विपर्यास

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

विपर्यास संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ विपर्यस्त]

१. विपर्यय । उलट पलट । इधर का उधर । व्यतिक्रम ।

२. पूर्व से विरुद्ध स्थिति । एक वस्तु का दूसरी के स्थान पर होना ।

३. जैसा चाहिए , उसके विरुद्ध स्थिति । और का और ।

४. मिथ्या ज्ञान । और का और समझना । विशेष—न्याय में अप्रमात्मक बुद्धि का नाम विपर्यास है । जैसे,— रस्सी को साँप समझना ।