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विजय

विक्षनरी से

शब्द

यदि कोई प्रतियोगिता, खेल, युद्ध आदि के जीतने पर उसे विजय कहते है।

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

विजय ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. युद्ध या विवाद आदि में होनेवाली जीत । विपक्षी या शत्रु को दबाकर अपना प्रभुत्व या पक्ष स्थापित करना । जय । जीत । पराजय का उलटा । उ॰—पांडव विजयी यह कथा राजा सुन के कान । विजय होय सब जगत में शत्रु होय क्षय जान ।—सबल (शब्द॰) ।

२. एक प्रकार का छंद जो केशव के अनुसार सवैया का मत्तगयंद नामक भेद है ।

३. हरिवंश के अनुसार जयंत (इंद्र का पुत्र) के पुत्र का नाम (को॰) ।

४. जैनों के अनुसार पाँच अनुत्तरों में से पहला अनुत्तर या सबसे ऊपर का स्वर्ग ।

५. विष्णु के एक पार्षद का नाम ।

६. अर्जुन का एक नाम ।

७. यम का नाम ।

८. जैनियों के एक जिन देव का नाम ।

९. कल्कि के एक पुत्र का नाम ।

१०. कालिकापुराण के अनुसार भैरववंशी कल्पराज के पुत्र का नाम जो काशिराज नाम से प्रसिद्ध थे ।

११. विमान

१२. संजय के एक पुत्र का नाम ।

१३. जयद्रथ के एक पुत्र का नाम ।

१४. एक प्रकार का शुभ मुहूर्त । †

१५. प्रस्थान । गमन (आदारार्थ), जैसे—विजययात्रा । उ॰—श्री गुसाईं जी फेरि श्री गोकुल को विजय करे ।—दो सौ बावन॰, पृ॰ १९३ ।

१६. एक संवत्सर का नाम (को॰) ।

१७. वर्ष का तीसरा मास (को॰) ।

१८. एक प्रकार का सैन्य व्यूह (को॰) ।

१९. एक प्रकार की मान या तौन (को॰) ।

२०. जीत का पारितोषिक । लूट का माल (को॰) ।

२१. प्रदेश । जिला (को॰) ।

२२. एक प्रकार की बाँसुरी (को॰) ।

२३. कृष्ण के पुत्र का नाम (को॰) ।

२४. शिव का त्रिशूल (को॰) ।

२५. राजकीय शिविर (को॰) ।

विजय † ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ व्यञ्जन - पू॰ हिं॰ विजन, विजय वीजन] भोजन करना । खाना । (पूरब) ।

विजय द्वादशी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का नाम [को॰] ।