विधि. मुख्तार के रूप में काम करने का एक कानूनी अधिकार-पत्र। अभिकर्ता-पत्र। टि. अंग्रेजी राज्य के काल में वकालत की मान्य डिग्री न होने पर भी मुख्तार वकीलों के काम करते थे। टि. अंग्रेजी राज्य यह व्यवस्था अब समाप्त हो चुकी है।
मुख्य - (वि.) (तत्.) - शा.अर्थ मुख के समान उच्च या श्रेष्ठ 1. प्रमुख, प्रधान, श्रेष्ठ, सबसे बड़ा principal 2. अपने विभाग का मुखिया। chief पु. तत्. मुखिया, अग्रणी।
मुख्यत: क्रि.वि. - (वि.) (तत्.) - मुख्य रूप से, प्रधानत:, विशेष रूप से, खास तौर पर।
मुगदर/मुग्दर - (पुं.) (तद्.) - भारी मुँगरी का वह जोड़ा जिसका उपयोग पहलवान लोग व्यायाम के लिए करते हैं और अपने दोनों हाथों से उन्हें उठाकर गोलाकार घुमाते हुए भाँजते हैं। इस अभ्यास से हाथ और छाती मजबूत होते हैं।
मुगल - (पुं.) - (तुर्की.<मुग़ुल) 1. मंगोलिया से आए हुए मुस्लिम आक्रमणकारियों की एक जाति (उस जाति का प्रथम शासक बाबर था। मुगलों ने सोलहवीं शताब्दी से अठारहवीं शताब्दी तक लगभग दो सौ वर्षों तक भारत पर शासन किया।) 2. उक्त जाति का कोई व्यक्ति।
मुगालता - (पुं.) (अर.<मुग़ालत:) - वास्तविक स्थिति के भिन्न धारणा। पर्या. भ्रम, भ्रांति, धोखा। उदा. तुम मुगालते में हो कि ”मैं परीक्षा में प्रथम स्थान पाऊँगा।”
मुग्ध - (वि.) (तत्.) - सा.अ. आसक्त, मोहित। शा. अ. जो अपनी सुध-बुध खो बैठा हो।
मुचलका - (पुं.) (अर.) - (तुर्की.<मुचल्का) अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत एक शपथपत्र जिसमें वह उपस्थित होने का वचन देता है। पर्या. स्वीय बंध पत्र।
मुजरा - (पुं.) (अर.<मुज्रा) - 1. बड़ों को किया गया अभिवादन। 2. वेश्या द्वारा किया गया गायन। 3. दी जानी वाली धनराशि में से कुछ काट ली गई राशि।
मुजरिम - (पुं.) (अर.<मुजि़म) - जुर्म करने वाला, अपराधी, दोषी, अभियुक्त।
मुट्ठा - (पुं.) (देश.) - 1. घास, फूस, गेहूँ, चावल आदि का पूला जो हाथ की मुट्ठी से पकड़ा जा सके। 2. सूत आदि का छोटा बंडल/गुच्छा। 3. कागज़ आदि का बँधा हुआ छोटा पुलिंदा जो हाथ में आ सके।
मुट्ठी (स्त्री) - (तद्.<मुष्टि) (वि.) - 1. पाँचों अंगुलियों को मिलाकर बँधी हुई हथेली। बँधी हुई हथेली में आने भर के बराबर वस्तु। जैसे: एक मुट् ठी भर चावल। 2. पकड़, कब्जा। उदा. अब मैच अपनी मुट्ठी में है। एक मुट्ठी में आने योग्य (वस्तु)। उदा. एक मुट्ठी चावल, एक मुट्ठी की चौड़ाई की माप। मुहा. मुट्ठी गरम करना-घूस देना। मुट्ठी में हवा बंद करना-असंभव प्रयत्न करना। मुट्ठी भर-संख्या में थोड़े गिने-चुने। लोको. बंद मुट्ठी सवा लाख की-जब तक रहस्य खुलता नहीं उसमें स्थित वस्तु की बहुमूल्यता का अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
मुठभेड़ - (स्त्री.) (देश.<मुट्ठी + भिड़ना) - टक्कर, सामना। पर्या. दो व्यक्तियों या समूहों/गुटों में लड़ाई, जो थोड़ी देर की हो।
मुताबिक (क्रि.वि.) - (वि.) - के अनुसार। जैसे: मनमुताबिक।
मुताबिक क्रि.वि. - (वि.) (अर.) - अनुसार। उदा. आपकी आज्ञा के मुताबिक कल दिल्ली पहुँच जाऊँगा। वि. अनुरूप; योग्य। उदा. उसके मुताबिक काम उसे मिल गया है।
मुदिता - (स्त्री.) (तत्.) - 1. चित्त की वह अवस्था जिसमें दूसरे की प्रसन्नता देखकर स्वयं में भी हर्ष की अनुभूति होती है। 2. आनंद की भावना। जैसे: वह तो गुण व स्वभाव से साक्षात मुदिता ही है। 3. (दर्श.) योगदर्शन के अनुसार चार वृत्तियों (मुदिता, मैत्री, करुणा, उपेक्षा) में से एक।
मुद्दा - (पुं.) (.फा.) - 1. अभिप्राय, मतलब 2. मुख्य विषय, मुख्य बिंदु। तुल. मामला।
मुद्दात - (स्त्री.) (अर.) - 1. बहुत अधिक समय आपके मामले की मुद्दात बीत गई है। 2. अवधि, मियाद। उदा. आप से मिले मुद् दात हो गई।
मुद्दाई - (पुं.) (अर.) - अदालत में दावा दायर करने या अभियोग उपस्थित करने वाला, वादी। plaintif तु. मुद्दायला।
मुद्दायला/मुद्दालेह - (पुं.) (अर.< मुद्दाआअलेह) - जिस पर दावा दायर किया गया हो। प्रतिवादी deponent
मुद्दालेह - (पुं.) (अर.) - जिस पर दावा किया गया हो, प्रतिवादी। deponent
मुद्रक - (पुं.) (तत्.) - 1. समाचार पत्र, पुस्तक आदि की छपाई का कार्य करने वाला जो छपी हुई वस्तु की सारी बातों के लिए उत्तरदायी होता है। printer
मुद्रांकन - (पुं.) (तत्.) - 1. मुहर से छापना, छपाई। printing 2. मुद्रा (नोट या सिक्के) छापना या ढालना। printing, minting 3. छपी हुई सामग्री के साथ छापने वाले का नाम-पता छापना imprint
मुद्रा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी के नाम की मुहर, छापा stamp, seal 2. अँगूठी, छल्ला, मुद्रिका। ring 3. रुपए-पैसे आदि, सिक्का। currency 4. अंग विन्यास (अंग की कोई विशेष आकृति)। posture
मुद्रिका - (स्त्री.) (तत्.) - 1. नाम या किसी चिह्न से युक्त सोने आदि धातु से बनी अँगूठी। 2. प्राचीन काल में राजा की वह अँगूठी जो प्रामाणिकता की मुहर लगाने के काम आती थी। पर्या. मुहर, मोहर। तद्. मुँदरी।
मुनक्का - (पुं.) (अर.) - 1. वह मेवा जो बीज वाले काले अंगूरों को सुखाकर बनाया जाता है।
मुनाफा - (पुं.) (अर.) - लाभ, नफ़ा, क्रय मूल्य से विक्रय मूल्य की अधिकता। विलो. नुकसान।
