वियोगांत

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

वियोगांत वि॰ [सं॰ वियोगान्त] (उपन्यास, नाटक या कथा आदि) जिसकी कथा का अंत दुःखपूर्ण हो । विशेष—आधुनिक नामक दो प्रकार के माने जाते हैं—सुखांत और दुःखात । इन्हीं का कुछ लोग संयोगांत और वियोगांत भी कहते है । भारतवर्ष में संयोगांत या सुखांत नाटक लिखने की ही चाल पाई जाती है; दुःखांत का निषेध ही मिलता है । पर पूर्वकाल में दुःखांत नाटक भी लिखे जाते थे, इसका आभास कालिदास के पूर्ववर्ती महाकवि भास के नाटकों से मिलता है ।