वीर्य
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादित करें]शब्दसागर
[सम्पादित करें]वीर्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. शरीर के सात धातुओं में से एक धातु जिसका निर्माण सबके अंत में होता है और जिसके कारण शरीर में बल और कांति आती है ।
वीर्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. शरीर के सात धातुओं में से एक धातु जिसका निर्माण सबके अंत में होता है और जिसके कारण शरीर में बल और कांति आती है ।