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वियोग

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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वियोग संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. संयोग का अभाव । मिलाप का न होना । विच्छेद ।

२. पृथक् होने का भाव । अलगाव ।

३. दो प्रेमियों का एक दूसरे से अलग होना । विरह । जुदाई । विशेष—साहित्य में श्रृंगार रस दो प्रकार का माना गया है— संयोग श्रृगार (या संभोग श्रृंगार) और वियोग श्रृंगार (या विप्रलंभ श्रृंगार) । वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास ।

४. गणित में राशि का व्यकलन ।

५. अभाव । हानि (को॰) ।