मुनासिब - (वि.) (अर.) - उचित, योग्य, वाजिब, ठीक, यथेष्ट, काफ़ी।
मुनि - (पुं.) (तत्.) - मननशील, ऋषि, संन्यासी।
मुनियाँ - (स्त्री.) (देश.) - 1. गौरेया के आकार की छोटी चिड़िया जिसके गरदन में चित्तियाँ होती हैं। 2. रायमुनी नाम की सुंदर छोटी चिड़िया। लालमुनियाँ-वह छोटी सुंदर चिड़िया जिसकी गरदन में लाली दिखाई देती है।
मुनीम - (पुं.) (अर.<मुनबी) - व्यवसायी के यहाँ आय-व्यय का हिसाब लिखने वाला कर्मचारी या लिपिक।
मुफ़लिस - (वि.) (अर.<मुफ़्लिस) - (व्यक्ति) जो धनहीन या अभावग्रस्त हो, दरिद्र, कंगाल।
मुफ़लिसी - (स्त्री.) - दरिद्रता। उदा. अकाल पड़ने पर लोगों को मुफ़लिसी का सामना करना पड़ता है।
मुफ़ीद - (वि.) (अर.) - जो किसी के लिए उपयोगी या लाभकारी हो। पर्या. फ़ायदेमंद, हितकर। जैसे: यह दवा मेरे लिए मुफ़ीद है।
मुफ्त - (वि.) (अर.) - जिसके लिए कोई कीमत न चुकानी पड़े। जैसे: मुफ्त का माल। अव्य. मुफ्त में। 1. बिना कीमत के। 2. बेकार में, बिना मतलब, व्यर्थ, निरुद्देश्य।
मुफ़्तखोर - (पुं.) (अर.फा.) - बिना मेहनत किए बैठे-बैठे दूसरे की कमाई खाने वाला।
मुफ्तखोरी - (स्त्री.) (अर.फा.) - मुफ़्त में सभी चीजें पाने की आदत। उदा. अभी तुम्हारी मुफ्तखोरी की आदत गई नहीं।
मुबारक - (वि.) (अर.) - 1. शुभ, कल्याणकारी, मंगलमय 2. भाग्यवान, खुशकिस्मत पुं. खुशखबरी, सुसमाचार अव्य. बधाई, मुबारकबाद पु. अर. बधाई।
मुबारकबाद - (स्त्री.) (अर.फा.) - 1. किसी के यहाँ शुभ बात या काम होने पर अपनी हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करते हुए शुभकामना व्यक्त करना, बधाई congratulation
मुमकिन - (वि.) (अर.) - संभव, जो हो सकता हो, हो सकने वाला। विलो. नामुमकिन।
मुमकिन - (वि.) (अर.<मुम्किन) - जिसके होने की संभावना हो, जो हो सके, संभव। उदा. मुमकिन है कि वे आज यहाँ भी आएँ।
मुरकना क्रि. - (देश.) - 1. किसी दबाव या चोट आदि के कारण किसी अंग का अचानक मुड़ जाना। जैसे: कल वापस लौटते समय मेरा पैर मुरक गया।
मुरझाना अ.क्रि. - (तद्.<मूर्च्छन) - शा.अर्थ हरी पत्तियों, फूलों आदि का सूखने लगना, कुम्हलाना। ला.अर्थ उदास या सुस्त होना; कमजोर या शिथिल होना।
मुरब्बा - (पुं.) (अर.<मुरब्ब:) - 1. चीनी, गुड़ आदि की चाशनी में पकाया हुआ फलों आदि का पाक जो लंबे समय तक संरक्षित रखा जा सके। जैसे: आँवले या आम का मुरब्बा। 2. चतुर्भुज आकार वाला जमीन का टुकड़ा। square
मुरली - (स्त्री.) (तत्.) - 1. बाँस या किसी धातु से बना, छह या सात छिद्रों से युक्त मुख से फूँकते हुए ओठों से बजाया जाने वाला एक सुषिर वाद् य।
मुराद - (स्त्री.) (अर.) - मन में कुछ पाने की इच्छा, कामना, चाहत। उदा. आपके आशीर्वाद से मेरे बेटे की इंजीनियर बनने की मुराद पूरी हो गई।
मुरेठा/मुरैठा - (पुं.) (देश.) - 1. प्राय: सैनिकों, कृषकों, विद्वानों आदि द्वारा सिर में विशिष्ट घुमावदार शैली में बाँधी जाने वाली एक प्रकार की पगड़ी। 2. सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित एवं वयोवृद्ध लोगों द्वारा सिर में बाधा जाने वाला रेशमी साफा। जैसे: गाँवों में पहले लोग लंबे अंगोछे से कपड़े का मुरैठा बाँधकर चलते थे।
मुर्दनी - (स्त्री.) - (फा.<मुर्दन=मरना) शा.अर्थ मरते समय चेहरे पर दिखाई देने वाले मृत्यु के लक्षण। सा.अर्थ कांतिहीनता, घोर उदासी। मुहा. मुर्दनी छाना। (i) उदासी छा जाना (ii) शोभाहीन होना (iii) भय-चिंता होना। उदा. गृहपति के मरने पर उसके घर में मुर्दनी छा गई।
मुर्दा - (वि.) (फा.<मुर्द:) - मरा हुआ पर्या. मृत, निष्प्राण। ला.अर्थ दुर्बल, कमजोर मुरझाया हुआ। उदा. मुर्दा कौमें जल्दी पराधीन हो जाती हैं। पुं. फा. शव मृत शरीर।
मुर्दाघर/मुरदाघर - (पुं.) (फा.+तद्.) - 1. अस्पताल में वह कमरा जहाँ रोगी की मृत्यु हो जाने पर उसके शव को कुछ समय के लिए सुरक्षित रखा जाता है। 2. शवागार।
मुर्दाघाट - (पुं.) (फा.+तद्.) - 1. नदी या सरोवर के आसपास वह स्थान जहाँ मुर्दे को जलाया जाता है। 2. श्मशान, मुर्दघाट।
मुलजिम - (पुं.) (अर.<मुल्ज़म) - 1. वह व्यक्ति जिस पर कोई दोष आरोपित किया गया हो, अभियुक्त। 2. अपराधी, दोषी।
मुलतवी/मुल्तवी - (वि.) (अर.) - किसी कार्य को कुछ समय के लिए रोक देना, स्थगित। उदा. अध्यक्ष ने आज की बैठक मुल्तवी कर दी।
मुलम्मा - (पुं.) (अर.<मुलम्म:) - 1. किसी वस्तु पर लेपित चाँदी या सोने का पानी (चढ़ाया हुआ) लेपित। उदा. आज बाजार में मुलम्मा चढ़े कई तरह के आभूषण बिकते हैं।
मुलाकात - (स्त्री.) (अर.) - 1. आपस में एक दूसरे से मिलना। 2. व्यक्तियों/प्रतिनिधियों/शिष्टमंडलों की परस्पर भेंट 3. साक्षात्कार।
मुलाजि़म - (पुं.) (अर.) - किसी संस्था या प्रतिष्ठान में नौकरी या सेवा करने वाला वह व्यक्ति जिसे उसके एवज में नियमित वेतन या पारिश्रमिक मिलता है, कर्मचारी, नौकर, सेवक। उदा. सरकार ने अपने मुलाजिमों के लिए अनेक सुविधाओं की घोषणा की।
मुलायम - (वि.) (अर.) - 1. छूने में नरम, सुकुमार, कोमल। 2. हलका, मंद, धीमा, सुस्त।
मुलुक - (दे.) (पुं.) - ‘मुल्क’ अर. 1. देश 2. राज्य, प्रदेश 3. संसार।
