विरत्त

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

विरत्त पु वि॰ [सं॰ विरक्त, प्रा॰ विरक्त] विरत । अप्रसन्न । उ॰— साह विरतो मारवाँ ग्राह जही गज वार । जठै सदरसण चक्र ज्याँ रिणमल्लाँ पणधार ।—रा॰ रु॰, पृ॰ ७० ।