विरत
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विरत वि॰ [सं॰]
१. जो अनुरक्त न हो । जिसे चाह न हो । जिसका मन हटा हो । विमुख । जैसे,—स्त्री या भोग विलास से विरत होना ।
२. जो लगा हुआ न हो । जिसने अपना हाथ हटा लिया हो । निवृत्त । जैसे,—किसी कार्य से विरत होना ।
३. जिसने सांसारिक विषयों से अपना मन हटा लिया हो । विरक्त । वैरागी ।
४. विशेष रुप से रत । बहुत लीन । बिल्कुल लगा हुआ । उ॰—कहूँ गनक गनत, जोगी जपत जंत्र मंत्र मन विरत नित ।—गुमान । (शब्द॰) ।
५. जिसका अंत समाप्ति हो गई हो । समाप्त । उपपंहृत (को॰) ।
६. विश्रांत । थका या ठहरा हुआ (को॰) ।