मुल्क - (पुं.) (अर.) - एक ऐसा भूक्षेत्र जिसकी भौगोलिक सीमाएँ सुनिश्चित हों तथा जहाँ के निवासियों की सुख-सुविधाओं के लिए सरकार बनी हुई हो। उदा. हमारा मुल्क आज़ाद है। country
मुल्की - (पुं.) (अर.) - 1. देशवासी 2. अपने ही क्षेत्र का/के रहने वाला/वाले।
मुल्ला - (पुं.) (अर.) - 1. मुसलमानों का धर्म-गुरु। 2. मस्जिद में नमाज़ के लिए अज़ान देने वाला।
मुवक्किल - (पुं.) (अर.) - 1. व्यक्ति जो किसी विवाद से संबंधित अपना मुक़दमा वकील के माध्यम से लड़ता है। client शा.अर्थ वकील का आसामी।
मुश्किल - (वि.) (अर.) - जो कठिनाई से हो सके या कठिनाई से समझ में आए। उदा. तुम्हारे लिए कोई काम मुश्किल नहीं है। पर्या. कठिन, क्लिष्ट। विलो. आसान। स्त्री. कठिनाई। उदा. नया धंधा शुरू करने में कई मुश्किलें आती हैं। 2. विपत्ति उदा. मैं आजकल बड़ी मुश्किल में फँस गया हूँ।
मुसली - (स्त्री.) (तद्.<मुशली) - एक प्रकार का पौधा जिसके कंद सफेद या काले होते हैं पत्ते एवं ताड़ के पेड़ जैसे और फूल पीले होते हैं। ये औषधि के काम आते हैं।
मुसाफिर - (पुं.) (अर.) - सफर करने वाला व्यक्ति, यात्री, पथिक, बटोही।
मुसाफिरखाना - (पुं.) (अर.) - यात्रियों के ठहरने का स्थान। 1. सराय, 2. धर्मशाला। 3. रेलवे स्टेशन पर बना यात्रियों के रुकने के लिए बड़ा-सा कमरा।
मुसीबत - (स्त्री.) (अर.) - कष्ट, तकलीफ़, दु:ख; संकट, विपत्ति, आफत।
मुस्कराना अ.क्रि. - (देश.) - बिना दाँत दिखाए हँसना। 1. मंद-मंद हँसना, होठों ही होठों में हँसना।
मुस्कराहट - (स्त्री.) (दे.) - मुस्कराने की क्रिया। मुस्कराना। तुं. हँसना।
मुस्तकि़ल - (वि.) (अर.) - 1. दृढ़ता से युक्त, पक्का जैसे: उसकी बात मुस्तकिल है। 2. जो स्थायी हो। जैसे: उसकी नौकरी मुस्तकिल है।
मुस्तैद - (वि.) (अर.< मुस्तइद्द) - तत्परता से काम करने वाला, कार्य करने हेतु तैयार या तत् पर। पर्या. सुस्ती, आलस्य से रहित। चुस्त, तैयार, तत्पर। सन्नद्ध।
मुस्तैदी - (स्त्री.) (अर.) - मुस्तैद या सन्नद्ध होने का भाव, तत् परता, सन्नद्धता। दे. मुस्तैद।
मुहब्बत/मोहब्बत - (स्त्री.) (अर.<महव्वत) - स्नेह, प्रेम, चाह, आकर्षण, भिन्नता।
मुहर/मोहर - (स्त्री.) (दे.) - (फा.< मुह् र) 1. सील, ठप्पा। दे. 'मुद्रा'। 2. अशरफ़ी-अरब प्रदेश का एक प्राचीन सोने का सिक्का। 3. मध्यकाल में प्रचलित सोने की मुद्रा, जिस पर तौल आदि की प्रामाणिकता सिद् ध करने के लिए तत् कालीन शासक/शासन का ठप्पा लगा रहता था।
मुहरबंद - (वि.) - (फा.मुहर+बंद) कोई पत्र या बंडल जिसके आवरण पर लाख चिपका कर मुहर लगी हो ताकि वही व्यक्ति उसे खोल सके जिसके नाम-पते पर उसे भेजा गया हो। उदा. यह मुहरबंद लिफाफा तुम्हारे नाम है, तुम्हीं खोलो।
मुहर्रम - (पुं.) (अर.) - 1. अरबी काल गणना (हिजरी संवत) वर्ष का प्रथम मास। इसी माह में इमाम हुसैन शहीद हुए थे जिसके कारण मुसलमान 90 दिन तक शोक मनाते हैं। 2. शोक, मातम।
मुहल्ला/मोहल्ला - (पुं.) (अर.<महल्ल:) - किसी बड़े गाँव, कस्बे या शहर की एक छोटी इकाई जिसे किसी-न-किसी वजह से अलग पहचान मिली हुई हो। उदा. हमारे मुहल्ले में कई शिक्षक रहते हैं।
मुहाना - (पुं.) (तद्.<मुँह) - वह स्थान जहाँ नदी समुद्र में मिलती है। पर्या. नदी मुख। जैसे: गंगा का समुद्र में मिलना=गंगासागर। टि. नदी के मुहाने पर कई धाराओं में बँटा जलोढ़ भूमि का त्रिभुज की तरह दिखाई पड़ने वाला भू-भाग (mouth of the river) डेल्टा कहलाता है।
मुहावरा - (पुं.) (अर.) - भाषा में प्रयोग किया जाने वाला वह चमत्कारपूर्ण वाक्यांश, जिसका अर्थ सरलता से न निकले, बल्कि उसके लिए लक्षणा और व्यंजना का सहारा लेना पड़े। जैसे: अफसर के आगे पूँछ हिलाना, आँख का तारा, अंधे की लकड़ी आदि।
मुहिम - (स्त्री.) (अर.) - 1. युद्ध के लिए की जाने वाली सैनिक कार्यवाही। 2. छेड़ा गया कठिन काम। 3. युद्ध/संग्राम। जैसे: शत्रुदल से युद्ध के लिए सेना की मुहिम चल रही है।
मुहूर्त - (पुं.) (तत्.) - 1. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार निकाला हुआ वह दिन और समय जब कोई शुभ कार्य किया जाए। 2. दिन-रात का तीसवाँ भाग। उदा. मेरे भाई का विवाह-मुहूर्त 26 जनवरी को निकला है।
मुहैया - (वि.) (अर.) - उपस्थित; उपलब्ध; तैयार। उदा. कृपया आवश्यक सामग्री मुहैया करवाएँ।
मूँग - (पुं.) (तद्.<मुद्ग) - भोज्य पदार्थों से संबंधित एक प्रसिद्ध अन्न जिसकी दाल बनती है। टि. साबुत मूंग छोटे दाने और हरे छिल्के वाला होता है। इससे दाल, खिचड़ी, मुँगोड़ी, हलवा आदि बनते हैं। मुहा. छाती पर मूँग दलना-किसी व्यक्ति को बहुत परेशान करना।
मूँगफली - (स्त्री.) (तद्<भूमिफल) - बादाम जैसे स्वाद वाला एक खाद् य फल जो ज़मीन के अंदर होता है और जिसका तेल तलने आदि के काम आता है।
मूँगा - (पुं.) (देश.) - 1. लाल, गुलाबी रंग का वह कीमती रत्न या पत्थर जो समुद्र से कोरेल नामक लघुकीटों के अवशेषों से मिलता है। 2. जीव. उष्णकटिबंधीय सागरों में पाया जाने वाला चूना स्रावी एक छोटा अकशेरूकी जीव या इसके कंकालों का पुंज। coral पर्या. प्रवाल, विद्रुम।
मूँछ - (स्त्री.) (तद्.<श्मश्रु) - वयस्क पुरुषों के ऊपर वाले होंठ पर उगने वाले बाल। टि. पुरूषों की मूँछे पौरूष का लक्षण मानी जाती है। मुहा. मूँछ मुड़वाना-हार मान लेना। मूँछ का बल-किसी के घर का बहुत सम्मान योग्य व्यक्ति।
