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वृत्त

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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वृत्त ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. चरित्र । चरित ।

२. वेदों और शास्त्रों के अनुकुल आचार रखना ।

३. आचार । चाल चलन ।

४. स्तन के आगे का भाग । चूचुक ।

५. सफेद ज्वार ।

६. गुंडा या गुंड नाम की घास ।

७. अंजीर ।

८. सतिवन ।

९. कछुआ ।

१०. समाचार । वृत्तांत । हाल । उ॰—अब जो वृत्त नवीन; होय कहहु सो करि कृपा । —प्रेमघन॰, भा॰ १, पृ॰ ८२ ।

११. बड़ों के आदर, इंद्रियनिग्रह और सत्य आदि की ओर होनेवाली प्रवृत्ति ।

१२. महाभारत के अनुसार एक नाग का नाम ।

१३. जीविका का साधन । वृत्ति ।

१४. वह छंद जिसके प्रत्येक पद में अक्षरों की संख्या और लघु गुरू के क्रम का नियम हो । वर्णिक छंद । जैसे,—इंद्रवज्रा, उपेंद्रवज्रा, मालिनी आदि । उ॰—नूतन वृत्तों में कविकोविद नए गीत रच लाते हैं । नव रागों में, नव तालों में, गायक उन्हें जगाते हैं ।—साकेत, पृ॰ २७३ । विशेष—पदों के विचार से वृत्त तीन प्रकार के होते हैं । जिस वृत्त के चारों पद समान हों, 'सम वृत्त' कहलाता है; जिसमें चारों पद असमान हों, वह 'विषम वृत्त'कहलाता है; और जिसके पहले और तीसरे तथा दूसरे और चौथे पद समान हों, उसे 'अर्ध समवृत्त' कहते हैं ।

१५. एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में बीस वर्ण होते हैं । इसे गंडका और दंडिका भी कहते हैं ।

१६. वह क्षेत्र जिसका घेरा या परिधि गोल हो । मंडल ।

१७. वह गोल रेखा जिसका प्रत्येक विंदु उसके अंदर के मध्यविंदु से समान अंतर पर हो ।

१८. दे॰ 'वृत्तासुर' ।

वृत्त ^२ वि॰

१. बीता हुआ । गुजरा हुआ ।

२. दृढ़ । मजबूत ।

३. जिसका आकार गोल हो । वर्त्तुल ।

४. मृत । मरा हुआ ।

५. जो उत्पन्न हुआ हो । जात । अस्तित्वमय । विद्यमान ।

६. निष्पन्न । सिद्ध ।

७. ढका हुआ । आच्छादित ।

८. अनुष्ठित । कृत (को॰) ।

९. पठित । अघीत (को॰) ।

१०. प्रसिद्ध । ख्यात (को॰) ।

११. गटित । संभूत (को॰) ।

वृत्त फला संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. बैंगन । भंटा ।

२. कड़वी ककड़ी ।

३. आँवला ।