वीर्य

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

वीर्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. शरीर के सात धातुओं में से एक धातु जिसका निर्माण सबके अंत में होता है और जिसके कारण शरीर में बल और कांति आती है ।