मूँजी - (वि.) (देश.) - कठिनाई से खर्च करने वाला, कृपण, कंजूस। दे. ‘कृपण’।
मूँड़ - (पुं.) (तद्<मुण्ड) - गले से ऊपर वाला शरीर का पूरा अंग, खोपड़ी, सिर। मुहा. मूँड़ मुड़ाना-सिर मुँडवाकर संन्यासी हो जाना।
मूँड़ना स.क्रि. - (तद्.<मुण्डन) - 1. उस्तरे से सिर के बाल साफ़ कर देना। 2. ठगना। उदा. उसने मुझे बेवकूफ बनाकर एक हजार रुपये मूंड़ लिए।
मूँदना स.क्रि. - (तद्.<मुद्रण) - बंद करना, ढक देना। जैसे: 1. तेज रोशनी से बचने के लिए पलकों/आँखों को बंद करना। 2. गड्ढे को मिट्टी से ढक देना। उदा. नींद में हमारी पलके मूंद जाती हैं।
मूक - (वि.) (तत्.) - जो बोल न पाता हो। उदाहरण-भारतीय सिनेमा का सफ़र मूक फिल्मों से शुरू हुआ। पर्या. गूँगा। ला.अर्थ विवश लाचार।
मूढ़ - (वि.) (तद्.<मुग्ध) - जो सोच-विचार की शक्ति से रहित हो, जड़बुद्धि। जैसे: मूढ़ मनुष्य।
मूढ़ता - (स्त्री.) (तद्.) - मूढ़ होने की अवस्था या भाव, अज्ञानता। दे. मूढ़।
मूत - (पुं.) (तद्<मूत्र) - दे. ‘मूत्र’, ‘पेशाब’।
मूरत - (स्त्री.) (तद्.) - दे. ‘मूर्ति’।
मूर्ख - (वि.) (तत्.) - जिसमें कम बुद्धि हो, कम बुद्धि वाला, मंदबुद्धि, नासमझ। पर्या. मूढ़, बेवकूफ। पुं. मूर्ख व्यक्ति। विलो. बुद्धिमान।
मूर्खता - (स्त्री.) (तत्.) - मूर्ख का कार्य, मूर्ख होने का भाव। पर्या. नासमझी, मूढ़ता, बेवकूफी।
मूर्च्छा/मूर्छा - (स्त्री.) (तत्.) - किसी रोग, भय, शोक आदि से उत्पन्न वह शारीरिक अवस्था जिसमें प्राणी चेतनाविहीन/बेहोश हो जाता है। पर्या. बेहोशी, अचेतनता।
मूर्च्छित - (वि.) (तत्.) - जिसे मूर्च्छा आई हो, बेहोश, अचेत।
मूर्तरूप क्रि.वि. - (वि.) (तत्.) - अपनी कल्पना, विचारों, सिद्धांतों, योजनाओं आदि को इस प्रकार प्रस्तुत या कार्यान्वित करना, जिससे वे साकार होती सी लगें। उदा. उसने अपनी कविता में अपने विचारों को मूर्तरूप दिया है।
मूर्ति - (स्त्री.) (तत्.) - किसी की बाह् याकृति के अनुरूप बनाई गई मिट् टी, पत्थर या धातु की प्रतिमा।
मूल - (पुं.) (तत्.) - 1. पेड़-पौधों का वह पत्र-पुष्प विहीन भाग जो धरती के नीचे दबा रहता है और भीतर से ही जल तथा पोषक लवण का अवशोषण करता रहता है एवं पेड़-पौधे को धरती पर स्थिर रखने में मदद करता है। पर्या. जड़ root 2. असली धन जो किसी व्यावसायिक कार्य में लाभार्जन हेतु लगाया जाता है। पर्या. मूलधन, पूँजी। principal, capital
मूलग्रंथिका - (स्त्री.) (तत्.) - फलीदार (या शिंबीय) और कुछ गैर-फलीदार (या अशिंबीय) पौधों की जड़ों पर बनी गोल उभरी सरंचनाएँ जिसमें नाइट्रोजन, स्थिरीकारक जीवाणु होते हैं। दे. ‘ग्रंथिक’। module = root module
मूलत: क्रि.वि. - (वि.) (तत्.) - 1. मूल रूप से, प्रारंभिक रूप से, मुख्य रूप से। जैसे: वह मूलत: भारतीय है। 2. चौकीदार में ‘दार’ शब्द मूलत: फारसी का है।
मूलधन - (पुं.) (तत्.) - ब्याज पर दी गई वह मौलिक धनराशि जिस पर ब्याज की गणना की जाती है। principal amount
मूलभूत - (वि.) (तत्.) - आधार-स्वरूप, बुनियादी, जो प्रारंभ से ही आवश्यक हो। उदा. भोजन, आवास आदि मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराना सरकार का प्रथम कर्त्तव्य है।
मूलमंत्र - (पुं.) (तत्.) - मुख्य साधन, कुंजी। उदा. परिश्रम ही सफलता का मूलमंत्र है।
मूलरोम - (पुं.) (तत्.) - बहु. (तत्.) कोमल जड़ों की बाहरी कोशिकाओं के पतले नलिकादार (उद्वर्ध) बढ़े हुऐ भाग जो मिट्टी से पानी तथा लवणों का अवशोषण करते हैं। (root hair)
मूल्य - (पुं.) (तत्.) - वस्तु के बदले दिया जाने वाला धन। दाम, कीमत price उपयोगिता। उदा: गुंडाराज में विद् वत्ता का कोई मूल्य नहीं होता। value मनुष्य के वे आवश्यक सद्गुण या चारित्रिक गुण जिनके कारण उसका महत्व समझा जाता है और उसके मान-सम्मान में वृद्धि होती है। जीवनमूल्य value मनुष्य में वे आवश्यक सद्गुण या चारित्रिक गुण जिसके कारण उसका महत्व समझा जाता है, उसके मान-सम्मान में वृद्धि होती है। Value
मूल्यन - (पुं.) (तत्.) - किसी वस्तु की कीमत या मूल्य आंकना या तय करना। दे. ‘मूल्यांकन’ valuation
मूल्यवान - (वि.) (तत्.) - अधिक मूल्य वाला। पर्या. कीमती, बहुमूल्य। विलो. सस्ता। तु. अमूल्य जिसकी कीमत का अंदाजा लगाना कठिन हो।
मूल्यांकन [मूल्य+अंकन] - (पुं.) (तत्.) - मूल्य आँकने (निश्चित करने) की क्रिया या भाव, परीक्षण। evaluation दे. ‘मूल्यन’।
मूल्यांकित [मूल्य+अंकित] - (वि.) (तत्.) - 1. जिसका मूल्य निर्धारित हो चुका हो, जिसका मूल्यांकन किया जा चुका हो। 2. जिस वस्तु या सामग्री पर मूल्य अंकित हो।
मूस - (पुं.) (तद्.<मूष/मूषक) - चूहा, एक छोटा स्तनधारी प्राणी जो घर, खेत, जंगल एवं रेगिस्तान सर्वत्र पाया जाता है। यह घर में कपड़े, भोजन-सामग्री एवं खेतों में फ़सल को बहुत हानि पहुँचाता है। उसकी अन्यतम विशेषता उसके दाँतों का निरंतर बढ़ना है, जिसके नियंत्रण के लिए यह स्वभावत: (अकारण) चीजों को कुतरता रहता है। Mouse, rat
मूसल - (पुं.) (तद्.) - ऊखल में धान, जौ एवं दालों से छिलके अलग करने की प्रक्रिया में कूटने के काम आने वाला लंबा, मोटा लकड़ी का डंडा।
