सामग्री पर जाएँ

वृष

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

वृष संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. गौ का नर । साँड़ ।

२. कामशास्त्र के अनुसार चार प्रकार के पुरुषों में से एक प्रकार का पुरुष । विशेष—काम शास्त्र के अनुसार वृष जातीय पुरुष शंखिनी जाति की स्त्री की लिये उपयुक्त समझा जाता है । कहते हैं, ऐसा पुरुष अनेक गुणों से युक्त, अनेक प्रकार के रतिबंधों का ज्ञाता, सुंदर और सन्यवादी होता है ।

३. धर्म, जिसके चार पैर माने जाते हैं और जो इसी कारण साँड़ के रूप में माना जाता है ।

४. पुराणानुसार ग्यारहवें मन्वंतर के इंद्र का नाम ।

५. चूहा ।

६. अड़ूसा ।

७. श्रीकृष्ण या विष्णु का एक नाम ।

८. शत्रु । दुश्मन । वैरी ।

९. काम । १०, ऋषभ नामक ओषधि ।

११. पति । स्वामी ।

१२. गेहुँ ।

१३. धमासा ।

१४. नदी में होनेवाला भिलावाँ ।

१५. ज्योतिष में मेष आदि बारह राशियों में से दूसरी राशि । विशेष—इस राशि में कृतिका नक्षत्र के तीन पाद, पूरा रोहिणी नक्षत्र और मृगशिरा नक्षत्र के पहले दो पाद हैं । यह राशि श्वेतवर्ण, वातप्रकृति, वैश्य, चार पैरोंवाली और दक्षिण दिशा की स्वामिनी मानी जाती है । कहते हैं, जो व्यक्ति इस राशि में जन्म लेता है, वह सुंदर दाता, क्षमाशील, स्त्रैण और निर्भंय होता है तथा आरंभिक अवस्था में धन, बंधु संतति आदि से रहित और अंतिम अवस्था में इन सब बातों से सुखी रहता है ।

१६. फलित ज्योतिष में मेष आदि बारह लग्नों में से दूसरा लग्न । विशेष—कहते हैं, इस लग्न में जन्म लेनेवाले मनुष्य के ओंठ और नाक मोटी तथा ललाट बहुत चौड़ा होता है, वह वातश्लेष्म प्रकृति का, भाग्यवान्, खर्चीला, मातापिता को कष्ट देनेवाला और बुरे कामों की ओर प्रवृति रखनेवाला होता है । ऐसे मनुष्य को पुत्र कम और कन्याएँ अधिक होती हैं । इसकी मृत्यु किसी पशु या बलवान् व्यक्ति के द्वारा अथवा जल, शूल, पर्यटन आदि के कारण अथवा भूखों रहने से होती है ।

१७. किसी वर्ग का मुख्य या प्रधान जैसे, मुनिवृष, कपिवृष (को॰) ।

१८. सुदृढ़ या व्यायामशील व्यक्ति (को॰) ।

१९. शिव का वृष, नंदी (को॰) ।

२०. पुण्य । सत्कर्म (को॰) ।

२१. कर्ण का एक नाम (को॰) ।

२२. मुख्य अक्ष या पासा (को॰) ।

२३. जल (को॰) ।

२४. मंदिर की एक विशेष आकृति (को॰) ।

२५. भवन- निर्माण के योग्य भूमि (को॰) ।

२६. नर जाति का पशु (को॰) ।

२७. मयूरपंख (को॰) ।

२८. स्त्रीकक्ष । अंतःपुर (को॰) ।

२९. शिव (को॰) ।

३०. सूर्य (को॰) ।

३१. अंगुठा ।

३२. शुक्र । वीर्य (को॰) ।

३३. स्कंद का एक अनुचर (को॰) ।

३४. एक असुर (को॰) ।

३५. चंद्रमा के १० घोड़ों में से एक घोड़ा (को॰) ।

३६. कर्ण के पौत्र का नाम जो वृषसेन का पुत्र था (को॰) ।