विरह
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1.वियोग , 2.अभाव|
विरह का अर्थ होता है वियोग।
अर्थात्- लाग्यो तरसावन विरह-जुर जोर तैं|
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विरह ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. किसी वस्तु से रहित होने का भाव । किसी वस्तु का अभाव । किसी वस्तु के बिना स्थिति ।
२. किसी प्रिय व्यक्ति का पास से अलग होना । विच्छेद । वियोग । जुदाई ।
३. वियोग का दु:ख । जुदाई का रंज ।
४. अंतर । व्यवधान । अविद्यमानता । उ॰— नव नवय प्रातय विरह प्रावय संष दिव धुनि बज्जियं । —पृ॰ रा॰, २४ ।११८ ।
५. परित्याग । छोड़ देना (को॰) ।
विरह ^२ वि॰ रहित । शून्य । बगैर । बिना ।