मूसलाधार [मूसल+धार] - (वि.) (तद्.) - मोटी-मोटी धाराओं जैसी (वर्षा) धाराप्रवाह (वर्षा), धुँआधार।
मृगछाला - (स्त्री.) (तद्.) - हिरन की खाल। पर्या. मृगचर्म। टि. हिरन की खाल को पवित्र मानते हैं, इसे प्राचीन काल में ऋषि-मुनि बैठने के लिए आसन के रूप में प्रयोग में लाते थे।
मृगतृष्णा - (स्त्री.) (तत्.) - रेगिस्तान में सूर्य की तेज किरणों के पड़ने से रेत में लहराता जल दिखने का भ्रम। मृग उसे ही जल समझकर अपनी प्यास बुझाने के लिए व्यर्थ भागता रहता है, पर उसे पानी नसीब नहीं होता। पर्या. मृगमरीचिका, मृगतृष्णा, मृगजल। mirage
मृगदाव - (पुं.) (तत्.) - 1. वह वन जो शिकार करने के योग्य पशुओं से भरा हो अथवा जिस वन में शिकार के योग्य पर्याप्त पशु पाए जाते हों। 2. हिरनों के लिए बना अभयारण्य जहाँ शिकार न हो सकने के कारण हिरनों की संख्या अधिक हो। deer park
मृगनयनी - (वि.) (तत्.) - हिरनी के समान सुंदर और चंचल नेत्रों वाली स्त्री। पर्या. मृगाक्षी, मृगलोचनी।
मृगशावक - (पुं.) (तत्.) - हिरन का बच्चा।
मृणमूर्ति [मृत=मिट्टी+मूर्ति] - (स्त्री.) (तत्.) - मिट्टी की बनी हुई मूर्ति।
मृत - (वि.) (तत्.) - मरा हुआ। विलो. जीवित।
मृतक - (पुं.) (तत्.) - 1. मृत देह, शव, मुर्दा; जिसकी अभी-अभी मृत्यु हुई हो, जो मर चुका है, मरा हुआ प्राणी। जैसे: मृतक का नाम बतलाइए।
मृतजीवी - (वि.) (तत्.) - 1. मृत अथवा सडे़-गले कार्बनिक पदार्थों से पोषण प्राप्त करने वाला पादप। saprophyter 2. सड़े-गले जैव पदार्थों पर जीवित रहने वाला या उनसे पोषण प्राप्त करने वाला प्राणी।
मृतसागर - (पुं.) (तत्.) - इज़रायल और जॉर्डन देश के मध्य में स्थित नमक का सागर, जिसकी लंबाई लगभग 74 कि.मी. और चौड़ाई लगभग 16 कि.मी है। इसके जल का स्तर समुद्र के जलस्तर से लगभग 390 मीटर नीचे है। टि. उसकी विशेषता यह है कि उसमें नमक की मात्रा इतनी अधिक होती है कि उसमें आराम से लेटे मृतक की तरह तैर सकते हैं। इसके एक लीटर पानी में 300 ग्राम नमक मिलता है। इसमें कोई जीव नहीं पाया जाता। dead sea
मृत्यु - (स्त्री.) (तत्.) - 1. जीवन की समाप्ति, प्राण चले जाने का भाव और आत्मा का वियोग। पर्या. मरण, मौत। 2. मृत्यु के देवता, यम, काल। मुहा. मृत्युशय्या पर होना-मृत्यु का समय निकट होना।
मृत्युदंड - (पुं.) (तत्.) - अपराधी को न्यायाधिकरण द्वारा दी जाने वाली मौत की सज़ा। फाँसी की सज़ा, वधाज्ञा, सूली पर चढ़ाने की आज्ञा।
मृत्युदर - (स्त्री.) (तत्.+देश) - देश की कुल जनसंख्या के अनुपात में में एक हजार व्यक्तियों की तुलना में मरने वालों की संख्या। death rate तु. जन्मदर।
मृत्युभोज - (पुं.) (तत्.) - हिंदू परंपरा के अनुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद प्राय: 12 दिन बीत जाने पर दिया जाने वाला सार्वजनिक भोजन।
मृदंग - (पुं.) (तत्.) - कर्नाटक संगीतशैली का दो मुखों वाला एक(घन) वाद् य यंत्र जो मिट्टी या लकड़ी आदि का बना होता है तथा दोनों मुख चमड़े से मंढ़े हुए और चमढ़े के तस्मों से कसे होते हैं। उदा. बाजत ढोल मृदंगा। पर्या. पखावज।
मृदा - (स्त्री.) (तत्.) - सा.अर्थ मिट्टी। वन. विच्छेदित शैल, जैव पदार्थ, लवण आदि के मिश्रण से बना हुआ भूपटल का ऊपरी स्तर जिसमें पादप (वनस्पति) उगते हैं। soil
मृदा अपरदन - (पुं.) (तत्.) - कृषि के योग्य भूमि की परत का बाढ़ अथवा वनों, पेड़ों आदि की कटाई के कारण पानी के प्रवाह के साथ बह जाना। टि. इस बहने वाली मिट्टी के साथ विभिन्न प्रकार के तत् व, लवण एवं खनिज आदि भी बह जाते हैं जिससे भूमि की उर्वरता कम हो जाती है। soil erasion
मृदा आवरण - (पुं.) (तत्.) - भूमि का ऊपरी उपजाऊ भाग या परत।
मृदानी - (स्त्री.) (तत्.) - शिव की पत्नी पार्वती, रुद्राणी।
मृदु/मृदुल - (वि.) (तत्.) - जो छूने पर कोमल, लगे यानी कठोर व तीखा न हो। पर्या. कोमल, मधुर, मुलायम, नर्म/नरम। विलो. कठोर।
मृदुलता - (स्त्री.) (तत्.) - शा.अर्थ मृदु होने का भाव। सा.अर्थ कोमल होने का भाव, कोमलता।
मृद् भांडा (मृत्+भांड) - (पुं.) (तत्.) - मिट्टी का बरतन/बर्तन (घड़ा इत्यादि)
मेंड़ - (स्त्री.) - खेत के चारों तरफ सीमा-निर्धारण एवं सिंचाई के समय पानी को बहने से रोकने के लिए बनाई गई मिट् टी की थोड़ी ऊँची सीमा रेखा। Hedge
मेंढक़/मेंढक - (पुं.) (तद्.<मण्डूक) - वह छोटा जन्तु जो पृथ्वी पर भी रहता है किंतु ज्यादातर पानी में। यह फुदक-फुदक कर चलता है तथा बरसात में टर्र-टर्र की आवाज़ करता है। प्राणि. कई पुच्छहीन जल-स्थलचरों (उभयचरों) में से कोई एक जिसकी त्वचा चिकनी होती है और टाँगें कूदने के लिए लंबी विकसित हुई होती हैं। मुहा. कुएँ का मेंढक़ (कूप मंडूक)=अत्यंत सीमित ज्ञान वाला व्यक्ति।
मेकअप/मेकप - (पुं.) - (अं.) 1. महिलाओं या कलाकारों के लिए बनाव-श्रृंगार या रूप-सज्जा के रूप में प्रयुक्त होने वाली वह सामग्री जो उन्हें अधिक आकर्षक व सुंदर बनाती है। जैसे: लिपस्टिक, अंगराग, पाउडर, नेत्रराग आदि। पर्या. श्रृंगार सामग्री, प्रसाधन। 2. इन साधनों का प्रयोग। cosmetic
