विषय
संज्ञा
- मुद्दा, कोई मनुष्य या वस्तु आदि जिसके बारे में चर्चा, अध्ययन या ज्ञान लेना हो।
अनुवाद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
विषय संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह बड़ा प्रदेश जिसपर कोई शासन व्यवस्था हो । विशेष—ग्राम से बड़ा राष्ट्र और राष्ट्र से बड़ा विषय माना जाता था । कितने बड़े भूभाग को विषय कह सकते थे, इसका कोई निर्दिष्ट मान नहीं था ।
२. वह पदार्थ जिसका ग्रहण ज्ञानेंद्रियों द्वारा होता हो । रूप, रस, गंध स्पर्श और शब्द जिनका संबंध क्रमशः आँख, जिह्वा, नाक, त्वचा और कान से है । इंद्रियार्थ (को॰) ।
३. भौतिक वस्तु (को॰) ।
४. कोरोबार । व्वव- साय (को॰) ।
५. इंद्रियसुख । वासनात्मक आनंद (को॰) ।
६. विभागक्षत्र ।
७. पहुँच । परिधि । विस्तार (को॰) ।
८. लक्ष्य । उद्देश्य (को॰) ।
९. प्रसंग । प्रकरण (को॰) ।
१०. वीर्य । शुक्र (को॰) ।
११. स्वामी (को॰) ।
१२. धार्मिक कृत्य (को॰) ।
१३. पाँच की संख्या (को॰) ।
१४. उपमेय । वर्ण्य पदार्थ (को॰) ।
१५. राज्य (को॰) ।
१६. आश्रयस्थल, शरणस्थल (को॰) ।
१७. ग्रामों का समूह (को॰) ।
१८. प्रेमी पति (को॰) ।
१९. श्रृंगार विषयक ग्रंथ (को॰) । यौ॰—विषयकर्म = भौतिक कृत्य । सांसारिक कार्य । विषय- काम = भौतिक पदार्थों या सुखों की कामना । विषयग्राम = ऐंद्रिक विषयों का समूह । विषयज्ञ । विषयज्ञान = सांसारिक सुखों का ज्ञान । वासनात्मक ज्ञान । विषयनिरत । विषय- निर्धारिणी समिति । विषयनिड्नुति । विषयपति । विषयरस । विषयसमिति । विषयस्पृहा ।