विच्छित्ति
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विच्छित्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. काटकर अलग या टुकड़े करना ।
२. विच्छेद । अलगाव ।
३. कमी । त्रुटि ।
४. वेशभूषा आदि में होनेवाली लापरवाही या बेढंगापन ।
५. रंगों आदि से शरीर को चित्रित करना ।
६. कविता में यति ।
७. एक प्रकार का हार ।
८. साहित्य में एक हाव, जिसमें स्त्री थोड़े श्रृंगार से पुरुष को मोहित करने की चेष्टा करती है । यथा—बेंदी भाल, तमोल मुख, सीस सिलसिले बार । द्दग आँजे, राजे खरी, साजे सहज सिंगार ।
९. मकान की सीमा । हद (को॰) । १० विनाश । लोप (को.) ।
११. वैचित्र्य । विचित्रता (को॰) ।
१२. बाधा । रोक । रुकावट ।