मेखला - (स्त्री.) (तत्.) - 1. किसी शरीर के मध्य भाग (कमर) को चारों तरफ से घेरने वाली डोरी, श्रृंखला। पर्या. करधनी। 2. पर्वत का मध्यभाग। टि. प्राय: महिलाएँ तथा बच्चे आभूषण के रूप में सोने या चाँदी की करधनी पहनते हैं।
मेघाच्छन्न [मेघ+आच्छन्न] - (वि.) (तत्.) - बादलों से घिरा हुआ या ढका हुआ।
मेज़बान - (पुं.) (फा.) - वह व्यक्ति या देश जो अपने यहाँ आगत अतिथियों/मेहमानों का आतिथ्य-सत्कार करे। उदा. निर्गुट शिखर सम्मेलन के भारत मेज़बान देश रहा है।
मेज़बानी - (स्त्री.) - आतिथ्य, मेहमान-नवाज़ी।
मेट्रो [मेट्रो-पोलिटन की संक्षिप्ति] - (पुं.) - (अं.) 1. महानगर। Metro 2. कुछ महानगरों में जमीन के अदर चलने वाली रेलवे पद् धति जैसे पेरिस, दिल्ली, कोलकाता आदि शहरों में। 3. दिल्ली में मेट्रो वह रेलपद् धति है जो जमीन के नीचे तथा ऊपर (खंभों के ऊपर) भी चलती है।
मेडल - (पुं.) - (अं.) सामान्यत: गोल आकार का सोने, चाँदी, काँस्य आदि धातु का तमगा जो किसी विशेष कार्य करने वाले व्यक्ति को सम्मानित करने के लिए सरकार या संस्था द्वारा दिया जाता है। पर्या. पदक, तमगा।
मेध - (पुं.) (तत्.) - 1. किसी विशेष प्रयोजन से वेदी-कुंड आदि से युक्त स्थल पर अग्नि में हवनीय द्रव्यों से किया जाने वाला यज्ञ। जैसे: अश्वमेध, नरमेध आदि। 2. वैदिक परंपरा के अनुसार यज्ञ से संबंधित पशु।
मेधा - (स्त्री.) (तत्.) - 1. बुद्धि को स्थायी रूप से धारण करने की शक्ति। 2. प्राप्त ज्ञान को ठीक तरह से याद रखने की शक्ति। intellect तु. बुद्धि।
मेधावी - (वि.) (तत्.) - मेधा से युक्त, मेधावान। intellectnal
मेमना - (पुं.) (देश.<में-में करने वाला) - भेड़ या बकरी का बच्चा। स्त्री. मादा मेमना।
मेल - (पुं.) (तत्.) - 1. दो या अधिक वस्तुओं, लोगों आदि के परस्पर मिलने का भाव या अवस्था। पर्या. मिलन, मिलाप, संयोग। उदा. उत्सव में कई लोगों का मेल-मिलाप हो जाता है। अं. 2. पत्र-पार्सल आदि भेजने की प्रक्रिया, डाक। mail 3. रेलगाड़ी जो यात्रियों के साथ-साथ डाक भी ले जाती है। पर्या. डाकगाड़ी। mail train
मेला - (पुं.) (तद्.<मेलक) - किसी तीर्थ स्थान, नदी, प्रसिद्ध देवालय आदि के पास पावन पर्व के अवसर पर किसी निश्चित दिन या निश्चित अवधि में होने वाला असंख्य मनुष्यों का धार्मिक/व्यापारिक दृष्टि से एकत्रीकरण। जैसे: गंगा-मेला, कुंभ-मेला, दीवाली मेला, पुस्तक मेला आदि।
मेलामाइन - (पुं.) - (अं.) एक उत्तम प्रकार का प्लास्टिक जिससे क्रॉकरी आदि के बरतन बनते हैं। Melamine
मेवा - (पुं.) - 1. सूखा फल। (बादाम, किशमिश, पिस्ता, काजू आदि) 2. उत्तम खाद्य पदार्थ। उदा. करो सेवा, मिले मेवा। (लोकोक्ति)
मेहँदी - (स्त्री.) (तद्.) - एक झाड़ी, हथेली, पैर के तलवों, बालों आदि को रँगने के लिए इसकी पत्तियों को पीसकर लगाया जाता है। मुहा. मेहँदी रचाना-रँगने के लिए मेंहदी का प्रयोग करना। मेहँदी रचना-हथेली, तलवे आदि पर मेहंदी का रंग आना।
मेह - (पुं.) (तद्.<मेघ) - बादल, बरसने वाला बादल, वर्षा।
मेहनत - (स्त्री.) (अर.) - कष्टपूर्ण (मुख्यत: शारीरिक) श्रम, कोशिश, उद् योग, परिश्रम।
मेहनतकश - (वि.) (अर.) - 1.मेहनत करने वाला,परिश्रम करने वाला।2. शारीरिक परिश्रम के बल पर रोजी-रोटी कमाने वाला। पर्या. मजदूरी,श्रमिक।
मेहनताना - (पुं.) (अर.) - मेहनत के बदले दी जाने वाली धनराशि, पारिश्रमिक, मज़दूरी, डॉक्टर-वकील आदि की फ़ीस।
मेहमान - (पुं.) (फा.) - दे. ‘अतिथि’।
मेहमानी - (स्त्री.) - आतिथ्य, ‘मेहमानदारी’।
मेहरबान - (वि./पुं.) - (फा.<मेहर) कृपालु, दयावान। उदा. आप तो हम पर मेहरबान हैं।
मेहरबानी - (स्त्री.) (फा.) - कृपा, दया। उदा. आपकी मेहरबानी से ही यह सफल हुआ।
मेहराब - (स्त्री.) (अर.) - 1. दरवाज़े के ऊपर धनुषाकार बनावट 2. दरवाजे, खिडक़ी आदि के ऊपर चिनाई की वह वक्र रचना जो रिक्त स्थान के ऊपर के भार को वहन करने में समर्थ होती है। arch 3. गोल दरवाज़ा।
मेहरी - (स्त्री.) (देश.) - 1. स्त्री, नारी, औरत। 2. पत्नी। उदा. गरीब की मेहरी सबकी भौजाई। टि. ग्रामीण प्रयोग।
मैंग्रोव वन - (पुं.) (तत्.) - भू. समुद्र या नदी के किनारों पर (विशेषकर नदी-मुहानों पर) पनपने वाले ऐसे वृक्षों का समूह जिनकी जड़ें फैली हुई होती हैं और इस प्रकार वे मिट्टी की रक्षा करती हैं तथा इस प्रक्रिया से स्थलीय सीमा का विस्तार होता रहता है। टि. भारत में ऐसे वन पश्चिम बंगाल के सुंदर वन तथा अंडमान, निकोबार के द्वीप समूहों में पाए जाते हैं। ये समुद्र में ज्वार या सुनामी आने पर लहरों की तीव्रता/प्रहार को कम कर देते हैं।
मैच - (पुं.) - (अं.) 1. बराबर का व्यक्ति जोड़, जोड़ीदार। जैसे: विवाह-संबंध में उसका तुम्हारे साथ मैच ठीक रहेगा। 2. जोड़ा, जैसे: कुर्ते-पाजामा का मैच सही है। 3. खेल प्रतियोगिता, जैसे: आज ऑस्ट्रेलिया और भारत का क्रिकेट मैच है। match
मैडल/मेडल - (पुं.) - (अं.) 1. किसी धातु का बना वह मण्डलक/चक्र जो बहादुरी के लिए या किसी विशेष उपलब्धि या महत्वपूर्ण घटना के क्षण में पुरस्कार के रूप में दिया जाता है। 2. धातु का बना गोलाकार विशेष स्मृति चिह् न-मूलक पुरस्कार जो गले में विजयी या श्रेष्ठता प्राप्त व्यक्ति को पहनाया जाता है, पदक। medal
