वेध
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वेध ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. किसी नुकीली चीज से छेदने की क्रिया । वेधना । विद्ध करना ।
२. मंत्रों आदि की सहायता से ग्रहों, नक्षत्रों और तारों आदि को देखना अथवा उनका स्थान निश्चित करना । यौ॰—वेधशाला ।
३. ज्योतिष के ग्रहों का किसी ऐसे स्थान में पहुँचना जहाँ से उनका किसी दूसरे ग्रह से सामना होता हो । जैसे,—युतवेध, पताकी- वेध ।
४. गहरापन । गंभीरता । पु
५. झगड़ा । रार । उ॰— राण अनै समरेस रै, बले प्रगट्यो वेध ।—रा॰, रु॰, पृ॰ ३४५ ।
६. क्षप । धाव ।
७. समय का एक मान (को॰) ।
८. गर्त । गहराई । गड्ढा (को॰) ।
९. ज्योतिष में परिधि का नवमांश (को॰) ।
१०. अशांति । बाधा (को॰) ।
११. घोड़ों का एक रोग (को॰) ।
१२. रसों का मिश्रण (को॰) ।
१४. निशाना मारना । लक्ष्य भेद करना (को॰) ।