वृद्ध

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

वृद्ध ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मनुष्य की तीन अवस्थाओं में से एक अवस्था जो युवावस्था के उपरांत और सबके अंत में आती है । बुढ़ापा । जरा । विशेष—यह अवस्था प्रायः ६० वर्ष के उपरांत आती है । इसमें मनुष्य दुर्बल और क्षीण हो जाता है, उसके सब अंग शिथिल हो जाते हैं, शरीर की धातुएँ तथा इंद्रियाँ आदि भी बराबर क्षीण होती जाती हैं, और इसके अत में मृत्यु आ जाती हैं ।

२. वह जो इस अवस्वा में पुहँच गया हो । बुड्ढा ।

३. संमानित व्यक्ति । पँडित । विद्वान् ।

४. शैलज नामक गधद्रव्य ।

५. वृद्धावस्था ।

६. ऋषि । संत (को॰) ।

७. वंशज । संतान (को॰) ।

८. व्यकरण में वह शब्द जिसके प्रथम स्वर का वृद्धि हुई हो (को॰) ।

९. गुग्गुल (को॰) ।

१०. अस्सी साल का हाथी (को॰) ।

वृद्ध ^२ वि॰

१. ब़ढ़ा हुआ । पूर्णतः बढ़ा हुआ ।

३. अधिक अवस्था का ।

४. बड़ा । विशाल ।

५. विकासित ।

६. एकत्रित । सँचित ।

७. पठित । वुद्धिमान् । अधीत । शिक्षित ।

८. योग्य । विशिष्ट [को॰] ।