वीरभद्र
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वीरभद्र संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा ।
२. उशीर । खस ।
३. प्रख्यात वीर । प्रसिद्ध योद्धा । श्रेष्ठ वीर (को॰) ।
४. शिव के एक प्रसिद्ध गण का नाम जो उनके पुत्र और अवतार माने जाती हैं । उ॰—शिव जी के शरीर से अग्नि बहिर्गत हु ई कि मानों वह तीनों लोकों को भस्म किया चाहती है और इस अग्नि में से वीरभद्र उत्पन्न हुआ ।—कबीर मं॰, पृ॰ २१८ । विशेष—कहते हैं, दक्ष का यज्ञ नष्ट करने लिये शिव जी ने अपने मुँह में इनकी सृष्टि की थी । वीरभद्र ने बहुत से रुद्रों की सृष्टि करके दक्ष का यज्ञ नष्ट किया था ।