विपणि
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विपणि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. दूकान ।
२. विक्रय का सामान ।
३. व्यापार ।
४. विक्रय ।
५. बाजार । उ॰—अपने इन विहारों के दौरान में कर्मशाला, सभा, कूप, विपणि, निर्माण- शाला—इन सब आवासस्थानों में ।—हिंदु॰ सभ्यता, पृ॰ २२५ । यौ॰—विपणिकर्म । विपणिगत=बाजार में उपलब्ध या प्राप्त । विपणिजीविका=व्यापारजीवी । व्यवसायी । विपणिपथ= बाजार का मार्ग । पण्यवीथी ।