श्रावण

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  1. हिन्दू पंचांग का एक मास[१]

पर्याय

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

श्रावण ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. चैत आदि महीनों में से एक महीने का नाम । असाढ़ के बाद और भादों के पहले का महीना । विशेष—गणना में यह पाँचवां महीना होता है और वर्षा ऋतु में पड़ता है । इस मास को पूर्णमासी श्रवण नक्षत्र से युक्त होती है. इसी लिये इसे श्रावण कहते हैं । सावन ।

२. एक प्रकार का वर्ष । विशेष—यदि श्रवण अथवा धनिष्ठा नक्षत्र में वृहस्पति उदय हो. तो उस दिन से एक वर्ष तक का समय श्रावण कहलाता है । कहते हैं, इस वर्ष में धान्य खूब पकते हैं, सब लोग बहुत सूखी होते हैं, पर पाखंडी मनुष्य तथा उनके अनुयायी पीड़ित होते हैं ।

३. श्रावण मास की पूर्णिमा ।

४. शब्द, जिसका ग्रहण श्रवणेंद्रिय द्वारा होता है । आवाज ।

५. श्रवण करने से प्राप्त ज्ञान । श्रवणजन्य ज्ञान (को॰) ।

६. श्रवण नामक तपस्वी (को॰) ।

७. नास्तिकता । पाखंड ।

८. वंचक । पाखंडा (को॰) ।

९. माकडेय पुराण के अनुसार । योगियों के याग में होनवाल पांच प्रकार का विघ्न या उपसर्ग जिसमें यागी हजार योजन तक के शब्द ग्रहण करके उनके अर्थ हृदयंगम करता है ।

श्रावण ^२ वि॰

१. श्रवण नक्षत्र संबंधा । श्रवण नक्षत्र का ।

२. श्रवण नक्षत्र में उत्पन्न (को॰) ।

३. श्रवणेंद्रिय या कान से संबंधित (को॰) ।

४. वेदविहित वेदाक्त । वैदिक (को॰) । यौ॰—श्रावण ज्ञान, श्रावण प्रत्यक्ष=श्रवणेंद्रिय द्वारा प्राप्त ज्ञान वा अनुभूति ।

संदर्भ