विरोधी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]विरोधी ^१ वि॰ [सं॰ विरोधिन्] [स्त्री॰ विरोधिनी]
१. विरोध करनेवाला । हित के प्रतिकूल चलनेवाला । कार्य़ासिद्धि में बाधा ड़ालनेवाला ।
२. प्रतिद्बंद्बी । विपक्षी । शत्रु । बैरी । दुश्मन ।
३. मुकाबिला करनेवाला । घेरा डालनेवाला (को॰) ।
४. झगड़ालू (को॰) ।
५. अनुकुल न पड़नेवाला । (अन्न) (को॰) ।
विरोधी ^१ संज्ञा पुं॰
१. साठ संवत्सरों में से पचीसवाँ संवत्सर ।
२. शत्रु । बैरी (को॰) ।
विरोधी श्लेष संज्ञा पुं॰ [सं॰] केशव से अनुसार श्वेष अलंकार का एक भेद, जिसमें श्लिष्ट शब्दों द्बारा दो पदार्थों में भेद, विरोध या न्युनाधिकता दिखाई जाती है । जैसे, उ॰—कृष्णा हरे हरये हरै संपति, शंभु विपत्ति यहै अधिकाई । जातक काम अकामन के हित, घातक काम सकाम सहाई । इसमें यह दिखाया गया है कि हर (शिव) दासों पर हरि की अपेक्षा अधिक कृपा करते है । कृष्णा धीरे धीरे संपत्ति हरते हैं और शिव विपत्ति । हरि काम को उत्पन्न करनेवाले है और निष्काम लोगों के हितू है; शिव काम के घातक है, पर कामना रखनेवालों के सहायक हैं । यहाँ 'काम' शब्द के 'कामदेव' और 'कामना' दो अर्थ हैं ।