वैराग्य

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

वैराग्य संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मन की वह वृत्ति जिसके अनुसार संसार की विषयवासना तुच्छ प्रतीत होती है और लोग संसार की झंझटें छोड़कर एकांत में रहते और ईश्वर का भजन करते हैं । विरक्ति ।

२. असंतृप्ति । असंतोष (को॰) ।

३. अरुचि । नापसंदगी (को॰) ।

४. रंज । शोक । अफसोस (को॰) ।

५. बदरंग होना । विवर्णता (को॰) ।