विछेप

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

विछेप पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ विक्षेप, प्रा॰ विच्छेव] दे॰ 'विक्षेप' । उ॰— देहिक दैविक छुटै भवतिक सोइ अनन्य कहावनं । इंद्री रहित विछेप नाहीं सोई है आतीतनं ।—पलटू॰, पृ॰ ६२ ।