मैत्री - (स्त्री.) (तत्.) - 1. दो या दो से अधिक व्यक्तियों, देशों आदि के बीच समानता, सद् भावना आदि का संबंध। पर्या. दोस्ती। 2. घनिष्ठता/मेल-जोल। उदा. श्रीराम और सुग्रीव की मैत्री प्रसिद्ध है।
मैदा - (पुं.) (फा.) - गेहूँ का अत्यंत बारीक पिसा हुआ आटा। इसका पकवान बनाने में प्रयोग होता है।
मैदान - (पुं.) (फा.) - 1. धरती का वह फैला हुआ क्षेत्र जो लगभग समतल होता है और जहाँ घास पैदा होती है। 2. खेल आदि का खुला स्थान। 3. युद् ध का खुला स्थान। 4. पर्वतीय क्षेत्र के अतिरिक्त प्राय: समतल क्षेत्र। (भूगोल में) मुहा. मैदान मारना-जीतना, सफलता प्राप्त कर लेना। मैदान छोड़ना-हार स्वीकार कर लेना।
मैना - (स्त्री.) (तद्.<मदना) - मधुर स्वर वाली काले रंग की प्रसिद्ध भारतीय चिड़िया। सारिका।
मैया - (स्त्री.) (देश.) - दे. ‘माँ’, ‘माता’, ‘माई’।
मैला - (वि.) (तद्.<मलिन) - जिस पर मैल जमी हो। पर्या. मलिन, अस्वच्छ, गंदा। जैसे: मैला वस्त्र। पुं. 1. विष्ठा, 2. कूड़ा-कर्कट। उदा. सिर पर मैला ढ़ोने की प्रथा अब समाप्त हो गई है।
मोक्ष - (पुं.) (तत्.) - 1. बार-बार जन्म लेने और मरने के बंधनों से छुटकारा, आवागमन से मुक्ति। 2. किसी भी प्रकार के बंधन से छुटकारा। 3. हिंदू धर्म में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चार पुरुषार्थों में से एक। विलो. बंधन।
मोगरा - (पुं.) (तद्<मुद्गर) - 1. फूल प्रजाति का पौधा जिसके फूल गोल, सुंदर, सफेद तथा सुंगधित होते हैं। पर्या. बेला। 2. एक प्राचीन अस्त्र जो लोहे का बना होता था। लौह-मुद्गर।
मोच - (स्त्री.) (देश.) - शरीर के जोड़ों की नसों में चोट या झटके के कारण सूजन आना या उनका अपना स्थान छोड़ देना और इस कारण दर्द होना। strain
मोची - (पुं.) (तद्.<मोचन) - वह कारीगर जो चमड़े के जूते बनाता या ठीक करता है। cobbler
मोट - (स्त्री.) (देश.) - चमड़े से बना चौड़े मुँह वाला विशाल थैला जिसमें कुएँ से पानी भरकर बैलों के द्वारा खींचा जाता है तथा इस प्रकार खेतों की सिंचाई की जाती है। पर्या. गठरी, चरसा, पुर।
मोटा - (वि./पुं.) (तद्.<मुष्ट) - 1. जिसका शरीर स्थूल या मांसल हो। जैसे: मोटा आदमी। fait विलो. पतला। 2. सबल और संपन्न। जैसे: मोटा आदमी-अमीर। 3. साधारण या घटिया। जैसे: मोटा अनाज, मोटा कपड़ा। rough, coarse 4. अनुमानित। मोटा अंदाज rough
मोटा-ताज़ा - (वि.) (तद्.+फा.) - 1. स्थूल या भरे-पूरे शरीरवाला। 2. संपन्न, पैसे वाला। उदा. इस कार्य को संपन्न कराने के लिए किसी मोटे-ताजे आदमी की आवश्यकता है।
मोटापा - (पुं.) (देश.) - 1. शरीर के मोटे होने की स्थिति, स्थूलता।
मोटी - (स्त्री.) (तद्.) - स्थूल या भरे-पूरे शरीर वाली। जैसे: 1. मोटी औरत।
मोड़ - (पुं.) (देश.) - 1. मुड़ने/मोड़ने की स्थिति। क्रिया या भाव, घुमाव। 2. किसी मार्ग वस्तु आदि का किसी दिशा में घूम जाने या मुड़ जाने की स्थिति। जैसे: अशोक विहार जाने के लिए अगले मोड़ से दाहिने जाएँ।
मोतिया - (पुं.) (देश.) - 1. एक प्रकार का बेला (फूल)। दे. ‘बेला’। 2. मोती के समान चमक वाला, मोती जैसा सफेद रंग।
मोतियाबिंद - (पुं.) (देश.+तद्.) - आँख का एक रोग जिसमें आँख के परदे पर झिली सी आ जाती है जिससे दृष्टि कमजोर या नष्ट हो जाती है। cataract
मोती - (पुं.) (तद्<मौक्तिक) - समुद्री सीप में पनपने वाला एक बहुमूल्य रत्न जो छोटा, गोल, सफेद तथा चमकदार होता है।
मोतीझरा - (वि./पुं.) (तद्.) - शा.अर्थ (बुखार) जिसमें (छाती पर) बारीक मोती से दाने झरे हुए दिखाई पड़ते हैं। दे. ‘टाइफाइड’।
मोद - (पुं.) (तद्.) - 1. प्रसन्नता, हर्ष। 2. सुंगध।
मोबाइल फोन - (पुं.) - (अं.) वह छोटा दूरभाष यंत्र जिसे कोई भी व्यक्ति अपने साथ कहीं भी आसानी से ले जा सकता है तथा उससे संदेश ग्रहण कर सकता है या दे सकता है। Mobile
मोबाईल - (वि.) - (अं.) 1. चल, गतिशील। 2. चलता-फिरता। 3. परिवर्तनशील। जैसे: मोबइल होना।
मोम - (पुं.) (फा.) - 1. वह कोमल, हल्का, चिकना पदार्थ जिससे मधुमक्खियाँ अपना छत्ता बनाती हैं। 2. हल्के पीले या सफेद रंग का एक चिकना, कोमल पदार्थ जो बहुत कम गर्मी में पिघल जाता है। उस मोम से मोमबत्तियाँ बनाई जाती हैं। उदा. उसका दिल तो मोम जैसा है।
मोरचा - (पुं.) (दे.) - ‘रस्ट’।
मोरपंख - (पुं.) (तद्.<अं.) - मोर का पंख।
मोरपंखी - (पुं./वि.) (देश.) - 1. एक गहरे हरे रंग का बिना फूलों का पौधा जो शोभा के लिए लगाया जाता है। 2. मोर पंख के रंग वाला, गहरा चमकीला नीला। 3. गहरा चमकीला नीला रंग।
मोरी - (स्त्री.) (देश.<मोहरी) - वह नाली जिसमें से होकर बरसात का पानी अथवा गंदा पानी बहता है। drain सर्व. स्त्री. ब्रज.<मम), मेरी।
मोर्चा/मोरचा - (पुं.) - (फा.<मोरच) 1. लोहे पर नमी आदि के कारण लगने वाली मैल की भूरी-सी काली परत जिससे लोहा खराब और कमजोर हो जाता है, जंग। जैसे: अलमारी में मोर्चा/जंग लग गया है। 2. किले की रक्षा के लिए उसके चारों ओर खोदी जाने वाली खाई। 3. वह स्थान जहाँ से सेना द्वारा आक्रमण या रक्षात्मक युद् ध किया जाता है। उदा. सेना ने शत्रु के विरूद्ध मोर्चा संभाल लिया।
