वीरासन
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
वीरासन संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. बैठने का एक प्रकार का आसन या मुद्रा जिसका व्यवहार प्रायः पूजन और तांत्रिकों आदि के साधन में होता है । इसमें बाएँ पैर और टखने पर दाहिनी जाँघ रखकर बैठते हैं ।
२. काई एक जानु मोड़कर बैठना (को॰) ।
३. युद्धक्षेत्र । रणभूमि (को॰) ।
४. निगरानी करने की जगह । संतरी की चौकी (को॰) ।