विरेचन

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

विरेचन संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मलभेदक औषध । दस्त लानेवाली दवा । जैसे,—रेंड़ी का तेल ।

२. दस्त लाना । मलभेद करने की क्रिया । विशेष—वैद्यक के ग्रंथों में विरेचन की विधि विशेष विस्तार से लिखी है; क्योंकि कुपित मल ही सब रोगों का कारण कहा गया है । पूरी विधि के साथ विरेचन का विधान स्नेहन, स्वेदन और वमन के उपरांत किया गया है । शरद और वसंत में विरेचन विधेय ठहराया गया है । बालक, वृद्ध, क्षतग्रस्त, रोग से अत्यंत क्षीण, भयार्त, श्रांत, पिपासार्त और मतवाले को विरेचन नहीं कराना चाहिए ।