मोल - (पुं.) (तद्.<मूल्य) - किसी वस्तु को पाने के बदले दिया जाने वाला धन। पर्या. मूल्य, कीमत, दाम। price मुहा. मोल-भाव करना-मूल्य कम-अधिक करके भाव निश्चित करना। मोल लेना-खरीदना; अपने सिर पर ले लेना। जैसे: मुसीबत मोल लेना। मोल का लिया-खरीदा हुआ। (मोसों कहत मोल को लीन्हों…(सूर)
मोलभाव - (पुं.) (देश.) - किसी वस्तु को खरीदते-बेचते समय मूल्य कम/अधिक बोलकर सौदा तय करने की प्रक्रिया।
मोह - (पुं.) (तत्.) - अज्ञान, भ्रम, मूर्च्छा/मूर्छा, बेहोशी। अपनेपन के कारण अच्छे-बुरे की पहचान न कर पाना। भौतिक वस्तुओं, संबंधों आदि में आसक्त।
मोहजाल - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ मोह का जाल/जाला। प्राणियों में व्याप्त सांसारिक लगाव। उदा. तुम तो मोहजाल में फँसे पड़े हो, कुछ समाज के लिए भी करो।
मोहताज/मुहताज - (वि.) (अर.) - 1. जिसे किसी वस्तु की आवश्यकता या अभाव हो, धनहीन, गरीब, निर्धन। 2. कुछ प्राप्त करने के लिए साधन न होने के कारण लाचार या दूसरे पर आश्रित।
मोहना/मोह लेना स.क्रि. - (तत्.) - आकर्षित करना, लुभाना, छलना, बुद्धि को प्रभावित कर अपने अनुसार चलने के लिए विवश कर देना। मुहा. मन मोह लेना।
मोहपाश - (पुं.) (तत्.) - शा.अर्थ मोह रूपी बंधन, मोह का बंधन। सांसारिक बंधन, सांसारिक आसक्ति। उदा. मोहपाश से छूटना सहज नहीं है।
मोह-ममता - (स्त्री.) (तत्.) - किसी के प्रति अत्यधिक अपनत्व की भावना। उदा. वह व्यक्ति मोह-ममता से दूर है।
मोह-माया - (स्त्री.) (तत्.) - दे. ‘मायाजाल’।
मोहरा - (पुं.) (देश.) - 1. किसी पात्र का मुख या खुला भाग। 2. सेना की अगली पंक्ति। 3. (शतरंज के) खेल में कोई गोटी। उदा. (i) शतरंज के खेल में सफेद और काले रंग के 16-16 मोहरें होते हैं। (ii) मुझे तो इस मामले में मोहरा बनाया गया है।
मोहल्ला/मुहल्ला/महल्ला - (पुं.) (अर.<महल्ल:) - गाँव, कस्बे या नगर का एक छोटा आवासीय भाग, जिसमें बहुत से मकान, सड़कें, तथा गलियाँ होती हैं।
मोहित - (वि.) (तत्.) - मोह में पड़ा हुआ, मुग्ध, आसक्त।
मौका - (पुं.) (अर.<मौक़्आ) - 1. किसी घटना के घटित होने का स्थान। जैसे: मौका वारदात। 2. अवसर, समय। उदा. मुझे मंच पर बोलने का मौका नहीं मिला।
मौज - (स्त्री.) (अर.) - 1. वह मानसिक सुखद अनुभूति जो सभी प्रकार की सांसारिक सुविधाओं से प्राप्त हुई मानी जाती है। 2. मन की उमंग, लहर, आनंद, सुख, मज़ा। उदा. तुम्हारी लॉटरी खुल गई, अब तो मौज ही मौज है।
मौजूद - (वि.) (अर.) - 1. उपस्थित। उदा. आपके जन्मदिन पर मैं समारोह में मौजूद नहीं हुआ, इसके लिए क्षमा माँगता हूँ। 2. जो वर्तमान में हो। पर्या. विद्यमान।
मौजूदगी - (स्त्री.) (अर.) - उपस्थिति। उदा. आपकी मौजूदगी में यह सब कैसे हुआ
मौत - (स्त्री.) (अर.) - 1. पंचभूतों से निर्मित शरीर की वह अवस्था जब वह चेतनारहित या जीवात्मा से रहित हो जाता है, मृत्यु, मरण। उदा.कल एक साथी की दुर्घटना में मौत हो गई। मुहा. मौत के घाट उतारना-मार डालना।
मौन - (पुं.) (तत्.) - 1. वाणी से न बोलना। पर्या. चुप्पी। 2. अनुकूलता-प्रतिकूलता, संयोग-वियोग, राग-द्वेष, सुख-दु:ख आदि द्वंद्वों को लेकर मन में हलचल न होना। वि. जिसने मौन धारण कर रखा हो, जो चुप हो।
मौलवी - (पुं.) (अर.) - 1. इस्लामी धर्म का ज्ञाता या विद्वान। 2. शिक्षक, विद्वान। उदा. मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षक को मौलवी कहते हैं।
मौलसिरी - (स्त्री.) (तद्.<मौलिश्री) - एक बड़ा सदाबहार पेड़ जिसमें छोटे सुगंधित फूल लगते हैं। बकुल वृक्ष।
मौला - (पुं.) (अर.) - जो हमारे जीवन या जीवनवृत्ति का स्वामी हो, स्वामी, मालिक, ईश्वर, परमात्मा। उदा. या मेरे मौला! तुमने यह क्या किया?
मौलाना - (पुं.) (अर.) - 1. बड़ा मौलवी। 2. मुसलमान विद्वानों के लिए ‘आचार्य’ जैसी उपाधि जो नाम से पहले लिखी जाती है। जैसे: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद।
मौलिक - (वि.) (तत्.) - 1. मूल या जड़ से संबंध रखने वाला। जैसे-मौलिक निवास स्थान। 2. मूल तत् व या सिद्धांत से संबंधित तात्विक, अद्वैतवाद। जैसे: शंकराचार्य का मौलिक सिद्धांत। 3. जो किसी का अनुवाद या नकल न लगे। प्रयो. कामायनी जयशंकर प्रसाद की मौलिक कृति है।
मौसम/मौसिम - (पुं.) (अर.) - 1. पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करते समय सूर्य की किरणें अलग-अलग कोणों से पड़ने के कारण पृथ्वी पर होने वाला जलवायु संबंधी नियमित प्रभाव। ऋतु, जैसे: गर्मी, वर्षा, वसंत आदि। season 2. वर्षा, वायु आदि के कारण होने वाला अस्थाई प्रभाव। weather जैसे: मौसम खराब हो गया। 3. फ़सल/फलों का काल जैसे: आम का मौसम। 4. समय, व़क्त-मौसम बुरा है।
मौसी - (स्त्री.) (देश.) - माँ की बहन, मासी, बहन तथा भाई की सास। पुं. मौसा।
म्यान - (स्त्री.) (फा.<मियान) - चमड़ा मढ़ा वह आवरण या पेटिका जिसे उपयोग न किए जाने के दौरान तलवार, कटार आदि सुरक्षित रखी जाती हैं तथा केवल मूठ का भाग म्यान से बाहर रहता है।, अव्यय. बीच में।
म्यूजि़यम - (पुं.) (तत्) - (अं.) संग्रहालय, जहाँ कला, पुरा व, प्राणिविज्ञान, इतिहास आदि से संबंधित आलेख, चित्र, प्राचीन वस्तुएँ आदि प्रदर्शन के लिए रखी रहती हैं। पर्या. अजायबघर।